रविवार, 16 जुलाई 2023

  

गहरी चाल-17

 

हर कदम बढ़ाते हुए मुझे बड़ा भारी लग रहा था। सिड़ियों पर तीन आदमी खड़े हुए थे। मुझे देखते ही वह एक साइड मे हो गये थे। मैने उनकी ओर एक बनावटी मुस्कुराहट दिखाते हुए पूछा… अनवर की अब कैसी हालत है? वह कुछ नहीं बोले तो मै सिड़ियाँ चढ़ते हुए अपने फ्लैट के दरवाजे पर पहुँच गया था। वहाँ पर दो आदमी खड़े हुए थे। मुझे देखते ही उन्होंने दरवाजा खोल दिया और एक बार अपने खुदा को याद करके मै अन्दर चला गया। सोफे पर नूर मोहम्मद बैठा हुआ तबस्सुम को कोई अपनी कहानी सुना रहा था। मुझे देखते ही उठ कर कर खड़ा होकर कुछ बोलता मैने एक बनावटी मुस्कुराहट दिखाते हुए जल्दी से कहा… सलाम वालेकुम नूर मोहम्मद साहब। आप मेरे गरीबखाने पर क्या कर रहे है? वह तुरन्त शिकायती स्वर मे बोला… समीर आप यहाँ पर मेरे आफिस के इतने पास रह रहे है और आपने बताया नहीं। जब इसका मुझे पता चला तो मै खुद ही आपसे मिलने के लिये आ गया था। …अंजली, यह बिलावल ट्रांस्पोर्ट के मालिक नूर मोहम्मद है। यह मेरी शरीक-ए-हयात अंजली कौल है। वह हंसते हुए बोला… आपने तो नहीं मिलाया लेकिन अंजली बेटी से आज खुद मिलने के लिये चला आया था। अबकी बार मैने बड़ी संजीदगी के साथ कहा… सच पूछिये तो मुझे आपका यहाँ आना अच्छा नहीं लगा है। आप अपने परिवार के साथ मेरे घर पर आते तो मुझे खुशी होती और मै आपका दिल से स्वागत करता। आपने यहाँ मेरे घर पर अपने बल्ड हाउन्ड्स को लाकर मुझे बेइज्जत किया है इसलिये आइंदा से कृपया करके मेरे घर और मेरे परिवार से दूर रहिएगा। मेरी बात सुन कर एकाएक उसके चेहरे पर तनाव आ गया था। अंजली चौंक कर मेरी ओर देखने लगी थी। अचानक वह उठा और बिना कुछ बोले बाहर जाने लगा तो मैने आवाज लगा कर कहा… नूर मोहम्मद ठहरिये। मैने जल्दी से अन्दर गया और एक थैला लेकर उसके पास आकर बोला… यह सामान तुम्हारे आदमियों की जेब से बरामद किया था। यह ले जाओ जिससे हमे दुबारा मिलने की जरुरत नहीं पड़े। मै तुम्हारा इशारा समझ गया हूँ कि मेरी अनुपस्थिति मे यहाँ कुछ भी हो सकता है। इसके लिये शुक्रिया और कल तुम्हें यहाँ पर काफी बदलाव देखने को मिल जाएगा। अगली बार अगर तुम्हारी ओर से कोई यहाँ गलती से भी आ गया तो उसका हश्र अनवर से भी बुरा होगा। अब आप जा सकते है। वह मुझे कुछ क्षण घूरता रहा और फिर अंजली की ओर मुड़ कर बोला… बिटिया तुम हमारी बात को दिल पर मत लेना और अपने खाविन्द को लेकर जरुर आना। वह मुझसे बिना बोले बाहर निकल गया था।

तबस्सुम ने शिकायती स्वर मे कहा… आपको उसको बेइज्जत करने की क्या जरुरत थी। वह तो अपने घर पर आने का निमन्त्रण देने आया था। …अंजली, वह मुझे चेतावनी देने आया था कि तुम्हारा परिवार यहाँ पर असुरक्षित है। उसकी चिकनी चुपड़ी बातों मे आने की जरुरत नहीं है। दो दिन पहले गोदाम पर हमारे बीच मुठभेड़ हो चुकी है। इसके पाँच आदमी को हमने पकड़ लिया था। वह मेरा चेहरा हैरानी से देख रही थी। …यह नूर मोहम्मद कौन है? …उसकी बात करना छोड़ कर खाने का इंतजाम करो। यह बोल कर मै अपने कमरे मे चला गया था। अपने बैग से एक छोटा सा बाक्स निकाल कर सोफे के सामने पड़ी हुई मेज पर रख दिया और उसका तार बिजली के सोकेट मे लगा कर आन करके बोला… क्या नूर मोहम्मद शुरु से वहीं बैठा हुआ था जहाँ मैने उसे देखा था? तबस्सुम ने आरफा की ओर देख कर कहा… शायद। …दोनो सोच कर बोलो कि क्या हुआ था? आरफा ने कहा… शायद वह पहले इस तरफ बैठा था लेकिन जब चाय आयी तो वह उठ कर इस तरफ बैठ गया था। मैने उस बाक्स को पहले उसी सोफे पर रख दिया और फिर ध्यान से सोफे का निरीक्षण करना आरंभ कर दिया था। एक पिन मुझे सोफे के पीछे रेक्सीन मे घुसी हुई दिखी तो मैने बड़ी सावधानी से उसे निकाल कर देखने लगा। वह दिखने मे आलपिन जैसी लग रही थी परन्तु उसका सिर थोड़ा आम आलपिनों से बड़ा लग रहा था। मैने एक बार फिर से दोनो सोफे के निरीक्षण मे लग गया था। अब मुझे पता था कि मुझे क्या देखना था। थोड़ी देर मे मैने ऐसी तीन पिन और अलग-अलग जगह से निकाल ली थी। वह चार अतिआधुनिक माईक्रोफोन मेरे घर मे लगा कर चला गया था।

