गहरी चाल-15
हम सब की नजर शटर
पर लगी हुई थी। आमिर ने लीवर पकड़ कर घुमाते हुए जल्दी से स्टील का शटर खोला और चीखते
हुए मेरा पैगाम नूर मोहम्मद को सुना दिया था। अधेड़ उम्र का लंबा चौड़ा पठान नूर मोहम्मद
पठानी सूट मे आगे बढ़ते हुए एकाएक मुझे गोदाम के बीचोंबीच खड़े हुए देख कर ठिठक कर रुक
गया था। नूर मोहम्मद आगे बड़ता हुआ नहीं दिखा तो मैने कहा… बाहर खड़े होकर बात करनी है
नूर मोहम्मद तो मै बाहर आ जाता हूँ। इतना बोल कर मै उसकी ओर चल दिया। वह वहीं खड़ा रहा
और हैरानी से मुझे देखता रहा। उसके पीछे चार आदमी हाथ बांधे खड़े हुए मुझे ताक रहे थे।
सब शक्ल से फौजी लग रहे थे। मै उसके पास पहुँच कर बोला… तुम्हारा आदमी मुझको यह कह
कर डरा रहा था कि तुम आईएसआई मे कर्नल हो लेकिन तुम चार कदम अकेले नहीं चल सके। यार
हिन्दुस्तान मे अगर किसी का खौफ है तो वह आईएसआई का है। अपने आदमियों से कहो कि बेवजह
आईएसआई का नाम खराब न किया करें। मेरी बात सुन कर नूर मोहम्मद मुस्कुराया लेकिन तभी
उसके पीछे खड़े हुए एक आदमी का हाथ हिलते ही मै जोर से चीखा… हिलना नहीं वर्ना बेवजह
सभी जाया हो जाओगे। नूर मोहम्मद और उसके साथ आये हुए सभी चारों आदमियों ने अपने हाथ
हवा मे उठा लिये थे। मैने हंसते हुए कहा… हाथ उठाने को नहीं कह रहा था। अचानक हिलने
के लिये मना कर रहा था। अपने आपको आईएसआई का कहते हो और यह भी नहीं जानते कि सिविलियन
के हाथ मे हथियार और भी खतरनाक हो जाता है। वह पहले से ही नर्वस होता है तो अचानक हिल
कर उसे डरने का एक भी मौका नहीं देना चाहिये।
मैने एक नजर कैप्टेन
यादव पर डाली तो वह थोड़ी दूरी पर मुस्तैदी से सबको कवर करके खड़ा हुआ था। मैने मुड़ कर
नूर मोहम्मद से कहा… अभी तो मैने काम भी शुरु नहीं किया है तो तुम मेरा गोदाम क्यों
लूटना चाहते हो? अबकी बार नूर मोहम्मद एक कदम बढ़ा कर मेरे नजदीक आकर धीरे से बोला…
समीर तुम्हारी इतनी उम्र नहीं लगती कि मै तुम्हे भाई कह कर पुकारुँ इसलिये सीधे नाम
ले रहा हूँ। तुम्हारे गोदाम को लूटने का मेरा कोई इरादा नहीं है। मेरे दो ट्रक चोरी
हो गये थे तो बस वह ट्रक देखने के लिये अपने आदमी भेजे थे। …आधी रात को हथियारों के
साथ। क्या आप सब लोग मुझे बेवकूफ समझ रहे हैं। इस कहानी पर भला कौन विश्वास करेगा?
…वह सच बोल रहा था। हम सिर्फ कोने मे खड़े उन दो ट्रकों को देखने के लिये आये थे। …ऐसा
क्या था उन ट्रकों मे जो तुम अपनी फौज लेकर जगह-जगह घूम रहे हो। …उसमे मेरे दस करोड़
रुपये रखे हुए थे। मैने चौंकते हुए कहा… क्या? …यह सही है कि उसमे मेरे दस करोड़ रुपये
रखे हुए थे। मुझे खबर मिली थी कि वह दोनो ट्रक नेपालगंज से यहाँ के लिये आये थे। बस
यही देखना था कि वह दोनो ट्रक कहीं हमारे तो नहीं है। …नूर मोहम्मद अब तुम भी झूठ पर
झूठ बोलते चले जा रहे हो। पहली बात तो यह है कि मै टनकपुर से नेपाल की सीमा मे दाखिल
हुआ था। हो सकता है कि तुम सोचो कि मैने नम्बर प्लेट बदल दी है इसीलिये दोनो ट्रक के
पेपर्स साथ लेकर आया हूँ। यह बोल कर मैने दोनो ट्रकों के पेपर्स उसकी ओर बढ़ा दिये थे।
उसने जल्दी से पेपर्स देख कर अपना फोन निकाल कर नम्बरों का मिलान करके कहा… यह ट्रक
मेरे नहीं है।
मैने अपने ट्रक के
पेपेर्स वापिस लेकर कहा… मै कारोबारी आदमी हूँ। अगर ऐसी ही बात थी तो किसी भी वक्त
दिन मे एक शरीफ कारोबारी की तरह आकर मुझसे मिलते तो भी यह कागज दिखाने मे मुझे कोई
तकलीफ नहीं होती। बेवजह चोरों की तरह अपने आदमियों यहाँ भेज कर तुमने अपना ही नुकसान
कर लिया। वैसे भी अगर दस करोड़ रुपये उन ट्रकों मे होते तो वह कोई बेवकूफ ही होता जो
उन्हें यहाँ लेकर आता। सच पूछो तो मुझे तुम्हारी कहानी पर अभी भी विश्वास नहीं है।
…समीर, यह बात मै तुम्हे कभी नहीं कहता लेकिन क्योंकि मेरे आदमी ने बता दिया है तो
इतना कह रहा हूँ कि उसने मेरे बारे मे जो कहा वह भी सच है। …तुम आईएसआई मे कर्नल हो?
