गहरी चाल-46
अपने आफिस से गुड़गाँवा
की ओर निकलने मे मुझे देर हो गयी थी। नीलोफर मेरा इंतजार अपने फ्लैट मे कर रही थी।
मुझे देखते ही वह झपट कर मेरी ओर आयी और मुझे अपनी बाँहों मे जकड़ कर बोली… तुम ठीक
हो? अपने आपको उससे अलग करते हुए मैने पूछा… तुम्हारा दुश्मन तो समाप्त हो गया तो यहाँ
पर किस लिये छिप कर बैठी हो? मेरी बात को अनसुना करके वह रुआँसी आवाज मे बोली… उस दिन
तुम्हें जमीन पर गिरते देख कर मेरी जान ही निकल गयी थी। मैने आफशाँ को पकड़ने की बहुत
कोशिश की परन्तु वह हाथ छुड़ा कर तुम्हारे पीछे चली गयी। मैने उसको अपने साथ सोफे पर
बिठाते हुए धीरे से कहा… नीलोफर, जो गया उसको बदला तो नहीं जा सकता लेकिन अगर तुम पहले
ही मुझे उसके बारे मे बता देती तो उसका ऐसा अन्त नहीं होता। अब तुम बताओ कि मुझे किस
लिये बुलाया है। …समीर, लश्कर से खबर मिली है कि पीरजादा कुछ बड़ा करने की साजिश रच
रहा है। मुझे तुम्हारी और हया की चिन्ता सता रही है। मैने घुर्रा कर कहा… यह समझ लो
कि हया मर चुकी है। मेरे साथ जो रह रही है वह अंजली है। अगर अगली बार हया का नाम तुम्हारी
जुबान पर आया तो वह तुम्हारा आखिरी दिन होगा। वह कुछ नहीं बोली तो मैने पूछा… पीरजादा
क्या करने की सोच रहा है? …पता नहीं। कुछ सोच कर मैने कहा… आज ही खबर मिली है कि पीरजादा
मीरवायज ने कश्मीर मे जैश के द्वारा ब्रिगेडियर चीमा का अपहरण करवाया है। क्या अपने
नेटवर्क से उनके बारे मे पता करवा सकती हो? वह कुछ सोच कर बोली… कोशिश कर सकती हूँ।
…अगर तुम ब्रिगेडियर चीमा का पता बता दोगी तो तुम्हारे एक ट्रक माल का पैसा अगले ही
दिन तुम्हारे अकाउन्ट मे होगा। उसने मेरी ओर शक भरी नजरों से देखा तो मैने जल्दी से
कहा… तुम्हारी कसम। अगले ही दिन सारा पैसा तुम्हारे अकाउन्ट मे होगा।
मेरे सामने उसने किसी
को फोन लगा कर बात करने पश्चात कहा… पता लगाओ कि उन्होने ब्रिगेडियर चीमा को कहाँ रखा
है? बस इतना बोल कर उसने फोन काट दिया था। …किसको फोन किया? …क्या तुम अपने मुखबिर
के बारे मे मुझे कभी बताते हो? एक बार फिर से कमरे मे चुप्पी छा गयी थी। …नीलोफर, यह
सच है कि मैने तुम्हें दो बार धोखा दिया है। तुम्हें शिकायत करने का उतना ही हक है
जितना मुझे तुमसे शिकायत करने का हक है। …समीर, मेरा खुदा गवाह है कि मैने तुम्हें
धोखे तब दिये थे जब तक हमारे बीच मे वह पाक करार नहीं हुआ था। उसके बाद मैने सिर्फ
सच्चायी छिपाने का गुनाह किया था। अंजली की असलियत से मै भी वाकिफ नहीं थी। हया मेरी
हैंडलर थी तो मै उसे जानती थी परन्तु वह कब अंजली बन गयी इसकी मुझे कोई जानकारी नहीं
थी। तभी मेरी नजर अपनी घड़ी पर पड़ी तो मैने जल्दी से कहा… काफी देर हो गयी है मुझे चलना
चाहिये। वह जल्दी से बोली… तुम आज यहीं रुक जाओ। वैसे भी अकेली रहते हुए बोर हो गयी
हूँ। उसकी मंशा को भाँपते हुए मै अचकचा कर उठा…नहीं, मै अपने घर वापिस जा रहा हूँ।
इतना बोल कर मै चल दिया था। देर रात को जब आफशाँ के मकान मे दाखिल हुआ तब तक एक बज
गया था।
सुबह अपने समय से
उठा और हमेशा की तरह चाय का प्याला लिये लान मे आकर बैठ गया। आज मुझे बहुत से काम निपटाने
थे। आफशाँ की असामयिक मौत के कारण मेरा सारा घरबार चौपट हो गया था। कंपनी का दिया मकान
खाली करना था। गेट पर तैनात चौकीदार, घर मे काम करने वाले लोगों का हिसाब करना बाकी
था। उसके आफिस व बैंक के काम पूरे करने थे। अगले चार दिन मेरे इस काम मे निकल गये थे।