आरफा और तबस्सुम दोनो चुपचाप दरवाजे के पास खड़ी हुई मुझे देख रही थी। मै सोफे पर आराम से बैठते हुए कहा… उसे हमारी बातें सुनने का शौक यहाँ खींच लाया था। अचानक आरफा बोली… उसके साथ आये हुए लोगो मे दो आदमी वही थे जिन्हें मैने बांग्लादेश मे देखा था। …कौन थे वह जो दरवाजे पर खड़े हुए थे या जो सिड़ियों पर खड़े हुए थे। …जो दरवाजे पर खड़े हुए थे। तबस्सुम मेरे साथ बैठते हुए बोली… यह आपके हाथ मे क्या है? …माईक्रोफोन है। वह हमारी बातें बड़े आराम से सुन सकता है। फिलहाल वह कुछ नहीं सुन पा रहा होगा क्योंकि वह डिब्बा जो मेज पर रखा है उसने यहाँ पर लगे हुए माईक्रोफोन को जैम करके निष्क्रिय कर दिया है। फिलहाल ऐसे ही रहने दो इसके बारे मे कुछ और सोचते है। यह बोल कर मै कपड़े बदलने के लिये अपने कमरे मे आ गया था। अपने कपड़े बदल कर जब बाहर निकला तब तक खाना मेज पर लग चुका था।

…आज तुमने सोफ्ट ड्रिंक्स नहीं मंगवायी? तबस्सुम ने मुझे घूर कर देखते हुए कहा… वह सिर्फ वलीमे के लिये थी। अब निकाह हो गया और दावत समाप्त हो गयी तो अब जो खाना बना है चुपचाप खा लिजिये। खाना खाते हुए मैने पूछा… किस खुशी मे निमन्त्रण देने आया था। …इस जुमे को उसकी शादी की सालगिरह है। …उसके कारण हमारी शबे वस्ल नहीं हो सकी और वह शादी की सालगिरह मना रहा है। तनावपूर्ण माहौल मे हमने अपना खाना समाप्त किया और फिर दोनो को अपने साथ बिठा कर जल्दी से अपनी योजना सुना कर बोला… तैयार हो। दोनो ने हामी भरते हुए अपना सिर हिला दिया था। मैने चारो पिन मेज पर रख दी थी। मै उठा और बाक्स का स्विच आफ करके बैठते हुए बोला… अंजली, तुम्हारे माईक्रोवेव को यहाँ से हटा दो। सोफे के इतने नजदीक माईक्रोवेव होने से देखो यह जगह कितनी गर्म हो गयी है। यह बोलते ही मैने एक पिन माईक्रोवेव मे रख कर उसे एक मिनट के लिये चला दिया था। तबस्सुम ने कहा… कल हटवा दूंगी। मुझे नींद आ रही है। आपको सोना नहीं है क्या? …तुम सो जाओ। मुझे अभी काम है। तबस्सुम अपने कमरे मे चली गयी थी। मै सोफे पर बैठ गया था।

…आरफा इधर आओ। आरफा मेरे पास आकर बैठ गयी थी। अब हमारी बातचीत शुरु हो गयी थी। …आह…आप यह क्या कर रहे है? …क्यों क्या पहली बार किया है। …अब आपका निकाह हो गया है। अंजली को हमारे रिश्ते का पता चल गया तो वह बुरा मानेगी। खुदा के लिये मुझे जाने दिजिये…आह…आप बड़े जालिम है। …मेरा इंतजार करना। उसे सुला कर आ रहा हूँ। आह…यह पिन यहाँ सोफे पर किसने गधे ने छोड़ दी। मैने मेज से एक और पिन उठा कर नष्ट करते हुए कहा…पुरानी शराब के नशे की बात ही कुछ और है। …जाईये भी। बातों मे आपसे कोई जीत नहीं सकता। मै उठा और मेज पर रखी हुई दोनो पिन उसी बाक्स मे रख दिये थे। बाक्स मे अब दोनो पिन एक्टिव होते हुए भी निष्क्रिय हो गयी थी। आरफा अपने कमरे मे जाते हुए धीरे से बोली… उसके साथ प्यार से पेश आईयेगा। मेरा कहा मानिये एक पिन आज अपने कमरे मे ले जाईये। मैने झेंपते हुए कहा… जाकर सो जाओ। आज कुछ नहीं होने वाला है। इतना बोल कर मै अपने कमरे मे चला गया था।

तबस्सुम मेरा इंतजार कर रही थी। …आपने ऐसा क्यों किया? रुम हीटर ने अब तक बेडरुम का तापमान नियंत्रित कर दिया था। बेड पर फैलते हुए मैने कहा… उसे आज रात मेरी बेवफाई मे उलझा रहने दो। वह उठ कर मेरे पास बैठते हुए बोली… मै कपड़े बदल कर आती हूँ। …किस लिये? लेकिन वह मुझे अनसुना करके कमरे से बाहर निकल गयी थी। मैने कुछ देर उसका इंतजार किया परन्तु जब वह नहीं आयी तो मै आँख मूंद कर सोने की कोशिश करने लगा। तभी मुझे लगा कि तबस्सुम मेरे पास आकर बैठ गयी है। मैने आँख खोल कर उसकी ओर देखा तो देखता रह गया था। वह छुईमुई सी दुल्हन के लिबास मे लम्बा सा घूँघट निकाल कर बैठी हुई थी। वह निगाहें नीची कर के अगले पल का इंतजार कर रही थी। मै उसके पास पहुँच कर उसके घूँघट को धीरे हटा कर अपनी उँगलियों से उसके चेहरे को उपर किया तो उसने शर्मा कर अपनी आँखे मूंद ली थी। उसको इस रुप मे देख कर मुझे हैरानी हो रही थी। पता नहीं कब से वह इस पल के लिये तैयारी कर रही थी। उसकी धड़कन बढ़ गयी थी और उसकी साँसे तेज चलने के कारण उसके होंठ थोड़े से खुल गये थे। मैने हौले से उसके अधखुले होंठों पर उंगली फिराते हुए कहा… बानो, अपनी आँखे खोलो। उसने गरदन हिला कर मना किया तो मैने गुड़िया सी सिमटी हुई अंजली को अपने आगोश में जकड़ लिया था।

