गहरी चाल-49
अगली सुबह जब तक मै
तैयार होकर बाहर निकला तो पता चला कि अंजली अपने आफिस मे बैठी हुई है। कुछ सोच कर मै
उससे मिलने उसके पास चला गया था। भंडारी साहब और अंजली किसी बात पर चर्चा कर रहे थे।
मुझे देखते ही भंडारी साहब मुस्कुरा कर बोले… समीर बेटा तुम ही बिटिया को कुछ समझाओ।
उनके सामने बैठते हुए मैने जल्दी से कहा… अंकल इसको समझाना मेरे बस की बात नहीं है।
…बेटा इतना काम बढ़ गया है और यह वापिस जाने की बात कर रही है। तभी मेरी नजर मेनका पर
पड़ी जो वर्कबुक मे कुछ लिखने का प्रयास कर रही थी। मेज के किनारे पर एक छोटे से पालने
मे केन सो रहा था। अंजली ने जल्दी से कहा… मैने अंकल पर वितरण की जिम्मेदारी डाल रही
हूँ। आफिस का सारा काम कविता संभाल लेगी। दोनो गोदाम का काम वह दोनो संभाल लेंगें।
जहाँ तक आवक-जावक और खर्चे की बात है तो उसके लिये मैने कुछ चेक काट कर कविता के पास
छोड़ दिये है। मैने अंकल से सिर्फ इतना ही कहा है कि दिन मे दो घँटे के लिये यहाँ आकर
कविता के काम और वितरण की इन्वोइस देख लिया करियेगा। अब इसमे कौनसी मुश्किल बात है।
वैसे भी हम महीने-दो महीने मे आते जाते रहेंगें। कुछ सोच कर मैने कहा… अंकल कुछ जरुरी
कारणों से अंजली को मेरे साथ जाना पड़ रहा है। कुछ दिनो की बात है फिर यह वापिस आ जाएगी।
तब तक प्लीज आप हमारी मदद किजिये। भंडारी साहब अब निरुत्तर हो गये थे।
शाम तक कंपनी और आब्दर्वेशन
पोस्ट का काम सिमट गया था। शाम की फ्लाईट पकड़ कर हम दिल्ली जा रहे थे। एकाएक अंजली
बोली… मैने आवेश मे जनरल रंधावा को तो बोल दिया परन्तु अब मुझे डर लग रहा है। …किस
बात का डर लग रहा है? …इतने दिन से घर मे बैठने के कारण अब मै शारिरिक तौर पर फिट नहीं
हूँ। उसने मेरे मन की बात बोल दी थी। …जो डर तुम्हें सता रहा है वही डर मुझे भी परेशान
कर रहा है। ट्रेनिंग मे हम दोनो की कमजोरी एक ही है तो दोनो मिल कर इस ट्रेनिंग को
पूरा कर लेंगें। …क्या बड़ा कठिन कोर्स है? …पता नहीं लेकिन सुना है कि दस मे से दो
ही इस कोर्स को पास कर पाते है। अचानक वह बोली… तो फिर इस कोर्स को पास करने वाले हम
दो ही होंगें। उसकी बात सुन कर एकाएक मेरा मनोबल दुगना हो गया था।
सोमवार को सुबह नौ
बजे हमने एनएसजी के ड्रिल सार्जेन्ट कुट्टी को रिपोर्ट कर दिया था। हम एक दिन पहले
ही मानेसर कैंम्पस मे आ गये थे। जनरल रंधावा ने एक प्रशिक्षक बैरेक मे हमारे ठहरने
का इंतजाम कर दिया था। हमारे साथ वहीं पर मेनका, केन और थापा भी रहने के लिये आ गये
थे। इसका इंतजाम अंजली ने करवाया था। काठमांडू से लौटते ही अगले दिन से अंजली और मैने
सुबह और शाम दौड़ना आरंभ कर दिया था। रिपोर्ट करने मे अभी तीन दिन थे तो हम दोनो अपनी
शारिरिक क्षमता को बढ़ाने मे जुट गये थे। पहले दिन तो हमारा प्रदर्शन हर दृष्टि से बेहद
खराब रहा था। अंजली की शारिरिक परेशानी मुझसे ज्यादा थी क्योंकि वह दुग्धदायनी स्टेज
मे थी। दिन मे तीन बार उसके सीने मे दूध उतरता था। इसी कारण उसे तीन बार केन को दूध
पिलाना अनिवार्य हो गया था। पहले दिन के अनुभव से सीख कर हमने अकादमी के इंस्ट्रक्टर
से बात करके अपने कार्यक्रम और कपड़ो मे कुछ बदलाव किया जिसका असर हमे दूसरे दिन देखने
को मिल गया था। सुबह चार बजे केन को दूध पिला कर अंजली स्पोर्ट्स ब्रा, लियोटार्ड और
स्पन्डेक्स लेगिंग पहन कर पांच बजे मेरे साथ दौड़ने के लिये निकल जाती थी। हम सात बजे
तक लौटते और फिर जिमनेसियम मे दो घंटे वेट ट्रेनिंग करने बाद नौ बजे तक घर लौटते थे।
एक घंटा तैयार होने मे लगा कर कुछ नाशता करके फिर अकादमी के फायरिंग सेन्टर चले जाते
थे। एक घंटा वहाँ बिता कर वापिस लौट कर अंजली बारह बजे एक बार फिर से केन को दूध पिला
देती थी। दोपहर को एक दूसरे की दुखती हुई माँस पेशियों की मालिश करके शाम को चार बजे
एक बार फिर से ट्रेक पर पहुँच जाते थे। तीन दिन की सधी हुई ट्रेनिंग के कारण जब हमने
ड्रिल सार्जेन्ट के सामने हाजिरी दी तब तक मन मे आत्मविश्वास अंकुरित हो गया था।
हमारे साथ बीस पैरामिलिट्री
और सेना से चुने हुए जाँबाज थे। सभी की उम्र पच्चीस के आसपास थी और शारिरिक दृष्टि
मे हम दोनो से कहीं ज्यादा फिट और एक्टिव एक्शन का अनुभव रखते थे। ठीक दस बजे हमारे
समूह को फिजिकल के लिये भेज दिया गया था। हमारे समूह मे पाँच फुट दस इंच की अंजली कद
मे सबसे छोटी थी। पुरुष एकल समूह मे एक स्त्री होने के कारण वह अलग-थलग पड़ गयी थी।
हमारा रिश्ता अभी समूह के सामने उजागर नहीं किया गया था। इसी लिये लोगो को मेरे सामने
अंजली के बारे मे बोलने से कोई परहेज नहीं था। पहले दिन हमारे फिजिकल, मानसिक व कोम्बेट
आप्रेशन्स का आंकलन हुआ था। चार बजे हमारे समूह को पाँच टीम मे परिवर्तित कर दिया गया
