शह और मात-21
आफिस की ओर जाते हुए
मुझे शापिंग माल मे नफीसा से हुए कुछ दूरी से आमना-सामना होने के पल की याद आ गयी थी।
क्या उसने मुझे पहचान लिया था? यह सवाल मुझे परेशान कर रहा था। वह तो अच्छा हुआ कि
फायरिंग के कारण वहाँ भगदड़ मच गयी थी अन्यथा आज वहाँ से उसकी नजरों से बच कर निकलना
मेरे लिये मुश्किल हो जाता। यहाँ पर मै उसको पहचानने की भूल भी नहीं कर सकता था। नफीसा
के बारे मे सोचते हुए मै अपने आफिस पहुँच गया था। अपने आफिस मे प्रवेश करते ही मेरी
नजर वालकाट पर पड़ी जो मेरी सीट पर बैठ कर अपना आईपेड देख रहा था। मै उसके पास पहुँचा
ही था कि उसने नजरें उठा कर मेरी ओर देख कर बोला… सैम इतनी देर कैसे हो गयी? …मै उस
शापिंग माल मे फँस गया था। यह सुन कर वालकाट की भौंहें एकाएक तन गयी थी। …तुम वहाँ
कैसे पहुँच गये? …बच्चे का सामान लेने गया था कि तभी हमला हो गया। …क्या ख्याल है कि
हमले मे किसका हाथ होगा? …यकीन से तो नहीं कह सकता लेकिन हक्कानियों के गुट का हाथ
हो सकता है। जाँच के बाद ही पता चलेगा की इस हमले के पीछे कौनसी तंजीम काम कर रही थी।
तुर्खाम सीमा को किस कारण से पाकिस्तान ने सील किया है? …बस इतना बताया गया है कि बहुत
से चरमपंथी बार्डर पार करके अफगानिस्तान मे घुसने की फिराक मे है। असली बात तुम भी
जानते हो कि उनके निशाने पर मुल्ला मोईन है। …एंथनी दो दिन मे क्या वह अपने मकसद मे
कामयाब हो जाएँगें। …वह जानते है कि मुल्ला मोईन सीमा के उस पार उनकी पहुँच से बाहर
है। ऐसा करके पाकिस्तान सरकार अपने सैनिक तंत्र को शांत करने की कोशिश कर रही है। …उस
लड़की की क्या कोई खबर है? …वह अभी भी पेशावर मे नजरबन्द है। उसको वहाँ से निकालने की
कोशिश की जा रही है।
जैसे ही वह उठ कर
जाने लगा तो मैने उसे रोकते हुए पूछा… एंथनी, क्या बाकू मे स्थित अमरीकन दूतावास मे
तुम्हारा आदमी मेरी बीवी और बच्चे को एयरपोर्ट पर रिसीव करके कुछ दिनो के लिये किसी
सेफ हाउस मे रख सकता है? …क्यों क्या हुआ? …मुझे इस्लामाबाद जाना है तो फिलहाल मै उसके
साथ नहीं जा सकता। इस वक्त जमाल कुरैशी के कारण उस पर खतरा मंडरा रहा है इसलिये उसे
यहाँ पर अकेला नहीं छोड़ सकता। वालकाट कुछ देर सोचने के पश्चात बोला… मै वहाँ पर बात
करके देखता हूँ। इतना बोल कर वह चला गया। मै अपने आफिस मे बैठ कर सीआईए के नेटवर्क
से उस स्त्री का फोटो डाल कर उसके बारे मे जानकारी निकालने मे जुट गया था। श्रीनिवास
का उस स्त्री के साथ क्या संबन्ध है? यह सवाल मुझे परेशान कर रहा था। मुश्किल से तीन
मिनट में उस स्त्री के चेहरे से मिलती-जुलती तीन तस्वीरें आई-पेड के स्क्रीन पर रौशन
हो गयी थी। एक फोटो पर क्लिक करते ही जापानी मूल की स्त्री का चित्र उभर आया था। उसका
नाम काटो अनरी बताया गया था। वह 28 वर्षीय जापानी काबुल स्थित जापानी दूतावास मे इन्टरप्रेटर
के पद पर कार्यरत थी। दूसरी फोटो को क्लिक करते ही 30 वर्षीय किम सोईना नाम की दक्षिण
कोरियाई इस्लामाबाद स्थित दक्षिण कोरिया दूतावास मे वीसा काउन्सलर के पद पर काम कर
रही थी। तीसरी तस्वीर 32 वर्षीय फाँग लियु वांग की थी। वह इस्लामाबाद स्थित चीनी दूतावास
मे अतिरिक्त सचिव का पदभार संभाल रही थी। तीनो के चेहरे उन फोटो मे देखने मे एक समान
लग रहे थे लेकिन मेरी छ्ठी इंद्री बार-बार फाँग लियु वांग की ओर इशारा कर रही थी।
कुछ सोच कर अपनी खोज
का लेवल बढ़ाते हुए एक बार फिर से फाँग लियु वांग के बारे मे जानकारी निकालने मे जुट
गया था। इस बार आठ पृष्ट का नोट स्क्रीन पर आ गया था। लियु वांग चीन के विदेश मंत्रालय
की 32 वर्षीय तेज तर्रार आफीसर थी। इस्लामाबाद से पहले उसने तीन साल बाकू-स्थित चीनी
दूतावास मे वरिष्ठ वीसा आफीसर के रुप मे गुजारे थे। वह कम्युनिस्ट पार्टी के पोलित्ब्युरो
के मेम्बर की बेटी थी जिसके कारण बड़ी जल्दी उसकी इतने महत्वपूर्ण पद पर नियुक्ति हो
गयी थी। सीआईए के अनुसार पाकिस्तान मे उसका रिकार्ड काफी विवादस्पद बताया गया था। ऐसी
