गहरी चाल-11
रात भर की थकान के
कारण बदन टूट रहा था। जब अपने फ्लैट मे पहुँचा तो मेरी निगाह आरफा पर पड़ी जो टीवी पर
कोई हिन्दी का सिरियल देख रही थी। तबस्सुम नहीं दिखी तो मैने उससे पूछा… तबस्सुम कहाँ
है? …शिखा दीदी के घर। उसे वहीं छोड़ कर मै थकान मिटाने के लिये अपने कमरे मे चला गया
और कपड़े उतार कर बाक्सर पहने बिस्तर पर पड़ गया था। मुझे याद नहीं कि कब तक सोता रहा
था। जब मेरी आँख खुली तब तक अंधेरा हो चुका था। मै उठ कर बाथरुम मे चला गया और कुछ
देर पानी के नीचे खड़ा होकर सुस्ती भगा कर जब तक तैयार होकर बाहर निकला तब तक खाने का
समय हो गया था। खाना समाप्त करके मैने कहा… आरफा, मै एक फाइल दिखाना चाहता हूँ। फोटो
को देख कर बताओ कि क्या तुमने उन्हें मूसा या शाकिर के साथ पहले कभी देखा है? इतना
बोल कर मैने आईबी वाली फाइल उसके सामने रख दी थी। चार फोटो को दिखाते हुए वह बोली…
लगता है मैने इन चारों को मूसा या शाकिर के साथ देखा था। सारी फोटो देख कर उन पर निशान
लगा दो। वह फोटो देखने व्यस्त हो गयी थी और मै सोफे पर बैठ कर आफशाँ के आने के बारे
मे सोच रहा था। तीन दिन के बाद जब वह यहाँ होगी तब उसके बाद क्या होगा? …क्या सोच रहे है? …कुछ नहीं। हमे कुछ दिनों के लिये
काठमांडू जाना पड़ेगा। …मुझे नहीं जाना। मै यहीं पर ठीक हूँ। …तबस्सुम, हमें अब इस घर
को छोड़ना पड़ेगा। मेरी पोस्टिंग काठमांडू मे हो गयी है। वह रुठ कर मुझे वहीं छोड़ कर
कमरे मे चली गयी थी।
कुछ देर आरफा से बात
करके मै जब अपने कमरे मे गया तो वह मुँह फेर कर लेट गयी थी। मै उसके साथ जाकर लेट गया
और उसकी कमर मे हाथ डाल कर अपने नजदीक खींचते हुए बोला… बानो, मै जानता हूँ कि तुम्हें
अपनी शिखा दीदी को छोड़ कर जाने का दुख है। प्रोफेसर साहब भी तीन साल के लिये यहाँ आये
है। उनका समय खत्म होते ही वह भी वापिस चले जाएँगें तो क्या उस वक्त मुझे यहाँ छोड़
कर तुम उनके साथ चली जाओगी? वह मुड़ी और मेरी आँखों मे झाँकते हुए बोली… आपको छोड़ कर
तो अब मै सिर्फ दोजख मे जाऊँगी क्योंकि आपको भी वहीं आना है। यह बोलते हुए वह मेरे
काफी निकट आ गयी थी। उसकी साँसे मेरे चेहरे से टकरा रही थी। उसका उभरा हुआ सीना मेरे
सीने पर अपनी पुष्टता का एहसास करा रहा था। मेरा हाथ उसकी कमर पर था लेकिन उसके निकट
आने के कारण सरक कर उसके नितंब पर आ गया था। मेरी नजर उसके होंठों पर चली गयी थी।
…कब जाना है? उसके रसभरे होंठ हिले और मेरा संयम उस पल छिन्न-भिन्न हो गया था। मैने
उसके चेहरे को अपने हाथों मे लिया और उसके कांपते होठों पर अपने होंठ रख दिये थे। एक
पल के लिये उसने हटने का प्रयास किया और फिर उसने अपने आप को मेरे हवाले कर दिया था।
उसके होंठों को धीरे से चूमा और फिर उसके निचले होंठ को अपने होंठों मे दबा कर उसका
रस सोखने मे जुट गया। पता नहीं कितनी देर तक उसके होंठों का रस निचोड़ता रहता लेकिन
तभी फोन की घंटी ने मुझे सुनहले सपनों कि दुनिया से यथार्थ मे लाकर पटक दिया था। वह
भी घंटी की आवाज सुन कर अलग हो गयी थी। हम दोनो की सांसे तेज चल रही थी।
मैने जल्दी से फोन
उठा कर कर कहा… हैलो। …मेजर, फौरन आफिस पहुँचो। …यस सर। उसे वहीं वासना की आग मे जलता
हुआ छोड़ कर कपड़े बदलने चला गया। जब तक तैयार होकर बाहर निकला तब तक सब कुछ शांत हो
चुका था लेकिन उत्तेजना के कारण उसका चेहरा सेब जैसा लाल दिख रहा था। मै उसके पास चला
गया और धीरे से माथा चूम कर बोला… आफिस मे कुछ हो गया है। मुझे तुरन्त बुलाया है। मुझे
जाना पड़ेगा। सौरी। बस इतना बोल कर मै बाहर निकल गया था। ठंडी हवा का थपेड़ा चेहरे पर
लगते ही दिमाग तेजी से चलने लगा था। मैने जीप स्टार्ट की और अपने आफिस की ओर चल दिया
था।
सारे आफिस मे अंधकार
छाया हुआ था। बस गैलरी की लाईट जली हुई थी। मै सीधे एनएसए के आफिस की ओर चल दिया था।
अजीत सर के आफिस का दरवाजा खोलते ही मेरी नजर तीनों पर पड़ी जो बड़े ध्यान से कुछ तसवीरों
को देख रहे थे। …आओ मेजर, इतनी रात मे बुलाने का कारण कुछ सेटेलाईट से खींचीं हुई तस्वीरें
है। उन्होंने एक फोटो मेरी ओर बढ़ाते हुए कहा… यह कराँची पोर्ट है। आज शाम को पाकिस्तान
की नौसेना अचानक सक्रिय हो गयी है। उनकी सारी पनडुब्बियाँ जल मग्न हो गयी है। हमारे
रेडार ने उनको पकड़ लिया है। तीनो फ्रिगेट अल्फा क्लास भी कंराची पोर्ट से निकल गये
है। डायरेक्टर नेवल आप्रेशन्स ने अपने पाकिस्तानी प्रतिरुप को चिंता जाहिर करते हुए
कहा है कि फौरन पीछे हटे अन्यथा हमे भी प्रतिकार मे उनके जहाजों और पनडुब्बियों को
घेरना पड़ेगा। उनका सिर्फ एक ही जवाब था कि तीन दिन के लिये अरब सागर मे पाकिस्तानी
फ्लीट नेवल एक्सर्साइज करेगी। इस वक्त भारतीय नौसेना की पश्चिमी कमांड ने कोड-आरेन्ज
की घोषणा कर दी है। फिलहाल उनकी नौसेना के सभी जहाज और पनडुब्बियों पर हमारी नजर बनी
हुई है। यह बोलते हुए अजीत ने एक नक्शा मेज पर फैलाते हुए कहा… इस क्षेत्र मे हमारे
चार सबसे बड़े तेल के कुएँ है, सम्राट, विराट, विशाल और अनंन्त। उनकी नौसेना का जमावड़ा
इन चारों से कोई 800 नाटिकल मील की दूरी पर है। क्या उनके निशाने पर यह हो सकते है?
