रविवार, 24 नवंबर 2024

 

 

शह और मात-26

 

पेशावर की घटना से बेखबर मै पुरानी सी मस्जिद के सामने होटल की कार से उतर गया। उस कार को वापिस भेज कर पैदल ही पगडंडी से होता हुआ मस्जिद की ओर चल दिया। मस्जिद के बाहर कुछ लोग जिहादी वेषभूशा मे धूप सेक रहे थे। एक नजर उन पर डाल कर मै मस्जिद के अहाते मे पहुँच कर रुक गया कि तभी एक आदमी मेरे पास आकर बोला… अल्ताफ भाई आपका पीछे इंतजार कर रहे है। मै उसके साथ मस्जिद के पीछे निकल गया। अल्ताफ कुछ राईफल धारी जिहादियों के बीच घिरा बैठा हुआ था। मुझे देखते ही वह उठ कर मेरे पास आकर बोला… समीर भाई, आपको असगर की खबर मिल गयी? मैने चौंक कर उसकी ओर देखा तो वह जल्दी से बोला… कल रात को वह अपनी रखैल के घर मे हुए ब्लास्ट मे मारा गया। जनरल फैज का एक महत्वपूर्ण आदमी मारा गया है तो इस वक्त आईएसआई पागलों की भाँति इधर-उधर सिर मार रही होगी। मैने अपनी जेब से तीन करोड़ का चेक निकाल कर उसकी ओर बढ़ाते हुए कहा…अल्ताफ भाई, तीन करोड़ चाहिये तो बैंक से निकाल लिजिये और अगर चार करोड़ चाहिये तो इस चेक को एजाज कम्युनिकेशन्स के ब्रिगेडियर नूरानी को देकर उनसे चार करोड़ ले लिजिये। वह हैरानी से मेरी ओर देखते हुए बोला… समीर भाई, आप हमे सेना से दूर ही रखिये। …अल्ताफ, वह सेना का सेवानिवृत अधिकारी जरुर है लेकिन उसे इस वक्त इस चेक की बहुत जरुरत है। इस चेक के लिये वह अपनी माँ, बहन और बेटी को भी आपके हवाले कर सकता है। अभी भी अल्ताफ को मेरी बात पर यकीन नहीं हो रहा था।

मैने अपनी जेब से फोन निकाल कर नूरानी का नम्बर मिला कर स्पीकर आन कर दिया। नूरानी ने तुरन्त काल उठा कर बोला… समीर बताईये कब पैसा उठा रहे है? …ब्रिगेडियर नूरानी, मै आपका नम्बर एक जरुरतमन्द को दे रहा हूँ। वह तीन करोड़ का मेरा चेक लेकर आपका इंतजार कर रहा है। आप चेक लेकर उसे चार करोड़ रुपये नगद दे दिजियेगा। …समीर, आपका पैसा तैयार है। आप बताईये पैसा कहाँ डिलिवर करना है? …मै उसे बता देता हूँ। वह आपको जल्दी काल करेगा। इतना बोल कर मैने फोन काट कर अल्ताफ से कहा… सुन लिया तुमने। नूरानी ने चार करोड़ का इंतजाम कर रखा है। उसका नम्बर नोट कर लो। उसे मिलने का समय और जगह तुम बता देना और फिर उसका इंतजार करना। मुझे नहीं लगता कि वह तुम्हारे साथ डबल क्रास करने की कोशिश करेगा परन्तु रकम बड़ी है तो सुरक्षा के प्रबन्ध जरुर कर लेना। अल्ताफ ने कुछ नहीं कहा और मुड़ कर अपने एक साथी से बोला… तेरे फोन मे दुबई का सिम है। यह नम्बर लगा कर मेरी बात करा। उसने तुरन्त नूरानी का नम्बर मिला कर अल्ताफ को दे दिया। मेरे सामने अल्ताफ ने नूरानी को पैसे लेकर ईदगाह मस्जिद पहुँचने के लिये कह कर फोन काट कर वह अपने साथियों को निर्देश देने मे व्यस्त हो गया था।

एक बजे तक अल्ताफ सारी तैयारी कर चुका था। उसके साथी नूरानी से निपटने के लिये मस्जिद के अलग-अलग स्थानों पर तैनात हो गये थे। कुछ देर के बाद एक सफेद मिनी वैन मस्जिद के सामने आकर रुकी और उसमे से ब्रिगेडियर नूरानी उतर कर इधर-उधर देखने लगा। तब तक दो हथियारबंद सुरक्षाकर्मी वैन से उतर कर उसको कवर कर चुके थे। …अल्ताफ, अब अपने साथी को उसके पास भेज कर यहाँ बुला लो और मुझे एक पिस्तौल चाहिये। अल्ताफ ने अपने साथी को इशारा किया तो वह अपनी पिस्तौल मुझे थमा कर नूरानी की ओर चला गया। नूरानी ने उससे कुछ बात करके अपने हथियारबंद साथियों को कुछ निर्देश देकर उनके साथ मस्जिद की दिशा मे चल दिया। अल्ताफ अपने दो साथियों के साथ मस्जिद के मुख्य द्वार पर नूरानी के सामने आकर बोला… नूरानी? नूरानी ने सिर हिला कर पूछा… क्या समीर नहीं आये? अल्ताफ ने उसे अनसुना करके कहा… उनका चेक लाया हूँ, तुम्हारा पैसा कहाँ है? …वैन मे है। अल्ताफ ने मेरा चेक उसकी ओर बढ़ाते हुए कहा… अब अपना पैसा भी दिखा दो। नूरानी एक पल के लिये झिझका और फिर वैन की ओर इशारा करके बोला… वहीं चल कर ले लो। अल्ताफ ने तुरन्त कहा… हम सब साथ चलते है। अल्ताफ अपने साथियों को लेकर नूरानी के साथ वैन की ओर जाते हुए बोला… कुछ भी बेजा हरकत करने से पहले एक बार अपने चारों ओर देख लेना क्योंकि हमारे धन्धे मे दगाबाजी नहीं होती। नूरानी ने चलते हुए नजर घुमा कर आसपास तैनात जिहादियों की फौज आंकलन किया और फिर मुस्कुरा कर बोला… मेरी ऐसी कोई मंशा नहीं है।

