गहरी चाल-5
कुछ दूर चलने के बाद मौलवी साहब ने लोहे के
कंटीले तारों की ओर इशारा करते हुए कहा… जनाब, वह हमारी सीमा है। दस फुट उँची कंटीले
तारों की बाढ़ को देखते हुए मैने पूछा… कमाल की बात है कि इसके बावजूद वहाँ से कैसे
लोग इधर आ जाते है। सीमा सुरक्षा बल के लोग दिखायी नहीं दे रहे है? …मियाँ, सीमा सुरक्षा
बल के जवान सुबह से देर रात तक इन तारों के साथ चलते हुए गश्त लगाते है। अगली टुकड़ी
के आने का समय हो गया है। वह किसी भी समय तुम्हें दिख जायेंगें। वह बोल ही रहा था कि
तभी मुझे हथियारों से लैस पाँच जवानों की टुकड़ी पैदल आती हुई दिखाई दी जो कंटीले तारों
के साथ-साथ चल रही थी। उनके जाने के पश्चात मौलवी सहब ने कहा… मियाँ बिना इन लोगों
की मदद के भला कोई कैसे सीमा पार कर सकता है। सब साले यहाँ पर पैसे बना रहे है। आओ
वापिस चलें। हम दोनो वापिस मदरसे की ओर चल दिये थे।
…मौलवी साहब, मैने
सुना है कि यह लोग हमारी कौम की लड़कियों को बेईज्जत करते है। मौलवी साहब चलते हुए सिर
हिला कर बोले… कभी रात को आओगे तब देखना कि यह लोग क्या करते है। साले भूखे भेड़ियों
की तरह उन मासूम शरणार्थियों पर टूट पड़ते है। यहाँ से एक मील पर सीमा सुरक्षा बल की
चौकी है। वहीं पर यह तय होता है कि एक रात मे कितने लोग सीमा पार कर सकते है। अचानक
बात की दिशा बदलते हुए मौलवी साहब ने पूछ लिया… तुम्हारे साथ वह लड़की कौन है? …चांदनी,
मेरे साथ पढ़ती है। हम शरणार्थियों की हालत देखना चाहते थे इसीलिये यहाँ आये है। …क्या
आप लोग आज रात यहाँ रुकोगे? …नहीं। मदरसे के बच्चों से बात करके हम शाम तक वापिस चले
जाएँगें। आप कहाँ रहते है मौलवी साहब? …यहीं पास मे बेग साहब ने एक पक्का कमरा बनवा
दिया है। वहीं पर रात गुजारता हूँ। …आपका परिवार? …मुर्शिदाबाद मे है। तुम कहाँ से
आये हो? …श्रीनगर। …क्या बात है कुछ महीनों से श्रीनगर से बहुत लोग इस ओर आ रहे है।
यह सुनते ही मेरे कान खड़े हो गये थे। मैने जल्दी से पूछा… मुझसे पहले यहाँ कौन आया
था? …अभी कुछ महीने पहले श्रीनगर से गियासुद्दीन मट्टू अपने कुछ साथियों के साथ यहाँ
मेरे पास आकर रुका था। बेग साहब ने मट्टू और उसके साथियों को आसानी से सीमा पार भिजवा
दिया था। एक पल के लिये मै वह नाम सुन कर चौंक गया था। गियासुद्दीन मट्टू का नाम बारामुल्ला
के जमील अहमद के मुख से सुना था। वह हिज्बुल मुजाहीदीन का शार्प शूटर था। …मौलवी साहब,
वह जिहादी यहाँ क्या करने आया था? एक पल के लिये मौलवी साहब के मुख पर ताला पड़ गया
था। मैने जल्दी से कहा… आपका मदरसा है इसीलिए बता रहा हूँ कि वह बच्चों और बच्चियों
के मामले मे बेहद बदनाम व्यक्ति है। मेरी बात सुन कर अधेड़ मौलवी के चेहरे पर एक कुटिल
मुस्कुराहट तैर गयी थी। हम बच्चों के पास पहुँच चुके थे। चांदनी कुर्सी पर बैठ कर बच्चों
से बात कर रही थी।
कुछ समय बच्चों और
बच्चियों के साथ बिता कर हम अपने कमरे मे वापिस लौट आये थे। सारे रास्ते चांदनी मदरसे
के बच्चों और बच्चियों की कहानी सुना रही थी। उस मदरसे मे बच्चों के यौन उत्पीड़न की
बात सुन कर मुझे उस अधेड़ मौलवी से घृणा हो रही थी। सभी गरीब मुस्लिम परिवारों के बच्चे
थे और यही बात मुझे बार-बार खटक रही थी। गियासुद्दीन की बात सुन कर मेरे दिमाग मे खतरे
की घंटी बज गयी थी। पाकिस्तान सीमा भारतीय फौज ने सील कर दी थी तो आईबी के अनुसार पाकिस्तानी
तंजीमो ने नेपाल का रास्ता अपना लिया था। बीएसफ की मुस्तैदी और आईबी के दबाव मे नेपाल
सरकार की सीमा पर चौकसी बढ़ गयी थी। नयी इंटेल रिपोर्ट्स से पता चला था कि आईएसआई ने
बांग्लादेश मे जमात-ए-इस्लामी की मदद से लश्कर और जैश के जिहादी प्रशिक्षण केन्द्र
खोल दिये थे। अब क्या गियासुद्दीन जैसे चरमपंथियों ने कश्मीरी युवकों को प्रशिक्षण
के लिये बांग्लादेश भेजना आरंभ कर दिया था? मै अभी इसी के बारे मे सोच रहा था कि एक
