रविवार, 4 फ़रवरी 2024

  

गहरी चाल-45

 

नीलम घाटी, पाकिस्तान

एक अज्ञात जगह पर कुछ चिन्तामग्न लोग लालटेन की रौशनी मे दबी आवाज मे बात कर रहे थे। …मेरे गुप्त सूत्र ने खबर दी है कि हाल ही मे उस भारतीय फौजी ने फारुख मीरवायज और मकबूल बट को नेपाल मे जिन्दा जला दिया है। यह खबर सुन कर एक साथ सभी के मुख से निकला… अल्लाह रहम! एक व्यक्ति खड़ा होकर कुछ बड़बड़ाया और अन्त मे सभी ने एक बार एक ही आवाज मे बोला… आमीन। कुछ पल मौन रहने के पश्चात एक वर्दीधारी अफसर खड़ा होकर बोला… कोडनेम वलीउल्लाह के राज का भी पर्दाफाश हो गया है। फारुख और मकबूल बट हमारे एजेन्ट को भारतीय सुरक्षा एजेन्सी की नजरों से बचा कर काठमांडू ले गये थे परन्तु उन दोनो की हत्या के बाद वलीउल्लाह उस फौजी के हत्थे लग गया है। …जनरल साहब मेरे बेटे और दामाद के हत्यारे के बारे मे आप क्या करने की सोच रहे है? …पीरजादा साहब, जनरल गफूर का निर्देश है कि कुछ भी करने से पहले वलीउल्लाह को सुरक्षित वहाँ से निकाल कर पाकिस्तान पहुँचाना है। …मेरे बेटे की शहादत का बदला कौन लेगा? …जनाब, फौज अपने नियम और कानून से बंधी हुई है। फिलहाल हमे यह निर्देश मिले है कि दोनो मरने वाले कश्मीरी है और हमारी फौज का उनसे कोई संबन्ध नहीं है। …आपके जनरल गफूर को लानत भेजता हूँ। हमारे शहीदों को क्या नमाज-ए-जनाजा भी नसीब नहीं होगा? …लखवी साहब आप मेरी मजबूरी समझने की कोशिश किजीये। एकाएक बैठे हुए लोगों का पाकिस्तानी फौज के प्रति क्रोध भड़क उठा था।

वृद्ध पीरजादा ने धीरे से अपना हाथ उठा कर कहा… बिरादर मैने अपने बच्चे खोये है। अगर यही हाल रहा तो तुम्हारे भी लोग ऐसे ही कुत्ते की तरह मारे जाएँगें। इसलिये खामोशी से मेरी बात सुनो। उस कमरे मे अचानक मौत का सन्नाटा हो गया था। …बिरादर, भले ही फौज इस मसले पर अपने हाथ झाड़ कर बैठ जाये परन्तु इस शहादत का बदला हम अपने तरीके से लेंगें। हक्कानी भाईजान इस काम के लिये मुझे आपकी और अन्य सभी तंजीमों की मदद चाहिये। उस फौजी को तो मरना होगा लेकिन खुदाई इंसाफ की यही मांग है कि उसके परिवार का समूल नाश होना चाहिये। …पीरजादा साहब आप समझने की कोशिश किजीये। जनरल गफूर का निर्देश है कि फिलहाल आप लोग कुछ भी नहीं करेंगें। इतना बोल कर वह उठ कर चलते हुए बोला… उम्मीद करता हूँ कि आप मेरी बात समझ गये होंगें। अच्छा खुदा हाफिज। वह वर्दीधारी कमरे से बाहर निकल गया।

…पीरजादा भाईजान, हमारे लिये खून का बदला खून है। जनरल गफूर और जनरल फैज को भी उनकी औकात दिखाने का समय आ गया है। उस फौजी के साथ अब उसके परिवार का एक भी आदमी बचना नहीं चाहिये। इस मुहिम मे हम आपके साथ है। उसके बाद सभी लोग इस मुद्दे पर बात करने मे व्यस्त हो गये थे।

मै बाहर सड़क पर आते जाते हुए लोगों को देखते हुए चाय पीते हुए वापिस लौटने के बारे मे सोच रहा था। पिछले एक हफ्ते मे दो बार जनरल रंधावा ने मुझसे वापिस लौटने के लिये निर्देश दिया था परन्तु दोनो बार मैने अपनी सेहत का हवाला देकर कुछ और समय मांग लिया था। अब ज्यादा दिन मै उन्हें टाल भी नहीं सकता था। अंजली की डिलिवरी का समय करीब आ रहा था। मै इसी उलझन को सुलझाने मे उलझा हुआ था कि तभी मेरे साथ खड़ी अंजली ने कहा… क्या सोच रहे है? …अंजली, मुझे वापिस लौटने के निर्देश मिले है। समझ मे नहीं आ रहा कि तुम्हें ऐसी हालत मे छोड़ कर मै कैसे वापिस जा सकता हूँ। …अगर आप नहीं जाना चाहते तो मत जाईये। मैने उसकी ओर देखा तो वह सामने बिलावल ट्रांस्पोर्ट के आफिस के बन्द शटर को देख रही थी। …तुम अच्छे से जानती हो कि मना करने का मतलब क्या होगा। उसने गरदन घुमा कर मेरी ओर देखते हुए कहा… आपका कारोबार अब यहाँ पर जम गया है तो इस नौकरी की आपको क्या जरुरत है? …अंजली, बस यही एक काम मै नहीं कर सकता। मैने अपनी अम्मी से वादा किया था। अंजली ने कोई जवाब नहीं दिया और एक बार फिर उसकी नजरें बाहर सड़क पर जम गयी थी।       