…ऐसी बेवकूफी की उम्मीद उनसे नहीं है। जब तक वह 200 नाटीकल मील आगे बढ़ेंगें तब तक उनकी
पूरी फ्लीट को साफ हो जाएगी। अजीत सर ने कुछ सोच कर कहा… अनमोल बिस्वास की खबर ने हमे सोचने
पर मजबूर कर दिया है। इसी के साथ हमारी वायुसेना की पश्चिमी कमांड भी सक्रिय हो गयी
है। उनकी ओर से अभी तक कोई हवाई कार्यवाही नहीं हुई है लेकिन हम अभी भी अलर्ट मोड पर
उनकी अगली कार्यवाही का इंतजार कर रहे है। आओ चलें।
थोड़ी देर के बाद हम
उसी स्ट्रेटिजिक कमांड सेन्टर के हाल मे गोल मेज के चारों ओर बैठे हुए थे। एक स्क्रीन
के उपर पाकिस्तान नौसेना की सारी फ्लीट दिखाई दे रही थी। दूसरी स्क्रीन पर अरब सागर
की सेटेलाईट की तस्वीरें कुछ मिनट के अंतराल के बाद बदलती जा रही थी। …सर, कहीं नौसेना
की एक्सर्साईज हमारा ध्यान बँटाने की कोशिश तो नहीं है। तभी स्पीकर पर घोषणा हुई… पाकिस्तान
की एक पनडुब्बी आगे बढ़ रही है। उसके साथ चलने वाला एल्फा-क्लास फ्रिगेट भी आगे बढ़ गया
है। एनएसए ने नौसेनाअध्यक्ष से फोन पर बात करने के बाद कहा… एड्मिरल का कहना है कि
100 नाटीकल मील आगे बढ़ने पर पनडुब्बी और जहाज पर चेतावनी के शाट्स फायर करेंगें। अगर
वह नहीं रुके तो 150 मील पर उन्हें तबाह कर देंगें। एक बार फिर से हमारी आँखें स्क्रीन पर टिक गयी थी।
थोड़ी देर के बाद फिर स्पीकर पर घोषणा हुई कि वह वापिस अपनी हद मे चले गये है। रात होने
के बावजूद इन्फ्रारेड कैमरे के द्वारा स्थिति की साफ तस्वीरें स्क्रीन पर आ रही थी।
तभी अजीत ने कहा… इस चूहे-बिल्ली के खेल को खत्म करना पड़ेगा। हाट लाइन पर मेरी बात
जनरल शरीफ से कराओ। रात के तीन बज रहे थे। पहली घंटी बजते ही जनरल शरीफ की आवाज स्पीकर
पर गूंजी… अस्लाम वाले कुम जनाब। अजीत की आवाज गूंजी… जनरल साहब, यह चूहे-बिल्ली का
खेल समाप्त होना चाहिये। एक हिमाकत को हमने जाने दिया है। 800 नाटिकल मील के रेडिअस
को अगर अब किसी ने पार करने की कोशिश की तो उसको जल मग्न कर देंगें। आपकी पनडुब्बी
और फ्रिगेट के पोजीशन कुअर्डिनेट्स भेज रहा हूँ। यह भी इसलिये कि आपको पता रहना चाहिये
कि पूरी खाड़ी पर हमारी नजर है। आपकी हर पनडुब्बी और हर जहाज हमारी नजर मे है। …अजीत
साहब, हमारी एक्सर्साइज चल रही है। कभी-कभी ऐसा हो जाता है। सौरी। …जनरल साहब हमने
भी अगर शूटिंग की एक्सर्साईज आरंभ कर दी तो फिर सौरी कहने से हम भी नहीं हिचकेंगें।
इसलिये अगर आप चाहते है की शांति बरकार रहे तो अपनी हद मे रहना सीखिये। खुदा हाफिज।
इतना बोल कर फोन काट दिया। अजीत सर ने फोन पर एक बार फिर से नौसेनाअध्यक्ष से बात करने
के बाद आराम से बैठते हुए बोले… सुबह तक अब कुछ नहीं होगा। आराम से सोफे पर जाकर सो
जाओ। हम सारी रात बैठ कर स्क्रीन पर पाकिस्तानी नौसेना की गतिविधि को देखते रहे थे।
सुबह सात बजे स्पीकर पर घोषणा हुई… पाकिस्तान नौसेना वापिस करांची की ओर जा रही है।
जनरल रंधावा ने कहा… वह तो तीन दिन की एक्सर्साईज करने निकले थे। एक ही रात मे वापिस
जा रहे है। वीके ने मुस्कुरा कर कहा… यह सब अजीत के फोन की करामात है। उसे उठाओ वह
आराम से सोफे पर सो रहा है। हम भी चलते है। कुछ देर बाद हम चारों वापिस अपने आफिस की
ओर जा रहे थे।
दोपहर को जब तक मै
अपने आफिस पहुँचा तब तक रविकांत दिवाकर एक लिफाफा मेरी मेज पर रख कर जा चुका था। मैने
लिफाफा खोला तो उसमे तीन पासपोर्ट और छ्ह कार्ड्स रखे
हुए थे। मैने सभी चीजें चेक करी और फिर सब चीजे उस लिफाफे मे डाल कर मै अजीत सर के
आफिस की ओर चल दिया। मैने दरवाजा खोल कर अन्दर झाँक कर देखा तो अजीत सर अकेले बैठे
हुए थे। मुझे देखते ही बोले… तुम्हारे पेपर्स मिल गये? …यस सर। …कब जा रहे हो? …सर,
मै सोच रहा हूँ कि कल सुबह की फ्लाईट पकड़ कर निकल जाऊँ। एक हफ्ता तो बैंक अकाउन्ट और
पैसा ट्रांसफर और कंपनी खोलने मे लग जाएगा। एक हफ्ते मे अगर मेरी टीम मुझे मिल गयी
तो जल्दी ही काठमांडू से अच्छी खबर मिलनी आरंभ हो जाएगी। …ठीक है। मै कोशिश करता हूँ।
…सर, मै जाने से पहले गोपीनाथ से मिल कर उनके लोगों के बारे मे जानना चाहता हूँ। …हाँ