मैने कैप्टेन यादव से बात करके थापा को पहले दिन ही वापिस बुलवा लिया था। उसके आने
से मुझे घर और आफिस के सारे काम समेटने मे काफी मदद मिल गयी थी। आधा दिन अपने दफ्तर
मे बिता कर बाकी समय आफशाँ की गृहस्थी को समेटने मे लग गया था। अभी तक मैने आसिया और
अदा को मकबूल बट और आफशाँ की मौत की जानकारी नहीं दी थी। मन ही मन रोज सोचता लेकिन
हिम्मत ही नहीं हो रही थी। रोजाना नीलोफर से ब्रिगेडियर चीमा के बारे मे पूछ लिया करता
था। हर बार एक ही जवाब मिलता कि वह पता कर रहे है। सारी गृहस्थी समेटने के पश्चात मै
अकादमी के फ्लैट मे वापिस लौट आया था। एक बार फिर से वही रोजमर्रा की जिन्दगी आरम्भ
हो गयी थी।
अजीत सर के आफिस मे
तिगड़ी के सामने मै बैठा हुआ था। अजीत सर ने पूछा… समीर, अब उस लिस्ट के बारे मे क्या
करने की सोच रहे हो? मैने कहा… सर, मेरा ख्याल है कि इस काम के लिये हमे सुरक्षा एजेन्सी
का इस्तेमाल करना बेहतर विकल्प होगा। वीके ने जल्दी से कहा… नहीं। इसमे सुरक्षा एजेन्सी
का इस्तेमाल तभी बेहतर विकल्प होगा जब हमारे पास उनकी गद्दारी के सुबूत होगें। क्या
तुम्हारे पास चन्द्रमोहन के खिलाफ सुबूत है? सुरक्षा एजेन्सियों की जवाबदेही कोर्ट
के प्रति होती है। अगर साक्ष्य कमजोर हुए तो सुरक्षा एजेन्सियों के लिये नयी मुसीबत
खड़ी हो जाएगी। जनरल रंधावा ने हामी भरते हुए कहा… अजीत, इनकी सफाई जरुरी है। अजीत सर
ने कुछ सोच कर बोला… आप लोग अगर मेरी बात से सहमत है तो मेरा एक सुझाव है। उस लिस्ट
मे दिये गये सभी नामों की छटनी करके हमे पहले उन लोगों को चुनना चाहिये जिन्होंने आर्थिक
अपराध किया है। उन लोगों को साक्ष्य के साथ हमे सुरक्षा एजेन्सियों के हवाले कर देना
चाहिये। जो लोग समाज मे वैमन्स्य फैला रहे है उनके लिये अलग रणनीति होनी चाहिये। हर
मर्ज का इलाज अलग है। इतना बोल कर वह चुप हो गये थे। अभी तक मै चुपचाप उनकी बात सुन
रहा था। …क्यों समीर क्या तुम कुछ कहना चाहते हो? …जी सर। आपने ब्रिगेडियर चीमा के
लिये क्या सोचा है। जैश के दुस्साहस के लिये हमे एक मजबूत जवाबी कार्यवाही करने की
जरुरत है। अपने घर मे पलने वाली दीमक को हम कभी भी साफ कर सकते है परन्तु सीमा पार
बैठे हुए षड़यन्त्रकारियों को ठिकाने लगाना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिये। इतना बोल
कर मै चुप हो गया था।
वीके ने एक बार अजीत
सर की ओर देखा और फिर जनरल रंधावा की ओर देखते हुए बोले… मेजर, इसके बारे मे हमने कुछ
सोचा है। जब वक्त आयेगा तब उसका खुलासा करेंगें परन्तु फिलहाल तुम यहाँ की दीमक साफ
करने का ब्लू प्रिंट तैयार करो। मेरे प्रस्ताव को तिगड़ी ने सिरे से खारिज कर दिया था।
अबकी बार बोलते हुए मेरी आवाज दबी हुई कुंठा के कारण कठोर हो गयी थी। …सर, इस काम के
लिये मै अपनी रणनीति खुद तैयार करुँगा क्योंकि नीलोफर की लिस्ट के साथ, मेरे पास तीन
और लिस्ट है। एक अंसार रजा ने लिस्ट दी थी। दूसरी लिस्ट मैने जमात से ली है और तीसरी
लिस्ट मुझे ताहिर और फारुख से मिली है। एकाएक तीनो एक साथ बोले… नहीं समीर। जनरल रंधावा
जल्दी से बोले… पुत्तर, मै हमेशा स्थायी सफाई का पक्षधर रहा हूँ परन्तु इस काम के लिये
मै अजीत की रणनीति को बेहतर मानता हूँ। पुत्तर तुझे याद है कि तूने हसनाबाद मे कौनसी
रणनीति का इस्तेमाल किया था। बेग और रिजवी जैसे कट्टरपंथियों को भिड़ा कर तूने बड़ी सफाई
से दारुल-उलुम के सपने को ध्वस्त किया था। इसी रणनीति को पैना हथियार बनाने की इस बार
