गहरी चाल-13
एक घंटे के बाद मानेसर मे एनएसजी के गेस्ट
हाउस के कमरे मे शाईस्ता के सामने मै बैठा हुआ था। रज़िया टीवी पर कार्टून नेटवर्क देखने
मे व्यस्त हो गयी थी। …शाईस्ता, तुम दोनो के लिये इससे सुरक्षित कोई और जगह नहीं हो
सकती। इतना सब कुछ करना इसलिये जरुरी था कि जिससे अंसारी परिवार को लगे कि तुम अपनी
मर्जी से गयी हो। इस कारण तुम्हारे अब्बू पर अंसारी परिवार कोई आरोप नहीं लगायेगा।
शाईस्ता कुछ देर सिर झुकाये बैठी रही तब मैने उठते हुए कहा… तुम आराम से यहाँ रहो।
शाईस्ता ने एक बार सिर उठा कर मेरी ओर भीगी पलकों से देखा और फिर उठ कर मेरे पास आकर
बोली… समीर, प्लीज कुछ देर के लिये रुक जाओ। धीरे से उसके कन्धे को दबा कर मैने कहा…
यहाँ से जब जाऊँगा तभी अंसारी परिवार का हिसाब-किताब करने की सोचूँगा। उसने मेरा हाथ
पकड़ लिया और खींचते हुए दूसरे कमरे मे ले जाकर बोली… अंसारी परिवार ने ही आदिल की हत्या
करवायी थी। मैने चौंक कर उसकी ओर देखा तो वह सिर झुकाये बोली… निकाह के छह महीने के
बाद से ही उसका परिवार मुझे तलाक देने के लिये आदिल पर दबाव डाल रहा था। आदिल ने मुझे
इसके बारे मे बताया था कि अंसारी परिवार का यही चलन है कि उनके परिवार की हर स्त्री
पर हलाला के द्वारा परिवार के सभी मर्दों का हक हो जाता है। आदिल ने एक रात मुझसे कहा
कि अगर मै परिवार के दूसरे मर्दों के साथ हमबिस्तरी करने के लिये स्वयं राजी हो जाऊँगी
तो फिर तलाक की नौबत नहीं आएगी। जब मै इसके लिये राजी नहीं हुई तो एक रात उसके चचा
ने मेरे साथ जबरदस्ती करने की कोशिश मे विफल हो गया था क्योंकि आदिल बीच मे आ गया था।
उसके दो दिन के बाद एक चुनावी दौरे मे आदिल की गाड़ी मे अचानक विस्फोट हो गया जिसके
कारण आदिल और उसके चार साथियों की जान चली गयी थी। उसके अब्बा ने मुझे इद्दत के दौरान
भी नहीं बक्शा और दूसरी रात को ही उसने मेरी इज्जत तार-तार कर दी थी। उसके बाद तो…
बस इतना बोलते ही वह फूट-फूट कर रोने लगी। मै चुपचाप उसके गम का साथी बन गया था।
ऐसी बदचलनी की कहानी शाईस्ता की जुबानी सुन
कर मुझे उस अंसारी परिवार से नफरत हो गयी थी। वह सुबकते स्वर मे बोली… मुझे बाद मे
पता चला कि मुझे मेरे अब्बू के पापों की सज़ा दी जा रही थी। आदिल की मौत के छह साल बाद
पहली बार मै उस घर से बाहर निकली हूँ। मैने सोच लिया था कि अब दोबारा जीतेजी उस घर
मे वापिस नहीं जाऊँगी। मैने तो दोनो घरों को छोड़ने का फैसला कर लिया था। अगर तुम मेरी
मदद नहीं करते तो मै रज़िया को मार कर खुद मर जाती। …रज़िया किसकी बेटी है? …पता नहीं
लेकिन नौ महीने मैने इसे अपनी कोख मे पाला है तो अब यह मेरी बेटी है। शाईस्ता को अपने
आगोश मे बाँध कर चुप कराते हुए कहा… आज के बाद उनके रोने का समय शुरु हो जाएगा। बस
तुम्हें अब अपने और रज़िया के भविष्य के बारे मे सोचना है। वह कुछ देर मेरे सीने मे
चेहरा छिपाये खड़ी रही और फिर अलग होकर बोली… आदिल के अब्बा मुश्ताक, उनके तीन भाई अतीक,
अरशद और अफरोज। आदिल के दो बड़े भाई कामरान और इमरान। दो दूल्हे भाई सरफराज और हमीद।
इन लोगों को बिल्कुल मत बक्शना। अंसारी परिवार के काले कारोबार पर इन्हीं सब का आधिपत्य
है। परिवार की सुरक्षा की देखभाल मुख्य तौर पर शकील और गुड्डू नाम के शार्पशूटर्स के
हाथ मे है। मै जल्दी-जल्दी नाम नोट करने मे जुट गया था। सबके नाम लिखते हुए मेरे दिमाग
मे एक विचार आया तो मैने पूछ लिया… शाईस्ता क्या तुम्हारे सामने कभी शुजाल बेग नाम
का जिक्र आया है? वह कुछ देर सोचने के बाद बोली… नाम सुना हुआ लग रहा है परन्तु मै
यकीन से नहीं कह सकती। कुछ देर उसके साथ बिताने के बाद मै कैप्टेन यादव से मिलने के
लिये चला गया था।
कैप्टेन यादव की टीम मेरा इंतजार कर रही थी।
मैने उनको पहला टार्गेट देकर और हमले का ब्लू प्रिंट और उसकी बारीकियाँ समझा कर कहा…
इस हमले मे जान और माल की चिन्ता करने की जरुरत नहीं है क्योंकि यह सभी आतंक के पर्यायवाची
है। बस आज रात को इस दिये गये पते पर ऐसा ब्लास्ट होना चाहिये कि दुश्मन थर्रा उठे।
…यस सर। …उन ट्रकों मे रखे हुए ग्रेनेड्स और सेम्टेक्स की छ्ड़ों का खुल कर प्रयोग करना।
…यस सर। इतना बोल कर मै अपने घर की ओर चल दिया। रास्ते मे फोन पर मैने अजीत सर को सारी
कहानी बताने के बाद पूछा… आज की कार्यवाही के बाद क्या आप अंसार रजा से मिलने के लिये
तैयार हो जाएँगें? …मेजर, उससे मिलने का टाइम बाद मे आयेगा। अगर आज और कल का कार्य
सिद्ध हो गया तो वह खुद मजबूरी मे मुझसे मिलने के लिये आयेगा। उसके बाद ही हम उसके
द्वारा इस नापाक इस्लामिक एकता के गठजोड़ को तोड़ने मे कामयाब होगें। इतनी बात करके मैने
फोन काट कर अपनी ड्राईविंग पर ध्यान केन्द्रित किया।
घर पर आफशाँ मेरा इंतजार कर रही थी। …इतनी देर कैसे हो गयी? …आफिस
मे मीटिंग देर तक खिंच गयी थी। इतना बोल कर मै कपड़े बदलने के लिये चला गया था। जब तक
लौटा तब तक मेनका भी अपने रंग मे आ गयी थी। वह अपनी दिन भर की कहानी सुनाने बैठ गयी
थी। मैने एक बात कुछ दिनों से नोट कर रहा था कि मेनका के आते ही हमारी अपनी बातचीत
नेपथ्य मे चली जाती थी। हमारा सारा ध्यान मेनका पर केन्द्रित हो जाता था। हमने साथ
