गहरी चाल-48
तिगड़ी बैठ कर पाकिस्तान-चीन
सड़क परियोजना के मुद्दे पर चर्चा कर रही थी। अजीत कुछ सोच कर बोला… गोपीनाथ ने खबर
दी है कि सड़क परियोजना के कारण पाकिस्तान की तंजीमों मे काफी रोष पनप रहा है। उसके
बारे मे क्या करना है? वीके ने एक फाईल आगे बढ़ाते हुए कहा… चीन की अति महत्वाकांक्षी
बेल्ट परियोजना की फाईल तुम्हारे सामने रख रहा हूँ। इसके कारण इस क्षेत्र मे उत्पन्न
होने वाली सामरिक चुनौतियों पर सुरक्षा समिति की राय मांगी जा रही है। …वीके मैने पहले
ही इसके बारे मे अपनी राय प्रधानमंत्रीजी के सामने रख दी थी। यह परियोजना किसी के लिये
भी हितकर नहीं है। जनरल रंधावा ने दोनो को बीच मे टोकते हुए कहा… तुम दोनो भली भांति
जानते हो कि आप्रेशन क्लीनआउट से पहले समीर को हमने इसी चुनौती के लिये एक ब्लू प्रिन्ट
तैयार करने के लिये कहा था। उस विस्फोट के कारण हमारी योजना को भारी आघात लगा है। आप्रेशन
खंजर मे शिकस्त खाने के बाद से ही मुझे इसी बात की आशंका थी। जनरल फैज की ओर से कुछ
जवाबी कार्यवाही अवश्य होगी। अजीत ने कहा… तुम दोनो जानते हो कि सुरिंदर वहाँ पर गोपीनाथ
के साथ क्या कर रहा था। यह भी तो हो सकता है कि आईएसआई ने चीन को इस योजना की जानकारी
देकर उनकी मदद से इस काम को अंजाम दिया है। हमे इस मामले मे सावधानी बरतने की जरुरत
है। वीके ने हामी भरते हुए पूछा… अपने मेजर के क्या हाल है? …वीके वह शारीरिक रुप से
स्वस्थ हो गया है। कर्नल दीवान के अनुसार वह एक्यूट पोस्ट ट्रामा का शिकार हो गया है।
इसलिये उसे फील्ड मे नहीं भेज सकते। जनरल रंधावा ने तुरन्त बात काटते हुए कहा… चार
महीने से समीर अस्पताल मे भर्ती है। सुरिंदर के रिप्लेसमेन्ट के लिये लगातार दबाव बढ़ता
जा रहा है। उसे अब फील्ड मे भेजना पड़ेगा। तीनो अभी इसी गुत्थी को सुलझाने मे लगे हुए
थे कि अजीत का फोन बज उठा तो उनकी बातचीत को विराम लग गया।
अजीत जल्दी से काल
लेते हुए बोला… हैलो। …सर, मै गोपीनाथ बोल रहा हूँ। सर, काबुल से खबर आयी है कि वहाँ
के हालात बिगड़ते जा रहे है। पाकिस्तान फौज का तालिबान और तेहरीक के खिलाफ हमला जोर
पकड़ता जा रहा है। इसके कारण पाकिस्तान के उत्तरी भाग मे पनपता हुआ रोष और विरोध की
चिंगारी कहीं अफगानिस्तान मे नहीं पहुँच जाए। अगर ऐसा हो गया तो सारा किये कराये पर
पानी फिर जाएगा। श्रीनिवास का कहना है कि हमे ब्रिगेडियर का रिप्लेसमेन्ट वहाँ पर जल्दी
से जल्दी चाहिये। …गोपीनाथ, मुझे थोड़ा समय दो। आईविल गेट बेक टु यू। इतना बोल कर अजीत
ने फोन काट दिया था। वीके और जनरल रंधावा की नजरें उस पर लगी हुई थी। …क्या हुआ अजीत?
…उत्तरी पाकिस्तान मे सैन्य कार्यवाही होने के कारण हालात बिगड़ते जा रहे है। गोपीनाथ
का कहना है कि उसे जल्दी से जल्दी ब्रिगेडियर का रिप्लेसमेन्ट चाहिये। …वह अपने किसी
आदमी को वहाँ पर क्यों नहीं नियुक्त कर देता? …वीके ऐसा नहीं है कि वह किसी को नियुक्त
नहीं कर सकता। उसकी परेशानी समझने की कोशिश करो कि उस आदमी को आतंकी तंजीमो के साथ
सीआईए और अमरीका और अफगान फोर्सेज के साथ संबन्ध बना कर रखने पड़ेंगें। गोपीनाथ का स्टाफ
इस काम को नहीं कर सकेगा। जनरल रंधावा अचानक उठते हुए बोला… अजीत इस काम के लिये समीर
सबसे उपयुक्त था। एकाएक तीनो के चेहरों पर परेशानी की लकीर खिंच गयी थी।
जनरल रंधावा ने कुछ
सोचते हुए कहा… हमने तो मेजर को लेकर एक डिफेसिव आफेन्स का पाईलट प्रोजेक्ट शुरु किया
था। उस वक्त हमने नहीं सोचा था कि कुछ सालों मे ही यह प्रोजेक्ट सुरक्षा की दृष्टि
से इतना महत्वपूर्ण बन जाएगा। अजीत ने वीके की ओर देख कर कहा… यह तो वीके के दिमाग
की उपज थी। उस वक्त तो हम लोग कुछ करने की स्थिति मे भी नहीं थे। हमने तो उसे अपने
अनुभव से सिर्फ रास्ता दिखाया था। सारा काम तो उसने किया था। वीके ने साथ बैठे हुए
अजीत सुब्रमनयम की पीठ पर धौल जमा कर कहा… मैने तो एक सैनिक तुम्हारे हवाले किया था
लेकिन तुम दोनो ने उसे क्या बना दिया। जनरल रंधावा ने मुस्कुरा कर कहा… हमने तुम्हारे
लिये उसे एक धारदार हथियार बना दिया है। वीके ने मुस्कुरा कर कहा… डिफेसिव आफेन्स प्रोजेक्ट
की कामयाबी का सारा श्रेय असलियत मे तुम दोनो को जाता है। हमने उसे आंतरिक सुरक्षा
के लिये तैयार किया था। इसका परिणाम हमने दीपक सेठी के केस मे देख लिया है। इसलिये
मै उसे यहाँ की दीमक को साफ करने के लिये इस्तेमाल करना चाहता था। अजीत बोला… वीके,
वह हमारा सबसे धारदार हथियार है। उसका उपयोग हमे सोच समझ कर करना चाहिये। बात करते
हुए शाम हो गयी थी तो बैठक बर्खास्त करने से पहले अजीत ने कहा… सरदार, आज समीर से मिलने
अस्पताल चलते है। …चल यार। वीके तू भी चल। …आज नहीं। मै अपने आफिस जा रहा हूँ। मेरा
आफिस खुलने का समय होने वाला है। इतना बोल कर वीके अपने आफिस की ओर चल दिया। जनरल रंधावा