था। पाँच केडेट की एक टीम बनायी गयी थी। पाँचवीं टीम अंजली और मेरी थी। इसके कारण ग्राउन्ड, क्लास व कोम्बेट के प्रतिद्वंद्वी की
पहचान पहले ही दिन हो गयी थी। दो हफ्ते का प्रोग्राम हम सबके हाथ मे पकड़ा दिया गया
था। हमारा दिन सुबह पाँच बजे आरंभ होकर शाम को छ्ह बजे समाप्त होता था। हमे ड्रिल की
युनीफार्म भी उसी दिन मिल गयी थी। ट्रेनिंग के पहले दिन सिर्फ जान-पहचान व आंकलन मे
निकल गया था। रात को मेस मे अपने सभी साथी केडेट्स की नजरों मे समीर सबसे बदकिस्मत
केडेट था। अंजली मेस मे नहीं आयी थी तो सभी खुल कर बात कर रहे थे।
दूसरे दिन प्रशिक्षण
सुबह पांच बजे आरंभ हो गया था। ड्रिल इंस्ट्रक्टर कुट्टी के साथ चार प्रशिक्षक भी ग्राउन्ड
पर मौजूद थे। बिगुल बजते ही कवायत आरंभ हो गयी थी। पहले दो मील का राउन्ड, व्यायाम और फिर ओब्स्टेकल कोर्स। दस बजे जिमनेसियम मे हाजिरी
फिर एक बजे दो घंटे का ब्रेक। तीन बजे क्लासरुम मे स्थिति का आंकलन और उद्देशय के लिये
स्ट्रेटेजिक योजना पर चर्चा। पाँच बजे फायरिंग रेन्ज पर हाजिरी और छ्ह बजे छुट्टी।
सात बजे मेस मे हाजिरी और ठीक दस बजे लाईट आउट। कागज पर यह लिखना बेहद आसन था परन्तु
एक दिन मे ही सबके कस बल ढीले हो गये थे। दो मील बीस किलो को पीठ पर लेकर भागना और
चक्कर को निर्धारित समय पर पूरा करना सभी के लिये बेहद कठिन और कष्टदायक था। हम दोनो
के लिये यह कार्य और भी मुश्किल था। आखिरी राउन्ड मे मुझे अंजली का भार भी उठा कर भागना
पड़ा जिससे हम निर्धारित समय मे दो मील का चक्कर पूरा करने मे कामयाब हो सके थे। इसमे
हमारी टीम सबसे निचले पायदान पर समय के अनुसार आंकी गयी थी। दौड़ के अंत तक हम दोनो
की हालत पतली हो गयी थी। हमारे कपड़े पसीने से भीग गये थे।
हम अभी अपनी सांसों
को सयंत भी नहीं कर पाये थे कि व्यायाम के लिये बिगुल बज गया था। हम सभी टीम के अनुसार
ग्राउन्ड मे एकत्रित हो गये थे। एक घंटे व्यायाम करने से दुखती हुई माँस पेशियों को
बहुत आराम मिला था। अंजली के लिये व्यायाम काफी फायदेमन्द साबित हुआ था। स्ट्रेचिंग
व विभिन्न योगिक अभ्यास और श्वास पर नियंत्रण से थकान और दर्द मे काफी राहत मिल गयी
थी। बिगुल बजते ही हम आब्सटेकल कोर्स की ओर चल दिये थे। पहले दिन का कोर्स सरल था।
हर सैनिक इस कोर्स को भर्ती के दौरान पहले ही कर चुका था। तारों की बाढ़ के नीचे से
कोहनी के बल सरकते हुए बाहर निकल कर रस्सा पकड़ कर पानी के कुँड के उपर से छलांग लगा
कर पार करना और फिर आठ फीट उँची दीवार को पार करके चार फीट उँचे जिग-जेग ट्रेक पर भाग
कर कोर्स की समाप्ति थी। हर टीम को निर्धारित समय मे कोर्स पूरा करना था। इसमे किसी
को कोई परेशानी नहीं हुई थी। जब हमारा नम्बर आया तो अंजली ने धीरे से कहा… उस दीवार
पर आपको मदद करनी पड़ेगी। मैने सिर्फ अपना सिर हिला दिया था। इंस्ट्रक्टर की सीटी बजते
ही मै आगे निकल गया और तेजी से रास्ता तय करके दीवार के सामने जाकर खड़ा हो गया था।
अंजली भी मेरे पीछे आ रही थी। वह भागते हुए मेरी ओर आयी तब तक मै अपने हाथों को बाँध
कर तैयार हो गया था। उसके छलांग लगाते ही मैने उसके पाँव को सहारा देकर हवा मे उछाल
दिया और वह फुर्ती से हवा मे उछल कर दीवार का सिरा पकड़ कर लटक गयी थी। अगले ही पल उसने
एक झोंका खाया और दीवार के दूसरी ओर कूद गयी। मै दस कदम पीछे गया फिर दौड़ कर दीवार
के करीब उछला और उसका सिरा पकड़ कर एक झटके से दीवार के दूसरी ओर छ्लांग लगा दी थी।
अंजली तब तक जिग-जेग पर फर्राटे से आगे बढ़ रही थी। सामने खड़े हुए बाकी टीम के सदस्य
उसका मनोबल बढ़ाने के लिये ताली बजा रहे थे। मैने भी जिग-जेग कोर्स निर्धारित समय से
काफी पहले ही पूरा कर लिया था।
हम सब एक बार फिर
से ग्राउन्ड मे टीम के अनुसार लाइन मे खड़े हो गये थे। ड्रिल सार्जेन्ट कुट्टी सब टीम
के स्कोर कार्ड लेकर हमारे सामने आकर खड़ा हो गया था। एक नजर सब पर डाल कर वह घुर्राया…
केडेट समीर तुमने आज दो बार खेल के नियम तोड़े है। तुम्हारी टीम को क्यों नहीं निष्कासित
कर दिया जाये। केडेट अंजली लड़की होने का मतलब यह नहीं है कि तुम्हारे लिये कोर्स के
नियम बदले जाएँगें। एकाएक मै अपने राष्ट्रीय रक्षा अकादमी के केडेट के रुप मे आ गया
था। मै जोर से चिल्लाया… मास्टर हम एक टीम है। टीम का हर सदस्य दूसरे का पूरक होता
है। मैने कोई नियम नहीं तोड़ा है। हमारी टीम को एक उद्देशय दिया गया था जिसे हमने मिल
कर पूरा किया है। कुट्टी घुर्राया… केडेट समीर यह बच्चों को प्रशिक्षण देने की अकादमी
नहीं है। इस जगह सैनिक को नायक बनाया जाता है। यहाँ से निकलने वाला हर सैनिक दुश्मन
के लिये चलती फिरती मौत होती है। कोई शक। मै जोर से चिल्लाया… बेशक मास्टर। ड्रिल मास्टर
कुट्टी दूसरी टीम की ओर बढ़ गया था। मैने एक गहरी साँस छोड़ी तो अंजली मुड़ कर मेरी ओर
