गहरी चाल-9
जनरल हेडक्वार्टर्स,
रावलपिंडी
जनरल शरीफ के सामने
आईएसआई का निदेशक लेफ्टीनेन्ट जनरल मंसूर और पाकिस्तानी नौसेना का मुखिया एड्मिरल शौकत
मिर्जा मेज पर बिछे हुए नक्शे पर निगाहें गड़ाये हुए दबे हुए स्वर मे बात कर रहे थे।
जनरल मंसूर ने धीरे से कहा… जनाब, पिछले भेजे हुए कुअर्डिनेट्स इस हिस्से मे है। आप्रेशन
खंजर के लिये यही उपयुक्त टार्गेट लगता है। भारत की खुफिया एजेन्सियाँ सोच भी नहीं
सकती कि हम उनके सीने पर भी वार कर सकते है। शौकत क्या आप्रेशन खंजर को अंजाम दिया
जा सकता है? एड्मिरल शौकत मिर्जा काफी देर से सारी योजना को चुपचाप सुन रहा था। कुछ
सोच कर बोला… जनरल शरीफ, यह सही है कि अगर फिदायीन दस्ता किसी तरह से उन कुअर्डिनेट्स
पर पहुँच गये तो हमारी नौसेना उनको सुरक्षा कवर दे सकती है। उसके बाद भारतीय नौसेना
को रोकना हमारे लिये बेहद आसान हो जाएगा। इस
योजना मे एक ही मुश्किल है कि उन कुअर्डिनेट्स पर वह लोग कैसे पहुँचेंगें।
जनरल शरीफ ने जनरल
मंसूर की ओर देखा तो वह जल्दी से बोला… जनाब, आईएसआई इस आप्रेशन का संचालन नेपाल से
करेगी जिसके लिये हमारी कुछ तंजीमे बांग्लादेश मे अभी से सक्रिय हो गयी है। …हमारी
कौनसी तंजीम इस कार्य को करेगी? …जनाब, हमारी तंजीमों का संयुक्त जिहाद मोर्चा इस काम
को अंजाम देगा। दारुल-उलुम-हक्कनियाँ और जमात
की देखरेख मे जैश, लश्कर और हरकत-उल-अंसार इस आप्रेशन को अंजाम देंगी। जैश और लश्कर
कश्मीर मे सेना का ध्यान भटकायेगी, हरकत-उल-अंसार संसाधन और जिहादियों के प्रशिक्षण
का इंतजाम करेगी और हिज्बुल और अन्य तंजीमों से से छाँटे हुए जिहादियों का उन कुअर्डिनेट्स
पर हमला होगा। इंशाल्लाह अगर सही समय पर खंजर दुश्मन मुल्क के सीने मे घुस गया तो उसकी
चीख निकल जाएगी। एड्मिरल शौकत मिर्जा ने तुरन्त टोकते हुए कहा… जनरल मंसूर, उन कुअर्डिनेट्स
पर पहुँचना उनके लिये क्या इतना आसान होगा?
जनरल शरीफ ने सिर
हिलाते हुए कहा… जनरल मंसूर, नेपाल मे आईएसआई का कौन संचालन कर रहा है? …जनाब, ब्रिगेडियर
शुजाल बेग ने वहाँ की कमान संभाल रखी है। वही हमारे ढाका दूतावास के जरिये तंजीमो के
साथ संपर्क मे है। …मंसूर, उन कुअर्डिनेट्स पर पहुँचने की क्या योजना है? …जनाब, संयुक्त
तंजीमों का मोर्चा उसी योजना को अंतिम रुप देने मे व्यस्त है। जनरल शरीफ ने उठते हुए
पूछा… शौकत, आज ही करांची वापिस जा रहे हो? …जी जनाब। …ठीक है। जनरल मंसूर से लगातार
संपर्क मे रहना। आप्रेशन खंजर मे हमारी नौसेना की मुख्य भुमिका रहेगी इसीलिए तैयारी
मे कोई ढील नहीं होनी चाहिये। …जी जनाब। …अल्लाह हाफिज। इतनी बात करके जनरल राहिल शरीफ
कमरे से बाहर निकल गया और उसके पीछे दोनो बात करते हुए अपनी-अपनी कारों की ओर निकल
गये थे।
आफिस मे बैठ कर मै
रात की बात सोच रहा था। तबस्सुम मेरे दिमाग पर छायी हुई थी जिसके कारण मै ठीक से सोच
भी नहीं पा रहा था। उसने बताया था कि पेंडारकार परिवार हमे हिन्दु समझते है। उसकी बात
सुन कर मै चौंक गया था। जब मैने पूछा कि उन्हें इस मामले मे झूठ बोलने की जरुरत क्या
थी तो उसने मुझे मेरी असलियत याद दिलाते हुए कहा कि मैने तो सच ही तो बताया था कि आप
काफ़िर है। उन्होंने मुझसे तो नहीं पूछा था कि मै कौन हूँ। मै जितनी बार भी उससे बात
करता उतनी बार मै अपनी ही नजरों मे और गिरता जा रहा था। अब मुझे इस झूठ के रिश्ते मे
घुटन महसूस होने लगी थी। आफिस पहुँच कर भी तबस्सुम की बातें मेरे दिमाग मे घूम रही
थी। सुबह आफिस के लिये निकलते हुए उसने मुझसे काले मनकों की एक माला खरीद कर लाने के
लिये कह दिया था। तबस्सुम अब शिखा का अनुसरण करते हुए अपने आप को उसके अनुसार ढालने
का प्रयास कर रही थी। इतने दिन साथ रहने के कारण अब मुझे उसकी आदत सी हो गयी थी। अब
मुझे उसके लिये कोई स्थायी इंतजाम करने की जरुरत महसूस होने लगी थी।
फोन की घंटी ने मेरा
ध्यान तोड़ दिया था। …हैलो। अजीत सर की आवाज मेरे कान मे पड़ी… मेजर, मेरे आफिस मे आ
जाओ। दिमाग की सारी खलल त्याग कर मै अजीत सर के आफिस की ओर चला गया था। वहाँ पहले से
ही वीके और जनरल रंधावा बैठे हुए थे। अजीत ने मुझे
देखते ही पूछा… मेजर, क्या उन फाईलों को देख लिया? मैने अचरज से उनकी ओर देखा तभी वीके