अंजली कुछ देर बाहर देखने के बाद बोली… शबाना बाजी के जाने के बाद बिलावल ट्रांस्पोर्ट तो बन्द हो गयी है। पता नहीं आजकल वह बेचारी किस हाल मे होंगी? एकाएक बिलावल ट्रांस्पोर्ट का नाम सुनते ही कुछ नाम मेरे दिमाग मे कौंधे थे। नूर मोहम्मद और शौकत अजीज तो मारे गये। ब्रिगेडियर शुजाल बेग पता नहीं इस वक्त कहाँ होगा? एकाएक फारुख मीरवायज का चेहरा मेरी आँखों के सामने आ गया। …अंजली, फारुख की मौत की खबर अब तक पीरजादा साहब को मिल गयी होगी। …आपसे बदला लेने के लिये अब्बू अब तक कोई योजना बना चुके होंगें। अभी वह पूरी बात भी नहीं बोल पायी थी कि तभी कुछ याद आते ही मुझे लगा कि किसी ने मेरे दिमाग पर घन से प्रहार किया है। …अंजली, उस शाम आफशाँ ने मुझे बताया था कि वह मकबूल बट के पास सिर्फ अदा के लिये गयी थी। क्या मकबूल बट के कब्जे मे अदा हो सकती थी? अंजली ने मेरी ओर देखा तो मेरे चेहरे पर बदलते हुए भाव को देख कर वह जल्दी से बोली… क्या हुआ आपको? मेरा सारा ध्यान अब अदा पर केन्द्रित हो गया था। वह बेचारी इस वक्त कहाँ और किस हाल मे होगी? मकबूल बट के मारे जाने के बाद उसके साथियों ने अदा के साथ क्या किया होगा? एकाएक मेरी छठी इंद्री मुझे किसी अनहोनी घटना के लिये आगाह कर रही थी।

मैने जल्दी से फोन निकाल कर कर अदा का नम्बर मिलाया तो उसकी चिरपरिचित आवाज मेरे कान मे पड़ी… समीर कैसे हो…तुम इतने दिन कहाँ थे? एक पल के लिये मेरी जुबान को जैसे लकवा मार गया था। वह जल्दी से बोली… क्या हुआ समीर?  मैने जल्दी से कहा… कुछ नहीं, बस काम मे फँसा हुआ था। तुम्हारे यहाँ पर तो सब कुछ ठीक चल रहा है? उसकी आवाज एकाएक तेज हो गयी… समीर, साफ बोलो क्या बात है? मै कुछ बोल पाता उससे पहले वह फिर बोली… मुझसे कुछ भी छिपाने की कोशिश मत करना। मै तुम्हारी आवाज सुन कर बता सकती हूँ कि तुम किसी मुसीबत मे हो। मै उसको मकबूल बट और आफशाँ के बारे मे क्या बताता तो मैने जल्दी से कहा… ऐसी कोई बात नहीं है। तुम बेफिजूल फिक्र कर रही हो। तुम्हारी चिन्ता हो रही थी तो फोन किया था। उस वक्त तो मैने अदा को झूठी-सच्ची कहानी सुना कर जैसे-तैसे शान्त कर दिया परन्तु आने वाले खतरे से आगाह नहीं कर सका था। अदा से बात करने के बाद मैने आसिया और मेजर हसनैन अली से भी बात करके अपने दिमाग मे उत्पन्न चिंता को शांत कर लिया था।

अंजली अभी भी मेरे साथ खड़ी हुई थी। …समीर, वह दोनो ठीक है परन्तु उन्हें खतरे से आगाह करना जरुरी है। फारुख की मौत के बाद मकबूल बट के परिवार का कोई भी व्यक्ति इस वक्त सुरक्षित नहीं है। …अंजली मुझे वापिस जाना पड़ेगा। इतना बोल कर मै तेजी से अपने कमरे की ओर चला गया। मेरे पीछे-पीछे आती हुई अंजली ने कहा… आपको इस वक्त ठंडे दिमाग से सोचने की जरुरत है। अगर पीरजादा को फारुख के बारे मे पता चल गया है तो वह आपसे बदला लेने के लिये पूरे जैश को लगा देंगें। इसलिये आपको पहले उनकी अगली चाल सोचने की जरुरत है। अगर मकबूल बट ने कहा था कि अदा उसके कब्जे मे है तो इसका मतलब यही हुआ कि वह भले ही उस वक्त उसकी पहुँच से बाहर थी परन्तु वह उनके निशाने पर जरुर रही होगी। जब मै मकबूल बट की बात कर रही हूँ तो इसका मतलब फारुख और जैश भी है। मै विस्मय से अंजली का चेहरा देखता रह गया था। उसके आंकलन को सुन कर मेरे दिमाग ने काम करना बन्द कर दिया था। वह मेरे करीब आकर धीमे स्वर मे बोली… आप बेफिक्र रहिये। फिलहाल अदा को कुछ नहीं हुआ है तो उनके निशाने पर कोई दूसरा है। मै उनकी नस-नस से वाकिफ हूँ। उनकी रणनीति आतंक की धुरी पर टिकी हुई है। अगर उनके निशाने पर आप है तो वह आपके सबसे करीबी पर वार करने की रणनीति पर काम कर रहे होंगें। …अंजली इस वक्त मेरे सबसे करीब तो तुम हो। वह मुस्कुरा कर बोली… जैश और लश्कर मिल कर भी मुझ पर हाथ डालने से पहले दस बार सोचेंगें। आप मेरी चिन्ता करना छोड़ दिजिये। इतना बोल कर वह अपने काम मे व्यस्त हो गयी और मै वापिस लौटने की तैयारी करने मे जुट गया था।

