सोमवार, 13 मई 2024

 

 

शह और मात-1

 

मुझे मुजफराबाद मे आये हुए तीन दिन हो गये थे। यहाँ तीन दिन से लगातार बारिश हो रही थी। काले बादलों ने दिन मे अंधेरा कर दिया था। इस सबके बावजूद दो दिन से मै पाँचों पहर की नमाज के बहाने इस्लामिया मस्जिद मे जा रहा था। पीरजादा मीरवायज एक बार भी सामने नहीं आया था। मस्जिद के कारिन्दो से पता चला कि पीरजादा साहब अपने धार्मिक टोले को लेकर दौरे पर गये हुए है। पाकिस्तान पहुँच कर नीलोफर अपने परिवार से मिलने लाहौर और उसके बाद बालाकोट चली गयी थी। कल शाम को उसने फोन पर बताया कि वह मुजफराबाद पहुँच गयी है। अगली सुबह मै तैयार होकर नीलोफर से मिलने के लिये उसके बताये हुए पते की ओर निकल गया था। वह मुजफराबाद शहर से बाहर निकलते ही झेलम नदी के तट पर बने संगम होटल मे ठहरी हुई थी। खराब मौसम के कारण मै बारह बजे तक होटल पहुँचा था। नीलोफर होटल के रिसेप्शन एरिया मे मेरा इंतजार कर रही थी। मुझे अन्दर प्रवेश करते हुए देख कर वह मेरी ओर आते हुए जल्दी से बोली… तुमने आने मे देर कर दी। एक नजर भर कर मैने उसकी शिकायत को अनसुना करते हुए पूछा… अंजली का कुछ पता चला? अपने कमरे की दिशा मे चलते हुए वह बोली… इतना तो यकीन से कह सकती हूँ कि वह मुजफराबाद मे नहीं है। …पीरजादा मीरवायज भी मुझफराबाद मे नहीं है। …लश्कर ने बताया है कि पिछले एक महीने से पीरजादा अपने फिरके की सभी मस्जिदों का दौरा करने के लिये निकला हुआ है। …क्या अंजली उसके पीछे जा सकती है? …मुझे नहीं लगता। लश्कर के अनुसार जोरावर बाटामालू को पिछले छह महीने से किसी ने नहीं देखा है। तुम्हारी अंजली के निशाने पर पीरजादा नहीं जोरावर बाटामालू है। अब बताओ आगे क्या करना है?

हम बात करते हुए होटल के कमरे मे प्रवेश कर गये थे। एक नजर कमरे मे घुमा कर खिड़की से बाहर झेलम नदी के तेज बहाव को देखते हुए कुछ सोच कर मैने पूछा… नीलोफर, तुम जानती हो कि मै यहाँ पर सिर्फ अंजली को वापिस ले जाने के लिये नहीं आया अपितु किसी और ही मकसद से इस बार यहाँ आया हूँ। एक बार फिर सोच लो कि क्या तुम मेरे साथ काम करोगी? वह मेरे निकट आकर पीछे से अपनी बाँहों मे बाँध कर बोली… जब मैने तुम्हारे नाम अपनी जिन्दगी कर दी तो अब यह पूछना बेमानी है। …जोखिम का काम है। पाकिस्तानी सेना और आईएसआई के विरुद्ध जंग छेड़ने जैसा काम है। वह कुछ नहीं बोली बस उसकी पकड़ और मजबूत हो गयी थी। वह कुछ देर ऐसे ही खड़ी रही और फिर मुझे छोड़ कर बोली… सीमा के उस पार तुम मेरी रक्षा कर रहे थे तो अब यहाँ पर मै तुम्हारी ढाल बनूँगी। बताओ क्या करना है? उसके बेड पर फैलते हुए मैने कहा… हमे गिलगिट मे अपना बेस बनाना है। मेरे छ्ह साथी दो हफ्ते के बाद मुजफराबाद पहुँच रहे है लेकिन उससे पहले मुझे कुछ इंतजाम करने है। …कैसे इंतजाम? …यहाँ के बड़े-बड़े शहरों मे फाईनेन्सर बन कर कुछ प्रमुख कारोबारियों के साथ जान पहचान बनानी है। …अभी हमारे पास दो हफ्ते है। आज ही लाहौर चलते है। वहाँ पर मेरे परिवार का काफी दबदबा है। उनकी मदद से कुछ कारोबारियों से जान पहचान हो जाएगी। एक घंटे के बाद हम एक प्राईवेट टैक्सी से लाहौर की दिशा मे निकल गये थे।

बारह घंटे लगातार चलने के बाद अगली सुबह हम लाहौर पहुँच गये थे। कुछ खास स्थानों को छोड़ कर ज्यादातर स्थानों पर सड़क बेहद खसता हाल मे थी। सफर मे जिस्म की सारी हड्डियाँ हिल गयी थी। हम कुछ देर खाने और प्रकृतिक जरुरतों को पूरा करने के लिये रुके थे। लाहौर पहुँच कर नीलोफर ने कहा… होटल के बजाय मेरे घर चलते है। वहाँ रुकेंगें तो बड़े कारोबारियों के साथ मिलना आसान हो जाएगा। …मेरे बारे मे अपने परिवार वालों को क्या बताओगी? …तुम मेरे खाविन्द हो तो इसमे और क्या बताना है। इतना बोल कर वह ड्राईवर को रास्ता बताने लगी। लाहौर शहर के बीच गुजरते हुए मुझे ऐसा लगा कि जैसे मै पुरानी दिल्ली मे आ गया था। वही खाने-पीने की छोटी-बड़ी दुकाने, कपड़ो, खिलौनों और सुनारों की दुकाने, उन्हीं के सामने पटरी पर लगी ही फुटकर दुकाने, सब कुछ वैसा ही दिख रहा था। कुछ ही देर मे हम लाहौर शहर के मध्य मे एक आलीशान पुरानी हवेली के सामने पहुँच कर रुक गये थे। टैक्सी से उतर कर मैने अपना एक बैग कन्धे पर लटकाया और दूसरे बैग को उठाया और नीलोफर के साथ चल दिया। बड़े से प्रवेश द्वार पर जिहादियों की फौज खड़ी हुई थी। सभी हथियारों से लैस थे। वह धीरे से बुदबुदाई… लगता है आज तायाजी आये हुए है। वह कुछ और बोलती कि तभी एक चिरपरिचित नारा गुंजायमान हुआ… नारा-ए-तकबीर…अल्लाह-ओ-अकबर। इसी के साथ जिहादियों की फौज मे घिरा हुआ जकी-उर-लखवी आता हुआ दिखा तो हम दोनो किनारे मे चले गये थे। उस काफिले के आते ही वहाँ उपस्थित सभी के चेहरे पर एक अजीब सा तनाव उभर आया था। एकाएक नीलोफर मुझे वहीं छोड़ कर उस काफिले के सामने जाकर खड़ी हो कर जोर से बोली… तायाजी आदाब। सामने चलने वाली जिहादियों की भीड़ तुरन्त छँटने लगी और फिर नीलोफर और दोनो लखवी आमने आमने सामने आ गये थे। मुझे नहीं पता कि उनके बीच मे क्या बात हुई परन्तु वह काफिला कुछ दूरी पर कतार मे खड़ी गाड़ियों की ओर बढ़ गया। नीलोफर मेरे पास आकर बोली… आज शाम को हमसे तायजी मिलेंगें। काफिला निकलने के पश्चात चार-पाँच हथियारों से लैस जिहादी प्रवेश द्वार पर तैनात हो गये थे।

हवेली के अन्दर प्रवेश करने मे हमे कोई रुकावट नहीं आयी थी। अन्दर काफी चहल पहल दिख रही थी। बच्चे दलान मे इधर-उधर भाग रहे थे। उनकी आवाजें  हवेली की शांति को निरन्तर भंग कर रही थी। एक हिस्से मे महिलाओं का झुन्ड धूप सेकते हुए बतियाते हुए सब्जी काट रहा था और दूसरे हिस्से मे कुछ महिलायें रसोई के काम मे उलझी हुई थी। नीलोफर किसी से बोले बिना एक दिशा मे चल दी। मै अपना और उसका सामान उठाये उसके पीछे चल दिया। भूलभुलैयाँ जैसे गलियारों से होते हुए वह एक दरवाजे पर पहुँच कर बोली… यह मेरा कमरा है। उसने दरवाजे को धक्का देकर खोला और अन्दर प्रवेश करते हुए बोली… आओ। कमरे मे प्रवेश करते ही लगा कि बड़े से हाल मे आ गया था। एक किनारे मे बड़ा सा पलंग पड़ा हुआ था और दूसरे किनारे मे बैठने के लिये करीने से सोफा लगा हुआ था। खिड़की के पास एक मेज कुर्सी रखी हुई थी। एक ही नजर मे पूरे कमरे का जायजा लेकर मैने सारे बैग एक किनारे मे रख कर पूछा… यहाँ टायलेट व गुसल की क्या सुविधा है? उसने इशारे से एक दिशा को इंगित करके कहा… उस ओर टायलेट और गुसल का इंतजाम है। मै कुछ बोलता कि तभी एक नाजनीन ने कमरे मे प्रवेश किया और नीलोफर से बड़ी तल्ख आवाज मे बोली… तो छिनाल अपना हिस्सा हथियाने के लिये वापिस आ गयी। एकाएक बोलते हुए जैसे ही उसकी नजर मुझ पर पड़ी वह हड़बड़ा कर दो कदम पीछे हटते हुए चीखी… यह किसको ले आयी? नीलोफर ने मुस्कुरा कर कहा… रुख्सार, यह मेरे खाविन्द है। वह लड़की जल्दी से अपना चेहरा और सिर ढक कर बोली… आदाब। …समीर, यह मेरे तायाजी की बेटी है। तभी दो नवयुवकों ने कमरे मे प्रवेश किया और उनके पीछे तीन और युवतियों आ गयी थी। एकाएक उनके बीच सवाल-जवाब का सिलसिला आरंभ हो गया था। इस दौरान मै नुमाईश मे रखी हुई एक मूर्ती की भांति सोफे पर बैठा हुआ लखवी परिवार की दरारों के बारे मे सोच रहा था।

शाम को बड़े लखवी का पैगाम आया कि हम दोनो को बैठक मे बुलाया है। नीलोफर तो सजधज कर तैयार हो गयी थी परन्तु मेरे पास तो वही दो जोड़े कपड़े थे जिनको लेकर मैने पाकिस्तान मे प्रवेश किया था। …क्या सोच रहे हो? …क्या इन्हीं कपड़ो मे उनके सामने जाना ठीक होगा? उसने एक बड़ा सा पैकट मेरी ओर बढ़ाते हुए कहा… यह पहन लो। मैने पैकट खोला तो उसमे पाकिस्तानी शलवार कुर्ते के बजाय पश्चिनी सूट और टाई देख कर मै चकरा गया। वह बोली… अब तुम्हें उनके सामने विदेश से आये हुए कारोबारी के रुप मे पेश होना है। …इसका इंतजाम कब और कैसे किया? …जब तुम आराम से सो रहे थे। कुछ देर मे हम तैयार होकर बैठक की ओर चल दिये। वह चलते हुए धीरे से बोली… तायाजी से ज्यादा चचाजान पैसो की बात से प्रभावित होते है। मैने चलते हुए कहा… तुम चुपचाप मुझे सुनना क्योंकि मै तुम्हारे लिये पहले कहानी तैयार करुँगा। उसके बाद तुम अपने तरीके से उन्हें संभालना। बैठक तक पहुँचने मे हमारे बीच बस इतनी बात हो सकी थी। वह बैठक नहीं अपितु दरबार-ए-खास की झलक दे रहा था। विशालकाय कमरा और औसत से ऊँची छ्त होने के बावजूद वह कमरा लोगों की मौजूदगी मे छोटा लग रहा था। बड़ा और छोटा लखवी एक आलीशान सोफे पर सामने बैठे हुए थे। बाकी सभी छोटे और बड़े परिवार के पुरुष किनारों पर लगे हुए सोफे और कुर्सियों पर विराजमान थे। कमरे के एक हिस्से मे झीने से पर्दे की आढ़ मे दर्जन भर महिलायें बैठी हुई हमे ताक रही थी। चालीस-पचास लोगों का लखवी परिवार उस बैठक मे हमारी किस्मत का फैसला करने के लिये इकठ्ठा हुआ था।

अभिवादन की औपचारिकताएँ समाप्त होने के पश्चात बड़े लखवी ने पूछा… क्या नाम है? …समीर बट। …कश्मीरी हो? …नहीं, पुर्खे बाल्टीस्तान से है परन्तु मैने सारी जिन्दगी विदेश मे गुजारी है। …क्या काम करते हो? …फाईनेन्स का कारोबार है। एकाएक महफिल मे कुछ बुदबुदाहट हुई तो बड़े लखवी ने घूर कर एक नजर घुमाई तो एक बार फिर से शांति छा गयी थी। अबकी बार छोटे लखवी ने सवाल किया… कितने तक का प्रोजेक्ट फाईनेन्स करते हो? …इसकी कोई सीमा नहीं है। …क्या मतलब? …मेरी फाईनेन्सिंग की कोई सीमा नहीं है? छोटा लखवी चकरा कर बोला… हजार करोड़ का फाईनेन्स कर सकते हो? …क्यों नहीं लेकिन फाईनेन्स का धन्धा उधार लेने वाले की औकात पर निर्भर करता है। मेरा जवाब सुन कर सबके मुँह पर ताला पड़ गया था। अबकी बार बड़े लखवी ने पूछा… अभी तक का सबसे बड़ा प्रोजेक्ट कितने का किया है? …पाँच सौ करोड़। …किसको दिये थे? …इसका मै जवाब नहीं दे सकता। बड़े लखवी ने मुझे घूर कर देखा कि तभी पर्दे के पीछे से एक महिला की आवाज कान मे पड़ी… क्या बेकार के सवाल जवाब कर रहे है। यह पूछिये कि इन्होंने कब निकाह किया? मैने उस झीने से पर्दे की ओर देख कर कहा… एक साल से ज्यादा हो गया है। मेरा यकीन किजिये कि नीलोफर को मेरे साथ कभी कोई तकलीफ नहीं होगी। सिर्फ इसके कहने पर मै यहाँ पाकिस्तान मे फाईनेन्स का करोबार जमाने के लिये आया हूँ। मेरा तो काम दुनिया भर मे फैला हुआ है। एकाएक बैठक के दोनो हिस्सों मे बातचीत का दौर आरंभ हो गया था।

कुछ देर उनकी बात सुन कर बड़े लखवी ने हवा मे हाथ उठा कर बोला… चुप हो जाओ। एकाएक सारी आवाजें शान्त हो गयी थी। तभी छोटा लखवी बोला… हम यहाँ एक हाउसिंग सोसाईटी का निमार्ण कर रहे है। क्या उसमे सौ करोड़ लगा सकते हो? पहली बार अपने साथ खड़ी हुई नीलोफर की ओर देख कर मैने कहा… यहाँ का कारोबार नीलोफर देखेगी तो यह इसका निर्णय होगा। ब्याज की दर व पैसे की वापिसी पर वह पैसा लगायेगी। अबकी बार बड़े लखवी ने पहली बार नीलोफर से पूछा… बिटिया क्या तुम पैसा लगाओगी? …तायाजी, सारी कागजी कार्यवाही होने के बाद ही मै सौ करोड़ लगा सकती हूँ। …बिटिया, मुन्नवर कागजी कार्यवाही नहीं कर सकता तो क्या पैसा लगाओगी? …तायाजी, अगर आप तय समय पर पैसे वापिसी की गारन्टी देंगें तो मै सौ करोड़ लगा दूँगी अन्यथा हर्गिज नहीं। छोटा लखवी नीलोफर को घूरने लगा तो वह जल्दी से बोली… फाईनेन्स का काम भरोसे का होता है। मुझे सिर्फ आपकी बात पर भरोसा है। सब आँखें फाड़े नीलोफर की ओर देख रहे थे कि कितनी आसानी से वह करोड़ों की बात कर रही थी। तभी नीलोफर एक बार फिर बोली… तायाजी, अगर आप गारन्टी लेंगें तो पैसे वापिसी के लिये मै आपको दो पर्सेन्ट कमीशन भी दूँगी। मेरे लिये पैसे की उगाही का काम भी एक कारोबार है। हमारा सारा काम व्हाईट का है और बैंक के द्वारा होगा। अगर कोई ब्लैक को व्हाईट मे करने की बात करेगा तो उसका रेट अलग है। हर दस लाख पर दो लाख की कमीशन देनी होगी। दोनो लखवी कुछ बोलते उससे पहले मैने कहा… हम अपना कारोबार पाकिस्तान मे फैलाने की सोच रहे है तो इसमे हमे आपकी मदद चाहिये। इतना बोल कर मै चुप हो गया। सभी हमे ताक रहे थे परन्तु शायद बड़े लखवी के कारण चुप थे।

