शह और मात-23
ठीक नौ बजे मै वालकाट
के आफिस मे उसके सामने बैठा हुआ था। …सैम, आज शाम को मै चला जाऊँगा तो अब से तुम्हें
यहाँ पर मोर्चा संभालना पड़ेगा। …एंथनी, मेरा काम जिरगा के लिये तंजीमो को तैयार करने
का है। मै यहाँ नहीं बैठ सकूँगा। एंथनी वालकाट कुछ सोच कर बोला… सैम, मै यहाँ बैठने
के लिये जोर नहीं दे रहा लेकिन जब तक जिरगा नहीं हो जाता तब तक तुम मेरे केस आफीसर
के रुप मे काम करोगे। …ठीक है। रोज रात को मै तुम्हें अपनी रिपोर्ट भेज दिया करुँगा।
…यहाँ पर कौनसी तंजीमे कहाँ उत्पात मचा रही है और उनके मुखिया कौन है? हमे यह भी जानना
जरुरी है कि कौनसी तंजीम अमरीका की खिलाफत करने की सोच रही है। इसके बारे मे मुझे पूरी
जानकारी चाहिये। …राजर। …आओ चले। अब जनरल फैज की कहानी भी सुन लेते है। हम दोनो दूतावास
से बाहर निकल कर दूतावास की बुलेटप्रूफ गाड़ी मे बैठ कर जीएचक्यू रावलपिंन्डी की दिशा
मे निकल गये थे। मुश्किल से पौने घँटे का सफर था लेकिन अमरीकन दूतावास की गाड़ी होने
के कारण आधे घँटे मे ही जीएचक्यू पहुँच गये थे। मुख्य द्वार पर चमचमाती हुई दो बड़ी-बड़ी
तोपों ने हमारा स्वागत किया था। एक पाईलट जीप दिशा दिखाने के लिये हमारी गाड़ी के आगे
चलने लगी थी। अंग्रेजों की धरोहर जैसी विशाल इमारत के सामने पहुँच कर हमारी गाड़ी के
रुकते ही द्वार पर तैनात सैनिकों की टुकड़ी तुरन्त हरकत मे आ गयी थी। सारा माहौल श्रीनगर
के ब्रिगेड हेडक्वार्टर्स जैसा लग रहा था।
…सैम, यहाँ मुझे बात
करने देना। इतना बोल कर वालकाट अपना आईकार्ड गले मे लटका कर आगे बढ़ गया था। मै अपनी
टाई ठीक करते हुए जल्दी से अपना आईकार्ड निकाल कर गले मे लटकाया और उसके साथ चल दिया।
इमारत मे घुसते ही रिसेप्शन डेस्क के पास एक कर्नल रैंक का आफीसर कुछ सैनिको के साथ
आगे बढ़ कर वालकाट को बड़ी मुस्तैदी से सैल्युट करके बोला… मै कर्नल हमीद गुल। एडीसी
टु जनरल फैज। जीएचक्यू मे आपका स्वागत है। जनरल साहब अपने आफिस मे है। मेरे साथ आईये।
वालकाट ने उनका अभिवादन करते हुए कहा… मै एंथनी वालकाट और यह मेरा स्टेशन आफीसर सैम
भट्ट। हम दोनो उसके साथ चल दिये थे। लिफ्ट से हम पहली मंजिल पर पहुँच कर एक गैलरी पार
करके एक कमरे के बाहर पहुँच कर रुक गये। कर्नल हमीद दरवाजे पर दस्तक देकर अन्दर प्रवेश
करते हुए बोला… आईये। विशाल कमरे मे एक बड़ी सी मेज के पीछे तीन स्टार जनरल फैज खड़ा
होकर स्वागत करते हुए बोला… मिस्टर वालकाट वेलकम तो जीएचक्यू। सारी औपचारिकताएं पूरी
करने के पश्चात जनरल फैज बोला… कल मीटिंग मे आपके द्वारा बेबुनियाद आरोप लगाने के बावजूद
वापिस लौटते ही मैने उस लड़की को ढूंढने के लिये अपने लोग लगा दिये थे। इसी कारण मैने
आज यह मीटिंग रखी है। पेशावर के उस पते पर शाम को ही छापा मारा था लेकिन वह एक पुराना
गोदाम निकला। वहाँ पर कोई नहीं मिला लेकिन अभी भी पेशावर के चप्पे-चप्पे पर उस लड़की
को तलाश किया जा रहा है। जल्दी ही उस लड़की की बरामदगी हो जाएगी। इतना बोल कर वह चुप
हो गया। कर्नल हमीद गुल चुपचाप जनरल फैज के पीछे खड़ा हुआ सारी बात सुनते हुए हमारी
प्रतिक्रिया को नोट कर रहा था।
वालकाट चुपचाप उसकी
बात सुनता रहा था। जैसे ही जनरल फैज चुप हुआ तो वालकाट ने मुस्कुरा कर कहा… जनरल फैज,
हमारा आरोप बेबुनियाद नहीं है। हमारे पास पुख्ता जानकारी है और इसलिये बेवजह स्मोकस्क्रीन
की जरुरत नहीं है। मै इतना तो समझ सकता हूँ कि आपने अपनी खोज की रिपोर्ट फाईल करने
के लिये हमे यहाँ नहीं बुलाया है। अगर अब आप मुद्दे की बात कर लेंगें तो बेहतर होगा।
इतना बोल कर वह चुप हो गया था। जनरल फैज ने मुस्कुरा कर कहा… आपकी साफगोई का मै कायल
हो गया मिस्टर वालकाट। आज की मीटिंग का उद्देश्य कुछ और है। हम मित्र देशों के बीच
एक अविश्वास का माहौल जड़ पकड़ रहा है। अगर जल्दी ही इसे समाप्त नहीं किया तो आतंकवाद
से लड़ने की मित्र राष्ट्रों की मुहिम कमजोर हो जाएगी जिसका फायदा आतंकवादी तंजीमे उठाएंगी।
हमारे बीच विश्वास और आत्मविश्वास बढ़ाने के लिये मेरा सुझाव है कि क्या आप अपने एक
आफीसर को हमारी टीम के साथ कर सकते है। वालकाट ने तुरन्त उसकी बात बीच मे काट कर पूछा…
जनरल, क्या आप जोइन्ट सर्च आप्रेशन का सुझाव दे रहे है? …यस मिस्टर वालकाट। मित्र देशों
को हमारी नेकनीयती साबित करने के लिये मै ऐसा प्रस्ताव आपके सामने रख रहा हूँ। वालकाट
