रविवार, 17 मार्च 2024

  

इसकी अगली कड़ी “शह और मात” से


…हैलो। …मेजर। वीके की आवाज मेरे कान मे पड़ी तो मैने जल्दी से कहा… यस सर। …अजीत और सरदार भी लाईन पर है। अब उस हार्ड ड्राईव के बारे मे बताओ। मैने जल्दी से आज की मुलाकात और उस हार्ड ड्राईव से मिली जानकारी के बारे मे बता कर पूछा… सर, उस ड्राईव मे शरीफ और बाजवा के काले कारोबार के अन्तरराष्ट्रीय नेटवर्क का खुलासा है। उस नेटवर्क की शाखायें दुनिया के कुछ विकसित और विकासशील देशों मे फैली हुई है। इस काले कारोबार के नेटवर्क को ध्वस्त करने की आप्रेशन अज्ञातवीर के बस की बात नहीं है। इसको डील करने के लिये मुझे आपकी सलाह चाहिये। …मेजर, आप्रेशन अज्ञातवीर का मुख्य उद्देश्य काले कारोबार की समाप्ति नहीं बल्कि पाकिस्तान मे भारतीय हक डाक्ट्रीन को कार्यान्वित करने की है। …जी सर परन्तु आतंकवाद और चरमपंथ की डाक्ट्रीन का मुख्य आर्थिक स्त्रोत यही काला कारोबार है। मानव तस्करी, ड्रग्स का कारोबार, नकली करेंसी और अवैध हथियारो का कारोबार इसके कारण पनप रहा है। तभी अजीत सर बोले… वीके, समीर सही सोच रहा है। यह नेटवर्क इस्लामिक आतंकवाद के लिये अन्तरराष्ट्रीय हार्ड करेन्सी का इंतजाम करता है।

वीके ने कुछ सोच कर कहा… अगर ऐसी बात भी है तो आप्रेशन अज्ञातवीर के निशाने पर पाकिस्तान मे इस नेटवर्क के संसाधन जुटाने की पाईपलाईन होनी चाहिये बाकी का काम वालकाट और उससे जुड़ी हुई अन्य सुरक्षा एजेन्सियों के लिये छोड़ देना चाहिये। वीके की बात का अनुमोदन करते हुए अजीत सर  बोले… वीके ने सलाह के बजाय इस बार सीधे निर्देश दिया है। समीर, उस हार्ड ड्राईव की सारी फाइल्स सेटफोन द्वारा हमे ट्रांस्फर कर दो। इसको औपचारिक तरीके से अब हम सरकार के माध्यम से दूसरी सरकारों की सुरक्षा एजेन्सियों से बात करेंगें। आप्रेशन अज्ञातवीर का उद्देश्य इस कारण पथभ्रमित नहीं होना चाहिये। तभी जनरल रंधावा ने बीच मे टोका… पुत्तर, एक बात का मुझे शक हो रहा है कि कहीं इस हार्ड ड्राईव के माध्यम से वह अपना उल्लू तो सीधा नहीं करने की सोच रहा है। …क्या मतलब सर? अजीत सर की आवाज गूंजी… सरदार ने बड़े पते की बात की है समीर। ऐसा भी तो हो सकता है कि वह तुम्हारे जरिये शरीफ और बाजवा को रास्ते से हटा कर उसके नेटवर्क पर काबिज होने की सोच रहा है। हमे उसका पुराना रिकार्ड नहीं भूलना चाहिये। वह पाकिस्तान सेना का एक बेहद दुर्दान्त और व्यभिचारी अफसर रहा है। उसका दामन भी बाजवा और शरीफ की तरह बहुतों के खून से लाल है। इसलिये हमारी सलाह है कि उससे सावधान रहने की जरुरत है। हमे लगता है कि यह सब उस काले कारोबार के नेटवर्क पर वर्चस्व हथियाने की लड़ाई है। मै कुछ बोलता कि तभी कुछ खटका हुआ तो मैने मुड़ कर देखा तो दरवाजे पर नफीसा को खड़ी देख कर मेरी धड़कन रुक गयी थी। …मेजर। मैने तुरन्त कहा… सर, मै फोन काट रहा हूँ। बाद मे बात करुँगा। अबकी बार बोलते हुए मेरी आवाज लड़खड़ा गयी थी।

नफीसा बंद दरवाजे के सामने खड़ी हुई थी। मेरी पीठ उसकी ओर थी जिसके कारण मै उसे प्रवेश करते हुए नहीं देख पाया था। उसके चेहरे पर खौफ और तनाव साफ विद्यमान हो रहा था। पता नहीं वह कबसे हमारी बातें सुन रही थी। क्या मेरा आप्रेशन आज्ञातवीर उसके सामने खुल गया? मै यह सोच रहा था कि तभी एक विचार बिजली की तरह मेरे दिमाग मे कौंधा… अब इसे मरना होगा। मै कुछ दिनो से महसूस कर रहा था कि सीमा पार करने के बाद से मेरे अन्दर की इंसानियत मर गयी थी।

 

 

उपसंहार

 

साउथ ब्लाक, नई दिल्ली

कान्फ्रेन्स रुम मे गोपीनाथ और अन्य लोग गहन चर्चा मे उलझे हुए थे। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार को प्रवेश करते हुए देख कर सब अपनी-अपनी जगह पर जा कर बैठ गये थे। अजीत सुब्रामन्यम ने मीटिंग का उद्देश्य बता कर गोपीनाथ को माइक देकर कहा… टाईम का ख्याल रखना। गोपीनाथ ने एक पल रुक कर बोलना आरंभ किया… अमरीका अपना मन बना चुका है कि अब उसे अफगानिस्तान से अपने सैनिक हटाने का समय आ गया है। इस लिये तालिबान के सारे गुटों को बातचीत करने के लिये कतार बुलाया है। कतार का अमीर इन दोनो गुटों के बीच मध्यस्ता कराने की कोशिश कर रहा है। हमारे लिये पहली चुनौती तो अपने लोगों को अफगानिस्तान से सुरक्षित बाहर निकालने की है। दूसरी चुनौती तालिबान की ओर से है। तीसरी चुनौती चीन की सड़क परियोजना की ओर से नजर आ रही है। चौथी और सबसे बड़ी चुनौती पाकिस्तान से मिल रही है। वहाँ राहदारी एक ऐसा मुद्दा बन गया है कि पाकिस्तान सभी के लिये रोड़े अटका रहा है। इस राहदारी के कारण भारत की भुमिका अफगानिस्तान मे नगण्य हो गयी है। हम अफगानिस्तान मे बिजली, सड़क, स्वास्थ व शिक्षा की परियोजनायें स्थापित कर रहे है। वहाँ पर हालात खराब होने से जान और माल की हानि होने की संभावना बढ़ जाएगी। इन हालात मे हमारी ओर से पहल की गयी थी जिसके कारण तालिबान का नेतृत्व, सीआईए, अमरीकन फौज और हमारा विदेश विभाग एक प्लेटफार्म पर आकर इसका हल निकालने मे लगे हुए थे। हमारी ओर से इस मसले को सुलझाने के लिये ब्रिगेडियर चीमा उनके साथ काम कर रहे थे। हाल ही मे आईएसआई ने अपनी तंजीमों की मदद से ब्रिगेडियर चीमा पर हमला करवा कर पूरी योजना को पटरी से उतार दिया है। वहाँ के हालात की जानकारी देने के लिये काबुल मे नियुक्त मिलिट्री अटाचे कर्नल श्रीनिवास अब आपके सामने सारे तथ्य रखेंगें। इतना बोल कर श्रीनिवास को बोलने का इशारा करके गोपीनाथ अपने स्थान पर जाकर बैठ गया था।

कर्नल श्रीनिवास ने एक नजर सभी पर डाल कर बोलना आरंभ किया… ब्रिगेडियर चीमा तालिबान के शीर्ष नेतृत्व यह यकीन दिलाने मे सफल हो गये थे कि हमारी सभी परियोजनायें जनहित मे है। वह अमरीका और तालिबान के बीच सुलह कराने मे भी सफल हो गये थे कि अगर तालिबान कुछ समय के लिये शांति बहाल करने मे कामयाब हो जाता है तो अमरीकन और नाटो फोर्सेज अफगानिस्तान से निकलने का कार्य आरंभ कर देंगी। काफी हद तक इस पर एक राय बन चुकी थी और तालिबान पिछले कुछ महीने से शांत बैठे हुए थे। इसी का परिणाम है कि कतार मे तालिबान और अमरीका की शांति वार्ता आरंभ हो गयी थी। तालिबान की सिर्फ एक ही शर्त थी कि इस वार्ता मे कोई तीसरी पार्टी नहीं होगी। उनका सीधा इशारा पाकिस्तान की ओर था। उनका मानना था कि अफगानी ही अपना मुस्तकबिल खुद तय करेंगें। यह विचार पाकिस्तान की आईएसआई और फौज के हित मे नहीं था तो सबसे पहले वह अमरीका को राहदारी देने के मामले मे आनाकानी करने लगे। उसके लिये पाकिस्तानी एस्टेबलिश्मेन्ट ने अपनी आवाम को अमरीका के विरुद्ध भड़काना शुरु किया जिसमे मुख्य भुमिका लब्बैक और जमात के मौलानाओं और मदरसों की थी। हमारे पास पुख्ता सूचना है कि इस अभियान को पीछे से चीन की मदद मिल रही थी। चीन अपनी वन बेल्ट-वन रोड सड़क परियोजना के द्वारा अड़तीस से ज्यादा एशियाई राष्ट्रों पर अमरीका की पकड़ कमजोर करके उन पर अपना नियंत्रण करना चाहता है।

इतना बोल कर श्रीनिवास कुछ पलों के लिये चुप हो गया था। सभी बैठे हुए अधिकारी चुपचाप उसकी बात सुन रहे थे। उसने फिर से बोलना आरंभ किया… ब्रिगेडियर चीमा ने पाकिस्तान और चीन पर अंकुश लगाने के लिये एक ब्लू प्रिंट तैयार किया था जिसकी सीआईए और तालिबान के नेतृत्व ने भी काफी सराहना की थी। उनका मानना था कि पाकिस्तान मे फौज के प्रति रोष व असंतोष की स्थिति मे चीन की सीपैक परियोजना पर प्रतिकूल असर होगा जिसके कारण दोनो का ध्यान अफगानिस्तान से हट कर पाकिस्तान तक सिमित हो जाएगा। इसके लिये उन्होंने तेहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान और उसकी जैसी और तंजीमो को मजबूत करने का सुझाव दिया था। अमरीका को एक तीर से दो शिकार करने का मौका मिल गया था। उन्होंने सहर्ष यह सुझाव को अमल मे करने के लिये ब्रिगेडियर चीमा को ग्रीन सिगनल दे दिया था। अमरीकन डालर और हथियारों की मदद मिलते ही तेहरीक और उनकी जैसी बलूचिस्तान, पख्तूनिस्तान, वजीरीस्तान की अन्य तंजीमों ने पाकिस्तानी फौज और सीपैक को निशाने पर ले लिया था। पाकिस्तान मे अराजकता का असर यह हुआ कि उनका ध्यान अफगानिस्तान से हट गया और तालिबान की वार्ता किसी हद तक अफगानिस्तान मे शांति स्थापित करने मे सफल हो गयी थी। बस इसी कारण ब्रिगेडियर चीमा आएसआई की नजर मे आ गये थे।

…तालिबान के बारे एक बात जानना जरुरी है कि पहले अफगान युद्ध मे तालिबान को बनाने वाले लोगों मे हक्कानी परिवार का आज भी काफी प्रभाव है। हक्कानी परिवार मूलत: पाकिस्तानी है और अफगान सीमा पर उनका काफी दबदबा है। पहले और दूसरे अफगान युद्ध मे तालिबान की हक्कानियों ने काफी मदद की थी। पाकिस्तानी फौज और आईएसआई का तालिबान पर प्रभाव हक्कानी परिवार के कारण है। जब यह वार्ता की पहल हुई तब पाकिस्तान फौज के दबाव मे हक्कानियों ने इस वार्ता मे भाग लेने से मना कर दिया था। इसी के साथ बहुत से तालिबान के नेताओं का परिवार अभी भी पाकिस्तान मे रह रहा है। इसीलिये तालिबान का नेतृत्व दो भाग मे बँट गया है। हक्कानी और उनके समर्थक पाकिस्तान के पिठ्ठु बन कर वार्ता असफल करने की जुगत लगा रहे है और वहीं दूसरी तरफ एक बड़ा तबका तालिबान का अमरीकन से बात करने की पैरवी कर रहा है। चीन के लिये यह सभी प्यादे है और उनका उद्देश्य उस महत्वाकांक्षी सड़क परियोजना से जुड़ा हुआ है। ग्वादर और सीपैक परियोजना मे अब तक चीन काफी पैसा लगा चुके है। इसी कारण अब वह भी पाकिस्तानी फौजी एस्टेब्लिशमेन्ट के दबाव मे आ गये है। आपको यह सब बताने की जरुरत ब्रिगेडियर चीमा के कारण पैदा हो गयी है। एक ओर तालिबान के नेतृत्व मे सेंधमारी के लिये आईएसआई हक्कानियों से मदद ले रही है और दूसरी ओर पाकिस्तान फौज तेहरीक के खिलाफ जंग छेड़ने जा रही है। पश्तूनों और पठानों के बीच मे अमरीका की छवि ठीक नहीं है अपितु उन लोगों के बीच भारतीयों की छवि सबसे बेहतर है। अमरीका चाहता है कि हम इस स्थिति को संभाले इसी लिये ब्रिगेडियर चीमा का रिप्लेसमेन्ट हमें जल्दी से जल्दी चाहिये। इतना बोल कर श्रीनिवास चुप हो कर अपनी जगह पर बैठ गया था।

 

कराँची

उसी समय कराँची मे जनरल फैज एक आदमी से मिल रहा था। …मुंबई मे पैसा पहुँचाना है। …जनरल साहब अब हवाला के जरिये वहाँ पैसे पहुँचाना मुश्किल हो रहा है। नयी सरकार आने के बाद से काफी सख्ती हो गयी है। …अकबर मियाँ, मुंबई फिल्म इंड्रस्ट्री अभी बन्द नहीं हुई है। आज भी बालीवुड हमारे पैसों पर खड़ा हुआ है। यह सुन कर अकबर एक पल के लिये गड़बड़ा गया था। जनरल फैज ने आँखे तरेर कर कहा… मियाँ यहाँ पर क्या होता है उसकी सारी खबर है। इसलिये अपने अब्बा से कहो कि अगले हफ्ते तक उन्हें सौ करोड़ रुपये मुंबई पहुँचाने है। …जनाब, आपने कह दिया तो काम हो जाएगा। जनरल फैज मुस्कुरा कर बोला… आज रात के लिये किसका इंतजाम किया है? …बालीवुड मे अपनी नयी लड़की जाहिरा को काम दिलवा रहा हूँ। आपके लिये आज उसका इंतजाम किया है। इतना बोल कर वह चुप हो गया था। कुछ सोच कर अकबर झिझकते हुए बोला… आपने जमाल भाई के प्रस्ताव के बारे मे क्या सोचा? …कौनसा प्रस्ताव? …जमाल भाई ड्र्ग्स के कारोबार को करांची के बजाय बाकू से चलाना चाहते है। …अकबर, उसने अभी तक यह नहीं बताया है कि अगर वह बाकू से सारे कारोबार का संचालन करेगा तो फिर मेरे हिस्से को कहाँ और कैसे देगा? …मेरे हमनवाज, मुंबई वालों के कारण दुबई का रुट सबकी नजर मे आ गया है। इसलिये अब्बा के कहने पर बाकू को चुना है। जनरल फैज ने आवाज कड़ी करके कहा… अकबर, तुम्हारे अब्बा कमाल के कराँची-दुबई-मुंबई रुट से भली भांति मै परिचित हूँ। अगर मुझसे होशियारी दिखाने की कोशिश करने की सोच रहे हो यह जान लो कि बाकू मे भी तुम्हारे सारे नेटवर्क को ध्वस्त करने मे मुझे एक दिन भी नहीं लगेगा। अकबर ने जल्दी से पूछा… मुंबई मे वह पैसा किसके पास पहुँचाना है? …आमिर खान। …कौन वह एक्टर? …बेवकूफ आमिर खान तेहरिक-ए-तालिबान हिन्दुस्तान का संस्थापक है। वह केरला मे बैठा है। …जनाब, आपका काम हो जाएगा। …अब इसके बारे मे अपने अब्बा से नहीं पूछेगा? अबकी बार अकबर खिसियानी हँसी हँसते हुए बोला… जनाब, तलाब मे रह कर मगर से बैर नहीं रख सकते। जनरल फैज ने उठते हुए एक ठहाका लगाया और फिर कमरे से बाहर निकल गया। 