तभी एक बार फिर से उसी महिला की कर्कश आवाज गूँजी… आपने निकाह की बात करने लिये इकठ्ठा किया है या कारोबार की बात करने के लिये हमे यहाँ बिठाया है। बड़े लखवी ने अपनी अधकचरी दाड़ी पर उँगलियाँ फिराते हुए सिर हिला कर कहा… जब यह दोनो एक साल से साथ रह रहे है तो फिर अब क्या बात बाकी रह गयी है। तभी वह महिला बोली… तो फिर रजामन्दी से इस बिन माँ-बाप की लड़की को रुखसत करके अपनी जिम्मेदारी पूरी किजिये। बड़े लखवी ने एक नजर सब पर डाल कर कहा… इस निकाह के लिये किसी को कुछ कहना है तो अभी बोले अन्यथा इस रिश्ते के लिये मै अपनी रजामन्दी देता हूँ। तभी एक नवयुवक खड़ा होकर बोला… अब्बा, इस निकाह के बाद यह हमारे लखवी परिवार का हिस्सा नही रहेगी। तभी रुख्सार पर्दे के दूसरी ओर से बोली… इस निकाह के बाद यह अपने हिस्से की मांग भी नहीं करेगी। इसके लिये अगर यह तैयार है तो हमे भी इस निकाह के लिये कोई आपत्ति नहीं है। नीलोफर तुरन्त बिफर कर बोली… यह तुमने कैसे सोच लिया कि मै तुम्हारे कहने पर अपना हिस्सा छोड़ दूँगी। तभी एक अधेड़ उम्र की महिला खड़ी हो कर चिल्लायी… हरामखोर बेशर्म, मीरवायजों के साथ मुँह काला करके अब अपने एक नये यार को लेकर अपना हिस्सा मांगने आयी है। मै इस निकाह को होने नहीं दूंगी। नीलोफर गुस्से से भड़कते हुए बोली… खाला, तुम अपने मंदबुद्धि साहिबजादे के लिये रुख्सार के लिये पैगाम भिजवा दो। मेरे हिस्से को हथियाने का विचार अब हमेशा के लिये त्याग दो। एकाएक बैठक मे कोहराम मच गया। बड़ा और छोटा लखवी दोनो ही पारिवारिक कलह मे उलझ कर रह गये थे। नीलोफर अकेली लखवी परिवार के सदस्यों के साथ बहस मे उलझ गयी थी।

…धाँय…। फायर की आवाज सुनते ही सभी चौंक गये थे। बड़े लखवी अपनी पिस्तौल को हवा मे लहरा कर बोला… अब अगर किसी की मुझे आवाज सुनायी दी तो मै उसे गोली मार दूँगा। एक बार फिर से सबके मुँह पर ताला पड़ गया था। मैने बड़े लखवी की बात को अनसुना करके नीलोफर से पूछा… तुम्हारे हिस्से मे कितना आयेगा जिसके लिये तुम इनसे लड़ रही हो। वह रकम मै आज और अभी तुम्हें देता हूँ इसलिये इसके लिये मत लड़ो। हमारे रिश्ते को यह रजामन्दी से कुबूल कर लेंगें तो इसके लिये यह रकम कुछ भी नहीं है। नीलोफर ने एक बार मेरी ओर देखा और बड़े लखवी से बोली… समीर, यह पैसों की बात नहीं है। यह हिस्सा मेरे हक की बात है क्योंकि मै भी इन सबकी तरह लखवी परिवार का हिस्सा हूँ। क्या कोई अपनी जड़ों से कट कर पनप सकता है। मै तो तायाजी से इंसाफ मांगने आयी थी लेकिन आज जो इन्होंने तुम्हारे सामने किया उसके लिये मै हमेशा के लिये शर्मिन्दा हो गयी हूँ। बड़ा लखवी अचानक खड़ा हो गया तो बैठक मे उपस्थित सभी लोग किसी खतरे की आशंका से सावधान हो गये थे। वह चलते हुए हमारे पास आया और नीलोफर के सिर पर हाथ रख कर बोला… बिटिया, तेरा हिस्सा तुझे जरुर मिलेगा। तेरे निकाह को लखवी परिवार रजामन्दी देता है। समीर, अगर इसको कभी कोई तकलीफ देने की सोची तो सिर्फ इतना याद रखना कि यह लखवी परिवार की बेटी है। इतना बोल वह गर्जा… आज के बाद किसी ने अगर इस मसले पर कुछ कहा तो उसका परिणाम बेहद तकलीफदेह होगा। तभी पर्दा हटा कर एक महिला बैठक मे आयी और नीलोफर के हाथ मे एक बक्सा पकड़ा कर बोली… बिटिया, यह तेरी अम्मी का सामान है। नीलोफर जल्दी से बोली… समीर, यह मेरी बड़ी अम्मी है। मैने झुक कर जल्दी से आदाब कहा तो वह महिला बोली… हमारी अमानत को संभाल कर रखना। इसके बाद फिर परिवार के सदस्यों के साथ मिलने जुलने का सिलसिला शुरु हो गया था।

अगली सुबह से नीलोफर के कारोबार का काम शुरु हो गया था। लखवी परिवार के सदस्यों ने अपने-अपने गुटों मे बात करनी शुरु कर दी थी। कुछ सदस्यों ने अपने गुटों मे नीलोफर के पैसों को हड़पने की नीयत से बात की थी और कुछ छोटे-बड़े कारोबारियों मे अपना प्रभाव बढ़ाने की नीयत से बात कर रहे थे। दोनो प्रकार के लोगों ने हमारे कारोबार का प्रचार करना आरंभ कर दिया था। दोपहर तक नीलोफर लगभग ने दस कारोबारियों से बात कर चुकी थी। …समीर, सभी छोटे कारोबारी लग रहे है। कोई भी एक करोड़ से उपर की बात नहीं कर रहा है। इनके जैसे कारोबारी का प्रभावक्षेत्र बेहद संकीर्ण होता है। …तुम सबकी सुनो और बस करना वही जिसके कारण यहाँ के प्रभावशाली समाज मे तुम्हारा प्रवेश हो सके। हमे एक गाड़ी की जरुरत है। कोई स्थानीय मार्किट बता सकती हो जहाँ से एक सेकन्ड हैन्ड पिक-अप ट्रक खरीदा जा सके? वह कुछ बोलती कि उससे पहले दस्तरखान का बुलावा आ गया। हम दोनो दलान की ओर निकल गये थे। सभी लोग दलान मे इकठ्ठे हो गये थे कि अचानक नीलोफर ने एक अधेड़ से आदमी से कहा… मेहमूद भाईजान, यह एक पिक-अप ट्रक खरीदना चाहते है। क्या आप किसी डीलर को जानते है?  मेहमूद ने कुछ पल मुझे देखा और फिर मुस्कुरा कर बोला… समीर, लंच के बाद मेरे साथ चलना। तभी रुख्सार हमारे सामने बैठते हुए आँखें नचा कर बोली… भाईजान, इसकी बातों मे मत आना। मुझे शुरु से इसकी नीयत ठीक नहीं लगती। दोपहर को भी यह दीदे फाड़ कर मुझे घूर रहा था और देखिये अभी भी कैसे भूखी नजरों से देख रहा है। पल भर मे उसने भरी महफिल मुझे बेइज्जत कर दिया था। वह आँखों ही आँखों से मुझे चुनौती देती हुई लग रही थी।   

खाने के बाद मेहमूद अपने साथ मुझे लेकर अपनी दुकान दिखाने की मंशा से मार्किट की दिशा निकल गया था। …समीर, यह एशिया का सबसे बड़ा चोर बजार है। यहाँ महंगी से महंगी कार व उसके पार्ट्स खरीदे व बेचे जाते है। हम एक विशाल गाड़ियों की मार्किट मे खड़े हुए थे। हर प्रकार की गाड़ियाँ अलग-अलग हालात मे खड़ी हुई थी। कहीं कोई कार खुली पड़ी थी और कहीं चैसिस पर इंजिन फिट हो रहे थे। कहीं डेन्टिंग-पेन्टिंग का काम चल रहा था और कहीं गाड़ियों के पार्ट्स फैले हुए थे। सैकड़ों मैकेनिक और उनके हेल्पर गाड़ियों की मरम्मत मे व्यस्त दिख रहे थे। …मेहमूद भाई, आपका क्या कारोबार है? …मत पूछो तो बेहतर होगा। …फिर भी भाईजान पता तो चले। मेहमूद अपनी वर्कशाप दिखाते हुए बोला… इम्पोर्टिड गाड़ियों को खरीदने व बेचने का काम है। मैने अचरज से वर्कशाप की ओर इशारा करके कहा… यह कार डीलरशिप तो नहीं लगती। अबकी बार मेहमूद दबी आवाज मे बोला… चोरी की गाड़ियों को नया बना कर बेचने का काम है। जब से चीनी यहाँ आये है तब से उनकी गाड़ियों का कारोबार तेज हो गया है। हमारे पास ऐसा हुनर है कि उनकी गाड़ियों को हम टोयोटा की गाड़ी बना कर नये कागजात तैयार करके स्थानीय लोगों को आधी कीमत मे बेच देते है। उनकी गाड़ियों से उनके पार्ट्स निकाल कर उन्हीं को बेचने का जो मजा है वह किसी और काम मे नहीं है। इतना बोल कर वह खिलखिला कर हँस दिया था। तीन घंटे उस मार्किट मे बिता कर हम एक नयी चमचमाती हुई टोयोटा हाईलक्स मे वापिस लौट रहे थे। …समीर, इसके कागज कल तुम्हें मिल जाएँगें।

रात को कमरे मे बैठ कर मै अपनी नयी योजना की रुपरेखा तैयार कर रहा था। …क्या सोच रहे हो? …गिल्गिट के लिये अपनी योजना मे फेर बदल कर रहा हूँ। …समीर, मै आज एक कारोबारी से मिली थी। उसे दो करोड़ रुपये एक हफ्ते के लिये चाहिये। उसे सरकारी जब्ती से अपना माल छुड़ाना है। …किसका माल है? …यहाँ की चीनी मिलों के मालिकों का वह बिचौलिया है। वह अपने नाम से बाहर से मशीनरी मंगाता है और उन्हें यहाँ के कारोबारियों को बेचता है। उसका माल कस्टम ने जब्त कर लिया है। …वह किसके जरिये मिला था? …मुन्नवर चचा ने एक रियलएस्टेट कारोबारी को मेरे पास शापिंग माल के प्रोजेक्ट के लिये भेजा था। वह बिचौलिया उसके साथ आया था। वह उस वक्त तो वापिस चला गया था परन्तु कुछ देर बाद वह लौट कर आया और मेरे से पूछने लगा कि क्या उसे एक हफ्ते के लिये दो करोड़ मिल सकते है। मैने उसे कल आने के लिये कहा है। कुछ देर सोचने के बाद मैने कहा… कल मै भी तुम्हारे साथ चलूँगा। एक बार उसकी हैसियत आंकना जरुरी है। दलाल आदमी है तो यहाँ के प्रभावशाली कारोबारियों के समूह मे घुसने की वह चाबी हो सकता है। …वह यहाँ के डीसी का दामाद है। …डिप्टी कमिश्नर? …हाँ, उसने यही बताया था। …कोई बात नहीं। उसकी असलियत आसानी से पता चल जाएगी।

अगली सुबह हम दोनो ताज पैलेस होटल के सूट मे बैठ कर कारोबारियों से मिल रहे थे। बड़े लखवी ने नीलोफर को यह सुझाव दिया था कि आलीशान होटल के सूट को अपने आफिस मे परिवर्तित करके लोगों से मिलना उसके कारोबार के लिये अच्छा रहेगा। तभी से नीलोफर ने इस सूट को अपने आफिस मे परिवर्तित कर दिया था। ग्यारह बजे उसी दलाल का आगमन हुआ तो नीलोफर ने मुझे उससे मिलाते हुए कहा… यह मेरे खाविन्द समीर है। यह सिर्फ बड़े प्रोजेक्ट्स का काम संभालते है। फिलहाल मै कुछ कारोबारियों से बात कर रही हूँ तो आपको कुछ देर इंतजार करना पड़ेगा। तब तक आप इनसे बात कर लिजिये। …समीर साहब, मेरा नाम अकबर चौधरी है। नीलोफर बाजी को मैने अपनी जरुरत के बारे मे बताया था। एक नजर उस पर डाल कर मैने कहा… आप जैसे सुन्दर और प्रभावशाली व्यक्तित्व को मै अपनी बीवी से डील करने की इजाजत तो हर्गिज नहीं दे सकता। वह चौंक कर मेरी ओर देखने लगा तो मैने मुस्कुरा कर कहा… भाईजान, आपको देख कर अब मुझे अपनी बीवी की चिन्ता सता रही है। वह कहीं आपके साथ भाग गयी तो मुझ गरीब का क्या होगा। इतना बोल कर मै खिलखिला कर हँसते हुए बोला… प्लीज मेरी बात का बुरा मत मानिये। मै मजाक कर रहा हूँ। हम कारोबारी सारे समय बस संख्या और मुनाफे मे उलझे रहते है। आपको देख कर मुझे लगा कि कोई फिल्मी हस्ती मिलने आयी है। वह मुस्कुरा कर बोला… समीर भाईजान आप बेहद दिलचस्प इंसान है।

वह कुछ और बोलता उससे पहले मैने कहा… अकबर मियाँ, क्या आप सिर्फ चीनी फैक्ट्रियों के लिये काम करते है? …नहीं, मै दवाई कारोबारियों और सीमेन्ट कारोबारियों के लिये कच्चा माल व मशीनों को उप्लब्ध कराता हूँ। मेरा आयात और निर्यात का काम है। …चौधरी साहब, दो करोड़ रुपये एक हफ्ते के लिये मिल जायेंगें परन्तु आपकी गारन्टी कौन लेगा। वह तुरन्त बोला… मेरी गारन्टी मेरे ससुर डीसी शमशेर अहमद देंगें। …आपको ब्याज एक महीने का देना होगा। हम वैसे तो छह महीने से कम फाईनेन्स नहीं करते है लेकिन चुँकि आपने डीसी साहब का रेफ्रेन्स दिया है तो हम इसको फाईनेन्स करने के लिये तैयार है लेकिन हमारी ब्याज की दर चार परसेन्ट है। इतना बोल कर मै चुप हो गया तो वह तुरन्त बोला… समीर साहब, ब्याज की दर कुछ ज्यादा है। …तो आप किसी और से ले लिजिये। …नहीं, मेरा यह मतलब नहीं था। क्या कुछ कम कर सकते है? मैने मुस्कुरा कर कहा… हाँ अगर आप हमे अपने घर पर डिनर कराने का वादा करें तो मै यह दर दो पर्सेन्ट कर सकता हूँ। अबकी बार वह खिलखिला कर हँसते हुए बोला… आप कैसी बात कर रहे है। अपने दोस्तों के लिये हमने कल रात को एक छोटी सी पार्टी रखी है। प्लीज, आप दोनो मेरे गरीबखाने पर आयेंगें तो मै इसे अपनी खुशकिस्मती समझूँगा। …चौधरी साहब, जब से यहाँ आये है तब से हम आफिस के बाहर नहीं निकले है और न ही हम यहाँ पर ज्यादा लोगों को जानते है। नीलोफर भी एक ही काम करते हुए बोर हो गयी है तो मैने सोचा कि इसी बहाने उसका मन भी बहल जाएगा। …समीर साहब, बहुत अच्छा विचार है। आप दोनो जरुर आईयेगा। …कल तक आपके पेपर्स तैयार हो जाएँगें। इतनी बात करके मैने उसे रुखसत किया और नीलोफर की ओर चला गया। वह अभी भी उनके प्रोजेक्ट मे उलझी हुई थी।

मै उसके साथ बैठ कर उनके प्रोजेक्ट को समझने मे उलझ गया था। अचानक मेरे दिमाग मे एक बात आयी तो मैने पूछा… इरशाद साहब, आप जहाँ शापिंग माल डालने की बात कर रहे है वह मुनिसिपल एरिया लगता है। इस प्रोजेक्ट की सारी पर्मिशन तो डीसी के हाथ मे है। क्या वह आपको इतनी आसानी से पर्मिशन दे देगा? …अरे जनाब आप उसकी फिक्र छोड़िये। उसका हर सिविल प्रोजेक्ट मे पाँच पर्सेन्ट का कमीशन बंधा हुआ है। वह पैसे पहले रखवाता है और फाईल बाद मे पास करता है। …क्या आप अकबर चौधरी को जानते है? …आप डीसी के दामाद की बात तो नहीं कर रहे है? …हाँ, उसी के बारे मे पूछ रहा हूँ।  कैसा आदमी है? …जनाब, वह अपने ससुर के नाम को हर जगह इस्तेमाल करता है जबकि उसकी अपने ससुर से बनती नहीं है। …क्यों? …यह बात जग जाहिर है साहब कि शमशेर अहमद इस रिश्ते के खिलाफ था लेकिन बेटी की जिद्द के आगे उसकी एक नहीं चली। आजकल अकबर अपनी बीवी की मदद से कोर्पोरेट दलाली का काम करता है। …ओह तो यह बात है। इरशाद ने तुरन्त पूछा… परन्तु आप यह सब क्यों पूछ रहे है? …कोई खास कारण नहीं है। उसकी पार्टी का न्यौता मिला है तो इसीलिये उसके बारे मे जानना चाहता था। इसके बाद एक बार फिर से शापिंग माल की कहानी मे उलझ गये थे।

देर शाम को लौटते हुए मैने नीलोफर को सारी बातों से अवगत करा कर पूछा… अब बताओ इसके बारे मे तुम्हारी क्या सलाह है? …समीर, बेवजह रिस्क लेने की हमे जरुरत नहीं है। मैने अपनी सिर्फ गरदन हिला दी थी। रात को खाने के दौरान मैने एक बार वही प्रश्न मेहमूद भाई से किया तो उनका जवाब था कि हिसाब-किताब मे अकबर चौधरी सही आदमी है। अगली सुबह तक मै इसी निष्कर्ष पर पहुँचा कि दो करोड़ का जुआ है लेकिन सारी बात पार्टी मे आये हुए मेहमानों पर निर्भर करेगी। यही बात नीलोफर को बता कर मैने अपने दिमाग का बोझ हलका कर लिया था। पिछले तीन दिन मे नीलोफर लगभग बीस कारोबारियों से मिली थी और उनमे से उसने तीन प्रोजेक्ट को मेरे सामने रखा था। …नीलोफर, वह जमानत के लिये क्या सुझाव दे रहे है? …सिक्युरिटी के लिये कोई मकान और कोई जमीन के कागज देने की बात कर रहे है। …मुझे अब तुम्हारे तायाजी से एक बार मिलना है। …सुबह चाय के समय तैयार हो जाना क्योंकि तायाजी कल सुबह जल्दी चले जाएँगें। …क्या अभी नहीं मिल सकते? …नहीं इस वक्त वह किसी से नहीं मिलते। इतना बोल कर वह चुप हो गयी थी।