उसने मुस्कुरा कर अपना धीरे से सिर हिला दिया था। मै वहीं खड़ा रहा और फिर मुस्कुरा
कर बोला… मेरी बात बुरी लगी हो तो माफ करना। यह मै डर कर नहीं कह रहा हूँ। मै फौज की
बहुत इज्जत करता हूँ चाहे वह इस तरफ की हो या उस तरफ की इसीलिये कहा कि मेरी बात का
बुरा मत मानना। उसने जल्दी से अपने साथ खड़े आदमियों से कहा… अनवर को उठाओ और तुरन्त
उसको क्लीनिक ले जाओ और आमिर अपने सभी साथियों को लेकर गोदाम पर पहुँचो। इतना बोल कर
वह अचानक मेरी ओर देख कर बोला… खुदा हाफिज समीर। वह अपनी कार मे बैठ कर निकल गया था।
थोड़ी देर मे उसके पीछे उसके साथी भी निकल गये थे। दिन निकल आया था और हम पर मंडराता
हुआ खतरे का साया रात के अंधेरे की तरह छ्ट गया था।
कैप्टेन यादव ने गहरी
सांस लेकर कहा… सर, इसको जाने क्यों दिया। यहीं इसका काम तमाम कर देते। मैने उसकी पीठ
थपथपा कर कहा… सही वक्त आने दो। वह भी हो जाएगा। हम वापिस गोदाम के अन्दर आ गये थे।
सभी के चेहरे पर कुछ देर पहले आया हुआ तनाव गायब हो गया था। …सर उनके फोन का क्या करना
है? …जल्दी से उनके सभी फोन की कोन्टेक्ट लिस्ट और व्हाट्स एप ग्रुप के सदस्य और उनके
नम्बर ब्लू टूथ के द्वारा अपने फोन पर उतार लो। सारे फोन एक थैले मे डाल कर मुझे दे
दो। यादव ने सारे फोन वायरलैस आप्रेटर कुशाल सिंह के हाथ मे देते हुए कहा… सुन लिया
तो अब काम पर लग जाओ। मै कुछ देर वहाँ बैठा रहा था। जैसे ही मुझे सारे फोन मिल गये
तो मैने कहा… कैप्टेन, दो आदमी को गार्ड ड्युटी पर तैनात करके अब सब लोग आराम करो।
अब मुझे नहीं लगता कि वह कुछ करेगा। यह बोल कर कर उन्हें वहीं गोदाम पर छोड़ कर मै अपने
नये मकान की ओर चल दिया था।
अभी सड़क पर इतनी चहल
पहल नहीं थी। मैने अपना फोन निकाल कर जनरल रंधावा का नम्बर मिलाया और उनकी आवाज सुनते
ही कहा… सारा सामान सुरक्षित काठमांडू पहुँच गया है। आप कल उन्हें भेज दिजिये। बस इतनी
बात करके मैने फोन काट दिया था। एक खाली टेम्पो को जाते हुए देख कर रोका और उसमे बैठ
गया था। दस मिनट बाद मै अपने नये घर के सामने उतर गया था। सबसे पहले मै आफिस मे चला
गया था। आफिस का इन्टीरियर का काम समाप्त हो गया था। बस कुछ बिजली की फिटिंग का काम
बच गया था। आफिस एक चक्कर लगा कर प्रथम तल की ओर चल दिया था। दरवाजे पर पहुँच कर एक
पल के लिये रुक गया। एक पल के लिये मैने सोचा की दूसरे तल का काम भी चेक करके आराम
करुँगा परन्तु सफर की थकान और नूर मोहम्मद के कारण उत्पन्न तनाव मुझ पर हावी हो गया
था। अपना विचार त्याग कर मैने डोरबेल के बटन को दबा दिया था। उनींदी आँखें लिये तबस्सुम
ने दरवाजा खोला और मुझे देख कर एक पल के लिये वह चौंक गयी थी। उसकी आँखें एकाएक खुल
गयी और किलकारी मार कर मुझसे लिपट गयी लेकिन तभी मेरी नजर सामने चली गयी जहाँ आरफा
एक किनारे मे खड़ी हुई हम दोनो को देख रही थी।
तबस्सुम को अपने साथ
लेकर मैने अन्दर आते हुए कहा… आरफा कैसी हो? अब तक वह हिन्दी कुछ-कुछ समझने लगी थी
तो उसने मुस्कुरा कर कहा… ठीक हूँ। मै सोफे पर जाकर फैल गया। …सारा काम यहाँ का खत्म
हो गया? तबस्सुम ने जल्दी से कहा… थोड़ा काम बचा है। उम्मीद है कि आज सब काम खत्म हो
जाएगा। मै उठ कर खड़ा हो गया और अपने बेडरुम मे जाते हुए कहा… मेरा जिस्म दुख रहा है।
मै सोने जा रहा हूँ। इतना बोल कर मै अपने कमरे मे चला गया था। आनन फानन मे कपड़े उतार
कर बाक्सर पहने रजाई मे घुस गया। ठंडी रजाई मे घुसते ही एक कंपकंपी छूट गयी थी। मेरा
जिस्म पके फोड़े की तरह दुख रहा था। दो दिन ट्रक मे बिताने के कारण जिस्म के कुछ हिस्से
सुन्न पड़ गये थे। ठंडक के कारण जिस्म अकड़ने से सो भी नहीं पा रहा था। थोड़ी देर के बाद
कुछ खिड़की से छनकर आती हुई धूप और कुछ कमरे के हीटर ने अपना असर दिखाना शुरु कर दिया
था। मुझे अनायस ही जन्नत और आस्माँ की याद
आ गयी थी। उनकी उँगलियों मे जादू था। वह मेरे कन्धों और पीठ की माँसपेशियों की मालिश
करके जिस्म का सारा दर्द सोख लेती थी।
…लाईये आपकी पीठ दबा
दूँ। मैने रजाई मे से सिर बाहर निकाल कर देखा तो आरफा मेरे बेड के सहारे खड़ी हुई थी।
एक पल के लिये उसको देख कर मै झिझका लेकिन जिस्मानी अकड़न से छुटकारा पाने के लिये मैने
