शह और मात-24
मै जानता था कि अपना
कैरी बैग लेकर सामान्य एयरलाईन्स मे सफर नहीं कर सकता था। एयरपोर्ट की सिक्युरिटी चेकिंग
मे मेरी ग्लाक के साथ अन्य छोटे हथियार और प्रतिबंधित इलेक्ट्रानिक उपकरणों को छिपाना
नामुम्किन था। दूतावास के ट्रेवल एड्वाईजर ने बताया कि सिक्युरिटी चेक से बचने के लिये
दूतावास के कर्मचारी कुछ संवेदनशील मौकों पर स्थानीय रोडवेज की बस या चार्टिड टूरिस्ट
फ्लाईट से सफर करते है। उसके सुझाव पर पेशावर पहुँचने के लिये टूरिस्ट बस से जाने का
निर्णय किया और रात को इस्लामाबाद के बस स्टैन्ड पहुँच गया। इस्लामाबाद से पेशावर का
200 किमी का रास्ता लगभग तीन घंटे का बताया गया था। रात की वोल्वो सर्विस पकड़ कर सुबह
चार बजे पेशावर पहुँच गया था। दूतावास ने मेरे ठहरने का इंतजाम होटल सेरीना मे करवा
दिया था। होटल की कार बस स्टैन्ड पर मुझे लेने के लिये पहले से मौजूद थी। बिना किसी
परेशानी के मै पेशावर पहुँच गया था। अभी अंधेरा छटा नहीं था तो होटल के कमरे मे पहुँच
कर सफर की थकान उतारने के लिये बिस्तर मे घुस गया। सुबह ग्यारह बजे मेरे फोन की घंटी
ने मुझे उठा दिया था।
…हैलो। …सर, कैप्टेन
जाहिद बोल रहा हूँ। आप पेशावर पहुँच गये? …गुड मार्निंग कैप्टेन जाहिद। मै होटल सेरिना
मे ठहरा हूँ। बोलिये कैसे फोन किया? …सर, उस लड़की के लिये फौज के द्वारा व्यापक सर्च
आप्रेशन चलाया जा रहा है। हम उसकी तलाश मे एक रिफ्युजी कैम्प की ओर निकल रहे है। क्या
आप हमारे साथ चलना चाहते है? …कैप्टेन, उस लड़की को खोजने से पहले क्या कभी तुमने यह
सोचने की कोशिश की है कि उस लड़की को अगुवा करने की भला क्या मंशा हो सकती है। यह तो
बात तय है कि उस लड़की के अपहरण मे तुम्हारे आफिस का हाथ है। …सर, उनकी कोई भी मंशा
रही होगी लेकिन अब उसको ढूँढ़ना हमारी मजबूरी बन गयी है। …कैप्टेन, किसी भी अपराध की
जाँच की शुरुआत अपराधी की मंशा से होती है। अगर उस लड़की का कोई रिश्ता जनरल फैज या
कर्नल हमीद के साथ है तो हमे उनके आस-पास उस लड़की को खोजना चाहिये। तुम ही बताओ कि
अफगानी रिफ्युजी कैंम्प मे जाकर क्या करोगे? …सर, हमे खबर मिली है कि उस लड़की को किसी
अफगानी रिफ्युजी कैम्प मे रखा हुआ है। प्लीज चलिये सर। सिर्फ दो घंटे की बात है। कुछ
सोच कर मैने कहा… एक घंटे मे मुझे सेरीना होटल से ले लिजिये। मेरा रुम नम्बर 6028 है।
इतना बोल कर मैने फोन काट दिया था। सीआईए की इन्टेल रिपोर्ट्स मे कई बार मैने पाकिस्तान
स्थित अफगान रिफ्युजी कैम्पों से पश्तून बच्चों के गायब होने जिक्र देखा था। अगले महीने
होने वाले जिरगा के लिये कुछ नयी जानकारी जुटाने की सोच कर मैने उनके साथ जाने का निर्णय
लिया था।
ठीक एक घंटे के बाद
फोन पर उन्होंने अपने पहुँचने की सूचना दी तो मै होटल के मुख्य द्वार की ओर चल दिया।
कैप्टेन जाहिद और लेफ्टीनेन्ट मोहसिन आईएसआई की काली बन्द ट्रेडमार्क जीप लेकर मेरे
होटल पहुँच गये थे। उनकी जीप मे बैठते हुए मैने कहा… आप बेकार अपना और मेरा समय जाया
कर रहे। किसी ने कोई जवाब नहीं दिया और एक घंटे के सफर के बाद हम उस कैम्प पर पहुँच
गये थे। रिफ्युजी कैंम्प पर फ्रंटियर फोर्स की एक युनिट हमारा इंतजार कर रही थी। हमारी
जीप रुकते ही वह हमारी ओर बढ़े तो मैने पूछा… इनको यहाँ किसने बुलाया? जाहिद तुरन्त
बोला… सर, हमने पहुँचने से पहले यहाँ पर तैनात कंपनी कमांडर को खबर कर दी थी। जीप से
उतर कर जाहिद एक दिशा मे इशारा करके कहा… आप आफिस मे बैठिये। हम कंपनी कमांडर को रिपोर्ट
करके आते है। इतना बोल कर वह दोनो चले गये थे। मै टहलता हुआ कैंम्प के प्रवेश द्वार
की ओर बढ़ गया। द्वार पर तैनात गार्ड्स ने मुझे जीप से उतरते हुए देख लिया था। किसी
ने मुझे रोकने की कोशिश नहीं की तो मै कैंम्प के अन्दर बढ़ता चला गया था।
पहली नजर मे कैंम्प
का दृश्य बेहद दयनीय लग रहा था। पैबन्द लगे हुए टेन्ट और अस्थायी शामियने हर ओर दिख
रहे थे। हर उम्र के औरत और मर्द खुले मैदान मे धूप सेकते हुए दिख रहे थे। इधर-उधर भागते
हुए हँसते खिलखिलाते हुए बच्चों को छोड़ कर बाकी सभी के चेहरे मुर्झाये हुए लग रहे थे।
कैम्प आफिस एक टीन का शेड था। उसकी टीन के शेड के एक किनारे पर संयुक्त राष्ट्र संघ
का झंडा देख कर मै उस ओर बढ़ गया। उस शेड के दरवाजे पर लोगो की भीड़ लगी हुई थी। भीड़
के पास पहुँच कर मै स्थिति का जायजा लेने के लिये खड़ा हो गया। तभी एक मौलाना सा दिखने
वाला आदमी मेरे करीब आकर घुर्राया… अबे तू कौन है? तभी पीछे से जाहिद की आवाज गूंजी…
अन्सार, साले खबीस की औलाद। वह मौलाना हड़बड़ा कर मुड़ा तो कैप्टेन जाहिद और लेफ्टीनेन्ट
मोहसिन को आते हुए देख कर उसके चेहरे की हवाईयाँ उड़ गयी थी। वह जल्दी से हकलाते हुए