अगली सुबह मै हमेशा की तरह पाँच बजे उठ कर छह बजे तक तैयार हो गया था। नीलोफर ने बताया था कि जकी-उर-लखवी सुबह फज्र की नमाज के बाद तैयार होने चले जाता है। छह से आठ बजे तक वह दलान मे लोगों से मिलना जुलना शुरु कर देता है। मै जब दलान मे पहुँचा तब तक सब सुनसान पड़ा हुआ था। लश्कर के कारिन्दे बैठने वालों के इंतजाम मे जुटे हुए थे। तभी जकी-उर-लखवी ने दलान मे प्रवेश किया तो मुझे वहाँ खड़ा देख कर चौंक कर बोला… इतनी सवेरे तुम यहाँ क्या कर रहे हो? तभी एक कारिन्दा बोला… जनाब क्या गेट खोल दें? मैने जल्दी से कहा… तायाजी, एक जरुरी मसले पर आपकी राय लेनी है। बड़े लखवी ने अपना हाथ उठा कर अपने कारिन्दे को रोकते हुए पूछा… क्या बात है? मैने संक्षिप्त मे तीन प्रोजेक्ट के बारे मे बता कर पूछा… क्या आपके द्वारा इस पैसे की वसूली हो सकती है? कुछ सोच कर वह बोला… मै ऐसे काम मे हाथ नहीं डालता परन्तु अगर कोई मुश्किल पेश आये तो मुझे बता देना। बस इतनी बात उस दिन हमारे बीच मे हुई थी।

मुन्नवर लखवी ने एक वकील अबरार आलम का नाम सुझाया था तो मै और नीलोफर उससे मिलने के लिये चल दिये थे। अबरार आलम काफी नामी हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट का वकील था। उससे मिल कर हमने फाईनेन्सिंग के कानूनी कागज तैयार करने की बात कह कर दोपहर के बाद हम वापिस अपने होटल पहुँच गये थे। होटल के रिसेप्शन पर हमारे लिये एक सुन्दर सा कार्ड रखा हुआ था। आज रात की पार्टी के लिये अकबर चौधरी का निमन्त्रण था। एक बार फिर से कारोबारियों से बात करने का सिलसिला आरंभ हो गया था। रात को आठ बजे के करीब हम अकबर चौधरी के बताये हुए स्थान पर पहुँच गये थे। कोई जिमखाना जैसा क्लब दिख रहा था। एक ही स्थान पर तीन चार पार्टी का इंतजाम किया हुआ था। अकबर चौधरी की पार्टी का इंतजाम पीछे लान मे किया हुआ था। लम्बे से गलियारे को पार करके जैसे ही हमने लान मे कदम रखा तो वहाँ का हाल देख कर मै चौंक गया था। वहाँ दिल्ली जैसी पार्टियों का नजारा दिखाई दे रहा था। पश्चिमी फैशन का प्रभाव उपस्थित युवकों और युवतियों मे काफी ज्यादा दिख रहा था। …देख लिया कि यहाँ की पार्टी कोई दिल्ली की पार्टी से भिन्न नहीं है। तुमने मुझे तैयार ही नहीं होने दिया। अब उसकी शिकायत मुझे उचित लग रही थी। यहाँ पुरुषों और महिलाओं मे खुले आम ड्रिंक्स के दौर चल रहे थे।

मेरी निगाहें अकबर चौधरी को ढूँढ रही थी। …समीर साहब। एक आवाज गूँजी तो मैने मुड़ कर उस दिशा मे देखा तो अकबर चौधरी एक सुन्दर सी स्त्री के साथ हमारी ओर आता हुआ दिखाई दिया। वह बड़ी गर्मजोशी से मिला और अपने साथ खड़ी हुई स्त्री की ओर इशारा करके बोला… यह मेरी वाईफ सारा अहमद है। सारा अपने पश्चिमी परिधान मे बेहद खूबसूरत और कामुकता की जीवंत मूर्ती लग रही थी। हम दोनो ने उनका अभिवादन किया और सारा हमे पार्टी मे आये हुए लोगों से मिलाने के लिये चल दी थी। मुश्किल से तीस-चालीस लोग थे परन्तु सभी से मिलने के पश्चात मै इसी नतीजे पर पहुँचा कि सभी लोग प्रभावशाली घरों से ताल्लुक रखते थे। कुछ उद्योगपति घरानो से ताल्लुक रखते थे और कुछ वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों के परिवार के सदस्य थे। अपने हाथ मे ड्रिंक्स का गिलास उठाये हम दोनो सभी से मिलने मे व्यस्त हो गये थे। उनमे हमारी पहचान सारा ने एक अन्तरराष्ट्रीय फाईनेन्सर के रुप मे करायी थी। उनसे बातचीत के दौरान नीलोफर ने बताया कि फाईनेन्स का कारोबार बढ़ाने के लिये वह पाकिस्तान आयी है। यहाँ पर नीलोफर की उपयोगिता मुझे समझ मे आ गयी थी। वह बहुत से लोगो के जानकारो को पहले से जानने के कारण आसानी से उस समूह मे घुलमिल गयी थी। उनके साथ कुछ समय बिताने के पश्चात अकबर हमारे को उस भीड़ से अलग करके एक किनारे मे ले जाकर बोला… तो आपने हमारे बारे मे क्या सोचा है? सारा भी हमारे पास आकर खड़ी हो गयी थी। 

एक नजर उन दोनो पर डाल कर मैने कहा… अकबर साहब, डीसी साहब की गारन्टी कैसे दिलवाएगें? नीलोफर मुस्कुरा कर सारा की ओर देखते हुए बोली… हमने सुना कि आपके ताल्लुकात उनसे अच्छे नहीं है। अकबर ने मुस्कुरा कर सारा की ओर इशारा करके कहा… यह उनसे गारन्टी दिलवायेगी। आप बेफिक्र रहिये। पहली बार सारा ने बड़ी बेतकल्लुफी से मेरा हाथ पकड़ कर कहा… आप मेरे साथ चलिये। मै कुछ बोलता कि तभी नीलोफर ने अपने पर्स से एक लिफाफा निकाल कर अकबर के सामने करके कहा… यह आप आराम से पढ़ कर निर्णय लिजियेगा। अगर आप साईन करने के लिये तैयार है तो मै अभी जाने से पहले आपको ब्याज काट कर पूरे अमाउन्ट का चेक दे दूंगी। …नीलोफर, आप यह औपचारिक्तायें छोड़िये। बताईये कहाँ साईन करना है? नीलोफर ने मेरी ओर देखा तो मैने जल्दी से कहा… यह तुम्हारा निर्णय है। तभी अकबर बोला… नीलोफर बाजी, आप मेरे साथ आईये। नीलोफर एक पल कुछ सोच कर उसके साथ चली गयी और मै वहीं पर सारा के साथ खड़ा रह गया था। सारा मेरे समीप आकर बोली… समीर, जब तक वह बात कर रहे है तब तक क्या कुछ समय आप मुझे नहीं दे सकते? मैने उसकी ओर देखा तो वह मुस्कुरा कर बोली… आप बेफिक्र रहिये। अकबर आपकी नीलोफर का अच्छे से ख्याल रखेगा। यह बोलते हुए वह मेरे बेहद करीब आ गयी थी। मैने उसकी आँखों मे झाँकते हुए कहा… तो मेरा ख्याल कौन रखेगा? अबकी बार बड़ी बेशर्मी से वह लगभग मुझसे लिपटते हुए आँखें नचा कर बोली …आपकी जरुरतों का ख्याल रखने के लिये मै हूँ ना। वह इतने करीब आ गयी थी कि उसके कोमल जिस्म का मुझे आभास हो रहा था। मुश्किल से कुछ ही मिनट बीते थे कि नीलोफर मेरी ओर आती हुई दिखी तो सारा चौंक कर मुझसे छिटक कर दूर हो गयी थी।

नीलोफर मेरे पास आकर बोली… हमारी डील हो गयी है। मैने अकबर को चेक दे दिया है। …जब तुम्हारा काम हो गया है तो अब हम वापिस चलते है। …आओ चलो लेकिन पहले सभी से विदा लेना अच्छा होगा। इतना बोल कर नीलोफर और मै पार्टी मे आये हुए अतिथियों की भीड़ की ओर बढ़ गये थे। सारा चुपचाप वहीं बुत बनी खड़ी रह गयी थी। सबसे मिल कर इजाजत लेने के पश्चात जब हम उस क्लब हाउस से बाहर निकले तो मैने पूछा… तुम्हारी डील इतनी जल्दी कैसे हो गयी? …उसने सारे कागजों पर साईन कर दिया था। बस चलते हुए मैने उसे बता दिया कि अगर समय पर पैसा वापिस नहीं किया तो फिर लश्कर पैसा वसूल करने आयेगी लेकिन उस वक्त शमशेर अहमद भी उसके काम नहीं आयेगा। वापिस घर लौटते हुए नीलोफर ने कहा… समीर, मै अकबर के साथ कल करांची जा रही हूँ। क्या तुम कुछ दिन होटल मे रुक जाओगे? …करांची क्यों? …मैने इसी शर्त पर अकबर से डील की है कि वह मुझे बड़े आयातकों से संपर्क करवायेगा। …क्या मै तुम्हारे साथ नहीं चल सकता? …नहीं। अकबर तुम्हारे सामने खुलने की हिम्मत नहीं कर सकेगा। …होटल मे क्यों? …मेरे भाई-बहनों की साजिशों के कारण मै तुम्हें होटल मे रुकने के लिये कह रही हूँ। मैने कुछ नहीं कहा और होटल की दिशा मे चल दिया।

अगली सुबह नीलोफर कराँची चली गयी थी। अगले हफ्ते मेरे साथियों के पहुँचने के बाद मुझे गिल्गिट से आप्रेशन अज्ञातवीर को लाँच करने की रणनीति तैयार करने के लिये काफी समय मिल गया था। मै अपनी रणनीति पर काम करने बैठ गया। शाम को मै अपने कागज समेट कर बैग मे रख रहा था कि डोरबेल बज उठी। मैने दरवाजा खोला तो मेरे सामने एक बुर्कापोश महिला खड़ी हुई थी। झीनी सी चिलमन मे सिर्फ उसकी आँखें दिख रही थी। …क्या मै अन्दर आ सकती हूँ? मै गड़बड़ा कर जल्दी से बोला… जी  फिलहाल यहाँ कोई नहीं है। वह मुझे धकेल कर अन्दर आकर बोली… मै तो आपके लिये आयी हूँ। मैने जल्दी से दरवाजे को बन्द करके मुड़ा तो उसकी चिलमन हट चुकी थी। उसका चेहरा देख कर मै चौंक गया था। वह मुस्कुरा कर बोली… अकबर एक हफ्ते नीलोफर का ख्याल रखेगा तो मै यहाँ आपका ख्याल रखने के लिये आ गयी। इतना बोल कर वह मेरे निकट आकर खड़ी हो गयी थी।

अगले कुछ दिन मेहमूद और उसके साथियों के साथ समय बिता कर मैने आजाद कश्मीर के बारे मे जरुरी जानकारी इकठ्ठी करना शुरु कर दिया था। उनके माध्यम से गिल्गिट और बाल्टीस्तान के बहुत से कारोबारियों से मेरी मुलाकात हो गयी थी। आजाद कश्मीर के कारोबारियों के लिये लाहौर एक मात्र खरीदारी का केन्द्र था। सारा सामान खाने से लेकर कंप्युटर और गाड़ियों के पार्ट्स यहीं से वहाँ जाते थे। एक हफ्ते बाद जब नीलोफर कराँची से वापिस लौटी तब तक मै काफी तैयारी कर चुका था। नीलोफर के आने से पहले सारा वापिस चली गयी थी। उसके लौटते ही हम वापिस हवेली मे चले गये थे। अपने काम को बढ़ाने के लिये लखवी परिवार से इजाजत लेकर हम दोनो मुजफराबाद की दिशा मे निकल गये थे। जब तक हम मुजफराबाद पहुँचे तब तक मेरे साथियों का आगमन होना शुरु हो गया था। दो रात मुजफराबाद मे बिताने के बाद हम सब गिल्गिट की दिशा मे निकल गये थे। मुझे सीमा पार करे हुए एक महीना हो गया था। अब आप्रेशन आज्ञातवीर को लाँच करने का समय आ गया था।


बुधवार, 17 अप्रैल 2024

  

शह और मात- प्रस्तावना

 

नाल्तार घाटी, आजाद कश्मीर

पाकिस्तान एयरफोर्स के कानफ्रेन्स रुम मे पाकिस्तान और चीन की सेना के उच्चाधिकारियों के बीच गहन चर्चा चल रही थी। चीन के पश्चिमी कमान का जीओसी जनरल शेनजेन ने जनरल फैज की ओर देखते हुए कहा… आपकी सेना हमारे लोगों को सुरक्षा देने मे अस्मर्थ है। आपके लोग आये दिन हमारे काम मे बाधा डाल रहे है। कभी वह सड़क पर आकर सारा काम ठप्प कर देते है और कभी हमारे लोगों को धमका कर साईट से भगा देते है। वैसे ही इतना मुश्किल पहाड़ी रास्ता है और उस पर आपके लोगों का विरोध हमारे काम को गति पकड़ने से रोक रहा है। तेहरीक-ए-तालिबान के फिदायीन आये दिन हमारे कैंपों पर हमला कर रहे है जिसके कारण हमे जान और माल का काफी नुकसान हो रहा है। अगर आप इनको रोकने मे नाकामयाब रहे तो फिर हमे काम रोकना पड़ेगा। मेरा सुझाव है कि इस हिस्से की सुरक्षा का जिम्मा आप हमारी सेना के हाथ मे दे दिजीये। जनरल फैज के बजाय आजाद कश्मीर के गवर्नर शेख राशिद जब्बार खान ने कहा… हम आपकी सेना को यहाँ हर्गिज नहीं आने देंगें। वैसे ही स्कार्दू एयरबेस पर तैनात आपकी फौज ने क्या वहाँ की आवाम पर कम अत्याचार किया है। नहीं जनाब इनको यह छूट मत दिजीयेगा। जनरल फैज ने जल्दी से कहा… शेख साहब, फिलहाल हमारा ऐसा कोई विचार नहीं है। अभी तक पाकिस्तान फौज की देखरेख मे ही सारा काम चल रहा है।  जहाँ तक मेरे पास खबर है कि चीनी कामगार अंधेरे की आढ़ मे कैंप से बाहर जाते है। ऐसे लोगों को हम सुरक्षा नहीं दे सकते। हमारी सेना एक तरफ जंगी तंजीमो से आपके लिये टकरा रही है और दूसरी ओर इस परियोजना के विरोध मे भारतीय साजिश को लगातार नाकाम कर रही है।

अचानक पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने दोनो की बहस को रोक कर कहा… जनरल शेनजेन यह सड़क जितनी हमारी जरुरत है उससे कहीं ज्यादा यह आपकी जरुरत है। ग्वादर पोर्ट को आप्रेशनल बनाने के लिये के आपको इस सड़क परियोजना को जल्दी से जल्दी पूरा करना चाहिये। इसलिये फिजूल के आरोप और प्रत्यारोप एक दूसरे पर लगा कर समय मत गँवाइये। जनरल शेनजेन बोला… जनरल फैज लगता है कि आपने स्कार्दू से सबक नहीं लिया है। मै एक बार फिर से यही कहूँगा कि मेरी सरकार का यही मानना है कि अपनी जान और माल की सुरक्षा के लिये हमारी सेना का यहाँ पर होना जरुरी है। जनरल फैज कुछ देर तक चुप रहा और फिर धीरे से बोला… मै आपकी बात को जनरल महमूद के सामने रख दूँगा और वही इस बात का फैसला लेंगें लेकिन फिलहाल जनरल महमूद ने पूछा है कि अगली किस्त कब तक रिलीज होगी? जनरल शेनजेन ने मुस्कुरा कर कहा… जब तक इस बात का फैसला नहीं हो जाता तब तक अगली किस्त रिलीज नहीं हो सकेगी। मै उम्मीद करता हूँ कि आप मेरा संदेश उन तक पहुँचा देंगें। जनरल फैज ने खिसियाई मुस्कुराहट दिकखते हुए धीरे से अपना सिर हिला दिया था।  

