गहरी चाल-6
अब सारी स्थिति हमारे नियन्त्रण मे थी। बैनर्जी भले ही चुप हो गया था परन्तु उसका चेहरा उसकी बैचेनी को साफ दर्शा रहा था। एक नजर अपनी कलाई पर बंधी हुई घड़ी पर डाल कर मैने जैसी से कहा… कैप्टेन उन लोगो की क्या हालत है? …सर कोई भी हिलने की स्थिति मे नहीं है। …क्या उन सभी को एक कमरे मे बन्द करके हम यहाँ से निकल सकते है? जेसी इस बारे मे कुछ भी बोलने से कतरा रहा था तो मैने तुरन्त कहा… उन सबको एक कमरे मे बन्द करके अपने सभी साथियों यहाँ एकत्रित करो। जेसी तुरन्त अपने पंजो पर घूमा और अपने साथियों को बुलाने के लिये चला गया। …सर, क्या आज युद्ध की तैयारी करके आये है? मैने कोई जवाब देना ठीक नहीं समझा बस बैनर्जी की बात सुन कर धीरे से मुस्कुरा कर कहा… बैनर्जी साहब आगे-आगे देखिये होता है क्या। अगले कुछ पलों में जेसी और उसके पाँच साथी मेरे सामने खड़े हुए थे। …जेसी अपने एक सैनिक को उस कमरे के दरवाजे पर पोजीशन लेकर तैनात कर दो। अगर उनमे से कोई बाहर निकलने की कोशिश करेगा तो उसे तुरन्त शूट कर देना। जेसी ने तुरन्त कहा… पंडित जी फौरन उस दरवाजे पर तैनात हो जाओ। अगर कोई बाहर निकलने की कोशिश करे तो शूट टु किल। कोई शक। पंडित नाम का सैनिक फौरन अपनी एके-203 सीने से लगा कर वापिस उस कमरे की दिशा मे चला गया था।
जेसी और चार सैनिक मेरे सामने खड़े थे। बैनर्जी को मिला कर अब हम सात लोग थे। हम सभी जीप मे बैठ कर पहले गोदाम की ओर चल दिये थे। अंधेरा गहरा हो गया था। सड़क सूनी हो गयी थी। वैसे भी बेग के काले धंधे के कारण हसनाबाद का यह हिस्सा स्थानीय लोगों के लिये प्रतिबंधित क्षेत्र था। मेरा ध्यान अब उसके गोदाम पर केन्द्रित था। जमाल ने बताया था कि उस गोदाम पर तैनात सभी लोगों को बैग ने आज दोपहर को अपनी हवेली पर तैनात किया था। इसका मतलब तो फिलहाल वहाँ पर हमे कोई रोकने वाला नहीं था। मै कोई रिस्क उठाना नहीं चाहता था। सड़क का मोड़ काटते ही वह दो मंजिला गोदाम हमारे सामने आ गया था। मेरे एक इशारे पर अगले ही क्षण गोदाम की दीवार के किनारे जीप रुकते ही जेसी और उसके साथी जीप से उतर कर अंधेरे मे उस गोदाम के मुख्य द्वार की ओर बढ़ गये थे। मै और बैनर्जी उनके पीछे हो लिये थे। मुख्य द्वार पर बड़ा सा पीतल का ताला पड़ा हुआ था। जेसी ने मेरी ओर देखा तो मैने जल्दी से कहा… कैप्टेन दस फीट से कम उँचाई की दीवार है। तुम्हारे दो साथियों को लेकर मै अन्दर स्काउट पार्टी बन कर जा रहा हूँ। अपनी टू-वे डिवाईस मुझे दो। हमारे इशारे पर ही ताला तोड़ने की कोशिश करना उससे पहले तुम्हारी ओर से कोई कार्यवाही नहीं होनी चाहिये। …जी सर। इतना बोल कर उसने एक सेट टू-वे डिवाईस मेरी ओर बढ़ा दिया था। मैने जल्दी से इयरफोन को कान पर लगाया और माईक की दूरी को सेट करते हुए बोला… ब्रावो, चार्ली। रेडी टु मूव? मेरे कान मे फौरन आवाज गूंजनी आरांभ हो गयी… आल क्लीयर। लाउड एन्ड क्लीयर। आल सेट टु गो।
दो सैनिक दौड़ कर दीवार के साथ एक दूसरे का हाथ पकड़ कर खड़े हो गये थे। जेसी ने थम्ब्स अप का इशारा किया और चार कदम भाग कर मै उनके हाथों के जोड़ पर हवा मे छलांग लगायी और मेरा कदम उस जोड़ पर पड़ते ही दोनो सैनिकों ने मुझे हवा मे उछाल दिया। दीवार का सिरा सामने आते ही मै उसको पकड़ कर हवा मे लटक गया और अपने जिस्म को हवा मे लहरा कर दीवार के दूसरी ओर लटक गया था। जब तक मै नीचे जमीन पर उतरा तब तक मेरे दो साथी भी अन्दर के अहाते मे पहुँच गये थे। घना अंधेरा व्याप्त था। मैने माईक पर जल्दी से कहा… बरामदा आल क्लीयर। हम इमारत के अन्दर जा रहे है। …गुड लक। डेल्टा फार्मेशन बना कर हम तीनो इमारत मे प्रवेश कर गये थे। मेरे हाथ मे पकड़ी हुई ग्लाक का सेफ्टी लाक हट गया था। दबे पाँव फूंक-फूंक कर कदम बढ़ाते हुए एक दरवाजे के सामने पहुँच गया था। पीछे से कवर करते हुए दो सैनिक पाँच कदम पीछे मेरे दाँये और बाँये चल रहे थे। मेरा सारा ध्यान सामने की ओर लगा हुआ था। दरवाजे के सामने पहुँच कर मैने हवा मे हाथ उठा कर रुकने का इशारा किया और फिर बन्द दरवाजे धीरे से अन्दर की ओर धकेला तो दरवाजा खुलता चला गया था।