खिलखिला कर हँसते हुए बोला… जनरल आप मजाक तो नहीं कर रहे है। पहली बार जनरल फैज के
चेहरे की बनावटी भाव-भंगिमा पल भर मे नष्ट हो गयी थी।
अबकी बार बोलते हुए
जनरल फैज की आवाज कड़ी हो गयी थी। …आपका क्या मतलब? …जनरल फैज, आरोप आप पर है और विश्वास
बढ़ाने की जिम्मेदारी आपकी है। प्लीज इसे खुद पर मत लिजियेगा। मै जानता हूँ कि आप बड़े
इमानदार आफीसर एन्ड जेन्टलमेन है। लेकिन इस काम के लिये मै अपने एक आफीसर को आपकी टीम
के साथ क्यों नियुक्त करुँगा। वैसे भी आप लोग मित्र देशों के साथ किये गये सूचना साझा
करने के करार को लगातार तोड़ते चले आ रहे है। यह भी हो सकता है कि आप मेरे आफीसर को
एक संदिग्ध खोज मे लगा कर उसका और हमारा समय बर्बाद करने के लिये ऐसा सुझाव दे रहे
है। यह तर्क सुन कर जनरल फैज का चेहरा गुस्से से लाल हो गया था। कुछ देर कमरे मे चुप्पी
छायी रही। सीआईए के आप्रेशन्स चीफ के साथ नाजुक रिश्तों के चलते जनरल फैज ने अपने गुस्से
पर अंकुश लगाया और संभलते हुए कहा… मिस्टर वालकाट, हमारी टीम के साथ अगर वह आफीसर काम
करेगा तो हमारे को भी उसकी नेकनीयती पर विश्वास हो जाएगा तो फिर सूचना साझा करने के
लिये वह आफीसर हमारे लिये उप्युक्त कोन्टेक्ट पोइन्ट बन जाएगा। दोनो मित्र देशों के
लिये यह बेहद मजबूत कदम है और इसमे मुझे आपकी सहायता चाहिये। इसे जनरल महमूद का सुझाव
और प्रस्ताव समझ कर तय किजिये।
मैं निर्देशानुसार
सारी बात चुपचाप सुन रहा था। जैसे ही जनरल फैज ने जनरल महमूद का नाम लिया तो मै समझ
गया कि वालकाट पाकिस्तानियों के चक्रव्युह मे फँस गया है। मैने सोचा कि अगर वालकाट
ने मना किया तो विश्वास तोड़ने का सारा ठीकरा पाकिस्तानी एस्टेब्लिश्मेन्ट वालकाट के
सिर पर फोड़ देगा। …जनरल फैज, प्लीज जनरल महमूद से पता किजिये कि क्या वह तुरन्त मिल
सकते है? वालकाट की बात सुन कर कमरे मे उपस्थित सभी लोग चौंक गये थे। कुछ पल चुप रहने
के पश्चात जनरल फैज ने कर्नल हमीद से कहा… पता करो कि जनरल महमूद आफिस मे है? तभी वालकाट
उठते हुए बोला… आईये मेरे साथ उनके आफिस मे चलते है। जनरल महमूद मेरा इंतजार कर रहे
होंगें। मैने आने से पहले उनसे इसके बारे बात की थी। मै भी उठ कर खड़ा हो गया। जनरल
फैज का चेहरा एकाएक बुझ गया था।
हम जैसे ही चलने के
लिये दरवाजे की ओर बढ़े कि तभी किसी ने दरवाजे पर दस्तक देकर कमरे मे प्रवेश किया। पाकिस्तानी
मेजर की युनीफार्म मे एक स्त्री ने कमरे मे कदम रखा और हमे जनरल फैज के साथ खड़े हुए
देख कर वह ठिठक कर वहीं रुक गयी। कर्नल हमीद ने तुरन्त कहा… मेजर हया आप बाद मे आईयेगा।
मेरी नजर उस स्त्री के चेहरे पर टिक कर रह गयी थी। वह अंजली नहीं थी परन्तु चेहरा जाना
पहचाना लग रहा था। मेजर हया जल्दी से बोली… जनाब, जनरल महमूद के स्टाफ आफीसर ने अभी
फोन पर सुचित किया है कि उनको एक अर्जेन्ट मीटिंग के लिये प्रधानमंत्री कामरान ने बुलाया
है। वह उस मीटिंग के लिये निकलते हुए मिस्टर एंथनी वालकाट से माफी मांगने के लिये कह
गये है। जनरल फैज ने मुस्कुरा कर कहा… मिस्टर वालकाट फिलहाल जनरल महमूद तो आपसे नहीं
मिल सकेंगें तो अब आगे क्या करना है? एंथनी वालकाट का आखिरी हथियार बेकार हो गया था।
वह कुछ बोलता कि तभी उसका फोन बजने लगा तो उसने जल्दी से काल लेते हुए कहा… हैलो। दूसरी
ओर से किसी ने कुछ कहा तो उसके जवाब मे वह बोला… जनरल महमूद, हमारी बात हो गयी है।
मुझे तो आज शाम को सीनेटर राबिन्सन के साथ वापिस काबुल जाना है। मै अपने स्टेशन आफीसर
को इस काम को कुअर्डिनेट करने के लिये नियुक्त कर दूंगा। कुछ पल के बाद वह जल्दी से
बोला… थैंक यू सर। आपके कहने पर एक बार इस काम को करके देख लेते है। अगर इसमे सफलता
मिली तो फिर इस बारे मे आगे चर्चा करेंगें। इतना बोल कर उसने फोन काट दिया था।
जनरल फैज ने कहा…
मिस्टर वालकाट, अब आपकी जनरल साहब से बात हो गयी तो फिर अब आगे कैसे बढ़ना है। मेरे
दो आफीसर कल सुबह पेशावर के लिये निकल रहे है। क्या आप अपने स्टेशन आफीसर को उनके साथ
भेज सकते है? वालकाट ने मेरी ओर देख कर पूछा… क्या तुम कल उनके साथ जा सकते हो? मै
अजीब स्थिति मे फँस गया था। कुछ सोच कर मैने कहा… एंथनी, एक शर्त पर मै जा सकता हूँ।
कर्नल हमीद ने तुरन्त कहा… जनाब, इनका नाम सैम भट्ट है। जनरल फैज ने मेरी ओर देख कर
पूछा… मिस्टर भट्ट, क्या हम पहले भी मिल चुके है? तभी वालकाट बोला… सैम ने कल ही यहाँ