उससे मिल कर जाओगे तो अच्छा रहेगा। …सर, नेपाल सीमा पर तैनात सीमा सुरक्षा बल के लिये
किससे बात करनी पड़ेगी। …मेजर, यह काम तुम रंधावा पर छोड़ दो। इस बार तुम पर बहुत जिम्मेदारी
का काम है। इसलिये कुछ भी हो जाए लेकिन अपनी प्राथमिकता मत भूलना। आल द बेस्ट। …थैंक्स।
कह कर मै कमरे से बाहर निकल आया और अपने आफिस मे बैठ कर गोपीनाथ का नम्बर मिला कर उससे
मिलने का समय मांगा तो उसने मुझे आफिस टाइम के बाद आने के लिये कह दिया था।
कुछ सोच कर मै वीके
से मिलने चला गया था। वीके अपने आफिस मे नहीं थे तो एक मेसेज उनके निजि सचिव के पास
छोड़ कर आ गया था। एक घन्टे के बाद वीके ने मुझे बुला लिया था। …मेजर नेपाल जा रहे हो
गुड लक। …थैंक्स सर। आपके पास उन फाइलों के बारे मे बात करने आया था। बहुत सोचने के
बाद मै इस नतीजे पर पहुँचा हूँ कि वलीउल्लाह उस फाइल मे दिये गये नामों मे से एक है।
उन फाईल के बजाय क्या उसकी साफ्ट कापी मुझे पेन ड्राइव पर मिल सकती है? वलीउल्लाह की
सच्चायी वहीं से साबित हो सकती है। मेरी बात सुन कर वीके सोच मे पड़ गये थे। कुछ सोच
कर वीके ने कहा… मेजर, मै तुम्हारी बात समझ गया। एक काम हो सकता है कि मै सारी फाईलों
की साफ्ट कापी कमांड सेन्टर के नेटवर्क पर डाल दूँगा जिसे सिर्फ तुम ही एक्सेस कर सकते
हो। तुम तो वैसे भी वहाँ पहुँच कर नेटवर्क से कनेक्ट करोगे तो तुम वह फाईले भी देख
सकोगे। …सर, यह तरीका ज्यादा बेहतर है। थैंक्स सर। …कब जा रहे हो? …कल सुबह जाने की
सोच रहा हूँ। …गुड। इतनी बात करके मै वापिस अपने आफिस मे आ गया था। पाँच बज चुके थे
तो मै अपनी कुछ जरुरी फाईलें लेकर गोपीनाथ के आफिस की ओर चला गया था।
गोपीनाथ के निजि सचिव
को अपना नाम बता कर बैठ गया। कुछ देर के बाद गोपीनाथ ने मुझे अपने आफिस मे बुला लिया
था। …मेजर बट, बताईये कैसे आना हुआ? …सर, मै नेपाल जा रहा था। मुझे आपकी आबसर्वेशन
पोस्ट पर काम करने वालो से मिलना चाहता हूँ। जमीनी हकीकत तो वह बेहतर बता सकते है।
…मेजर, भारतीय दूतावास मे हमारे विभाग के पाँच आदमी काम करते है। मनोहर लाल शर्मा और
हरि सिंह रावत, ग्रेड-1 आफीसर के पद पर कार्यरत है। मनीशा थापा और सीता बिष्ट स्टेनो के पद पर काम करती है। श्याम बहादुर थापा
हमारे राजदूत के आफिस मे काम करता है। मै मनोहर लाल शर्मा को खबर कर दूँगा तो वह तुम्हारी
हर संभव मदद कर देगा। …सर मै यही चाहता था। उनकी मदद से एक आफिस और गोदाम किराये पर
लेना चाहता हूँ। मुझे अपने रहने के लिये भी जगह चाहिये तो वह बेहतर बता सकते है कौन
सी जगह सुरक्षित होगी। …मेजर तुम बेफिक्र हो कर जाओ। यह पाँचों आपकी मदद करेंगें।
…कब जा रहे हो? …कल जाने की सोच रहा हूँ।
…मेजर, अनमोल बिस्वास की मौत जाया नहीं
जानी चाहिये। …आप बेफिक्र रहिये। कुछ देर नेपाल के बारे बात करने के बाद मै गोपीनाथ
से इजाजत लेकर वापिस अपने फ्लैट की ओर चल दिया था।
जब तक अपने फ्लैट
पर पहुँचा तब तक अंधेरा हो गया था। वैसे भी सर्दियों के दिन छोटे हो जाते है। चाय पीते
हुए मैने दोनो को बताया कि कल सुबह हम काठमांडू जा रहे है। आरफा को समझने मे कुछ समय
लगा और तबस्सुम ने जिद्द पकड़ ली थी कि जाने से पहले वह मेरे साथ शिखा दीदी से मिलना
चाहती है। उसका दिल रखने के लिये मै उसके साथ प्रोफेसर पेंडारकर से मिलने के लिये चल
दिया। …आप काठमांडू जा रहे है। …यस सर। अभी एक हफ्ते के लिये जा रहे है। उसके बाद तय
होगा कि वहाँ कितना समय गुजारना पड़ेगा। …मेजर साहब, मिरियम के कारण शिखा का दिल लग
गया था। उसके जाने के बाद यह भी बोर हो जाएगी। आप तो जानते है कि हम सिविलियन्स फौजी
परिवारों के सर्कल मे फिट नहीं हो पाते है। यह तो किस्मत की बात है आप मे वह लाईफ स्टाईल
नहीं देखने को मिला था। शायद इसी कारण इनमे बहुत जल्दी जान पहचान हो गयी थी। कुछ देर
के बाद चलते हुए मैने दोनो का धन्यवाद करते हुए कहा… आप दोनो के कारण इसका मन लग गया
था। खास तौर पर मिसेज पेंडारकर आपका मुझ पर एहसान रहेगा कि आपके कारण मिरियम इतने कम