कुछ देर मे तैयार होकर मै गोदाम की ओर निकल गया था। सड़क पर आते ही दिमाग ने काम करना शुरु कर दिया था। गोदाम पहुँचते ही मैने सबसे पहले जनरल रंधावा को सारी रिपोर्ट देने के पश्चात कहा… सर, मै परसों ड्युटी जोईन कर लूँगा। इतनी बात करके मैने कनेक्शन काटा तो पीछे से मेरे कान मे आवाज पड़ी… मेजर साहब आप वापिस जा रहे है? मैने घूम कर देखा तो कैप्टेन यादव खड़ा हुआ था। …हाँ कैप्टेन। आफिस से तुरन्त लौटने के निर्देश मिल गये है। …सर, क्या हमारी युनिट को भी लौटना पड़ेगा? …नहीं। आपकी युनिट को तीन साल की पोस्टिंग यहीं पर पूरी करनी है। अब से यह स्थायी आब्सर्वेशन पोस्ट है। कैप्टेन यादव के चेहरे पर एक मुस्कुराहट तैर गयी थी। …सर, काफी दिनो से युनिट के लोग असमंजस की स्थिति मे थे कि अगर लौटना पड़ा तो काफी आर्थिक नुकसान हो जाएगा। …कैसे? …सर, सबका सेना का वेतन तो जमा हो ही रहा है। यहाँ का वेतन कम्पनी अलग से देती है तो हरेक सदस्य की कमाई दुगनी हो गयी है। मैने कैप्टेन यादव की पीठ पर धौल जमा कर हंसते हुए कहा… कैप्टेन, हर विदेशी पोस्टिंग पर यही होता है लेकिन सभी को पता होता है कि एक दिन उन्हें वापिस भी लौटना पड़ेगा। हम दोनो हँसते हुए गोदाम मे आ गये थे। …कैप्टेन क्या हम नीलोफर को अभी भी ट्रेक कर रहे है? …सर, हमने तो मुठभेड़ वाली रात के बाद से नीलोफर को ट्रेक करना बन्द कर दिया था। …कैप्टेन स्काउट पार्टी तैयार करके नीलोफर का पता लगाओ। हमारे एक साथी को उसके बैंक पर बाहर तैनात कर दो। …जी सर। इतनी बात करके मै गोदाम से बाहर निकल गया था। अपनी गाड़ी मे बैठने के बजाय मै एक दिशा मे पैदल चल दिया था।

एक-एक कदम बढ़ाते हुए अपने दिमाग मे आने वाले हर विचार का आंकलन कर रहा था। एक ओर दिल्ली मे बैठी हुई तिगड़ी ने अपने प्यादे शतरंज की बिसात पर बिछा कर बैठे हुए थे। दूसरी ओर सीमा पार बैठे हुए जनरल शरीफ और जनरल बाजवा ने उस बिसात पर अपने प्यादे बैठे दिये थे। उनके मुख्य प्यादे फारुख, मकबूल बट और अब्बासी को तिगड़ी ने एक चाल मे धाराशायी कर दिया था। तभी दिमाग मे एक ख्याल बिजली की तेजी से कौंधा कि बिछी हुई बिसात मे मेजर हया इनायत मीरवायज अगर उनकी रानी हुई तो उन्होंने अपने कुछ प्यादे शहीद करके अपनी रानी को तिगड़ी के करीब पहुँचा दिया है तो वह अब तिगड़ी को शह और मात देने के करीब पहुँच गये है। मैने मन ही मन अपने आपको समझाते हुए सोचा कि अगर हया की ऐसी कोई मंशा होती तो अस्पताल मे उस रात को एक ही वार मे तिगड़ी के दो मुख्य सदस्यों और उनके एक महत्वपूर्ण प्यादे का अन्त बड़ी आसानी से कर सकती थी परन्तु यह सोच कर मेरी धड़कन अवश्य बढ़ गयी थी।

सभी शतरंज की बिसात पर अपनी-अपनी चाल चल रहे थे। अगर हया को उस बिसात से हटा कर आंकलन करता तो मुझे लगा कि तिगड़ी ने सबसे गहरी चाल चली थी। उनकी  एक चाल ने पूरे पाकिस्तानी तंत्र को पंगु बना कर रख दिया था। आईएसआई और संयुक्त इस्लामिक जिहाद काउन्सिल हमारी अर्थव्यवस्था के सीने मे खंजर घोपने की चाल चल रहे थे। फारुख और मकबूल बट अपने निजि फायदे के लिये अपनी चाल चल रहे थे। नीलोफर अपनी चाल चल रही थी तो मै अपनी चाल चल रहा था। अगर मेजर हया इनायत मीरवायज अगर इस शतरंज की बिसात का हिस्सा थी तो हम सभी प्यादे सीमा के दोनो तरफ हया की चाल के शिकार हो गये थे। चलते-चलते मैने अपने आप से पूछा… यह चाल किसके हाथ लगी? तो मुझे जवाब एक ही मिला… अगर मेजर हया को अलग कर दिया जाये तो यह बिसात तिगड़ी के हाथ लगी क्योंकि उनकी चाल की गहरायी ज्यादा थी। मै बड़बड़ाया… और अगर मेजर हया को तबस्सुम बना कर भेजना उनकी चाल थी तो फिर यह बाजी किसके हाथ लगी? इस प्रश्न का जवाब सोच कर मै चलते-चलते ठिठक कर रुक गया था। एकाएक मोहब्बत और विश्वास का भूत एक पल मे दिमाग से काफुर हो गया था।

