रविवार, 17 नवंबर 2024

 

 

शह और मात-25

 

शाम को आँख खुली तो एक कड़क सी चाय पीकर मै तैयार होने के लिये चल दिया। आठ बजे तक कंधे पर अपना बैग लटका कर मै चलने के लिये तैयार हो गया था। होटल के बाहर निकल कर जैसे ही सड़क पर पहुँचा तो एक पुरानी सी लैंडरोवर मेरे नजदीक आकर रुकी… आईये सर। राशिद ने खिड़की से सिर निकाल कर पीछे का दरवाजा खोल दिया था। मै जल्दी से उनकी गाड़ी मे सवार हुआ और मेरे बैठते ही लैंडरोवर आगे बढ़ गयी थी। …परवेज, जरा पीछे नजर रखना कि कोई हमारा पीछा न कर रहा हो। जब पूरी तरह विश्वास हो जाये तभी उस मीटिंग पोइन्ट की दिशा मे जाना। …जी सर। …राशिद, तुम्हारे टार्गेट शौकत और असगर का क्या हाल है। …सर, शौकत तो लाहौर मे बैठा हुआ है। अब हम असगर को ट्रेक कर रहे है। जल्दी ही आपको इसकी सूचना अखबारों मे देखने को मिल जाएगी। तभी परवेज ने कहा… सर, अभी तक तो ऐसा नहीं लगा कि कोई हमारा पीछा कर रहा है। …तो मीटिंग पोइन्ट की ओर चलो। कुछ ही देर मे हम पेशावर शहर से बाहर निकल कर मुख्य सड़क छोड़ कर कच्चे रास्ते से गुजर कर खेत-खलियानों के बीच एक पुरानी मस्जिद के सामने खड़े हुए थे। …आईये सर। इतना बोल कर परवेज और राशिद आगे चल दिये। मस्जिद के अन्दर प्रवेश करते ही मेरी नजर जमीन पर बैठे हुए कुछ लोगों पर पड़ी जो अपनी चर्चा मे मशगूल थे।

मुझे देखते ही अल्ताफ मेहसूद उठ कर मेरे पास आकर बोला… समीर भाई, आईये आपको अपने कुछ साथियों से मिलवाता हूँ। मैन परवेज को सावधान रहने इशारा किया और राशिद को लेकर उसके साथ चल दिया। दीवार के किनारे गद्दे और मसनद का इंतजाम किया हुआ था। आठ लोग पहले से ही वहाँ पर बैठे हुए थे। मुझे उनसे मिलाते हुए अल्ताफ ने कहा… यह समीर भाई है। यह हमारी मुहिम के फाईनेन्सर है। इन्हीं की बदौलत हम खैबर पख्तून्ख्वा मे छोटे और बड़े कबीलों को जिरगा के लिये राजी कर सके है। …यह मुल्ला मोइन के प्रतिनिधि मौलाना जफरुल्लाह है। उनके साथ जो बैठे है वह बाल्टीस्तान के हाजी अता तुर रहमान है। सामने की ओर इशारा करते हुए वह बोला… यह हमारे अजीज मंजूर इलाही बलोच है। मैने जैसे ही उसकी ओर नजर घुमाई तो चौंक गया था। वह वृद्ध मुझे भी घूर कर देख रहा था। मैने जल्दी से कहा… बड़े मियाँ हम आज सुबह ही होटल मे मिल चुके है। यह सुनते ही वह झेंप कर बोला… मै यही सोच रहा था कि मैने तुम्हें कहीं देखा है। इसी तरह अल्ताफ ने मुझे कुछ मेहसूद और वजीरी कबीले के मुख्य लोगों से मिलवा कर कहा… तीन हफ्ते के बाद जिरगा होना है। उस जिरगा की तैयारी चचा मंजूर इलाही बलोच कर रहे है। आज इस मजलिस को जिरगा की तैयारी की समीक्षा के लिये बुलाया गया है। यह तो अच्छा हुआ कि समीर भाई भी आज यहीं पर थे। अल्ताफ को सुनते हुए मेरी नजर अभी भी उस बलोच पर टिकी हुई थी।

अल्ताफ ने कहा… भाई, पैसों का इंतजाम अभी तक नहीं हुआ है। मैने सिर हिलाते हुए कहा… तुम्हारे को जिरगा के लिये कितने पैसों की जरुरत है? अल्ताफ ने उस बलोच की ओर देखा तो वह धीमी आवाज मे बोला… जिरगा के लिये पैसों का इंतजाम हम खुद कर लेंगें परन्तु सभी की एक मुद्दे पर सहमति बनाने के लिये कितनी रकम तय हुई है। अल्ताफ तुरन्त बोला… चचाजान, समीर ने कोई रकम तय नहीं की है। उसने यह हम पर छोड़ा है। आज की मजलिस यह तय करने के लिये रखी गयी है। एकाएक सभी इस मसले पर बात करने मे उलझ गये थे। मै उन सबकी बात बड़े ध्यान से सुन रहा था। जब कुछ देर तक वह किसी नतीजे पर नहीं पहुँचे तब मैने उनको रोकते हुए कहा… हर व्यक्ति अपने खित्ते के बारे मे भली भाँति परिचित है। मै चार करोड़ रुपये का तुरन्त इंतजाम कर सकता हूँ। अब आप यह सोच लिजिये कि जिरगा मे भाग लेने वाली सभी तंजीमो को कितनी रकम देकर साधा जा सकता है। इसके लिये आप सभी को मेरे तीन मुद्दों पर सहमति बनानी पड़ेगी। पहली पाकिस्तान मे शरिया कानून की वकालत, दूसरी चीन के खिलाफ मोर्चा खोलना और तीसरा डूरंड लाईन को अवैध घोषित करवाना इस जिरगा की प्राथमिकता है। जफरुल्लाह ने तुरन्त हामी भरते हुए कहा… हक्कानी गुट को छोड़ कर बाकी सभी तालिबान के गुटों की इन तीन मुद्दों पर सहमति है। बाकी लोग ने भी हामी भरते हुए जफरुल्लाह की बात का अनुमोदन किया।  मंजूर इलाही आखिरी मे बोला… तंजीमो को पैसों के साथ हथियार भी चाहिये। वह कौन देगा? मैने जल्दी से कहा… इसके लिये भी मैने बात की है। अगर जिरगा इस मुद्दे पर सहमति बना लेता है कि अमरीका को अफगानिस्तान से निकलने के लिये सुरक्षित रास्ता दिया जा सकता है तो वह आपकी आधुनिक हथियारों से मदद कर सकती है। मेरी बात सुन कर एकाएक उनमे खलबली मच गयी थी।