जनरल फैज के जाते ही एक वृद्ध से दिखने वाले व्यक्ति ने कमरे मे कदम रखते हुए कहा… अकबर, पता करो कि क्या फरहान चला गया? …अब्बू वह अभी बाहर बैठा है। …उसको मेरे पास भेज दे। दो मिनट के बाद वह कमाल कुरैशी के सामने फरहान हाथ जोड़े खड़ा हुआ था। …फरहान आपकी फिल्म इस हफ्ते रिलीज हो रही है। बाक्स आफिस पर वह फिल्म क्या कमाएगी इसके बारे मे कोई नहीं जानता लेकिन मै तुम्हारी फिल्म हिट करवा सकता हूँ। …बड़े अब्बू , मै आपका गुलाम हूँ। आप जैसा चाहेंगें वैसा होगा। बस आप मुंबई के अन्दर फिल्म रिलीज करने मे मेरी मदद कर दिजिये। …वह तो मै कर दूँगा लेकिन अगले हफ्ते तक सौ करोड़ का इंतजाम करना है। …बड़े अब्बू, मै इतने पैसे के इंतजाम कैसे करुँगा? कमाल कुरैशी ने हवा मे हाथ लहराते हुए कहा… जौहर की पिछली फिल्म की कमाई की रकम अभी भी बकाया है। उसके पास जाकर पचास करोड़ ले लेना। मैने उसको कह दूँगा। बीस करोड़ का इंतजाम तुमको करना है। बाकी तीस करोड़ का इंतजाम करके मै तुम्हारे पास भिजवा दूँगा। यह सौ करोड़ केरला मे आमिर खान के पास पहुँचाना है। बेचारा फरहान जमीन पर माथा टिका कर खुदा का शुक्रिया करते हुए कमाल कुरैशी के कदमो को चूम कर बाहर निकल गया।

 

साउथ ब्लाक, नई दिल्ली

साउथ ब्लाक मे राष्ट्रीय सुरक्षा समिति की आपातकालिक बैठक चल रही थी। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत सुब्रामन्यम की अध्यक्षता मे अन्य राष्ट्रीय सुरक्षा समिति के सदस्यों के साथ रा के निदेशक गोपीनाथ की मीटिंग शुरु हुई थी। अजीत सुब्रामन्यम ने सब पर एक नजर डाल कर कहा… गोपीनाथ, तुम्हारा प्रस्ताव हमारे सामने आया है। उस पर कोई भी निर्णय लेने से पूर्व हम जानना चाहते है कि क्या हम अपनी विदेश नीति को बदलने की सोच रहे है? गोपीनाथ इस सवाल को सुन कर गड़बड़ा गया था। वह कोई जवाब देता उससे पहले वीके ने पूछा… आज तक हमारी नीति आतंकवादियों और उनकी तंजीमो के लिये बड़ी साफ रही थी कि हम उनसे कोई बात नहीं करेंगें और न ही कोई परोक्ष व अपरोक्षक संबन्ध रखेंगें। इस प्रस्ताव मे तुम हमे उनके साथ काम करने का सुझाव दे रहे हो। यह कैसे मुम्किन है? तभी विदेश सचिव तुरन्त बोले… दुश्मन का दुश्मन दोस्त होता है। गोपीनाथ शायद इसीलिये इसकी वकालत कर रहे है। अबकी बार जनरल रंधावा ने टोकते हुए कहा… क्या हमारी विदेश नीति मे कोई बदलाव हो गया है। एकाएक सबके मुख पर ताला पड़ गया था। गृह सचिव ने मोर्चा संभालते हुए कहा… नीति बदलने की बात नहीं है। अपनी जान और माल की रक्षा के लिये हमे तालिबान के साथ काम करना ही पड़ेगा। अमरीका आज नहीं तो कल वहाँ से जाएगा तब तो उनके बाद परोक्ष अथवा अपरोक्ष रुप मे तालिबान के हाथ मे वहाँ की सत्ता होगी तो उस वक्त क्या हमे तालिबान से बात नहीं करनी पड़ेगी?

अजीत अपने विचार रखते हुए बोले… गोपीनाथ, एक बात तो तय है कि हम परोक्ष रुप से तालिबान के साथ खड़े नहीं हो सकते। ऐसी हालत मे रा के किसी अधिकारी को इस काम पर क्यों नहीं लगाते? गोपीनाथ तुरन्त बोला… अजीत सर, आप ठीक कह रहे है लेकिन हमारे पास ऐसा कोई आदमी नहीं है जो कूट्नीति और राजनीति के साथ सैन्य नीति मे भी उतनी कुशलता रखता है। इसलिये हम यह निवेदन आपसे कर रहे है। अजीत ने कुछ सोचते हुए कहा… कर्नल श्रीनिवास से बेहतर कोई और विकल्प मुझे नहीं सूझता क्योंकि वह सैनिक पहले है और दूतावास मे होने के कारण कूटनीति कि समझ भी रखता है। वह सभी मुख्य लोगो को जानता और पहचानता है इसलिये वह इस कार्य को बखूबी निभा सकता है। इतना बोल कर अजीत चुप हो गये थे। गोपीनाथ के चेहरे पर परेशानी की लकीरें खिंच गयी थी। तभी वीके ने कहा… गोपीनाथ, एक बात की ओर अभी तक आपका ध्यान ही नहीं गया है कि ब्रिगेडियर चीमा के रिप्लेसमेन्ट को पहले अमरीका की सहमति की जरुरत है क्योंकि उसको अमरीका की फौज और सीआईए के साथ भी काम करना पड़ेगा। एक तरीके से विदेश मंत्रालय के साथ रक्षा मंत्रालय और गृह मंत्रालय भी इस प्रस्ताव के साथ सीधे जुड़ गये है। चुंकि यह नीतिगत फैसला है तो इसके लिये केबीनेट की मंजूरी अनिवार्य है। यह भी तभी मुम्किन है कि जब तुम्हारा प्रस्ताव केबिनेट की राय लेने के लिये उनके सामने रखा जाये। गोपीनाथ ने जल्दी से बला टालने के लिये कहा… वीके आप ठीक कह रहे है। पहले इस प्रस्ताव को केबीनेट के सामने रख कर उनकी राय ले लेते है। तभी जनरल रंधावा मुस्कुरा कर बोले… गोपीनाथ, अगर तुम्हारे प्रस्ताव को केबीनेट के सामने रखा तो इसकी गोपनीयता की गारन्टी कौन लेगा। जहाँ तक मैने तुम्हारे प्रस्ताव को देखा है तो मुझे नहीं लगता कि तुम इसकी जानकारी पाकिस्तान को देना चाहोगे। इस तर्क को सुन कर गोपीनाथ निरुत्तर हो गया था।

 

भारतीय दूतावास, काबुल

मिलीट्री अटाचे श्रीनिवास बेहद तनाव मे दिल्ली मे रा के निदेशक गोपीनाथ से हाटलाइन पर बात कर रहा था। …सर, बुरी खबर है। तेहरीक के गुल ने खबर दी है कि आईएसआई का जनरल फैज भारत मे कोई बहुत घातक योजना को कार्यान्वित करने की फिराक मे है। उस आप्रेशन का नाम गज्वा-ए-हिन्द है। दक्षिण भारत मे जिहाद काउन्सिल की चरमपंथी तंजीमे मिल कर तेहरीक-ए-तालिबान हिन्दुस्तान की स्थापना कर रही है। उनका मकसद साफ है कि तेहरीक और तालिबान से भारत के रिश्ते बिगड़ने से अफगानिस्तान मे भारत की उपस्थिति कमजोर पड़ जाएगी। …क्या मतलब? …सर, जैश और लश्कर के लोग भारत मे तेहरीक-ए-तालिबान हिन्दुस्तान के नाम से विस्फोट और दंगा फसाद करके उनको अमरीका और दुनिया के सामने बदनाम कर देंगें।

…इसका गज्वा-ए-हिन्द से क्या वास्ता श्रीनिवास? …सर, इसका कोई खास मतलब नहीं है। यह जमात-ए-इस्लामी की विचारधारा है जिसको आईएसआई तेहरीक और तालिबान से जोड़ने की कोशिश कर रही है। उनका मत है कि इस विचारधारा की मुस्लिम राष्ट्रों के युवाओं मे काफी अच्छी पकड़ है। खबर मिली है कि आखुन्डजादा पिछले महीने सिरीया मे अबु अडनानी से मिला था। गज्वा-ए-हिंद के लिये उसने आईसिस की ओर से अखुन्डजादा को समर्थन देने का विश्वास दिलाया है। इस विचारधारा के बल पर आईएसआई पैसों व जिहादियों को एक छत के नीचे एकत्रित करने की स्थिति मे आ जाएगी। …श्रीनिवास यह तो बहुत बुरी खबर है। …यस सर। इस बदलते माहौल के कारण यूएस एडमिनिस्ट्रेशन भी असमंजस की स्थिति मे आ गया है। गनी और मेहसूद पर भी दबाव बढ़ता जा रहा है। …ठीक है, स्थिति पर नजर बनाये रखना। मै अभी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार को इसकी खबर देने जा रहा हूँ। इतनी बात करके गोपीनाथ ने फोन काट दिया था। वह कुछ देर बैठ कर इसके बारे मे सोचता रहा और फिर अपना फोन उठा कर एक नम्बर मिला कर बोला… अजीत एक बुरी खबर है। फौरन मिलना है। बस इतना बोल कर उसने फोन काट दिया और उठ कर कमरे से बाहर निकलते हुए अपने सचिव से बोला… कुछ देर के लिये बाहर जा रहा हूँ। वह वहाँ से निकल गया था।

 

साउथ ब्लाक, नई दिल्ली

तिगड़ी के सामने आज मेरी पेशी थी। उस दिन मीटिंग को छोड़ कर जब बाहर निकला तब तो किसी ने मुझे रोकने की कोशिश नहीं की थी परन्तु शाम को अजीत सर मेरे पास आकर समझाते हुए बोले… समीर, हम तुम्हारी मनोस्थिति जानते है। पोस्ट ट्रामा से तुम अभी बाहर निकले ही थे कि यह घटना हो गयी। तुम कुछ दिन आराम करके वापिस आफिस जोइन कर लेना। इतना बोल वह वापिस चले गये थे। मै उसी दिन काठमांडू के लिये निकल गया था। वहाँ पहुँच कर पता चला कि अंजली अपने साथ दोनो बच्चों को लेकर चली गयी थी। उसने कारोबार संभालने के लिये ढाका से आरफा को काठमांडू बुला लिया था। फिलहाल अब वही सारा कारोबार संभाल रही थी। तीन दिन बिता कर मै पिछली रात को वापिस लौटा था। वहाँ से चलने से पहले मै एक निर्णय ले चुका था। आज मै उन तीनो के सामने बैठा हुआ अपने नये ब्लू प्रिन्ट की रुपरेखा को बताने के लिये तैयार था।

वीके ने कहा… मेजर, उरी का एक्शन प्लान तैयार हो गया है। सेना ने सर्जिकल स्ट्राईक का प्रस्ताव दिया है। इसके बारे मे तुम क्या सुझाव दे सकते हो? …सर, हमारे पास कुपवाड़ा से लेकर कठुआ तक के कुछ महत्वपूर्ण लान्चिंग पैड्स की जानकारी है। जनरल रंधावा के पास उन सभी स्थानो के जीपीएस कुर्डिनेट्स है। अगर हम दुश्मन की सीमा मे घुस कर उनके लान्चिंग पैड्स को ध्वस्त करने मे कामयाब हो गये तो फिर सभी तंजीमे उधर से घुसपैठ करने से पहले सौ बार सोचेंगीं। अजीत सर ने मेरी ओर देख कर कहा… समीर क्या तुम उनके कुछ महत्वपूर्ण लाँचिंग पैड की निशानदेही कर सकते हो? …जी सर। लेकिन इसके लिये मुझे कुछ दिनों के लिये कश्मीर जाना पड़ेगा। सारी घुसपैठ सर्दिया आरंभ होने से पहले अन्यथा बर्फ पिघलने के बाद होती है। इस वक्त मुझे नहीं लगता कि लांचिंग पेड्स पर कोई होगा परन्तु मै एक बार सेटेलाइट्स की तस्वीरों और वहाँ की असलियत अपनी आँखों से देखना चाहता हूँ। अगर हमारे सैनिक सीमा पार जाएँगें तो प्रवेश करने से पहले उनके पास एक पुख्ता निकासी प्लान होना चाहिये। अगर इसी काम को अंजाम देना है तो हमे उस समय इस आप्रेशन को लाँच करना चाहिये जब वहाँ पर भारी तादाद मे जिहादी उपस्थित होने चाहिये। जब उनका नुकसान ज्यादा होगा और तभी उसका उन तंजीमो पर कोई असर पड़ेगा। वीके ने पूछा… तुम्हारे अनुसार आप्रेशन कब लाँच करना चाहिये? …आज से तीन महीने बाद जब बर्फ पिघल रही होगी।

 

बीजिंग

चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के पोलिटब्युरो की मीटिंग चल रही थी। चीन को अगले पचास वर्ष मे दुनिया की महाशक्ति बनाने के ब्लू प्रिंट पर चर्चा चल रही थी। पार्टी के वरिष्ठ मेम्बर एक-एक करके अपने विचार सबके सामने रख रहे थे। चीन के राष्ट्र्पति जियाँग इस मीटिंग की अध्य्क्षता कर रहे थे। अचानक राष्ट्रपति जियाँग ने हस्तक्षेप करके कहा… उस वन बेल्ट एन्ड वन रोड परियोजना  का ब्लू प्रिंट मैने तैयार किया है। यह परियोजना आगे चल कर चीन की विदेश नीति की सबसे बड़ी उप्लब्धि बनेगी। इसको सड़क परियोजना समझने की भूल मत किजियेगा क्योंकि यह दुनिया के 50 छोटे और बड़े राष्ट्रों को चीन से जोड़गी। इसका मुख्य उद्देश्य अमरीका को अंतरराष्ट्रीय तौर पर विस्थापित करके चीन को एक महाशक्ति के रुप मे स्थापित करने का है। इस मुहिम को सफल बनाने के लिये बहुत से छोटे और बड़े ऐशियाई देशों ने हामी भर दी है। इतना बोल कर राष्ट्रपति जियाँग कुछ क्षण के लिये चुप हुए कि तभी तालियों की गड़गड़ाहट से हाल गूँज उठा था।

मीटिंग समाप्त होने के बाद राष्ट्रपति जियाँग अपने खास सलाहकार विदेश मंत्री वाँग क्यु के साथ हाल से बाहर निकलते हुए बोले… कुछ पार्टी के सदस्य हमारी इस परियोजना पर प्रश्नचिन्ह लगा रहे है। तुम्हारा इस विषय पर क्या कहना है? …इस परियोजना के समर्थन मे बहुत से छोटे एशियाई देशों को तो तैयार किया जा सकता है परन्तु इस पर भारत का रुख अभी तक स्पष्ट नहीं हो सका है। …वाँग इस बारे मे पाकिस्तान का क्या रुख है? …सर, पाकिस्तान का रुख सिर्फ पूँजी निवेश पर निर्भर करता है। शरीफ सरकार को आपकी काशगर-ग्वादर सड़क परियोजना बेहद पसंद आयी है। …यह परियोजना तो उनको पसंद आनी ही थी। वाँग हमारे वहाँ पर होने के कारण शरीफ सरकार को लगता है कि अब आजाद कश्मीर उनके लिये और भी ज्यादा सुरक्षित हो गया है। …सर, शरीफ सरकार भले ही ऐसा समझ रही होगी परन्तु भारत का रक्षा एस्टेब्लिशमेन्ट को कुछ हद तक हमारी सामरिक योजना का आभास हो गया है। अगली शंघाई वार्ता तक भारत का रुख भी साफ हो जाएगा। कार मे बैठते हुए राष्ट्र्पति जियाँग ने वाँग क्यू से कहा… हमारे मंसूबों को पूरा करने मे कासगर-ग्वादर सड़क परियोजना सामरिक दृष्टि से भारत के बढ़ते हुए कद पर अंकुश लगाने का काम करेगी। इसलिये तुम्हें सावधानी से आगे का काम करना पड़ेगा।

 