कहा… तुम मालिश कर दोगी तो आराम से सो जाऊँगा। यह बोल कर मै पेट के बल लेट गया था।
आरफा मेरे पुठ्ठों पर बैठ गयी और रजाई हटा कर गर्म सरसों का तेल को अपने हाथों मे लेकर
धीरे से मेरी पीठ पर मलने लगी। तेल की गर्माहट मिलते ही सर्दी की अकड़न धीरे-धीरे कम
होने लगी थी। जब मेरी पूरी पीठ पर तेल लगा चुकी तो उसके हाथों मे अचानक तेजी आ गयी।
वह मेरे पीठ के निचले सिरे से दोनो हथेलियों को दबा कर कन्धे तक धीमी गति से सरकती
जाती और फिर मेरे कन्धों मे उँगलियाँ गड़ा कर धीरे से गूँथ कर वापिस लौट जाती थी। थोड़ी
देर मे ही उसकी उँगलियों ने जादू दिखाना आरंभ कर दिया था। सारी जिस्मानी अकड़न और मांसपेशियों
का दर्द उसकी उँगलियों ने सोखना आरंभ कर दिया था। अचानक उसका भार मेरे पुठ्ठों पर से
हट गया और उसने मेरे कुल्हे पर से मेरे बाक्सर की इलास्टिक को पकड़ कर घुटने तक नीचे
खिसका दिया था। इस अप्रत्याशित हरकत के कारण मैने उठने का प्रयास किया परन्तु तब तक
वह मेरी पीठ पर सवार हो चुकी थी।
…यह क्या कर रही हो
तुम? …आप चुपचाप मालिश का मजा लिजिये। उसने मेरे पुठ्ठों को तेल से भिगो कर गूंथना
आरम्भ कर दिया था। तीन दिन ट्रक मे बैठ कर जिस्म का यह हिस्सा भी जाम हो गया था। उसने
बड़ी शिद्दत से पुठ्ठों से लेकर मेरी जाँघों की मालिश करना आरंभ कर दिया। अपनी नग्नता
का एहसास भी क्षीण होता चला गया था। उसकी उँगलिया अपने कार्य मे जुटी हुई थी। एक बार
फिर से उसका भार पीठ पर हट गया था। …अब आप सीधे लेट जाईये। नींद ने अपना असर दिखाना
आरंभ कर दिया था। अचानक मुझे लगा कि उसने मुझे करवट दिला कर सीधा करके मेरे सीने की
मालिश करना आरंभ कर दिया था। मैने अपनी आँखें खोल कर उस पर नजर डाली तो एक पल के लिये
मै चौंक गया था। वह बिल्कुल निर्वस्त्र थी। उसका साँवला जिस्म जगह-जगह तेल लगने के
कारण दिन की रौशनी मे दमक रहा था। उसके भारी उन्नत वक्ष और उन पर सिर उठाये काले स्तनाग्र
अकड़ कर खड़े हुए थे। वह मेरी बाँह अपने कन्धे पर रख कर मालिश करने मे जुटी हुई थी। मै
चुपचाप आँखें मूंद कर उसके नीचे पड़ा रहा और वह मालिश करने मे जुटी हुई थी। वह धीरे
से नीचे की ओर सरकी तो हवा मे लहराते हुए भुजंग ने उसकी नितंबों की दरार मे अटक कर
उसका रास्ता रोक दिया था। वह अपने घुटनों के बल थोड़ा सा उठी और लहराते हुए भुजंग को
गरदन से पकड़ कर अपने नीचे से निकाल कर आगे कर दिया। मेरी जाँघ पर बैठ कर एक पल के लिये
मस्ती मे झूमते हुए भुजंग को वह देखने लगी। मै उसे देख रहा था। अचानक उसने सिर उठा
कर मेरी ओर देखा तो हमारी नजरे चार हो गयी और उसके चेहरे पर एक कातिल मुस्कुराहट तैर
गयी थी। एकाएक वह भुजंग को गरदन से पकड़ कर उस पर झुक गयी और धीरे से अपने होंठ खोल
कर फुले हुए सिर को मुँह मे भर लिया। मेरे मुख से एक आह निकल गयी थी। उसने अपने होंठों
और जुबान से भुजंग के सिर वार करना आरंभ कर दिया और अपनी उंगलियों से उसकी पूरी लम्बाई
की मालिश करना आरंभ कर दिया। थोड़ी देर मे ही मेरे अन्दर लावा उबलना आरंभ हो गया था।
अचानक वह उठी और अपने स्त्रीत्व के द्वार पर भुजंग के फूले हुए टमाटर से लाल सिर को
टिका कर बैठती चली गयी थी। भुजंग गुफा के अन्दर सरकता हुआ जड़ तक जाकर बैठ गया था।
इतनी देर मे पहली
बार मेरे हाथ हरकत मे आये थे। उसके भारी झूलते हुए दोनो स्तनों पर मेरे हाथ काबिज हो
गये थे। मेरे हाथ मे तेल लगे होने के कारण वह मेरी पकड़ मे बार-बार फिसलते और फिर प्रयास
करके उन्हें पकड़ कर मसकने की कोशिश करता तो वह फिर से फिसल जाते। कुछ देर यही चलता
रहा और वह चुपचाप भुजंग को अन्दर फँसाए बैठी रही थी। वह परिपक्व अभिसारिका थी। मर्दों
के संसर्ग मे रह कर वह इस कला मे निपुण हो गयी थी कि कैसे एक मर्द को पल भर मे ढेर
किया जा सकता था। वह आँख मूंद कर मुझ पर स्थिर बैठी हुई थी परन्तु मुझे आभास हो रहा
था कि जैसे उसकी योनि मेरे भुजंग को अपने मुख मे जकड़ कर उसका रस सोखने का प्रयास कर
रही है। मैने उसके वक्षस्थल से हाथ हटाया और उसके खुले हुए स्त्रीत्व द्वार मे से झांकते
हुए अंकुर पर अपनी उंगली से पहला वार किया तो उसकी मुंदी हुई आँखें खुल गयी थी। उसने
मेरी ओर देखा तो मैने उसके अकड़े हुए अंकुर को धीरे से घिसना आरंभ कर दिया। वह थोड़ी
