गहरी चाल-27
अजीत सर ने मेरी ओर
देखते हुए पूछा… समीर, क्या हुआ? मैने गरदन हिलाते हुए कहा… सर, आज सुबह एयरपोर्ट पर
मैने नेपाली न्युज मे इस खबर को देखा था। मुझे जिसका डर था वह सच साबित हो गया है।
एक बात मुझे समझ मे नहीं आयी है कि पाकिस्तानी दूतावास ने इतनी जल्दी हत्या का कैसे
पता चल गया और उन्होंने लाश की शिनाख्त कैसे कर दी? मै यकीन से कह सकता हूँ कि शुजाल
बेग के शरीर पर ऐसी कोई चीज नहीं थी जिससे उसके पाकिस्तानी होने की बात का पता चल सके
तो फिर नेपाल पुलिस उस हत्या की तफ्तीश करते हुए पाकिस्तानी दूतावास के पास कैसे पहुँच
गयी? जब यह बात सोचता हूँ तो मुझे एक कवर-अप आप्रेशन लगता है। शुजाल बेग का कहना था
कि यहाँ से आगे का रास्ता उसे खुद तैयार करना होगा। क्या शुजाल बेग ने इस तरह अपना
आगे का रास्ता बनाया है? इन सब सवालों के जवाब तो वहीं जाकर मिल सकते है। मेरी बात
सुन कर दोनो गहरी सोच मे डूब गये थे।
तभी वीके ने कमरे
मे प्रवेश करते हुए कहा… अभी मुझे गोपीनाथ ने सुचित किया है कि उस भारतीय सेवानिवृत
नेवल कमांडर का इरान के बार्डर से तालिबान ने अपहरण किया था। उसके बाद अफगानिस्तान
मे उसे आईएसआई के लोगों के हवाले किया है। अजीत का ख्याल सही है कि शुजाल बेग के अपहरण
की खबर सुन कर आईएसआई ने अपनी इज्जत बचाने के लिये यह ड्रामा रचा है। वह सोच रहे थे
कि हम शुजाल बेग की घोषणा करेंगें इसीलिये बिना सोचे समझे हमसे बाजी मारने की कोशिश
मे उन्होंने इसकी घोषणा कर दी है। जब शुजाल बेग उनके सामने आ जायेगा तब उनके पास कोई
विकल्प नहीं बचेगा। अब वह इस कहानी को सालों तक खींचते रहेंगें। …वीके, अभी नेपाल से
खबर मिली है कि शुजाल बेग की हत्या हो गयी है। वीके के सिर पर हाथ मारते हुए कहा…ओह
नो। उसकी मौत से अब एक और नयी मुसीबत खड़ी हो जायेगी। पाकिस्तान हम पर इल्जाम लगायेगा
कि हमने उसकी हत्या करवायी है। अजीत सर ने कहा… वीके उसकी लाश शाही मस्जिद से बरामद
हुई है। यह काम करने की स्थिति मे कम से कम हम तो नहीं हो सकते है। …उसकी हत्या किसने
की होगी? अबकी बार मैने कहा… सर, आईएसआई ने किसी तंजीम के द्वारा उसकी हत्या करवायी
है। यह भी हो सकता है कि उसकी हत्या फारुख ने करवायी होगी।
अभी हम इस बात पर
चर्चा कर रहे थे कि अचानक अजीत सर ने कहा… मेजर, तुम्हारा इस वक्त काठमांडू मे होना
जरुरी है। हम यहाँ पर आप्रेशन खंजर की जानकारी के साथ एक बार फिर से एजाज मूसा और उसके
साथियों से पूछताछ करते है। तुम तब तक काठमांडू मे शुजाल बेग की हत्या के बारे मे पता
लगाने की कोशिश करो। शुजाल बेग की हत्या के बाद अब हमारा मुख्य ध्येय उस तंजीम का पता
करना है जो हमारे तेल के संसाधनो पर हमला करने की तैयारी कर रही है। जनरल रंधावा ने
तुरन्त कहा… अजीत सबसे पहले तुम्हें राष्ट्रीय सुरक्षा समिति की मीटिंग बुला कर आप्रेशन
खंजर की जानकारी सभी को दे देनी चाहिये। इस मीटिंग मे तीनो सेनाध्यक्षों को भी बुलाना
चाहिये क्योंकि इसमे नौसेना का रोल बेहद महत्वपूर्ण होगा। वीके ने बीच मे टोकते हुए
कहा… अजीत, राष्ट्रीय सुरक्षा समिति की मीटिंग बुलाने से पहले तुमको आप्रेशन खंजर के
बारे मे एक बार प्रधानमंत्रीजी से बात कर लेना चाहिये। दोनो ने अपना सिर हिला दिया
था। हमने कुछ देर और बात की और फिर अपने कमरों की ओर चल दिये थे।
मैने अपना फोन निकाल
कर आन किया और एक नजर अपनी घड़ी पर मारकर आफिस के बाहर निकल आया था। मुझे आज ही वापिस
काठमांडू लौटना था। कुछ सोच कर जीप मे बैठते ही थापा को नौसेना भवन चलने के लिये कह
कर अपनी पीठ पीछे टिका कर बैठ गया था। दस मिनट के बाद मै नौसेना भवन मे दाखिल हो गया
था। आफशाँ बट और डेल्टा सोफ्टवेयर के आफिस को ढूंढते हुए मै एक बड़े से हाल मे पहुँच