मै लौट कर गोदाम आया और अपनी इसुजु मे बैठ कर घर की दिशा मे चल दिया। आखिरी सवाल का जवाब सोच कर मै अन्दर से हिल गया था। रात को बेड पर पड़े हुए अंजली के साथ हर बिताये पल का दिमागी आंकलन कर रहा था। उसने आफशाँ को फारुख से बचाया था। उसने शुजाल बेग को हमारे हाथ से बचाया था। उसने अभी तक ऐसे किसी कार्य को अंजाम नहीं दिया था कि जिससे हमे कोई हानि होती परन्तु वह मुझसे छिपा कर सभी खतरों को अपरोक्ष रुप से चिंहनित करके उनसे अकेले जूझ रही थी। यही सोच कर मै एकाएक उठ कर बैठ गया। …आपको अचानक क्या हुआ? अंजली की आवाज कान मे पड़ी तो तुरन्त मैने उसके सिर को धीरे से थपथपाते हुए कहा… तुम सो जाओ। इस हालत मे ज्यादा देर तक जागना दोनो के लिये अच्छी बात नहीं है। …आप भी सो जाईये। कल मेनका को लेकर नये स्कूल मे जाना है। अगर उसका यहाँ एडमिशन हो गया तो फिर आराम से उनके बारे मे सोचेंगें। मै उसको अपनी बाँहों मे बाँध कर सोने की कोशिश मे जुट गया परन्तु अभी भी नींद मुझसे कोंसों दूर थी। हया उर्फ तबस्सुम उर्फ अंजली का किरदार मेरी समझ से बाहर था।

सवेरा हो चुका था। कुछ खटपट होने के कारण मेरी नींद टूट गयी थी। …आप तैयार हो जाईये। आज मेनका को वह स्कूल दिखा देते है। मैने उठते हुए कहा… अंजली, अगर वह यहाँ पढ़ने के लिये तैयार नहीं हुई तो फिर क्या करोगी? …कुछ बातें आप मेरे उपर भी छोड़ सकते है। चलिये तैयार हो जाईये। मैने कोई जवाब नहीं दिया और तैयार होने के लिये चल दिया। एक घंटे के बाद हम तीनो स्कूल की दिशा मे जा रहे थे। कानवेंट स्कूल के बाहर मैने अपनी इसुजु खड़ी करके पूछा… यहाँ कितना समय लग जाएगा? अंजली ने आँखों से इशारा किया और बोली… कितना भी लगे परन्तु मेनका को संतुष्ट होना जरुरी है। क्यों मेनका? …जी अम्मी। एक बार को मुझे अपने सुनने पर कुछ शक हुआ परन्तु तब तक दोनो आगे बढ़ गयी थी। काफी बड़ा स्कूल था। मेनका ने किसी के बारे मे रिसेप्शन पर पूछा और फिर हमे वहीं छोड़ कर वह अकेली बताई हुई दिशा मे चली गयी थी। …अब्बू क्या स्कूल जाना जरुरी है? …बेटा, स्कूल जाने के बजाय पढ़ना जरुरी है। तभी अंजली एक नन के साथ आती हुई दिखायी दी तो हम दोनो सावधान हो गये थे। …गुड मार्निंग सिस्टर। मेनका ने भी मेरा अनुसरण करते हुए झुक कर उसका अभिवादन किया तो वह नन बोली… कम विद मी चाईल्ड। मेनका का हाथ पकड़ कर वह नन उसे अपने साथ लेकर चली गयी थी।

मै और अंजली वहीं पर रुक गये थे। …अंजली वह मेनका को लेकर कहाँ चली गयी? …सिस्टर एन्जेला उसे उसकी क्लास दिखाने ले गयी है। उसके बाद वह उसे हास्टल दिखाने ले जाएगी। …तुम उस नन को कैसे जानती हो? …शबाना बाजी के चारों बच्चे यहीं पढ़ते थे। हम रिसेप्शन की बेन्च पर बैठ कर उन दोनो का इंतजार करने लगे। मैने धीरे से पूछा… आज पहली बार मेनका को तुम्हें अम्मी कहते हुए सुना है। …तो क्या? उसने जिस तरह से कहा था कि मुझे लगा कि चुप रहना बेहतर होगा। वह कुछ देर बाद धीरे से बोली… क्या मै उसकी माँ नहीं बन सकती? मैने जल्दी से कहा… तुम मुझे गलत समझ रही हो। मेरा यह मतलब नहीं था। वह कुछ नहीं बोली और सामने देखती रही। एक घंटे के बाद चहकती हुई मेनका मेरे पास आकर बोली… बड़ा अच्छा स्कूल है। मैने जल्दी से पूछा… क्या तुम्हें यह स्कूल पसन्द है? एकाएक मेनका सावधान हो गयी थी। तभी अंजली बोली… हम इसके बारे मे घर पर बात करेंगें। इतना बोल कर वह मुड़ कर सिस्टर एन्जेला से बोली… सिस्टर मै आपसे कल फोन पर बात करुँगी। वह नन मुस्कुरा कर बोली… नो प्राब्लम। …थैंक्स। इतना बोल कर हम तीनो बाहर की ओर चल दिये। मेनका ने अंजली का हाथ पकड़ रखा था। …मेनका हास्टल कैसा लगा? …अम्मी सब कुछ अच्छा है लेकिन मै आपके साथ रहना चाहती हूँ। अचानक अंजली चलते-चलते रुक गयी और घुटनो के बल बैठ कर उसको अपने सीने से लगा कर बोली… तुम जैसा चाहोगी मै वैसा करुँगी। तुम पर कोई दबाव नहीं डालेगा। मेनका मुड़ कर मेरी ओर देख कर मुस्कुरा दी थी। मै अविश्वास से उन दोनो को देखता रह गया था।