ने कहा… अजीत अभी मैने इसको वह फाईले नहीं दी है। पहले इसके आफिस मे लाकर का इंतजाम
करना पड़ेगा। अजीत खड़े होकर बोले… तो चले? सब उठ कर आफिस के बाहर चल दिये थे। मै भी उनके साथ चल दिया था। थोड़ी देर के बाद
साउथ ब्लाक के मुख्य द्वार पर एक फौज की मिनी बस के सामने हम खड़े हुए थे। हम चारों
के बैठते ही मिनी बस वहाँ से निकल गयी थी। कुछ ही देर मे एक अज्ञात सुरंग से निकलते
हुए हम एक स्थान पर पहुँच कर रुक गये थे। वह पार्किंग जैसी जगह लग रही थी। ड्राइवर
ने दरवाजा खोलने से पहले कहा… आप सब अपना फोन और सभी इलेक्ट्रानिक समान यहीं छोड़ दिजिये।
सभी अपने फोन स्विच आफ करके ड्राइवर के हाथ मे पकड़ा कर मिनी बस से उतर कर एक दिशा मे
चल दिये थे।
हम एक लम्बे से गलियारे को पार करके लिफ्ट
के सामने पहुँचे तब वीके ने कहा… मेजर, यह हमारा स्ट्रेटिजिक सेन्ट्रल कमांड सेन्टर
है। यहाँ से आगे की हर बात गुप्त रहनी चाहिये। …यस सर। सुरक्षाकर्मियों ने हमारी तलाशी
ली और एक्सरे मशीन के सामने से निकाल कर ही हम आगे जा सके थे। लिफ्ट ने हमे एक जगह
छोड़ा जहाँ से फिर एक गलियारे से होते हुए हम एक विशाल से हाल मे पहुँच गये थे। उस हाल
मे प्रवेश करते ही मेरी आँखें फटी की फटी रह गयी थी। दीवार पर विशाल पाँच सक्रीन लगे
हुए थे। चारों ओर कंप्युटर टर्मिनल पर सेना के अधिकारी बैठे हुए अपने-अपने काम मे व्यस्त
थे। करीब पचास-साठ लोगों की उपस्थिति होने के बावजूद वहाँ सन्नाटा छाया हुआ था। हाल
के बीचोंबीच बड़ी सी गोल शीशे की मेज लगी हुई थी और उसके चारों ओर खाली कुर्सियाँ पड़ी
हुई थी। एक लेफ्टीनेन्ट जनरल की रैंक का अधिकारी हमारी ओर आया और वीके को सैल्युट करके
बोला… सर, आपका मेसेज मिल गया था। बताईये क्या करना है? हम चलते हुए एक किनारे मे बने
हुए रुम मे आ गये थे। सबके बैठते ही मै भी एक किनारे मे बैठ गया था। कुछ क्षण शान्ति
छायी रही और फिर वीके ने बोलना आरंभ कर दिया।
…यह हमारा स्ट्रेटिजिक कमांड सेन्टर है। इसको
हम लोग लास्ट लाइन आफ डिफेन्स कहते है। जनरल मोहन्ती की देखरेख मे यह सेन्टर चौबीस
घंटे काम करता है। देश के कुछ चुनिन्दा लोगों को इसकी जानकारी है। यहाँ पर बाहर का
कोई आदमी नहीं घुस सकता और इस जगह की सुरक्षा हमारे लिये सर्वोपरि है। यह कमांड सीधे
एनएसए अजीत सुब्रामन्यम के आधीन है। जनरल मोहंती आप जनरल रंधावा को तो अच्छी तरह से
जानते है। यह मेजर समीर बट है। यह एनएसए के विशेष सहायक के पद पर काम कर रहे है। इतना
बोल कर वीके चुप हो गये थे। जनरल मोहन्ती ने कहा… सर प्रोटोकोल बताने से पहले आपको
सारे स्टेशन्स से परिचय करा देता हूँ। इतना बोल कर वह हमे लेकर वापिस हाल मे आ गया
था।
जनरल मोहन्ती एक किनारे मे खड़े होकर बोले…
इस वक्त हम सेटेलाईट-1 स्टेशन पर खड़े हुए है। यह स्टेशन पृथ्वी के चक्कर लगाती हुई
हमारी सभी सेटेलाइट्स पर निगाह रखता है। जरुरत पढ़ने पर हम उनसे दुनिया के किसी भी हिस्से
की जानकारी ले सकते है। सेटेलाईट-2 स्टेशन हमारी सभी सैन्य सेटेलाईट से संपर्क मे रहता
है। हम यहाँ से इसरो के द्वारा उन सेटेलाइट्स को अपनी जरुरत के अनुसार दुनिया के किसी
भी स्थान पर केन्द्रित कर सकते है। पाँच सैन्य अधिकारी कान पर हेडफोन लगाये लगातार
इसरो के स्टेशन से संपर्क स्थापित किये हुए थे। उनके कंप्युटर स्क्रीन पर लगातार सात
अंकों के नम्बर उभर कर आते जा रहे थे जिनको देखते ही वह सामने लगी हुई बड़ी सी स्क्रीन
पर नक्शे पर देख कर लगातार इसरो को निर्देश देते जा रहे थे। सेटेलाईट स्टेशन-3 भारतीय
संचार माध्यम से जुड़ी हुई है। यह भारत मे होने वाली सभी प्रकार की ट्रांसमिशन्स का
रियल टाइम सूचना केन्द्र है। इस स्टेशन पर ज्यादा कंप्युटर टर्मिनल लगे हुए थे। सभी
अधिकारियों की नजरे अपनी-अपनी स्क्रीन पर जमी हुई थी। हम जैसे देखने वालों के लिये
लाल-हरी-नीली-संतरी रंगों की रेखाओं के बुने हुए जाल से ज्यादा कुछ नहीं था। …सर, इसको
हम लिसनिंग आउटपोस्ट कहते है। यहाँ पर मोबाईल फोन, रेडियो और टीवी के ट्रांसमिशन्स
पर लगातार नजर रखी जा रही है। जनरल रंधावा ने सिर हिला दिया और आगे बढ़ गये थे। मैने
आगे बढ़ते हुए हुए जनरल मोहन्ती से पूछा… सर, सोशल मिडिया पर आप कैसे नजर रखते है?
