शह और मात-20
फ्लैट मे प्रवेश करते
हुए मेरी नजर गजल पर पड़ी जो काशिफ को गोदी मे लिये सुलाने की कोशिश कर रही थी। मुझे
देखते ही वह बोली… आपको बाजी का कुछ पता चला? उसके सामने सोफे पर बैठते हुए …नहीं,
लेकिन जल्दी ही पता चल जाएगा। इतना बोल कर मै कपड़े बदलने के लिये अपने कमरे मे चला
गया था। गजल और काशिफ के भविष्य के बारे मे निरन्तर चिंता सता रही थी। कपड़े बदल कर
बाहर निकला तो गजल खाना मेज पर लगा रही थी। सोफे पर काशिफ लेटा हुआ अपने हाथ और पाँव
हवा मे चला रहा था। मैने उसे अपनी गोदी मे उठाया और डाईनिंग टेबल पर बैठते हुए पूछा…
इसको दूध पिला दिया? …जी, लेकिन पता नहीं क्यों आज वह सो नहीं रहा है। खाना खाने के
पश्चात काशिफ को गोदी मे लेकर मै फ्लैट से बाहर निकल कर पीछे के लान मे टहलने निकल
गया था। उस मासूम के साथ धीरे-धीरे स्नेह और विश्वास का रिश्ता बन गया था। जब तक मै
टहल कर वापिस लौटा तब तक काशिफ सो गया था। गजल सारा काम समेट कर बेडरुम मे चली गयी
थी। मै काशिफ को लेकर जब अपने बेडरुम मे प्रवेश किया तो गजल बेड के एक हिस्से को काशिफ
के लिये तैयार कर रही थी। …यह सो गया है। मेरे हाथ से काशिफ को लेकर एक किनारे मे लिटा
कर मेरे पास आकर बोली… मुझे अपने से दूर करने की कोशिश मत किजियेगा। मै आपको छोड़ कर
कहीं नहीं जाउँगी।
मेरा दिमाग आमेना
की ओर लगा हुआ था। वालकाट की ओर से कभी भी खबर आ सकती थी। गजल के साथ लेटते हुए मैने
उसको समझाते हुए कहा… तुम्हारी बाजी को लेने मुझे कल सुबह निकलना पड़ेगा। जब तक मै वापिस
नहीं लौटता तब तक तुम्हें सबकी नजरों से बच कर रहना पड़ेगा। कल सुबह तुम्हारा पास्पोर्ट
मिल जाएगा तो तुम इसे लेकर बाकू चली जाना। मै जल्दी ही तुम्हारी आपा को लेकर तुम्हारे
पास पहुँच जाऊँगा। वह रुआँसी होकर बोली… प्लीज, मुझे अपने से दूर मत किजिये। आपके सिवा
अब मुझे किसी पर कोई भरोसा नहीं है। मै कुछ बोलता कि मेरे फोन की घंटी बज उठी थी।
…हैलो। …सैम, अभी मुझे खबर मिली है कि डेल्टा फोर्स के पहुँचने से पहले आईएसआई ने उस
लड़की को हेलीकाप्टर से सीमा पार भिजवा दिया है। पता चला है कि उस लड़की को उन्होंने
पेशावर एयरबेस पर उतारा है। मैने अपने पेशावर के नेटवर्क को सक्रिय कर दिया है। इतना
बोल कर उसने फोन काट दिया था।
गजल ने पूछा… बाजी
का कुछ पता चला? मैने उठते हुए कहा… अभी तक बस इतना पता चला है कि वह इस वक्त पेशावर
मे है। यह खबर सुन कर मुझे मेरी हिम्मत टूटती हुई लगी तो गजल मुझ पर झुक मेरे चेहरे
को अपनी बाँहों भर कर सीने से लगा कर बोली… आप चिंता मत किजिये। सब ठीक हो जाएगा। कुछ
देर तक मै ऐसे ही पड़ा रहा फिर उससे अलग होते हुए मैने कहा… तुम भी आराम करो। कल सुबह
बहुत से काम करने है। मैने अपनी बाँह फैला कर उसे नजदीक खींच कर अपने सीने से लगा कर
लेट गया था। मेरे सीने मे अपना चेहरा छिपाये उसने मेरी शर्ट को भिगोना आरंभ कर दिया
था। अचानक वह अपनी कोहनी पर उचक कर मेरी आँखों मे झाँकते हुए धीरे से उसने अपने नाजुक