तेरी परीक्षा है। मैने अचरज से जनरल रंधावा की ओर देखा तो वह काफी संजीदा दिख रहे थे।
वीके ने कुछ पल गुजरने
के बाद कहा… मेजर, हम एक योजना पर काम कर रहे है। इस योजना मे तुम्हारी मुख्य भुमिका
होगी लेकिन उसके लिये तुम्हें मानसिक और शारीरिक तौर पर तैयार होना जरुरी है। यह ट्रेनिंग
ग्राऊन्ड है जहाँ तुम अपनी उसी रणनीति को इस्तेमाल करके उसे और भी ज्यादा प्रभावी बना
सकते हो। अजीत ने गरदन हिलाते हुए कहा… समीर, लिस्ट तुम्हारे पास है। अब तुम्हें सोचना
है कि उन लोगों की किस तरह सफाई की जा सकती है। अंसार रजा की लिस्ट मे दिये गये बहुत
से नामों की सफाई एनआईसी कर चुकी है। इसी प्रकार बाकी लोगों के लिये भी तुम्हें उसी
रणनीति पर काम करने के बारे मे सोचना चाहिये। कुछ देर तिगड़ी इस रणनीति पर चर्चा करती
रही थी। मीटिंग समाप्त करने से पहले अजीत सर बोले… समीर, यह तुम्हारी परीक्षा है। हम
इस बार कोई निर्देश नहीं देंगें परन्तु तुम्हारी कार्यविधि पर लगातार नजर रखेंगें।
बेस्ट आफ लक। इतनी बात करके सब खड़े हो गये थे। मै और जनरल रंधावा उन्हें वहीं छोड़ कर
अपने आफिस की दिशा मे चल दिये थे।
अपने आफिस मे पहुँच
कर जैसे ही मै बैठा कि तभी फोन की घंटी बज उठी थी। …हैलो। …आप वहाँ पहुँच कर मुझे भूल
गये। …नहीं पिछले चार दिन मै आफशाँ के कामों मे उलझ गया था। अब मै तुम्हारे फ्लैट मे
वापिस आ गया हूँ। तुम कैसी हो? …आज डाक्टर को दिखाने गयी थी। सब ठीक है तो आप बेफिक्र
रहिये। …अंजली, तुम्हारे अब्बा ने पहला हमला कर दिया है। ब्रिगेडियर चीमा को जैश अगुवा
करके सीमा पार ले जाने की फिराक मे है। वह कुछ पल चुप रही और फिर झिझकते हुए बोली…आप
कहें तो मै कुछ करुँ। …हर्गिज नहीं। अब तुम अंजली हो इसलिये अपने नेटवर्क से दूर रहना।
हमारी फौज इनसे डील करने मे पूर्णत: सक्षम है। इसीलिये मै तुम्हें बताना नहीं चाहता
था परन्तु फिर हमारे रिश्ते को ध्यान मे रख कर मैने तुम्हें बताया है कि सावधान रहना।
हल्का सा भी खतरे का आभास हो तो तुरन्त खबर करना। …आप बेफिक्र रहिये। मेनका का उस स्कूल
मे एडमिशन कर दिया है। वह हास्टल मे भर्ती हो गयी है। इस बार क्या आप यहाँ आ रहे है।
…अंजली, ब्रिगेडियर चीमा के मुझ पर बहुत एहसान है। इस बार मेरा वहाँ आना मुम्किन नहीं
होगा परन्तु वादा करता हूँ कि अगले जुमे की शाम मै तुम्हारे साथ बिताउँगा। कुछ देर
बात करने के बाद उसने फोन काट दिया था। मै सारी लिस्ट मेज पर फैला कर बैठ गया था। कुछ
देर लिस्ट मे दिये गये नामों का आंकलन करने के बाद एक चित्र मेरे जहन मे उभरा तो मैने
उन नामों को अलग-अलग करके एक नयी लिस्ट बनाने मे जुट गया था। इस काम को करते हुए मुझे
समय का पता ही नहीं चला था।
जब मै सारा काम समेट
कर चलने के लिये तैयार हुआ तब तक रात के आठ बज चुके थे। अपनी जीप की ओर जाते हुए मैने
एक नम्बर मिलाया और दूसरी ओर से जवाब मिलते ही पूछा… तुम अपने फ्लैट पर हो? …हाँ।
…मै कुछ देर मे वहीं पहुँच रहा हूँ। मेरा इंतजार करो। हम साथ डिनर करेंगें। इतना बोल
कर मैने फोन काट दिया था। थापा तब तक पार्किंग से जीप निकाल कर गेट पर पहुँच गया था।
जीप मे बैठेते ही मैने कहा… गुड़गाँव चलो। इतना बोल कर मै अपनी नयी रणनीति बनाने मे
व्यस्त हो गया था। गुड़गाँव पहुँचते ही थापा ने पूछा… साबजी कहाँ जाना है? मेरा ध्यान
टूट गया था। …मै रास्ता बता रहा हूँ। उसे रास्ता बताते हुए हम कुछ देर मे नीलोफर की