देर तो अपने अंकुर पर वार सहती रही परन्तु अचानक वह मेरी उंगली के वार से बचने के लिये
हिली परन्तु उस अनावरित अंकुर को वह बचाने मे अस्मर्थ थी। वह मचल कर हटने लगी तो मैने
उसकी कमर दोनो हाथों मे पकड़ कर स्थिर कर दिया और वह भी अपने अन्दर एक जीवन्त अंग से
उठती हुई तंरगो को महसूस करने लगी।
मैने उसकी कमर छोड़
कर एक बार फिर से उसके अंकुर पर हमला कर दिया था। अब उसका जिस्म उसके नियन्त्रण मे
नहीं रहा था। मेरा एक हाथ उसके स्तन को निचोड़ने मे जुट गया और दूसरे हाथ की उँगली उसके
सबसे संवेदनशील अंग को लगातार घिस रही थी। बाकी बचा हुआ काम भुजंग ने संभाल लिया था।
उसने उठने कोशिश की परन्तु तभी मेरी कमर ने झटका खाया और बाहर सरकता हुआ भुजंग पूरी
शक्ति से अन्दर जाकर बैठ गया था। उसके मुख से उत्तेजना से भरी एक गहरी सीत्कार निकल
गयी थी। वह अब एकाकार के लिये तैयार हो गयी थी। मैने उसको कमर से पकड़ कर अपने उपर लिटा
लिया और झटके से करवट बदल कर अपने नीचे दबा लिया। सर्दी मे रजाई भी जमीन्दोज हो गयी
थी। उसके उपर छाते ही मेरा मुख हरकत मे आ गया और उसके स्तन को अपने होंठों मे दबा कर
उसका रस सोखने लगा। मैने लम्बे और गहरे वार करना आरंभ कर दिया था। उसका जिस्म हर वार
से थरथरा उठता था। उसने अपनी दोनो टांगे मेरी कमर पर कस दी थी परन्तु मेरी शक्ति के
आगे आरफा कुछ भी कर पाने मे अस्मर्थ थी। वह बेरोकटोक बह रही थी। मैने अपनी उँगली को
उसके रस मे नहलाया और फिर उसके सुर्यमुखी छिद्र को टटोलते हुए महसूस किया। एक पल के
लिये मै रुक गया था। मैने अपने आपको आखिरी सिरे तक निकाल कर पूरी शक्ति से वार किया
और उसी क्षण अपनी उँगली पर दबाव डालते हुए उसके छिद्र मे उंगली जड़ तक प्रविष्ट कर दी
थी। इस दो तरफा वार करते हुए उत्तेजना से ओतप्रोत होकर मैने उसके किश्मिश से स्तनाग्र
को अपने दाँतों तले चबा दिया। उसके मुख से एक दबी हुई चीख निकल गयी थी। उसका जिस्म
अकड़ गया और फिर धीरे से एक कंपन उठी जो उसके पूरे जिस्म मे फैल गयी थी। उसने तेज झटके
के साथ कांपना आरंभ किया और फिर अगले ही पल निढाल होकर बिस्तर पर गिर गयी। मै भी अपने
चरम पर पहुँच गया था। उसके अन्दर आये भूचाल ने मेरे सारे बांध एक ही पल मे ध्वस्त कर
दिये और जिस्मानी लावा कामरस के रुप मे बहने लगा। मै भी उसके उपर शिथिल होकर पड़ गया
था। मुझे याद नहीं कि कैसे परन्तु स्खलित होते ही मै बेहोशी की नींद मे डूब गया था।
मुझे पता नहीं कब
और कैसे आरफा मेरे नीचे से निकली और जमीन पर पड़ी हुई रजाई उढ़ाह कर चली गयी थी। रात
को मेरी नींद अनायस ही टूट गयी थी। कमरे मे घुप्प अंधेरा था। मेरी नजर खिड़की की ओर
चली गयी तो बाहर का अंधेरा देख कर समझ गया
कि रात हो गयी थी। तभी अपने साथ एक जिस्म का एहसास हुआ तो मैने जल्दी से उठने की कोशिश
की तो तबस्सुम की आवाज मेरे कान मे पड़ी… आप उठ गये? उसकी आवाज सुन कर मै चौंक गया था।
क्या मै कोई सपना देख रहा था? प्रकृति का दबाव मुझे उठने के लिये मजबूर कर रहा था परन्तु
तबस्सुम के सामने अपनी नग्नता के एहसास के कारण रजाई से बाहर निकलने की इच्छा नहीं
हो रही थी। कुछ देर तक यह द्वन्द चलता रहा और जब स्थिति नियंत्रण से बाहर होती हुई
लगी तो रजाई छोड़ कर बाथरुम मे घुस गया था। थोड़ी देर के बाद गर्म पानी मे अपने थके हुए
जिस्म की सिकाई करने के बाद जब मै बाहर निकला तब तक मै पहले से ज्यादा उलझ गया था।
आरफा मेरी मालिश करने आयी थी और फिर जो कुछ भी हमारे बीच मे मुझे हुआ वह स्मृति अभी
दिमाग मे ताजी थी। बाथरुम मे मैने अपने जिस्म पर तेल की चमक देखी तभी मैने नहाने का
विचार बनाया था। सुबह जो कुछ हुआ वह सपना हर्गिज नहीं हो सकता था।
बाथरुम से बाहर निकल
कर अपने बैग से एक गर्म टी-शर्ट और बाक्सर निकाल कर पहना और नाइट लैंम्प जला कर कमरा
रौशन कर दिया। रजाई ओढ़े तबस्सुम की ओर देख कर पूछा… कुछ खाने के लिये रखा है? …मेज
पर रखा हुआ है। क्या खाना गर्म करके दे दूँ। …नहीं तुम आराम करो। मै माईक्रवेव मे गर्म
कर लूँगा। डाईनिंग टेबल पर एक थाली मे खाना रखा हुआ था। पेट पूजा करके वापिस कमरे मे
आया और रजाई मे घुसते हुए पूछा… यहाँ मेरे जाने के बाद कोई परेशानी तो नहीं हुई थी?