कमरे मे घुप अंधेरा देख कर एक पल के आगे बढ़ने से झिझका लेकिन तभी हल्की सी खटकने की आवाज मेरे कान मे पड़ी तो दरवाजे से सामने से हटने के लिये मैने पूरे वेग से अन्दर छलांग लगा दी थी। एकाएक सारा कमरा बिजली की रौशनी से रौशन हो गया था। उसी के साथ एक दिशा से एके-47 का फायर दरवाजे की दिशा मे हुआ। मै कुछ पल हवा मे स्थिर हो गया था। अगला फायर होता तब तक मै धरती पर गिर कर अपने जिस्म को सिकोड़ कर रोल करते हुए एक लकड़ी की पेटी के आढ़ मे चला गया था। इस बार मै बाल-बाल बचा था। अपने आपको सुरक्षित करके मै जोर से चिल्लाया… हाल्ट। अपने दोनो साथियों और जेसी को तुरन्त खतरे से आगाह करके अपने उपर फायरिंग करने वाले हमलावरों पर ध्यान केन्द्रित किया। उन लकड़ियों की पेटियों की आढ़ से फायरिंग की दिशा मे नजर डाली तो मुझे दो परछाँईयाँ दीवार पर बनी हुई दिखायी दी …दो हमलावर है। मेरा अनुमान है कि एक हमलावर एके-47 से लैस है। मेरी बात अपने साथियों तक पहुँचाने के पश्चात अब उनको न्युट्रिलाइज करने की जिम्मेदारी स्काउटिंग पार्टी की थी। हमलावरों के स्थान का दिशाज्ञान करके मैने अपनी जगह बदलते हुए एक दिशा मे अनुमान से एक के बाद एक तीन फायर करके पेटियों के दूसरी ओर चला गया था। एक दर्दभरी चीख सुन कर बुदबुदाया… वन डाउन एन्ड वन टु गो। काउन्टडाउन मेरे दिमाग मे स्वत: आरंभ हो गया था।
अपनी स्थिति का जायजा लेने के बाद मैने माइक पर पहला निर्देश दिया… ब्रावो बाँये फ्लैंक पर फायर करके चार्ली को कमरे मे प्रवेश करने के लिये कवर दो। मेरे कान मे दो आवाजें एक साथ पड़ी… यस सर। अगले ही पल दरवाजे की ओर से एके-203 ने एक दिशा मे फायर किया और उसी फायरिंग का लाभ उठा कर दाँयी ओर से मेरा एक साथी कमरे मे प्रवेश कर चुका था। अबकी बार कमरे से किसी ने जवाबी फायर नहीं किया था। …चार्ली मुझे कवर करो। इतना बोल कर मै पेटी की आढ़ से निकल कर अपनी ग्लाक ताने उस दीवार की दिशा मे बढ़ा जिसको ब्रावो की फायरिंग ने उधेड़ कर रख दिया था। दो लड़के लहुलुहान हालत मे पेटियों के पीछे पड़े हुए थे। …टू बोगीज इन्जर्ड। रुम क्लीयर। अगले कुछ पलों के बाद सभी लोग उस कमरे मे पहुँच गये थे। जेसी को देखते ही मैने कहा… पूरे मकान को चेक करके सेनेटाइज करवाओ। तब तक मै इस कमरे मे रखी पेटियों की जाँच कर रहा हूँ। बेग के घर से निकल कर हमे पूरे आप्रेशन मे मुश्किल से बीस मिनट लगे थे।
पहली पेटी खोलते ही समझ मे आ गया था कि यहाँ से ड्रग्स का व्यापार चल रहा था। उसकी कनसाईनमेन्ट पेटियाँ सलीके से एक किनारे मे रखी हुई थी। मै अभी दूसरी पेटी खोलने की कोशिश कर रहा था कि तभी बैनर्जी की आवाज मेरे कान मे पड़ी… सर, जरा यह भी देख लिजिये। मै उसकी ओर चला गया था। यह भी लकड़ी की पेटी थी परन्तु लम्बाई के अनुपात मे चौड़ाई बहुत कम थी। बैनर्जी ने एक टूटी हुई लकड़ी की खपच्ची को उखाड़ कर जगह बना दी थी। एके-47 की नाल खाली हिस्से से बाहर झांक रही थी। …साहब, यह तो हथियारों का व्यापारी लग रहा है। …बैनर्जी साहब, यह ड्रग्स का व्यापारी भी है। हरेक पेटी खोल कर देखनी पड़ेगी। इतना बोल कर हमने हरेक पेटी खोलना आरंभ कर दिया था। एक घंटे के अथक प्रयास के पश्चात दो मंजिला इमारत के हर कमरे और हर पेटी का निरीक्षण करके हम सातों एक कमरे मे एकत्रित हो गये थे। हथियारोँ और ड्रग्स के जखीरे के साथ हमे और भी बहुत सी विस्फोटक सामग्री मिली थी।
