रविवार, 7 मई 2023

  

गहरी चाल-7

 

पूर्वी कमांड के जनरल बक्शी के कमरे मे बैठ कर मै उनके सामने सीमावर्ती इलाके मे हो रही गतिविधियों की जानकारी दे रहा था। कैप्टेन जेसी भी उस इलाके मे तस्करी और घुसपैठियों की जानकारी दे चुका था। बेग के द्वारा बतायी हुई इस्लामिक गुटों की कार्यवाही और उनकी मंशा को बताते हुए मैने कहा… सर, आईएसआई ने यह काम कश्मीर की तंजीमों के संयुक्त मोर्चे को सौंपा है। यही संयुक्त मोर्चा अब सीमा पार बांग्ला देश मे स्थित जमात-ए-इस्लामी की मदद कर रहा है। हसनाबाद मे तो मैने उनके नेटवर्क को तबाह कर दिया परन्तु आईबी के बैनर्जी के अनुसार इस राज्य के सभी जिलों मे दारुल उलुम बरेलवी और दारुल उलुम देवबंद ने अपने पाँव जमाने आरंभ कर दिये है। मेरा अनुमान है कि यह दोनो गुट सभी सीमावर्ती जिलों मे सक्रिय है और इससे पहले यह कोई आंतरिक खतरा बने हमे इनको जड़ से मिटा देना चाहिए। …मेजर यह इतना आसान नहीं है जैसा कि तुम सोच रहे है। अभी तुम्हे पता नहीं होगा कि हसनाबाद की घटना के कारण राज्य के सभी जिलों मे तनाव पैदा हो गया है। जिन लोगों को पकड़ कर लाये हो उनका क्या करने की सोच रहे हो? …सर, कुछ भी करने से पहले मुझे एक बार दिल्ली मे अजीत सर से बात करनी पड़ेगी। जनरल बक्शी ने कुछ सोच कर कहा… मेजर, इनके बारे मे जल्दी से जल्दी कोई निर्णय लो। इसी के साथ हमारी बातचीत का दौर समाप्त हो गया था।

मैने चलते हुए पूछा… जेसी, उन लोगों को कहाँ रखा है? …चलिये, मै उसी ओर जा रहा हूँ। कुछ ही देर मे हम डिटेन्शन सेन्टर के सामने खड़े हुए थे। …पहले किनसे मिलना चाहते है? …पहले तस्करों से मिलते है। हम दोनो डिटेन्शन सेन्टर के बेसमेन्ट की ओर चल दिये थे। जेसी ने चलते हुए कहा… सर, इस बार वह लोग हथियारों के साथ ड्रग्स और नकली भारतीय करेन्सी भी लाये थे। …हथियारों मे वह अपने साथ क्या लाये थे? …दर्जन से ज्यादा एके-47 के साथ उनके पास काफी मात्रा मे सेम्टेक्स और डिटोनेटर्स थे। एक कमरे मे प्रवेश करते ही जेसी ने जमीन पर बैठे हुए आदमियों की ओर इशारा करते हुए कहा… सर, उस रेड मे यह लोग सामान समेत पकड़े गये थे। एक नजर मैने उनके मुर्झाये हुए चेहरों पर डाल कर पूछा… क्या इन्होंने कुछ बताया? …सर, सभी अपने आप को जमात के लोग बता रहे है और किसी मुदस्सर के लिये काम करते है। हमने एमआई से मुदस्सर की जानकारी इकठ्ठी करने के लिये कह दिया है। सभी सहमे हुए एकटक हमे देख रहे थे। एक नजर उन पर डाल कर मैने कहा… इन सबकी फोटो के साथ इनकी अन्य जानकारी की एक फाइल तुरन्त तैयार करवाओ। यह बोल कर मै कमरे से बाहर निकल आया और उस हाल की ओर चल दिया जहाँ घुसपैठियों को रखा गया था।

…जेसी, घुसपैठियों के बारे मे क्या पता लगा है? …बीस परिवार है। बाकी युवक और युवतियाँ अपने आपको उनके रिश्तेदार बता रहे है। आठ बच्चे है जिसमे पाँच लड़कियाँ और तीन लड़के है लेकिन सभी की उम्र बारह साल से उपर है। …क्या सभी एक ही जगह से आये है? …नहीं सर, मुख्य रुप से यह लोग खुलना, राजशाही और जेसोर से आये है। हम बात करते हुए हाल मे प्रवेश कर गये थे। हमे हाल मे प्रवेश करते देख कर सभी सावधान हो कर बैठ गये। सभी पुरुष और स्त्री कद काठी और वस्त्रों से बड़ी दयनीय स्थिति मे लग रहे थे। जेसी से बात करते हुए मेरी नजर वहाँ पर उपस्थित हरेक व्यक्ति का नीरिक्षण कर रही थी। सभी सहमी हुई नजरों से मुझे घूर रहे थे कि तभी मैने बैठे हुए एक आदमी से पूछा… यहाँ खाने-पीने की कोई तकलीफ तो नहीं है? वह कुछ नहीं बोला तो एक बार मैने फिर से अपना प्रश्न दोहरा दिया था। …सर, इनमे से कोई हिंदी नहीं जानता और बहुत से लोग बंगाली भी नहीं जानते है। …इसका मतलब यह रोहिंग्या है। …यस सर, ऐसा अनुमान लगाया जा सकता है। मै जो जानना चाहता था वह पता लग गया था। …जेसी, बांग्लादेशी और रोहिंग्या एक साथ मत रखो। यह बोल कर मै हाल से बाहर निकल आया था। वहाँ से सीधे मै कैन्टोनमेन्ट के गेट की ओर चल दिया था। चांदनी, बैनर्जी और मंजूर इलाही बाहर चाय की दुकान पर मेरा इंतजार कर रहे थे।

