गहरी चाल-19
रावलपिंडी
मिलिट्री हेडक्वार्टर्स मे गहन मीटिंग चल रही
थी। सीआईए का दो टूक जवाब मिलने के कारण जनरल शरीफ की चिन्ता बढ़ गयी थी। कश्मीर मे
चलाये हुए अभियान को उनके इस निर्णय से गहरा धक्का लगा था। पाकिस्तान सरकार पर आर्थिक
बोझ बड़ता जा रहा था। जिहादी तंजीमे लगातार पैसे और असला मांग रही थी। सभी बैठे हुए
उच्च अधिकारी बदलते हुए हालात पर विचार विमर्श कर रहे थे। जनरल शरीफ का निजि सचिव तभी
एक कागज लेकर आया और जनरल के सामने रख कर चुपचाप कमरे से बाहर निकल गया। बात करते हुए
जनरल शरीफ ने कागज पर एक नजर डाली तो एकाएक बोलते हुए वह रुक गया था। उस कागज पर जनरल
मंसूर की ओर से सूचना थी। संयुक्त इस्लामिक जिहाद काउंसिल ने अपनी योजना तैयार करने
बाद सेना से पैसे और हथियारों की मांग की है। कुछ पल रुक कर जनरल शरीफ ने कुछ सोच कर
दोबारा बोलना शुरु किया… अब हमें अपने पूर्वी फ्रन्ट को एक्टिव करना पड़ेगा। फौरन दो
ब्रिगेड बलूचिस्तान से हटा कर अजाद कश्मीर मे लगानी पड़ेगी।
एक बार फिर से बहस आरंभ हो गयी थी। पश्चिमी
कमांड के चीनी जनरल ल्यु शिंग चुपचाप बैठे हुए उनकी सारी बात सुन रहा था। उसने एकाएक
हाथ उठा कर जनरल शरीफ को इशारा किया तो एकाएक सभी अधिकारी चुप हो गये थे। …जनरल शरीफ
फिलहाल आपके पास कोई पुख्ता योजना नहीं है। आपकी तंजीमे इस वक्त बलूचिस्तान मे हमारी
सीपेक योजना को विफल करने की कोशिश कर रही है। आपको उन्हें तुरन्त रोकना चाहिए। अगर
आप वहाँ से फौज हटा रहे है तो हम भी सीपेक का काम बन्द कर रहे है। इतना बोल कर जनरल
ल्यु शिंग उठ कर अपने अधिकारियों के साथ कमरे से बाहर निकल गया था। जनरल शरीफ ने सभी
को बाहर जाने का इशारा किया और उनके जाने के बाद सिर पकड़ कर बैठ गया था। अगर चीन सरकार
ने सीपेक का काम रोक दिया तो पैसे आने बन्द हो जाएँगें। उधर संयुक्त जिहाद काउंसिल
ने भारत की अर्थव्यवस्था की कमर तोड़ने की योजना
तो बना ली थी परन्तु उसको कार्यान्वित करने के लिये पैसा और असला कहाँ से आयेगा? जनरल
शरीफ ने अपने निजि सचिव से कहा… मेरी सिकन्दर रिजवी से बात कराओ। उसे मालूम था कि भारत
की नयी सरकार चुपचाप उस घाव को बर्दाश्त नहीं करेगी इसी लिये उसे अपनी पूर्वी सीमा
की सुरक्षा को सुदृढ़ करना पड़ेगा। जनरल शरीफ अपना सिर पकड़ कर यही सोच रहा था कि एक
समस्या का समाधान होता है तो दूसरी समस्या पैदा हो जाती है। …हैलो। …जनाब आपका खादिम रिजवी बोल रहा हूँ। बताईये
कैसे याद किया? …जिहाद काउंसिल को पैसे चाहिये। तुम अपने यहाँ से कितने पैसे निकाल
कर दे सकते हो? …जनाब, पिछले एक साल से आपका एक भी कनसाइनमेन्ट नहीं मिला है। खरीदारों
ने पुराने पैसे भी देने से इंकार कर दिया है। ऐसी हालत मे उनसे पैसे कैसे मांग सकता
हूँ। आप खुद ही सोचिये।
मै उनकी बात सुन रहा
था। शुजाल बेग की आवाज मे एक घुर्राहट छिपी हुई थी। उसकी आवाज सुन कर मेरी धड़कन बढ़
गयी थी।
…मै बेग बोल रहा