होंठ मेरे होंठों पर रख दिये थे। उसकी पहल ने मेरी दिमागी उलझनों को कुछ पलों के लिये
दबा कर उसकी ओर लगा दिया था। आज उसके साथ मेरी आखिरी रात थी। अगली सुबह मुझे इस्लामाबाद
के लिये निकलना था। पिछले कुछ दिनो मे दोनो बहनो ने खुल कर मेरे उपर अपनी मोहब्बत लुटाई
थी। इस लिये अब तक गजल भी एकाकार के खेल मे पारंगत हो गयी थी। वह इतना जान गयी थी कि
कैसे मेरे संवेदनशील अंगों को छेड़ कर मेरे अन्दर कामाग्नि प्रज्वलित करके भड़काई जा
सकती है। वह मेरे होंठों पर कुछ देर छाने के पश्चात एक नागिन की तरह मेरे सीने को अपनी
जुबान से छेड़ते हुए और अपने कमसिन स्तनों को मेरे जिस्म पर घिसते हुए मेरे अर्धसुप्त
भुजंग तक पहुँच गयी थी। आमेना के सिखाये पाठ को दोहराते हुए गजल ने कुछ ही देर मे भुजंग
को अपने लिये तैयार कर लिया था।
अब छेड़खानी करने की
मेरी बारी थी। सब कुछ भुला कर मैने गजल के तपते हुए गाल पर अपने होंठ रगड़ते हुए एक हल्का सा
चुम्बन ले लिया। मेरे होंठों के स्पर्शमात्र से उसका कमसिन जिस्म मेरी बांहों
मे सिहर उठा था। मेरे दोनों हाथों ने उसको कमर से पकड़ लिया और उसने आँखें मूंद अपने आप को मेरे हवाले
कर दिया। उसकी ठुड्डी को सहारा देते हुए उसका चेहरा अपने सामने करते
हुए मैने तड़कते हुए सूखें होठों पर धीरे से उँगली फिराई तो उसने चिहुँकते हुए अपनी
आँखें खोली। उसकी आँखों मे पूर्ण समर्पण के भाव दिखायी दे रहे थे। वह बेचैनी से तड़प रही थी। उसके होंठ स्वत:
ही खुल गये थे। कोमल पंखुडी से निचले होंठ को मैने अपने होंठ मे धीरे से
दबा कर उसकी कमसिन गोलाईयों के साथ खेलने मे व्यस्त हो गया। …ऊफ़्फ़्फ़ क्या पत्थर
सी कड़क बुर्जियाँ थी। रुई जैसे फोहों जैसे नर्म नाजुक गोलाईयाँ और उनके शिखर पर
अकड़ती हुई कत्थई मोती सी बुर्जी को अपने
होंठों मे दबाया तो अनायस सी उसके मुख से एक कामोत्तेजक सित्कार निकल गयी… अ…आह। उसके शरीर में एक
झुरझुरी सी दौड़ गई और शरीर के सारे रोम-कूप खड़े हो गये थे। एक आँख वाला भुजंग
उत्तेजना से लक्ष्यभेदन के लिये मचलने लगा।
एकाएक कामोत्जना से
वशीभूत होकर हमारे जिस्म एक दूसरे से पूरे वेग से टकराये और फिर दोनो के जहन मे एक
तूफान ने गति पकड़ना शुरु कर दिया। सब कुछ भुला कर एक दूसरे की
कामाग्नि शांत करने के लिये तत्पर हो गये थे। मेरे वारों की गति बढ़नी शुरु हो गयी थी और गजल भी उत्तेजना मे अपने नितम्ब उचका कर मेरा साथ देने लगी थी। मैं उसके गालों, होंठों, पलकों, गले और कानों का
रस सोखने मे जुट गया था। हर वार के साथ उसकी मीठी सीत्कार कमरे मे गूँजने लगी। हौले-हौले हमारी जिस्मानी चाहत चक्रवाती तूफान मे परिवर्तित होने लगी और
कुछ ही देर मे हम दोनो उस तूफान मे बहते चले गये थे। तूफान शान्त होने
के पश्चात लुटे हुए आशियाने की भांति अपनी-अपनी बेकाबू साँसों को काबू
मे करने के बाद मै धीरे से उसके ऊपर से सरक कर बगल मे लेट गया। कुछ देर के बाद