वैन के पास पहुँच कर नूरानी ने इशारा किया तो उसके लोगों ने जल्दी से चार बड़े लोहे के ट्रंक वैन से उतार कर एक किनारे मे रख दिये थे। नूरानी बोला… ढक्कन खोल कर रकम देख लो। इससे पहले अल्ताफ ट्रंक खोलता कि मै मस्जिद से बाहर निकल कर नूरानी की ओर बढ़ते हुए बोला… ब्रिगेडियर साहब सलाम। नूरानी ने चौंक कर मेरी ओर देखा और फिर मुस्कुरा कर बोला… समीर साहब, आप कहाँ छिपे हुए थे? …मै छिपा नहीं था। मस्जिद मे इनके मुखिया के साथ बात कर रहा था। उधारी चुकाने के लिये किसी को तो जिम्मेदारी लेनी पड़ती है। इसके लिये उनसे बातचीत चल रही थी। तभी अल्ताफ ने पूछा… समीर भाई, क्या ट्रंक खोल कर रकम देख लें। मैने नूरानी से कहा… नूरानी साहब बस एक बात का ख्याल रखियेगा कि इनमे कोई नकली करेन्सी नहीं मिलनी चाहिये। तंजीमे इसको बहुत गलत ढंग से देखती है। नूरानी जल्दी से बोला… समीर भाई, ऐसी कोई बात ही नहीं है। मैने मुस्कुरा कर कहा… आपको आगाह करना मेरा फर्ज है तो मैने बता दिया। तंजीमो के साथ कारोबार सबकी इमानदारी पर निर्भर करता है। अल्ताफ ने तब तक चारों ट्रंक के ढक्कन खोल दिये थे। पाकिस्तानी पाँच हजार के नोटों से सारे ट्रंक ठसाठस भरे हुए थे। मैने आगे बढ़ कर एक गड्डी उठा कर जाँच की तो असली नोट लग रहे थे। तभी नूरानी दबी आवाज मे बोला… समीर भाई, इस बार हमे ज्यादा पैसों की जरुरत है। …कितने चाहिये? …कम से कम पाँच करोड़ रुपये चाहिये। मैने अल्ताफ से कहा… भाईजान, चार करोड़ की रकम की पावती रसीद दे दिजिये। यह चारों ट्रंक आपके हवाले कर रहा हूँ। खुदा हाफिज। अल्ताफ के कुछ साथी अपने-अपने स्थानों से बाहर निकल कर ट्रंक उठाने के लिये पहुँच गये थे।

नूरानी मुझे लेकर मस्जिद की दिशा मे चलते हुए बोला… समीर, हमे पाँच करोड़ और चाहिये। मैने चकराते हुए पूछा… नूरानी साहब, इतने पैसों का आप क्या कर रहे है? वह जल्दी से बोला… एक अन्तरराष्ट्रीय प्रोजेक्ट के लिये पैसों की जरुरत है। हम बात करते हुए मस्जिद मे प्रवेश कर गये थे। …बताईये पाँच करोड़ रुपये का कब तक इंतजाम हो जाएगा? तभी मेरे फोन की घंटी बजी तो मैने जल्दी से काल लेते हुए कहा… हैलो। …भाई, नूरानी ने हमे डबल क्रास किया है। इतना बोल कर दूसरी तरफ से फोन कट गया था। तभी सड़क की दिशा से एके-47 की फायरिंग की आवाज हमारे कान मे पड़ी तो मैने चौंकते हुए नूरानी की ओर देखा तो वह खड़ा हुआ मुस्कुरा रहा था। उसके साथ खड़े हुए दोनो आदमियों ने अपनी गन की दिशा मुझ पर तान दी थी। …नूरानी साहब क्या हो रहा है? …कुछ खास नहीं बस आपके पैसे लूटने का प्रोग्राम बनाया है। तभी मस्जिद के द्वार की दिशा से एक फायर हुआ… पि…नननं…ग। हम कुछ समझ पाते तब तक मुझ पर गन ताने एक सुरक्षाकर्मी हवा मे उछल कर जमीन पर ढेर हो गया था। नूरानी और उसके दूसरे सुरक्षाकर्मी का ध्यान फायरिंग की दिशा की ओर घूमा तो मुझे मौका मिल गया और मैने अपनी पिस्तौल निकाल कर दूसरे सुरक्षाकर्मी के उपर दो फायर किये… धाँय…धाँय। वह सुरक्षाकर्मी अपना पेट पकड़ कर जमीन पर औंधा लेट गया था। नूरानी जमीन पर पड़े हुए अपने दोनो सुरक्षाकर्मियों के मृत शरीर देख कर कुछ पल के लिये जड़वत खड़ा रह गया था।

उसे कुछ समझ मे आता तब तक मेरी पिस्तौल की नाल उसकी कनपटी पर टिक गयी थी। गर्म नाल उसके कान से छूते ही वह छिटक कर दूर होते हुए बोला… यह आप ठीक नहीं कर रहे है। …ब्रिगेडियर साहब, अपनी जेब से दो उँगलियों से पकड़ कर पिस्तौल बाहर निकालिये। वह फटी हुई आँखों से मेरी ओर देखते हुए बोला… समीर साहब, यह आपने क्या किया। यह दोनो पुलिसवाले थे। मैने एक बार फिर से अपना निर्देश दोहराया तो उसने रुसी मेक की पिस्तौल निकाल कर मेरी ओर बढ़ाते हुए बोला… समीर, इस तंजीम के साथ अब आप भी नहीं बचेंगें। मैने उसकी पिस्तौल अपने हाथ मे पकड़ कर मुस्कुराते हुए कहा… ब्रिगेडियर साहब, यह पश्तून तंजीम है। मैने पहले ही आपको आगाह किया था कि हमारे कारोबार मे डबल क्रास करने का मतलब सिर्फ मौत नहीं होती है। आपकी आईएसआई और फौज भी इसी कारण इन लोगों से सीधे टकराने से बचती है। आज आप तो मारे जायगें परन्तु आपका परिवार भी इनके निशाने पर आ जाएगा। परिवार के सारे मर्द दर्दनाक मौत मारे जाएँगें और आपकी औरतें और लड़कियों को यह अपने साथ ले जाएँगें और उन्हें अपने लड़ाकुओं के हवाले कर देंगें। इस दरिंदगी को यह लोग कबीले का इंसाफ कहते है। नूरानी हतप्रभ खड़ा हुआ मुझे पथरायी हुई नजरों से घूरते हुए सुनता रहा। उसको धक्का देकर मै मस्जिद के द्वार की ओर चल दिया।

मस्जिद से बाहर निकलते ही मेरी नजर कुछ दूरी पर जिहादियों की भीड़ पर पड़ी तो मैने कहा… नूरानी रुक जा। कुछ ही पल मे मैने सारी स्थिति का आंकलन कर लिया था। अल्ताफ और उसके आठ साथी चार ट्रंकों के साथ बीच मे खड़े थे। उन सभी को दस-बारह नकाबपोश काली डंगरी पहने कमांडोज घेर कर खड़े हुए थे। उनके हाथों मे तनी हुई कलाश्नीकोव होने के बावजूद कोई भी हिलने को तैयार नहीं दिख रहा था क्योंकि मस्जिद के रौशनदानो से चार सेमी-आटोमेटिक राईफलें खुले मे खड़े नकाबपोश कमांडोज पर तनी हुई थी। जमीन पर दो कमांडो मृत अवस्था मे पड़े हुए थे। कोई भी साईड हरकत करने की स्थिति मे नहीं थी। फौज की भाषा मे डबल जियोपार्डी की स्थिति बनी हुई थी। मैने मुस्कुरा कर कहा… नूरानी, यह पुलिस या आईएसआई के लोग तो नहीं लग रहे है। सभी के हाथों मे रुसी हथियार है तो क्या यह चार करोड़ तुम खुद हजम करने की सोच रहे थे? नूरानी तो कुछ नहीं बोला लेकिन मेरी आवाज सुन कर सभी की नजरें हम टिक गयी थी। बाहर की स्थिति मेरे आने से बदल गयी थी। मैने नकाबपोश कमांडोज से कहा… तुम्हारा मालिक इस वक्त मेरे निशाने पर है। इसलिये यह समझ लो कि अगर यह मारा गया तो फिर तुम्हारे हाथ कुछ नहीं लगेगा। इतना बोल कर नूरानी को आगे की ओर धकेलते हुए मै मस्जिद से बाहर निकल आया था।