हूँ। यह मै क्या सुन रहा हूँ कि तुम्हारा माल उनको अभी तक क्यों नहीं मिला है? …जनाब,
आज सुबह ही सीतामढ़ी से खबर आयी थी कि ट्रक और उसके एस्कार्ट ने अभी तक सीमा पार नहीं
किया है। मेरे आदमी उनकी तलाश मे निकल गये है। जल्द ही पता चल जाएगा कि ट्रक कहाँ पर
अटका हुआ है। …नूर मोहम्मद तुम्हे मालूम है न कि यह कनसाइनमेन्ट कितना महत्वपूर्ण है।
जिहाद काउंसिल उस योजना को कार्यान्वित करने के लिये तैयार बैठी हुई है। अगर समय से
उन्हें यह कनसाइनमेन्ट नहीं मिला तो सारी योजना धरी की धरी रह जाएगी। …जनाब, मेरा ख्याल है कि ट्रक किसी ऐसी जगह पर खराब
हो गया है जहाँ से वह हमे खबर कर पाने अस्मर्थ होंगें। कारण का पता लगते ही आपको फौरन
सुचित करुँगा। …बेवकूफ आदमी, तुम्हें एक बात क्यों नहीं समझ आ रही है कि अगर वह ट्रक
खराब हो गया होता तो अड़तालीस घंटे मे एक आदमी पैदल चल कर तुम्हें खबर दे चुका होता।
इसका मतलब साफ है कोई तुम्हारे एस्कोर्ट का सफाया करके ट्रक लेकर निकल गया है। सड़के
छानने के बजाय उन लूटेरों को ढूंढों क्योंकि इस कनसाईनमेन्ट का इंतजाम स्वयं जनरल शरीफ
ने किया था। …जी जनाब। मुझे कुछ समय दिजिये मै पता करता हूँ। …अपना सामान वापिस लाने
के लिये तुम्हारे पास चौबीस घंटे है। उसके बाद फायरिंग स्कायड का सामना करने के लिये
तैयार रहना।
शुजाल बेग ने फोन
काट दिया था। मैने तुरन्त गोदाम से संपर्क स्थापित करके जनरल रंधावा से बात कराने के
लिये कह दिया था। एलसीडी टीवी पर जनरल रंधावा की तस्वीर उभरते ही मैने पूछा… सर, शुजाल
बेग का नम्बर मिल गया। …हाँ नम्बर तो मिल गया है परन्तु उसका यह पाकिस्तानी नम्बर है।
ऐसा बताया जा रहा है कि उसकी ट्रेकिंग और टैपिंग दोनो ही नामुम्किन है। एक ही पल मे
मेरा सारा उत्साह ठंडा पड़ गया था। …सर कोई तो तरीका होगा वर्ना सारे हिन्दुस्तान
के तस्कर पाकिस्तानी सिम कार्ड इस्तेमाल करना शुरु कर देंगें। …नहीं यह बात नहीं है।
पाकिस्तान टेलीकाम का नेपाल टेलिकाम के साथ अनुबंध है। नेपाल टेलिकाम के नेटवर्क को
हैक करने की कोशिश कर रहे है। इसमे थोड़ा समय लग सकता है। यूटीएल तो महानगर टेलिकाम
का सिस्टम इस्तेमाल कर रही है तो उस पर ट्रेकिंग और टैपिंग हमारे लिये आसान था। इस
काम के लिये हमे टाइम लगेगा। …सर, उसका नम्बर तो मुझे भी दे दिजिये। उन्होंने शुजाल
बेग का नम्बर देकर कुछ देर बात करके कनेक्शन काट दिया था। मैने अपना हेड फोन सुभाष
कामरे को थमा कर अपने घर मे चला गया था।
…सुबह से आप उपर क्या
कर रहे थे? …कुछ खास नहीं। बस कुछ रिपोर्ट्स पढ़ने का काम कर रहा था। आज भंडारी साहब
आये थे तो तुम्हारी उनसे क्या बात हुई थी। उनका कहना था कि नेपाल का सारा बाजार बहुत
सी कंपनियों ने जनसंख्या के आधार पर तराई, पहाड़, पूर्वी और पश्चिमी क्षेत्रों मे बाँटा
हुआ है। तराई और पूर्वी हिस्से मे काफी आबादी
है। उत्तर मे पहाड़ है जिसके कारण आबादी कम है परन्तु दूर-दूर बसी हुई है। पश्चिमी क्षेत्र
