गहरी चाल-10
फारुख की आवाज मेरे कानों मे पड़ते ही एक पल
के अन्तराल के बाद मै चौकन्ना हो गया था। …मेजर, उसका कुछ पता चला? …अभी तक तो नहीं
लेकिन मै उसके बहुत करीब पहुँच गया हूँ। जल्दी ही खबर दूंगा। …मेजर, जिस दिन तुम उसकी
मौत की खबर मुझे दोगे उसी दिन मै तुम्हें हया की जानकारी दे दूंगा। अब तुम्हारे उपर
है कि यह काम तुम जितनी जल्दी पूरा करोगे तो उतनी जल्दी वलीउल्लाह के द्वारा होने वाले
नुक्सान को रोक सकोगे। मेरा नम्बर स्टोर कर लो क्योंकि यही नम्बर आगे चल कर तुम्हारे
काम आयेगा। इतना बोल कर उसने फोन काट दिया था। तबस्सुम भी उठ कर बैठ गयी थी। …क्या
हुआ आपके चेहरे पर हवाईयां क्यों उड़ी हुई है। किसका फोन था? मै उसे क्या बताता तो बिना
कुछ बोले मै आंख मूंद कर वापिस लेट गया था। कुछ देर तबस्सुम मुझे देखती रही और फिर
मेरे सीने पर सिर रख कर बोली… अब्बू का फोन था। उसकी बात सुन कर मुझे ऐसा लगा कि जैसे
एक बिजली के झटके से मेरा पूरा जिस्म झनझना गया था।
तबस्सुम मेरी आँखों मे झाँकते हुए बोली… वह
मेरे कत्ल की बात कर रहे थे, है न? मैने उसकी बात का कोई जवाब नहीं दिया बस उसे अपनी
बाँहों मे जकड़े काफी देर तक सोचता रहा था। मुझे यकीन था कि फारुख ने मेरे आगे चारा डालने की कोशिश की थी परन्तु
अगर वह सच बोल रहा था तो क्या मै अपने साथ लेटी हुई तबस्सुम की हत्या कर सकता था? उस
रात जितनी बार मैने यह प्रश्न अपने आप से किया परन्तु एक बार भी मुझे मेरे अन्तर्मन
से हाँ का जवाब नहीं मिला था। मैने सिर घुमा कर उसकी ओर देखा तो वह अभी भी जाग रही
थी और मेरे कुर्ते को अपने आसुओं से भिगो रही थी। मैने धीरे से उसके गाल को सहलाते
हुए कहा… जब तक मै जिंदा हूँ तुम्हारे अब्बू या हया और उनके साथ पूरी मोमिनों की फौज
भी आ जाये तो भी वह तुम्हें छू नहीं सकेगी। अगर जब मै दोजख पहुँच गया तो बानो यह भी
तो तय है कि तुम भी वही मेरे पीछे-पीछे आओगी। तब वहाँ पर भी हम तुम साथ-साथ ही होंगें
तो फिर फिक्र किस बात की है। आराम से सो जाओ। उसने चिढ़ कर मेरी छाती पर मुक्का जमाते
हुए कहा… खुदा खैर करे। उस रात को बहुत देर तक मुझे नींद नहीं आयी थी। वह भी मेरे सीने
से लगी जाग रही थी। पता नहीं कब तक सोता रहता लेकिन सुबह फोन की घंटी ने मुझे उठा दिया
था। मैने जल्दी से फोन उठा कर कहा… हैलो। …मेजर आज टाइम से आफिस पहुँच जाना। एक मीटिंग
बुलायी हुई है। …जी सर। दूसरी ओर से फोन कट गया था। मैने तबस्सुम को अपने से अलग किया
और तैयार होने के लिये चल दिया था।
टाइम से पहले ही आफिस पहुँच गया था। अपनी सीट
पर बैठ कर आईबी की दी हुई फाईल देख रहा था। मेरी छठी इंद्री बार-बार मुझे उन चेहरों
को देख कर सावधान कर रही थी। उन 496 लोगों मे 465 पुरुष और 31 महिलाएँ थी। एक खास बात
मैने नोट की थी कि सभी शक्ल से 20-25 उम्र मे लग रहे थे। पिछले एक साल मे एक आदमी ने
इतने सारे लोगों को जाली कागजात देकर न जाने कहाँ-कहाँ पहुँचा दिया था। इस उम्मीद पर
कि हया के कागज भी अगर इसी ने बनवाये होगे तो मैने अपना ध्यान 31 महिलाओं पर केन्द्रित
किया। सौम्या कौल को छोड़ कर मै किसी पर भी शक करने की स्थिति मे नहीं था। मै उन महिलाओं
के नाम और विवरण को पढ़ रहा था कि तभी अजीत सर के निजि सचिव ने आकर कहा… आपको साहब ने
बुला रहे है। मै उस फाइल को लेकर उनके आफिस की ओर चल दिया। आफिस मे प्रवेश करते ही
मेरी नजर कुछ लोगों पर पड़ी तो मै सावधान हो गया था। आईबी के निदेशक दीपक शर्मा, जनरल
रंधावा, वीके और गोपीनाथ पहले से ही वहाँ बैठे हुए थे।
मैने फौजी सैल्युट से सभी का अभिवादन किया
और चुपचाप खाली कुर्सी पर जाकर बैठ गया था। …मेजर बट ने अभी एक आप्रेशन के दौरान साबिर
अली नाम के व्यक्ति को पकड़वाया है जिसने पिछले एक साल मे लगभग पाँच सौ घुसपैठियों के
लिये उक्त विभाग के कुछ कर्मचारियों के साथ मिल कर उनके जाली कागाजात तैयार करवाये
थे। आईबी ने उन सभी की नयी पहचान का पता लगा लिया है। अब आगे कैसे बढ़ना है इस विषय
पर यह मीटिंग बुलाई गयी है। इतना बोल कर अजीत सर ने जनरल रंधावा की ओर देखा तो उन्होंने
मेरी बंगाल मे दारुल उलुम की कहानी बताते हुए कहा… हमे शक है कि कहीं यही वह लोग तो
नहीं है जो बांग्लादेश मे प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे थे अन्यथा प्रशिक्षण के लिये वहाँ
जा रहे थे। हम अपनी ओर से इन सभी का विवरण सारी सुरक्षा एजेन्सियों को दे दिया है परन्तु