…मेजर, सिर्फ वही हमारी पकड़ के बाहर है। वह सभी बाहर की कंपनियाँ है और उनके सर्वर
भी देश के बाहर है। उनका सारा डाटा हमारे नेटवर्क पर आते ही हमारी नजर मे आ जाता है
परन्तु एन्क्रिप्शन के कारण हम उसे पढ़ने, सुनने और समझने की स्थिति मे नहीं है। जब
तक वह अपने एन्क्रिप्शन कोड का एक्सेस नहीं देते तब तक वह हमारे लिये कचरे से ज्यादा
कुछ नहीं है। इन सभी स्टेशन्स को हम सेन्ट्रल सेटेलाइट टर्मिनल कहते है।
जनरल मोहन्ती ने हाल के दूसरे कोने की ओर जाते
हुए कहा… सर, अब हम स्ट्रेटिजिक कमांड के नर्व सेन्टर की ओर जा रहे है। हम एक नये विशाल
से स्टेशन पर पहुँच गये थे। यहाँ कंप्युटर टर्मिनल ज्यादा थे और उसी के अनुसार बैठे
हुए लोग भी ज्यादा थे। सभी वायुसेना की वर्दी मे थे तो पहली नजर मे पता चल गया था कि
यह वायुसेना से जुड़ा हुआ स्टेशन है। …यह ट्रमिनल-2 हमारी वायुसेना का कमांड स्टेशन है। हमारी वायुसेना
का छोटे से छोटा रेडार इस स्टेशन से जुड़ा हुआ है। सारे उड्यन सिविल व वायुसेना के एयरपोर्ट्स
इस स्टेशन से जुड़े हुए है। उसे देखते हुए हम और आगे बढ़ गये थे। …यह टर्मिनल-3 हमारी नौसेना के साथ जुड़ा हुआ है। हमारे सभी प्रकार
के बंदरगाह इससे जुड़े हुए है। यहीं पर नौसेना की रियल टाइम सूचना मिलती है कि हमारी
नौसेना के जहाज, पनडुब्बियाँ और अन्य बेड़े दुनिया के किस कोने मे स्थित है। यहाँ पर
सभी नौसैनिक बैठे थे।
…आईये आपको टर्मिनल-1 की ओर लेकर चलता हूँ।
हम उस हाल की तीसरे हिस्से की ओर चल दिये थे। यह हमारी थलसेना का टर्मिनल है। इसी टर्मिनल
पर हमारे सारे स्ट्रेटेजिक आधुनिक मिसाईल सिस्टम का नियंत्रण केन्द्र है। त्रिशूल,
नाग, आग्नि, इत्यादि व अन्य परमाणु केरियर्स यहीं से कंट्रोल होते है। उस ओर आप देख
रहे है वह हमारी थलसेना की रियल टाइम जानकारी रखते है। हमारी बारह सैन्य सेटेलाइट इसी
ट्रमिनल से संपर्क मे रहती है। यहाँ देश के पूर्वी छोर से पश्चिमी छोर तक हमारी सीमा
पर लगातार यह टर्मिनल नजर रखता है। हमारा चक्कर अभी भी पूरा नहीं हुआ था। एक ओर टर्मिनल
बना हुआ था। परन्तु वह हमे उधर नहीं ले गया था। जनरल रंधावा ने उसके आफिस मे प्रवेश
करते हुए कहा… एक टर्मिनल के बारे मे आपने बताया नहीं। जनरल मोहन्ती ने कहा… वह विदेश
मंत्रालय और रा का टर्मिनल है। हमारा कुछ देशों के साथ सुरक्षा मामले मे कुछ सूचना
के आदान-प्रदान की संधियाँ है। वक्त पड़ने पर जरुरत के हिसाब से हम समय-समय पर इसे चालू
कर देते है। यहीं से प्रधानमंत्री आफिस की हाटलाइन दुनिया के कुछ महत्वपूर्ण राष्ट्राध्यक्षों
के साथ जुड़ी हुई है।
कमरे मे बैठ कर जनरल मोहन्ती ने प्रोटोकोल
के बारे बताना आरंभ कर दिया था। कौनसे टर्मिनल पर किसके आदेश पर तुरन्त जानकारी ली
जा सकती है। मेरी इतनी हैसियत ही नहीं थी तो मै आराम से कमांड सेन्टर के बारे मे सोचने
बैठ गया था। प्रोटोकोल की कहानी समाप्त होते
ही मैने कहा… सर, यहाँ पर हर काम करने वाला तो कोई भी जानकारी निकाल सकता है। मेरी
बात को बीच मे काटते हुए जनरल मोहन्ती ने कहा… नहीं मेजर। प्रोटोकोल सिर्फ एक बात है
परन्तु यहाँ पर हर नेटवर्क स्टेन्ड अलोन यानि एकल नेटवर्क है। एक स्क्रीन पर बैठे हुए
आदमी को दूसरी स्क्रीन की कोई खबर नहीं होती है। एक स्टेशन को पता नहीं कि दूसरे स्टेशन
पर क्या हो रहा है। …सर, यह सारी सूचना यहीं पर एकत्रित होती है अन्यथा अलग-अलग जगह
पर एकत्रित होकर एक उप्युक्त टर्मिनल पर भेजी जाती है? …मेजर, सारी सूचना इकठ्ठी करने
का काम अलग होता है। उस सूचना को एन्क्रिप्ट करने का काम अन्य स्थान पर होता है। वहाँ
से फिर उस सूचना को छान कर जरुरत के अनुसार इस केन्द्र मे भेजा जाता है। बेहद आधुनिक
नेटवर्क सिस्टम है। इसमे सेंधमारी करना नामुमकिन है।
हमारा टूर पूरा हो गया तो वीके हम तीनो को
उसी कमरे मे ले आये थे। अबकी बार अजीत सर ने पहल करते हुए कहा… जनरल रंधावा आप के बैठने
का इंतजाम यहाँ पर कर दिया जाएगा। सारा फील्ड आप्रेशन का संचालन यहीं से होगा। मेजर
भी यहीं पर आपसे संपर्क किया करेगा। कुछ देर बात करने के बाद हम सब वापिस चल दिये थे।
रास्ते मे मैने वीके से कहा… सर, बड़े व्यापक पैमाने पर तैयार किये हुए कमांड सेन्टर
मे आईएसआई सेंधमारी करने मे कैसे सफल हो गया? …मेजर यही तो तुम्हें पता करना है कि
आखिर वह गद्दार कोडनेम वलीउल्लाह आखिर कौन है? यहाँ आने का यही कारण था कि तुम समझ
लो कि सेटेलाइट ग्रिड रेफ़ेरेन्स सिस्टम कितना जटिल है तो भला कोई यहाँ से जानकारी निकाल
कर दुश्मन को कैसे दे रहा है। इतना सब कुछ देखने और सुनने के बाद तो मै और भी ज्यादा
उलझ गया था। थोड़ी देर मे हम वापिस अपने आफिस पहुँच गये थे।
शाम हो गयी थी। मै अपने घर जाने के लिये जीप
मे बैठा ही था कि आफशाँ का फोन आ गया… हैलो। …तुम्हें एक खुशखबरी देनी है कि मेरी कंपनी
ने मुझे दिल्ली के आफिस का हेड बना कर मेरा ट्रांस्फर वहाँ कर दिया है। अगले हफ्ते
तक मै वहाँ पहुँच जाऊँगी। इतने दिनो के बाद अब हम साथ रह सकेंगें। वह अपनी खुशी मे
बोलती जा रही थी। …आफशाँ यह तो बड़ी अच्छी खबर सुनायी है। तुम बताओ मेनका कैसी है? मेरे
पास बोलने को कुछ था नहीं परन्तु सोचने के लिये दर्जन से ज्यादा चीजें हो गयी थी।
…तुमने आसिया को नहीं बताया कि तुम दिल्ली मे हो? …तुम तो जानती हो कि सेना का जीवन
कैसा होता है। अभी दो दिन पहले ही बंगाल से लौटा था। …समीर, अब तुम्हारी कोई कहानी
नहीं चलेगी। मेरी कंपनी मुझे घर और कार की सुविधा दे रही है। अब यह तुम्हारी घुमन्तु
लोगों वाली जिंदगी नहीं चलेगी। …तुम आ जाओगी तो फिर मै क्यों ऐसे रहना चाहूँगा। कुछ
देर उसने मुझसे बात करी और फिर फोन काट दिया था। अदा के स्थानान्तरण के आर्डर भी हो
गये थे। उसकी पोस्टिंग चंडीगड़ के कमान्ड अस्पताल मे हो गयी थी। मेरी जिन्दगी उलझती
जा रही थी। कुछ देर मै ऐसे ही जीप मे बैठ कर सोचता रहा और जब कुछ समझ मे नहीं आया तो
जीप स्टार्ट करके अपने फ्लैट की ओर चल दिया।
अभी कुछ दूर ही गया था कि कुछ ध्यान मे आया
तो मैने जीप सड़क से उतार कर एक पेड़ के नीचे खड़ी करके एक नम्बर लगाया। …हैलो। …नीलोफर,
मुझे तुम्हारी मदद चाहिये। तुमने सौम्या कौल के कागजात कैसे बनवाये थे? …क्यों क्या
हो गया? …तुम बताओगी या नही? …उखड़ क्यों रहे हो? निजामुद्दीन मे साबिर अली नाम का ट्रेवल
एजेन्ट है। उसने मेरे कागज बनवा दिये थे। …क्या मुझे किसी की सिफारिश की जरुरत पड़ेगी?