सोसाईटी के सामने पहुँच गये थे। मैने नीलोफर का नम्बर मिलाया और उसकी आवाज सुनते ही
मैने कहा… मै पहुँच गया हूँ। तुम नीचे आ जाओ। इतना बोल कर मैने थापा से कहा… गाड़ी मोड़
कर गेट के पास लगा लो।
कुछ देर के बाद नीलोफर
सोसाईटी के मुख्य द्वार की ओर बढ़ती हुई दिखायी दी तो एक पल के मेरी पलक झपकनी बन्द
हो गयी थी। वह अपने पुराने सौम्या कौल के परिधान मे थी। वह उसी गहरे नीले रंग की साड़ी
ब्लाउज मे थी। ललाट पर एक लाल बिंदी, कानों मे झुमके और गले मे एक महंगा जगमगाता हुआ
हार पड़ा हुआ था। उसका ब्लाउज आगे से इतना कटा हुआ था कि आधे से ज्यादा एक सीने की गोलाई
बाहर झाँक रही थी और दूसरे सीना पल्लू के पीछे छिपा हुआ था। उसकी साड़ी नाभि से नीचे
बंधी हुई थी। इसके कारण चलते हुए उसका सारा जिस्म थिरकते हुए प्रतीत हो रहा था। नीले
रंग मे उसका दूध सा गोरा रंग अलग से दमक रहा था। सब आने जाने वालों की नजरें उसके जिस्म
की गोलाईयों और उतार-चढ़ाव को नाप रही थी। गेट पर पहुँचते ही उसकी नजर मुझ पर पड़ गयी
थी। वह मेरे करीब पहुँच कर बोली… अब इस खटारा को छोड़ कर नयी गाड़ी ले लो। थापा मुँह
फाड़े नीलोफर को देख रहा था। …हैलो थापाजी, यहाँ कब आये? थापा जल्दी से जीप से उतर कर
मुस्तैदी से सैल्युट मार कर बोला… मेमसाहब, पहली नजर मे आपको पहचान नहीं सका। …अब सड़क
पर कब तक खड़ी रहोगी। चलो जल्दी से बैठो। मुझे भूख लग रही है। नीलोफर को बीच मे बिठाया
और हम वहाँ से चल दिये थे।
मैने दबी आवाज मे
कहा… इतना बनने संवरने की जरुरत नहीं थी। …क्यों? मैने बात बदलते हुए पूछा… डिनर के
लिये कहाँ चले? …वहीं चलते है जिस रेस्त्रां का उस दिन अंसार रजा ने उद्घाटन किया था।
आज वहाँ पर एक पार्टी है। मैने थापा को रेस्त्रां का पता बताया और हमारी जीप उस रेस्त्रां
की दिशा की ओर बढ़ गयी। कुछ ही देर मे उस रेस्त्रां के पोर्टिको मे जीप से उतरे तो मैने
उतरते हुए थापा से कहा… जीप पार्क करके तुम भी अन्दर आकर डिनर कर लेना। …जी साबजी।
हम दोनो उतर कर रेस्त्रां की ओर बढ़े तभी नीलोफर ने झपट कर मेरी कमर मे हाथ डाल कर सटते
हुए कहा… हम एक पार्टी मे आये है। मैने कुछ नहीं कहा परन्तु उसके सामीप्य से जरा असहज
हो गया था। अपनी झेंप मिटाने के लिये मैने कहा… आज तुम बिजलियाँ गिरा रही हो तो देखने
वाले मुझसे जलेंगें। वह मुस्कुरा कर बोली… आज से मैने अपनी जिन्दगी तुम्हारे नाम कर
दी है। जलने वालो को जलने दो। …एक ट्रक के पैसे तुम्हारे अकाउन्ट मे अभी ट्रांस्फर
नहीं हुए है। …कोई बात नहीं। तभी मेरी नजर एक युगल जोड़े पर पड़ी तो मै ठिठक कर रुक गया
था। सामने रेस्त्रां के एक हिस्से मे सेठी युगल कुछ लोग के साथ बैठ कर ड्रिंक्स ले
रहे थे। उनकी नजर हम पर अभी पड़ी नहीं थी। मैने जल्दी से अपने आप को अलग करते हुए कहा…
तुम्हें इनके यहाँ होने का पता था? …हाँ। मुझे चन्द्रमोहन ने इसी पार्टी के लिये बुलाया
था। मै तैयार हो रही थी जब तुम्हारा फोन आया था। तभी मोनिका सेठी की नजर हम पर पड़ी
तो वह एक पल के लिये हम दोनो को देखती रह गयी। नीलोफर उन सबको अनदेखा करके उनकी महफिल
से कुछ दूरी पर लगी हुई एक खाली टेबल की ओर बढ़ गयी थी।
मैने फुसफुसा कर कहा…
क्या हुआ? वह बैठते हुए बोली… क्या तुम नहीं जानते? मैने मुस्कुरा कर कहा… तुम्हारे
ट्रक का हिसाब मै करुँगा तो फिर उनसे किस बात की नाराजगी? वह कुछ नहीं बोली और रेस्त्रां
का मेन्यु देखने लगी। मैने दबी आवाज मे कहा… नीलोफर, अगर इनको सबक सिखाना है तो तुम्हें