साउथ ब्लाक, नई दिल्ली

प्रधानमंत्री कार्यालय से बाहर निकलते हुए वीके ने अजीत से कहा… प्रधानमंत्रीजी ने तुम्हारे सुझाव को अनुमति दे दी है। तुम्हारी त्रिकोणीय स्ट्रेटेजी के अनुसार विदेश मंत्रालय अगले कुछ दिनो मे सभी मुस्लिम देशों के राष्ट्राध्यक्षों से इस मसले पर चर्चा करके अपना पक्ष उनके सामने रखेंगें। रक्षा मंत्री तीनो सेना के शीर्ष नेतृत्व की आपातकालिक बैठक बुला कर इस स्थिति से निबटने के लिये एक ब्लू प्रिंट तैयार करेंगें। गृह मंत्री को आंतरिक सुरक्षा की जिम्मेदारी दी गयी है। अजीत, तुमको इन तीनो के बीच समन्वय बिठाने का काम सौंपा गया है। …वीके यह सब तो ठीक है लेकिन इसमे मुझे एक कमी महसूस हो रही है। मैने जब यह पदभार संभाला था तभी मैने सोच लिया था कि अबसे हर लड़ाई दुश्मन के क्षेत्र मे लड़ी जाएगी। इसी स्ट्रेटजी को हमने काउन्टर आफेन्सिव या डिफेन्सिव आफेन्स का नाम दिया था। इस स्ट्रेटेजी का सफल परिणाम हमने कश्मीर आप्रेशन्स और आप्रेशन खंजर की विफलता मे देख लिया था। तभी साथ चलते हुए जनरल रंधावा ने कहा… जब यह तय हो गया है कि उरी का जवाब सर्जिकल स्ट्राईक से दिया जाएगा तो इस त्रिकोणीय स्ट्रेटजी को धार देने के लिये क्या समीर को आप्रेशन अज्ञातवीर के लिये ग्रीन सिगनल दे देना चाहिये? वीके और अजीत ने चलते हुए अपना सिर हिला कर जनरल रंधावा की बात का अनुमोदन कर दिया था।

वीके के आफिस मे बैठ कर तीनो आप्रेशन अज्ञातवीर के हर पहलू की समीक्षा कर रहे थे। एकाएक अजीत ने कहा… समीर को फील्ड मे अगर इस समय भेज दिया जाये तो उसका हम सर्जिकल स्ट्राईक मे भी उपयोग कर सकते है। जनरल रंधावा तुरन्त बोले… क्या अहमक जैसी बात कर रहा है अजीत। सर्जिकल स्ट्राईक के दौरान उसको हमारे साथ कमांड सेन्टर मे होना चाहिये। उसको उन चयनित लाँचिन्ग पैड्स की सारी जानकारी है। वीके ने उनकी बात काटते हुए कहा… मेजर को इस बार सीमा पार भेजने से पहले हमे उसके साथ हमेशा के लिये संबन्ध विच्छेद करना अनिवार्य है। क्या वह इसके लिये तैयार हो जाएगा? …वीके, यह उसका आप्रेशन है। उसने अपनी तीन शर्तों मे इस मसले को भी साफ तरह से रखा है। …अजीत, उसने तेरे सामने कौनसी तीन शर्तें रखी थी? …निर्णय लेने की पूर्ण स्वतंत्रता, खास मकसद के लिये छह सैनिकों की टीम और हमेशा के लिये हमसे संबन्ध विच्छेद चाहिये। पहले दो के लिये मै तैयार हो गया था परन्तु तीसरी शर्त के लिये मैने उस मना कर दिया था। उसकी बातों से मुझे ऐसा लगा कि वह कुछ और ही मकसद लेकर सीमा पार करने की सोच रहा है। …अजीत, हमें उससे संबन्ध विच्छेद करना अनिवार्य है क्योंकि वह वहाँ हक डाक्ट्रीन को अक्षरक्ष: कार्यान्वित करने जा रहा है। हम उससे दूरी बनानी पड़ेगी क्योंकि वह आज नहीं तो कल जरुर उनकी सुरक्षा एजेन्सियों की नजरों मे आ जाएगा। हम इतना बड़ी जोखिम नहीं ले सकते। …वीके क्या हम उसे वहाँ भेज कर उसका परित्याग कर सकते है? …दुनिया की नजर मे तो परोक्ष रुप से हमे यह करना पड़ेगा लेकिन अपरोक्ष तरीके से हम उसकी मदद मे सदैव खड़े रहेंगें। …यही तो मैने भी उसे समझाया था परन्तु वह इसके लिये भी तैयार नहीं है।

हमेशा की तरह दोपहर के बाद मै तिगड़ी के सामने बैठा हुआ था। अजीत सर ने कहा… समीर, आप्रेशन अज्ञातवीर लाँच करने का ग्रीन सिगनल मिल गया है। अजीत सर सारी बात सामने रख कर बोले… संबन्ध विच्छेद के मुद्दे पर हमारे बीच मतभेद है। जनरल रंधावा ने कुछ सोच कर कहा… वीके, मै अजीत की बात से सहमत हूँ। हमे यह नहीं भूलना चाहिये कि समीर को हम ब्रिगेडियर चीमा के रिप्लेसमेन्ट के रुप मे अमरीकनो के आगे रख सकते है। समीर को सीआईए के साथ काम करना पड़ेगा तो उसके लिये औपचारिक नियुक्ति अनिवार्य है। अजीत सर एकाएक बोले… हम एक काम कर सकते है। कर्नल श्रीनिवास को हम अधिकारिक तौर पर ब्रिगेडियर चीमा के रिप्लेसमेन्ट के तौर पर नियुक्त कर सकते है परन्तु अमरीकनों के साथ सिर्फ अपना सरदार संपर्क मे रहेगा। हम उनसे साफ कह सकते है सुरक्षा और गोपनीयता के लिये ब्रिगेडियर सुरिंदर सिंह चीमा के स्थान पर मेजर जनरल हरदीप सिंह रंधावा सारे आप्रेशन को संभालेगा। सरदार अपने जरिये तू अपने पुत्तर समीर को जरुरत पड़ने पर निर्देश भी दे सकेगा और मदद भी उप्लब्ध कराएगा। इसके बारे मे तुम तीनो की क्या राय है? एक बार फिर वही चर्चा का दौर आरंभ हो गया था। आखिर मे सभी ने अजीत सर के सुझाव का अनुमोदन कर दिया था।

अपने फ्लैट पर लौटते हुए मै अपने अगले कदम के बारे मे सोच रहा था। आप्रेशन आज्ञातवीर को ग्रीन सिगनल मिल गया था। जनरल रंधावा के अनुसार अगले एक हफ्ते मे वह छ्ह सैनिकों की टीम उनके पास रिपोर्ट करगी और हमारे कागज तैयार हो जाएँगें। इसका मतलब यही हुआ कि एक हफ्ते के बाद एक बार फिर से मै सीमा पार करुँगा। मेरी जेब मे पड़ा फोन थरथराया तो मैने फोन निकाल कर देखा तो दो नये मेसेज फ्लैश कर रहे थे। मैने जल्दी से मेसेज बाक्स खोल कर देखा तो उर्दू मे लिखा था…

दोजख मे आपको बहुत मिस करती हूँ।  मैने दूसरा मेसेज क्लिक किया तो दूसरा मेसेज देख कर मेरा दिमाग घूम गया… यह हम मियाँ-बीवी की निजि बातचीत है। इसका सिर्फ खुदा गवाह हो सकता है। इसे राज रखना आपकी और मेरी जिम्मेदारी है। आपको मेरी कसम।

मेरा दिमाग एक पल के लिये चकरा गया था। पता नहीं अब वह कौनसी नयी साजिश रच रही है? मै दोनो बच्चों को लेकर वैसे ही काफी विचलित था परन्तु अब यह नया तीर पता नहीं क्या गुल खिलायेगा। तभी एक बार फिर मेरा फोन वाईब्रेटिंग मोड मे थरथराया और एक नया मेसेज फ्लैश होने लगा। मैने जल्दी से उसको क्लिक किया…

जोरावर बाटामालू का पता चल गया है। वह मुजफराबाद मे पीर साहब के संरक्षण मे है। आपकी जिंदगी मे अदा की अहमियत मै जानती हूँ। खुदा ने चाहा तो अदा अब जल्दी मिल जाएगी। मेरा वादा है कि अदा को अपने साथ लेकर ही अब वापिस आऊँगी।

मेरी नजर डिस्प्ले स्क्रीन पर काफी देर तक टिकी रही थी। बार-बार तीनो मेसेज पढ़ रहा था कि तभी थापा की आवाज मेरे कान मे पड़ी… सर, घर पहुँच गये है।

मैने फोन बन्द किया और जीप से उतर कर फ्लैट की ओर चल दिया।

सोमवार, 11 मार्च 2024

 

 

गहरी चाल-50

 

तीसरा हफ्ता आरंभ होते ही सारे शिड्युल मे बदलाव आ गया था। अब सेना के रणकौशल  प्रशिक्षण का कोर्स था। उप्युक्त फिजिकल ट्रेनिंग के साथ अब मोर्चेबन्दी और हालात का स्थान पर आंकलन करने की क्षमता को फील्ड मे टेस्ट करने का समय था। यहाँ पर मैप रीडिंग व दिशा का ज्ञान की तकनीकों से परिचय कराया गया था। अब तक जो कुछ क्लास रुम मे सीखा था अब उसको फील्ड पर अभ्यास करने का समय था। पाँचो टीम एक दूसरे की प्रतिद्वन्द्वी के रुप मे काम करती थी। ब्लैंक कार्टिजिस से फायरिंग करते थे। पिस्टल का डर और दाँये हाथ मे कंपन अभी तक नहीं गयी थी। अंजली ने एक तरीका खोज निकाला था। पिस्टल हाथ मे लेने से पहले वह बाँये हाथ मे अपना रुमाल पकड़ा देती थी। उसका रुमाल मेरे बाँये हाथ मे होने से मेरा दाँया हाथ स्थिर हो जाता था। पहले दो दिन मुझे फायर करने मे मुश्किल पेश आयी थी। सामने दुश्मन को देख कर भी मेरा जिस्म तनावग्रस्त हो जाता और समय पर फायर नहीं कर पाता था। इसके कारण अंजली खतरनाक स्थिति मे आ जाती थी। अंजली ने रणनीति बदलते हुए मुझ स्काउट की भुमिका देकर कवर देने की जिम्मेदारी स्वयं उठा ली थी। एक हफ्ते के फील्ड अभ्यास से मेरा फायरिंग का मेन्टल ब्लाक स्वत: ही कमजोर होता चला गया था। इस अभ्यास मे एक बात पता चल गयी थी कि अंजली पर खतरा मंडराता हुआ देख कर सारे दिमागी खलल तुरन्त दूर हो जाते थे।

तीसरे हफ्ते के अन्त तक टीम नम्बर पाँच दूसरे स्थान पर पहुँच गयी थी। मैप रीडिंग व दिशा ज्ञान मे अंजली की टक्कर मे दूर-दूर तक कोई नहीं था। स्थिति का आंकलन और उसके उप्युक्त सैन्य रणनीति मे अपने स्पेशल फोर्सेज और काठमांडू के अनुभव के कारण मै अब तक सभी से बेहतर साबित हो रहा था। हम दोनो की जोड़ी फील्ड मे अभ्यास करने के दौरान सभी टीमो पर भारी पड़ रही थी। पहले स्थान पर सेना की इन्फेन्ट्री कोर से आये हुए साथी थे। वह आरंभ से ही प्रथम स्थान पर टिके हुए थे। तीसरे हफ्ते के अन्त तक आते-आते हमारे स्कोर की दूरी बहुत हद तक कम हो गयी थी। अब पाँच मील की क्रासकंट्री मे भी हम भी उन्हें चुनौती दे रहे थे। सभी अभ्यास फील्ड पर होने के कारण हमारी पकड़ मजबूत होती चली जा रही थी। अब कठिनाईयों और जटिलता का स्तर बढ़ता चला जा रहा था। गुरिल्ला ट्रेनिंग और उनके हमले को विफल करने का अभ्यास आरंभ हो गया था। अब तक जो कुछ भी सीखा था जैसे मैपरीडिंग, दिशा ज्ञान, हैन्ड टु हैन्ड कोम्बेट, फायरिंग, स्थिति का आंकलन और उसके अनुरुप सैन्य रणनीति व शारिरिक और मानसिक समन्वय उसकी फील्ड मे एक साथ परीक्षा हो रही थी। चौथा हफ्ता आरंभ होते ही अजीत सर से मुझे शाम को आफीसर्स मेस पहुँचने का निर्देश मिला था। उस दिन का शिड्युल पूरा होने पर लौटते हुए अंजली को बता कर मै एनएसजी की स्टाफ कार लेकर देर शाम को आफीसर्स मेस पहुँच गया था।

वही पुराना माहौल और वैसी ही भीड़ आफीसर्स मेस के बार मे दिख रही थी। उन तीनो को देखने के लिये मैने अपनी निगाह चारों ओर दौड़ाई तो पाया वह एक किनारे मे बैठ कर ड्रिंक्स ले रहे थे। अजीत सर के चेहरे पर चिन्ता की लकीरें खिंची हुई थी। जनरल रंधावा और वीके किसी चर्चा मे मग्न थे। मै उनकी ओर चला गया था। …ईविनिंग सर। बोल कर मैने अपने पुराने अंदाज मे सैल्युट किया और उनके सामने जाकर बैठ गया था। मुझे देखते वीके और जनरल रंधावा चुप हो गये थे। …मेजर क्या लोगे? …सर, आप जो ले रहे है वही ले लूँगा। जनरल रंधावा ने वेटर बुला कर मेरे लिये एक लार्ज विहस्की का आर्डर देकर कहा… पुत्तर पता चला है कि इस बार तुम दोनो का प्रदर्शन सबसे बेहतर रहा था। …पता नहीं सर। हाँ यह सच है कि अब हम दूसरे स्थान पर आ गये है। …समीर, अंजली कोई साधारण लड़की नहीं है। हमे पता चला है कि वह अच्छी निशानेबाज के साथ सैन्य रणनीति बना कर उसको कार्यान्वित करने मे विलक्षण बुद्धि रखती है। …सर मै इस बारे मे कैसे बता सकता हूँ। इसका तो आंकलन ट्रेनिंग के बाद स्कोर कार्ड देख कर ही पता चल सकेगा। …मेरा ख्याल है कि वह किसी फौजी द्वारा एक प्रशिक्षित लड़ाकू है। मैने अजीत सर की ओर देखा तो वह मुझे देख रहे थे।

…तुम दोनो फालतू बात मे समय मत गवाँओ और सीधे मुद्दे पर आओ। वीके की झिड़की सुन कर अजीत सर ने कहा… समीर, अब तुम्हें जल्दी से जल्दी सीमा पार जाना पड़ेगा। उरी के जवाब देने का एक्शन प्लान को ग्रीन सिगनल मिल गया है। हमारा विचार है कि अब समय आ गया है कि तुम मानेसर से फौरन निकल ड्युटी जोइन करो। मै अपने गलास से एक घूँट भर कर शुष्क गला तर करके बोला… सर, मै कल सुबह ड्युटी पर रिपोर्ट कर लेता हूँ। …ब्रिगेडियर चीमा वहाँ पर अफगान तालिबान और पाकिस्तान तेहरीक के बीच समन्वय बनाने की कोशिश कर रहे थे। अब एक हफ्ते मे अपना ब्लू प्रिन्ट हमारे सामने रखो। अजीत सर ने समझाते हुए कहा… हक डाक्ट्रीन भारत को तोड़ने के लिये बनायी गयी थी तो अब उसी डाक्ट्रीन को पाकिस्तान मे कार्यान्वित करना है। उन्होंने हमारे लिये लश्कर और जैश बनाये थे तो अब उसी तरह से हमे भी तालिबान और तेहरीक को पाकिस्तान मे इस्तेमाल करना पड़ेगा। इस काम मे हमारी मदद अमरीकन फोर्सेज भी करेंगी। उनकी बात सुन कर एक पल के लिये मै अंजली के बारे मे सोचने पर मजबूर हो गया था। कुछ सोच कर मैने कहा… सर, वह मुझे अकेले तो फिलहाल जाने नहीं देगी। जनरल रंधावा न तुरन्त कहा… तो उसको भी ले जाओ। हमारे गिलास खाली हो गये थे। जनरल रंधावा ने रिफिल करने का वेटर को इशारा किया और फिर बोले… पुत्तर, कल तुम्हें वहाँ के हालात पर ब्रीफ करने के लिये काबुल से हमारे दूतावास मे नियुक्त मिलिट्री अटाचे श्रीनिवास आ रहा है। इसी लिये दस बज तक आफिस पहुँच जाना। हमने एनएसजी के निदेशक को तुम्हारे कोर्स छोड़ने के लिये निर्देश दे दिये है।

मै उनसे इजाजत लेकर मानेसर की ओर वापिस चल दिया था। अपने बैरक मे पहुँचते हुए नौ बज चुके थे। दोनो बच्चे सो गये थे। थापा जा चुका था। अंजली मेरी राह देख रही थी। मुझे देख कर वह उठ कर बैठते हुए बोली… क्या हुआ? …कल सुबह मुझे यह जगह छोड़नी पड़ेगी। …क्यों? …मुझे वापिस ड्युटी पर रिपोर्ट करना है। अंजली कुछ नहीं बोली लेकिन उसके चेहरे पर कुछ चिंता की लकीरें खिंच गयी थी। अपने कपड़े बदल कर मै उसके साथ लेट गया था। दोनो के लिये एक बेड असुविधाजनक था परन्तु एक दूसरे के जिस्मानी स्पर्श ही सारे दिमागी खलल को शांत करके लिए काफी था। उसने करवट लेकर अपना सिर मेरे सीने पर रख कर पूछा… क्या सोच रहे हैं? …तुम्हारे बारे मे सोच रहा था। क्या तुम वापिस काठमांडू चली जाओगी? …अभी कुछ सोचा नहीं है। कुछ दिन रुक कर वापिस जाने की सोचूँगी। बस एक वादा किजिये कि आप मुझसे पूछे बिना फील्ड आप्रेशन्स मे नहीं जाएँगें। उसे समझाते हुए मैने कहा… अंजली, यह मेरी ड्युटी है। अगर वह मुझे अफगानिस्तान भेजना चाहे तो भी मै उन्हें मना नहीं कर सकता। वह गहरी सोच मे डूब गयी थी।