समय मे बहुत कुछ सीख गयी है। दोनो गले मिल कर रोयी और फिर हम दोनो उनसे विदा लेकर वापिस
अपने फ्लैट मे आ गये थे।
मैने इन्टर्नेट से
तीन काठमांडू की अगले दिन की टिकिट करायी और फिर अपना सामान बांधने बैठ गया था। वहाँ
वर्दी का तो कोई काम नहीं था। हवाईजहाज से अपनी पिस्तौल और अन्य स्पेशल फोर्सेज का
सामान नहीं ले जा सकता था तो वह सब अलमारी मे बन्द करके बस कपड़े व फाईले अपने बैग मे
डाल ली थी। तबस्सुम और आरफा के पास भी सिर्फ कपड़े थे तो उनके भी बैग बड़ी जल्दी तैयार
हो गये थे। सारी तैयारी पूरी होते ही मै आफशाँ से बात करने बैठ गया था। …तुम कब पहुँच
रही हो। …मुझे अभी यहाँ से निकलने मे तीन चार दिन लगेंगें। मेनका के स्कूल से भी टीसी
लेना है। फ्लैट के देखभाल की भी सोचना है। बहुत सारे काम सिर पर है समझ मे नहीं आ रहा
कि कैसे यह सब अकेली करुँगी। तुम यहाँ क्यों नहीं आ जाते? …मैने तुम्हें इसीलिये फोन
किया था कि एक हफ्ते के लिये मुझे फील्ड ड्युटी पर जाना पड़ रहा है। अगर अपना आना एक
हफ्ते के लिये टाल सकती हो तो मै वहाँ पहुँच कर तुम्हारी मदद कर सकूँगा। …पता नहीं
समीर। काम का इतना लोड है कि दिल्ली आफिस वाले जल्दी मचा रहे है। देखती हूँ कि क्या
हो सकता है। …आफशाँ तुम सिर्फ मेनका का टीसी लेकर आ जाओ। जैसे ही मेरा काम खत्म होगा
तो मै सीधा मुंबई पहुँच कर फ्लैट और बाकी सभी चीजों का इंतजाम कर दूँगा। …क्या इसके
लिये तुम वक्त निकाल सकते हो? …प्रामिस। यह काम मुझ पर छोड़ दो। बस तुम अब जल्दी यहाँ
आ जाओ। कुछ देर और हमने घरेलू बात करने के बाद फोन काट दिया था।
रात को मैने अपना
और तबस्सुम का कार्ड उसे दिखाते हुए कहा… अब बिना निकाह के ही तुम मेरी कानूनी तरीके
से बीवी बन गयी हो। इसमे कोई झूठ नहीं है। बस तुम्हारा नाम और मेरा नाम हिन्दु हो गया
है। कुफ्र की सजा हम दोनो को मिलेगी। दोनो ही दोजख की आग मे जलेंगें लेकिन आज के बाद
यही सच्चायी है। अब जिस दिन दिन तुम निकाह करना चाहोगी उसी दिन हमारा निकाह हो जाएगा।
वह कुछ नहीं बोली बस अपने पासपोर्ट, आधार कार्ड और वोटर
कार्ड पर मेरा नाम देखती रही थी। …चलिये हम कल ही निकाह कर लेंगें। …बानो निकाह करने
से पहले अच्छी तरह से सोच लेना कि हिन्दु का निकाह सात जन्मों का होता है और अगर खाविन्द
पसन्द न आये तो उसमे तलाक भी नहीं हो सकता। कुछ देर बात करने के बाद नींद ने घेर लिया
था।
अगले दिन दोपहर तक
हम काठमांडू पहुँच गये थे। ठंड पूरे जोरों पर थी। आरफा की हालत पतली हो गयी थी। एक
अच्छे से होटल मे हम ठहर गये थे। उन दोनो को शाम को टैक्सी से काठमांडू शहर घुमाया
और फिर रात को जल्दी सो गये थे। सुबह से मेरा काम आरंभ हो गया था। सबसे पहले दूतावास
मे मनोहर लाल से मिला और उसकी मदद से मैने अपना बैंक मे अकाउन्ट खुलवाया और फिर उसको
एक आफिस और एक गोदाम की जगह तलाशने का काम देकर मै हरि सिंह रावत के साथ एक वकील से
मिलने के लिये चला गया था। वह वकील हमारे दूतावास के कानूनी काम भी देखता था। एक दिन
मे ही मेरे बहुत से काम हो गये थे। दोपहर तक मैने अजीत सर के पास अपना अकाउन्ट नम्बर,
बैंक का नाम और कोड भिजवा दिया था। अगले दिन सुबह से शाम तक हम आफिस और गोदाम की जगह
देखने के लिये निकल गये थे। मै अपना आफिस बिलावल ट्रांस्पोर्ट के आफिस के पास खोज रहा
था। डीलर ने तीन जगह दिखायी थी परन्तु कहीं गोदाम पसन्द नहीं आया तो कहीं आफिस की लोकेशन
अच्छी नहीं लगी थी। तीन दिन इसमे खराब हो गये थे। एक दिन सुबह बात करते हुए मैने डीलर
से कहा… मै ऐसी जगह भी ले सकता हूँ जहाँ उपर घर हो और नीचे आफिस बन जाये। यह सुन कर
वह तुरन्त मुझे एक नयी इमारत दिखाने के लिये चल दिया था। बिलावल ट्रांस्पोर्ट के आफिस
से कुछ दूरी पर वह नयी इमारत थी। तीन मंजिला पक्का मकान बनाया था। सारी आधुनिक चीजे
लगायी हुई थी। बस परेशानी थी तो प्रथम तल पर आफिस के लिये इंटिरियर का काम कराना पड़
रहा था। डीलर ने मकान मालिक से बात करके उसे तैयार करा लिया कि अगर पूरा मकान किराये