मेरे साथ काम करना पड़ेगा। …समीर, अगर मेरा बस चले तो मै सेठी परिवार को बर्बाद कर दूँगी।
इनकी दगाबाजी के कारण मै पैसे-पैसे के लिये मोहताज हो गयी थी। मैने धीरे से उसका हाथ
दबा कर उसे शांत करते हुए कहा… अगर तुम मेरे साथ काम करोगी तो मै इन सबको बर्बाद कर
दूँगा। उसने मेन्यु से निगाह हटा कर मुझे घूर कर देखा और फिर मुस्कुरा कर बोली… जानेमन,
अगर अंजली ने तुम्हें इस हालत मे मेरे साथ देख लिया तो वह मेरा खून पी जाएगी। एकाएक
उसके चेहरे पर आया तनाव शांत हो गया था। एक बार फिर से वह अपने पुराने स्वरुप मे आ
गयी थी। उसने वेटर को आर्डर दिया और मेरी ओर देखने लगी तो मैने कहा… कुछ दिनो के लिये
तुम मेरे फ्लैट मे शिफ्ट हो जाओ। उसकी आँखो मे एकाएक शरारत चमकने लगी… समीर एक बार
सोच लो, मै तो शिफ्ट हो जाऊँगी परन्तु क्या अंजली सौतन को बर्दाश्त कर लेगी? मैने झेंपते
हुए जल्दी से कहा… तुम बेफिजूल की बात सोच रही हो। तब तक हमारी मेज पर ड्रिंक्स सर्व
हो गयी थी।
…समीर, तुम क्या करने
की सोच रहे हो? …दीपक सेठी को बर्बाद करने के बारे मे सोच रहा हूँ। हमारे बीच एक बार
फिर चुप्पी छा गयी थी। मैने एक घूँट भर कर पूछा… चन्द्रमोहन और वागले का भी हिसाब चुकाना
है। …समीर, सेठी के प्रमुख फाईनेन्सरों मे दो बिल्डर है। गुरु नानक बिल्डर का मालिक
सरताज सिंह और पीजे ग्रुप का मालिक मुन्नवर-उल-हक है। दोनो ने काफी पैसा राजनीतिक संरक्षण
के लिये दीपक सेठी के कारोबार मे लगाया है। मोनिका उन बिल्डरों के साथ डील करती है।
एकाएक मरे दिमाग मे एक ख्याल आया तो मैने धीरे से पूछा… मोनिका पर दबाव डाला जाये तो
क्या उनके पैसों की ट्रेल को वह उजागर कर देगी? …पता नहीं। हम कुछ देर अलग-अलग योजनाओं
पर चर्चा करने के पश्चात इसी नतीजे पर पहुँचे कि मोनिका के द्वारा दीपक सेठी को बर्बाद
आसानी से किया जा सकता है। …मै अभी आती हूँ। इतना बोल कर नीलोफर उठ कर टायलेट की दिशा
मे चली गयी थी। उसके जाते ही मेरे फोन की घँटी बजी तो मैने स्क्रीन पर नजर डाली तो
मोनिका का फोन था। …हैलो। …समीर, उस छिनाल सौम्या के कारण तुमने मुझे देख कर अनदेखा
कर दिया। मेरी नजर मोनिका पर टिकी हुई थी। वह मेरी ओर देखते हुए फोन पर बात कर रही
थी। …तुमने तो फिर कभी याद नहीं किया। …कल क्या कर रहे हो? …कुछ खास नहीं। …कल मेरिडियन
मे बारह बजे काफी शाप मे मिलते है। तभी नीलोफर आती हुई दिखी तो मैने जल्दी से कहा…
कल बारह बजे मेरीडियन की काफी शाप मे मिलते है। इतना बोल कर मैने फोन काट दिया था।
वह मेरे साथ बैठते
हुए बोली… किससे बात कर रहे थे? …मोनिका का फोन था। वह कल मुझसे मिलना चाहती है। मेरा
ग्लास उठा कर व्हिस्की का एक घूँट भरने के बाद बोली… क्या करने की सोच रहे हो? …अभी
कुछ सोचा नहीं परन्तु कल उससे बात करने के बाद सोचूँगा कि उस पर दबाव कैसे डाला जा
सकता है। बात करते हुए हमने अपनी ड्रिंक्स समाप्त करी और फिर खाना खाकर जैसे ही चलने
के लिये खड़े हुए कि तभी मेरी नजर चन्द्रमोहन पर पड़ी जो नशे मे धुत अपने साथ बैठी हुई
स्त्री के साथ बड़ी बेहयाई के साथ छेड़खानी कर रहा था। एक अन्य आदमी के साथ दीपक सेठी
किसी गहन चर्चा मे उलझा हुआ था। मोनिका से आँख मिलाते हुए मैने अपना हाथ बढ़ा कर नीलोफर
को कमर से पकड़ कर अपने साथ सटा कर द्वार की ओर बढ़ गया। बाहर निकलते ही मैने कहा… नीलोफर
तुम टैक्सी लेकर वापिस चली जाओ। कल अपना सामान तैयार रखना। थापा तुम्हें लेने आ जाएगा।