सबसे पहले मैने सभी खुली हुई पेटियों मे रखे हुए सामान की अपने फोन कैमरे से फोटो निकाल ली थी। यही निर्देश मैने जेसी को भी दे दिये थे। कैप्टेन जेसी ने कुछ छपे हुए पैम्फलेट दिखा कर कहा… सर, पहली मंजिल पर दंगा भड़काने का ऐसा बहुत सा सामान एक कमरे मे रखा हुआ है। एक कमरे मे रुपयों से भरी हुई पेटियाँ भी मिली है। …कैप्टेन, वह सब जाली करेन्सी के नोट है। यह बोल कर मैने एक पैम्फ्लेट को देखा तो एक पल के लिये मै स्तब्ध रह गया था। लाशों के चित्र मे भगवा झंडा दर्शा कर नीचे काफिरों के विरुद्ध जिहाद छेड़ने का आह्वान दिया गया था। दूसरा पैम्फ्लेट लव जिहाद के बारे मे था। काफ़िर लड़कियों को जहन्नुम की आग से बचाने के लिये मोमिन युवकों को उनके धर्म परिवर्तन के लिये उकसाया गया था। …केप्टेन सभी पैम्फ्लेट्स की एक-एक प्रति इकठ्ठी करके एक फाइल बनाने की जिम्मेदारी किसी पर डाल कर इनके ही सेम्टेक्स को पूरे मकान मे लगवा दो। टाइमर, फ्युज और ग्रेनेड्स मुझे दे दो। कुछ देर के बाद ग्रेनेड्स के चार बाक्स, एक टाईमर का बाक्स और फ्युज वायर का गुच्छा मेरे सामने रखवा कर जेसी अपने साथियों को लेकर सेम्टेक्स की छ्ड़े लगाने के लिये कमरे से बाहर निकल गया था।
एक बार फिर से मै अपने स्पेशल फोर्सेज के भुमिका मे आ गया था। मेरे हाथ बिजली की तेजी से ग्रेनेड के पिन निकाल कर सीरीज मे ग्रेनेड जोड़ते चले जा रहे थे। पाँच ग्रेनेड की एक लड़ी को फ्युज के साथ जोड़ कर टाईमर को फिट करके ब्लास्ट के लिये तैयार कर दिया था। ऐसी दस लड़ियाँ तैयार करके दस कमरों मे फैले हुए सेम्टेक्स की छड़ों के साथ जोड़ कर मैने एक भारी भरकम विस्फोट का इंतजाम कर दिया था। जेसी की टीम भी विस्फोटकों के मामले मे काफी निपुण साबित हुई थी। सारा काम समाप्त करने मे दो घंटे और लग गये थे। गोदाम मे विस्फोट को सुबह के चार बजे के समय पर सेट किया था। …जेसी अपने एक्स्प्लोसिव्स एक्स्पर्ट से हरेक कनेक्शन डबल चेक करवा लो तब तक एक सैनिक को बेग के घर पर भेज दो। बैनर्जी तो शायद किसी और ही दुनिया मे पहुँच गया था। उसे समझ मे नहीं आ रहा था कि आखिर यह सब क्या हो रहा था। वह पुलिस का आदमी था और उसकी नजर मे यह सब काम गैर कानूनी था। फौज की कार्यवाही को देख कर वह पहले से ही अचंभित था परन्तु अब तो वह अपने आपको किसी और ही दुनिया मे महसूस कर रहा था।
सारे कनेक्शन चेक हो गये थे। मकान का कोई भी हिस्सा विस्फोटक सामग्री से अछूता नही रहा था। एक नजर सभी कमरो मे डाल कर मै जब उस इमारत से बाहर निकला तब तक रात के दस बज चुके थे। …सर उन दोनो घायलों का क्या करना है? …बैनर्जी, आप चाहे तो उन्हें खुद बचा लिजिये अन्यथा आप चाहे तो अपना भार कम करने हेतु उन्हें गोली मार दिजिये। हमारे लिये वह दुश्मन है जो मर चुके है। अगर अभी नहीं मरे है तो सुबह चार बजे मारे जाएँगें। बैनर्जी मुँह फाड़े कुछ पल मुझे देखता रह गया था। …आप हमारे साथ चल रहे है या कहीं और जाने की सोच रहे है। बैनर्जी जल्दी से बोला… साहब, मै आपके साथ चल रहा हूँ। इतना बोल कर वह जल्दी से जीप मे चढ़ गया। मेरे जीप मे बैठते ही हमारी सवारी खेत के गोदाम की ओर निकल गयी थी। …जेसी, मै और बैनर्जी वह गोदाम दिखा कर वापिस बेग की कोठी पर पहुँच जाएँगें। मेरी कार्यशैली तुम देख चुके हो। बस वैसे ही इस गोदाम को आज रात जमीन्दोज करना है। यहाँ का सारा काम समाप्त करके तुम अपनी दोनो टीम के पास चले जाना और सुबह चार बजे तक तुम हमे उसी हाईवे की क्रासिंग पर मिलना। याद रहे कि नो सर्वाईवर्स वान्टेड। जस्ट शूट टु किल। अपना एक भी साथी घायल नहीं होना चाहिये। वहाँ पर एके-203 का इस्तेमाल मत करना। बेग के गोदाम से उठाई एके-47 को इस गोदाम पर इस्तेमाल करना। …निश्चिन्त रहे सर। ऐसा ही होगा। खेत के गोदाम को दिखा कर हम दोनो पैदल बेग के मकान की दिशा मे चल दिये थे।