ने चलते हुए कहा… प्रधानमंत्री जी की विदेश यात्रा पर होने के कारण इस बेचारे का आफिस
कुछ दिन आधी रात तक चला करेगा। चल यार आज मेजर से मिलने चलते है। दोनो आफिस से बाहर
निकल कर अजीत की कार की ओर बढ़ गये थे।
…मेजर समीर बट। कमांड
अस्पताल मे प्रवेश करते हुए अजीत के कान मे यह नाम पड़ते ही उसकी नजर इन्फोर्मेशन डेस्क
की ओर चली गयी थी। वहाँ पर एक स्त्री सस्पेन्डर मे नवजात शिशु को लिये डेस्क आफीसर
से बहस कर रही थी। अजीत ठिठक कर रुक गया और फिर मुड़ कर बोला… सरदार, मै अभी आता हूँ
तब तक तू समीर के कमरे की ओर चल। इतना बोल कर अजीत इन्फोर्मेशन डेस्क की चल दिया। वह
डेस्क के किनारे पहुँच कर उनकी बात सुनने के लिये कुछ दूर खड़ा हो गया था। …पेशेन्ट
का नाम मेजर समीर बट है। मै बस इतना जानना चाहती हूँ कि उनका रुम नम्बर क्या है? …मैडम,
मैने आपको बताया है कि विजिटिंग टाइम समाप्त हो गया है। आप कल सुबह 8-10 और शाम को
5-7 के बीच आकर पता कर लिजियेगा। …मिस्टर मै समझ गयी लेकिन उनका कमरा नम्बर बताने मे
आपको क्या तकलीफ है। …देखिये मै सिस्टम आफ कर चुका हूँ। जब आप उनसे अभी नहीं मिल सकती
तो उनके रुम नम्बर के बारे मे जान कर क्या करेंगी। प्लीज आप कल सुबह आ जाईयेगा। इतना
बोल कर वह काउन्टर छोड़ कर चल दिया था।
वह स्त्री कुछ पल
उसे जाते हुए देखती रही और फिर जैसे ही मुड़ कर जाने लगी तो अजीत ने आगे बढ़ कर उसका
रास्ता रोक कर पूछा… बेटी किसके बारे मे पूछ रही हो? अंजली ने मुड़ कर उस व्यक्ति की
ओर देखा तो एक पल के लिये वह चौंक गयी थी। वह उस आदमी को बहुत अच्छे से पहचानती थी।
वह इंसान उसके लिये चलती-फिरती मौत थी। उसको अनसुना करके अंजली मुख्य द्वार की ओर चल
दी लेकिन तभी अजीत ने उसे रोकते हुए कहा… अंजली कौल। वह ठिठक कर रुक गयी। …यही नाम
है तुम्हारा। अंजली ठिठक कर रुक गयी थी। …अंजली मेरे साथ चलो। मै तुम्हें अभी समीर
से मिलवा देता हूँ। एकाएक अंजली अजीब स्थिति मे फँस गयी थी। एक ओर राष्ट्रीय सुरक्षा
सलाहकार अजीत सुब्रामन्यम का खतरा उसके सिर पर मंडरा रहा था। दूसरी ओर समीर को देखने
की ललक उसे अजीत की बात मानने के लिये उकसा रही थी। उसने पहली बार निगाह उठा कर अजीत
से धीरे से पूछा… आप मुझे जानते है? …हाँ। समीर मेरे साथ काम करता है। तुम काठमांडू
से कब आयी? अंजली ने कोई जवाब नहीं दिया अपितु वह अब पहले से ज्यादा सतर्क हो गयी थी।
…अंजली सौरी, कुछ हालात ऐसे बन गये थे कि हम तुम्हें खबर नहीं कर सके। …कैसी हालत है
उनकी? …वह शारिरिक रुप से तो ठीक हो गया परन्तु ब्लास्ट के कारण पोस्ट ट्रामा का शिकार
हो गया है। यह सुन कर एक पल के लिये अंजली का दिल बैठ गया था। वह अपने आप को रोक नहीं
सकी और जल्दी से बोली… चलिये। वह अजीत के साथ चल दी।
इतनी देर मे पहली
बार अंजली ने चलते हुए शिकायती लहजे मे कहा … सब कुछ जानते हुए भी आपने आज तक यह बात
हमे बताने की कोशिश नहीं की जबकि इस दुर्घटना को हुए चार महीने हो गये है। अजीत ने
जल्दी से बात बदलते हुए उस नवजात शिशु की ओर देखते हुए पूछा… अब तो यह दो महीने का
हो गया होगा। इसका क्या नाम है? अबकी बार अंजली चिढ़ कर जवाब दिया… उसके पिता की अनुपस्थिति
मे भला उसे कैसे नाम दिया जा सकता है। अजीत ने अबकी बार कुछ नहीं कहा और गलियारे मे
मुड़ते ही एक कमरे की ओर इशारा करते हुए कहा… वह समीर का कमरा है। जनरल रंधावा कमरे
के बाहर खड़े हुए अजीत का इंतजार कर रहे थे। अजीत दरवाजे पर पहुँच कर बोला… रंधावा यह
समीर की पत्नी अंजली कौल है। …नमस्ते सर। जनरल रंधावा मुस्कुरा कर बोले… अच्छा हुआ
पुत्तर तुम आ गयी। अब शायद उसकी रिकवरी जल्दी हो जाएगी। अजीत मेरे ख्याल से आज पहले
इसे अन्दर जाने दे। कुछ सोच कर अजीत ने कहा… अंजली तुम अन्दर चली जाओ। अंजली कुछ क्षण
वहीं खड़ी रही फिर आगे बढ़ कर दरवाजे पर दस्तक देकर अन्दर चली गयी थी।
रोज की तरह अंधेरा
हो गया था। इस अस्पताल मे एक दिन और गुजर गया था। हमेशा की तरह मै अजीत सर के इंतजार
मे अपने कमरे मे टहल रहा था। मै जल्दी से जल्दी यहाँ से निकलना चाहता था परन्तु मुझे
कोई भी डिस्चार्ज करने के लिये तैयार नहीं था। अचानक दरवाजे पर दस्तक हुई तो मै उस
ओर देखा कि तभी दरवाजा खोल कर एक लड़की ने कमरे मे प्रवेश किया और मुझे देख कर वह ठिठक
कर वहीं रुक गयी थी। भारतीय परिधान मे वह स्त्री अपने सीने पर सस्पेन्डर मे एक नवजात
शिशु को लिये मेरे सामने आकर खड़ी हो गयी थी। मेरी नजर उसके चेहरे पर अटक गयी थी। वह
एकटक मुझे देखती रही तो मैने जल्दी से पूछा… मै तुम्हें जानता हूँ परन्तु तुम्हारा
नाम मुझे याद नहीं आ रहा है। तुम कौन हो? अपने दिमाग पर जोर डालते हुए मै उसका नाम
याद करने की कोशिश करने लगा कि एकाएक मेरे दिमाग मे अचानक तेज पीड़ा की लहर उठी और मै