उसके माथे पर पड़े हुए टीके को पहले मैने धीरे से उसके बालों से अलग करते हुए पूछा… यह सब कब और कहाँ से इंतजाम किया? यह पूछते हुए मैने झुक कर उसका माथा चूम लिया। टीके को एक किनारे मे रख कर मैने उसकी नाक में पड़ी हुई नथ को निकाल कर उसके कांपते हुए होंठों को चूम लिया। मेरे होंठों का स्पर्श के एहसास से वह तड़प उठी थी। एक क्षण के लिये मै हटा तो उसने झपट कर मेरा चेहरा दोनो हाथों मे लेकर चूमना शुरु कर दिया था। हम दोनो एक दूसरे के होंठों का रसपान करने मे जुट गये थे। इस आपाधापी मे उसकी साड़ी हट जाने से उसका ब्लाउज मेरी आँखों के सामने आ गया था। उसके सीने की गोलाईयाँ आधी से ज्यादा बाहर झांक रही थी। सीने की घाटी मे मंगलसूत्र का पेन्डेन्ट फँसा हुआ था। मेरा हाथ उस ब्लाउज के जोड़ को तलाशता हुआ पीछे की ओर चला गया और उसकी नग्न पीठ को सहलाते हुए जैसे ही मेरी उँगलियों ने पतले से तीन हुक के जोड़ को महसूस किया तो मैने झुक कर उसकी सुराहीदार गरदन पर अपने होंठ की मौहर लगाते हुए उसके ब्लाउज के हुक एक-एक करके खोल दिये। जैसे ही उसको ब्लाउज खुलने का आभास हुआ उसने अपने सीने पर से फिसलते हुए ब्लाउज को अपने हाथों से ढक दिया था। मैने ब्लाउज के एक सिरे को पकड़ कर धीरे से उसकी नानुकुर की परवाह किये बिना उसके जिस्म से अलग करके किनारे मे रख दिया।

उसके हाथ सीने से हटा कर मैने एक नजर डाली तो एकटक उनकी बनावट और सुन्दरता को देखता रह गया था। दूध सी सफेदी पर गुलाबीपन लिए उसके सुडौल और उन्नत वक्ष और उनके शिखर पर गहरे बादामी रंग के उत्तेजना से फूले हुए स्तनाग्र ब्लाउज की कैद से आजाद होते ही गुरुत्वाकर्षण के सारे नियम फेल कर रहे थे। उत्तेजना से सीने के रोएं खड़े हो गये थे। नन…नहीं मत किजिये… कहते हुए उसने अपने हाथों से अपने निर्वस्त्र सीने को ढकने की असफल कोशिश की तो मैने उसके दोनों हाथों को अपने हाथों मे जकड़ कर अलग कर दिया। वह मचली परन्तु तब तक मैने झपट कर एक स्तनाग्र को अपने मुख में दबा कर उसका रस सोखने में जुट गया था। पता नहीं लेकिन उसके हावभाव से मुझे ऐसा लगा कि वह पहली बार किसी के होंठों को अपने सीने पर महसूस कर रही थी। उसकी कश्मकश उसके विरोध और समर्पण मे साफ झलक रही थी। उसके स्तनाग्र को छूते ही वह तड़प उठी थी कि जैसे कोई तरंग उत्पन्न हुई और पुरे शरीर में फैल गयी थी। कभी वह मचल कर मेरा सिर पकड़ कर दबाव बनाती और कभी तड़प कर अलग होने की चेष्टा करती। इसी विरोधाभास मे फँसी हुई वह मेरे हर प्रहार से बैचेन होती जा रही थी। मै कभी उसके कान पर चूमता, तो कभी गालों और होंठों का रस सोखता, कभी मेरे निशाने पर उसके दो उन्नत कलश होते और कभी खड़े हुए सिर उठाये दो स्तनाग्र की शामत आ जाती और वह लगातार बड़बड़ाती… प्लीज न…हीं करो।  

हमारे जिस्म मे कामाग्नि प्रज्वलित हो गयी थी। अचानक मै उससे अलग हो गया। वह कुछ पल शान्त लेटी रही और फिर मेरी ओर प्रश्नवाचक नजरों से देखा तो मैने उसके सीने की ओर इशारा किया। उसके सीने पर जगह-जगह लाली उभर आयी थी। दोनों शिखर कलश बार-बार मेरे होंठों के वार से लाल हो गये थे। …बानो, प्लीज एक बार खड़ी हो जाओ। उसने करवट लेकर अपनी पीठ मेरी ओर कर दी थी। मै बिस्तर से उतर कर उसे अपनी बाँहों उठा कर जैसे ही जमीन पर जबरदस्ती खड़ा किया तो उसकी साड़ी खुल कर जमीन और बिस्तर पर बिखर गयी थी। इस बार अन्दर सुलगती हुई कामाग्नि बुझाने के लिए वह अनजानी राह पर चलने को तैयार हो गयी थी। उसके पेटीकोट की ओर इशारा करके मैने कहा… बानो बस यह आखिरी दीवार है इसे हम दोनों के बीच से हटना होगा। यह बोल कर मैने उसका सिरा पकड़ कर खींच दिया जिसके कारण उसका पेटीकोट कमर से सरक कर जमीन पर इकठ्ठा हो गया था। वह चीख कर अपने हाथ से कटिप्रदेश को ढक कर जमीन पर उकड़ू बैठ गयी थी। मैने एक बार फिर से उसे अपनी बाँहो मे उठा कर बिस्तर पर लिटा दिया और अपनी टी-शर्ट और बाक्सर उतार कर उसके सामने खड़ा हो गया। मेरी ओर से कोई हरकत नहीं होते हुए देख कर उसने तिरछी नजर से मेरी ओर देखा और शर्मा कर मुँह फेर कर लेट गयी थी।