मै इतना ही बोल सका था कि तब तक थापा मेरी जीप लेकर आ गया था। नीलोफर ने कुछ नहीं कहा
और द्वार पर खड़े हुए वेलेट से एक टैक्सी मंगवा कर अपनी सोसाईटी की दिशा मे निकल गयी
थी।
मै अपनी जीप मे बैठा
और थापा ने जैसे ही जीप आगे बढ़ायी कि तभी मैने कहा… जीप को वापिस पार्किंग मे लगा दो।
उसने मेरी ओर देखा तो मैने जल्दी से कहा… तुम्हारी पिस्तौल दे दो। थापा ने जीप के टूल
बाक्स से एक ग्लाक-17 निकाल कर मेरे हाथ मे रखते हुए कहा… साबजी इसमे बस एक राउन्ड
बचा है। …थापा, पार्किंग मे देखो कि कोई सरकारी कार तो नहीं खड़ी है? थापा कार खोजने
के लिये निकल गया था। बी चन्द्रमोहन को देखते ही मेरे दिमाग मे एक ख्याल आया था। हम
एक घन्टा पार्किंग मे खड़े रहे थे। रेस्त्रां से सेठी की पार्टी मे आये हुए लोगों को
बाहर निकलते देख कर मै सावधान हो गया। कुछ देर के बाद चन्द्रमोहन लड़खड़ाता हुआ रेस्त्रां
से अकेला बाहर निकला और सफेद एम्बैसेडर मे बैठ कर अपनी दिशा मे चल दिया। कार पर रक्षा
मंत्रालय का पार्किंग स्टिकर लगा हुआ था। उसके निकलते ही कुछ दूरी बना कर हम उसके पीछे
चल दिये थे। चन्द्रमोहन को ठिकाने लगाने का मुझे एक अवसर बिन मांगें मिल गया था। अब
मेरा दिमाग बड़ी तेजी से चल रहा था।
एमजी रोड पर पहुँचते
ही मुझे सुनसान रास्ते का आभास हो गया था। …थापा, एम्बैसेडर को ओवरटेक करो। आज इसका
एन्काउन्टर करना है। एक खाली स्थान देख कर मेरी जीप ने उस कार को ओवरटेक किया और फिर
थापा ने एक उप्युक्त जगह पर जीप को सड़क पर तिरछी खड़ी कर दी थी। जैसे ही वह कार हमारे
नजदीक पहुँची तो सड़क पर तिरछी खड़ी हुई जीप को देख कर उसकी गति धीमी हो गयी थी। जीप
के करीब पहुँचते ही मेरी ग्लाक ने दो फायर किये और कार के ड्राइवर की इहलीला समाप्त
हो गयी थी। वह अम्बैसेडर कार दिशाहीन होकर लहकी और सड़क के बीच बने हुए डिवाईडर से टकरा
कर उस चढ़ कर रुक गयी थी। नशे मे धुत चन्द्रमोहन का सिर अगली सीट से टकरा कर लहुलुहान
हो गया था। मै जीप से उतर कर तेजी से उस कार की ओर झपटा और वहाँ पहुँच कर मैने चन्द्रमोहन
के सिर को निशाना बना कर दो फायर किये और फिर तेजी से अपनी जीप मे बैठते हुए कहा… वापिस
नीलोफर की सोसाईटी की ओर चलो। हमारी जीप ने यूटर्न किया और नीलोफर के फ्लैट की दिशा
मे निकल गये थे। जब तक मै नीलोफर के फ्लैट पर पहुँचा रात के तीन बज गये थे।
अगली सुबह मेरी आँख
खुली तो अपने आप को बिस्तर पर नग्न पाया और मेरे साथ नीलोफर गहरी नींद मे सो रही थी।
दिन की रौशनी मे उसके गले और सीने पर बहुत से नीले निशान बीती रात की कहानी बयान कर
रहे थे। दिन की रौशनी मे उसका गोरा गरदराया नग्न जिस्म दमक रहा था। मै चौंक कर उठ कर
बैठ गया। मेरे हिलने के कारण नीलोफर की पल्कें फड़फड़ाई और फिर एकाएक आँखें खोल कर मुझे
देख कर मुस्कुरा कर एक भरपूर कातिलाना अंगड़ाई लेकर उठ कर बैठते हुए बोली… कल रात के
लिये शुक्रिया। मेरे दिमाग मे बहुत सारे प्रश्न घूम रहे थे। मैने अपनी कलाई पर नजर
डाली तो सुबह के दस बज रहे थे। सब कुछ त्याग कर मै तेजी से उठ कर बाथरुम मे घुस गया।
जब तक तैयार होकर बाहर निकला तब तक नीलोफर बालकनी मे झूले पर बैठ कर चाय पी रही थी।
…नीलोफर, कल रात जो कुछ भी हुआ उसके बारे मे बाद मे बात करुँगा। अपने रोजमर्रा का सामान
और कुछ कपड़े जल्दी से बैग मे डालो। मेरे पास ज्यादा समय नहीं है। …तुम जाओ। मै अपने
आप वहाँ पहुँच जाऊँगी। …तुम्हें पता है कि मेरा फ्लैट कहाँ है? …नहीं। …तो कैसे पहुँचोगी?