उसके जिस्म मे हरकत हुई तो मैने उसकी ओर देखा। वह अपनी पल्कें झपकाते हुए उठने की
कोशिश कर रही थी लेकिन शायद उसका जिस्म उसका साथ नहीं दे रहा था। …लेटी रहो। बस इतना
बोल कर मै आँखें मूंद कर उसको अपने आगोश मे जकड़ कर लेट गया। तूफान थमने और वासना के
बादल छटने के बाद थकान के कारण हम दोनो गहरी नींद मे डूब गये
थे।
अगली सुबह मेरी आँख
खुली तो मेरी नजर गजल पर पड़ी जो गोदी मे काशिफ को लिये सोफे पर बैठी हुई मुझे देख रही
थी। अपने नग्नता का एहसास होते ही एक पल के लिये मैने तन ढकने के लिये उठते हुए बोला…
क्या देख रही हो? गजल ने मुस्कुरा कर कहा… आपको देख रही हूँ। मैने तन ढकने के लिये
किसी कपड़े की आस मे निगाह आस-पास दौड़ाई। जब कुछ नहीं दिखा तो मै बाथरुम जाते हुए बोला…
अब दर्द तो नहीं हो रहा है? उसने शर्मा कर
धीरे से अपना सिर हिला दिया था। कुछ देर के बाद तौलिया बाँध कर जब बाहर निकला तब तक
गजल ने करीने से मेरे कपड़े एक किनारे मे रख दिये थे। अपने कपड़े पहनते हुए मैने कहा…
गजल, अब मेरी बात ध्यान से सुनो। मै तुम्हारा पास्पोर्ट लेने जा रहा हूँ। तुम बाकू
चली जाना परन्तु कुछ दिन अपने घर और परिवार से दूर रहना। आमेना का पता लगते ही मै उसे
लेकर बाकू पहुँच जाउँगा। उसके बाद ही हम उनके सामने आएगें। वह चुपचाप मेरी बात सुन
रही थी। एकाएक वह बोली… तो मै यहीं पर रुक जाती हूँ। आप बाजी को लेकर यहीं आ जाईयेगा।
…गजल यह जगह तुम्हारे लिये सुरक्षित नहीं है। मुझे समझ मे नहीं आ रहा था कि कैसे गजल
को सुरक्षित बाकू पहुँचाया जाये। नाश्ता करते हुए गजल बोली… मुझे कुछ अपने व काशिफ
के लिये कपड़े व सामान खरीदना है। आप मुझे शापिंग माल मे छोड़ दिजियेगा। …वापिस कैसे आओगी। मेरे साथ चलो। भारतीय दूतावास
से तुम्हारा पास्पोर्ट लेकर फिर तुम्हारी खरीदारी करवा दूँगा। कुछ ही देर मे हम भारतीय
दूतावास कि दिशा मे जा रहे थे।
भारतीय दूतावास से
कुछ दूरी पर मैने लैंडरोवर खड़ी करके कमांड सेन्टर फोन मिलाया तो जनरल रंधावा की आवाज
गूंजी… पुत्तर स्केन कापी मिल गयी। …जी सर। वह पास्पोर्ट किससे लेना है? …एडीसी जतिन
भनोट से उस लड़की का पास्पोर्ट ले लेना। …थैंक्स सर। बस इतनी बात करके मैने फोन काट
कर जैसे ही लैंडरोवर आगे बढ़ायी कि तभी मेरे सामने दूतावास से कुछ दूरी पर एक काली विदेशी
कार आकर रुकी और उसमे से कर्नल श्रीनिवास उतर कर दूतावास की ओर चल दिया। कुछ सोच कर
मै दूतावास न जाकर उस काली कार के पीछे चल दिया था। …क्या पास्पोर्ट नहीं लेना? …फोन
पर पता चला है कि दोपहर के बाद पास्पोर्ट मिलेगा तो पहले तुम्हारी खरीदारी करवा देता
हूँ। काली कार का पीछा करते हुए हम काबुल के मुख्य बाजार मे पहुँच गये थे। वह कार एक
आधुनिक शापिंग माल के सामने रुक गयी थी। जब तक मै अपनी लैंडरोवर रोकता तब तक एक हसीन
विदेशी लड़की उस कार से उतर कर शापिंग माल मे चली गयी थी। …गजल तुम इधर उतर कर अन्दर
