गहरी चाल-14
अंसार रजा को अजीत
सर के हवाले करके और छह दिन आफशाँ और मेनका के साथ गुजार कर मै दोनो ट्रकों मे हथियार,असला-बारुद,
अन्य सामान और स्पेशल फ़ोर्सेज के चौबीस साथियों को लेकर काठमांडू की ओर निकल गया था।
तिगड़ी ने अंसार रजा को तीन दिन मे ही पूरा निचोड़ दिया था। उसके बताये हुए ठिकानो और
व्यक्तियों की जाँच का काम एनआईए को सौंप दिया गया था। दोनो के माफिया के नेटवर्क की
निशानदेही होते ही आईबी और स्थानीय पुलिस भी हरकत मे आ गयी थी। एनआईए ने अपना सारा
ध्यान दारुल इस्लाम देवबंदी और बरेलवी पर केन्द्रित कर रखा था। प्रदेश के नेटवर्क तार
को सिरे से पकड़ कर एनआईए दूसरे राज्यों मे भी छानबीन करने मे जुट गयी थी। शाईस्ता अपनी
बच्ची को लेकर मानेसर का गेस्ट हाउस छोड़ कर वापिस अपने अब्बू के घर वापिस चली गयी थी।
अंसार रजा और मुश्ताक अंसारी के काले साम्राज्य को सुरक्षा एजेन्सियाँ हमेशा के
लिये ध्वस्त करने मे जुट गयी थी।
जम्मू मे हुए एन्काउन्टर
से मुझे पता चला था कि बिलावल ट्रांस्पोर्ट के ट्रक भारत की सीमा मे टनकपुर और नेपालगंज
से प्रवेश करते थे। यही सोच कर दोनो ट्रकों को लेकर हम देर रात को नेपालगंज बार्डर
से नेपाल की सीमा मे प्रवेश कर गये थे। सीमा पर बिलावल ट्रांस्पोर्ट के कंटेनर ट्रक
को देख कर किसी ने कुछ नहीं कहा बस ट्रक के कागज देख कर कुछ रुपये लेकर हमें जाने दिया
था। अब यहाँ से आगे का रास्ता जोखिम भरा था। उस हाईवे पर बिलावल ट्रांस्पोर्ट के ट्रकों
का आना जाना निरन्तर लगा रहता था। अगर रास्ते मे कोई खोये हुए ट्रकों की पहचान कर लेता
तो हमारे लिये नया खतरा उत्पन्न हो जाता। यही सोच कर नेपाल मे प्रवेश करते ही हमने
सीधे न जाकर थोड़ा घूम कर जाने का फैसला किया था। नेपालगंज से बीरेन्द्रनगर और फिर वहाँ
से पोखरा होते हुए हमे काठमांडू का हाईवे पकड़ना था। इसी बीच मुसीकोट के पास एक छोटी
सी वर्कशाप मे हमने दोनो ट्रकों का हुलिया बदलने का निर्णय लिया। वहाँ पर छोटा सा एयरपोर्ट
होने के कारण पेन्टर और मेकेनिक की सुविधा मिल गयी थी। सबसे पहले तो बिलावल ट्रांस्पोर्ट
के नीले रंग पर पीला पेन्ट करके उन पर बड़े-बड़े अक्षरों से गोल्डन इम्पेक्स ट्रांस्पोर्ट
का नाम लिख दिया था। दिल्ली मे ही मैने दोनो ट्रकों के जाली पेपर्स तैयार करवा लिये
थे तो उन ट्रकों की नम्बर प्लेट भी बदल दी थी। दो दिन मुसीकोट मे लगा कर वहाँ से दोनो
ट्रक अपने नये स्वरुप मे आगे की यात्रा पर चल दिये थे।
कैप्टेन यादव की टीम
से भी अब तक मेरा अच्छी तरह से परिचय हो गया था। चौबीस सैनिकों की टीम मे एक कैप्टेन,
एक सेकन्ड लेफ्टीनेन्ट, एक हवलदार और एक लाँस नायक के साथ बीस सैनिक थे। सभी ने असम
और अन्य आतंकवाद से ग्रसित उत्तर-पूर्वी क्षेत्रों मे पाँच साल बिताये थे। मुसीकोट
मे जब ट्रकों को नया रुप दिया जा रहा था तब मैने उनको आप्रेशन काठमांडू के बारे मे
जानकारी देते हुए बताया… यहाँ वर्दी नहीं हमारा युद्ध कौशल ही काम आयेगा। हर आदमी एक
टीम की तरह काम करेगा। हमेशा दो के समूह मे बाहर जाया करोगे और तीसरा उनकी परछाईं बन
कर उनका पीछा करेगा। जरुरत पड़ने पर वह तुरन्त बाकियों को खतरे की पहचान करके जानकारी
देने के बाद ही उनकी मदद करेगा। नयी जगह पर अनजाने दुश्मन को हराने के लिये हर व्यक्ति
को एक टीम की तरह काम करना पड़ेगा। उन्हें आने वाले खतरे से आगाह करके हम काठमांडू की
दिशा मे चल दिये थे। एक ओर पहाड़ और दूसरी ओर उफान पर भेड़ी नदी के साथ लहराती हुई सड़क
पर चलते हुए बिना किसी परेशानी के हम पोखरा पहुँच गये थे। पोखरा मे प्रवेश करते ही
हमारी पहली मुलाकात माओइस्टों से हो गयी थी। वह सड़क पर बैरियर लगा कर हर आने वाली गाड़ी
से पैसे वसूल रहे थे। उनको देखते ही कैप्टेन यादव ने कहा… सर सावधान। यह नये-नये क्रांतिकारी
बने है। मै इनकी नस्ल को बहुत अच्छे से जानता हूँ। इनसे मुझे बात करने दिजिएगा। कैप्टेन
यादव ने अपनी टीम को सावधान किया और खिड़की से सिर निकाल कर लाल सलाम करते हुए कुछ नोट
उस लड़के की ओर बढ़ा दिये थे। सिर पर लाल रुमाल बांधे उस लड़के ने जल्दी से नोट लिये और
अपने साथी को बेरियर उठाने का इशारा करके दूसरे ट्रक की ओर बढ़ गया था। उस ट्रक मे बैठे
हवलदार पूरन सिंह ने भी वही किया और इस तरह हम पोखरा मे प्रवेश कर गये थे।
पोखरा मे रुकने का
हमारा कोई विचार नहीं था परन्तु उस दिन माओइस्टों ने वहाँ पर सरकार के खिलाफ बंद की
घोषणा कर रखी थी। वह किसी भी गाड़ी को आगे नहीं जाने दे रहे थे। हमने शहर मे जाने के
बजाय पहले ही अपने ट्रकों को सड़क से उतार कर एक खाली स्थान पर पार्क कर दिये थे। अभी
भी शाम नहीं हुई थी तो कैप्टेन यादव और एक सैनिक पैदल शहर के हालात का जायजा लेने के
लिये चले गये थे। उनको कवर देने के लिये उनके पीछे तीन सैनिक भी निकल गये थे। तीन घंटे