गया था। हाल के आखिरी सिरे पर बने हुए कमरे के दरवाजे पर आफशाँ बट नाम देख कर मै उसकी
ओर बढ़ गया। मैने धीरे से दरवाजा खोल कर अन्दर झाँका तो आफशाँ किसी से फोन पर बात कर
रही थी। मेरी शक्ल देख कर उसने फोन पर बात करते हुए मुझे अन्दर आकर बैठने का इशारा
किया और वह फोन पर बात करने लगी थी।
मै उसके सामने जाकर
बैठ गया। आफशाँ किसी से फोन पर बात करते हुए कह रही थी… सुधा तुमने डेटा की कोडिंग
के लिये भुज के एयरपोर्ट के कोडिंग रेफ्रेंस मांगे थे। उधर से जवाब सुनने के बाद वह
बोली… हाँ वही, मुझे एक प्रोग्राम मे उस जगह के ग्रिड रेफ्रेन्स डालने है। क्या तुम
मुझे वह दे सकती हो? दूसरी ओर से किसी ने जो बताया उसने तुरन्त कागज पर जल्दी से लिखना
आरंभ कर दिया था। मेरी नजर उसके पेड पर जमी हुई थी। उसने सात अंको के दो नम्बर जल्दी
से कागज पर लिख कर फोन काट कर बोली… आज तुम यहाँ कैसे? …मै आज ही सुबह लौटा था। आफिस
पहुँचते ही पता चला कि हमारी चौकी पर एक आदमी की हत्या हो गयी है। मुझे तुरन्त वापिस
लौटने को कहा है। मै उस ओर निकल रहा था लेकिन रास्ते मे तुम्हारा आफिस देख कर मैने
सोचा कि फोन के बजाय तुमसे मिल कर निकल जाता हूँ। …कब तक तुम्हारी वापिसी होगी? …आफशाँ
पता नहीं। इस बार लगभग दस दिन लग जाएँगें। उसका चेहरा उतर गया था। …मेनका का स्कूल
खुलने वाला है। तुम यहाँ होते तो कितना अच्छा होता। …अबकी बार लौटते ही मै कुछ दिन
की छुट्टियाँ ले कर घर पर रह कर आराम करना चाहता हूँ। अच्छा चलता हूँ। यह कहते हुए
मै उठ कर खड़ा हो गया था। वह तेजी से मेरी ओर आयी और मुझसे लिपट कर बोली… अब हम दोनो
को तुम्हारी आदत पड़ गयी है। मैने उसे अपनी बाँहों मे जकड़ कर कहा… मै भी तुम दोनो को
मिस करुँगा। मै अभी कुछ बोलना चाहता था कि उसके आफिस का दरवाजा खुला और किसी लड़की ने
अंदर झाँका और फिर जल्दी से सौरी बोल कर चली गयी थी। …अब तुम्हारे आफिस मे खुसर-पुसर
शुरु हो जाएगी। वह मुस्कुरा कर बोली… सब मेनका को जानती है। चलो मै तुम्हें बाहर तक
छोड़ देती हूँ। हम दोनो बाहर निकले तो वह लड़की बाहर खड़ी हुई थी। आफशाँ ने कहा… सोफिया,
यह मेरे हस्बैंड मेजर समीर बट है। मेरी मेज पर एक पैड रखा हुआ है। उस पर वह ग्रिड रेफ्रेन्स
लिखे हुए है। सोफिया ने मुस्कुरा कर मेरा अभिवादन किया और फिर तेजी से आफशाँ के कमरे
की ओर बढ़ गयी थी। हम दोनो जीप की ओर चल दिये थे।
मै एयरपोर्ट की ओर
जा रहा था लेकिन मेरा दिमाग कुछ चंद मिनटों की अनायस बातचीत सुन कर उलझ कर रह गया था।
ग्रिड रेफ्रेन्स सिस्टम की गोपनीयता हमारे लिये सर्वोपरि थी और इनके लिये महज एक जानकारी
जिसे वह बड़े आराम से एक दूसरे के साथ बाँट रहे थे। आफशाँ की बातचीत से साफ था कि उसने
भी किसी अन्य कंपनी के व्यक्ति से भुज एयरपोर्ट की जानकारी जुटा कर अपने साथी को मुहैया
करा दी थी। ऐसे मे पता नहीं वलीउल्लाह कहीं बैठ कर ऐसी जानकारी किसी से लेकर लेकर आईएसआई
को दे रहा था। अब वलीउल्लाह की पहचान करना और भी ज्यादा मुश्किल हो गया था। दिल्ली
से काठमांडू के सफर मे मेरा दिमाग इसी मे उलझा रहा था। जब काठमांडू पर उतरने की घोषणा
हुई तब कहीं जाकर इस मसले को मै अपने दिमाग से निकाल पाया था।
तबस्सुम मुझे एयरपोर्ट
पर लेने आयी हुई थी। दिल्ली एयरपोर्ट से मैने उससे बात की थी। उसे भी पता चल गया था
कि शुजाल बेग की हत्या हो गयी है। हम दोनो पार्किंग की ओर चले गये थे। …तुम चलाओ… कह
कर मै उसके साथ जाकर बैठ गया था। इसुजु को पार्किंग से निकाल कर मुख्य सड़क पर आते ही
वह बोली… जेनब और नफीसा आपसे बात करना चाहती थी। मैने उन्हें बता दिया था कि आप आज