अपना सिर दोनो हाथों मे थाम कर जमीन पर बैठ गया। वह तेजी से मेरी ओर झपटी लेकिन तभी
उसके सीने से लगा हुआ बच्चा रोने लगा तो वह मुझे छोड़ कर अपनी गोदी मे लिये बच्चे को
चुप कराने मे जुट गयी। तभी एक बार फिर दरवाजा खुला और अजीत सर और जनरल रंधावा ने कमरे
मे प्रवेश किया। उन्हें देखते ही मै सावधान की मुद्रा मे खड़ा हो गया था।
…कैसे हो समीर? …फाइन
सर। …पुत्तर, इसको पहचानता है? मैने उसकी ओर गौर से देखा तो वह जल्दी से बोली… यह अभी
अपने दिमाग पर जोर डालने के काबिल नहीं है। प्लीज आप आज हमे अकेला छोड़ दिजीये। अजीत
सर ने सिर हिलाते हुए अपने साथ खड़े हुए व्यक्ति से कहा… रंधावा वैसे भी हमे आज यहाँ
आने मे बहुत देर हो गयी है। चल इन्हें बात करने दे। इतनी बात करके वह दोनो कमरे से
बाहर निकल गये थे। तभी उस स्त्री के सीने से लगे हुए बच्चे ने कुनमुना आरंभ कर दिया।
वह जल्दी से मेरे सामने बेन्च पर बैठते हुए बोली… अपना चेहरा दूसरी ओर कर लिजीये। मुझे
बच्चे को दूध पिलाना है। कुछ पल के लिये मै ऐसे ही बैठा उसे देखता रहा था। उसने जल्दी
से सस्पेन्डर उतार कर मेरी ओर देखे बिना अपने कुर्ते के बटन खोलना आरंभ किया तो मैने
झेंप कर जल्दी से अपना चेहरा दीवार की ओर कर लिया था। कुछ देर के बाद उसने कहा… सुनिये।
उसकी दिशा मे देखने से पहले एक पल के लिये मै झिझका फिर मैने पलट कर उसकी ओर देखा तो
वह उस नन्हें से बच्चे को सीने से लगाये बैठी हुई थी। वह मुझे देख रही थी। …क्या आप
मुझे नहीं पहचानते? उसकी आवाज मे छिपा दर्द उसकी नीली आँखों मे साफ झलक रहा था। कुछ
बोलने से पहले मेरे होंठ एक क्षण के लिये काँपे फिर मैने धीरे से कहा… तुम्हारी धुंधली
सी छवि मेरे जहन मे हरदम रहती है। तुम्हें देखते ही पहचान गया था परन्तु तुम्हारा नाम
मेरे दिमाग के किसी कोने मे कहीं खो गया है। उसकी आँखें डबडबा गयी और वह धीरे से बोली…
मेरा नाम। वह बस इतना ही बोली थी कि मेरे दिमाग मे छनाका सा हुआ और मै धीरे से बुदबुदाया…
अंजली। वह मेरी ओर झपटी कि तभी बच्चे ने कुनमुना कर उसका स्तन छोड़ दिया तो उसने हड़बड़ा
कर अनावरित स्तन को अपने कुर्ते से ढकते हुए बोली… आप मेरे साथ चलिये। उसने जल्दी से
अपने कुर्ते के बटन बन्द किये और बच्चे को सस्पेन्डर मे डाल कर अपने कंधों पर पहनते
हुए बोली… अपने कपड़े बदल लिजिये। मै अभी भी खड़ा हुआ उसको ताक रहा था। एकाएक हजारों
भावनाओं का सैलाब मेरे जहन मे उमड़ा और मै झपट कर उसको अपनी बाँहों जकड़ कर खड़ा हो गया।
वह कुछ पल ऐसे ही खड़ी रही फिर धीरे से बोली… घर चलिये। मेनका भी आपकी राह देख रही है।
…अंजली मेरे पास दूसरे
कपड़े नहीं है। …ऐसे ही चलिये। वह मेरी बाँह पकड़ कर मेरे साथ चल दी थी। बिना किसी रोक-टोक
के हम अस्पताल से बाहर लान मे आ गये थे। अंधेरा गहराता जा रहा था। बाग मे अभी भी बहुत
से लोग अस्पताल के कपड़ों मे टहल रहे थे। मै भी उस भीड़ मे शामिल हो गया था। मै उससे
बहुत कुछ कहना चाहता था। तभी एक कार मेरे सामने आकर रुकी और दरवाजा खोल कर वह जल्दी
से बोली… आईये। उसकी आवाज सुनते ही मै जल्दी से उस कार मे बैठ गया। हमारे बैठते ही
कार आगे बढ़ गयी थी। कार चालक ने घूम कर मेरी ओर देख कर बोला… सलाम साबजी। मैने बड़ी
सहजता से कहा… थापा, कैसे हो? तभी अंजली की कोहनी मेरी पसली से टकरायी तो मैने उसकी
ओर देखा तो वह दबी आवाज मे बोली… मै याद नहीं हूँ लेकिन बाकी सब आपको याद है। मैने
झेंप कर खिड़की से बाहर झाँका तो रात मे बिजली से रौशन हुई सड़कें और ट्रेफिक की आवाजाही
बहुत दिनो के बाद मुझे देखने को मिली थी। सब कुछ जाना पहचाना था परन्तु अभी बहुत कुछ
ऐसा था जो कहीं खो गया था। कुछ देर के पश्चात हमारी गाड़ी रक्षा अकादमी के फ्लैट के
सामने पहुँच गयी थी। मै कार से निकल कर उसके साथ चल दिया। अचानक वह मुड़ कर बोली… मेनका
को पहचानते है? तभी दरवाजा खोल कर मेनका मुझे देख कर चिल्लायी… अब्बू। वह मेरी टाँगों
से लिपट गयी। मैने उसे गोदी मे उठाया और उसके साथ फ्लैट मे प्रवेश कर गया। सब कुछ जाना
पहचाना था।
… हैलो। …सर, कमांड
अस्पताल से कर्नल दीवान बोल रहा हूँ। आपका पेशेन्ट मेजर समीर बट कल रात से गायब है।
…ऐसे कैसे हो सकता है। अजीत की आवाज एकाएक तेज हो गयी थी। …सर, फिलहाल सीसीटीवी की
फुटेज से पता चला है कि कल रात वह किसी स्त्री के साथ थे। उसी के साथ वह अस्पताल के
मुख्य गेट पर भी खड़े हुए थे। अब मेरे लिये क्या आदेश है? कुछ पल सोचने के पश्चात अजीत
ने कहा… कर्नल दीवान फिलहाल कुछ मत किजीये। …जी सर। इतनी बात करके अजीत ने फोन काट
दिया था। …अजीत किसका फोन था? …अंजली कल रात समीर को अपने साथ ले गयी है। तीनो के चेहरे
पर परेशानी की लकीरें उभर आयी थी। वीके ने पूछा… अजीत, वह कहाँ जा सकते है? …वीके,