चली जाओ। मै गाड़ी पार्क करके आता हूँ। गजल और काशिफ को वहीं छोड़ कर मै पार्किंग मे
चला गया था।
कुछ देर के बाद मेरी
आँखें उस विदेशी महिला को शापिंग माल मे तलाश कर रही थी। उस शापिंग माल मे ज्यादातर
खरीददार विदेशी दिखाई दे रहे थे। उस महिला का चेहरा नहीं देख पाया था परन्तु उसके कपड़ो
से पहचानने की कोशिश कर रहा था। वह नीले रंग का स्लिट गाउन पहने हुए थी। एक-एक दुकान
पर नजर डाल कर आगे बढ़ता जा रहा था। प्रथम तल देखने के बाद दूसरे तल पर जाने के लिये
लिफ्ट की दिशा मे चल दिया। तभी मेरी नजर लिफ्ट के पास खड़ी हुई स्लिट गाउन पहने स्त्री
पर पड़ी जो लिफ्ट का इंतजार कर रही थी। मै तेजी से उस दिशा मे बढ़ गया। जब तक लिफ्ट के
पास पहुँचा तब तक वह लिफ्ट मे प्रवेश कर चुकी थी और दरवाजा बन्द होना आरंभ हो गया था।
आखिरी पल पर बन्द होते हुए दरवाजे की झिरी मे पाँव अटका कर रोकते हुए मैने जल्दी से
बोला… सौरी। उस युवती को दो अफगानी घेर कर खड़े हुए थे। पहली बार मैने उस स्त्री का
चेहरा नजदीक से देखा था। शक्ल से वह चीनी या जापानी मूल की लग रही थी। चेहरे के साथ
उसकी जिस्मानी बनावट भी बेहद आकर्षक थी। हल्के-फुल्के मेकअप मे भी वह सबसे अलग दिख
रही थी। तीसरे तल पर लिफ्ट के रुकते ही वह आगे बढ़ी तो उसके स्लिट गाउन से उसकी नग्न
जाँघ तक के दर्शन हो गये थे। ऐसे रुढ़िवादी इस्लामिक हिस्से मे इस प्रकार की पोषाक पहनने
वाली स्त्री कोई साधारण स्त्री नहीं हो सकती थी। यही सोचते हुए उसके पीछे मै भी लिफ्ट
से बाहर निकल कर माल की गैलरी मे आ गया था। मैने अपना फोन निकाल कर बात करने के बहाने
उसकी तस्वीर अलग-अलग एंगल से खींचना आरंभ कर दिया था।
वह स्त्री अपनी हील
खटखटाती हुई एक इलेक्ट्रानिक दुकान मे चली गयी और मै अपने झोंक मे आगे बढ़ता चला गया।
कुछ कदम चलने के पश्चात मै अपने पंजों पर एकाएक घूम कर एक पिलर की आढ़ लेकर खड़ा हो गया।
मेरी नजरे उस दुकान पर टिक गयी थी जिसमे वह स्त्री गयी थी। पारदर्शी बड़े से शीशे से
सब कुछ साफ दिख रहा था। वह स्त्री काउन्टर पर खड़े हुए किसी व्यक्ति से बात कर रही थी।
कुछ देर बात करने के पश्चात एकाएक उसने काउन्टर पर खड़े हुए व्यक्ति से हाथ मिलाया और
मुड़ कर द्वार की दिशा मे चल दी थी। मै फौरन पिलर की आढ़ से निकल कर एक बार फिर से फोन
पर बात करते हुए सामने से आती हुई उस युवती की तस्वीर खींचता हुआ उसके सामने से निकल
कर सीड़ियों की दिशा मे बढ़ गया था। अपने आसपास के हालात का अंदाजा लगाने के लिये मैने
नीचे झाँक कर दूसरे और पहले तल पर एक नजर डाल कर जैसे ही मुड़ा तो मेरी नजर कोने मे
खड़ी एक स्त्री पर पड़ी जो बड़े ध्यान से मेरी ओर देख रही थी। एकाएक मेरी नजर उसकी घूरती
आँखों से टकरा गयी थी। मेरी रगों मे बहने वाला रक्त एक पल के लिये जम कर रह गया था।
नफीसा दूर से विस्मय भरी हुई नजरों से मुझे देख रही थी।
मैने जल्दी से मुड़ा
और विपरीत दिशा मे बढ़ गया। मरजान टाउन के दौरे के पश्चात मुझे ऐसी ही किसी परिस्थिति