देख कर मुकुरायी तभी कुट्टी की आवाज गूंजी… टीम पाँच ग्राउन्ड का एक चक्कर लगाओ। हम
दोनो चुपचाप एक चक्कर लगाने के लिये चल दिये थे।
मुझे अपने अकादमी
के दिन याद आ गये थे। शुरुआती हफ्तों मे ऐसा हमारे साथ अकसर होता था। वहाँ पर सबसे
पहले टीम का प्रदर्शन और उसके पश्चात एक व्यक्ति का परिणाम होता था। उस दौरान किसी
एक के खराब प्रदर्शन की सजा सारी टीम को भुगतनी पड़ती थी। मुझे आज भी याद है कि एक बार
स्पेशल फोर्सेज की ट्रेनिंग के दौरान आब्स्टेकल कोर्स मे दीवार से कूदते हुए मेरे पाँव
मे मोंच आ गयी थी। मेरी टीम के एक सदस्य पिंटो ने अपने कन्धे पर मुझे उठा कर जिग-जेग
ट्रेक पूरा किया था। इसके लिये उसे हमारे ग्राउन्ड का एक चक्कर लगाने की सजा मिली थी
परन्तु आंकलन के समय उसे सबसे ज्यादा अंक देते हुए ड्रिल इंस्ट्रक्टर ने हमसे कहा था
कि सैनिक का धर्म है कि उसका कोई साथी पीछे नहीं छूटना चाहिये। उसके बाद मैने इससे
भी जटिल आब्सटेकल कोर्स को पूरा किया था। अपने ड्रिल इंस्ट्रक्टर की बात हमेशा के लिये
मेरे जहन मे बैठ गयी थी। शायद इसी लिये मेरी स्पेशल फोर्से की युनिट मे कश्मीर आप्रेशन्स
मे कोई हताहत या चोटिल नहीं हुआ था। सजा के तौर पर ग्राउन्ड का एक चक्कर लगाते हुए
मुझे एकाएक पिंटो का ख्याल आ गया था।
चक्कर समाप्त करके
हम दोनो वापिस लाइन मे आकर खड़े हो गये थे। …केडेट अंजली जिम ट्रेनर से अपना नया ट्रेनिंग
शीड्यूल ले लेना। डिसमिस। हम दोनो जिमनेसियम की दिशा मे चल दिये थे। साथ चलते हुए धीरे
से अंजली ने सबकी नजरे बचा कर मेरा हाथ पकड़ कर दबा कर मुस्कुरा कर बोली… थैंक्स। हम
एक दूसरे के पूरक है। साथ चलती हुई अंजली से मैने दबी आवाज मे पूछा… तुम्हारे सीने
का क्या हाल है? …ठीक है। जिम के बाद मै सीधे बैरेक चली जाऊँगी। …ठीक है। बस हमारे
बीच इतनी बात हुई थी। अंजली जिम इंस्ट्रक्टर के पास चली गयी थी और मै बाकी सब के साथ
बेन्च प्रेस, इत्यादि मे अपने शीड्युल अनुसार वेट ट्रेनिंग करने मे जुट गया था। साढ़े
बारह बजे बिगुल बजते ही नहाने धोने का कार्यक्रम आरंभ हो गया था। मेरे साथियों का रुख
मेरे प्रति अब तक सहानुभुति वाला हो गया था। मेस मे एक बार फिर से अंजली की चर्चा आरंभ
हो गयी थी। सभी उसके बारे मे जानने के लिये उत्सुक थे। किसी ने कहा… यार अंजली नहीं
दिख रही। बीएसएफ से आया हुआ राकेश ने सीधा सवाल मुझसे किया… यार समीर वह तेरी टीम मेट
है। उसके बारे मे कुछ तो बता कि वह कहाँ से आयी है। तभी कोई बोला… यार क्या उसकी शादी
हो गयी है? खाना खाते हुए सेना की इंफेन्ट्री से आये सिमरनजीत ने कहा… क्यों जाट तू
उससे शादी करेगा? शेखावत ने जल्दी से कहा… यार वह बहुत खूबसूरत है। अगर वह राजी हो
गयी तो उसके साथ यहीं भांवर डलवा लूँगा। कश्मीरी सेब लगती है। तभी सुजीत बोला… जाट
पहली बार तू सच बोल रहा है। मुझे नहीं लगता कि हमारी फोर्स मे अंजली से खूबसूरत कोई
और होगी। इस ट्रेनिंग की समाप्ति पर अंजली को मिस फोर्सेज का खिताब हम सब मिल कर देंगें।
जितने मुँह उतनी बातें तो इसलिये मै चुपचाप खाना खाता रहा और जब उनके प्रश्न बढ़ते चले
गये तो आखिर मे मैने कहा… भाई तुम लोग खुद ही क्यों नहीं पूछ लेते। मेरी उससे अभी तक
कोई पर्सनल बात नहीं हुई है। इतना बोल कर मैने अपनी थाली उठाई और रखने के लिये चल दिया।
मेरे पास अभी डेड़ घंटा था तो मै अपने बेरेक की ओर चला गया था।
अंजली खाना खा रही
थी। मुझे आता देख कर वह बोली… इस वक्त आप कैसे आ गये? …वहाँ सभी तुम्हारे बारे मे जानने
के लिये उत्सुक है। उन्हें क्या बताता तो यही सोच कर मै यहाँ आ गया। मै बिस्तर पर जाकर
फैल गया था। अंजली खाना खाकर बर्तन एक किनारे मे रख कर मेरे पास बैठते हुए बोली… लाईये
मै आपकी पीठ दबा देती हूँ। इतना बोल कर आरफा से सीखा हुआ हुनर उसने मुझ पर आजमाना आरंभ
कर दिया था। कुछ ही देर मे मेरे जिस्म की सारी अकड़न समाप्त हो गयी थी। एक नजर घड़ी पर
मार कर मैने उठते हुए कहा… अब तुम लेट जाओ। वह पेट के बल लेटते हुए बोली… और मेरे बारे
मे क्या कह रहे थे। मैने एक चपत उसके नितंब पर जड़ कर उसकी थरथराहट महसूस करते हुए कहा…
दूसरे के बारे सोचना भी नहीं। इतना बोल कर मैने उसके जिस्म की अकड़न को कम करने मे जुट
गया था। थोड़ी देर के बाद वह कराहते हुए बोली… मेरे सीने मे भी दर्द हो रहा है। इनके
लिये भी कुछ किजिये। दूसरे बेड पर सोते हुए केन की ओर इशारा करते हुए मैने कहा… उससे
कहो। वह उठते हुए मुस्कुरा कर बोली… अच्छा जी। मैने जन्नत को ऐसी हालत मे देख कर उसकी
पीड़ा को महसूस किया था। …सच मे क्या सीने दर्द हो रहा है? …नहीं। मै मजाक कर रही थी।
अभी तो इसे दूध पिला कर सुलाया है।
तभी मेनका प्रवेश
करते हुए बोली… अम्मी क्या अब हम यहीं रहेंगें? …मेनका तुमने ही तो हमारे साथ रहने
की जिद्द की थी। …अम्मी अगर हमे यहीं रहना है तो सामने एक स्कूल है। आप मुझे वहीं भर्ती