सारा काम निबटा कर जब तक मै बाहर निकला था तब तक दोपहर ढल रही थी। …जेसी, आप लोग आराम किजिये आज रात को दिल्ली बात करके कल सुबह हम इनसे पूछताछ करेंगें। इतना बोल कर मै बाहर चाय की दुकान की ओर चला गया था। …आओ चले। वह तीनो मेरे साथ सड़क पर चल दिये थे। …बैनर्जी, यहाँ आसपास कोई सस्ता सा होटल देखो। वहाँ चल कर आज आराम करते है। केन्टोनमेन्ट एरिया से बाहर निकलते ही कुछ दूरी पर एक सस्ता सा होटल दिख गया था। हम सब वहीं ठहर गये थे। कमरे मे पहुँचते ही चांदनी ने पूछा… सच बताओ कि क्या तुमने उसे मार दिया? अपने कपड़े उतार कर बाथरुम मे घुसते हुए मैने कहा… जरा सोच कर देखो कि आज कलकत्ता मे प्रवेश करने के बाद भीड़ क्यों नहीं दिख रही थी? इस काम का इनाम तो मै रात को तुमसे वसूल करुँगा। थोड़ी देर बाद नहा धो कर तरोताजा हो कर बाहर निकला तब तक एसी ने कमरे को बैठने लायक बना दिया था। कश्मीर से निकलने के बाद मेरा जिस्म हरदम पसीने से भीगा रहता था। …तुम भी तैयार हो जाओ। तब तक मै खाने का इंतजाम करता हूँ। यह बोल कर मै कमरे से बाहर निकल कर बैनर्जी के पास चला गया था। दोनो मेरा इंतजार कर रहे थे।

…मंजूर तुम्हें मै अपने साथ लेकर इसलिये लाया था कि जमाल ने बताया है कि मुंबई के शाकिर अली नाम के दलाल के साथ बेग ने तुम्हारी बच्चियों का सौदा किया था। अब आगे क्या करना चाहते हो? …साहब, अब मुंबई जाकर उस दलाल का पता करके अपनी बच्चियों को खोजने की कोशिश करुँगा। …मंजूर क्या यह तुम्हारे लिये इतना आसान होगा? तभी बैनर्जी ने कहा… साहब, आईबी की मुंबई शाखा के लोग उस दलाल को जरुर जानते होगे। अगर आप कहे तो मै किसी से पता लगाने की कोशिश कर सकता हूँ। मैने कुछ सोच कर कहा… ठीक है। बैनर्जी तुम शाकिर अली का पता लगाओ। बैनर्जी एक बार फिर से किसी से फोन पर बात करने मे व्यस्त हो गया था। …मंजूर, मुझे उन शरणार्थियों से पूछताछ करने के लिये तुम्हारी मदद चाहिये। भाषा के कारण मै उनसे पूछताछ नहीं कर सकता। तभी बैनर्जी ने आकर बताया कि उसने अपने एक साथी से शाकिर अली नाम के दलाल का पता लगाने के लिये बात कर ली है। उसके बाद मैने उन दोनो के सामने अपनी जरुरत की जानकारी का विवरण देते हुए कहा… उन शरणार्थियों से बात करके मुझे यह जानकारी चाहिये। आप लोग आज आराम किजिये कल सुबह उनसे पूछताछ करने के लिये तैयार रहियेगा। इतनी बात करके मै बाहर निकल आया था।

होटल से बाहर निकल कर मैने अजीत सर को फोन लगा कर कहा… सर, पाकिस्तानी दारुल उलुम हक्कानियाँ की तर्ज पर आईएसआई ने यहाँ के हर जिले मे दारुल उलुम देवबंद और दारुल उलुम बरेलवी बनाने की साजिश रची है। यहाँ के मदरसे उनके जिहादियों के भर्ती केन्द्र बनते जा रहे है। हक डाक्ट्रीन मे गज्वा-ए-हिन्द की चर्चा नहीं थी परन्तु यह दोनो संस्थाएँ इसी मंशा को लेकर सीमावर्ती इलाकों का इस्लामीकरण करने मे लगी हुई है। इतना बता कर मैने हसनाबाद की सारी कहानी बता कर कहा… सर, उस जिले मे घुसपैठ और तस्करी के नेटवर्क की कमर टूट गयी है। विस्फोटक और हथियारों को छिपाने के लिये पाँच स्थानों की निशानदेही हुई है। अब आगे की रणनीति के लिये मुझे आपकी सहायता चाहिए। …इसके बारे मे तुमने क्या सोचा है? श्रीनगर और जम्मू के अनुभव के आधार पर अपनी योजना की रूपरेखा उनके सामने रखते हुए मैने कहा… सर, इसके लिये मुझे जनरल बक्शी की मदद चाहिए। …ठीक है, मै उनसे बात करुँगा। उन पकड़े गये लोगों से कुछ पता चला? …सर, बांग्लादेश के तस्करों ने बताया है कि वहाँ पर कोई मुदस्सर नाम का व्यक्ति उन्हें हथियार और ड्रग्स देता है। …क्या नाम बताया? …मुदस्सर। …मेजर, अगर मेरा अनुमान सही है तो मुदस्सर उसका छद्म नाम है। …सर, अब मेरे लिये क्या निर्देश है। …मेजर, पहले अपनी पूछताछ पूरी कर लो तब तक मै जनरल बक्शी से बात करता हूँ कि आगे क्या करना चाहिये। उस दिन हमारे बीच मे बस इतनी बात हुई थी। मैने खाने का आर्डर दिया और वापिस अपने कमरे की ओर चल दिया। चांदनी भी तब तक तैयार हो गयी थी। कुछ देर बाद खाना खाकर हम दोनो ही बिस्तर पर फैल गये थे। सफर की थकान और पिछली रात की गहमागहमी के कारण बिस्तर पर पड़ते ही हम दोनो सो गये थे।