बैगपाईपर बोतल और खाना लेकर रामबीर ने कमरे मे प्रवेश किया परन्तु आज वह अकेला नहीं
था। उसके पीछे एक पतला दुबला मैला सा कुर्ता और चेक का तहमद पहने एक व्यक्ति खड़ा हुआ
था।
…साहब आज सुबह इसके
बारे मे बात की थी। यह मंजूर इलाही है। मैने एक नजर उस पर डाल कर कहा… आओ मियाँ तुम
भी आराम से बैठो। उसने मेरे साथ बैठी चांदनी पर एक नजर डाली और फिर सलाम करके चुपचाप
रामबीर के साथ जमीन पर बैठ गया। रामबीर अपने काम मे लग गया था। आज पीने के मामले मे
चाँदनी ने ज्यादा ना नुकुर नहीं की थी। मैने अपने ग्लास से एक घूँट भर कर पूछा… मंजूर,
तुम बेग साहब के बारे मे क्या बताना चाहते हो? वह चुप रहा और रामबीर को ताकने लगा तभी
रामबीर बोला… साहब को सब कुछ साफ-साफ बता दे। मंजूर झिझकते हुए बोला… साहब, मेरी बीवी
और बच्चियों को बेग साहब ने जिस्मफरोशी करने वाले किसी दलाल को बेच दिया है। उसकी बात
सुन कर एकाएक कमरे मे शांति छा गयी थी। चांदनी ने पूछा… यह तुम कैसे कह सकते हो? …मेरी
बीवी ने बताया था। इतना बोल कर वह सुबक-सुबक कर रोने लगा था। रामबीर ने एक ग्लास उसकी
ओर बढ़ाते हुए कहा… इसको खाली करो। तुम्हारा कुछ गम कम हो जायेगा। उसने एक साँस मे ग्लास
खाली कर दिया था। चांदनी भी उसकी बात ध्यान से सुन रही थी।
कुछ देर के बाद वह
वह फिर बोला… साहब, बेग साहब की मदद से मै अपने परिवार के साथ चार साल पहले खुलना से
यहाँ आया था। उन्होंने हमे दो महीने अपने कैंम्प मे रखा था। अपना घर चलाने के लिये मै
उनके लिये काम करने लगा था। बेग साहब के अवैध हथियारों को मस्जिदों और मदरसों मे पहुँचाना
मेरा काम था। वह ड्र्ग्स और नकली करेन्सी नोट का भी काम करते है परन्तु यह काम जमाल
की देखरेख मे होता है। जमाल भी मेरी तरह खुलना से आया था। एक बार मुझे चोरी के इल्जाम
मे तीन महीने की सज़ा हो गयी थी। मेरी बीवी जेल मे मुझसे मिलने आयी थी। उसी ने बताया
कि मुझे बेग साहब ने फंसा कर जेल भिजवा दिया था। मेरी अनुपस्थिति मे उसके कुत्तों ने
मेरी बीवी का बलात्कार किया और बेग ने मेरी बेटियों को किसी दलाल को बेच दिया था। तीन
महीने के बाद मै जब जेल से लौटा तब तक मेरा सब कुछ बर्बाद हो चुका था। सारा मामला दबाने
के लिये उसने मेरी बीवी की भी हत्या करवा दी थी। यह बोल कर एक बार फिर से वह फूट-फूट
कर रोने लगा था।
उसके शांत होने के
कुछ देर के बाद मैने पूछा… मंजूर तुमने कौनसी मस्जिदों और मदरसों मे हथियार पहुँचाये
है? …साहब, आसपास के लगभग सभी जिलों मे मैने हथियार पहुँचाये है। मुझे तो जमाल के कारोबार
का भी पता है कि वह किन लोगों को नकली करेन्सी और किन लोगों को ड्र्ग्स की खेप पहुँचाता
है। मुझे लग रहा था कि आगे चल कर मंजूर इलाही एक महत्वपूर्ण संपर्क साबित हो सकता है।
मेरे दिमाग मे एक नयी योजना जन्म ले चुकी थी। हम बोतल समाप्त करके खाना खाने बैठ गये
थे। मंजूर और रामबीर चुपचाप खाना खा रहे थे कि तभी चांदनी ने पूछा… तुम्हें अपनी बच्चियों
के बारे पता चला कि वह कहाँ है? …मेमसाहब, मैने बहुत खोजा लेकिन कुछ नहीं पता चल सका।
…कभी जमाल से पूछा? …नहीं मेमसाहब। अपनी बीवी के बारे मे एक बार पूछने गया था तो उन्होंने
मुझे मार कर भगा दिया था। चांदनी खाना खाते हुए एकाएक चुप हो गयी थी। मंजूर इलाही ने
जल्दी से कहा… साहब, बेग बहुत रसूख वाला आदमी है। पुलिस भी उससे डरती है।
कुछ सोचते हुए मैने
कहा… मंजूर, आज रात सीमा पर चल कर देखते है कि घुसपैठ कैसे और कहाँ से होती है। जरा
सीमा सुरक्षा बल के लोगों को भी देख लेते है कि वह कैसे सीमा की रखवाली करते है। तभी
चांदनी बोली… समीर, तुम गलत काम मे उलझ रहे हो। अगर तुम लोग पकड़े गये तो यहाँ से बच
कर निकलना मुश्किल हो जाएगा। मैने उसको अनसुना करते हुए कहा… आज की रात मंजूर हमे दूर
से वह जगह दिखा देगा। क्या तुम सीमा पर तैनात सिपाहियों का अत्याचार नहीं देखना चाहती?