का हमेशा डर लगा रहता था। मै सीड़ियों से तेजी से उतरते हुए प्रथम तल की ओर चल दिया।
मै जल्दी से जल्दी गजल को लेकर निकल जाना चाहता था। मै पहले तल पर पहुँच पाता उससे
पहले मेरे कान मे गोलियाँ चलने की आवाज कान मे पड़ी तो मै ठिठक कर रुक गया। दो-दो सीड़ियाँ
फलाँगते हुए मै प्रथम तल पर पहुँच गया था। शापिंग माल मे भगदड़ मच गयी थी। मैने सावधानी
से प्रथम तल पर नजर दौड़ा कर फायरिंग का जायजा लिया। प्रथम तल पर काले कपड़े का नकाब
पहने दो-तीन जिहादी हाथ मे एके-47 उठाये अन्धाधुँध गोलियाँ चला रहे थे। उनके निशाने
पर इधर-उधर भागती हुई भीड़ थी। तेजी से भीड़ को चीरते हुए मै एक दुकान की ओर बढ़ा तो मेरे
सिर के उपर से हवा को चीरती हुई कुछ गोलियाँ निकल गयी थी। मै फौरन जमीन पर छ्लाँग लगा
कर लेट गया और कोहनी के बल तेजी से सरकते हुए उस दुकान की ओर चल दिया जहाँ गजल खरीदारी
कर रही थी। दुकानो ने शटर बन्द करने शुरु कर दिये थे। जब मै वहाँ पहुँचा तब तक उस दुकान
का शटर आधा बन्द हो गया था। मै जल्दी से जमीन पर रोल करते हुए गिरते हुए शटर के नीचे
से निकल कर अन्दर घुस गया। गजल एक किनारे मे काशिफ को गोदी मे लिये बैठी हुई थी। मुझे
देख कर वह उठने लगी तभी मै उसकी ओर झपटा और दोनो अपनी बाँहों मे बाँध कर जमीन पर बैठ
गया था। … बाहर क्या हो रहा है? …कुछ जिहादी है। तुमने सामान खरीद लिया? …हाँ बस पैसे
देना बाकी रह गये थे। मैने जल्दी से जेब से पर्स निकाल कर दुकानदार को पैसे दिये और
सारा सामान गजल के हवाले करके यहाँ से सुरक्षित निकलने के बारे मे सोचने बैठ गया।
दो घंटे के बाद अमरीकन
फौज की एक टुकड़ी ने शापिंग माल मे प्रवेश किया लेकिन तब तक वह जिहादी खून की होली खेल
कर निकल गये थे। स्थानीय पुलिस ने उस सेना की टुकड़ी की देख रेख मे शापिंग माल को खाली
कराया। हम भी दुकान मे काम करने वाले कर्मचारियों के साथ शापिंग माल से सुरक्षित बाहर
निकल आये थे। बाहर सड़क पर पुलिस व सेना बैरीकेड लगा कर चारों दिशा मे फैल गयी थी। अमरीकन
फौज ने सड़क पर गश्त लगाना शुरु कर दिया था। मै गजल और काशिफ को सड़क के किनारे एक पुलिस
पोस्ट की आढ़ मे छोड़ कर पार्किंग से अपनी लैन्डरोवर निकालने के लिये चला गया। स्थानीय
पुलिस ने मेरी लैन्डरोवर पर दूतावास का पास लगा हुआ देख कर बिना पूछताछ किये वहाँ से
जाने दिया था। कुछ ही देर के बाद हम अपने फ्लैट की दिशा मे जा रहे थे। अपने फ्लैट मे
दाखिल होते ही मेरे फोन की घंटी बजी तो तुरन्त काल लेते हुए मैने कहा… हैलो। …सैम,
बाकू से तुम्हारे निकाहनामे के रजिस्ट्रेशन की सूचना मिल गयी है। आज सुबह तुम्हारा
निकाहनामा बाकू म्युनिसपिल आफिस मे रजिस्टर हो गया है। उसका स्क्रीन शाट भेज रहा हूँ।
…थैंक्स। …इस्लामाबाद के लिये कब निकल रहे हो? …आज रात को। …आज नहीं जा सकोगे क्योंकि
तुर्खैम बार्डर पोस्ट को पाकिस्तानी सरकार ने दो दिन के लिये बन्द कर दिया है। …क्यों?