…अब क्या हुआ? वह तमक कर बोली… अफगानिस्तान एक जंग का ऐसा मैदान है कि कोई यकीन से नहीं कह सकता कि उसका दुश्मन कौन है। तालिबान एक ओर चार गुटों मे बँटा हुआ है और उनके बीच मे वर्चस्व की लड़ाई चल रही है। दूसरी ओर अमरीकन फोर्सेज है जो सिर्फ गोरे को छोड़ कर बाकी सभी को दुश्मन मानते है। तीसरी ओर पाकिस्तान की फौज और आईएसआई है जो अपने फायदे के लिये किसी पर भी घात लगा सकती है। चौथी ओर छोटे-छोटे गुटों की भरमार है जो किसी की नहीं सुनते है। बस कुछ डालर और हथियार के लिये वह अपनी निष्ठा  बदलते रहते है। …झाँसी की रानी तुम तीन और मुख्य जंगबाजों को अनदेखा कर रही हो। पहला चीन जो अपनी सबसे महत्वाकांक्षी सड़क परियोजना अफगानिस्तान से निकालने की सोच रहा है। दूसरा तेहरीक-ए-तालिबान जो अफगानिस्तान मे बैठ कर पाकिस्तानी फौज को निशाना बना रहे है। तीसरा बलूचिस्तान रेसिस्टेन्स फ्रन्ट जिसमें बलूच कम और पश्तून ज्यादा है। फिलहाल तो वह अफगानिस्तान मे तालिबान और तेहरीक की मदद कर रहे है परन्तु आगे उनके निशाने पर पाकिस्तानी फौज होगी। …इतना सब कुछ जानने के बाद भी आप वहाँ जाने की कैसे सोच सकते है? उसका गुस्सा और बेबसी उसके चेहरे पर साफ दिख रही थी।

…तुम्हें मुझ पर विश्वास है? …अपने से कहीं ज्यादा। …तो चिंता मत करो। इतना बोल कर उसको पकड़ कर अपने आगोश मे जकड़ कर लेट गया लेकिन वह अभी भी किसी सोच मे डूबी हुई थी। …चलिये उठिये। मैने अंधेरे मे पल्कें झपका कर उसकी ओर देखा तो वह मेरा हाथ पकड़ कर अपनी ओर खींच रही थी। मैने उठ कर उस पर नजर डाली तो उसने तब तक जमीन पर अपने बेड का गद्दा बिछा दिया था। मेरे उठते ही उसने मेरा गद्दा भी उसके साथ लगा कर डबल बेड बना कर बोली… आईये। अब आराम से सो सकेंगें। …बानो अब कौन अहमक सोना चाहेगा। इतना बोल कर मै उसे बाँहों मे जकड़ कर जमीन पर लेट गया। जब से ट्रेनिंग के लिये रिपोर्ट किया था तब से हम केडेट की तरह रह रहे थे। हमारे लिये इस कैंम्पस मे आखिरी रात थी। हमारी पहल छेड़खानी से आरंभ हुई और फिर धीमे से एकाकार की भावना सुलगने लगी। ट्रेनिंग समाप्त करते ही अंजली अपने सभी सुरक्षा कवच जैसे स्पोर्ट्स ब्रा, लियोटार्ड और स्पान्डेक्स लेगिंग उतार कर खाकी टी-शर्ट और ढीली सी कोम्बेट पैन्ट पहन लेती थी। रात को सोने की युनीफार्म मेरी भी यही होती थी।

अंजली की टी-शर्ट को धीरे से सरका कर जैसे ही उसकी नग्न कमर को छुआ तो मेरे स्पर्शमात्र से वह सिहर उठी थी। मैने झुक कर उसके होंठों को अपने होंठों मे कैद कर लिया और सके गुलाबी होंठों का रस सोखना आरंभ कर दिया। उसके उन्नत वक्षस्थल को छूते ही उसके मुख से एक दर्दभरी आह निकल गयी थी। …आज क्या उसे दूध नहीं पिलाया? वह कुछ नहीं बोली बस जल्दी से उसने अपनी टी-शर्ट उतार कर बेड पर रख दी थी। मै उसके दूध के कलश को खाली करने मे जुट गया था। हर जुम्बिश पर दूध की धार बह उठती थी। मेरे एक हाथ उसके नग्न पुष्ट नितंब को कभी सहलाता और कभी कस कर दबा देता। कभी उसक मुख से सीने का दर्दभरी आह और कभी उत्तेजना से भरी सीत्कार निकल जाती थी। …अंजली। …हुँ। मैने धीरे से अपनी टाँगे उसकी टाँगों मे अटका कर खोलते हुए अपने अग्रभाग को उसके अग्रभाग पर टिका कर धीरे से दबाया तो कुछ दिनो से दबी हुई एकाएक कामेच्छा भड़क गयी थी। सब कुछ भुला कर आनन फानन मे हमारे जिस्म से बाकी कपड़े भी हट गये थे। बैरेक की जमीन पर दो नग्न जिस्म एक दूसरे मे गुथे पड़े हुए थे।

पता नहीं क्यों लेकिन उस रात मै एक बार फिर से अंजली की कहानी जीवन्त करने मे जुट गया था। कभी उसके कान पर चूमता और कभी गले पर और कभी पीठ पर अपने गर्म होंठों को रगड़ कर उसके जिस्म मे आग भरने मे जुट गया था। वह बेहाल हो कर तड़पती और कभी मेरी गिरफ्त से छूटने के लिये कसमसाती लेकिन उतनी ही उसके जिस्म मे आग भड़क जाती और उसकी आनंद भरी सीत्कार मुख से निकल जाती। मेरे हाथ उसके उन्नत शिखरों को अपने काबू मे किये हुए थे। अंधेरे मे हम दोनों निर्वस्त्र हो कर बेल की तरह हम एक दूसरे से लिपटे हुए एक दूसरे के जिस्म को स्पर्श करते हुए नाजुकता, कोमलता और कठोरता को महसूस कर रहे थे। मेरी उँगलियाँ और मेरे होंठ उसके जिस्म के पोर-पोर पर अपनी छाप छोड़ कर आगे बढ़ते जा रहे थे। वह कभी मचलती, कभी तड़पती और कभी थरथरा उठती थी। उसका नाजुक कोमल हाथ कामपिपासा मे झूमते हुए अजगर को गरदन से पकड़ कर धीरे-धीरे सहला रही थी। उत्तेजना अपने चरम पर पहुँच गयी थी। हम दोंनो अब अभिसार के लिए तैयार हो गये थे। लक्ष्य मेरे सामने था और लक्ष्यभेदन के लिए मैने उसके मचलते हुए जिस्म को स्थिर किया। उसने मेरे पौरुष को अपने वर्जित क्षेत्र पर आहिस्ता से घिसते हुए दिशा दिखाई और मैने अपनी कमर को धीरे से आगे बढ़ कर लक्ष्य के मुहाने पर जा कर रुक गया। अंजली भी अपेक्षा मे स्थिर हो गयी थी। मेरे होंठों ने उसके होंठों को जकड़ लिया और धीरे से दबाव बढ़ाया तो एक आँख वाला भुजंग सारी बाधाएँ पार करके जड़ तक समा गया था। दो जिस्म अब एक हो गये थे।

कुछ देर स्थिर रहने के बाद उसने इशारा किया और मै अपनी राह पर चल दिया। कुछ ही देर मे सिस्कारियों और तेज चलती हुई साँसे ही बैरगूंज रही थी। हम एक दूसरे के अन्दर भड़कती हुई कामाग्नि को बुझाने के लिए आगे बढ़ते जा रहे थे। चक्रवाती तूफान अपने पूरे वेग पर था। हमारे लिए वक्त थम गया था। एक समय आया कि अंजली की सिस्कारियाँ बन्द हो गयी थी। एकाएक उसके मुख से लम्बी सी उत्तेजना से भरी किलकारी निकली और उसका जिस्म पल भर के लिए अकड़ा और फिर निढाल हो लस्त हो कर पड़ गया। मै भी चरम सीमा पर पहुँच चुका था। मैने एक आखिरी और भरपूर वार किया और इसी के साथ बहुत देर से उबलता हुआ ज्वालामुखी फट गया। अंजली को अपने कामरस से सींच कर मै भी निढाल हो कर उस पर गिर गया था। काफी देर तक हम वैसे ही पड़े रहे। वह धीरे से हिली तो मै उसके उपर से हट कर किनारे लेट गया था। कुछ ही देर मे उसे अपने सीने से लगा कर मै गहरी नींद मे खो चुका था। 

बिगुल की आवाज सुन कर मै उठा तब तक अंजली तैयार हो चुकी थी। मैने जल्दी से कपड़े पहने और अंजली को रोकते हुए कहा… आज सुबह मुझे ड्युटी पर रिपोर्ट करना है। अगर तुम कोर्स पूरा करना चाहती हो तो तुम यही रुक जाओ लेकिन मुझे आज जाना होगा। …आपको कल रात को क्या हो गया था। उसकी बात सुन कर मै झेंप गया था। …कुछ नहीं बस तुम सभी से बिछुड़ने का डर कल शाम से सता रहा था। हमारी नजरे जैसे ही चार हुई तो वह मुस्कुरा कर बोली… बिछड़ कौन रहा है। जब दोजख मे साथ रहने का वादा किया है तो क्या आप सोचते है कि आपका साया आपका साथ इतनी आसानी से छोड़ देगा। यह मत भूलिये कि मै आज भी सैन्य रणनीति मे सबसे बेहतर हूँ। मैने जल्दी से कहा… झाँसी की रानी प्लीज जल्दी चलो। मुझे आज आफिस टाइम से पहुँचना है। …देखिये मैने सारा सामान पैक करवा दिया है। थापा गाड़ी मे सामान रखवा रहा है। एक बार ग्राउन्ड पर चल कर अपने प्रशिक्षको और सभी साथियों को धन्यवाद करके वापिस फ्लैट पर चलते है। मुझे अच्छा नहीं लगता कि हम उन्हें बिना बताये इस कोर्स को छोड़ कर ऐसे ही निकल जायें। मै तो चुपचाप निकलने की सोच कर बैठा हुआ था परन्तु उसकी बात नहीं टाल सका… चलो सब से मिल कर चलते है। हम दोनो ग्राउन्ड की दिशा मे चल दिये थे।

ग्राउन्ड पर सभी पहुँच चुके थे। ड्रिल मास्टर कुट्टी और उसके साथ दो इंस्ट्रक्टर कैडेट्स का निरीक्षण कर रहे थे। एक लाइन गायब देख कर कुट्टी जोर से चिल्लाया… टीम पाँच कहाँ है? हमे दूर से आते हुए हमारे साथियों ने देख लिया था परन्तु किसी ने कुछ नहीं कहा तो कुट्टी अपने साथ चलते हुए इंस्ट्रक्टर पर घुर्राया… दोनो को पेनल्टी पोइन्टस मार्क कर दो। तब तक हम दोनो पहुँच गये थे। मै सावधान होकर जोर से चिल्लाया… मास्टर यह कैडट कुछ कहना चाहता है। इजाजत दिजिये। कुट्टी ने मुड़ कर मेरी ओर देखा और जलती हुई निगाहों से घूरते हुए बोला… इजाजत है। …मास्टर हमे अपने आफिस मे रिपोर्ट करने का निर्देश मिला है। हम इस कोर्स को बीच मे छोड़ कर वापिस जा रहे है। कुट्टी जो हम दोनो पर फटने को तैयार बैठा था एकाएक यह सुन कर खामोश हो गया। हमारे साथी भी आश्चर्य से हमारी ओर देख रहे थे। अचानक कुट्टी अपनी एड़ियों पर घूमा और मेरे साथियों की ओर मुड़ कर जोर से चिल्लाया… कैडेट्स डिस्मिस। इतना बोल कर वह मेरे पास आकर बोला… मेजर साहब, एक हफ्ते की बात है तो आप दोनो इस वक्त कोर्स को क्यों छोड़ कर जा रहे है? अब मै उसे क्या बताता तो मैने अंजली की ओर देखा तो वह तुरन्त बोली… मास्टर डिप्लोयमेन्ट के कारण जाना पड़ रहा है। हम तो आप सभी को धन्यवाद देने के लिये आये है। आपके साथ रह कर बहुत कुछ सीखने को मिला। इतना बोल कर अंजली सभी साथियों के पास चली गयी थी।

कुट्टी और इंस्ट्रक्टरों को धन्यवाद देकर मै भी उनके पास चला गया था। सभी अंजली से जाने का कारण पूछ रहे थे। वह सभी को वही कहानी सुना रही थी। मेरे पहुँचते ही एक बार फिर से वही सवाल मुझ पर दाग दिये थे। शेखावत ने अचानक कहा… तुम दोनो तो अलग कोर से हो तो दोनो को एक साथ कैसे जाना पड़ रहा है। उसने ऐसा मुद्दा उठा दिया कि सबका ध्यान उस ओर चला गया था। सिमरनजीत ने उसकी बात का अनुमोदन करते हुए कहा… हाँ जाट ठीक कह रहा है। अंजली तो सिगनल कोर मे है और समीर तुम स्पेशल फोर्सेज मे तो फिर कैसे तुम दोनो का बुलावा एक ही समय आ गया। इससे पहले कोई और सवाल करता मैने जल्दी से कहा… यार अंजली मेरी बीवी है। पहले धक्के से अभी उभर नहीं पाये थे कि एक और धक्का लग गया था। सभी अचरज से हमारी ओर देख रह थे। तभी कुट्टी हमारे पास आकर बोला… तुम दोनो हस्बेन्ड-वाइफ हो? …यस मास्टर। इससे पहले और कोई सवाल जवाब होते कि तभी थापा अपनी गोदी मे केन और मेनका का हाथ पकड़ कर आता हुआ दिखा तो अंजली ने जल्दी से इशारे से दिखाते हुए कहा… यह हमारे दो बच्चे है। थापा मेरे पास आकर बोला… साबजी, गाड़ी तैयार है। मै अब जल्दी से जल्दी वहाँ से निकलना चाहता था। अंजली अपने साथियों से केन और मेनका को मिलवाने मे व्यस्त हो गयी थी। मेरे से बात करते हुए सब तनाव मे आ गये थे। ट्रेनिंग कोर्स के बैच का रिश्ता जीवन भर के लिये बन जाता है परन्तु इतने दिनों का हमारा प्रगाड़ रिश्ता पल भर मे नष्ट हो गया था। अगले पाँच मिनट मे सभी को धन्यवाद करके हम अपने फ्लैट की ओर निकल गये थे।

मै टाइम से पहले अपने आफिस पहुँच गया था। जनरल रंधावा ने मेरे आफिस मे प्रवेश किया तो झट से खड़ा होकर सैल्युट करके बोला… गुड मार्निंग सर। …समीर वहाँ से निकलने मे कोई परेशानी तो नहीं हुई थी। …नहीं सर। …अंजली भी वापिस आ गयी? …जी सर। …चलो अच्छा हुआ। मेरे साथ चलो। इतना बोल कर वह चल दिये थे। मै जल्दी से उनके साथ चल दिया। वीके के दरवाजे पर दस्तक देकर वह दरवाजा खोल कर अन्दर चले गये और मै भी उनके पीछे आ गया था। अजीत सर पहले से ही बैठे हुए थे। मुझे देख कर वह बोले… मेजर तीन हफ्ते की ट्रेनिंग कैसी रही? …मनोबल के लिये तो बहुत अच्छी रही परन्तु अभी एक कमजोरी से पूरी तरह उबर नहीं पाया। वीके ने मुस्कुरा कर कहा… मेजर जब तुमने पहला एन्काउन्टर किया होगा तो क्या इसी प्रकार की स्थिति का तुमने सामना नहीं किया था। …नो सर। मेरे बहुत से साथियों के साथ ऐसा हुआ था परन्तु मेरे साथ ऐसा उस ब्लास्ट के बाद ही हुआ था। अबकी बार अजीत सर ने कहा… समीर जब तुम्हारे हाथ से पहला आतंकवादी ढेर होता है तब ऐसा मानसिक ब्लाक अकसर देखने मे आता है। पिस्तौल चलाने वाले हाथ मे कंपन और हड़कन कुछ दिनो तक रहती है। समय के साथ फिर सब ठीक हो जाता है। …सर, श्रीनिवास के साथ मीटिंग कब होगी? …समीर वह मीटिंग राष्ट्रीय सुरक्षा समिति की मीटिंग है। रा का निदेशक गोपीनाथ कुछ खुलासा करना चाहता है। उन खुलासों के आधार पर हमे अपनी रणनीति तय करनी पड़ेगी। रणनीति के पश्चात उसको कार्यान्वित करने का तरीका वही रहेगा। तुम फील्ड संभालोगे और रंधावा कंट्रोल सेन्टर मे बैठ कर तुम्हारे और अन्य एजेन्सियों के साथ कुर्डीनेशन देखेंगें। …यस सर। तभी अजीत सर के फोन की घंटी बजने लगी तो उन्होंने जल्दी से काल लेकर बात करने बैठ गये। बात समाप्त करने के पश्चात अजीत सर ने कहा… वीके ने बताया है कि गोपीनाथ की मीटिंग का समय दो बजे का तय हुआ है। रा, आईबी, विदेश सचिव, गृह सचिव, राष्ट्रीय सुरक्षा समिति और कुछ अन्य लोग उसमे उपस्थित होंगें।