अबकी बार मैने नूरानी से कहा… अपने लोगों से कहो कि वह हथियार डाल दें। नूरानी कुछ क्षण के लिये झिझका परन्तु तब तक मैने उसके कन्धे को निशाना बना कर फायर कर दिया था। उन सभी की हिम्मत तोड़ने के लिये नूरानी की कर्णभेदी चीख काफी थी। मैने अल्ताफ से कहा… यह चारों ट्रंक तुम अपनी गाड़ी मे रखवाओ। अगर अब कोई इनमे से हिला तो अगली गोली नूरानी के सिर मे लगेगी। अल्ताफ के साथियों ने तुरन्त चारों ट्रंक उठाये और रखने के लिये चल दिये। जैसे ही चारों ट्रंक उठा अल्ताफ के साथी आगे बढ़े कि तभी एक फायर रौशनदान से हुआ और एक कमांडो वहीं ढेर हो गया। मै जोर से चिल्लाया… अगली हरकत पर तुम्हारा मालिक निशाने पर होगा। अल्ताफ तुम इन सभी के हथियार जब्त कर लो। मेरे आदेश पर अल्ताफ के साथियों ने तुरन्त उन सभी से हथियार लेने आरंभ कर दिये थे। कुछ देर मे ही सभी नकाबपोश जमीन पर उकड़ू बैठे हुए अल्ताफ के साथियों ने निशाने पर आ गये थे। …नूरानी, यह किसके लड़ाकू है? …मेरे आदमी है। मैने अल्ताफ से कहा… इन सभी को लेकर अपने साथियों के साथ तुम सब मस्जिद मे चले जाओ। नूरानी जोर से चिल्लाया… समीर, यह सब आईएसआई के कमांडो है। …कोई बात नहीं। अब हम कुछ बात कर लेते है। अल्ताफ और उसके साथी सभी नकाबपोश जिहादियों को लेकर मस्जिद के अन्दर चले गये थे।

उनके जाने के बाद मैने धीरे से अपनी पिस्तौल की नाल उसके जख्मी कंधे पर रखते हुए कहा… नूरानी, तुम यह पैसे अकेले तो हजम नहीं कर सकते तो इस पैसे को कहाँ पहुँचाना था? इस बार वह जल्दी से बोला… जनरल फैज के गोदाम पर। …उसका पता? वह पता बोलते हुए एक पल हिचकिचाया… तुम क्या करने की सोच रहे हो? मैने मुस्कुरा कर कहा… यह सारे ट्रंक जनरल फैज के गोदाम पर अल्ताफ पहुँचा देगा। …सिर्फ दो ट्रंक वहाँ पहुँचाने थे। …कोई बात नहीं हम दो ट्रंक वहाँ पहुँचा देंगें और बाकी के दो ट्रंक तुम्हारे घर पहुँचाने है क्या? वह जल्दी से बोला… नहीं। इतना बोल कर वह चुप हो गया तो मैने एक बार फिर से अपना प्रश्न दोहराया… फिर कहाँ पहुँचाना है? इस बार वह गिड़गिड़ा कर बोला… यह दोनो ट्रंक इनको दे दो। मै तुम्हारे दो ट्रंक के पैसे लौटा दूंगा। …नहीं नूरानी अब मै तुम्हारे साथ कारोबार नहीं कर सकता। मेरा चेक मुझे वापिस कर दो। नूरानी ने अपनी जेब से जल्दी से मेरा चेक निकाल कर मेरी ओर बढ़ाते हुए कहा… समीर, खुदा के लिये प्लीज आप मुझे छोड़ दिजिये वर्ना बहुत पछताएँगें। यह जनरल फैज की सुरक्षा टीम है। शायद यह बता कर उससे आखिरी गलती हो गयी थी।

मैने फोन निकाल कर अल्ताफ का नम्बर मिलाया और उसकी आवाज सुनते ही मैने कहा… उन सबको उनकी हूरों से मिलने के लिये भेज दो। नूरानी जोर से चिल्लाया… नहीं भाई, यह गलती मत करना। तब तक एके-47 की तड़तड़ाहट की आवाज मस्जिद मे गूंजने लगी। मैने उसकी ओर देखा तो वह अब काफी भयभीत दिख रहा था। वह काँपती हुई आवाज मे बोला… यह सारा पैसा कमाल कुरैशी का है। जनरल फैज और कमाल कुरैशी ने आपके तीन करोड़ हड़पने के लिये यह सब नाटक किया था। …नूरानी, उनका खेल तो खराब हो गया। अब तुम क्या करोगे? वह चुप होकर मेरी ओर देखने लगा।  …कमाल कुरैशी के बारे मे जो कुछ जानते हो वह बताओ। अगर सब कुछ बता दोगे तो मै तुम्हारे परिवार को इनसे बचाने की कोशिश करुँगा वर्ना… इतना बोल कर मै चुप हो गया। नूरानी तो वैसे ही डरा हुआ था परन्तु अपने परिवार के सिर पर मंडराते हुए खतरे के एहसास मात्र से उसकी बची-कुची हिम्मत भी टूट गयी थी। उसने कुछ ही देर मे कमाल कुरैशी और कुरैश ग्रुप की जन्मकुंडली मेरे सामने खोल कर रख दी थी।