मै उस रात की तरह उसके साथ लेट गया था। आज हमारे बीच कपड़ों की दीवार नहीं थी। मैने उसकी कमर पकड़ कर अपने नजदीक खींच लिया लेकिन जैसे ही मेरे जनानंग ने उसके पुष्ट नितंबों की दरार भेदने की कोशिश की तो उसने तुरन्त करवट लेकर अपने चेहरे को मेरे सीने मे छिपा लिया था। मस्ती मे झूमते हुए तन्नाये हुए भुजंग के स्पर्श से अपना बचाव करने मे वह लगातार असफल हो रही थी। मैने उसके चेहरे के उठा कर एक बार फिर से उसकी जिस्मानी आग भड़काने मे जुट गया था।  उसके थिरकते होठों को अपने होठों के कब्जे में लेकर उनका रस सोखनाआरंभ किया। दोनों अनावरित उन्नत पहाड़ियों सामने पा कर मेरे हाथ भी अपने कार्य मे लग गये थे। कभी चोटियों को उँगलियॉ से छेड़ता और कभी दो उँगलियों मे सिर उठाये स्तनाग्र को फँसा कर खींचता, कभी पहाड़ियों को अपनी हथेलियों मे छुपा लेता और कभी उन्हें हौले से मसक देता। तबस्सुम का चेहरा उत्तेजना से लाल होता चला जा रहा था। अब उसके मुख से लगातार आहें और सिस्कारियाँ फूट रही थी।

मेरा हाथ उसकी कमर से सरकता हुआ उसके नितंब पर पहुँच गया था। धीरे से सहलाते हुए मेरा हाथ उसकी जाँघ से सरकते हुए जैसे ही बालरहित कटिप्रदेश पर पहुँचा तो वह बिदक कर दूर होने के लिये सीधी हो गयी थी। बस उसी पल मैने उसके जिस्म को अपने जिस्म से ढक दिया था। अब वह हिलने योग्य नहीं रही थी। उसकी आँखों मे झाँकते हुए मैने मुस्कुरा कर कहा… आज पूरी तैयारी कर रखी है। बानो, यह सब तुम्हें किसने सिखाया? उसने छूटने के लिये कुछ देर अथक प्रयास किया परन्तु जिस आग मे वह जल रही थी उसे आभास हो गया था कि उसे बुझाने का रास्ता भी वहीं पर था। अनायस ही उसने अपने स्त्रीत्व को उस जीवन्त परन्तु कठोर अंग पर रगड़ना आरंभ कर दिया था। उसके मुख से लगातार आहें निकल रही थी। …उ.उ.उ..न…हई…क्या कर आह.हो....पर मुझे पता था कि अभी एकाकार का समय नहीं आया था। मेरी उँगलियाँ सरक उसके स्त्रीत्व के द्वार पर पहुँच कर जुड़ी हुई संतरे की फाँकों को धीरे से अलग किया और अकड़े हुए अंकुर पर पहली चोट करते ही वह भरभरा कर स्खलित हो गयी थी। स्खलन के प्रथम अनुभव के कारण उसकी आँखे फटी की फटी रह गयी थी। उसका जिस्मानी तनाव एकाएक समाप्त हो गया और उसने अपने आप को मेरे हवाले कर दिया था।

मै उस छोड़ कर नीचे सरक गया। गहरी सांसे लेते हुए वह टाँगे फैला कर लस्त हो कर पड़ गयी थी। उसकी बालरहित योनि मेरी आँखों के सामने थी। उसके स्त्रीत्व के द्वार ऐसे जुड़े हुए थे कि जैसे मानो चिपक गये थे। दो उँगलियों से मैने द्वार को खोल कर उस अंकुर को अनावरित किया और फिर झुक कर उस पर अपनी जुबान से वार करके अपने होंठों को उस पर टिका दिया था। मेरे होंठों का स्पर्श होते ही उसके जिस्म ने स्वत: ही मेरे मुख पर दबाव बनाया और मैने उस अंकुर को होंठों दबा कर जैसे ही उसका रस सोखने का प्रयास किया तो अबकी बार उसके मुख से गहरी किलकारी छूट गयी थी। उसने मेरा सिर पकड़ कर दबा दिया था। उसकी टांगे मेरी कमर के इर्दगिर्द लिपट गयी थी। वह अपना सिर कभी इधर पटकती और कभी उधर पटकती, कभी मेरा सिर हटाने का प्रयास करती और कभी मेरा सिर अपनी योनि पर दबा देती। मेरा हाथ उसके दोनो कलश को बारी बारी रौंदने मे व्यस्त हो गये थे। अब उसका जिस्म उसके नियन्त्रण मे नहीं रहा था। वह लगातार बह रही थी। वह एकाकार के लिये पूर्णतः तैयार हो चुकी थी।

मैने अपने उत्तेजना से तन्नायें हुए भुजंग को गरदन से पकड़ उसके स्त्रीतव के द्वार को खोल कर अंकुर को रगड़ते हुए बहते हुए कामरस से नहलाया और फिर योनिमुख पर टिका कर लक्ष्यभेदन के लिये तैयार हो गया था। वह आंख मूंद कर अपने जिस्म को मेरे हवाले करके किसी और ही दुनिया मे पहुँच गयी थी। मैने अपनी कमर पर दबाव डाला तो संकरी सी जगह होने के बावजूद गीले होने के कारण मेरे भुजंग का फूला हुआ सिर उसके छिद्र को खोल कर अपने लिये जगह बनाते हुए भीतर सरक कर फँस गया था। …उ.उई.माँ..…उफ.उ.उन्हई…आह.....उसके चेहरे पर पीड़ा की लकीरें खिंच गयी थी। पहली बाधा पार करके मै एक बार फिर से उसके उपर छा गया था। उसके सीने की पहाड़ियों पर हमला बोल दिया ताकि उसका जिस्म नये प्राणी का आदि हो जाए। उधर उत्तेजना और मीठे से दर्द में तड़पती हुई तबस्सुम के होंठों को मैने अपने होंठों से सीलबंद कर दिया था। बार-बार हल्की चोट मारते हुए मेरा भुजंग अब तक रौद्र रुप धारण कर चुका था। वह अपने लिये जगह बनाते हुए एक स्थान पर आकर रुक गया था। एक बार अदा के साथ मैने ऐसी स्थिति का सामना किया था। अपनी कमर पर दबाव बढ़ाते हुए मैने एक दो बार चोट मारी तो अचानक ऐसा प्रतीत हुआ जैसे कि आखिरी दीवार ढह गयी और गुस्से की आग में तपता हुआ भुजंग प्रेम रस से सरोबर उस गुफा के सारे संकरेपन और बाधाओं को खोलता हुआ आगे बढ़ता चला गया और जड़ तक जाकर गहराईयों मे धँस गया था। इस अप्रत्याशित वार से तबस्सुम हतप्रभ रह गयी थी। पीड़ा से उसकी आँखें खुली की खुली रह गयी थी और मुख से दबी हुई चीख निकल गयी।