इस सवाल ने चांदनी के मुख पर ताला लगा दिया था। हम खाना समाप्त कर चुके थे। रामबीर
और मंजूर कमरे से बाहर चले गये थे। चांदनी उठते हुए बोली… मै भी तुम्हारे साथ चलूँगी।
…आज नहीं। तुम कल मेरे साथ चलना। वह मुझे बड़ी हसरतभरी निगाहों से देख रही थी। मै उसके
नजदीक चला गया और उसकी कमर को अपनी बाँह मे जकड़ कर धीरे से उसके गालों को अपने होंठों
से सहलाते फुसफुसाकर कहा… कल रात की अधूरी कहानी आज रात लौट कर पूरी करुँगा। यह बोल
कर उसे वहीं कमरे मे छोड़ कर मै बाहर निकल गया था। रामबीर और मंजूर इलाही होटल के मुख्य
द्वार पर मेरा इंतजार कर रहे थे।
रात के अंधेरे मे
हम तीनों चुपचाप सीमा की ओर चल दिये थे। एक घंटे मे हम सीमा पर पहुँच गये थे। मंजूर
ने इशारे से दिखाते हुए कहा… वहाँ कंटीले तारों की बाड़ मे एक जोड़ है जिसको हटा कर घुसपैठ
होती है। मेरी नजर उस जगह के आसपास का जायजा ले रही थी। कंटीले तार से लगभग बीस मीटर
की जमीन साफ रखी गयी थी जहाँ सीमा सुरक्षा बल की टुकड़ी गश्त लगाती थी। बाकी की सारी
जमीन पर धान की फसल लहलहा रही थी। …घुसपैठ हमारे सैनिकों की देखरेख मे होती है? …हाँ।
वह लोग घुसपैठियों को गिन कर पैसों का तकाजा करते है। बेग का आदमी पहले उन्हें पैसे
पकड़ाता है उसके बाद ही वह उन लोगों को जाने देते है। …मंजूर, तुम हथियार और नकली करेन्सी
इसी जगह से लाते थे? …नहीं, वह जगह यहाँ से दो मील पर है जहाँ पर बेग का शरणार्थी कैंम्प स्थित है। अभी तो रात जवान हुई थी तो मैने कहा… चलो एक बार वह जगह भी देख आते है। हम
तीनों चुपचाप उस दिशा की ओर चल दिये थे। पहली यात्रा तो बड़े आराम से तय हो गयी थी परन्तु
अब आगे का रास्ता मुश्किल हो गया था। एक छोटी सी पुलिस चौकी उस कैंम्प से कुछ दूरी पर
बनी हुई थी। सबकी नजर से बचते-बचाते हुए जब कैंम्प के नजदीक पहुँचे तब मंजूर ने इशारा
करते हुए कहा… इस कैंम्प के चारों ओर बेग के गुन्डे पहरा देते है। अब संभल कर आगे बढ़ना
होगा क्योंकि उनमे से बहुत से लोग कैंम्प से किसी भी औरत को जबरदस्ती उठाकर खेत मे
ले जाते है। हम लोग अंधेरे मे दबे कदमों से कैंम्प की ओर बढ़ने लगे थे।
कुछ दूरी और तय करने
बाद अचानक किसी की घुटी हुई चीखें हमारे कान मे पड़ी तो हम सावधान हो गये थे। हम चुपचाप
उस दिशा मे बढ़ गये। अंधेरे मे हमारी नजरें किसी को भी दूर से देख पाने मे अस्मर्थ थी
परन्तु इतना तो पता चल गया था कि तीन-चार आदमी किसी स्त्री के साथ जबरदस्ती कर रहे
थे। मै बड़े धर्म संकट मे फंस गया था। अगर उस स्त्री को बचाने के लिये मै आगे बढ़ता तो
हम तीनों का उनकी नजरों मे आ जाने का खतरा था। रामबीर और मंजूर इलाही उन लोगों से लड़ने
लायक स्थिति मे नहीं थे। कुछ सोच कर अपने दिल पर पत्थर रख कर हमने एक बड़ा चक्कर लगाया
और उनसे बचते-बचाते हम कैंम्प तक पहुँच गये थे। कैंम्प के किनारे पहुँचते ही मेरी नजर
सबसे पहले नदी पर पड़ी जो कुछ दूरी पर बह रही थी। यहाँ पर भी कंटीले तार की बाड़ लगी
हुई थी परन्तु बहुत सी जगह वह बाड़ पानी के नीचे डूबी हुई थी। पल भर मे मुझे मंजूर की
बात समझ मे आ गयी थी। …साहब, जिस जगह बाड़ पानी मे डूबी हुई है वहाँ पर हमने तारों को
काट कर निकलने की जगह बना दी है। नाव से रात के अंधेरे मे हम नदी पार करते है और फिर
यहाँ से हम सारा सामान बेग के लोगों के हवाले कर देते है जो कैंम्प मे रख दिया जाता है।
अगले दिन जब सुबह राशन का ट्रक कैंम्प मे आता है तो उसके जरिये शाम को हम सारा सामान
कैंम्प से बाहर निकाल कर अलग-अलग गोदामों मे रखवा देते है। अब यहाँ की सारी कहानी मेरे
लिये साफ हो गयी थी। …बेग के गोदाम कहाँ-कहाँ है? …दो गोदाम तो हसनाबाद मे है। एक बशीरघाट
और दो मुर्शीदाबाद मे है। मैने वापिस चलने का इशारा किया और हम तीनो दबे पाँव अंधेरे
की आढ़ मे अपने होटल की ओर चल दिये थे।
…मंजूर, बेग के गोदाम
कहाँ है? …साहब, एक गोदाम तो उसकी हवेली से कुछ दूरी पर है। दूसरा गोदाम उसने अपने
खेत मे बनाया है। …वहाँ की सुरक्षा का क्या हाल है? …चार-पाँच हथियारों से लैस आदमी
गोदाम पर हरदम पहरे पर तैनात रहते है। कुछ ही देर मे आप खुद देख लिजियेगा। रात के अंधेरे
मे कच्ची सड़क पर हम तीनो दरख्तों की आढ़ लेकर आगे बढ़ते जा रहे थे। मेढ़कों की टर्रटर्र
और झींगुरों की आवाज रात के सन्नाटे को भंग कर रही थी। हमे कैंम्प से निकले हुए एक
घंटा हो गया था। अचानक मंजूर अपनी चाल धीमी करके बुदबुदाया… साहबजी, उस खेत मे जो इमारत
दिख रही है वह बेग का गोदाम है। यहाँ पर काफी असला बारुद रखा हुआ है। मै ठिठक के पेड़