…अंसार रजा ने मेरे कागज उसी से बनवाये थे। वैसे भी मै तुमसे मिलना चाहती थी। यह बताओ
कि कब मिल सकते हो? …कहाँ मिलना है? …समीर, तुमसे मै बाहर नहीं मिल सकती तो तुम्हें
उसी फ्लैट पर आना पड़ेगा। …ठीक है। कल सुबह दस बजे मिलते है। इतनी बात करके फोन काट
दिया और अपने फ्लैट की दिशा मे चल दिया।
मैने जब फ्लैट मे प्रवेश किया तो मेरी नजर
तबस्सुम पर पड़ी जो किसी से फोन पर बात कर रही थी। मुझे देखते ही वह जल्दी से बोली…
दीदी, वह आ गये है। अब फोन रखती हूँ। इतना बोल कर उसने फोन काट दिया और मेरी ओर देखते
हुए बोली… आज चेहरा क्यों उतरा हुआ है? …कुछ नहीं बस आजकल आफिस मे काम का भार ज्यादा
है। …कुछ पियेंगें? …चाय पिला दोगी तो अच्छा होगा। आरफा कहाँ है? …वह कमरे मे है। इतना
बोल कर वह किचन मे चली गयी थी। मै आरफा के कमरे मे चला गया था। वह बेड पर बैठी किसी
सोच मे डूबी हुई थी। मुझे देखते ही वह खड़ी होने लगी तो मैने कहा… बाहर आ जाओ। तबस्सुम
चाय बना रही है। अभी भी वह हिन्दी समझती नहीं थी लेकिन इशारे और साधारण हिन्दी के शब्द
समझने लगी थी। वह मेरे साथ बाहर निकल आयी थी।
…आरफा, अब आगे का क्या सोचा है? वह जब मेरी
बात नहीं समझी तो एक बार फिर मैने धीरे से समझाते हुए पूछ लिया था। उसने रुक-रुक कर
कहा… वापिस नहीं जाउँगी। …तो फिर यहाँ रहने के लिये तुम्हारे कागज बनवाने पड़ेंगें।
पता नहीं उसे कितना समझ मे आया परन्तु कागज की बात समझ कर उसने जल्दी से सिर हिला दिया
था। तबस्सुम चाय मेरे सामने रखते हुए बोली… अगर इसके कागज बन भी गये तो फिर यह क्या
करेगी? …इसके बारे मे मुझे अपने आफिस मे बात करनी पड़ेगी। कुछ सोच कर मैने पूछा… आरफा,
तुमने तो मूसा और शाकिर के साथियों को भी देखा होगा? एक बार फिर से वही भाषा की मुश्किल
खड़ी हो गयी थी। एक ही सवाल को दो-तीन बार अलग-अलग तरीके से दोहराते हुए जब मैने पूछा
तो उसने जल्दी से कहा… हाँ। …तुम उन्हें पहचान सकती हो? …हाँ कुछ लोगों को पहचान लूँगी।
चाय पीकर मै अपने कमरे मे कपड़े बदलने के लिये चला गया था। हमेशा की तरह मेस से खाना
आ गया था।
अगले दिन मै अजीत सर के सामने बैठा हुआ था।
…सर, मैने आरफा चौधरी को काठमांडू आप्रेशन मे अपने साथ ले जाना चाहता हूँ। …क्या प्लान
है तुम्हारा? …सर, आरफा ने मूसा और शाकिर के साथियों को देखा है। उसका कहना कि वह उनमे
से कुछ को पहचान सकती है। अगर हमे ब्रिगेडियर शुजाल बेग की गतिविधियों पर नजर रखनी
है तो काठमांडू मे अपनी आब्सर्वेशन पोस्ट बनानी पड़ेगी। आरफा ने अगर बांग्लादेश के किसी
आदमी को काठमांडू मे पहचान लिया तो फिर इस साजिश से जुड़ी हुई कड़ियाँ अपने आप खुलनी
आरंभ हो जाएगी। …मेजर, आरफा को लेकर तुम बांग्लादेश क्यों नहीं चले जाते? …सर, सारा
संचालन काठमांडू से हो रहा है। बांग्लादेश मे तो प्यादे बैठे हुए है। उन प्यादों का
वजीर एजाज मूसा अब हमारे कब्जे है तो उनका सारा काठमांडू का नेटवर्क फिलहाल उसे खोज
रहा होगा। यही सही समय है जब हम काठमांडू मे उनके नेटवर्क के जरिये उस साजिश का पता
लगा सकते है। …इसके लिये तुम्हें क्या चाहिये? …आरफा और मेरे लिये नया परिचय चाहिये।
सर, फारुख की लड़की के भी कागजात तैयार करने पड़ेंगें। कुछ पैसे चाहिये जिससे वहाँ पर
एक कंपनी स्थापित की जा सके। अजीत सर ने फोन उठाकर किसी से बात करने के बाद बोले… मेजर,
दोनो लड़कियों को लेकर दिवाकर के पास चले जाओ। वह तुम्हारे लिये उप्युक्त कागज तैयार
करवा देगा। काठमांडू आप्रेशन के लिये वीके और जनरल रंधावा के साथ गोपीनाथ से भी बात
करनी पड़ेगी। तुम कागजात बनवा लो लेकिन काठमांडू के लिये एक-दो दिन मे निर्देश दूंगा।
…यस सर। इतनी बात करके मै उनके आफिस से निकल कर दिवाकर के पास चला गया था।
रविकांत दिवाकर हमारे आफिस मे एडमिनिस्ट्रेशन
काम संभालता था। वह एक समय पर अजीत सर के साथ आईबी मे इन्सपेक्टर के पद पर काम करता
था। सेवानिवृत होने के बाद अजीत सर ने उसे अपने आफिस मे सारे ऐसे कामों के लिये रखा
हुआ था जिन कामो को किसी दूसरे मंत्रालय के द्वारा करवाया जाता था। दिवाकर के बारे
मे अजीत सर ने बताया था कि सरकार का ऐसा कोई मंत्रालय नहीं था जहाँ दिवाकर किसी को
जानता नहीं था। उसका एक कारण भी था कि उसके आईबी जीवन का एक बहुत बड़ा हिस्सा वरिष्ठ
प्रशासनिक अधिकारियों, न्यायाधीशों व मंत्रियों और उनके निजि स्टाफ की जाँच की रिपोर्ट
बनाने मे गुजरा था। किसी महत्वपूर्ण पद की नियुक्ति बिना आईबी की रिपोर्ट के नहीं हो
सकती थी और इसीलिये दिवाकर को सभी छोटे और बड़े अधिकारी जानते थे। अजीत सर के साथ काम
किया था तो उसकी इमानदारी और कर्मठता पर कोई प्रश्नचिन्ह भी नहीं लगा सकता था। मै उस
वृद्ध आदमी के सामने बैठ कर बोला… दिवाकर सर, छ्द्म नाम के कागजात बनावाने है? …मेजर
साहब, आप सर बोल कर मुझे शर्मिन्दा मत किया किजिये। …देखिये यह सर आपके अनुभव के लिये
है न की रैंक। …आपको क्या चाहिये? …आधार कार्ड, वोटर कार्ड और पासपोर्ट।