के बाद कैप्टेन यादव और सभी ने लौट कर बताया कि किसी को पता नहीं बंद कब खुलेगा। वह
अपने साथ कुछ खाने का सामान ले आये थे। खाना खाते हुए मैने निर्णय लिया कि एक दिन रुकने
मे कोई हानि नहीं है परन्तु अगर यह बन्द लम्बा चला तो अगली रात को हमे जबरदस्ती यहाँ
से निकलना पड़ेगा। इसके लिये चार-चार की दो टीमें कल सुबह पोखरा से बाहर निकलने वाली
सड़क पर माओइस्टों के चेक पोइन्टस का जायजा लेने के लिये जाएँगी। देर रात तक वह लोग
रणनीति बनाते रहे थे।
दोपहर तक सभी टीम
लौट कर आ गयी थी। उन्होंने बताया कि नेपाल
फौज की एक युनिट रास्ता साफ कराने के लिये पहुँच गयी है। इस वक्त सेना माओइस्टों को
शहर से बाहर खदेड़ने मे जुटी हुई है। हम शाम तक वहीं रुके और अंधेरा होते ही हमारा कारवाँ
चल दिया था। शहर मे फौज ने कर्फ्यु लगा दिया था। किसी ने हमे रोकने की चेष्टा नहीं
की थी परन्तु शहर से बाहर निकलने के लिये फौज ने कड़ी सुरक्षा का इंतजाम किया था। हर
गाड़ी को वह चेक करके ही आगे जाने दे रहे थे। उन्हें माओइस्टों की तलाश थी परन्तु अगर
हमारे ट्रक की जाँच होती तो सामान देख कर पूरी नेपाल सेना हम पर टूट पड़ती। गाड़ियों
की लम्बी कतार लगी हुई थी। कुछ सोच कर मै ट्रक से उतर कर चौकी पर बैठे हुए अफसर के
पास पैदल मिलने चला गया था। वह लेफ्टीनेन्ट रैंक का अफसर था। मै जानता था कि नेपाल
सरकार के अधिकांश सेना के अफसर भारतीय सेना अकादमी से प्रशिक्षण प्राप्त करते थे। भले
ही राजनीति और राजनीतिज्ञ सीमा के दोनो ओर भिन्न राय रखते हों परन्तु दोनो सेनाएँ एक
दूसरे की इज्जत करती थी। यही सोच कर मैने अपना परिचय पत्र निकाल कर दिखाते हुए कहा…
मेजर समीर बट। भारतीय सेना की ओर से पोलियो के टीके की मदद लेकर नेपाल सरकार को देने
के लिये हम काठमांडू जा रहे है। दवाई है इसलिये हम रुक नहीं सकते। हमे तुरन्त जाने
की इजाजत दिजिये। एक पल के लिये उसने कार्ड देखा और फिर बेरियर की ओर चलते हुए बोला…
मेजर साहब आपने कौनसी अकादमी से है। …खड़गवासला। आपने कहाँ से कोर्स किया है। …चेन्नई।
बैरियर पर पहुँच कर वह बोला… अपने ट्रक को लाइन से बाहर निकलने का इशारा किजिये। मैने
कैप्टेन यादव को इशारा किया और दोनो ट्रक लाईन तोड़ कर आगे चल दिये थे। बेरियर के सामने
ट्रक रुकते ही वह बोला… सर, मै लेफ्टीनेन्ट बिरेन्द्र थापा। भारतीय सेना को प्रणाम
और नेपाल सेना की ओर से धन्यवाद। उसने सैल्युट किया तो उसके जवाब मे सैल्युट करके मै
ट्रक मे चढ़ गया था। अगले ही पल हमारे ट्रक आगे बढ़ गये और हम पोखरा से बाहर निकल आये
थे।
कप्टेन यादव ने पूछा…
सर, उसे क्या कहानी सुना दी? …वह चेन्नई अकादमी का पास आउट था। …सर, मैने भी तो वहीं
से कमीशन ली थी। आप मुझे बता देते तो मै भी उससे मिल लेता। …मैने उसे बताया था कि भारतीय
सेना की ओर से पोलियो की खुराक नेपाल सरकार को देने जा रहे है। यादव ने ठहाका लगा कर
कहा… मै तभी सोच रहा था कि उसने ट्रक को बगैर चेक किये कैसे जाने दिया था। सर, आपने
इतनी सफाई से कहानी सुनायी कि अगर मै भी चेकपोस्ट पर खड़ा होता तो मै भी ट्रक को खुलवाने
की कोशिश नहीं करता। पता नहीं क्यों मै इतनी सफाई से किसी को धोखा नहीं दे सकता। पहली
बार कैप्टेन यादव ने मुझे अपने अन्दर आये हुए बदलाव का एहसास कराया था। इसका श्रेय
मै उन तीनों को दे सकता था जिनका मेरी जिंदगी पर काफी असर हुआ था। मैने संजीदा स्वर
मे कहा… यह तुम्हारी कमी नहीं है कैप्टेन। यह भारतीय सेना की शक्ति है। एक सच्चा भारतीय
सैनिक कभी झूठ नहीं बोल सकता है। एक समय था जब मै भी तुम्हारे जैसा ही कैप्टेन था।
अब मै सिविलियन के वेष मे सैनिक हूँ तो यह जिंदगी झूठ और सच से भरी हुई है। यादव ने
मेरी ओर ध्यान से देखा परन्तु मै अपने ही ख्यालों मे डूब गया था।
शुरुआती दौर मे एक
शाम मै उनके साथ आफीसर्स मेस मे बैठा हुआ अपनी हक डाक्ट्रीन की रिपोर्ट पर चर्चा कर
रहा था। उसके दौरान अजीत सर की एक बात सुन कर मैने पूछा… सर एक बात मेरी समझ से बाहर
है कि वामपंथी विचार और इस्लाम एक दूसरे के अस्तित्व को सिरे से नकारते है परन्तु ऐसी
क्या बात है कि यहाँ पर उनका मजबूत गठजोड़ दिखाई देता है? अजीत सर ने मुस्कुरा कर कहा…
यह बात तुम सभी फौजियों की समझ से परे है। एक ओर वामपंथ धर्म के अस्तित्व को सिरे से
नकारता है और वहीं इस्लाम धर्म एकेश्वरवादी है जहाँ दूसरे धर्मों के लिए कोई जगह नहीं
है। दोनो ही विचार एक दूसरे से विपरीत है जिसमे एक दूसरे के लिए कोई जगह नहीं है। जैसे
वामपंथी रुस और चीन मे इस्लाम के लिए कोई जगह नहीं है और वैसे ही इस्लामिक राष्ट्रों
जैसे साउदी अरब और ईरान मे वामपंथी विचार के लिए कोई जगह नहीं है। मुझे उनकी बात समझ
मे नहीं आयी तो मैने बीच मे टोकते हुए कहा… सर, यही तो मेरा प्रश्न है कि जब दोनो ही
एक दूसरे के विपरीत कट्टर विचारधारायें है तो भारत मे यह कैसा बेमेल गठजोड़ है?