वह अपने फ्लैट पर ही होंगें। कुछ दिन समीर को उसके साथ गुजारने दो। कर्नल दीवान के अनुसार अचानक हुए विस्फोट के
शाक के कारण मेन्टल ब्लाक हो गया है। उसे पहली बार हर व्यक्ति और हर स्थान नया लगता
है। उस व्यक्ति या स्थान से जुड़ी हुई स्मृति अगर सकारात्मक है तो तुरन्त उसके प्रति
ब्लाक हट जाता है और उसके साथ और भी बहुत सी जुड़ी बातें, व्यक्ति व स्थान दिमाग मे
उभरने लगते है। उस वक्त नकारात्मक स्मृति नहीं आनी चाहिये क्योंकि उसके आते ही वह वापिस
मेन्टल ब्लाक का शिकार हो जाता है।
मेनका और बच्चे को कमरे मे सुला कर अंजली मेरे
साथ बेड पर लेटते हुए बोली… क्या पोस्ट ट्रामा मे आपकी मेमोरी लास हो गयी है? …ऐसा
नहीं है। कर्नल दीवान के अनुसार अचानक हुए विस्फोट के शाक
के कारण मेन्टल ब्लाक हो गया है। …मै आपको बहुत कुछ आपके जीवन से जुड़ी हुई बातें
बता सकती हूँ परन्तु वह कितना सच होगा इसका मुझे पता नहीं और इसीलिये मै चाहती हूँ
कि सारे सवालों के जवाब आपको खुद ढूँढने चाहिये। मैने करवट लेकर अंजली की ओर देखा तो
वह आंखें मूंद कर लेटी हुई थी। कुछ देर उसे ताकता रहा और फिर उसको अपने आगोश मे लेकर
बोला… इसका मतलब तो यह हुआ कि तुम्हें भी मैने झूठ बोला है। मेरे सीने मे अपना चेहरा
छिपा कर वह धीरे से बोली… ऐसी बात नहीं है। यह भी सच है कि आपकी पिछली जिंदगी के बारे
मे बहुत सी बातें मै नहीं जानती। इसीलिये मै अपने नजरिये को आप पर लादना नहीं चाहती।
उसके बालों को धीरे से सहलाते हुए बोला… एक बात तो बता दो कि अगर अजीत सर ने पूछा कि
मैने यहाँ बैठे कैसे ब्रिगेडियर चीमा का पता लगा लिया तो उसका जवाब क्या दूँगा? मैने
महसूस किया कि मेरी बात सुन कर वह भी सतर्क हो गयी थी। कुछ पल रुक कर वह बोली… बस इतना
बता दिजियेगा कि कश्मीर मे अपने पुराने नेटवर्क से संपर्क स्थापित करके यह जानकारी
मिली थी। …अब तुम ही मुझे झूठ बोलने के लिये कह रही हो। उसने कुछ नहीं कहा बस मुझे
अपनी बाँहों मे जकड़ कर वह लेटी रही थी। कुछ ही देर मे हम सपनों की दुनिया मे खो गये
थे।
…उठिये चाय पी लीजीये। मै चाय पीने बैठ गया
था। अंजली अपने काम मे व्यस्त हो गयी थी। मै चाय पीते हुए काठमांडू के बारे मे सोच
रहा था कि अंजली ने कमरे मे प्रवेश करते हुए कहा… आप जरा उन दोनो को संभालिये। मै उठ
कर दूसरे कमरे मे चला गया था। मेनका उस शिशु के पास बैठ कर बतिया रही थी। वह अपने हवा
मे हाथ पैर चलाते हुए किलकारी मार रहा था। मै उनके पास बैठते हुए मेनका से कहा… यह
क्या बोल रहा है? …मेरी बात सुन कर वह खुश हो रहा है। …यह कौन है? मेनका ने अचरज से
मेरी ओर देख कर कहा… अब्बू आप इसे नहीं पहचानते। यह मेरा छोटा भाई है। मैने जल्दी से
अपनी बात बदलते हुए कहा… मेरा मतलब है कि इसका नाम क्या है? …अब्बू मैने इसका नाम केन
रखा है। मैने चकरा कर उसकी ओर देख कर पूछा… केन…यह कैसा नाम है? तभी अंजली ने कमरे
मे प्रवेश करते हुए कहा… मेनका की बार्बी डाल के बोय फ्रेन्ड का नाम केन है। क्यों
मेनका? मेनका ने जल्दी से कहा… अम्मी क्या यह नाम अच्छा नहीं है? …बहुत अच्छा नाम है।
मैने जल्दी से दोनो की बात को काटते हुए कहा… नहीं मै इसको रवि के नाम से बुलाऊँगा।
एक साथ दोनो बोली… क्यों? …इसलिये कि…अचानक एक बार फिर से मेरा दिमाग एकाएक ब्लैंक
हो गया था। मेरे चेहरे के भाव तुरन्त पढ़ कर अंजली बोली… मेनका जल्दी से फ्रिज से पानी
की बोतल निकाल कर लाना और इतना बोल कर उसने मेरा चेहरा अपने सीने मे छिपा कर बालो को
सहलाते हुए धीमे स्वर मे बोली… सब ठीक हो जाएगा। आप अपने आपको संभालिये। उसकी आवाज
सुन कर अगले ही पल मेरा दिमाग शान्त होने लगा।
मैने अपने आपको धीरे से अंजली से अलग किया
और पानी की बोतल लिये खड़ी मेनका की ओर देखा तो वह डरी हुई लग रही थी। मैने मुस्कुरा
कर उसके हाथ से बोतल लेते हुए कहा… मै भी इसे केन के नाम से ही बुलाऊँगा। अब तो खुश
हो। मेनका के चेहरे पर एक मुस्कान तैर गयी थी। मै जल्दी से पानी पिया और फिर मेनका
को उठा कर अपने साथ बिठाते हुए कहा… इस केन के लिये बार्बी तुम्हें ढूँढनी पड़ेगी। मेरी
बात सुन कर वह शर्मा कर बोली… अब्बू यह तो अभी बहुत छोटा है। …कोई बात नहीं लेकिन अबसे
केन का ख्याल तुमको रखना पड़ेगा। देर रात को खाना खाने के पश्चात मै अपने कमरे मे लेट
कर रवि नाम के बारे मे सोच रहा था कि तभी अंजली मेरे साथ लेटते हुए बोली… आप अपने दिमाग
पर ज्यादा जोर मत डालिये। मैने उसकी ओर देखा तो वह मुस्कुरा कर बोली… मै जानती हूँ
कि आप उस नाम के बारे मे सोच रहे है। …वह दोनो सो गये? …हाँ। उनको सुला कर आ रही हूँ।
उसकी ओर करवट लेकर बोला… तुम बहुत खतरनाक साबित हो रही हो क्योंकि अब तुम मेरा दिमाग
भी पढ़ने लगी हो। वह मुस्कुरा कर बोली… इसमे मुझे कोई शक नहीं है। मै आपसे ज्यादा खतरनाक