…नहीं। मकान मालिक सारा काम अपनी देखरेख मे करवा रहा था। रजाई मे घुस कर उसको अपनी
बाँहों मे भर कर अपनी ओर खींच कर उसकी ओर देखा तो वह मुझे ही देख रही थी। वह चिरपरिचित
भारतीय साड़ी ब्लाउज मे थी। उसके गालों पर लाली कुछ ज्यादा ही उभर आयी थी। मेरी उँगलियाँ
उसके जवान जिस्म की कोमल त्वचा और उसमे होती हुई सिहरन को तगातार महसूस कर रही थी।
मैने उसकी पीठ धीरे से सहलाते हुए पूछा… तुम कब आयी? मेरी उँगली उसकी रीढ़ की हड्डी
पर धीरे से रेखा खींचते हुए नीचे की ओर बढ़ी तो उसका जिस्म एकाएक सिहर उठा था। जैसे
ही मेरी उँगलियाँ उसके पुष्ट नितंबों पर पहुँची तो वह उचक कर बैठ गयी थी। अपनी बाँहों
मे जकड़ कर उसे अपने साथ जबरदस्ती लिटाते हुए कहा… नींद नहीं आ रही? …नहीं।
मैने धीरे से उसके
कान को चूम कर कहा… क्या चाहती हो? मेरे दोनो हाथ उसकी कमर के इर्दगिर्द लिपटे हुए
थे। उसकी आँखों मे शरारत और चेहरे पर चमक देख कर मै थोड़ा सावधान हो गया। आरफा के साथ
दिन मे बिताये हुए कुछ लम्हों के कारण दिल मे एक डर भी बना हुआ था कि पता नहीं तबस्सुम
की प्रतिक्रिया क्या होगी? इतने दबाव के बावजूद नवयौवना की सुगंध पाकर जिस्म के एक
हिस्से मे न चाहते हुए भी रक्त संचारित होने लगा था। उसे अपने सीने से लगाये मै उठ
कर बैठ गया। उसे भी सब कुछ का एहसास था। वह मेरी पकड़ मे मचली और उसी क्षण मेरे भुजंग
अपनी कठोरता का उसे परोक्ष रुप से एहसास करा दिया था। उसी पल मेरे हाथ उसकी कमर से
सरकते हुए उसके सीने की गोलाईयों की ओर बढ़ गये थे। मेरा पंजा उसके स्तन पर काबिज हो
गया था। …हाय। कितना स्वर्गिम एहसास था? इसको मै बयान नहीं कर सकता लेकिन उत्तर मे
उसके उत्तेजना से रोएँ खड़े हो गये थे। उसका स्तनाग्र सिर उठा कर अकड़ कर खड़ा होकर मेरी
हथेली मे गड़ रहा था।। मैने धीरे से दो उँगलियों मे उसके स्तनाग्र को फँसा कर जैसे ही
तरेड़ा उसकी उत्तेजना से भरी एक लम्बी सीत्कार छूट गयी थी।
तबस्सुम का नशा अब
मुझ पर हावी हो रहा था। उसके दहकते हुए कोमल गालों पर मैने अपने होंठ टिका दिये थे।
कभी उसके गाल का रस सोखता और कभी धीरे से उसके उन्नत स्तन को सहलाते हुए धीरे से मसक
देता। मेरा हर वार सधा हुआ था और उसके जिस्म की प्रतिक्रिया हर वार के अनुसार हो रही
थी। अचानक वह तड़पी और उसने अपनी पूरी शक्ति लगा कर अपना चेहरा मेरे सीने मे छिपा कर
मुझे अपनी बाँहों मे बांध लिया था। उसकी साँसे उत्तेजना के कारण तेजी से चल रही थी।
मैने उसके चेहरे को उठा कर उसकी आँखों मे झाँका तो प्रणयमिलन की तीव्रता के कारण उसका
चेहरा लाल हो गया गया था। उत्तेजना से उसकी कनपटियाँ तड़क रही थी। पता नहीं क्यों जब
भी उसका चेहरा देखता था तभी मन मे एक अजीब सी झिझक का एहसास होता था। ऐसा मेरे साथ
आज तक पहले कभी किसी स्त्री के साथ नहीं हुआ
था। एलिस, मिरियम, जन्नत, आस्माँ, मोनिका, चांदनी और आज सुबह आरफा के साथ प्रणय मे
मुझे कभी झिझक नहीं हुई थी। परन्तु तबस्सुम के लिये तीव्र कामेच्छा होने बावजूद एक
हद से आगे नहीं बढ़ पाता था। इस वक्त भी मेरा कुछ ऐसा ही हाल था।
अचानक तबस्सुम ने
मेरी ओर देख कर कहा… कल सुबह मुझसे निकाह कर लिजिये। …तुमने ठंडे दिमाग से सोच कर यह
फैसला किया है या सिर्फ कामवासना से वशीभूत होकर ऐसा फैसला कर रही हो? वह निगाह झुका
कर बोली… आप जब यहाँ नहीं थे तब इस बारे मे सोचने के लिये मेरे पास काफी समय था। आपके
जाने के बाद मैने महसूस किया मुझे आपसे मोहब्बत हो गयी है। शायद ही इस दुनिया मे आपके
सिवा कोई और होगा जो मेरे लिये ऐसा जोखिम उठा सकता है। जब आप दोजख मे जाने का मन बना
चुके है तो मै जन्नत मे जाकर क्या करुँगी। वहीं पर दोनो साथ रह कर सभी गुनाहों के लिये
माफी मांग लेंगें। खुदा बड़ा रहमदिल है और वह हमारी मोहब्बत को देख कर माफ भी कर देगा।
उसकी बात सुन कर मैने उसकी आँखों मे झाँकते हुए पूछा… क्या तुम्हें पता है कि सुबह
मैने क्या किया था? …हाँ। मै भी वहीं थी और मैने सब कुछ अपनी आँखों से देखा था। एक
पल के लिये मेरी निगाह शर्म से झुक गयी थी। उसके बाद उसका निर्णय सुन कर एक पल के लिये
मै सकते मे आ गया था। …सब कुछ जानने के बाद भी तुम मुझ जैसे व्यभिचारी के साथ कैसे
निकाह कर सकती हो? …क्यों नहीं कर सकती? …क्या तुमने कभी इसके बारे मे ध्यान से सोचा
है। वह भी उठ कर बैठ गयी थी। …मैने सोच लिया है और अब आपको सोचना है। कुछ भी कहने से
पहले मैने मान लिया कि आप बेवफा है लेकिन मेरी एक बात जवाब दे दिजिये कि क्या आप अपनी
जान बचाने के लिये मुझे कुर्बान कर सकते है? उसे अपनी बाँहों मे कसते हुए मैने जवाब
दिया… तबस्सुम तुम इस का जवाब अच्छे से तुम जानती हो तो फिर क्यों पूछ रही हो। …तो
कल हम निकाह कर रहे है। उसने अपना निर्णय मुझे सुना दिया था।
मैने अपनी आखिरी कोशिश
की… तो तुम सात जन्मों के लिये मेरे साथ रहने को तैयार हो? उसने कोई जवाब देने के बजाय
बस इतना बोली… कुबूल है। …कल मन्दिर मे चल कर निकाह करने को तैयार हो? …कुबूल है। …इस
कुफ्र के कारण मेरे साथ दोजख मे सजा पाने के लिये भी तैयार हो? …कुबूल है। अबकी बार
उसने मेरा हाथ थाम कर कहा… देखिये मैने तो तीन बार कुबूल कर लिया है अब आपका नम्बर
है। क्या आप मेरे लिये अपनी जान दाँव पर लगा सकते है? …कुबूल है। …बोलिये कुछ भी हो
जाये आप मुझे अपने से कभी दूर नहीं करेंगें? …कुबूल है। वह एकाएक चुप हो गयी तो मैने
कहा… अब अपनी आखिरी मांग भी रख दो। वह मुझसे लिपटते हुए बोली… आज नहीं कल निकाह होने
से पहले रख दूंगी। …जैसी तुम्हारी मर्जी। मै उसके साथ चुपचाप लेट गया था।
मेरी आँखों से नींद
उड़ चुकी थी। एक बार फिर मेरी जिंदगी पटरी से उतरते हुए मुझे साफ दिख रही थी। अपना ध्यान
भटकाने के लिये मेरा दिमाग अगले कुछ दिनों की रणनीति बनाने मे लग गया था। कल सुबह तक
जनरल रंधावा उन तीन टेक्निशियनो को यहाँ पर सारा संचार माध्यम स्थापित करने के लिये
भेज देंगें। उसके बाद मेरा कार्य आरंभ हो जाएगा। नूर मोहम्मद से पहली मुलाकात हो चुकी
थी और अगली मुलाकात सारी तैयारी होने के बाद होगी। मै अपने अगले कुछ दिनों की योजना
बनाने मे लग गया था। मेरे साथ चौबीस स्पेशल फोर्सेज के जाँबाज सैनिक थे। हमारे पास
अत्याधुनिक हथियार और काफी मात्रा मे असला बारुद भी था। फरहान के अनुसार हर जुमे की
रात को बिलावल ट्रांस्पोर्ट का एक ट्रक बांग्लादेश के लिये निकलता था। बलूच रेजीमेन्ट
की एक युनिट सादे कपड़ों मे उसको नेपाल सीमा तक सुरक्षा प्रदान करती थी। उस ट्रक को
रास्ते से गायब करके यहाँ पर स्थित आईएसआई के मंसूबों पर पहली चोट देनी थी परन्तु कैसे?