…किसके लिये? …तीन लोगों के लिये। उसने मेरी ओर एक बार देखा और फिर बोला… यह किस काम
के लिये चाहिये? …यह मै आपको नहीं बता सकता। आप इसके बारे मे अजीत सर से पूछ सकते है।
…ठीक है मेजर साहब, उन तीनों के फोटो दे दिजिये। मैने पेन ड्राईव उसकी ओर बढ़ाते हुए
कहा… सर, मुझे सभी के हिन्दु नाम से पहचान पत्र बनवाने है। उसने तब तक तीनो फोटो अपने
कंप्युटर पर उतार कर कहा… कोई पता दे दो। मैने अपने और तबस्सुम का पता मुंबई के फ्लैट
का देते हुए कहा… यह फ्लैट अंजली कौल के नाम पर पंजीकृत है। उसकी मृत्यु हो चुकी है
तो तबस्सुम को आप आसानी से अंजली कौल की पहचान दे सकते है। उसके पति के रुप मे मुझे
समीर कौल के नाम से अपना पहचान पत्र चाहिये। …दूसरी लड़की के लिये आपने कोई नाम सोचा
है? …आप उसको सौम्या बिस्वास का नाम दे
दिजिये। …ठीक है मेजर साहब। मुझे कुछ समय दिजिये। मै आप तीनो के कार्ड और पासपोर्ट तैयार करवाता हूँ। उसको धन्यवाद कह कर मै वापिस अपने आफिस
मे आ गया था। बहुत सोचने के पश्चात मै इसी नतीजे पर पर पहुँचा था कि इस तरह शायद तबस्सुम
का भविष्य को हमेशा के लिये सुरक्षित हो सकता है।
मुझे साबिर अली के बारे मे नीलोफर ने बताया
था कि वह अंसार रजा के कहने पर जाली कागज तैयार करवाता था। दारुम उलुम की कहानी सुनने
के बाद मेरी नजर सिकन्दर रिजवी पर थी परन्तु नीलोफर के कहने पर अब साबिर अली पर आकर
टिक गयी थी। अगर वह जाली पहचान पत्र तैयार करवाता था तो जरुर उसके पास इस बात की जानकारी
जरुर होगी कि पिछले कुछ सालों मे उसने किन लोगों को नयी पहचान दी थी। यही सोच कर एक
बार फिर अजीत सर के पास पहुँच गया था। …मेजर, दिवाकर से मिल कर उसे काम समझा दिया?
…जी सर, उन्होंने मुझसे पूछा था किस काम के लिये तो मैने कह दिया कि इसके बारे मे वह
आप से पूछ ले। …कोई बात नहीं। वह मुझसे नहीं पूछेगा। …सर, मुझे पता चला है कि साबिर
अली नाम का आदमी ट्रेवल एजेन्सी की आढ़ मे नकली पहचान पत्र बनाता है। उसको प्रदेश के
एक विधायक अंसार रजा का संरक्षण प्राप्त है। निजामुद्दीन मे उसकी ट्रेवल एजेन्सी का
आफिस है। उसके कंप्युटर पर उन सभी लोगों की जानकारी मिल सकती है जिनके लिये उसने नयी
पहचान तैयार करवायी होगी। गाजियों की सेना के कुछ प्यादे उसके पास भी मिल सकते है।
…मेजर, इस काम के लिये अच्छा होगा कि एक छद्म आप्रेशन करके उसे रंगे हाथ पकड़ा जाये।
तुम दीपक से बात करो उसकी टीम इन कामों मे काफी तेज है। …सर, आईबी को ऐसे काम मे उलझाना
क्या ठीक होगा। मुस्लिम नेता का संरक्षण, मुस्लिम बहुल क्षेत्र और मुस्लिम आरोपी मिल
कर बेहद संवेदनशील काकटेल बन जाता है। अगर आप्रेशन मे कोई कमी रह गयी तो सभी के लिये
मुश्किल खड़ी हो जाएगी और वह साफ बच कर निकल जाएगा। अजीत सर ने कुछ सोच कर कहा… शायद
तुम ठीक कह रहे हो। अगर यह बात सच नहीं साबित हुई तो हंगामा खड़ा हो जाएगा तो तुम क्या
करने की सोच रहे हो? …सर अभी मैने सोचा नहीं है। एक बार मै उस जगह को देख लेता हूँ
उसके बात ही मै कोई जवाब दे सकूँगा। …ठीक है। मै कमरे से बाहर निकल आया और फिर कुछ
सोच कर मै निजामुद्दीन की ओर निकल गया था।
साबिर अली नाम के ट्रेवल एजेन्ट को ढूंढने
मे टाईम जरुर लगा परन्तु वह दुकान आखिरकार मुझे मिल गयी थी। पुलिस थाने के साथ एक पतली
सी गली मे साबिर अली की ट्रेवल एजेन्सी की दुकान थी। अपनी जीप थाने की दीवार के साथ
लगा कर मै गली मे चला गया था। ट्रेवल एजेन्सी का दरवाजा खोल कर जैसे ही मैने अन्दर
प्रवेश किया तो मेरी नजर साबिर अली पर पड़ी जो अपने फोन पर कोई फिल्म चला कर देखने मे
व्यस्त था। अधेड़ उम्र का आदमी था। आँखों मे सुरमा, दाड़ी और सिर के बालों को मेहंदी
से रंग कर सफेद चिकन के कुर्ते मे साबिर अली शक्ल से ही चालू किस्म का इंसान लग रहा
था। …स्लाम वालेकुम बड़े मियाँ। मैने प्रवेश करते ही अभिवादन किया और उसके सामने रखी
हुई कुर्सी पर बैठ गया। वह मुझे पहचानने की कोशिश करते हुए बोला… वालेकुम मियाँ, कैसे
आना हुआ? मैने दबी हुई आवाज मे कहा… जनाब, एक बांग्लादेशी लड़की के लिये कागजात तैयार
करवाने है। कितने पैसे लग जाएँगें? वह मुझे घूर कर देखते हुए घुर्राया… कोई तुम्हें
गलतफहमी हुई है। हम हवाई जहाज की टिकिट कराते है। चलो निकलो यहाँ से मियाँ। मैने जल्दी
से कहा… जनाब मुझे आपके पास विधायक अंसार रजा साहब ने भेजा है। वह तेजी से बोला… अबे
चुप। नेताजी का नाम ऐसे खुलेआम नहीं लेते है। खैर जिसके कागज तैयार करवाने है वह तुम्हारी
क्या लगती है? …आपको उससे क्या करना है। आप तो पैसे बताईये। …ओह इश्क का चक्कर है।
खैर पन्द्रह हजार का आधार कार्ड और दस हजार का वोटर कार्ड है। दोनो बनवाओगे तो बीस
मे काम हो जाएगा। …ठीक है आप दोनो बना दो। …मियाँ तुम सब्जी नहीं खरीद रहे हो। उसको
यहाँ लाओ क्योंकि उसकी हर कार्ड के हिसाब से फोटो खिंचेगी उसी के बाद कार्ड बनेगा।
अब तो शाम हो गयी है कल ग्यारह बजे तक उसे ले आओगे तो शाम तक दोनो कार्ड बन जाएँगें।