जैसे किसी बच्चे को
समझाते है वैसे ही उस दिन अजीत सर ने मुझे समझाते हुए कहा… समीर, यह बेमेल गठजोड़ भारत
मे ही नहीं अपितु सभी प्रजातांत्रिक राष्ट्रों मे देखने को मिलता है। अमरीका, ब्रिटेन,
फ्रांस व अन्य प्रजातांत्रिक राष्ट्रों मे भी यही बेमेल गठजोड़ फल फूल रहा है। इसका
बस एक कारण है कि दोनो विचारधारा वहाँ पर अल्पमत मे है। इसीलिए दोनो विचारधारायें अपने
अस्तित्व को बचाने के लिए एक दूसरे की मदद के लिये साथ खड़े हुए है। इनके गठजोड़ के पीछे
इस्लामिक मूल की दो विशेष नीतियाँ काम करती है। तक्किया डाक्ट्रीन और हुदायबिय्याह
की संधि के द्वारा पैगम्बर ने मक्का पर विजय पायी और इस्लाम धर्म की
स्थापना की थी। तक्किया की नीति कुरान मे दर्ज है और यह एक मोमिन को आवश्यकता अनुसार
कुरान पर हाथ रख कर झूठ बोलने की इज़ाजत देती है। इसी प्रकार हुदायबिय्याह की संधि
इस्लामिक इतिहास मे कूट्नीतिक चाल मानी जाती है। जब अपनी स्थिति कमजोर हो तो अपने
दुश्मन के साथ शांति की संधि करके समय ले लो और उस दौरान अपने आप को उसके साथ
युद्ध के लिए तैयार करो। जब पूरी तरह से तैयार हो जाओ तो बिना किसी सूचना दिये
संधि को तोड़ कर उस पर आक्रमण करके उसे पराजित कर दो। यह दोंनों नीतियाँ छल और
धूर्तता पर आधारित है जिसकी कुरान और हदीसें इज़ाजत देती है।
इन्हीं नीतियों के आधार पर यह बेमेल गठजोड़ आज संभव हुआ है। दोनो विचारधारायें
फिलहाल मिल कर बहुसंख्यक समाज और भिन्न धार्मिक विचारधारा से अपने अस्तित्व की लड़ाई
लड़ रही है। एक बार बहुसंख्यक समाज छिन्न-भिन्न हो गया तो फिर दोनो विचारधारायें एक
दूसरे को धाराशायी करके अपना वर्चस्व स्थापित करने मे लग जाएँगी। इतना बोल कर अजीत
चुप हो गये थे।
अजीत की बात सुन कर
हम सभी हैरत मे थे। जनरल रंधावा ने मेरी ओर देखते हुए पूछा… समीर तुम मुस्लिम हो तो
क्या तुमने इन दो नीतियों के बारे मे कभी सुना है? मैने गरदन हिलाते हुए कहा… जी सर,
यह दोनो नाम मैने मदरसे मे दीन की शिक्षा के दौरान सुने है परन्तु जिस तरह अजीत सर
ने इसे नीतियों की तरह बताया मैने वैसे कभी नहीं सुना था। अजीत ने मुस्कुरा कर कहा…
आज सारे सलाफी मदरसे इन दो नीतियों को हर बच्चे के जहन मे बिठा रहे है। अगर तुम भी
उन मदरसे मे गये होते तो आज तुम भी एक सिक्युरिटी रिस्क बन गये होते। हथियार तुम्हारे
हाथ मे अवश्य होता परन्तु वर्दी नहीं होती। मेरी बात का बुरा मत मानना क्योंकि यही
सच्चायी है। मुझे तब भी विश्वास नहीं हुआ तो मैने कुरेदते हुए पूछा… सर, इस प्रकार
के बेमेल गठजोड़ का दुनिया मे कोई उदाहरण है जहाँ यह सफल हुए है। अजीत ने मुस्कुरा कर
कहा… साठ के दशक मे लेबनान एक ईसाई बहुल प्रजातांत्रिक राष्ट्र था। इन्ही दोनो नीतियों
का इस्तेमाल वहाँ इस प्रकार के गठजोड़ के लिये भी किया गया था। इसी बेमेल गठजोड़ ने पहले
फिलिस्तीनी शरणार्थियों को लेबनान मे बसा कर जनसांख्यिकीय संरचना मे बदलाव किया। एक
दशक मे वहाँ पर असंख्य छोटे-बड़े दंगे, कत्लेआम, लूट और बलात्कार से बहुसंख्यक ईसाई
समाज पलायन के कारण अल्पमत मे आ गया था। कट्टर इस्लाम के समर्थक जब सत्ता पर काबिज
होने योग्य हुए तो वामपंथियों को कुफ्र के गुनाह के लिए वाजिबुल कत्ल मान कर उन्हें
चुन-चुन कर मारना आरंभ कर दिया था। डेड़ दशक मे प्रजातांत्रिक इसाई-बहुल लेबनान एक वामपंथ-विहीन
इस्लामिक राष्ट्र बन गया था।
लेबनान का वृतान्त
सुन कर मै गहरी सोच मे डूब गया था। कुछ देर के पश्चात वीके ने मुस्कुरा कर पूछा…
मेजर, तुम्हारे प्रश्न का जवाब मिल गया? …अजीत सर के जवाब के साथ ही हक डाक्ट्रीन को
नये लेन्स से देखने पर मजबूर हो गया हूँ। भारत मे बांग्लादेशी और रोहिंग्या शरणार्थी
समस्या क्या हक डाक्ट्रीन का एक नया अध्याय हो सकता है? एकाएक अजीत ने हंसते हुए कहा…
इस अन्तरराष्ट्रीय कूटनीतिक खेल मे तुम्हारा स्वागत है । पहली बार मैने जब तुम्हारी
हक डाक्ट्रीन पर रिपोर्ट पढ़ी थी तभी मै समझ गया था कि तुम्हारी सोच सही दिशा मे है
परन्तु वह सोच फौजी सच्चायी की कार्यप्रणाली से ग्रसित है। सारी हक डाक्ट्रीन छल और धूर्तता पर आधारित है। इसीलिए
हम सब चाहते थे कि तुम्हारी सोच के दायरे को बढ़ाया जाए। तुम अच्छे सैनिक हो सकते हो
परन्तु हक डाक्ट्रीन और फारुख और नीलोफर जैसे लोगों को मात देने के लिये इन्ही दो नितियों
को अपने व्यक्तित्व मे तुम्हें उतारना होगा। तुम्हारी किस्मत से तुम्हें उनके द्वारा
बनाया हुआ नेटवर्क मिल गया है परन्तु उसको नष्ट करने के लिये तुम्हें भी छल और धूर्तता
का सहारा लेना पड़ेगा। उसका यह परिणाम अब अचानक मेरे सामने आ गया था। मै छल और धूर्तता
मे इतना निपुण हो गया कि अब अपनो को भी धोखा देने मे मुझे कोई ग्लानि नहीं होती थी।
एकाएक आफशाँ और अदा कि छवि मेरी आँखों के सामने से निकल गयी थी।
…सर, क्या सोच रहे
है? यादव की आवाज ने अचानक मुझे वर्तमान मे लाकर खड़ा कर दिया था। …कुछ नहीं। बस अपनी
सेना की पुरानी जिंदगी को याद कर रहा था। हम कहाँ पहुँच गये है? मेरे साथ बैठे हुए