डिनर किया और फिर लान मे टहलने के लिये निकल गये थे। कुछ देर के बाद ही मेनका की आँखे
नींद से झपकने लगी थी। …अब्बू नींद आ रही है। आफशाँ तुरन्त मेनका को लेकर उसके कमरे
की ओर चली गयी थी। उनके जाने के बाद मैने अपने सामान से सेटफोन निकाल कर चालू किया
और पहला फोन चांदनी को लगाया… हैलो। …कौन बोल रहा है? …समीर। …बोलिये समीर। …वहाँ का
क्या हाल है? …हंगामा चल रहा है। सभी का एक ही विचार है कि शाईस्ता अपने किसी पुराने
आशिक के साथ भाग गयी है। उसकी पहचान करने की कोशिश की जा रही है। …तुम्हारे अब्बू को
खबर हो गयी? …हाँ। वह तुरन्त वापिस लौट रहे है। …क्या अंसारियों को भी इसकी खबर मिल गयी? …नहीं,
अब्बू ने मना कर दिया था। उनके आने से पहले यह खबर बाहर नहीं जानी चाहिये। …ओके। गुड
नाइट। इतनी बात करके मैने फोन काट दिया था।
मैने शाईस्ता से अंसारी परिवार के कुछ लोगों
के फोन नम्बर चलने से पहले ले लिये थे। कुछ सोच कर मैने मुश्ताक अंसारी का नम्बर मिलाया
तो कुछ देर घंटी बजने के बाद एक भारी भरकम आवाज मेरे कान मे पड़ी… हैलो। …मुश्ताक। वह
तुरन्त दहाड़ा… कौन बोल रहा है? …अंसार रजा ने अपनी बेटी को गायब कर दिया है। जो तुमने
उसकी बेटी के साथ इतने सालों तक किया था अब उसका बदला लेने की तैयारी कर रहा है। उसकी
बरेलवियों की फौज निकल चुकी है। अब तू अपने परिवार की जान बचाने की कोशिश कर…मेरी बात
को बीच मे काटते हुए वह जोर से गर्जा… तेरी मौत आयी है। बता तो सही तू कौन बोल रहा
है। …अपने बाप शुजाल बेग से पूछ लेना तो पता चल जाएगा। मै वलीउल्लाह बोल रहा हूँ। इतनी
बात करके मैने फोन काट दिया था। अपने फोन को साइड टेबल पर रख कर मै बिस्तर पर फैल गया।
आफशाँ अभी मेनका के पास थी। मै आँख मूंद कर लेट कर कैप्टेन यादव को दिये गये मिशन के
बारे मे सोचने लगा। कुछ देर के बाद आफशाँ ने कमरे मे प्रवेश किया और मुझे वहाँ देख
कर वह चुपचाप मेरे साथ लेट कर धीरे से बोली… समीर, सो गये क्या? उसने धीरे से मेरी
बाँह पकड़ कर हिलायी परन्तु मैने सोने का नाटक जारी रखा।
आफशाँ मेरे काफी करीब आ गयी
थी। उसकी गर्म साँसे मेरे चेहरे को छू रही थी लेकिन वाटरवर्ल्ड
की उसकी छवि उस दिन से मेरे दिमाग मे छायी हुई थी। अचानक मैंने करवट
लेकर उसको अपनी बाँहों में जकड़ लिया। इस
अप्रत्याशित हमले से वह चौंक गयी और उसके मुख से चीख निकल गयी थी। …डरपोक। यह बोल कर
मै खिलखिला कर हँस दिया। उसने झेंप अपना चेहरा मेरे सीने मे छिपा लिया लेकिन मैने उसके
चेहरे को दोनो हाथों मे थाम कर उसके थोड़े से खुले हुए गुलाबी
होंठों को चूम कर बोला… इतनी देर उसको सुलाने मे लगा दी। मेरे
हाथ उसके जिस्म के नाजुक अंगों के साथ खिलवाड़ करने में लग गये। उसने कसमसा कर दूर होने की चेष्टा की परन्तु जब उसकी सारी कोशिश असफल हो
गयी तो मुझसे लिपट गयी। उसी पल मैंने उसके गालों और होंठ पर अपने होंठों से लगातार प्रहार
करना आरंभ कर दिया था। कुछ ही देर मे हम दोनो को कपड़े काटने लगे
थे। सारी छेड़खानी त्याग कर आनन-फानन मे एक दूसरे के कपड़े उतारने मे जुट गये थे।
कुछ ही समय मे हम दोनो निवस्त्र होकर एक दूसरे
को बाँहों मे जकड़े बिस्तर पर जोर आजमाईश कर रहे थे। अब कामाग्नि दोनों जिस्मों में प्रजव्लित हो गयी थी और हम दोनों
उस अग्नि को और भड़काने के लिये अग्रसर हो गये थे। आफशाँ
का संगमरमरी गदराया जिस्म मेरी बाँहो में मचल
रहा था। उसके मचलने की कारण मेरे हाथ उसके चिकने बदन पर
इधर-उधर फिसल रहे थे। उसको अपनी बाँहों में भर एक करवट लेकर मै उसके उपर छा गया। मेरे हाथ अपने काम में लग गये थे और मेरा हथियार अपनी
म्यान को तलाश करने में जुट गया। उसकी
कमर को नाप कर मेरे हाथ नीचे की ओर सरक कर उसके
मक्खन से चिकने पुष्ट नितंबों की मालिश करने
में जुट गये थे। जैसे हीं मचलती हुई आफशाँ को अपना योनिच्छेद खुलने और किसी गर्म जीवन्त वस्तु के प्रवेश करके
का एहसास हुआ उसने अपनी पलकें झपका कर आँखे खोल कर कहा… अब इसको
दिशा दिखाने की जरुरत भी नहीं पड़ती है। ओह…इटस हेवनली। उसके सेब से गालों को चूसते हुए मैंने कहा… यह तो इसके निशाने पर वाटरवर्ल्ड
से था। कसम खुदा की तुम स्विमिंग कास्टयूम मे जन्नत की हूर बन कर मेरे दिल पर बिजलियाँ
गिरा रही थी। मेरे होंठों ने उसके गुलाबी होंठों को अपनी गिरफ्त में
ले कर उनका रस सोखना शुरू किया। मेरे हाथ उसके भारी उन्नत वक्ष स्थल पर काबिज हो
गये थे। अपने हथियार को जड़ तक म्यान में धँसा कर धीरे-धीरे
हम दोनों अपने आखिरी पड़ाव की ओर अग्रसर हो गये थे। हम दोनों
की साँसे तेज हो चली थी और हम दोनों के अंदर स्खलन का दबाव बढ़ता जा रहा था। अचानक
आफशाँ के मुख से लम्बी सिस्कारी छूट गयी और फिर झटके लेते
हुए अपने प्रेमरस की वर्षा से मेरे लिंगदेव को सिर से लेकर गर्दन तक नहला दिया। उसका हर झटका और कंपन मुझे भी अपनी चरम सीमा की ओर धकेल
रहा था। अचानक एक क्षण के लिए मेरे लिए सब कुछ थम सा गया और फिर मेरे अंदर उफनता हुआ ज्वालामुखी फट पड़ा और बिना रुके लावा बह निकला। कुछ देर तक हम
दोनों एक दूसरे से लिपटे हुए पड़े रहे और अपनी साँसों को काबू करने लगे। मैंने आफशाँ
के कान को चूम कर धीरे से कहा… थैंक्स मेरी