सुबह की फ्लाईट से दिल्ली जा चुके है। आपको क्या लगता है कि ब्रिगेडियर साहब की हत्या
किसने की होगी? …अभी कुछ भी कहना मुश्किल है। यही बात करते हुए हम घर पहुँच गये थे।
…तुम यहीं उतर जाओ। मै गोदाम से होकर आ रहा हूँ। …अब रात हो गयी है। कल सुबह चले जाईयेगा।
…नहीं। यादव मेरा इंतजार कर रहा है। मै जल्दी वापिस आ जाउँगा। वह गाड़ी से नीचे उतर
कर अन्दर चली गयी और मै गोदाम की ओर चल दिया था।
कैप्टेन यादव अपनी
युनिट के साथ हाल मे मेरा इंतजार कर रहा था। आज के लिये लोडिंग और अनलोडिंग का काम
समाप्त हो चुका था। सारा गोदाम सुनसान पड़ा हुआ था। मै सीधा हाल मे चला गया। मैने पहुँचते
ही कहा… अब तक आपको पता चल गया होगा कि शुजाल बेग की हत्या हो गयी है। थापा को निकाल
कर आपकी युनिट के तेइस लोग यहाँ पर है। कैप्टेन यादव आप तीन आदमी की चार स्काउट टीम
कल सुबह तक बनाईये। हर टीम मे दो आदमी और एक उस टीम की परछाँई होगी। एक टीम उस लाश
की पोस्टमार्टम रिपोर्ट और पुलिस की रिपोर्ट निकालने पर लग जाएगी। एक टीम शाही मस्जिद
पर नजर रखेगी। एक टीम बालाजु मे एजाज कंस्ट्रकशन्स यार्ड पर नजर रखेगी। एक टीम यहाँ
पर स्टेंड बाय टीम का काम संभालेगी। खतरे को भाँपते ही जो भी परछाँई की तरह काम कर
रहा होगा वह पहले स्टेंड बाय टीम का सूचना देकर अपने साथियों की मदद के लिये जाएगा।
सभी अपने-अपने फोन का जीपीएस एक्टीवेट कर लेना। सभी टीमों का उद्देश्य शुजाल बेग से
जुड़ी हुई जानकारी को एकत्रित करना और कोई भी ऐसा आदमी जिस पर जिहादी होने का शक हो
उसकी निशानदेही करने की जिम्मेदारी होगी। बचे हुए ग्यारह लोग कल गोदाम का काम संभालेंगें।
इतना बोल कर मै चुप हो गया था।
एक बार मैने फिर से
बोलना आरंभ किया… कैप्टेन यादव, मुझे फरहान का फोन चाहिये और नूर मोहम्मद के साथियों
के फोन से सारा डम्प किया डेटा भी दे दो। सज्जाद अफगानी और उसके साथियों के सारे फोन
और नाईट कल्ब से जब्त किये फोन जो हमने अभी तक इकठ्ठे किये है वह सभी मुझे चाहिये।
कश्मीर मे सेना ने एक साफ्टवेयर तैयार किया था जिसके द्वारा फोन की कोन्टेक्ट लिस्ट
और वाह्ट्स एप के ग्रुप के सदस्यों के फोन नम्बरों का मिलान करके कुछ मुख्य लोगों की
निशानदेही हो सकती है। कल रात को आठ बजे हम यहीं पर सब मिलेंगें और जो कुछ भी देखा
होगा उस पर चर्चा करके अगले दिन का कार्यक्रम तैयार करेंगें। इतना बता कर मै चुप हो
गया था। …सर, क्या अपने हथियार लेकर जा सकते है? …सिर्फ पिस्तौल रख सकते हो लेकिन सिर्फ
स्काउट टीम बन कर जा रहे हो तो ‘नो एन्गेजमेन्ट’। यह निर्देश परछाँई पर लागू नहीं होगा
क्योंकि स्काउट टीम की सुरक्षा का भार उस पर है। …किसी को कोई शक है तो पूछ सकता है।
किसी ने कुछ नहीं पूछा और कैप्टेन यादव टेलीफोन और डेटा उठाने के लिये चला गया था।
मैने कुशाल सिंह से कहा… तुम्हारा काम कल नूर मोहम्मद के फोन पर नजर रखने का है। जैसे
ही शुजाल बेग के बारे मे कोई बात सुनो तो फौरन मुझे खबर कर देना। तब तक कैप्टेन यादव
ने एक थैला मेरी ओर बढ़ा दिया था। मैने वह थैला उठाया और उनसे विदा लेते हुए कहा… कैप्टेन
कल आप यहाँ से सारी टीमो का संचालन करेंगें। अच्छा मै चलता हूँ आप लोग बैठ कर अपनी
टीम तैयार किजिये। यह बात करके मै वापिस घर की ओर चल दिया था।
खाना समाप्त करके
हाल मे ड्युटी पर बैठे हुए अपने साथी को सारे फोन देकर कर कहा… सारे फोन चार्जिंग पर
लगा दो। पूरा चार्ज करने की जरुरत नहीं है। मैने आते हुए कुछ युनीवर्सल चार्जर खरीद
लिये थे वह उसको देते हुए कहा… बस इतना चार्ज हो जाए कि कुछ देर काम करने लायक हो जाये। उसके जिम्मे यह काम डाल कर मै अपने
कमरे मे चला गया था। तबस्सुम जाग रही थी। उसके साथ लेटते हुए मैने कहा… तुम सोई नहीं?