स्थानीय पुलिस इसके बारे मे क्या करेगी उस पर किसी को विश्वास नहीं है। तभी दीपक शर्मा
ने कहा… सर, पिछले दो दिन मे आईबी की टीमें इसमे दिये गये सभी पतों पर हो आयी है। ज्यादातर
पते गलत है या फिर कुछ पते ठीक है तो वहाँ पर रहने वालो ने पुष्टि की है कि इस नाम
का कोई व्यक्ति वहाँ कभी रहा ही नहीं था। इतना बोल कर वह चुप हो गया था।
अजीत सर ने सब पर एक नजर डाल कर कहा… अब हमारे
पास इस नेटवर्क को तोड़ने का एक तरीका है। साबिर अली की निशानदेही पर आईबी की टीम ने
युआईडी के तीन कर्मचारियों और चुनाव आयोग के चार कर्मचारियों को हिरासत मे लेकर पूछताछ
शुरु कर दी है। वह क्या सिर्फ साबिर अली के लिये काम करते थे या और किसी के लिये भी
इस प्रकार के कागजात तैयार करते थे। साबिर अली ने पासपोर्ट आफिस
मे भी दो लोगों की निशानदेही की है। उन्हें भी जल्द ही हिरासत मे ले लिया जाएगा। मेजर
बट ने एक साबिर अली को पकड़ लिया तो इतने घुसपैठियों का पता चल गया परन्तु न जाने दिल्ली
मे या पूरे देश मे कितने साबिर अली है? तो अब हमारे सामने दूसरी चुनौती उन लोगो को
पकड़ कर उनसे अन्य घुसपैठियों को पकड़ने की है। तभी गोपीनाथ ने कहा… हमारे पास पुख्ता
जानकारी है कि नेपाल और बांग्लादेश घुसपैठ के हाटस्पाट बन गये है। उनकी सरकारों ने
इसके लिये ढुलमुल रवैया अपनाया हुआ है क्योंकि वह जानते है कि उनका देश तो सिर्फ ट्रांसिट
पोइन्ट है इसी कारण वहाँ की सुरक्षा एजेन्सियाँ भी कुछ पैसे के लालच मे उन लोगो को
आसानी से आने-जाने देती है। अचानक वीके ने कहा… आप सब परेशानी बता रहे है लेकिन कोई
उसका इलाज नहीं बता रहा है।
अजीत सर ने कहा… मेजर का विचार है कि दोनो
राजधानियों मे हमारी आब्सर्वेशन पोस्ट होनी चाहिये। हमारे पास पाँच सौ नाम है और हो
सकता है कि अभी और भी नाम इसमे जुड़ जाएँगें। उस पोस्ट के द्वारा सबसे पहले इन सभी चेहरो
पर ध्यान केन्द्रित किया जाये। अगर एक भी आदमी की पहचान हो जाती है तो फिर उसके जरिये
उसके अन्य साथियों को भी जोड़ते चले जाएँगें। यह तरीका बेहद धीरे है परन्तु इसके अलावा
किसी के पास और कोई सुझाव है तो बताईये। चुंकि यह गोपीनाथ के कार्यक्षेत्र का मामला
था इसलिये सबकी नजरें उसकी ओर लगी हुई थी। गोपीनाथ ने कुछ सोचने के बाद कहा… दोनो राजधानियों
मे हमारे दूतावास मे कुछ लोग है जो ऐसे काम करते है परन्तु वह सिर्फ कुछ खास लोगों
पर नजर रखते है जो नितिगत फैसले लेते है। हमारा स्टाफ ऐसे लोगों से डील करने के लायक
नहीं है। आईएसआई ने हाल ही मे नेपाल मे अपना
मजबूत नेटवर्क खड़ा कर दिया है। आईएसआई का ब्रिगेडियर शुजाल बेग दूतावास मे बैठ कर पूरे
नेटवर्क का संचालन कर रहा है। इसलिये मेरा सुझाव है कि हमारे दूतावास मे आप कुछ एमआई
के लोगों को बिठा दिजिये क्योंकि वह उन लोगों से भिड़ने मे सक्षम है। लेकिन प्लीज एक
बात के लिये सावधान रहने की जरुरत है कि अगर वहाँ मुठभेड़ होगी तो फिर दूतावास पर बात
आ जाएगी। नेपाल मे तो कोई ज्यादा परेशानी की बात नही है परन्तु बांग्लादेश मे हमारी
कोशिश रहती है कि वहाँ पर मुस्लिम को ही पोस्ट किया जाये जिससे हमारी छवि पर कोई आँच
न आये।
मुझे काफी देर हो गयी थी उन सब को सुनते हुए
तो मैने कहा… सर, मै कुछ कहना चाहता हूँ। मेरा सुझाव है कि इस काम के लिये हमे दूतावास
के बजाय कारोबार के लिये एक कंपनी खोलनी चाहिये और उसमे कुछ एमआई और स्पेशल फोर्सेज
के चुने हुए लोगों को नौकरी के बहाने वहाँ स्थापित कर दिया जाये तो बहुत सी मुश्किलों
का हल निकल जाएगा। अगर आईएसआई ने अपना नेटवर्क
खड़ा कर लिया है तो मुठभेड़ जरुर होगी परन्तु दूतावास का नाम बीच मे नहीं आयेगा लेकिन
वक्त पड़ने पर वह एक भारतीय कारोबारी के लिये तो आसानी से खड़े हो सकते है। शुजाल बेग
को पाकिस्तान मे नुकसान पहुँचाना बेहद मुश्किल होगा परन्तु नेपाल मे उसको ठिकाने लगाना
ज्यादा आसान होगा। किसी ने कुछ नहीं कहा और अपना सिर हिला कर मेरे सुझाव को स्वीकृति
दे दी थी। अबकी बार वीके ने कहा… इस काम मे एक मुश्किल है। कंपनी खोलने का मतलब पैसा
और उस पैसे का इंतजाम कैसे होगा? इस खर्चे को बजट मे नहीं दिखा सकते और न ही सरकार
के खजाने से इस काम के लिये निकाले जा सकते है। गोपीनाथ ने पूछा… इस काम के लिये कितने
पैसों की आवश्यकता पड़ेगी? अजीत ने मेरी ओर देख कर कहा… शुरुआत मे पाँच करोड़ की जरुरत
पड़ेगी। गोपीनाथ ने तुरन्त कहा… हम दस करोड़ तक इस काम के लिये हम अपनी ओर से दे सकते