काफी विकसित है और वहाँ आबादी सिर्फ सीमा के आस पास काफी है। उनकी राय है कि सबसे पहले
हमे तराई और पूर्वी हिस्से पर ध्यान लगाना चाहिये। उसके लिये उन्होंने दो आदमियों का
नाम सुझाया है। वह तनख्वाह के साथ कमीशन पर काम करने के लिये तैयार है। आप का क्या
विचार है? …अंजली, भंडारी साहब को इस काम का अनुभव है। उन दोनो को बुलवा कर भंडारी
साहब से बात करके उन्हें तीन महीने के टार्गेट देकर देख लो। तीन महीने मे जो व्यक्ति
टार्गेट पूरा न कर सके तो भंडारी साहब से बात करके उसकी छुट्टी कर देना और एक नये व्यक्ति
को रख लेना। …आप समझे नहीं। उनको अपने साथ चार लोग और चाहिये जो पूरे क्षेत्र मे अलग-अलग
जगह पर नियुक्त किये जाएँगें। …कोई बात नहीं वह सिर्फ दस लोगों को ही तो रखने के लिये
कह रहे है। काठमांडू कौन से क्षेत्र मे आता है? …वह पाँचवा क्षेत्र है। भंडारी साहब
अपने साथ चार लोगो को रख कर इस क्षेत्र को खुद संभालने के लिये कह रहे है। जब तक हमारा
खाना समाप्त हुआ गोल्डन इम्पेक्स का ढांचा तबस्सुम ने तैयार कर लिया था।
रातें हमारी थी और
हमारी आसक्ति एक दूसरे के प्रति बढ़ती जा रही थी। नूर मोहम्मद की पार्टी से लौट कर हमारी
बातचीत के पश्चात तबस्सुम मे काफी परिवर्तन आ गया था। उसकी झिझक न जाने कहाँ चली गयी
थी। रात को बिस्तर पर अपने अनुभव मे नयी से नयी क्रियायें जोड़ती जा रही थी। उसने आलिया
और एलिस को भी पीछे छोड़ दिया था। मैने एक बार मजाक मे उससे पूछा भी था कि क्या वह सारा
दिन अपना दिमाग बस इसी काम के बारे मे सोचने मे उपयोग करती है। उसने लेकिन बड़ी संजीदगी
से जवाब दिया था कि पता नहीं कब दोजख मे जाना पड़ जाये तो इसीलिये जितना समय उसके पास
है उसका वह भरपूर उपयोग करना चाहती है। मै उसकी हर इच्छा को पूरी करने की कोशिश करता
था। जिस दिन कंपनी का ढांचा फाइनल हुआ उस रात प्रणय मिलन के बाद अपनी चलती हुई साँसों
को नियंत्रित करते हुए मैने कहा… अगली कुछ रातें तुम्हें अकेले गुजारनी होंगीं लेकिन
सुबह तक वापिस आ जाउँगा। तब तक सावधान रहना। वह उठ कर मेरी ओर देखने लगी तो मैने समझाते
हुए कहा… गोल्डन इम्पेक्स का सामान आना शुरु हो जाएगा तो गोदाम को उसके लिये दुरुस्त
करना, सामान रखवाना और उनका हिसाब किताब देखना तो जरुरी है। एक बार सब कुछ सेट हो गया
उसके बाद फिर मेरा गोदाम पर जाना इतना आवश्यक नहीं होगा। वह मुझसे लिपटते हुए बोली…
दिन तो अपना होगा। चलिये कोई बात नहीं।
अगला दिन मेरा वीके
की फाइल देखने मे निकल गया था। शाम को मै गोदाम पहुँच गया था। तीन हाटस्पाट्स मे से
एक की तस्वीरें दीवार पर लगी हुई थी। आज रात को हमने ललितपुर मे बिलावल ट्रांस्पोर्ट
के गोदाम को नष्ट करने की योजना बनायी थी। नूर मोहम्मद के फोन के द्वारा पता चला था
कि कुछ खास लोग उसके गोदाम पर ठहरे हुए है। सेटेलाइट की तस्वीरें साफ बता रही थी के
करीब पन्द्रह से बीस लोग रात मे वहाँ रुक रहे थे। तस्वीरों मे तो उनकी पहचान नहीं हो