बोला… माफी जनाब। तब तक जाहिद और मोहसिन मेरे पास पहुँच गय थे। …यह हमारे कर्नल साहब
है। यहाँ कैसा मजमा लगा रखा है। अन्सार ने दबी आवाज मे जल्दी से कहा… जनाब, इस्लामाबाद
से जकात कमिश्नर फईम चीमा आज दौरे पर आ रहा है। कैंम्प इन्चार्ज फातिमा बेग के निर्देश
पर आज रात एक लड़की को सर्किट हाउस पहुँचाना है। वह दोनो जकात विभाग के कर्मचारी है
जो उस लड़की को अपने साथ ले जाने के लिये आये है। रिफ्युजी लोग उस लड़की को छुड़ाने के
लिये हंगामा कर रहे है। उन दोनो जकात के कर्मचारियों के साथ एक बारह-तेरह साल की रोती
हुई लड़की खड़ी हुई थी।
…लेफ्टीनेन्ट मोहसिन,
जरा फातिमा बेग के बारे मे पूछो। अन्सार तुरन्त बोला… जनाब, वह जकात विभाग मे हेड क्लर्क
के पद पर कार्यरत है। तीन महीने पहले उसने यहाँ का चार्ज संभाला है। तभी उन दोनो आदमियों
मे एक आदमी भीड़ को चुप कराते हुए बोला… इस लड़की का रिफ्युजी कार्ड बनाने के लिये पेशावर
के जकात आफिस ले जा रहे। एक साथ भीड़ मे खड़े कुछ लोगों ने बोलना शुरु किया तो औरतों
ने विलाप करना शुरु कर दिया। अब तक उस कैम्प की सारी बात मुझे समझ मे आ गयी थी। एकाएक
उस भीड़ को चीरता हुआ मै आगे बढ़ता चला गया। जाहिद और मोहसिन भी मेरे पीछे-पीछे आ गये
थे। बड़े अधिकार से मै शेड का टीन का दरवाजा खोल कर अन्दर प्रवेश कर गया। जाहिद और मोहसिन
की वर्दी के कारण किसी ने हमे रोकने की कोशिश नहीं की थी। फौजी अधिकारियों को देख कर
भीड़ भी चुप हो गयी थी। शेड मे प्रवेश करते ही मेरी नजर सामने मेज के पीछे बैठी हुई
स्त्री पर पड़ी जो एक रजिस्टर पर कुछ लिख रही थी। फातिमा बेग देखने मे तीस-पैंतीस साल
की साधारण सी महिला लग रही थी। उसके करीब दो आदमी खड़े हुए थे। मेरे पीछे से जाहिद निकल
उस स्त्री की ओर जाकर बोला… क्या यहाँ पर सब पश्तून रिफ्युजी है या किसी और फिरके से
भी ताल्लुक रखते है। उस स्त्री ने रजिस्टर से अपना चेहरा उठा कर जाहिद की ओर देखते
हुए कहा… इस कैंम्प मे सभी पश्तून है। जाहिद ने अपना फोन उसके आगे करते हुए पूछा… इस
लड़की को क्या कभी इस कैम्प मे देखा है? …नहीं। एक बार फिर से वह अपने रजिस्टर को भरने
मे लग गयी थी।
जाहिद ने मुड़ कर मेरी
ओर देखा तो इस बार अपनी आवाज कड़ी करते हुए मैने पूछा… बीबी, इस कैंम्प से पिछले तीन
महीने मे कितने लोग गायब हुए है? एक बार फिर से उसने सिर उठा कर गौर से मुझे देखा और
फिर रुखे स्वर मे बोली… मुझसे पूछने वाले आप होते कौन है? जाहिद जल्दी से मेरा तार्रुफ
कराते हुए बोला… यह हमारे कर्नल साहब है। उस
लड़की की तलाश मे आये है। वह जल्दी से बोली… जनाब मुझे पता नहीं। एक बार फिर से सिर
झुका कर वह अपने रजिस्टर को देखने लगी। मै आराम से चलते मेज की दूसरी ओर उसके पास पहुँच
कर झुकते हुए धीरे से बोला… आज शाम को तू सर्किट हाउस पहुँच जाना। आज रात को तुझसे
पूछताछ करनी है। मुझे अगर तुझे उठवाना पड़ा तो कल शाम तक लाहौर की हीरा मंडी मे बिठवा
दूँगा। मैने यह बात धीरे से जरुर बोली थी लेकिन सभी ने मुझे साफ सुन लिया था। एकाएक
कमरे मे शांति छा गयी थी। जाहिद और मोहसिम अविश्वास भरी नजरों से मेरी ओर देखने लगे
और फातिमा बेग बोली कुछ नहीं बस हैरत से आँखें फाड़ कर मुझे घूरने लगी। मैने झपट कर
उसको गुद्दी से पकड़ कर कुर्सी से जबरदस्ती उठाया और दीवार से सटा कर घुर्राया… छिनाल हमसे कोई सीधे टकराने की हिम्मत नहीं करता
और तू मुझे भाव दिखा रही है। हरामजादी, पश्तूनो के बच्चे और बच्चियाँ रिफ्यूजी कैंम्प
से गायब हो रहे है और तुझे पता नहीं। कल इनकी कोई तंजीम हथियार उठा लेगी तो उसका अंजाम
वर्दी को भुगतना पड़ेगा। क्या तब तुझसे पूछताछ करुँगा? वह मेरी पकड़ मे छटपटाई परन्तु
उसके गले पर अपनी पकड़ को मजबूत करते हुए मैने कहा… तेरा कोई भी रहनुमा इस्लामाबाद मे
बैठा हुआ हो लेकिन यहाँ पर तेरा मालिक मै हूँ। अगर अभी भी तुझे इसका एहसास नहीं हुआ
है तो आज तुझे इसका एहसास करा कर ही वापिस जाऊँगा। मै घूम कर जोर से चिल्लाया… कैप्टेन
सबको कमरे से बाहर ले जाओ। जब तक मै बाहर नहीं आता तब कोई अन्दर नहीं आना चाहिये। अगर
कोई कोशिश करे तो शूट टु किल। मेरे बदले हुए तेवर को देख कर जाहिद और मोहसिन भी सकते
मे आ गये थे। मै जोर से चिल्लाया… मूव। वह दोनो एकाएक हरकत मे आ गये और खड़े हुए उन
दोनो लोगों को धकेलते हुए कमरे से बाहर निकल गये थे।
फातिमा बेग का चेहरा
डर के मारे सफेद हो गया था। उसे वहीं छोड़ कर मैने आराम से कमरे का दरवाजा भिड़ाया और
चिटखनी लगा कर जैसे ही उसकी ओर मुड़ा वह चिल्लायी… खबरदार मेरे पास नहीं आना। तेरी खाल
खिंचवा दूंगी। मै उसके करीब पहुँच कर रुक गया। उसके चेहरे पर आतंक साफ झलक रहा था।