काफी देर तक मै अपनी योजना से दिमागी जंग करता रहा और पता नहीं कब सोचते हुए अपने ख्वाबों
की दुनिया मे खो गया था।
सुबह मेरी आँख जल्दी
खुल गयी थी। मै जल्दी से तैयार हुआ और बेडरुम मे तबस्सुम को सोता हुआ छोड़ कर दूसरी
मंजिल को देखने चला गया था। एक बड़ा सा हाल था। सड़क की ओर बड़े शीशे से बाहर देखते हुए
मैने अपने मोबाईल पर नजर डाली तो उन तीन टेक्निशियन के आगमन का विवरण दिख गया था। मैने
कैप्टेन यादव से फोन करके वहाँ का हाल पूछ लिया था। उसके अनुसार सारे लोग चौबीस घंटे
आराम करने के बाद अब पूरी तरह सजग और तैयार थे। …कैप्टेन, अपने साथियों मे कुशाल सिंह
के अलावा वायरलैस को और कितने लोग संभाल सकने की स्थिति मे है? …सर, उसके अलावा दो
सैनिक और इस काम मे प्रशिक्षित है। …दिल्ली से तीन टेक्निशियन आज पहुँच रहे है। उनको
लेकर मै दोपहर तक वहाँ पहुँच जाऊँगा। तब बैठ कर यह निर्णय लेंगें कि कौन सी जगह हमारी
आब्सर्वेशन पोस्ट स्थापित होगी। यादव से बात करने के बाद मैने अजीत सर का नम्बर मिला
दिया था।
अजीत सर की आवाज कान
मे पड़ी… मेजर, सब सुरक्षित पहुँच गये। उनकी आवाज सुनते ही मैने कहा… सर, मेरी मुलाकात
नूर मोहम्मद से हो गयी है। जैसा हमने सोचा था लगभग वैसा ही हुआ था। दोनो ट्रक अब हमारे
पास है और उसके आदमी नेपाल की सड़कों पर अपने ट्रकों की तलाश कर रहे है। …गुड, तुम्हारी
रणनीति इसी प्रकार की होनी चाहिये कि उनके नेटवर्क पर लगातार दबाव बना रहे। उनके नेटवर्क
को अंधेरे मे हाथ-पाँव मारने दो और अपनी आब्सर्वेशन पोस्ट को मजबूत कर लो। नूर मोहम्मद
का फोन नम्बर मिल गया है तो उसे रंधावा को बता दो जिससे वह उसे ट्रेकिंग और रिकार्डिंग
पर तुरन्त लगा दे। …सर, क्या हम भी उसकी बातें यहाँ पर सुन सकेंगें? …वह तुम उन टेक्निशियन्स
से पूछ लेना। …जी सर। …समीर, वीके ने उस आयुर्वेदिक कंपनी के बाबा से बात करके गोल्डन
इम्पेक्स कंपनी को नेपाल का वितरक बनाने के लिये राजी करवा लिया है। एक बार वीके से
इस मामले मे बात कर लेना और जल्दी से जल्दी अपना पुख्ता फ्रंट तैयार कर लो। नूर मोहम्मद
और शुजाल बेग को अब तक तुम पर पूरा शक हो गया होगा और इसीलिये उसने अपना असली परिचय
तुम पर जाहिर किया है। अब तुम्हारे उपर है कि तुम उसको गलत सबित करो। अपने फ्रंट को
इतना मजबूत कर लो कि उसे यकीन हो जाये कि तुम सिर्फ एक कारोबारी व्यक्ति हो जो अपने
कारोबार को बचाने के लिये किसी भी हद तक जा सकता है। …यस सर। हमे एक बात और पता चली
है कि संयुक्त मोर्चे की तीन तंजीमे यहाँ पर सक्रिय है। हरकत उल अंसार, जमात-ए-इस्लामी
और दुख्तर-अल हिन्द। मेरा अनुमान है कि दुख्तर-अल हिंद पाकिस्तानी दुख्तरान-ए-इस्लामिया
नाम की महिला चरमपंथी जैसी हिंदुस्तानी तंजीम है। कुछ देर बात करने के बाद अजीत सर
ने फोन काटने से पहले एक बार फिर से कहा… वीके से बात कर लेना।
मैने एक नजर अपनी
घड़ी पर डाल कर वीके का नम्बर मिला दिया। पहली घंटी बजते ही उनकी आवाज कान मे पड़ी… माईबोय,
काठमांडू की आबोहवा कैसी है? …सर, पहले कुछ ठंडक थी परन्तु अब यहाँ आने के बाद माहौल
कुछ गर्म हो गया है। …मेजर, उस कंपनी ने गोलडन इम्पेक्स को नेपाल का वितरक बनाने का
निर्णय ले लिया है। मै तुम्हें उनके बैंक की सारी डिटेल्स व्हाट्स एप पर भेज रहा हूँ।
दो करोड़ रुपये का उस कंपनी के नाम से इलेक्ट्रानिक ट्रांस्फर कर दो। वह पहले महीने
पच्चीस लाख का सामान तुम्हारी कंपनी को देंगें। उसके बाद हर महीने तुम्हारे आर्डर को
पूरा करके वह पच्चीस लाख का सामान और देंगें। एक करोड़ की सिक्युरिटी डिपाजिट उनके पास
रहेगी जिससे तुम्हारे लिये नगदी की रोटेशन बनने मे आसानी हो जायेगी। सारे कानूनी कागजात
उन टेक्नीशियन्स के हाथ भिजवा दिये है। साइन करके उनके हाथ वापिस भेज देना। मेजर इतना
पुख्ता फ्रंट बनना चाहिये कि नेपाल सरकार भी तुम पर हाथ डालने से पहले दस बार सोचे
कि क्या ऐसा कोई भारतीय कोवर्ट आप्रेशन हो सकता है। …सर, आप बेफिक्र रहिये। नूर मोहम्मद
और शुजाल बेग को पता भी नहीं चलेगा कि किसने उनके मंसूबों पर पानी फेर दिया। …मेजर
सावधान रहना। बस इतनी बात करके वीके ने फोन काट दिया था।
मै दूसरी मंजिल को