है। बस कुछ कागजी कार्यवाही करनी पड़ेगी। अजीत ने वीके से कहा… आप कागजी कार्यवाही देख
लेना और हम काठमांडू मे अपनी कंपनी खोल रहे है। अब आईएसआई के साथ दो-दो हाथ पश्चिमी
कमान के बजाय पूर्वी कमान मे होगी। इसी के साथ मीटिंग समाप्त हो गयी थी।
गोपीनाथ और दीपक शर्मा के जाने के बाद अजीत
सर ने कहा… वीके हमे कंपनी खोलने की क्या जरुरत है। इतने सारे उद्योगपति यहाँ पर बैठे
है। अगर एक भी आदमी को तुमने कह दिया तो वह खुशी से काठमांडू मे एक कंपनी खुलवा देगा।
इससे नेपाल सरकार भी खुश हो जाएगी और आईएसआई का ध्यान भी उस नयी कंपनी की ओर आकृष्ट
नहीं होगा। अब तो सभी लोग अपने बैठे हुए थे तो मैने कहा… सर, इसमे किसी की जरुरत नहीं
पड़ेगी। हम एक इम्पोर्ट-एक्स्पोर्ट फर्म खोल रहे है। मुझे कार्यवाही आरंभ करने मे आपकी
बस एक मदद चाहिये। आईएसआई के एक कंटेनर ट्रक को लूट कर उसके पैसे को आपको किसी बैंक
के जरिये नेपाल मे ट्रांस्फर करवाना होगा। उन्हीं के पैसों से उन्हीं को नुकसान पहुँचाएंगें
तो मुझे ज्यादा खुशी होगी। एक लिस्ट उनके सामने रख कर मैने कहा… यह बीस लोग मुझे उस
कंपनी के लिये चाहिये। यह मेरी स्पेशल फोर्सेज की टीम और सुरक्षा कवच के लोग है। यह
लोग इन कामों मे पूर्णत: सक्षम है क्योंकि इन्होंने मेरे साथ काम किया है। जनरल रंधावा
यहाँ से बैठ कर सारे आप्रेशन का संचालन करेंगें और ब्रिगेडियर शुजाल बेग को मौका लगते
ही अगुवा करके यहाँ लाने की कोशिश करेंगें। एक बार वह हाथ लग गया तो कोडनेम वलीउल्लाह
का पर्दाफाश भी हो जाएगा। मेरे तीनो कमांडर मेरी शक्ल देख रहे थे। …मेजर, वह कोई बकरी
का बच्चा नहीं है जिसको भाग कर तुम पकड़ लोगे और फिर उसे लेकर नेपाल की सीमा से निकाल
लाओगे। …सर तभी मैने कहा है कि मौका मिलते ही उसे धर दबोचूँगा। मै जानता हूँ कि उसकी
सुरक्षा के कड़े इंतजाम होंगें परन्तु उन्हें हर दम चौकस रहना होगा और हमे सिर्फ एक
मौका चाहिये। आईएसआई भी यही घुट्टी अपने आतंकवादियों को पिलाती है है कि सुरक्षा एजेन्सियों
को हर हमले को असफल करना है और उन्हें सिर्फ एक हमला सफल करना है। तभी जब हम सौ को
मारते है उसके बावजूद फिदायीन हमले होने बन्द नहीं हुए है। उनका एक हमला सफल हो जाता
है तो सारे अखबारों की सुर्खियाँ बन जाती है। नेपाल मे आईएसआई का डोज उन्हीं को देना
चाहता हूँ। अजीत ने कहा… मेजर, हमारे लिये संयुक्त मोर्चे द्वारा फिदायीन हमले को रोकना
और वलीउल्लाह का पता करना प्राथमिकता है। यह कैसे करोगे यह हम तुम पर छोड़ते है। तुम्हारी
जो भी मांग है वह बता दो। …यस सर। अब मुझे आप्रेशन आघात के बाद आप्रेशन काठमांडू को
आरंभ करने की इजाजत दिजिये। जनरल रंधावा ने उठते हुए कहा… मेजर हमारी ओर से जो सहायता
चाहिये हो वह निसंकोच होकर कह देना। उनको वहीं छोड़ कर मै अपने आफिस की ओर आ गया था।
दोपहर के बाद मै नीलोफर से मिलने के लिये चला
गया था। मैने नीलोफर को उसके फ्लैट के बजाय शापिंग माल मे मिलने के लिये बुलाया था।
उसे पहुँचने मे थोड़ी देर हो गयी थी। उसे लेकर मै एक महंगे काफी शाप मे चला गया था।
…किस लिये बुलाया है? मैने आईबी की फाईल उसके सामने रख कर कहा… इनमे से किसी को जानती
हो? उसने फाइल देखनी शुरु की और कुछ देर बाद बोली… नहीं। …उन स्त्रियों मे कोई भी हया
नहीं है? …समीर, जब मैने हया को कभी देखा ही नहीं है तो भला उसको मै कैसे पहचान सकती
हूँ। …क्या किसी को देख कर तुम्हें शक होता है? …नहीं। इनमे से मुझे कोई भी हया नहीं
लगती। मैने फाईल बन्द करके पूछा… आईएसआई का करेंसी आप्रेटर नेपाल मे कौन है? …क्या
मतलब? …किसने वह दो ट्रक तुम्हारे पास भिजवाये थे? वह अचानक चुप हो गयी थी। …नीलोफर,
मेरे पास ज्यादा समय नहीं है। इसलिये अच्छा होगा कि तुमसे जो पूछ रहा हूँ उसका जवाब
सच-सच दे दो। …उस एजेन्ट का नाम नूर मोहम्मद है। आईएसआई की मदद से उसने वहाँ पर अपना
ट्रांस्पोर्ट का कारोबार शुरु किया है। उसके ट्रक ही आईएसआई का माल कश्मीर पहुँचाते
है। …उसकी ट्रांस्पोर्ट कंपनी का नाम? …बिलावल ट्रांस्पोर्ट। …तुम्हारे पैसों का क्या
हुआ? …दोनो ट्रक दीपक सेठी के गोदाम मे खड़े हुए है। अभी तक उसने कुछ नहीं किया है।
…इसका मतलब यह हुआ कि फारुख के दस करोड़ हथियाने के बाद भी उस पैसे का तुम्हे कोई फायदा
नहीं मिल रहा है। उसने कुछ नहीं कहा बस अपना सिर हिला दिया था। काफी का बिल चुका कर
मै चलने लगा तो नीलोफर ने उठते हुए कहा… क्या उस पैसो को तुम बाहर निकलवा सकते हो?