उन दोनो को फ्लैट पर छोड़ कर मैने गोदाम की ओर रुख किया। गोदाम पहुँच कर सबसे पहले मैने जनरल रंधावा से संपर्क साधा था। उनका चेहरा स्क्रीन पर उभरते वह अपने पुराने स्वरुप मे बोले… पुत्तर, कल ड्युटी जोइन कर रहा है? …जी सर। …सीमा पार से खबर मिली है कि आईएसआई ने एकाएक सभी तंजीमों को शांत बैठने का निर्देश दिया है। लगता है कि वह कोई नयी खुराफात करने की योजना बना रहे है। …सर, इस आप्रेशन मे उनके संयुक्त इस्लामिक जिहाद काउन्सिल की वैसे ही कमर टूट गयी है तो अब इतनी जल्दी वह क्या कर सकते है। …पुत्तर एक बार अजीत से बात कर लेना। वह कुछ दिनो से तुमसे बात करना चाहता है परन्तु शायद बात करने से झिझक रहा है। …सर, मै कल दोपहर तक ड्युटी जोईन कर लूँगा तब आराम से बैठ कर बात हो जाएगी। इतनी बात करके जनरल रंधावा ने कनेक्शन काट दिया था। मै कुछ देर युँहि काली स्क्रीन को देखता रहा और फिर उठ कर कैप्टेन यादव से मिलने चला गया। गोदाम का नजारा हमेशा की तरह व्यस्त दिख रहा था। …कैप्टेन यादव कहाँ है? …सर, वह नये गोदाम की ओर गये है। कुछ समय गोदाम मे बिता कर मै वापिस अपने फ्लैट की ओर चल दिया था।

अपने फ्लैट मे प्रवेश करते हुए मेरे मोबाईल की घंटी बज उठी थी। …हैलो। …समीर। अजीत सर की आवाज कान मे पड़ते ही मै चौंक कर सावधान हो गया था। …जी सर। …कल दोपहर तक पहुँच जाओगे? …यस सर। …समीर, नेपाल की आंतरिक स्थिति बिगड़ने की संभावना है। क्या हमारी आब्सर्वेशन पोस्ट को बन्द करने की जरुरत है? …सर, मुझे नहीं लगता कि ऐसे हालात मे इस पोस्ट को बन्द किया जाये। यहाँ होने वाली अराजकता के पीछे चीन और उसके पाले हुए माओइस्ट गुट है। अभी तक हमारी ओर से उनके खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं हुई है। अभी हम हालात पर नजर रख रहे है। …14 कोर से खबर मिली है कि हमारे विरुद्ध चीन शायद दो मोर्चे खोलने की जुगत भिड़ा रहा है। इस बारे मे तुम्हें कुछ कहना है? …मुझे नहीं लगता कि वह नेपाल और लद्दाख पर ध्यान केन्द्रित कर रहे है। मै फोन पर बात करते हुए अपने फ्लैट मे प्रवेश कर चुका था। …समीर, अपने सभी साथियों को इसके बारे मे अभी से सावधान कर देना कि फिलहाल वह कोई जवाबी कार्यवाही न करें। …यस सर। बस इतनी बात करके अजीत सर ने फोन काट दिया था।

डिनर के पश्चात बेड पर लेटते हुए मैने कहा… अंजली तुम्हारी तारीख भी नजदीक आ रही है। समय से पहले मुझे सूचना दे देना तो अगली फ्लाईट पकड़ कर यहाँ पहुँच जाऊँगा। …आप हमारी फिक्र न करें। मै यहाँ पर सब काम संभाल लूँगी। उसको अपनी बाँहों मे जकड़ कर मैने कहा… तुम अपने आप को संभाल लोगी तो फिर मुझे कोई परेशानी नहीं है। …आप बेकार मे मेरी चिन्ता कर रह है। अचानक मुझे मुंबई सेन्ट्रल का दृश्य याद आ गया तो मैने अंजली को अपनी बाँहों मे जकड़ते हुए कहा… क्या मैने कभी तुम्हें बताया है कि अंजली ने मुझे मेनका की सूचना पहली बार स्टेशन पर ट्रेन चलने से पहले दी थी। उस अंजली के लिये मै कुछ खास नहीं कर सका था। वह बेचारी डाक्टर थी तो सारी मुश्किलें वह अकेली झेल गयी थी। अबकी बार इस अंजली का साथ मै पूरा निभाना चाहता था परन्तु देखो मेरी बदकिस्मती कि अब हालात ऐसे बन गये कि एक बार फिर अंजली को इस हालत मे छोड़ कर जाना पड़ रहा है। अंजली मुझसे लिपटते हुए बोली… यह अंजली भी उस अंजली से कमजोर साबित नहीं होगी। आप बेफिक्र होकर जाईये।

सुबह समय से पहले मेरी आँख खुल गयी थी। मै जल्दी से तैयार हुआ और जब तक बाहर निकला तब तक कैप्टेन यादव पिक-अप लेकर आ गया था। अंजली से विदा लेकर मै पिक-अप मे बैठा और एयरपोर्ट की दिशा मे निकल गया। …सर, हम आपके संपर्क मे रहेंगें। यहाँ की हालत भी काफी संवेदनशील होती जा रही है। माओइस्टों की गुन्डागर्दी भी नयी सरकार बनने के बाद से  बढ़ गयी है। …कैप्टेन यह तो चलता रहता है। कारोबारियों पर इसका कोई खास प्रभाव नहीं पड़ता है क्योंकि पहले वह किसी को देते और अब किसी और को देंगें। दिल्ली से साफ निर्देश मिले है कि सिर्फ हालात पर नजर बनाये रखनी है एन्ड नो एन्गेज्मेन्ट। इसलिये इस बारे मे मत सोचो। यही बात करते हुए हम एयरपोर्ट पहुँच गये थे। कैप्टेन यादव मुझे बाहर छोड़ कर वापिस चला गया था।