जिंदगी मे आने के लिये। मुझे अपनी बाँहों जकड़ वह तुरन्त बोली… यह तो मुझे बोलना था।
…कोई बात नहीं यह फीलिंग म्युचुअल है। कुछ देर बाद हम अपनी-अपनी सपनों की दुनिया मे
खो गये थे।
हम जब सो रहे थे तब आजमगड़ की आलीशान हवेली
पर आग बरस रही थी। काफी लोग घायल हो गये थे और बहुत से लोग जान बचाने के लिये इधर-उधर
भाग रहे थे। चारों दिशा मे विस्फोट हो रहे थे। चारों दिशाओं मे भयावह वातावरण हो गया
था। स्पेशल फोर्सेज के जवान किसी को भी नहीं बक्श रहे थे। आस पड़ोस के लोग अपने घरों
मे दुबके हुए सोच रहे थे कि भला सारे प्रदेश मे आतंक मचाने वाला परिवार आज खुद आतंकित
होकर रुदन और विलाप कैसे कर रहा है। आधे घंटे मे हवेली और उससे लगा हुआ गोदाम भी खंडहर
मे तब्दील हो गया था। जिस प्रकार का कहर उस हवेली पर अचानक टूटा था उसे देख कर सभी
स्तब्ध थे। एकाएक जैसे सब कुछ शुरु हुआ था वैसे ही उसी प्रकार एकाएक मौत की शांति छा
गयी थी। तीन घंटे के बाद एक अनशिड्युल्ड फ्लाईट का अपाचे हेलीकाप्टर मानेसर के हेलीपेड
पर चौबीस सैनिकों को उतार कर एयरफोर्स स्टेशन की दिशा मे उड़ गया था।
…समीर तुम्हारा फोन बज रहा है। आफशाँ नींद
मे मुझे हिला कर बोली और फिर सो गयी थी। मैने जल्दी से साईड टेबल पर रखे हुए सेटफोन
को उठा कर बोला… हैलो। …सर, मिशन ओवर। …कोई कैज्युअलटीज। …नो सर। सब कुछ योजनाबद्ध
तरीके से हुआ था। थ्री कन्फर्मड किल्स। …गुड वर्क बोयज। प्लीज रेस्ट और दोपहर को मिलेंगें।
ओवर एन्ड आउट। मैने फोन काट दिया और तैयार होने के लिये चला गया था। मैने अंसारी परिवार
के दिल पर चोट की थी और अब उसका परिणाम देखना बाकी था। पहले हसनाबाद और फिर आजमगड़ मे
हुए एक्शन ने एक जमे-जमाये इस्लामिक चरमपंथी नेटवर्क को चुनौती देने की कोशिश की थी।
अब इसके आंकलन करने का समय आ गया था। शाईस्ता की आजादी का रास्ता अब थोड़ा सा साफ हो
गया था। अब कल पता चलेगा कि अंसारियों का कितना नुकसान हुआ था। यही सोचते हुए सुबह
की पहली किरण निकलते ही मै तैयार होकर आफिस की दिशा मे जा रहा था। जनरल रंधावा आफिस
पहुँच चुके थे। अजीत सर किसी भी समय पहुँचने वाले थे।
मै जब तक आफिस पहुँचा तब तक दोनो आ चुके थे।
एक करारा सा सैल्युट करके मै उनके सामने जाकर बैठ गया। …मेजर, मिशन का क्या हुआ? …सर,
अंसारी परिवार की पुश्तैनी हवेली और गोदाम को ध्वस्त कर दिया है। …कितने हताहत हुए?
…जान और माल की विस्तृत जानकारी अभी मिली नहीं है। थ्री कन्फर्मड किल्स की रिपोर्ट
मिली है। यह हमला अंसारी की फौज पर केन्द्रित था तो इसलिये मेरा मानना है कि तीन को
छोड़ कर परिवार के सभी सदस्य सुरक्षित है। …बड़े अंसारी को खबर कर दी? …जी सर। मुश्ताक
अंसारी का मानना है कि यह हमला अंसार रजा के दारुल उलुम बरेलवी के गाज़ियों ने किया
था। …इसकी जानकारी उसे किसने दी? …हमला करने से पहले मैने ही उसको इसकी सूचना दी थी।
…अब आगे क्या करने की सोच रहे हो? …आज अंसार रजा के अड्डे पर हमला होगा लेकिन उसको
बचने का मौका दिया जाएगा जिसके कारण वह बरेलवी फिरके के गाज़ियों के लिये वह गुहार लगाने
के लिये मजबूर हो जाएगा। …गुड, कीप अप द गुड वर्क। आज ही एनआईए की टीम को अंसारियों
के गोदाम और हवेली की जाँच के निर्देश हो जाएँगें। अब जल्दी ही अंसारी का आतंकी साम्राज्य
तबाह हो जाएगा। …सर, अंसार रजा को आज रात को देखना है। …मेजर, पहले दोनो परिवारों का
तापमान बढ़ने दो ताकि जब हम फ्रंट लाईन पर पहुँचे तब तक दोनो माफियाओं की चूलें हिल
जानी चाहिये। कुछ देर मेरी योजना पर चर्चा करके मै चांदनी से मिलने के लिये निकल गया
था।
फोन पर हमारे बीच तय हुआ था कि मुझे चांदनी
को लेकर शाईस्ता के पास जाना है। उसके घर की पहचान करने के उद्देश्य से मैने उसके घर
पर मिलना ही ठीक समझा था। मै अपने निश्चित समय पर अंसार रजा के घर पहुँच गया था। मकान
के बाहर अफरातफरी मची हुई थी। अंसार रजा की हवेली हथियारबंद गाजियों की फौज की छावनी
बन चुकी थी। बड़े से लोहे के गेट पर प्रदेश की पुलिस तैनात थी। अपनी जीप सड़क के किनारे
खड़ी करके मै पुलिस गार्ड की ओर बढ़ गया था। …मेरा नाम समीर है। मुझे चांदनी से मिलना
है। वह मेरा इंतजार कर रही है। आप अन्दर खबर कर दिजिये। उस गार्ड ने एक बार मुझे उपर
से नीचे तक देख कर बोला… रुकिये अन्दर खबर भिजवाता हूँ। क्या नाम बताया आपने? …समीर।
पुलिस गार्ड ने अन्दर यार्ड मे तैनात एक हथियारबंद गाज़ी से कहा… अन्दर खबर कर दो कि
चांदनी मेमसाहब से मिलने समीर आया है। वह आदमी तुरन्त गेट पर आकर बोला… समीर, आप आ
जाईये। वह आपका इंतजार कर रही है। गार्ड ने लोहे का गेट खोल दिया और वह आदमी मुझे लेकर
हवेली की ओर चल दिया।
बड़ी भव्य और विशाल हवेली थी। मेरी नजर उस जगह
का फौजी आंकलन कर रही थी। गेट से हवेली का द्वार लगभग पचास मीटर की दूरी पर था। उस
रास्ते के दोनो ओर हरियाली दिख रही थी। करीने से फलदार व नुमाईशी वृक्ष चारों ओर लगे
हुए थे। हवेली के साथ एक छोटी सी आधुनिक आउट हाउस जैसी इमारत थी। उसके सामने एक बड़ा
सा खाली घास का मैदान था। हवेली के द्वार तक पहुँचते हुए मै बीस हथियारबंद लोगों को
गिन चुका था। अभी पता नहीं और कितने हवेली के पीछे तैनात होंगें। हवेली के अन्दर प्रवेश