देख कर वापिस अपने बेडरुम मे आया तो देखा तबस्सुम अभी तक सो रही थी। मै किचन की ओर
चला गया और अपने नाश्ते की तैयारी मे लग गया था। आज बहुत से काम करने थे। आज मुझे अपनी
गाड़ियों की भी डिलिवरी मिलनी थी। नेपाल मे हाथ के हाथ गाड़ी नहीं मिलती तो दिल्ली जाने
से पहले ही मैने इसुजु की एक पिक-अप और आठ सीटर गाड़ी खरीद ली थी। डीलर ने एक हफ्ते
बाद डिलीवरी देने का वादा किया था। नाश्ता करते हुए मैने डीलर से बात की तो उसने बताया
कि दोपहर के बाद दोनो गाड़ियाँ मिल जाएगी। टेक्नीशियन्स की फ्लाईट शाम को चार बजे पहुँचने
वाली थी। सुबह मेरे पास काफी समय था। इसीलिये यह समय मैने तबस्सुम को दिया था। मै सोफे
पर बैठ कर सोच ही रहा था कि आरफा अपने कमरे से बाहर निकली और मुझको वहाँ देख कर ठिठक
कर रुक गयी थी।
मैने मुस्कुरा कर
कहा… क्या हुआ? वह झेंप कर बोली … चाय बनाने जा रही हूँ। …तो जाओ। मैने कौनसा तुम्हें
रोक दिया है। वह तेजी से चलती हुई किचन मे चली गयी थी। कल की हरकत के कारण अब वह मुझसे
कतरा रही थी। …आरफा वह फाइल देख ली? …जी। …क्या उस फाइल के कुछ चेहरे पहचान मे आये?
…जी। कुछ लोगों को मैने वहाँ ढाका कैंम्प मे देखा था। वह चाय बना कर एक कप मुझे देते
हुए बोली… मैने उन लोगों मे से दो लोगों को यहाँ भी देखा है। उसकी बात सुन कर मै सावधान
हो गया था। …तुमने उन्हें कहाँ देखा था? …सामने सड़क पर मैने चार लड़कों को उस आफिस मे
जाते हुए देखा था। उन चार मे से वह दो भी थे। मै उठ कर खिड़की के पास चला गया और पूछा…
कौन से आफिस मे? वह मेरे निकट आयी और बिलावल ट्रांस्पोर्ट के आफिस की ओर इशारा करके
बोली… वह उस आफिस मे गये थे। …कब देखा था? …करीब दो दिन पहले। मै वापिस सोफे पर आकर
बैठ गया। तभी तबस्सुम बेडरुम से बाहर निकली और मुस्कुरा कर बोली… कितने बजे चलना है?
…जैसे ही तुम तैयार हो जाओगी। हम चल देंगें। वह वापिस अन्दर चली गयी थी। आरफा चाय पीकर
अपने कमरे मे तैयार होने के लिये जा चुकी थी। मैने अपने फोन मे देखा तो वीके ने उस
कंपनी के बैंक की सारी जानकारी दे दी थी। आज के कामों कि लिस्ट मे एक काम और जुड़ गया
था।
दस बज गये थे। मैने
सोचा जब तक तबस्सुम तैयार होकर बाहर आएगी तब तक बैंक का काम करके आ जाता हूँ। जैसे
ही मै चलने के लिये खड़ा हुआ तो आरफा कमरे से बाहर निकली और उसके हाथ मे आईबी की फाइल
थी। …मैने उन सभी लोगों की तस्वीर पर निशान लगा दिये है जिनको मैने वहाँ कैंम्प मे
देखा था। मैने उसके हाथ से फाइल लेकर कहा… आरफा हमारे जाने के बाद यहीं खिड़की से उस
आफिस पर नजर रखना और जैसे ही कोई इनमे से दिखे तो तुरन्त मुझे खबर कर देना। …जी। क्या
मै आज आप दोनो के साथ नहीं चल सकती? …हाँ। बिल्कुल चल सकती हो पर क्या तुम्हें मालूम
है कि हम कहाँ जा रहे है? उसने कुछ नहीं कहा बस मुस्कुरा कर अपना सिर हिला दिया था।
हम अभी बात ही कर रहे थे कि तभी तबस्सुम कमरे से बाहर निकली और उसको देख कर हम दोनो
का मुँह खुला का खुला रह गया था। शिखा ने उसे बिल्कुल भारतीय बना दिया था। वह उसी ब्लाउज
और साड़ी मे थी जो नीलोफर से प्रभावित होकर मै उसके लिये लाया था। वह तो गजब ढा रही
थी। मुजफराबाद मे पहली बार मैने उसके बालों का जूड़ा बनाया था लेकिन आज उसने जिस तरह
से अपने बाल बांधे थे उसे देख कर मै खुद हैरान था। … अब चले। मैने जल्दी से कहा… हाँ
चलो। तभी तबस्सुम बोली… हम पहले कचहरी जाएँगें। …क्यों? …वहाँ हमारी कानूनी शादी होगी।
वहाँ से फिर मन्दिर जाएँगें। मेरा दिमाग चकरा गया था। …तबस्सुम लेकिन ऐसे जाकर हम वहाँ
शादी नहीं कर सकते है। पहले हमे वहाँ पर कागज जमा कराने पड़ते है और उसके बाद कचहरी
शादी रजिस्टर करने के लिये तारीख देती है। …मैने वकील साहब के जरिये सारे कागज जमा
करा दिये है। आज की तारीख मिली है। वकील साहब वहाँ पर हमारा इंतजार कर रहे है। हम तीनों
टैक्सी पकड़ कर कचहरी पहुँच गये थे।
कोर्ट कचहरी मे पैसे
वालों को समय नहीं लगता। हमारे पहुँचते ही वकील साहब ने हमे मजिस्ट्रेट के सामने खड़ा
कर दिया था। हमारे सारे कार्ड व पासपोर्ट की कापी उनके सामने रखते हुए वकील साहब ने
कहा… हुजूर यह हिन्दु रीति रिवाज से शादी शुदा है लेकिन यह चुंकि यहाँ पर कारोबार कर