जब उसने कमाल कुरैशी की जानकारी देनी शुरु की तो मैने अपने फोन द्वारा उसकी सारी कहानी रिकार्ड करनी शुरु कर दी थी। सारी जानकारी लेने के पश्चात मैने कहा… ब्रिगेडियर नूरानी, यह तंजीमे अपने साथ दगा करने वालों को हर्गिज माफ नहीं करती परन्तु तुम्हारे परिवार पर कोई आँच नहीं आयेगी। इतना बोल कर आज के आखिरी गवाह को ठिकाने लगाने का समय आ गया था। मेरी पिस्तौल ने दो फायर किये और ब्रिगेडियर नूरानी की कहानी समाप्त हो गयी थी। उसकी जेब से उसका फोन निकाल कर लाश को वहीं छोड़ कर मै मस्जिद के अन्दर चला गया। तब तक बचे हुए जनरल फैज की टीम को भी ठिकाने लगा दिया गया था। एक कागज पर मैने दो पते लिख कर अल्ताफ को देते हुए कहा… अल्ताफ, आज रात को यह दो गोदाम नष्ट हो जाने चाहिये। इस हमले की जिम्मेदारी खुदाई शमशीर लेगा। …इस पैसे का क्या करना है? …यह तुम्हारी चार करोड़ की पहली किस्त है। इन सबके हथियार इकठ्ठे करो और अपने साथ ले जाओ। अगली किस्त जिरगा के बाद मिल जाएगी। बस ख्याल रहे की आज रात को यह दोनो गोदाम नष्ट हो जाने चाहिये। अल्ताफ जल्दी से बोला… समीर भाई, आपको जिरगा से पहले पेशावर आना पड़ेगा। मैने सभी छोटे और बड़े कबीलों के मुखियाओं को पेशावर बुलाया है। किसी मुद्दे पर एक राय बनाने से पहले वह भी आपसे एक बार मिलना चाहते है। …कब पहुँचना है? …अगले हफ्ते की जुमेरात को वह उसी मस्जिद मे इकठ्ठे हो रहे है। वहीं से फिर हम सब जिरगा के लिये निकल जाएँगें। …ठीक है। मै जुमेरात को वहाँ पहुँच जाऊँगा। इतना बोल कर मै नूरानी की वैन की दिशा मे चल दिया।

नूरानी की वैन मैने शहर मे घुसते ही छोड़ दी थी। वहाँ से लोकल टैक्सी लेकर होटल पहुँचने तक शाम हो गयी थी। नफीसा को कमरे मे इंतजार करने के लिये बोल कर आया था लेकिन अब तक वह शायद वापिस चली गयी होगी सोच कर मै रिसेप्शन की दिशा मे चला गया था। …रुम नम्बर 1028 की चाबी मैने अपने दोस्त को सामान रखने के लिये दी थी। क्या वह चाबी देकर वापिस चला गया? रिसेप्शन पर तैनात हसीना ने जल्दी से चेक करके कहा… नो सर। …प्लीज कमरे मे फोन करके पूछ लिजिये कि क्या वह अभी तक वहाँ है? उसने मेरे कमरे का नम्बर मिलाया और काफी देर घंटी बजने के बाद जब कोई जवाब नहीं मिला तो वह बोली… सर, कमरे मे कोई नहीं है। …प्लीज, क्या मुझे अतिरिक्त चाबी मिल सकती है। उसके आते ही मै एक चाबी वापिस कर दूँगा। उसने एक नया कार्ड मेरी ओर बढ़ाते हुए कहा… प्लीज, एक चाबी वापिस कर दिजियेगा। वह चाबी लेकर मै अपने कमरे की ओर चल दिया। अपने कमरे मे पहुँच कर मैने नीलोफर का नम्बर मिलाया और उसकी आवाज सुनते ही मैने पूछा… वहाँ का क्या हाल है? …समीर, यहाँ काफी गहमागहमी है। मैने नूरानी की सारी कहानी सुना कर कहा… तुम्हें मेरे साथ पेशावर चलना पड़ेगा। जिरगा से पहले हमे कबीलों के मुखियाओं के साथ बात करनी पड़ेगी। वहाँ पर तुम होगी तो उनको सहमत करने मे आसानी होगी। …यह तो बुरा हुआ क्योंकि अब नूरानी की हत्या के कारण यहाँ बहुत हंगामा हो जाएगा। …चलो अच्छा हुआ कि अगले कुछ दिन जनरल फैज इसमे व्यस्त रहेगा तो जिरगा पर ज्यादा ध्यान नहीं दे सकेगा। इतनी बात करके मैने फोन काट दिया था।

जनरल रंधावा का नम्बर मिला कर मैने अज्ञातवीर आप्रेशन की रिपोर्ट और नूरानी की रिकार्डिंग फाईल करने के बाद कहा… सर, आज मुझे हमारी नकली करेन्सी के सोर्स का पता चला है। हमारा सप्लायर फेला रु पेपरवर्क्स आईएसआई के लिये काम करता है। पिछली सरकार ने आधुनिक प्रिंटिंग प्रेस लगाने के लिये पुरानी प्रिंटिंग प्रेस की नीलामी की थी। तब वित्त मंत्रालय के सचिव बी सुब्रामन्यम और कुछ लोगों ने मिल कर एक छद्म नीलामी की आढ़ मे सारी पुरानी नोट छापने वाली मशीने आईएसआई को बेच दी थी। फेला रु पेपरवर्क्स हमारे नोट के कागज और स्याही आईएसआई को पीछे के रास्ते मुहैया कराता था। मुझे आज ही पता चला है कि नोटबंदी के बाद जारी किये गये नये नोट का भी फर्मा बनाने मे आईएसआई कामयाब हो गयी है। अगले तीन महीने मे हमारे नये नोट की जाली करेन्सी बाजार मे आ जाएगी। …पुत्तर, यह पता लगाओ कि आईएस आई का छापाखाना कहाँ है? …सर, बस इतना पता चला है कि वह छापाखाना पाकिस्तान मे नहीं है और आज कल वह छापाखाना जाली अमरीकन डालर छाप रहा है। …पुत्तर, इस काम के लिये वालकाट का इस्तेमाल क्यों नहीं कर रहे? …सर, नकली डालर का मेरे पास कोई सुबूत नहीं है। एक बार नकली डालर का एक कनसाईनमेन्ट मिल गया तो वालकाट को उस छापेखाने के पीछे लगा दूँगा। …ओके। कुछ और कहना है।

कुछ पल रुक कर मैने कहा… सर, कल रात को मेरी मुलाकात ब्रिगेडियर शुजाल बेग से अचानक हो गयी थी। हालात के अनुसार उसका कहना है कि उसके खिलाफ आईएसआई हो गयी है। शुजाल बेग ने बताया है कि जनरल शरीफ और जनरल बाजवा पाकिस्तान से निकल कर कनाडा के टोरटों और ऐजरबैजान के बाकू से अपना काला कारोबार चला रहे है। अभी भी सेना और आईएसआई मे उनकी पकड़ मजबूत है। शुजाल बेग ने उनके कारोबार से जुड़े हुए महत्वपूर्ण लोगों के नाम और उनके नेटवर्क की जानकारी एक हार्डड्राईव के रुप मे मेरे हवाले की है। मैने अभी तक वह हार्ड ड्राईव चेक नहीं की है लेकिन अगर वह अभी भी अपने कारोबार के जरिये इस क्षेत्र मे काफी प्रभावशाली है तो उनको कमजोर करने के लिये उनके नेटवर्क को ध्वस्त करना पड़ेगा। इस काम को करने से पहले आपकी राय जानना चाहता हूँ। अज्ञातवीर आप्रेशन के द्वारा उसे ध्वस्त करना बेहतर होगा या वालकाट के जरिये इस काम को अंजाम दिया जाये? जनरल रंधावा कुछ पल चुप रहने के पश्चात बोले… पुत्तर, एक बार इस मसले पर अजीत और वीके की राय लेनी जरुरी है। इतना बोल कर जनरल रंधावा ने फोन काट दिया था।