बहुत सी रिपोर्ट्स थी जिसमे उसने कुछ राजनितिज्ञों व वरिष्ठ सेना अधिकारियों को अपने
हुस्न के जाल मे फँसा कर अपना व चीन का उल्लू सीधा किया था। कुछ ऐसी रिपोर्ट्स का जिक्र
भी किया गया था जिसमे वह कुछ पाकिस्तानी और विदेशी लड़कियों के द्वारा वहाँ के मँत्रियों
और उच्चाधिकारियों को हनी ट्रेप के जाल मे फँसाया करती थी। पश्चिमी गुप्तचर संस्थाओं
की रिपोर्ट्स मे उसको कट्टर मार्क्सवादी बताया गया था। ऐसी स्त्री के साथ भला कर्नल
श्रीनिवास के साथ क्या संबन्ध हो सकता है? यह प्रश्न मुझे परेशान कर रहा था। जब कुछ
नहीं सूझा तो एक चार लाईन का मसौदा तैयार किया…
इस्लामाबाद-स्थित
चीनी दूतावास मे कार्यरत अतिरिक्त सचिव फाँग
लियु वांग के साथ कर्नल श्रीनिवास को देखा गया है। उसके बारे मे सीआईए की आठ पन्ने
की रिपोर्ट भेज रहा हूँ। वह पहले बाकू के चीन के दूतावास मे कार्यरत थी। उस समय कर्नल
श्रीनिवास भी बाकू के भारतीय दूतावास मे कार्यरत था। हालात बता रहे है कि कर्नल श्रीनिवास
पर फिलहाल भरोसा नहीं किया जा सकता। आपके अगले निर्देश का इंतजार है।
दो बार उस मसौदे का
पढ़ने के पश्चात मैने अपने स्मार्टफोन से उस संदेश को कोड मे बदल कर जनरल रंधावा के
पास भेज कर आफिस से बाहर निकल आया था। शापिंग माल मे फायरिंग की खबर के कारण काबुल
शहर मे कर्फ्यु लग गया था। अपने फ्लैट मे पहुँच कर एक बार फिर से वही रोजमर्रा के काम
आरंभ हो गये थे। … खाना खाया? …नहीं। अब आर्डर कर देती हूँ। खाना समाप्त करने के पश्चात
मै काशिफ को सीने पर लिटा कर सुलाने की कोशिश मे जुटा हुआ था कि तभी गजल मेरे पास बैठते
हुए बोली… आप आज नहीं जा रहे है? …पाक-अफगान बार्डर सील हो गया है इसलिये फिलहाल मेरा
जाना कुछ दिन के लिये स्थागित हो गया है। गजल ने दोनो हाथ उठा कर कुछ बुदबुदाई और फिर
मुझसे लिपट कर बोली… खुदा ने मेरी दुआ कुबूल कर ली। मैने काशिफ को अपने साथ लिटा कर
गजल की ओर करवट लेकर कहा… क्या आज की रात दूर रह कर बिताना चाहती हो? उसका चेहरा शर्म
से लाल हो गया था। उसको अपनी बाँहों मे जकड़ते हुए मैने कहा… जब तक यहाँ हूँ तब तक रोज
रात को तुम्हें मुझे झेलना पड़ेगा। वह मेरी बाँहों मे सिमट कर रह गयी थी। उसने अपने
आप को मेरे हवाले कर दिया था। उसके चेहरे पर आये हुए बालों को धीरे से हटा कर उसका
माथा चूम कर उसके गालों पर अपने होंठ रगड़ते हुए पूछा… क्या आगे बढ़ने के लिये तैयार
हो? उसने आँखों से आगे बढ़ने का इशारा किया तो मै उस पर छा गया। कुछ ही देर मे वस्त्रहीन
होकर हम एक दूसरे की कामाग्नि भड़काने मे जुट गये थे।
मैने पहला हमला उसकी
उन्नत कठोर पहाड़ियों पर करना
आरंभ कर दिया था। एक पहाड़ी को मेरा हाथ कभी धीरे से सहलाता और कभी रौंदता। मेरी उँगलियों
मे फँसे हुए कत्थई स्तनाग्र को कभी पकड़ कर खींचता और कभी तरेड़ता और कभी दबा देता। मेरा
मुख कभी कलश को पूरा निगलने की कोशिश करता और कभी स्तनाग्र पर केन्द्रित होकर उसका
रस सोखता, कभी होंठों के बीच फँसा हुआ स्तनाग्र मेरी जुबान का प्रहार सहता और कभी बेचारा
दांतों के बीच फँस कर छटपटाता। हर वार पर वह तड़प उठती थी। कभी गजल छूटने की चेष्टा
करती और कभी मेरा सिर पकड़ अपने सीने मे जकड़ लेती। वह धीरे-धीरे इस खेल मे निपुण होती
जा रही थी। कुछ ही देर मे गजल किसी दूसरी दुनिया मे पहुँच चुकी थी। मेरे हर प्रणय मिलन
से पूर्व स्पर्श पर उसका जिस्म सिहर उठता और मै तुरन्त उसके जिस्म मे उठने वाले हर
स्पंदन को महसूस कर रहा था। कमरे बस उसकी आहें और सिस्कारियाँ गूंज रही थी। उत्तेजना
से जलते हुए दो जिस्म एक होने के लिये तैयार हो गये थे।
मैने करवट लेकर गजल के कमसिन जिस्म पर छाते हुए जैसे ही उत्तेजना
मे फुफकारते हुए भुजंग ने उसके योनिद्वार पर दस्तक दी तो वह अचकचा कर हमलावर को पकड़ने
मे जुट गयी। …अभी नहीं। एक लम्बी सिस्कारी लेकर वह मचली और मस्ती मे लहराते हुए अजगर
को गरदन से पकड़ कर बोली… आज इसे पूरा अपने गले मे उतार कर आपकी तमन्ना पूरी करुँगी।
उसका उत्साह देख कर मै उससे अलग हो गया और आराम से बेड पर लेट कर उसे आगे बढ़ने का इशारा