पर ड्युटी जोइन की है। कर्नल हमीद ने तुरन्त कहा… ओह, मुझे लगा कि इनसे पहले भी मै
मिल चुका हूँ। मेजर हया कुछ नहीं बोली लेकिन वह मुझे अभी भी एकटक देख रही थी। जनरल
फैज ने मुस्कुरा कर पूछा… मिस्टर सैम बताईये कि आपकी क्या शर्त है? मैने वालकाट की
ओर देखते हुए कहा… एंथनी, मै फील्ड पर निष्पक्ष होकर काम करता हूँ। अगर इनके केस आफीसर
ने मुझ से पूछताछ या मेरे आने-जाने पर पाबंदी लगायी तो मै तुरन्त वापिस आ जाऊँगा। मुझे
साफ तौर पर निर्देश मिला है कि यह हमारे साथ हर सूचना साझा करेंगें। अगर इनकी ओर से
कोई रुकावट या छिपाने की कोशिश हुई तो मेरी रिपोर्ट पर तुरन्त कार्यवाही होनी चाहिये।
अगर इन्हें और आपको मेरी यह शर्त मंजूर है तो मै इनकी टीम के साथ कल जा सकता हूँ अन्यथा
हम अपनी ओर से इस सारे मामले की जाँच स्वयं कर लेंगें। इतना बोल कर मै चुप हो गया था।
मेरी बात सुन कर वालकाट
कुछ सोच कर मुस्कुराते हुए जनरल फैज से बोला… जनरल, आपको इनकी शर्तों के बारे क्या
कहना है? जनरल फैज जल्दी से बोला… हमें मंजूर है। बस ख्याल रहे कि यह जो भी सूचना आपके
साथ साझा करेंगें उसको पहले मेरा आफिस जाँच करके आगे भेजने की इजाजत देगा। यह दो सरकारों
के बीच सूचना का आदान-प्रदान है तो यह संवेदनशील मुद्दा है। हमारी नेकनीयती का यह सुबूत
है कि हम कुछ भी आपसे छिपाना नहीं चाहते परन्तु साझा रिपोर्ट को निष्पक्ष होना चाहिये।
जनरल फैज से हाथ मिला कर वालकाट ने मुझसे कहा… इन्होंने तुम्हारी शर्ते मान ली है तो
कल इनकी टीम के साथ चले जाओ। …ओके सर। बस इतना और बता दिजिये कि मेरी रिपोर्ट मुझे
किसको भेजनी है। जनरल फैज ने तुरन्त कहा… कर्नल अपने निजि नम्बर, ईमेल व कालिंग साईन
दे दिजिये। कर्नल हमीद तुरन्त बोला… जनाब, मीटिंग के बाद मै इनसे सारे कान्टेक्टस एक्स्चेंज
कर लूँगा। वालकाट ने कुछ अन्य औपचारिक बात करके चलने के लिये उठ कर खड़ा हो गया। हमारी
मीटिंग समाप्त हो गयी थी और हम सब कमरे से बाहर निकल आये थे।
कर्नल हमीद गुल चलते
हुए बोला… मिस्टर सैम, कुछ मिनट के लिये मेरे कमरे मे चलते है। आपके साथ जाने वाले
आफीसर से भी मिला देता हूँ। इतना बोल कर मेजर हया से बात करते हुए वह अपने कमरे की
दिशा मे चल दिया। मै और वालकाट उसके पीछे चल दिये थे। …सैम, क्या यह ज्यादा बेहतर तरीका
नहीं है? मैने दबी आवाज मे कहा… एंथनी, बेहतर है परन्तु इसमे खतरा बड़ा है। तजीमों को
अगर लगा कि मै इनके साथ हूँ तो मेरी बात पर वह विश्वास नहीं करेंगें। मेरी पीठ पर एक
धौल जमा कर वालकाट बोला… जिस तरह तुमने फैज की चाल को अभी कुछ देर पहले विफल किया है
वैसे ही उस आने वाले खतरे को भी देख लेना। बात करते हुए हम कर्नल हमीद के कमरे मे प्रवेश
कर गये थे। पहली बार मेजर हया ने मेरी ओर देख कर कहा… मिस्टर सैम, मुझे भी लगा था कि
मै भी आपसे पहले मिल चुकी हूँ। कर्नल हमीद ने तुरन्त कहा… मेजर, तुम्हें भी ऐसा ही
लगा था। मैने मुस्कुरा कर कहा… मेजर साहिबा आपको देख कर पहली बार मुझे भी ऐसा लगा था
परन्तु मै जानता हूँ कि वर्दी मे सभी चेहरे एक जैसे ही दिखते है इसलिये मै ऐसी गलती
नहीं करता। मै भी मूल रुप से इसी हिस्से से हूँ तो मेरा चेहरा-मोहरा सामान्य तौर यहाँ
के लोगों से मिलता है। कर्नल हमीद ने अपनी जानकारी मुझे देते हुए मेरे आफिस के स्मार्टफोन
का जब तक नम्बर एक्स्चेन्ज किया तब तक मेजर हया अपने साथ दो आफीसर्स को लेकर आ गयी
थी। कैप्टेन जाहिद और लेफ्टीनेन्ट मोहसिन ने आते ही बड़ी मुस्तैदी के साथ कर्नल हमीद
को सैल्युट किया और फिर हमारे से हाथ मिला कर एक किनारे मे खड़े हो गये थे। …मिस्टर
सैम यह दोनो आपके साथ पेशावर जाएँगें। तभी वालकाट बोला… कर्नल आप क्या मजाक कर रहे
है। मेरे स्टेशन आफीसर के साथ अपने दो जुनियर अधिकारी भेज रहे है। वह क्या गाईड बन
कर जा रहे है। इनको कोई भी आपका फील्ड पर तैनात आफीसर आउट रैंक कर सकता है। मै बेवजह
टाईम खराब करने की हर्गिज इजाजत नहीं दूंगा। एक बार फिर वालकाट ने उनकी सारी योजना
को धाराशायी कर दिया था।
कर्नल हमीद जल्दी
से बोला… मिस्टर वालकाट ऐसी कोई बात नहीं है। फील्ड मे आईएसआई का छोटे से छोटा अधिकारी
भी निर्णय लेने के लिये पूर्णत: सक्षम है। मैने जल्दी से कहा… आप मजाक कर रहे है। फील्ड
मे फुल कर्नल या ब्रिगेडियर मुख्य अधिकारी होता है। अगर उसने मना कर दिया तो क्या यह
उसके निर्णय के खिलाफ एक्शन ले सकते है? वालकाट ने मुझसे कहा… सैम, यह प्रस्ताव किसी