अगली सुबह अपने आफिस मे बैठ कर उस हार्ड ड्राईव का आंकलन करने बैठ गया। उसमे दिये गये नामों को देख कर ही मुझे पसीने आ गये थे। पाकिस्तान एस्टेब्लिशमेन्ट के सभी मुख्य प्रभावशाली व्यक्ति और परिवार उनके पेरोल पर थे। प्रधानमंत्री कामरान से लेकर चीफ जस्टिस अनवर-उल-हक, जनरल महमूद और बारह मे से आठ कोर कमांडर उस लिस्ट मे थे। मंत्रियों और नौकरशाहों की तो गिनती देखते बनती थी। उस हार्ड ड्राईव मे दिये गये नाम पाकिस्तान तक सिमित नहीं थे। कनाडा, अमरीका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, आस्ट्रेलिया, जैसे देशों की राजधानियों मे उनका काला कारोबार फैला हुआ था। होटल, रेस्त्रां और केसिनो उनके मुख्य कारोबार का हिस्सा थे। उनका नेटवर्क एशिया मे भी काफी सक्रिय था। उनका नेटवर्क काबुल, काठमांडू, ढाका, बाकू, अश्काहबाद और ताशकंत मे भी फैला हुआ था। मैने मुश्किल से अभी तक सिर्फ दस फाइल खोल कर देखीं थी। इतनी विस्फोटक जानकारी देखने के पश्चात मै आगे देखने की हिम्मत नहीं जुटा सका तो मैने सिस्टम बन्द किया और हार्ड ड्राईव को अपने लाकर मे रख कर होटल की दिशा मे निकल गया। रास्ते मे सड़क किनारे बैठ कर भोजन किया और फिर सारी मिली जानकारी का आंकलन करते हुए पैदल अपने होटल की ओर चल दिया। इतना तो मुझे समझ मे आ गया था कि उनके नेटवर्क से अज्ञातवीर आप्रेशन नहीं टकरा सकता है। उनके नेटवर्क को तबाह करने के लिये हमे नयी रणनीति पर काम करना पड़ेगा। यह निर्णय लेकर मेरे कदम तेजी से होटल की ओर बढ़ने लगे थे। अपने कमरे मे पहुँच कर टीवी पर समाचार लगा कर मै कपड़े बदल कर सोने चला गया। नींद कोसों दूर थी क्योंकि मेरा दिमाग उस हार्ड ड्राईव से मिली जानकारी मे उलझ कर रह गया था।

मै बिस्तर पर पड़ा हुआ करवटें बदल रहा था। तभी सेटफोन की घंटी ने मुझे चौंका दिया। …हैलो। …मेजर। वीके की आवाज मेरे कान मे पड़ी तो मैने जल्दी से कहा… यस सर। …अजीत और सरदार भी लाईन पर है। अब उस हार्ड ड्राईव के बारे मे बताओ। …हैलो। …मेजर। वीके की आवाज मेरे कान मे पड़ी तो मैने जल्दी से कहा… यस सर। …अजीत और सरदार भी लाईन पर है। अब उस हार्ड ड्राईव के बारे मे बताओ। मैने जल्दी से आज की मुलाकात और उस हार्ड ड्राईव से मिली जानकारी के बारे मे बता कर पूछा… सर, उस ड्राईव मे शरीफ और बाजवा के काले कारोबार के अन्तरराष्ट्रीय नेटवर्क का खुलासा है। उस नेटवर्क की शाखायें दुनिया के कुछ विकसित और विकासशील देशों मे फैली हुई है। इस काले कारोबार के नेटवर्क को ध्वस्त करने की आप्रेशन अज्ञातवीर के बस की बात नहीं है। इसको डील करने के लिये मुझे आपकी सलाह चाहिये। …मेजर, आप्रेशन अज्ञातवीर का मुख्य उद्देश्य काले कारोबार की समाप्ति नहीं बल्कि पाकिस्तान मे भारतीय हक डाक्ट्रीन को कार्यान्वित करने की है। …जी सर परन्तु आतंकवाद और चरमपंथ की डाक्ट्रीन का मुख्य आर्थिक स्त्रोत यही काला कारोबार है। मानव तस्करी, ड्रग्स का कारोबार, नकली करेंसी और अवैध हथियारो का कारोबार इसके कारण पनप रहा है। तभी अजीत सर बोले… वीके, समीर सही सोच रहा है। यह नेटवर्क इस्लामिक आतंकवाद के लिये अन्तरराष्ट्रीय हार्ड करेन्सी का इंतजाम करता है।

वीके ने कुछ सोच कर कहा… अगर ऐसी बात भी है तो आप्रेशन अज्ञातवीर के निशाने पर पाकिस्तान मे इस नेटवर्क के संसाधन जुटाने की पाईपलाईन होनी चाहिये बाकी का काम वालकाट और उससे जुड़ी हुई अन्य सुरक्षा एजेन्सियों के लिये छोड़ देना चाहिये। वीके की बात का अनुमोदन करते हुए अजीत सर  बोले… वीके ने सलाह के बजाय इस बार सीधे निर्देश दिया है। समीर, उस हार्ड ड्राईव की सारी फाइल्स सेटफोन द्वारा हमे ट्रांस्फर कर दो। इसको औपचारिक तरीके से अब हम सरकार के माध्यम से दूसरी सरकारों की सुरक्षा एजेन्सियों से बात करेंगें। आप्रेशन अज्ञातवीर का उद्देश्य इस कारण पथभ्रमित नहीं होना चाहिये। तभी जनरल रंधावा ने बीच मे टोका… पुत्तर, एक बात का मुझे शक हो रहा है कि कहीं इस हार्ड ड्राईव के माध्यम से शुजाल बेग अपना उल्लू तो सीधा नहीं करने की सोच रहा है। …क्या मतलब सर? अजीत सर की आवाज गूंजी… सरदार ने बड़े पते की बात की है समीर। ऐसा भी तो हो सकता है कि वह तुम्हारे जरिये शरीफ और बाजवा को रास्ते से हटा कर उसके नेटवर्क पर काबिज होने की सोच रहा है। हमे उसका पुराना रिकार्ड नहीं भूलना चाहिये। वह पाकिस्तान सेना का एक बेहद दुर्दान्त और व्यभिचारी अफसर रहा है। उसका दामन भी बाजवा और शरीफ की तरह बहुतों के खून से लाल है। इसलिये हमारी सलाह है कि उससे सावधान रहने की जरुरत है। हमे लगता है कि यह सब उस काले कारोबार के नेटवर्क पर वर्चस्व की लड़ाई है। मै कुछ बोलता कि तभी कुछ खटका हुआ तो मैने मुड़ कर देखा तो दरवाजे पर नफीसा को खड़ी देख कर मेरी धड़कन रुक गयी थी। …मेजर। मैने तुरन्त कहा… सर, मै फोन काट रहा हूँ। बाद मे बात करुँगा। अबकी बार बोलते हुए मेरी आवाज लड़खड़ा गयी थी।