पायी थी लेकिन कैप्टेन यादव ने चार लोगों की स्काउट टीम भेज कर कुछ लोगों की तस्वीरें
निकलवा ली थी। आरफा ने उनमे से दो आदमियों को पहचान लिया था। हमने तय किया था कि रात
को दो बजे उस पर धावा बोल कर उस गोदाम को जब्त किये हुए सेम्टेक्स से ध्वस्त कर देंगें।
एक बार फिर से योजना के एक-एक कार्य को दोहराया और कैप्टेन यादव की टीम के चौदह लोगों
को लेकर ठीक एक बजे अपने ट्रक मे बैठ कर ललितपुर के लिये निकल गये थे।
पहले ही स्काउट पार्टी
ने आसपास की जगह की निशानदेही कर ली थी। एक खास जगह पर हमने अपना ट्रक खड़ा करके उस
गोदाम आगे और पीछे से पहुँचने के लिये दो रास्ते तय किये थे। ट्रक से उतर कर सात लोग
एक रास्ते पर निकल गये थे और सात दूसरे रास्ते पर निकल गये थे। कैप्टेन यादव ने एक
कोने मे खड़े होकर मुख्य रास्ते पर लगे हुए सीसी टीवी कैमरे को साइलेन्सर युक्त स्नाईपर
राइफल से नष्ट कर दिया था। उसके बाद एक स्थान पर यादव पीछे से मुझे कवर करते हुए मुख्य
लोहे के गेट को निशाने पर लेकर बैठ गया था। मै धीमी गति से पैदल चलते हुए गोदाम की
ओर बढ़ गया जिससे दोनो टीमे अपने बताये हुए स्थानों पर पहुँच जाएँ। मैने लोहे के गेट
पर लगे हुए कुन्दे को दो चार बार जोर से हाथ मार कर आवाज लगायी… सज्जाद भाई। इसी बहाने मैने अपने साथियों को इशारा कर दिया था
कि मै मुख्य दरवाजे पर पहुँच गया हूँ। एक आदमी उनीदीं आँखों से लोहे के गेट मे बने
छोटे से झरोखे मे से देख कर घुर्राया… इतनी रात को क्या काम है। …सज्जाद भाई को तुरन्त
एक जानकारी देनी है। सज्जाद भाई का नाम सुन कर उसकी आँखें खुल गयी थी। …तू है कौन?
मैने घुर्रा कर कहा… जल्दी से उन्हें बुला कर ला या मुझे उनके पास लेकर चल। एक जरुरी
खबर देनी है। कुछ पल वह झिझका और फिर दरवाजा खोल कर बाहर निकल कर मेरे सामने आकर खड़ा
हो कर बोला… चल तलाशी दे। मै तेजी से नीचे बैठ गया और अगले ही पल वह कटे हुए वृक्ष
की तरह जमीन पर ढेर हो गया था। मैने जल्दी से उसे घसीट कर एक किनारे मे किया इतनी देर
मे सात सैनिकों की पार्टी लोहे के गेट को पार करके अन्दर जा चुकी थी।
कैप्टेन यादव मेरे
पास आकर बोला… सर, सज्जाद की अंधेरे मे कैसे पहचान होगी? …तुम बस मुझे कवर करना बाकी
का काम मै करुँगा। अभी तक मैने अपनी ग्लाक नहीं निकाली थी। मै गोदाम के खुले हुए आधे
शटर से अन्दर चला गया था। दूर दीवार पर एक छोटा सा बल्ब टिमटिमा रहा था। चारों ओर सामान
करीने से लगा हुआ था। मेरे पीछे एक टीम अन्दर प्रवेश कर चुकी थी और अलग जगह पहुँच कर
तैनात हो गये थे। सामान के बीचोंबीच खाली जगह पर जमीन पर बिस्तर लगा कर लोग सो रहे
थे दो आदमी एक किनारे मे एक-47 लेकर बैठे हुए उंघ रहे थे। मै उनके पास पहुँच कर एक
आदमी को ठोकर मार कर जगाते हुए घुर्राया… खबीस की औलाद गार्ड ड्युटी पर सो रहा है।
वह हड़बड़ा कर उठ गया। उसके साथ बैठा हुआ आदमी भी जाग गया था। मै घुर्रा कर बोला… सज्जाद