करा दिजिये। उसके पीछे आते हुए थापा से मैने पूछा… कौनसा स्कूल है? …साबजी सेन्ट्रल
स्कूल है। अभी छुट्टी हुई थी तो बेबी उसको देख कर अन्दर जाने की जिद्द करने लगी थी।
मैने अंजली की ओर देखा तो वह जल्दी से बोली… बेटा हम यहाँ सिर्फ कुछ दिन के लिये रुक
रहे है। हमे तो वापिस काठमांडू जाना है। तुम अगर चाहती हो तो मै बात करके तुम्हें कुछ
दिनो के लिये उनकी क्लास बैठने का इंतजाम करवा दूँगी लेकिन फिर केन अकेला हो जाएगा।
मेनका सोच मे पड़ गयी थी। मैने अपनी घड़ी पर नजर डाल कर कहा… अंजली पन्द्रह मिनट रह गये
है। चलो चलते है। अंजली ने उठते हुए थापा से कहा… केन को दूध पिला कर सुला दिया है।
जब वह उठ जाये तो उस बोतल के दूध को उसे पिला देना। …जी मैडम। इतना बोल कर वह बैरक
से बाहर निकल गयी थी। हम दोनो क्लास की ओर चल दिये थे।
हमसे पहले सभी क्लास
मे पहुँच गये थे। एक किनारे खाली सीटें देख कर हम दोनो बैठ गये थे। अंजली ने अपनी फाईल खोल कर पढ़ने लगी
और मै अपनी क्लास का आंकलन करने व्यस्त हो गया था। ठीक तीन बजे इंस्ट्रक्टर ने क्लास
मे प्रवेश किया तो सभी सावधान हो गये थे। वह एक कमीशन्ड आफीसर लग रहा था… आप मे से
कितने लोगो ने कोम्बेट आप्रेशन्स मे भाग लिया है? हमे छोड़ कर आधे से ज्यादा लोगों ने
अपने हाथ उठा दिये थे। …पहला केस आज सभी को दिया जा रहा है। हरेक टीम उस केस को अपने
अनुसार आंकलन करके एक योजना तैयार करेगी। आपके पास आधे घंटे का समय है। मैने अपनी फाइल
खोल कर पहला केस पढ़ने बैठ गया था। तभी अंजली ने दबी जुबान मे कहा… मैने केस पढ़ लिया
है। मै आपको बता देती हूँ उसके बाद हरेक पहलू पर चर्चा कर लेंगें। मैने उसकी ओर देखा
तो उसने अपनी फाइल खोल कर मेरे सामने रख दी थी।
अंजली ने पहले केस
के बारे मे बताना आरंभ कर दिया… कुछ आतंकवादियों ने एक कच्चे मकान मे कुछ लोगों को
बंधक बना रखा है। हमारा उद्देशय पहले उन बंधकों को छुड़ाने का है। फिर आतंकवादियों को
आत्मसमर्पण के लिये बाध्य करना और अगर वह न माने तो आप्रेशन क्लीन आउट आरंभ करना है।
ख्याल रहे कि एक्शन लेने से पहले सुरक्षा की दृष्टि से कुछ जानने की जरुरत है। वह कुछ
बोलती उससे पहले मैने पूछा… क्या कुछ स्थान की जानकारी दी गयी है? …नहीं। …कुछ आतंकवादियों
के बारे मे कोई जानकारी दी है? …उसके बारे मे कुछ नहीं दिया गया है। …इस्लामिक है या
नक्सलवादी है? …पता नहीं। …उस इलाके मे पहले भी ऐसी घटना हुई है? …पता नहीं। …क्या
बंधकों के बारे मे कुछ जानकारी दी है? …नहीं। …दिन है या रात है? …शाम है। …थैंक गाड।
कुछ तो केस मे दिया है। मै कुछ सोच रहा था कि तभी अंजली बोली… इसमे सुरक्षा एजेन्सियों
के वेपन्स सिस्टम की जानकारी दी गयी है। स्नाईपर राईफल, नाइट विजन, हैन्ड ग्रेनेड,
एके-203, ग्लाक-17 और हैन्ड हेल्ड कम्युनिकेशन सिस्टम। …इन्फ्रारेड स्कैनर सिस्टम?
…नहीं। मैने झल्ला कर कहा… तो फिर झांसी की रानी और क्या दिया है? …खेत पर काम करने
वाले ने यह सूचना पुलिस को दी थी। …ओह। पूरा केस अब साफ हो गया है। इन्फार्मर ने क्या
जानकारी दी थी? …यही कि कुछ लोग अपने चेहरे और सिर पर कपड़ा बांधे और कम्बल को शरीर
पर डाल कर उस कच्चे मकान मे घुसे थे। …क्या उसने उनके पास हथियार देखे थे? …हाँ। उनके
हथियार कम्बल मे छिपे हुए थे परन्तु उसकी नाल दिख रही थी। …क्या उसने बताया था कि उस
मकान मे कौन रहता था? …उस खेत पर काम करने वाले मजदूर रहते थे। …और कुछ? …एक बात और
बतायी गयी है कि उसने गोली चलने की आवाज सुन कर पुलिस को खबर की थी।
…झांसी की रानी अब
तुम बताओ कि ऐसी हालत मे क्या करना चाहिये? अंजली ने कुछ सोचने के बाद बोली… नाईट विजन
को स्नाईपर राईफल के लेन्स के साथ फोकस करके सेट किया जाये तो कुछ हद तक स्कैनर का
काम कर सकता है। अंधेरा होते ही उस मकान पर एके-203 का एक बर्स्ट मार कर नाइट विजन
आन कर लिजिये। पहले बर्स्ट के साथ ही अन्दर कुछ चहल पहल होगी जिसको नाईट विजन और स्नाईपर
का लेन्स आसानी से पकड़ लेगा। उससे अंदाजा लग जाएगा कि अन्दर लगभग कितने लोग है। अगर
उनकी ओर से फायरिंग नहीं होती तो अबकी बार दो बर्स्ट छत की दिशा मे मारिये। इस बार
वह फायरिंग करने के लिये बाध्य हो जाएगें। …अगर फिर भी उनकी ओर से कोई जवाबी कार्यवाही
नहीं होती तो क्या करना चाहिये? …नाइट विजन से आपको उनकी लोकेशन का लगभग अनुमान हो
गया होगा। अब एक केकुलेटिड रिस्क लेना जरुरी है क्योंकि बंधक अन्दर टहल तो नहीं रहे
होंगें। वह सब एक किनारे मे बैठे हुए होंगें। ऐसी हालत मे स्नाईपर राईफल से उस मकान
के सबसे कमजोर हिस्से को निशाना बनाना पड़ेगा जहां पर आतंकवादी के होने की संभावना है।
…चलो उन्होंने जवाबी फायरिंग करनी शुरु कर दी तो? …आपको उनके हथियारों की संख्या और