वह कुछ नहीं बोली तो मैने जल्दी से कहा… रक्षा अकादमी के आफीसर्स रेजीडेन्स पर पहुँच
कर मुझे फोन कर लेना। इतना बोल कर मै उसे वहीं छोड़ कर चल दिया था। थापा मेरा इंतजार
कर रहा था। जीप मे बैठते ही मैने कहा… मेरिडियन होटल चलो। जब तक मेरिडियन की काफी शाप
मे प्रवेश किया तब तक सवा बारह बज रह थे।
काफी शाप मे प्रवेश
करने के बाद मैने अपनी नजरें घुमा कर देखा तो दूर एक कोने मे मोनिका काफी का प्याला
पकड़े मेरी ओर देख रही थी। मै उसकी ओर बढ़ गया। उसके सामने बैठते हुए मैने पूछा… ज्यादा
देर तो नहीं हुई। वह तुनक कर बोली… सौम्या के साथ रात कैसी कटी? मैने मुस्कुरा कर कहा…
बेहद खूबसूरत। वह कुछ बोलती कि तब तक वेटर आ गया था। …एक अमेरीकानो। मैने अपना आर्डर
देकर उसकी ओर देख कर कहा… जलो मत। मैने उससे ज्यादा खूबसूरत रात इसी होटल मे तुम्हारे
साथ काटी है। यह सुन कर उसके गालों पर शर्म की लालिमा छा गयी थी। …तुम जब यहाँ थे तो
मुझे फोन क्यों नहीं किया? …मैने पहले दिन ही कह दिया था कि तुम फोन करोगी तो हमारी
बात होगी लेकिन मै तुम्हें काल कभी नहीं करुँगा। …क्यों? …मै सेठी साहब से दुश्मनी
नहीं ले सकता। अच्छा सौम्या के साथ तुम्हारा क्या चक्कर हो गया कि वह तुमसे बात नहीं
करना चाहती? मोनिका कुछ नहीं बोली तो मैने पूछा… अगर यहाँ बात करने मे झिझक रही हो
तो मेरे कमरे मे चले? उसने मुझे घूर कर देखा और फिर मुस्कुरा कर बोली… कल रात की थकान
तुम्हारे चेहरे से अभी तक उतरी नहीं है। …यह थकान पुलिस की पूछताछ की है। उसने चौंक
कर देखा तो मैने कहा… तुम्हें पता नहीं कि कल देर रात को एमजी रोड पर बी चन्द्रमोहन
और उसके ड्राईवर की हत्या हो गयी है। …क्या? वह चीखते हुए खड़ी हुई और उसी पल धम्म से
कुर्सी पर बैठ गयी थी। उसके चेहरे का रंग उड़ गया था।
उसकी प्रतिक्रिया
देख कर मै भी अचंभित था। …क्या हुआ मोनिका? तभी उसका फोन बजा और जल्दी से काल लेते
हुए बोली… हैलो। दूसरी ओर से कुछ कहा गया जिसके जवाब मे वह बोली… दीपक, हम बर्बाद हो
गये। अब उसके पैसे का क्या करोगे? दूसरी ओर से फिर कुछ कहा गया तो वह बोली… मै अकेली
उसके पास नहीं जाऊँगी। तुम भी मेरे साथ चलो। वह कुछ देर तक फोन पर बहस करती रही और
मै अपनी काफी के घूँट भरते हुए उसकी एक-एक बात को सुन रहा था। वह फोन काट कर उठते हुए
बोली… सौरी मुझे जाना है। जैसे ही वह चलने को हुई तो मैने उसका हाथ पकड़ कर जबरदस्ती
अपने साथ बिठाते हुए पूछा… मै रोकूँगा नहीं परन्तु साफ-साफ बताओ कि क्या परेशानी है।
अगर रुपये-पैसे की समस्या है तो मुझे बताओ। मै दे दूँगा। वह कुछ पल चुप रही और फिर
उठते हुए बोली… लाख दो लाख की बात नहीं है समीर। यहाँ करोड़ों का नुकसान हो गया है।
मैने वेटर को बिल लाने का इशारा किया और फिर उससे बोला… मेरे पल्ले कुछ नहीं पड़ा तो
चाह कर भी मै तुम्हारी कोई मदद नहीं कर सकता। …समीर, मै तुम्हें कुछ भी बताने की स्थिति
मे नहीं हूँ। बिल का पेमेन्ट करते हुए मुझे जो कुछ भी उसकी बातों से समझ मे आया था उसकी जानकारी के
आधार पर पूछा… चन्द्रमोहन को कल रात तुमने पैसे दिये थे? उसने चौंक कर मेरी ओर देखा
तो मैने कहा… यहाँ की पुलिस मे मेरी अच्छी पहचान है। तुम कहो तो उस पैसे को दिलवाने
के लिये किसी से बात करुँ। वह कुछ पल मुझे देखती रही और फिर चलते हुए बोली… क्या तुम
मेरे साथ चल सकते हो? …चलो। मै उसके साथ चल दिया। कुछ देर के बाद हम दोनो उसकी कार
से एक दिशा मे निकल गये थे।
रास्ते मे वह बोली…समीर,