हमारे चलने से पहले अजीत सर ने कहा… समीर दो बजे से पहले मेरे आफिस मे आ जाना। इसी के साथ हम उनके कमरे से बाहर निकल आये थे। अपने आफिस पहुँच कर मै विदेश डिस्पैच मे अफगानिस्तान का रिकार्ड देखने बैठ गया। कल रात को अंजली से हुई बात के बाद मै कुछ चीजे देखना चाहता था। दोपहर तक मैने अंजली की एक-एक बात को चेक कर लिया था। दो बजे से कुछ पहले मै अजीत सर के आफिस मे पहुँच गया था। अजीत सर अकेले बैठे हुए किसी सोच मे गुम थे। मुझे देखते ही वह बोले… लांचिंग पेड्स को ध्वस्त करने के लिये किसका इस्तेमाल करने की सोच रहे हो? …15 कोर की स्पेशल फोर्सेज को ऐसे आप्रेशन्स का काफी अनुभव है। अजीत सर बोले… तो एक बार फिर से सीमा पार करने की सोच रहे हो? …यस सर। तभी उनके इन्टरकाम की घंटी बजी तो उन्होने काल लेते हुए बोले… हैलो। कुछ पल दूसरी ओर को सुन कर बोले… उन्हें यहीं भेज दो। इतना बोल कर उन्होंने रिसीवर रख कर मेरी ओर देख कर बोले… तुमसे मिलिट्री पुलिस के कुछ लोग मिलने आ रहे है। मैने उन्हें यहीं बुला लिया है। पाँच मिनट के बाद अजीत सर के दरवाजे पर दस्तक हुई और तीन मिलिट्री पुलिस के अधिकारियों ने कमरे मे प्रवेश किया और मुस्तैदी के साथ सैल्युट करके सामने खड़े हो गये थे। अजीत सर ने बैठने का इशारा करके कहा… यह मेजर समीर बट है।

तीनो अधिकारी बैठ गये थे। उनमे से एक मेजर रैंक के अधिकारी ने मेरी ओर देखते हुए अपना सवाल दागा… आप का नाम? …मेजर समीर बट। …मेजर बट यह पूछताछ कैप्टेन डाक्टर अदा बट, आर्मी मेडिकल कोर के गायब होने के सिलसिले मे हो रही है। कैप्टेन बट के साथ आपका क्या रिश्ता है? इस सवाल को सुन कर एक पल के लिये मै बोलते हुए गड़बड़ा गया था। अदा के गायब होने की खबर सुन कर मेरा जिस्म ठंडा पड़ गया था। मेरी जुबान को जैसे लकवा मार गया था। वह अधिकारी दोबारा बोला… मेजर बट, आपने जवाब नहीं दिया। मैने जल्दी से लड़खड़ाती आवाज मे कहा… रिश्ते मे वह मेरी बहन लगती है। …मेजर साहब, आपकी बहन कैप्टेन अदा बट ने अभी तक अपनी ड्युटी जोइन नहीं की है। हमे कमांड अस्पताल जम्मू की ओर से रिपोर्ट मिली थी। सारी जाँच के बाद पता चला है कि वह इगतपुरी रेलवे स्टेशन पर उतर कर गायब हो गयी है। क्या आपके पास उनकी कोई जानकारी है? …जी नहीं। …मेजर साहब, भारतीय सेना कानून की दंड सहिता अधिनियम के अनुसार उनके खिलाफ दंडात्मक कार्यवाही करने का नोटिस हमने पन्द्रह दिन पहले उनके श्रीनगर के स्थायी पते पर भिजवा दिया था। उनके पास 30 दिन का समय है अन्यथा उनके खिलाफ कार्यवाही आरंभ करनी पड़ेगी। इतना बोल कर उस व्यक्ति ने एक नोटिस मेरी ओर बढ़ा दिया था। मैने एक सरसरी नजर उस नोटिस पर डाली और पावती लागबुक पर साईन करके नोटिस लेकर पूछा… अगर उसका अपहरण हुआ है तब आपकी ओर से यह नोटिस बेमानी हो जाएगा। वह व्यक्ति चलते हुए बोला… हमारी जांच से पता चला है कि वह बिना जोर जबरदस्ती किये अपनी मर्जी से इगतपुरी स्टेशन पर उतरी थी। इसीलिये कोई पुलिस रिपोर्ट इस संदर्भ मे स्थानीय पुलिस स्टेशन मे नहीं रजिस्टर की गयी है। इतना बोल कर वह लोग चले गये थे। इतनी देर मे मेरा सारा जिस्म पसीने से नहा गया था।

अजीत सर ने धीरे से कहा… समीर, घबराने की कोई बात नहीं है। फिलहाल गोपीनाथ की मीटिंग को भूल जाओ और जनरल रंधावा से मिल कर तुरन्त उसका पता लगाने की कोशिश करो। मै जल्दी से उठ कर जनरल रंधावा के आफिस की ओर चला गया था।  जनरल रंधावा अपने आफिस मे बैठे हुए थे। मुझे देखते ही वह बोले… पुत्तर, मै तेरे पास ही आ रहा था। गोपीनाथ की मीटिंग का टाईम हो गया है। मैने जल्दी से कहा… सर, आपकी मदद चाहिये। कैप्टेन अदा बट पूना से जम्मू के लिये निकली थी परन्तु वह अब तक वहाँ नहीं पहुँची। इतना बोल कर मैने उस नोटिस को उनके सामने रख कर कहा… मुझे इसके बारे मे सारी जानकारी चाहिये। वह नोटिस पढ़ने के बाद जनरल रंधावा ने कहा… पुत्तर, इगतपुरी स्टेशन से जाँच शुरु करते है। इतना बोल कर वह अपने फोन मे व्यस्त हो गये और मै उन्हें छोड़ कर अपने आफिस मे आकर बैठ गया था। मैने अदा की बैचमेट श्री से पता किया तो वह भी उसके गायब होने की बात से अनजान थी। मुझे अंजली और बच्चों की चिन्ता सता रही थी। अगर पीरजादा मीरवायज और जैश ने अदा को अगुवा किया है तो उनके निशाने पर अंजली और आसिया भी होंगी। मैने आसिया से बात करके अपने आपको आश्वस्त किया और फिर अंजली को इसके बारे मे बताने के लिये अपने फ्लैट की ओर निकल गया था।

फ्लैट मे प्रवेश करते ही अंजली ने पूछा… इतनी जल्दी कैसे आ गये? मेरे चेहरे पर उड़ी हुई हवाइयां देख कर वह तुरन्त बोली… क्या हो गया? तभी मेरे फोन की घंटी बजी तो मैने तुरन्त काल लेते हुए कहा… हैलो। …पुत्तर, क्या वह मकबूल बट की बेटी है? …यस सर। …समीर, इगतपुरी के रेलवे स्टेशन की निकासी द्वार पर सीसीटीवी की रिकार्डिंग मे कैप्टेन अदा बट किसी आदमी के साथ बाहर जाती हुई दिख रही है। …वह आदमी कौन है? …जोरावर बाटामालू। एक समय कुपवाड़ा और उसके आस-पास के क्षेत्रों मे जैश का एरिया कमांडर हुआ करता था। लगभग सात साल बाद पहली बार इसको किसी ने भारत की सीमा मे देखा है। …सर, क्या कोई जबरदस्ती की गयी थी? …नहीं। रिकार्डिंग मे कैप्टेन अदा बट अपनी मर्जी से उसके साथ जाती हुई दिख रही है। मैने चकराते हुए पूछा… जोरावर बाटामालू के साथ भला उसका क्या संबन्ध हो सकता है। …यही बात जाँच टीम के लिये रहस्य बन गयी है और इसी कारण सेना मुख्यालय ने अनुशासानत्मक कार्यवाही के निर्देश दिये है। फिलहाल हम जोरावर बाटामालू को ट्रेक करने की कोशिश कर रहे है। जैसे ही उसके बारे मे कोई जानकारी मिलेगी मै तुम्हें खबर कर दूँगा परन्तु तब तक तुम कोई एक्शन नहीं लेना। इतनी बात करके जनरल रंधावा ने फोन काट दिया था। बात समाप्त होते ही मेरी नजर अंजली पर पड़ी जो मुझे बड़े ध्यान से देख रही थी। उसके चेहरे पर तनाव की रेखा उभर आयी थी।

…क्या हुआ? मैने अदा की जानकारी देकर उससे कहा… तुम ठीक कह रही थी। अब उनके निशाने पर मै आ गया हूँ। तुम आज ही दोनो बच्चों को लेकर काठमांडू चली जाओ। यह जगह तुम्हारे लिये अब सुरक्षित नहीं है। …आप क्या करने की सोच रहे है? …पता नहीं। यह बोलते हुए मेरी आवाज भर्रा गयी थी। वह कुछ नहीं बोली और मुझे वहीं छोड़ कर अन्दर चली गयी। मै सोफे पर बैठ कर अपने अगले कदम के बारे मे सोच ही रहा था। जोरावर बाटामालू सात साल बाद यहाँ दिखने का मतलब था कि जैश सिर पर कफन बाँध कर फारुख की मौत का बदला लेने के लिये सक्रिय हो गयी है। कुछ देर के बाद वह दोनो बच्चों को लेकर मेरे पास आकर बोली… मै अभी इनको लेकर काठमांडू जा रही हूँ। बस ख्याल रहे कि अब आप पीरजादा मीरवायज के निशाने पर आ गये है। इसलिये सीमा पार जाने की सोचना भी नहीं। यह बात आप अपने अफसरों को भी साफ शब्दों मे समझा देना। इतना बोल कर वह गेट पर खड़े थापा से बोली… थापा, सामान जीप मे रखो। हमे अभी एयरपोर्ट जाना है। थापा सामान जीप मे रखने मे जुट गया और वह मेरे पास आकर बोली… अच्छा मै चलती हूँ। मै उठ कर खड़ा हुआ और उसको अपनी बाँहों मे कस कर जकड़ते हुए बोला… कैप्टेन यादव को अपनी फ्लाईट की जानकारी दे देना। वह एयरपोर्ट पर तुम्हें लेने आ जाएगा। अपना और बच्चों का ख्याल रखना। …आप बेफिक्र रहिये। अच्छा खुदा हाफिज। इतना बोल कर वह मुझसे अलग हो गयी। केन को स्सपेन्डर मे डाल कर उसने मेनका का हाथ पकड़ा और चली गयी थी। मै वहीं कुछ देर शून्य मे ताकता हुआ खड़ा रहा और फिर धम्म से सोफे पर बैठ गया।

थापा ने लौट कर बताया कि मैडम पाँच बजे की नेपाल एयरलाइन्स की फ्लाईट पकड़ कर काठमांडू चली गयी है। मैने कैप्टेन यादव को फोन पर उनकी फ्लाईट की जानकारी देने के पश्चात कहा… कैप्टेन, आफिस पर चार लोगों को तैनात कर देना। उन सबकी सुरक्षा का भार अबसे तुम पर है। इतनी बात करके मैने फोन काट कर नीलोफर का नम्बर मिलाया। …हैलो। …नीलोफर, अपने लश्कर के नेटवर्क से पता करो कि इस वक्त जोरावर बाटामालू कहाँ है? …क्यों क्या हुआ? …मुझे आज ही पता चला है कि उसने अदा को अगुवा किया है। इतना ही पता चल जाये कि क्या वह अभी भी हमारी सीमा मे है या वह पाकिस्तान पहुँच गया। …समीर, मै आज ही वापिस आ रही हूँ। इतना बोल कर उसने फोन काट दिया था। मेरा दिमाग अब सुचारु रुप से काम कर रहा था। पीरजादा मीरवायज और उसके जैश को सबक सिखाने का मैने निश्चय कर लिया था। अगले तीन दिन मै ब्लू प्रिन्ट बनाने मे जुट गया था। नीलोफर उसी रात को वापिस आ गयी थी। वह अपने लश्कर के नेटवर्क से लगातार जोरावर बाटामालू के बारे पता करने की कोशिश मे जुटी हुई थी। जोरावर बाटामालू को आखिरी बार इगतपुरी स्टेशन पर देखा गया था और उसके बाद तो जैसे उसे जमीन निगल गयी थी।

रोज ही अंजली से मेरी बात हो जाती थी। वह गोल्डन इम्पेक्स के काम मे व्यस्त हो गयी थी। इधर मेरा ब्लू प्रिन्ट तैयार होता जा रहा था। फाईनल रुपरेखा तैयार करके एक हफ्ते के बाद मै वह फाईल लेकर तिगड़ी के सामने बैठा हुआ था। वीके ने फाईल देखते ही कहा… आप्रेशन अज्ञातवीर। यह क्या नाम रखा है? अजीत सर और जनरल रंधावा मेरी ओर देख रहे थे। मैने अपना ब्लू प्रिन्ट खोल कर उनके सामने रखना शुरु किया कि तभी मेरे फोन पर एक मेसेज मिलने की घंटी बजी। जब से अदा की खबर मिली थी तभी से मेरे लिये हर मेसेज महत्वपूर्ण हो गया था। मैने तुरन्त फोन निकाल कर मेसेज देखा तो एक पल के लिये मेरी धड़कन रुक गयी थी।   

मैने तो हमेशा आपका साया बन कर रहने की सोची थी परन्तु खुदा के आगे किसका बस चलता है। एक जरुरी कारण से मुझे दोजख को चुनना पड़ रहा है। काफ़िरों के लिये दोजख मे कोई जगह नहीं है। आपके साथ बिताये हुए हर पल को अपने जहन मे सजों कर आपको बिना बताये जा रही हूँ। इसके लिये आप मुझे माफ कर दिजियेगा। अगर खुदा ने चाहा तो फिर मिलूँगी वर्ना कयामत तक हर पल आपसे मिलने का इंतजार करुँगी। खुदा हाफिज।

…मेजर। वीके की आवाज गूँजी परन्तु फोन के डिस्प्ले पर उभरा हुआ हर शब्द मेरे दिल मे शूल की भाँति प्रहार कर रहा था। मै एकाएक उठा और उनसे बिना कुछ बोले कमरे से बाहर निकल गया था।

रविवार, 3 मार्च 2024

 

 

गहरी चाल-49

 

अगली सुबह जब तक मै तैयार होकर बाहर निकला तो पता चला कि अंजली अपने आफिस मे बैठी हुई है। कुछ सोच कर मै उससे मिलने उसके पास चला गया था। भंडारी साहब और अंजली किसी बात पर चर्चा कर रहे थे। मुझे देखते ही भंडारी साहब मुस्कुरा कर बोले… समीर बेटा तुम ही बिटिया को कुछ समझाओ। उनके सामने बैठते हुए मैने जल्दी से कहा… अंकल इसको समझाना मेरे बस की बात नहीं है। …बेटा इतना काम बढ़ गया है और यह वापिस जाने की बात कर रही है। तभी मेरी नजर मेनका पर पड़ी जो वर्कबुक मे कुछ लिखने का प्रयास कर रही थी। मेज के किनारे पर एक छोटे से पालने मे केन सो रहा था। अंजली ने जल्दी से कहा… मैने अंकल पर वितरण की जिम्मेदारी डाल रही हूँ। आफिस का सारा काम कविता संभाल लेगी। दोनो गोदाम का काम वह दोनो संभाल लेंगें। जहाँ तक आवक-जावक और खर्चे की बात है तो उसके लिये मैने कुछ चेक काट कर कविता के पास छोड़ दिये है। मैने अंकल से सिर्फ इतना ही कहा है कि दिन मे दो घँटे के लिये यहाँ आकर कविता के काम और वितरण की इन्वोइस देख लिया करियेगा। अब इसमे कौनसी मुश्किल बात है। वैसे भी हम महीने-दो महीने मे आते जाते रहेंगें। कुछ सोच कर मैने कहा… अंकल कुछ जरुरी कारणों से अंजली को मेरे साथ जाना पड़ रहा है। कुछ दिनो की बात है फिर यह वापिस आ जाएगी। तब तक प्लीज आप हमारी मदद किजिये। भंडारी साहब अब निरुत्तर हो गये थे।