पर उठेगा तो वह इंटिरियर का काम करवा देगा। वह मकान तबस्सुम को दिखाया तो उसे भी पसन्द
आ गया था। मैने उसी दिन डीलर से उस मकान का एग्रीमेन्ट बनाने के लिये कह दिया था। अब
गोदाम बच गया था। प्रापर्टी डीलर ने एक गोदाम शहर के बाहर दिखाया था। वह ऐसी जगह था
जहाँ से कुछ दूरी पर टैक्स का नाका था। भारत से आने व जाने वाली सभी गाड़ियाँ उस नाके
से होकर निकलती थी। गोदाम के बाहर बैठ कर सभी दिल्ली जाने वाली गाड़ियों पर यहाँ से
नजर रखी जा सकती थी। उस वक्त मै बिलावल ट्रांस्पोर्ट के आफिस के पास गोदाम तलाश कर
रहा था इसलिये मैने उसे मना कर दिया था। अब बिलावल ट्रांस्पोर्ट के आफिस के पास मेरा
घर और आफिस हो गया था तो वह गोदाम मैने किराये पर लेने का मन बना लिया था।
पाँचवे दिन तक सब
कुछ काम समाप्त हो गया था। सारे पैसे मेरे अकाउन्ट मे आ गये थे। मकान, आफिस और गोदाम
भी फाईनल हो गया था। एक्स्पोर्ट-इम्पोर्ट कंपनी के पंजीयन के कागजात भी तैयार हो गये
थे। सातवें दिन तक मेरी कंपनी के लिये सारी औपचारिकताएँ पूरी हो गयी थी। आरफा और तबस्सुम
ने अपनी पसन्द से घर की जरुरत और सजावट का सामान खरीद कर रहने लायक बना दिया था। उन
दोनो को आफिस के इंटिरियर के काम की देखरेख के लिये वहीं छोड़ कर मै अगले दिन दिल्ली
वापिस आ गया था। मुझे अब अपना काम आरंभ करना था।
अजीत, वीके और जनरल
रंधावा के साथ आफीसर्स कल्ब मे मिलने का समय तय करके आफशाँ से मिलने चला गया था। उसका
पता ढूंढते हुए जब मै उसके घर पर पहुँचा तो वह इलाका जाना पहचाना सा लग रहा था। जैसे
ही मैने मोड़ काट कर एक दिशा मे बढ़ा मेरी नजर दीपक सेठी के आलीशान बंगले की ओर चली गयी
थी। मै इस इलाके मे बस तीन बार आया था इसीलिये कोलोनी का नाम मुझे याद नहीं था परन्तु
रास्ते से अनजान नहीं था। सेठी के मकान से कुछ दूरी पर आफशाँ की कंपनी ने उसे एक आलीशान
बंगला दिया था। मैने अपनी जीप उसके मकान के बाहर रोकी तो जल्दी से दरबान भागता हुआ
मेरी ओर आकर बोला… साहब यहाँ गाड़ी मत लगाईये। …भाई, मुझे तुम्हारी मैडम ने मिलने के
लिये बुलाया है। …साहब मैडम घर पर नहीं है।
मै अभी सोच ही रहा था कि क्या करना चाहिये कि तभी एक आलीशान कार मेरी जीप के
पीछे आकर रुकी तो दरबान अचानक बिगड़ते हुए बोला… मैडम आ गयी। अपनी गाड़ी हटाईये। तभी
पीछे खड़ी हुई कार ने हार्न बजा कर उस बेचारे दरबान को आतंकित कर दिया था। मै जीप से
उतर कर उसको समझाने की कोशिश कर रहा था कि तभी आफशाँ कार से उतर कर भागते हुए मेरी
ओर आयी और अपनी बाँहों मे भर कर बोली… तुम पहुँच गये। बेचारी छोटी सी मेनका भी अपनी
अम्मी के पीछे भागती हुई आयी और मेरी टाँगों से लिपट गयी थी। मेनका को गोदी मे उठाकर
और आफशाँ को अपने साथ लेकर मैने दरबान से कहा… अपने ड्राइवर से कह कर इसे अन्दर खड़ी
करवा देना। हम तीनों अन्दर आ गये थे।
उसके मकान को देख
कर मैने कहा… तुम्हारी कंपनी ने बेहद आलीशान मकान दिया है। वह गर्व से बोली… मै अब
स्टेशन हेड बन गयी हूँ। मेनका मेरा हाथ पकड़ कर खींच रही थी। …अब्बू, चलो न। मै खिंचते
हुए उसके साथ चल दिया था। वह मुझे अपना कमरा दिखाने ले गयी थी। आफशाँ ने उसका कमरा
बड़े सुन्दर ढंग से सजाया हुआ था। वह अपने खिलौने और अपना बेड बड़ी उत्साह से दिखा रही
थी। …मेनका अब तुम अकेली यहाँ सो जाती हो या अभी भी अम्मी के पास ही सोती हो। वह शर्मा
गयी तो आफशाँ ने उसे अपनी गोदी मे उठा कर कहा… कभी मै यहाँ सो जाती हूँ और कभी यह मेरे
पास आ जाती है। हम दोनो अभी भी साथ सोते है। मैने हंस कर कहा… एक कमरा माँ ने ले लिया
और एक बेटी ने ले लिया तो अब अब्बू के लिये कोई कमरा बचा है या मुझे बाहर सुलाओगे।
दोनो ने हँस कर एक कमरे की ओर इशारा कर दिया था। …गेस्ट रुम। मै वहाँ नहीं सोने वाला।
कुछ देर उनके साथ हंसी मजाक करने के बाद मैने पूछा… आफशाँ, मेनका के स्कूल का काम हो
गया? …पेपेर्स जमा करवा दिये है। एक दो दिन मे हो जायेगा। तुम कब आये? …आज सुबह ही
आया हूँ। …समीर, छह साल हो गये हमे ऐसे रहते हुए लेकिन बड़ी मुश्किल से अब साथ रहने