उस पर एक भरपूर नजर डाल कर मैने उसके गले मे पड़े हुए दुपट्टे को खींच कर अलग किया तो
अपने उघड़े हुए सीने को हाथ से छिपाते हुए बोली… खुदा के लिये मुझे बक्श दो। मैने मुस्कुरा
कर कहा… फातिमा बीबी, आज तुम्हें वर्दी की ताकत समझानी है। पहले तुम्हारी सरकारी मेज
पर तुम्हारे साथ जबरदस्ती ज़िना करुँगा और फिर इस कैम्प के हर मर्द को तुम्हारे उपर
से उतार कल शाम तक लाहौर भिजवा दूँगा। अपने रहनुमा को बुलाना चाहती हो तो बुलवा लो
क्योंकि मेरे पास काफी समय है। यह सुन कर उसका जिस्म एकाएक काँप गया था। जैसे ही मैने
उसकी ओर हाथ बढ़ाया तो वह छिटक कर दूर होते हुए बोली… तुम्हें खुदा का वास्ता। मुझे छूना नहीं वर्ना पछतायेगा।
उसको घूरते हुए मैने झपट कर उसका हाथ पकड़ लिया और उसके हाथ को मरोड़ कर उसकी पीठ से
लगाया तो वह दर्द से बिलबिला कर अपने पंजो पर उचकी तो उसका उभरा हुआ सीना मेरी छाती
से टकरा गया। बड़ी बेशर्मी से मेरे दूसरे हाथ के पंजे ने उसके स्तन की गोलाई नापते हुए
धीरे से सहलाया और फिर एकाएक जकड़ कर बेदर्दी से मसक दिया। वह छटपटाई और दर्द से बिलबिला
कर चीखी तो मैने कहा… तेरी चीख बाहर खड़े हुए तेरे साथी और सारे शरणार्थी भी सुन रहे
होंगें तो अब यह भी बता दे कि तेरा मालिक कौन है? वह कुछ नहीं बोली तो मैने उसका मखमली
स्तन छोड़ कर उसको कमर से पकड़ कर एक झटके से मेज पर बिठा दिया। अब तक उसके चेहरे की
सारी सरकारी अकड़ गायब हो गयी थी।
मैने उसके गाल को
धीरे से सहलाते हुए कहा… मस्त माल है मेरी जान। बोल तेरा रहनुमा कौन है? वह कुछ बोलती
उससे पहले मैने उसके कुर्ते के गले को पकड़ कर एक झटके से चीर दिया। उसका नग्न स्तन
मेरे सामने आ गया। वह छूटने के लिये छटपटायी तो जबरदस्ती उसके दोनो हाथ पकड़ कर पीछे
जकड़ दिये उसका बाँया सीना मेरे चेहरे के सामने आ गया था। वह कुछ समझ पाती उससे पहले
मैने झुक कर अपने होंठ उसके नग्न स्तन पर टिका कर उसके गोल स्तनाग्र को अपने दातों
तले दबा लिया। वह लगातार छूटने के लिये छटपटा रही थी। मेरा एक हाथ उसके कुर्ते के नीचे
सरक कर उसकी शलवार के नेफे पर जैसे ही पहुँचा वह तड़प कर मेज से नीचे उतर गयी। उसका
स्तन अभी भी मेरे दाँतों तले दबा हुआ था। मैने जैसे ही दाँतों पर दबाव बढ़ाया वह स्थिर
खड़ी हो गयी। मैने उसकी शलवार का नाड़ा पकड़ कर जैसे ही खींचा तो उसकी शलवार सरसराती हुई
जमीन पर इकठ्ठी हो गयी थी। अन्तरवस्त्र न होने के कारण अब वह नीचे से भी नग्न हो चुकी
थी।
उसके स्तन को छोड़
कर मैने उसकी कमर पकड़ कर एक झटके से मेज की ओर घुमा दिया और फिर धकेल कर उसे मेज पर
झुका दिया। फातिमा बेग बेहद नाजुक स्थिति मे फँस गयी थी। मैने उसके कुर्ते को सिरे
से पकड़ कर उठा कर अनावरित पुष्ट नितंबो को सहलाते हुए कहा… बीबी, क्या कभी तुमने सोचा
है कि कैंम्प की बच्चियों को जब तुम अपने अफसरों के पास भेजती हो तो उन पर क्या गुजरती
होगी। इतना बोल कर मेरा पंजा पूरी शक्ति से उसके नितंब पर पड़ा तो उसके मुख से दर्दभरी
चीख निकल गयी थी। उसके बाद तो मेरा हाथ कुछ देर तक उसके दो नितंबों को लाल करने मे
जुट गया था। हर चोट पर वह तिलमिला कर छूटने की कोशिश करती परन्तु तब तक मेरी अगली चोट
उसकी सारी कोशिश को धाराशायी कर देती। कुछ देर तक उसके गोल थरथराते हुए नितंबों को
लाल करने के पश्चात मैने तपते हुए नितंबों को सहलाते हुए कहा… बीबी, अब तुम्हें अपने
विभाग की कार्यक्षमता से रुबरु करा रहा हूँ। इतना बोल कर मेरी उँगली नितंबों की दरार
मे अटक कर जैसे ही नीचे सरकी वह जोर से चीखी… नहीं। खुदा के लिये मुझ पर रहम करो।
…बीबी, वह बच्चियाँ भी तो ऐसे ही चीखती होंगी। यह बोलते हुए मेरा अंगूठा उसके सुर्यमुखी
छिद्र के मुँहाने पर पहुँच गया था। मैने पूरी शक्ति से दबाव बना कर अपने अँगूठे को
उस छिद्र मे प्रविष्ट कर दिया। वह छ्टपटा कर मचली परन्तु तब तक मेरी उंगली उसकी योनि
को भेद कर अन्दर प्रविष्ट हो गयी थी। एक ही
समय मेरी उँगली और अंगूठा उसके जिस्म के दोनो छिद्रो को भेदने मे सफल हो गये थे। कुछ
ही पल बीतने के बाद अपने हथियार डाल कर वह धीरे से बोली… खुदा के लिये मुझ पर रहम किजिये।
मैने झुक कर उसके
कान मे धीरे से कहा… फातिमा बीबी, अब सब कुछ अपने आप बताओगी या ज़िना की बेइज्जती झेलने
के बाद बताओगी? वह जल्दी से सिर हिला कर बोली… गृह मंत्री रशीद साहब की सिफारिश लगा
कर मैने यहाँ का चार्ज लिया है। …जकात का विभाग उनके मंत्रालय मे आता है? …हाँ। …तुम
रशीद साहब को कैसे जानती हो? …मै उनके मोहल्ले की लड़की हूँ। …ओह। उसने तुम्हारी जवानी
का मजा लूट कर इनाम के तौर पर सरकार मे नियुक्ति की है। वह कुछ नहीं बोली बस उसने सिर