…हाँ अगर आधे पैसे मुझे दोगी तो मै जरुर निकलवा सकता हूँ। वह मुस्कुरा कर बोली… तुम
मजाक कर रहे हो। चलो पहले मुझे मेरे फ्लैट पर छोड़ दो। …तुम्हारी मर्जी। कन्धे उचका
कर मै अपनी जीप की ओर चल दिया था।
नीलोफर को उसके फ्लैट पर छोड़ कर मैने मोनिका
को फोन किया तो उसने तुरन्त मेरी काल उठा कर कहा… मै बस तुम्हें ही फोन करने वाली थी।
अच्छा हुआ तुमने खुद फोन कर दिया। …जानेमन मै कुछ दिनो के लिये आज दिल्ली पहुँचा हूँ।
कब तुम्हारी सेवा करने आ जाऊँ? …दीपक अगले हफ्ते बाहर जा रहे है। उनके जाते ही फोन
करुँगी। …मोनिका, मैने सुना है कि सेठी साहब के पास कोई गोदाम है। …हाँ, उनकी कंपनी
ने एक गोदाम इंडस्ट्रियल एरिया मे किराये पर लिया है। क्यों पूछ रहे हो? …मै अपने सेबों
के वितरण के लिये दिल्ली मे एक गोदाम ढूंढ रहा हूँ। तभी बात करते हुए एक बार दीपक ने
उसका जिक्र किया था। मैने सोचा कि उनसे गोदाम के बारे मे पूछ लेता हूँ। …तुम्हारी दीपक
से कब बात हुई? …हम कारोबारी लोग है। करोबार की बातें हम बीवीयों और प्रेमिकाओं को
नहीं बताते है। तुमने पूछा है तो बता रहा हूँ कि अंसार रजा ने एक बार मुझे तुम्हारे
पति से मिलवाया था। क्या तुम्हें पता है कि कितना बड़ा गोदाम है? …गोदाम क्या है, वह
तो इंडस्ट्रियल शेड है जिसे गोदाम के लिये दीपक इस्तेमाल करते है। …ठीक है जानेमन,
जब दीपक चला जाये तो इस नाचीज को याद कर लेना। इतना बोल कर मैने फोन काट दिया और इंडस्ट्रियल
एरिया की ओर चल दिया था।
थोड़ी देर के बाद मै इंडस्ट्रियल एरिया मे सेठी
के गोदाम की तलाश कर रहा था। चाय की दुकान हर इंडस्ट्रियल एरिया की पहचान होती है।
हर चौराहे पर एक दो दुकानें मिल जाती है। सेठी साहब के गोदाम के बारे मे लोगो से पूछ्ते
हुए आखिरकार वहाँ पहुँच गया था। वह गोदाम नहीं बल्कि इंडस्ट्रियल शेड था। काफी विशाल
शेड पर बड़ा सा लोहे का मुख्य द्वार था। हथियारों से लैस दो चौकीदार गेट पर पहरा दे
रहे थे। मै जीप से उतर उनके पास पहुँच कर सरकारी लहजे मे बोला… इस शेड का मालिक कौन
है? …दीपक सेठी साहब। …नहीं इसका मालिक तो हमारे कागजों मे कोई और है। मैने हाथ मे
आईबी की फाईल थी। उसे खोल कर देखते हुए कहा तो तुरन्त एक चौकीदार बोला… सेठी साहब यहाँ
के मालिक नहीं है। उन्होंने इस शेड को किराये पर लिया हुआ है। साहब आप कौन है? …मै
तो भाई उद्योग विकास प्रधिकरण के सतर्कता विभाग से आया हूँ। हमारे पास शिकायत आयी है
कि यहाँ के बहुत से कारोबारी अपनी फैक्टरियाँ बन्द करके शेड का इस्तेमाल गोदाम के लिये
कर रहे है। उसकी जाँच करने आया हूँ।
लोहे के गेट के पास पहुँच कर मैने पूछा… यह
किस चीज की फैक्टरी है? …साहब पता नही। …दरवाजा खोल कर दिखाओ। …साहब हम तो चौकीदार
है। आपको सेठी साहब से बात करनी पड़ेगी। …नम्बर मिला कर मेरी बात कराओ। दोनो एक दूसरे
की ओर देखने लगे तो मैने कहा… क्या सोच रहे हो। सरकारी काम मे रुकावट डालोगे तो मुझे
पुलिस बुलानी पड़ेगी। एक चौकीदार जल्दी से बोला… साहब हमे तो सिक्युरिटी कंपनी ने यहाँ
नियुक्त किया है। सेठी साहब के बजाय आप हमारे ठेकेदार से बात कर लिजिये। …मै यह फैक्टरी
सील कर रहा हूँ। तुम लोगों ने मुझे क्या समझ रखा है। तुम्हीं ने बताया है कि आजकल वह
इसे गोदाम के लिये इस्तेमाल कर रहे है। मैने जल्दी से फाइल मे से एक कागज निकाल कर
कुछ लिखा और उनकी ओर बढ़ाते हुए कहा… यह तुम्हारा बयान है कि इस शेड का इस्तेमाल गोदाम
की तरह हो रहा है। इस कागज पर दस्तखत करो क्योंकि यह शेड मुझे अभी सील करना है। यह
साले पैसे वालो ने कानून को मजाक समझ लिया है।
मामला तूल पकड़ता हुआ देख कर एकाएक दोनो चौकीदारों
ने हाथ जोड़ते हुए कहा… हम लोग गरीब आदमी है साहब। इस पचड़े मे हमे मत उलझाईए। …तुम्ही ने बताया है कि वह इसे गोदाम की तरह इस्तेमाल
कर रहे है। मुझे अब इसे सील करना पड़ेगा। अब तक सड़क पर कुछ फैक्टरी मे काम करने वाले
लोग भी इकठ्ठे हो गये थे। वह भी हमारी बात सुन रहे थे। अबकी बार मैने उनसे कहा… भई
इन्हें आप ही समझाओ कि सरकारी काम मे रुकावट डालने के जुर्म मे दोनो को अन्दर करवा
दूंगा। मैने इनसे कहा कि अगर तुम्हें कुछ भी पता नहीं है तो दरवाजा खोल कर अन्दर से