रहे है तभी वह अपनी शादी को कानूनी रुप देना चाहते है। सारे कागजात आपके सामने पेश
कर दिये है। उनकी बातचीत से ही पता चल गया था कि यह सब औपचारिक्ताएँ है। मैने चुपचाप
जहाँ बताया गया वहाँ साइन करके अपनी शादी को कानूनी रुप दे दिया था। सारा काम समाप्त
होने के बाद वकील साहब ने मुझसे कहा… सर, आपका मेरिज सर्टिफिकेट कल तक घर पर पहुँचा
दूँगा। मैने अपना सिर हिला दिया था। कचहरी से बाहर निकलते ही मैने कहा… जब इतना सब
कुछ तुमने अकेले कर लिया तो मन्दिर और पंडित का भी इंतजाम कर लिया होगा? तबस्सुम मुस्कुरा
कर बोली… आपको क्या लगता है? इतना तो मै जान गयी कि अब आप मुझे समझने लगे है। अब से
मेरा नाम अंजली है और आप भी मुझे अंजली के नाम से ही बुलाया करेंगें।
कुछ ही देर मे एक
मंदिर के प्रांगण मे हिन्दु रितीरिवाज के अनुसार हमारा विवाह हो गया था। उसने अपने
पर्स से एक-एक करके विवाहिता का सामान निकालना आरंभ किया और मेरे हाथ मे देते हुए कहा…
मेरी मांग मे सिंदूर भर दिजिये लेकिन उससे पहले मेरी तीसरी मांग भी कुबूल कीजिये।
…वह भी बता दो। वह एक पल के लिये चुप हो गयी थी फिर बड़ी संजीदगी से बोली… आप एक बार
मुझे इसी रुप मे मेरे परिवार से मिलवाने के लिये मुजफराबाद लेकर जाएँगे। उसकी मांग
को सुन कर एक पल के लिये मै सकते मे आ गया था। उसने मुस्कुरा कर कहा… कोई जल्दी नहीं
है। सोच कर कुबूल किजिएगा। उसकी आँखों मे एक अजीब सी चमक देख रहा था जैसे कि वह मुझे
चुनौती दे रही थी। … कुबूल है। यह सुनते ही उसका चेहरा खिल उठा और वह जल्दी से बोली…
बस अब जल्दी से मेरी मांग मे सिंदूर भर दीजिये। मैने उसकी दी हुई डिबिया से सिंदूर
निकाल कर उसकी मांग भर दी थी। उसने पर्स मे हाथ डाल कर कुछ निकाल कर मेरे हाथ मे रख
कर बोली… यह मंगलसूत्र मेरे गले मे पहना दिजिये। ढाई बजे तक हम सारे कार्य पूरे करके
मंदिर से बाहर निकल आये थे। अचानक मेरे दिमाग मे आया कि आज सुबह से कोई भी काम मेरे
अनुसार नहीं हुआ था।
उसी समय वहाँ से कुछ
किलोमीटर दूरी पर स्थित शाही इस्लामिया मस्जिद मे नूर मोहम्मद अपने चीफ ब्रिगेडियर
शुजाल बेग को गोल्डन इम्पेक्स कंपनी के बारे मे ब्रीफिंग दे रहा था।
जबर्दस्त अंक और नूर मोहम्मद को घुटने पे ला रखा समीर ने और तो और उसकी जो असली परिचय का इतना बड़ा मखौल उड़ाना सच में बहुत ही महत्वपूर्ण था जिसके चलते कहीं न कहीं नूर मोहम्मद गलती करेगा जिसके फिराक में समीर और पलटन ताक पे बैठी है।खैर अब एक नई अंजली देखने को मिली आशा है इसकी भाग्य पिछले अंजली की तरह ना हो।
जवाब देंहटाएंअल्फा भाई शुक्रिया। विदेशी धरती पर दुश्मन पर प्रहार करने के लिये एक मजबूत फ्रंट की जरुरत थी। छल और धूर्तता की मदद से दुश्मन को नुकसान पहुँचाना इस टीम का मकसद था।
हटाएंnice dear thx for post
जवाब देंहटाएंधन्यवाद साईरस भाई।
हटाएंहमेशा की तरह धांसू अपडेट, नूर मोहम्मद शाना बनने चला था देखते है कितनी अकड निकली है उसकी, हां पर अलर्ट का अलार्म बजाके गया वो, के आगेसे बहोत ही सावधानी बरतणी पडेगी, आरफा का छोटासा सेक्सी क्यामिओ माहोल की गर्माहट बढाके गया😂😂😂इसमे तब्बसुम की प्रतिक्रिया मेच्युयर लगी,और थोडासा आश्चर्य भी हुवा के अपणा होणेवाला शोहर दुसरी औरत से एकाकार हो रहा, और ये देखके भी उसकी प्रतिक्रिया सामान्य रही, यहा हिंदू का कोई पतीदेव पकडा जाये ऐसे तो उस बेचारे की तो जेलयात्रा पक्की समझो😁शायद तब्बसुम मुस्लिम समाजके सहज व्यभिचारसे परिचित है, तो उसे इसमे कुछ जादा नही लगा होगा.आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा.
जवाब देंहटाएंप्रशांत भाई शुक्रिया। छल और धूर्तता के बल पर विदेशी धरती पर दुश्मन से लोहा लेना है तो वैसा फ्रंट भी बनाना पड़ेगा। मेरा मानना है कि कोई भी स्त्री सौतन को बर्दाश्त नहीं कर सकती फिर चाहे वह मुस्लिम समाज से क्यों न हो। मजबूरी, सामाजिक दबाव और दीन की शिक्षा के कारण वह बर्दाश्त भले ही कर ले परन्तु अपनी खुशी से कभी दूसरी के लिये तैयार नहीं हो सकती। आरफा और तबस्सुम के किरदारों को समझने के लिये उनके हालात को समझना जरुरी है। आरफा का अतीत अभिसारिका है और तबस्सुम का अतीत कट्टरपन और दकियानूसी समाज का है।
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