हूँ। वह मेरे सीने पर सिर रख कर बोली… काठमांडू कब चलने की सोच रहे है? …जल्दी से जल्दी
यहाँ से जाना चाहता हूँ। कल चले? …इतनी जल्दी नहीं। इसी के साथ हमारी छेड़छाड़ आरंभ हो
गयी थी। कुछ देर के बाद हम अपनी तेज चलती हुई साँसों को सयंत करने की कोशिश कर रहे
थे। तभी डोर बेल की आवाज ने रात की शांति भंग कर दी थी। हम दोनो चौंक कर उठ कर बैठ
गये। हम जब तक अपने कपड़े पहन कर कमरे से बाहर निकले तब तक दो बार घंटी और बज गयी थी।
न जाने कहाँ से अंजली ने एक पिस्तौल निकाली
और मेरी ओर बढ़ाते हुए बोली… आप मुझे कवर किजिये। मै दरवाजे पर देखती हूँ कि कौन है।
पिस्तौल मेरे हाथ मे आते ही मेरा हाथ कांपने लगा जिसके कारण वह मेरे हाथ से छूट कर
जमीन पर गिर गयी थी। मैने जल्दी से पिस्तौल उठा कर उसके हाथ मे जबरदस्ती रखते हुए कहा…
मुझे कवर करो। मै देखता हूँ कि कौन है। इतना बोल कर मै दरवाजे की ओर बढ़ गया था। दरवाजा
खोलने से पहले मैने एक बार मुड़ कर अंजली की ओर देख कर दरवाजे को खोल दिया। अंधेरे मे
से दो साये निकल कर मेरे सामने आकर खड़े हो गये थे। उनको देखते ही मेरे अन्दर का सैनिक
तुरन्त हरकत मे आ गया और मुस्तैदी के साथ सैल्युट करके सावधान खड़ा होकर बोला… सर, इतनी
रात को आप यहाँ पर कैसे आ गये? अजीत सर ने मुस्कुरा कर कहा… समीर तुम बिना बताये अस्पताल
छोड़ कर यहाँ क्यों आ गये। उनके साथ खड़े वीके ने जल्दी से कहा… मुझे पहचानते हो मेजर?
मैने जल्दी से झेंपते हुए कहा… सर, आप कैसी बात कर रहे है। मै आपको क्यों नहीं पहचानूँगा।
…तो मेरा नाम बताओ। …सेवानिवृत लेफ्टीनेन्ट जनरल वी के नरसिंहमन। …और मै कौन हूँ। तभी
पीछे से जनरल रंधावा निकल कर सामने आकर बोले तो एक बार फिर से झेंपते हुए मैने कहा…
सर, प्लीज मुझ शर्मिन्दा मत किजिये मै आप तीनो को पहचानता हूँ। आईये अन्दर चलिये। तीनो
मेरे साथ अन्दर आ गये थे। तभी पर्दे के पीछे से अंजली निकल कर हमारे सामने आकर नमस्ते
करके मेरे साथ खड़ी हो गयी थी।
सोफे पर बैठते हुए जनरल रंधावा ने शिकायती
स्वर मे पूछा… पुत्तर हमे बिना बताये तुम इसे अपने साथ लेकर अस्पताल से क्यों चली गयी
थी? अंजली सिर झुकाये चुपचाप खड़ी रही तो अजीत सर ने जल्दी से कहा… सरदार, उस बेचारी
को क्यों दोष दे रहे हो। बैठ जाओ अंजली इनकी बातों पर ध्यान मत दो। हम दोनो उनके सामने
बैठ गये थे। तीनो बड़े ध्यान से मेरी ओर देख रहे थे। मैने पूछा… सर, ब्रिगेडियर चीमा
ठीक तो है? …सौरी समीर। ब्रिगेडियर चीमा अभी भी कोमा मे है। उनके बचने की कोई उम्मीद
नहीं दिख रही है। कमांड अस्पताल के डाक्टर ने उन्हें ब्रेन डेड बता दिया है। इसी कारण
देर रात को तुम्हें जगाना पड़ा है। मै चुपचाप उनकी ओर देख रहा था। अचानक जनरल रंधावा
ने पूछा… समीर, उसका पता तुम्हें किसने बताया? सीधा सवाल मुझसे था। तीनो मेरी ओर देख
रहे थे तो मै झूठ बोलने की स्थिति मे भी नहीं था। मैने एक नजर अंजली पर डाली और फिर
धीरे से जवाब दिया… सर, ब्रिगेडियर चीमा का पता मुझे ने अंजली ने बताया था। तीनो की
निगाहें अंजली पर टिक गयी थी। …अंजली क्या तुम बता सकती हो कि तुमने उसका पता कैसे
लगाया था? अंजली कुछ पल चुप रही और फिर एक बार मेरी ओर देख कर उनसे बोली… सर, मेरी बाजी
ने बताया था। वीके ने पूछा… तुम्हारी कौनसी बाजी ने युसुफजयी का पता दिया था? अचानक
इस सवाल को सुन कर मै भी एक पल के लिये चकरा गया था। अबकी बार अंजली ने बड़ी दृड़ता से
कहा… मै आपको नाम नहीं बता सकती। तीनो ने प्रश्नवाचक दृष्टि मुझ पर डाली तो मैने जल्दी
से कहा… यह नीलोफर की बात कर रही है।
तीनो कुछ देर चुपचाप बैठे रहे फिर अजीत सर
बोले… समीर, हमे जल्दी से जल्दी ब्रिगेडियर
चीमा का रिप्लेसमेन्ट देना है। क्या तुम ड्युटी जोइन करने मे सक्षम हो? मै कोई जवाब
देता उससे पहले वीके ने कहा… अबकी बार ड्युटी जोइन करने से पहले हम तुम्हें कुछ दिनो
के लिये स्पेशल फोर्सेज की ट्रेनिंग मे भेजना चाहते है। हम तुम्हारी शारिरिक और मानसिक
स्थिति का आंकलन करना चाहते है। अभी तक मेजर हया का कुछ पता नहीं चला है। हमे शक है
कि ब्रिगेडियर चीमा के अपहरण के पीछे उसका हाथ है। वह ऐसे कामो को पहले भी जम्मू और
कश्मीर के अलग-अलग हिस्सों मे बहुत बार अंजाम दे चुकी है। अंजली सिर झुकाये बैठी रही
परन्तु उसकी पकड़ मेरे हाथ पर एक पल के लिये कस गयी थी। …पुत्तर, मेरी सलाह है कि तुम
जल्दी से जल्दी मानेसर चले जाओ। इस मेजर हया ने हमारे सुरक्षा तंत्र और कश्मीर की व्यवस्था
को पहले भी बहुत नुकसान पहुँचाया है। अब पता नहीं वह कौनसी नयी योजना को कार्यान्वित
करने जा रही है। …जी सर। मै कल ही मानेसर मे रिपोर्ट कर दूँगा। अंजली जो अभी तक सिर
झुकाये बैठी हुई थी वह अचानक बेहद दृड़ स्वर मे बोली… आप कहीं नहीं जा रहे है। अगर आप