नफीसा बंद दरवाजे के सामने खड़ी हुई थी। मेरी पीठ उसकी ओर थी जिसके कारण मै उसे प्रवेश करते हुए नहीं देख पाया था। उसके चेहरे पर खौफ और तनाव साफ विद्यमान हो रहा था। पता नहीं वह कबसे हमारी बातें सुन रही थी। क्या मेरा आप्रेशन आज्ञातवीर उसके सामने खुल गया? मै यह सोच रहा था कि तभी एक विचार बिजली की तरह मेरे दिमाग मे कौंधा… अब इसे भी मरना होगा। मैने उठते हुए कहा… तुम कब आयीं? वह कुछ भी बोलने की स्थिति मे नहीं थी। उसकी आँखें और जिस्म पथरा गये थे। मै जैसे ही उसकी ओर बढ़ा वह दो कदम पीछे हो गयी। मै वहीं खड़ा हो गया और उसकी आँखों मे झाँकते हुए कहा… नफीसा, डरो नहीं। बताओ क्या बात है? वह हकलाते हुए बोली… आप किससे बात कर रहे थे? मै जानता था कि वह जनरल रंधावा और अजीत सर से मिल चुकी थी। …मै जनरल रंधावा से बात कर रहा था। तुम्हारे अब्बू ने मुझे एक हार्ड ड्राईव उनके पास पहुँचाने के लिये दी है। मै कोई चीज यहाँ से उनकी इजाजत के बिना नहीं ले जा सकता तो उनसे फोन पर इजाजत मांग रहा था। इतनी देर मे वह थोड़ा शांत हो गयी थी। वह धम्म से सोफे पर बैठ गयी। एक कदम उसकी ओर बढ़ाते हुए मैने फिर पूछा… इतनी रात को तुम यहाँ क्या करने आयी हो? इस बार उसकी ओर न जाकर मै दूसरी दिशा मे बढ़ गया और फ्रिज से पानी की बोतल निकाल कर उसके पास चला गया। पानी की बोतल का ढक्कन खोल कर उसकी ओर बढ़ा कर मै उसके साथ सोफे पर बैठ गया।

वह पानी पीने लगी तो मेरे दिमाग ने चेताया कि पहली बाधा पार हो गयी है। …तुमने बताया नहीं कि तुम इतनी रात को यहाँ क्यों आयी हो? मेरी बात को अनसुना करते हुए उसने पूछा… अब्बू ने तुम्हें कौन सी हार्ड ड्राईव दी है? …उस हार्ड ड्राईव मे इस क्षेत्र मे पनपने वाले काले कारोबार की जानकारी है। लेकिन यह बात अब तुम अपने अब्बू को मत बताना वर्ना वह मुझसे खफा हो जाएँगें। …नहीं बताऊँगी। …नफीसा, तुम्हारा निकाह होने वाला है और अगर कोई इस वक्त आ गया तो उसे क्या जवाब दोगी। रात को होटल के कमरे मे एक काफिर के साथ तुम क्या कर रही थी? …क्या वह सच है जो जनरल साहब ने अब्बू के बारे मे कहा था? अभी भी उसका ध्यान उसी बात मे अटका हुआ था। मै कुछ बोलता उससे पहले वह बोली… मुझे अब डर लग रहा है। मै उसकी भावना समझ रहा था। उसका दिमाग उस बातचीत से हटाने की मंशा से मैने उठते हुए कहा… चलो मै तुम्हें तुम्हारे घर छोड़ देता हूँ। यह सुनते ही वह बिलख कर रोते हुए बोली… आप कब तक मुझसे पीछा छुड़ाते रहेगें। मै उसको अपनी बाँहों मे बाँध कर चुप कराने मे जुट गया था। वह रोते हुए मुझसे शिकायत करती चली जा रही थी।

मेरे मानसपटल पर काठमांडू के फ्लैट का एक दृश्य एक क्षण के लिये उभरा और फिर मै अपने आपको रोक नहीं सका। मै धीरे से झुका और उसके होठों पर अपने होंठ टिका दिये। अबकी बार उसने मेरे होंठों का अपने होंठ खोल कर स्वागत किया। गुलाब के फूल की पँखुड़ियाँ से कोमल होंठ को अपने होंठों मे दबा कर उनका रस निचोड़ने मे जुट गया था। कुछ देर के बाद जब हम अलग हुए तो उसके होंठ लाल सुर्ख हो गये थे। उसके गुलाबी गाल लालिमा बिखेरते हुए दहक रहे थे। नफीसा सच मे बेहद नाजुक लड़की थी। मेरे होंठ उसके जिस अंग पर टिकते वहीं पर एक निशान छूट जाता था। इतनी देर मे उसके गले पर दो निशान उभर आये थे। वह मदमस्त हो कर मेरी बाँहों मे मचल रही थी। मेरे स्पर्शमात्र से वह सिहर उठती और मेरी उँगलियॉ उसके शनील के कुर्ते के भीतर उसकी पतली नाजुक कमर और नितंबों की पुष्टता को महसूस कर रही थी। शनील के कुर्ते और सलवार के बीच मेरे हाथ उस नवयौवना के पुष्ट नितंब की गोलाई पर कसी हुई अंतर्वस्त्र की धारी को महसूस कर रहे थे।

…तुम बहुत सुन्दर हो नफीसा। इतनी देर मे पहली बार वह बोली… तो आप मुझे अपने से दूर जाने के लिये क्यों कहते है। …क्या करुँ मेरी मजबूरी है। बात करते हुए मेरे हाथ उसके पेट को धीरे से सहलाने लगे थे। वह मेरे स्पर्श से छुईमुई की तरह बल खा रही थी लेकिन अब अलग होने की कोशिश नहीं कर रही थी। मेरा हाथ पेट पर से सरक कर उपर सीने की ओर चला गया और उसके सीने की गोलाई को आहिस्ता से दबा दिया। उफ्फ क्या नाजुक उभार थे। छूने मे कोमल और दबाने मे पुष्टता मन मे अन्तरविरोध का एहसास करा रहा था। अपने नाजुक अंग पर अप्रत्याशित हमले से वह चौंक गयी और उसके मुख से एक ठंडी आह निकल गयी। उसकी कनपटी लाल हो गयी थी और गाल दहकने लगे थे। मैने धीरे से उसके गुलाबी होंठों पर उँगली फिराते हुए अपने उपर खींच लिया। उसके समर्पण की निशानी मिलते ही मैने उसे अपनी बाँहों मे उठाया और बेड की ओर चल दिया।