एक घंटे की गहन चर्चा के बाद मंजूर इलाही बलोच ने कहा… अब यह तय हुआ है कि समीर इस हफ्ते हमे चार करोड़ रुपये की पहली किस्त देगा। हम इन चार मुद्दों पर जिरगा की सहमति बनवायेंगें। जिरगा मे सहमति बनने के पश्चात समीर अमरीकन फौज के द्वारा हमारी तंजीमो को आधुनिक हथियारों की मदद मुहैया करायेगा। इसमे किसी को कुछ और जोड़ना है तो वह अपने विचार रख सकता है। मैने आईपेड खोल कर सबके सामने खींचे हुए चित्र दिखाते हुए कहा… पाकिस्तानी फौज का भयानक चेहरा देख लिजिये। यह तीन दिन पहले की तस्वीरे है। हजार से ज्यादा विस्थापित पश्तून जवान बच्चे और बच्चियाँ रिफ्युजी कैंम्प से गायब होकर सरकारी एस्टेब्लिशमेन्ट के द्वारा न जाने कहाँ भेजे गये है। अपना अनुभव सुना कर मैने कहा… यह जानकारी छोटे और बड़े कबीलों के मुखियाओं को बता कर आप उन्हें जिरगा के सभी मुद्दों के लिये तैयार कर सकेंगें। किसी ने कुछ नहीं कहा तो उस वृद्ध बलोच ने मेरी ओर देखते हुए कहा… अब तुम वह रकम कब दे रहे हो? मैने अल्ताफ से कहा… दो दिन के बाद मुझे इस्लामाबाद मे मिलो। चार करोड़ का इंतजाम हो जाएगा। अब तुम बताओ शौकत अजीज के बारे मे क्या सोचा है? …फिलहाल हमारे निशाने पर असगर है। पता चला है कि असगर का रात को एक स्त्री के यहाँ आना जाना लगा रहता है। अब किसी भी रात को उस पर खुदाई शमशीर का कहर टूटेगा। …अल्ताफ ऐसा मत करना। एक अपनी तंजीम बनाओ या तेहरीक के नाम से इस आप्रेशन को अंजाम देना। यह बोलते हुए मै उठ कर खड़ा हुआ और चलते हुए पूछा… अब इस्लामाबाद मे मुलाकात होगी। बड़े मियाँ अगर आप भी होटल जा रहे है तो हमारे साथ चलिये। वह जल्दी से बोला…पाँच मिनट रुक सकते हो। मै इनसे बात करके आता हूँ। सभी को खुदा हाफिज करके मै अपने साथियों के साथ मस्जिद के बाहर निकल कर लैंडरोवर की दिशा की ओर चल दिया।

कुछ देर के बाद वह वृद्ध बाहर निकला और लैंडरोवर मे मेरे साथ पीछे बैठ गया। …समीर मियाँ तुम्हारा क्या काम है? …बड़े मियाँ फाईनेन्सिंग का काम है। हर छोटे बड़े कारोबारी घराने को ब्याज पर पैसे उधार देता हूँ। अल्ताफ जैसी तंजीमों को कमीशन पर ब्याज और पैसों की उगाही के लिये लगा देता हूँ। मंजूर इलाही धीरे से बोला… सुबह के लिये माफी चाहता हूँ। आएशा मेरी पोती है। तुम्हें उसको घूरते हुए देख कर मुझे गुस्सा आ गया था। मैने जल्दी से मुस्कुरा कर कहा… ऐसी कोई बात नहीं है बड़े मियाँ। आपकी पोती को देख कर मै चौंक गया क्योंकि उसकी शक्ल मेरे किसी अजीज से हुबहू मिलती है। …मियाँ, बलूचिस्तान मे जवान लड़की घर की चारदीवारी मे भी सुरक्षित नहीं है। उम्र के लम्बे दौर मे इन बूढ़ी आँखों ने फौज के द्वारा बहुत कुछ बुरा होते हुए देखा है। पहली नजर मे तुम मुझे फौजी लगे थे इसलिये मेरी बात का बुरा नहीं मानना। होटल के बाहर लैंडरोवर से उतर कर मैने राशिद से कहा… असगर की रिपोर्ट मुझे कल दोपहर तक भेज देना। …आप वापिस कब जा रहे है? …मै आज रात को इस्लामाबाद निकलने की सोच रहा हूँ। मंजूर बलोच बोला… तो अब हमारी मुलाकात जिरगा मे होगी। बात करते हुए हम दोनो होटल मे प्रवेश कर गये थे। मंजूर इलाही आठवीं मंजिल पर उतर गया था। मै दसवीं मंजिल पर उतर कर अपने कमरे मे जा रहा था कि तभी जनरल रंधावा ने मेरे स्मार्टफोन पर काल किया तो मैने जल्दी से काल लेकर कहा… अभी काल बैक करता हूँ। इतना बोल कर मैने फोन काट दिया था।