ड्राईवर ने कहा… सर, बांदीपुर निकल गया है और अगले कुछ मिनट के बाद चौराहा पार करके
बेनिघाट पहुँच जाएँगे। शाम हो चली थी। अंधेरा अभी पूरी तरह से नहीं हुआ था। चौराहा
पार करके कुछ आगे निकले ही थे कि ड्राईवर ने कहा… सर एक जीप पीछे आ रही और वह रुकने
का इशारा कर रही है। …पुलिस या फौज की जीप है? …नहीं सर। प्राईवेट नम्बर की जीप है।
…ठीक है। किसी खाली जगह देख कर सड़क से उतार कर ट्रक खड़ा कर दो। …कैप्टेन, मुठभेड़ के
लिये तैयार रहना। लगता है कि ट्रक की पहचान हो गयी है। सड़क के किनारे एक खाली जगह देख
कर दोनो ट्रक खड़े हो गये थे। वह जीप तेजी से हमारे साथ से गुजर कर सड़क से नीचे उतर
कर खड़ी हो गयी थी। तीन लोग तेजी से दौड़ते हुए हमारी ओर आये और एक आदमी ने घुर्रा कर
ड्राईवर से बोला… इतनी देर से रुकने का इशारा कर रहे थे रुका क्यों नही। इसे नीचे उतार
लो। तीनों जवान लड़के थे और तीनो ही फिदायीन के वेष मे थे। उन्होंने दरवाजा खोल कर ड्राईवर
के साथ जब जोर आजमाईश करने लगे तो मैने बीच मे पड़ते हुए कहा… क्यों मियाँ इसके साथ
किस लिये जोर आजमाईश कर रहे हो।
अबकी बार उसने मुझे
घुर्रा कर बोला… चल बे तू भी उतर। मैने यादव की ओर देखा और उतरते हुए दबी आवाज मे कहा…
एक साथी इनका जीप मे बैठा हुआ है। तब तक ट्रक के दरवाजे पर एक लड़का आकर खड़ा हो गया
था। मै आराम से नीचे उतरा और उसके सामने खड़े होकर बोला… बोलो क्या बात है। अब तक ड्राईवर
भी नीचे उतर कर मेरी ओर आ गया था। तीनो के हाथ मे हथियार थे और उनमे से एक मेरे पास
आकर बोला… कहाँ से आ रहे हो? …श्रीनगर से। शायद उसे ऐसे जवाब की उम्मीद नहीं थी। वह
उन तीनो का शायद लीडर था। वह तेजी से बोला… साले झूठ बोलता है। मैने कश्मीरी मे कहा…
मै क्यों झूठ बोलूँगा। उसने भौंचक्का होकर अपने साथियों की ओर देखते हुए कहा… यह तो
कश्मीरी बोल रहा है। उसने तुरन्त कश्मीरी मे पूछा… क्या नाम है? अबकी बार मैने झल्लाते
हुए कश्मीरी मे कहा… तुम्हें क्या अपनी बहन से निकाह कराना है। हमे क्यों रोका है तुम्हे
क्या काम है? पहली बार वह उलझन मे पड़ गया था। …महमूद, जाकर फरहान साहब को लेकर आ। यह
तो कश्मीरी है। वह लड़का फौरन दौड़ते हुए जीप मे बैठे व्यक्ति को बुलाने के लिये चला
गया था। उसी लड़के ने कहा… ट्रक के कागज दिखाओ। मैने ड्राईवर को इशारा किया और वह ट्रक
के कागज लेने चला गया था। किसी ने उसे रोकने की कोशिश नहीं की थी। वह कागज लेकर आया
और मेरे हाथ मे रख कर एक किनारे मे खड़ा हो गया था। फरहान भी मुझे जीप से उतर कर आता
हुआ दिखा तो उसकी ओर कागज बढ़ाते हुए पूछा… मियाँ क्या बात है? …भाई हम दो ट्रकों की
तलाश कर रहे है। वह दोनो ट्रक तुम्हारे दोनो ट्रकों जैसे थे।
फरहान हमारे पास आकर
बोला… कश्मीर से क्या लेकर आये हो? …तुमसे मतलब? अगले ही पल उसके हाथ मे उसकी सर्विस
पिस्तौल निकल आयी थी। …जो पूछा जा रहा है उसका सही-सही जवाब दो वर्ना यहीं पर मार कर
फेंक देंगें। …हाँ श्रीनगर से आये है। फरहान ट्रक के कागज देख कर बोला… यह ट्रक किसका
है? …गोल्डन इम्पेक्स कंपनी के ट्रक है। …मुन्नवर लखवी का माल है? तभी तीन फायर हुये
और तीनो लड़के उसी वक्त ढेर हो गये थे। फरहान तेजी से उनकी ओर बढ़ा तो मैने धीरे से कहा…फरहान
भाई अब तुम हमारे निशाने पर हो। अगर हिले भी तो पहली गोली तुम्हारे घुटने पर और दूसरी
गोली तुम्हारे पेट के नीचे जोड़ पर लगेगी। उसके कदम वहीं पर रुक गये थे। उसके चेहरे
पर खौफ साफ नजर आ रहा था। वह बोलते हुए हकला गया… कौन हो तुम लोग? मैने उसके हाथ से
पिस्तौल ले लिया लेकिन तब तक दोनो ट्रकों मे से चौबीस लोग उतर उसे घेर कर खड़े हो गये
थे। मैने यादव की ओर देखते हुए कहा… भाईजान, किसी को भेज कर उस जीप को यहाँ ले आओ।
मैने अपने साथियों की ओर देख कर कहा… इसकी तलाशी लो। नायक फौरन उसकी तलाशी लेने मे
जुट गया था। जीप आते ही मैने कहा… इन तीनो की लाशों की जेब से सभी सामान निकाल कर जीप
मे डाल कर खाई मे लुढ़का दो। पहले इनके हथियार अपने कब्जे मे ले लो और खाई मे फेंकने
से पहले जीप की नम्बर प्लेट के साथ कोई काम का सामान मिले तो निकाल लेना। दस मिनट मे
वह तीन अपनी जीप के साथ पहाड़ी खाई मे पड़े हुए थे।
उन चारों से इकठ्ठा
किया सारा सामान एक थैले मे डाल कर यादव ने अपने पास रख लिया था। फरहान को लेकर मै
ट्रक मे पीछे बैठ गया। ट्रक के पिछले हिस्से मे मेरे साथ छ: सैनिक भी बैठ गये थे। बाकी
कुछ आगे बैठ गये और कुछ पीछे वाले ट्रक मे एडजस्ट हो गये थे। दोनो ट्रक अपने रास्ते
पर चल दिये थे। कंटेनर ट्रक एक तरीके से साउन्ड प्रूफ बन गया था। मैने पास बैठे अपने
साथियों से कहा… तुमने अभी तक सिर्फ आईएसआई नाम सुना होगा अब उसके एक प्यादे को भी
देख लो। मैने अपना ध्यान फरहान की ओर लगाते हुए पूछा… तुम लोग किस ट्रक को ढूंढ रहे
थे? उसने एक बार मेरी ओर देखा और फिर बोला… मियाँ तुम गलती कर रहे हो। …फरहान मियाँ
एक बात समझ लो कि तुम्हारे सामने सिर्फ दो रास्ते है। एक जो पूछा जाए उसका सही जवाब