दिखा दो तो यह दरवाजा खोलने को तैयार नहीं है। फैक्टरी के बारे मे पूछता हूँ तो कहते
पता नहीं है। खुद बताते है कि यह गोदाम है तो जब मै पूछता हूँ कि किस चीज का गोदाम
है तो कहते है साहब से जाकर पूछ लो। जब इनसे इनके बयान पर दस्तखत लेकर फैक्टरी सील
करना चाहता हूँ तो अब यह फिर मुझे टहलाने की कोशिश कर रहे है। इतना बोल कर मै चुप हो
गया तो वहाँ खड़े हुए कुछ लोगों मे एक आदमी बोला… साहब यह गरीब लोग है। इन बेचारों को
क्या पता? मैने उसे तुरन्त टोकते हुए कहा… शिकायत हुई है तो जाँच के लिये आया हूँ।
साले मालिक छिप कर बैठ जाते है और इनके साथ हमे सिर फोड़ना पड़ता है। भाई अगर तुम्हें
कुछ भी पता नहीं है तभी तो मैने कहा था कि गेट खोल कर अन्दर से दिखा दो ताकि मै अपनी
रिपोर्ट तो बना दूँ। यह उसके लिये भी तैयार नहीं है। अचानक एक आदमी बोला… यार खोल कर
दिखा दे तो यह अपनी रिपोर्ट बना कर चला जाएगा। एकाएक चौकीदार बोला… चलो साहब, मै आपको
दिखा देता हूँ। इस मामले को यहीं खत्म कर दिजिये। बस आपकी रिपोर्ट मे हमारा नाम नहीं
आना चाहिये। मामला सुलझते ही जमा हुई भीड़ छटने लग गयी थी।
लोहे के गेट का ताला खोल कर एक चौकीदार मेरे
साथ चल दिया और दूसरा चौकीदार गेट पर तैनात हो गया था। शेड खाली पड़ा था। एक कोने मे
जंग लगा हुआ कुछ सामान बिखरा हुआ पड़ा था। दूसरे कोने मे कुछ आफिस का टूटा और पुराना
फर्नीचर पड़ा था। नीलोफर के दोनो सील्ड कंटेनर ट्रक एक किनारे मे खड़े हुए थे। दोनो ट्रकों
पर बिलावल ट्रांस्पोर्ट लिखा हुआ था। …इन ट्रकों मे क्या है? …पता नहीं साहब। जब से
हमारी ड्युटी लगी है तभी से यह ट्रक यहाँ ऐसे ही खड़े है। वापिस लौटते हुए मैने कहा…
यह तो खाली शेड है और तुम इसे गोदाम कह रहे थे। अगर मै अपनी रिपोर्ट मे गोदाम का जिक्र
कर देता तो सेठी साहब तुम्हारी खाल खिंचवा देते। शेड को खुलवाने मे बीस लाख से कम का
जुर्माना नहीं लगता। बात करते हुए हम दोनो बाहर निकल आये थे। एक बार गेट को ताला लगा
कर मेरे पास आकर वह चौकीदार बोला… जनाब हमारा जिक्र मत करना। हम गरीब लोग है। मैने
जीप मे बैठते हुए मुस्कुरा कर कहा… तुम्हारा जिक्र नहीं करुँगा। यह बंदूक लेकर खड़े
हुए हो क्या इसको चलाने की ट्रेंनिंग ली है? दोनो झेंप कर हँस दिये थे। उन्हें वहीं
छोड़ कर मै अपने आफिस की ओर चल दिया था।
रात के आठ बज रहे थे। मैने अजीत सर को फोन
मिलाया लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया तो मैने जनरल रंधावा को फोन किया…हैलो। …सर,
मै समीर बोल रहा हूँ। एक रेड के लिये मुझे दस बारह सैनिकों की टुकड़ी आज रात को चाहिये।
उनमे दो ट्रक चलाने वाले ड्राईवर भी होने चाहिये। अजीत सर को फोन मिला रहा था लेकिन
वह शायद फोन लेने की स्थिति मे नहीं है इसलिये आपको तकलीफ दे रहा हूँ। …मेजर, फौरन
आफिस पहुँचो। बस इतनी बात करके उन्होंने फोन काट दिया था। जब मै आफिस पहुँचा तो माहौल
मे काफी तनाव लग रहा था। मै अपने आफिस मे अभी पहुँचा भी नहीं था कि अजीत सर अपने कमरे
से निकल कर वीके के कमरे मे जा रहे थे कि तभी उनकी नजर मुझ पर पड़ी तो वह रुक गये थे।
…क्या हुआ मेजर? आओ चलो मेरे साथ। हम दोनो वीके के कमरे के साथ लगे हुए कान्फ्रेन्स
रुम मे प्रवेश कर गये थे। पहले से ही अलग-अलग सुरक्षा एजेन्सियों के वरिष्ठ अधिकारी
बैठे हुए थे। अजीत सर मुझे छोड़ कर वीके के साथ जाकर बैठ गये थे।
अजीत ने बोलना आरंभ किया… आज दोपहर को उरी
सेक्टर मे एक फिदायीन हमले मे हमारे सात सैनिक शहीद हो गये थे। उन शहीदों मे एक लेफ्टीनेन्ट
कर्नल भी थे। हमारी फोर्सेज के द्वारा तीन आतंकवादी भी मारे गये थे। यह मीटिंग इस हमले
की खबर देने के लिये नहीं बुलायी गयी है। आईबी की ओर से आपके पास पांच सौ लोगों के
फर्जी नाम व पता भेजे गये थे। तीन मरने वाले आतंकवादियों मे एक उन पाँच सौ मे से था।
उसके पास जो कागजात मिले है वह उसका नाम सोहनलाल बिष्ट बता रहे है। उस आदमी की शिनाख्त
हो गयी है। वह पाकिस्तान के मुल्तान प्रान्त से यहाँ आया था। उसका नाम जमाल शेख है
और वह जैश से जुड़ा हुआ था। आज की मीटिंग आपको यह बताने के लिये बुलायी गयी है कि इस