भाई कहाँ है? वह ठोकर खा कर पहले से ही घबरा गया था। उसने गोदाम की ओर इशारा करके कहा…
वहाँ है। मैने जल्दी से कहा… जागते रहना। मै सज्जाद भाई को मुफ्ती साहब की जानकारी
देने आया हूँ। यह बोल कर मै उस आफिस की ओर चल दिया था। तब तक ग्लाक-17 मेरे हाथ मे
आ गयी थी। हरकत उल अंसार का कमांडर आराम से एक खटिया पर सो रहा था। उसके खुर्राटे गूंज
रहे थे। उसके पास पहुँच कर उसकी कमर पर ठोकर मार कर जगाते हुए कहा… सज्जाद अफगानी उठ
तुझे भारतीय सेना लेने आयी है। वह नींद मे हड़बड़ा कर उठा लेकिन तब तक मेरी ग्लाक की
मूठ उसकी कनपटी पर पूरी शक्ति से पड़ी और वह झूमते हुए वापिस बिस्तर पर ढेर हो गया था।
अगले ही क्षण एके-47
के तीन राउन्ड फायर हुए और फिर अचानक सब शान्त हो गया था। पीछे की टीम भी अब तक शटर
के ताले तोड़ कर अन्दर आ चुकी थी। मुश्किल से दस मिनट मे पूरा गोदाम हमारे कब्जे मे
आ गया था। सज्जाद अफगानी को अपने कन्धे पर लाद कर मै आफिस से बाहर निकला और मुख्य द्वार
की ओर चल दिया था। मेरी टीम नूर मोहम्मद से जब्त की हुई सेम्टेक्स और डिटोनेटर्स को
पूरे गोदाम मे लगाने मे जुटी हुई थी। मैने सज्जाद अफगानी को दो सैनिकों के हवाले किया
और वह रात के अंधेरे मे उसे बाहर निकाल कर ले गये थे। पूरे गोदाम मे आरडीएक्स और सेम्टेक्स
को लगाने मे आधा घंटा और लग गया था। लाँस नायक जमीर ने एक बार फिर से सारे कनेक्शन
का निरीक्षण किया और फिर चलने का इशारा करके तेजी से मुख्य द्वार के बाहर निकल गया
था। उसके पीछे हम सब लोग भी ट्रक मे बैठ गये थे। जमीर ने रिमोट कन्ट्रोल्ड डिवाइस मेरी
ओर बढ़ाते हुए कहा… सर, पन्द्रह मिनट का टाइमर सेट किया है। जब तक यहाँ विस्फोट होगा
तब तक हम कोटेश्वर चौक पहुँच गये होंगें। मैने कैप्टेन यादव की ओर बढ़ाते हुए कहा… इस
जंग की शुरुआत तुम करो। महाकाली का नारा लगा कर कैप्टेन यादव ने बटन दबा दिया। बटन
दबाते हमारा ट्रक तेज गति से उसी रास्ते से निकल कर कोटेश्वर की दिशा मे चल दिया था।
चौराहे को पार करने
के बाद हम हाईवे पर पहुँच गये थे। आगे ड्राइवर के साथ बैठे हुए सभी की आँखें ललितपुर
की दिशा मे लगी हुई हुई थी। काले आसमान मे एक पल के लिये जैसे ही आग की लपट उठते हुए
देखी तो कैप्टेन यादव ने कहा… वन डाउन सर। …कैप्टेन, यह शुरुआत है। अभी तो यहाँ पर
बहुत से डाउन होंगें। आधे घंटे के बाद हम लोग अपने गोदाम मे आराम से बैठे हुए थे। सज्जाद
अफगानी को एक कुर्सी से जकड़ कर बिठा दिया था। एक सैनिक उसके चेहरे पर पानी मार कर होश
मे लाने मे लगा हुआ था। उसकी पल्कें एक क्षण के लिये फड़फड़ाई और फिर बन्द हो गयी थी।
…सर यह दोबारा बेहोश हो गया। सुबह होश आने के बाद देखते है। …किसी के पास सिगरेट और
लाईटर या माचिस है? मेरी नजर सज्जाद अफगानी पर टिकी हुई थी। वह होश मे आ चुका था परन्तु
आँखे मूंद कर रस्सियों के साथ जोर आजमाइश मे लगा हुआ था। जमीर ने एक सिगरेट और लाईटर