करते ही एक पल के लिये मै चौंक गया था। बड़े से अहाते के एक किनारे मे अंसार रजा मौलवियों
के समूह से किसी विषय पर चर्चा कर रहा था। मै उस आदमी के साथ चलते हुए अहाते से निकल
कर जैसे ही बड़े से कमरे मे प्रवेश किया मेरे सामने चांदनी आ गयी थी। उसके चेहरे पर
आये हुए भावों को देख कर साफ हो गया था कि वह ही नही बल्कि पूरी हवेली तनाव से ग्रसित
थी। …चलो मेरे साथ। वह व्यक्ति वापिस लौट गया और वह मुझे लेकर हवेली के एक हिस्से की
ओर चल दी थी। …तुम्हारा चेहरा उतरा हुआ क्यों है? …आज सुबह आजमगड़ से अंसारियों की ओर
से धमकी मिली है। मै चुपचाप उसके साथ चलते हुए एक कमरे मे पहुँच गया था। …बैठो। मै
अभी आती हूँ। इतना बोल कर वह कमरे से बाहर निकल गयी थी।
मैने कमरे का नीरिक्षण किया तो पाया कि वह
छोटी सी बैठक है। सजावट और सामान से लग रहा था कि शायद जनाना बैठक है। कुछ देर के बाद चांदनी एक बैग लेकर आयी और मेरी
ओर करके बोली… बाजी और रज़िया की रोजमर्रा की जरुरत का सामान है। बैग लेकर मैने पूछा…
क्या मेरे साथ चलना नहीं है? …अब्बू ने सुबह आते ही सबके घर से बाहर निकलने पर पाबन्दी
लगा दी है। …तो कब तक घर मे सब बन्द रहेंगें? …पता नहीं। अब्बू बहुत डरे हुए लग रहे
है। वह इस वक्त बरेलवी जमात के लोगों से इस मामले मे चर्चा कर रहे है। …यह कोई ऐसा
मसला नहीं है जो एक दो दिन मे सुलझ जाएगा। शाईस्ता के लिये अंसारी दबाव बना रहा है।
शाईस्ता यहाँ नहीं है तो उसे तुम्हारे अब्बू वापिस नहीं भेज सकते। अब इस हालत मे क्या
तुम सभी घर में बन्द रहोगे? …अब्बू और हमारी जमात के बहुत सारे लोग बाजी को ढूंढने
के लिये निकले हुए है। अब तुम ही बताओ कि ऐसी हालत मे मै क्या करुँ? …सबसे आसान है
कि अपनी बाजी को उन दरिन्दों के हवाले कर दो। तुरन्त चांदनी तुनक कर बोली… हर्गिज नहीं।
एक बार फिर कमरे मे चुप्पी छा गयी थी।
…चांदनी मेरे पास एक रास्ता है। उसने चौंक
कर मेरी ओर शक भरी नजरों से देखा तो मैने तुरन्त कहा… क्या मैने कभी कोई ऐसा आश्वासन
दिया है जिसको मैने पूरा नहीं किया? …बताओ तुम्हारे पास क्या रास्ता है? …अब्बा की
नाफरमानी करके मेरे साथ अभी चलो। आगे का रास्ता अपने आप निकल आयेगा। …नहीं समीर। अभी
घर के हालात ठीक नहीं है। …कोई बात नहीं। मै जा रहा हूँ। जब तुम अपने अब्बू के खिलाफ
विद्रोह करने का मन बना लो तो मुझे बुला लेना। इतना बोल कर मै उठ कर चल दिया। उसने
मुझे रोकने की कोशिश भी नहीं की थी। कुछ ही देर बाद मै मानेसर की ओर जा रहा था।
रज़िया और शाईस्ता गेस्ट हाउस के लान मे मिल
गयी थी। मैने शाईस्ता को बैग देकर कहा… चांदनी ने यह बैग तुम्हारे लिये दिया है। …वह
आयी नहीं? …तुम्हारे अब्बू आ गये है तो उसने आने से मना कर दिया। अच्छा मै अपने दोस्त
से मिल कर आता हूँ तब तक तुम अपना सामान चेक कर लो। यह बोल कर मै उस शेड की दिशा मे
चल दिया जहाँ दोनो ट्रक खड़े थे। कैप्टेन यादव और उसके साथियों की ड्युटी वहीं उन ट्रकों
की सुरक्षा पर लगी हुई थी। सभी लोग शेड मे बैठे हुए मेरा इंतजार कर रहे थे। मुझे देखते
ही सभी चौकन्ने हो गये थे। फौजी अभिवादन के पश्चात उनके साथ बैठते ही मैने पूछा… कप्टेन
यादव कल की कार्यवाही मे कोई खास बात? …सर, उनके पास आधुनिक हथियार थे परन्तु वह लोग
तो छुटभैया गुंडे लग रहे थे। उनसे बेहतर विरोधी तो उत्तरपूर्वी हिस्से मे आम लोगो के
बीच हमने देखे है। पहले फायर के बाद तो वह पागलों की तरह जान बचाने के लिये इधर उधर
भाग रह थे। …क्या उनमे से कोई दिखा था? …गुड्डू, कामरान और अरशद को उनके हिस्से की
हूरों से मिलने भेज दिया है क्योंकि उस भगदड़ मे बस उनकी पुख्ता शिनाख्त हो सकी थी।
…गुड, आज रात को दिल्ली के बार्डर पर स्थित एक हवेली पर हमला करना है। इसी के साथ मैने
कैप्टेन यादव के आईपेड पर स्थान चिंन्हित करके हमले की व्युहरचना तैयार करने मे जुट
गया था। दो घंटे की चर्चा के पश्चात मैने कहा… बोयज आज के मिशन के बाद हमे तुरन्त काठमांडू
के लिये निकलना होगा। इसलिये लौट कर अपने हथियार और असला-बारुद दोनो कंटेनर ट्रकों
मे रख कर किसी भी वक्त चलने के लिये तैयार रहना। …यस सर। इतनी बात करके मैने गेस्ट
हाउस की ओर रुख किया।
रजिया अभी भी बाहर झूले पर दूसरे बच्चों के
साथ खेल रही थी। शाईस्ता नहीं दिखी तो मै उसके कमरे की ओर चला गया था। दरवाजे पर दस्तक
देते ही उसने दरवाजा खोल दिया था। मेज पर रखे हुए बैग को देख कर मैने पूछा… सामान चेक
कर लिया? उसने बैग खोल कर मेरे सामने रख कर उपर से कुछ कपड़े हटाये तो नोटों के बंडल
देख कर मै चौंक गया। …यह क्या है? …जो तुम लेकर आये हो। कुछ सोचने के बाद मैने कहा…
शाईस्ता कल रात को गुड्डू, कामरान और अरशद एक हमले मे मारे गये जिसके कारण फिलहाल तुम्हारे
लिये कैम्पस से बाहर निकलना ठीक नहीं होगा। शाईस्ता के चेहरे पर अजीब से भाव उभरे और
फिर वह खिलखिला कर पागलों की तरह हंसने लगी तो एक पल के लिये उसमे आये हुए बदलाव को
देख कर मै असहज हो गया था। एकाएक उसकी आंखों से झरझर आँसू बहने लगे तो मैने जल्दी से
उठ कर उसको अपनी बाँहों मे भर लिया और चुप कराने मे लग गया था।
कुछ देर के बाद जब वह शांत हो गयी तब मैने