मैने उठते कहा… ठीक है जनाब। कल उसे लेकर आ जाऊँगा। यह बोल कर मै उसकी दुकान से बाहर
निकल गया था।
रात को आठ बजे वह अपनी दुकान को बन्द करके
चला गया था। मै दो घन्टे और बैठा रहा और फिर गली का एक नजारा लेकर गली से बाहर निकल
आया। मैने उसकी दुकान और गली का जायजा ले लिया था। गली मे दर्जन से ज्यादा दुकानें
थी। सभी दुकाने दस बजे तक बन्द हो गयी थी। वह गली अब सुनसान हो गयी थी। रात होते ही
गली से बाहर पुलिस की पिकेट लग गयी थी। मै अपनी जीप की ओर बढ़ा तो एक पुलिस वाला दौड़ते
हुए आया और मुझे हड़काने वाले अंदाज मे बोला… यहाँ पुलिस की पार्किंग मे जीप खड़ी करके
कहाँ घूमने गया था। अब इसका चालान कटने के बाद ही कल सुबह जीप मिलेगी। …दीवानजी, यहीं
पर कुछ ले-देकर मामला रफा दफा कर दिजिये। उसने एक नजर इधर उधर मार कर कहा… चल हजार
रुपये दे और जीप ले जा। मैने जेब से पर्स निकाल कर पाँच सौ का नोट निकाल कर उसके आगे
बढ़ाते हुए कहा… फिलहाल इससे काम चल सकता है तो ठीक है वर्ना कल सुबह चालान के पैसे
भर कर जीप ले जाऊँगा। उसने जल्दी से पाँच सौ का नोट लिया और वापिस पिकिट पर लौटते हुए
बोला… चल अब जल्दी से निकल यहाँ से क्योंकि दरोगाजी बस निकलने वाले है। अचानक मेरे
दिमाग मे एक बात आयी और मै जीप मे न बैठ कर थाने के अन्दर चला गया। कश्मीर मे थाने
मे घुसते ही हलचल मच जाती थी परन्तु आज सादी ड्रेस मे थाने मे घुसते हुए किसी ने कोई
ध्यान नहीं दिया था। एसएचओ के कमरे मे कुर्सी पर बैठ कर थानेदार साहब रात की पाली के
बारे मे निर्देश दे रहे थे।
मुझ पर नजर पड़ते ही थानेदार चुप हो गया और
मुझे घूर कर बोला… क्या काम है? मैने उसके सीने पर लगी हुई नेमप्लेट पर उसका नाम पढ़ा…
वीरेन्दर सिंह। …सिंह साहब, आपके पाँच मिनट
चाहिये। आप बात कर लिजिये। मै बाहर इंतजार कर रहा हूँ। थानेदार ने उठते हुए कहा… मेरी
बात खत्म हो गयी है। बोलिये क्या काम है? मैने अपना परिचय पत्र निकाल कर उसके सामने
करते हुए कहा… इनके सामने नहीं। परिचय पत्र को देखते ही उसका जिस्म एकाएक सीधा होकर
तन गया और सैल्युट करते हुए बोला… साहब मुझे बस एक मिनट दिजिये। अपने थानेदार को इस
मुद्रा मे देख कर उसके मातहत भी तुरन्त कमरे से बाहर निकल गये थे। …जनाब बताईये। …इस
गली मे साबिर अली नाम का एक ट्रेवल एजेन्ट है। …जी जनाब। मै उसे जानता हूँ। बेहद बदमाश
आदमी है। वह राजनीति मे भी दखल रखता है। …हमे सूचना मिली है कि यह विदेशी घुसपैठियों
के लिये जाली कागजात तैयार करवाता है। हमे अभी शक है परन्तु कोई पुख्ता सुबूत नहीं
है। अगर किसी तरह उसकी दुकान के कंप्युटर की हार्ड ड्राईव निकाल ली जाये तो सारे सुबूत
मिल जाएँगें। इसमे वीरेन्द्र सिंह मुझे आपकी मदद चाहिये।
वीरेन्द्र सिंह अति उत्साहित होकर बोला… साहब,
आज रात को ही साले गद्दार की दुकान का ताला तोड़ कर उसके कंप्युटर की ड्राईव्स निकाल
कर आपके हवाले कर देता हूँ। इसी आदमी ने पिछले साल लोगो को भड़का कर थाने पर पत्थरबाजी
करायी थी। उसमे हमारे चार सिपाही घायल हो गये थे। इसका फिर भी कुछ नहीं बिगड़ा परन्तु
दरोगा राना साहब के साथ आठ सिपाही लाइन एटैच हो गये थे। पहली बार इसके खिलाफ कार्यवाही
करने का मौका मिला है। साहब पूरा थाना इस काम मे आपकी मदद करेगा। एक बार यह हमारे हाथ
लग गया तो इसकी सारी नेतागिरी एक रात मे ही निकाल देंगें। …ठीक है। कुछ सोच कर मैने
कहा… मै यहीं बैठा हुआ हूँ। आप अपना काम किजिये और अगर कुछ गड़बड़ होती है तो आप सेना
पर डाल दिजियेगा। मै संभाल लूँगा। वीरेन्द्र सिंह ने रात की पाली के एसआई और हवलदार
को बुला कर निर्देश देना आरंभ कर दिया था।
बारह बजे तक चोरी के मामले मे एक हिस्ट्रीशीटर
याकूब को घर से उठवा कर थाने ले आये थे। अपने हवलदार के साथ याकूब को साबिर अली की
दुकान पर भेज दिया था। पुलिस पिकिट पर सावधान रहने का निर्देश देकर खुद वीरेन्द्र सिंह
वहाँ खड़ा हो गया था। एक बजे तक दोनो ड्राईव्स मेरे सामने रखी हुई थी। मैने खुद उसकी
दुकान मे घुस कर उसकी अलमारी, मेज की दराज, एक छोटी सी तिजोरी का निरीक्षण करके दर्जन
से ज्यादा पासपोर्ट, आधार कार्ड और वोटर कार्ड के साथ कुछ फाईलें
व फोटो जब तक जब्त किये तब तक तीन बज चुके थे। तिजोरी से कुछ कैश भी बरामद हुआ था तो
वह मैने वीरेन्द्र सिंह के हवाले करते हुए कहा… इसे अपने लोगों मे बँटवा देना। पूरे
आप्रेशन की जानकारी सिर्फ तीन लोगों के पास थी। बाकी स्टाफ को यही पता चला था कि कोई
रेड की तैयारी की जा रही है। सारी चीजें मेरे पास आ गयी तब वीरेन्द्र सिंह ने कहा…
साहब अब आप निकल जाईये। अब पुलिस को अपना काम करने दिजिये। मैने सारा सामान उठाया और
अपनी जीप मे रख कर जैसे ही चलने लगा वही पिकिट पर खड़ा हुआ सिपाही डरते हुए पाँच सौ
का नोट लौटाते हुए बोला… साहब माफ कर दिजिये। मुझसे गलती हो गयी। मैने मुस्कुरा कर
कहा… इसे रख लो। यह बोल कर मै वहाँ से अपने फ्लैट की दिशा मे चल दिया था।