की आढ़ लेकर खड़ा हो गया था। धान के लहलहाते खेतों के बीच लगभग दौ सौ गज मे फैली हुई
एक मंजिला इमारत लग रही थी। रामबीर और मंजूर मुझे अचरज से देख रहे थे। …मंजूर, मुझे
तो कोई पहरेदार नहीं दिख रहा है। …साहबजी, सब कामचोर है। सब जानते है कि बेग साहब के
गोदाम पर सेंधमारी करने की किसी मे हिम्मत नहीं है। इसीलिये अब तक सब सो गये होंगें।
एक नजर उस इमारत पर डाल कर हम आगे बढ़ गये थे।
बेग के मकान से कुछ
दूरी पर होटल की दिशा मे सड़क के किनारे एक दो मंजिला इमारत की ओर इशारा करके मंजूर
ने कहा… यह उसका दूसरा गोदाम है। इधर भी असला-बारूद के साथ ड्रग्स की पेटियाँ भी रखी
जाती है। घर के पास होने के कारण यहीं से उसका ड्रग्स का कारोबार भी चलता है। जमाल
यहाँ की देखरेख करता है। वही सारे खरीदारों से सौदा करता है। बेग का खरीदारों से कभी
सीधा संपर्क नहीं होता। पार्टी के लोगों को भी यहीं से बम्ब और अन्य विस्फोटक सामग्री
भी सप्लाई होती है। …मुझे यहाँ भी कोई खास पहरा नहीं दिख रहा है। …आपको बताया है कि
सब सो गये होंगें। पुलिस यहाँ कभी रेड नहीं डालती और अगर कभी कोई केन्द्रीय एजेन्सी
अगर नीरिक्षण के लिये आने वाली होती है तो पुलिस वाले पहले से ही बेग को इसकी सूचना
दे देते है। उनके आने से पहले सारा अवैध सामान दूसरे गोदाम पहुँचा दिया जाता है। मै
चुपचाप सारी जानकारी अपने दिमाग मे बैठा रहा था। कुछ देर उस इमारत का मुआईना करके हम
तीनो होटल की दिशा मे चल दिये थे।
सुबह के तीन बज चुके
थे जब मै कमरे मे दाखिल हुआ था। चांदनी गहरी नींद मे सो रही थी। रामबीर और मंजूर इलाही
ने होटल के बाहर पेड़ के नीचे रात गुजारने का फैसला किया था। थकान के कारण बिस्तर पर
पड़ते ही मै भी अपनी सपनों की दुनिया मे खो गया था। सुबह चांदनी ने मुझे उठाया था।
…उठो जल्दी से दस बजे बेग के पास पहुँचना है। मै हड़बड़ा कर उठा और सामने खड़ी हुई चांदनी
से कहा… तुम रामबीर के साथ चली जाओ। मै यहाँ से तैयार होकर सीधा कैंम्प पर पहुँच जाऊँगा।
बस रामबीर को बता देना कि तुम कौन से कैंम्प की ओर जा रहे हो। चांदनी के जाने के बाद
मै आराम से तैयार होने के लिये चला गया था। तैयार होकर होटल से नाश्ता करने के पश्चात
मैने लेफ्टीनेन्ट जनरल बक्शी को फोन लगा कर उन्हें सारी बातों से अवगत करा दिया था।
बारह बजे तक मै शरणार्थी कैंम्प पहुँच गया था। बेग की फार्च्युनर उसके मुख्य द्वार
पर खड़ी हुई थी। कैंम्प के द्वार पर खड़े हुए गार्ड के द्वारा मैने बेग को अपने आगमन
की सूचना भिजवा कर दिन मे आसपास का जायजा लिया तो पाया कि दूर-दूर तक धान के खेत मे
महिलाएँ काम कर रही थी। यह बेग का दूसरा शरणार्थी कैंप था क्योंकि रात को मै यहाँ नहीं
आया था। यहाँ का हाल भी वैसा ही था जैसे मैने कल रात को देखा था। दर्जन से ज्यादा नवयुवक
कैंम्प के चारों ओर फैल कर उसकी सुरक्षा मे तैनात थे। वह गार्ड लौट कर बोला… आप इंतजार
कीजिए। साहब अभी आ रहे
है।
…भाईजान, यहाँ कितने
परिवार रह रहे है? गार्ड ने अपनी टूटी-फूटी हिन्दी मे जवाब दिया… कोई डेड़ सौ परिवार
इस कैंप मे ठहरे हुए है। मै टहलते हुए कैंप के एक सिरे पर पहुँच गया था। वहाँ का हाल
भी कुछ वैसा ही दिखा जैसे कल रात को दिखा था। आधी से ज्यादा कंटीले तार की बाड़ नदी
मे डूबी हुई थी। दूर से सामान्यता सब कुछ ठीक लग रहा था परन्तु मंजूर इलाही के रहस्योद्घाटन
के पश्चात मुझे अवैध कारोबार का मुख्य आगमन केन्द्र समझ मे आ गया था। …समीर। मैने मुड़
कर देखा तो बेग अपनी फार्च्युनर के पास खड़ा हुआ मुझे आवाज दे रहा था। बिना कोई जवाब
दिये मै उसकी ओर चल दिया। उसके पास पहुँच कर हमारे बीच दुआ-सलाम हुई और फिर वह मुझे
चांदनी के पास ले जाने के बजाय बोला… समीर मियाँ, जब तक चांदनी परिवारों से बातचीत
कर रही है तब तक आपको मै अपने खेत दिखा कर लाता हूँ। यह बोल कर वह आगे बढ़ गया और मै
उसके साथ चल दिया। कुछ दूर जाने के बाद वह बोला… मियाँ, तुम्हारा चांदनी के साथ क्या
रिश्ता है? …मेरे साथ पढ़ती है। …नहीं, मै जानना चाहता हूँ कि क्या कोई मोहब्बत का चक्कर
है? अबकी बार मैने हँसते हुए कहा… बेग साहब, वह बेहद नकचड़ी और मर्दमार लड़की है। भला
कोई बेवकूफ ही होगा जो उसकी मोहब्बत मे पड़ेगा। मोहम्मद अली बेग ने खिसियाते हुए पूछा…
आप दोनो होटल के एक ही कमरे मे फिर कैसे रहते हो? मैने मुस्कुरा कर कहा… ओह, आपने हमारे
पीछे जासूस लगा रखे है। …ऐसी बात नहीं है। मेरे मन मे ख्याल आया कि अपनी कौम की लड़की
बिना किसी पाक रिश्ते के कैसे एक अनजान मर्द के साथ रह सकती है? …बेग साहब, वह कट्टर