मेरी आँख सुबह चार बजे अपने आप खुल गयी थी। चांदनी मेरे करीब गहरी नींद मे सोयी हुई थी। बारह घंटे सोने से थकान दूर हो गयी थी तो मै तैयार होने के चला गया था। जब बाथरुम से बाहर निकला तब तक नयी सुबह की पहली किरण आसमान पर आ गयी थी। दिन के उजाले मे मेरी नजर चांदनी पर पड़ी जो अभी भी वह बेसुध पड़ी हुई थी। उसकी फ्राक कमर तक सिकुड़ कर उसके नग्न नितंब अनावरित हो गये थे। मै कुछ देर वहीं खड़ा होकर उसके पुष्ट गोल नितंबों को देखता रह गया था। वह दृश्य देख कर मेरा जिस्म का रोआं-रोआं रोमांचित हो उठा था। अपना तौलिया हटा कर मै उसके पीछे सट कर लेट गया। नग्न नितंबों के बीच दरार के बीच मैने धीरे से ताव खाते हुए अपने भुजंग को टिका दिया। उसके मखमली जिस्म को स्पर्श करते ही वह अपना सिर उठाने लगा था। मैने धीरे से उसके गोल नितंब को सहलाया तो वह पल भर के लिये नींद मे कसमसायी और उसके हिलते ही मेरे लिये जगह बन गयी थी। उसके स्त्रीत्व का द्वार मेरे सामने आ गया था। उस द्वार के जोड़ पर मैने अपने अर्धसुप्त भुजंग कर सिर टिका कर धीरे से सहलाते हुए दबाव बढ़ाया तो वह द्वार खोल कर अन्दर सरक गया था। उसके मखमली सुडौल नितंबों को सहलाते हुए मैने धीरे-धीरे अपने भुजंग को अन्दर धकेलना आरंभ कर दिया परन्तु अभी तक उसने अपना विकराल रुप नहीं लिया था। इस कारण मै रुक कर अपने कामांग पर उसके अन्दर उत्पन्न होने वाली उर्जा और स्पंदन को महसूस करने लगा। मैने उसके सीने की उन्नत गोलाईयों को धीरे से सहलाना आरंभ कर दिया।

इस एहसास का सीधा असर मेरे जनानंग पर होना आरंभ हो गया था। वह धीरे-धीरे अपना अन्दर बैठ कर विकराल रुप धारण कर रहा था। अचानक मुझे कुछ तरलता का आभास हुआ तो मैने धीरे-धीरे हिलना आरंभ कर दिया था। मेरे हर दबाव पर मुझे एहसास हो रहा था कि वह भीतर के संकरेपन को खोल कर गहरायी मे धंसता चला जा रहा था। अचानक चांदनी उचक कर उठने लगी परन्तु इससे पहले वह अलग हो पाती मैने उसे अपने जिस्म से उसे ढक दिया था। वह कुछ पल निश्चल पड़ी हुई अपने भीतर प्रवेश करने वाले हमलावर को महसूस करते हुए सिर घुमा कर शिकायती स्वर मे कहा … हटो तुम? अब तक मेरा भुजंग अपना विकराल ले चुका था। मैने उसको और कुछ बोलने का मौका दिये बिना अपनी बाँहों मे जकड़ कर पूरी शक्ति के साथ अपनी कमर को झटका दिया और मेरा जनानंग सारी बाधाओं को पार करके गहरायी तक समा गया था। अभी उसका जिस्म एकाकार के लिये तैयार नहीं हुआ था जिसके कारण मेरे अंग की कठोरता और उसके द्वारा उत्पन्न घर्षण की पीढ़ा से उसके मुख से चीख निकल गयी थी।  

मै रुक गया और धीरे से उसको अपनी बाँहों मे बाँध कर उसके कान को चूम कर फुसफुसाया… सौरी। चाँदनी आज पहली बार मै अपने आपको रोक नहीं सका। वह अपना चेहरा तकिये मे दबाये लेटी रही और मै उसको अपने आगोश मे लिये उसके कान मे कुछ देर तक सौरी फुसफुसाता रहा। थोड़ी देर मे जब उसका जिस्म एकाकार के लिये तैयार हो गया तो उसने अपने नितंबों को पीछे धकेल कर मुझे आगे बढ़ने का इशारा किया। मेरे हाथ हरकत मे आ गये थे और मैने उसके सीने की पहाड़ियों पर हमला बोल दिया था। उसके बाद मै उस पर ऐसा छा गया कि कुछ ही देर मे उसकी उत्तेजना से भरी हुई आहों और सिस्कारियों से कमरा गूंज रहा था। मेरे हर वार पर वह कभी मचलती और कभी तड़प उठती थी। उसकी सीने की उन्नत गोलाईयों को मेरी उँगलियाँ ने जकड़ रखा था। मेरी दो उँगलियों के बीच फँसे हुए अकड़े हुए अंगूर भी मेरी बहशियत के शिकार हो गये थे। चाँदनी की मुख से निकलने वाली दर्द भरी आह और  उत्तेजना से ओतप्रोत सिस्कारी के बीच फर्क करने मे अस्मर्थ था। एकाएक वह जोर से मचली और फिर एक निर्जीव गुड़िया की भाँति लस्त हो कर पड़ गयी थी। मै उसकी कमर को पकड़ कर हवा मे उठाया और बेरहमी से वार करने लगा। धीरे-धीरे मै भी अपने चरम की ओर अग्रसर हो गया था।

सब कुछ शांत होने के बाद हम दोनो अपनी सांसों को संभाल रहे थे कि हमारी नजरें मिली तो उसकी आँखों मे शिकायत के भाव देख कर मैने जल्दी से कहा… चाँदनी सुबह-सुबह मेरी इसकी कोई मंशा नहीं थी। मै तो तैयार होकर बाहर घूमने जा रहा था। अचानक तुम पर नजर पड़ी तो तुम जिस अंदाज मे सोयी हुई थी उस वासनामयी दृश्य को देख कर मै अपने आप को रोक नहीं सका था। ऐसा मेरे साथ पहली बार हुआ है। आई एम रिएली सौरी। …तुमने ऐसा क्या देख लिया। जब से यहाँ आये है तब से लगभग हम रोज ही कर रहे है। …नहीं आज कुछ खास था जिसको मै शब्दों मे बयान नहीं कर सकता। उसने उठते हुए अपनी फ्राक उतार कर मेरी ओर फेंकते हुए बोली… क्या अब मै कम हसीन दिखती हूँ। मेरी नजर उसके सीने पर दाँतों के नीले निशान पर पड़ गयी थी। मै उठ कर बैठ गया और धीरे से उसके सीने पर उस निशान पर उँगली फिराते हुए पूछा… यह उसने किया था। अचानक बेग की दरिंदगी को याद करके उसकी आँखें झुक गयी थी। उसकी पीठ पर पड़े हुए नाखून के निशानो को धीरे से सहलाते हुए मैने कहा …जिस दरिन्दे ने तुम्हें यह निशान दिये थे अब वह दोजख की भट्टी मे भूना जा रहा होगा। उसने नजरे उठाकर मेरी ओर देखा तो उसकी पल्कों मे आंसू अटके हुए थे। मैने आगे बढ़ कर उसे अपने सीने से लगा कर कहा… जो नहीं हुआ उसके बारे क्या सोचना। भूल जाओ और आज शाम की तैयारी रखना क्योंकि यह मेरा इनाम नहीं था। मेरी बात सुन कर वह मुस्कुरा दी थी।