मेरी ओर बढ़ाते हुए कहा… सर, आपको सिगरेट पीते हुए तो हमने कभी नहीं देखा। …यह मेरे
लिये नहीं अपितु अफगानी के लिये है। मैने उसके होंठ मे सिगरेट फँसा दी और लाईटर जैसे
ही जलाया उसने अपने होंठ से सिगरेट नीचे गिरा दी थी। मै लाइटर की लौ उसके चेहरे की
ओर बढ़ाता चला गया और लाईटर की लौ ने जैसे ही उसकी दाड़ी को छुआ वह जोर से तड़प कर छूटने
के लिये मचला लेकिन उसकी दाड़ी आग पकड़ चुकी थी। पल भर मे उसकी दाड़ी जल कर उसके चेहरे
से चिपक गयी थी।
अपने साथियों की ओर
देख कर मैने कहा… देख लो यह जिहादी कितनी जल्दी होश मे आ गया है। खुशामदीद नकली पठान।
भारतीय सेना तुम्हारा स्वागत कर रही है। अब सज्जाद अफगानी के चेहरे पर खौफ के लक्षण
साफ नजर आ रहे थे। …आप सब इसे पहचान लो। यह पाकिस्तानी आतंकवादी हरकत उल अंसार का कश्मीर
मे एरिया कमांडर था। इसने हमारे आठ सैनिकों को उरी के एक कैंम्प मे सोते हुए जिंदा
जला दिया था। अगर किसी को इस पर रहम आ रहा है तो वह कृपया करके उन आठ सीआरपीएफ के सैनिकों
को एक पल के लिये याद कर लेना। इतना बोल कर मैने सज्जाद अफगानी की ओर रुख करते हुए
कहा… तुम्हारे सतरह जिहादियों को अभी कुछ देर पहले उस गोदाम मे जला कर आ रहा हूँ। जब
बेचारों का जिस्म खाक मे मिल गया तो अब वह अपनी बहात्तर हूरों के काबिल भी नहीं रहे
है। मै एक सवाल पूछूँगा और अगर जवाब नहीं मिला तो तुम्हारा एक अंग जला कर खाक कर दूँगा।
अब मुझे यह सोचना है कि तुम्हारा सबसे प्रिय अंग कौन सा है जिसको सबसे पहले आग के हवाले
करुँ। याद है बाटामालू मे तूने एक ग्यारह साल की बच्ची के साथ क्या किया था। तो मैने
सोचा है कि तेरा वह अंग सबसे पहले खाक मे मिलाने का समय आ गया है। मैने जग पकड़ कर खड़े
हुए सैनिक से कहा… थोड़ा सा ट्रक मे से डीजल निकाल कर ले आओ। अचानक वह जोर से चिल्लाया…
भाई आप सवाल पूछो। मैने मुस्कुरा कर अपने साथियों की ओर देख कर कहा… इन हरामजादों को
आतंक का मतलब कितनी जल्दी समझ मे आ गया है।
…सज्जाद तुम यहाँ
पर किस काम के लिये इकठ्ठा हुए हो? वह चुप रहा तो मैने एक बार फिर से जैसे ही लाइटर
को जलाने की कोशिश की तो उसने जल्दी से कहा… जिहादी काउंसिल ने मुझे कश्मीर मे ब्रिगेड
हेडक्वार्टर्स को उड़ाने का काम सौंपा था। उसके लिये यहाँ आया था। हमारी रिकार्डिंग
चालू हो गयी थी। उसने बताया कि उरी के बाद वह पाकिस्तान चला गया था। अपने बीस साथियों
को लेकर दो महीने के प्रशिक्षण के लिये वह बांगलादेश गया था। वहाँ से वह पैसे और असला
बारुद लेने के लिये काठमांडू आया था। यहाँ से उसे और उसके साथियों को नूर मोहम्मद के
ट्रक से असला बारुद लेकर कश्मीर जाना था। नूर मोहम्मद अभी तक पैसों और बारुद का इंतजाम
नहीं कर सका था इसीलिये वह अपने साथियों के साथ उस गोदाम मे पिछले कुछ दिनों ठहरा हुआ
था। एक दो दिन मे सामान आते ही वह निकल गया होता। जिहाद काउंसिल मे जमात के कुछ लोगो
के बीच नाईत्तेफाकी होने के कारण जाकिर मूसा अपने साथियों के साथ वापिस श्रीनगर चला