शाम तक कंपनी और आब्दर्वेशन पोस्ट का काम सिमट गया था। शाम की फ्लाईट पकड़ कर हम दिल्ली जा रहे थे। एकाएक अंजली बोली… मैने आवेश मे जनरल रंधावा को तो बोल दिया परन्तु अब मुझे डर लग रहा है। …किस बात का डर लग रहा है? …इतने दिन से घर मे बैठने के कारण अब मै शारिरिक तौर पर फिट नहीं हूँ। उसने मेरे मन की बात बोल दी थी। …जो डर तुम्हें सता रहा है वही डर मुझे भी परेशान कर रहा है। ट्रेनिंग मे हम दोनो की कमजोरी एक ही है तो दोनो मिल कर इस ट्रेनिंग को पूरा कर लेंगें। …क्या बड़ा कठिन कोर्स है? …पता नहीं लेकिन सुना है कि दस मे से दो ही इस कोर्स को पास कर पाते है। अचानक वह बोली… तो फिर इस कोर्स को पास करने वाले हम दो ही होंगें। उसकी बात सुन कर एकाएक मेरा मनोबल दुगना हो गया था।

सोमवार को सुबह नौ बजे हमने एनएसजी के ड्रिल सार्जेन्ट कुट्टी को रिपोर्ट कर दिया था। हम एक दिन पहले ही मानेसर कैंम्पस मे आ गये थे। जनरल रंधावा ने एक प्रशिक्षक बैरेक मे हमारे ठहरने का इंतजाम कर दिया था। हमारे साथ वहीं पर मेनका, केन और थापा भी रहने के लिये आ गये थे। इसका इंतजाम अंजली ने करवाया था। काठमांडू से लौटते ही अगले दिन से अंजली और मैने सुबह और शाम दौड़ना आरंभ कर दिया था। रिपोर्ट करने मे अभी तीन दिन थे तो हम दोनो अपनी शारिरिक क्षमता को बढ़ाने मे जुट गये थे। पहले दिन तो हमारा प्रदर्शन हर दृष्टि से बेहद खराब रहा था। अंजली की शारिरिक परेशानी मुझसे ज्यादा थी क्योंकि वह दुग्धदायनी स्टेज मे थी। दिन मे तीन बार उसके सीने मे दूध उतरता था। इसी कारण उसे तीन बार केन को दूध पिलाना अनिवार्य हो गया था। पहले दिन के अनुभव से सीख कर हमने अकादमी के इंस्ट्रक्टर से बात करके अपने कार्यक्रम और कपड़ो मे कुछ बदलाव किया जिसका असर हमे दूसरे दिन देखने को मिल गया था। सुबह चार बजे केन को दूध पिला कर अंजली स्पोर्ट्स ब्रा, लियोटार्ड और स्पन्डेक्स लेगिंग पहन कर पांच बजे मेरे साथ दौड़ने के लिये निकल जाती थी। हम सात बजे तक लौटते और फिर जिमनेसियम मे दो घंटे वेट ट्रेनिंग करने बाद नौ बजे तक घर लौटते थे। एक घंटा तैयार होने मे लगा कर कुछ नाशता करके फिर अकादमी के फायरिंग सेन्टर चले जाते थे। एक घंटा वहाँ बिता कर वापिस लौट कर अंजली बारह बजे एक बार फिर से केन को दूध पिला देती थी। दोपहर को एक दूसरे की दुखती हुई माँस पेशियों की मालिश करके शाम को चार बजे एक बार फिर से ट्रेक पर पहुँच जाते थे। तीन दिन की सधी हुई ट्रेनिंग के कारण जब हमने ड्रिल सार्जेन्ट के सामने हाजिरी दी तब तक मन मे आत्मविश्वास अंकुरित हो गया था।

हमारे साथ बीस पैरामिलिट्री और सेना से चुने हुए जाँबाज थे। सभी की उम्र पच्चीस के आसपास थी और शारिरिक दृष्टि मे हम दोनो से कहीं ज्यादा फिट और एक्टिव एक्शन का अनुभव रखते थे। ठीक दस बजे हमारे समूह को फिजिकल के लिये भेज दिया गया था। हमारे समूह मे पाँच फुट दस इंच की अंजली कद मे सबसे छोटी थी। पुरुष एकल समूह मे एक स्त्री होने के कारण वह अलग-थलग पड़ गयी थी। हमारा रिश्ता अभी समूह के सामने उजागर नहीं किया गया था। इसी लिये लोगो को मेरे सामने अंजली के बारे मे बोलने से कोई परहेज नहीं था। पहले दिन हमारे फिजिकल, मानसिक व कोम्बेट आप्रेशन्स का आंकलन हुआ था। चार बजे हमारे समूह को पाँच टीम मे परिवर्तित कर दिया गया था। पाँच केडेट की एक टीम बनायी गयी थी। पाँचवीं टीम अंजली और मेरी थी। इसके कारण  ग्राउन्ड, क्लास व कोम्बेट के प्रतिद्वंद्वी की पहचान पहले ही दिन हो गयी थी। दो हफ्ते का प्रोग्राम हम सबके हाथ मे पकड़ा दिया गया था। हमारा दिन सुबह पाँच बजे आरंभ होकर शाम को छ्ह बजे समाप्त होता था। हमे ड्रिल की युनीफार्म भी उसी दिन मिल गयी थी। ट्रेनिंग के पहले दिन सिर्फ जान-पहचान व आंकलन मे निकल गया था। रात को मेस मे अपने सभी साथी केडेट्स की नजरों मे समीर सबसे बदकिस्मत केडेट था। अंजली मेस मे नहीं आयी थी तो सभी खुल कर बात कर रहे थे।

दूसरे दिन प्रशिक्षण सुबह पांच बजे आरंभ हो गया था। ड्रिल इंस्ट्रक्टर कुट्टी के साथ चार प्रशिक्षक भी ग्राउन्ड पर मौजूद थे। बिगुल बजते ही कवायत आरंभ हो गयी थी। पहले दो मील का राउन्ड, व्यायाम  और फिर ओब्स्टेकल कोर्स। दस बजे जिमनेसियम मे हाजिरी फिर एक बजे दो घंटे का ब्रेक। तीन बजे क्लासरुम मे स्थिति का आंकलन और उद्देशय के लिये स्ट्रेटेजिक योजना पर चर्चा। पाँच बजे फायरिंग रेन्ज पर हाजिरी और छ्ह बजे छुट्टी। सात बजे मेस मे हाजिरी और ठीक दस बजे लाईट आउट। कागज पर यह लिखना बेहद आसन था परन्तु एक दिन मे ही सबके कस बल ढीले हो गये थे। दो मील बीस किलो को पीठ पर लेकर भागना और चक्कर को निर्धारित समय पर पूरा करना सभी के लिये बेहद कठिन और कष्टदायक था। हम दोनो के लिये यह कार्य और भी मुश्किल था। आखिरी राउन्ड मे मुझे अंजली का भार भी उठा कर भागना पड़ा जिससे हम निर्धारित समय मे दो मील का चक्कर पूरा करने मे कामयाब हो सके थे। इसमे हमारी टीम सबसे निचले पायदान पर समय के अनुसार आंकी गयी थी। दौड़ के अंत तक हम दोनो की हालत पतली हो गयी थी। हमारे कपड़े पसीने से भीग गये थे।

हम अभी अपनी सांसों को सयंत भी नहीं कर पाये थे कि व्यायाम के लिये बिगुल बज गया था। हम सभी टीम के अनुसार ग्राउन्ड मे एकत्रित हो गये थे। एक घंटे व्यायाम करने से दुखती हुई माँस पेशियों को बहुत आराम मिला था। अंजली के लिये व्यायाम काफी फायदेमन्द साबित हुआ था। स्ट्रेचिंग व विभिन्न योगिक अभ्यास और श्वास पर नियंत्रण से थकान और दर्द मे काफी राहत मिल गयी थी। बिगुल बजते ही हम आब्सटेकल कोर्स की ओर चल दिये थे। पहले दिन का कोर्स सरल था। हर सैनिक इस कोर्स को भर्ती के दौरान पहले ही कर चुका था। तारों की बाढ़ के नीचे से कोहनी के बल सरकते हुए बाहर निकल कर रस्सा पकड़ कर पानी के कुँड के उपर से छलांग लगा कर पार करना और फिर आठ फीट उँची दीवार को पार करके चार फीट उँचे जिग-जेग ट्रेक पर भाग कर कोर्स की समाप्ति थी। हर टीम को निर्धारित समय मे कोर्स पूरा करना था। इसमे किसी को कोई परेशानी नहीं हुई थी। जब हमारा नम्बर आया तो अंजली ने धीरे से कहा… उस दीवार पर आपको मदद करनी पड़ेगी। मैने सिर्फ अपना सिर हिला दिया था। इंस्ट्रक्टर की सीटी बजते ही मै आगे निकल गया और तेजी से रास्ता तय करके दीवार के सामने जाकर खड़ा हो गया था। अंजली भी मेरे पीछे आ रही थी। वह भागते हुए मेरी ओर आयी तब तक मै अपने हाथों को बाँध कर तैयार हो गया था। उसके छलांग लगाते ही मैने उसके पाँव को सहारा देकर हवा मे उछाल दिया और वह फुर्ती से हवा मे उछल कर दीवार का सिरा पकड़ कर लटक गयी थी। अगले ही पल उसने एक झोंका खाया और दीवार के दूसरी ओर कूद गयी। मै दस कदम पीछे गया फिर दौड़ कर दीवार के करीब उछला और उसका सिरा पकड़ कर एक झटके से दीवार के दूसरी ओर छ्लांग लगा दी थी। अंजली तब तक जिग-जेग पर फर्राटे से आगे बढ़ रही थी। सामने खड़े हुए बाकी टीम के सदस्य उसका मनोबल बढ़ाने के लिये ताली बजा रहे थे। मैने भी जिग-जेग कोर्स निर्धारित समय से काफी पहले ही पूरा कर लिया था।

हम सब एक बार फिर से ग्राउन्ड मे टीम के अनुसार लाइन मे खड़े हो गये थे। ड्रिल सार्जेन्ट कुट्टी सब टीम के स्कोर कार्ड लेकर हमारे सामने आकर खड़ा हो गया था। एक नजर सब पर डाल कर वह घुर्राया… केडेट समीर तुमने आज दो बार खेल के नियम तोड़े है। तुम्हारी टीम को क्यों नहीं निष्कासित कर दिया जाये। केडेट अंजली लड़की होने का मतलब यह नहीं है कि तुम्हारे लिये कोर्स के नियम बदले जाएँगें। एकाएक मै अपने राष्ट्रीय रक्षा अकादमी के केडेट के रुप मे आ गया था। मै जोर से चिल्लाया… मास्टर हम एक टीम है। टीम का हर सदस्य दूसरे का पूरक होता है। मैने कोई नियम नहीं तोड़ा है। हमारी टीम को एक उद्देशय दिया गया था जिसे हमने मिल कर पूरा किया है। कुट्टी घुर्राया… केडेट समीर यह बच्चों को प्रशिक्षण देने की अकादमी नहीं है। इस जगह सैनिक को नायक बनाया जाता है। यहाँ से निकलने वाला हर सैनिक दुश्मन के लिये चलती फिरती मौत होती है। कोई शक। मै जोर से चिल्लाया… बेशक मास्टर। ड्रिल मास्टर कुट्टी दूसरी टीम की ओर बढ़ गया था। मैने एक गहरी साँस छोड़ी तो अंजली मुड़ कर मेरी ओर देख कर मुकुरायी तभी कुट्टी की आवाज गूंजी… टीम पाँच ग्राउन्ड का एक चक्कर लगाओ। हम दोनो चुपचाप एक चक्कर लगाने के लिये चल दिये थे।

मुझे अपने अकादमी के दिन याद आ गये थे। शुरुआती हफ्तों मे ऐसा हमारे साथ अकसर होता था। वहाँ पर सबसे पहले टीम का प्रदर्शन और उसके पश्चात एक व्यक्ति का परिणाम होता था। उस दौरान किसी एक के खराब प्रदर्शन की सजा सारी टीम को भुगतनी पड़ती थी। मुझे आज भी याद है कि एक बार स्पेशल फोर्सेज की ट्रेनिंग के दौरान आब्स्टेकल कोर्स मे दीवार से कूदते हुए मेरे पाँव मे मोंच आ गयी थी। मेरी टीम के एक सदस्य पिंटो ने अपने कन्धे पर मुझे उठा कर जिग-जेग ट्रेक पूरा किया था। इसके लिये उसे हमारे ग्राउन्ड का एक चक्कर लगाने की सजा मिली थी परन्तु आंकलन के समय उसे सबसे ज्यादा अंक देते हुए ड्रिल इंस्ट्रक्टर ने हमसे कहा था कि सैनिक का धर्म है कि उसका कोई साथी पीछे नहीं छूटना चाहिये। उसके बाद मैने इससे भी जटिल आब्सटेकल कोर्स को पूरा किया था। अपने ड्रिल इंस्ट्रक्टर की बात हमेशा के लिये मेरे जहन मे बैठ गयी थी। शायद इसी लिये मेरी स्पेशल फोर्से की युनिट मे कश्मीर आप्रेशन्स मे कोई हताहत या चोटिल नहीं हुआ था। सजा के तौर पर ग्राउन्ड का एक चक्कर लगाते हुए मुझे एकाएक पिंटो का ख्याल आ गया था।     

चक्कर समाप्त करके हम दोनो वापिस लाइन मे आकर खड़े हो गये थे। …केडेट अंजली जिम ट्रेनर से अपना नया ट्रेनिंग शीड्यूल ले लेना। डिसमिस। हम दोनो जिमनेसियम की दिशा मे चल दिये थे। साथ चलते हुए धीरे से अंजली ने सबकी नजरे बचा कर मेरा हाथ पकड़ कर दबा कर मुस्कुरा कर बोली… थैंक्स। हम एक दूसरे के पूरक है। साथ चलती हुई अंजली से मैने दबी आवाज मे पूछा… तुम्हारे सीने का क्या हाल है? …ठीक है। जिम के बाद मै सीधे बैरेक चली जाऊँगी। …ठीक है। बस हमारे बीच इतनी बात हुई थी। अंजली जिम इंस्ट्रक्टर के पास चली गयी थी और मै बाकी सब के साथ बेन्च प्रेस, इत्यादि मे अपने शीड्युल अनुसार वेट ट्रेनिंग करने मे जुट गया था। साढ़े बारह बजे बिगुल बजते ही नहाने धोने का कार्यक्रम आरंभ हो गया था। मेरे साथियों का रुख मेरे प्रति अब तक सहानुभुति वाला हो गया था। मेस मे एक बार फिर से अंजली की चर्चा आरंभ हो गयी थी। सभी उसके बारे मे जानने के लिये उत्सुक थे। किसी ने कहा… यार अंजली नहीं दिख रही। बीएसएफ से आया हुआ राकेश ने सीधा सवाल मुझसे किया… यार समीर वह तेरी टीम मेट है। उसके बारे मे कुछ तो बता कि वह कहाँ से आयी है। तभी कोई बोला… यार क्या उसकी शादी हो गयी है? खाना खाते हुए सेना की इंफेन्ट्री से आये सिमरनजीत ने कहा… क्यों जाट तू उससे शादी करेगा? शेखावत ने जल्दी से कहा… यार वह बहुत खूबसूरत है। अगर वह राजी हो गयी तो उसके साथ यहीं भांवर डलवा लूँगा। कश्मीरी सेब लगती है। तभी सुजीत बोला… जाट पहली बार तू सच बोल रहा है। मुझे नहीं लगता कि हमारी फोर्स मे अंजली से खूबसूरत कोई और होगी। इस ट्रेनिंग की समाप्ति पर अंजली को मिस फोर्सेज का खिताब हम सब मिल कर देंगें। जितने मुँह उतनी बातें तो इसलिये मै चुपचाप खाना खाता रहा और जब उनके प्रश्न बढ़ते चले गये तो आखिर मे मैने कहा… भाई तुम लोग खुद ही क्यों नहीं पूछ लेते। मेरी उससे अभी तक कोई पर्सनल बात नहीं हुई है। इतना बोल कर मैने अपनी थाली उठाई और रखने के लिये चल दिया। मेरे पास अभी डेड़ घंटा था तो मै अपने बेरेक की ओर चला गया था।