पूछा… तुम्हें अचानक क्या हो गया? …कामरान की मौत की खबर सुन कर मुझे बेहद खुशी हुई
है। वह बेहद गलीच इंसान था। उसे तकलीफ देकर आत्मिक शांति मिलती थी। अरशद और गुड्डू
तो बहशी दरिन्दे थे परन्तु कामरान तो जीता जागता शैतान था। मै अभी भी उसके चेहरे पर
बदलते हुए भावों को पढ़ने की चेष्टा कर रहा था कि वह अचानक उठी और दरवाजे को लाक करके
एक क्षण के लिये खड़ी होकर मुझे देखने लगी। मै जब तक कुछ समझ पाता उसने अपना ढीला-ढाले
कुरते का हुक खोलना आरंभ कर दिया था। मै तुरन्त उठते हुए बोला… शाईस्ता क्या कर रही
हो? …वहीं ठहरो। मेर बढ़ते हुए कदम रुक गये थे। मेरे देखते-देखते उसने अपना कुर्ता उतार
कर जमीन पर डाल दिया था। कुर्ते के नीचे कोई अन्तरवस्त्र न होने के कारण उसका सीना
अनावरित हो गया था। मै ठगा सा उसको देखता रह गया था। पहली बार मै कुछ भी बोलने की स्थिति
मे नहीं था। वह चांदनी का प्रतिरुप थी बस उम्र और शारिरिक भराव मे वह उससे भिन्न थी।
मेरी नजरे उसके भारी सीने पर टिकी हुई थी कि पता नहीं कब और कैसे उसकी सलवार सरकते
हुए जमीन पर इकठ्ठी हो गयी थी। वह पूर्ण नग्न अवस्था मे मेरे सामने खड़ी हुई थी। भारी
उन्नत स्तन और उसके शिखर पर काले अंगूर जैसे स्तानाग्र , बल खाती हुई पतली कमर, पुष्ट
उभरे हुए नितंब और सफाचट कटिप्रदेश देख कर वह कामुकता की जीवन्त उदाहरण लग रही थी।
…इधर आओ। मै यंत्रवत चलता हुआ उसके करीब चला
गया था। उसके करीब पहुँचते ही जो मैने देखा तो एक पल के लिये मेरी सारी समझ हिल गयी
थी। उसके स्तन पर कुछ खास जगहों पर बारीक परन्तु छोटे से निशान साफ दिख रहे थे। स्पेशल
फोर्सेज का प्रशिक्षण मिलने के कारण मै इंसानी जिस्म के संवेदनशील स्थानों से पूर्णत:
परिचित था। किसी ने उसके जिस्म के साथ अति पीड़ादायक खिलवाड़ किया था। मैने उसके एक स्तन
को पकड़ कर धीरे दबाया तो वह निशान साफ उजागर हो गये थे। उसके स्तानाग्र के सिरे पर
काले दस रुपये के सिक्के के आकार पर जैसे ही मैने उंगली फिरायी तो तुरन्त खुरदुरी त्वचा
का एहसास हो गया था। उसके फूले हुए अकड़े स्तानाग्र की त्वचा भी कड़ी हो गयी थी। उसके
स्तन के निचले हिस्से मे और भी निशान दिख गये थे। मैने उसके दूसरे स्तन का भी उसी प्रकार
निरीक्षण करके उसकी पीठ, कमर, नितंबों पर भी वही निशान मिल गये थे। नीचे बैठ कर जैसे
ही पाव सी फूले हुए कटिप्रदेश की संतरे की फाँकों को खोल कर जैसे ही उसके अंकुर पर
उँगली टिकाई तो मेरे मुख से स्वत: ही निकल गया… ओह नो। उसका खतना कर रखा था। एक इतनी
सुन्दर लड़की को इतना कष्ट देने की कौन दरिंदा सोच सकता था। मै खड़ा हो कर बोला… यह सब
कामरान की करतूत है। उसने डबडबाई आँखों से हामी भरी और फिर एकाएक रो पड़ी थी। उसके चेहरे
को अपने हाथ मे लेकर मैने कहा… तुमने इतने समय तक बहुत दर्द सहा है। मेरा वादा है कि
उन्हें तुम्हारे हर निशान का हिसाब देना होगा। उसके गुलाबी होंठ धीरे से खुले और उसके
जिस्म मे हरकत हुई। मै उसके चेहरे को छोड़ कर जैसे ही हटने लगा उसने मुझे अपनी बाँहों
मे जकड़ कर बोली… क्या एक बार मुझे प्यार का एहसास करा सकते हो? एक पल के लिये मै ठिठक
कर रुक गया था।
पता नहीं क्यों उस पल मेरी आँखों के सामने
अंजली कि छवि उभर आयी थी। वह भी एक दरिंदे के द्वारा सताई हुई थी। उसकी आँखों मे मैने
उस रात वही भाव देखे थे जो इस वक्त शाईस्ता की आँखों मे दिख रहे थे। मैने अचानक उसे
अपनी बाँहों मे उठाया और बेडरुम की ओर चल दिया। उस वक्त शाईस्ता के बजाय मेरे साथ मेरी
अंजली थी। हमारा एकाकार भी एक मासूम चुम्बन से आरंभ हुआ था।
अंजली रो रही थी और मैने उसके आँसुओं को पौछते हुए धीरे से उसके गाल को धीरे से चूम
लिया था। कब गाल से होंठ और होंठ से गले और कब गले से नीचे पहुँचा पता ही नही चला था।
एलिस की शिक्षा ने एकाएक मुझे कामदेव मे तब्दील कर दिया था। मेरा हर वार उसकी
सुप्त कामाग्नि को भड़काता चला जा रहा था। अंजली मेरे हर वार का न चाहते हुए भी
विरोध करती रही लेकिन फिर उसकी शक्ति क्षीण होती चली गयी थी। उसे एक मोम की गुड़िया
की तरह अपने अनुसार ढालता चला गया था। अंजली छुईमुई सी मेरे
हाथों मे मेरी चाह के अनुसार ढलती चली गयी थी। इतने सालों से यातनाओं मे दबी हुई भावनाएँ एकाएक ज्वालामुखी की तरह भड़क उठी थी।
वह मेरे हाथों मे न जाने कितनी बार मचली, मेरे नीचे न जाने
वह कितनी तीव्रता से उत्तेजना मे तड़पी और आखिरकार न जाने कितनी बार स्खलित हुई थी।
मैने बड़ी शिद्दत से उसके जिस्म के एक-एक पोर को अपनी मोहब्बत से सींच दिया था। एलिस से सीखा हुआ हर सफा मैने उस रात अंजली पर
प्रयोग किया था। आज एक बार फिर से मैने उन्हीं पलो को शाईस्ता
के साथ दोहरा दिया था। तूफान शान्त होने के बाद शाईस्ता बेसुध होकर मेरे बगल मे लेटी
हुई थी। मैने उठ कर जल्दी से कपड़े पहने और धीरे से शाईस्ता को कन्धे से पकड़ कर हिला
कर कहा… शाईस्ता उठो रज़िया आने वाली होगी जल्दी से कपड़े पहन लो। उसने अपनी थकान से
बोझिल पल्कें झपकाई और धीरे से उठ कर बैठ गयी। उसके कपड़े देते हुए मैने कहा… अब चलता
हूँ। वह कुछ नहीं बोली बस अपने कपड़े पहनने मे जुट गयी थी।
मै उसके कमरे से बाहर निकल कर अपनी जीप की