बिना ज्यादा समय गँवाये उसे बेड पर लिटा कर मै उस पर छा गया। मेरी जुबान की ठोकर खाते ही उसके होंठ खुल गये और मेरे होंठों ने उन गुलाबी होंठों का रस सोखना आरंभ कर दिया। मेरा एक हाथ उसके उन्नत वक्षस्थल को नाप रहा था और दूसरा हाथ उसके पुष्ट नितंब को सहला रहा था। उत्तेजना मे उसकी साँसे तेज चल रही थी। मैने धीरे से अपनी टाँगे उसकी टाँगों मे अटका कर जबरदस्ती खोल कर अपने अग्रभाग को उसके अग्रभाग पर टिका कर दबा दिया। वह अब पूरी तरह से मेरे शिकंजे मे फंस चुकी थी। मैने कपड़ों से ढके भुजंग को उसके अग्रभाग धीरे से दबाव डाल कर रगड़ना आरंभ किया तो वह भी उत्तेजनावश अपने अग्रभाग को भुजंग पर रगड़ने लगी। कुछ देर तक हमारे बीच खींचतान चलती रही और फिर एकाएक उसका पूरा जिस्म भरभरा कर हिचकोले ले कर निश्चल हो गया। कुछ क्षण मै उसके उपर पड़ा रहा और फिर धीरे से उसके उपर से हट कर उसके किनारे लेट गया।

कुछ देर के पश्चात वह करवट लेकर मुझसे बेल की तरह लिपट गयी। उसके कुर्ते की चिकनाई की वजह से मेरे हाथ उसके पूरे जिस्म पर फिसल रहे थे। अचानक मेरा हाथ उसकी बंधनी पर पड़ गया। यही जगह थी जहाँ कुर्ते की जिप छिपी हुई थी। मैने धीरे से उसकी जिप को नीचे करते हुए कहा… नफीसा, अगर इसके आगे बढ़ गया तो उस रात की तरह वापिस नहीं लौट सकूँगा। …उस दिन भी मै आपकी थी और आज भी आपकी हूँ। आपको रोका किसने है। उसने करवट लेकर एक झटके से जिप खोल कर अपनी नग्न पीठ मेरे सामने कर दी थी। जैसे मैने उसकी नग्न पीठ पर अपने होंठ टिकाये उसके मुख से एक उत्तेजना भरी सिस्कारी छूट गयी थी। मै कभी उसके कान पर चूमता और कभी गले पर और कभी पीठ पर अपने गर्म होंठों को रगड़ कर उसके जिस्म मे आग भरने की कोशिश करने मे जुट गया। वह बेहाल हो कर तड़पती और कभी मेरी गिरफ्त से छूटने के कसमसाती लेकिन उतनी ही उसके जिस्म मे आग भड़क जाती और उसकी आनंद भरी सीत्कार कमरे मे गूंज जाती थी। मेरे हाथ उसकी बगल से निकल कर उसके उन्नत शिखरों को अपने काबू मे किये हुए थे।

कामक्रीड़ा के खेल शुरू होने का बिगुल बज गया था। काठमांडू की अधूरी कहानी पूरी करने समय आ गया था। अभी तक मै पहल कर रहा था और वह निरन्तर मेरे वारों से बचने की चेष्टा कर रही थी। अब वह भी पूरे जोश के साथ मेरा साथ दे रही थी। अब तन पर कपड़े चुभने लगे थे। आनन-फानन मे हम एक दूसरे के वस्त्र उतारने मे जुट गये। मैने उसके कुर्ते के एक सिरे को पकड़ कर उतारने के लिए उठाया तो उसने मुझे रोक कर अपनी कमर के हुक खोल कर हाथ उपर उठा दिये। पल भर मे उसका कुर्ता जमीन पर पड़ा हुआ था। मेरा हाथ जैसे ही उसकी शलवार के कमरबंद की ओर गया उसने मेरा हाथ कस कर पकड़ लिया। मैने जबरदस्ती उसके कमरबंद पर बंधे हुए नाड़े को पकड़ कर एक झटका दिया तो वह भी खुल कर ढीला हो गया था। आहिस्ता से मैने अपना पाँव उसकी शलवार मे अटका कर उसको एक झटके से एड़ी से निकाल कर दूर फेंक दियारौशन कमरे मे बेदाग संगमरमरी यौवन से गदराया हुआ दुधिया सिन्दुरी रंग का जिस्म, पतली कमर और फैलते हुए कूल्हें, गोल पुष्ट नितंब और केले सी चिकनी टाँगे, जिसको को देख कर मेरे मुख से एक ठंडी आह निकल गयी थी। उसकी यौवन से दमकती हुई मखमली त्वचा मेरे सामने थी। सीने के पुष्ट उभार पतली सी महीन जाली से आधे से ज्यादा बाहर झाँक रहे थे। वैसी ही त्रिभुज आकार की जाली ने कटिप्रदेश को ढक रहा था। मेरी आँखों से जाली का गीलापन छिप नहीं सका था। वह कामोउत्तेजना सेलती हुई एक परिपूर्ण अप्सरा सी लग रही थी।

गुलाबी स्तनाग्र उत्तेजना से खड़े हुये थे। अब मेरे दिमाग मे बस लक्ष्य भेदने की चाह बची थी। उसके नाजुक बदन को अपने प्यार से सींचने के लिए अग्रसर हो गया। आग दोनों ओर बराबर लगी हुई थी। हम दोनों निर्वस्त्र हो कर बेल की तरह हम एक दूसरे से लिपटे हुए एक दूसरे के जिस्म को स्पर्श करते हुए नाजुकता, कोमलता और कठोरता को महसूस कर रहे थे। मेरी उँगलियाँ और मेरे होंठ उसके जिस्म के पोर-पोर पर अपनी छाप छोड़ कर आगे बढ़ते जा रहे थे। वह कभी मचलती, कभी तड़पती और कभी थरथरा उठती थी। उसका नाजुक कोमल हाथ कामपिपासा मे झूमते हुए भुजंग को गरदन से पकड़ कर धीरे-धीरे सहला रहा थाहम दोनो के लिये उत्तेजना अपने चरम पर पहुँच गयी थी। लक्ष्य मेरे सामने था और लक्ष्यभेदन के लिए मैने उसके मचलते हुए जिस्म को स्थिर किया। उसने मेरे भुजंग के फूले हुए मुंड को अपने योनिमुख पर आहिस्ता से घिसते हुए दिशा दिखाई लक्ष्य के मुहाने पर पहुँच कर एक क्षण के लिये हम दोनो स्थिर हो गये थे। मेरे होंठों ने उसके होंठों को जकड़ लिया और एकाएक पूरी तेजी से अपनी कमर पर दबाव डालते हुए मैने अपने तन्नाये हुए भुजंग को आगे की ओर धकेला और उस पल नफीसा की धड़कन एक पल के लिए रुक गयी थी। वह पूरी ताकत लगा कर निकलने के लिए छ्टपटाई लेकिन तब तक एक ही वार मे सारी बाधाएँ पार करते हुए भुजंग उसकी गहराईयों मे धँस कर जड़ तक समा गया था। दो जिस्म अब एक हो गये थे। वह दर्द से छटपटा रही थी लेकिन वह मेरे भार से दबी हुई होने के कारण हिलने योग्य नहीं रही थी।