पैदल चलते हुए मै कुछ बोलता उससे पहले बैनर्जी ने कहा… सर, आपकी कार्यशैली देख कर पहली बार मुझे अपनी इतने साल की नौकरी पर शर्म आ रही है। सच पूछिये अब सोचता हूँ तो अगर मैने थोड़ी हिम्मत दिखायी होती तो बेग इतना बड़ा नासूर नहीं बन पाता। …बैनर्जी, बेग जैसे लोग हमारे देश को दीमक की तरह चाट रहे है। मुश्किल घड़ी मे कठिन निर्णय लेने पड़ते है। …सर, बेग जैसे नेता इस राज्य के हर जिले मे मौजूद है। बेग के संरक्षण मे आये हुए शरणार्थियों के जाली राशनकार्ड व वोटर कार्ड यहीं के तहसीलदार और पटवारी बनाते है। इस काम के एवज मे बेग उनको पैसे और एयाशी के लिये शर्णार्थी लड़कियों को उपलब्ध करवाता है। एक बार अधिकारी उसके जाल मे फँस गये तो शर्णार्थियों के पहचान पत्र आसानी से तैयार हो जाते है। उसके बाद बेग उनको किसी और राज्य मे भेज देता है। हमे यह भी पता चला है कि दूसरे राज्यों के मुफ्ती और मौलाना भी बेग जैसे लोगों को बताते है कि उसके यहाँ ठहरे हुए शरणार्थियों को कहाँ बसाना है। यह सिलसिला कुछ सालों मे काफी जोर पकड़ गया है। कुछ सोच कर मैने पूछा… यहाँ पर बेग को चुनौती देने वाला कोई दूसरा गुट भी होगा? …साहब, इसके विरुद्ध यहाँ पर शिया फिरके का बरेलवी गुट है। इस जिले मे सुन्नी फिरके का दबदबा होने के कारण वह शिया फिरके पर भारी पड़ता है। उसकी बात सुन कर मेरे दिमाग मे एक विचार आ गया था।
अंधेरा गहरा हो गया था। हम बेग के मकान पर पहुँच गये थे। सब कुछ शांत दिख रहा था। लोहे का गेट खोल कर जैसे ही हम आगे बढ़े तभी पंडित नाम का सैनिक हाथ मे एके-203 ताने सामने खड़ा हो गया था। …पंडितजी अन्दर का क्या हाल है? …जनाब, सब शांत है। वह सब कमरे मे बन्द है। कुछ सोच कर मैने पूछा… बैनर्जी, अगर आज शिया गुट को पता चल गया कि बेग और उसके निहत्थे गुन्डे एक कमरे मे बन्द है तो वह उनके साथ क्या करेंगें? …यह भी कोई पूछने की बात है साहब, इस मौके को वह अपने हाथ से जाने नहीं देंगें और तुरन्त इन सब का सफाया करके इस इलाके मे अपना वर्चस्व स्थापित कर लेंगें। …बैनर्जी, अच्छा तो फिर यही होगा कि इन दोनो के बीच खिंची हुई दरार को खायी मे बदल दिया जाये। क्या तुम शिया गुट के किसी आदमी के पास इसकी खबर कर सकते हो? एक बार बैनर्जी ने मेरी ओर अविश्वास भरी नजरों से देखा और फिर मुस्कुरा कर बोला… इसकी खबर तो मै बड़ी आसानी से कर सकता हूँ। …ठीक है, तुम इसकी सूचना दे दो और मै अपने काम पर लग जाता हूँ। बैनर्जी एक किनारे मे चला गया और किसी से फोन से बात करने लगा और मै अपनी नयी रणनीति तैयार करने मे लग गया था।
हम बेग की कोठी से बाहर निकल कर एक दीवार की आढ़ मे बैठ गये थे। मेरे साथ स्पेशल फोर्सेज एक कमांडो और आईबी का चंद्रजीत बैनर्जी रह गये थे। बेग के सुरक्षाकर्मियों की स्वचालित एक-47 हमने अपने कब्जे मे कर ली थी। एक घंटे के अन्तराल से बेग की कोठी से कुछ दूरी पर अंधेरे मे करीब दर्जन से ज्यादा साये इकठ्ठे होते हुए दिखे तो हम सभी सावधान हो गये थे। वह समूह दबे पाँव बेग की कोठी की ओर बढ़ रहा था। अचानक बैनर्जी ने दबी आवाज मे किसी को पहचानते हुए मुझसे बोला… बेग के लिये तो खुद रिजवी आया है। …रिजवी कौन है? …सर, हसनाबाद मे शिया फिरके का मुखिया है। मैने उसी को खबर दी थी। …चलो अच्छा हुआ। हम दबे स्वर मे बातचीत कर रहे थे और रिजवी और उसके लोग हमारी ओर बढ़ रहे थे। लोहे के गेट के सामने पहुँच कर वह कुछ क्षणों के लिये रुक गये थे। …क्या हुआ? रात के सन्नाटे मे एक आवाज गूँजी… चलो आगे बढ़ो। सावधानीवश धीरे-धीरे वह सभी लोग कोठी के अहाते मे प्रवेश कर गये थे। अब वह सब हमारे निशाने पर थे परन्तु अभी उन्हें हमारे एक काम को अंजाम देना था। हम दूर से चुपचाप उनकी गतिविधियों पर नजर रखे हुए थे।