जबरदस्ती जाएँगें तो मै भी आपके साथ जाऊँगी। अचानक तीनो सकते मे आ गये थे। हम चारों
काफी देर तक उसे समझाते रहे लेकिन स्त्री हट के आगे तो भला किसका बस चलता है। रात के
तीन बज गये थे लेकिन कोई भी अंजली को समझा नहीं सका था। वह तीनो उसको स्पेशल फोर्सेज
की सैन्य ट्रेनिंग की परिश्रम और मुश्किलों के प्रति आगाह करने मे जुटे हुए थे।
अचानक वह गुस्से मे तमतमा कर उठते हुए बोली…
मै आप तीनो को चुनौती दे रही हूँ कि आपका मेजर समीर मुझसे किसी भी हालत मे बेहतर साबित
नहीं हो सकता। मैने चौंक कर उसकी ओर देखा तो वह उन तीनो को देख रही थी। वह फिर बोली…
आप एक बार किसी और को मुझसे बेहतर साबित करके दिखा दिजिये तो मै दोनो बच्चों को लेकर
वापिस काठमांडू चली जाऊँगी। इतना बोल कर वह चुप हो गयी और अन्दर जाते हुए बोली… आप
मेरे बिना कहीं नहीं जा रहे है। हम चारों चुपचाप एक दूसरे को देख रहे थे परन्तु कोई
भी कुछ बोलने की स्थिति मे नहीं था। कुछ देर के बाद अजीत सर बोले… समीर, अपने ब्लू
प्रिन्ट पर काम करना शुरु कर दो क्योंकि अब तुम्हें सीमा पार करके वहां पर हक डाक्ट्रीन
को कार्यान्वित करना है। ब्रिगेडियर चीमा के अपहरण का जवाब देना पड़ेगा जिससे जनरल फैज
या उसके पालतू दोबारा ऐसा दुस्साहस दिखाने की कोशिश न कर सकें। …सर, मेरे ब्लू प्रिंट
मे पैसा एक मुख्य धुरी है। फारुख से जब्त किया हुआ पैसा अभी तक मेरे गोदाम मे रखा हुआ
है। मै एक स्लश फन्ड बनाने की सोच रहा हूँ। इसमे मुझे आपकी मदद चाहिये। वीके कुछ देर
सोचने के बाद बोले… काठमांडू पहुँच कर एसबीआई की नयी बानेश्वर की शाखा के मैनेजर हरिओम
थापा से मिल लेना। वह हमारा आदमी है। कल सुबह उसको निर्देश मिल जाएँगें। जनरल रंधावा
ने पूछा… काठमांडू कब जा रहे हो? …सर, मै कल काठमांडू के लिये निकल जाता हूँ। …यही
ठीक रहेगा।
तभी वीके ने कहा… क्या अंजली इसके लिये तैयार
हो जाएगी? मै कुछ बोलता उससे पहले जनरल रंधावा बोले… इसमे तकलीफ क्या है। उसको भी इसके
साथ ट्रेनिंग करने दो। पहले दिन ही वह तौबा करके शांत होकर बैठ जाएगी। मैने जल्दी से
कहा… सर, आप क्या कह रहे है। वह वैसे ही बच्चों और कारोबार का भार अकेली संभाल रही
है। अजीत सर बोले… समीर, सरदार ठीक बोल रहा है। वह कोई आसान ट्रेनिंग नहीं है। तुम
स्पेशल फोर्सेज की स्पेशल अस्साल्ट आप्रेशन टीम के साथ ट्रेनिंग करोगे तो मुझे नहीं
लगता कि अंजली वहाँ एक घंटे से ज्यादा भी टिक पाएगी। अगर वह अपने आप इस जिद्द को छोड़
देगी तो सबके लिये बेहतर होगा। उसे भी पता चलना चाहिये कि काली डंगरी पहने हुए जब एक
सैनिक से सामना होता है तो उसके पीछे कितनी कड़ी मेहनत होती है। एकाएक तीनो उठ कर खड़े
हो गये थे। मै समझ गया था कि अब उन्होंने निर्णय ले लिया था। उनको विदा करके मै वापिस
सोफे पर बैठ गया था। मुझे कुछ भी समझ मे नहीं आ रहा था।
बेडरुम का पर्दा हटा
कर जैसे ही मैने अन्दर प्रवेश किया तभी अंजली की आवाज कान मे पड़ी… वह तीनो चले गये?
मै दबे पाँव उसके करीब पहुँच कर उसके साथ लेटते हुए धीरे से बोला… तुम्हें आज क्या
हो गया जो जिद्द पर अड़ गयी। वह कुछ नहीं बोली तो धीरे से उसे अपने निकट खींचते हुए
मैने कहा… झाँसी की रानी मै तो पहले ही तुम्हारे आगे हार मान चुका तो उनको चुनौती देने
की जरुरत क्या थी। बेचारे तीनो को समझ मे नहीं आ रहा था कि वह क्या बोलें। मेरी ओर
करवट लेकर मेरी आँखों मे झाँकते हुए बोली… वह आपको ब्रिगेडियर चीमा के रिप्लेसमेन्ट
बना कर कश्मीर भेजना चाहते है। मै आपको वहाँ अकेला नहीं जाने दे सकती। आपने खुद अनुभव
कर लिया कि इस वक्त आप पिस्तौल चलाने के बजाय उठाने की भी स्थिति मे नहीं है। तो बताईये
कैसे आप उनके साथ ट्रेनिंग कर सकेंगें? मै आपको ऐसी हालत मे तो हर्गिज जाने नहीं दूँगी।
मै उसे कैसे बताता कि वह मुझे सीमा पार भेजने की योजना बना रहे है।
अगले दिन हम सब काठमांडू
जा रहे थे। कैप्टेन यादव को मैने चलने से पहले अपने पहुँचने की खबर कर दी थी। चार महीने
के अंतराल के बाद मै काठमांडू जा रहा था। एयरपोर्ट पर कैप्टेन यादव हमारा इंतजार कर
रहा था। …कैप्टेन तुम्हारी टीम के क्या हाल है? कैप्टेन यादव बड़ी गर्मजोशी से स्वागत
करते हुए बोला… सर, माँ काली का आशिर्वाद है। इतने दिनो से आपकी सभी राह देख रहे थे।
कुछ ही देर मे हमे घर पर उतार कर वह और थापा गोदाम की दिशा मे निकल गया था। दरवाजे
पर पहुँच कर डोरबेल दबायी तो घंटी की कर्कश आवाज गूंज गयी थी। दरवाजा खुलते ही कविता
हमे देख कर खुशी से चिल्लायी… दीदी। वह अंजली से लिपट कर रोने लगी। अम्मा भी रसोई से
बाहर निकल आयी थी। मेनका दौड़ कर अम्मा से जाकर लिपट गयी थी। एकाएक घर मे कोहराम सा
मच गया था। अम्माजी और कविता एक किनारे मे खड़ी हँस रही थी। कुछ देर के बाद जब सब कुछ