नयी दिल्ली

शाम को आफीसर्स मेस मे तीन आदमी बैठ कर किसी गहन समस्या पर चर्चा कर रहे थे। …अजीत, सेना की ओर से मिली योजना को कार्यान्वित करने का समय आ गया है। सर्जिकल स्ट्राईक्स के लिये उन्होंने अपना एक्शन प्लान सौंप दिया है। इसमे मेजर की क्या भुमिका होनी चाहिये? …वीके, उसे आने दो तब इस बात पर चर्चा करेंगें। उसके आप्रेशन अज्ञातवीर को ग्रीन सिगनल मिल गया है परन्तु उसने अभी तक इसके बारे मे कोई जानकारी नहीं दी है कि वह कब और कैसे उस आप्रेशन को लाँच करेगा। जनरल रंधावा ने कहा… वह कैप्टेन अदा के अपहरण के कारण काफी तनाव मे है। जब से जोरावर बाटामालू का नाम सामने आया है तभी से उसने चुप्पी साध ली है। अब उसने मुझसे इस बारे मे बात करना भी बन्द कर दिया है। वह आ रहा है तो आप्रेशन के बारे मे पूछने से पहले कैप्टेन अदा के बारे मे भी बात कर लेना। …लो शैतान को याद करो और शैतान हाजिर। मेस मे प्रवेश करते ही मेरी नजर उन तीनो पर पड़ गयी थी। उनके निकट पहुँच कर हमेशा की तरह मैने सैल्युट किया और फिर उनके साथ बैठ गया। जनरल रंधावा ने काउन्टर की ओर इशारा किया तो वेटर तुरन्त मेरे सामने एक व्हिस्की का ग्लास रख कर लौट गया था। आज तीनो बेहद संजीदा लग रहे थे। आफीसर्स मेस मे मैने उन्हें पहले कभी इतना संजीदा नहीं देखा था। मेरे दिमाग मे खतरे की घंटी बजने लगी थी।  

अजीत सर ने एक घूँट भर कर पूछा …समीर, तुमने सेना की विस्तृत योजना देख ली है। …जी सर। …उसके बारे मे क्या कहना चाहते हो? एक पल के लिये मै चुप हो गया और जल्दी से अपने ग्लास से घूँट भर कर गला तर करके बोला… सर, आप हमेशा मेरी रिपोर्ट का हवाला देते है परन्तु जब भी कोई योजना बनाते है तब आप मेरी एक बात को हमेशा अनदेखा कर देते है। मैने अपनी रिपोर्ट मे साफ कहा है कि जब तक उनकी सेना को जान और माल की हानि नहीं होगी तब तक सदैव हम उनके निशाने पर बने रहेंगें। इस बार भी सेना की सर्जिकल स्ट्राईक्स के निशाने पर दो कौड़ी के जिहादी और उनके लाँच पैड्स है। इससे उनकी सेना और आईएसआई पर क्या फर्क पड़ेगा? मेरी तो यही सलाह है कि उनके लाँच पैड्स के बजाय हमे उनकी सेना की दस चौकियों को ध्वस्त कर देना चाहिये। जब उनकी वर्दी खून से लाल होगी तब उनको हक डाक्ट्रीन की सही कीमत पता चलेगी। मेरी बात को बीच मे काट कर अजीत सर बोले… समीर, मै तुम्हारी भावना को समझता हूँ परन्तु पाकिस्तानी चौकी को निशाना बनाने से युद्ध की स्थिति बन सकती है। क्या हम युद्ध के लिये तैयार है? तभी वीके ने कहा… मेजर, तुम्हारे आप्रेशन अज्ञातवीर को ग्रीन सिगनल दिलवाने के पीछे हमारी यही मंशा थी। उनकी सेना और आईएसआई को जान और माल की हानि जरुर होगी परन्तु वह युद्ध की स्थिति मे परिवर्तित नहीं हो सकेगी। युद्ध किसी के हित मे नहीं है, खासकर हमारे हित मे तो बिलकुल नहीं है। वह तो अपनी करनी के कारण निरन्तर बर्बाद हो रहे है परन्तु हम उनके साथ बर्बाद होने के लिये तैयार नहीं है।

जनरल रंधावा मेरे कन्धे पर हाथ रख कर बोले… पुत्तर, सेना की सर्जिकल स्ट्राईक्स की योजना के बारे क्या सोचा है? …सर, उनके स्ट्राईक मिशन के तीन फेज है- रीकान, घुसपैठ व हमला और फिर निकासी। स्पेशल फोर्सिज के लिये सीमा पार करके यह सब करना कोई मुश्किल बात नहीं है। मुझे उनकी योजना मे बस एक बात समझ मे नहीं आयी कि उनकी रीकान टीम लौट कर आयेगी और फिर उचित समय पर दोबारा घुसपैठ करेगी। रीकान पार्टी को वहीं रुक कर घुसपैठ टीम का मार्गदर्शन करना चाहिये। अजीत सर ने तुरन्त पूछा… मेजर तुम्हारे कहने का मतलब है कि रीकान टीम और अटैक टीम अलग-अलग होनी चाहिये। …यस सर। एक बार सीमा पार करना ही मौत के मुँह मे जाने जैसा है। आप अपनी टीम को दो बार मौत के मुँह मे भेजने की सोच रहे है। तीनो ने मेरी बात का समर्थन करते हुए अपना सिर हिला दिया था। …सर, उन्होंने बारह लाँच पैड्स को चिंहनित किया है। मेरा ख्याल है कि बेहतर होगा कि इस नम्बर को घटा का पाँच-छह उन स्थानों पर किया जाये जहाँ जिहादियों की संख्या ज्यादा है और जहाँ से सुरक्षित निकासी आसान है। मेरा मतलब वह लाँच पैड्स जो हमारी सीमा के बहुत करीब है। कुछ देर सोचने के पश्चात अजीत सर ने कहा… ठीक है। हम इसके बारे मे सेना की टीम से बात करके कोई निर्णय लेंगें। इसी के साथ हमारी बातचीत का विषय बदल गया था।

अफगानिस्तान

पाक-अफगान सीमा के पास कहीं एक सुनसान जगह पर कुछ चन्द कबायलियों और सेना अधिकारियों के बीच गोपनीय मीटिंग चल रही थी। …ब्रिगेडियर साहब की ओर से कुछ महीने से कोई खबर नहीं आयी है। पिछली बार वह जब आये थे तो उन्होंने वादा किया था कि वह पाकिस्तान-चीन सड़क परियोजना के बारे मे वह हमारे लिये एक पुख्ता योजना लेकर आएँगें। …भाईजान, गिल्गिट और बाल्टिस्तान मे पश्तून आबादी इस सड़क परियोजना के खिलाफ है और लगभग यही हाल बलूचिस्तान का भी है। जिन जियांग के तुर्क लड़ाके भी चीन की इस परियोजना का विरोध कर रहे है। …बिरादर, आप सभी जानते है कि चीन को रोकना हमारे अकेले के बस की बात नहीं है जब तक कि कोई दुनिया की महाशक्ति इस मुहिम मे हमारा साथ देने के लिये तैयार न हो जाये। कतर मे तालिबान और तेहरीक का मुख्य नेतृत्व भी अमरीकन एस्टेब्लिशमेन्ट से इस विषय पर बात कर रहे है। …भाईजान यह बातें कब तक चलेंगी? पाकिस्तान की फौज लगातार हमारे लोगों को मार रही है। पिछले तीन महीने मे पाकिस्तानी फौज ने गिल्गिट, वजीरीस्तान और बलूचिस्तान मे आप्रेशन करके लगभग हमारे तीन हजार भाईयों को मारा है। अब वहाँ के लोगों मे पाकिस्तान के खिलाफ रोष बढ़ता जा रहा है। अब बातचीत का समय निकल गया है। हमे अब हथियार चाहिये। अफगान तालिबान की ओर से गनी ने भरोसा दिलाते हुए कहा… बिरादर, तेहरीक और तालिबान की ओर से मै विश्वास दिलाना चाहता हूँ कि इस जंग मे हम आपके साथ खड़े हुए है। अमरीका के कारण फिलहाल इस मामले मे हम कोई जंग छेड़ने की स्थिति मे नहीं है। अमरीका चाहता है कि अफगानिस्तान से बाहर निकलने से पहले यहाँ पर शांति बहाल होनी चाहिये। …भाईजान पिछले तीन महीने से हम लोग शांत बैठे हुए है। वह तो पाकिस्तानी फौज के कारण हमारे इलाकों मे अशांति फैली हुई है।

एक आदमी जो अभी तक चुप बैठ कर सारी बात सुन रहा था वह बोला… जब तक इस इलाके मे अशांति रहेगी तब तक पाकिस्तान को राहदारी के अमरीकी डालर मिलते रहेंगें। एक बार शांति स्थापित हो गयी तो डालर आने भी बन्द हो जाएँगें। इसीलिये हमारी पहली प्राथमिकता अमरीका को अफगानिस्तान से बाहर निकालने की है। वहाँ पर बैठे हुए सभी लोगो ने अपनी हामी भरते हुए इस बात का अनुमोदन किया तो वही आदमी बोला… इसलिये भारत की ओर से ब्रिगेडियर चीमा को यहाँ लाया गया था। वह आपकी अपरोक्ष रुप से इस परियोजना को रोकने मे आप लोगों का साथ देंगें परन्तु उनकी एक ही शर्त थी कि तब तक अफगानिस्तान मे शांति रहनी चाहिये। …श्रीनिवास साहब, आप ठीक कह रहे है परन्तु ब्रिगेडियर साहब कहाँ है? बेचारा श्रीनिवास भी इतने दिनों से इस प्रश्न का उत्तर खोज रहा था। … मैने इस बात की खबर दिल्ली भेज दी है। जल्दी ही हमे इसका जवाब मिल जाएगा लेकिन तब तक अफगानिस्तान शांत रहना चाहिये।

तेहरीक-ए-तालिबान की ओर से बैतुल्लाह का प्रतिनिधि अब तक खामोश बैठा सब की बात सुन रहा था। वह कुछ सोच कर बोला… भाईजान, आप सभी के लिये एक बुरी खबर है। हाल ही मे आईएसआई ने एक नये आप्रेशन गज्वा-ए-हिन्द का ब्लू प्रिंट तैयार किया है। उस आप्रेशन का उद्देश्य बहुमुखी है परन्तु उसका एक उद्देश्य हम सभी को प्रभावित करता है। आईएसआई इस वक्त तालिबान और तेहरीक मे दरार डालना चाहती है। इतना ही नहीं, वह तेहरीक और तालिबान के भारत के साथ रिश्ते को भी तोड़ना चाहते है। इसके लिये आखुन्ड्जादा की मदद से वह तेहरीक-ए-तालिबान हिंदुस्तान की स्थापना भारत मे करने की सोच रहे है। …बिरादर, बिना हमारी सहमति के भला वह कैसे हमारी शाखा हिंदुस्तान मे खोल सकते है? …जनाब, हमे इस पचड़े मे नहीं पड़ना चाहिये। हमे तो यह पता लगाना चाहिये कि आखिर इस आप्रेशन का असल उद्देशय क्या है। यह तो सही है कि अगर तेहरीक के नाम से हिंदुस्तान मे ब्लास्ट और फिदायीन हमले हुए तो भारत सरकार के साथ हमारे रिश्ते बिगड़ने की संभावना बढ़ जाएगी। एक बार फिर से सभी लोग इस मसले पर चर्चा करने बैठ गये थे।

नई दिल्ली

…बोलिये श्रीनिवास। …सर, यहाँ पर हालात बेहद तेजी से बदल रहे है। ब्रिगेडियर चीमा से भी संपर्क नहीं हो पा रहा है। पाकिस्तान-चीन सड़क परियोजना के कारण आजाद कश्मीर मे काफी रोष पनप रहा है। गिल्गिट और बाल्टिस्तान की आवाम पाकिस्तान सरकार के विरोध मे उतर आयी है। इस विरोध को कुचलने के लिये पाकिस्तानी फौज ने कड़े एक्शन लेना आरंभ कर दिया है। इस वक्त एक हल्की सी चिंगारी सारी तालिबान-अमरीकी वार्ता को ध्वस्त कर देगी। सीआईए ने सूचना दी है अगर जल्दी कुछ नहीं किया गया तो हालात बेकाबू हो जाएँगें। सर, ब्रिगेडियर चीमा का कुछ पता चला? …मैने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार को सूचना दे दी थी परन्तु अभी तक उनकी ओर से कोई जवाब नहीं मिला है। …सर, आपको उनका कोई रिप्लेसमेन्ट जल्दी से जल्दी देना पड़ेगा। अमरीकन लगातार दबाव बना रहे है। दूतावास के कारण मै यहाँ के आप्रेशन्स को नहीं देख सकता। तीन मुख्य पार्टनर्स मे समन्वय बनाये रखने के लिये यहाँ पर एक फुल टाइम भारतीय प्रतिनिधि की आवश्यकता है। …श्रीनिवास, मै तुम्हारी सारी रिपोर्ट आज ही एनएसए के सामने रख दूँगा। …थैंक्स सर।

तिगड़ी बैठ कर पाकिस्तान-चीन सड़क परियोजना के मुद्दे पर विचार कर रही थी। एनएसए ने कुछ सोच कर कहा… गोपीनाथ ने खबर दी है कि सड़क परियोजना के कारण पाकिस्तान की जिहादी तंजीमों मे काफी रोष पनप रहा है। सीमा पार से सूचना मिली है कि इसको दबाने के लिये आईएसआई ने कश्मीर डेस्क को एकाएक सक्रिय कर दिया है। अब वह आप्रेशन गज्वा-ए-हिंद लांच करने की कोशिश कर रहे है। अब उसके बारे मे क्या करना है? वीके ने कहा… आप्रेशन खंजर मे शिकस्त खाने के बाद से मुझे लग रहा था कि जनरल फैज जरुर कोई बड़ी साजिश रचने की योजना बनायेगा। अब वह शायद गज्वा-ए-हिंद के आवरण मे कोई नयी साजिश को अंजाम देने की कोशिश कर रहा है। इसी समय के लिये मै कोडनेम वलीउल्लाह को जिवित रखना चाहता था। काठमांडू की दुर्घटना ने हमारी दूरगामी योजना को ध्वस्त कर दिया। जनरल रंधावा ने हामी भरते हुए कहा… अजीत, कोडनेम वलीउल्लाह की सच्चाई जानने वाले फारुख और मकबूल का अंत हो गया है। हम अभी भी इसको चालू रख सकते है क्योंकि जनरल फैज को इसकी असलियत कौन बताएगा? अजीत तुरन्त बोला… कुछ दिनो से मै इसी लाईन पर सोच रहा हूँ लेकिन मै यह कैसे मान लूँ कि पाकिस्तानी एस्टेब्लिशमेन्ट को अभी तक कोडनेम वलीउल्लाह की सच्चाई का पता नहीं चला है?

तीनो अभी इसी मे उलझे हुए थे कि तभी अजीत की हाटलाईन बजने लगी… हैलो। …सर, मै गोपीनाथ बोल रहा हूँ। काबुल से खबर आयी है कि वहाँ के हालात बिगड़ते जा रहे है। पाकिस्तान फौज का तालिबान और तेहरीक के खिलाफ हमला जोर पकड़ता जा रहा है। इसके कारण पाकिस्तान के उत्तरी भाग मे पनपता हुआ रोष और विरोध की चिंगारी को सीआईए अपने फायदे के लिये उपयोग करना चाहती है और इसके लिये वह हमारे उपर लगातार दबाव बना रही है। उनका मानना है कि अगर यह अस्थिरता अफगानिस्तान तक पहुँच गयी तो फिर सारे किये कराये पर पानी फिर जाएगा। श्रीनिवास का कहना है कि हमे ब्रिगेडियर का रिप्लेसमेन्ट वहाँ पर जल्दी से जल्दी देना पड़ेगा। …गोपीनाथ, हम इसी बात पर चर्चा कर रहे है। तुम्हें जल्दी ही ब्रिगेडियर चीमा का रिप्लेसमेन्ट मिल जाएगा। इतना बोल कर अजीत ने फोन काट दिया। वीके और जनरल रंधावा की नजरें उस पर लगी हुई थी। …क्या हुआ अजीत? …उत्तरी पाकिस्तान मे सैन्य कार्यवाही होने के कारण हालात बिगड़ते जा रहे है। गोपीनाथ का कहना है कि उसे जल्दी से जल्दी ब्रिगेडियर का रिप्लेसमेन्ट चाहिये। …तो आप्रेशन अज्ञातवीर को लाँच करने का अब उप्युक्त समय आ गया है। एकाएक तीनो के चेहरों पर एक मुस्कान तैर गयी थी।

अमरीकन दूतावास, काबुल

सीआईए का दक्षिण एशिया का चीफ एंथनी वालकाट फोन पर किसी से बात कर रहा था। …सर, रा की ओर से देरी हो रही है। उनके प्रतिनिधि ने अभी तक सीमा पार गुटों से संपर्क साधने की कोई पहल नहीं की है। इधर हमने अफगानिस्तान मे सक्रिय कुछ तालिबान के गुटों के साथ संपर्क साधा है परन्तु वह हम पर विश्वास नहीं कर रहे है। मैने कल शाम को ही भारतीय एजेन्सी के प्रतिनिधी को हालात की जानकारी देकर तुरन्त एक्शन लेने के लिये कहा है। मै उनके जवाब का इंतजार कर रहा हूँ। क्या आप भारतीय एनएसए से इस मामले मे बात कर सकते है? दूसरी ओर से कुछ देर सुनने के पश्चात वालकाट ने कहा… सर, हम जो कर सकते है वह कर रहे है परन्तु पाकिस्तान की ओर से लगातार चरमपंथी तंजीमो पर हमारी योजना को विफल बनाने के लिये दबाव डाला जा रहा है। कतर मे आयोजित अगली मीटिंग की साइड लाईन मे मौलाना गनी और मुल्ला ओमर से अनौपचारिक तौर पर बात करने की कोशिश करुँगा। तभी दूसरी ओर नया निर्देश मिला तो वह जल्दी से बोला… ठीक है। अभी दो महीने मे यहाँ कुछ बड़ा नहीं होने वाला है। बस आपको एक बार भारतीय एनएसए से बात करनी पड़ेगी। इतनी बात करके उसने फोन काट दिया था।