बार आईबी की चेतावनी को हल्के मे नहीं लेना है। मेरा अनुभव बताता है कि यह किसी बड़ी
आतंकी घटना की टेस्टिंग हुई है। आने वाले समय मे ऐसी वारदातें और भी होंगी इसलिये आप
लोग इन लोगो को ढूंढने मे अपने सारे संसाधन लगा दिजिये। इतना बोल कर अजीत ने वीके की
ओर देखा तो वीके ने कहा… प्रधानमंत्रीजी की ओर से सख्त निर्देश है कि आतंकवादी हमला
अब देश मे कहीं नहीं होना चाहिये। जैसे पिछले कुछ सालों मे आतंकवाद कश्मीर घाटी से
निकल कर पूरे देश मे फैल गया था लेकिन अब उसे कश्मीर घाटी तक सिमित रखना है। सख्त आदेश
का मतलब इस सरकार मे सख्त माना जाना चाहिये। अगर किसी से कोई चूक हुई तो फिर परिणाम
भुगतने के लिये तैयार रहियेगा। जो डीजीपी आज किसी कारणवश नहीं आ पाये है उनको भी इस
मिटिंग के बारे मे सुचित कर दिया जायेगा।
अचानक एक डीजीपी ने कहा… सर, पाँच सौ लोगो
की फर्जी जानकारी भेज कर आईबी ने अपने हाथ झाड़ लिये है। अगर कोई घटना नहीं घटती तो
कोई बात नहीं मगर जब घट जाती है तो सारा दोष हमारे सिर पर मढ़ दिया जाता है। आप ही सोचिये
कि ऐसी खबर पर हम कैसे आगे बढ़ सकते है? अचानक अजीत ने उस डीजीपी की ओर देखते हुए कहा…
मिस्टर मूर्ती आपकी बातों से मुझे ऐसा प्रतीत हो रहा है कि आप इस खतरे को सही से आंकलन
करने मे अस्मर्थ है। मुझे नहीं लगता कि आप इतनी बड़ी पुलिस फोर्स के मुखिया बनने के
लायक है। अगर आपको ऐसा लगता है कि आप मुख्यमंत्री के लिये काम कर रहे है तो अच्छा होगा
नौकरी छोड़ कर राजनीति मे उतर जाइये। अब अगर आपके राज्य मे एक भी वारदात हुई तो मै खुद
आपके खिलाफ एक्शन लूँगा और कोशिश करुँगा कि आपको उन मौतों का दोषी बनाया जाये। एक पल
मे ही सारे डीजीपी और अन्य सुरक्षा एजेन्सियों के अधिकारी चौकन्ने हो गये थे। मूर्ति
की भरी सभा मे जिस प्रकार की बेइज्जती की गयी थी वह अब कुछ भी बोलने की स्थिति मे नहीं
था। तभी वीके ने कहा… मिस्टर मूर्ति एक और बात आप को बतानी है। सतर्कता आयोग की रिपोर्ट
हमारे पास पहुँच गयी है। केन्द्र सरकार एक दो दिन मे उस पर कार्यवाही आरंभ कर देगी।
अगर आप लोग सभी पिछली केन्द्र सरकार के ढुलमुल रवैया की सोच बना कर बैठे हुए है तो
मेरी सलाह है कि जाग जाईये। अगर यह खतरा इतना बड़ा नहीं होता तो इस खतरे से आगाह करने
के लिये आप लोगों को आज यहाँ बुलाया नहीं गया होता। इसलिये इस चेतावनी को गंभीरता से
लिजिये। किसी और को कुछ कहना है तो हम सुनने के लिये ही बैठे है। एक दो मिनट शांति
छायी रही और फिर वीके ने उठते हुए कहा… थैंक्स जेन्टलमेन। इतना बोल कर अजीत और वीके
उन्हें वहीं छोड़ कर निकल गये थे। मै कुछ पल रुका और फिर उनके पीछे निकल गया था। अजीत
ने मुड़ कर मेरी ओर देखा और पीछे आने का इशारा करके दोनो अपने आफिस मे चले गये थे।
…सर, मुझे एक सेना की टुकड़ी चाहिये। शायद आज
ही काठमांडू आप्रेशन के पैसों का इंतजाम हो जाएगा। अजीत ने वीके की ओर एक बार देख कर
कहा… रक्षा मंत्रालय पर स्पेशल फोर्सेज की एक युनिट तैनात है। मै उनके सीओ से कह देता
हूँ। वह तुम्हारे साथ चले जाएँगें। …सर, एक बात और बता दिजिये कि वह ट्रक वहाँ से निकाल
कर कहाँ पहुँचाना है? अबकी बार वीके ने कहा… ट्रक को मानेसर मे एनएसजी के कैंम्पस मे
पहुँचा देना। वहीं के बैंक मे पैसा जमा हो जाएगा और वहीं से काठमांडू भिजवा दिया जाएगा।
…यस सर। मै वहाँ से उठ कर रक्षा मंत्रालय की दिशा मे चल दिया था। रक्षा मंत्रालय पहुंच
कर मै सीधे मुख्य सुरक्षा अधिकारी कर्नल जसवन्त सिंह से जाकर मिला था। वह मेरा इंतजार
कर रहा था। मुझे देखते ही वह बोला… मेजर बट। मैने सैल्युट करके पूछा… सर, आपकी कौनसी
टीम जा रही है। मुझे उस टीम मे दो ऐसे लोग चाहिये जिन्हें ट्रक चलाना आता हो। …आईये
मेजर। मै उसके साथ चल दिया था। एक फौज का ट्रक मंत्रालय के बाहर खड़ा हुआ था। कर्नल
साहब ने स्पेशल फोर्सेज की टुकड़ी के लीडर से मिलाते हुए कहा… यह कैप्टेन यादव है। यह
अपनी टीम को लेकर आपके साथ जाएँगें। मेरे पास समय कम था तो सभी औपचारिक्ताओं को छोड़
कर मैने जल्दी से कहा… कैप्टेन आपके ट्रक की जरुरत नहीं है। आठ लोग आराम से मेरी जीप