किया। एक पल उसने झूमते हुए भुजंग को देखा और फिर अपने होंठ खोल कर झुक गयी। वह कुछ
देर टमाटर से फूले हुए मुंड को अपने होंठों मे फँसा कर उसे नहलाती रही और फिर धीरे
से उसने पूरे मुंड को अपने मुख मे भर लिया। मैने धीरे से उसकी मुठ्ठी मे जकड़े हुए भुजंग
को पकड़ कर उसे हिलाने की क्रिया दिखाते हुए कहा… अब इस क्रिया को दोहराते हुए धीरे-धीरे
इसे अन्दर सरकाती जाना। उसने एक शिष्या की भाँति मेरी बात का अनुसरण करते हुए दबाव
बनाना शुरु किया। उसकी जुबान और होंठ भुजंग को निगलने के लिये तत्पर हो गये थे। भुजंग
का कुछ ही हिस्सा अंदर गया था कि वह घबरा कर अलग हो गयी और तेज सांसे लेते हुए लड़खड़ाती
आवाज मे बोली… दम घुटता हुआ लग रहा है। मैने उसे अपने उपर खींच कर कहा… आज इतना ही
काफी है। वह से हटते हुए बोली… एक बार और कोशिश करने दिजिये। वह कुछ देर थोड़े से हिस्से
को मुख मे भर कर बैठ गयी परन्तु उसकी मुठ्ठी मे जकड़ी हुई गरदन पर निरन्तर वही क्रिया
दोहराती रही। जब वह थोड़ा आदि हो गयी तो उसने एक बार फिर प्रयास किया तो आधा भुजंग उसके
गले मे उतरता चला गया और एक स्थान पर पहुँच कर रुक गया। अचानक मुझे लगा कि किसी ने
भुजंग का सिर पकड़ कर उसे दोहना शुरु कर दिया है। एक ओर उसकी मुठ्ठी की क्रिया और दूसरी
ओर लगातार दोहन के कारण जवालामुखी मे उबाल आना आरंभ हो गया था। मै कुछ पल स्थिर रहा
परन्तु उसकी निरन्तर दो तरफा क्रिया के कारण एकाएक दिमाग मे विस्फोट हुआ और लावा बेरोकटोक
बहने लगा। अपनी इंद्रियों पर नियन्त्रण खोने के कारण उसके सिर पर रखे हुए हाथ पर दबाव
पड़ा और भुजंग एक झटके से उसके गले की गहराई को नापते हुए उतरता चला गया। वह छटपटाई
और मेरी पकड़ से छूटने के लिये मचली परन्तु मै तो किसी और ही दुनिया मे पहुँच गया था।
मेरे दिमाग मे सैकड़ों विस्फोट हो रहे थे। सब कुछ लुटा कर जब मै होश मे आया तब तक वह
हट कर सामान्य हो गयी थी। वह धीरे से मुर्झाये हुए भुजंग पर चपत लगा कर बोली… इसने
तो मेरी जान ही निकाल दी थी। मैने मुस्कुरा कर कहा… थैंक्स। आज तुमने इस जालिम को हमेशा
के लिये अपना गुलाम बना लिया है। वह मुस्कुरा कर मुझसे लिपट गयी थी।
कुछ देर उसे अपनी बाँहों मे बाँधे लेटा रहा। अबकी बार उसने पहल की
और मुर्झाये हुए भुजंग को छेड़ने लगी। मेरे सीने पर तने हुए स्तनाग्र पर उसने अपने होंठों
से वार करना आरंभ कर दिया। कुछ देर मे ही एक बार फिर से मेरे जिस्म मे तनाव आना शुरु
हो गया था। अबकी बार उसने तने हुए भुजंग को गरदन से पकड़ कर अपने स्त्रीत्व के द्वार
रगड़ने लगी। मुंड के मोटे सिर पर हलका सा दबाव पड़ते ही उसके स्त्रीत्व के कपाट खुल गये
थे। अकड़े हुए अंकुर पर जैसे ही मुंड की रगड़ लगी उसके होंठों से वासनामयी सित्कार की
निकल गयी… अ…अ…आ…हाय। कुछ देर रगड़ने के बाद वह स्वयं ही उसे अन्दर लेने का प्रयास करने
लगी। तभी मैने करवट लेकर उसे अपने नीचे दबा कर उसके पुष्ट नग्न गोल नितंबों को अपने
शिकंजे मे जकड़ कर धीरे से दबाव बढ़ाया तो वह कामातुर होकर चिल्लायी… अ…आह…मम…आँ। मेरा
भुजंग अबकी बार पहले वार मे ही उसका योनिमुख खोल कर अन्दर सरक गया था। मै कुछ पल रुक
कर उसकी योनि के संकरेपन को अपने हृदय मे उतारने के पश्चात एकाएक अपनी कमर पर लगातार
दबाव बढ़ाता चला गया। मदमस्त भुजंग सारी बाधाएँ पार करके अन्दर सरकता चला गया जब तक
हमारे जोड़ एक दूसरे टकरा नहीं गये थे। उसके मुख से एक लम्बी सीत्कार छूट गयी… अ…आ…आह…म…र…ग…ई।
उसके चेहरे पर पीड़ा के साथ उत्तेजना की लहर उसके जिस्म पर छा गयी।
कुछ पल रुक कर मैने धीरे से अपनी कमर को पीछे खींचा और आखिरी सिरे
पर पहुँचते कर पूरी शक्ति से इस बार उसे अन्दर धकेल दिया। इसी के साथ हम दोनो अपनी
मंजिल की ओर अग्रसर हो गये थे। इस बार वह पूरे जोश से मेरा साथ दे रही थी। कमरे मे
कामावेश से ओतप्रोत होकर हमारी सिर्फ सिस्कारियाँ गूँज रही थी। कुछ ही देर मे चक्रवाती
तूफान वेग पकड़ चुका था। हम दोनो उस तूफान मे बहते चले गये। एक पल आया कि हम दोनो के