कैलिबर की जानकारी हो जाएगी। उनकी ओर से फायरिंग होने के बाद आत्मसमर्पण की सारी संभावना
भी समाप्त हो जाएँगी। अब आपकी टीम आगे बढ़ सकती है। बस इतना ख्याल रहे कि वह सब एक बन्द
जगह पर एक तरीके से कैद है। स्मोक ग्रेनेड को पहले इस्तेमाल किजिये उसके बाद क्लीन
आउट आप्रेशन आरंभ हो जाएगा।
एक पल के लिये मेरा
मन हुआ कि अभी उठ कर उसको अपनी बाँहों जकड़ लूँ लेकिन अपनी भावनाओं पर अंकुश लगा कर
मैने धीरे से कहा… झांसी की रानी मुझे तुम पर गर्व है। वह मुस्कुरा कर बोली… चलिये
यहाँ तो मै आपके काम आ सकती हूँ। …अब मेरी भी सुन लो। इस घटना का स्थान कश्मीर है।
वह इस्लामिक जिहादी है। सिर पर कफन बांध कर आये है तो हथियार डालने के लिये कभी तैयार
नहीं होंगें। उनके पास एके-56 है। हाईकैलीबर फायर पावर उनके हाथ मे होने के कारण यह
आल आउट क्लीनिंग आप्रेशन होगा जिसमें कोलेटर्ल लास की संभावना ज्यादा है। उनके पास
पिस्तौल भी है क्योंकि गोली चलने की आवाज आयी थी। इसका मतलब यह हर्गिज नहीं है कि उन्होंने
अभी तक किसी बंधक की हत्या की है लेकिन वह बंधको को अपनी ढाल बना सकते है। यहाँ पर
हमे अपने स्नाईपर्स को खास लोकेशन पर तैनात करना पड़ेगा। दरवाजे का विजुअल एन्गल 60
डिग्री का होता है। अंधेरे मे यह घट कर 30 डिग्री का रह जाता है। इसलिये हमारे स्नाईपर्स
को उनके विजुअल रेन्ज से बाहर रहना होगा। इतना बोल कर मै चुप हो गया और उसकी ओर देखा
तो उसने मुस्कुरा कर अपनी आँखों से इशारा किया… क्या बात है। उसके जवाब मैने भी आँखों
के इशारे से दे दिया था। तभी इंस्ट्रक्टर की आवाज गूंजी। …टाइम अप। हमने इंस्ट्रक्टर
की ओर देखा तो अब उसके साथ तीन अन्य लोग भी वहाँ पर खड़े हुए थे। उनको देख कर हम दोनो
चौंक गये। अंजली बुदबुदा कर बोली… यह लोग यहाँ क्या कर रहे है। …वह तुम्हें देखने आये
है।
एक-एक करके सभी टीमो
ने अपने विचार सबके सामने रख दिये थे। चारों टीम एक ही बात मे उलझ कर रह गयी थी। आतंकवादियों
के बारे मे पुख्ता जानकारी की कमी होने के कारण उनका एक्शन प्लान अन्दाजे पर ज्यादा
आधारित था। केस के आत्मसमर्पण के उद्देश्य ने उनकी सोच को संकीर्ण बना दिया था। बस
इन्हीं कमजोरियों के कारण उन टीमों पर प्रश्नों की झड़ी लग गयी थी। आखिर मे हमारा नम्बर
आया तो मैने अंजली को बोलने का इशारा किया। अंजली खड़ी हो गयी और एक बार मेरी ओर देख
कर उसने बोलना आरंभ कर दिया। अभी तक हमारे बीच मे जो भी बात हुई थी वह सबके सामने विस्तार
से रख कर बैठ गयी थी। सभी सुनने वाले उसको हैरत भरी नजरों से देख रहे थे। इंस्ट्रक्टर
ने तिगड़ी की ओर देख कर कहा… सर आप कुछ पूछना चाहते है तो पूछ लिजिये। वीके ने अजीत
सर की ओर देख कर कहा… कुछ तो पूछ लो यार। अजीत सर ने मुस्कुरा कर पूछा… अंजली आपने
यह कैसे जाना कि वह स्थान कश्मीर है और वह इस्लामिक जिहादी है। आपने भी तो अंदाजा लगाया
है। वह नक्सलवादी भी तो हो सकते थे। अंजली ने मेरी ओर देखा तो अबकी बार मैने हाथ उठा
कर कहा… मास्टर, केडेट को बोलने की इजाजत दिजीये। अजीत सर मुस्कुरा कर बोले… आप ही
बता दिजिये। मै उठ कर खड़ा हो गया और कैडेट की तरह बोला… मास्टर आपके इन्फार्मर ने बताया
था कि आतंकवादियों ने सिर और चेहरा कपड़े से ढक रखे थे और अपने जिस्म पर कम्बल लपेट
रखा था। उनके हथियार की नाल बाहर दिख रही थी। अब भला कौन सा नक्सलवादी इतनी गर्मी और
बारिश मे कम्बल ओढ़ कर निकलेगा। दूसरा एके-56 की नाल बाकी आटोमेटिक गन से लम्बी होती
है जिसका ज्यादातर इस्तेमाल पाकिस्तानी तंजीमे करती है। इसका मतलब था कि आतंकवादी हाई
कैलिबर हथियार लेकर अन्दर जमा थे। इतना बोल कर मै बैठ गया था।
जनरल रंधावा अभी तक
सारी कार्यवाही चुपचाप सुन रहे थे। अचानक वह बोले… कैडेट अंजली क्या कभी किसी आतंकवादी
का तुमने सामना किया है? एक बार उसने मेरी ओर देखा फिर उनकी ओर देख कर बोली… यस सर।
उसका जवाब सुनते ही मेरा गला सूखने लगा था। बात गलत दिशा मे जा रही थी। …गुड। इसके
आगे उन्होंने कुछ नहीं पूछा था। तीनो कुछ देर इंस्ट्रक्टर से बात करने के पश्चात क्लास
से बाहर चले गये थे। …क्लास डिसमिस। सभी उठ कर खड़े हो गये और एक लाईन बना कर क्लास
से बाहर निकल कर फायरिंग रेन्ज की ओर चल दिये थे। तभी एक गार्ड दौड़ता हुआ हमारी ओर
आकर बोला… केडेट समीर कौन है? मै लाइन से बाहर निकल कर बोला… बोलिये। …कैडेट आपको निदेशक
साहब ने बुलाया है। मै उसके साथ चल दिया।
निदेशक के कमरे मे
तिकड़ी बैठी हुई थी लेकिन निदेशक नदारद थे। मुझे देखते ही जनरल रंधावा ने कहा… पुत्तर
क्या हाल है? …सर एक ही दिन मे कस बल ढीले हो गये है। …अंजली के क्या हाल है? …सर,
वह सही कह रही थी। अभी आप उसकी कलाकारी देख कर आये है। उस केस को उसने ही तैयार किया
था। मैने तो छुटपुट रिक्त स्थान भरे थे। फिजिकल मे शायद वह उनकी बराबरी नहीं कर सकेगी