थोड़ा रुक कर एक बार फिर से उसके सीने की पहाड़ियो और शिखरों का रस निचोड़ने मे लग गया था। एक समय आया जब उसके जिस्म ने आगे बढ़ने का इशारा किया तो मैने उसके नितंबो को दोनों हाथों के पंजो मे जकड़ कर एक लय के साथ प्रहार करना आरंभ कर दिया था। एक तरफ भुजंग का फूला हुआ सिर गहराईयों मे उतरने की नाकाम कोशिश मे लगा हुआ था और दूसरी ओर जब वापिस आता तो छिली हुई जगह पर रगड़ मार कर उसके पूरे जिस्म में आग लगाने कार्य कर रहा थाकुछ देर की अथक मेहनत से तबस्सुम का जिस्म इस प्रकार के दखल का धीरे-धीरे आदि हो गया था। अपनी गति कम करते हुए मैने पूछा… बानो अब दर्द तो नहीं हो रहा है? …आप बड़े जालिम हो। बहुत दर्द हो रहा है। मै रुक गया और फिर पीछे हटते हुए बोला… ठीक है तो मै फिर इसे बाहर निकाल देता हूँ। उसने जल्दी से अपनी टाँगे मेरी कमर के इर्द-गिर्द कस कर लपेट कर बोली…नही। प्लीज रुक जाईये। कुछ पल ऐसे ही पड़े रहने के बाद मैने प्रहारों की झड़ी लगा दी थी। अब वह भी मेरा भरपूर सहयोग कर रही थी। कमरे मे धीरे-धीरे उसकी सिस्कारियाँ के साथ एक चक्रवाती तूफान ने गति पकड़ ली थी। वह लगातार बह रही थी। मेरे जिस्म मे लावा खौलना आरंभ हो गया था। ज्वालामुखी फटने से पहले मैने पूरी शक्ति से आखिरी वार किया तो भुजंग नयी गहराईयों मे उतरता चला गया था। इस करारे वार की मीठी सी पीड़ा और रगड़ की जलन ने आग मे घी का काम किया और तबस्सुम का जिस्म धनुषाकार बनाते हुए बेड की सतह से क्षण भर के लिये उपर उठ गया था। उसके जिस्म ने झटका खाया और फिर कांपते हुए झरझरा कर बहना आरंभ कर दिया था। उत्तेजना की हर लहर से उसका जिस्म कांप उठता था। इसका असर मैने अपने अकड़ते हुए भुजंग पर महसूस किया था। उसकी गुफा की दीवारे एकाएक जीवन्त हो गयी और भुजंग को जकड़ कर दोहना शुरु कर दिया। तबस्सुम की आँखों के सामने तारे नाँचने लगे थे। इस दोहन के एहसास मात्र से मेरे सारे बाँध छिन्न-भिन्न हो गये थे और भुजंग ने बेरोकटोक लावा उगलना आरंभ कर दिया था। मै उस कोमलांगी पर शिथिल हो कर पड़ गया था। वह मुझे अपने आगोश मे लिये कुछ देर तक लेटी रही। तूफान गुजर जाने के बाद मै धीरे से उससे अलग हुआ और बैठ कर अपनी तेज चलती हुई साँसों को नियंत्रित करने मे जुट गया था।

वह कराहती हुई उठ कर मेरे साथ बैठ गयी और मेरी ओर देख कर बोली… आप मुझे बानो मत कहा किजिये। यह मुझे मेरी पिछली जिंदगी मे ले जाता है। क्या आपको मुझे अंजली कहने मे कोई परेशानी है? उसे अपने नजदीक खींच कर उसकी आँखों मे देखते हुए मैने कहा… अंजली मेरी बेटी की माँ का नाम है। यह नाम तुम्हे देकर मैने अपनी खोयी हुई मोहब्बत को पाने की कोशिश की है। कश्मीर मे बानो किसी भी सुन्दर छोटी सी लड़की को प्यार से बुलाने के लिये इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा इसका को कोई और अर्थ नही है। मेरी बात सुन कर वह मुस्कुरायी तो एक पल के लिये उसमे मिरियम की छवि दिख गयी थी। …अंजली जब तुम पुराने सभी रिश्तों को भुलाना चाहती हो तो फिर तुमने आखिरी मांग अपने परिवार से मिलने की क्यों रखी थी जब कि तुम भली भांति जानती हो कि वह देखते ही हम दोनो के साथ क्या करेंगें। वह कुछ नहीं बोली तो मैने मुस्कुरा कर कहा… क्या ऐसा तो नहीं है कि तुमने जानबूझ कर दोनों को दोजख मे भिजवाने का फैसला कर लिया है। उसने सिर उठा कर मेरी ओर देख कर कहा… अगर मेरे साथ आपको दोजख मे जाने मे कोई मलाल है तो मै आपको अपने वादे से आजाद कर देती हूँ। मैने उसको अपनी बाँहों मे जकड़ कर कहा… अब बहुत देर हो गयी है। तुम्हारे साथ चल कर एक बार उस दोजख को भी देख लेंगें लेकिन जब तक यहाँ है तब तक तो जन्नत का मजा लेने दो। उसे अपनी बाँहों मे जकड़ते ही मेरी नजर चादर पर बने हुए बड़े से कत्थई दाग पर पड़ी तो एकाएक आफशाँ की भयग्रस्त प्रतिक्रिया मुझे याद आ गयी थी। उस क्षण को याद करते ही एक मुस्कुराहट मेरे चेहरे पर तैर गयी थी। उसने तुरन्त पूछा… क्या हुआ? मैने उस दाग की ओर इशारा करके कहा… हमारे एकाकार की निशानी देख कर कुछ याद आ गया था। …क्या? …फिर कभी बताऊँगा अभी आराम करो लेकिन शेरनी को तो खून स्वाद लग चुका था।