लिए वक्त थम सा गया था। वह जोर से मचली कि तभी उसके जिस्म ने तीव्र झटका खाया और फिर
काँपते हुए बिस्तर पर लस्त हो कर पड़ गयी। तभी मुझे भी ऐसा एहसास हुआ कि जैसे मेरे कामांग
को उसने अपने शिकंजे जकड़ कर दोहना शुरु कर दिया है। उसके गदराये
हुए कमसिन जिस्म के हर स्पंदन से मेरे जिस्म मे लावा खौलता चला जा रहा था। वह निर्जीव
गुड़िया की भाँति मेरे हर वार को झेल रही थी। उत्तेजना के चरम पर पहुँच कर मैने एक भरपूर
आखिरी वार किया और इसी के साथ मेरे सारे बाँध छिन्न-भिन्न होकर बिखर गये। उबलता हुआ
लावा उसकी योनि मे बेरोकटोक बहने लगा। हमारी साँसे उखड़ रही थी। गहरी साँसे लेते हुए
हमने अपने आपको सयंत किया और फिर हम एक दूसरे को बाहों ने लेकर लस्त हो कर बिस्तर पर
पड़ गये थे। कुछ पल बीतने के पश्चात वह धीरे से बोली… अब मौत भी आ गयी तो कोई गम नहीं।
उसको अपनी बाँहों मे जकड़ कर मै लेट गया और कुछ ही देर मे नींद हम पर हावी हो गयी थी।
अभी सवेरा नहीं हुआ
था। फोन की घंटी की आवाज सुन कर हम दोनो चौंक कर उठ गये थे। मैने स्क्रीन पर नजर डाली
तो वालकाट फोन कर रहा था। …हैलो। …सैम, आज शाम को जोइन्ट आन्तरिक सुरक्षा का उच्चस्तरीय
डेलीगेशन इस्लामाबाद जा रहा है। तुम भी मेरे साथ चल रहे हो। …क्या पाकिस्तान बार्डर
खुल गया? …नहीं। उसी को खुलवाने के लिये यह डेलीगेशन जा रहा है। यह पाकिस्तानियों की
हमेशा की कहानी है। जब भी वह हम पर दबाव डालना चाहते है तो सबसे पहले राहदारी पर रोक
लगा देते है। …कितने बजे? …शाम को पाँच बजे तक आफिस पहुँच जाना। …ओके। इतना बोल कर
मैने फोन काट दिया था। …आप इस्लामाबाद जा रहे है? गजल उठ कर बैठ गयी थी। उसके चेहरे
पर चिन्ता झलक रही थी। कुछ सोच कर मैने कहा… गजल, आफिस के काम से मुझे आज ही इस्लामाबाद
जाना है। मुझे पता नहीं वहाँ से अब कब वापिस लौटना होगा। अभी भी रात की हालत मे हम
दोनो निर्वस्त्र लेटे हुए थे। यह सुन कर उसका चेहरा उतर गया था। उसको खुश करने की मंशा
से मैने उसके नग्न जिस्म को छेड़ना शुरु किया। कुछ देर तो वह विरोध करती रही परन्तु
जब उसका जिस्म उसके नियन्त्रण मे नहीं रहा तो वह खुल कर सहयोग करने लगी। इस बार मैने
उस पर टूट कर अपनी मोहब्बत लुटाई थी। जब हम दोनो थक कर चूर हो गये तो एक दूसरे को बाँहों
मे लिये सपनो की दुनिया मे खो गये थे।
काशिफ के उठने के
कारण मेरी नींद टूट गयी थी। मैने अपनी घड़ी पर नजर डाली तो सुबह के नौ बज रहे थे। मै
गजल को सोता छोड़ कर काशिफ का दूध बनाने के लिये किचन मे चला गया। काशिफ को दूध पिला
कर मैने गजल को उठाया और फिर बाथरुम मे घुस गया। ग्यारह बजे तक तैयार हो कर मै भारतीय
दूतावास की दिशा मे निकल गया था। कर्नल श्रीनिवास का सामना करने से बचने के लिये मैने
जतिन भनोट को फोन करके दूतावास के गेट पर बुला लिया था। कुछ देर के बाद एक व्यक्ति
हाथ मे पासपोर्ट लिये मुख्य द्वार पर आकर खड़ा हो कर बाहर देखने लगा तो मैने आगे बढ़
कर पूछा… मिस्टर भनोट। वह तुरन्त बोला… मिस्टर समीर। …वह पास्पोर्ट लाये है? उसने पास्पोर्ट
मेरी ओर बढ़ाते हुए कहा… आप खुद देख लिजिये। मैने जल्दी से पास्पोर्ट लिया और उस पर
गजल का फोटो और अन्य जानकरी देखने के पश्चात मैने जल्दी से कहा… थैंक्स। उम्मीद करता
हूँ कि इस पास्पोर्ट के संबन्धित निर्देश का आप अक्षरशः पालन करेंगें। बस इतना बोल
कर मै वहाँ से चल दिया था। वहाँ से निकल कर मै अपने फ्लैट की दिशा मे निकल गया था।
वालकाट से मिलने के
लिये अभी मेरे पास तीन घंटे थे। मैने अपने बैग से सेटफोन निकाल कर आन किया और उसको
चर्जिंग पर लगा कर बैठ गया। दो मिनट मे नेटवर्क से कनेक्ट होते ही सेटफोन की घंटी बजने
लगी थी। …हैलो। अजीत सर की आवाज कान मे पड़ी… समीर आज हम सुबह से फोन लगाने की कोशिश
कर रहे थे। सब ठीक तो है? …सर, एंथनी वालकाट आज शाम को इस्लामाबाद जा रहा है और मुझे
भी उसके साथ जाना है। …इसी के बारे मे बात करने के लिये तुम्हें फोन कर रहे थे। पाकिस्तानी