रिजवी नाम के व्यक्ति ने जैसे ही अपने साथियों को इशारा किया तो उस भीड़ मे खलबली मच गयी थी। उसके आदमियों ने तेजी से कमरों की तलाशी लेना आरंभ कर दिया। किसी की आवाज ने रात की शांति को भंग किया… भाईजान वह सब यहाँ है। साले चूहे की तरह दुबक कर बैठे हुए है। सारे लोग तुरन्त उस दिशा की ओर बढ़ गये थे। कुछ देर के बाद कोठी के अंदरुनी भाग मे इंसानी शोर के साथ चीखने की आवाज गूंजने लगी और एकाएक फिर गोलियाँ चलने की आवाज हमारे कानों मे पड़ी तो मै समझ गया कि बेग की कहानी का अंत हो गया था। हम अंतिम मुठभेड़ के लिये तैयार हो गये थे। कुछ देर के बाद अपनी जीत के दंभ मे रिजवी और उसके साथी ठहाके लगाते हुए जैसे ही कोठी के अहाते मे पहुँचे तभी बैनर्जी बांग्ला भाषा मे जोर से चीखा… रुक जाओ। अपने हथियार जमीन पर रख कर एक किनारे मे खड़े हो जाओ। वह सभी चौंक कर ठिठक कर वहीं रुक गये थे। बैनर्जी ने एक बार फिर से अपनी बात दोहरायी परन्तु इस वक्त उनकी मनोस्थिति ऐसी थी कि सब कुछ कर गुजरने के लिये तैयार थे। उनमे से किसी ने एकाएक अंधेरे मे फायर कर दिया।
…फायर। मै जोर से चीखा और मेरे साथ खड़े हुए पंडित ने बेग की एक-47 से सधी हुई फायरिंग आरंभ कर दी थी। अगले ही क्षण कटे हुए वृक्ष कि भांति सभी जो अब तक जश्न मना रहे थे वह एक-एक करके जमीन पर गिरते चले गये थे। उस सधी हुई फायरिंग से बचने की स्थिति मे कोई भी नहीं था। रिजवी को तो पता ही नहीं चल पाया था कि वहाँ अचानक क्या हुआ था। मैने फायरिंग रोकने का इशारा किया और दीवार को फांद कर अहाते मे चला गया। मेरे पीछे-पीछे दोनो दीवार के पीछे से निकल कर अहाते मे आ गये थे। मेरा इशारा पाते ही मैने उन्हें कवर कर लिया और दूसरा सैनिक मृत लोगो को देखने मे व्यस्त हो गया था। अहाते को अपने नियंत्रण मे लेने के थोड़ी देर के बाद उसने बताया कि इस मुठभेड़ मे कोई भी नहीं बच पाया था। एक नजर सभी पर डाल कर मै उस कमरे की ओर चला गया जहाँ बेग और उसके साथियों को हमने बन्द किया था। वहाँ पर भी कोई जिवित नहीं बचा था। मैने अपने सैनिकों से कहा… इनकी एक-47 यहाँ पर डाल कर फौरन निकलो। एक बार उस कोठी पर एक नजर डाल कर मै बाहर निकल आया था। एक ही रात मे हसनाबाद के विघटनकारी साम्राज्य का सफाया हो गया था।
बैनर्जी ने चलते हुए कहा… सर, एक ही रात मे आपने यहाँ का सारा जिहादी नेटवर्क तबाह कर दिया है। दूसरी जगहों पर भी क्या आप यही करने की सोच रहे है? …फिलहाल तो नहीं। एक बार इस घटना का राज्य सरकार पर क्या असर होता है उसको देख कर ही आगे की रणनीति तैयार करेंगें। …सर, एक ही कार्यवाही से यहाँ की विधान सभा मे भूचाल आ जाएगा। सत्तापक्ष इस घटना का सारा दोष विपक्ष पर थोपेंगें और विपक्ष सड़क पर उतर कर सत्तापक्ष के विरोध मे आन्दोलन छेड़ देगा। आने वाले कुछ दिन इस राज्य मे बेहद मुश्किल होंगें। बैनर्जी कुछ और बोलता इससे पहले मैने कहा… चलो आप तीनो हाईवे की ओर निकल जाओ और मै कुछ देर मे वहीं पहुँच रहा हूँ। इतना बोल कर मै होटल की ओर निकल गया था। जब तक मै कमरे मे पहुँचा तब तक चांदनी शांत हो चुकी थी। मुझे देखते ही झपट कर मुझसे लिपटते हुए बोली… आज अगर तुम समय पर नहीं आते तो न जाने क्या होता। उसको अनसुना करके मैने एक नजर घड़ी पर डाली तो तीन बजने मे अभी कुछ मिनट शेष थे। अब हमारे पास ज्यादा समय नहीं था। उसे अपने से अलग करते हुए मैने कहा… चांदनी, अब यहाँ पर रुकना खतरे से खाली नहीं है। जल्दी से अपना सामान उठाओ और यहाँ से चलो। यह बोल कर मैने जल्दी से अपना सामान बैग मे भरा और चलने के लिये तैयार हो गया था।
सारा होटल सन्नाटे मे डूबा हुआ था। वैसे भी ऐसा टाइम था कि जब सभी गहरी नींद मे डूबे हुए थे। …हम चोरों की तरह यहाँ से क्यों भाग रहे है? …चाँदनी, क्या बेग आराम से हमे यहाँ से जाने देगा? मेरा सवाल सुन कर वह चुप हो गयी थी। कुछ ही देर मे हम दोनो दबे पाँव होटल के बाहर निकल आये थे। होटल छोड़ने से पहले मुझे एक काम और करना था। चाँदनी को होटल के बाहर एक पेड़ के पास खड़ा करके जैसे ही मै वापिस जाने के लिये मुड़ा उसने मेरा हाथ पकड़ कर रोकते हुए पूछा… अब कहाँ जा रहे हो? …हमारी उपस्थिति के निशान मिटाने के लिये जाना जरुरी है। बेग अब हम दोनो को यहाँ से जिन्दा वापिस जाने नहीं दे सकता। मेरी बात सुन कर एक पल के लिये वह स्तब्ध रह गयी थी। उसे वहीं छोड़ कर मै रिसेप्शन की ओर चला गया था। कमरे मे चाय और खाना पहुँचाने वाला वेटर रिसेप्शन के एक किनारे मे जमीन पर चादर ताने सो रहा था। मै दबे पाँव रिसेप्शन काउन्टर पर पहुँच गया। मैने जल्दी से काउन्टर की दराज खोल कर विजिटर फाइल निकाल कर उसमे से चांदनी का आईकार्ड और अपना वोटर कार्ड की फोटोकापी के कागज निकाल कर अपनी जेब के हवाले किया और फिर रिसेप्शन काउन्टर पर रखे हुए होटल के रजिस्टर को लेकर मै चांदनी के पास पहुँच कर बोला… आओ चलें।