अगले दिन सुबह साबिर अली के आफिस का सारा सामान
मैने आईबी के निदेशक दीपक शर्मा के हवाले करते हुए कहा… आज दोपहर तक इन हार्डड्राइव्स
पर जितने भी लोगों के इस आदमी ने जाली कागजात तैयार करवाये है हमे उसका पूरा विवरण
चाहिये। यह हमारी जांच के लिये बेहद जरुरी है। करीब दो बजे तक 496 नाम उनकी फोटो और
उनके पते व अन्य जानकारी के साथ मेरी मेज पर रखी हुई थी। लगभग बारह लोगों के कागजात
उस दुकान से बरामद हुए थे। आईबी की ओर से निजामुद्दीन के थाने मे शिकायत दर्ज कराते
ही वीरेन्द्र सिंह ने साबिर अली को थाने मे ही गिरफ्तार कर लिया था। जब शाम को मै वीरेन्द्र
सिंह से मिला तब उसने बताया कि सुबह चार बजे हमने साबिर अली को चोरी की खबर देकर थाने
बुला लिया था। उसको तभी से किसी न किसी बहाने से रोक रखा था। जैसे ही आईबी की शिकायत
थाने मे दर्ज हुई हमने तुरन्त उसे हिरासत मे लेकर पूछताछ शुरु कर दी थी। मैने मुस्कुरा
कर पूछा… इस वक्त नेताजी के क्या हाल है? वीरेन्द्र सिंह ने ठहाका लगा कर कहा… फिलहाल
नेताजी की हम सेवा कर रहे है। पूरा थाना एक बार हाथ साफ कर चुका है और अब रात की पाली
आरंभ होते ही कल सुबह तक वह भी अपने हाथ साफ कर लेंगें। …उसने कुछ बताया? …साहब, हम
उससे कुछ पूछ ही नहीं रहे है। आईबी वाले कल दोपहर को जब उसे लेकर मजिस्ट्रेट के सामने
पेश करेंगें तब तक हम इस इलाके मे उसकी नेतागिरी को हमेशा के लिये समाप्त कर देंगें।
अभी तक दस-पन्द्रह सिफारिशें और अलग-अलग मौलानाओं का डेलीगेशन आ चुका है। सभी को हम
एक ही जवाब दे रहे है कि इस पर देशद्रोह और आतंकवादियों के लिये जाली कागजात बनवाने
का इल्जाम है। आईबी के हाथ सुबूत लग गये है इसलिये इस पचड़े मे आप न ही पड़े तो अच्छा
होगा अन्यथा आप भी आईबी के घेरे मे आ जाएंगें। यह सुनने के बाद एक बार भी किसी ने जिरह
करने की कोशिश नहीं की थी। उससे विदा लेकर मै अपने फ्लैट की ओर चल दिया था।
रात को आईबी की फाईल देखने बैठ गया था। मेरी
नजर एक नाम को खोज रही थी। सौम्या कौल का नाम सामने आते ही नीलोफर का कवर हट गया था।
तबस्सुम मेरे साथ लेटी हुई थी। मैने नीलोफर को फोन लगाया तो उसे फोन उठाने मे कुछ देर
लगी थी। …बोलो समीर तुम्हें मेरी अब याद आयी। दस बजे मिलने की बात कह कर तुम गायब हो
गये। मुझे अपनी भूल का एहसास होते ही मैने कहा… क्योंकि तुम्हारे साबिर अली को कल रात
आईबी उठा कर ले गयी थी। तुम्हारा सौम्या कौल का कवर आईबी की नजर मे आ गया है। तुम कहो
तो मै तुम्हारा आधार कार्ड का नम्बर अभी सुना दूँ? वह जल्दी से बोली… नहीं, मेरे पास
कितना समय है यहाँ से सुरक्षित निकलने के लिये? …मेरे ख्याल से अगर इस कवर के बल पर
निकलने की योजना बना रही हो तो तुम जल्दी से जल्दी यहाँ से निकल जाओ। उसके सभी क्लाईन्ट
की जानकारी आईबी के हाथ मे है और शायद कल तक पुलिस इस मामले मे हरकत मे आ जाएगी। उसके
बाद इस नाम से तुम एयरपोर्ट या अन्य किसी रास्ते से सीमा पार नहीं कर सकोगी। …समीर,
मुझे यहाँ से अभी निकलने के लिये कुछ दिन चाहिये। वैसे भी इस पते की जानकारी सिर्फ
तुम्हें है और कोई यहाँ का पता नहीं जानता। …मैने तुम्हें सावधान कर दिया है। अब आगे
तुम्हारी मर्जी। कल सुबह यह जानकारी मै ब्रिगेडियर चीमा को भी दे दूंगा। वह एकाएक तेजी
से चीखते हुए बोली… नहीं समीर। मेरे लिये प्लीज सिर्फ कुछ दिन के लिये रुक जाओ। अगर
ब्रिगेडियर चीमा को इसकी जानकारी मिल गयी तो शर्तिये यह बात फारुख को भी पता चल जाएगी।
बस किसी तरह अगर मुझे एक हफ्ते की मोहलत मिल गयी तो सब कुछ ठीक हो जाएगा। मै कोई वादा
तो नहीं कर सकता परन्तु कोशिश करुँगा कि तुम्हें यहाँ से सुरक्षित निकलने के लिये कुछ
समय मिल जाये। तुमने मेरा काम किया? …कौन सा? …तुम्हें हया के बारे मे कोई सुराग देना
था। …मैने तुम्हें बताया था कि सिकन्दर रिजवी को पकड़ लोगे तो वह जरुर हया का पता बता
देगा। …सिकन्दर रिजवी कहाँ मिलेगा। वह तो गायब हो गया है। …कल तक तो वह यहीं दिल्ली
मे था। अब मुझे पता नहीं कि वह कहाँ होगा लेकिन इतना पता है कि एक हफ्ते बाद वह दीपक
सेठी के साथ काठमांडू जा रहा है। …क्या उनके साथ तुम भी जा रही हो? …नहीं, वह वहाँ
प्रोबीर मित्रा के बुलावे पर किसी नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी के प्रोग्राम मे जा रहे
है। अच्छा मै फोन रख रही हूँ। बस इतनी बात करके उसने फोन काट दिया था। …यह हया कौन
है? मैने चौंक कर देखा तो तबस्सुम मुझे देख रही थी। मै उसके बारे मे तो बिल्कुल भूल
गया था। …क्या वह भी कोई तुम्हारी पुरानी दोस्त है? मै कोई जवाब देता कि मेरी फोन घंटी
बज उठी थी। मैने नम्बर चेक किया तो कोई नया नम्बर था। …हैलो। …मेजर, तुमने तो मुझे
बिल्कुल भुला दिया है। वह आवाज सुनते ही मै उचक कर बैठ गया था। मेरे सामने तबस्सुम
बैठी हुई थी और फोन पर बात करने वाला फारुख मीरवायज था। एक पल के लिये मेरा जिस्म ठंडा
पड़ गया था और मै कुछ भी बोलने की स्थिति मे नहीं था।
मुजफराबाद