…आपकी राह देख रही थी। अपना सिर मेरे सीने पर रख कर बोली… मै एक बार जेनब और नफीसा
से मिलना चाहती हूँ। मैने उसे समझाते हुए कहा…
तुम्हें यह सब भूलना होगा क्योंकि मामला अब काफी संवेदनशील हो गया है। अगर वह चाहेंगी
तो वह खुद तुमसे मिलने आ जाएँगी लेकिन तब तक तुम्हें उनको अपने दिमाग से निकालना होगा।
वह चुप हो गयी थी परन्तु मै जानता था कि उसके दिमाग मे कुछ चल रहा था। मैने उसके बालों
को सहलाते हुए कहा… इस हालत मे तुम्हें अपना ख्याल रखने की जरुरत है। वह अचानक बोली…
पता नहीं मुझे क्यों लगता है कि यह सब झूठ बोल रहे है। ब्रिगेडियर साहब को कुछ नहीं
हुआ है। मैने चौंक कर उसकी ओर देखा तो वह मेरे सीने मे मुँह छिपाये लेटी हुई थी। मेरी
थकान मुझ पर हावी हो रही थी और मुझे पता ही नहीं चला कि कब मै सब कुछ भुला कर सो गया
था।
मेरा दिन जल्दी आरंभ
हो गया था। तबस्सुम सो रही थी जब तक मै तैयार होकर हाल की ओर निकल गया था। मैने सबसे
पहले जनरल रंधावा से बात की थी। मैने उनसे कहा था कि मुझे उस सेना के साफ्टवेयर से
जुड़ना है जो जिहादियों के फोन से नम्बर निकाल कर क्रास रेफ्रेम्सिंग करके मुख्य लोगों
की निशानदेही करता है। जनरल रंधावा ने जनरल नायर से बात करके मेरी बात 15वीं कोर के
डेटा सेन्टर मे करा दी थी। वहाँ से पता चला कि वह साफ्टवेयर से मुझको नहीं जोड़ सकते
लेकिन अगर फोन का डेटा उनको दे दिया गया तो वह अपने डेटा सेन्टर मे क्रास रेफ्रेन्सिंग
का काम करके उसका परिणाम मुझे दे सकते है। इसके लिये उन्होंने मुझसे कहा कि हर फोन
के नम्बर के हिसाब से डेटा सेट अलग से देना पड़ेगा। मेरी सारी सुबह हर फोन के नम्बर
निकालने मे निकल गयी थी। कमांड सेन्टर ने हर फोन की मिरर इमेज बना कर सारा डेटा सेट
तैयार किया और फिर उसे श्रीनगर स्थित डेटा सेन्टर को देना आरंभ कर दिया था। बारह बजे
तक सारे फोन का डेटा श्रीनगर के डेटा सेन्टर को दे दिया गया था। यह काम समाप्त करके
ही मै कुछ खाने के लिये नीचे उतरा था। शाम को चार बजे उस क्रास रेफ्रेन्सिंग का परिणाम
प्राप्त हुआ था। चालीस नम्बर मुख्य रुप से क्रास रेफ्रेन्सिंग द्वारा निकाले गये थे।
इसका मतलब यह था कि
अभी तक जितने भी आईएसआई, हरकत उल अंसार के जिहादियों और अन्य उनसे जुड़े हुए लोगों की
कोन्टेक्ट लिस्ट और व्हाट्स ऐप ग्रुप्स मे सर्वाधिक लोगों के पास यह चालीस नम्बर मिले
थे। मैने उन चालीस मे से एक-एक नम्बर को ध्यान से देखना आरंभ कर दिया था। दो नम्बर
तो देखते ही मै पहचान गया क्योंकि एक नूर मोहम्मद नम्बर था और दूसरा शुजाल बेग का नम्बर
था। फरहान का भी नम्बर उस लिस्ट मे था। मै उन पर निशान लगा कर बाकी के बारे कोई रणनीति
बनाने मे लग गया था। कुछ नम्बर देखने से ही पता चल गये थे कि वह नम्बर भारत के है।
बाइस नम्बर नेपाल के थे जिनमे ज्यादातर नम्बर एनटीसी और कुछ यूटीएल के थे। कुछ नम्बर
पाकिस्तान के थे। कुछ समय लगा कर मैने सभी नम्बर की अलग-अलग लिस्ट तैयार कर ली थी।
मैने जनरल रंधावा
से बात करने के लिये कमांड सेन्टर से कहा तो अगले ही पल जनरल रंधावा का चेहरा स्क्रीन
पर उभर आया था। मैने भारत की लिस्ट देते हुए कहा… सर, यह सारे नम्बरों के जिन लोगों
के नाम पर है उन सभी का विवरण चाहिये। पाकिस्तान
के नम्बरों कि एक और अलग से लिस्ट दे रहा हूँ उनके बारे मे भी मुझे जानकारी चाहिये।
जनरल रंधावा ने दोनो लिस्ट देख कर पूछा… यह क्रास रेफ्रेन्सिंग के द्वारा नम्बर मिले
है? …जी सर। वह चालीस नम्बरों की लिस्ट आपके पास भी है। सर क्या इन सभी नम्बरों को
हम कश्मीर के डेटाबेस के साथ भी चेक कर सकते है? …हाँ, परन्तु इसका का उद्देश्य क्या
है? …सर, फिलहाल तो मै अंधेरे मे हाथ पाँव मार रहा हूँ। मुझे एक सिरे की तलाश है जो
मुझे वलीउल्लाह या मेजर हया या आप्रेशन खंजर की प्रमुख तंजीम के समीप ला कर खड़ा कर
दे। …ओके मेजर। कुछ शुजाल बेग के मामले मे पता चला? …आज शाम को कुछ पता चलेगा। आपको
रात को सुचित करुँगा। हमारी बातचीत का अंत हो गया था।
अगला कनेक्शन मैने
अजीत सर का मांगा था लेकिन वह अभी बात करने की स्थिति मे नहीं थे। मैने वीके को कनेक्ट
करने के लिये कहा तो उनसे तुरन्त बात हो गयी थी। …बोलिए मेजर? …सर, ग्रिड रेफ्रेन्स
की जाँच मे एक ऐसी बात सामने आयी है कि उसके बारे मे आपको बताना जरुरी हो गया है। साफ्टवेयर
इंडस्ट्री मे काम करने वाले लोगों के बीच मे अप्रत्यक्ष गठजोड़ रहता है। उदाहरण के तौर
पर एक साफ्टवेयर कंपनी जो वायुसेना के लिये काम कर रही है वह भुज के एयरपोर्ट के ग्रिड
रेफ्रेंस के लिये औपचारिक तौर पर जनरल मोहंती के सामने अपनी मांग रखती है। जनरल मोहंती