वामपंथी है। तभी चांदनी द्वार से बाहर निकलती हुई दिखी तो हमारी बातों का सिलसिला थम
गया था।
मैने अपनी कलाई पर
बंधी हुई घड़ी पर नजर डाली तो तीन बज चुके थे। चांदनी मेरे पास पहुँच कर बोली… कहाँ
रह गये थे, अब चले। बेग जल्दी से बोला… आज आपका लंच मैने अपने घर पर रखा है। मुझे भी
मेहमाननवाज़ी का मौका दीजिए। मैने जल्दी से कहा… बेग साहब, आपकी दावत के लिये शुक्रिया।
मुझे अभी जाना है लेकिन चांदनी आपकी मेहमाननवाज़ी जरुर कुबूल करेंगी। चांदनी ने कुछ
बोलने के लिये मुँह खोला ही था कि मैने जल्दी से कहा… तुम चली जाओ। मुझे कुछ काम है।
लंच के बाद मै तुम्हें होटल पर मिलूँगा। इतना बोल कर मै रिक्शे की ओर चल दिया था। मेरी
योजना को कार्यान्वित करने का समय आ गया था। हसनाबाद शहर के बाहर निकल कर हम रिक्शे
से हाईवे की ओर चल दिये थे। मंजूर इलाही हाईवे पर हमारा इंतजार कर रहा था। …मंजूर,
वह अभी तक नहीं पहुँचे? …नहीं। हम तीनों वही पुलिया पर उनका इंतजार करने के लिये बैठ
गये थे। …कौन आ रहा है? …कुछ देर मे देख लेना। आधे घंटे के बाद एक फौज की जीप और उसके
पीछे एक फौजी ट्रक पर नजर पड़ी तो मै उठ कर हाईवे पर चला गया। जीप मेरे नजदीक आकर रुकी
और उसमे से स्पेशल फोर्सेज का कप्तान उतर कर मेरे पास आकर बोला… मेजर समीर बट। उसकी
जैकेट पर उसका नाम जेसी लिखा हुआ था। मैने सिर हिलाया और अपना आईडेन्टिटी कार्ड दिखा
कर जेसी को एक किनारे मे ले जाकर पूछा… तुम्हारी टीम मे कितने लोग है? …पन्द्रह। …पाँच
मेम्बरों की तीन टीम बनाओ और रेड के दौरान मुझे एक ग्लाक चाहिए। मुझसे बात करके जेसी
तुरन्त ट्रक की ओर चला गया था।
कुछ देर के बाद स्पेशल
फोर्सेज की ग्लाक मेरी ओर बढ़ाते हुए बोला… सर, हम चलने के लिये तैयार है। मैने ग्लाक
की मैगजीन चेक करके अपनी जेब मे फंसा कर बोला… जेसी, मेरे साथी तुम्हारे तीनों टीम
लीडरों को कुछ जगहों की निशानदेही करने के लिये ले जाएँगें। मैने इशारे से रामबीर और
मंजूर इलाही को अपने पास बुलाया और उनसे कहा… मंजूर, तुम एक फौजी को अपने साथ लेकर
दोनो शरणार्थी कैंप के पास जहाँ से तस्करी होती है वह जगह दिखा देना। रामबीर तुम एक
फौजी को लेकर सीमा पर वह जगह दिखा देना जहाँ से बांग्लादेशी और रोहिंग्या की घुसपैठ
होती है। वह जगह दिखाकर तुम सभी लोग यहीं वापिस आ जाना और मेरा इंतजार करना। जेसी मेरी
बात समझ कर रामबीर और मंजूर इलाही को अपने साथ लेकर ट्रक की दिशा मे चला गया था। अपने
साथियों को समझा कर वह वापिस लौट कर बोला… अब क्या करना है? …तुम मेरे साथ चलो। उसकी
जीप मे बैठ कर हम हसनाबाद शहर की ओर चल दिये थे। मैने रास्ते मे बेग के मकान के पास
वाले गोदाम और खेत वाले गोदाम की कहानी सुना कर जेसी से कहा… कैप्टेन, उन दोनो इमारत
को जमीनदोज करने की जिम्मेदारी तुम्हारी होगी। …जी सर। हमारी बात समाप्त हो गयी थी।
रास्ता दिखाते हुए
कुछ देर के बाद हम लोग मोहम्मद अली बेग की कोठी पहुँच गये थे। दूर से सब कुछ सामान्य
लग रहा था परन्तु जैसे ही जीप मुख्य द्वार पर पहुँची तभी अचानक चार-पाँच नवयुवक दौड़
कर आये और हमारी जीप घेर कर खड़े हो गये। मुझे जीप से उतरते देख कर एकाएक सभी चौंक गये
थे। तभी जमाल दौड़ते हुए कोठी से बाहर निकला और मुझे देख कर ठिठक कर रुक गया था। …जमाल
मियाँ यहाँ क्या हो रहा है? यह बेग साहब का पता पूछ रहे थे तो मै इन्हें यहाँ ले आया।
जमाल धीमे कदमों से चलता हुआ मेरे पास पहुँच कर बोला… बेग साहब घर पर नहीं है। …अरे
वह तो लंच के लिये चांदनी को लेकर यहीं आये थे। जेसी तुरन्त आगे बढ़ कर बोला… मोहम्मद
अली बेग का घर यही है? जमाल ने सिर्फ सिर हिला कर हामी भर दी थी। …जाकर बेग साहब को
बुलाईये। मैने कुछ बोलने जा रहा था कि कोठी से एक स्त्री की चीख सुन कर मै चौंक गया।
मैने सामने खड़े हुए नवयुवक को जोर से धक्का देते हुए चिल्लाया… जेसी, अगर कोई भी अपनी
जगह से हिले या आवाज निकाले तो तुरन्त गोली मार देना। शूट टु किल। बस यह बोल कर मैने
भागते हुए अपनी ग्लाक निकाली और कोठी मे प्रवेश कर गया था। दो मशीनगन के आगे किसी ने
भी हिलने की चेष्टा भी नहीं की थी। कोठी मे घुस कर भागते हुए मैने रास्ते मे पड़ने वाले
हर कमरे पर नजर डालते हुए आगे बढ़ता चला जा रहा था। एक बार फिर से किसी के चीखने की
आवाज मेरे कान मे पड़ी तो मै उस दिशा मे दौड़ लिया था।
एक कमरे का दरवाजा
भिड़ा हुआ था। एक पल रुक कर मैने अपने आप को संभाला और फिर पूरी ताकत से अपने कंधे का