वह तैयार होने के लिये चली गयी थी। मै कपड़े पहन कर कमरे से बाहर निकल आया था। बैनर्जी और मंजूर मुझे होटल मे नाश्ता करते हुए मिल गये थे। मैने भी उनके साथ नाश्ता किया और चांदनी के लिये नाश्ता रुम मे भिजवाने की बात करके हम तीनो केन्टोनमेन्ट की ओर चल दिये थे। रास्ते मे मैने बैनर्जी से पूछा… अब आगे की कार्यवाही की रणनीति बनानी है। क्या हम हसनाबाद की घटना को दूसरे सीमावर्ती जिलों मे दोहरा सकते है? …साहब मुझे नहीं लगता, आप खुद देखिए कि सिर्फ एक जिले के कारण सारे राज्य मे भूचाल आ गया है। आप देखिएगा कि कुछ दिनों मे यहाँ का मिडिया इसे हिन्दू-मुस्लिम दंगे का नाम दे देगा। मै शर्त लगा कर कह सकता हूँ कि इसी मामले को कुछ दिनों मे एक वामपंथी वकील उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय मे एक जनहित याचिका भी लगा देगा। उसकी बात सुन कर मै पल भर के लिये चकरा गया था। हम बात करते हुए केन्टोनमेन्ट मे दाखिल हो गये थे।

उन दोनो को लेकर मै जनरल बक्शी के आफिस के बाहर खड़ा हो गया था। कुछ देर इंतजार करने के बाद जनरल बक्शी ने हमको अन्दर बुलवा लिया था। हम तीनों जनरल बक्शी के सामने जाकर सावधान खड़े हो गये थे। कैप्टन जेसी पहले से ही वहाँ पर मौजूद था। …मेजर समीर अब आगे तुमने क्या करने की सोचा है? …सर, बेग के गोदामों की कैप्टेन जेसी ने नक्शे पर निशानदेही कर ली है। उन गोदामों मे भारी मात्रा मे असला बारुद रखा हुआ है। उसके दो गोदामों को ध्वस्त करने से पहले मैने खुद उनका निरीक्षण किया था तो समझ सकता हूँ कि कितना बड़ा खतरा हमारे अपने आंगन मे पल रहा है। हमारी प्रथमिकता उन हथियारों के ज़खीरे को नष्ट करना है। मै चाहता हूँ कि उन सब स्थानों को नष्ट करने की जिम्मेदारी कैप्टेन जेसी की स्पेशल फोर्सेज टीम पर डाल दी जाए। उसकी टीम मेरी कार्यवाही देख चुकी है तो उनके लिये अब इस काम को अंजाम देने मे आसान हो गया है।

मेरे चुप होते ही जनरल बक्शी ने तुरन्त पूछा… मेजर, क्या यह इतना आसान होगा। हसनाबाद की घटना के कारण पूरा राज्य संवेदनशील स्थिति मे आ गया है। फौजी कार्यवाही ऐसे नहीं की जा सकती। जो काम तुमने किया है उसकी जिम्मेदारी फौज हर्गिज नहीं ले सकती। …सर, मेरा काम खतरे को चिंहनित करना है। अब आगे की कार्यवाही आपको करनी है। …सौरी मेजर। यह कार्यवाही राज्य सरकार को करनी चाहिये। …सर, मै फौजी हूँ। मुझे खतरा भाँप कर उस खतरे को तुरन्त समाप्त करने का प्रशिक्षण मिला है। मुझे कानून और सरकारों की प्रशासनिक जिम्मेदारियों के बारे मे नहीं बताया गया है। वैसे भी जो हथियारों का जखीरा हमने नष्ट किया था उसके लिये स्थानीय पुलिस तो बिलकुल तैयार नहीं है। मुझे पता चला है कि वह सभी स्थान यहाँ की पुलिस के लिये प्रतिबंधित है तो वह कैसे उनके खिलाफ एक्शन लेगी। मैने अपनी बात बड़ी आसानी से जनरल बक्शी के सामने रख दी थी। कुछ देर सोचने के बाद जनरल बक्शी ने कहा… कैप्टेन, तुम इस योजना से कितना सहमत हो? जेसी ने तुरन्त कहा… सर, मैने सिर्फ नक्शे पर निशानदेही की है। कुछ भी राय देने से पहले हमे एक बार उन स्थानों का भी आंकलन करना पड़ेगा। हम हसनाबाद मे इसलिये कामयाब हुए थे क्योंकि मेजर साहब ने पहले से ही स्थिति का आंकलन कर लिया था। …ठीक है कैप्टेन एक स्काउट टीम तैयार करो और सभी जगहों पर जाकर एक विस्तृत आंकलन की रिपोर्ट दोगे तो उसके बाद ही मै कोई निर्णय ले सकूँगा।