मे बैठ सकते है। आईये मेरे साथ। इतना बोल कर मै अपनी जीप की ओर निकल गया था। थोड़ी देर
मे हम सब एक जीप मे बैठ कर इंडस्ट्रियल एरिया की दिशा मे जा रहे थे।
जैसे ही इंडस्ट्रियल एरिया मे प्रवेश किया
मेरी नजर निकासी द्वार की ओर चली गयी थी। दो एक जैसे दिखने वाले ट्रक निकासी द्वार
पर पेपर चेक करवाने के लिये खड़े थे। दोनो के उपर बिलावल ट्रांसपोर्ट लिखा हुआ देख कर
मैने जल्दी से ब्रेक मारे और जब तक जीप मोड़ कर निकासी की सड़क पर उनके पीछे पहुँचता
तब तक वह मुख्य सड़क की ओर मुड़ते हुए दिख गये थे। दोनो ट्रक सामान्य गति से अपने गंतव्य
स्थान की ओर जा रहे थे। मैने पीछे वाले ट्रक के नम्बर को चेक किया तो यकीन हो गया कि
वही ट्रक था जिसे मैने शाम को दीपक सेठी के गोदाम मे देखा था। अगर किसी कारण आज थोड़ी
देर हो जाती तो हमे गोदाम खाली मिलता। अपने साथ बैठे हुए कैप्टेन यादव को मैने इंटर्सेप्शन
का इशारा किया और जीप की गति बढ़ाते हुए दोनो ट्रक से आगे निकल गया। कुछ देर उनके आगे
चलते रहा और जैसे ही एक सुनसान जगह दिखी मैने अपनी जीप आढ़ी खड़ी कर सड़क के बीचोंबीच
रोक दी थी। जब तक दोनो ट्रक वहाँ तक पहुँचते तब तक आठ सैनिक सड़क पर अपनी स्वचलित एके-203
तान कर खड़े हो गये थे। मैने हाथ देकर उन्हें ट्रक रोकने का इशारा किया। दोनो ट्रकों
ने इमरजेन्सी ब्रेक लगाये जिसके कारण टायर घिसने की आवाज हुई और फिर गति धीमी करते
हुए हमारे सामने आकर रुक गये थे।
…अपने कागज दिखाओ। ट्रक चालक ने अपने कागज
निकाल कर उसमे कुछ नोट रख कर मेरी ओर बढ़ा दिये थे। मैने एक सरसरी नजर मार कर कहा… अबे
ट्रक के कागज नही चाहिये। मुझे सामान की इन्वोइस दिखा। एक पल के लिये वह मेरी बात सुन
कर घबरा गया था। वह जल्दी से बोला… खाली ट्रक है साहब। तब तक कैप्टेन यादव पीछे वाले
ट्रक के ड्राईवर और क्लीनर को भी वहीं ले आया था। तब तक एक सैनिक ने मेरी जीप बीच रास्ते
से हटा दी थी। मैने दूसरे ड्राईवर से भी वही सवाल किया तो उसका भी जवाब वही था। …चलो
खोल कर दिखाओ। अबकी बार सभी के चेहरे पर हवाईयाँ उड़ती हुई साफ दिख रही थी। मै उन्हें
लेकर पीछे निकल गया था। कंटेनर के दरवाजे पर सील लगी देख कर मैने कहा… खाली ट्रक के
दरवाजे को भी सील लगा कर ले जाते हुए मैने पहली बार देखा है। दूसरे ट्रक का ड्राईवर
ज्यादा समझदार बनते हुए बोला… साहब, जाने दिजिये। कुछ और पैसे रख लिजिये। उसने सिर्फ
इतना बोला ही था कि कैप्टेन यादव ने घुमा कर उसके गाल पर एक झन्नाटेदार तमाचा जड़ दिया
था। …चटाख… की आवाज रात की वीरानी मे गूंज गयी थी।
मैने जल्दी से कहा… कप्टेन दोनो ट्रकों को
कब्जे मे ले लिजिये। ट्रक नेपाल का है। कोई पर्मिट की कापी नहीं है। कन्टेनर सीलबंद
है परन्तु उसमे रखे हुए सामान की इन्वोइस नहीं है। …तेरा क्या नाम है? …गुड्डू। कैप्टेन
यादव ने एक बार फिर हाथ दिखा कर बोला… साले सही नाम बोल। …परवेज मोहम्मद। …ड्राईविंग
लाईसेन्स दिखा। …साहब नहीं है। मैने इशारा किया तो कैप्टेन यादव ने उनके हाथ से ट्रक
की चाबी लेकर अपने साथ खड़े एक सैनिक के हाथ मे देते हुए कहा… दोनो ट्रकों को लेकर पीछे
आओ। मैने जल्दी से एक कागज पर एक फर्जी पुलिस स्टेशन का पता लिख कर परवेज मोहम्मद के
हाथ मे रखते हुए कहा… नेपाल से ट्र्क के मालिक और सामान के मालिक को बुलवा कर थाने
मे पहुँच जाना। वहीं पर उनके सामने सब कुछ खोल कर जो भी जुर्माना बनेगा उसे जमा करके
छुड़ा लेना। इस सड़क पर ट्रक प्रतिबन्धित है। यह सड़क सिर्फ सेना की गाड़ियों के लिये है।
अगर इतना भी नहीं पता है तो भुगतो। उन चारों को वहीं छोड़ कर उनके मोबाईल और कागजात
लेकर हम कुछ ही देर मे मानेसर की ओर जा रहे थे।
…सर, इस ट्रक मे क्या है? …यह तो मुझे भी नहीं
पता है। हमे बस खबर मिली थी कि नेपाल से दो ट्रकों के द्वारा भारत मे जाली करेंसी लायी
जा रही है। रास्ते के सारे नाके चेक करते हुए हमे पता चला था कि वह दोनो ट्रक इंडस्ट्रियल
एरिया मे है। जैसे ही मेरी नजर इन दो ट्रकों पर पड़ी तो मैने शक के आधार पर इनका पीछा
किया था। नेपाल का रजिस्ट्रेशन नम्बर देख कर मैने इन्हें इन्टर्सेप्ट करने का निर्णय