शांत हो गया तो अंजली ने कहा… अम्माजी, सबको खाना खिला दिजीये। भूख लग रही है। रात
को जब बेड पर लेटा तो बहुत दिनों के बाद मुझे सुकून का एहसास हो रहा था।
अगले दिन की शुरुआत
अपने बैंक जाकर करी थी। अपना निजि अकाउन्ट चेक किया तो उसमे आठ करोड़ के करीब थे। मैने
पाँच करोड़ रुपये नीलोफर के अकाउन्ट मे ट्रांस्फर करवाये और उसके बाद गोल्डन इम्पेक्स
के अकाउन्ट पर नजर डाल कर मै बैंक से बाहर निकल आया था। मेरे अपने अकाउन्ट मे अभी भी
तीन करोड़ के करीब की रकम बची हुई थी। गोल्डन इम्पेक्स के अकाउन्ट मे कुल जमा राशि लगभग
सवा करोड़ थी। वहीं से मैने अंजली से फोन लगा कर पूछा… तुम कंपनी की तनख्वाह व अन्य
अतिरिक्त खर्चे कौनसे अकाउन्ट से करती हो? …कंपनी के सारे खर्चे कंपनी के अकाउन्ट से
किये जाते है। …और तुम्हारे अकाउन्ट का क्या हाल है? …लगभग सत्तर लाख के करीब होंगें।
आपने ही तो पचास लाख जमा किये थे। बाकी हर महीने हमारा अकाउन्टेन्ट कमीशन के बचे हुए
मुनाफे को मेरे खाते मे जमा कर देता है। आप यह सब क्यों पूछ रहे है? …कोई खास कारण
नहीं है। मुझे कुछ पैसे दिल्ली मे ट्रांस्फर करने थे। इतनी बात करके मैने फोन काट दिया
और गोदाम की ओर निकल गया।
गोदाम पहुँच कर सबसे
पहले मैने अपने आयुध मालखाने का निरीक्षण किया था। अभी भी हमारे मालखाने मे काफी हथियार
उपलब्ध थे। सेम्टेक्स का ड्रम भी लगभग पूरा भरा हुआ था। कैप्टेन यादव ने सारा सामान
दिखाते हुए पूछा… सर, उनसे जब्त किये हथियार भी यहीं रख दिये है। अब इतने सारे हथियारों
का क्या करना है? …कैप्टेन, अभी इन्हें यहीं रहने दो लेकिन उचित समय देख कर आधे हथियार
नये गोदाम मे रखवा देना। …सर, इन ट्रंकों का क्या करना है। हथियारों से ज्यादा मुझे
खतरा इन ट्रकों से था। इसमे फारुख और नीलोफर से जब्त की हुई विदेशी करेंसी रखी है।
यहाँ के हालात भी खराब होते जा रहे है। …कैप्टेन यादव किसी सैनिक को यहाँ बैठा कर सभी
हथियारों की लिस्ट तैयार करवाओ तब तक इन ट्रंको को ठिकाने लगाने के बारे मे दिल्ली
से बात करता हूँ। इतना बोल कर मै वहाँ से निकल कर संपर्क केन्द्र की ओर चला गया था।
सबसे पहले मैने जनरल रंधावा से संपर्क किया। …सर एक दिन के लिये मुझे आपके एक्स्पर्ट
की यहाँ जरुरत है। …क्या हुआ? …सर, आफिस के संचार सेटअप को डिस्मेन्टल करना है। अब
उसकी वहाँ कोई जरुरत नहीं है। …ठीक है और कुछ? …सर, तंजीमो से जब्त किये हुए हथियार
और बारुद की संख्या काफी हो गयी है। इन्हें यहाँ रखना भी खतरे से खाली नहीं है। इसके
लिये हमे क्या करना चाहिये? …समीर, हमारी लड़ाई अभी समाप्त नहीं हुई है। बस दुश्मन बदल
गया है। फिलहाल उन हथियारों को किसी सुरक्षित स्थान पर रखवा दो। …जी सर। इसी के साथ
जनरल रंधावा ने लाइन काट दी थी।
…कुशाल सिंह अब अजीत
सर से बात कराओ। अगले दो मिनट मे अजीत सर स्क्रीन पर आ गये थे। …समीर, आजकल वहाँ के
हालात कैसे है? …सर, यहाँ की स्थिति बिगड़ती जा रही है। क्या आप वीके से पूछ कर बता
सकते है कि मै कब उस मैनेजर से मिल सकता हूँ? …ठहरो। उन्होंने फोन पर बात करके कहा…
उसे निर्देश मिल गये है। तुम उससे अब कभी भी मिल सकते हो। इतनी बात करके मैने फोन काट
कर संपर्क केन्द्र से बाहर निकलने लगा तभी कुशाल सिंह बोला… साबजी उस सेन्टर को तो
हम भी आसानी से डिस्मेन्टल कर सकते है। …ठीक है। मै कैप्टेन यादव से बात कर लेता हूँ।
इतना बोल कर मै संपर्क केन्द्र से बाहर निकल आया था। कैप्टेन यादव को कुशाल सिंह को
रिलीव करके आफिस भेजने के लिये कह कर मै एसबीआई की बानेश्वर ब्रांच की दिशा मे चल दिया।
एसबीआई का ब्रांच
मैनेजर हरिओम थापा मुझे बाहर ही मिल गया था। वह सिक्युरिटी के गार्ड्स को कुछ निर्देश
दे रहा था। दरवाजे पर तैनात गार्ड ने थापा की ओर इशारा करके मुझे बता दिया था। मैने
जैसे ही अपना नाम समीर कौल बताया तो उसने तुरन्त पूछा… कौल साहब दो दिन पहले मुझे हेड
आफिस ने आपके आने का प्रयोजन बता दिया था। कितना कैश होगा? …मुझे पता नहीं परन्तु काफी
है। …कौल साहब आप अब कैश मंगवाने से पहले आप अपना एक अकाउन्ट हमारी ब्रांच मे खुलवा
लिजिये। मैने सारी कागजी कार्यवाही पूरी करके समीर कौल के नाम से अपना अकाउन्ट खुलवा
कर थापा की ओर देखा तो वह बोला… अब आप कैश मंगवा लिजिये। मैने कैप्टेन यादव को फोन
मिला कर कहा… कैप्टेन सारे करेन्सी के ट्रकों को कंटेनर ट्रक मे रख कर एसबीआई की नये
बानेश्वर ब्रांच पर आ जाईये। एक आर्म्ड गार्ड युनिट को उस ट्रक की सुरक्षा पर लगा देना।
नो एनगेजम्न्ट बट शूट टु किल टु प्रोटेक्ट द ट्रक। …यस सर। अपने निर्देश देकर मै उनके
इंतजार मे बैठ गया था। हरिओम थापा अपने काम मे व्यस्त हो गया था।
आधे घंटे के बाद कंटेनर
ट्रक बैंक पर पहुँच गया था। ट्रक के पहुँचते ही हरिओम थापा को कंटेनर का सामान दिखाने