आफिस से बाहर निकल कर जेसी ने चलते हुए कहा… मेजर साहब, रोहिंग्या और बांग्लादेशी घुसपैठियों को अलग कर दिया गया है। हम तीनों जेसी के साथ उस हाल की दिशा मे चल दिये थे। हाल के बाहर खड़े होकर मैने कहा… बैनर्जी, तुम जेसी के साथ बांग्लादेशी घुसपैठियों से बात करो और मै और मंजूर इलाही रोहिंग्या घुसपैठियों के साथ बात करेंगे। जेसी ने एक दरवाजे की ओर इशारा करते हुए कहा… रोहिंग्या उस ओर है। मै और मंजूर इलाही उस दिशा मे चले गये थे। उस कमरे मे प्रवेश करते ही मेरी नजर एक स्त्री पर पड़ी जो जमीन पर पड़ी हुई कराह रही थी। मै उसकी ओर चला गया था। मेरे पीछे-पीछे मंजूर इलाही भी आ गया था। …इसे क्या हुआ? मंजूर इलाही ने पास बैठे हुए आदमी से पूछ कर कहा… साहब, मियां-बीवी का विवाद है। मै आगे बढ़ते हुए बोला… इनसे पता करो कि यह किसकी मदद से यहाँ आये है। मंजूर मुझे छोड़ कर कुछ आदमियों से बात करने के लिये चला गया और मै हाल के एक हिस्से मे खड़े होकर सभी लोगों का जायजा लेने लगा था। छोटे बच्चे, युवा लड़के और लड़कियाँ, पुरुष और स्त्रियाँ चारों ओर नजर आ रहे थे। सभी लड़कियाँ और स्त्रियाँ के चेहरे ढके हुए थे। उस भीड़ मे एक भी वृद्ध नहीं दिख रहा था। कद-काठी से मुझे सभी कुपोषित लग रहे थे। एक नजर मे ही मेरे लिये बहुत कुछ साफ हो गया था। कुछ देर के बाद मंजूर ने आकर दबी आवाज मे कहा… इनका एजेन्ट भी मुदस्सर है। हम दोनो बात करते हुए हाल से बाहर निकल आये थे।

कुछ दूर चलने के बाद मंजूर धीरे से बोला… साहब, उस हाल मे बैठी हुई सभी बच्चियाँ और लड़कियाँ जबरदस्ती यहाँ पर जिस्मफरोशी के काम के लिये लायी गयी है। उसकी बात सुन कर मै चलते-चलते एक पल के लिये रुक गया… क्या मतलब? …साहब, देखने मे सभी लड़कियाँ किसी न किसी परिवार का हिस्सा लगती है परन्तु असल मे उनके बीच कोई संबन्ध नहीं है। इसी समूह मे बदरुद्दीन और अमानुल्लाह नाम के दो बंगाली दलाल है जो उनको हैदराबाद ले जा रहे थे। …यह सब तुम्हें किसने बताया? कुछ पल चुप रहने के बाद वह निगाहें झुकाये बोला… एक औरत ने बताया है। इस रहस्योद्घाटन ने मुझे कुछ सोचने पर मजबूर कर दिया था। तभी बैनर्जी और जेसी भी अपनी पूछताछ समाप्त करके हाल से बाहर निकल आये थे। हम दोनो को सड़क पर खड़ा हुआ देख कर दोनो हमारी ओर आ गये थे। बैनर्जी मेरे पास आकर बोला… सर, सभी की एक कहानी है परन्तु मुझे लगता है कि इन सभी को भेजने वाला मुदस्सर इनमे से ही एक है। मैने चौंक कर उसकी ओर देखा तो वह सिर हिलाते हुए बोला… सब एक ही कहानी सुना रहे है। मैने आज तक किसी भी बयान मे इतनी समानता नहीं देखी है। इसका मतलब है कि जिसने इन्हें पढ़ाया है वह अभी भी इन्हीं के साथ है। …बैनर्जी, अगर उस आदमी का पता चल जाये तो हमारा बहुत सा काम आसान हो जाएगा। …सर, यही तो परेशानी है कि उसकी निशानदेही कैसे होगी?

मंजूर जो अब तक चुप खड़ा हुआ था वह एकाएक बोला… सर, अभी तक बंग्लादेशी घुसपैठियों ने मुझे नहीं देखा है। आप अगर मुझे उस हाल मे भेज देंगें तो मै पता लगाने की कोशिश कर सकता हूँ। तभी बैनर्जी ने कहा… सर उस समूह में एक स्त्री है। उसी ने मुझे सारी कहानी से अवगत किया था। तभी एक विचार मेरे दिमाग मे आया तो मैने कहा… हमे अपनी योजना बदलनी पड़ेगी। मंजूर कुछ बोलता उससे पहले बैनर्जी ने कहा… सर, इसको घायल करके वहाँ भेजना होगा। उनको लगना चाहिए कि फौज सच्चायी जानने के लिये टार्चर कर रही है और हो सकता है कि फिर वह स्त्री भी इस दहशत मे मुदस्सर की शिनाख्त करने के लिये तैयार हो जाये। मैने मंजूर की ओर देखा तो उसने मुस्कुरा कर कहा… साहब, जरा धीरे से मारना। मैने जेसी को इशारा किया तो वह तुरन्त हरकत मे आ गया। चार-पाँच सधे हुए फौजी के हाथ ने मंजूर का चेहरा बिगाड़ दिया था। …बैनर्जी उस औरत की ओर इशारा कर देना। इतना बोल कर मैने मंजूर को बालों से पकड़ा और घसीटते हुए उसे हाल मे ले जाकर उसकी पीठ पर लात जमाते हुए कहा… तुम बिना मार खाये नहीं बोलते। मंजूर लड़खड़ाते हुए जमीन पर ढेर हो गया था। साथ चलते हुए बैनर्जी ने नजरों से एक सिर झुकाये बैठी हुई स्त्री की ओर इशारा किया और मै उसकी ओर बढ़ गया था। मैने एक नजर सहमी हुई भीड़ पर डाली और टहलते हुए उस औरत की दिशा मे चला गया।