वार उस दरवाजे पर किया तो वह चिटखनी समेत भड़ाक की आवाज करते हुए दीवार से टकरा गया।
अंदर का दृश्य देख कर एक पल के लिये मै ठिठक कर रुक गया था। चांदनी जमीन पर अर्धनग्न
स्थिति मे बेग की पकड़ से छूटने का असफल प्रयास कर रही थी। उसका कुर्ता तार-तार हो गया
था। बेग एक जानवर की भांति उसके नग्न स्तन को अपने मुँह मे दबाये उसकी जीन्स उतारने
की कोशिश कर रहा था। दरवाजा खुलने की आवाज सुन कर उसने मुड़ कर मेरी ओर देखा और मेरे
हाथ मे तनी हुई ग्लाक का रुख अपनी ओर देख कर वह चौंक कर उठ कर बैठ गया था। चांदनी उसकी
पकड़ से आजाद होते ही उठ कर मेरी ओर भागते हुए आयी और जोर से चिल्लायी… इस कमीने को
गोली मार दो। एक नजर उसके उघड़े हुए सीने पर पड़ी जिस पर दाँतों के लाल निशान उभर आये
थे। मैने जल्दी से फटे हुए कुर्ते से उसके सीने को ढकते हुए कहा… पहले अपने आप को ढक
लो क्योंकि अब यह कहीं नहीं जा रहा। अपनी स्थिति का ज्ञान होते ही चांदनी ने जल्दी
से बेड पर पड़ी हुई चादर से अपने आप को ढक लिया और मेरे साथ आकर खड़ी हो गयी। उसका जिस्म
अभी भी उत्तेजना से कांप रहा था। मैने अपनी ग्लाक से इशारा करते हुए कहा… बेग साहब
उठ कर खड़े हो जाओ। वह भौंचक्का सा मुझे घूरते हुए चुपचाप खड़ा हो गया था।
…चांदनी बाहर जेसी
नाम का फौजी इसके गुर्गों को निशाने पर लेकर खड़ा हुआ है। तुम जाकर उसे कह दो कि सभी
को इस कमरे मे ले आये। एक पल के लिये वह झिझकी और फिर तेजी से कमरे से बाहर निकल गयी
थी। कुछ देर के बाद उसी कमरे मे बेग और जमाल के साथ उसके पाँच साथी जमीन पर बैठे हुए
थे। …अपने दो सैनिकों को हवेली की तलाशी लेने के लिये भेज दो। अगर कोई आदमी या औरत
मिले तो उसे भी यहीं पर ले आना। जेसी ने दो सैनिकों को इशारा किया और वह तुरन्त कमरे
से बाहर निकल गये थे। जेसी के साथ आये हुए हथियारों से लैस दो सैनिक उन सभी की तलाशी
लेने के बाद उनके सभी फोन जब्त करके दूर से उन सात लोगों की हर हरकत पर नजर रख रहे
थे। मैने अपनी सधी हुई आवाज मे कहा… बेग साहब आपसे बहुत बड़ी गलती हो गयी है। चांदनी
के अब्बा अंसार रज़ा उत्तरप्रदेश के नामी बाहुबली और विधायक है। उनकी बेटी के साथ जबरदस्ती
करने की कोशिश का मतलब है कि आपने अपनी मौत को खुद दावत दी है। उसके बदलते हुए रंग
को देख कर साफ था कि वह उस नाम से परिचित था।
अभी स्थिति पूरी तरह
हमारे नियन्त्रण मे नहीं आयी थी। गोदाम की इमारत मे भी बेग के दरिंदें हमारे लिये मुसीबत
खड़ी कर सकते थे। …तुम्हारा यहाँ का खेल खत्म हो गया। अब तुम्हारा पाला भारतीय सेना
से पड़ा है। तभी चांदनी ने कहा… इस कमीने से पूछो कि मंजूर इलाही की बच्चियाँ कहाँ है?
मैने पूछा… तुमने उसकी बच्चियों को किसी दलाल
को बेचा था। मुझे उस दलाल का नाम चाहिए। बेग चुप बैठा रहा जैसे उसे कोई साँप सूँघ गया
था। …तुम्हारे पीछे वाले गोदाम पर कितने आदमी तैनात है? इस सवाल को सुन कर बेग के बजाय
जमाल चौंक कर बोला… कौनसा गोदाम? मैने पास खड़े जेसी से कहा… यह ऐसे नहीं बोलेगा। अपने
साथियों को काम पर लगा दो। मै बाहर जा रहा हूँ। जब तक लौट कर वापिस आऊँ तब तक इन सबकी
ऐसी हालत हो जानी चाहिए कि इनमे से कोई भी अपने पैरों खड़ा न हो सके। इतना बोल कर चांदनी
को लेकर मै बाहर निकल गया था। …चांदनी तुम इस जीप से होटल चली जाओ। मै यहाँ का काम
समाप्त करके होटल पहुँच जाऊँगा। चांदनी चुपचाप जेसी की जीप मे बैठी और होटल वापिस चली
गयी। मै बाहर लान मे टहलते हुए अपनी अगली कार्ययोजना तैयार करके कुछ देर के बाद वापिस
उसी कमरे मे चला गया था।
जब मैने कमरे मे प्रवेश
किया तो मैने पाया कि सभी जमीन पर पड़े हुए कराह रहे थे। अब जमीन पर पड़े हुए लोगों की
संख्या ग्यारह हो गयी थी। वह दो सैनिक भी अपनी गन ताने अपने साथियों के साथ खड़े हो
गये थे। बेग को छोड़ कर सब के चेहरे लहुलुहान थे। एक बार फिर से मैने अपना प्रश्न दोहराया
परन्तु बेग के बजाय जमाल ने कहा… उस दलाल का नाम शाकिर है और वह मुंबई मे जिस्मफरोशी
का धंधा करता है। …जमाल मियाँ उस गोदाम पर कितने लोग है? वह कुछ पल चुप रहा और एक बेग
पर नजर डाल कर धीरे से बोला… बेग साहब के कहने पर दोपहर को सभी को यहीं पर बुला लिया था।
…और खेत वाले गोदाम पर कितने आदमी पहरा दे रहे है? जब किसी ने कोई जवाब नहीं दिया तो
मैने बाद बदलते हुए पूछा… जमाल मियाँ आज रात बेग साहब का माल कहाँ उतरेगा? अबकी बार
जमाल और बेग की आँखे आश्चर्य से फैल गयी थी। मैने अपनी ग्लाक हवा मे लहराते हुए कहा…
हाँ मुझे मालूम है कि हर जुमे की रात को सीमा पार से बांग्लादेशी और रोहिंग्या शरणार्थियों