सुबह हम दोनो काफी देर से जागे थे। दस बजे आरफा ने आकर हमे उठाया था। हम जल्दी से कपड़े पहन कर रोजमर्रा के कार्यों मे जुट गये थे। पहले मै तैयार होने चला गया था। मेरे बाद तबस्सुम तैयार होने के लिये चली गयी थी। आरफा मेरे सामने नाश्ता लगा कर सामने बैठ गयी थी। ऐसा पहली बार हुआ था। मैने उसकी ओर देखा तो उसकी आँखों मे शरारत भरी हुई थी। …क्या हुआ? …कल रात का साउंडट्रेक सुन कर नूर मोहम्मद पागल हो गया होगा। रात को मुझे तो उसकी बीवी पर दया आ रही थी। उसकी बात सुनते ही मेरा हाथ मुँह की ओर बढ़ते हुए रुक गया था। …क्या तुमने…। मैने बोला भी नहीं था कि उसने दबी हुई आवाज मे कहा… वह पिन लेकर मै आपके कमरे मे आ गयी थी। मैने उसे घूर कर देखा तो उसने मुस्कुरा कर कहा… मेरी शिष्या की परीक्षा थी तो भला मै वहाँ कैसे न होती। …लेकिन उस पिन को क्यों ले आयी थी? …पता नहीं लेकिन शायद इसलिये कि नूर मोहम्मद यही सोच कर उलझ जाये कि आप पुरानी शराब पी रहे थे या नयी बोतल खोल रहे थे। …तो हमारे बीच हुई सारी बातें भी उसे पता चल गयी होंगी? …नहीं, आप लोगो के बैठते ही मै बाहर निकल आयी थी।

तबस्सुम ने कमरे मे प्रवेश करते हुए पूछा… कहाँ गयी थी? आरफा जोर से हंस कर बोली… बानो, आज आईने मे क्या अपना चेहरा देखा है? मोहब्बत की पहली फुहार पड़ते ही देखो तुम्हारे चेहरे पर कैसी रौनक आ गयी है। तबस्सुम का चेहरा शर्म से सुर्ख होता चला गया था। मैने भी नोट किया कि दिन की रौशनी मे उसकी त्वचा दमक रही थी। मैने जल्दी से नाश्ता समाप्त किया और वहाँ से निकलने से पहले वह दोनो पिन मे से एक पिन निकाल कर बाहर मेज पर रख दी और दूसरी पिन बाक्स मे डाल कर कहा… अंजली अभी कुछ देर मे वापिस आता हूँ। यहाँ की सुरक्षा भी पुख्ता करनी है। यह बोल कर मै बाहर निकल आया था। अपनी गाड़ी मे बैठा और गोदाम की ओर चल दिया था। गोदाम पहुँच कर सबसे पहले मेरी नजर बीचोंबीच से टूटी हुई सड़क और उसके भराव पर चली गयी थी। वही तीन मजदूर अब हमारी ओर के हिस्से की खुदाई मे जुटे हुए थे।

…गड्डा करके उसे वापिस भर दिया तो पाईप कैसे डालोगे? मैने काम करते हुए मजदूरों से पूछा तो उनमे से एक ने कहा… लोहे का पाइप डाल कर गड्डा भर दिया है। सड़क को दो दिन के लिये बन्द नहीं कर सकते। मैने गड्डे के पास जाकर देखा तो लोहे के पाईप का सिरा बाहर निकला हुआ साफ दिख रहा था।  मै उनके काम को समझने की कोशिश कर रहा था कि कुरियन और कैप्टेन यादव गोदाम से बाहर निकल कर मेरी ओर आ गये थे। …इनका काम कैसा चला रहा है? …बहुत तेज गति से काम चल रहा है। मुझे तो लगता है आज शाम तक यह सारा खुदाई का काम समाप्त कर देंगें। तभी कुरियन ने कहा… मेजर साहब अब हमारा यहाँ का काम समाप्त हो गया है। क्या अब उस हाल का काम देख लिया जाये। …हाँ क्यों नहीं। आप लोग मेरी गाड़ी मे बैठिये। मैने कैप्टेन यादव से कहा… अपनी पिक-अप मे बारह आदमियों को लेकर आफिस पहुँचो। यह बोल कर मै अपनी गाड़ी की ओर बढ़ गया था। रास्ते मे मैने पूछा… कुरियन साहब उस छतरी का क्या हुआ? …वह छतरी तो सुबह ही लग गयी थी। देर रात तक हमने सारी फिटिंग करके छतरी तैयार कर दी थी। सुबह एनटीसी के लोग आये और शेड के पीछे की ओर हमारी देखरेख मे छतरी फिट कर दी है। …तो अब कमी क्या रह गयी है? …टावर का काम समाप्त करके जैसे ही हमारे संचार सिस्टम की लाइन मिलेगी आपकी आब्सर्वेशन पोस्ट कमांड युनिट के साथ लिंक हो जाएगी।  हम बात करते हुए अपने आफिस पहुँच गये थे। उनको लेकर मै तीसरी मंजिल पर बने हुए हाल मे पहुँच गया था। शर्मा और अय्यर हाल की लम्बाई और चौड़ाई मापने मे व्यस्त हो गये थे। कुछ ही देर मे कैप्टेन यादव अपने साथ बारह सैनिक लेकर आ गया था।

…कैप्टेन यादव, यहाँ पर लेफ्टीनेन्ट सावरकर की कमांड मे छ्ह सैनिक लगा दिजिये। जब तक यहाँ काम चलेगा तब तक यह लोग चौबीस घंटे गार्ड ड्युटी पर रहेंगें। एक सैनिक नीचे आफिस मे बैठ कर बाहर नजर रखेगा और एक सैनिक छत पर तैनात रहेगा। तीन शिफ्ट मे यह लोग यहाँ पर काम करेंगें। बाकी समय वह हाल मे इन टेक्निशियन्स की मदद करेंगें। अच्छा यही रहेगा कि वायर्लैस तकनीक मे प्रशिक्षित बाकी दोनो को आप यहाँ पर तैनात कर दिजिये जिससे वह यहाँ का काम इन लोगों से समझ सके। …जी सर। यह बोल कर कैप्टेन यादव अपने साथियों को निर्देश देने मे लग गया था। मै जानता था कि नूर मोहम्मद की नजर मेरे आफिस और गोदाम पर लगातार बनी हुई है इसीलिये  मैने लोगों की भीड़ आज यहाँ इकठ्ठी की थी। अब तक उसके पास खबर पहुँच गयी होगे कि मैने काफी लोग आफिस मे तैनात कर दिये है। इतनी बात करके मै पहली मंजिल मे चला गया था।