दे दोगे तो तुम्हें किसी जगह पर छोड़ कर हम निकल जाएँगें। हमारी तुम्हारे साथ कोई दुश्मनी
नहीं है। दूसरा तुम्हारा मुँह जबरदस्ती खुलवा कर तुम्हें मार कर किसी खाई मे फेंक कर
निकल जाएँगें। मेरी बात समझ गये तो सिर्फ अपना सिर हिला दो। उसने धीरे से सिर हिला
दिया था।
मैने उसकी पिस्तौल
को चेक करते हुए पूछा… किस ट्रक को ढूंढ रहे थे? …बिलावल ट्रांस्पोर्ट के दो कंटेनर
ट्रक दिल्ली से गायब हो गये है। हम उनको ढूंढ रहे थे। नेपालगंज से खबर मिली थी कि दोनो
ट्रक वहाँ से नेपाल मे दाखिल हुए थे। …कौनसी रेजीमेन्ट से हो? वह चुप हो गया तो मैने
एक बार उसकी पिस्तौल को हाथ मे तौलते हुए कहा… मियाँ, जिंदा बचने के लिये यह बहुत जरुरी
है। फौज के लिये हमारे दिल मे बहुत इज्जत है। …बलूच रेजीमेन्ट। …इसका कोई सुबूत दे
सकते हो? …मेरे फोन की फोटो गैलरी मे मेरा आईकार्ड की फोटो है। …यहाँ नेपाल मे क्या
कर रहे हो? …हमारी युनिट को यहाँ पर कुछ तंजीमों की मदद के लिये लगाया गया है। …कौनसी
तंजीम? …हरकत उल अंसार, जमात-ए-इस्लामी और दुख्तर-अल-हिन्द। …तुम्हारी युनिट का अफसर
कौन है? …लेफ्टीनेन्ट शादाब उल हक। लेकिन मियाँ आप लोग कौन है? …मै, बुरहान मियांवाली,
लश्कर का कमांडर। शुजाल बेग साहब से मिलने जा रहे थे। …बुरहान भाई, आप उसी समय बता
देते कि आप लोग लश्कर से है तो उनकी जान तो नहीं जाती। …फरहान भाई, अब यह भी बता दो
कि यहाँ क्या चल रहा है। यह सभी तंजीमे तो कश्मीर के जिहाद के लिये काम कर रही थी तो
यह नेपाल मे क्या कर रही है। हमारे लोगों को इंडियन फोर्सेज रोज शहीद कर रही है और
यह लोग यहाँ मजे ले रहे है। आपके बाजवा साहब ने हमसे वादा किया था कि कश्मीर पहुंचते
ही पैसे मिल जाएँगें लेकिन दो महीने हो गये एक रुपया भी नसीब नहीं हुआ। अब तुम बता
रहे हो कि संयुक्त मोर्चे की तीन तंजीमे यहाँ नेपाल मे बैठी हुई है। इस मुनाफिकगिरी
को तो मुझे जकीउर भाईजान को बताना पड़ेग। हरकत उल अंसार का यहाँ पर कमांडर कौन है?
…सज्जाद अफगानी। …अपने सज्जाद भाई आजकल यहाँ काठमांडू मे है। …उनका कोई फोन नम्बर या
पता है तो बताओ। …मेरे फोन मे उनका नम्बर है। …जमात की ओर से कौन है? …हिज्बुल का जाकिर
मूसा। मैने आश्चर्य दिखाते हुए कहा… फरहान भाई यह किस मुनाफिक की चाल है। हमे यह बताया
गया था सज्जाद भाई और जाकिर भाई मुजफराबाद मे गाजियों की फौज तैयार कर रहे है। मैने
सिर हिलाया और पिस्तौल का रुख उसकी ओर करके एकाएक आवाज कड़ी हो गयी थी। …मुझे अब ऐसा
लग रहा है कि तुम मुझे बेवकूफ बना रहे हो। वह जल्दी से बोला… बुरहान भाई कसम खुदा की
जो कुछ अब तक बताया है वह सच है। मुझे नहीं पता कि कौन किसको धोखा दे रहा है परन्तु
यही सच है। …दुख्तर-अल-हिन्द की कमांडर कौन है? …भाईजान, उसके बारे मे मुझे नहीं पता।
…तुमने कभी आईएसआई की मेजर हया नाम की खातून को देखा है? …नही भाई। …यह नूर मोहम्मद
कौन है? मुझसे कहा गया था कि शुजाल बेग से मिलने के लिये नूर मोहम्मद से पहले मिलना
पड़ेगा। …भाईजान, नूर मोहम्मद झंघ यहाँ की आईएसआई का मुखिया है। वही यहाँ पर असला बारुद,
ड्रग्स व पैसों का इंतजाम करता है। …वह कहाँ
मिलेगा? …बिलावल ट्रांस्पोर्ट उसकी कंपनी है। उसी के जरिये वह सामान भारत और बांगलादेश
मे भिजवाता है।
मैने हैरान होने का
नाटक करते हुए कहा… अब यह बांग्लादेश कहाँ से आ गया? …आपको नहीं पता भाई? हर हफ्ते
जुमे की रात को असला-बारुद और पैसों का एक ट्रक यहाँ से बांग्ला देश भेजा जाता है।
हमारी युनिट का मुख्य काम उसे सुरक्षित नेपाल की सीमा पार कराना होता है। हिन्दुस्तान
मे हिज्बुल के मुजाहीदीन उसको सुरक्षा देते है। मै उसकी बात सुन कर थोड़ा सचेत हो गया
था। फरहान का क्या करना चाहिये? इसके बारे मे सोचने के बाद मैने पूछा… फरहान मियाँ,
तुम्हें कहाँ उतार दूँ? …भाईजान, आप मुझे कहीं भी उतार दिजिये। मैने जोर से कंटेनर
की स्टील की दीवार पर हाथ मार कर कहा…जरा रोकना। ड्राईवर ने सड़क से उतार कर ट्रक रोक
दिया था। पहले मै उतरा और फिर फरहान को उतरने का इशारा किया तो वह भी सड़क पर कूद गया
था। चारों ओर अंधेरा था और जो कुछ भी रौशनी आ रही थी वह ट्रक की टेललाइट से आ रही थी।
सड़क सुनसान पड़ी हुई थी लेकिन पहाड़ी नदी का शोर साफ सुनायी दे रहा था। मैने उसकी पिस्तौल
उसकी ओर बढ़ाते हुए कहा… अल्विदा मियाँ। उसने अपनी पिस्तौल लेने के लिये हाथ आगे बढ़ाया
तभी मैने ट्रिगर दबा दिया था। उसे पता ही नहीं चला कि उसकी पिस्तौल से कैसे गोली चल
गयी थी। गोली ने उसके सिर को खोल दिया था। मुझे दूसरी गोली चलाने की जरुरत ही नहीं
पड़ी थी। मैने उसे कंधे पर उठाया और बहती हुई पहाड़ी नदी मे फेंक दिया और उसकी सर्विस
पिस्तौल मैने अपने पास रख ली थी। सात सैनिक जो यह सारा दृश्य देख रहे थे वह मेरी निर्ममता
या दरिंदगी को देख कर स्तब्ध रह गये थे। मैने कंटेनर का दरवाजा बन्द कर दिया और यादव
के पास जाकर बैठ गया था। मेरे बैठते ही हम आगे बढ़ गये।
…सर, उसने कुछ बताया?