काम का नहीं है। तुम अपनी जाँच खुद करने के लिये निकल जाओ। इसके बारे मे जनरल महमूद
को मै सुचित कर दूंगा। तभी कर्नल हमीद बोला… मिस्टर वालकाट हम किसी वरिष्ठ अधिकारी
को नियुक्त कर देंगें। प्लीज मुझे एक दिन का समय दिजिये। वालकाट ने उठते हुए कहा… आज
शाम तक आप तय करके बता दिजियेगा। मेरे काबुल लौटने से पहले इसका निर्णय हो जाना चाहिये।
इतनी बात करके वालकाट कमरे से बाहर निकल गया था। मै भी उसके पीछे कमरे से निकल आया
था।
गैलरी से निकल कर
हम लिफ्ट के बजाय सीड़ियों से नीचे उतर कर अपनी कार की ओर जा रहे थे कि अचानक हमारा
सामना रोती हुई बुर्कापोश महिला और उसके बच्चों से हो गया था। वह वर्दी और सेना को
गालियाँ देते हुए जा रही थी। उसके तीन बच्चे सुबकते हुए पीछे चल रहे थे। हमको अपनी
ओर आते हुए देख कर उसने हमारा रास्ता रोक कर कहा… साहब खुदा के लिये हमारी मदद किजिये।
उसने वालकाट को देख कर गुहार लगायी थी तो वालकाट चलते-चलते रुक गया और मेरी ओर मुड़
कर बोला… क्या कह रही है? मैने जल्दी से उससे वही सवाल पूछ लिया तो वह रोते हुए बोली…
मेरे खाविन्द तीन महीने पहले स्वात मे तालिबान के हमले मे शहीद हो गये थे। तीन महीने
से पेन्शन के लिये चक्कर लगा रही हूँ लेकिन बड़े बाबू इरशाद साहब फाईल दबा कर बैठे हुए
है। बड़े साहब से मैने शिकायत भी की थी परन्तु उनका कहना है कि अभी तक उनकी युनिट ने
शहादत की कोई जानकारी हेडआफिस को नहीं दी है तो पेन्शन की फाईल कैसे बढ़ सकती है। अब
तो फाँकों की नौबत आ गयी है। आप बड़े अफसर है तो खुदा के लिये मेरी मदद किजिये। इतना
बोल कर वह बिलख कर रोने लगी। …एंथनी, यह सेना का मामला है। हमे यहाँ से निकलना चाहिये।
वालकाट अजीब सी दुविधा मे फँस कर रह गया था। वह औरत उसका कोट पकड़ कर खड़ी हुई थी। मै
सबकी नजरों से बच कर यहाँ से जल्दी से जल्दी निकलने की फिराक मे था। मैने जल्दी से
उसका कोट छुड़ाते हुए बोला… हम सेना मे नहीं है। हम तो यहाँ पर किसी से मिलने आये थे।
मैने इतना बोल कर वालकाट को लगभग खींचते हुए कार की दिशा मे चल दिया था।
अचानक पीछे से उस
औरत की आवाज मेरे कानो मे पड़ी… हरामी मेरी बेटी से निकाह करेगा। हरामखोर इरशाद तेरे
कीड़े पड़ेंगें। तू दोजख की आग मे जलेगा। यह सुनते ही मै ठिठक कर रुक गया। किसी और वक्त
और अन्य जगह होती तो अब तक वह इरशाद नाम का आदमी मेरे हाथों जाया हो गया होता परन्तु
मै जानता था कि यह प्रतिकार करने की उचित जगह नहीं है। कार मे बैठते हुए वालकाट ने
कहा… वह औरत क्या बोल रही थी? …कुछ पेन्शन का मामला था। वालकाट सिर हिलाते हुए बोला…
अच्छा यह बात है। कोई बात नहीं लेकिन सैम अब इनके लिये मुश्किल खड़ी हो गयी है। इस्लामाबाद
वापिस लौटते हुए वालकाट ने बताया कि किसी भी जाँच के लिये अकसर हमारे लोगों के साथ
आईएसआई अपने जुनियर आफीसर को टूर गाईड बना कर फील्ड मे भेज देते है। वहाँ पर उनकी चलती
नहीं है और हमारे लोग सिर पटक कर बिना कार्य पूरा करे वापिस आ जाते है। यह इनकी स्टेन्डर्ड
आप्रेशनल कार्यशैली है। वही चाल यह हमारे साथ इस्तेमाल करने की सोच रहे है। यह कुछ
भी आश्वासन दें परन्तु अब इनके साथ काम करने के लिये मना कर देना।
तीन बजे तक वालकाट
को दूतावास पर छोड़ कर मै नीलोफर के फ्लैट पर चला गया था। मुझे अपने साथियों को उनके
कार्य अनुसार पर तैनात करना था। मेरे सभी साथी फ्लैट पर मेरी राह देख रहे थे। उन सबको
इकठ्ठा करके मैने कहा… आज रात को ही आप अपनी-अपनी जगह पर चले जाईये। नईम और शमशेर करांची
पहुँच कर तुम अकबर कुरैशी को जहन्नुम भेजने की तैयारी करो। उसके लिये सिन्ध रेसिस्टेन्स
फ्रंट की मदद लेना। बस ख्याल रहे कि यह एक हिट जाब लगनी चाहिये जिसमे आपको भाग नहीं
लेना है। बिल्कुल बंबईया स्टाईल मे यह किलिंग होनी चाहिए जिसमे पुलिस को हत्यारों का
कोई सुराग नहीं मिलता। दोनो एक स्वर मे बोले… जी जनाब।
…सईद और सुहेल तुम्हें
गिल्गिट और बाल्टीस्तान मे कश्मीरी तंजीमों के मुख्य लोगों की हत्या करनी है। तुम्हारी
कार्यशैली भी वही हिट जाब की होगी। सबसे पहले दो टार्गेट दे रहा हूँ। जमात का शार्प
शूटर इकबाल अंसारी और जिहाद-उल-मुसलमीन का एरिया कमांडर तारिक पठान। यह दोनो अपनी-अपनी
तंजीमों मे आईएसआई के मुख्य संपर्क पोइन्ट है। इकबाल अंसारी तो तुम्हें गिल्गिट मे
मिल जाएगा लेकिन तारिक पठान के लिये तुम्हें खुदाई शमशीर की स्कार्दू युनिट की मदद