तभी किसी ने दरवाजे पर दस्तक दी तो वालकाट ने कहा… कम इन। एक महिला ने कमरे मे कदम रखा तो वालकाट ने उसे देखते ही पूछा… सूजन, क्या खबर है? …सर, हमारे पाकिस्तान आफिस ने खबर दी है कि पाकिस्तानी सेना अपने उत्तरीय क्षेत्रों मे दबाव बनाने के लिये जर्ब-ए-अज्म के जैसा आप्रेशन लांच करने की तैयारी कर रहे है। …क्या पाकिस्तान के पास जर्ब-ए-अज्म जैसा आप्रेशन लांच करने के लिये फिलहाल कोई संसाधन है? …सर, इसके लिये जनरल फैज आपसे मिलने का टाइम मांग रहा है। …तुम उसे बता दो कि मै कतर की मीटिंग के अयोजन मे व्यस्त हूँ। मै अगले हफ्ते इस्लामाबाद मे होने वाली मीटिंग मे आ रहा हूँ। मै तभी उससे भी मिल लूँगा। …यस सर। एक बात बतानी जरुरी है कि जनरल फैज का संदेश औपचारिक चैनल के बजाय इस्लामाबाद स्थित चीन के दूतावास मे कार्यरत फर्स्ट सेक्रेटरी ने कल शाम ब्रिटिश दूतावास की पार्टी मे मुझे दिया था। …कौन, वही फांग लियु वांग? …यस सर। …वह यहाँ क्या कर रही है?  …सर, वह दो दिन पहले एक चीनी डेलीगेशन को लेकर यहाँ आयी है। आज शाम को वापिस जा रही है। वालकाट सीट छोड़ कर कमरे से बाहर निकलते हुए बोला… सूजन, इस पर नजर रखना। मै राजदूत से मिलने जा रहा हूँ। इतना बोल कर वह बाहर निकल गया था।  

साउथ ब्लाक, नई दिल्ली

अजीत सुब्रामन्यम ने कहा… आप्रेशन अज्ञातवीर की क्या रिपोर्ट है? …सर, मेरा एक सुझाव है कि सेना की सर्जिकल स्ट्राईक मे मुझे रीकान की टीम के साथ भेज दिजिये। …सौरी, इसके लिये सेना तो क्या हम भी कभी तैयार नहीं होगें। यह उनका मिशन है और इसमे हमारी ओर से कोई दख्ल नहीं हो सकता। मैने तुम्हारे सुझाव उनके सामने रख दिये थे और वह उस पर नये सिरे से काम कर रहे है। तभी वीके ने कहा… मेजर, तुम्हारा मिशन ज्यादा महत्वपूर्ण है। भारत मे जिस हक डाक्ट्रीन को उन्होंने इस्तेमाल किया अब उनकी डाक्ट्रीन को उन्हीं पर इस्तेमाल करने का समय आ गया है। अब उन्हें भी ‘लो इन्टेसिटी कानफ्लिक्ट’ की कीमत पता चलना चाहिये। अजीत सर ने मुस्कुरा कर कहा… अल तक्किया का आधुनिक सनातनी स्वरुप? वीके ने हामी भरते हुए कहा… हाँ। अब तक की सरकारों की यही सोच बनी हुई थी कि मजबूत पाकिस्तान हमारे हित मे है परन्तु नयी सरकार अब इस सोच को बदल रही है। एक अशांत और कमजोर पाकिस्तान हमारे राष्ट्र के हित मे है। वह जब भी पुख्ता स्थिति मे होते है तभी उनके दिमाग मे नयी खुराफात सूझती है। कोडनेम वलीउल्लाह के अनुभव के कारण मै इसी नतीजे पर पहुँचा हूँ कि पाकिस्तान को इतना बर्बाद कर दिया जाये कि उसके अन्दर हमारे खिलाफ साजिश करने की क्षमता ही न रहे। अभी तक हमने तुम्हें डिफेन्सिव आफेन्स के लिये तैयार किया था लेकिन अब हम तुम्हें आफेन्सिव डिफेन्स को कार्यान्वित करने के लिये कह रहे है। जनरल रंधावा ने तुरन्त कहा… अजीत, मुझे लगता है कि वीके का दिमाग पटरी से उतर गया है। अबकी बार मै बोला… नहीं सर, वीके सही दिशा मे सोच रहे है। अब खून हमारी धरती के बजाय उनकी धरती पर बहेगा। हमने अपनों का बहुत खून बहा लिया परन्तु अब उनकी बारी है। वीके ने जल्दी से कहा… दैट्स माई बाय। अब तुम अपनी रिपोर्ट को आधार बना कर आगे का काम आरंभ करो।

…सर, मैने अपनी छह सदस्यीय टीम का चयन कर लिया है। वह कल शाम को काठमांडू से दिल्ली आ रहे है। अगले एक महीने मे उनका प्रशिक्षण व पेपर्स तैयार करके उन्हें पाकिस्तान भिजवाने का इंतजाम करवा दिजिये। अजीत सर ने जनरल रंधावा की ओर देखते हुए कहा… क्या यह काम एक महीने मे हो जाएगा। जनरल रंधावा ने सिर हिलाते हुए कहा… अगले तीन दिन के बाद एसपीजी के लिये बीस एजेन्ट्स का चयन प्रतियोगिता हो रही है। सेना, पैरामिलिट्री और पुलिस के सबसे जांबाज सिपाही उसमे भाग लेंगें। मै उन छह सैनिकों को भी उनके साथ रखवा देता हूँ। दो हफ्ते मे उनकी शारिरिक व मानसिक परीक्षा के साथ गुरिल्ला सैन्य क्षमता का परीक्षण भी हो जाएगा। इसी बीच उनके कागज व यात्रा की तैयारी भी हो जाएगी। तभी वीके ने कहा… यह मत भूलो कि दो दिन के बाद हम सभी को कमांड सेन्टर मे उपस्थित रहना है। मैने वीके की ओर देखा तो उन्होंने मुस्कुरा कर कहा… सेना दो दिन के बाद सर्जिकल स्ट्राईक का लांच कर रही है। वीके का यह खुलासा सुन कर मै चौंक गया था। मुझे किसी ने कोई सफाई नही दी परन्तु अजीत सर बोले… समीर, तुम भी कमांड सेन्टर मे उपस्थित रहोगे। तुम्हारे सुझावों को सेना ने अपने नये एक्शन प्लान बनाने मे इस्तेमाल किया है। हमने उन्हें दो दिन पहले ही ग्रीन सिगनल दिया है। इतना बोल कर वह उठते हुए बोले… समीर, शाम को पाँच बजे रिपोर्ट करना। इसी के साथ हमारी मीटिंग समाप्त हो गयी थी। 

जीएचक्यू, रावलपिंडी

जनरल फैज को रिपोर्ट करते हुए उसके स्टाफ आफीसर कर्नल हमीद ने कहा… जनाब, तेहरीक-ए-तालिबान ने वजीरीस्तान मे अपना सिर उठाना आरंभ कर दिया है। अगर हमने जल्दी कुछ नहीं किया तो आगे चल कर उनको रोकना मुश्किल हो जाएगा। …कर्नल हमीद इस वक्त हमारी ओर से उनके खिलाफ होने वाली कोई भी कार्यवाही बन्द नहीं होनी चाहिये। फिलहाल अमरीका के दबाव मे दोनो मुख्य तंजीमे शांत बैठी हुई है और यही वक्त है कि जब हम उनके यहाँ पर बैठे हुए शीर्ष नेतृत्व का आसानी से सफाया कर सकते है। …जी जनाब। …अगर अमरीका यहाँ से बाहर निकल गया तो यह बदलाव हमारे हितों के लिये बेहद घातक साबित होगा। …जनाब, इन तंजीमो की शांति सब दिखावा है। अफगान तालिबान का गठजोड़ तेहरीक के साथ कोई छिपा हुआ नहीं है। हमारे पास पुख्ता खबर है कि तेहरीक और अफगान तालिबान मिल कर पाकिस्तान-चीन सड़क परियोजना को रोकने की कोशिश कर रहे है। उन दोनो के निशाने पर हमारे फौजी और चीन के कर्मचारी है। जनरल फैज ने कुछ सोच कर कहा… कर्नल, कश्मीर डेस्क आजकल शांत बैठ गयी है। वहाँ की तंजीमे क्या कर रही है? …जनाब, कश्मीर डेस्क पर आपने अभी तक कोई नयी नियुक्ति नहीं की है। इसीलिये वहाँ की तंजीमे भी आपके अगले निर्देश का इंतजार कर रही है। …क्या कोई ऐसी खबर मिली है कि तेहरीक और उन कश्मीरी तंजीमों के बीच कोई गठजोड़ हो रहा है? …नहीं जनाब, फिलहाल आठों तंजीमे पिछले नुकसान की भरपाई करने मे जुटी हुई है। अफगान तालिबान उन्हें ड्र्ग्स मुहैया करा रहा है और वह उसे भारत मे अलग-अलग रास्तों से पहुँचा रहे है।

जनरल फैज अपनी कुर्सी को छोड़ कर टहलते हुए बोला… कर्नल, हमे बस इसका ख्याल रखना है कि उनके बीच कोई गठजोड़ होना नहीं चाहिये। अगर ड्र्ग्स के कारण यह सभी तंजीमे मिल गयी तो फिर हमारे लिये बहुत बड़ा सिरदर्द बन जाएगी। हमे जल्दी से जल्दी कश्मीर डेस्क को एक्टिवेट करना होगा। क्या तुम्हारी नजर मे कोई आदमी है जो यह डेस्क संभाल सकता है? कर्नल हमीद तुरन्त पूछ बैठा… सर, मेजर हया इनायत मीरवायज का क्या हुआ? …उसका अभी तक कोई अता-पता नहीं चल सका है। वैसे भी पीरजादा उसकी नियुक्ति के खिलाफ है। …जनाब, आपका फारुख मीरवायज की बेवा मेहरीन के बारे मे क्या ख्याल है? वह कश्मीरी है और वहाँ के काफी प्रभावशाली पूर्व मंत्री की बेटी है। उसे हमने आप्रेशन खंजर के दौरान ट्रेनिंग दी है। आजकल मेहरीन पीरजादा के घर मे रह रही है। क्या उसको कश्मीर डेस्क नहीं दी जा सकती? जनरल फैज ने कुछ सोच कर कहा… तुम पीरजादा को जानते नहीं हो। आज भी वह अपने आप को अरब मूल का मानता है और उसी प्रकार के कायदे-कानून अपने लोगों पर लागू करता है। इसलिये मेहरीन को वह हमारे हवाले हर्गिज नहीं करेगा। तुम एक बार मुजफराबाद जाकर पीरजादा और मेहरीन से मिलने की कोशिश करो तो फिर कुछ चीजें साफ हो जाएँगी। अगर मेहरीन मे बदले की चिंगारी नजर आये तो शायद वह इस डेस्क को संभाल सकती है लेकिन इसमे पीरजादा की रजामन्दी का होना अतिआवश्य्क है। …जी जनाब।

…कर्नल हमीद, गज्वा-ए-हिंद के प्रोजेक्ट की क्या स्थिति है? …जनाब, हमने अखुन्डजादा और हक्कानी को इसके लिये तैयार कर लिया है परन्तु तेहरीक और तालिबान का शीर्ष नेतृत्व इसके लिये राजी नहीं है। इस प्रोजेक्ट को ब्रिगेडियर गफूर देख रहे है। तेहरीके-ए-तालिबान हिंदुस्तान को स्थापित करने के लिये बैतुल्लाह और गनी की सहमति चाहिये जिसके लिये वह हर्गिज तैयार नहीं है। …वह दोनो साले बिक गये है। जनरल फैज ने तुरन्त मेज रखे हुए फोन से नम्बर डायल करके बोला… ब्रिगेडियर आप तुरन्त यहाँ आईये। रिसीवर रखने के पश्चात जनरल फैज ने अपने स्टाफ आफीसर की ओर देख कर कहा… कर्नल हमीद, ब्रिगेडियर गफूर पर नजर रखना। यह प्रोजेक्ट फेल नहीं होना चाहिये। …यस सर। इतना बोल कर दोनो ब्रिगेडियर गफूर का इंतजार करने बैठ गये थे।

सेन्ट्रल कमांड, नई दिल्ली

आधी रात के समय सेन्ट्रल कमांड मे दिन निकला हुआ था। सभी स्टेशन्स पर पूरी तादाद मे अधिकारी तैनात थे और पल-पल की जानकारी एकत्रित हो रही थी। प्रधानमंत्री, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, सेनाध्यक्ष व जीओसी उत्तर कमांड और तीन अन्य अधिकारी गोल मेज के चारों ओर बैठ कर सामने लगी हुई तीन विशाल स्क्रीन पर नजरें गड़ाये हुए थे। सभी के चेहरे पर तनाव के लक्षण साफ विद्दमान थे। मै और जनरल रंधावा संचार कन्सोल पर तैनात थे। …अजीत, आज के मिशन मे हमारे कितने टार्गेट है? …सर, हमारे पास पुख्ता सूचना है कि सीमा के पास छह स्थानों पर घुसपैठ के लिये 800-1000 के करीब जिहादी घुसपैठ करने के लिये एकत्रित हुए है। हमारे टार्गेट पर आज यही छह लांचिंग पैड्स है। …हमारी कितनी टीम्स इस काम मे भाग ले रही है? …सर, स्पेशल फोर्सेज की दो टीम्स दो अलग-अलग स्थानों से सीमा पार गयी है। पहली टीम उत्तरी छोर तंगधार से गयी है और दूसरी टीम पीर पंजाल के क्षेत्र से गयी है। पीर पंजाल मे तीन लाँच पैड्स के सेना ने चार सैनिकों की तीन टुकड़ी बनायी है और यही फार्मेशन तंगधार के लिये बनाया है। दोनो टीम्स सीमा पार करके उनके लांचिंग पैड्स पर हमला करके उनको नष्ट करने के लिये निकल गयी है। …सफलता की क्या संभावना है? अबकी बार उस समूह मे चुप्पी छा गयी थी।

दो घन्टे के बाद हमारा संचार कन्सोल सक्रिय हो गया था। …टीम वन कालिंग अल्फा। मैने जल्दी से कहा… अल्फा रिसीविंग यू लाउड एन्ड किलीयर। स्टेटस? …हम टार्गेट से 100 मीटर दूर है। बाडी काउन्ट लगभग 700 के करीब दिख रहे है। जीरो आवर पर एटैक आरंभ करेंगें। …गुड हंटिंग बोयज। ओवर एन्ड आउट। तभी एक बार फिर नयी आवाज गूंजी… टीम टू कालिंग अल्फा। फिर लगातार अलग-अलग टीम की पोजीशन्स की आवाज कुछ देर तक सेन्ट्रल कमांड मे गूंजती रही थी। जनरल रंधावा ने स्पीकर पर कहा… सर, सारी टीम्स अपनी-अपनी पोजीशन पर पहुँच चुकी है। …अजीत, जीरो आवर का क्या समय रखा है? …सर, 0400 आवर्स। प्रधानमंत्री ने सामने घड़ी पर नजर डाल कर पूछा… तो अगले एक घन्टे मे आप्रेशन आरंभ हो जाएगा। …यस सर। प्रधानमंत्री ने सेनाध्यक्ष और जीओसी की ओर देख कर पूछा… वह सभी कब तक अपनी सीमा मे वापिस लौट आएँगें? जीओसी उत्तर कमांड ने तुरन्त कहा… सर, सारी टीम्स को साढ़े छह-आठ बजे की विन्डो दी है। एक बार फिर से मेज पर चुप्पी छा गयी थी।

ठीक सुबह चार बजे स्पीकर पर आवाज गूंजी… आप्रेशन क्लीनआउट गो अहेड। इसी के साथ जीओसी उत्तरी कमांड ने कहा… सर, सामने पहले स्क्रीन पर देखिये छह स्थानों की रियल टाइम मे दृश्य उभर आये है। सबकी नजर उस स्क्रीन पर टिक गयी थी। चार के समूह मे सैनिक कोम्बेट फार्मेशन मे धीरे-धीरे आगे बढ़ रहे थे। वैसी ही तस्वीरें बाकी छह स्थानों की भी स्क्रीन पर उभर आयी थी। तभी दूसरी और तीसरी स्क्रीन एकाएक रौशन हो गयी। मेज पर सभी साँस रोक कर बैठ गये थे। एकाएक सभी स्थानों मे एक ही समय विस्फोट हुआ और दावनल ने उन सभी बारह स्थानों को अपनी चपेट मे ले लिया था। उस आग से बच कर जो भी छवि बाहर निकल रही थी वह अगले ही क्षण गोलियों की चपेट मे आकर जमीन पर धाराशायी होती जा रही थी। बेहद भयानक दृश्य उभर कर स्क्रीन पर आ रहे थे। कभी छोटे और कभी बड़े विस्फोट होते दिखाई देते और कभी फायरिंग होती हुई दिख रही थी। इंसानी चीख-पुकार की आवाजें निरन्तर हाल मे गूंज रही थी परन्तु स्क्रीन पर सिर्फ आग और रुक-रुक कर विस्फोट होते हुए ही दिख रहे थे। बेहद भयानक मंजर था।    