…कैप्टेन कुछ बताया और कुछ छुपा गया। वैसे भी उसे छोड़ नहीं सकते थे। एक बात उसने बता
दी थी कि नेपालगंज के नाके ने नूर मोहम्माद को दोनो ट्रकों की खबर कर दी है। उसके आदमी
इस वक्त नेपाल मे दोनो ट्रक को ढूंढ रहे है। अब हमे जरा सावधान रहना होगा। रात के अंधेरे
को चीरते हुए हम काठमांडू की ओर बढ़ते जा रहे थे। सुबह तीन बजे हम काठमांडू के नाके
पर पहुँच गये थे। यह हमारी आखिरी परीक्षा थी। वैसे भी सुबह तीन बजे तक सभी की आँखें
भारी हो रही थी। हमारा ट्रक बैरियर पर पहुंच कर रुक गया था। एक आदमी धीमे कदमों से
चलते हुए ड्राईवर की ओर आया तो ड्राईवर ने कागजात और कुछ नोट उसके आगे बढ़ा दिया था।
उसने सरसरी नजर कंटेनर ट्रक पर डाली और कागज के बंडल मे से नोट निकाल कर अपने जेब के
हवाले किया कागज लौटाते हुए बैरियर उठाने का इशारा करके पीछे चला गया था। मैने तब तक
नाके और बैरियर पर बैठे हुए लोगों को गिन लिया था।
…यादव सावधान रहना।
नाके मे बैठे हुए दोनो लोगो को निशाने पर ले लो। ड्राइवर ने रिव्यु मिरर मे देखते हुए
कहा… साहब, कुछ झड़प हो रही है। मै तेजी से ट्रक से उतरा और उनके पास चला गया था। …क्या
हुआ? …और पैसे मांग रहा है। …क्यों भाई जो तुम्हारा बनता है दे तो दिया है। …ड्राईवर
के साथ एक क्लीनर ही बैठ सकता है। यह लोग रास्ते मे कुछ लोगों को बिठा कर उनसे कमाई
करते है तो उसमे हिस्सा मांग रहा था। मै उसको पकड़ कर नाके के अन्दर ले गया और तीनो
से कहा… वह सामने गोदाम देख रहे हो। वह गोल्डन इम्पेक्स का गोदाम है। हमारा सामान आता
रहेगा इसलिये अब तो आना जाना लगा रहेगा। मैने जेब से दो सौ के नोट निकाल कर उसके हाथ
मे रखते हुए कहा… गोल्डन इम्पेक्स के ट्रक को पहचान लो क्योंकि आज के बाद इस नाके पर
कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए। हर हफ्ते मै आकर खुद हिसाब किया करुँगा। अब हम पड़ौसी
है तो हमे एक दूसरे का ख्याल रखना चाहिये। एक आदमी मेरे साथ बाहर निकल कर आया और बेरियर
पर खड़े हुए आदमी से चीख कर बोला… जाने दे। उसने बेरियर उठा दिया था। मेरे ट्रक मे बैठते
ही ट्र्क आगे बढ़ गया। उसके पीछे दूसरा ट्रक बेरियर पार करके हमारे पीछे आ गया था। गोदाम
के सामने पहुँच कर मैने इशारा किया तो ट्रक गोदाम के सामने खड़ा हो गया था। मैने नाके
पर खड़े हुए आदमी पर नजर डाली तो वह हमे ही देख रहा था।
मैने गोदाम का ताला
खोला कर शटर को उपर उठा दिया। दोनो ट्रक धीमी गति से चलते हुए अन्दर प्रवेश कर गये
थे। एक किनारे मे जाकर दोनो ट्रक खड़े करके मैने कहा… गोदाम के पीछे हाल है। वहाँ सोने
का इंतजाम है। कैप्टेन यादव अब से दो आदमी हमेशा गार्ड ड्युटी पर रहेंगें। एक आदमी
वहाँ उपर बैठ कर बाहर नजर रखेगा और दूसरा उपर बने हुए आफिस मे बैठ कर अन्दर नजर रखेगा।
एक साफ निर्देश दे रहा हूँ कि जब तक कोई बाहर है हमे कोई एक्शन नहीं लेना है परन्तु
अन्दर आते ही शूट टु किल। वह यहाँ से बाहर जिन्दा नहीं जाना चाहिये। जो भी होगा उसे
संभालना मेरा काम है। यह बोल कर मैने कहा… फिलहाल आप सभी थके हुए है। बहुत लम्बा सफर
किया है। मै और कैप्टेन साहब आज गार्ड ड्युटी पर है। आप जाकर आराम करो। सारे लोग हाल
मे चले गये थे। मैने गोदाम किराये पर लेने के बाद सबसे पहले हाल मे ठहरने का इंतजाम
कर दिया था।
…कैप्टेन यादव, मेरे
ख्याल से शंभूजी को भी बुला लो। मुझे शक है कि अगले दो घंटे मे एक पार्टी अन्दर घुसने
का प्रयत्न करेगी। थोड़ी देर मे हम तीनों अपनी-अपनी जगह पर बैठ गये थे। शम्भू की नजर
बाहर सड़क पर लगी हुई थी। यादव आफिस मे बैठ कर अन्दर नजर रख रहा था। मै एक ट्रक की छत
पर चित्त लेट कर अपनी ग्लाक को दरवाजे पर ताने हुए था।
सुबह छह बजे के करीब
शंभू ने इशारा करके हमे सचेत कर दिया था। आईएसआई की पहली पार्टी पहुँच गयी थी। पाँच
आदमी थे। सभी हथियारों से लैस थे। उन्होंने बड़ी आसानी शटर का ताला तोड़ा और थोड़ा सा
शटर उठा कर जमीन पर सरकते हुए अन्दर आ गये थे। सब खड़े हो गये और अपने हथियार तान कर
ट्रकों की ओर बढ़ गये। मैने आराम से निशाना लगा कर ट्रिगर दबा दिया। सबसे आगे वाले आदमी
को संभलने का मौका ही नहीं मिला था। उसका घुटना खील-खील होकर बिखर गया और मुँह के बल
औंधा होकर जमीन पर लोट गया था। कैप्टेन यादव की आवाज गूंजी… हाल्ट। अपने हथियार दो
उँगलियों से पकड़ कर धीरे से जमीन पर रख दो। चारों ओर से घिरे हुए हो और अबकी बार गोली
पाँव के बजाय सिर पर लगेगी। गोली की आवाज ने उन्हें पहले ही आतंकित कर दिया था। चारों
ने अपने-अपने हथियार जमीन पर रख कर अलग खड़े हो गये थे। मै तब तक ट्रक की छत से नीचे
कूद कर उनके सामने पहुँच गया था। गोली की आवाज सुन कर जो हाल मे सो रहे थे वह भी जाग
गये थे। शंभू और यादव भी नीचे उतर कर मेरे साथ खड़े हो गये थे।
मैने सबसे पहले जमीन
पर औंधे मुँह आदमी को देखा तो वह बेहोश हो चुका था। मैने इशारा करके फर्स्ट-एड बैग