मैने अपनी टिकिट करायी और फिर सिक्युरिटी चेक के लिये चला गया। बारह बजे तक मै अपने आफिस पहुँच गया था। अपने आफिस मे बैठते ही अजीत सर का बुलावा आ गया। मै जल्दी से उठा और अजीत सर के आफिस की ओर चल दिया। रास्ते मे जनरल रंधावा मिल गये थे। …पुत्तर पहुँच गया। …जी सर। हम दोनो अजीत सर के आफिस की दिशा मे निकल गये। हमे देखते ही अजीत सर ने कहा… तुम दोनो को एक खास काम के लिये बुलाया है। यह सुन कर हम दोनो सावधान होकर बैठ गये थे। तभी वीके ने कमरे मे प्रवेश किया और अजीत सर से बोले… क्या कोई रेड अलर्ट की सूचना मिली है जो तीनो को यहाँ बुलवा लिया? अजीत सर ने सिर हिला कर कहा… वित्त मंत्रालय ने एक गोपनीय रिपोर्ट भेजी है। पिछले कुछ सालों मे हमारी अर्थव्यवस्था मे नकली नोटों की बाढ़ सी आ गयी है। अगर यह खबर बाहर निकल गयी तो हमारी पूरी अर्थव्यवस्था चौपट हो जाएगी। अभी तक हम इस मामले मे खामोश बैठे हुए थे क्योंकि यह भले ही नकली नोट आंतरिक सुरक्षा के लिये चुनौती है परन्तु सीधे तौर पर यह विषय हमारे दायरे मे नहीं आता है। हमारा बस इतना मानना है कि नकली करेन्सी नोट कश्मीर मे आतंकवाद के लिये इस्तेमाल हो रहे है। पहली बार वित्त मंत्रालय ने हमारे पास पुख्ता जानकारी भेजी है कि भारत के बाजार मे नकली करेन्सी का लगभग तीस प्रतिशत तक चलन हो गया है। इस साजिश मे पाकिस्तान की मुख्य भुमिका है। तभी वीके ने कहा… प्रधानमंत्री इस बारे मे काफी चिन्तित है और इसके पीछे क्या पाकिस्तान की कोई साजिश हो सकती है। ड्रग्स और आतंकवाद मे भले ही नकली करेन्सी का चलन हो परन्तु उसकी वजह से इतना ज्यादा प्रतिशत चलन हमारी अर्थव्यवस्था मे हर्गिज नहीं हो सकता। यह चिंताजनक स्थिति है। हम तीनो ने अपना सिर हिला कर वीके की बात का अनुमोदन किया।

कोई कुछ बोलता उससे पहले मैने कहा… सर, यह हमारी अर्थव्यवस्था को कमजोर करने की सोची समझी पाकिस्तान की साजिश है। उनकी अर्थव्यवस्था हमारी असली नोटों की कमाई पर चल रही है। हम आज तक यही सोच रहे थे कि नकली करेन्सी का इस्तेमाल ड्र्ग्स वितरण और आतंकवाद के पोषण के लिये हो रहे है लेकिन हाल मे मिली जानकारी के अनुसार इसकी सच्चाई कुछ और है। इतना बोल कर उस रात अंजली की बतायी हुई नकली करेन्सी और ब्लैक मार्किट की सारी कहानी मैने उनके सामने खोल कर रख दी थी। तीनो दिग्गज विस्मय से मेरा मुँह ताक रहे थे। कुछ देर सोचने के बाद अजीत सर ने कहा… ब्रिगेडियर चीमा ने एक महीने पहले मेरे पास खबर भिजवाई थी जो अब मै तुम्हारे साथ साझा कर रहा हूँ कि ड्रग्स और नकली नोट के लिये पाकिस्तान सिर्फ ट्रान्सिट रुट है। आईएसआई ने दोनो के स्त्रोत पाकिस्तान की सीमा से बाहर रखे है। ड्रग्स का स्त्रोत तो सबको पता है कि अफगानिस्तान है परन्तु नकली नोट छापने वाली प्रिंटिंग प्रेस का किसी को पता नहीं है। ब्रिगेडियर चीमा ने रा के साथ मिल कर कुछ तालिबानी समूहों से संपर्क साधा था। उनके द्वारा पाकिस्तानी मिन्ट का पता लगाने की कोशिश कर रहे है। जनरल रंधावा पहली बार बोले… अजीत भला इसमे हम क्या कर सकते है?