हिला दिया था। …निकाह हो गया? …दो साल पहले उन्होंने मेरा तलाक करवा दिया था। …यह बच्चे
और बच्चियाँ कैंम्प से कहाँ जाते है? …पेशावर के असगर भाई हमे खबर करते है और उसी शाम
पुलिस की टीम उन बच्चों को लेने आ जाती है। …यह असगर कौन है? …पेशावर के बहुत बड़े कारोबारी
है। …मुझे पता चला है कि आज शाम को एक लड़की को सर्किट हाउस मे कमिश्नर फईम चीमा के
लिये भेजा जा रहा है। अबकी बार फातिमा जल्दी से बोली… बड़े अफसरों के लिये भी कैंम्प
की लड़कियों को भेजा जाता है। …क्या इसके लिये भी असगर भाई निर्देश देते है? …नहीं।
उनके लिये विभाग से खबर दी जाती है। मै उसको छोड़ कर अलग खड़ा हो गया तो वह सिर झुका
कर सीधे खड़ी हो गयी थी।
उसके नग्न स्तन पर
दांतों के निशान को धीरे से सहलाते हुए मैने पूछा… गायब बच्चों का कोई रिकार्ड रखती
हो? फटे हुए कपड़े से वह अपना नग्न स्तन ढकते हुए बोली… हाँ, हम रजिस्टर मे दर्ज कर
देते है। अपनी मासिक रिपोर्ट फाइल करते हुए हमेशा यही लिखते है कि वह कैंम्प छोड़ कर
किसी के साथ भाग गये है। हमारी रिपोर्ट पर गृह मंत्रालय उनके लिये एक लुक आउट नोटिस
जारी कर देता है। …वह रजिस्टर दिखाओ। फातिमा ने लकड़ी की अलमारी खोल कर एक रजिस्टर निकाल
कर मेरी ओर बढ़ाते हुए बोली… जनाब, इसे किसी को दिखाने की मनाही है। मैने अपना फोन निकाला
और हर पन्ने की तस्वीर खींच कर रजिस्टर वापिस करते हुए कहा… यह बात किसी को मत बताना।
इसमे तुम्हारी भलाई है। …आप कौन है? मैने धीरे से उसके गाल को सहलाते हुए कहा… मेरे
बारे मे मत पूछो। यही तुम्हारे लिये अच्छा होगा। अब जल्दी से शलवार पहन लो। जब तक उसने
शलवार पहन कर अपने अस्तव्यस्त कपड़ों को ठीक किया तब तक मै दरवाजा खोल कर शेड से बाहर
निकल गया था। बाहर अभी भी भीड़ जमा थी लेकिन सभी चुप थे। उनके सामने से निकलते हुए मैने कहा… उसको मैने समझा
दिया है। बस इतना बोल कर मै कैंम्प के मुख्य द्वार की ओर चल दिया।
कुछ देर के बाद हमारी
जीप पेशावर की दिशा मे जा रही थी। मोहसिन ने जीप चलाते हुए पूछा… सर, उस नकचड़ी के साथ
क्या किया? मैने मुस्कुरा कर कहा… वही सब जो पूछताछ के दौरान किया जाता है। एक ठहाका
लगा कर जाहिद बोला… सर, हमे आपसे ऐसी उम्मीद नहीं थी। एक सेकन्ड के लिये तो हम चौंक
गये थे। मैने उसको अनसुना करते हुए पूछा… जाहिद, पेशावर के असगर नाम के किसी कारोबारी
को जानते हो? एकाएक उसके चेहरे के भाव बदल गये थे। मोहसिन ने जाहिद की ओर देखा तो जाहिद
बोला… सर, असगर इलाही पेशावर मे हमारा खास आदमी है। हम सबका उससे दूर रहना ही ठीक होगा।
…क्यों? …वह जनरल फैज का रिश्तेदार है। उसको सेना और एस्टेब्लिशमेन्ट की ओर से सुरक्षा
कवर मिला हुआ है। मैने जल्दी से कहा… फातिमा ने यही बताया था कि अगर किसी का पता करना
है तो वह असगर साहब ही बता सकते है। जब वह इतना रसूखदार आदमी है तो एक बार उस लड़की
के बारे पूछने मे क्या बुराई है। तभी मोहसिन बोला… सर, इसके लिये कर्नल हमीद से बात
करनी पड़ेगी। …तो बात करो। उस लड़की को जिवित मेरे हवाले करने की जिम्मेदारी आपकी सरकार
की है। उसके बाद सारे रास्ते वह दोनो चुप बैठे रहे थे।
देर रात तक हम पेशावर
पहुँच गये थे। पेशावर मे प्रवेश करते ही पता चला कि तबलीगी जमात व अन्य धार्मिक फिरकों
ने अगले दिन पेशावर बंद करने की घोषणा की थी। बड़े और छोटे पोस्टर और बैनर जगह-जगह लगे
हुए दिख रहे थे। जाहिद ने किसी से फोन पर बात करने बाद बताया कि स्कार्दू मे जिहाद-उल-मुसलमीन
का मुख्य कार्यकारी सचिव इकबाल अंसारी की कुछ अज्ञात लोगो ने हत्या कर दी है। खबर है
कि सरकार ने चीनियों के कहने पर यह हत्या आईएसआई के द्वारा करवायी है। अगले दिन शाम
चार बजे ईदगाह मैदान पर इकबाल अंसारी के लिये फातिहा पढ़ा जाएगा और फिर बहुत से चरपंथी
तंजीमों के मुखिया तकरीर करेंगें। पेशावर के कमिश्नर ने मामला संवेदनशील होने के कारण
ईदगाह मैदान के आसपास धारा 144 लगवा दिया है। इस बात की पुष्टि जगह-जगह पर पुलिस और
सेना की उपस्थिति करा रही थी। मैने अपने आईपेड पर स्थानीय न्युज लगा कर देखना आरंभ
किया तो सभी मुख्य उर्दू अखबारों मे इस हत्या की चर्चा हो रही थी। इकबाल अंसारी का
सीमावर्ती क्षेत्रों मे काफी प्रभाव था। सरकार इसे आतंवादी घटना के रुप मे दिखाने के
प्रयत्न मे लग रही थी। धार्मिक चरमपंथी इसे चीनियों की शह पर सरकारी कार्यवाही के रुप
मे देख रहे थे। इस खबर को सुन कर मेरे चेहरे पर एक मुस्कान तैर गयी क्योंकि अज्ञातवीर
आप्रेशन सुचारु रुप से काम कर रहा था। हक डाक्ट्रीन का पाकिस्तान मे पहला सफा अज्ञातवीरों
ने लिखना शुरु कर दिया था। वह दोनो मुझे होटल के बाहर छोड़ कर ब्रिगेड हेडक्वार्टर्स