सरकार ने डूरंड लाईन को सील करने का फैसला किया है। इसी के साथ उन्होंने अमरीका को
राहदारी देने से भी मना कर दिया है। पता चला है कि कोई अमरीकन सरकार का हाई लेवल डेलीगेशन
इस्लामाबाद जा रहा है। …जी सर। यहीं से भेजा रहा है। …पाकिस्तानी सरकार राहदारी के
बहाने अमरीका से बहुत सी फौजी इमदाद की मांग करेगी और हमारी कोशिश होनी चाहिये कि यह
मीटिंग किसी भी तरह असफल हो जाए। …सर, इस डेलीगेशन मे वालकाट की कोई महत्वपूर्ण भुमिका
तो नहीं लग रही तो भला इसे मै कैसे असफल कर सकता हूँ। …तेहरीक, पश्तून और बलोच तंजीमे
इसे असफल कर सकती है। हमला अगर पाकिस्तान स्थित तंजीमो के द्वारा दिखाया जाये तो अमरीका
का पलड़ा भारी हो जाएगा। डेलीगेशन को बस इतना यकीन दिलाने की आवश्यकता है कि यह कतर
की शांति वार्ता को असफल करने के लिये आईएसआई ने फाल्स फ्लैग आप्रेशन किया था। …जी सर। …वहाँ तुम्हारी बात नहीं सुनी जाएगी लेकिन
वालकाट की बात उनके सामने वजन रखती है। …जी सर। मै वालकाट को इसके लिये ब्रीफ कर दूंगा
लेकिन इस बारे मे बात करने का निर्णय उसे लेना होगा। …समीर, यह बेहद संवेदनशील मसला
है। संभल कर काम करना। …जी सर। अजीत सर ने बस इतनी बात करके फोन काट दिया था।
अपने फ्लैट पहुँच
कर मैने मेसेज बाक्स को देखा तो उसमे अंजली का कोई मेसेज नहीं था। कुछ सोच कर मैने
मेनका का नम्बर मिलाया। कुछ देर घंटी बजने के पश्चात एक जानी पहचानी खनकती आवाज कान
मे पड़ी… हैलो। मैने जल्दी से पूछा… अंजली, तुम वापिस आ गयी? दूसरी ओर चुप्पी छायी रही
और एकाएक तेज आवाज गूंजी… मेनका, तुम्हारे अब्बू का फोन है। मैने जल्दी से एक सांस
मे कहा… अंजली, ब्लैक ट्रायड गैंग से उलझने की जरुरत नहीं है। अगर तुम समझती हो कि
उनसे भिड़ना जरुरी है तो पहले उस गैंग की पाकिस्तानी पाइपलाईन को ध्वस्त करना पड़ेगा।
जमाल कुरैशी उस पाइपलाइन का सरगना है। प्लीज…। तभी मेनका की आवाज कान मे पड़ी… अब्बू।
मैने जल्दी से कहा… बेटा, कैसी हो और हाऊ इज केन? एक बार मेनका का बोलना आरंभ हुआ तो
फिर मै चुपचाप उसको सुनता रहा था। फोन काटने से पहले मैने मेनका से कहा… बेटा अबकी
बार जब भी अम्मी कुछ दिनो के लिये बाहर जाये तो मुझे तुरन्त फोन पर खबर कर देना। यह
हमारा सीक्रेट पैक्ट है जैसे हमने एक बार काठमांडू जाने से पहले किया था। …यस, अब्बू
गाड प्रामिस। इतनी बात करके मैने फोन काट दिया और आने वाली मीटिंग के लिये अपनी रणनीति
तैयार करने मे जुट गया।
एक घन्टे के बाद अपने
कमरे से बाहर निकल कर गजल के साथ बैठते हुए बोला… मेरे जाने के बाद इस कैम्पस से हर्गिज
बाहर मत निकलना। मै आमेना को लेकर जल्दी ही वापिस आ जाऊँगा। मेरा इंतजार करना। …वह
जब यहाँ सबके सामने घुस कर ऐसे काम को अंजाम दे सकते है तो दोबारा वह क्यों नहीं कर
सकते? …गजल, वह दोबारा ऐसा करने की भूल नहीं करेंगें। …आपके जाने की बात सुन कर डर
लग रहा है। उसको अपने निकट खींचते हुए मैने कहा… शहरयार कारासोव की बेटी इतनी डरपोक
नहीं हो सकती। उसने आश्चर्य से नजरे उठा कर मेरी ओर देखा तो मैने जल्दी से कहा… तुम्हारे
पास्पोर्ट पर तुम्हारे पिता का यही नाम है। वह तुनक कर बोली… बाकू मे हमारा कारासोव
परिवार गिने चुने पाँच संपन्न पुराने परिवारों मे से एक है। हमारी पाँच पीड़ियाँ ने
यहाँ पर अपना कारोबार जमाया है। मूल रुप से कारासोव परिवार रुसी क्रांति के बाद चेचन्या
से यहाँ आकर बस गया था। मेरी अम्मी तुर्कमेनिस्तान की है तो मेरी रगों मे जंगजू खून
दौड़ रहा है। इसलिये आप मुझे डरपोक हर्गिज नहीं कह सकते। मैने धीरे उसके बाल सहलाते
हुए कहा… तो फिर डर क्यों रही थी? वह मेरे सीने अपना चेहरा छिपा कर धीरे से बोली… आप
से बिछुड़ने का डर सताता रहता है। अगर आपको कुछ हो गया तो हमारा क्या होगा। …गजल, हमारा
निकाहनामा बाकू मे पंजीकृत हो गया है। अब जमाल की ओर से तुम्हें कोई खतरा नहीं है।
इस्लामाबाद से लौटने के बाद मै सब कुछ ठीक कर दूँगा।
गजल कुछ देर मुझसे
लिपटी रही और फिर अलग होकर बोली… हमारे शिपिंग ट्रांस्पोर्ट के कारोबार का क्या होगा?