गया है। दुख्तार-अल-हिन्द के बारे मे वह कुछ ज्यादा नहीं बता सका था। बस उसे इतना पता
था कि वह स्त्रियों की संस्था है जो बांग्ला देश मे किसी खास जगह प्रशिक्षण प्राप्त
कर रही थी। जैसे शुजाल बेग हरकत-उल-अंसार और हिज्बुल के लिये यहाँ बैठा हुआ है वैसे
ही कोई आईएसआई की मेजर हया इनायत खान इस वक्त यहाँ से दुख्तर-अल-हिन्द का संचालन कर
रही है। यह सब सज्जाद के मुँह से उगलवाने के लिये उसे चार बार जलाना पड़ा और तीन बार
तोड़ना पड़ा था। सबसे आखिर मे उसने बताया कि जिहाद काउंसिल ने पाँच टीम गठित की है। हरेक
टीम के जिम्मे एक कार्य दिया गया था। ब्रिगेड हेडक्वार्टर्स को उड़ाने के लिये जिहाद
काउन्सिल ने हरकत उल अंसार को पच्चीस लाख रुपये देने का वायदा किया था।
मेरी दरिंदगी का असली
चेहरा सबके सामने आ गया था। मैने जनरल रंधावा को सारी रिकार्डिंग सुनाने के बाद पूछा…
सर, इसका क्या करना है। जनरल रंधावा के बजाय स्क्रीन पर अजीत सर का चेहरा देखते ही
मै खड़ा हो गया था। …मेजर, सज्जाद की शक्ल दिखाओ। कुशाल सिंह ने कैमरा उठा कर सज्जाद
की ओर कर दिया था। सज्जाद की हालत देख कर अजीत सर जोर से हंसे और फिर बोले… इसकी दाड़ी
तुमने जलाई है। …नहीं सर, सिगरेट जलाते हुए गलती से जल गयी थी। …मेजर, इसको यहाँ भारत
मे किस लिये लाना है। यहाँ आयेगा तो इसके सारे नजायज बाप इसको बचाने के लिये कोर्ट
का समय खराब करेंगें फिर इसकी नजायज औलादें किसी हवाई जहाज को हाईजैक करके उसे छुड़ाने
की कोशिश करेंगें। अब कन्धार वाला खेल दोबारा नहीं होगा। इसी हरामखोर ने सिर तन से
जुदा का नारा दिया था तो इसका सिर शुजाल बेग के पास पहुँचा दो। हम यहाँ पर इसकी फाइल
हमेशा के लिये बन्द कर रहे है। …जी सर। बाकी टीमों का कुछ पता नहीं चल रहा है। आप इजाजत
दें तो नूर मोहम्मद को उठा लें? …मेजर, आरबीआई ने बताया है वह नोट असली है। तुम्हारे
पास कुछ पैसो का इंतजाम हो गया है। एक हाटस्पाट समाप्त हो गया है। पहले बाकी स्थानो
को नेस्तनाबूद कर दो और अगर उसके बाद शुजाल बेग ने नूर मोहम्मद को बक्श दिया तो तुम
उसे उठा लेना। पाकिस्तानी आईएसआई और उनकी पाली हुई तंजीमो को भी तो आतंक का मतलब समझ
मे आना चाहिये। आठ के बदले अठारह होने से अब हमारी सेना का रिकार्ड कुछ सुधरने लगा
है। वलीउल्लाह के बारे मे कुछ पता चला? …सर, यह सिर्फ एक प्यादा है। उसका पता तो वजीर
ही दे सकता है। …उस वजीर का नम्बर भी लगेगा। फिलहाल शुजाल बेग को इसका सिर पहुँचा देना।
आल द बेस्ट। दिल्ली से कनेक्शन कट गया था।
अबकी बार हेड फोन
इस्तेमाल नहीं हुआ था। सब कुछ स्पीकर पर बोला गया था। वहाँ उपस्थित सभी लोगों ने अजीत
सर के आदेश को सुना था। जैसे ही मैने कदम उसकी ओर बढ़ाया सज्जाद अफगानी रोते हुए खुदा
की दुहाई देने लगा था। मैने अपने साथियों की ओर देखते हुए पूछा… अगर आप मे से कोई इसके
हाथ लग जाता तो क्या यह उस पर रहम करता? उस वक्त कोई भी जवाब देने की स्थिति मे नहीं