लेनी पड़ेगी। एक साथ दोनो बोले… जी जनाब। मैने राशिद और परवेज की ओर रुख करते हुए कहा…
पेशावर मे शौकत अजीज नाम का आईएसआई का आप्रेटिव है जो चीनी कंपनियों और फौज के बीच
मध्यस्था करता है। अल्ताफ और शाहिद की मदद से उसे जहन्नुम भेजने की तैयारी करो। बस
अपनी सुरक्षा मे कोई कोताही बरतने की कोशिश न करना। इतना बोल कर मै चुप हो गया था।
मेरे सभी साथी अपने-अपने मिशन को पूरा करने के लिये लौटने की तैयारी मे जुट गये थे।
…समीर, यह नाम तुम्हें कहाँ से मिले? नीलोफर की ओर देख कर मैने धीरे से कहा… वालकाट
के साथ काम करने का यह फायदा है। कुछ ही देर
में मेरे साथी दो-दो के समूह मे अपने-अपने गन्तव्य स्थानों की ओर कूच कर गये थे। मै
सोफे पर लेट कर पाकिस्तानी न्यूज चैनल देख रहा था। एक खबर ने मेरा ध्यान आकर्षित किया
था। जम्मू और कश्मीर के पुलवामा में हुए सीआरपीएफ के काफिले
पर आतंकी हमला की खबर थी।
मै उस हमले के बारे
मे सोच ही रहा था कि मेरे निजी फोन की घंटी बजने लगी। मैने झपट कर काल लेते हुए बोला…
हैलो। वालकाट ने कहा… सैम, मै वापिस काबुल जा रहा हूँ। अब तुम उनसे सोच समझ कर अपने
हिसाब से डील करना। …यस सर। …एक बात का ख्याल रखना कि अबसे अपने आफिशियल फोन को सोच
समझ कर इस्तेमाल करना क्योंकि अब तक आईएसआई ने उस नम्बर को रिकार्डिंग पर लगा दिया
होगा। …यस सर। वालकाट ने इतना बोल कर लाईन काट दी थी। नीलोफर से मिलने के लिये जैसे
ही मै उठ कर खड़ा हुआ कि तभी वह कमरे मे प्रवेश करके मेरी तरफ बढ़ते हुए बोली… समीर,
अकेले कैसे बैठे हो, वह सब लोग कहाँ गये? …सब अपनी ड्युटी पर निकल गये है। अब से तुम
अपने आपको हमारे कामों से दूर रखना। …जिरगा से भी? …हाँ। यह अस्थिर करने वाले सारे
काम छोड़ कर अब तुम स्थायी रुप से कारोबारी बन जाओ। अब पैसों के वितरण पर ध्यान लगाओ।
वह कुछ नहीं बोली लेकिन उसका जिस्म उसकी जरुरत ब्यान कर रहा था। उसके पुष्ट नितंब पर
एक चपत लगा कर अलग होते हुए मैने कहा… आज यहाँ पर तुम्हारे साथ मै आखिरी रात गुजार
रहा हूँ। उसने मेरी ओर घूर कर देखा तो मैने जल्दी से कहा… मैने यहाँ के लिये कहा है।
हम दोनो डाईनिंग टेबल पर बैठ कर आगे की रणनीति पर चर्चा करने बैठ गये थे।
…नीलोफर, तुमने तंजीमो
के पास पैसे पहुँचाने की कौनसी रणनीति बनायी है? …समीर, मैने तायाजी को अनवर रियाज
का फोल्डर सौंप दिया है। वह उससे ब्याज और रकम वसूल कर अपनी कमीशन काट कर खुदाई शमशीर
को दे देंगें। …और आसिफ मुनीर? …उसका अकाउन्ट मैने तेहरीक के कमर अब्बासी को दे दिया
है। …तुम बैतुल्लाह के साथ संपर्क साधने मे सफल हो गयी? …हाँ। मुनव्वर चचाजान की मदद
से पिछले महीने जब तुम काबुल मे थे तब मै तेहरीक के मुखिया से मिलने मे सफल हो गयी
थी। मैने खुदाई शमशीर के बारे मे बता कर तुम्हारी ओर से उनके सामने जिरगा मे आने का
प्रस्ताव रख दिया था। वह तुमसे मिलने के लिये तैयार हो गया है और उसने अपने बड़े बेटे
कमर अब्बासी को इस काम का जिम्मा दिया है। उससे कब मिलना है? …अब मेरे पास बैतुल्लाह
से मिलने का समय नहीं है। अब उससे मेरी मुलाकात जिरगा मे ही हो सकेगी। …बलोच रेसिस्टेन्स
और पश्तून तहफुज के लिये पैसो का क्या सोचा है? …उनके लिये नूरानी का इस्तेमाल करुँगा।
…समीर, तुमने सबके लिये सोच लिया लेकिन अंजली के लिये क्या कर रहे हो? हम उसके लिये
यहाँ आये थे और हम इस काम मे उलझ कर रह गये है। बात करते हुए खाना समाप्त करके बिस्तर
पर पड़ते ही एक दूसरे की जरुरत हावी हो गयी थी। तूफान गुजरने के पश्चात नीलोफर बोली…
कल तुम कहाँ जा रहे हो? …पेशावर। …आज बहुत दिनो के बाद रुख्सार का फोन आया था। वह
तुम्हारे बारे मे पूछ रही थी। मैने कोई जवाब नहीं दिया तो वह मुझे अपनी बाँहों मे जकड़
कर आँख मूंद कर लेट गयी थी।
उस रात काफी देर तक
मै जागता रहा था। रुख्सार का नाम सुनते ही मुझे उस हवेली मे किया गया
अपना कुकृत्य याद आ गया था। नीलोफर एक हफ्ते के लिये करांची गयी हुई थी। एक दिन रुख्सार ने फोन करके मुझे
अपने अब्बा मुन्नवर लखवी का हवाला देकर कहा कि उन्होंने मुझे हवेली पर बुलाया है। कारोबार
संबन्धित बात सोच कर मुन्नवर लखवी से मिलने के लिये मै हवेली चला गया परन्तु वहाँ पहुँच
कर पता चला कि मुन्नवर चचा तो दो दिन पहले ही शहर से बाहर गये है। जब आ ही गया था तो
मैने मेहमूद भाईजान को फोन करके कुछ गाड़ियों के सिलसिले मे मिलने के लिये वहीं हवेली