परन्तु औसतन स्कोर उसका उन सब से बेहतर होगा। वीके ने बीच मे टोकते हुए पूछा… क्या
तुम फील्ड मे जाने की स्थिति मे हो गये। …यस सर। अब सब ठीक है। अजीत सर ने प्रश्न किया…
समीर क्या ट्रेनिंग पूरी करना चाहते हो? …सर, पहले हो सकता था कि मै मना कर देता परन्तु
अब मै सोच रहा हूँ कि फील्ड मे जाने से पहले यह ट्रेनिंग पूरी कर लेनी चाहिये। मेरे
डाक्टर ने कहा है कि असली परीक्षा की घड़ी तब आएगी जब तुम हाथ मे हथियार पकड़ोगे। ब्लास्ट
के बाद से मेन्टल ब्लाक का शिकार हो गया हूँ। मुझ लगता है कि इस ट्रेनिंग के दौरान
यह ब्लाक भी हट जाएगा। अजीत सर मेरी ओर ध्यान से देख रहे थे परन्तु वह कोई निर्णय नहीं
ले पा रहे थे।
तभी वीके ने कहा…
समीर कुछ हालात ऐसे बन गये है कि तुम्हें जल्दी से जल्दी सीमा पार जाना पड़ेगा। अजीत
सर ने कहा… वीके यह बेहद खतरनाक पोस्टिंग है। अच्छा होगा कि समीर यह ट्रेनिंग पूरी
करके वहाँ जाये क्योंकि वहाँ शारिरिक क्षमता के साथ मानसिक स्थिरता की भी जरुरत है।
तालिबान और तेहरीक को हमारे प्रभाव मे लाने का मुख्य उद्देश्य है। अफगानिस्तान छोड़ने
से पहले अमरीका भी यही चाहता है कि दो सबसे बड़ी तंजीमे उनके प्रभाव मे रहे जिससे पाकिस्तान
उनके निकलने के बाद इस इलाके मे दोबारा गड़बड़ करने की कोशिश न करे। मै चुपचाप उनकी बात
सुन रहा था। कुछ देर तीनो बात करने के बाद इसी नतीजे पर पहुँचे कि फिलहाल ट्रेनिंग
चलने देनी चाहिये। अगर जरुरत पड़ी तो फिर ट्रेनिंग को बीच मे रोक भी सकते है। इतनी बात
करके उनसे इजाजत लेकर मै फायरिंग रेन्ज की ओर चल दिया था।
जब मै रेन्ज पर पहुँचा तब तक आधुनिक हथियारों से सबको रुबरु करवाया
जा चुका था। उनकी डिस्मेन्टलिंग और एसेम्बलिंग दिखा दी गयी थी। मेरे वहाँ पर पहुँचते
ही इंस्ट्रक्टर सबको फायरिंग रेन्ज की ओर जाने का आदेश देकर आब्सर्वेशन पोस्ट की ओर
चला गया था। फायरिंग रेन्ज की मेज पर आधुनिक पिस्टल का संग्रह रखा हुआ था। सबसे पहले
अंजली ने पिस्टल को अपनी पकड़ के अनुसार चुना और पिस्टल लेकर एक किनारे मे खड़ी हो गयी
थी। एक-एक करके सभी अपनी पिस्टल चुनने मे व्यस्त हो गये थे। मुझ पर नजर पड़ते ही वह
मेरे पास आकर बोली… वह क्या कह रहे थे? …बाद मे बताऊँगा। अपनी पिस्टल दिखाना। उसने
अपनी पिस्टल मेरे आगे कर दी थी। मैने उसकी पिस्टल को अपने हाथ मे लेकर वजन को आंकलन
करने के पश्चात पकड़ को चेक करके उसकी ओर बढ़ाते हुए कहा… अपना बैलेन्स बना कर रखना।
वैसे तुम्हारी पसंदीदा पिस्टल कौन सी है? …बेरेटा। इतना बोल कर अपनी पिस्टल लेकर वह
पांचवी लेन मे जाकर खड़ी हो गयी थी। मेरा नम्बर आया तो मैने भी अपने अनुसार ग्लाक-17
चुन ली थी। एक बार फिर से सभी टीम लाईन बना कर अपनी निर्धारित लेन मे खड़ी हो गयी थी।
तीस मीटर पर टार्गेट फिक्स कर दिया गया था। हरेक कैडेट को दस राउन्ड फायर करने थे।
हमेशा की तरह इस बार भी हमारा नम्बर आखिरी था। सभी अच्छे निशानेबाज थे। जब हमारा नम्बर
आया तो मै फायरिंग के लिये आगे बढ़ गया था।
वहाँ खड़े होते ही
टार्गेट पर नजर पड़ते ही एक क्षण के लिये मेरा जिस्म पथरा कर स्थिर हो गया था। …टार्गेट
पर ध्यान लगाईये। अंजली की धीमी आवाज मेरे कान मे पड़ी। उसने मेरा हाथ थाम लिया था।
अपनी श्वास को नियंत्रित करके एक के बाद एक मैने दस फायर कुछ पलों के अन्तराल मे कर
दिये थे। आठ बुल्स आई और सिर्फ दो गोली निशाने से चूक गयी थी। मेरे हटते ही अंजली अपनी
पिस्टल तौलती हुई उस स्थान पर खड़ी हो गयी थी। उसने अपने दोनो पैर थोड़े से खोल पर बैलेन्स
बनाया और फिर पिस्टल को टार्गेट की ओर करके कुछ क्षण के लिये रुक गयी थी। उसने अपनी
साँस को नियन्त्रित किया और फिर एक के बाद एक फायर करना आरंभ कर दिया। आठवें शाट पर
उसकी शीट के बीचोंबीच का हिस्सा छितरा कर गायब हो गया था। बाकी दो गोली का तो कोई निशान
ही नहीं बचा था। उसने अपनी पिस्टल नीचे करी और फिर घूम कर मेरे साथ आकर खड़ी हो गयी
थी। …झांसी की रानी अब तुमसे कोई कैडेट और इंस्ट्रक्टर भिड़ने की कोशिश नहीं करेगा।
वह कुछ नहीं बोली बस सबकी नजर बचाकर मेरे हाथ को दबा कर पिस्टल रखने चली गयी थी। अंजली
के साथ दो और कैडेट्स का स्कोर पर्फेक्ट सौ था। बाकी सभी सौ के आसपास की रेन्ज मे थे।
ट्रेनिंग के दो भागों मे अब तक हमारा दबदबा बन गया था। सब का स्कोर रिकार्ड करने के
पश्चात सबको डिसमिस कर दिया गया था। हम दोनो वापिस चलने के लिये बढ़े कि तभी राकेश और
कुछ और साथी अंजली से बात करने के लिये आ गये थे।
…अंजली चाय पर हमे
जोईन करो। अंजली ने एक बार मेरी ओर देखा और फिर बोली… मै सिर्फ चाय के लिये रुक सकती
हूँ। मुझे जल्दी जाना है। मेस की ओर बढ़ते हुए राकेश ने पूछा… तुम कौन सी फोर्स से आयी
हो? वह एक पल चुप रही फिर धीरे से बोली… सिगनल्स। तभी साथ चलते हुए शेखावत ने पूछा…