थोड़ी देर के बाद हम हाईवे पर बैनर्जी और दो सैनिकों के साथ जेसी की टीम का इंतजार कर रहे थे। मैने होटल का रजिस्टर और फोटोकापी को सड़क के किनारे आग जला कर उसमे स्वाहा किया लेकिन इस बार चांदनी ने मुझसे कोई प्रश्न नहीं किया। शायद उसने भी बेग से हमेशा के लिये अपना पीछा छुड़ाने के लिये हालात से समझौता कर लिया था। ठीक चार बजे बहुत दूर से एक दबे हुए विस्फोट की आवाज हमारे कान मे पड़ी और उसके बाद तो ऐसा प्रतीत हुआ कि जैसे दूर कही दीवाली की आतिशबाजी आरंभ हो गयी थी। चाँदनी चुपचाप एक किनारे मे बैठी हुई अपनी सोच मे डूबी हुई थी जब विस्फोट की आवाज आयी थी। उसने चौंक कर मेरी ओर देखा तो मैने जल्दी से कहा… घुसपैठियों के विरुद्ध आर्मी का एक्शन आरंभ हो गया है। एक बार फिर से वह अपनी सोच मे डूब गयी थी। मै मन ही मन सोच रहा था कि क्या यह अपना मुँह बन्द रख सकेगी? एक बार फिर से अपने पदचिन्हों की छाप को अपने दिमाग मे ट्रेस करते हुए मै सोच रहा था कि क्या अभी भी कोई ऐसा सुराग मैने गलती से वहाँ पर छोड़ा था जिसके कारण कोई जाँच एजेन्सी हम तक पहुँच सके। फौज को छोड़ कर इस कार्यवाही के बस तीन लोग गवाह थे। बैनर्जी को छोड़ कर बाकी सभी को सिर्फ आधी-अधूरी जानकारी थी।
हाईवे पर जेसी की जीप और उसके पीछे तीन ट्रक रात का अंधियारा छँटने के कुछ देर बाद पहुँचे थे। आसमान पर लालिमा छाने लगी थी। एक ही समय पर रेड डालने से जेसी की टीम ने कमाल कर दिया था। लगभग 120 बांग्लादेशी और रोहिंग्या शरणार्थियों को पकड़ लिया था। उन्होंने सभी को सीमा सुरक्षा बल के दो ट्रकों मे भर दिया था। फौज के ट्रक मे तस्करी का जब्त सामान रख दिया था। ड्राईवर के साथ हर ट्रक मे दो तस्कर रस्सियों मे जकड़े हुए एक किनारे मे बैठे हुए थे। …जेसी तुम्हारी एक टीम कहाँ है? …सर, वह सीमा सुरक्षा दल के साथ पीछे आ रहे है। वह इस सेक्टर के सभी सिपाहियों और अधिकारी को सीमा सुरक्षा बल के कमांडेन्ट के हवाले करके वापिस आएँगें। …यह अच्छा किया तुमने क्योंकि अब जिसको भी इस सेक्टर मे तैनात किया जाएगा वह ऐसी गलती दोबारा नहीं करेगा। …सर, इन शरणार्थियों का क्या करना है? …अभी के लिये इन्हें कलकत्ता लेकर चलना है। वहाँ पर जनरल बक्शी से बात करके सोचेंगें कि इनका क्या करना है। …उस गोदाम का क्या हुआ? …सर, उन्हीं के बारुद से उस गोदाम को भी ध्वस्त कर दिया है। वहाँ आठ कैज्युलटी हुई है। नो ट्रेसेज लेफ्ट बिहाईन्ड। …गुड। एक घन्टे के बाद सीमा सुरक्षा दल का ट्रक हमारे सामने आकर रुका और उसमे से जेसी की एक टीम के साथ एक व्यक्ति उतर कर हमारे पास पहुँच कर बोला… सर, मै कमान्डेन्ट अवतार सिंह गिल हूँ। सबको हिरासत मे लेकर उनके खिलाफ हमने कार्यवाही आरंभ कर दी है। फिलहाल हमने अपनी दूसरी युनिट के कुछ लोगों को इस सेक्टर की सुरक्षा पर लगा दिया है। जेसी ने मेरी ओर देखा तो मैने जल्दी से कहा… कमांडेन्ट गिल, हर व्यक्ति की जाँच की रिपोर्ट अगले सात दिन मे कलकत्ता पहुँच जानी चाहिए। अब आप जा सकते है। वह तेजी से मुड़ा और अपना ट्रक लेकर वापिस चला गया था।