अब्बू की हत्या के बाद सारा कारोबार सोफिया और जमाल संभाल रहे है। …हमारी पहली प्राथमिकता
आमेना को उनके चंगुल से सुरक्षित निकालने की है। तुम्हारी कंपनी किस नाम से है? …डेनफोर्थ
शिपिंग एन्ड ट्रांस्पोर्ट कंपनी। हमारा पहले रियल स्टेट और कंस्ट्रक्शन का कारोबार
था। सोवियत संघ मे हमारा शापिंग माल, रिहाईशी अपार्टमेन्ट और सरकारी रेल और सड़क बनाने
का कारोबार था। सोवियत संघ के टूटने के कारण डेन्फोर्थ ग्रुप को काफी नुक्सान झेलना
पड़ा तो मेरे दादा और अब्बू ने नये सिरे से रुस के तेल निर्यात के लिये पाँच टैंकर से
शिंपिग ट्रांस्पोर्ट का काम शुरु किया था। आज वह काम इतना फैल गया है कि युरोप, रुस
व सोवियत संघ से टूटने वाले अन्य देशों की सबसे बड़ी शिपिंग और ट्रांस्पोर्ट की कंपनी
बन गयी है। इतना बोल कर गजल चुप हो गयी थी।
…यह काशिफ आमेना का
बेटा है? मेरा सवाल सुन कर उसके चेहरे का रंग उड़ गया था। वह जल्दी से बोली… यह जमाल
और बाजी का बेटा है। मैने उसकी ओर घूर कर देखा तो वह घबरा गयी थी। …गजल, तुम दोनो बहने
मुझे बेवकूफ समझने की गलती मत करना। आठ महीने के नवजात शिशु की माँ के सीने मे अभी
तक दूध नहीं उतरा है तो इसका मतलब साफ है कि आमेना उसकी माँ हर्गिज नहीं है। तो फिर
काशिफ की माँ कौन है? अबकी बार वह झिझकते हुए बोली… सोफिया। …क्या मतलब? …हम जब कंराची
से फरार हुए तब जमाल और सोफिया पर दबाव डालने के लिये हम काशिफ को अपने साथ ले आये
थे। बाजी ने यह सब आपको बताने से मना कर दिया था। उनका अनुमान है कि सोफिया अपने बच्चे
की खातिर हमसे सुलह करने के लिये जमाल को राजी करवा लेगी। मैने उसके सिर पर हल्के से
चपत लगा कर कहा… बेवकूफ लड़की क्या काशिफ को ढाल बनाने से जमाल दबाव मे आ जायेगा। उसके
पीछे आईएसआई और पाकिस्तान की फौज खड़ी हुई है। ब्लैक ट्रायड गैंग उसको मदद कर रहा है।
आमेना इसी गलती की सजा भुगत रही है। इसलिये प्लीज कुछ दिनो के लिये तुम अपने छोटे से
दिमाग को कष्ट मत देना। गजल ने जल्दी से सिर हिला कर हामी भरी और मुझसे लिपट कर बोली…
जी।
मैने अपनी कलाई पर
बंधी हुई घड़ी पर नजर डाली तो मेरे चलने का समय हो गया था। गजल और काशिफ को प्यार करके
कुछ नोटों की गड्डियाँ के साथ उसका पास्पोर्ट उसके हाथ पर रख कर भारी मन से उनसे विदा
लेकर अपने आफिस की ओर निकल गया। दूतावास के बाहर काफी चहल-पहल दिख रही थी। मै सीधे
पार्किंग मे चला गया था। वालकाट को अपने आने की खबर देकर अपनी रणनीति को बनाने मे व्यस्त
हो गया। कुछ देर बाद वालकाट मेरे पास आकर बोला… चार्टिड फ्लाईट से हमारा डेलीगेशन इस्लामाबाद
जा रहा है। इस डेलीगेशन के मुखिया सीनेटर राबिन्सन है। …यह क्या पाकिस्तान प्रेमी है?
…नहीं। यह रिपब्लिकन पार्टी का सीनेटर है। …एंथनी, इस डेलीगेशन के जरिये मै पाकिस्तानी
एस्टेबलिशमेन्ट मे भूचाल लाने की सोच रहा हूँ। मेरी बात सुन कर वालकाट सतर्क हो गया
था। …हमे उस पोस्ट पर हुए हमले और शापिंग माल के हमले को पाकिस्तानी सेना का फाल्स
फ्लैग आप्रेशन दिखाना चाहिये। …यह कैसे संभव होगा? …सेटेअलाईट इमेजिस के द्वारा हमे
सिर्फ इतना कहना है कि वह अस्थायी पोस्ट सेना ने फाल्स फ्लैग आप्रेशन के लिये बनायी
थी। उनके पास हमारे खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं है। वह सिर्फ मुल्ला मोईन पर सारा ठीकरा
फोड़ने की कोशिश करेंगें और हम यह काम उनकी सीमा मे पलने वाले हक्कानी समूह पर डालेंगें।
वालकाट कुछ देर के लिये गहरी सोच मे दूब गया था।
…सैम, फाल्स फ्लग
आप्रेशन का मकसद क्या बतायेंगें? …कतर मे होने वाली तालिबान के साथ शांति वार्ता को
असफल बनाने की कुछ पाकिस्तानी तंजीमो की साजिश बताने की जरुरत है। हमारा असली मुद्दा
सूचना के आदान-प्रदान का होना चाहिये। पाकिस्तानी सरकार ने उस अस्थायी पोस्ट की अभी
तक हमसे कोई औपचारिक जानकारी साझा नहीं की है। वालकाट कुछ पल मुझे घूरता रहा और फिर
मुस्कुरा कर बोला… इस सलाह के लिये तुम्हारी कितनी फीस होगी? …पहले पूरी बात सुन लो।
पाकिस्तान एस्टेबलिशमेन्ट की ओर से पहली तोहमत मित्र देशों के बीच विश्वास की कमी और