मुश्किल से बीस मिनट के बाद आवाज गूंजी… टीम वन टू अल्फा। वी आर रिटर्निंग टू बेस। इसी प्रकार एक बार फिर एक के बाद एक अलग-अलग समूह ने अपने लौटने की सूचना देना आरंभ कर दिया था। सभी के चेहरों पर तनाव के बादल छँट गये थे। तभी पाकिस्तानी चौकियों ने हमारी दिशा मे फायरिंग व मोर्टार दागना आरंभ कर दिया था। एकाएक सभी के चेहरों पर तनाव वापिस लौट आया था। …तभी आवाज गूंजी… टीम वन कालिंग टु बेस। हम अपनी सीमा मे पहुँच गये है। कुछ मिनट के अन्तराल से एक बार फिर आवाजें गूंजने लगी… टीम फोर टु बेस। हम अपनी सीमा मे पहुँच गये है। सभी समूह अपने कार्य को सफलतापूर्वक पूरा करके वापिस लौट रहे थे। जीओसी उत्तरी कमांड ने कहा… सर, अब आप जा सकते है। अब तो लगभग सभी टीम्स वापिस अपनी सीमा मे आ गयी है। प्रधानमंत्री ने उठते हुए कहा… अजीत सबके लौटने के बाद तुरन्त मुझे इसकी सूचना देना। तब तक सभी खड़े हो गये थे। …यस सर। आप बेफिक्र रहिये। अब हमारी एयर फ्लीट उन सबको आसमान से कवर कर रही है। दुश्मन इससे पहले कोई एक्शन ले उससे पहले उन पर ऐसा हमला होगा कि वह हिल भी नहीं सकेंगें। प्रधानमंत्री ने सेनाध्यक्ष से चलते हुए कहा… मै उन सभी जांबाज सैनिकों से एक बार मिलना चाहूँगा। इसका इंतजाम करा दिजियेगा। …यस सर। इतना बोल कर सेना अधिकारियों ने सैल्युट किया और प्रधानमंत्री और वीके हाल से बाहर निकल गये थे।       

अमरीकन दूतावास, इस्लामाबाद

राजदूत के विश्राम कक्ष के बाहर खड़े हुए सैनिक के वायरलैस पर आवाज गूंजी… सिक्युरीटी चीफ एलन बोल रहा हूँ। राजदूत को फौरन उठाईये। …यस सर। इतना बोल कर वह सैनिक दरवाजा खोल कर राजदूत के बेड के पास पहुँच कर धीरे से उन्हें हिला कर बोला… एक्सीलैन्सी। इमर्जेन्सी है। तुरन्त अपने आफिस मे पहुँच जाईये। राजदूत एक झटके के साथ उठा और तेजी से बाथरुम की ओर चला गया। दो मिनट के बाद वह बाथरुम से निकला और उस सैनिक के साथ अपने आफिस की दिशा मे चल दिया। उसके आफिस के बाहर पाकिस्तान का सेना अध्यक्ष, आईएसआई का निदेशक और गृह मंत्री इंतजार कर रहे थे। अमरीकन राजदूत को देखते ही सेनाअध्यक्ष ने अभिवादन किया तो राजदूत बोले… ऐसा क्या हो गया कि इतने सवेरे आपको यहाँ आना पड़ गया। गृह मंत्री तुरन्त बोला… जनाब, भारत ने अपने पश्चिमी फ्रंट को खोल कर हम पर हमला कर दिया है। अमरीकन राजदूत जोर से चीखा… क्या? …जी जनाब, भारत ने हम पर हमला कर दिया है। आप इसकी सूचना तुरन्त अपने राष्ट्र्पति को दे दिजिये क्योंकि अब जवाबी कार्यवाही मे हम परमाणू हथियारों का प्रयोग कर सकते है। अमरीकन राजदूत कुछ नहीं बोला और अपने आफिस मे प्रवेश करके उसने मेज पर रखा हुआ जैसे ही फोन उठाया कि तभी उसका मोबाईल फोन बजने लगा। अमरीकन राजदूत ने जल्दी से काल लेते हुए कहा… हैलो। कुछ देर तक दूसरी ओर से सुनने के पश्चात वह बोला… ओके। नो प्राब्लम। मुझे एनएसए ने ब्रीफ कर दिया था। प्लीज टेक केयर। उसने फोन काट कर उन तीनो की ओर देखा तो वह बड़ी आशा से उसकी ओर देख रहे थे।

…आपको किसने बताया कि भारत ने अपना पश्चिमी फ्रंट खोल दिया है? …जनाब, सीमा से सूचना मिली है कि आज सुबह चार बजे भारतीय फौज पाकिस्तान मे प्रवेश कर गयी है। …तो आपकी सेना और वायुसेना क्या कर रही थी? इस प्रश्न का जवाब तो तीनो के पास नहीं था। जब उनसे कोई जवाब नहीं मिला तो अमरीकन राजदूत बोला… अभी मेरे पास भारतीय एनएसए अजीत सुब्रामन्यम की काल आयी थी। उनकी ओर से की गयी कार्यवाही विवादित हिस्से मे स्थित जिहादियों कैंम्पों पर हुई है। उनका न तो युद्ध करने का विचार है और न ही वह आगे ऐसा करने की सोच रहे है। हाँ उन्होंने बस इतना कहा है कि उनकी नजर आपके सभी मिसाईल साईट्स पर टिकी हुई है। अगर आपकी ओर से उन साईट्स पर उन्हें कोई भी कार्यवाही या गतिविधि का आभास हुआ तो वह पहल करने से इस बार कोई परहेज नहीं करेंगें। इतना बोल कर राजदूत सोफे पर बैठ गया और उनकी ओर इशारा करके बोला… प्लीज आप भी बैठ जाईये। आराम से सोच कर मुझे जवाब दिजिये।

तीनो चुपचाप उसके सामने बैठ गये थे। कोई भी कुछ भी बोलने से झिझक रहा था।

मैने सभी छह साथियों को जनरल रंधावा से अगले दिन मिलवा दिया था। तिगड़ी से बात करके यह तय हुआ था कि सभी एक साथ पाकिस्तान मे प्रवेश नहीं करेंगें। जनरल रंधावा ने उन्हें पहले एसपीजी के सलेक्शन ग्रुप मे भेज दिया था। दो हफ्ते का प्रशिक्षण प्राप्त करने के पश्चात जनरल रंधावा ने ग्रीन सिगनल सभी छह लोगों को दे दिया था। …पुत्तर, छह मे चार को तो एसपीजी वालों ने मांग लिया था। दो को एनएसजी से न्यौता मिल गया था। मेरे कहने पर सभी छह सैनिकों को ट्रेनिंग कैंम्प से समय से पहले उन्हें रिलीज करना पड़ा था। …सर, अब इनका नामकरण भी कर दिजिये। जनरल रंधावा ने उसी दिन सबका नामकरण कर दिया था। जमीर का नाम सईद अनवर, सुखबीर का नाम सुहेल अंसारी, रशीद का नाम राशिद अली, पूरन सिंह का नाम परवेज़ मोहम्मद, नायडू का नाम नईम अख्तर हो गया था। सबसे ज्यादा मुश्किल थापा का नाम चुनने मे आयी थी। …पुत्तर, भला इस गोरखा को कैसे मुस्लिम बनाओगे? थापा जल्दी से बोला… साबजी, मै आपके साथ जाऊँगा। मैडम ने मुझसे कहा था कि जब तक वह वापिस नहीं लौटती तब तक मुझे आपके साये की तरह साथ रहना है। एक गोरखा का वचन है। अगर आप मुझे लेकर नहीं गये तो मै अपने आप वहाँ पहुँच जाऊँगा। जनरल रंधावा उस छोटे से गोरखा को कुछ देर घूरते रहे और फिर मुझसे बोले… पुत्तर, तू तो कुछ समझदारी दिखा। …सर, इसके कागजात गिल्गिट या स्कार्दू के बनवा दिजिये। वहाँ पर बहुत से छोटे-बड़े कबीले है जिनके नाक-नक्श इसके जैसे है। मेरे दबाव मे जनरल रंधावा ने कुछ सोच कर उसका नाम स्कार्दू का शमशेर कासगर रख दिया था। अगले एक हफ्ते मे नये नाम से उन सभी के कागज तैयार हो गये थे।

तिगड़ी ने इस बात पर काफी जोर दिया था कि सभी अलग-अलग रास्तों से पाकिस्तान मे प्रवेश करेंगें। मै तो उसी शाम कश्मीर के लिये निकल गया था। हमने यह तय किया था तीन हफ्ते के बाद हम सभी दोपहर को एक से दो बजे के बीच मुजफराबाद के परेड ग्राउन्ड पर मिलेंगें। मैने उनके लिये एक-एक करके पाकिस्तान जाने की व्यवस्था गोल्डन इम्पेक्स के द्वारा करवा दी थी। सईद, सुहेल और राशिद को काठमांडू से लाहौर पहुँचना था। परवेज, नईम और शमशेर दुबई के रास्ते से इस्लामाबाद जाने वाले थे। आधुनिक सैन्य हथियारों और संचार का सामान लेकर मै कुपवाड़ा पहुँच गया था। सर्जिकल स्ट्राईक्स के कारण सीमा पार सारे लाँचिग पैड्स वीरान पड़े हुए थे परन्तु सीमा पर दोनो ओर पेट्रोलिंग और सुरक्षा व्यवस्था कड़ी हो गयी थी।

मेरे आप्रेशन अज्ञातवीर का आगाज़ हो गया था। इसकी आढ़ मे मुझे दोनो बच्चों को वहाँ से सुरक्षित निकालना था। मै अभी भी मानसिक रुप से तैयार नहीं हो सका था कि हया इनायत मीरवायज का सामना उसकी धरती और उसके लोगों के बीच कैसे कर सकूँगा? हया की सैन्य कार्यकुशलता का आंकलन मै एनएसजी के ट्रेनिंग सेन्टर मे कर चुका था। इसके कारण अब तक एक अजीब सा डर मेरे जहन मे घर कर चुका था। सिर्फ बच्चों को वहाँ से सुरक्षित निकालने का उद्देश्य मुझे उसका आमना सामना करने के लिये लगातार प्रेरित कर रहा था। तंगधार से सीमा पार करने के पश्चात मुझे जंगलो मे सुरक्षा एजेन्सियों के साथ तीन दिन तक लुका-छिपी करनी पड़ी थी। बड़ी मुश्किल से चौथी रात को मुझे सीमा पार करने का मौका मिल गया था। नीलोफर अपने पाकिस्तानी पास्पोर्ट की मदद से मुझसे पहले काठमांडू से सीधे इस्लामाबाद पहुँच गयी थी। वह मुजफराबाद मे मेरी राह देख रही होगी।

मंगलवार, 16 अप्रैल 2024

 


🍁आप सभी को चैत्र मास के नव वर्ष विक्रम संवत 2081 के लिए मेरी ओर से हार्दिक शुभकामनाएँ। इस वर्ष राम नवमी की आभा निराली है। हजारों सनातनियों के बलिदान के बाद अयोध्या मे श्रीराम मन्दिर की प्राण प्रतिष्ठा के बाद यह पहली राम नवमी है जब प्रभु राम अपने जन्म स्थान पर सुर्य अभिषेक करेंगें। सभी सनातनियों के जीवन काल मे यह एक स्वर्णिम पल होगा। इसी पल के लिये आप सभी को मेरी ओर हार्दिक बधाई और शुभ कामना।🍁


'काफ़िर' की तीसरी कड़ी 'शह और मात' का पहला अपडेट आज के इस शुभ दिन से आरंभ करने का मैने निर्णय लिया था।  आज ही मेरी कृति 'शह और मात' की प्रस्तावना आपके सम्मुख रख रहा हूँ। मुझे आशा है कि आप सभी मेरे साथ पहले की तरह जुड़े रह कर मेरा मनोबल बढ़ाएँगें। 🙏

आपका शुभेच्छु 

वीर  

रविवार, 17 मार्च 2024

  

इसकी अगली कड़ी “शह और मात” से


…हैलो। …मेजर। वीके की आवाज मेरे कान मे पड़ी तो मैने जल्दी से कहा… यस सर। …अजीत और सरदार भी लाईन पर है। अब उस हार्ड ड्राईव के बारे मे बताओ। मैने जल्दी से आज की मुलाकात और उस हार्ड ड्राईव से मिली जानकारी के बारे मे बता कर पूछा… सर, उस ड्राईव मे शरीफ और बाजवा के काले कारोबार के अन्तरराष्ट्रीय नेटवर्क का खुलासा है। उस नेटवर्क की शाखायें दुनिया के कुछ विकसित और विकासशील देशों मे फैली हुई है। इस काले कारोबार के नेटवर्क को ध्वस्त करने की आप्रेशन अज्ञातवीर के बस की बात नहीं है। इसको डील करने के लिये मुझे आपकी सलाह चाहिये। …मेजर, आप्रेशन अज्ञातवीर का मुख्य उद्देश्य काले कारोबार की समाप्ति नहीं बल्कि पाकिस्तान मे भारतीय हक डाक्ट्रीन को कार्यान्वित करने की है। …जी सर परन्तु आतंकवाद और चरमपंथ की डाक्ट्रीन का मुख्य आर्थिक स्त्रोत यही काला कारोबार है। मानव तस्करी, ड्रग्स का कारोबार, नकली करेंसी और अवैध हथियारो का कारोबार इसके कारण पनप रहा है। तभी अजीत सर बोले… वीके, समीर सही सोच रहा है। यह नेटवर्क इस्लामिक आतंकवाद के लिये अन्तरराष्ट्रीय हार्ड करेन्सी का इंतजाम करता है।

वीके ने कुछ सोच कर कहा… अगर ऐसी बात भी है तो आप्रेशन अज्ञातवीर के निशाने पर पाकिस्तान मे इस नेटवर्क के संसाधन जुटाने की पाईपलाईन होनी चाहिये बाकी का काम वालकाट और उससे जुड़ी हुई अन्य सुरक्षा एजेन्सियों के लिये छोड़ देना चाहिये। वीके की बात का अनुमोदन करते हुए अजीत सर  बोले… वीके ने सलाह के बजाय इस बार सीधे निर्देश दिया है। समीर, उस हार्ड ड्राईव की सारी फाइल्स सेटफोन द्वारा हमे ट्रांस्फर कर दो। इसको औपचारिक तरीके से अब हम सरकार के माध्यम से दूसरी सरकारों की सुरक्षा एजेन्सियों से बात करेंगें। आप्रेशन अज्ञातवीर का उद्देश्य इस कारण पथभ्रमित नहीं होना चाहिये। तभी जनरल रंधावा ने बीच मे टोका… पुत्तर, एक बात का मुझे शक हो रहा है कि कहीं इस हार्ड ड्राईव के माध्यम से वह अपना उल्लू तो सीधा नहीं करने की सोच रहा है। …क्या मतलब सर? अजीत सर की आवाज गूंजी… सरदार ने बड़े पते की बात की है समीर। ऐसा भी तो हो सकता है कि वह तुम्हारे जरिये शरीफ और बाजवा को रास्ते से हटा कर उसके नेटवर्क पर काबिज होने की सोच रहा है। हमे उसका पुराना रिकार्ड नहीं भूलना चाहिये। वह पाकिस्तान सेना का एक बेहद दुर्दान्त और व्यभिचारी अफसर रहा है। उसका दामन भी बाजवा और शरीफ की तरह बहुतों के खून से लाल है। इसलिये हमारी सलाह है कि उससे सावधान रहने की जरुरत है। हमे लगता है कि यह सब उस काले कारोबार के नेटवर्क पर वर्चस्व हथियाने की लड़ाई है। मै कुछ बोलता कि तभी कुछ खटका हुआ तो मैने मुड़ कर देखा तो दरवाजे पर नफीसा को खड़ी देख कर मेरी धड़कन रुक गयी थी। …मेजर। मैने तुरन्त कहा… सर, मै फोन काट रहा हूँ। बाद मे बात करुँगा। अबकी बार बोलते हुए मेरी आवाज लड़खड़ा गयी थी।

नफीसा बंद दरवाजे के सामने खड़ी हुई थी। मेरी पीठ उसकी ओर थी जिसके कारण मै उसे प्रवेश करते हुए नहीं देख पाया था। उसके चेहरे पर खौफ और तनाव साफ विद्यमान हो रहा था। पता नहीं वह कबसे हमारी बातें सुन रही थी। क्या मेरा आप्रेशन आज्ञातवीर उसके सामने खुल गया? मै यह सोच रहा था कि तभी एक विचार बिजली की तरह मेरे दिमाग मे कौंधा… अब इसे मरना होगा। मै कुछ दिनो से महसूस कर रहा था कि सीमा पार करने के बाद से मेरे अन्दर की इंसानियत मर गयी थी।

 

 

उपसंहार

 

साउथ ब्लाक, नई दिल्ली

कान्फ्रेन्स रुम मे गोपीनाथ और अन्य लोग गहन चर्चा मे उलझे हुए थे। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार को प्रवेश करते हुए देख कर सब अपनी-अपनी जगह पर जा कर बैठ गये थे। अजीत सुब्रामन्यम ने मीटिंग का उद्देश्य बता कर गोपीनाथ को माइक देकर कहा… टाईम का ख्याल रखना। गोपीनाथ ने एक पल रुक कर बोलना आरंभ किया… अमरीका अपना मन बना चुका है कि अब उसे अफगानिस्तान से अपने सैनिक हटाने का समय आ गया है। इस लिये तालिबान के सारे गुटों को बातचीत करने के लिये कतार बुलाया है। कतार का अमीर इन दोनो गुटों के बीच मध्यस्ता कराने की कोशिश कर रहा है। हमारे लिये पहली चुनौती तो अपने लोगों को अफगानिस्तान से सुरक्षित बाहर निकालने की है। दूसरी चुनौती तालिबान की ओर से है। तीसरी चुनौती चीन की सड़क परियोजना की ओर से नजर आ रही है। चौथी और सबसे बड़ी चुनौती पाकिस्तान से मिल रही है। वहाँ राहदारी एक ऐसा मुद्दा बन गया है कि पाकिस्तान सभी के लिये रोड़े अटका रहा है। इस राहदारी के कारण भारत की भुमिका अफगानिस्तान मे नगण्य हो गयी है। हम अफगानिस्तान मे बिजली, सड़क, स्वास्थ व शिक्षा की परियोजनायें स्थापित कर रहे है। वहाँ पर हालात खराब होने से जान और माल की हानि होने की संभावना बढ़ जाएगी। इन हालात मे हमारी ओर से पहल की गयी थी जिसके कारण तालिबान का नेतृत्व, सीआईए, अमरीकन फौज और हमारा विदेश विभाग एक प्लेटफार्म पर आकर इसका हल निकालने मे लगे हुए थे। हमारी ओर से इस मसले को सुलझाने के लिये ब्रिगेडियर चीमा उनके साथ काम कर रहे थे। हाल ही मे आईएसआई ने अपनी तंजीमों की मदद से ब्रिगेडियर चीमा पर हमला करवा कर पूरी योजना को पटरी से उतार दिया है। वहाँ के हालात की जानकारी देने के लिये काबुल मे नियुक्त मिलिट्री अटाचे कर्नल श्रीनिवास अब आपके सामने सारे तथ्य रखेंगें। इतना बोल कर श्रीनिवास को बोलने का इशारा करके गोपीनाथ अपने स्थान पर जाकर बैठ गया था।