जेसी की टीम उसके साथ जीप मे बैठ गयी थी। बैनर्जी, रामबीर और मंजूर इलाही मेरे अगले निर्देश का इंतजार कर रहे थे। मैने कुछ नोट जेब से निकाल कर रामबीर को देते हुए कहा… इन पैसों को लेकर तुम कुछ दिनों के लिये यहीं से अपने गाँव चले जाओ क्योंकि अभी यह जगह किसी के लिये भी सुरक्षित नहीं है। बैनर्जी और मंजूर इलाही तुम दोनो मेरे साथ कलकत्ता चल रहे हो। बैनर्जी ने तुरन्त कहा… सर, रामबीर को भी कलकत्ता लेकर चलते है। वह वहीं से अपने गाँव निकल जाएगा। यहाँ पर कुछ दिन के लिये कर्फ्यु लग जायेगा तब इसका यहाँ से निकलना मुश्किल हो जाएगा। मैने सहमति मे अपनी गरदन हिला दी थी। जेसी ने पूछा… सर, अब आगे क्या करना है? …कुछ नहीं, बस हम सभी को जल्दी से जल्दी पूर्वी कमान के कैन्टोनमेन्ट पहुँचना है। यह बोल कर मैने चांदनी को सहारा देकर उस ट्रक मे बैठा दिया जिसमे तस्करी का सामान रखा हुआ था। उसके पीछे-पीछे वह तीनो भी ट्रक मे चढ़ गये थे। मैने जेसी को चलने का इशारा किया और अगले ही पल हमारा काफिला कलकत्ता की ओर रवाना हो गया था। थकान से मेरा जिस्म टूट रहा था। ट्रक मे रखे हुए समान का सहारा लेकर मै आँख मूंद कर बैठ गया था।
रास्ते मे चांदनी ने पूछा… हम इन लोगों के साथ कहाँ जा रहे है। हमे तो बशीरघाट जाना है। मैने उसकी कमर मे हाथ डाल कर अपने पास खींचते हुए कहा… जेसी की टीम यहाँ पर घुसपैठिये पकड़ने के लिये आयी थी। वह वापिस कलकत्ता जा रहे थे तो मैने उनसे लिफ्ट मांग ली है। …हमे वापिस जाने की क्या जरुरत है। क्या हम आगे नहीं जाना है? …कल दोपहर को जो तुम्हारे साथ हुआ है क्या उसके बाद भी तुम ऐसे लोगो से अब भी मिलना चाहोगी? मेरी बात सुन कर वह चुप हो गयी थी। मैने धीरे से कहा… चाँदनी, यह अनुभव तुम्हारे लिये एक शिक्षा है। वामपंथी विचारधारा मे कोई खराबी नहीं है परन्तु जिहादी और विघटनकारी मानसिकता मे दोष है। फौज से भी कुछ ज्यादती हो जाती है परन्तु उसके लिये उन्हें कानूनी रुप से सजा दी जाती है। जैसे कि सीमा सुरक्षा दल अब उन सिपाहियों के विरुद्ध कड़ा एक्शन लेगी जो बेग के लिये काम करते थे। बेग और तपन बिस्वास जैसे लोग तुम जैसे लोगों को आगे करके अपना उल्लू सीधा करते है। तुम्हीं बताओ कि क्या तुम उनके जैसे मुनाफिकों के हाथ मे खिलौना बनना चाहती हो? अब यह तुम्हें निर्णय लेना है कि क्या अलगावादी और विघटनकारी बन कर भारतीय फौज से टकराना है या अपनी कौम की बेहतरी के लिये कुछ पुख्ता करना है। वह मेरी बात चुपचाप सुनती रही और फिर मेरे कंधे पर सिर रख कर बोली… इस बात का जिक्र किसी से मत करना। …कौनसी? उसने घूर कर मेरी ओर देखा तो मैने मुस्कुरा कर कहा… बेग ने जो कुछ तुम्हारे साथ करने की कोशिश की थी उसकी सजा मैने उसको दे दी है। इसीलिये तो हमे यहाँ से भागना पड़ रहा है। उसने मेरी ओर देखा तो मैने धीरे से अपनी गरदन हिलाते हुए कहा… उसे दोजख पहुँचा कर आ रहा हूँ। वह एक पल के लिये सकते मे आ गयी थी। रामबीर, बैनर्जी और मंजूर के सामने उसने जल्दी से अपने आपको संभाला और मेरे कन्धे पर सिर टिका कर बैठ गयी थी।
दोपहर तक हमारा काफिला कलकत्ता मे प्रवेश कर गया था। सड़क की बुरी हालत होने के कारण जिस्म की सभी हड्डियाँ हिल गयी थी। कलकत्ता मे प्रवेश करते ही बैनर्जी ने कहा… लगता है कि हसनाबाद का असर यहाँ हो गया है। …कैसे पता? …सर, सड़कें सूनी पड़ी हुई है अन्यथा इस वक्त तो काफी ट्रेफिक होता है। …बैनर्जी, रेलवे स्टेशन के पास पहुँच कर बता देना तो ट्रक रुकवा कर रामबीर को उतार देंगें। आधे घंटे के बाद रामबीर को रेलवे स्टेशन के पास उतार कर हम कैन्टोनमेन्ट की दिशा मे जा रहे थे। मै मन ही मन सोच रहा था कि विघटनकारी ताकतों पर एक ही वार से अगर राज्य मे भूचाल आ गया तो फिर आगे की कार्यवाही के लिये दिल्ली मे बैठी हुई तिगड़ी मुझ पर रोक लगा देगी।
शाम को मै अपना जवाब तैयार करने मे जुट गया था। वैसे भी हसनाबाद आप्रेशन मेरा सोचा समझा एक्शन नहीं था। हालात के अनुसार मैने काउन्टर आफेन्सिव की कार्यवाही की थी। अब अगर किसी कारण राज्य सरकार की जाँच की आँच मुझ तक पहुँच गयी तो उस स्थिति में वह तीनों भी मुश्किल मे आ जाएँगें।