ओर चल दिया। शाम गहरी होती जा रही थी। झूले पर बच्चों का जमघट अभी भी लगा हुआ था। कुछ
अभिभावक लान मे बैठे हुए थे और कुछ जोड़े घास मे टहल रहे थे। रजिया को झूले पर झूलते
हुए देख कर मै बच्चों की दिशा मे चला गया था। रजिया को अपने पास बुला कर कहा… शाम हो
गयी है। बेटा आओ तुम्हारी अम्मी के पास चलते है। वह तुम्हारा इंतजार कर रही है। उसने
मेरा हाथ पकड़ा और गेस्ट हाउस की ओर चल दी थी। जैसे ही हम द्वार पर पहुँचे हम दोनो की
नजर शाईस्ता पर पड़ गयी जो हमारी दिशा मे आ रही थी। शाईस्ता को देख कर रजिया जोर से
चिल्लायी… अम्मी। मेरा हाथ छोड़ कर वह शाईस्ता की ओर भागते हुए चली गयी थी। बिना कुछ
बोले मै मुड़ कर अपनी जीप की दिशा मे चल दिया था।
जब तक मै घर पहुँचा तब तक आफशाँ आफिस से लौटी
नहीं थी। अपने कपड़े बदल कर मै चाय पीते हुए अंजली और शाईस्ता के बीच उलझ कर रह गया
था। अंजली और अदा के लिये मेरे मन मे हमेशा के लिये एक खालीपन का एहसास बना रहता था।
आफशाँ की बात कुछ और थी। वह मुझसे टूट कर मोहब्बत करती थी। उसकी मोहब्बत के आगे सारे
एहसास एकाएक कम हो जाते थे। मै अभी अपने रिश्तों को समझने मे उलझा हुआ था कि आफशाँ
की कार ड्राईव-वे मे आकर रुकी और उसी के साथ मेनका अपने कमरे से निकल कर अम्मी-अम्मी
चिल्लाते हुए बाहर निकली और मुझे सोफे पर अकेला बैठे हुए देख कर वह ठिठक कर रुक गयी।
वह मेरे पास आकर बोली… अब्बू आप कब आये? …अभी कुछ देर पहले आया था। तब तक आफशाँ अन्दर
प्रवेश कर चुकी थी। वह मेरे साथ बैठते हुए बोली… तुम कब आये? मैने मुस्कुरा कर कहा…
माँ और बेटी का एक ही सवाल है। क्या पहले से ठान कर बैठी हुई थी। पल भर मे ही सारे
रिश्तों की दिमागी उलझन फनाह हो गयी थी।
उसी रात को अंसार रजा के कम्पाउन्ड पर दुश्मनों
ने हमला कर दिया था। उसके दर्जन भर गाज़ी मारे गये थे और बहुत से घायल हो गये थे। प्रदेश
द्वारा दिये गये पुलिस गार्ड्स तो हमला आरंभ होते ही दुबक गये थे। मुश्किल से बीस मिनट
मे कुछ विस्फोट और गोलियों की बौछार चली थी। जैसे अचानक हमला आरंभ हुआ था वैसे ही एकाएक
थम भी गया था। रात ही रात मे प्रदेश की पुलिस एक्शन मे आ गयी थी। शक की सुई अंसारी
गैंग पर टिक गयी थी। गैंग वार का नाम देकर पुलिस ने अपनी तफ्तीश आरंभ कर दी थी। देर
रात को कैप्टेन यादव ने बेस पर पहुँच कर मुझे सफल आप्रेशन की सूचना दे दी थी।
अगली सुबह होते ही चांदनी का फोन आ गया था।
वह मुझसे तुरन्त मिलना चाहती थी। राजधानी स्थित मिडिया भी अंसार रजा के उपर हुए हमले
की कहानी को बड़-चड़ कर सुनाने मे लगे हुए थे। दीपक सेठी का चैनल बिगड़ी हुई कानून व्यवस्था
को लेकर केन्द्र सरकार और राज्य सरकार के पीछे हाथ धो कर पड़ गया था। दस बजे तक मै चांदनी
के घर पहुँच गया था। आज तो उसका घर पुलिस की छावनी बना हुआ था। चांदनी से मिलने के
लिये मुझे आधा घन्टा इंतजार करना पड़ा था। उसी कमरे मे ले जाकर चांदनी ने मुझसे कहा…
मै तुम्हारे साथ चलने को तैयार हूँ। अब यह जगह किसी के लिये भी सुरक्षित नहीं है। कल
हम लोग बाल-बाल बचे है। तुम मुझे बाजी के पास छोड़ देना। …सोच लिया है। वह अपना बैग
उठा कर चलते हुए बोली… प्लीज मेरा सूटकेस तुम उठा लो। उसका सूटकेस उठा कर मै उसके साथ
चल दिया। जैसे ही हम अहाते मे पहुँचे एक दहाड़ती हुई आवाज हवेली मे गूँजी… चाँदनी। मै ठिठक कर रुक गया और
आवाज की दिशा मे मुड़ा तो पीछे से चांदनी फुसफुसा कर बोली… रुको मत, निकलो यहाँ से।
परन्तु मुझे तो इसी घड़ी का इंतजार था। अहाते की देहरी के बीचोंबीच अंसार रजा खड़ा हुआ
गुस्से से हमे देख रहा था। उसके साथ खड़े हुए पाँच गाजी भी हम दोनो को विस्मय से देख
रहे थे।
अंसार रजा हमारी ओर आते हुए चांदनी से बोला…
कमबख्त हरामखोर घर से भाग कर खानदान का नाम रौशन कर रही है। इस जलील की तो मै खाल खिंचवा
दूँगा। अपने साथ चलते हुए चार-पाँच गुन्डों पर दहाड़ा… इसके हाथ-पाँव तोड़ दो जिसने मेरी
इज्जत पर हाथ डालने की कोशिश की है। वह मेरी ओर झपटे लेकिन तब तक सूटकेस छोड़ कर मेरे
हाथ मे स्पेशल फोर्सेज की स्टैन्डर्ड इस्यु ग्लाक-17 आ गयी थी। अंसार रजा की ओर तनी
पिस्तौल देख कर मेरी ओर झपटते हुए गुंडे ठिठक कर रुके तो एक दूसरे के साथ टकरा गये
थे। अंसार रजा गुस्से से दहाड़ा… यह क्या बदतमीजी है? …शायद आपने मुझे पहचाना नहीं जनाब।
मेरा नाम समीर बट है। मै अपनी ग्लाक ताने उसकी बढ़ते हुए बोला… यह शरीफ लोगों की बातचीत
का तरीका नहीं होता। अगले ही पल वह गिरगिट की तरह रंग बदल कर बोला… ओह आप। शोरगुल सुन
कर अचानक चांदनी की अम्मी भी अहाते मे आकर खड़ी हो गयी थी। …अंसार साहब आप गलतफहमी के
शिकार है। चांदनी मेरे साथ नहीं भाग रही है। वह मेरे साथ जा रही है क्योंकि वह नहीं
चाहती कि आप अपनी झूठी शान के लिये उसकी जिंदगी को भी शाईस्ता की तरह बर्बाद न कर दें।
कहाँ के बाहुबली है आप जो उस दरिंदे से अपनी फूल सी बच्ची को नहीं बचा सके। आपकी विधायकी
की यह औकात रह गयी है कि एक मामूली गुंडा अंसारी आपको अपने पालतू कुत्ते से ज्यादा
नहीं समझता है। मेरी गैरत अभी मरी नहीं है। मैने चांदनी को दोस्त माना है तो उसका हश्र
शाइस्ता जैसा तो हर्गिज नहीं होने दूँगा। इतना बोल कर मै चुप हो गया। मौत की शांति