मैने जल्दी से अपने कमरे मे पहुँच कर सेटफोन से कमांड सेन्टर का नम्बर मिलाया। …पुत्तर कहाँ था? …सर, जिरगा की मीटिंग से अभी लौटा हूँ। सब कुछ तय हो गया है। लगता है कि हमारे वही चार मुद्दों पर अब सहमति बन जाएगी। इससे अमरीकन उद्देश्य भी पूरे होने की उम्मीद है। …पुत्तर, आईएसआई के बारे मे क्या सोचा है? …सर, उनको वालकाट संभालेगा। …यह काम अकेले वालकाट के बस का नहीं है। …सर, उन लड़कियों से केरल रुट के बारे कोई नयी जानकारी मिली? …कोच्चि मे तेहरीक-ए-हिन्दुस्तान नाम की संस्था पैदा हो गयी है। वह उन्नीकृष्नन लड़की काफी काम की साबित हो रही है। उसी ने हमे इसकी सूचना दी थी। …सर, यहाँ के हालात देख कर मुझे तो नहीं लगता कि बैतुल्लाह केरल मे पांव पसारने की सोचेगा। …उस लड़की ने हमे कुछ नाम दिये है। आईबी इसकी जाँच कर रही है। मै अजीत से लाईन जोड़ रहा हूँ। वीके भी जुड़ गया है। तभी वीके की आवाज मेरे कान मे पड़ी… मेजर, क्या अमरीका को सुरक्षित रास्ता देने के लिये तंजीमे तैयार हो गयी है? …सर, यह तीन हफ्ते के बाद जिरगा मे पता चलेगा लेकिन आजाद कश्मीर, खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान की तंजीमे इस मुद्दे पर एक राय रखने के लिये राजी हो गयी है। तभी अजीत सर बोले… समीर, तुम्हारे अज्ञातवीरों का कारनामा देख कर मै बहुत खुश हूँ। इस काम को ऐसे ही जारी रखना। …यस सर लेकिन आईएसआई की कैश पाइपलाइन को ध्वस्त करने के लिये पहले ब्लैक ट्रायड गैंग को मिटाना अनिवार्य है। इसके लिये मुझे बाकू मे सरकारी मदद चाहिये। आपने इसके लिये किसी से बात की है? …कल तक इसके बारे मे बताता हूँ। इतनी बात करके उन्होंने फोन काट दिया था।

कुछ सोच कर मैने अपना सामान जल्दी से बैग मे भरा और रिसेप्शन पर हिसाब करने के लिये निकल गया। होटल का हिसाब करने के पश्चात मै डाईनिंग रुम की ओर निकल गया था। डाईनिंग हlल मे प्रवेश करते ही मेरी मुलाकात मंजूर इलाही और उसकी पोती से हो गयी थी। वह दोनो खाने की टेबल पर पहले से बैठे हुए थे। मंजूर इलाही ने आवाज देकर कहा… समीर, आप यहीं आ जाईये। तब तक मैने उन्हें देखा नहीं था। उन पर नजर पड़ते ही मै झिझकता हुआ उनकी ओर चला गया। …यह मेरी पोती आएशा बलोच है। क्वेटा से यहाँ अकेला आने के लिये परिवार मना कर रहा था तो सहारे के लिये इस बेचारी को अपने साथ ले आया था। दोनो से दुआ सलाम करके मै खाना खाने बैठ गया। आएशा की ओर देखने की हिम्मत नहीं हो रही थी। मैने मंजूर इलाही से पूछा… आप लोग वापिस कब जा रहे है? …बस खाना खा कर हम निकल रहे है। हमारी गाड़ी आ गयी है। अचानक आएशा बोली… मेरी शक्ल किससे मिलती है। उसके सवाल को सुन कर मैने चौंक कर मंजूर इलाही की ओर देखा तो वह मुस्कुरा कर बोला… मैने इसको तुम्हारे बारे मे बताया था। मुझे समझ मे नहीं आ रहा था कि क्या जवाब दूँ कि तभी एक बार फिर से आएशा ने अपना सवाल दोहरा दिया।

अभी तक मै मंजूर इलाही को देख कर बात कर रहा था। उसके प्रश्न का जवाब देने के लिये जैसे ही मैने उसकी ओर देखा तो उसको देख कर वही घुटन और बेबसी का एहसास हुआ तो मैने जल्दी से उस पर से निगाह हटा कर खाने की ओर देखते हुए कहा… मेरी बीवी से तुम्हारी शक्ल हूबहू मिलती है। इसी कारण सुबह तुम्हें रिसेप्शन पर देख कर मै चौंक गया था। …क्या वह आपके साथ नहीं आयी? अब उसके प्रश्न मुझे असहज करने लगे थे। अबकी बार मंजूर इलाही की ओर देखते हुए कहा… नहीं, मेरी खानाबदोशों जैसी जिन्दगी उसे पसन्द नहीं आयी। कारोबार के कारण उसके लिये समय कम निकाल पाता था इसलिये वह नाराज हो कर चली गयी। …आप उसे बहुत मिस करते है? …क्यों नहीं करुँगा। इससे पहले कोई नया सवाल आता उससे पहले मै उठ कर खड़ा हो गया और चलने से पहले बोला… मुझे इजाजत दिजिये। अब आपसे जिरगा मे मुलाकात होगी। खुदा हाफिज। दोनो मुझे देखते रह गये थे परन्तु बोलने की किसी ने अबकी बार हिम्मत नहीं की थी। काउन्टर पर सबके खाने के बिल का पेमेन्ट करके मैने अपना बैग उठाया और होटल के रिसेप्शन की ओर चला गया। …यस सर। …मुझे अभी इस्लामाबाद के लिये निकलना है। होटल की टैक्सी का इंतजाम किजिये। कुछ ही देर के बाद मै होटल की टैक्सी मे इस्लामाबाद की दिशा मे जा रहा था।

अगली सुबह अमरीकन दूतावास के अपने आफिस पहुँच कर सबसे पहले मैने अपनी पेशावर यात्रा की रिपोर्ट के साथ विडियो की कापी फाईल करके मैने वालकाट को फोन लगाया… हैलो। …एंथनी, मैने रिपोर्ट फाईल कर दी है। अब तुम अपने तरीके जनरल मेहमूद और जनरल फैज को संभालना। …तुम फिक्र मत करो। उनके पीछे मैने सीनेटर राबिन्सन को छोड़ दिया है। …आमेना की हत्या की खबर अभी दबा कर रखनी है। उसकी बहन को भी इसके बारे मे पता नहीं चलना चाहिये। …ठीक है। …एंथनी, उसकी बहन बाकू मे हमारे लिये एस्सेट साबित होगी। इसलिये उसकी सुरक्षा बेहद जरुरी है। …तुम उसकी चिन्ता मत करो। हमने उसे रेजीडेन्शियल कांप्लेक्स मे शिफ्ट करवा दिया है। तुम बताओ कि जिरगा की कैसी तैयारी चल रही है? …जिरगा की तैयारी हो गयी है। अब पैसों का इंतजाम करो। अब तुम्हें पहली किस्त देनी है। …तुम्हारे अकाउन्ट मे कितना ट्रांस्फर करना है? …फिलहाल पाँच मिलियन ट्रांस्फर करो जिससे उनको तैयारी करने के लिये समय मिल जाये। …एक नम्बर नोट करो। मैने जल्दी से नम्बर नोट करके पूछा… इस नम्बर का क्या करना है? …सैम, दूतावास के अमेरीकन एक्स्प्रेस बैंक की शाखा मे जाकर मैनेजर को यह नम्बर दिखा कर अपना अकाउन्ट नम्बर दे देना। एक घन्टे मे पाँच मिलियन तुम्हारे अकाउन्ट मे पहुँच जाएंगें। कोई मुश्किल पेश आये तो मेरी बात मैनेजर से करा देना। …थैंक्स। इतनी बात करके मैने फोन काट दिया था।