क्या तुम्हारी शादी हो गयी है? अंजली ने झेंप कर मेरी ओर देखा तभी सिमरनजीत ने कहा…
तू जाट ही रहेगा। भला कोई यह सवाल ऐसे पूछता है। वह मुस्कुरा कर बोली… मेरी शादी हो
गयी है और मेरे दो बच्चे है। यह जवाब सुन कर सभी के चेहरे पर मायूसी छा गयी थी। तभी
सुजीत ने कहा… अंजली हम तो तुम्हें मिस फोर्सेज का खिताब देना चाहते थे। अबकी बार शेखावत
ने मुस्कुरा कर कहा… कोई बात नहीं इसे मिसेज फोर्सेज का खिताब दे देंगें। ऐसे ही अंजली
से बात करते हुए सब मेस पहुँच गये थे। चाय का मग लेकर सब बैठ कर एक दूसरे के बारे मे
बताने मे व्यस्त हो गये थे। आधे घंटे बैठ कर अंजली चली गयी थी। मै उनकी कहानियाँ सुनने
के लिये बैठ गया था। कुछ साथी खेलने मे व्यस्त हो गये और कुछ मैगजीन पढ़ने मे व्यस्त
हो गये थे। सात बजे खाना सर्व कर दिया गया था। मै खाना खा कर वापिस बैरेक मे लौट आया
था। मुझे देखते ही मेनका दौड़ती हुई मेरे पास आकर बोली… अब्बू खाना खाने के बाद बाहर
टहलने चलेंगें। मैने हामी भर कर कपड़े बदलने के लिये चला गया था। थोड़ी देर के बाद किचन
से थापा खाने का टिफिन ले आया था। अंजली और मेनका खाना खाने की तैयारी मे जुट गये थे।
मै केन को अपनी छाती पर लिटा कर बेड पर लेट गया था।
मेरे सीधे हाथ मे
अभी भी कंपन महसूस कर रहा था। फायरिंग से पहले मेरा हाथ एक बार काँपा था परन्तु फायरिंग
के दौरान कंपन नहीं था। फायरिंग के बाद से मै उस कंपन को लगातार महसूस कर रहा था। खाना
समाप्त करके अंजली मेरे साथ बैठते हुए बोली… क्या सोच रहे है? …अंजली मेरे सीधे हाथ
मे कंपन अभी तक शांत नहीं हुआ है। वह कुछ बोलती कि तभी मेनका बोली… चलिये अब्बू। केन
को अंजली को पकड़ा कर मै मेनका के साथ बाहर निकल गया था। …बेटा दस बजे तक ही यहाँ पर
बाहर घूम सकते है। उसके बाद सभी को बैरेक मे होना चाहिये। इसलिये हम ज्यादा देर बाहर
नहीं रुक सकते। वह कुछ नहीं बोली बस मेरा हाथ पकड़ कर पार्क की ओर चल दी थी। उसे कैंपस
का चक्कर लगवा कर कुछ देर पार्क मे बिता कर वापिस अपने बैरक की ओर चल दिया था।
बैरेक मे चार सिंगल
बेड लगे हुए थे। एक बेड पर अंजली और केन लेटे हुए थे। मेनका को सुला कर मै अपने बेड
पर लेट गया था। अभी भी मेरे सीधे हाथ मे कंपन महसूस कर रहा था। बार-बार अपने हाथ को
दबा कर कंपन को रोकने की कोशिश कर रहा था। अंजली मेरे साथ लेटते हुए धीमे से बोली…
अभी भी हाथ मे कंपन है? बेड छोटा होने के कारण हम दोनो आखिरी सिरे पर लेटे हुए थे परन्तु
एक दूसरे का सामीप्य दिन भर के तनाव को दूर करने के लिये काफी था। …समझ नहीं आ रहा
कि यह कंपन क्यों है? …कुछ दिन देखिये परन्तु इसके बारे मे सोचना बन्द कर दिजिये।
…क्या करुँ दिमाग उस पर ही लगा हुआ है। वह धीरे से मेरे गाल पर अपने होंठ रगड़ कर बोली…
अब बताईये आपका ध्यान कहाँ है? उसको अपनी बाँहों मे जकड़ कर अपने पास खींचते हुए मैने
उसके कान मे कहा… अब तो सारा ध्यान तुम पर लग गया है। …वह तीनो क्या कह रहे थे? मैने
तिगड़ी की सारी बात उसके सामने रख दी थी। वह कुछ सोच कर बोली… आपको अकेला तो हर्गिज
जाने नहीं दूँगी। मैने उसकी बात का कोई जवाब नहीं दिया परन्तु महसूस किया कि अब तक
हाथ मे होने वाला कंपन शांत हो गया था। दिन भर की थकान हावी हो गयी थी और जल्दी ही
अपनी सपनों की दुनिया मे खो गया था।
अगली सुबह एक बार
फिर उसी ग्राउन्ड से हमारी दिनचर्या शुरु हो गयी थी। वही कार्यक्रम पूरा दिन चला और
शाम तक हम दोनो थक कर चूर होकर बैरेक मे आराम कर रहे थे। आज पिस्टल हाथ मे आते ही कंपन
आरंभ हो गया था। फायरिंग के लिये मुझे दोनो हाथों का इस्तेमाल करना पड़ा था। तीन दिन
तक हमने वही शिड्युल का अनुसरण किया परन्तु चौथे दिन सुबह ग्राउन्ड मे ड्रिल मास्टर
कुट्टी ने सभी को झटका दे दिया था। दो मील के राउन्ड को पाँच मील क्रास कंट्री मे परिवर्तित
कर दिया गया था। पीठ पर बीस किलो लाद कर अब उबड़ खाबड़ पहाड़ी रास्ते पर दौड़ने का उन्होंने
एक नया मार्ग तय कर दिया था। अपना राउन्ड पूरा करके जब तक हम लौटे तब तक जिस्म का पोर-पोर
दुख रहा था। एक घंटे व्यायाम से कुछ राहत तो मिल गयी थी परन्तु सभी माँसपेशियों मे
जरा सा हिलने से दर्द का एहसास हो जाता था। ओब्स्टेकल कोर्स मे भी बदलाव करके उसे और
भी जटिल बना दिया था। मुझे स्पेशल फोर्सेज की स्पेशल ट्रेनिंग की याद आ गयी थी। यह
कोर्स इंसानी क्षमता की परीक्षा थी। इसमे शारिरिक क्षमता और मानसिक नियन्त्रण मे समन्वय
बनाना ही काफी नहीं था परन्तु पूरी टीम को एक पर्फेक्ट मशीन की तरह काम करना अनिवार्य
था। जरा सा ध्यान चूकने का मतलब पूरी टीम अयोग्य घोषित हो जाती।
हमारा जिमनेसियम का
शिड्युल भी बदल गया था। क्लास रुम के केस भी ज्यादा जटिल हो गये थे। फायरिंग रेन्ज