उस कंपनी की जरुरत अनुसार उसको एयरपोर्ट के ग्रिड रेफ्रेन्स दे देते है। अब कोई दूसरी
साफ्टवेयर की कंपनी जो नौसेना के लिये काम कर रही है उसमे काम करने वाला व्यक्ति अगर
चाहे तो वायुसेना के लिये काम करने वाली साफ्टवेयर कंपनी मे कार्यरत अपने दोस्त से
एयरपोर्ट के ग्रिड रेफ्रेन्स मांग सकता है। इसी प्रकार उस एयरपोर्ट के ग्रिड रेफ्रेन्स
न जाने और कितने लोगो के पास इस तरह पहुँच जाते है। इसी प्रकार वह एक दूसरे की मदद
के बहाने हमारी गोपनीय जानकारी हर किसी के पास पहुँच जाती है। अब मै इसी नतीजे पर पहुँचा
हूँ कि उन हजारों साफ्टवेयर इंजीनियर्स मे वलीउल्लाह कोई भी हो सकता है बस उसे इतना
पता होना चाहिये कि उस जानकारी से संबन्धित कौनसी साफ्टवेयर एजेन्सी काम कर रही है
और उस कंपनी मे उसका कौनसा दोस्त काम कर रहा है। मेरे सामने भुज एयरपोर्ट का किस्सा
आया था। एक इन्जीनियर ने दूसरी कंपनी मे बैठे हुए अपने दोस्त से बड़ी आसानी वह जानकारी
लेकर अपने किसी साथी को मेरे सामने ही दे दिया था। मुझे नहीं लगता कि तीनों को उस जानकारी
के महत्व और गोपनीयता के बारे कुछ पता होगा। वीके चुपचाप मेरी बात सुन रहे थे। उन्होंने
कुछ सोचेने के बाद कहा… मेजर, मै इसके बारे मे पता करता हूँ। अगर तुम्हारी बात सच है
तो यह हमारे पूरे सूचना तंत्र की कमजोरी है और हमे तुरन्त इस प्रकार की कमजोरी को अपने
सूचना तंत्र से दूर करना पड़ेगा। हमारी बात समाप्त हो गयी थी। मेरा काम यहाँ पर समाप्त
हो गया था।
एनटीसी की लिस्ट मैने
बिस्ट के लिये अपनी जेब मे रख कर हाल से बाहर निकल कर गोदाम की दिशा मे निकल गया था।
गोदाम मे ट्रक पर माल लादा जा रहा था। स्टैन्ड बाय युनिट हाल मे बैठी हुई थी। कैप्टेन
यादव अपने आफिस मे बैठा हुआ था। मुझे हाल की दिशा मे जाते हुए देख कर वह भी पीछे-पीछे
आ गया था। उसको देखते ही मैने पूछा… स्काउट टीम्स अभी तक वापिस लौट कर नहीं आयी है?
…सर, पुलिस और पोस्टमार्टम रिपोर्ट्स लाने वाली टीम आ चुकी है। बाकी दोनो टीमे भी सात
बजे तक आ जाएगी। कैप्टेन यादव और मै बात करते हुए संपर्क केन्द्र मे चले गये थे। ड्युटी
पर तैनात सैनिक से मैने पूछा… नूर मोहम्मद के फोन का क्या हाल है? …सर, आज सुबह से
न तो उस पर कोई काल आयी है और न ही कोई काल की गयी है। मुझे ऐसी उम्मीद नहीं थी। हम
हाल मे जाकर बैठ गये थे। सात बजे तक सभी लोग वापिस लौट आये थे। कुछ ही देर मे सब हाल
मे इकठ्ठे हो गये थे।
…लेफ्टीनेन्ट सावरकर,
क्या रिपोर्ट है? …सर, शाही मस्जिद के इमाम मौलवी कादरी ने उस लावारिश लाश की खबर सुबह
आठ बजे स्थानीय थाने को दी थी। पुलिस रिपोर्ट मे कादरी ने लिखवाया था कि मस्जिद के
कारिन्दे ने लाश की खबर दी थी। पुलिस की जाँच मे पता चला कि सुबह चार बजे फज्र की नमाज
के समय पर वह लाश वहाँ पर नहीं थी। बाद मे कारिन्दे ने अपने बयान मे लिखवाया है कि
सुबह छ्ह बजे जब वह सफाई के लिये मस्जिद मे गया था तब उसने वह लाश देखी थी। पुलिस का
मानना है कि उस आदमी की हत्या कहीं और हुई थी और मस्जिद खुलने के बाद 4-6 बजे के बीच
मृतक को वहाँ डाला गया था। पुलिस उस लाश की शिनाख्त नहीं कर पा रही थी क्योंकि उसका
चेहरा पूरी तरह से क्षत-विक्षत था। पाकिस्तान दूतावास का सेकन्ड सेक्रेटरी अपने मिलिट्री
अटाचे ब्रिगेडियर शुजाल बेग की गुमशुदगी की रिपोर्ट करने थाने पर आया था। इत्तेफक से
उसे जब वह लाश दिखायी गयी तो उसने उस लाश की तुरन्त शिनाख्त कर दी थी। पोस्टमार्टम
रिपोर्ट मे मरने की वजह सिर पर चोट बतायी गयी और मरने का समय रात के 12-4 के बीच का
बताया गया है। सावरकर इतना बता कर चुप हो गया था। तभी उसके साथ गया सैनिक खड़ा होकर
बोला… साहबजी, थाने के सभी लोग इसको पाकिस्तानी दूतावास का रचा हुआ एक ड्रामा बता रहे
थे। उन सब का मानना है कि वह आदमी दूतावास मे रची हुई किसी साजिश का शिकार हुआ होगा
जिसे बाद मे दूतावास ने मौलाना कादरी के साथ मिल कर उसकी लाश को मस्जिद मे फिकवा दिया
होगा।। यह बोल कर वह बैठ गया था।
दूसरी टीम से एक्स्प्लोसिव
एक्स्पर्ट जमीर ने बताया कि मौलाना कादरी दोपहर को मस्जिद मे अपने लश्कर के साथ आया
था। उनसे मिलने आये व्यक्तियों मे एक वर्तमान सरकार का मंत्री और कुछ पाकिस्तान दूतावास
के लोग भी थे। मैने बीच मे टोकते हुए पूछा… क्या नूर मोहम्मद भी आया था? …नहीं सर।
दूतावास के कुछ दूसरे अधिकारी आये थे। सर, आम दिनों मे मौलाना कादरी सबसे मिल कर पाँच
बजे अपने घर चला जाता है परन्तु आज वह वहीं पर अभी तक रुका हुआ था। जब हम वहाँ से चले
थे वह तब भी मस्जिद मे बैठा हुआ था। उसके सुरक्षाकर्मी बाहर बैठ कर उसके निकलने का