कुछ देर स्थिर रहने के बाद मैने उसके होंठों को अपने होठों से आजाद करते हुए कहा… अब सारा कष्ट हमेशा के लिए खत्म हो गया। वह कराहाते हुए बोली… प्लीज, मै मर जाऊँगी। उसके कष्ट को अनदेखा करके मै अपनी राह पर चल दिया। कुछ ही देर मे उसकी सिस्कारियों और तेज चलती हुई साँसे कमरे मे गूँज रही थी। हम एक दूसरे के अन्दर भड़कती हुई कामाग्नि को बुझाने के लिए आगे बढ़ते जा रहे थे। तूफान अपने पूरे वेग पर था। मेरे हर वार पर उसका जिस्म थरथराता हुआ प्रतीत होता हुआ लगता। हमारे लिए वक्त थम गया था। एक समय आया कि नफीसा के मुख से सिस्कारियों की आवाज बन्द हो गयी थी। एकाएक उसके मुख से लम्बी सी उत्तेजना से भरी किलकारी निकली और उसका जिस्म पल भर के लिए अकड़ा और फिर निढाल हो बेड कर लस्त हो कर पड़ गया। मै भी चरम सीमा पर पहुँच चुका था। मैने एक आखिरी और भरपूर वार किया और इस बार नई गहराईयों को नापते हुए धँसता चला गया था। एक विस्फोट मस्तिष्क मे हुआ और बहुत देर से उबलता हुआ ज्वालामुखी फट गया। नफीसा को अपने कामरस से सींच कर मै भी निढाल हो कर उस पर गिर गया। काफी देर तक हम वैसे ही पड़े रहे। वह धीरे से हिली तो मै उसके उपर से हट कर किनारे लेट गया था। कुछ ही देर मे उसे अपने सीने से लगा कर मै गहरी नींद मे खो चुका था।

जब हम थक कर चूर नींद मे बेसुध होकर पड़े थे तब इस्लामाबाद के दो अलग-अलग ओद्योगिक क्षेत्रों मे दो गोदाम आतंकवादियों के हमले का शिकार हो गये थे। हरेक गोदाम मे अनेक विस्फोट की आवाज काफी दूर तक सुनाई पड़ी थी। जब तक फायर ब्रिगेड पहुँची तब तक दोनो गोदाम सामान सहित नष्ट हो गये थे।

 
कराँची

फोन की घंटी की आवाज सुन कर गहरी नींद से जागते हुए आदमी बड़बड़ाते हुए उठा और अपने आगोश मे उलझी हुई नवयौवना को धकेल कर फोन को झपट कर उठाते हुए उनींदी आवाज मे बोला… हैलो। …हरामखोर साले, यहाँ करोंड़ो का नुकसान हो गया और तू अभी तक सो रहा है। उस आवाज को सुनते ही वह आदमी हड़बड़ा कर बोला… मेरे आका क्या हो गया। …खबीस की औलाद, कल देर रात हमारे गोदामों पर फिदायीन हमला हुआ है। यह बता मुर्तजा चौक के गोदाम पर क्या रखा था? …आका, इस साल की सारी अफीन की खेप वहीं पर रखी हुई थी। उसके साथ कुछ हथियार भी रखे हुए थे। …कितने का माल था? …लगभग पाँच सौ करोड़ का माल था। …और न्यू टाउन के गोदाम पर क्या रखा हुआ था? …आका, सारे नकली करेन्सी नोट वहीं पर उतारे जाते है। वहीं से नोटों का वितरण होता है। …कमाल, कल रात के फिदायीन हमले मे यही दो गोदाम जमींदोज हो गये है। कमाल जोर से चीखा… मेरे आका मै तो बर्बाद हो गया। दूसरी ओर बोलने वाला घुर्राया… साले बाद मे छाती पीटना। इस वक्त दोनो हमलो की तफ्तीश पुलिस कर रही है। इसमे तेरा नाम आना अब तय हो गया है। अब बता क्या करेगा? कमाल गिड़गिड़ाया… आका आपका ही सहारा है। बताईये मै क्या करुँ? …मेरी बात ध्यान से सुन। तू कुछ दिनो के लिये गायब हो जा। तब तक इसकी जाँच मै अपने हाथ मे लेने की कोशिश करता हूँ। बस ख्याल रहे कि तब तक तुझे पुलिस के हत्थे नहीं चढ़ना है। …मेरे आका, इस नुकसान की भरपाई कैसे होगी? …हरामजादे पहले पता लगा कि इस हमले के पीछे कौनसी तंजीम है। उन सालों से इस नुकसान की भरपाई होगी। नूरानी से तीन करोड़ कब मिलने वाले है? …कल ही वह चार करोड़ लेकर गया था। मै अभी पता करके बताता हूँ। …कमाल, उस पैसे को मेरे अकाउन्ट मे डाल देना। …जी मेरे आका। …अब यह जगह छोड़ कर गायब हो जा। इतना बोल कर दूसरी ओर से फोन कट गया था।

कमाल कुछ देर तक पथरायी आँखों से रिसीवर को देखता रहा और फिर साथ लेटी हुई नवयौवना के नितंब पर लात मार कर घुर्राया… चल दफा हो यहाँ से। इतना बोल कर वह झटपट अपने कपड़े पहन कर कमरे से बाहर निकल गया।

4 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही खूबसूरत अंक और काठमांडू में जो हसीन पल नफ़िसा के लिए प्राप्त न हो पाए थे अब वो यहाँ पाकिस्तान में मिल गया है। मस्जिद में बहुत ही अच्छा एक्शन देखने को मिला और डबल क्रॉस करने का जो प्लान था वो उनके ऊपर ही भारी पड़ गए और उनके आकाओं के नींद अब उड़ चुके हैं क्यूँ की नगद पैसों की तंगी जो आई है नकली करन्सी का रूट तबाह होने से अब उसका डेस्परैशिन अब वहाँ सरकारी कलों में आसीन लोगों को अपने रोटी सेकने में तकलीफ हो रहा है। इसी बीच समीर अब क्या करेगा जब उसकी बात नफ़िसा ने सुन लिया है और जब नफ़िसा के साथ एकाकार हो चुका है तो क्या यह काफी रहेगा उसके मुंह बंद रखने के लिए जब दावों पे पूरा ऑपरेशन आज्ञातवीर आ चुका है ।

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  2. ISI और जनरल फैज का महत्वपूर्ण आदमी असगर ७२ हुरोके पास सिधर गया, दुसरा नूरानी बडा शाणा बन रहा था, डबलक्रॉस के चक्करमे जान और चार करोड का माल दोनोसे हाथ धो बैठा. क्या शुजालबेग हार्डड्राइव्ह डाटा देकें, समिरसे कोई काम निकालने के चक्कर मे है. काठमांडू मे शुरू हुआ नफीसा नाम का एपिसोड यहाँ खतम हुवा है, या ये कोई आने वाले तुफान का आगाज है, क्या नफिसाके जरिये शुजाल बेग कोई नई चाल चल रहा?🤔देखे क्या होता है आगे.

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  3. तीन संडे निकल गए भाई कायनात हो?

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