अंजली खाना खा रही थी। मुझे आता देख कर वह बोली… इस वक्त आप कैसे आ गये? …वहाँ सभी तुम्हारे बारे मे जानने के लिये उत्सुक है। उन्हें क्या बताता तो यही सोच कर मै यहाँ आ गया। मै बिस्तर पर जाकर फैल गया था। अंजली खाना खाकर बर्तन एक किनारे मे रख कर मेरे पास बैठते हुए बोली… लाईये मै आपकी पीठ दबा देती हूँ। इतना बोल कर आरफा से सीखा हुआ हुनर उसने मुझ पर आजमाना आरंभ कर दिया था। कुछ ही देर मे मेरे जिस्म की सारी अकड़न समाप्त हो गयी थी। एक नजर घड़ी पर मार कर मैने उठते हुए कहा… अब तुम लेट जाओ। वह पेट के बल लेटते हुए बोली… और मेरे बारे मे क्या कह रहे थे। मैने एक चपत उसके नितंब पर जड़ कर उसकी थरथराहट महसूस करते हुए कहा… दूसरे के बारे सोचना भी नहीं। इतना बोल कर मैने उसके जिस्म की अकड़न को कम करने मे जुट गया था। थोड़ी देर के बाद वह कराहते हुए बोली… मेरे सीने मे भी दर्द हो रहा है। इनके लिये भी कुछ किजिये। दूसरे बेड पर सोते हुए केन की ओर इशारा करते हुए मैने कहा… उससे कहो। वह उठते हुए मुस्कुरा कर बोली… अच्छा जी। मैने जन्नत को ऐसी हालत मे देख कर उसकी पीड़ा को महसूस किया था। …सच मे क्या सीने दर्द हो रहा है? …नहीं। मै मजाक कर रही थी। अभी तो इसे दूध पिला कर सुलाया है।

तभी मेनका प्रवेश करते हुए बोली… अम्मी क्या अब हम यहीं रहेंगें? …मेनका तुमने ही तो हमारे साथ रहने की जिद्द की थी। …अम्मी अगर हमे यहीं रहना है तो सामने एक स्कूल है। आप मुझे वहीं भर्ती करा दिजिये। उसके पीछे आते हुए थापा से मैने पूछा… कौनसा स्कूल है? …साबजी सेन्ट्रल स्कूल है। अभी छुट्टी हुई थी तो बेबी उसको देख कर अन्दर जाने की जिद्द करने लगी थी। मैने अंजली की ओर देखा तो वह जल्दी से बोली… बेटा हम यहाँ सिर्फ कुछ दिन के लिये रुक रहे है। हमे तो वापिस काठमांडू जाना है। तुम अगर चाहती हो तो मै बात करके तुम्हें कुछ दिनो के लिये उनकी क्लास बैठने का इंतजाम करवा दूँगी लेकिन फिर केन अकेला हो जाएगा। मेनका सोच मे पड़ गयी थी। मैने अपनी घड़ी पर नजर डाल कर कहा… अंजली पन्द्रह मिनट रह गये है। चलो चलते है। अंजली ने उठते हुए थापा से कहा… केन को दूध पिला कर सुला दिया है। जब वह उठ जाये तो उस बोतल के दूध को उसे पिला देना। …जी मैडम। इतना बोल कर वह बैरक से बाहर निकल गयी थी। हम दोनो क्लास की ओर चल दिये थे।

हमसे पहले सभी क्लास मे पहुँच गये थे। एक किनारे खाली सीटें देख कर हम दोनो  बैठ गये थे। अंजली ने अपनी फाईल खोल कर पढ़ने लगी और मै अपनी क्लास का आंकलन करने व्यस्त हो गया था। ठीक तीन बजे इंस्ट्रक्टर ने क्लास मे प्रवेश किया तो सभी सावधान हो गये थे। वह एक कमीशन्ड आफीसर लग रहा था… आप मे से कितने लोगो ने कोम्बेट आप्रेशन्स मे भाग लिया है? हमे छोड़ कर आधे से ज्यादा लोगों ने अपने हाथ उठा दिये थे। …पहला केस आज सभी को दिया जा रहा है। हरेक टीम उस केस को अपने अनुसार आंकलन करके एक योजना तैयार करेगी। आपके पास आधे घंटे का समय है। मैने अपनी फाइल खोल कर पहला केस पढ़ने बैठ गया था। तभी अंजली ने दबी जुबान मे कहा… मैने केस पढ़ लिया है। मै आपको बता देती हूँ उसके बाद हरेक पहलू पर चर्चा कर लेंगें। मैने उसकी ओर देखा तो उसने अपनी फाइल खोल कर मेरे सामने रख दी थी।

अंजली ने पहले केस के बारे मे बताना आरंभ कर दिया… कुछ आतंकवादियों ने एक कच्चे मकान मे कुछ लोगों को बंधक बना रखा है। हमारा उद्देशय पहले उन बंधकों को छुड़ाने का है। फिर आतंकवादियों को आत्मसमर्पण के लिये बाध्य करना और अगर वह न माने तो आप्रेशन क्लीन आउट आरंभ करना है। ख्याल रहे कि एक्शन लेने से पहले सुरक्षा की दृष्टि से कुछ जानने की जरुरत है। वह कुछ बोलती उससे पहले मैने पूछा… क्या कुछ स्थान की जानकारी दी गयी है? …नहीं। …कुछ आतंकवादियों के बारे मे कोई जानकारी दी है? …उसके बारे मे कुछ नहीं दिया गया है। …इस्लामिक है या नक्सलवादी है? …पता नहीं। …उस इलाके मे पहले भी ऐसी घटना हुई है? …पता नहीं। …क्या बंधकों के बारे मे कुछ जानकारी दी है? …नहीं। …दिन है या रात है? …शाम है। …थैंक गाड। कुछ तो केस मे दिया है। मै कुछ सोच रहा था कि तभी अंजली बोली… इसमे सुरक्षा एजेन्सियों के वेपन्स सिस्टम की जानकारी दी गयी है। स्नाईपर राईफल, नाइट विजन, हैन्ड ग्रेनेड, एके-203, ग्लाक-17 और हैन्ड हेल्ड कम्युनिकेशन सिस्टम। …इन्फ्रारेड स्कैनर सिस्टम? …नहीं। मैने झल्ला कर कहा… तो फिर झांसी की रानी और क्या दिया है? …खेत पर काम करने वाले ने यह सूचना पुलिस को दी थी। …ओह। पूरा केस अब साफ हो गया है। इन्फार्मर ने क्या जानकारी दी थी? …यही कि कुछ लोग अपने चेहरे और सिर पर कपड़ा बांधे और कम्बल को शरीर पर डाल कर उस कच्चे मकान मे घुसे थे। …क्या उसने उनके पास हथियार देखे थे? …हाँ। उनके हथियार कम्बल मे छिपे हुए थे परन्तु उसकी नाल दिख रही थी। …क्या उसने बताया था कि उस मकान मे कौन रहता था? …उस खेत पर काम करने वाले मजदूर रहते थे। …और कुछ? …एक बात और बतायी गयी है कि उसने गोली चलने की आवाज सुन कर पुलिस को खबर की थी।

…झांसी की रानी अब तुम बताओ कि ऐसी हालत मे क्या करना चाहिये? अंजली ने कुछ सोचने के बाद बोली… नाईट विजन को स्नाईपर राईफल के लेन्स के साथ फोकस करके सेट किया जाये तो कुछ हद तक स्कैनर का काम कर सकता है। अंधेरा होते ही उस मकान पर एके-203 का एक बर्स्ट मार कर नाइट विजन आन कर लिजिये। पहले बर्स्ट के साथ ही अन्दर कुछ चहल पहल होगी जिसको नाईट विजन और स्नाईपर का लेन्स आसानी से पकड़ लेगा। उससे अंदाजा लग जाएगा कि अन्दर लगभग कितने लोग है। अगर उनकी ओर से फायरिंग नहीं होती तो अबकी बार दो बर्स्ट छत की दिशा मे मारिये। इस बार वह फायरिंग करने के लिये बाध्य हो जाएगें। …अगर फिर भी उनकी ओर से कोई जवाबी कार्यवाही नहीं होती तो क्या करना चाहिये? …नाइट विजन से आपको उनकी लोकेशन का लगभग अनुमान हो गया होगा। अब एक केकुलेटिड रिस्क लेना जरुरी है क्योंकि बंधक अन्दर टहल तो नहीं रहे होंगें। वह सब एक किनारे मे बैठे हुए होंगें। ऐसी हालत मे स्नाईपर राईफल से उस मकान के सबसे कमजोर हिस्से को निशाना बनाना पड़ेगा जहां पर आतंकवादी के होने की संभावना है। …चलो उन्होंने जवाबी फायरिंग करनी शुरु कर दी तो? …आपको उनके हथियारों की संख्या और कैलिबर की जानकारी हो जाएगी। उनकी ओर से फायरिंग होने के बाद आत्मसमर्पण की सारी संभावना भी समाप्त हो जाएँगी। अब आपकी टीम आगे बढ़ सकती है। बस इतना ख्याल रहे कि वह सब एक बन्द जगह पर एक तरीके से कैद है। स्मोक ग्रेनेड को पहले इस्तेमाल किजिये उसके बाद क्लीन आउट आप्रेशन आरंभ हो जाएगा।

एक पल के लिये मेरा मन हुआ कि अभी उठ कर उसको अपनी बाँहों जकड़ लूँ लेकिन अपनी भावनाओं पर अंकुश लगा कर मैने धीरे से कहा… झांसी की रानी मुझे तुम पर गर्व है। वह मुस्कुरा कर बोली… चलिये यहाँ तो मै आपके काम आ सकती हूँ। …अब मेरी भी सुन लो। इस घटना का स्थान कश्मीर है। वह इस्लामिक जिहादी है। सिर पर कफन बांध कर आये है तो हथियार डालने के लिये कभी तैयार नहीं होंगें। उनके पास एके-56 है। हाईकैलीबर फायर पावर उनके हाथ मे होने के कारण यह आल आउट क्लीनिंग आप्रेशन होगा जिसमें कोलेटर्ल लास की संभावना ज्यादा है। उनके पास पिस्तौल भी है क्योंकि गोली चलने की आवाज आयी थी। इसका मतलब यह हर्गिज नहीं है कि उन्होंने अभी तक किसी बंधक की हत्या की है लेकिन वह बंधको को अपनी ढाल बना सकते है। यहाँ पर हमे अपने स्नाईपर्स को खास लोकेशन पर तैनात करना पड़ेगा। दरवाजे का विजुअल एन्गल 60 डिग्री का होता है। अंधेरे मे यह घट कर 30 डिग्री का रह जाता है। इसलिये हमारे स्नाईपर्स को उनके विजुअल रेन्ज से बाहर रहना होगा। इतना बोल कर मै चुप हो गया और उसकी ओर देखा तो उसने मुस्कुरा कर अपनी आँखों से इशारा किया… क्या बात है। उसके जवाब मैने भी आँखों के इशारे से दे दिया था। तभी इंस्ट्रक्टर की आवाज गूंजी। …टाइम अप। हमने इंस्ट्रक्टर की ओर देखा तो अब उसके साथ तीन अन्य लोग भी वहाँ पर खड़े हुए थे। उनको देख कर हम दोनो चौंक गये। अंजली बुदबुदा कर बोली… यह लोग यहाँ क्या कर रहे है। …वह तुम्हें देखने आये है।

एक-एक करके सभी टीमो ने अपने विचार सबके सामने रख दिये थे। चारों टीम एक ही बात मे उलझ कर रह गयी थी। आतंकवादियों के बारे मे पुख्ता जानकारी की कमी होने के कारण उनका एक्शन प्लान अन्दाजे पर ज्यादा आधारित था। केस के आत्मसमर्पण के उद्देश्य ने उनकी सोच को संकीर्ण बना दिया था। बस इन्हीं कमजोरियों के कारण उन टीमों पर प्रश्नों की झड़ी लग गयी थी। आखिर मे हमारा नम्बर आया तो मैने अंजली को बोलने का इशारा किया। अंजली खड़ी हो गयी और एक बार मेरी ओर देख कर उसने बोलना आरंभ कर दिया। अभी तक हमारे बीच मे जो भी बात हुई थी वह सबके सामने विस्तार से रख कर बैठ गयी थी। सभी सुनने वाले उसको हैरत भरी नजरों से देख रहे थे। इंस्ट्रक्टर ने तिगड़ी की ओर देख कर कहा… सर आप कुछ पूछना चाहते है तो पूछ लिजिये। वीके ने अजीत सर की ओर देख कर कहा… कुछ तो पूछ लो यार। अजीत सर ने मुस्कुरा कर पूछा… अंजली आपने यह कैसे जाना कि वह स्थान कश्मीर है और वह इस्लामिक जिहादी है। आपने भी तो अंदाजा लगाया है। वह नक्सलवादी भी तो हो सकते थे। अंजली ने मेरी ओर देखा तो अबकी बार मैने हाथ उठा कर कहा… मास्टर, केडेट को बोलने की इजाजत दिजीये। अजीत सर मुस्कुरा कर बोले… आप ही बता दिजिये। मै उठ कर खड़ा हो गया और कैडेट की तरह बोला… मास्टर आपके इन्फार्मर ने बताया था कि आतंकवादियों ने सिर और चेहरा कपड़े से ढक रखे थे और अपने जिस्म पर कम्बल लपेट रखा था। उनके हथियार की नाल बाहर दिख रही थी। अब भला कौन सा नक्सलवादी इतनी गर्मी और बारिश मे कम्बल ओढ़ कर निकलेगा। दूसरा एके-56 की नाल बाकी आटोमेटिक गन से लम्बी होती है जिसका ज्यादातर इस्तेमाल पाकिस्तानी तंजीमे करती है। इसका मतलब था कि आतंकवादी हाई कैलिबर हथियार लेकर अन्दर जमा थे। इतना बोल कर मै बैठ गया था।

जनरल रंधावा अभी तक सारी कार्यवाही चुपचाप सुन रहे थे। अचानक वह बोले… कैडेट अंजली क्या कभी किसी आतंकवादी का तुमने सामना किया है? एक बार उसने मेरी ओर देखा फिर उनकी ओर देख कर बोली… यस सर। उसका जवाब सुनते ही मेरा गला सूखने लगा था। बात गलत दिशा मे जा रही थी। …गुड। इसके आगे उन्होंने कुछ नहीं पूछा था। तीनो कुछ देर इंस्ट्रक्टर से बात करने के पश्चात क्लास से बाहर चले गये थे। …क्लास डिसमिस। सभी उठ कर खड़े हो गये और एक लाईन बना कर क्लास से बाहर निकल कर फायरिंग रेन्ज की ओर चल दिये थे। तभी एक गार्ड दौड़ता हुआ हमारी ओर आकर बोला… केडेट समीर कौन है? मै लाइन से बाहर निकल कर बोला… बोलिये। …कैडेट आपको निदेशक साहब ने बुलाया है। मै उसके साथ चल दिया।

निदेशक के कमरे मे तिकड़ी बैठी हुई थी लेकिन निदेशक नदारद थे। मुझे देखते ही जनरल रंधावा ने कहा… पुत्तर क्या हाल है? …सर एक ही दिन मे कस बल ढीले हो गये है। …अंजली के क्या हाल है? …सर, वह सही कह रही थी। अभी आप उसकी कलाकारी देख कर आये है। उस केस को उसने ही तैयार किया था। मैने तो छुटपुट रिक्त स्थान भरे थे। फिजिकल मे शायद वह उनकी बराबरी नहीं कर सकेगी परन्तु औसतन स्कोर उसका उन सब से बेहतर होगा। वीके ने बीच मे टोकते हुए पूछा… क्या तुम फील्ड मे जाने की स्थिति मे हो गये। …यस सर। अब सब ठीक है। अजीत सर ने प्रश्न किया… समीर क्या ट्रेनिंग पूरी करना चाहते हो? …सर, पहले हो सकता था कि मै मना कर देता परन्तु अब मै सोच रहा हूँ कि फील्ड मे जाने से पहले यह ट्रेनिंग पूरी कर लेनी चाहिये। मेरे डाक्टर ने कहा है कि असली परीक्षा की घड़ी तब आएगी जब तुम हाथ मे हथियार पकड़ोगे। ब्लास्ट के बाद से मेन्टल ब्लाक का शिकार हो गया हूँ। मुझ लगता है कि इस ट्रेनिंग के दौरान यह ब्लाक भी हट जाएगा। अजीत सर मेरी ओर ध्यान से देख रहे थे परन्तु वह कोई निर्णय नहीं ले पा रहे थे।

तभी वीके ने कहा… समीर कुछ हालात ऐसे बन गये है कि तुम्हें जल्दी से जल्दी सीमा पार जाना पड़ेगा। अजीत सर ने कहा… वीके यह बेहद खतरनाक पोस्टिंग है। अच्छा होगा कि समीर यह ट्रेनिंग पूरी करके वहाँ जाये क्योंकि वहाँ शारिरिक क्षमता के साथ मानसिक स्थिरता की भी जरुरत है। तालिबान और तेहरीक को हमारे प्रभाव मे लाने का मुख्य उद्देश्य है। अफगानिस्तान छोड़ने से पहले अमरीका भी यही चाहता है कि दो सबसे बड़ी तंजीमे उनके प्रभाव मे रहे जिससे पाकिस्तान उनके निकलने के बाद इस इलाके मे दोबारा गड़बड़ करने की कोशिश न करे। मै चुपचाप उनकी बात सुन रहा था। कुछ देर तीनो बात करने के बाद इसी नतीजे पर पहुँचे कि फिलहाल ट्रेनिंग चलने देनी चाहिये। अगर जरुरत पड़ी तो फिर ट्रेनिंग को बीच मे रोक भी सकते है। इतनी बात करके उनसे इजाजत लेकर मै फायरिंग रेन्ज की ओर चल दिया था।