अजीत सर ने झल्ला कर कहा… सरदार पहले पूरी बात सुन लिया कर। कल रात को ब्रिगेडियर चीमा का बारामुल्ला जाते हुए अपहरण हो गया है। हम दोनो के मुख से एक साथ निकला… क्या! …हाँ, ब्रिगेडियर चीमा का कल रात को अपहरण हो गया है। उसके सिक्युरिटी कवर मे तैनात पाँच कमांडो हताहत हो गये और तीन बुरी तरह घायल है। ब्रिगेडियर चीमा भी घायल हो गये थे। जनरल रंधावा ने पूछा… यह किसका काम हो सकता है? अजीत सर ने एक पल रुक कर कहा… मेरा ख्याल है कि इसके पीछे जैश का हाथ हो सकता है। क्यों मेजर? …सर, लश्कर भी तो हो सकता है। …मेजर, फारुख की मौत के बाद पीरजादा एक चोट खाये साँप की तरह बैठा है। पहला मौका मिलते ही वह अपने बदले के लिये हमला करेगा। …सर, इसके लिये ब्रिगेडियर चीमा ही क्यों? …मेजर, हमने सारी तंजीमो को कश्मीर घाटी और कुछ जिलों तक सिमित कर दिया है। फिलहाल वह कश्मीर सीमा से बाहर निकल कर हमला करने मे अस्मर्थ है तभी ब्रिगेडियर चीमा उनके निशाने पर आ गया। जनरल रंधावा अपना सिर हिलाते हुए बोले… नही अजीत, मुझे यह बदला लेने की कार्यवाही नहीं लगती। इसके पीछे जरुर कोई और ही बात है। इस पर गोपीनाथ का क्या विचार है? …अभी यह खबर गुप्त रखी है। 15 कोर और उत्तरी कमांड का काऊन्टर-टेरर फोर्स का आप्रेशनल हेड का अपहरण सेना का मनोबल तोड़ कर रख देगी। इतनी देर मे पहली बार मैने कहा…सर, गोपीनाथ से यह तो पूछ सकते है कि ब्रिगेडियर चीमा उनके साथ कौन से मिशन पर कार्यरत थे। …सरदार इसीलिये तुम दोनो को बुलाया है। … सर, आप हमसे क्या चाहते है? …जनरल रंधावा और तुम एक बार गोपीनाथ से मिल कर पता करो कि ब्रिगेडियर चीमा उनके लिये क्या कर रहा था। उसके बाद एक्शन प्लान तैयार करो कि ब्रिगेडियर चीमा को कैसे उनके चंगुल से निकाला जा सकता है। कुछ देर नेपाल पर ब्रीफिंग देकर हम दोनो अजीत सर के आफिस बाहर निकल आये थे।

…समीर, मै गोपीनाथ से मिलने का टाईम लूँगा फिर हम दोनो चलेंगें। सुरिंदर की जान खतरे मे है और हमे जल्दी से जल्दी कुछ करना पड़ेगा। …जी सर। …आफिस के बाहर मत जाना। किसी भी समय गोपीनाथ से मिलने जाना पड़ सकता है। …जी सर। मेरा दिमाग जैश और ब्रिगेडियर चीमा मे उलझा हुआ था कि अचानक मेरे फोन की घंटी बजने से मेरा ध्यान टूट गया था। …हैलो। …समीर। जानी पहचानी आवाज सुनते ही मैने कहा… नीलोफर, एक बार फिर से फरार होने मे कामयाब हो गयी? …समीर तुमसे मिलना है। …मै दिल्ली वापिस आ गया हूँ। …मै भी दिल्ली मे हूँ। बड़ी मुश्किल मे हूँ। तुम्हारी मदद चाहिये। …अभी आफिस मे हूँ। तुमसे शाम को मिल सकता हूँ। …सात बजे। वही गुड़गाँव वाले फ्लैट पर तुम्हारा इंतजार करुँगी। …मुझे पहुँचने मे देर हो जाएगी। नौ बजे मिलते है। …ओके। बस इतनी बात करके उसने फोन काट दिया था। मैने फोन काटा ही था कि मेरा इन्टरकाम बज उठा। मैने जल्दी से काल लेते हुए कहा… हैलो। …मेजर, गोपीनाथ से बात हो गयी है। तुरन्त नीचे पार्किंग मे पहुँचो। …यस सर। फोन काट कर अपना सामान उठाया और पार्किंग की दिशा मे चल दिया।

थोड़ी देर के बाद हम दोनो गोपीनाथ के सामने बैठे हुए थे। जनरल रंधावा ने पूछा… गोपीनाथ, ब्रिगेडियर चीमा तुम्हारे विभाग के लिये क्या कर रहा था? गोपीनाथ हतप्रभ हो कर एकटक जनरल रंधावा को देखता रहा और फिर धीरे से गला खंखार कर बोला… सर, भला वह हमारे लिये क्या काम कर सकता है। अबकी बार जनरल रंधावा की आवाज कड़ी हो गयी थी। …गोपीनाथ मेरे पास ज्यादा समय नहीं है। इसलिये जो पूछा जा रहा है उसका सीधे जवाब दो। अबकी बार गोपीनाथ धीरे से बोला… सर, यह अति गोपनीय प्रोजेक्ट है। इसकी जानकारी मै आपको नहीं दे सकता। जनरल रंधावा कुछ क्षण उसे घूरते रहे और फिर अपनी जेब से मोबाईल फोन निकाल कर किसी का नम्बर मिला कर बोले … वीके, मै गोपीनाथ के पास बैठा हूँ। वह ब्रिगेडियर चीमा के साथ काम करने के बारे मे कोई भी जानकारी देने से मना कर रहा है। अब तुम उस से पूछो कि ब्रिगेडियर चीमा उसके विभाग के लिये क्या काम कर रहा था। एक मिनट भी नहीं बीता था कि गोपीनाथ का फोन बज उठा। गोपीनाथ ने झपट कर फोन उठा कर बोला… सर, कुछ भी बोलने से पहले मुझे आपसे मिलना है। कुछ सुन कर वह फिर जल्दी से बोला… सर, हम उसका नोट आपके लिये रखने वाले थे। एक बार फिर चुप्पी छा गयी थी। वह जल्दी से बोला…यस सर। दूसरी ओर से फोन कट गया था।