अहाते मे छा गयी थी। कोई भी कुछ भी बोलने की स्थिति मे नहीं था। सभी मुझे घूर रहे थे
क्योंकि पहली बार किसी ने सबके सामने अंसार रजा की असलियत खोल कर रख दी थी।
चांदनी ने तनी हुई
पिस्तौल वाले मेरे हाथ को धीरे से थाम कर नीचे करते हुए बोली… अब्बू, बाजी अब कभी वहाँ
वापिस नहीं जाएगी। आपको जो करना है वह करके देख लिजियेगा। अचानक उसकी अम्मी मेरे पास
आकर बोली… क्या मेरी बेटी तुम्हारे पास है? …नहीं। वह भारतीय सेना के संरक्षण मे है।
अब आप उसकी फिक्र छोड़ दिजिये। सात साल जो शाईस्ता ने सहा है वह मै यहाँ बयान नहीं कर
सकता। अंसार रजा चुपचाप खड़ा हुआ मुझे घूर रहा था। तभी वह आगे बढ़ा और मेरा हाथ पकड़ कर
बोला… मेरे साथ चलो। वह मुझे अपने साथ खींचते हुए चल दिया… अंसारी से टकराना इतना आसान
नहीं है। …तो अगर आपको शाईस्ता नहीं मिलती तो अंसारियों को खुश करने के लिये आप चांदनी
को भेज दिजिये। …क्या बकते हो? …मै बक नहीं रहा। ऐसे सड़कछाप गुंडे को तो भरे चौराहे
मे खड़ा करके पागल कुत्ता समझ कर गोली मार देनी चाहिये। …समीर बहुत कुछ दाँव पर लगा
हुआ है। पहली बार मुझे मौका मिला था तो मैने तुरन्त पूछा… जैसे दारुल उलुम देवबंद और
बरेलवियों के गज्वा-ए-हिन्द का गठजोड़? वह फटी हुई नजरों से मुझे देखता रह गया था। …अंसार
साहब कल तो आप बच गये थे परन्तु अगली बार क्या करेंगें? मेरी बात मानिये कि चांदनी
को उनके हवाले कर दिजिये। क्या आपको पता है कि इद्दत के दूसरे दिन ही मुश्ताक अंसारी
ने शाईस्ता की इज्जत तार-तार कर दी थी। उसके बाद तो वह बेचारी पूरे खानदान के बिस्तर
की जीनत बन कर रह गयी थी। उस बेचारी को तो अंसारी के नौकरों ने भी नहीं छोड़ा था। मै
आपकी मजबूरी समझ सकता हूँ कि गज्वा-ए-हिन्द के लिये आप एक शाईस्ता तो क्या चांदनी और
रज़िया को भी कुर्बान कर सकते है।
अंसार रजा के मुख
पर ताला पड़ चुका था। …शाईस्ता की सुरक्षा के लिये मैने वर्तमान सरकार मे अजीत सुब्रामन्यम
की मदद ली है। …कौन, एनएसए? …जी। वह भी इसलिये मदद करने के लिये तैयार हुए थे क्योंकि
मैने देवबंदी जमात के चरमपंथी मोहम्मद अली बेग की असलियत उनके सामने उजागर करके उसको
गोली मारी थी। वही शैतान जिसका फातिहा पढ़ने के लिये आप कलकत्ता गये थे। मेरी बाँह पर
उसकी पकड़ कस गयी थी। वह कुछ बोलना चाह रहा था परन्तु उसक होंठ सिर्फ फड़फड़ा कर रह गये
थे। …क्या आपको पता है कि मैने उसको क्यों मारा था? वह आश्चर्य से मेरी ओर देख रहा
था। …उस देवबंदी ने चांदनी की इज्जत पर हाथ डालने की कोशिश की थी। अंसार रजा यह सुन
कर लड़खड़ा कर जमीन पर बैठ गया था। तभी चांदनी और उसकी अम्मी ने कमरे मे प्रवेश किया
और चांदनी ने झपट कर अंसार रजा को सहारा देने के लिये उसकी बाँह थाम ली थी। उसे सहारा
देकर सोफे पर बिठा कर मैने कहा… देवबंदी फिरका आपको काफ़िर मानता है। वह संख्या और बल
मे आपसे ज्यादा है। इसलिये आप और आपके बरेलवी गाजी उनके आगे ज्यादा दिन टिक नहीं सकेंगें।
अंसार रजा का चेहरा उसकी हालात बयान कर रहा था। आँखें फाड़े चांदनी ने पूछा… क्या समीर
सच बोल रहा है? अंसार रजा की चुप्पी सारी सच्चायी चाँदनी और उसकी अम्मी के सामने बयान
कर रही थी।
आजमगड़
शहर के बाहर खेतों
के बीच एक छोटी सी हवेली मे कुछ लोग बैठ कर गहन चर्चा मे डूबे हुए थे। दर्जन भर हथियारबंद
जिहादी उस हवेली की रक्षा पर तैनात थे। …भाईजान, अंसार रजा ने पहल की है तो इसका अंत
अब हम करेंगें। मुश्ताक अंसारी जो अभी तक चुप बैठा हुआ था वह उठते हुए गुस्से से गर्जा…
बेवकूफों क्या अंसार रजा मे हमारी खिलाफत करने की हिम्मत है? एकाएक कमरे मे चुप्पी
छा गयी थी। वह फिर बड़बड़ाया… कोई बाहरी ताकत जरुर है जो उसको शह दे रही है वर्ना उसकी
ऐसी हैसियत नहीं है कि वह हमसे टकराने की सोच सके। वह कौन हो सकता है? तभी अतीक धीरे
से बोला… भाईजान कहीं शुजाल बेग तो उसके पीछे नहीं है क्योंकि हाल ही मे उसने काठमांडू
का आफिस संभाला है? मुश्ताक अंसारी कुछ सोचते हुए बोला… हो सकता है लेकिन नूर मोहम्मद
ने तो हमारा साथ देने का वादा किया था। सारी संयुक्त जिहाद काउँसिल वाले भी हमारे साथ
खड़े है तो भला शुजाल बेग उसको क्यों शह देगा। एकाएक उसकी फोन की घंटी बज उठी तो उसने
सबको खामोश रहने का इशारा करते हुए मुश्ताक बोला… हैलो। …भाईजान, सदर थाने से शफीक
बोल रहा हूँ। …बोलो शफीक। …भाईजान, एनआईए की एक टीम आपकी हवेली और गोदाम की ओर जा रही
है। उनके साथ केन्द्र की फोरेन्सिक की टीम भी गयी है। वह उस रात हुए हमले की जाँच करने
आये है। आपको इसलिये सूचना दे रहा हूँ कि अगर आरडीएक्स और सेम्टेक्स का सुराग उन्हें
मिल गया तो फिर आपके परिवार को कोई भी बचा नहीं सकेगा। …क्या उन्हें जाँच करने से रोका
नहीं जा सकता? …भाईजान इनसे भिड़ने की हिम्मत तो राज्य सरकार मे भी नहीं है तो भला थानाध्यक्ष
क्या कर सकता है। …शुक्रिया। इस खबर का इनाम कल तक तुम्हारे पास पहुँच जाएगा। इतनी
बात करके मुश्ताक ने फोन काट दिया था। …भाईजान, किसका फोन था? …एनआईए की टीम विस्फोट
की जाँच करने आयी है। …भाईजान आप तो जानते है कि हम अभी तक उस जगह को साफ नहीं कर पाये