इंतजार कर रहे थे। हमे दो लोगों पर शक हुआ था। उनके हावभाव ही कुछ ऐसे प्रतीत हो रहे
थे कि वह जैसे किसी की तलाश मे वहाँ पर बैठे हुए थे। हमने उनकी तस्वीर उतार ली है।
यह बोल कर उसने अपना फोन मेरी ओर बढ़ा दिया था। मैने एक नजर दोनो तस्वीरों पर डाल कर
यादव से कहा… दोनो तस्वीरों को कंप्युटर पर डाल कर स्क्रीन पर दिखाओ। कुछ मिनट के बाद
उनकी तस्वीरें बड़े स्क्रीन दिखायी दे रही थी। …कैप्टेन यादव, कल एक स्काउट टीम इन दो
आदमियों की खोज मे जाएगी। जो टीम शाही मस्जिद पर होगी वह इन दो आदमियों का चेहरा अच्छी
तरह से पहचान ले क्योंकि अगर वह दोनो कल फिर वहीं पर आते है तो वह टीम तुरन्त इस टीम
को सुचित कर देगी। यह टीम फिर उनका वहाँ से पीछा करेगी। पीछा करने वाली टीम को बस इतना
पता लगाने की कोशिश करनी है कि वह कहाँ जाते है, उनका ठिकाना कहाँ है और वह किन लोगों
से मिलते है।
मैने तीसरी टीम की
ओर देखा तो ड्राईवर विजय कुमार ने बताया… सर, वह देखने मे कंस्ट्रक्शन यार्ड जरुर लगता
है परन्तु वहाँ पर कुछ काम होता हुआ नहीं दिख रहा है। कुछ लोग भारी मशीनरी से सामान
हटा कर जमीन समतल बनाने की कोशिश कर रहे थे परन्तु वहाँ पर ज्यादातर लोग खाली बैठे
हुए दिख रहे थे। हमे तो ऐसा लग रहा था कि जैसे वह लोग वहाँ पर टाइम पास के लिये बैठे
हुए है। बातचीत और कपड़ों से भी वह किसी भी हालत मे मेकेनिक या आप्रेटर नहीं लग रहे
थे। हमने एजाज कंस्ट्रक्शन के बारे कुछ स्थानीय लोगों से भी बात की थी। उनका कहना था
कि दो साल पहले ही इस कंपनी ने वह यार्ड नेपाल के राज परिवार से खरीदा था। इस कंपनी
ने सारे पुराने लोगों को निकाल कर अपने लोग भरने आरंभ कर दिये है। वहाँ पर किसी को
नहीं पता है कि एजाज कंस्ट्रक्शन का काम आजकल कहाँ चल रहा है। यार्ड मे खड़ी हुई भारी
भरकम मशीनरी को भी कभी यार्ड के बाहर निकलते हुए किसी ने नहीं देखा है। …किसी के पास
हथियार दिखे थे? …नहीं सर। हथियार तो किसी के पास नहीं थे। …कैप्टेन कुछ दिन और उस
यार्ड पर नजर रखते है। मैने एक नजर अपनी कलाई की घड़ी पर नजर मारी तो रात के दस बज रहे
थे। मै अगले दिन का काम बता कर वापिस घर की ओर चल दिया था।
हमारे आफिस के बाहर
एक कार खड़ी हुई देख कर मै तुरन्त सावधान हो गया। अपनी ग्लाक-17 को कार के डैशबोर्ड
से निकाल कर अपनी बेल्ट मे खोंस कर गेट पर तैनात बहादुर से पूछा… कौन आया है? …मेमसाहब
से मिलने कुछ लेडीज आयी है। एक नजर कार पर डाल कर मै पहली मंजिल की ओर चल दिया। इतनी
रात को भला कौन तबस्सुम से मिलने के लिये आ सकता था। यही सोचते हुए मै जब अपने दरवाजे
पर पहुँचा तो मुझे तबस्सुम खड़ी दिख गयी थी। …आपने आने मे बड़ी देर लगा दी। हम कब से
आपकी राह देख रहे थे। प्रवेश करते ही मेरी नजर सोफे पर बैठी हुई शबाना और जेनब पर पड़ी
और दूसरे सोफे पर आरफा के साथ नफीसा बैठी हुई थी। मै चुपचाप उनके सामने बैठते हुए तबस्सुम
से कहा… मुझे फोन कर देती तो मै पहले आ जाता। …आपका फोन बन्द पड़ा हुआ है। इस वक्त तीनो
के चेहरे पर तनाव के लक्षण साफ झलक रहे थे।
सबसे पहले बोलने वाली
जेनब थी। …यहाँ पर सब कुछ गलत हो रहा है। कल सुबह वह अब्बू की लाश को लेकर पाकिस्तान
जा रहे है। यह बोलते ही वह रो पड़ी तो तबस्सुम उसके पास बैठ कर बोली… रोने से कुछ नहीं
होगा। इनको सब कुछ साफ-साफ बता दो। तभी नफीसा ने कहा… हमारे को नहीं लगता कि वह अब्बू
है लेकिन दूतावास मे पाकिस्तान से आये हुए कर्नल शौकत जबरदस्ती उन्हें अब्बू बता रहे
है। …क्या उन्होंने तुमसे तुम्हारे अब्बू की शिनाख्त नहीं करवायी है। …नहीं। हम आज
दूतावास गये थे लेकिन उन्होंने दिखाने से मना कर दिया। उनका कहना है कि उनका चेहरा
इतना बिगड़ गया है कि वह हमे नहीं दिखा सकते। …तुम्हारे नूर अंकल तो आजकल दूतावास मे
है। क्या वह भी ऐसा सोचते है? अबकी बार शबाना रुआँसी होकर बोली… भाईजान दो दिन पहले
सुबह वह दूतावास जाने के लिये तैयार हो रहे थे कि तभी उनके पास किसी का फोन आया था।
वह किसी को बताये बिना ही तुरन्त चले गये थे। उसके बाद उनको किसी ने नहीं देखा है।
जब वह उस दिन शाम को नहीं लौटे तो हमने दूतावास मे पता किया तो पता चला कि वह उस दिन
दूतावास नहीं गये थे। उनका फोन भी तभी से बन्द पड़ा हुआ है। अगले दिन सुबह दूतावास ने
हमे ब्रिगेडियर साहब की हत्या की जानकारी दे दी थी। पाकिस्तान से आये हुए कर्नल शौकत
अजीज ने दूतावास के सभी कर्मचारियों को हमसे बात करने के लिये मना कर दिया है। दूतावास
मे कोई भी कुछ भी बताने की स्थिति मे नहीं है कि आखिर वहाँ क्या हो रहा है। प्लीज क्या
आप हमारी कुछ मदद कर सकते है?