हम जिसके पास चल रहे है वह एक बिल्डर है। बेहद लीचड़ किस्म का व्यक्ति है। उससे मैने
एक करोड़ रुपये कैश मे उठा कर कल रात को ही चन्द्रमोहन को दिये थे। उसकी हत्या हो गयी
और मेरा एक करोड़ रुपया फँस गया है। …चन्द्रमोहन तो एक सरकारी बाबू है तो एक करोड़ रुपये
उसको किस लिये दिये थे? वह हिचकिचाते हुए बोली… दीपक की एक फाईल उसके पास है। तीन हजार
करोड़ की रक्षा खरीदी का मामला है। दीपक ने चन्द्रमोहन के साथ उस आर्डर को अपने पक्ष
मे करवाने के लिये सौ करोड़ रुपये का सौदा किया था। कल रात को ही उसे एक करोड़ का एडवान्स
दिया था। मै उसकी बात सुन रहा था परन्तु मेरा दिमाग दीपक सेठी और उसके नेटवर्क को ध्वस्त
करने की योजना बना रहा था। गाजियाबाद से कुछ मील आगे निकलने के पश्चात मोनिका की कार
एक विशाल से फार्म हाउस के लोहे के गेट के सामने खड़ी हो गयी थी।
कुपवाड़ा
एक नौकर दौड़ता हुआ
कमरे मे दाखिल हुआ और चिल्लाते हुए बोला… मालिक उसकी हालत निरन्तर खराब होती जा रही
है। युसुफजयी ने फाइल पर से निगाह उठा कर आने वाले को घूरते हुए पूछा… उसे अब क्या
हो गया? …जनाब, डाक्टर साहब का कहना है कि वह कोमा मे चला गया। यह सुनते ही युसुफजयी
उठ कर खड़ा हो गया और उस नौकर के साथ अपनी हवेली के पीछे बने हुए आउटहाउस की ओर तेज
कदमों से चल दिया। मन ही मन सोचते हुए वह अचानक बोला… अगर उसको कुछ हो गया तो बुड्डे
ने हंगामा खड़ा कर देना है। साथ चलते हुए नौकर ने अपने मालिक की ओर देखा तो मालिक के
चेहरे पर चिंता साफ झलक रही थी।
आउटहाउस पहुँच कर
डाक्टर को देखते ही युसुफजयी ने पूछा… ऐसा कैसे हो गया? …जनाब, अचानक उसका शुगर लेवेल
घट गया था जिसके कारण वह कोमा मे चला गया है। वैसे भी ज्यादा खून बहने के कारण पहले
से ही उसकी हालत काफी नाजुक थी। …क्या उसे ठीक नहीं किया जा सकता? …जनाब हम अपनी ओर
से पूरी कोशिश कर रहे है लेकिन अगले चौबीस घंटे उस पर भारी है। उसे अस्पताल मे शिफ्ट
करवा दिजिये क्योंकि वहाँ पर उसके बचने की संभावना ज्यादा है। युसुफजयी ने एक नजर बिस्तर
पर पड़े हुए व्यक्ति पर डाल कर बाहर निकलते हुए डाक्टर से कहा… उसे जल्दी से जल्दी यहाँ
होश मे लाने की कोशिश करो। इसे अस्पताल मे नहीं रख सकते। …जी जनाब। बस इतना बोल कर
युसुफजयी अपने आफिस की ओर चल दिया था।
अभी भी पिछले कुछ
दिनों की घटनाओं के कारण वह पहले से ही काफी विचलित था। अब एक नयी मुसीबत उसके सामने
आकर खड़ी हो गयी थी। मन ही मन वह पीरजादा और जैश को गाली दे रहा था कि उन्होंने उसे
इस राजनीतिक उठा-पटक के दौर मे फालतू मे उलझा दिया था।
बहुत ही सुन्दर अंक और नया दिन के साथ नया मिशन अब तो समीर को ऐसी जगह काम करना होगा जिस में वो दूर ही था , घर के भीतर के दीमक का साफ करना जिस में सीधे आर पार की लड़ाई न होकर बुद्धि और कौशल से उन शत्रु से पार पाना होगा इसमें चालबाजी और धोका धडी चप्पे चप्पे pe uske upar मंडरायेगी अब देखते हैं की yeah पंच मक्कार से लड़ाई कैसे लड़ी जाती है और इसका एप्रोच कैसा रहेगा समीर का द्वारा मगर गहरी चाल की शतरंज अब किस प्यादे को समीर के सामने खड़ा करता है यह देखना दिलचस्प होगा।
जवाब देंहटाएंशुक्रिया अल्फा भाई। देश की खरपतवार और दीमक को साफ करना इतना आसान नहीं है। तिगड़ी के बीच हर आदमी की अपनी प्राथमिकता है परन्तु सभी का एक मकसद है कि देश के दुश्मन को अन्त होना चाहिये परन्तु कैसे। इसी सवाल का जवाब आपकी निष्ठा और देश के प्रति आपके कर्तव्य के उपर टिका हुआ है।
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