सब सहमे हुए जमीन पर निगाहें गड़ाये बैठे हुए थे। मै टहलते हुए झुन्ड मे बैठी हुई उस स्त्री की ओर इशारा करके चीखा… तू चल मेरे साथ। सबकी नजरें उस औरत की ओर घूम गयी थी। जैसे ही उस स्त्री को आभास हुआ कि मै उसको बुला रहा हूँ तो उसके मुख से चीख निकल गयी और वह खिसक कर पीछे हो गयी थी। मै आराम से चलते हुए उसकी ओर चला गया परन्तु मेरी नजरें अभी भी सभी पर टिकी हुई थी। किसी ने मुझे रोकने की कोशिश नहीं की और मै उस स्त्री के पास पहुँच कर उसको बालों से पकड़ कर बलपूर्वक उठाते हुए बोला… चल अब तेरा मुँह खुलवाता हूँ। वह दर्द से बिलबिला कर जोर से चीखी और खुदा की दुहाई देती रही लेकिन उसको बालों से पकड़ कर खींचते हुए मै द्वार की ओर चल दिया। उसकी चीखें और रुदन हाल मे गूँज रही थी परन्तु कोई भी उसकी सहायता के लिये आगे नहीं आया। उस स्त्री को घसीटते हुए मै हाल के बाहर निकल गया था। कुछ दूरी पर खड़ा हुआ जेसी मुझे हैरानी से देख रहे था। वह स्त्री मेरे साथ चलते हुए लगातार सिसक रही थी।

कुछ दूर निकलने के बाद मैने उसके बाल छोड़ते हुए उस पर एक नजर डाली तो एहसास हुआ कि साँवला रंग होने के बावजूद भी तीखे नयन-नक्श और देखने मे उसकी उम्र भी ज्यादा नहीं लग रही थी। सस्ती सी सूती साड़ी और बलाउज मे वह जिस्मानी रुप से काफी परिपक्व लग रही थी। फिलहाल उसके चेहरे पर हवाईयाँ उड़ी हुई थी। इसीलिए मैने नर्म आवाज से पूछा… घबराने की जरुरत नहीं है। उनमे से मुदस्सर कौन है? मेरे मुख से मुदस्सर का नाम सुनकर वह एकाएक छिटक कर मुझसे दूर हो गयी। तब तक जेसी और बैनर्जी मेरे पास आकर खड़े हो गये थे। …बैनर्जी, इसे जेसी के आफिस मे ले जाओ और मुदस्सर के बारे मे इससे पता करो। बैनर्जी ने एक दृष्टि मुझ पर डाली और फिर बंगाली मे उससे कुछ बोल कर उसका हाथ पकड़ कर खींचते हुए जेसी के आफिस की ओर चल दिया था। मै और जेसी वहीं पर खड़े रह गये थे। …सर, आपको क्या लगता है कि यहाँ का प्रशासन हमें ऐसा करने देगा? यहाँ के सभी सरकारी अधिकारियों का राजनीतिकरण के साथ अपराधीकरण हो गया है। पटवारी से लेकर जिला मजिस्ट्रेट तक सभी लोग संगठित अपराध के हिस्से बन गये है। …जेसी, तुम सही कह रहे हो। स्थानीय प्रशासन हमे ऐसा करने की कभी इजाजत नहीं देगा। हमारी प्राथमिकता उन हथियारों के जखीरों को ध्वस्त करने की है। जो लोग इस काम मे संलग्न है उनसे निबटने के लिये स्थानीय पुलिस और अन्य सुरक्षा एजेन्सियाँ है। आंतरिक सुरक्षा की दृष्टि से उनके हथियार नष्ट करना जरूरी है क्योंकि उनका इस्तेमाल वह आगे चल कर नागरिकों और सुरक्षा एजेन्सियों पर करेंगें। हम वहीं खड़े हुए कुछ देर बात करते रहे और फिर कुछ सोच कर जेसी के आफिस की दिशा की ओर निकल गये थे।

जेसी के आफिस मे सब कुछ शान्त लग रहा था। उस स्त्री के साथ बैनर्जी दबी हुई आवाज मे बंगाली मे बात कर रहा था। हमारे प्रवेश करते ही वह दोनो उठ कर खड़े हो गये थे। …कुछ बताया इसने? बैनर्जी ने कहा… साहब, इसके अनुसार उसका नाम मुदस्सर नहीं है। उसका असली नाम शाकिर मुस्तफा है। वह राजशाही मे पाकिस्तानी संस्था हरकत उल अंसार से संबन्ध रखता है। वैसे तो वह हमेशा सीमा के उस तरफ ही रहता है परन्तु पहली बार वह इस ओर किसी खास मकसद से आया है। हरकत उल अंसार का नाम सुनते ही मेरे दिमाग मे घंटी बज गयी थी। मुजफराबाद स्थित आतंकवादी संगठन भला बांग्लादेश मे क्या कर रहा था? …क्या वह उसकी निशानदेही करने के लिये तैयार है? बैनर्जी ने कुछ नहीं कहा परन्तु उसने तस्करों और घुसपैठियों की फाईल को मेरे आगे सरका दिया कर एक चित्र को दिखाते हुए कहा… यह शाकिर मुस्तफा है। एक नजर शाकिर मुस्तफा के चित्र पर डाल कर मैने पूछा… इसके साथ और कितने लोग आये है? …चार लोग आये है। दो रोहिंग्या कैंम्प मे है और दो लोग हथियारों के साथ पकड़े गये थे। …क्या इसने उन लोगों की निशानदेही भी कर दी है? बैनर्जी ने उस फाईल मे से चार फोटो और दिखाते हुए कहा… सर, अब इसका क्या करना है? …अभी इसे यहीं रहने दो। मंजूर को भी अपनी ओर से पता करने दो। एक बार सारी जानकारी क्रास-चेक करने के बाद ही कोई पुख्ता कार्यवाही की जा सकती है। अनजाने मे ही आईएसआई की साजिश की एक कड़ी हमारे हाथ लग गयी थी। मैने तुरन्त पाँचों तस्वीरों को अपने फोन मे कैद कर लिया था।