पर बुलवा लिया था। वहाँ जो कुछ मेरे साथ हुआ तब मुझे समझ मे आया कि रुख्सार ने अपनी बहनो और भाईयों
के साथ मिल कर मुझे बदनाम करने की साजिश रची थी। वह नीलोफर के कमरे मे मुझसे अकेली
मिलने आयी और कुछ देर इधर-उधर की बात करके अचानक उसने अपने कपड़े फाड़ कर शोर मचा दिया।
उसके भाई व बहनें तुरन्त कमरे मे दाखिल हो गये और मुझ पर जबरदस्ती जिना करने की कोशिश
का आरोप लगाने लगे। मेरी किस्मत अच्छी थी कि उसी वक्त मेहमूद भाईजान भी आ गये थे। वह
उनकी बदमाशी को भाँप गये और उन सबको धमका कर कमरे से बाहर निकालते हुए बोले… अगर इसका
ऐसा कुछ करने की नीयत होती तो क्या इसने मुझे यहाँ बुलाया होता। मै तुम सबकी बदमाशी
जानता हूँ। मुन्नवर चचा को आने दो, मै तुम्हारी सारी करतूत बता कर तुम सबकी खाल उधेड़वा
दूँगा। इतना बोल कर वह मुझे अपने साथ लेकर हवेली से बाहर चले गये थे। उस दिन तो महमूद
के कारण बच गया था परन्तु रुख्सार की शह पर उन लोगों के उलाहने बढ़ते चले गये थे।
नीलोफर के लौटने के
बाद जब हम दोनो हवेली मे वापिस आ गये तब रुख्सार जानबूझ कर सबके सामने मुझे बेइज्जत
करने की कोशिश करती और कभी अपनी आँखें नचा कर जुबान दिखा कर मुझे चिड़ा कर भाग जाती
थी। एक दिन तो उसने हद कर दी जब उसने सबके सामने कहा कि नीलोफर सारा दिन होटल मे गैर
मर्दो से मिलती है क्योंकि उसका खाविन्द नामर्द है। एक दिन नीलोफर को मेरी शिकायत करते
हुए कहा कि मैने छ्त पर अकेला देख कर उसके साथ बलात्कार करने की कोशिश करी थी। मैने
अब तक किसी तरह अपने गुस्से को काबू मे किया हुआ था परन्तु जब उसकी हरकतें बढ़ने लगी
तो एक दिन उसे अकेला पाकर मैने पकड़ लिया। नीलोफर कारोबार के सिलसिले मे होटल गयी हुई
थी। मै अपने कमरे बैठ कर मुजफराबाद लौटने की तैयारी कर रहा था। रुख्सार इठलाती हुई
कमरे के दरवाजे को खोल कर अन्दर झाँक कर बोली… मेरे नामर्द दूल्हे भाई तुमसे कुछ नहीं
होगा। इस वक्त नीलोफर होटल मे किसी के साथ रंगरलियाँ मना रही है और तुम यहाँ बिना कारतूस
की पिस्तौल लिये उसका इंतजार कर रहे हो। उसका उलहाना सुन कर मेरे तन बदन मे आग लग गयी।
इस लड़की ने मेरी चुप्पी को मेरी कमजोरी मान लिया था। अब इसको सबक सिखाना पड़ेगा।
उसे अनसुना करके मै
उठ कर कमरे से बाहर निकल कर हालात का जायजा लिया और फिर जैसे ही वह जाने को मुड़ी तो
मैने झपट कर उसका मुख पर हाथ रख कर अपने कमरे मे घसीट लाया। उसने छूटने के लिये बहुत
हाथ-पाँव चलाये परन्तु मेरे आगे उसका बस नहीं चला। मैने उसके जिस्म के साथ खिलवाड़ करना
शुरु कर दिया। बड़ी बेदर्दी से उसके सीने के उभारों को मसलते हुए मैने कहा… मै तो तेरी
नजर मे नामर्द हूँ तो आज तेरा यह भ्रम तोड़ देता हूँ। मेरी गिरफ्त मे वह रोती रही, गिड़गिड़ाती
रही परन्तु मुझ पर तो उस वक्त जैसे शैतान हावी हो गया था। मैने जबरदस्ती उसकी शलवार
को खोल कर उसे नीचे से नग्न किया और बेड पर रखी हुई रजाईयों पर सिर के बल झुका कर उसके
कोमल अंगो को बेदर्दी से मसलना शुरु कर दिया और एक हाथ से अपने मुर्झाये भुजंग को उसके
कमसिन योनिमुख पर रगड़ना आरंभ कर दिया। उसने मचल कर छूटने की बहुत कोशिश की परन्तु मेरे
आगे उसकी एक नहीं चली। कुँआरे कमसिन जिस्म की सुगन्ध पाकर कुछ ही देर मे भुजंग अपने
असली विकराल स्वरुप मे आ गया था। उत्तेजना मे झूमते हुए भुजंग को गरदन से पकड़ कर मैने
उसकी सील बन्द योनिद्वार पर टिका कर बड़ी निर्दयता से एक ही झटके मे जड़ तक धँसा दिया।
वह दर्द से बिलबिला कर छूटने के लिये छटपटाई परन्तु तब तक भुजंग तो लक्ष्य भेद चुका
था। पहले दो-तीन करारे वार के पश्चात वह निर्जीव गुड़िया की भांति मेरे भार के नीचे
दबी हुई हर वार को चुपचाप झेलती रही। एक वक्त आया जब उसके मुख पर से अपना हाथ हटा कर
मैने दोनो हाथों से उसकी कमर पकड़ कर पूरी शक्ति से वार करना शुरु किया। कुछ ही देर
मे अपनी सारी दबी हुई कुंठा को उसकी योनि मे उँडेल कर जब मैने उसे छोड़ा तो वह भरभरा
कर लुटी पिटी सी जमीन पर बैठ गयी थी। अपने पजामे को कमर पर बाँधते हुए मैने कहा… अब
तक तुझे मर्द और नामर्द का फर्क समझ मे आ गया होगा। उसने उठने की कोशिश करी परन्तु
वह लड़खड़ा कर बैठ गयी जैसे की उसका जिस्म शक्तिविहीन हो गया था। अचानक जमीन पर बैठने
के कारण उसका कुर्ता हट गया और उसकी खून से सनी जाँघें मेरे सामने आ गयी। उस दृश्य
ने मेरे विवेक को झकझोर कर रख दिया था। मुझे उसी क्षण एहसास हो गया कि मुझसे ऐसी गलती