…उस सैन्य पोस्ट के नष्ट होने की कार्यवाही के चलते सरकार ने ऐसा निर्णय लिया है। मैने
जल्दी से कहा… मै कुछ देर मे आफिस पहुँच रहा हूँ। तब आराम से बैठ कर इस्लामाबाद जाने
की सोचूँगा। …ओके। मै तुम्हारा इंतजार कर रहा हूँ। मैने फोन काट कर गजल से कहा… मुझे
तुरन्त आफिस पहुँचना है। गजल मेरी ओर कुछ पल देखती रही और फिर धीरे से बोली… अपना ख्याल
रखना। मैने अपना सिर हिलाया और उल्टे पाँव बाहर निकल कर आफिस की दिशा मे निकल गया था।
काबुल
काबुल शहर से बाहर
किसी अज्ञात स्थान पर कुछ हथियारों से लैस नकाबपोश जिहादी बैठे हुए किसी का इंतजार
कर रहे थे। …आसिफ भाई फोन पर बात कर लिजिये। …नहीं उन्होंने मना किया है। हमले के बाद
अमरीकन फौज सतर्क हो गयी होगी। सारी कlल्स पर निगरानी रख रहे होंगें। …तो हम कब तक
उनका इंतजार करेंगें? तभी एक जिहादी चिल्लाया… भाई लगता है कि वह आ गये। सब की नजरें
एक दिशा की ओर चली गयी थी। धूल उड़ाती हुई तीन गाड़ियाँ उनकी ओर बढ़ रही थी। सभी सावधान
हो गये थे। कुछ मिनट गुजरने के पश्चात तीनो गाड़ियाँ उनके करीब पहुँच कर रुकते ही दर्जन
से ज्यादा नकाबपोश जिहादी धड़धड़ाते हुए उतर कर उनकी ओर बढ़ते हुए चिल्लाये… नारा-ए-तदबीर।
बैठे हुए जिहादी खड़े होकर चिल्लाये…अल्लाह-हो-अकबर। उन इंतजार करते हुए लोगो से एक
जिहादी आगे बढ़ते हुए बोला… आसिफ, बहुत अच्छे। अमरीकन फौज के घर मे घुस कर काम को अंजाम
दिया है। आसिफ बोला… शुक्रिया सिकन्दर भाई। शापिंग माल मे हमले के बाद वहाँ से निकलते
हुए हमने अखुन्डजादा के गुट के दो शूटर्स की लाशों को पार्किंग शेड मे छोड़ दिया था।
अब उस हमले का सारा मलबा तालिबान के सिर पर गिरेगा। …दूसरी टीम का क्या हुआ? …भाई,
हमे कवर देने के कारण वह समय पर शापिंग माल से बाहर नहीं निकल सके तो अमरीकन फौज के
हाथों मारे गये।
सिकन्दर नाम का व्यक्ति
कुछ आयातें बड़बड़ा कर बोला…आसिफ कुछ दिन तुम सबको यहीं छिप कर रहना पड़ेगा। पाकिस्तान
सरकार ने बार्डर सील कर दिया है तो सीमा पार नहीं कर सकोगे। …भाईजान, यहाँ रुकने मे
तो खतरा है। अब तो अखुन्डजादा भी हमे तलाश कर रहा होगा। आसिफ अपनी बात पूरी भी नहीं
कर पाया था कि तभी दो एके-47 गर्जने लगी। मुश्किल से तीन मिनट मे आसिफ और उसके सभी
साथी पथरीली जमीन पर निर्जीव पड़े हुए थे।
सिकन्दर ने अपने साथियों
को चलने का इशारा किया और सेटफोन निकाल कर किसी का नम्बर मिला कर चलते हुए बोला… उन
सबको ठिकाने लगा दिया है। अब आप तालिबान की शान्ति वार्ता के खिलाफ अमरीकन सरकार पर
दबाव डlलिये। इतना बोल कर उसने फोन काट दिया। उसके गाड़ी मे बैठते ही तीन गाड़ियों का
काफिला धूल उड़ाता हुआ वहाँ से निकल गया था।
आमेना के लेकर जो डबल क्रॉस हुआ समीर के साथ वो अब उसके लिए विषम परिस्थितियों के लेकर आया है और जहां गजल और उसके छोटे भतीजे के सुरक्षा के लिए अब यह जगह सुरक्षित नहीं था अब उसके आगे फिर से आमेना को सुरक्षित लौटाने को लेकर बड़ी चुनौती रहेगी। अब देखना है समीर अब इस बार पाकिस्तान में क्या गुल खिलाने वाला है।
जवाब देंहटाएंअल्फा भाई गुप्त साजिश के खेल मे जो दिखता वह होता नहीं है और कूटनीति अनेक साजिशों से बनी हुई एक चाल होती है। इसका सबसे अच्छा उदाहरण हाल ही मे होने वाली एक बैठक है। शुक्रिया अल्फा भाई।
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