को हैन्ड टु हैन्ड कोम्बेट के सेशन मे परिवर्तित कर दिया गया था। पहले इसमे लड़ने की
नयी तकनीक सिखायी जाती थी और फिर मैट पर टीमो के बीच मे भिड़न्त करवाई जाती थी। अंधेरा
होने तक हमारे जिस्म अन्द्रूनी चोट से घायल हो गये होते थे। पहला हफ्ता समाप्त होने
तक बाइस कैडेट का समूह सोलह तक सिमित हो गया था। पाँच नम्बर की टीम जैसे तैसे अभी तक
अपनी जगह बनाये हुए थी। हमारा स्कोर कार्ड क्लास रुम, फायरिंग रेन्ज, आबस्टेकल कोर्स
और हैन्ड टु हैन्ड कोम्बेट मे प्रदर्शन के कारण काफी सुधर गया था। अब हमारी टीम तीसरे
स्थान पर पहुँच गयी थी। रोज शाम को हमारे दो घंटे एक दूसरे की सेवा मे निकलने लगे थे।
हैन्ड टु हैन्ड कोम्बेट के कारण अंजली के जिस्म पर असंख्य नील पड़ गये थे। उसको मैट
पर नहीं भेजने की मैने बहुत कोशिश की परन्तु कुट्टी तो जैसे हमारे बढ़ते हुए नम्बरों
को कम करने की ठान कर बैठा हुआ था। एक बार जब वह जब मैट पर उतरी तो सभी छह फुटे भारी
भरकम कैडेट उसकी चपलता और तकनीक के कायल हो गये थे। पहले दिन के बाद कोई भी अब उसे
हल्के मे नहीं लेता था क्योंकि उनके सामने मैट पर अंजली के प्रतिद्वंद्वी की एक गलती
उस बहुत भारी पड़ जाती थी। मैने महसूस किया था कि हैन्ड टु हैन्ड कोम्बेट मे निपुण होने
के साथ ही उसमे गहरी चोट पहुँचाने की स्वाभाविक इच्छाशक्ति थी। दो हफ्ते के अन्त तक
इन्फेन्ट्री और बीएसएफ के प्रतिद्वन्द्वी इसका प्रमाण देने मे सक्षम हो गये थे।
मुजफराबाद
पाकिस्तान मे नयी
सरकार बनने के कारण सीमा पर शांति छायी हुई थी। इन सब के बीच नीलम घाटी मे चरमपंथी
तंजीमो की बैठक मे इस बात पर लगातार मतभेद चल रहा था कि तेहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान
का किरदार कश्मीर मे क्या होगा। तेहरीक का मानना था कि उनकी तंजीम का कश्मीर से कोई
लेना देना नहीं है। …पीरजादा साहब, अब आपको
इस मामले मे अखुन्डजादा से बात करनी पड़ेगी। तेहरीक अगर अफगानिस्तान मे उलझी रही तो
सारी अमरीकी इमदाद जल्दी ही बन्द हो जाएगी। पीरजादा मीरवायज ने मुस्कुरा कर कहा… जनरल
साहब भला इसमे मै क्या कर सकता हूँ। उस दिन जब मै अपने बेटे की हत्या का बदला लेने
की गुजारिश कर रहा था तब आपने अपने हाथ झाड़ दिये थे। …पीरजादा साहब, आपसी मतभेद भुला
कर क्या आपके बेटे की शहादत का बदला नहीं लिया जा सकता? …जनरल साहब आप तो कायदे और कानून से बंधे हुए है
परन्तु हम नहीं। वह अगर काठमांडू मे बच गया है तो कल मारा जाएगा। एकाएक जकी उर लखवी
उनके बीच मध्यस्था कराने के उद्देश्य से बोला… मेरा ख्याल है कि पुरानी बातें भूल कर
अगर हम आगे की बात करेंगें तो बेहतर होगा। हम दोनो का उद्देश्य एक है तो फिर हम क्यों
नहीं मिल कर काम करते है।
कुछ देर के बाद जनरल
फैज ने कहा… पीरजादा साहब क्या आपकी बेटी हया का कुछ पता चला कि वह इस वक्त कहाँ है?
हमे खबर मिली है कि सीमा के उस पार किसी ने भारतीय फौज के काउन्टर इन्टेलिजेन्स के
मुखिया ब्रिगेडियर सुरिन्दर सिंह चीमा का अपहरण किया है। क्या इस अपहरण मे आपका या
हया का हाथ तो नहीं है? …नहीं जनरल साहब। उस हरामखोर का हमसे अब कोई रिश्ता नहीं है।
…समझने की कोशिश किजिये कि अगर इस अपहरण मे किसी भी हमारी तंजीम का हाथ हुआ तो हम उसके
खिलाफ कड़ा एक्शन लेने के लिये मजबूर हो जाएँगें। तभी लखवी ने पूछा… अचानक आईएसआई को
हया की क्या जरुरत पड़ गयी? …शुजाल बेग के डोजियर ने सारा माहौल बदल दिया है। इस वक्त
हम ऐसी स्थिति मे नहीं है कि कोई ऐसा नया बखेड़ा खड़ा करें इसलिये अगर उसने ऐसा किया
है तो वह फौरन चीमा को हमारे हवाले कर दे। पीरजादा मीरवायज गुस्से मे बड़बड़ाया… कुछ
दिन ठहर जाओ। तुम्हें हमारी ताकत का भी जल्दी पता लग जाएगा।
बहुत ही जबरदस्त अंक और समीर और हया के इतने दिनो बाद फिर से अपने ट्रेनिंग के दिनों में लौटना दर्शाता है की आगे जंग के लिए वो दोनो फिर से तैयार हो रहे हैं , और हया का मानसिक और शारीरिक क्षमता इसी से पता चलती है की कुछ दिन पहले बच्चा पैदा होने के बाद भी वो किसी माहिर जवान की तरह इस बहुत ही कठिन स्पेशल ट्रेनिंग में दूसरो मर्द जवानों को टक्कर देती दिखाई दे रही है भला हो जो वो समीर के साथ है अगर सामने खड़ी हुई होती तो फिर जितना आसानी से समीर इतना कुछ कर पाया इस तंजीमों को खात्मा करने में।अब अगले सफर के इंतजार में।
जवाब देंहटाएंशुक्रिया अल्फा भाई। अगले अंक मे आपके लिये कुछ साफ हो जाएगा।
हटाएंसमीर और अंजली का ट्रेनिंग दिन ब दिन और कठीण होता जायेगा, धीरे धीरे समीर का मेंटल ब्लॉक ठीक हो रहा है, उसके शरीर को जितना थकाया जायेगा, उतना उसका दिमाग जल्दीसे काम पे लौट आयेगा. आगे देखेते है क्या होता है.
जवाब देंहटाएंशुक्रिया प्रशांत भाई। अगला अंक आपके लिये कुछ हद तक कहानी को साफ कर देगा।
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