हो गयी है जिसका कोई प्रायश्चित नहीं हो सकता।
मै चौंक कर उठ कर
बैठ गया। नीलोफर गहरी नींद मे मेरे बगल सो रही थी। भले ही उस कुकृत्य के लिये बाद मे
रुख्सार ने मुझे माफ कर दिया परन्तु उस दोपहर को आवेश मे किये गये कुकृत्य के बोझ से
मै आज तक भी मुक्त नहीं हो सका था। मै उठ कर पानी पीने चला गया। सुबह की पहली किरण
फूट चुकी थी। तैयार होकर दूतावास जाने से पहले मैने जनरल रंधावा को डेलीगेशन की मीटिंग
के बार मे सारी ब्रीफींग देने के पश्चात पूछा… पुलवामा के लिये जवाबी कार्यवाही के
लिये क्या सोचा है? …निर्देश मिला है कि हमारी ओर से सही समय आने पर सटीक जावाब दिया
जाएगा। कुछ देर अजीत सर और वीके की बात करने के पश्चात मै अमरीकन दूतावास की ओर निकल
गया था।
दूतावास पहुँच कर
मैने वालकाट का काम संभाल लिया था। मेज पर रखे हुए कल चौबीस घन्टे की इन्टेल रिपोर्ट्स
के पुलिन्दे को खोल कर पढ़ने बैठ गया था। सीआईए के डेटाबेस और इन्टेल रिपोर्ट्स की क्रास
रेफ्रेसिंग से मुझे हर प्रान्त मे आईएसआई के कुछ खास आप्रेटिव्स व मुखबिरों की पहचान
करना आसान हो गया था। मेरा पुराना स्पेशल फोर्सेज का अनुभव अब काम आ रहा था। असगर इलाही
पेशावर मे आईएसआई का मुख्य आप्रेटिव था। चरमपंथी तंजीमो मे इकबाल अंसारी और दिलावर
पठान जैसे लोग आईएसआई के लिये मुखबिरी का काम करते थे। दस बजे के करीब मेरे फोन की
घंटी बजते ही स्क्रीन पर हमीद गुल का नाम देखते ही मै तुरन्त सावधान हो गया था। …हैलो।
…मिस्टर भट्ट, मै कर्नल हमीद गुल। यह तय हुआ है कि आपको कर्नल की आनरेरी रैंक देकर
कैप्टेन जाहिद और लेफ्टीनेन्ट मोहसिन को आपके साथ भेज रहे है। इस कारण आपको कोई फील्ड
मे नियुक्त आफीसर आउटरैंक नहीं कर सकेगा। इस नियुक्ति के पेपर्स तैयार हो रहे है। अब
आप कब पेशावर के लिये निकल सकते है? मेरा दिमाग तेजी से चल रहा था। आईएसआई की धूर्तता
से मै वाकिफ था लेकिन इस नयी चाल ने मुझे मुश्किल मे डाल दिया था। …हैलो, मिस्टर भट्ट।
मैने जल्दी से कहा… कर्नल हमीद, मुझे अकेला पेशावर जाने के निर्देश मिले है। यह प्रस्ताव
आपको मिस्टर वालकाट के सामने रखना चाहिये था। जब तक मिस्टर वालकाट के निर्देश नहीं
मिलते तब तक मै कुछ भी कहने मे अस्मर्थ हूँ।
…क्या आप अकेले उस लड़की को पेशावर मे खोजने की सोच रहे है? …जी नहीं। मुझे निर्देश
मिले है कि उस लड़की को आप हमारे हवाले करेंगें। जैसे ही आप उस लड़की को मेरे सुपुर्द
करेंगें तो उसकी शिनाख्त करके मै उसको वापिस भिजवाने का इंतजाम करने के लिये पेशावर
जा रहा हूँ। कर्नल हमीद कुछ पल चुप रहा और फिर धीरे से बोला… क्या आपने अपने पेशावर
मे ठहरने का इंतजाम कर लिया है? …नहीं, लेकिन मेरा आफिस इसका इंतजाम कर रहा है। …ठीक
है मिस्टर भट्ट। मेरे दोनो आफीसर्स आपको पेशावर मे मिल जाएँगें। बस इतना बोल कर उसने
फोन काट दिया था।
मैने फोन काट कर अपने
निजी फोन से वालकाट का नम्बर मिलाया… एंथनी। …बोलो सैम। …नयी चाल चली है। इतना बोल
कर मैने उस नियुक्ति की चर्चा करने के बाद पूछा… हमारी पेशावर स्थित टीम की क्या रिपोर्ट
है? …वह लड़की अभी भी उसी शेड मे है। कुछ देर के बाद उस टीम की सारी डिटेल्स अपने इन्बाक्स
मे देख लेना। गुड हंटिंग माई बोय। इतना बोल कर उसने फोन काट दिया था। कुछ सोच कर नूरानी
का नम्बर अपने निजी स्मार्टफोन से मिलाया और उसकी आवाज कान मे पड़ते ही मैने कहा… सलाम
ब्रिगेडियर साहब। …सलाम, बट्ट साहब आप कब लौटे? …कल रात को ही आया हूँ। कुछ नगदी का
इंतजाम करना है। मैने आपसे पूछने के लिये फोन लगाया है यह जानने के लिये कि क्या आप
पुरानी शर्तों पर तीन करोड़ की डील करने मे इच्छुक है? कुछ पलों के लिये नूरानी चुप
हो गया था। …क्या हुआ ब्रिगेडियर साहब? वह हड़बड़ा कर बोला… बड़ी रकम है तो मुझे कुछ समय
दिजिये। …कोई बात नहीं। अगर तीन बजे तक कोई जवाब नहीं मिला तो फिर किसी और से डील कर
लूँगा। इतना बोल कर मैने फोन काट दिया था। अबकी बार मैने साँप की बाम्बी मे लकड़ी डाल
कर उथल-पथल मचाने का कार्य किया था। मुझे अब इस प्रस्ताव पर उसकी प्रतिक्रिया देखनी
थी।
तीन बजे नूरानी ने
फोन करके सूचना दी कि वह उस डील के लिये तैयार है। मैने अपना बैग उठाया और चलते हुए
नीलोफर से अपने नये फोन पर कहा… नूरानी से तीन करोड़ का सौदा हुआ है। उससे पता कर लेना
कि चार करोड़ की नकदी कब देगा। उसके बाद ही पैसे ट्रांस्फर करना। नकदी लेने के लिये