कमरे से बाहर निकल कर मैने अजीत सर का नम्बर मिलाया… हैलो। …सर, घुसपैठियों से पूछताछ मे एक खुलासा हुआ है। हरकत उल अंसार इस वक्त बांग्लादेश के सीमावर्ती जिलों मे सक्रिय है। अजीत ने चौंकते हुए टोका… क्या? …यस सर, हरकत उल अंसार के कुछ खास लोग हमारी कैद मे है। मै उनकी तस्वीरें आपको भेज रहा हूँ। उनसे आगे की पूछताछ करने के लिये मुझे उनके बारे मे सारी उपलब्ध जानकारी को जानना जरुरी है। …मेजर, लगता है कि आईएसआई ने अपना नया भर्ती केन्द्र बांग्लादेश मे खोला है। …सर, मेरा ख्याल है कि उनके निशाने पर रोहिंग्या युवक और युवतियाँ है। …क्या किसी और तंजीम का भी जिक्र हुआ है? …सर, अभी जाँच चल रही है। …मेजर, अगर यह खबर सच साबित हुई तो इनकी हक डाक्ट्रीन की साजिश की एक महत्वपूर्ण कड़ी हमारे हाथ लग जाएगी। तुम उनकी फोटो भेजो। इतना बोल कर उन्होंने फोन काट दिया था। पाँचों फोटो अजीत सर को भेज कर मै वापिस कमरे मे चला गया था। बैनर्जी और जेसी अभी भी उस स्त्री से बात कर रहे थे। एक बार फिर मुझे देखते ही सब चुप हो गये थे। …बैनर्जी, इससे पता करो कि हरकत उल अंसार जैसी किसी और संस्था को इसने वहाँ देखा है? बैनर्जी ने उससे पूछा तो उसने तुरन्त मना करते हुए अपना सिर हिला दिया था। जेसी ने मुझसे पूछा… सर, जब तक मंजूर नहीं आता तब तक इसका क्या करें? …इसको उन सबसे अलग रखना पड़ेगा। इसका भविष्य सारी सच्चायी जानने के बाद ही तय होगा। जेसी ने तुरन्त कहा… आपके के लिये हमारे गेस्ट हाउस मे एक कमरा दिया जा सकता है। मैने बैनर्जी की ओर देखा तो उसने जल्दी से हामी भरते हुए कहा… ठीक है। यह मेरी देखरेख मे रहेगी।

शाम हो गयी थी। उस स्त्री को बैनर्जी के हवाले करके मै अपने होटल की दिशा मे निकल गया था।  आज मंजूर और बैनर्जी होटल मे नहीं थे तो मै सीधा अपने कमरे मे आ गया था। चांदनी मेरा इंतजार कर रही थी। मुझे देखते ही वह बोली… समीर, हम कब तक यहाँ रहेंगें। मै बोर हो गयी हूँ। उसको जल्दी से शांत करने की मंशा से मैने कहा… चांदनी हम दोनो बेहद नाजुक स्थिति मे है। उस फौजी एक्शन के हम दोनो गवाह है। तुम्हें फौज की पूछताछ से बचाने के लिये मैने उनकी मदद करने का वादा किया है। अगर मै अपना बयान दूँगा तो वह कैप्टेन तुम्हारा नाम अपनी रिपोर्ट मे नहीं डालेगा। इसीलिये हम यहाँ रुके है। मेरी बात सुन कर चांदनी चुप हो गयी थी। मै बेड पर फैलते हुए उसकी ओर हाथ बड़ाते हुए बोला… तुम्हारी बोरियत दूर करने के लिये मै हूँ। वह मेरा हाथ झटक कर इठला कर बोली… तुम्हारे दिमाग मे बस एक चीज ही घूमती रहती है। मै होटल के कमरे मे बंद होकर रह गयी हूँ। …बस एक-दो दिन की और बात है। फिर हम यह जगह छोड़ देंगें। यहाँ से निकल कर अब आगे क्या करने की सोच रही हो? …कुछ खास नहीं सोचा है। अपने कुछ दोस्तों से मिलना चाहती हूँ। मै उठ कर बैठ गया और उसको अपनी बाँहों मे जकड़ कर बोला… अपने कामरेड दोस्तों को भूल जाओ। बेग के कारण शहर मे कर्फ्यु लगा हुआ है। खबर है कि स्थिति काफी संवेदनशील है क्योंकि यहाँ पर कभी भी दंगा भड़क सकता है। वह मचल कर मुझसे दूर होने की कोशिश करते हुए बोली… मैने अपने कुछ दोस्तों से फोन पर बात की थी। अब यहाँ की स्थिति सामान्य हो गयी है। …ठीक है। कल तुम अपने दोस्तों से मिल लेना लेकिन आज की रात पहले मुझे अपना इनाम तुमसे वसूलना है। …हर्गिज नहीं। इतना बोल कर वह उठ कर खड़ी हो गयी। तभी दरवाजे पर किसी ने दस्तक देकर कहा… रुम सर्विस। चांदनी ने मेरी ओर देखा तो मैने कहा… मै खाने का आर्डर देकर आया था। वह खाना लाया है। कुछ ही देर मे वेटर मेज पर खाना सजा कर वापिस चला गया था।