का मौका मिला है। …आफशाँ, मेरी फील्ड की ड्युटी है। …तो क्या हुआ? अब ऐसा तो नहीं होगा
कि कि दस महीने के बाद बस दो महीने के लिये यहाँ आओगे। कुछ दिनों के लिये जाओगे और
फिर वापिस आ जाओगे। मेनका भी बड़ी हो गयी है। उसे भी तुम्हारी कमी खलती है। शाम तक हम
इन्हीं घरेलू बातों मे उलझे रहे थे। …आफशाँ कुछ देर मे मेरी मीटिंग आफीसर्स मेस मे
है। लौटने मे शायद मुझे देर हो जाएगी। तुम मेरा इंतजार मत करना। यह बोल कर मै वहाँ
से निकल कर आफीसर्स मेस की ओर चल दिया था।
मै सोच रहा था कि
मैने अपनी जिंदगी खुद ही इतनी उलझा ली थी कि अब भविष्य मे इसके सुलझने की कोई गुंजाइश
नहीं दिख रही थी। सात बजे मै आफीसर्स मेस की बार मे प्रवेश कर रहा था। वह तीनो हाथ
मे ड्रिंक्स लिये एक किनारे में बैठ कर बात कर रहे थे। मै उनकी ओर चला गया। मुझे देखते
ही जनरल रंधावा ने कहा… मेजर, हमारी व्हिस्की चल रही है। तुम क्या लोगे? मैने जल्दी
से अपना फौजी सैल्युट किया और बैठते हुए कहा… यही ले लूँगा। जनरल रंधावा ने मेरे लिये
आर्डर देने के बाद पूछा… वहाँ का हाल सुनाओ। …सर, आईएसआई के मुख्य ट्रांस्पोर्टर के
पास ही मैने आफिस और रहने का इंतजाम कर लिया है। कंपनी भी रजिस्टर हो गयी है और उसके
नाम से एक गोदाम का भी इंतजाम कर लिया है। अब मुझे एक आधुनिक सर्वैलेन्स सिस्टम और
संचार सिस्टम की जरुरत है। इसी के साथ मुझे हथियार और असला बारुद भी चाहिये। अजीत सर
ने कुछ सोच कर कहा… मेजर यह सारा सामान सीमा पार कैसे लेकर जाओगे? …सर, उस ट्रांस्पोर्ट
कंपनी के दो ट्रक अभी हमारे कब्जे मे है। जब वह ट्रक वहाँ से यहाँ आ सकते है तो यहाँ
से वहाँ भी आसानी से जा सकते है। उन्हीं ट्रकों मे सारा सामान लेकर जाने की सोच रहा
हूँ। तीनो ने कुछ देर सामान के इंतजाम के बारे मे बात करने के बाद वीके ने कहा… मेजर
दो-तीन दिन मे सब सामान का इंतजाम हो जाएगा।
…सर, अपना काम शुरु
करने के लिये मुझे अब अपने साथी चाहिये। एक हफ्ते मे मैने काठमांडू मे आईएसआई के सभी
हाटस्पाट्स की निशानदेही कर ली है। रा के लोगों ने बताया है कि आईएसआई का सारा नेटवर्क
पाकिस्तान दूतावास के बजाय काठमांडू से बाहर एक शाही मस्जिद से चलता है। यह भी सुनने
मे आया है कि ब्रिगेडियर शुजाल बेग हर जुमे की नमाज के लिये वहाँ जाता है। अजीत सर
ने मेरी बात को अनसुना करके पूछा… मेजर, तुम कौनसा कारोबार करने की सोच रहे हो? आखिरकार
कोवर्ट आप्रेशन काठमांडू मे करने के लिये एक पुख्ता फ्रंट खड़ा करना पड़ेगा। किस नाम
से कंपनी खोली है? …गोल्डन इम्पेक्स कंपनी। आयात और निर्यात के कारण मुझे वहाँ पर जरुरत
के हिसाब से काम जमाना होगा। फलों के काम को मैने थोड़ा नजदीक से देखा है तो अभी के
लिये मै वही काम करने की सोच रहा हूँ। अजीत ने कुछ सोच कर कहा… मेजर, फ्रंट मजबूत होना
चाहिये। वीके तुम उस बाबा से कह कर नेपाल के लिये उसके आयुर्वेदिक सामान का इसे वितरक
क्यों नहीं नियुक्त करवा देते। अगर उसे पैसों की मांग है तो मेजर की कंपनी के पास पैसा
भी है। इससे हमारे लिये एक अच्छा फ्रंट तैयार हो जाएगा। …मेजर, अजीत सही सोच रहा है।
इन कामों के लिये एक मजबूत फ्रंट होना चाहिये। बाबा अपने नाम से दवाईयाँ, कास्मेटिक्स,
जूस, व अन्य सामान दुनिया भर मे बेच रहा है। तुम उसे नेपाल मे बेचना शुरु कर दो। इसके
बहाने तुम अपने आदमियों का नेटर्वक खड़ा करने मे कामयाब हो जाओगे। मै उनसे बात करके
कल तक तुम्हें बता दूँगा। बाबा राजी नहीं हुआ तो और भी बहुत से लोग है जिनका काम तुम
नेपाल मे कर सकते हो। एक घूँट लेकर मैने कहा… सर, यह सही है कि वहाँ पर स्थायी रुप
से एक आब्सर्वेशन पोस्ट बनाने की मंशा से जा रहा हूँ। उसके लिये अजीत सर का कहना ठीक
है कि कारोबारी कंम्पनी का फ्रंट मजबूत होना चाहिये। स्थायित्व के लिये मै इस कंम्पनी
को भारत सरकार से दूर रखना चाहता हूँ क्योंकि अगले कुछ दिनों मे नेपाल की सुरक्षा एजेन्सियों
की नींद हराम होने वाली है। …मेजर, उद्देश्य पूरा करके तुम्हें वापिस आना है। …जी सर।
उद्देश्य को पूरा करके मै वापिस आ जाऊँगा परन्तु काउन्टर आफेन्सिव के लिये वहाँ पर