दूसरी तोहमत हमारी ओर तालिबान के खिलाफ कड़ी कार्यवाही न करने की लगायी जाएगी। हमारे
पास आईएसआई के द्वारा आमेना असगरी के अपहरण के सारे सुबूत है। हम आमेना के केस को अपनी
ढाल बना कर सारी गलती पाकिस्तानी एस्टेबलिशमेन्ट की बता सकते है। आखिर आईएसआई बिना
किसी सूचना के हाई सिक्युरिटी अमरीकन क्षेत्र से एक लड़की का अपहरण क्यों और कैसे कर
सकती है? मित्र राष्ट्रों के बीच विश्वास मे वृद्धि के लिये पहला कदम पाकिस्तान को
उठाना पड़ेगा और जल्दी से जल्दी उस लड़की को सही सलामत वापिस भेजना पड़ेगा। आईएसआई इसके
लिये आसानी से तैयार नहीं होगी तो फिर उनकी राहदारी का मुद्दा कमजोर पड़ जाएगा। इसी
तरह शापिंग माल मे हुए हमले का विवरण देते हुए सिकन्दर हक्कानी पर शक की सुई घुमा देने
से पाकिस्तानी डेलीगेशन तुम्हारे उपर दबाव नहीं डाल सकेगा।
वालकाट ने हँसते हुए
मेरे कन्धे पर हाथ मार कर कहा… ब्रिलियन्ट सैम। कल से सीनेटर राबिन्सन काफी तनाव मे
थे। हमारे लिये राहदारी बेहद संवेदनशील मुद्दा है। पाकिस्तान इस बार राहदारी के बदले
हमसे मोटे रक्षा अनुदान की मांग रखने की सोच रहा है। स्टेट डिपार्टमेन्ट के अनुसार
पाकिस्तान ने राहदारी देने के लिये दस अरब डालर के रक्षा अनुदान की पेशकश की है। रक्षा
सीनेट कमेटी ने सीनेटर राबिन्सन को किसी भी प्रकार के अनुदान को मना करने के लिये भेजा
है। परन्तु अब यह कहानी सुन कर वह पूरे पाकिस्तानी डेलीगेशन को कच्चा चबा जाएगा। गुड
थिंकिंग माईबोय। आओ चल कर उन्हें ब्रीफ कर देते है। …नहीं। मेरा उनके सामने जाना ठीक
नहीं है। तुम उन्हें साक्ष्य के साथ ब्रीफ कर दोगे तो वह कल सबकी खाल नोंच लेंगें।
पाकिस्तान के पास किसी बात का जवाब नहीं होगा और अपने आप राहदारी का मुद्दा कमजोर पड़
जाएगा। वालकाट कुछ देर और मेरे से सारी रणनीति पर चर्चा करता रहा और फिर जल्दी से बोला…
सैम, टाइम हो गया है। आओ चलते है। अपना बैग उठा कर मै उसके साथ चल दिया। मैने चलते
हुए कहा… एंथनी, इस्लामाबाद पहुँच कर मुझे जिरगा की सारी तैयारी करनी है। एक बार सभी
मुख्य तंजीमो के साथ बैठ कर अपने तीनो मुद्दे पर उनकी सहमति बनानी है। इसी कारण एक
महीने तक मेरा काबुल आना मुश्किल होगा। तुमसे भी ज्यादा बात नहीं हो सकेगी। मेरी बीवी
और बच्चा तुम्हारे सेफ हाउस मे ठहरे हुए है तो उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी तुम पर डाल
रहा हूँ। …डोन्ट वरी। उनकी सुरक्षा की मेरी जिम्मेदारी है। चलते हुए हमारे बीच बस इतनी
बात हो सकी थी।
दूतावास की तीन चमचमाती
कार मुख्य द्वार पर खड़ी हुई थी। कुछ लोग आ चुके थे और कुछ लोगों का इंतजार चल रहा था।
मै वालकाट के साथ एक किनारे मे खड़ा हो गया। सीनेटर राबिन्सन के आते ही तीनो कार चलने
के लिये तैयार हो गयी थी। वlलकाट बुदबुदाया… हमारे यहाँ से छह लोग जा रहे है। बाकी
नाटो के तीन सदस्य एयरपोर्ट पर मिलेंगें। इतना बोल कर वह सबसे पीछे खड़ी हुई कार की
दिशा मे चल दिया। कुछ ही देर मे हमारा काफिला सेना के सुरक्षा घेरे मे काबुल एयरपोर्ट
की दिशा मे निकल गया था।
जीएचक्यू, रावलपिंडी
उसी समय जनरल मेहमूद
के आफिस मे कुछ लोग बैठ कर बहस मे उलझे हुए थे। जनरल रहमत उल मेहमूद चुपचाप बैठ कर
जनरल फैज और तीन ब्रिगेड कमांडरों मे होती हुई बहस देख रहा था। जनरल फैज बोला… जनाब,
यही मौका है जब राहदारी के बहाने से अमरीका को घुटनो पर लाकर रक्षा सौदे के लिये दबाव
बनाया जा सकता है। फ्रंटियर फोर्स का कोर कमांडर शाहबुद्दीन चौधरी तुरन्त बोला… जनरल
मेहमूद, इस मुद्दे पर अमरीका की राहदारी रोकने का आप बेवजह रिस्क ले रहे है। तभी गृह
मंत्री रशीद बोला… जनरल साहब, मै जनरल फैज की बात से सहमत हूँ। इस मुद्दे पर उनके उपर
दबाव बनाया जा सकता है। आपकी ओर से सेना की विश लिस्ट क्या है? जनरल मेहमूद ने मुस्कुरा
कर कहा… हमारी विश लिस्ट मे बहुत कुछ है परन्तु क्या अमरीका वह सब देने को तैयार हो
जाएगा? तभी चौधरी बोला… जनाब, जर्बे-अज्म जैसे आप्रेशन को फ्रंटियर मे दोहराने के लिये
हमे कुछ अपाचे हेलीकाप्टर और भारी आर्टीलरी चाहिये। जनरल फैज जल्दी से बोला… जनरल चौधरी,