मैने जल्दी से कहा…
इस मामले मे भला मै आपकी क्या मदद कर सकता हूँ। आपकी बात सुन कर तो मुझे लग रहा है
कि इस वक्त कर्नल शौकत अजीज के कब्जे मे पूरा दूतावास है। वहाँ से जब आपको कुछ नहीं
पता चल रहा है तो फिर भला मुझे कोई कैसे बता सकता है। मैने जेनब से पूछा… तुम्हें क्यों
लगता है कि वह तुम्हारे अब्बू नहीं हो सकते है? जेनब ने कोई जवाब नहीं दिया और नफीसा
भी सिर झुका कर बैठ गयी थी। मैने तबस्सुम की ओर देखा तो वह मेरी ओर देख रही थी। अचानक
वह बोली… सुबह से मैने आपको डिस्टर्ब नहीं किया क्योंकि मुझे पता है कि आप ब्रिगेडियर
साहब के बारे जानने की कोशिश मे जुटे हुए है। यह बड़ी आस लेकर आपके पास आयी है। प्लीज
कुछ तो इनकी मदद किजिए। …अंजली, यह इनकी फौज का मामला है। मै इनके मामले मे कुछ भी
दिलचस्पी दिखाउँगा तो इनके लिये मुश्किलें बढ़ जाएँगी। तुम समझने की कोशिश करो कि इन्होंने
यहाँ आकर ही बड़ी भारी भूल कर दी है। कर्नल शौकत ने उस दिन से ही इनकी निगरानी पर अपने
लोग लगा दिये होंगें। तबस्सुम उठ कर मेरे पास आकर बोली… भाड़ मे जाये कर्नल शौकत। आप
इनकी मदद कैसे करेंगें यह अब आपको सोचना है। अगर आप नहीं करेंगें तो फिर मुझे कुछ करना
पड़ेगा। तबस्सुम को पकड़ कर अपने साथ जबरदस्ती बिठा कर मैने समझाते हुए कहा… तुम्हें
इस हालत मे डाक्टर ने तनाव लेने या गुस्सा करने से मना किया है। वह जल्दी से संभल कर
बोली… पता नहीं आज कल मुझे बड़ी जल्दी गुस्सा आने लगा है।
कुछ सोच कर मैने कहा…
मुझे नूर मोहम्मद के बारे मे पता नहीं था। आज मैने उस लाश की पुलिस रिपोर्ट देखी है
और वहाँ पर उपस्थित पुलिस वालों से भी बात की थी। मुझे इतना तो यकीन हो गया है कि वह
लाश ब्रिगेडियर साहब की तो नहीं है। पुलिस वालों को लग रहा है कि पाकिस्तानी दूतावास
ने कोई फुहड़ सा ड्रामा रचा है। जेनब और नफीसा इसलिये तुम्हें अपने अब्बू के लिये ज्यादा
चिन्ता करने की जरुरत नहीं है। कर्नल शौकत जो कुछ करना चाहता है उसे करने दो। यह जो
गलती तुमसे हो गयी है उसके लिये तुमसे कल सुबह कोई न कोई दूतावास का आदमी अवश्य पूछने
आयेगा। उसके लिये आप लोग अपना जवाब तैयार रखना। शबानाजी, जहाँ तक आपके खाविन्द नूर
मोहम्मद की बात है तो मुझे लगता है कि वह इस वक्त ब्रिगेडियर साहब के साथ है लेकिन
एक बात मेरी चिन्ता बढ़ा रही है कि पाकिस्तानी दूतावास ने नूर मोहम्मद को खोजने की कोई
चेष्टा अभी तक क्यों नहीं की है। इतना बोल कर मै चुप हो गया था। सभी की नजरें मुझ पर
टिकी हुई थी लेकिन कोई भी कुछ बोल नहीं रहा था। अचानक नफीसा उठ कर मेरे पास आयी और
जब तक मै समझ पाता उसने झुक कर मेरे गाल को चूम लिया और घुटनो के बल मेरे सामने बैठ
गयी थी।
नफीसा की आवाज एकाएक
बोलते हुए लड़खड़ा गयी थी। …मैने इनसे कहा था कि आप हमे जरुर सच्चायी से रुबरु करा देंगें।
अपने सीने पर भारी बोझ लिये यहाँ आये थे लेकिन अब यहाँ से एक उम्मीद लेकर वापिस जा
रहे है। आपका तहे दिल से शुक्रिया। मै अचरज से उसकी ओर देखता रह गया था। जेनब और शबाना
भी आश्चर्य से नफीसा को देख रही थी। वह जेनब की ओर देख कर बोली… बाजी अब हमे चलना चाहिये।
काफी देर हो गयी है। जेनब और शबाना जल्दी से उठ कर खड़ी हो गयी और नफीसा के साथ चल दी
थी। …अंजली और आरफा तुम इन्हें कार तक छोड़ दो जिससे जो भी इन पर नजर रख रहा होगा वह
अच्छी तरह से देख ले कि तीनों तुमसे मिलने आयी थी। इतना बोल कर मै उन्हें वहीं छोड़
कर उपर हाल मे चला गया था।
मैने एक बार फिर से
नूर मोहम्मद की रिकार्डिंग सुनने बैठ गया था। जिस दिन सुबह मैने शुजाल बेग को छोड़ा
था उस दिन की रिकार्डिंग निकाल कर सुनने बैठ गया था। उस दिन सबसे पहली काल का जिक्र
शबाना ने किया था। मैने उस वक्त इस काल पर कोई ज्यादा ध्यान नहीं दिया था क्योंकि उस
समय मुझे लगा कि दूतावास से बुलावा आया होगा लेकिन शबाना के अनुसार वह यह सुनते ही