मुजफराबाद
…मालिक, खबर की पुष्टि हो गयी है कि तबस्सुम की लाश मिल गयी है। पता चला है कि वह सीमा पार करके अपने अब्बू से मिलने गयी थी। फारुख ने उसका कत्ल करके उसकी लाश को वही कुपवाड़ा के जंगल मे दफना दिया है। पीरजादा मीरवायज के चेहरे पर चिंता की लकीरें उभरी और अगले ही पल गायब हो गयी थी। अपनी सफेद दाड़ी पर हाथ फेरते हुए पीरजादा बोला… यह तो खुशखबरी है। फारुख ने मीरवायज खानदान के नाम पर लगा हुआ बदनुमा दाग तो कम से कम साफ कर दिया। हरामखोर की रुह अब दोजख मे इसका हिसाब दे रही होगी। …मालिक आप सही कह रहे है लेकिन हया बिटिया अभी तक फरार है। बाजवा साहब इस बात को लेकर बेहद खफा है। पीरजादा गद्दी से उठते हुए बोला… श्रीनगर से लखवी की लड़की के बारे मे कोई खबर मिली? मैने सुना है कि वह भी गायब हो गयी है। …मालिक आपने सही सुना है। पीरजादा अपने कमरे की ओर बढ़ते हुए बोला… जोरावर को कहना कि दरवाजे पर तैनात रहे। इतना बोल कर वह अपने कमरे मे चला गया था।
पीरजादा मीरवायज अपने कमरे मे दाखिल होते ही कुछ आँख मूंद कर बड़बड़ाता और फिर हवा मे हाथ उठा कर बोला… आमीन। वह अपने बिस्तर की दिशा मे चल दिया क्योंकि उसका जिस्म अब उत्तेजना से ऐंठ रहा था। जब से उसने तबस्सुम के भागने की खबर सुनी थी तब से वह हर पल तनाव मे जी रहा था। आज उसकी मौत की खबर की पुष्टि होने से उसके जिस्म मे एकाएक खून की रवानगी बढ़ गयी थी। उसे अब किसी जवान जिस्म को रौंदने की जरुरत महसूस हो रही थी। तभी किसी ने दरवाजे पर दस्तक देकर कहा… मालिक जनरल साहब और लखवी साहब दीवाने खास मे आपका इंतजार कर रहे है। उनसे क्या कहना है? पीरजादा ने बिस्तर पर मुर्झाये हुए नग्न जिस्म पर एक नजर डाल कर जोर से बोला… उनसे कहो कि मै आ रहा हूँ। इतना बोल कर वह मुड़ गया और दो चार गहरी साँसे लेकर अपने आप को सयंत करके वापिस दरवाजे की दिशा मे चल दिया। अभी भी उसके जहन मे कल रात के एकाकार की बात घूम रही थी। बाहर निकलते ही वह दरवाजे पर खड़े हुए आदमी से बोला… जोरावर आज रात जीनत को कमरे मे ले आना क्योंकि उसके अन्दर छिपे हुए शैतान को भगाने के लिये उसके कान मे कुछ आयत फूँकनी है। तुम्हारे लिये उसे छोड़ कर जा रहा हूँ। इस्तेमाल करके उसे मदरसे मे पहुँचा देना।
जोरावर कुछ नहीं बोला बस उसने धीरे से सिर हिला दिया था।
एक ही रात में दंगाकारी और समाज विरोधी काम करने वालों का एक समूह पूरा नेस्ता नाबूत हो गए मगर अभी भी बहुत से बाजी पलटनी है और चांदनी अभी एक ऐसे समय से गुजर रही है जहां उसको अभी सिर्फ और सिर्फ समीर के भरोसा ही है जिसके चलते अभी तक वो बची हुई है और लगता है फारूक का मोहरा सही बैठा जिसके वजह से सीमापार लोगों को इधर हुई गहरी तब्दीली पता न लगी, मगर ऐसा लगता है तबस्सुम नाम की गुलाब मिरबायाज परिवार को कांटे के तरह चुभ सकती है आगे जा कर।खैर अब अगले अंक के इंतजार में।
जवाब देंहटाएंअल्फा भाई शुक्रिया। फौज की पूछताछ से आईएसआई की चाल के कुछ सुराग सामने आएगें परन्तु चरमपंथियों और इस्लामिस्टों के विरुद्ध एक फौजी एक्शन के कारण वहाँ की स्थिति बेहद संवेदनशील हो जाती है। अब आप ही सोचिये कि ऐसी परिस्थियों मे क्या करना चाहिये।
हटाएंbehtareen eak darkhas kahani jaldwaji main khatam nahi karna
जवाब देंहटाएंसाईरस भाई शुक्रिया। पता नहीं आपको ऐसा क्यों लगा क्योंकि मेरी कोई भी रचना अधूरी या बीच मे बन्द नहीं हुई है। न ही मैने कभी किसी रचना को जल्दबाजी मे समाप्त किया है। इसका सुबूत मेरी पिछली सात रचना पढ़ कर देख लिजिये। हाँ अगर अप्डेट किसी कारणवश बन्द हुए तो मैने वह रचना पूरी करके आपके लिये यहाँ डाल दी थी। फिर भी मै वादा करता हूँ कि इस रचना को बिना किसी जल्दबाजी किये पूरा करुँगा। बस यह ख्याल रहे कि यह काफ़िर की दूसरी कड़ी है।
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