हमारा कवर तो हमेशा के लिये तैयार हो जाएगा।
अजीत ने कहा… रंधावा
तुम कमांड सेन्टर मे जनरल मोहन्ती से बात करके उपयुक्त संचार माध्यम स्थापित करने के
लिये सामान की लिस्ट तैयार करवा लेना क्योंकि उसके लोग वहाँ जाकर उस संचार सिस्टम को
स्थापित करेंगें। मेजर, सेना ने तुम्हारी लिस्ट मे दिये गये लोगों को छोड़ने के लिये
समय मांगा है। उनमे से आठ लोग ऐसे है जिन्हें आठ साल के बाद पहली बार फैमिली पोस्टिंग
मिली है। अगर तुम कहो तो कैप्टेन यादव की टीम को हम तुरन्त तुम्हारे साथ भेज सकते है।
उसकी टीम मे चौबीस लोग है। सभी सदस्यों को पहाड़ी क्षेत्रों और जंगलों मे गुरिल्ला युद्ध
लड़ने का अनुभव है। …सर, आप कैप्टेन यादव की टीम से बात कर लिजिये क्योंकि वह सेना के
रुप मे वहाँ नहीं जा रहे है। वहाँ पहुँच कर मै किसी सही और गलत के विवाद मे नहीं पड़ना
चाहता। वहाँ पर दुश्मन बिना किसी नियम के वार करेगा इसीलिये हमे भी नियमों को कुछ दिन
ताक पर रखना पड़ेगा। अगर वह तैयार है तो सड़क के रास्ते से सामान के साथ मै उन्हें भी
अपने साथ लेकर काठमांडू चला जाऊँगा। जनरल रंधावा ने कहा… समीर, अभी कितने दिन के लिये
यहाँ हो? …सर, एक हफ्ते से ज्यादा यहाँ नहीं रुक सकता। हम कुछ देर और बैठे फिर उनसे
इजाजत लेकर मै वापिस चल दिया। आदतानुसार मैने जीप को कैंम्पस की ओर मोड़ दिया था परन्तु
आफशाँ की याद आते ही उसके बंगले की ओर चल दिया था।
घर पहुँचते दस बज
गये थे। इस बार जीप को देखते ही दरबान ने गेट खोल दिया था। मैने जीप खड़ी की और मकान
के बन्द दरवाजे पर पहुँच कर एक पल के लिये रुक गया था। घंटी का बटन दबाने से पहले ही
आफशाँ ने दरवाजा खोल दिया था। …आफशाँ आज मुझे पूरा दिन खाना नहीं मिला है। सुबह नाश्ता
किया था और अब घर मे जो कुछ भी रखा है वह दे दो। मैने अपना कोट कुर्सी पर फेंक कर हाथ
मुँह धोने चला गया था। जब तक बाहर आया तब तक आफशाँ ने खाना मेज पर सजा दिया था। …अरे
अभी तक तुमने खाना नहीं खाया। …हम दोनो तो खा चुके थे। तुम्हारे लिये रख लिया था। मै
खाना खाने बैठ गया था। …मेनका सो गयी? …जब से उसका स्कूल जाना शुरु हुआ है तभी से मैने
उसे दस बजे सोने की आदत डाल दी है। तुम्हारी राह देखते-देखते वह सो गयी। खाना समाप्त
करके मै हाथ मुँह धोकर जैसे ही मुड़ा आफशाँ मुझसे लिपट गयी थी। उसको अपनी बाँहों मे
बाँध कर कुछ देर युंहि खड़ा रहा था। उसके कोमल जिस्म को मै बहुत दिनों के बाद महसूस
कर रहा था। उसकी मेरे प्रति आस्क्ति का उसका हर अंग मुझे एहसास करा देता था। उसको बाँहों
मे बांधे मै बेडरुम की दिशा मे चल दिया। …समीर। …हुँ। …कभी इतने दिनों मे मेरी याद
आयी। …पगली, यह कोई पूछने की बात है। एक झटके मे उसे अपनी बाँहों मे उठा कर बेडरुम
मे चला गया और बेड पर लिटा कर उस पर छा गया। इतने दिनो मे उसके जिस्म की बनावट मे लेशमात्र
भी फर्क नहीं आया था। उस रात हमारे एकाकार मे एक तीव्रता थी। दोनों जिस्म एक दूसरे
जब टकराते थे पूरे जिस्म मे करंट दौड़ जाता था। उसकी हर सिस्कारी पर कुर्बान होने का
मन कर रहा था। जब तूफान गुजर गया और हम अपनी साँसों पर काबू करने की कोशिश कर रहे थे
तब आफशाँ ने कहा… अब पहली बार मै आफिशियल पार्टियों का मजा ले सकूँगी। पहले आफिस की
पार्टी मे जाती थी परन्तु जब तुम नहीं होते थे तो वहाँ पर कुछ कमी महसूस होती थी। सभी
अपने-अपने जोड़े से पहुँचते और मै सिर्फ अकेली पहुँचती थी। मेनका के कारण वापिस घर पहुँचने
की जल्दी भी दिमाग मे रहती थी। यहाँ पर वैसे भी कंपनी के कारोबार को बढ़ाने के लिये
पार्टियों मे जाना पड़ेगा और कभी-कभी अपने यहाँ भी पार्टी देनी पड़ेगी। तुम साथ होगे
तो पार्टी का मजा दुगना हो जाएगा।
उसकी बात सुनते ही
मेरे दिमाग मे घंटी बज गयी थी। मोनिका और अंसार रजा की पार्टी मे जाकर देख चुका था
कि वहाँ क्या होता है। वैसे भी यहाँ के पार्टी सर्किट मे मेरा परिचय तो सेब के कारोबारी
का था। अगर आफशाँ ने बता दिया कि मै सेना के लिये काम करता हूँ तो मेरी सारी योजना