खाना समाप्त करने के बाद एक बार फिर से चांदनी की शिकायतों का दौर आरंभ हो गया था। …हम खाना खाने बाहर भी तो जा सकते थे। …हाँ क्यों नहीं लेकिन फिर। वह तुनक कर बोली… लेकिन फिर क्या? अबकी बार वह कुछ बोलती उससे पहले मैने उसे अपनी बाँहों मे जकड़ा और बेड पर पटक कर उस पर छाते हुए बोला… तो अपना इनाम कैसे वसूलता। वह मेरी पकड़ से छूटने के लिये कुछ देर छटपटाई और फिर मचली परन्तु मै उसकी सुप्त इंद्रियों को जगाने मे व्यस्त हो गया था। थोड़ी देर के पश्चात हमारे कपड़े फर्श पर पड़े हुए थे और हम निर्वस्त्र होकर एक दूसरे मे गुथे हुए थे। तूफान गुजर जाने के बाद अपनी सांसों को काबू मे करके वह धीरे से बोली… आज सुबह अचानक तुम्हें क्या हो गया था? उसके चेहरे को अपने हाथ मे लेकर उसकी आँखों मे झाँकते हुए मैने कहा… उस पल को शब्दों मे बयान करना नामुमकिन है। …अच्छाजी। मेरी उँगलियाँ अभी भी उसके हर उतार-चड़ाव को नाप रही थी। उसके मखमली नितंब को धीरे से सहलाते हुए मेरी उँगली जैसे ही नीचे की दिशा की ओर सरकी उसने आँख दिखाते हुए कहा… हर्गिज नहीं। …प्लीज। …कभी नहीं। जैसे ही मेरी उँगली ने सूर्यमुखी छिद्र को छुआ वह बिदक कर दूर होते हुए बोली… सोचना भी नहीं। उसकी उन्नत गोलाईयों पर अंगूर के दाने की तरह अकड़े हुए स्तनाग्र को धीरे से अपने मुख मे दबा कर मेरी उंगली अपने कार्य मे जुट गयी थी। कुछ देर वह मना करती रही और मै प्लीज की रट लगाता रहा। एलिस की शिक्षा मे परिपूर्ण होने के कारण थोड़ी देर मे ही उसकी उत्तेजना से ओतप्रोत सिस्कारियाँ कमरे मे गूँज रही थी। मै अब तक मिशन मोड मे आ गया था।


ढाका

…भाईजान, हसनाबाद से अभी खबर मिली है कि बेग की हत्या हो गयी है। …क्या बक रहा है? वह व्यक्ति सहम कर दो कदम पीछे हट कर बोला… भाईजान, कलकत्ता से इसकी सूचना अनीस ने दी है। पता चला है कि बरेलवी गुट के रिजवी ने परसों रात बेग की हत्या की है। यह सुन कर आराम कुर्सी पर बैठा हुआ आदमी उठ कर खड़ा हो गया और टहलते हुए बोला… उनके बारे मे क्या खबर है? …भाईजान, वह सही सलामत सीमा पार कर गये थे परन्तु…। टहलता हुआ आदमी एकाएक रुक कर मुड़ा और उस व्यक्ति को घूरते हुए बोला… परन्तु क्या? उसके चेहरे पर आयी दरिंदगी को देख कर वह व्यक्ति घुटनों के बल बैठ कर गिड़गिड़ा कर बोला… भाईजान, हमने तो उन्हे सुरक्षापूर्वक सीमा पार छुड़वा दिया था परन्तु अनीस से पता चला है कि हमारा माल और सभी लोग भारतीय फौज के हाथ लग गये है। जमीन पर बैठे हुए व्यक्ति को लात मार कर वह आदमी गूस्से से दहाड़ा… लाहौल विला कुव्वत। खुदा रहम करे। एक पल रुक वह फिर बोला… भारतीय फौज की मूवमेन्ट की खबर हमे पहले क्यों नहीं लगी? …भाईजान, अपने नेटवर्क के द्वारा पता लगाने की कोशिश कर रहा हूँ। …हमारे लोगो को फौज ने कहाँ रखा है? …पता नहीं। हमारे लोग पता लगाने की कोशिश कर रहे है। यह सुन कर वह आदमी गुस्से से बड़बड़ाता हुआ जल्दी से कमरे के बाहर निकल गया था। उस आदमी के जाने बाद जमीन पर पड़ा हुआ व्यक्ति धीरे से उठते हुए बड़बड़ाया… साले सभी मरेंगें अगर उसे पता चला कि बेग के दो गोदाम भी सामान समेत नष्ट हो गये है।

कमरे के बाहर वह आदमी किसी से फोन पर बात करते हुए गिड़गिड़ा रहा था। …जनाब, अख्तर बोल रहा हूँ। यहाँ से बुरी खबर है। हमारे लोग सीमा पार करते हुए सामान सहित पकड़े गये है। दूसरी ओर से कुछ पूछने के बाद वह बोला…  जनाब, वह एक्शन सीमा सुरक्षा बल के द्वारा नहीं हुआ है। पता चला है वह भारतीय फौज ने सीमा पर अचानक छापा मारा था जिसका राज्य सरकार एवं स्थानीय प्रशासन को भी पता नहीं था। मै पता लगाने की कोशिश कर रहा हूँ कि उनको कहाँ रखा है। दूसरी ओर से नये निर्देश लेने के पश्चात अख्तर जल्दी से बोला… जनाब, कल तक आपको इसकी सारी जानकारी दे दूँगा। खुदा हाफिज़। बस इतना बोल कर उसने फोन काट दिया था।

6 टिप्‍पणियां:

  1. जबर्दस्त अपडेट घुसपैठियों के साथ ही आतंकी भी समीर के हाथ लगे हैं अब देखते हैं क्या होता है।

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    1. अल्फा भाई शुक्रिया। जब सुरक्षा एजेन्सियों के एक आतंकी हाथ लगता है तब उसके बाद उनकी साजिश की धीरे-धीरे परते खुलनी शुरु हो जाती है लेकिन पकड़े जाने के बाद वह गुमराह करने की कोशिश भी करते है। यहीं पर उनके असली मकसद का पता लगाने के लिये हमारे लोगों का अनुभव व कार्यकुशलता काम आती है।

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  2. आतंकी तंझिमोका अवैध हथीयारोंका बडा कारटेल आर्मीके हाथ लग गया, समीर के हाथो आय एस आय की एक गहरी साजीश का सूत्र हाथ लग, देखते है समीर इस सबसे कैसे पार पाता है, बाकी फ्री टाइम मे चांदनीके कस बल ठिकसे ढिले कर दिये😎😉

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    1. प्रशांत भाई इस बार अनजाने मे एक गहरी साजिश का सूत्र हाथ लगा है परन्तु उस सूत्र से उनके असली मकसद का पता करने के लिये एजेन्सियों को कितना परिश्रम करना पड़ता है आगे पता चलेगा। उदारवाद, स्वतंत्रता और अधिकारों के पैरोकार वामपंथियों का दोगलापन उनकी चाल और चरित्र से पता लगता है। चांदनी उसी सोच का एक उदाहरण है।

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