के लिये मै उसके आफिस की ओर चल दिया। थापा अपने कुछ अधिकारियों के साथ बातचीत मे उलझा
हुआ था। मुझे देखते ही उसने पूछा… कैश आ गया? …जी, आप एक बार चल कर देख लिजिये। वह
मेरे साथ बाहर आ गया था। मैने कैप्टेन यादव को इशारा किया तो उसने एक-एक करके सारे
ट्रंक और अटैची खोल कर दिखा कर पूछा… मैनेजर साहब, इसको कहाँ रखवाना है? इतना सारा
कैश देख कर थापा तो पथरा गया था। वह हकलाते हुए बोला… कौल साहब यह क्या है? …विदेशी
करेंसी है। …नहीं मेरा मतलब यह नहीं था। इसको गिनने मे तो रात हो जाएगी। इतनी काउन्टिंग
मशीने हमारे पास नहीं है। …मैनेजर साहब अब यह आपकी जिम्मेदारी है। हरिओम थापा की पेशानी
पर पसीना चमक रहा था। …क्या हुआ मैनेजर साहब? …कौल साहब मै इतनी सारी विदेशी करेंसी
को क्या कह कर नेपाल रिजर्व बैंक को दिखा सकता हूँ। …अगर कोई परेशानी है तो क्या मै
आपकी दिल्ली बात कराऊँ? अबकी बार वह जल्दी से बोला… नहीं कौल साहब। आप अपने साथियों
से यह सारे ट्रंक और अटैची हमारे स्ट्रांग रुम मे रखवा दिजिये। मै सारी मशीनो को काउन्टिंग
पर लगवा देता हूँ परन्तु इतनी नगद विदेशी करेंसी जमा करने के कारण इसकी जानकारी मुझे
नेपाल रिजर्व बैंक को देना अनिवार्य है। …मैनेजर साहब, मै इस अकाउन्ट को नेपाल सरकार
की नजर से दूर रखना चाहता हूँ। …सर, यह नामुम्किन है।
अपने स्लश फंड को
सरकारों की नजरों से दूर रखना मेरी प्राथमिकता थी। कुछ सोच कर मैने पूछा… आप कब तक
इसकी जानकारी को अपने पास रोक सकते है? …अड़तालीस घंटे। …थापा साहब, अगर यह सारा पैसा
अड़तालीस घन्टे से पहले इस अकाउन्ट से निकल कर किसी दूसरे बैंक मे ट्रांस्फर हो जाता
है तो उस हालात मे क्या आपको नेपाल रिजर्व बैंक को जानकारी देना अनिवार्य होगा? …हाँ,
परन्तु अगर यह अकाउन्ट ही बन्द हो गया तो फिर यह हमारी जिम्मेदारी नहीं है। मैने जल्दी
से कहा… आप गिनवाना आरंभ किजिये। मै कुछ देर मे वापिस आ रहा हूँ। मेरा इशारा मिलते
ही कैप्टेन यादव ने अपने साथियों को निर्देश देना आरंभ कर दिया था। चार सैनिक सुरक्षा
मे पोजीशन लेकर खड़े हो गये थे। बाकी सैनिक ट्रंक उठा कर थापा के साथ चल दिये थे। मुश्किल
से बीस मिनट मे दस ट्रंक और दो अटैची स्ट्रांग मे रखवा दिये गये थे। चार काउन्टिंग
मशीने और आठ बैंक के कर्मचारी तुरन्त काम पर लग गये थे। मै उन्हें वहीं छोड़ कर निकल
गया था।
सभी प्रकार की करेंसी
के नोट गिनवाने मे देर रात हो गयी थी। नोट गिनने मे लगे हुए कुछ बैंक के कर्मचारियों
को छोड़ कर बाकी सब जा चुके थे। सारी करेंसी का विवरण और पावती रसीद लेकर मैने कहा…
थापा साहब, इस अकाउन्ट का सारा पैसा कल सुबह अमेरिकन एक्सप्रेस बैंक मे इस अकाउन्ट
मे ट्रांसफर करके आप मेरा अकाउन्ट क्लोज कर दिजियेगा। इतना बोल कर मैने एक पर्ची उसकी
ओर बढ़ा दी थी। उसने पर्ची पर एक नजर डाल मुझसे कहा… कल सुबह सारा पैसा ट्रांस्फर हो
जाएगा। आप कागजी कार्यवाही पूरी कर दिजिये। सारी कागजी कार्यवाही पूरी करने के पश्चात
हम वापिस गोदाम की ओर चल दिये थे। हमारे सिर का भार हटते ही सभी प्रसन्न दिख रहे थे।
…सर, ऐसा ही कुछ आप हथियारों का भी प्रबन्ध करवा दिजियेगा जिससे हम आराम से कंपनी का
काम कर सकें। …कैप्टेन, अब जल्दी ही उसका भी प्रबन्ध हो जाएगा। बस इतनी बात करके हमारा
काफिला वहाँ से चल दिया था।
देर रात को अंजली
के साथ लेटते हुए मैने कहा… आज मेरा यहाँ का सारा काम समाप्त हो गया है। कल मै वापिस
जाने की सोच रहा हूँ। तभी अंजली मुझसे लिपटते हुए बोली… जनरल रंधावा ने बताया है कि
अगले हफ्ते सोमवार को मानेसर मे सुबह नौ बजे रिपोर्ट करना है। यह सुन कर
मै उठ कर बैठ गया और उसकी नीली आँखों झाँकते हुए कहा… क्या सच मे तुम मेरे साथ वापिस चलोगी?
वह कुछ नहीं बोली तो मैने पूछा… क्या सोच रही हो? …मै मीरवायज हूँ। मै आईएसआई की सेवा
से बर्खास्त अधिकारी हूँ। यह दोनो दाग अपने माथे पर लिये मै आपके साथ रह रही हूँ। क्या
यह कम गुनाह है? मै अभी भी उसकी ओर देख रहा था। मैने मुस्कुरा कर कहा… एक गुनाह तुम
भूल गयी कि तुम एक काफ़िर की बीवी और उसकी औलाद को जन्म देने वाली माँ भी हो। उसकी आँखें
एक पल के लिये झिलमिला गयी थी। उसके बालों को सहलाते हुए मैने कहा… बानो अपने मन की
बात मुझसे नहीं कह सकती तो फिर किससे कहोगी। इसमे हम दोनो बराबर के गुनाहगार है। मैने
भी तो अपने लोगों से तुम्हारी सच्चायी छिपायी हुई है। मै भी तो दोषी हूँ। वह चुपचाप
मेरी बात सुन रही थी अचानक वह उठ कर बैठ कर बोली… इसी बात से डरती हूँ। जब सच सब के
सामने आयेगा तब आपको भी उसका परिणाम भुगतना पड़ेगा। …मेरी जान अब जो होगा देखा जाएगा
लेकिन एक बात का हमेशा ख्याल रखना कि अब तुम अकेली नहीं हो। इतना बोल कर उसके सारे
सवालों पर पूर्णविराम लगा कर उसको अपनी बाँहों जकड़ कर लेट गया था।