मंगवाया और उसके घुटने पर स्प्लिन्ट रख कर पट्टी से कस कर बाँध कर पूछा… इसका नाम क्या
है? …अनवर हुसैन। …यह बच तो गया है परन्तु अब सारी जिन्दगी एक टांग पर ही चल सकेगा।
उन चारों को जमीन पर बिठा दिया था। एक-एक करके सबकी तलाशी लेकर उनके फोन और पर्स लेकर
यादव को थमा कर मैने पूछा… तुम्हारा लीडर कौन है? किसी ने जब कोई जवाब नहीं दिया तो
मैने अपनी ग्लाक की नाल एक घुसपैठिया के कूल्हे पर रख कर कहा… अगली बार इसका कूल्हा
खराब हो जाएगा। एक बार और पूछ रहा हूँ कि तुम्हारा लीडर कौन है? अचानक एक आदमी आगे
बढ़ कर बोला… मै हूँ। …बाकियों के हाथ पाँव बाँध कर एक कोने मे बिठा दो। दो आदमी इनकी
निगरानी पर लगा देना। इतना बोल कर उस आदमी को लेकर मै आफिस मे आ गया था। एक कुर्सी
की ओर इशारा करके मैने कहा… बैठ जाओ। वह कुर्सी पर बैठ गया परन्तु उसके चेहरे पर खौफ
साफ झलक रहा था।
…क्या नाम है? …आमिर
उल हक। …यहाँ फौज लेकर क्यों आये थे? …हमारे दो कंटेनर ट्रक चोरी हो गये थे। उनको देखने
आये थे। …हथियार लेकर वह भी अंधेरे मे? इस बार मेरी ग्लाक उसकी मर्दान्गी की निशानी
पर तनी हुई थी। …आमिर मियां तुमने देख लिया है। एक जरा सी गोली के कारण तुम्हारा साथी
लँगड़ा हो गया है। अब तुम क्या हमेशा के लिये नामर्द बनना चाहते हो। सच बोलो यहाँ क्यों
आये थे? अबकी बार वह घिघिया कर बोला… खुदा की कसम सच बोल रहा हूँ। हम सिर्फ ट्रक खोजने
आये थे। …क्या था उस ट्रक मे जो इस फौज के साथ आये थे? …मुझे पता नहीं। मै सच कह रहा
हूँ। नूर मोहम्मद साहब ने हमे इस गोदाम मे खड़े हुए ट्रकों को चेक करने के लिये भेजा
था। …कौन है यह नूर मोहम्मद? …बिलावल ट्रांस्पोर्ट
के मालिक है। …उसको फोन करके बुलाओ वर्ना मै अभी पुलिस को फोन कर रहा हूँ कि तुम मेरा
सामान लूटने के लिये आये थे। तुम्हारे हथियार और फोन मेरे पास है तो नूर मोहम्मद का
बाप भी तुम लोगों को नहीं बचा सकेगा उल्टे तुम्हारी बात मैने रिकार्ड कर ली है तो नूर
मोहम्मद भी जेल जाएगा। कमाल है कि एक ट्रांसपोर्टर अपनी फौज बना कर दूसरो का माल लूटने
का धंधा कर रहा है। वह चुपचाप सुन रहा था।
अचानक वह बोला… भाईजान
आप कौन है? …समीर कौल, गोल्डन इम्पेक्स का मालिक। क्यों क्या अब मेरी हत्या का विचार
दिमाग मे बनने लगा है। मेरी पिस्तौल एक बार फिर से उसी दिशा मे तन गयी थी। …भाईजान,
मेरी बात सुन लिजिये। मै पाकिस्तानी नागरिक हूँ। …तो क्या तुम खुदा हो गये हो। यह नेपाल
तुम्हारे बाप का नहीं है। मै भी हिन्दुस्तानी नागरिक हूँ और यहाँ पर कारोबारी हूँ।
अब सबसे पहले अपने मालिक को यहाँ बुलाओ वर्ना तो यहाँ से एक भी आदमी बच कर नहीं जाएगा।
मैने अपना मोबाईल उसकी ओर बढ़ा दिया था। उसके पास कोई चारा नहीं था। उसने नूर मोहम्मद
का नम्बर मिलाया और कुछ देर घंटी बजने के बाद दूसरी ओर से एक घरघराती हुई आवाज सुनाई
दी… हैलो कौन इतनी सुबह फोन कर रहा है। मैने उसके हाथ से फोन छीन कर कहा… तुम्हारा
बाप बोल रहा हूँ नूर मोहम्मद। तू ट्रांस्पोर्टर होकर दूसरे कारोबारियों का माल लूटने
के लिये हथियारबन्द फौज भेजता है। तेरी फौज के चार आदमी मेरे कब्जे मे है और एक आदमी
घायल है। अब तुझे पन्द्रह मिनट दे रहा हूँ। मेरे गोदाम पर पहुँच वर्ना मै इन सबको पुलिस
मे दे दूंगा। तुमने पाकिस्तानियों को यहाँ बुला कर लूटने के काम पर लगाया है। अब तू
नेपाल सरकार को समझाते रहना। तेरे आदमी ने अपना जुर्म कुबूल लिया है और उसी ने बताया
था कि तूने उसे यहाँ भेजा था। मै सांस लेने के लिये जैसे ही रुका वह जल्दी से बोला…
मेरी बात सुनिये। आपको कुछ गलतफहमी हो गयी है। बातचीत से हर मसला सुलझ सकता है। आपका
क्या नाम है? …समीर कौल। गोल्डन इम्पेक्स का मालिक बोल रहा हूँ। …समीर भाई, मै आपके
पास अभी पहुँच रहा हूँ। …अपनी फौज लेकर आना जिससे एक ही बार मे तुम जैसे लूटेरों का
सफाया हो जाये जिससे हम बेचारे कारोबारी आराम से अपना काम कर सके। इतना बोल कर मैने
फोन काट दिया था।
आमिर मुझे बड़ी हैरानी
से देख रहा था। वह धीरे से बोला… तुम जानते नहीं कि तुमने किसको चुनौती दी है। …आमिर
मियाँ, मैने युपी और बिहार मे धन्धा किया है। तुम जैसे को ठीक करना मै जानता हूँ।
…नूर मोहम्मद कोई बाहुबाली नही है। वह कुछ बोलने वाला था कि मैने कहा… अब यह मत कह
देना कि वह आईएसआई का डायरेक्टर है? तुम पाकिस्तानियों
के दिमाग मे आईएसआई का डर इतना कूट-कूट कर भरा है कि हर कोई पाकिस्तान के बाहर अपने
आप को आईएसआई का आदमी समझता है। वह मुस्कुरा कर बोला… नूर मोहम्मद आईएसआई का कर्नल
है। मेरी बात मानो हमे छोड़ दो तो यह बात यहीं दब जाएगी। आईएसआई से टकराओगे तो जान से
जाओगे। मैने अबकी बार हँसते हुए कहा… मै भारतीय रा का निदेशक हूँ। अब बता मेरा नूर
मोहम्मद क्या कर लेगा। हर पाकिस्तानी आईएसआई की धौंस देने से बाज नहीं आता। पहली बार
मुझे उसकी आँखों मे अविश्वास की झलक दिखी थी। …तुम यह ट्रक देखने आये थे। मैने पीछे