है। अगर कोई सुराग उनके हाथ लग गया तो यहाँ से बच कर निकलना मुश्किल हो जाएगा। मुश्ताक
अंसारी के चेहरे पर परेशानी की लकीरें खिंच गयी थी।
अब अंसार रजा को आफर
देने का उप्युक्त समय आ गया था तो मैने कहा… इस वक्त आपके परिवार को सुरक्षा सिर्फ
एनएसए दे सकते है। अगर आप ठीक समझते है तो मै आपको कल ही अजीत सुब्रामन्यम से मिलवा
सकता हूँ। अंसार रजा तो कुछ भी बोलने की स्थिति मे नहीं था। वह जानता था कि एक बार
एनएसए के पास सुरक्षा मांगने के लिये गया तो फिर गज्वा-ए-हिन्द की सारी सच्चायी उसके
सामने रखनी पड़ेगी। अंसार रजा को चुप बैठे देख कर चांदनी की अम्मी बोली… यह ठीक तो बोल
रहा है। आप कल ही उनसे मिल लिजिये। आपकी इस गलीच सियासत के लिये क्या आप अपने पूरे
परिवार को दाँव पर लगाने की सोच रहे है? उन दोनो के आगे अंसार रजा का बचा-कुचा प्रतिरोध
भी फनाह हो गया था। वह धीरे से बोला… समीर, क्या तुम कल मेरी मुलाकात अजीत सुब्रामनयम
से करा सकते हो? मैने हामी भरते हुए कहा… लेकिन क्या आप उसके लिये तैयार है। अंसार
रजा के पास अब कुछ बोलने को बचा नहीं था तो उसने बेबसी मे अपना सिर हिला दिया था। मैने
उठते हुए कहा… कल सुबह दस बजे मै साउथ ब्लाक के मुख्य द्वार पर मिलूँगा। आप टाईम से
पहले पहुँच जाईयेगा। इतना बोल कर मै वहाँ से चल दिया था।
काठमांडू
ब्रिगेडियर शुजाल
बेग पाकिस्तानी दूतावास के एक कमरे मे चहलकदमी करत हुए फोन पर घुर्राते हुए बोला… नूर
मोहम्मद यह मै क्या सुन रहा हूँ? …जनाब, कुछ जानकारी की तंगी होने के कारण सही हालात
का पता नहीं चल रहा है। बंगाल से तपन बिस्वास ने खबर दी है कि रिजवी और बेग की आपसी
लड़ाई ने हसनाबाद के नेटवर्क को ही नहीं नष्ट किया अपितु सीमा से लगे हुए हमारे पाँच
गोदाम भी नष्ट हो गये है। …बेवकूफ मै मूसा की बात कर रहा हूँ। उसके भाई ने मेरा जीना
दूभर कर दिया है। उसकी कोई खबर मिली? …जनाब, पुख्ता खबर है कि वह सेना के कब्जे मे
है। एयरपोर्ट पर किसी ने उसकी शिनाख्त की थी। …आजमगड़ को तुम संभाल रहे थे तो वहाँ क्या
हुआ? …जनाब, पारिवारिक कलह के कारण अंसारी सुरक्षा एजेन्सियों की नजरों म आ गया है।
एनआईए अब उसके कारोबार और नेटवर्क की जाँच मे जुटी हुई है। अब उसका बचना मुश्किल हो
गया है। हमे उसके साथ जुड़े हुए सभी तारों को एक-एक करके समाप्त करना पड़ेगा। मैने अपने
आदमियों को इसके निर्देश दे दिये है। …यह तो होना ही चाहिये लेकिन यह पता लगाने की
जरुरत है कि यह दोनो घटनायें सिर्फ इत्तेफाक है या भारतीय सुरक्षा एजेन्सियों की सोची
समझी रणनीति के अनुसार हो रहा है? …जनाब, मेरा तो यही ख्याल है कि दोनो घटनाओं के बीच
कोई सीधा संबन्ध नहीं है क्योंकि दोनो जगह सुरक्षा एजेन्सियाँ घटना घटित होने के बाद
रुटीन जाँच के लिये आयी है। …नूर मोहम्मद उन ट्रकों का पता चला? …जनाब, फारुख का कहना
है कि लखवी की लड़की दोनो ट्रक लेकर गायब हो गयी है। अब नीलोफर के साथ अपने दोनो ट्रकों
की तलाश चल रही है। …ख्याल रहे कि अपने उतावलेपन मे तुम कहीं कोई सुराग न छोड़ देना।
बस इतना बोल कर शुजाल बेग ने फोन काट दिया था।
नूर मोहम्मद कुछ देर
चुपचाप सामने दीवार को घूरता रहा और फिर कुछ सोच कर उठ कर खड़ा हो गया। उसके द्वारा
बनाया गया जिहाद का नेटवर्क अब भारतीय सुरक्षा एजेन्सियों के घेरे मे आ गया था। अगर
जल्दी कुछ नहीं किया तो सब कुछ तबाह हो जाएगा। वह अपने सामने खड़े हुए आदमियों से बोला…
मै अभी देवबंद के लिये निकल रहा हूँ। इतना बोल कर वह कमर से बाहर निकल गया था।
बहुत ही जबरदस्त अंक और इसी के साथ एक और क्रूर घटना को खुलासा हुआ जो शाइस्था जैसी नजाने कितने ही मासूम लड़कियों के साथ हवस के चक्कर में होता है,समीर ने गरम समय में हथौड़ा मारा है जिसके चलते अंसार रजा का जो सपना था उसमें दरार हो चुका है,अब देखना है कि अंसार रजा कल सुबह का सूरज देख पता है की नही,क्यों की आतंकी कहीं रात को ही उसका खेल न समाप्त कर दें।
जवाब देंहटाएंअल्फा भाई शुक्रिया। बरेलवी और देवबंदी फिरकों के बीच नापाक गठजोड़ का रहस्य मजबूरी मे बेग ने समीर को बताया था। शाईस्ता के कारण उस गठजोड़ को तोड़ने का एक मौका मिल गया था।
हटाएंbahut achchi post thi brother
जवाब देंहटाएंधन्यवाद साईरस भाई। एक्शन इन नेपाल का बिगुल बज गया है।
हटाएंमेरा शाईस्ता के बारेमे अनुमान इतनी जलदी सच होगा सोचा न था, पर मानवीय दृष्टिकोणसे सोचे तो अंजली और शाईस्ताने बहोत घिनौने अत्याचार सहे, शाईस्ताने तो बहोत ही जादा, एक हिसाबसे समीरके बरतावसे उसका जिंदगीके प्रती नजरिया बदलेगा ऐसा मुझे लगता है, अन्सार रजा का हृदय परिवर्तन होगा के नही पता नही, पर ऐसे जिहादी मानसिकता वालोंको फॅमिली के नाम पे परास्त करना ये भी एक अच्छा मार्ग हो सकता है, देखते है समीर इसमे कितना कामयाब होता है.
जवाब देंहटाएंप्रशांत भाई जहर को जहर मारता है। जिहादी मानसिकता की अफीम चाटने बाद उनसे बदलाव की उम्मीद करना मूर्खता होगी। जब अपनों पर आतंक की परछांयी पड़ती है तब बड़े से बड़े बाहुबली की धड़कन बढ़ जाती है। शाईस्ता ने एक मौका दे दिया था। वह इस नापाक गठजोड़ को धाराशायी करने मे कितना कामयाब होते है उसे देखना अभी बाकी है। शुक्रिया दोस्त।
हटाएं