अपने घर मे प्रवेश करते ही सबसे पहले मेरी नजर उस पिन पर पड़ी जो अभी भी मेज पर रखी हुई थी। मैने एक नजर चारों ओर घुमायी और फिर आवाज लगायी… आरफा। वह अपने कमरे से निकल कर सामने आकर बोली… जी। …अंजली कहाँ है? …वह नीचे आफिस मे बैठी है। …आज से यहाँ की सुरक्षा पर दस सेवानिवृत सैनिकों को लगाया है। सभी उपर हाल मे रहेंगें और चौबीस घन्टे आफिस और घर की सुरक्षा पर तैनात रहेंगें। मैने आरफा को इशारा किया तो उसने कहा… जी। यह एक पिन और यहाँ की सफाई मे निकला था। …न जाने कहाँ से इतने सारे पिन अचानक यहाँ पर निकल आये है। वह लोग भी इसकी एक बार जाँच कर लें कि कहीं यह कोई स्पाई माईक्रोफोन तो नहीं है। अचानक मै पिन उठा कर उसकी ओर बड़ा और उसकी कमर पकड़ कर अपने से सटाते हुए कहा… अंजली नीचे आफिस मे बैठी है। बेडरूम मे चलो जल्दी से एक राउन्ड हो जाएगा। वह मुस्कुरा कर बोली… आप भी हद करते है। तिब्बत से नामग्याल का कनसाईनमेन्ट दो दिन पहले पहुँच जाना था लेकिन अभी तक नहीं पहुँचा है। भारत से लोग रोज फोन पर पूछ रहे है कि अगली डिलिवरी कब होगी और आप है कि जब वक्त मिलता है तो इस जिस्म को रौंदने मे लग जाते है। मैने जल्दी से उसके होंठ चूम कर कहा… क्या करुँ तुमको देख कर सारा नियंत्रण खो देता हूँ। चलो न अन्दर चलते है। …समीर, अगर यह पिन के बजाय स्पाई माईक्रोफोन हुआ और अंजली ने इसको हम पर नजर रखने के लिये यहाँ छोड़ा होगा तो वह आपकी सारी बातें सुन रही होगी। मैने घबरा कर कहा… ओह नो…पहले मुझे इसको चेक कराने दो। उसे छोड़ कर वह पिन उठा कर मै हाल की ओर चला गया था।

कैप्टेन यादव को देख कर मैने पिन दिखाते हुए इशारा करते हुए कहा… पोखरियाल साहब जरा इस पिन को देख कर बताना कि यह क्या स्पाई माईक्रोफोन है? कैप्टेन यादव ने पिन को अपने हाथ मे लिया और उसको देख कर तुरन्त बोला… साहब यह माईक्रोफोन है। कोई दूर बैठ कर हमारी सारी बातें सुन रहा है। आईये मै इसकी असलियत दिखाता हूँ। वह तुरन्त इलेक्ट्रानिक स्वीपर निकाल कर उस पिन के पास ले गया और स्वीपर पर लगे हुए डायल पर उस माईक्रोफोन की फ्रीक्वेन्सी पकड़ते ही उसकी सुई हिलने लगी थी। …ओह नो। मैने उस पिन को हाथ मे लेकर कहा… पोखरियाल साहब, आप जरा हमारे पूरे घर मे एक बार इस मशीन की मदद से पता लगाईये कि ऐसे और कितने माईक्रोफोन वहाँ लगे हुए है। …साहब, पहले यह बताईये कि इसका क्या करना है? …इसे तुरन्त नष्ट कर दिजिये। कैप्टेन यादव ने उस पिन को उठा कर जमीन पर पटक कर अपने बूट के तले से उसको पीस दिया था। …यह क्या चक्कर है सर? …कल शाम को नूर मोहम्मद यहाँ आया था। वह कुछ देर बैठ कर जब चला गया तो मुझे चार ऐसी पिन अपने सोफे मे गड़ी हुई मिली थी। मैने इस प्रकार की तीन पिनो नष्ट कर दिया है। अभी मेरे पास एक पिन बची हुई है। उस पिन को मैने जैमर बाक्स मे बन्द कर दिया है। जब तुम्हारी टीम इस इमारत का निरीक्षण करने आयेगी तब उस पिन को भी नष्ट करने के लिये दे दूँगा लेकिन तब तक नूर मोहम्मद को कुछ ऐसी जानकारी दे रहा हूँ कि वह पागल हो जाएगा।

शाम तक कुरियन की टीम ने हाल के लिये कुछ और सामान लिखवा दिया था। अय्यर को नीचे आफिस दिखा कर मैने आठ वर्क स्टेशन और मुख्य डेटा सेन्टर का भी नेटवर्क डिजाईन भी तैयार करवा लिया था। अय्यर ने ही सारे सामान की लिस्ट बना कर दे दी थी। शाम को दोनो लिस्ट मैने अपने सप्लायर को देने चला गया था। अगले दिन दोपहर तक सारे सामान की  डिलिवरी का वादा लेकर मै गोदाम की ओर निकल गया था। कैप्टेन यादव तो बाकी साथियों को लेकर वापिस गोदाम पर शाम से पहले ही पहुँच चुका था। मै जब तक अपने गोदाम पर पहुँचा तब तक गड्डे का काम समाप्त हो चुका था। उन्होंने शाम को ही टावर से लोहे के पाईप और प्लास्टिक की स्लीव डालना आरंभ कर दिया था। अब मुझे यकीन हो गया था कि तीन दिन मे बिस्ट के लोग सारा काम पूरा कर देंगें। मै गोदाम मे चला गया और कैप्टेन यादव के साथ बैठ कर जुमे की रात को होने वाले आप्रेशन की योजना सुनने बैठ गया था।