की दिशा मे निकल गये थे।
होटल रिसेप्शन के
टीवी के स्क्रीन पर एक खबर चल रही थी। विस्फोट का दृश्य देख कर एक पल के लिये मै रुक
कर टीवी की खबर देखने के लिये खड़ा हो गया। करांची स्टाक एक्सचेन्ज के द्वार पर दो मोटर
साईकिल सवारों ने ग्रेनेड फेंक कर हमला किया था। उस हमले मे बारह की मौत और अठारह घायल
हो गये थे। मरने वालों के चित्र स्क्रीन के एक कोने मे दिखाये जा रहे थे। मैने जल्दी
से रिसेप्शन पर तैनात आदमी से कहा… जनाब क्या आप टीवी का वोल्यूम बढ़ा सकते है? उसने
वहीं से रिमोट के द्वारा टीवी का वोल्यूम बढ़ा कर पूछा… क्या हो गया? …करांची स्टाक
एक्स्चेन्ज पर आज सुबह आतंकवादियों ने हमला किया है। मै आराम से खबर सुनने के लिये
सोफे पर बैठ गया। एक तस्वीर स्क्रीन पर आते ही न्यूज रीडर उस तस्वीर के संबन्ध मे बताने
लगी…
जनाब अकबर कुरैशी
एक जानी मानी फिल्मी कारोबारी थे। पचास से ज्यादा करांचीवुड और बालीवुड की हिट फिल्मों
के निर्माता और वितरक थे। उनकी कंपनी फिल्म और टीवी के ड्रामे के मुख्य फाईनेन्सरों
मे एक थी। आज सुबह वह अपने लश्कर के साथ करांची स्टाक एक्स्चेन्ज के निदेशक से अपनी
प्रोडक्शन कंपनी पर लगे वित्तिय धाँधलियों के आरोपों के सिलसिले मे मिलने गये थे। जब
अकबर कुरैशी स्टाक एक्सचेन्ज से बाहर निकल कर अपनी कार मे बैठने जा रहे थे तब दो मोटर
साईकल सवारों ने उन पर ग्रेनेड से हमला किया और फरार हो गये। पुलिस उन हमलावरों की
तलाश कर रही है। उस विस्फोट की चपेट मे अकबर कुरैशी के साथ उनके पाँच सुरक्षाकर्मी
और दो वकील वहीं पर फौत हो गये।
मै उठ कर अपने कमरे
की ओर चल दिया। मेरे अज्ञातवीर नईम और शमशेर ने अपने काम को बखूबी से अंजाम दिया था।
बस एक बात मुझे अखर रही थी कि इकबाल अंसारी और अकबर कुरैशी की मौत के बाद पुलिस ने
अभी तक किसी भी तंजीम के हाथ होने की बात को सार्वजनिक नहीं किया था। टीवी वाले उसको
सरकारी और धार्मिक खींचातानी की कहानी सुना रहे थे। जमाल कुरैशी को पहला झटका मिला
था तो अब यह देखना था कि वह कब सामने आयेगा। मै इस हमले के बारे मे सोच ही रहा था कि
मेरे फोन की घंटी बजने लगी तो काल उठाते हुए बोला… हैलो। …सर, मै कैप्टेन जाहिद बोल
रहा हूँ। अकबर कुरैशी की हत्या हो गयी है। …यह अकबर कौन है? …सर, जमाल कुरैशी का छोटा
भाई है। आईएसआई के निदेशक की ओर से हमे तुरन्त रावलपिंडी लौटने का निर्देश मिला है।
…तो इसमे मै क्या कर सकता हूँ। बस इतना बता दिजिये कि उस लड़की को आप कब और कैसे हमारे
सुपुर्द करेंगें? …सर, इसके बारे मे कर्नल हमीद ने कुछ नहीं कहा है। …तो उससे पता करके
बताओ क्योंकि मै ज्यादा दिन पेशावर मे नहीं रुक सकता। …सर, मै उनसे बात करके बताता
हूँ। उसने फोन काट दिया और मै अपने कमरे के टीवी को आन करके समाचार देखने बैठ गया था।
एक घंटे के बाद जाहिद
ने फोन पर बताया कि वह मेरे से मिलने के लिये होटल पहुँच रहा है। बस इतना बोल कर उसने
फोन काट दिया था। थोड़ी देर क बाद जाहिद और मोहसिन मेरे कमरे मे मेरे सामने बैठे हुए
थे। …सर, हम फोन पर ज्यादा बात नहीं कर सकते इसलिये मिलने चले आये थे। कर्नल हमीद ने
आपके लिये कोई भी निर्देश देने के लिये मना कर दिया है। इस बार मैने कुछ सोच कर कहा…
कैप्टेन जाहिद, इन्टेलीजेन्स के लिये काम कर रहे तो तुम्हें एक नसीहत दे रहा हूँ। आँख
बन्द करके अपने अधिकारी पर कभी विश्वास मत करना क्योंकि वक्त पर अपनी जान बचाने के
लिये वह तुम्हें फँसा देगा। इसलिये अपने हाथ मे हमेशा एक ट्रंप का पत्ता जरुर रखना
जो उस बुरे वक्त मे तुम्हारे काम आ सके। कर्नल हमीद गुल क्या कभी अपने आप कुछ करता
है? असलियत मे वह जनरल फैज के निर्देश पर अपनी रणनीति तय करता है। वह लड़की दो सरकारों
के बीच एक संवेदनशील मुद्दा बन चुकी है। इस मुद्दे पर पर्दा डालना कर्नल हमीद और जनरल
फैज के बस की बात नहीं है। अगर तुम अपने आपको इस आग की झुलस से बचाना चाहते हो तो तुम्हें
साफ बात करनी पड़ेगी। मै तुम्हें बचने के लिये एक ट्रंप कार्ड दे सकता हूँ लेकिन उसके
लिये अब तुम्हें तय करना होगा। कल सुबह मेरे होटल मे आकर मिलना तब इस बारे मे आगे चर्चा
करेंगें। इतना बोल कर मै उठ कर खड़ा हो गया। वह दोनो गहरी सोच मे डूब गये थे। मै उन्हें
आराम से सोचने का वक्त देना चाहता था।
अगली सुबह कैप्टेन
जाहिद और लेफ्टीनेन्ट मोहसिन मेरे होटल पहुँच गये थे। मै उस वक्त रेस्त्रां मे नाश्ता
कर रहा था तो उनको वहीं बुलवा लिया था। कुछ देर दोनो चुप रहे फिर कैप्टेन जाहिद धीरे
से बोला… सर, सच बात तो यही है कि यहाँ पहुँचने के अगले दिन ही उस लड़की की टार्चर के
दौरान मौत हो गयी थी। हमे निर्देश मिले थे कि किसी भी तरह आपको यहाँ पर एक हफ्ते तक