पर पानी फिर जाएगा। …समीर क्या सोच रहे हो? …आफशाँ तुम्हारे साथ पार्टी मे जाने मे
मुझे कोई परेशानी नहीं है। बस एक मुश्किल है कि यहाँ पर लोग मुझे सेब के कारोबारी के
रुप मे जानते है। अगर तुमने यह बताया कि मै सेना मे हूँ तो फिर वह तुम्हारा भी बहिष्कार
कर देंगें। ज्यादातर पार्टियों मे उपस्थित चेहरों को मै जानता हूँ। सभी बड़े संभ्रात
और अमीर लोग है परन्तु उनके विचार सेना के लिये अच्छे नहीं है। …पर मेरे आफिस के सभी
लोग जानते है कि तुम सेना मे हो तो उनके सामने अब क्या कहूँगी। …कुछ कहने की जरुरत
नहीं है। जब कोई पूछे तो सिर्फ इतना कह देना कि हमारे सेब के बाग है। यह भी तो सच है।
वैसे जब से तुमने पार्टियों की बात की है तो अब मुझे तुम्हारी चिन्ता हो रही है। यहाँ
सभी रसिक लोग है। वह तुमको देख कर अपना बनाने की कोशिश मे जुट जाएँगे। यहाँ किसी की
बीवी, बहन और बेटी का कोई परहेज नहीं है। एक पार्टी मे तो मैने खुद देखा था कि वह आई
अपने पति के साथ परन्तु गयी किसी और के साथ। …ऐसे लोग हर पार्टी मे होते जो किसी को
अकेला देख कर चांस मारने की कोशिश करते है परन्तु यह तो उस पर है कि वह उन्हें कैसे
डील करती है। एक बार मना कर दिया तो फिर कोई दूसरा हिम्मत नहीं करता। तुम मेरी चिन्ता
मत करो मै ऐसे लोगों को समझाना अच्छे से जानती हूँ।
मैने उसे पकड़ कर अपने
उपर खींचते हुए कहा… मुझसे बेहतर बट परिवार की लड़कियों को कौन जान सकता है। एक बार
फिर से उसकी कामाग्नि भड़काने मे जुट गया था। इस बार हम अपने पुराने स्वरुप मे आ गये
थे। एक दूसरे की जरुरत समझते हुए इस बार एकाकार मे वह तीव्रता नहीं थी। इस बार दोनो
का एक दूसरे के प्रति संपूर्ण समर्पण की कोशिश रही थी। जब तक तूफान शान्त हुआ तब तक
दोनो थक कर चूर हो गये थे। एक दूसरे को बाँहों मे लिये सो गये थे। मेरी आँख सुबह जल्दी
खुल गयी थी। हमेशा की तरह मैने अपनी चाय बनायी और तैयार होने के लिये चला गया था। जब
तक बाहर निकला तब तक आफशाँ भी जाग गयी थी। सुबह की रौशनी मे उसका चेहरा दमक रहा था।
उसने आराम से अपना नाइट सूट पहना और मेरे पास आकर बोली… आओ बाहर चल कर बैठते है। अपने
कपड़े पहन कर मै जब बेडरुम से बाहर निकला तब वह आर्म चेयर पर बैठ कर चाय पी रही थी।
…समीर, तुम मुंबई
कब जाओगे। फ्लैट और कार का मै कुछ नहीं कर पायी थी। बस फिलहाल के लिये मैने उस आया
से कह दिया था कि हफ्ते मे एक बार आकर फ्लैट की सफाई करके चली जाया करेगी। फ्लैट की
चाबी उसके पास छोड़ आयी थी। …तुम चाहो तो मै आज ही चला जाता हूँ लेकिन पहले यह सोच लो
कि करना क्या चाहती हो। अगर किराये पर देना है तो वैसे यहाँ से सोच कर जाना होगा और
किराये पर नहीं देना है तो फिर उसका कोई पुख्ता इंतजाम करना होगा। …अपनी सोसाईटी वाले
तो मुझे वह फ्लैट किराये पर चढ़ाने की बात कर रहे थे परन्तु मेरे दोस्तों ने कहा कि
ऐसी गल्ती कभी मत करना। इसीलिये मैने यह काम तुम्हारे उपर छोड़ दिया है। …आफशाँ कुछ
दिन जो इंतजाम करके आयी हो उसको चलने दो। ठंडे दिमाग से सोच कर ही इस बारे मे कोई निर्णय
लेंगें। …तुम कहीं जा रहे हो? …नहीं। लेकिन तैयार होकर बैठ गया हूँ कि पता नहीं आफिस
से कब बुलावा आ जाये। मै बस यह कह कर चुका था कि अचानक मेरे फोन की घंटी बज उठी थी।
nice post
जवाब देंहटाएंशुक्रिया साईरस भाई। आपके दो शब्द मुझे लिखने के लिये प्रेरित करते है।
हटाएंबहुत ही उम्दा प्रस्तुति जब दोनो बिछड़े पति पत्नी अर्से बाद मिलते हैं तब उसका हाल कहीं न कहीं समीर और आफशा के तरह होता है,मगर कहीं न कहीं अफसा इस नेपाल वाली कार्यवाही में समीर के बहुत मदद कर सकती है जैसे उसकी व्यवसायिक उठना बैठना उन लोगों से हैं जो इस आतंकी संगठन से गहरे जुड़े हुए है,अब देखना है अफसा और तबस्सुम का मुलाकात कैसा रहता है और जब अदा फिरसे कहानी में लौटेगी उसका रिएक्शन। कैसा होगा अरफा और तबस्सुम को देख कर।
जवाब देंहटाएंJabardast update
जवाब देंहटाएंउत्साह बढ़ाने के लिये बहुत-बहुत शुक्रिया राज भाई।
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