मै अपने आफिस से निकल कर सीधे दूतावास मे स्थित अमेरिकन एक्स्प्रेस बैंक की शाखा मे चला गया था। बैंक मैनेजर से मिल कर मैने वह नम्बर उसे देकर वालकाट के निर्देशानुसार पाँच मिलियन डालर अपने अकाउन्ट मे ट्रांस्फर करने के लिये कहा तो वह बिना कुछ पूछे अपने कार्य मे व्यस्त हो गया था। मुश्किल से पाँच मिनट के बाद वह बोला… पैसा ट्रांस्फर हो गया है। अब आप एक बार अपना अकाउन्ट चेक कर लिजिये। इतना बोल कर उसने अपने कंप्युटर स्क्रीन को मेरी ओर घुमा दिया था। मेरा अकाउन्ट मेरे सामने था लेकिन मेरी नजर आखिरी एंट्री के सिफर गिन रही थी। वालकाट के पाँच मिलियन डालर मेरे अकाउन्ट मे आ गये थे। उसको शुक्रिया कह कर मै बाहर निकला और टैक्सी पकड़ कर नीलोफर के आफिस की दिशा मे निकल गया। रास्ते मे मैने ब्रिगेडियर नूरानी का नम्बर मिलाया उसका जवाब मिलते ही मैने पूछा… नूरानी साहब अब पैसे का लेन देन कब करना है? …आप बताईये। मैने तो उसी दिन अनुमति ले ली थी। …ठीक है। मुझे एक दिन का समय दिजिये। कल तक मै आपके पास चेक भिजवा दूँगा। इतनी बात करके मैने फोन काट दिया था। अल्ताफ को चार करोड़ की पेमेन्ट होने का मतलब था कि उसकी पकड़ वजीरियों के साथ सभी खैबर पख्तूनख्वा के छोटे और बड़े कबीलों मे गहरी हो जाएगी। मेरी यह सोच बनी थी कि अगर एक बड़ा धड़ा जिरगा मे चार मुद्दो पर अपनी सहमति देगा तो मुख्यत: तालिबान, बलोच और सिन्धी तंजीमे भी उनके पीछे खड़ी हो जाएँगी।

नीलोफर के फ्लैट मे दाखिल होते ही एक भीनी सुगन्ध मे मेरा स्वागत किया। मै गैलरी पार करके जैसे ही ड्राईंग रुम मे पहुँचा तो मेरी धड़कन एकाएक बढ़ गयी थी। नीलोफर की पीठ मेरी ओर थी। अब वापिस मुड़ना भी मुम्किन नहीं था। …मेजर समीर, आप यहाँ क्या कर रहे है? जेनब सामने की ओर बैठी हुई थी और मुझे देखते ही वह चौंक कर बोली परन्तु उसके साथ बैठी हुई नफीसा उठ कर खड़ी हो गयी थी। नीलोफर ने भी घूम कर मेरी ओर देखा तो मैने मुस्कुरा कर हाथ हिलाते हुए अभिवादन करते हुए उनकी ओर बढ़ गया। मुझे समझ मे नहीं आ रहा था कि यह दोनो नीलोफर के यहाँ क्या कर रही थी। अपने आपको संभालते हुए मैने पूछा… हैलो जेनब, ब्रिगेडियर साहब कैसे है? …अब्बू ठीक है। वह मेरे साथ तीन दिन पहले ही इस्लामाबाद आये है। दो दिन बाद हमारी अम्मी की बरसी है। आपने जवाब नहीं दिया कि आप यहाँ क्या कर रहे है? मैने नफीसा से नजर चुराते हुए जल्दी से कहा… मै यहाँ पर एक अमरीकी सरकार द्वारा आयोजित प्रोग्राम को अटेन्ड करने के लिये आया था। आज समय मिल गया तो नीलोफर से मिलने चला आया। यह बोलते हुए मै उनके सामने सोफे पर बैठ गया था। नीलोफर ने उठते हुए पूछा… चाय लोगे या काफी? …काफी पिला दो। वह काफी बनाने के लिये चली गयी थी।

नफीसा ने पूछा…आप यहाँ कबसे है? मैने उसको जवाब देने के बजाय अपनी ओर बढ़ती हुई नीलोफर को देखते हुए पूछा… आपको नीलोफर के बारे मे कैसे पता चला? नीलोफर काफी का प्याला मेरी ओर बढ़ा कर मेरे साथ बैठते हुए बोली… जेनब और नफीसा मुझे कल रात एक फिल्म की लाँचिंग पार्टी मे मिल गयी थी। उनको वहाँ देख कर मै भी चौंक गयी थी। मैने मुस्कुरा कर कहा… चलो इसी बहाने काठमांडू का तुम्हारा कोरम इस्लामाबाद मे पूरा हो गया। मेरी बात सुन कर तीनो खिलखिला कर हँस दी थी। कुछ देर नीलोफर से उसके काम के बारे मे पूछ कर दोनो का ध्यान मेरी ओर लग गया था। जेनब ने पूछा… अंजली बाजी का क्या हाल है? …अच्छी है। मैने विषय बदलने की मंशा से पूछा… मेरी स्थिति से तुम दोनो भली भाँति परिचित हो तो क्या मै ब्रिगेडियर साहब से मिल सकता हूँ? नीलोफर जल्दी से बोली… नहीं। समीर, यहाँ पर उनसे मिलना तुम्हारे लिये ठीक नहीं होगा। मै कुछ बोलता कि तभी नफीसा ने पूछा… मेरे साथ चलिये। मै आपको अब्बू से मिलवा देती हूँ। मैने उसकी ओर देखा तभी जेनब बोली… हमको कुछ देर के बाद अब्बू को लेने जाना है। मैने नीलोफर की ओर देखा तो उसकी आँखें मना करती हुई दिख रही थी। मैने टालने की मंशा से कहा… मेरा तुम्हारे साथ बाहर निकलना ठीक नहीं होगा। एक बार फिर से कमरे मे शांति छा गयी थी।