उलझाये रखना है जब तक यह सारा मामला ठंडा न पड़ जाए। अब आप बताईये कि वह ट्रंप कार्ड
क्या है? आमेना की मौत की खबर सुन कर मुझे गहरा धक्का लगा था लेकिन यह अपनी कुंठा और
गुस्सा दिखाने का उचित समय नहीं था। अपनी आवाज को नियंत्रित करते हुए मैने कहा… कैप्टेन,
तुम्हारा ट्रंप कार्ड जमाल कुरैशी है? …कैसे? …एजेन्सी के डेटाबेस से मुझे जमाल कुरैशी
की यह जानकारी मिली थी। यह जानकारी बाहरी लोगों के लिये प्रतिबंधित है लेकिन मै अपनी
जिम्मेदारी पर तुम्हें दिखा रहा हूँ। इतना बोल कर मैने आईपैड पर जमाल कुरैशी की सारी
जानकारी निकाल उनके सामने रखते हुए कहा… यह उस लड़की और जमाल कुरैशी का पारिवारिक झगड़ा
है जिसको जनरल फैज तुम्हारे द्वारा सुलझाने की कोशिश कर रहा है। मेरे बास एंथनी वालकाट
को उस दिन यही बताया गया था कि उस लड़की को ढूँढ कर मेरे हवाले करने की जिम्मेदारी आप
दोनो की होगी। अब अगर उस लड़की की मौत हो गयी है तो शर्तीय जनरल फैज और कर्नल हमीद अपना
पल्ला झाड़ कर सारी तोहमत आप दोनो के सिर पर डाल कर अलग हो जाएँगें। वह दोनो आईपैड पर
जानकारी पढ़ने मे व्यस्त हो गये थे।
कुछ देर सोच कर कैप्टेन
जाहिद हिचकिचाते हुए बोला… सर, आपको हमने सच बता दिया है। अब आगे क्या करना है? मेरा
दिमाग भी अब काम नहीं कर रहा था। तभी मोहसिन बोला… सर, मुझे यकीन होता जा रहा है कि
कोई बड़ी साजिश रची जा रही है। पहले उस लड़की की मौत हुई और फिर जमाल कुरैशी के भाई अकबर
कुरैशी पर जानलेवा हमला हुआ है। सर, यह इत्तेफाक नहीं हो सकता। तभी कैप्टेन जाहिद ने
जेब से एक लिफाफा निकाल कर मेरे आगे रखते हुए बोला… सर, इसमे सेफ हाउस की सीसीटीवी
की दो दिन की रिकार्डिंग है। उस लड़की के साथ पूछताछ और उसकी मौत तक की सारी सच्चायी
आपको इसमे मिल जाएगी। इस्लामाबाद से चलने से पहले कर्नल हमीद ने सेफ हाउस की सीसीटीवी
की सारी रिकार्डिंग नष्ट करने के निर्देश दिये थे। सारी सीसीटीवी रिकार्डिंग नष्ट करने
से पहले मैने उसकी एक कापी अपनी सुरक्षा के लिये बना ली थी। सब कुछ जानने के बाद अब
मै इसको खुद के लिये इस्तेमाल नहीं कर सकता परन्तु आप इसको इस्तेमाल करके हम दोनो को
बचा सकते है। मैने जल्दी से उस एसडी कार्ड को अपने आईपैड से जोड़ कर रिकार्डिंग देखने
बैठ गया। हर गुजरते पल के साथ मेरे दिमाग का फ्युज उड़ता चला जा रहा था। पहले सारी पूछताछ
गजल और बच्चे के बारे हो रही थी और फिर गजल के खाविन्द के बारे मे पूछताछ शुरु हो गयी
थी। पूछताछ करने वाले कर्नल हमीद और जमाल कुरैशी थे। लगभग एक महीने पुरानी रिकार्डिंग
थी यानि कि पेशावर पहुँचने के तुरन्त बाद आमेना के साथ यह पूछताछ हुई थी। उसी रिकार्डिंग
के आखिर मे आमेना रोते हुए बोली… जमाल मेरी हत्या से भी तुम्हें कोई फायदा नहीं होगा
क्योंकि मैने अपना सारा हिस्सा भी गजल के खाविन्द के नाम कर दिया है। उसका कानूनी कागज
बनवा कर मैने गजल को सौंप दिया है तो अब तुम्हारे हाथ कुछ नहीं लगेगा। यह सुनते ही
तैश मे आकर जमाल ने लोहे की राड से उसके सिर पर घातक प्रहार किया जिसके कारण वह वहीं
बैठे-बैठे कुर्सी पर ढेर हो गयी थी। मै कुछ देर तक आईपैड की ब्लैंन्क स्क्रीन को घूरता
रहा था। अशान्त मन होने के बावजूद अपनी कमजोरी उन दोनो के सामने जाहिर नहीं कर सकता
था।
मेरे कान मे जाहिद
की आवाज पड़ी… सर। मैने जाहिद की ओर देखते हुए कहा… इस रिकार्डिंग के कारण तुम दोनो
पर अब कोई आँच नहीं आएगी लेकिन अब एक नये सिरे से मुझे अपने आफिस के लिये नये सिरे
से सारी कहानी बनानी पड़ेगी। …सर, अब हमे रावलपिंडी लौटना होगा। आपके बारे मे क्या बताना
है? कुछ सोच कर मैने पूछा… भाई की हत्या से जमाल कुरैशी की नींव हिल गयी होगी? …नहीं
सर। इकबाल अंसारी और अकबर कुरैशी की हत्या से हमारा विभाग हिल गया है। अब सारी कवायत
इस बात पर चल रही है कि इन हमलों के पीछे किस तंजीम का हाथ है? मैने जल्दी से कहा…
अगर ऐसी बात है तो मेरे बारे मे तुम बस इतना बता देना कि उस लड़की को खोजने के लिये
मै उसके खाविन्द जमाल कुरैशी को ढूँढने की कोशिश कर रहा हूँ। तुम्हें तो इस रिश्ते
का इल्म नहीं है तो यह बात सुन कर कर्नल हमीद का ध्यान तुमसे हट कर मेरी ओर लग जाएगा।
मै अब अपने सिरे इस रिकार्डिंग का इस्तेमाल सही समय आने पर करुँगा। कैप्टेन जाहिद और
लेफ्टीनेन्ट मोहसिन उठ कर चलने के लिये तैयार हो गये थे। …रावलपिंडी के लिये कब निकल
रहे हो? …सर, हम अभी निकल रहे है। उन दोनो को विदा करके मै रिसेप्शन की दिशा मे निकल
गया था।
रिसेप्शन पर तैनात
आदमी से बात करते हुए जैसे ही मैने रेस्त्राँ का बिल देने के लिये हाथ बढ़ाया कि तभी
पीछे से मेरे कान मे किसी स्त्री की आवाज पड़ी… रुम नम्बर 8482 प्लीज। मैने घूम कर उस