चला गया था। उसके बाद नूर मोहम्मद की पाँच रिकार्डिंग और थी। मै अबकी बार शुजाल बेग
के परिपेक्ष मे उसकी बात को समझने की कोशिश कर रहा था। पहली काल का नम्बर मैने उस लिस्ट
मे चेक किया तो वह नम्बर उन चालीस नम्बर मे से एक था। अगली दो काल नूर मोहम्मद ने दो
अलग नम्बरों पर की थी। उनमे वह किसी को बता रहा था जरुरी काम के सिलसिले मे वह आज उनसे
नहीं मिल सकेगा। मैने उन दोनो नम्बरों को लिस्ट से चेक किया तो वह दोनो नम्बर भी मिल
गये थे। उसके बाद तीन काल और थी। वह एक ही नम्बर से आयी थी। किसी स्त्री की काल थी।
उसने काल करके बताया था कि वह उसका इंतजार कर रहे है। दूसरी काल कुछ मिनट के बाद आयी
जिसमे उसी स्त्री बताया था कि सभी लोग पहुँच गये है। कब तक पहुँच रहे है? उसी स्त्री
की काल थी जिसमे वह बता रही थी कि मौलाना साहब को जल्दी वापिस लौटना है। सारी बातचीत
से साफ था कि अगर पहला काल शुजाल बेग से आया था तो बाकी सभी काल का मजमून किसी स्त्री
के यहाँ होने वाली मीटिंग के संदर्भ मे था। सभी नम्बर एनटीसी के थे। अपने कमरे मे लौटते
हुए मैने अगले दिन सुबह सरिता बिस्ट से मिलने का मन बना लिया था।
तबस्सुम मेरा इंतजार
कर रही थी। मैने उसके साथ लेटते हुए कहा… तुम बिना सोचे समझे क्यों बोलना शुरु कर देती
हो। अगर कर्नल शौकत को पता चल गया कि वह भारतीय सेना के अधिकारी से रात को उसके घर
पर मिली थी तो क्या तुम्हें नहीं पता इनका क्या हश्र होगा। मै जितना तुम्हें इन लोगों
से दूर रखने की कोशिश करता हूँ तुम उतना ही एक के बाद एक इनके चक्कर मे उलझती जाती
हो। ब्रिगेडियर शुजाल बेग की असलियत तुम्हें जिस दिन पता लग गयी तो तुम खुद उसे गोली
मार दोगी। सच पूछो तो मुझे उसके साथ कोई हमदर्दी नहीं है लेकिन फिलहाल उसका जिंदा रहना
हमारे लिये जरुरी है। मुझे इसमे कोई एतराज नहीं है कि अगर तुम्हारा पाकिस्तान प्रेम
जोर मारता है। ऐसा होना भी चहिये लेकिन मुझसे निकाह करने के बाद तुम भारतीय सेना के
अधिकारी की बीवी बन गयी हो और इसीलिये पाकिस्तानी फौज के मामले अब तुम्हें सावधान रहने
की जरुरत है। दोनो ओर खड़ी हुई फौज कभी भी तुम्हारे जज्बे को अच्छी नजरों से नहीं देखेंगें।
यहाँ की फौज तुम्हें वहाँ का जासूस समझेंगी और वहाँ वाले लोग तुम्हें गद्दार समझेंगें
और ध्यान रहे कि दोनो की सजा सिर्फ मौत है। तुमने शुजाल बेग की बात उस दिन नहीं सुनी
थी इसीलिये उसके प्रति इतनी हमदर्दी हो रही है। अगर तुम सुन लेती कि वह मेरे साथ पाकिस्तान
मे क्या करता तो तुम हर्गिज उसे छोड़ने की जिद्द नहीं करती। इसीलिये मै कह रहा हूँ कि
तुम अब पूरी तरह अंजली बन जाओ। इतना बोल कर जैसे ही मैने अपनी बाँह उसकी ओर बढ़ायी वह
मेरा हाथ पकड़ कर बोली… मुझे इससे कोई मतलब नहीं कि फौज क्या सोचती है। क्या आप मेरे
बारे मे ऐसा सोचते है जैसा कि मेरे बारे मे भारतीय फौज सोचती है?
मै एक पल के लिये
उसे देखता रहा और फिर बोला… जिसका अंश तुम पाल रही हो क्या वह तुम्हारी विश्वसनीयता
पर कोई शक कर सकता है? ऐसा सवाल ही बेमानी है। लेकिन हकीकत से कभी मुँह नहीं मोड़ना
चाहिये। मै जानता हूँ कि उस दिन भी शुजाल बेग ने सच ही बोला था। अचानक वह मुझसे लिपट
कर अपनी बाँहों मे जकड़ कर बोली… जब तक मै हूँ तब तक वह लोग आपके बाल को भी नहीं छू
सकेंगें। मैने हँसते हुए कहा… मेरी झाँसी की रानी अब सो जाओ। इस हालत मे तुम्हें आराम
की जरुरत है। बेकार के मसलों मे खुद को मत उलझाओ। वह बेहद भावुक हो गयी थी। उसकी डाक्टर
ने मुझसे कहा था कि इस बदलाव के कारण मुझे उसके मूड स्विंग्स का खास ख्याल रखना पड़ेगा।
आज उसकी बात सुन कर मै अपने आप को रोक नहीं सका था लेकिन अब पछता रहा था कि मैने फालतू
मे उसे भावुक कर दिया। बड़ी मुश्किल से उसे शांत करके सुलाया और जब वह सो गयी उसके बाद
ही काफी देर तक मुझे नींद नहीं आयी थी।