के साथ अवैध हथियार और नकली करेन्सी भी हमारी सीमा मे प्रवेश करती है। आज तुम्हारा
माल कहाँ उतर रहा है? एक बार फिर से कमरे मे चुप्पी छा गयी थी। …लगता है कि तुम्हारा
मुँह खुलवाने के लिये एक बार फिर से तुम सभी पर थर्ड डिग्री आजमानी पड़ेगी। मैने जैसे
ही जेसी को इशारा किया कि तभी जमाल जोर से चीखा… खुदा के लिये रहम करो। मै बताता हूँ।
इतना सब कुछ होने के बाद भी मोहम्मद अली बेग के मुख से अभी तक एक भी आवाज नहीं निकली
थी। …आज दो स्थानों पर लोगो का आगमन होगा और दूसरे कैंम्प पर माल उतरेगा। कुछ सोच कर
मैने कहा… जेसी, जमाल से उन सब जगहों की नक्शे पर निशान लगवा लो जहाँ बेग ने असला बारुद
रखा है। इसी के साथ मे बेग के गोदामों की भी निशानदेही करवा लेना। जेसी तुरन्त अपना
आई-पैड निकाल कर नक्शे पर मार्किंग करने मे व्यस्त हो गया था।
अचानक इतनी देर मे
पहली बार बेग बोला… समीर, मुझे तुमसे कुछ बात करनी है। …हाँ मै सुन रहा हूँ। …यहाँ
सबके सामने नहीं, मुझे अकेले मे कुछ बात करनी है। मै उसकी ओर चला गया और सहारा देकर
उठाते हुए कहा… चलो। वह लंगड़ाते हुए मेरे साथ कमरे से बाहर निकल गया और एक खाली जगह
पहुँच कर बोला… तुम कौन हो? …तुम्हें जो कहना है वह जल्दी से कहो क्योंकि तुमको भी
उनके साथ जाना है। …उस लड़की से कहना कि खुदा के लिये इस घटना का जिक्र अपने अब्बा से
न करे। …क्यों? वह चुप हो गया और काफी देर तक चुप रहने के बाद बोला… अपनी कौम के लिये
तुम इतना काम तो कर सकते है। उसकी बात सुन कर मेरे तन बदन मे आग लग गयी थी। मुझसे रहा
नहीं गया और कटाक्ष मारते हुए मैने पूछा… बेग साहब, आपको उस वक्त शर्म नहीं आयी जब
उस लड़की को आप बेइज्जत कर रहे थे। अगर आप जैसे लोग हमारी कौम के ठेकेदार है तो अच्छा
है कि पूरी कौम का रुसवा होना ही ठीक होगा। अचानक उसकी आवाज बदल गयी थी। …बस इतना जान
लो कि इस खबर से हमारी कौम मे फूट पड़ जाएगी जिसका सीधा फायदा काफ़िरों को मिलेगा। उसकी
बात सुन कर मेरा दिमाग चकरा गया था। …बेग साहब, जब तक आप मुझे साफ शब्दों मे नहीं बताएँगें
तब तक मेरे पल्ले कुछ नहीं पड़ेगा। जहाँ तक कौम की बात है तो मुझे अभी भी यकीन नहीं
हो रहा कि आपके कुकर्म को जग जाहिर करने से इस्लाम कैसे खतरे मे आ जाएगा। इतना बोल
कर मै चुप हो गया और उसके चेहरे पर बदलते हुए हावभाव को समझने की कोशिश करने लगा।
कुछ देर तक वह चुप
रहा और फिर धीरे से बोला… यह बात दारुल उलुम बरेलवी और दारुम उलुम देवबंद के बीच दरार
डाल सकती है। …क्या मतलब? …क्या समीउल हक के दारुल उलुम हक्कानिया का नाम तुमने सुना
है? यह नाम सुनते ही मेरे दिमाग मे खतरे की घंटी बज गयी थी। मैने मना करते हुए कहा…
यह क्या है? …यह एक पाकिस्तानी संस्थान है जो हर साल चार हजार जिहादी तैयार करता है।
यहीं के विद्यार्थीयों को तालिब कहते है जो सारी दुनिया मे तालिबान के नाम से मशहूर
है। …इसका यहाँ क्या काम है? …समीर, हमारी कौम को गज्वा-ए-हिन्द करने की हिदायत मिली
है। दारुल उलुम वह जरिया है जिसके द्वारा गज्वा-ए-हिन्द का सपना साकार हो सकेगा। दोनो
दारुल उलुम हर साल हिन्दुस्तान के हजारों मुस्लिम नवयुवकों को जिहाद के लिये प्रशिक्षण
देकर यहाँ पर गाज़ियों की सेना का गठन करके शरिया नाफिज करेंगें। अंसार रजा दारुल उलुम
बरेलवी का हिस्सा है और मेरा ताल्लुक दारुल उलुम देवबंद से है। पिछले साल देवबंद की
मजलिस मे इसका निर्णय लिया गया था। फिलहाल दोनों का मंसूबा यहाँ पर गाजियों की फौज
तैयार करने का है परन्तु इस खबर के कारण मुझे डर है कि दोनो मे कहीं कोई मतभेद न पैदा
हो जाये। इतना बोल कर वह चुप हो गया था। मै कुछ भी बोलने की स्थिति मे नहीं था। समीउल
हक और तालिबान का जनक दारुल उलुम हक्कानिया की असलियत मुझसे छिपी नहीं थी परन्तु उसका
भारतीय प्रतिरुप का होना हमारी आंतरिक सुरक्षा के लिये बहुत बड़ा खतरा था। अभी तक किसी
भी इंटेल रिपोर्ट मे मैने इसका जिक्र नहीं देखा था। यह तो बंगाल मे बड़ी विस्फोटक स्थिति
बन गयी थी।
कुछ सोच कर मैने कहा…
बेग साहब, इसमे कोई शक नहीं दारुल उलुम हमारी कौम को गज्वा-ए-हिन्द के लिये नींव डाल
रही है परन्तु इसके लिये तो बहुत से पैसों और हथियारों की जरुरत होगी। इसका इंतजाम
कहाँ से होगा? …मियाँ इसके लिये हथियारों का इंतजाम तो पाकिस्तान से होता है और पैसों
का इंतजाम अरब देश करते है। इसके अलावा अफगानी ड्रग्स नेपाल के रास्ते से यहाँ पहुँचती
है जिसको हम यहाँ से दूसरे महानगरों मे पहुँचाते है। पाकिस्तानी आईएसआई की देखरेख मे