एफ-16 के रक्षा सौदे की फाईल तीन साल से धूल खा रही है। इसके बहाने हम 10 अरब डालर
के रक्षा अनुदान को पास करवा सकते है। इस खुलासे से एक बार फिर से सब मे बहस छिड़ गयी
थी।
कुछ देर तक जनरल मेहमूद
उनकी बहस सुनते रहे और फिर बोले… जनरल फैज, आप अपना केस तैयार किजिये। रक्षा सौदे के
लिये राहदारी को मुद्दा बनाना पड़ेगा। गृह मंत्री रशीद जल्दी से बोला… सेना के लिये
रक्षा सौदा तो ठीक है। परन्तु इस वक्त हमारी जरुरत आईएमएफ के लोन की है। प्रधानमंत्री
कामरान चाहते है कि राहदारी के बदले आईएमएफ का लोन पास कराया जाये तो बेहतर होगा। जनरल
मेहमूद ने कुछ पल सोच कर कहा… आईएमएफ के लोन को हम इसके लिये इस्तेमाल नहीं करना चाहते
परन्तु अगर ऐसी बात है तो आप कल यह बात खुद उनके डेलीगेशन के सामने रख देना। रशीद जल्दी
से बोला… जनाब, यह तभी हो सकता है जब आप अपना केस मजबूती से उनके सामने रखेंगें। पिछली
बार जैसी बात नहीं होनी चाहिये। जनरल मेहमूद तुरन्त बोला… उस नाकामयाबी की असली वजह
प्रधानमंत्री कामरान खुद थे। अगर वह गलतबयानी नहीं करते तो अमरीकन सरकार को हर हालत
मे झुकना पड़ता। अबकी बार यह मौका सेना के हाथ मे है तो क्या जनरल फैज इस बार उस डेलीगेशन
के लिये तैयार है?
जनरल फैज ने तुरन्त
अपने एडीसी को इशारा किया और फिर जनरल मेहमूद से बोला… जनाब, बड़ा पुख्ता केस तैयार
किया है। कर्नल हमीद जरा हमारे केस की इनको झलक दिखाईये। सभी चुप होकर स्क्रीन की ओर
देखने लगे। कमरे की कुछ लाईट्स बुझा कर अंधेरा किया गया और फिर कर्नल हमीद ने सबके
सामने अपनी प्रेसेन्टेशन दिखाना आरंभ कर दिया। वह उस अस्थायी पोस्ट की तस्वीरे दिखाते
हुए अपनी बात बोलता चला गया। आधे घंटे की प्रेजेन्टेशन देखने के बाद दोबारा से कमरा
रौशन होने के पश्चात जनरल फैज बोला… आप सभी के सामने हमने सारी कहानी ब्यान कर दी है।
अब आपके उपर होगा कि कैसे अपने केस को पुख्ता तौर पर उस डेलीगेशन के सामने रखा जाये।
जनरल मेहमूद ने एक नजर सब पर डाल कर कहा… यह हमारे लिये सुनहरी मौका है। हमारे बीस
जवानों की शहादत बेकार नहीं जानी चाहिये। मै तो अपनी ओर से अपना पक्ष बड़ी मजबूती से
रखूँगा। जनरल फैज पर इस केस को मजबूती से रखने की जिम्मेदारी होगी। रशीद साहब आप सरकार
का पक्ष उनके सामने रख दिजियेगा। …इंशाल्लाह कल मेज पर हमारी फतेह होगी। सभी ने आसमान
की ओर हाथ उठा कर कहा… आमीन।
एक-एक करके सभी कमरे
से बाहर निकल गये थे। जनरल मेहमूद कुछ देर चुपचाप बैठा रहा और फिर उठ कर किसी से फोन
पर बात करने मे व्यस्त हो गया था।
दोनों पक्ष की और से अपने अपने कदम मजबूत करने के लिए मसौदा तैयारी में लगे हैं, जहां ISI का पक्ष अमेरिका से कुछ हथियार और पैसा ऐंठना का है वहीं अमेरिका उनको पीछे ढलकने के लिए पर जोर कोशिश में है। बहुत ही उत्कंठा पूर्ण स्थिति है अब देखना है कि समीर अब इसमें अपने देश के हित के लिए क्या कर पाता है।
जवाब देंहटाएंअल्फा भाई मति भ्रम ही काउन्टर इन्टेलीजेन्स का हथियार है। दोनो पक्ष इसका अपने फायदे के लिये इस्तेमाल करेंगें। शुक्रिया भाई।
हटाएंअमरिका और पाकिस्तान दोनो मौका परस्त देश है, ७० सालसे अमरिका कुछ डालर फेक कर पाकिस्तानी एस्टाब्लिश को खरीदता रहा है, और ये बिकाऊ मौका परस्त चंद डालर के लीये बिकते रहे है, आज भी बिकेंगे और कल भी बिकेंगे. देखते है अमरिका इनका क्या भाव लगाता है. हमेशा की तरह धांसू अपडेट भाई. वैसे आज हमने इनकी जो हालत की है वो देखणे लायक है, भीक का कटोरा लेके दर दर भटकणे को मजबूर कीया है इनको, पर कहते है ना कुत्ते की दूम कभी सीधी नही होती. ये लोग अपणी हरकतोसे बाज आने से रहे.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद प्रशान्त भाई। हर देश मौका परस्त होता है। उसके लोग सिर्फ अपने देश का हित देखते है। कूटनीति मे सिर्फ अपना हित साधा जाता है। अमरीका की मनाही के बाद भारत रुस से तेल खरीद रहा है और रुस की मनाही के बाद भी हम अमरीका से रक्षा सौदा लगातार कर रहे है। यह कूटनीति है।
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