कर्नल श्रीनिवास ने एक नजर सभी पर डाल कर बोलना आरंभ किया… ब्रिगेडियर चीमा तालिबान के शीर्ष नेतृत्व यह यकीन दिलाने मे सफल हो गये थे कि हमारी सभी परियोजनायें जनहित मे है। वह अमरीका और तालिबान के बीच सुलह कराने मे भी सफल हो गये थे कि अगर तालिबान कुछ समय के लिये शांति बहाल करने मे कामयाब हो जाता है तो अमरीकन और नाटो फोर्सेज अफगानिस्तान से निकलने का कार्य आरंभ कर देंगी। काफी हद तक इस पर एक राय बन चुकी थी और तालिबान पिछले कुछ महीने से शांत बैठे हुए थे। इसी का परिणाम है कि कतार मे तालिबान और अमरीका की शांति वार्ता आरंभ हो गयी थी। तालिबान की सिर्फ एक ही शर्त थी कि इस वार्ता मे कोई तीसरी पार्टी नहीं होगी। उनका सीधा इशारा पाकिस्तान की ओर था। उनका मानना था कि अफगानी ही अपना मुस्तकबिल खुद तय करेंगें। यह विचार पाकिस्तान की आईएसआई और फौज के हित मे नहीं था तो सबसे पहले वह अमरीका को राहदारी देने के मामले मे आनाकानी करने लगे। उसके लिये पाकिस्तानी एस्टेबलिश्मेन्ट ने अपनी आवाम को अमरीका के विरुद्ध भड़काना शुरु किया जिसमे मुख्य भुमिका लब्बैक और जमात के मौलानाओं और मदरसों की थी। हमारे पास पुख्ता सूचना है कि इस अभियान को पीछे से चीन की मदद मिल रही थी। चीन अपनी वन बेल्ट-वन रोड सड़क परियोजना के द्वारा अड़तीस से ज्यादा एशियाई राष्ट्रों पर अमरीका की पकड़ कमजोर करके उन पर अपना नियंत्रण करना चाहता है।

इतना बोल कर श्रीनिवास कुछ पलों के लिये चुप हो गया था। सभी बैठे हुए अधिकारी चुपचाप उसकी बात सुन रहे थे। उसने फिर से बोलना आरंभ किया… ब्रिगेडियर चीमा ने पाकिस्तान और चीन पर अंकुश लगाने के लिये एक ब्लू प्रिंट तैयार किया था जिसकी सीआईए और तालिबान के नेतृत्व ने भी काफी सराहना की थी। उनका मानना था कि पाकिस्तान मे फौज के प्रति रोष व असंतोष की स्थिति मे चीन की सीपैक परियोजना पर प्रतिकूल असर होगा जिसके कारण दोनो का ध्यान अफगानिस्तान से हट कर पाकिस्तान तक सिमित हो जाएगा। इसके लिये उन्होंने तेहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान और उसकी जैसी और तंजीमो को मजबूत करने का सुझाव दिया था। अमरीका को एक तीर से दो शिकार करने का मौका मिल गया था। उन्होंने सहर्ष यह सुझाव को अमल मे करने के लिये ब्रिगेडियर चीमा को ग्रीन सिगनल दे दिया था। अमरीकन डालर और हथियारों की मदद मिलते ही तेहरीक और उनकी जैसी बलूचिस्तान, पख्तूनिस्तान, वजीरीस्तान की अन्य तंजीमों ने पाकिस्तानी फौज और सीपैक को निशाने पर ले लिया था। पाकिस्तान मे अराजकता का असर यह हुआ कि उनका ध्यान अफगानिस्तान से हट गया और तालिबान की वार्ता किसी हद तक अफगानिस्तान मे शांति स्थापित करने मे सफल हो गयी थी। बस इसी कारण ब्रिगेडियर चीमा आएसआई की नजर मे आ गये थे।

…तालिबान के बारे एक बात जानना जरुरी है कि पहले अफगान युद्ध मे तालिबान को बनाने वाले लोगों मे हक्कानी परिवार का आज भी काफी प्रभाव है। हक्कानी परिवार मूलत: पाकिस्तानी है और अफगान सीमा पर उनका काफी दबदबा है। पहले और दूसरे अफगान युद्ध मे तालिबान की हक्कानियों ने काफी मदद की थी। पाकिस्तानी फौज और आईएसआई का तालिबान पर प्रभाव हक्कानी परिवार के कारण है। जब यह वार्ता की पहल हुई तब पाकिस्तान फौज के दबाव मे हक्कानियों ने इस वार्ता मे भाग लेने से मना कर दिया था। इसी के साथ बहुत से तालिबान के नेताओं का परिवार अभी भी पाकिस्तान मे रह रहा है। इसीलिये तालिबान का नेतृत्व दो भाग मे बँट गया है। हक्कानी और उनके समर्थक पाकिस्तान के पिठ्ठु बन कर वार्ता असफल करने की जुगत लगा रहे है और वहीं दूसरी तरफ एक बड़ा तबका तालिबान का अमरीकन से बात करने की पैरवी कर रहा है। चीन के लिये यह सभी प्यादे है और उनका उद्देश्य उस महत्वाकांक्षी सड़क परियोजना से जुड़ा हुआ है। ग्वादर और सीपैक परियोजना मे अब तक चीन काफी पैसा लगा चुके है। इसी कारण अब वह भी पाकिस्तानी फौजी एस्टेब्लिशमेन्ट के दबाव मे आ गये है। आपको यह सब बताने की जरुरत ब्रिगेडियर चीमा के कारण पैदा हो गयी है। एक ओर तालिबान के नेतृत्व मे सेंधमारी के लिये आईएसआई हक्कानियों से मदद ले रही है और दूसरी ओर पाकिस्तान फौज तेहरीक के खिलाफ जंग छेड़ने जा रही है। पश्तूनों और पठानों के बीच मे अमरीका की छवि ठीक नहीं है अपितु उन लोगों के बीच भारतीयों की छवि सबसे बेहतर है। अमरीका चाहता है कि हम इस स्थिति को संभाले इसी लिये ब्रिगेडियर चीमा का रिप्लेसमेन्ट हमें जल्दी से जल्दी चाहिये। इतना बोल कर श्रीनिवास चुप हो कर अपनी जगह पर बैठ गया था।

 

कराँची

उसी समय कराँची मे जनरल फैज एक आदमी से मिल रहा था। …मुंबई मे पैसा पहुँचाना है। …जनरल साहब अब हवाला के जरिये वहाँ पैसे पहुँचाना मुश्किल हो रहा है। नयी सरकार आने के बाद से काफी सख्ती हो गयी है। …अकबर मियाँ, मुंबई फिल्म इंड्रस्ट्री अभी बन्द नहीं हुई है। आज भी बालीवुड हमारे पैसों पर खड़ा हुआ है। यह सुन कर अकबर एक पल के लिये गड़बड़ा गया था। जनरल फैज ने आँखे तरेर कर कहा… मियाँ यहाँ पर क्या होता है उसकी सारी खबर है। इसलिये अपने अब्बा से कहो कि अगले हफ्ते तक उन्हें सौ करोड़ रुपये मुंबई पहुँचाने है। …जनाब, आपने कह दिया तो काम हो जाएगा। जनरल फैज मुस्कुरा कर बोला… आज रात के लिये किसका इंतजाम किया है? …बालीवुड मे अपनी नयी लड़की जाहिरा को काम दिलवा रहा हूँ। आपके लिये आज उसका इंतजाम किया है। इतना बोल कर वह चुप हो गया था। कुछ सोच कर अकबर झिझकते हुए बोला… आपने जमाल भाई के प्रस्ताव के बारे मे क्या सोचा? …कौनसा प्रस्ताव? …जमाल भाई ड्र्ग्स के कारोबार को करांची के बजाय बाकू से चलाना चाहते है। …अकबर, उसने अभी तक यह नहीं बताया है कि अगर वह बाकू से सारे कारोबार का संचालन करेगा तो फिर मेरे हिस्से को कहाँ और कैसे देगा? …मेरे हमनवाज, मुंबई वालों के कारण दुबई का रुट सबकी नजर मे आ गया है। इसलिये अब्बा के कहने पर बाकू को चुना है। जनरल फैज ने आवाज कड़ी करके कहा… अकबर, तुम्हारे अब्बा कमाल के कराँची-दुबई-मुंबई रुट से भली भांति मै परिचित हूँ। अगर मुझसे होशियारी दिखाने की कोशिश करने की सोच रहे हो यह जान लो कि बाकू मे भी तुम्हारे सारे नेटवर्क को ध्वस्त करने मे मुझे एक दिन भी नहीं लगेगा। अकबर ने जल्दी से पूछा… मुंबई मे वह पैसा किसके पास पहुँचाना है? …आमिर खान। …कौन वह एक्टर? …बेवकूफ आमिर खान तेहरिक-ए-तालिबान हिन्दुस्तान का संस्थापक है। वह केरला मे बैठा है। …जनाब, आपका काम हो जाएगा। …अब इसके बारे मे अपने अब्बा से नहीं पूछेगा? अबकी बार अकबर खिसियानी हँसी हँसते हुए बोला… जनाब, तलाब मे रह कर मगर से बैर नहीं रख सकते। जनरल फैज ने उठते हुए एक ठहाका लगाया और फिर कमरे से बाहर निकल गया। 

जनरल फैज के जाते ही एक वृद्ध से दिखने वाले व्यक्ति ने कमरे मे कदम रखते हुए कहा… अकबर, पता करो कि क्या फरहान चला गया? …अब्बू वह अभी बाहर बैठा है। …उसको मेरे पास भेज दे। दो मिनट के बाद वह कमाल कुरैशी के सामने फरहान हाथ जोड़े खड़ा हुआ था। …फरहान आपकी फिल्म इस हफ्ते रिलीज हो रही है। बाक्स आफिस पर वह फिल्म क्या कमाएगी इसके बारे मे कोई नहीं जानता लेकिन मै तुम्हारी फिल्म हिट करवा सकता हूँ। …बड़े अब्बू , मै आपका गुलाम हूँ। आप जैसा चाहेंगें वैसा होगा। बस आप मुंबई के अन्दर फिल्म रिलीज करने मे मेरी मदद कर दिजिये। …वह तो मै कर दूँगा लेकिन अगले हफ्ते तक सौ करोड़ का इंतजाम करना है। …बड़े अब्बू, मै इतने पैसे के इंतजाम कैसे करुँगा? कमाल कुरैशी ने हवा मे हाथ लहराते हुए कहा… जौहर की पिछली फिल्म की कमाई की रकम अभी भी बकाया है। उसके पास जाकर पचास करोड़ ले लेना। मैने उसको कह दूँगा। बीस करोड़ का इंतजाम तुमको करना है। बाकी तीस करोड़ का इंतजाम करके मै तुम्हारे पास भिजवा दूँगा। यह सौ करोड़ केरला मे आमिर खान के पास पहुँचाना है। बेचारा फरहान जमीन पर माथा टिका कर खुदा का शुक्रिया करते हुए कमाल कुरैशी के कदमो को चूम कर बाहर निकल गया।

 

साउथ ब्लाक, नई दिल्ली

साउथ ब्लाक मे राष्ट्रीय सुरक्षा समिति की आपातकालिक बैठक चल रही थी। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत सुब्रामन्यम की अध्यक्षता मे अन्य राष्ट्रीय सुरक्षा समिति के सदस्यों के साथ रा के निदेशक गोपीनाथ की मीटिंग शुरु हुई थी। अजीत सुब्रामन्यम ने सब पर एक नजर डाल कर कहा… गोपीनाथ, तुम्हारा प्रस्ताव हमारे सामने आया है। उस पर कोई भी निर्णय लेने से पूर्व हम जानना चाहते है कि क्या हम अपनी विदेश नीति को बदलने की सोच रहे है? गोपीनाथ इस सवाल को सुन कर गड़बड़ा गया था। वह कोई जवाब देता उससे पहले वीके ने पूछा… आज तक हमारी नीति आतंकवादियों और उनकी तंजीमो के लिये बड़ी साफ रही थी कि हम उनसे कोई बात नहीं करेंगें और न ही कोई परोक्ष व अपरोक्षक संबन्ध रखेंगें। इस प्रस्ताव मे तुम हमे उनके साथ काम करने का सुझाव दे रहे हो। यह कैसे मुम्किन है? तभी विदेश सचिव तुरन्त बोले… दुश्मन का दुश्मन दोस्त होता है। गोपीनाथ शायद इसीलिये इसकी वकालत कर रहे है। अबकी बार जनरल रंधावा ने टोकते हुए कहा… क्या हमारी विदेश नीति मे कोई बदलाव हो गया है। एकाएक सबके मुख पर ताला पड़ गया था। गृह सचिव ने मोर्चा संभालते हुए कहा… नीति बदलने की बात नहीं है। अपनी जान और माल की रक्षा के लिये हमे तालिबान के साथ काम करना ही पड़ेगा। अमरीका आज नहीं तो कल वहाँ से जाएगा तब तो उनके बाद परोक्ष अथवा अपरोक्ष रुप मे तालिबान के हाथ मे वहाँ की सत्ता होगी तो उस वक्त क्या हमे तालिबान से बात नहीं करनी पड़ेगी?

अजीत अपने विचार रखते हुए बोले… गोपीनाथ, एक बात तो तय है कि हम परोक्ष रुप से तालिबान के साथ खड़े नहीं हो सकते। ऐसी हालत मे रा के किसी अधिकारी को इस काम पर क्यों नहीं लगाते? गोपीनाथ तुरन्त बोला… अजीत सर, आप ठीक कह रहे है लेकिन हमारे पास ऐसा कोई आदमी नहीं है जो कूट्नीति और राजनीति के साथ सैन्य नीति मे भी उतनी कुशलता रखता है। इसलिये हम यह निवेदन आपसे कर रहे है। अजीत ने कुछ सोचते हुए कहा… कर्नल श्रीनिवास से बेहतर कोई और विकल्प मुझे नहीं सूझता क्योंकि वह सैनिक पहले है और दूतावास मे होने के कारण कूटनीति कि समझ भी रखता है। वह सभी मुख्य लोगो को जानता और पहचानता है इसलिये वह इस कार्य को बखूबी निभा सकता है। इतना बोल कर अजीत चुप हो गये थे। गोपीनाथ के चेहरे पर परेशानी की लकीरें खिंच गयी थी। तभी वीके ने कहा… गोपीनाथ, एक बात की ओर अभी तक आपका ध्यान ही नहीं गया है कि ब्रिगेडियर चीमा के रिप्लेसमेन्ट को पहले अमरीका की सहमति की जरुरत है क्योंकि उसको अमरीका की फौज और सीआईए के साथ भी काम करना पड़ेगा। एक तरीके से विदेश मंत्रालय के साथ रक्षा मंत्रालय और गृह मंत्रालय भी इस प्रस्ताव के साथ सीधे जुड़ गये है। चुंकि यह नीतिगत फैसला है तो इसके लिये केबीनेट की मंजूरी अनिवार्य है। यह भी तभी मुम्किन है कि जब तुम्हारा प्रस्ताव केबिनेट की राय लेने के लिये उनके सामने रखा जाये। गोपीनाथ ने जल्दी से बला टालने के लिये कहा… वीके आप ठीक कह रहे है। पहले इस प्रस्ताव को केबीनेट के सामने रख कर उनकी राय ले लेते है। तभी जनरल रंधावा मुस्कुरा कर बोले… गोपीनाथ, अगर तुम्हारे प्रस्ताव को केबीनेट के सामने रखा तो इसकी गोपनीयता की गारन्टी कौन लेगा। जहाँ तक मैने तुम्हारे प्रस्ताव को देखा है तो मुझे नहीं लगता कि तुम इसकी जानकारी पाकिस्तान को देना चाहोगे। इस तर्क को सुन कर गोपीनाथ निरुत्तर हो गया था।

 

भारतीय दूतावास, काबुल

मिलीट्री अटाचे श्रीनिवास बेहद तनाव मे दिल्ली मे रा के निदेशक गोपीनाथ से हाटलाइन पर बात कर रहा था। …सर, बुरी खबर है। तेहरीक के गुल ने खबर दी है कि आईएसआई का जनरल फैज भारत मे कोई बहुत घातक योजना को कार्यान्वित करने की फिराक मे है। उस आप्रेशन का नाम गज्वा-ए-हिन्द है। दक्षिण भारत मे जिहाद काउन्सिल की चरमपंथी तंजीमे मिल कर तेहरीक-ए-तालिबान हिन्दुस्तान की स्थापना कर रही है। उनका मकसद साफ है कि तेहरीक और तालिबान से भारत के रिश्ते बिगड़ने से अफगानिस्तान मे भारत की उपस्थिति कमजोर पड़ जाएगी। …क्या मतलब? …सर, जैश और लश्कर के लोग भारत मे तेहरीक-ए-तालिबान हिन्दुस्तान के नाम से विस्फोट और दंगा फसाद करके उनको अमरीका और दुनिया के सामने बदनाम कर देंगें।