सीमा पार से जमात-ए-इस्लामी हमको हथियार मुहैया कराती है। यह सब सिर्फ गज्वा-ए-हिंद
का मंसूबा पूरा करने के लिये किया जा रहा है। एक बार हमारी कौम जिहाद के लिये तैयार
हो गयी तो गज्वा-ए-हिन्द का सपना जल्द ही साकार हो जाएगा। …परन्तु बेग साहब दारुल उलुम
देवबंद और दारुल उलुम बरेलवी को जिहाद के लिये बच्चे कहाँ से मिलते है? …पूरे बंगाल
मे लगभग बहुत से छोटे और बड़े मदरसे है। यही सब मदरसे हर साल हजारों जिहादी बना रहे
है। …यह दोनो संस्थान भारत मे कहाँ है? …हर राज्य मे यह दोनो संस्थान मिल जाएँगें।
दारुल उलुम देवबंद की बंगाल शाखा बशीरघाट मे है और दारुल उलुम बरेलवी की शाखा मालदा
मे है।
मै अभी सारे खुलासे
के बारे मे सोच रहा था कि तभी जेसी ने आकर कहा कि सभी पोजिशन्स को नक्शे पर मार्क कर
लिया है। तभी एक अधेड़ उम्र का व्यक्ति मेरे पास आकर बोला… सर, आपसे कुछ बात करनी है।
बेग उस आदमी को देख कर एक पल के लिये चौंक गया था। उस आदमी का इशारा समझते ही मैने
कहा… बेग साहब को इनके लोगों के पास ले जाओ। तब तक मै इन से बात करता हूँ। बेग को लेकर
जब जेसी ने चला गया तो उस व्यक्ति ने अपना परिचय पत्र मेरी ओर बढ़ाते हुए कहा… मेरा
नाम चंद्रजीत बैनर्जी है। मै आईबी के लिये इस क्षेत्र मे काम करता हूँ। बेग पर काफी
दिन से हमारी नजर थी। मैने तुरन्त उसे टोका… बैनर्जी साहब तो इतने दिन से आप यहाँ क्या
कर रहे थे। यहाँ पर खुले आम सीमा पार से घुसपैठ और हथियारों की तस्करी हो रही है तो
आपने अब तक क्या किया? …सर, हमने यहाँ की सरकार को कई बार इसकी सूचना दी थी परन्तु
राजनीतिक कारणों से बेग के खिलाफ पुलिस कार्यवाही नहीं हो सकी थी। पहले वामपंथी सरकार
ने इसको राजनीतिक संरक्षण दिया हुआ था और जब से नयी सरकार बनी है तो वह भी इसके प्रति
नर्म रुख अपना रहे है।
मै कुछ सोच रहा था
कि तभी बैनर्जी ने कहा… बेग का मदरसों के मौलानाओं और मुस्लिम समुदाय मे काफी प्रभाव
है। वैसे भी जब से सीमावर्ती इलाकों मे मुस्लिम बहुसंख्यक हो गये है तभी से राज्य की
सुरक्षा एजेन्सियाँ भी सख्त कार्यवाही करने
से डरती है। कलकत्ता से साफ निर्देश दिये गये है कि मुस्लिम समुदाय के विरुद्ध कोई
भी कार्यवाही बिना राज्य सरकार की अनुमति के न की जाये। फौज को बेग के घर पर देख कर
मै पता करने के लिये चला आया था कि माजरा क्या है। जब मैने आपकी कार्यवाही होते हुए
देखी तो आपको आगाह करने के लिये आ गया। अच्छा होगा कि आप अपने लोगों को लेकर जितनी
जल्दी हो सके यहाँ से निकल जाईए क्योंकि बेग की हिरासत की खबर अगर फैल गयी तो फिर आपके
लिये यहाँ से सुरक्षित निकलना नामुमकिन हो जाएगा। …अगर मै तुम्हारी बात सही समझ रहा
हूँ तो वामपंथियों और मुस्लिमों का यहाँ पर पहले से ही गहरा गठजोड़ है। …जी सर। मैने
कुछ बोलने के लिये अपना मुख खोला ही था कि जेसी आता हुआ दिखा तो मैने जल्दी से कहा…
बैनर्जी साहब आगे की बात बाद मे होंगी। पहले जिस काम के लिये आये है वह पूरा करना है।
मेरी बात सुन कर बैनर्जी चुप हो गया था। अब तक मैने अपने दिमाग मे आगे की रणनीति की
रुपरेखा बना ली थी।
बहुत ही उम्दा अंक था और बैग का चांदनी के साथ दुष्कर्म करने का प्रयास करना और अपने कौम का हवाला दे कर इस बात को चांदनी के पिता के सामने न लाने की समीर से बोलना उन पाखंडी और ढोंगी लोगों का परदा खोल देती है जो अपने आप को मसीहा और लोगों के हितैषी बोलते रहते हैं, अब शायद चांदनी के बामपंती सोच पर यह बहुत बड़ा आघात होने वाला है, समीर को भी अपने आगे के फेज के लिए थोड़ा थोड़ा रास्ता निकलता हुआ देखने को मिल रहा है, अब आगे देखते हैं वो इस बंगाल के गट्ठजोड को कैसे निपटाता है।
जवाब देंहटाएंबंगाल और बांग्लादेश सीमा की स्थिति का चित्रण करने की एक छोटी सी कोशिश है। राजनीति कैसे देश को नुकसान पहुँचाती है यह इस बात का उदाहरण है। अल्फा भाई आपकी टिप्पणी के लिये धन्यवाद।
हटाएंbahut badhiya updat hai sir
जवाब देंहटाएंसाइरस भाई शुक्रिया। मै कोशिश करुँगा कि आगे आने वाले अप्डेट भी आपको ऐसे ही पसंद आयेंगें। इस रचना के साथ जुड़ने के लिये आपका शुक्रगुजार हूँ
हटाएंप्रशांत भाई शुक्रिया। यह बात तो अब सर्वविदित है कि मदरसे ही धर्म की शिक्षा देने की आढ़ मे जिहादी तैयार कर रहे है। इसको फ्रांस की सरकार ने बेहद प्रभावी ढंग से निबटाया है। भारत मे पंचमक्कारों के गठजोड़ के कारण यह बेहद कठिन काम लगता है। देर-सवेर से सरकार को एक्शन तो लेना पड़ेगा अन्यथा 1947 के दौर मे वापिस पहुँच जाएँगें
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