कुछ देर इधर-उधर की बातें करने मे व्यस्त हो गये थे। जेनब के फोन की घंटी बजी तो वह काल लेने के लिये उठ कर हमसे कुछ दूर जाकर किसी से बात करने लगी। कुछ देर बात करने के पश्चात जेनब वापिस लौट कर बोली… लिजिये मैने अब्बू से आपकी मुलाकात तय कर दी है। वह घर पहुँच गये है और वह आपका इंतजार कर रहे है। यह सुन कर एकाएक सारा माहौल बदल गया था। नफीसा जल्दी से बोली… प्लीज आप हमारे साथ चलिये। मै अनजाने मे ही एक अजीब से भंवर जाल मे फँस गया था। मैने जल्दी से कहा… बेहतर यही है कि आप दोनो अपनी कार से जाईए। मै नीलोफर के साथ उसकी कार मे आपको फोलो करुँगा। एक बार तीनो ने एक दूसरे को देखा और फिर वह दोनो तेजी से कमरे से बाहर निकल गयी। उनके जाने के बाद मै और नीलोफर भी उनके पीछे निकल गये थे। …समीर, वहाँ खतरा हो सकता है। …तुम इनसे दूरी बना कर चलना। बाकी मै देख लूँगा। कुछ ही देर मे हम दोनो उनके पीछे चल दिये। नीलोफर कार चला रही थी और मेरी नजरें रिव्यु मिरर पर टिकी हुई थी। ट्राफिक मे आधे घंटे की ड्राईव मे किसी ने हमारा या उनका पीछ नहीं किया था। उनकी कार डीएचए उच्चवर्गीय कोलोनी मे प्रवेश करके एक आलीशान बंगले के सामने जाकर रुक गयी थी।

…नीलोफर कार मत रोकना। आगे चलो। उनको वहीं छोड़ कर हमारी कार आगे निकल गयी थी। …क्या सोचा है? …मै सीसीटीवी के कैमरे चेक कर रहा था। जब मै पूरी तरह से आश्वस्त हो गया कि उनकी सड़क पर कोई कैमरा नहीं है तब मैने कहा… उनके घर चलो। नीलोफर कार को घुमा कर उनके घर की दिशा मे चल दी। उनकी कार बाहर सड़क के किनारे खड़ी थी। अपनी कार वहीं खड़ी करके हम दोनो उनके अहाते मे प्रवेश कर गये। नीलोफर दरवाजे पर लगी हुई डोरबेल को दबा कर बोली… तुम उनसे किसलिये मिलना चाहते हो? मै कोई जवाब देता तभी विशाल लकड़ी का दरवाजा खुला और रोती हुई जेनब मुझे देख कर लिपट कर रोने लगी। मै भौंचक्का सा उसे देखता रह गया था। गैलरी मे चलते हुए मैने पूछा… क्या हुआ जेनब। तभी मेरी नजर सोफे पर पड़ी जहाँ ब्रिगेडियर शुजाल बेग घायल अवस्था मे बैठा हुआ था। उसके माथे से अभी भी खून रिस रहा था। …क्या हुआ ब्रिगेडियर साहब? वह मुस्कुरा कर बोला…आईएसआई के पालतू कुत्ते थे। मैने चौंक कर शुजाल बेग की ओर देखा तो वह मुस्कुरा कर बोला… शरीफ और बाजवा की पुरानी टीम थी। क्लब से मेरे पीछे लगे हुए थे। उनकी नजर बचा कर वहाँ से टैक्सी पकड़ कर मै यहाँ आ गया था परन्तु मै उन्हें गच्चा नहीं दे पाया। सालों ने मुझे घर के बाहर पकड़ लिया था। …वह क्या चाहते थे? …मुझे अपने साथ ले जाना चाहते थे। अबकी बार जेनब ने पूछा… अब्बू, वह आपको अपने साथ क्यों ले जाना चाहते थे? तभी एक आदमी ड्राईंग रुम मे प्रवेश करते हुए शुजाल बेग को देखते ही बोला… अंकल यह कैसे हो गया? शुजाल बेग बोला… आ जाओ अनवर। देखो कुछ चोट लगी है। अभी ड्रेसिंग कर दो। अगर कोई फ्रेक्चर वगैराह जैसी बात है तो कल तुम्हारे अस्पताल मे दिखा देंगें। कुछ देर जाँच करने के बाद अनवर ने कहा… कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ अंकल। सब सतही चोट है। ड्रेसिंग और आराम से जल्दी ठीक हो जाएँगें।

शुजाल बेग कुछ पल सोचने के बाद बोला… समीर, आओ मेरी स्टडी मे बैठते है। जेनब और नफीसा ने चौंक कर शुजाल बेग कि ओर देखा तो उसने उठते हुए कहा… डोन्ट डिस्टर्ब। खाना आ जाये तो बता देना। इतना बोल कर वह एक कमरे की दिशा मे चल दिया। उसके पीछे मै भी उसकी स्टडी मे चला गया था। …बैठो। एक नजर कमरे और उसकी वस्तुओं पर डाल कर मै एक कुर्सी पर बैठ गया और शुजाल बेग अपने केबीनेट के सामने चुपचाप खड़ा हो गया। अचानक वह घूम कर मेरी ओर देख कर बोला… मेजर, मंसूर बाजवा और राहिल शरीफ जैसे साँप भले ही अपनी केचुंली बदल ले परन्तु डसने की फितरत नहीं छोड़ सकते। …मै समझा नहीं सर। …आप्रेशन खंजर के खुलासे के बाद वह दोनो अपने कुछ कोर कमांडरों की मदद से रातों रात पाकिस्तान छोड़ कर निकल गये थे। उनमे से एक करांची का कोर कमांडर जनरल फैज भी था। हमारी थलसेना मे नौ कोर कमांडर और अन्य सेना के अंगों मे तीन कोर कमांडर होते है। इन बारह कोर कमांडरों मे उनके साथ उस वक्त तीन कोर कमांडर थे परन्तु अब हालात बदल गये है। तुम्हारी नोटबन्दी के कारण वर्तमान मे अब उनके साथ आठ कोर कमांडर हो गये है। मैने बीच मे टोकते हुए पूछा… सर, वह तो बेइज्जत होकर निकाले गये थे। …मेजर, तुम पैसों की ताकत नहीं जानते। उन दोनो का आज भी यहाँ की काली अर्थव्यवस्था पर पूरा नियंत्रण है। इतना बोल कर शुजाल बेग कुछ पलों के लिये चुप हो गया था। मै चुपचाप बैठा रहा और अनुमान लगाने की कोशिश करने लगा कि उसके मन मे इस वक्त क्या चल रहा है।