आवाज की ओर देखा तो पल भर के लिये मेरे दिल ने धड़कना बन्द कर दिया था। मेरे सामने एक
वृद्ध आदमी के साथ हिजाब मे एक मासूम सी लड़की खड़ी हुई थी। वही चेहरा हमेशा मेरे जहन
पर छाया रहता था। अंजली की हुबहू छवि को देख कर एक पल के लिये मै चौंक गया था। उस लड़की
को एकटक मुझे घूरते हुए देख कर एकाएक वह वृद्ध आदमी मुझे डाँटते हुए बोला… मियाँ क्या
मुँह फाड़ कर देख रहे है। आगे से हटो बच्ची को चाबी लेने दो। मै अचकचा कर उनके सामने
से हटते हुए बोला… माफ किजिये बड़े मियाँ। मै उनके आगे से हट गया लेकिन अभी भी मेरा
रोंयाँ-रोंयाँ खड़ा हुआ था। दिल की धड़कन बढ़ गयी थी। उस रिसेप्शन पर खड़े हुए व्यक्ति
ने उन्हें चाबी पकड़ा कर मुझसे कहा… यस सर। मैने जल्दी से काउन्टर पर रखी हुई रसीद उठायी
और लिफ्ट की दिशा मे बढ़ गया। वह वृद्ध और लड़की लिफ्ट के सामने खड़े हुए थे। मुझे अपनी
ओर आते हुए देख कर उस वृद्ध ने मुझे घूर कर देखा तो मै एक नजर उन पर डाल कर दूसरी लिफ्ट
के सामने जाकर खड़ा हो गया था।
उस लड़की ने मुझे अन्दर
से हिला दिया था। मन मे अंजली से मिलने की तीव्र इच्छा पैदा हो गयी थी। कमरे मे पहुँच
कर मैने मेनका को फोन लगाया परन्तु घंटी बजती रही लेकिन किसी ने फोन नहीं उठाया। मैने
अपना सेटफोन निकाल कर चार्जिंग पर लगा कर बेड पर बैठ गया। कुछ सोच कर मैने परवेज को
फोन लगाया तो जल्दी ही उसकी आवाज गूंजी… बोलिये सर। …अपने टार्गेट की क्या प्रोग्रेस
है? …सर, उसको ट्रेक कर रहे है। वह आजकल लाहौर मे है। …तो यहाँ पर दूसरा टार्गेट असगर
इलाही नाम का बड़ा कारोबारी है। उसको ठिकाने लगाने की तैयारी करो। …जी सर। …अल्ताफ से
संपर्क करके उसे बताओ कि मै पेशावर सेरीना होटल मे ठहरा हूँ। मुझे उससे जल्दी से जल्दी
मिलना है। …जी सर। आजकल वह यहीं पर है। उससे बात करके मै आपको सुचित करता हूँ। इतनी
बात करके मैने फोन काट दिया था। सेटफोन नेटवर्क से जुड़ गया था। लाईन जुड़ते ही फोन की
घंटी बज उठी थी। …हैलो। …पुत्तर बहुत दिनो से तुम्हारी रिपोर्ट नहीं मिली। सब ठीक तो
है। …सौरी सर। वालकाट ने मेरी पोस्टिंग इस्लामाबाद मे कर दी है। …यह तो अच्छी खबर नहीं
है। इससे तुम उनकी नजर मे आ जाओगे। …सर, मै उनकी नजर मे सीआईए का स्टेशन आफीसर के रुप
मे आ गया हूँ। कुछ हालात ऐसे बन गये थे कि वह मुझे अपनी डेस्क का चार्ज देकर वह वापिस
काबुल चला गया। …संभल कर काम करना। …सर, हमारे अज्ञातवीरों ने अपना काम आरंभ कर दिया
है। आपको खबर मिल रही होगी। …गुड वर्क। जिरगा की तैयारी कैसी चल रही है? …आज उसकी समीक्षा
करुँगा। सर, मैने कर्नल श्रीनिवास के बारे मे रिपोर्ट भेजी थी। उस पर क्या एक्शन ले
रहे है? …अजीत उसको वापिस बुलाने की तैयारी कर रहा है। गोपीनाथ को भी इसकी सूचना दे
दी है। वह अब हमारी नजर मे है। मैने घड़ी पर नजर डाल कर कहा… सर, फोन काट रहा हूँ। रात
को बात करुँगा। इतना बोल कर मैने फोन काट दिया था। कुछ ही मिनट बीते थे कि परवेज का
फोन आ गया था। उसने बताया कि आज रात को अल्ताफ से मिलने का टाइम तय हो गया है। वह दोनो
मुझे लेने के लिये रात को आठ बजे होटल के बाहर मिलेंगें। वहाँ से वह मुझे लेकर अल्ताफ
से मिलने के लिये ले जाएँगें। सारी बात तय होने के पश्चात मै आराम करने के लिये बेड
पर फैल गया था।
मेरा दिमाग उस लड़की
पर अटक कर रह गया था। वह लड़की अंजली नहीं हो सकती क्योंकि उसकी उम्र कम थी परन्तु चेहरे
की समानता ने मुझे अन्दर से हिला कर रख दिया था। एक बार पहले भी ऐसा ही कुछ मेरे साथ
हुआ था जब उस खँडहर मे पहली बार मैने अंजली को तबस्सुम के रुप मे देखा था। वह लड़की
कौन थी? उस लड़की की छवि को अपने दिमाग मे लिये न जाने कब नींद हावी हो गयी और मै अपने
सपनो की दुनिया मे खो गया था।
कराँची टाईम्स
दिन दहाड़े कराँची
स्टाक एक्सचेन्ज मे अकबर कुरैशी की हत्या
कल दोपहर को एक आतंकवादी हमले
मे अकबर कुरैशी की मौत हो गयी। अकबर कुरैशी एक जानी मानी फिल्मी कारोबारी थे। कई करांचीवुड
और बालीवुड की हिट फिल्मों के निर्माता व वितरक थे। आज दोपहर को वह अपने लश्कर के साथ
करांची स्टाक एक्स्चेन्ज के निदेशक से अपनी प्रोडक्शन कंपनी पर लगे वित्तिय धाँधलियों
के आरोपों के सिलसिले मे मिलने गये थे। जब अकबर कुरैशी स्टाक एक्सचेन्ज से बाहर निकल
कर अपनी कार मे बैठने जा रहे थे तब दो मोटर साईकल सवारों ने उन पर ग्रेनेड से हमला
किया और फरार हो गये। पुलिस उन हमलावरों की तलाश कर रही है। उस विस्फोट की चपेट मे
अकबर कुरैशी के साथ उनके पाँच सुरक्षाकर्मी और दो वकील वहीं पर फौत हो गये थे।
खबरनामा-ए-पाकिस्तान
जानी मानी फिल्मी
कारोबारी अकबर कुरैशी की हत्या या साजिश?