अल्ताफ पर जिम्मेदारी डाल देना। …तुम अभी भी यहीं हो? …पेशावर के लिये निकल रहा हूँ।
…अपना ख्याल रखना। अल्लाह हाफिज। उसने इतनी बात करके फोन काट दिया था।
जीएचक्यू, रावलपिंडी
जनरल फैज के आफिस
मे कर्नल हमीद अपनी रिपोर्ट दे रहा था। कैप्टेन जाहिद और लेफ्टीनेन्ट मोहसिन सावधान
की मुद्रा मे एक किनारे मे खड़े हुए थे। …आप लोगो को ख्याल रहे कि उस आदमी को शीशे मे
उतारना है। पेशावर मे उसके लिये ऐयाशी के सभी संसाधनो का इंतजाम कर देना। पैसा और लड़की
इन काफिरों की कमजोरी है। एक बार यह आदमी हमारे जाल मे फँस गया तो फिर एंथनी वालकाट
को संभालना आसान हो जाएगा। इसके लिये कमाल ने पेशावर मे सारा इंतजाम कर दिया है। …जनाब,
एंथनी वालकाट ने जोईन्ट सर्च के लिये साफ मना कर दिया है। उसका फील्ड आफीसर पेशावर
अकेला पहुँच रहा है तो यह दोनो उससे वहाँ पर संपर्क कर सकते है। …तुमने इन्हें समझा
दिया है? …जी जनाब। एक हफ्ते उसे वहाँ रोकने के लिये यह दोनो उसे दो चार रिफ्युजी कैम्प
मे घुमा कर उस लड़की की बरामदगी के लिये हमारे सेफ हाउस मे ले जाएँगें। …वह लड़की जिन्दा
नहीं मिलनी चाहिये। …जनाब, जब तक सैम भट्ट रिफ्युजी कैम्पों मे घूम रहा होगा तब तक
यह दोनो उस लड़की की मौत का इंतजाम कर देंगें। आप बेफिक्र रहिये। जनरल फैज ने दोनो पर
एक नजर डालने के पश्चात कर्नल हमीद से कहा… ख्याल रहे कि जिन्दा लड़की फील्ड आफीसर के
सुपुर्द होगी परन्तु सेफ हाउस से बाहर उस लड़की की लाश आएगी। …जी जनाब।
कमरे से बाहर निकलने
से पहले तीनो ने मुस्तैदी से सैल्युट किया और फिर कमरे से बाहर निकल गये। उनके निकलते
ही जनरल फैज के मोबाईल फोन की घंटी बजी तो काल लेते हुए बोला… बोलो नूरानी। …जनाब,
पुरानी शर्तों पर तीन करोड़ की डील फाईनल हो गयी है। …गुड, बस ख्याल रखना कि इस तीन
करोड़ से पिछला नुकसान पूरा नहीं होगा परन्तु उसका पैसा इस वक्त हमारे लिये बहुत काम
का है। …जी जनाब। परन्तु गोदाम मे रखे हुए हिन्दुस्तानी नोट तो उसे नहीं दे सकते तो
क्या उसे पाकिस्तानी करेन्सी के नोट देंगें? …नूरानी तुम बच्चे नहीं हो जो तुम्हें
इसके बार मे मुझे समझाने की जरुरत पड़ेगी। हमे उसके पैसे चाहिये लेकिन उस पैसे को लौटाने
की हमारी मंशा हर्गिज नहीं है। अब तुम्हें सोचना है कि इस काम को कैसे अंजाम दोगे।
मेरा हिस्सा गोदाम मे पहुँचा देना। इतनी बात करके जनरल फैज ने फोन काट दिया। ब्रिगेडियर
नुरानी कुछ क्षण शून्य मे घूरता रहा और फिर अपने आफिस से बाहर निकल गया।
अक्सर जो प्लान गया हो यह जरूरी नहीं की घटना उसी तरह से घटे, और यह समीर के साथ होता महसूस हो रहा है जहां फिर से isi के दवाब के चलते अमेरिकी सरकार की कर्मचारी बन कर उसको फील्ड में आमना को ढूंढ ने जाना है जहां शायद कुछ बुरी खबर उसके लिए इंतज़ार कर रही है या नहीं अब सब कुछ उनके टाइमिंग और प्लैनिंग को एक्सक्यूट करने के ऊपर निर्भर करता है मगर हैरानी की बात यह है की मेजर हाय नाम के छलावा अभी भी समीर के साथ उसके साया के तरह भाग रही है, जहां कभी उसको इस नाम के पीछे अपनों के होने का सबूत मिलता है वहीं कोई दूसरी सखस हया नाम से उसके आँखों के सामने आकर खड़ी हो जाती है। बहुत ही जबरदस्त अंक। धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंअक्सर जो प्लान गया हो यह जरूरी नहीं की घटना उसी तरह से घटे, और यह समीर के साथ होता महसूस हो रहा है जहां फिर से isi के दवाब के चलते अमेरिकी सरकार की कर्मचारी बन कर उसको फील्ड में आमना को ढूंढ ने जाना है जहां शायद कुछ बुरी खबर उसके लिए इंतज़ार कर रही है या नहीं अब सब कुछ उनके टाइमिंग और प्लैनिंग को एक्सक्यूट करने के ऊपर निर्भर करता है मगर हैरानी की बात यह है की मेजर हया नाम के छलावा अभी भी समीर के साथ उसके साया के तरह भाग रही है, जहां कभी उसको इस नाम के पीछे अपनों के होने का सबूत मिलता है वहीं कोई दूसरी शकस हया नाम से उसके आँखों के सामने आकर खड़ी हो जाती है। बहुत ही जबरदस्त अंक। धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंअल्फा भाई शुक्रिया। हया तो शुरु से ही एक पहेली बनी हुई है। पहले तबस्सुम, फिर अंजली और एक बार फिर से आईएसआई की मेजर हया। एक चेहरा परन्तु अलग नाम लेकिन इस बार एक नाम परन्तु चेहरा अलग है। इस नये किरदार की क्या भुमिका होगी अभी देखना बाकी है।
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