लिया था। अब कैंम्पस मे पहुँच कर देखेंगें कि इन ट्रकों मे क्या है। …मेजर साहब, आप
कौनसी युनिट से है। …15वीं कोर के आप्रेशन्स विंग। …आप श्रीनगर से है। …हाँ। तुम लोग
कहाँ से आये हो? …सर, हम पहले असम मे थे। पिछले महीने ही हमने यहाँ जोईनिंग दी है।
…वहाँ का क्या हाल है? …सर, घुसपैठ के कारण बुरा हाल है। सीमा सुरक्षा बल वाले सोते
रहते है या पैसे खा कर घुसपैठ होने देते है। सारी घुसपैठ बंगाल की सीमा पर धड़ल्ले से
चल रही है। वहाँ से वह असम और पूर्वी राज्यों मे चले आते है। यही बात करते हुए हम एनएसजी
के कैंम्पस मे प्रवेश कर गये थे। बड़ा विशाल कैंम्पस था। जैसे ही हम आगे बढ़े कि तभी
मेरी नजर एक कार पर पड़ी जिसके साथ जनरल रंधावा खड़े हुए थे। मैने जीप उनके पास लेजा
कर रोक दी और मुस्तैदी से सैल्युट करके पूछा… सर, आप इतनी रात को यहाँ कैसे? …मेजर,
दोनो ट्रकों को लेकर सामने वाले शेड मे खड़ा कर दो। मैने कैप्टेन यादव को इशारा किया
और वह मेरी जीप और दोनो ट्रकों अपने पीछे लेकर चल उस दिशा मे चल दिया था।
…आओ मेजर। मै जनरल रंधावा की कार मे बैठ कर
उस शेड की ओर चल दिया था। शेड मे पहुँचते ही जनरल रंधावा ने कंटेनर की सील तोड़ कर दरवाजा
खोलने के का इशारा किया तो दो सैनिक सील तोड़ने मे जुट गये थे। मुश्किल से पाँच मिनट
मे दोनो कंटेनर के दरवाजे खुल गये थे। दो ट्रकों मे आठ लोहे के बड़े-बड़े ट्रंक रखे हुए
थे। एक सैनिक ट्रक पर चढ़ गया और एक ट्रंक का डक्कन खोल कर जैसे ही टार्च की रौशनी मे
अन्दर देख कर जोर से चीखा… साबजी, यह तो नोटों से भरा हुआ है। थोड़ी देर मे सभी ट्रंक
खोल कर देखने के बाद जनरल रंधावा ने कहा… मेजर, आप्रेशन काठमांडू लांच करने का समय
आ गया है। …सर, इसके आधे पैसे हमे उस इन्फार्मर को देने पड़ेंगें जिसने इसकी सूचना मुझे
दी थी। …कोई बात नहीं। फिलहाल यह युनिट आज रात को यही पहरा देगी। कल सुबह इसे बैंक
के हवाले कर देंगें। तुम अब क्या करोगे? …सर, मै इनके साथ यहीं पर गार्ड ड्युटी पर
हूँ। कल आप लोग सुबह आ जाईएगा। बैंक का काम समाप्त करके ही फिर वापिस जाऊंगा। …ओके
माईबोय। यह बोल कर जनरल रंधावा वहाँ से चले गये थे।
कैप्टेन यादव की युनिट मे दबी जुबान मे अन्दाजा
लगाया जा रहा था। कुछ देर बाद कैप्टेन यादव ने पूछा… सर, कितना होगा? …लगभग दस करोड़
रुपये है। यह आईएसआई के पैसे है जिन्हें वह यहाँ पर विस्फोट और आतंकवाद के लिये इस्तेमाल
करने वाले थे। सारी युनिट वाले मेरी बात सुन रहे थे। तभी एक सैनिक बोला… साबजी अगर
हमारे भी कुछ लोग सीमा पार होते तो इसी पैसों से उनके कुछ इलाकों मे हम भी तहलका मचा
देते। मियाँ जी की जूती और मियाँ जी का सिर वाली कहावत चरितार्थ हो जाती। सभी ने उसकी
बात पर एक जोर का ठाहाका लगाया और एक बार फिर से दोनो ट्रकों की सुरक्षा मे जुट गये
थे।
अगली सुबह अजीत, वीके और जनरल रंधावा दस बजे
तक मानेसर पहुँच गये थे। उन्होंने आते ही सबसे पहले आठों लोहे के ट्रंक बैंक के सुपुर्द
कर दिये गये थे। हम एनएसजी की मेस मे बैठ कर नाश्ता कर रहे थे कि अजीत सर ने पूछा…
मेजर, रंधावा ने बताया है कि इस सूचना के लिये आधे पैसे इन्फार्मर को देने है। कौन
है तुम्हारा इन्फार्मर? मै एक पल चुप रहा और फिर मैने जल्दी से कहा… सौम्या कौल। तीनों
के चेहरे पर एक मुस्कान तैर गयी थी। अजीत ने हंसते हुए कहा… यह वही फारुख के पैसे है
जिसे लेकर नीलोफर गायब हो गयी थी। …यस सर। वीके ने हंसते हुए कहा… मै जानता था। …परन्तु
सर, एक बहुत बड़ा मौका हमारे हाथ से निकल गया। यह ट्रक दीपक सेठी के गोदाम मे खड़े हुए
थे। अगर यह ट्रक वहाँ पकड़े जाते तो वामपंथी प्रोपोगंडा चलाने वाले की गरदन हमारे हाथ
मे आ जाती। …मेजर, दीपक सेठी की गरदन अभी भी हमारे हाथ मे है। तुम उसकी चिन्ता छोड़
दो। आप्रेशन काठमांडू की योजना तैयार करो। …सर, मै सिर्फ अपने पेपर्स के तैयार होने
का इंतजार कर रहा हूँ। हम लोग बात करते हुए मेस से बाहर निकल आये थे। वह तीनो आफिस
के लिये निकल गये थे और मै अपने फ्लैट की ओर चल दिया था। कैप्टेन यादव ने अपने लिये
ट्रांस्पोर्ट का इंतजाम पहले ही कर लिया था और वह अपनी युनिट को लेकर वापिस चला गया
था।