घने जंगलों मे किसी
जगह पर एक विशाल से आउटहाउस के बड़े से कमरे मे दर्जन से ज्यादा लोग बैठ कर चर्चा कर
रहे थे। सिर पर पगड़ी और मौलवी के वेष मे ज्यादातर लोग थे परन्तु सभी की गोदी मे कलाशनीकोव
रखी हुई थी। …जनरल मंसूर अगले हफ्ते यहाँ आ रहा है लेकिन अभी तक योजना तैयार नहीं हो
सकी है। …जनाब, फारुख के गायब होने के कारण बड़ी मुश्किल हो गयी थी। खबर मिली है कि
फारुख भाईजान वापिस आ गये। एजाज भाई और उनके साथी भी भारत मे प्रवेश कर गये है और जल्दी
ही श्रीनगर पहुँच कर हमसे संपर्क साधेंगें। …जाकिर, तुमने फिदायीन हमलों के बारे मे
कुछ सोचा? …चचाजान, हमने सोचा है कि पहले कुअर्डिनेट पर पहुँचने के लिये सेना का ध्यान
वहाँ से हटा कर कश्मीर की ओर खींचना पड़ेगा। इसके लिये जैश और लश्कर के फिदायीन एक ही
समय पर अलग-अलग जगहों पर हमला करेंगें। जब तक उन्हें समझ मे आएगा तब तक पहला कुअर्डिनेट
फतेह हो जाएगा। इसी प्रकार दूसरे और तीसरे कुअर्डिनेट्स पर फतेह हासिल करेंगें। एकाएक
मनके गिनते हुए मौलवी साहब की आवाज गूँजी… अभी भी सिर्फ बातें हो रही है। आज सभी तंजीमों
को जरुरी समान की फेहरिस्त लेकर आने के लिये कहा गया था। क्या आप लोग पूरी तैयारी करके
आये है? एकाएक सभी चुप हो गये और एक दूसरे का चेहरा ताकने लगे तभी एक आदमी खड़ा हुआ
और सलाम करके बोला… हाफिज मियाँ, ऐसे कुछ नहीं हो सकेगा। किसी को पता नहीं कि किस समूह
का क्या काम होगा। अगर एक बार आप सभी समूहों को उद्देश्य और काम बता देंगें तो फिर
उसके अनुसार फेहरिस्त बनाना आसान हो जाएगा। कोई भी समूह किसी अन्य समूह से बात करने
के लिये तैयार नहीं है। आपको ही इस काम की बागडोर अपने हाथ मे लेनी पड़ेगी। इतना बोल
कर वह बैठ गया।
कुछ देर तक कमरे मे
चुप्पी छायी रही फिर अपनी मनको की माला को मुठ्ठी मे भर कर हाफिज ने धीरे और आसान शब्दों
मे कहा… अगर सबकी यही राय है तो इस आप्रेशन की कमान मै अपने हाथ मे लेता हूँ। किसी
ने कुछ नहीं कहा तो हाफिज ने योजना के अलग-अलग पहलुओं पर बात करना आरंभ कर दिया। सभी
चुपचाप उसकी बात सुनने मे मग्न हो गये थे।
बहुत ही जबरदस्त प्रस्तुति वीर भाई और इसी के साथ नीलोफर का भी गला समीर के हाथ में आ चुका है मगर खतरा ज्यों कि त्यों बनी हुई है और इसी बार इसको अंजाम देने अपने हाथों में लिया सदी के अन्यतम खतरनाक आतंकी हाफिज ने और तो और अब समीर के व्यक्तिगत जीवन भी उलझोनो से घिरने लगी है जहां तबस्सुम को लेकर उसका पहले से चिंता और बढ़ा देगा जब अफशा और अदा दिल्ली पहुंचेगी और तो और बाहर की लड़कियां भी उसके व्यक्तिगत जीवन और ऑफिस में खलबली मचाने को सक्षम होंगे या फिर कोई समीर को रास्ते से हटाने के लिए भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
जवाब देंहटाएंअल्फा भाई धन्यवाद। नीलोफर की गर्दन तो काफिर से ही उसके हाथ मे थी। चरमपंथियों की साजिश की पहली परत खुलनी आरंभ हुई है। उस साजिश का पर्दाफाश करने के लिये उसको बहुत सी बाधाओं का सामना करना पड़ेगा।
हटाएंविरभाई हमेशा की तरह धांसू अपडेट, हक डॉक्ट्रीन अपणे चरमपे है, इन अतिवादी तंजिमो की एक बात नोट करणे लायक है, या सिधा कहे तो मुस्लिम समाज का कहे, इनके माइंडमे एक बात पक्की है, के इस देशके मूलाधार पे बार बार चोट करो कभी ना कभी टुटेगीही, इसमे एक हमारे इतिहास की बात हमेशा सामने आती है, जरासंधने मथुरापे या यू कहे भगवान श्रीकृष्णपे 17 बार आक्रमण किया, जिस कारण उन्हे मथुरा छोडके द्वारका भाग आणा पडा, वर्तमान मे कहे तो मो. घोरीने पृथ्वीराज पे १८ बार आक्रमण किया १७ बार हारा, सभी वक्त उसे माफ कीया गया,१८ वी बार वो जिता तो भारत पे ८०० साल का गुलामी का शासन कायम हुवा. क्या आज हम इतिहास की भूलसे कुछ सिखे है, आज चीन और पाकिस्तान उतनेही धोकादायक है, जितने इतिहासमे जरासंध या मो. घोरी थे. आपका नजरिया इसपे जरूर चाहुंगा.
जवाब देंहटाएंप्रशांत भाई, कट्टरपंथी इस्लामिस्ट यही एजेन्डा सारी प्रजातांत्रिक दुनिया मे चला रहे है। वह संविधान की आढ़ मे समाज को तोड़ने की कोशिश मे लगे हुए है। अमरीका, युरोपीय समूह के देश, भारत व अन्य उदारवाद और राजनीति के कारण इनके एजेन्डा के लगातार शिकार हो रहे है। क्या बात है कि मुस्लिम वोट एक मुश्त पड़ता है और भारत मे हिन्दु, युरोप और अमरीका मे इसाई का वोट बँट जाता है। इतिहास गवाह है कि इसाई राजाओं ने इस्लाम का फैलाव रो्कने के लिये 100 साल तक युद्ध किया परन्तु आज भी उनका फैलाव नही रोक पाये। भारत की स्थिति भी उनसे भिन्न नहीं है। आखिर सभी राजनितिक पार्टियाँ क्यों मुस्लिम समाज को लुभाने की कोशिश करती है। इसका मतलब तो यही हुआ कि मुस्लिम अपना वोट निजाम-ए-मुस्तफा का सपना साकार करने के लिये डालता है और अन्य अपने जरा से भौतिक फायदे के लिये डालते है। एक का उद्देश्य सिर्फ इस्लाम का परचम लहराने का है और बाकी सभी का उद्देश्य अलग-अलग होता है।
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