कल कराँची स्टाक एक्सचेन्ज
से बाहर निकलते हुए अकबर कुरैशी की दो नकाबपोश मोटर साईकल सवारों ने दिन दहाड़े हत्या
कर दी थी। अकबर कुरैश उस वक्त कराँची स्टाक एक्स्चेन्ज से बाहर निकल कर अपनी कार मे
बैठने जा रहे थे तब उन पर ग्रेनेड से हमला हुआ था। अभी तक पुलिस हमलावरों की शिनाख्त
नहीं कर सकी है। पुलिस का मानना है कि यह आतंकवादी हमला है परन्तु कुरैश ग्रुप के सीईओ
कमाल कुरैशी का कहना है कि यह आपसी रंजिश का मामला है। उस हमले मे अकबर कुरैशी
के साथ उनके सुरक्षाकर्मी और वकील भी मारे गये थे। कराँची बार एसोसिएशन ने उस हमले
के लिये सरकार को दोषी बताया है।
बलूचिस्तान
बीस घन्टे पहले रात
के पहले पहर मे कलात के करीब बलोच रेजीमेन्ट की टुकड़ी दस मालवाहक ट्रकों के कोन्वोय
को सुरक्षा देते हुए ग्वादर की दिशा मे बढ़ती जा रही थी। सबसे आगे हूटर बजाती जीप मे
एक कैप्टेन और चार सिपाही सफर कर रहे थे। उनके पीछे दस माल से भरे कन्टेनर ट्रक चल
रहे थे। सभी कन्टेनरों पर चीनी भाषा मे उनकी कंपनी के नाम लिखे हुए थे। ट्रकों के कोन्वोय
के आखिर मे फौज का ट्रक चल रहा था। उसमे ड्राईवर समेत बारह सिपाही सफर कर रहे थे। जीप
के ड्राईवर ने साथ बैठे हुए ऊँघते हुए कैप्टेन से कहा… जनाब, सुराब चौराहा आने वाला
है। आज कौनसा रास्ता लेना है? ऊँघते हुए कैप्टेन ने बिना आँखें खोले जवाब दिया… छोटे
रास्ते से चलो। तभी पीछे बैठे हुए सिपाही ने कहा… जनाब, कब तक हमे इन चीनीयों की ड्युटी
बजानी पड़ेगी। …पता नहीं। वैसे तो यह काम पुलिस भी कर सकती है लेकिन बलोच तंजीमो के
कारण फौज को इस काम पर लगा दिया है। जरा हवलदार से पूछो कि पीछे ट्रक मे सब ठीक है।
एक घन्टे के बाद गीदर चौराहे को पार करने के बाद दस मिनट के लिये रुकेंगें। पीछे बैठा सिपाही वायरलैस पर अपने ट्रक से संपर्क साधने
मे जुट गया था।
तभी ड्राईवर चीखा…
जनाब, राकेट। जीप सड़क पर लहरायी। कैप्टेन जब तक सामने देखता की राकेट जीप से टकराया
और फिर भीषण विस्फोट हुआ और जलती हुई जीप पीछे वाले ट्रक से टकरा कर हवा मे बिखर गयी
थी। उसके बाद तो हाईवे पर मौत का तांडव होना शुरु हो गया था। कुछ ट्रक हमले से बचने
के लिये सड़क से उतर कर गड्डे मे उलट गये थे। फौज का ट्रक भी राकेट की चपेट मे आकर धू-धू
करते हुए जल रहा था। हाईवे पर निरन्तर विस्फोट हो रहे थे। चारों ओर चीख पुकार मची हुई
थी। ट्रक मे बैठे हुए कुछ सिपाही जो बच गये थे उन्होंने मोर्चा संभालने की कोशिश करी
परन्तु जिहादियों ने उन्हें घेर लिया था। …नारा-ए-तदबीर अल्लाह-ओ-अकबर। इसी के साथ
फायरिंग आरंभ हो गयी थी।
बहुत ही मनोरंजित करने वाला अंक रहा जहां फिर से एक और चेहरे को उसने अंजली के साथ समानता पाते हुए देखा जहां एक या दो बार संजोग हो सकता है मगर बार बार समीर के साथ यह सब होना कुछ अजीब है जैसे कोई उसके ऊपर नजर रख रहा हो और ऐसे ही समान सूरत वाले लड़कियों को उसके सामने भेज कर उसके लक्ष्य से उसको भटकाने की कोई साजिश। वैसे आमना के मौत शायद समीर के लिए गहरा धक्का साबित हो क्यों कि उसके ठिकाने का पता होने के बाद भी समीर का उसको न बचा पाना शायद उसको एक कुंठा ग्रसित करे जब वह उसके छोटे बहन से फिर से मिले।अभी प्लान के अनुसार सारे टारगेट बहुत अच्छे से खत्म किए जा रहे हैं, अब देखना है कि जिर्गा आते आते और क्या बवाल मचता है।
जवाब देंहटाएंअल्फा भाई शुक्रिया। अज्ञातवीर आप्रेशन शुरु हो गया है। यह शतरंज की चाल के अनुसार अपने मोहरे सजाने का समय आ गया है। अब शह और मात का खेल शुरु हो गया है।
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