गोपीनाथ ने कुछ पल जनरल रंधावा की देखता रहा और फिर धीरे से बोला… जनरल साहब, अमरीका के अफगानिस्तान से सुरक्षित बाहर निकलने के लिये सीआईए और अमरीकन फौज के कहने पर रा की ओर से ब्रिगेडियर चीमा तालिबान के अलग-अलग समूह के साथ बात करके उनके बीच समन्वय बिठाने की कोशिश कर रहे है। पाकिस्तान नहीं चाहता कि अमरीका यहाँ से जाये और इसके लिये वह तालिबान और अमरीका के बीच समझौता नहीं होने दे रहा है। दोहा और कतार मे हुई अमरीका-तालिबान वार्ता चार बार विफल हो गयी है। सीआईए का मानना है कि इसके पीछे पाकिस्तान का हाथ है। आईएसआई ने तालिबान के अलग-अलग गुटों मे फूट डाल दी है। कुछ अमरीका के पक्ष मे युद्ध विराम करना चाहते है और कुछ उसका विरोध कर रहे है। विरोधियों मे मुख्य तंजीमे हक्कानी, मीरवायज और अखुन्ड्जादा की है। सीआईए के कहने पर रा की ओर ब्रिगेडियर चीमा को इनमे समन्वय बिठाने की जिम्मेदारी दी गयी थी। चुँकि यह पाईलट फेज था जिसके कारण इसका नोट अभी तक पीएमओ मे नहीं भेजा गया है। ब्रिगेडियर चीमा की रिपोर्ट मिलते ही मै इसका नोट वीके के सामने रख देता। मै उनकी रिपोर्ट का इंतजार कर रहा हूँ। इतना बोल कर गोपीनाथ चुप हो गया था। …चल पुत्तर। इतना बोल कर जनरल रंधावा खड़े हुए और चल दिये। मैने जल्दी से गोपीनाथ का अभिवादन किया झटपट उनके पीछे हो लिया।

गोपीनाथ के खुलासे ने तो हम दोनो का दिमाग ही चकरा कर रख दिया था। आफिस की ओर लौटते हुए हम इसके बारे मे चर्चा करके और भी उलझ गये थे। अजीत सर और वीके के सामने जनरल रंधावा ने सारी बात खोल कर रखी तो अजीत सर कुछ देर सोचने के बाद बोले… पीरजादा मीरवायज ने तो जैश खड़ा किया है? …पता नहीं सर। तालिबान और अफगानिस्तान पर मैने कभी ध्यान ही नहीं दिया। …सरदार, क्या कोई और मीरवायज अफगानिस्तान मे भी सक्रिय हो सकता है? …अजीत कोई भी मीरवायज हो लेकिन उनके फिरके का धार्मिक गुरु तो पीरजादा ही होगा। अबकी बार वीके ने कहा… तो इसका मतलब तो यही हुआ कि पीरजादा ही ब्रिगेडियर चीमा के अपहरण के पीछे है। अजीत तेरी छठी इंद्री सुचारु रुप से काम कर रही है। वह सब अपनी बातों मे उलझे हुए थे परन्तु मै अंजली के आंकलन के बारे मे सोच रहा था। उसने आने वाले खतरे के बारे मे पहले से ही मुझे आगाह कर दिया था परन्तु मेरा ध्यान ब्रिगेडियर चीमा की ओर नहीं गया था। इसका मतलब था कि सीमा पार बैठे हुए दुश्मन ने अपनी अगली चाल चल दी थी और अब चाल चलने की बारी हमारी थी। 

4 टिप्‍पणियां:

  1. फिर से घटना वो का पहिया चल पड़ा है, ब्रिगेडियर चीमा का लापता होना थोड़ा संदेह जताता है की कुछ तो सही नही है, पहले फारूक के साथ उनका जो करार हुआ था पहले कहीं कोई गहरी चाल का अंश विशेष नही है, खैर एक और गहरी चाल तो तिकड़ीयों ने चलाई थी मगर अफसोस की आफशा उसका बाली चढ़ गई अनजाने ही,लेकिन फिर से कश्मीर के घाटी में हलचल दिखाई दी है तो देखते हैं की समीर कैसे उसको संभलेगा और तो और इस बार उसके पास हया जैसी बेहतरीन दिमाग है मगर क्या वो समीर की हेल्प करेगी यह एक प्रश्न रहेगा।

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    1. एक चाल को विफल किया तो विपक्ष ने दूसरी चाल चल दी। यही सत्य है कि दो ओर की सुरक्षा एजेन्सियाँ इसी प्रकार की आँख मिचौली के खेल मे सैदेव लगी रहती है। अब आगे देखना होगा कि इस शह और मात के खेल मे किसकी विजय होती है। शुक्रिया अल्फा भाई।

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  2. फिरसे काश्मीर घाटी का सुलगना अच्छा संकेत तो नही कह सकते, पर ये आग तो मिरवाईजो की बदले की जादा लग रही, बशरते आतंकी घटनावोंमे वृद्धीके. वैसे भी समीर और भारतीय सेना ने आतंकीयोंकी घाटीमे पहलेसे खटीया खडी की हुई है, पर बदले मे खून खराबा जादा होता हैं. देखते हैं समीर और तीकडीकी अगली चाल क्या होती है.

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    1. प्रशांत भाई, यही सत्य है कि जैसे ही आईएसआई की एक चाल विफल होती है तभी कश्मीर घाटी मे स्थिति बिगड़नी शुरु हो जाती है। अपनी हार का बदला लेने के लिये वह आतंकवादी तंजीमों को तुरन्त सक्रिय कर देते है। इस बार आईएसआई तो अंकुश लगाने की कोशिश कर रही थी परन्तु तंजीम बदला लेने पर खुद ही उतारु हो गयी है। इस घटना का विशेषकर जिक्र इस कारण किया गया है कि कश्मीर घाटी मे हुए हमलों मे यह जानना बेहद कठिन है कि कौन सी घटना को आईएसआई ने अंजाम दिया है और कौन सी घटना को तंजीमो ने बदले की भावना से अंजाम दिया है।

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