कुछ सोच कर शुजाल बेग ने लकड़ी के कैबीनेट को खोल कर कुछ किताबें हटाई तो उनके पीछे छिपी हुई एक छोटी सी इलक्ट्रानिक तिजोरी विदित हो गयी थी। शुजाल बेग ने कुछ नम्बर पंच करके जैसे ही एक बटन दबाया तो खटके के साथ तिजोरी खुल गयी थी। उसमे से एक पैकेट निकाल कर मेज पर रख कर वह बोला… यह उनके काले कारोबार का लेखाजोखा है। शरीफ इस वक्त टोरन्टो मे बैठ कर यहाँ पर जमाये हुए काले कारोबार को चला रहा है। मंसूर बाजवा बाकू मे बैठ कर वहाँ का सारा काम संभाल रहा है। इतना बोल कर शुजाल बेग चुप हो गया था। बाकू का नाम एक बार फिर से सुन कर मै चौंक गया था। …सर, टोरन्टो और बाकू का संबन्ध मुझे समझ मे नहीं आया। शुजाल बेग कुर्सी पर बैठ कर बोला… टोरन्टो हार्ड करेन्सी का अर्जन करता है और बाकू काली कमाई का अर्जन और विसर्जन करता है। बाकू की काली कमाई टोरन्टो मे डालर मे बदली जाती है। आईएसआई का जनरल फैज वर्तमान मे उनके पाकिस्तान के नेटवर्क को संभाल रहा है। नकली करेन्सी, ड्रग्स और हथियारों के कारोबार पर उन दोनो का वर्चस्व स्थापित है। इस हार्ड ड्राईव मे उनके कारोबार से जुड़े हर व्यक्ति और नेटवर्क की हर कड़ी की जानकारी है। इस वक्त पाकिस्तान मे उनको छूने की किसी मे हिम्मत नहीं है लेकिन अगर यह हार्ड ड्राईव किसी तरह सही लोगों तक पहुँच गयी तो उन दोनो के साथ बहुत से लोग बर्बाद हो जाएँगें और यह कारोबार हमेशा के लिये तबाह हो जाएगा।  एक पल रुक कर शुजाल बेग फिर बोला… सब जानते है कि मै अपनी बीवी की बरसी पर यहाँ जरुर आऊँगा तो वह पहले से ही तैयार बैठे हुए थे। आज तो किस्मत ने साथ दिया तो बच गया लेकिन पता नहीं मेरे साथ कल क्या होगा। यह बोल कर शुजाल बेग वह पैकेट उठा कर देखने लगा।

…सर, क्या आप जमाल कुरैशी को जानते है? उसने चौंक कर मेरी ओर देखा तो मैने जल्दी से कहा… सर, जिस प्रोग्राम मे आया हुआ हूँ उसमे सीआईए के स्टेशन चीफ एंथनी वालकाट भी आया है। उसने एक रेड कार्नर नोटिस की कापी मुझे भी दी है जिसको मुझे खुफिया तौर पर अजीत सर के पास पहुँचाना है। वह नोटिस किसी कारोबारी जमाल कुरैशी के नाम से है। उसका कारोबार भी नकली करेन्सी, ड्रग्स और अवैध हथियारों का है। यह सुन कर शुजाल बेग के चेहरे पर एक मुस्कान तैर गयी थी। वह बड़ी संजीदगी से बोला… ओह, बाजवा-शरीफ के नेटवर्क का अमरीकनो को भी पता चल गया है। वह पैसे के बल पर वालकाट का मुँह बन्द करने मे कामयाब हो सकते है परन्तु नरसिम्हन, अजीत और हरदीप सिंह जैसी तुम्हारी तिगड़ी, किसी के दबाव या लालच मे नहीं आयेगी। इसलिये यह हार्ड ड्राईव मै तुम्हें सौंप रहा हूँ। इतना बोल कर शुजाल बेग वह पैकट मेरी ओर बढ़ा कर बोला… अगर यह ड्राईव सही लोगों के हाथ मे पहुँच गयी तो इनका काला कारोबार हमेशा के लिये बन्द हो जाएगा।

मै कुछ सोच कर बोला… सर, आपने जमाल कुरैशी के बारे मे नहीं बताया? …मेजर, जमाल कुरैशी तो एक प्यादा है जो उनके काले-सफेद कारोबार को बाकू मे देखता है। पाकिस्तान मे उनके नेटवर्क का सरगना कमाल कुरैशी और उसका कुरैश ग्रुप है जो उनके सारे काले कारोबार को जनरल फैज की मदद से चलाता है। शरीफ और बाजवा का दूसरा काम पीरजादा मीरवायज का बेटा अबरार मीरवायज संभालता है। वह उनका अकाउन्टेन्ट है जो उनके काले कारोबार का सारा हिसाब किताब रखता है। उनकी काली कमाई को हार्ड करेन्सी मे बदलता है। …सर, यह अबरार कहाँ मिलेगा? …वह बाजवा का दाँया हाथ है। वह कहाँ रहता है इसका किसी को पता नहीं है। …सर, अगर अबरार मीरवायज हाथ मे आ गया तो उनके सारे काले कारोबार की शहरग हमारे हाथ मे आ जाएगी। …मेजर, खुदा का शुक्र है कि आज तुमसे मिलना हो गया वर्ना आज की घटना के बाद मुझे समझ नहीं आ रहा था कि यह हार्ड ड्राईव किसके हवाले की जाए। यह काम तुम कर सकते हो इसीलिये मैने बहुत सोच समझ कर यह हार्ड ड्राईव तुम्हारे हवाले कर रहा हूँ। मुझे नहीं पता कि मै यहाँ से इस बार बच कर निकल सकूँगा या नहीं परन्तु इस ड्राईव को सही लोगों के पास पहुँचाने की जिम्मेदारी अब तुम्हारी है।