उनकी योजना सुनने के बाद कुछ सुझाव देकर मैने कहा… कैप्टेन कल के आप्रेशन मे मै हिस्सा नहीं ले सकूँगा क्योंकि उस समय मै अपनी बीवी के साथ नूर मोहम्मद की पार्टी मे उसके सामने मौजूद रहूँगा। मेरा सिर्फ इतना कहना है कि कोई बेवजह खतरा उठाने की जरुरत नहीं है। अगर लगता है कि इन्टर्सेप्शन मुश्किल होगा तो मुझे सिर्फ फोन पर खबर करके ट्रक के डिटेल्स दे देना। अगर ट्रक मे रखा हुआ सामान अपने ट्रक मे ट्रांसफर करने मे परेशानी महसूस करो तो ट्रक के साथ ही उसे भी नष्ट कर देना। मै तुम्हें यकीन दिलाता हूँ कि सीमा पर तैनात सीमा सुरक्षा बल उसे आगे नहीं जाने देंगें। मैने अपने आयुध डिपो से ग्लाक-17 निकाली और कुछ अतिरिक्त मैगजीन जेब मे डाल कर अपने गोदाम मे स्थापित किये संचार केन्द्र को देखने के लिये चल दिया था। दो स्क्रीन दीवार पर लगे हुए थे। चार कंप्युटर टर्मिनल भी तैयार हो गये थे। उन्हें मेन सर्वर के साथ भी जोड़ दिया गया था। यह सारा सामान हम दिल्ली से लेकर आये थे। उन तीनों ने दो दिन मे सारा संचार केन्द्र इस गोदाम मे स्थापित कर दिया था। अब जो कुछ बचा हुआ सामान ट्रक मे पड़ा था वह अपने आफिस मे पहुँचाना था। उसी के साथ मुझे दो टीवी और एक छतरी का भी इंतजाम करना था।  

 

काठमांडू

वहीं से कुछ दूरी पर एक अन्य जगह पर एक बड़े से कमरे मे बैठ कर दो आदमी बात कर रहे थे। …हाल ही मै पता चला है कि समीर कौल का संबन्ध तोशी नामग्याल से है। आप तो जानते है कि वह चरस का कारोबार करता है। जनाब, उसके साथ पहली मुलाकत मे मुझे लगा था कि समीर कौल भारतीय रा का एजेन्ट है परन्तु इस खुलासे ने मुझे और भी उलझा कर रख दिया है। उसका कोई कनसाईनमेन्ट काठमांडू पहुँच रहा है जिसको वह यहाँ से भारत भेजने की फिराक मै है। बताईये उसके बारे मे क्या करना है?

…देखो इन तिब्बती ड्र्ग्स वालों से जितना दूर रहोगे उतना हमारे मिशन के लिये अच्छा होगा। अगर यह बात सच है कि समीर कौल का सीधा संबन्ध नामग्याल से है तो उससे दूर रहो। अगर समीर कौल को कुछ हो गया तो नामग्याल को संभालना हमारे लिये यहाँ पर बड़ा भारी पड़ जाएगा। वह तिब्बती चीन की सरकार के संरक्षण मे यहाँ के सभी वामपंथी दलों के पास पैसे पहुँचाता है। यहाँ के प्रधानमंत्री से लेकर छोटे से छोटा वामपंथी नेता उसकी जेब मे है। मेरी राय है कि समीर कौल पर दूर से नजर रखो और अगर उसके और नामग्याल के रिश्तों के पुख्ता सुबूत मिल जाये तो उसे भूल कर भी हाथ लगाने की कोशिश मत करना। …जनाब हमारे बीच मे एक बार झड़प हो चुकी है। …नूर मोहम्मद मैने तुमसे साफ शब्दों मे कहा था कि मुझसे बिना पूछे तुम यहाँ पर कुछ नहीं करोगे। अब यह सोचो कि अगर उसने तुम्हारे बारे मे नामग्याल को बता दिया कि तुम उसके कारोबार मे रोड़ा अटका रहे हो तो यहाँ पर तुम्हारी लाश भी नहीं मिलेगी। यह सुन कर नूर मोहम्मद के चेहरे पर तनाव छा गया था।

…जनाब, पता नहीं क्यों मुझे वह खतरा लग रहा है। उसकी बातचीत से नहीं लगता कि वह कोई ड्र्ग्स का तस्कर हो सकता है लेकिन उसके कारनामे देख कर मुझे यकीन हो गया है कि वह कोई आम कारोबारी नहीं हो सकता। अगर आप इजाजत दें तो अपने ड्र्ग्स के कनसाईनमेन्ट के बारे मे उसे टटोल के देखूँ? …फिलहाल नूर मोहम्मद कुछ मत करो बस दूर से उस पर नजर रखो। …जी जनाब।

4 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही गहरी चाल चली जा रही है दोनो गुटों के द्वारा जहां अब समीर तिब्बती ड्रग माफिया के नाम ले कर नूर मुहम्मद को डबल क्रॉस करने की कोशिश में पूरी तरह सफल होता दिखाई दे रहा है,अब देखते हैं अंजली/तबस्सुम और समीर के बैबाहिक जीवन कितना शांतिपूर्ण होता है या फिर नूर मोहम्मद जैसे लोग यह शांतिभंग करने में सफल होते हैं।

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    1. अल्फा भाई शुक्रिया। किसी ने सही कहा है कि जहर को जहर काटता है। इसी प्रकार छल और धूर्तता से टकराने के लिये छल और धूर्तता का ही उपयोग करना हितकर साबित होगा। दुश्मन को असमंजस स्थिति मे डाल कर लाभ उठाने की कोशिश है।

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  2. तबस्सुम तो अंजलीमे ढल गयी, ये शातीर नूर मोहोमद एक चाल तो चल गया था, देखते है समीर क्या हस्र करता है उसके काले कारनामोंका, आज की रात उसपे बहोत भारी पडेगी कॅप्टन यादव के कारण.

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  3. प्रशांत भाई धन्यवाद। इस कहानी का शीर्षक ही गहरी चाल है। तू डाल डाल और मै पात पात का लुत्फ लेने की बारी है। दोनो समूह ही एक दूसरे देश मे एक दूसरे के साथ लोहा लेने के लक्ष्य से अपनी चालें चल रहे है। बस देखना यह है कि कौन किस पर कब भारी पड़ता है। कहानी के साथ जुड़े रहने के लिये साधुवाद।

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