जब मै रेन्ज पर पहुँचा तब तक आधुनिक हथियारों से सबको रुबरु करवाया जा चुका था। उनकी डिस्मेन्टलिंग और एसेम्बलिंग दिखा दी गयी थी। मेरे वहाँ पर पहुँचते ही इंस्ट्रक्टर सबको फायरिंग रेन्ज की ओर जाने का आदेश देकर आब्सर्वेशन पोस्ट की ओर चला गया था। फायरिंग रेन्ज की मेज पर आधुनिक पिस्टल का संग्रह रखा हुआ था। सबसे पहले अंजली ने पिस्टल को अपनी पकड़ के अनुसार चुना और पिस्टल लेकर एक किनारे मे खड़ी हो गयी थी। एक-एक करके सभी अपनी पिस्टल चुनने मे व्यस्त हो गये थे। मुझ पर नजर पड़ते ही वह मेरे पास आकर बोली… वह क्या कह रहे थे? …बाद मे बताऊँगा। अपनी पिस्टल दिखाना। उसने अपनी पिस्टल मेरे आगे कर दी थी। मैने उसकी पिस्टल को अपने हाथ मे लेकर वजन को आंकलन करने के पश्चात पकड़ को चेक करके उसकी ओर बढ़ाते हुए कहा… अपना बैलेन्स बना कर रखना। वैसे तुम्हारी पसंदीदा पिस्टल कौन सी है? …बेरेटा। इतना बोल कर अपनी पिस्टल लेकर वह पांचवी लेन मे जाकर खड़ी हो गयी थी। मेरा नम्बर आया तो मैने भी अपने अनुसार ग्लाक-17 चुन ली थी। एक बार फिर से सभी टीम लाईन बना कर अपनी निर्धारित लेन मे खड़ी हो गयी थी। तीस मीटर पर टार्गेट फिक्स कर दिया गया था। हरेक कैडेट को दस राउन्ड फायर करने थे। हमेशा की तरह इस बार भी हमारा नम्बर आखिरी था। सभी अच्छे निशानेबाज थे। जब हमारा नम्बर आया तो मै फायरिंग के लिये आगे बढ़ गया था।

वहाँ खड़े होते ही टार्गेट पर नजर पड़ते ही एक क्षण के लिये मेरा जिस्म पथरा कर स्थिर हो गया था। …टार्गेट पर ध्यान लगाईये। अंजली की धीमी आवाज मेरे कान मे पड़ी। उसने मेरा हाथ थाम लिया था। अपनी श्वास को नियंत्रित करके एक के बाद एक मैने दस फायर कुछ पलों के अन्तराल मे कर दिये थे। आठ बुल्स आई और सिर्फ दो गोली निशाने से चूक गयी थी। मेरे हटते ही अंजली अपनी पिस्टल तौलती हुई उस स्थान पर खड़ी हो गयी थी। उसने अपने दोनो पैर थोड़े से खोल पर बैलेन्स बनाया और फिर पिस्टल को टार्गेट की ओर करके कुछ क्षण के लिये रुक गयी थी। उसने अपनी साँस को नियन्त्रित किया और फिर एक के बाद एक फायर करना आरंभ कर दिया। आठवें शाट पर उसकी शीट के बीचोंबीच का हिस्सा छितरा कर गायब हो गया था। बाकी दो गोली का तो कोई निशान ही नहीं बचा था। उसने अपनी पिस्टल नीचे करी और फिर घूम कर मेरे साथ आकर खड़ी हो गयी थी। …झांसी की रानी अब तुमसे कोई कैडेट और इंस्ट्रक्टर भिड़ने की कोशिश नहीं करेगा। वह कुछ नहीं बोली बस सबकी नजर बचाकर मेरे हाथ को दबा कर पिस्टल रखने चली गयी थी। अंजली के साथ दो और कैडेट्स का स्कोर पर्फेक्ट सौ था। बाकी सभी सौ के आसपास की रेन्ज मे थे। ट्रेनिंग के दो भागों मे अब तक हमारा दबदबा बन गया था। सब का स्कोर रिकार्ड करने के पश्चात सबको डिसमिस कर दिया गया था। हम दोनो वापिस चलने के लिये बढ़े कि तभी राकेश और कुछ और साथी अंजली से बात करने के लिये आ गये थे।

…अंजली चाय पर हमे जोईन करो। अंजली ने एक बार मेरी ओर देखा और फिर बोली… मै सिर्फ चाय के लिये रुक सकती हूँ। मुझे जल्दी जाना है। मेस की ओर बढ़ते हुए राकेश ने पूछा… तुम कौन सी फोर्स से आयी हो? वह एक पल चुप रही फिर धीरे से बोली… सिगनल्स। तभी साथ चलते हुए शेखावत ने पूछा… क्या तुम्हारी शादी हो गयी है? अंजली ने झेंप कर मेरी ओर देखा तभी सिमरनजीत ने कहा… तू जाट ही रहेगा। भला कोई यह सवाल ऐसे पूछता है। वह मुस्कुरा कर बोली… मेरी शादी हो गयी है और मेरे दो बच्चे है। यह जवाब सुन कर सभी के चेहरे पर मायूसी छा गयी थी। तभी सुजीत ने कहा… अंजली हम तो तुम्हें मिस फोर्सेज का खिताब देना चाहते थे। अबकी बार शेखावत ने मुस्कुरा कर कहा… कोई बात नहीं इसे मिसेज फोर्सेज का खिताब दे देंगें। ऐसे ही अंजली से बात करते हुए सब मेस पहुँच गये थे। चाय का मग लेकर सब बैठ कर एक दूसरे के बारे मे बताने मे व्यस्त हो गये थे। आधे घंटे बैठ कर अंजली चली गयी थी। मै उनकी कहानियाँ सुनने के लिये बैठ गया था। कुछ साथी खेलने मे व्यस्त हो गये और कुछ मैगजीन पढ़ने मे व्यस्त हो गये थे। सात बजे खाना सर्व कर दिया गया था। मै खाना खा कर वापिस बैरेक मे लौट आया था। मुझे देखते ही मेनका दौड़ती हुई मेरे पास आकर बोली… अब्बू खाना खाने के बाद बाहर टहलने चलेंगें। मैने हामी भर कर कपड़े बदलने के लिये चला गया था। थोड़ी देर के बाद किचन से थापा खाने का टिफिन ले आया था। अंजली और मेनका खाना खाने की तैयारी मे जुट गये थे। मै केन को अपनी छाती पर लिटा कर बेड पर लेट गया था।

मेरे सीधे हाथ मे अभी भी कंपन महसूस कर रहा था। फायरिंग से पहले मेरा हाथ एक बार काँपा था परन्तु फायरिंग के दौरान कंपन नहीं था। फायरिंग के बाद से मै उस कंपन को लगातार महसूस कर रहा था। खाना समाप्त करके अंजली मेरे साथ बैठते हुए बोली… क्या सोच रहे है? …अंजली मेरे सीधे हाथ मे कंपन अभी तक शांत नहीं हुआ है। वह कुछ बोलती कि तभी मेनका बोली… चलिये अब्बू। केन को अंजली को पकड़ा कर मै मेनका के साथ बाहर निकल गया था। …बेटा दस बजे तक ही यहाँ पर बाहर घूम सकते है। उसके बाद सभी को बैरेक मे होना चाहिये। इसलिये हम ज्यादा देर बाहर नहीं रुक सकते। वह कुछ नहीं बोली बस मेरा हाथ पकड़ कर पार्क की ओर चल दी थी। उसे कैंपस का चक्कर लगवा कर कुछ देर पार्क मे बिता कर वापिस अपने बैरक की ओर चल दिया था।

बैरेक मे चार सिंगल बेड लगे हुए थे। एक बेड पर अंजली और केन लेटे हुए थे। मेनका को सुला कर मै अपने बेड पर लेट गया था। अभी भी मेरे सीधे हाथ मे कंपन महसूस कर रहा था। बार-बार अपने हाथ को दबा कर कंपन को रोकने की कोशिश कर रहा था। अंजली मेरे साथ लेटते हुए धीमे से बोली… अभी भी हाथ मे कंपन है? बेड छोटा होने के कारण हम दोनो आखिरी सिरे पर लेटे हुए थे परन्तु एक दूसरे का सामीप्य दिन भर के तनाव को दूर करने के लिये काफी था। …समझ नहीं आ रहा कि यह कंपन क्यों है? …कुछ दिन देखिये परन्तु इसके बारे मे सोचना बन्द कर दिजिये। …क्या करुँ दिमाग उस पर ही लगा हुआ है। वह धीरे से मेरे गाल पर अपने होंठ रगड़ कर बोली… अब बताईये आपका ध्यान कहाँ है? उसको अपनी बाँहों मे जकड़ कर अपने पास खींचते हुए मैने उसके कान मे कहा… अब तो सारा ध्यान तुम पर लग गया है। …वह तीनो क्या कह रहे थे? मैने तिगड़ी की सारी बात उसके सामने रख दी थी। वह कुछ सोच कर बोली… आपको अकेला तो हर्गिज जाने नहीं दूँगी। मैने उसकी बात का कोई जवाब नहीं दिया परन्तु महसूस किया कि अब तक हाथ मे होने वाला कंपन शांत हो गया था। दिन भर की थकान हावी हो गयी थी और जल्दी ही अपनी सपनों की दुनिया मे खो गया था।

अगली सुबह एक बार फिर उसी ग्राउन्ड से हमारी दिनचर्या शुरु हो गयी थी। वही कार्यक्रम पूरा दिन चला और शाम तक हम दोनो थक कर चूर होकर बैरेक मे आराम कर रहे थे। आज पिस्टल हाथ मे आते ही कंपन आरंभ हो गया था। फायरिंग के लिये मुझे दोनो हाथों का इस्तेमाल करना पड़ा था। तीन दिन तक हमने वही शिड्युल का अनुसरण किया परन्तु चौथे दिन सुबह ग्राउन्ड मे ड्रिल मास्टर कुट्टी ने सभी को झटका दे दिया था। दो मील के राउन्ड को पाँच मील क्रास कंट्री मे परिवर्तित कर दिया गया था। पीठ पर बीस किलो लाद कर अब उबड़ खाबड़ पहाड़ी रास्ते पर दौड़ने का उन्होंने एक नया मार्ग तय कर दिया था। अपना राउन्ड पूरा करके जब तक हम लौटे तब तक जिस्म का पोर-पोर दुख रहा था। एक घंटे व्यायाम से कुछ राहत तो मिल गयी थी परन्तु सभी माँसपेशियों मे जरा सा हिलने से दर्द का एहसास हो जाता था। ओब्स्टेकल कोर्स मे भी बदलाव करके उसे और भी जटिल बना दिया था। मुझे स्पेशल फोर्सेज की स्पेशल ट्रेनिंग की याद आ गयी थी। यह कोर्स इंसानी क्षमता की परीक्षा थी। इसमे शारिरिक क्षमता और मानसिक नियन्त्रण मे समन्वय बनाना ही काफी नहीं था परन्तु पूरी टीम को एक पर्फेक्ट मशीन की तरह काम करना अनिवार्य था। जरा सा ध्यान चूकने का मतलब पूरी टीम अयोग्य घोषित हो जाती।

हमारा जिमनेसियम का शिड्युल भी बदल गया था। क्लास रुम के केस भी ज्यादा जटिल हो गये थे। फायरिंग रेन्ज को हैन्ड टु हैन्ड कोम्बेट के सेशन मे परिवर्तित कर दिया गया था। पहले इसमे लड़ने की नयी तकनीक सिखायी जाती थी और फिर मैट पर टीमो के बीच मे भिड़न्त करवाई जाती थी। अंधेरा होने तक हमारे जिस्म अन्द्रूनी चोट से घायल हो गये होते थे। पहला हफ्ता समाप्त होने तक बाइस कैडेट का समूह सोलह तक सिमित हो गया था। पाँच नम्बर की टीम जैसे तैसे अभी तक अपनी जगह बनाये हुए थी। हमारा स्कोर कार्ड क्लास रुम, फायरिंग रेन्ज, आबस्टेकल कोर्स और हैन्ड टु हैन्ड कोम्बेट मे प्रदर्शन के कारण काफी सुधर गया था। अब हमारी टीम तीसरे स्थान पर पहुँच गयी थी। रोज शाम को हमारे दो घंटे एक दूसरे की सेवा मे निकलने लगे थे। हैन्ड टु हैन्ड कोम्बेट के कारण अंजली के जिस्म पर असंख्य नील पड़ गये थे। उसको मैट पर नहीं भेजने की मैने बहुत कोशिश की परन्तु कुट्टी तो जैसे हमारे बढ़ते हुए नम्बरों को कम करने की ठान कर बैठा हुआ था। एक बार जब वह जब मैट पर उतरी तो सभी छह फुटे भारी भरकम कैडेट उसकी चपलता और तकनीक के कायल हो गये थे। पहले दिन के बाद कोई भी अब उसे हल्के मे नहीं लेता था क्योंकि उनके सामने मैट पर अंजली के प्रतिद्वंद्वी की एक गलती उस बहुत भारी पड़ जाती थी। मैने महसूस किया था कि हैन्ड टु हैन्ड कोम्बेट मे निपुण होने के साथ ही उसमे गहरी चोट पहुँचाने की स्वाभाविक इच्छाशक्ति थी। दो हफ्ते के अन्त तक इन्फेन्ट्री और बीएसएफ के प्रतिद्वन्द्वी इसका प्रमाण देने मे सक्षम हो गये थे।

 

मुजफराबाद 

पाकिस्तान मे नयी सरकार बनने के कारण सीमा पर शांति छायी हुई थी। इन सब के बीच नीलम घाटी मे चरमपंथी तंजीमो की बैठक मे इस बात पर लगातार मतभेद चल रहा था कि तेहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान का किरदार कश्मीर मे क्या होगा। तेहरीक का मानना था कि उनकी तंजीम का कश्मीर से कोई लेना देना नहीं है।  …पीरजादा साहब, अब आपको इस मामले मे अखुन्डजादा से बात करनी पड़ेगी। तेहरीक अगर अफगानिस्तान मे उलझी रही तो सारी अमरीकी इमदाद जल्दी ही बन्द हो जाएगी। पीरजादा मीरवायज ने मुस्कुरा कर कहा… जनरल साहब भला इसमे मै क्या कर सकता हूँ। उस दिन जब मै अपने बेटे की हत्या का बदला लेने की गुजारिश कर रहा था तब आपने अपने हाथ झाड़ दिये थे। …पीरजादा साहब, आपसी मतभेद भुला कर क्या आपके बेटे की शहादत का बदला नहीं लिया जा सकता?  …जनरल साहब आप तो कायदे और कानून से बंधे हुए है परन्तु हम नहीं। वह अगर काठमांडू मे बच गया है तो कल मारा जाएगा। एकाएक जकी उर लखवी उनके बीच मध्यस्था कराने के उद्देश्य से बोला… मेरा ख्याल है कि पुरानी बातें भूल कर अगर हम आगे की बात करेंगें तो बेहतर होगा। हम दोनो का उद्देश्य एक है तो फिर हम क्यों नहीं मिल कर काम करते है।

कुछ देर के बाद जनरल फैज ने कहा… पीरजादा साहब क्या आपकी बेटी हया का कुछ पता चला कि वह इस वक्त कहाँ है? हमे खबर मिली है कि सीमा के उस पार किसी ने भारतीय फौज के काउन्टर इन्टेलिजेन्स के मुखिया ब्रिगेडियर सुरिन्दर सिंह चीमा का अपहरण किया है। क्या इस अपहरण मे आपका या हया का हाथ तो नहीं है? …नहीं जनरल साहब। उस हरामखोर का हमसे अब कोई रिश्ता नहीं है। …समझने की कोशिश किजिये कि अगर इस अपहरण मे किसी भी हमारी तंजीम का हाथ हुआ तो हम उसके खिलाफ कड़ा एक्शन लेने के लिये मजबूर हो जाएँगें। तभी लखवी ने पूछा… अचानक आईएसआई को हया की क्या जरुरत पड़ गयी? …शुजाल बेग के डोजियर ने सारा माहौल बदल दिया है। इस वक्त हम ऐसी स्थिति मे नहीं है कि कोई ऐसा नया बखेड़ा खड़ा करें इसलिये अगर उसने ऐसा किया है तो वह फौरन चीमा को हमारे हवाले कर दे। पीरजादा मीरवायज गुस्से मे बड़बड़ाया… कुछ दिन ठहर जाओ। तुम्हें हमारी ताकत का भी जल्दी पता लग जाएगा।