…सर, शायद आपको पता नहीं कि फारुख मीरवायज काठमांडू मे मारा गया। शुजाल बेग ने चौंक कर पूछा… कब और किसने फारुख को मारा? …नेपाल इन्टेलीजेन्स की रिपोर्ट है कि उनकी स्पेशल फोर्सिज की मुठभेड़ मे फारुख मीरवायज मारा गया। शुजाल बेग ने बुझे हुए मन से कहा… वह उनके कारोबार के बारे बहुत कुछ बता सकता था। अब तो कमाल कुरैशी और अबरार मीरवायज ही बचे है जो उनके कारोबार की कुछ महत्वपूर्ण जानकारी दे सकते है। इतना बोल कर वह चुप हो गया था। …मेजर, अगर मुझे अगले दो दिन मे कुछ हो गया तो क्या तुम जेनब को यहाँ से सुरक्षित बाहर निकाल सकते हो? …और नफीसा? …उसका निकाह डाक्टर अनवर के साथ तय हो गया है। हम लोग इस बार नफीसा के निकाह के लिये यहाँ आये थे। मेरा दिमाग नफीसा के निकाह मे उलझ कर रह गया था। …मेजर। मैने चौंक कर शुजाल बेग की ओर देखा तो वह मुझे बड़े ध्यान से देख रहा था। …क्या हुआ मेजर? शुजाल बेग के हाथ से वह पैकेट लेते हुए मैने कहा… सर, जेनब को कैसे यहाँ से निकालना है उसके बारे मे सोच रहा था। एम्बैसी का प्रोगाम समाप्त होते ही मुझे वापिस भारत लौटना होगा। शुजाल बेग ने मेरे कन्धे को थपथपा कर कहा… मुझे तुम पर पूरा विश्वास है कि तुम जरुर इसके लिये कुछ युक्ति निकाल लोगे। वह पैकेट मेरे हाथ मे थमा कर बोला… आओ चले। इतना बोल कर वह चल दिया। मैने जल्दी से पैकेट को अपने कोट की जेब डाला और उसके पीछे स्टडी रुम से निकल आया।

मैने जल्दी से कहा… सर, खाना लगवा दिजिये। हमे अब वापिस लौटना है। नीलोफर जल्दी से बोली… अंधेरा होने दो। मै तुम्हें तुम्हारे होटल मे छोड़ दूंगी। एक बार फिर से बातों का सिलसिला आरंभ हो गया था। …अनवर बेटे, कल मै तुम्हारे अब्बा से मिलने घर आऊँगा। क्या डाक्टर साहब कल दोपहर को मिल सकते है? नफीसा तुरन्त बोली… किस लिये? …तुम्हारा निकाह करके मै जल्दी से जल्दी अमरीका लौटना चाहता हूँ। एकाएक डाईनिंग टेबल पर प्रश्नों की झड़ी लग गयी थी। नीलोफर और जेनब की पहली प्रतिक्रिया खुशी की थी। मैने नफीसा की ओर देखा तो वह मुझे एकटक घूर रही थी। शुजाल बेग ने कहा… जेनब की जिम्मेदारी मैने समीर पर डाली है। अगर इस बीच मेरे साथ कोई अनहोनी घटना हो गयी तो वह जेनब को सुरक्षित अमरीका भिजवा देगा। एक साथ सभी बोले… कैसी अनहोनी? एकाएक डाईनिंग टेबल का सारा माहौल बदल गया था।

आठ बजते ही मैने कहा… अब इजाजत दिजिये। उसके बाद भी बातों का सिलसिला ऐसे ही चलता रहा था। अनवर के जाने के बाद बाहर निकलते हुए नफीसा मेरे पास आकर दबी आवाज मे बोली… मुझे आपसे कुछ बात करनी है। मैने घड़ी की ओर इशारा करके कहा… आज बहुत देर हो गयी है। मुझे अपने होटल पहुँचना है। हम सब नीलोफर की कार के करीब पहुँच कर रुक गये थे। कार मे बैठते हुए मैने नीलोफर से कहा… होटल मेरिएट चलो। कुछ ही देर मे हम होटल मेरिएट की दिशा मे जा रहे थे। पता नहीं क्यों होटल जाते हुए मै अपने अन्दर एक अजीब सा खालीपन महसूस कर रहा था। नीलोफर सारे रास्ते चुप रही परन्तु होटल पहुँच कर बोली… अब बताओ कि शुजाल बेग क्या कह रहा था? …पहले उसकी बात की पुष्टि होने दो फिर बता दूंगा। …समीर कुछ देर पहले अल्ताफ ने फोन पर बताया है कि वह इस्लामाबाद पहुँच गया है। उससे तुम कब मिल सकते हो? …उसे कल सुबह यहीं बुला लो। …अब देर हो गयी है। कल फोन पर उसे बता दूँगी। हम तब तक हम कमरे मे प्रवेश कर चुके थे। जैसे ही दरवाजा बन्द करके मै मुड़ा तो वह झपट कर मुझसे लिपट कर बोली… अब रुकना मेरे बस मे नहीं है। मैने उसे अपनी बाँहों मे उठा लिया और बेड की ओर बढ़ गया था।