…इसका गज्वा-ए-हिन्द से क्या वास्ता श्रीनिवास? …सर, इसका कोई खास मतलब नहीं है। यह जमात-ए-इस्लामी की विचारधारा है जिसको आईएसआई तेहरीक और तालिबान से जोड़ने की कोशिश कर रही है। उनका मत है कि इस विचारधारा की मुस्लिम राष्ट्रों के युवाओं मे काफी अच्छी पकड़ है। खबर मिली है कि आखुन्डजादा पिछले महीने सिरीया मे अबु अडनानी से मिला था। गज्वा-ए-हिंद के लिये उसने आईसिस की ओर से अखुन्डजादा को समर्थन देने का विश्वास दिलाया है। इस विचारधारा के बल पर आईएसआई पैसों व जिहादियों को एक छत के नीचे एकत्रित करने की स्थिति मे आ जाएगी। …श्रीनिवास यह तो बहुत बुरी खबर है। …यस सर। इस बदलते माहौल के कारण यूएस एडमिनिस्ट्रेशन भी असमंजस की स्थिति मे आ गया है। गनी और मेहसूद पर भी दबाव बढ़ता जा रहा है। …ठीक है, स्थिति पर नजर बनाये रखना। मै अभी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार को इसकी खबर देने जा रहा हूँ। इतनी बात करके गोपीनाथ ने फोन काट दिया था। वह कुछ देर बैठ कर इसके बारे मे सोचता रहा और फिर अपना फोन उठा कर एक नम्बर मिला कर बोला… अजीत एक बुरी खबर है। फौरन मिलना है। बस इतना बोल कर उसने फोन काट दिया और उठ कर कमरे से बाहर निकलते हुए अपने सचिव से बोला… कुछ देर के लिये बाहर जा रहा हूँ। वह वहाँ से निकल गया था।

 

साउथ ब्लाक, नई दिल्ली

तिगड़ी के सामने आज मेरी पेशी थी। उस दिन मीटिंग को छोड़ कर जब बाहर निकला तब तो किसी ने मुझे रोकने की कोशिश नहीं की थी परन्तु शाम को अजीत सर मेरे पास आकर समझाते हुए बोले… समीर, हम तुम्हारी मनोस्थिति जानते है। पोस्ट ट्रामा से तुम अभी बाहर निकले ही थे कि यह घटना हो गयी। तुम कुछ दिन आराम करके वापिस आफिस जोइन कर लेना। इतना बोल वह वापिस चले गये थे। मै उसी दिन काठमांडू के लिये निकल गया था। वहाँ पहुँच कर पता चला कि अंजली अपने साथ दोनो बच्चों को लेकर चली गयी थी। उसने कारोबार संभालने के लिये ढाका से आरफा को काठमांडू बुला लिया था। फिलहाल अब वही सारा कारोबार संभाल रही थी। तीन दिन बिता कर मै पिछली रात को वापिस लौटा था। वहाँ से चलने से पहले मै एक निर्णय ले चुका था। आज मै उन तीनो के सामने बैठा हुआ अपने नये ब्लू प्रिन्ट की रुपरेखा को बताने के लिये तैयार था।

वीके ने कहा… मेजर, उरी का एक्शन प्लान तैयार हो गया है। सेना ने सर्जिकल स्ट्राईक का प्रस्ताव दिया है। इसके बारे मे तुम क्या सुझाव दे सकते हो? …सर, हमारे पास कुपवाड़ा से लेकर कठुआ तक के कुछ महत्वपूर्ण लान्चिंग पैड्स की जानकारी है। जनरल रंधावा के पास उन सभी स्थानो के जीपीएस कुर्डिनेट्स है। अगर हम दुश्मन की सीमा मे घुस कर उनके लान्चिंग पैड्स को ध्वस्त करने मे कामयाब हो गये तो फिर सभी तंजीमे उधर से घुसपैठ करने से पहले सौ बार सोचेंगीं। अजीत सर ने मेरी ओर देख कर कहा… समीर क्या तुम उनके कुछ महत्वपूर्ण लाँचिंग पैड की निशानदेही कर सकते हो? …जी सर। लेकिन इसके लिये मुझे कुछ दिनों के लिये कश्मीर जाना पड़ेगा। सारी घुसपैठ सर्दिया आरंभ होने से पहले अन्यथा बर्फ पिघलने के बाद होती है। इस वक्त मुझे नहीं लगता कि लांचिंग पेड्स पर कोई होगा परन्तु मै एक बार सेटेलाइट्स की तस्वीरों और वहाँ की असलियत अपनी आँखों से देखना चाहता हूँ। अगर हमारे सैनिक सीमा पार जाएँगें तो प्रवेश करने से पहले उनके पास एक पुख्ता निकासी प्लान होना चाहिये। अगर इसी काम को अंजाम देना है तो हमे उस समय इस आप्रेशन को लाँच करना चाहिये जब वहाँ पर भारी तादाद मे जिहादी उपस्थित होने चाहिये। जब उनका नुकसान ज्यादा होगा और तभी उसका उन तंजीमो पर कोई असर पड़ेगा। वीके ने पूछा… तुम्हारे अनुसार आप्रेशन कब लाँच करना चाहिये? …आज से तीन महीने बाद जब बर्फ पिघल रही होगी।

 

बीजिंग

चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के पोलिटब्युरो की मीटिंग चल रही थी। चीन को अगले पचास वर्ष मे दुनिया की महाशक्ति बनाने के ब्लू प्रिंट पर चर्चा चल रही थी। पार्टी के वरिष्ठ मेम्बर एक-एक करके अपने विचार सबके सामने रख रहे थे। चीन के राष्ट्र्पति जियाँग इस मीटिंग की अध्य्क्षता कर रहे थे। अचानक राष्ट्रपति जियाँग ने हस्तक्षेप करके कहा… उस वन बेल्ट एन्ड वन रोड परियोजना  का ब्लू प्रिंट मैने तैयार किया है। यह परियोजना आगे चल कर चीन की विदेश नीति की सबसे बड़ी उप्लब्धि बनेगी। इसको सड़क परियोजना समझने की भूल मत किजियेगा क्योंकि यह दुनिया के 50 छोटे और बड़े राष्ट्रों को चीन से जोड़गी। इसका मुख्य उद्देश्य अमरीका को अंतरराष्ट्रीय तौर पर विस्थापित करके चीन को एक महाशक्ति के रुप मे स्थापित करने का है। इस मुहिम को सफल बनाने के लिये बहुत से छोटे और बड़े ऐशियाई देशों ने हामी भर दी है। इतना बोल कर राष्ट्रपति जियाँग कुछ क्षण के लिये चुप हुए कि तभी तालियों की गड़गड़ाहट से हाल गूँज उठा था।

मीटिंग समाप्त होने के बाद राष्ट्रपति जियाँग अपने खास सलाहकार विदेश मंत्री वाँग क्यु के साथ हाल से बाहर निकलते हुए बोले… कुछ पार्टी के सदस्य हमारी इस परियोजना पर प्रश्नचिन्ह लगा रहे है। तुम्हारा इस विषय पर क्या कहना है? …इस परियोजना के समर्थन मे बहुत से छोटे एशियाई देशों को तो तैयार किया जा सकता है परन्तु इस पर भारत का रुख अभी तक स्पष्ट नहीं हो सका है। …वाँग इस बारे मे पाकिस्तान का क्या रुख है? …सर, पाकिस्तान का रुख सिर्फ पूँजी निवेश पर निर्भर करता है। शरीफ सरकार को आपकी काशगर-ग्वादर सड़क परियोजना बेहद पसंद आयी है। …यह परियोजना तो उनको पसंद आनी ही थी। वाँग हमारे वहाँ पर होने के कारण शरीफ सरकार को लगता है कि अब आजाद कश्मीर उनके लिये और भी ज्यादा सुरक्षित हो गया है। …सर, शरीफ सरकार भले ही ऐसा समझ रही होगी परन्तु भारत का रक्षा एस्टेब्लिशमेन्ट को कुछ हद तक हमारी सामरिक योजना का आभास हो गया है। अगली शंघाई वार्ता तक भारत का रुख भी साफ हो जाएगा। कार मे बैठते हुए राष्ट्र्पति जियाँग ने वाँग क्यू से कहा… हमारे मंसूबों को पूरा करने मे कासगर-ग्वादर सड़क परियोजना सामरिक दृष्टि से भारत के बढ़ते हुए कद पर अंकुश लगाने का काम करेगी। इसलिये तुम्हें सावधानी से आगे का काम करना पड़ेगा।

 

साउथ ब्लाक, नई दिल्ली

प्रधानमंत्री कार्यालय से बाहर निकलते हुए वीके ने अजीत से कहा… प्रधानमंत्रीजी ने तुम्हारे सुझाव को अनुमति दे दी है। तुम्हारी त्रिकोणीय स्ट्रेटेजी के अनुसार विदेश मंत्रालय अगले कुछ दिनो मे सभी मुस्लिम देशों के राष्ट्राध्यक्षों से इस मसले पर चर्चा करके अपना पक्ष उनके सामने रखेंगें। रक्षा मंत्री तीनो सेना के शीर्ष नेतृत्व की आपातकालिक बैठक बुला कर इस स्थिति से निबटने के लिये एक ब्लू प्रिंट तैयार करेंगें। गृह मंत्री को आंतरिक सुरक्षा की जिम्मेदारी दी गयी है। अजीत, तुमको इन तीनो के बीच समन्वय बिठाने का काम सौंपा गया है। …वीके यह सब तो ठीक है लेकिन इसमे मुझे एक कमी महसूस हो रही है। मैने जब यह पदभार संभाला था तभी मैने सोच लिया था कि अबसे हर लड़ाई दुश्मन के क्षेत्र मे लड़ी जाएगी। इसी स्ट्रेटजी को हमने काउन्टर आफेन्सिव या डिफेन्सिव आफेन्स का नाम दिया था। इस स्ट्रेटेजी का सफल परिणाम हमने कश्मीर आप्रेशन्स और आप्रेशन खंजर की विफलता मे देख लिया था। तभी साथ चलते हुए जनरल रंधावा ने कहा… जब यह तय हो गया है कि उरी का जवाब सर्जिकल स्ट्राईक से दिया जाएगा तो इस त्रिकोणीय स्ट्रेटजी को धार देने के लिये क्या समीर को आप्रेशन अज्ञातवीर के लिये ग्रीन सिगनल दे देना चाहिये? वीके और अजीत ने चलते हुए अपना सिर हिला कर जनरल रंधावा की बात का अनुमोदन कर दिया था।

वीके के आफिस मे बैठ कर तीनो आप्रेशन अज्ञातवीर के हर पहलू की समीक्षा कर रहे थे। एकाएक अजीत ने कहा… समीर को फील्ड मे अगर इस समय भेज दिया जाये तो उसका हम सर्जिकल स्ट्राईक मे भी उपयोग कर सकते है। जनरल रंधावा तुरन्त बोले… क्या अहमक जैसी बात कर रहा है अजीत। सर्जिकल स्ट्राईक के दौरान उसको हमारे साथ कमांड सेन्टर मे होना चाहिये। उसको उन चयनित लाँचिन्ग पैड्स की सारी जानकारी है। वीके ने उनकी बात काटते हुए कहा… मेजर को इस बार सीमा पार भेजने से पहले हमे उसके साथ हमेशा के लिये संबन्ध विच्छेद करना अनिवार्य है। क्या वह इसके लिये तैयार हो जाएगा? …वीके, यह उसका आप्रेशन है। उसने अपनी तीन शर्तों मे इस मसले को भी साफ तरह से रखा है। …अजीत, उसने तेरे सामने कौनसी तीन शर्तें रखी थी? …निर्णय लेने की पूर्ण स्वतंत्रता, खास मकसद के लिये छह सैनिकों की टीम और हमेशा के लिये हमसे संबन्ध विच्छेद चाहिये। पहले दो के लिये मै तैयार हो गया था परन्तु तीसरी शर्त के लिये मैने उस मना कर दिया था। उसकी बातों से मुझे ऐसा लगा कि वह कुछ और ही मकसद लेकर सीमा पार करने की सोच रहा है। …अजीत, हमें उससे संबन्ध विच्छेद करना अनिवार्य है क्योंकि वह वहाँ हक डाक्ट्रीन को अक्षरक्ष: कार्यान्वित करने जा रहा है। हम उससे दूरी बनानी पड़ेगी क्योंकि वह आज नहीं तो कल जरुर उनकी सुरक्षा एजेन्सियों की नजरों मे आ जाएगा। हम इतना बड़ी जोखिम नहीं ले सकते। …वीके क्या हम उसे वहाँ भेज कर उसका परित्याग कर सकते है? …दुनिया की नजर मे तो परोक्ष रुप से हमे यह करना पड़ेगा लेकिन अपरोक्ष तरीके से हम उसकी मदद मे सदैव खड़े रहेंगें। …यही तो मैने भी उसे समझाया था परन्तु वह इसके लिये भी तैयार नहीं है।

हमेशा की तरह दोपहर के बाद मै तिगड़ी के सामने बैठा हुआ था। अजीत सर ने कहा… समीर, आप्रेशन अज्ञातवीर लाँच करने का ग्रीन सिगनल मिल गया है। अजीत सर सारी बात सामने रख कर बोले… संबन्ध विच्छेद के मुद्दे पर हमारे बीच मतभेद है। जनरल रंधावा ने कुछ सोच कर कहा… वीके, मै अजीत की बात से सहमत हूँ। हमे यह नहीं भूलना चाहिये कि समीर को हम ब्रिगेडियर चीमा के रिप्लेसमेन्ट के रुप मे अमरीकनो के आगे रख सकते है। समीर को सीआईए के साथ काम करना पड़ेगा तो उसके लिये औपचारिक नियुक्ति अनिवार्य है। अजीत सर एकाएक बोले… हम एक काम कर सकते है। कर्नल श्रीनिवास को हम अधिकारिक तौर पर ब्रिगेडियर चीमा के रिप्लेसमेन्ट के तौर पर नियुक्त कर सकते है परन्तु अमरीकनों के साथ सिर्फ अपना सरदार संपर्क मे रहेगा। हम उनसे साफ कह सकते है सुरक्षा और गोपनीयता के लिये ब्रिगेडियर सुरिंदर सिंह चीमा के स्थान पर मेजर जनरल हरदीप सिंह रंधावा सारे आप्रेशन को संभालेगा। सरदार अपने जरिये तू अपने पुत्तर समीर को जरुरत पड़ने पर निर्देश भी दे सकेगा और मदद भी उप्लब्ध कराएगा। इसके बारे मे तुम तीनो की क्या राय है? एक बार फिर वही चर्चा का दौर आरंभ हो गया था। आखिर मे सभी ने अजीत सर के सुझाव का अनुमोदन कर दिया था।

अपने फ्लैट पर लौटते हुए मै अपने अगले कदम के बारे मे सोच रहा था। आप्रेशन आज्ञातवीर को ग्रीन सिगनल मिल गया था। जनरल रंधावा के अनुसार अगले एक हफ्ते मे वह छ्ह सैनिकों की टीम उनके पास रिपोर्ट करगी और हमारे कागज तैयार हो जाएँगें। इसका मतलब यही हुआ कि एक हफ्ते के बाद एक बार फिर से मै सीमा पार करुँगा। मेरी जेब मे पड़ा फोन थरथराया तो मैने फोन निकाल कर देखा तो दो नये मेसेज फ्लैश कर रहे थे। मैने जल्दी से मेसेज बाक्स खोल कर देखा तो उर्दू मे लिखा था…

दोजख मे आपको बहुत मिस करती हूँ।  मैने दूसरा मेसेज क्लिक किया तो दूसरा मेसेज देख कर मेरा दिमाग घूम गया… यह हम मियाँ-बीवी की निजि बातचीत है। इसका सिर्फ खुदा गवाह हो सकता है। इसे राज रखना आपकी और मेरी जिम्मेदारी है। आपको मेरी कसम।

मेरा दिमाग एक पल के लिये चकरा गया था। पता नहीं अब वह कौनसी नयी साजिश रच रही है? मै दोनो बच्चों को लेकर वैसे ही काफी विचलित था परन्तु अब यह नया तीर पता नहीं क्या गुल खिलायेगा। तभी एक बार फिर मेरा फोन वाईब्रेटिंग मोड मे थरथराया और एक नया मेसेज फ्लैश होने लगा। मैने जल्दी से उसको क्लिक किया…

जोरावर बाटामालू का पता चल गया है। वह मुजफराबाद मे पीर साहब के संरक्षण मे है। आपकी जिंदगी मे अदा की अहमियत मै जानती हूँ। खुदा ने चाहा तो अदा अब जल्दी मिल जाएगी। मेरा वादा है कि अदा को अपने साथ लेकर ही अब वापिस आऊँगी।

मेरी नजर डिस्प्ले स्क्रीन पर काफी देर तक टिकी रही थी। बार-बार तीनो मेसेज पढ़ रहा था कि तभी थापा की आवाज मेरे कान मे पड़ी… सर, घर पहुँच गये है।

मैने फोन बन्द किया और जीप से उतर कर फ्लैट की ओर चल दिया।