खड़े हुए यादव से कहा… जरा दोनो ट्रक के पेपर्स ले आओ। तुमने इसकी सारी बात रिकार्ड
कर ली है। यादव चला गया था। मैने उसे इसलिये भेजा था कि वह सबको उठा कर अगले होने वाले
हमले की तैयारी कर ले।
पन्द्रह मिनट के बाद
शंभू ने नूर मोहम्मद के आगमन का इशारा किया तो सभी अपना मोर्चा लेकर बैठ गये थे। मैने
आमिर से कहा… जाकर शटर खोल कर नूर मोहम्मद को बता दे कि सिर्फ वही अन्दर आ सकता है।
अगर उसके साथ किसी और ने गोदाम मे कदम रखा तो वह बेवजह मारा जाएगा। तभी बाहर से किसी
ने जोर से शटर को हिलाया तो आमिर भागते हुए शटर की ओर चला गया था।
कृष्णा नदी, तेलागंना
आधी रात बीत चुकी
थी। बीचोपल्ली से आगे नदी पर बने हुए पुल के नीचे कुछ लोग हथियार लेकर घात लगाये बैठे
हुए थे। चार पुलिस वाले पुल के उपर लगे हुए बेरीकेड पर तैनात थे। …रेड्डी पुख्ता खबर
है कि वह आज रात को यहाँ से वह भागने की फिराक मे है? …जी जनाब। …यह एनआईए वालों ने
एक हफ्ते से जीना हराम कर दिया है। एसपी साहब क्या चले गये? …नहीं जनाब। वह एनआईए वालों
के साथ है। तभी एक ड्रम का सहारा लेकर जमीन पर बैठ कर उँघता हुआ आदमी एकाएक उठ कर खड़ा
होकर बोला… सावधान। मूवमेन्ट की सूचना मिल गयी है। बैरियर पर तैनात तीनो पुलिस वाले
चौंकन्ने हो गये थे।
नदी पूरे वेग से बह
रही थी। पानी से बीस मीटर की डूब की रेतीली जमीन साफ दिख रही थी और उसके आगे बड़ी बड़ी
घनी झाड़ियों हाईवे तक फैली हुई थी। झाड़ियों मे कुछ हलचल दिखायी देते ही सभी चौकन्ने
हो गये थे। कुछ ही मिनट बीते थे कि कुछ साये झाड़ियों की आढ़ से निकल कर रेतीली जमीन
की ओर आते हुए दिखे तो रात की शांति भंग करते हुए एक आवाज गूंजी… हाल्ट। अरशद तुम घेर
लिये गये हो। उन सायों मे से एक ने अंधेरे मे फायर किया और उसके बाद पुल के नीचे से
फायरिंग आरंभ हो गयी थी। कुछ ही मिनट मे वह साये रेतीली जमीन पर ढेर हो गये थे। एनआईए
की फायर पावर का उस रात उत्कृष्ट नमूना स्थानीय पुलिस वालों देखा था। कुछ देर के बाद
बीस-पच्चीस स्थानीय पुलिस, एनआईए और आईबी के लोग रेतीली जमीन पर पड़े हुए शवों की जाँच
मे जुट हुए थे। …सर, अरशद गैंग के साथ आजमगड़ के अंसारी का शार्पशूटर शकील और उसका बेटा
इमरान भी मारे गये है।
…एसपी साहब अब हम
इन तेरह लाशों को आपके हवाले कर रहे है। आप कागजी कार्यवाही पूरी करके इसकी रिपोर्ट
दिल्ली फैक्स करवा दिजियेगा। इतना बोल कर वह आदमी सड़क की दिशा मे चल दिया। उसके पीछे
उसके साथी भी चल दिये थे। आठ पुलिस वाले और एसपी साहब उन शवों के पंचनामे की कार्यवाही
करने मे व्यस्त हो गये थे। …रेड्डी तुम्हें तो खुश होना चाहिये कि एक ही रात मे अरशद
गैंग का सफाया हो गया। इसी के साथ इस इलाके मे देवबंदी आतंकी नेटवर्क का भी सफाया हो
गया। …सर, कल जब यह खबर सुन कर स्थानीय
मौलाना और मौलवी हंगामा करने के लिये जुटेंगें तब हम उनको क्या जवाब देंगें? …यही कहना
कि यह एनआईए का आप्रेशन था। अरशद के गोदाम से जब्त किया हुआ असला बारुद की झलक दिखा
कर कह देना कि वह इससे दूरी बना ले अन्यथा एनआईए उनको भी देश विरोधी मामलों मे हिरासत
मे ले लेगा। स्थानीय पुलिस की इसमे कोई भुमिका नहीं है। …जी जनाब।
hamesa ki tarah behtreen post thx dear
जवाब देंहटाएंशुक्रिया साईरस भाई।
हटाएंआज के प्रकरण में समीर का एक सिपाही से कूटनीतिज्ञ जासूस का सफर बहुत सुंदर चित्रण किया गया है जहां एक सिपाही जो झूट बोलना किसी मरुभूमि में औंस की तरह होता है वहीं एक जासूस पग पग में झूट और धोखेबाजी के सहारे जीता है,वो उसके जीवन बचाए रखने का एक महत्वपूर्ण जरिया है।फिर भी यादव और समीर के बीच बातचीत यह दर्शाता है की जहां सिपाही मरने मारने में कोई छल नही रहता वहीं जासूस का जीवन का मूल मंत्र ही झूट और छल से है,शानदार प्रकरण अगले बड़े दृश्य के लिए ये खंड रास्ता बना रही है।
जवाब देंहटाएंकाफ़िर और गहरी चाल मे समीर के किरदार मे होने वाले बदलाव को आपने पहचान लिया। दोस्त बहुत खूब। अब आगे आने वाले समय मे उसके नये किरदार की परीक्षा होगी। सैनिक होते हुए धोखा, छल और झूठ के लिये कोई जगह नहीं थी परन्तु अब तो वह चलता फिरता झूठ की दुकान बन गया है। धन्यवाद अल्फाभाई।
हटाएंagli post ka intejar hai bandhu
जवाब देंहटाएंइंतिहा हो गयी इंतजार की। साईरस भाई इंतजार का फल मीठा होता है। बन्धुवर मै तो जल्दी से जल्दी पोस्ट डालना चाहता हूँ परन्तु क्या करुँ कुछ तो मजबूरियाँ रही होंगी वर्ना कोई ऐसे तो बेवफा नहीं होता।
हटाएंसमीर के ये दिन काफी गहमा गहमी मे गये, एक ओर रजा और अन्सारी का जिहादी नेटवर्क तबाह हो गया, वही दुसरी ओर काठमांडू का आयएसआय का नेटवर्क अब समीर के रडार पे आ गया है, देखते है समीर क्या करता है, अब बानो का आगे क्या होता है देखना दिलचस्प होगा.
जवाब देंहटाएंप्रशांत भाई नमस्कार, दोस्त अब दिल थाम कर बैठिये क्योकि गहमा-गहमी शुरु होगी। धन्यवाद दोस्त्।
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