बिना समय गँवाये आनन फानन कपड़े जिस्म से जुदा हो गये और उसके गदराये हुए जिस्म को अपने अनुसार ढालने मे जुट गया। आफशाँ जैसा भरा हुआ जिस्म और उसकी अटूट आसक्ति का अनुभव मुझे नीलोफर के संसर्ग मे अकसर होता था। मै जब भी आफशाँ से कहता था कि वह मेरी पर्फेक्ट बेड पार्टनर है तो वह झिड़क कर मुझसे कहती कि वह पर्फेक्ट लाईफ पार्टनर है। नीलोफर भी मेरी हर जरुरत जानती थी। उसका जिस्म मेरी जरुरत के अनुसार ढलता चला जाता था। परन्तु आज हर एकाकार मे वह मुझे आफशाँ की याद करा देती थी परन्तु इस वक्त न जाने क्यों मेरे दिमाग मे नफीसा की छवि उभर आयी थी। तूफान गुजरने के पश्चात नीलोफर को अपनी बाँहों मे जकड़े हुए लेटा हुआ था कि उसकी आवाज सुन कर मै चौंक गया… आज तुम्हें क्या हो गया था? जल्दी से अपने मनोभावों को संभालते हुए मैने कहा… कुछ हमारे मिलन का उत्साह और कुछ बिछुड़ने का डर था। …क्या आफशाँ की याद आ गयी थी। जब मैने कोई जवाब नहीं दिया तो वह बोली… अगर किसी कारणवश मै नहीं रही तो क्या कभी मेरे लिये तुम दो आँसू बहा दोगे। मैने उसको अपनी बाँहों मे जकड़ कर कहा… हमारे बीच मे पाक करार हुआ है तो साथ ही जहन्नुम जाएँगें। दो आँसू तुम मेरे लिये बहा देना और दो आँसू मै तुम्हारे लिये बहा दूँगा। कुछ ही देर मे हम अपनी सपनो की दुनिया मे खो गये थे।

सुबह उसने मुझे उठा कर कहा… मैने अल्ताफ को खबर कर दी है। वह दस बजे तक आ जाएगा। अब मै वापिस जा रही हूँ। इतना बोल कर वह चली गयी थी। मै आराम से उठा और तैयार होकर दस बजे तक रिसेप्शन पर जाकर बैठ गया था। ठीक दस बजे अल्ताफ का फोन आया… समीर भाई आपके होटल मे मिलना ठीक नहीं है। आप ईदगाह मस्जिद आ जाईये। हम आपका वहाँ इंतजार कर रहे है। मै जैसे ही चलने के लिये खड़ा हुआ कि तभी मेरी नजर नफीसा पर पड़ी जो रिसेप्शन की ओर जा रही थी। मैने जल्दी से आगे बढ़ कर उसे रोकते हुए कहा… तुम यहाँ किस लिये आयी हो? …आपसे बात करनी थी। आप तो कभी खुद बात नहीं करोगे तो आज मै खुद ही बात करने के लिये चली आयी। मैने जल्दी से कहा… नफीसा मुझे जरुरी काम से अभी बाहर जाना है। क्या हम फिर नहीं मिल सकते? …नहीं। आज बात किये बिना मै नहीं जाउँगी। मेरे पास समय कम था। मैने अपने रुम का प्लास्टिक कार्ड उसको देते हुए कहा… रुम नम्बर 1028, मेरा इंतजार करना। मुझे लौटने मे कुछ समय लग जाएगा। …कोई बात नहीं। मै आपका इंतजार कयामत तक करुँगी। उसको अनसुना करके मै उसे वहीं छोड़ कर होटल की कार से ईदगाह मस्जिद की दिशा मे निकल गया था।

 

डान अखबार

कारोबारी असगर की ब्लास्ट मे हत्या, पेशावर हाईअलर्ट मे

रात दस बजे बिलावल स्ट्रीट पर एक मकान मे धमाका होने के कारण बारह लोगों की जान चली गयी। विस्फोट मे मरने वालों मे मशहूर कारोबारी असगर के साथ उनके चार सुरक्षाकर्मी भी मारे गये। ब्लास्ट का असर आसपास के कई घरों पर भी हुआ था। पुलिस तहकीकात मे जुटी हुई है। इस घटना की अभी तक किसी तंजीम ने जिम्मेदारी नहीं ली है परन्तु सूत्रों से पता चला है कि तेहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान ने इस घटना को अंजाम दिया है।

दैनिक सरहद 

पेशावर मे हाई अलर्ट

कल रात को आतंकवादियों ने दिल दहलाने वाला धमाका करके बारह लोगों की जान ले ली और पाँच घायल है। घायलों को अस्पताल पहुँचा दिया गया है। मरने वालों मे सूबे के मशहूर कारोबारी असगर अली और उनके चार सुरक्षाकर्मी थे। आगा परिवार के दो लोग उस धमाके की चपेट मे आ गये थे। पुलिस और सेना तहकीकात कर रही है और जल्द ही गुनाहगारों को पकड़ने का दावा कर रही है। हाल ही मे दो दिन पहले ही खुदाई शमशीर नाम की तंजीम ने सेना के एक गोदाम पर हमला करके बारह सैनिकों को हलाक किया था। सुरक्षा एजेन्सियाँ दोनो घटनाओं के बीच रिश्ता खोजने मे जुटी हुई है।

फ्रंटियर पोस्ट

पेशावर मे आतंकवादी हमला

गयी रात को आतंकवादियों के हमले ने बारह लोगों की जान ले ली और पाँच घायल है। मरने वालों मे सूबे के मशहूर कारोबारी असगर अली और उनके चार सुरक्षाकर्मी थे। सूत्रों के हवाले से पता चला है कि असगर अली की हत्या के पीछे पश्तूनों के साथ हुई सेना की ज्यादती को बताया गया है। गत वर्षों मे पश्तुन तहफुज मूवमेन्ट ने कई बार पश्तून बच्चों के गायब होने के पीछे असगर अली के खिलाफ शिकायत दर्ज की थी। राजनीतिक दबाव और पैसे के कारण पुलिस की ओर से कोई कार्यवाही नहीं हुई तो अनुमान लगाया जा रहा है कि तेहरीक ने इस काम को अंजाम दिया है। पुलिस और सेना तहकीकात कर रही है।

2 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही उम्दा अंक और अब सुझाल बेग के हार्ड ड्राइव ने समीर को जिर्गा में isi को घेरने में और मदद मिलेगी मगर अचानक जैनब और नफीसा के एंट्री उसके अबू के ऊपर हमला कहीं फिर से उनके ऊपर कोई बड़ी मुश्किल ना आके खड़ी करदे, वैसे रात को हुई मीटिंग और होटल के लंच रूम में हुई आयशा से मुलाकात उसके अपने उस दुखद घाव को ताजा करने में सफल रही। अब देखना है कि आगे क्या होता है।

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    1. अल्फा भाई शुक्रिया। कौन दुश्मन है और कौन दोस्त, यह किसी को पता नहीं है। शुजाल बेग से मिलना भले ही इत्तेफाक हो लेकिन क्या यह किसी नयी चाल की शुरुआत तो नहीं है।

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