था। मैने सज्जाद अफगानी के सिर पर एक चपत जड़ कर कहा… तेरा वारन्ट तो मेरे सीओ ने साईन
कर दिया है। अब मेरे आगे दो रास्ते है कि तुझे जिन्दा जला दूँ या सिर तन से जुदा करके
तेरे आका के पास भिजवा दूँ। दोनो ही सूरत मे बहात्तर हूरों के साथ तू मजा नहीं ले सकेगा।
वह रोता रहा, चिल्लाता रहा दूसरों पर भले ही उसकी चीखों का कुछ असर हुआ हो परन्तु मैने
इन लोगों की दरिंदगी अपनी आँखों से कश्मीर मे देखी थी। मैने कैप्टेन यादव की ओर देखा
तो उसने अपने सभी साथियों को कमरे से निकल जाने का इशारा किया और खुद वहीं खड़ा रहा
था। …कैप्टेन, नूर मोहम्मद का एक ट्रंक खाली पड़ा हुआ है। वह यहाँ मंगा लो। कैप्टेन
यादव ने आवाज देकर ट्रंक मंगवा लिया था।
अपना काम समाप्त करके
मै वहीं पर नहा धो कर तैयार हो गया था। स्पेशल फोर्सेज की काली डंगरी पहन कर अपना काम
चला लिया था। पूरा दिन गोदाम से बाहर काठमांडू की सड़कों पर होने वाले हंगामो से अनिभिज्ञ
मै सेन्टर मे बैठ कर वीके की फाइल पर दिये गये नाम पढ़ रहा था। अभी तक पढ़ने के बाद जो
कुछ मुझे समझ मे आया वह कुछ इस प्रकार था। छ्ह निजी साफ्टवेयर कंपनी सेना के तीन अंगों
और सरकार के एनआईसी के मुख्य डेटाबेस के लिये साफ्टवेयर सोल्युशन्स देती थी। हर कंपनी
मे बीस से पच्चीस लोग साफ्टवेयर डेव्लपमेन्ट, टेस्टिंग और आप्रेशन्स का काम देखते थे।
इसी प्रकार की दर्जनों कंपनियाँ पोर्ट, एयेरपोर्ट, टेलिकाम, व अन्य के लिये साफ्टवेयर
तैयार करती थी। सभी कंपनियाँ सभी प्रकार की सूचना इकठ्ठी करके डीआरडीओ को दे देती थी
जिसको वह अलग-अलग श्रेंणियों मे डालने के बाद वेरीफाई करके कमांड सेन्टर के मेनफ्रेम
पर डाल देते थे। इसरो ने अपना सेटेलाईट ग्रिड रेफ्रेन्स सिस्टम साफ्टवेयर खुद तैयार
किया था। इसमे दो सौ से ज्यादा अलग-अलग श्रेणी के लोग काम करते थे। वह कमांड सेन्टर
की मांग पर ग्रिड रेफ्रेन्स कोड निकाल कर देते थे। यहाँ पर पहुँच कर मै उलझ गया था।
क्या कोई भी निजि कंपनी अपने साफ्टवेयर की जरुरत के अनुसार कमांड सेन्टर से स्थानीय
ग्रिड रेफ्रेन्स की मांग रख सकती थी? यह कमांड सेन्टर के सिस्टम इन्चार्ज के पास ही
अधिकार था कि वह उस कंपनी के मांगने पर किसी जगह के ग्रिड रेफ्रेन्स दे अथवा मना कर
दे। कमांड सेन्टर का सिस्टम इंचार्ज जनरल मोहन्ती थे और मै यह मानने को तैयार नहीं
था कि वह इतने गैरजिम्मेदार हो सकते है कि किसी ने भी माँगा और वह दे देंगें। कहीं
पर कोई चीज मुझसे छूट रही थी।
रात गहरी हो गयी थी।
अब तक मै सिर्फ आठ कंपनियों के कर्मियों को देख सका था। मुझे कुछ और तरीका सोचना पड़ेगा
और यह सोच कर मै उठ कर खड़ा हो गया था। मै जैसे ही कमरे से बाहर निकला तो कैप्टेन यादव
बाहर मेरा इंतजार कर रहा था। …सर, उस ट्रंक का क्या करना है। …उसके धड़ को जला दो और
फिर ट्रंक को बागमती मे बहा देना। उसका सिर शुजाल बेग के पास भिजवाना है। उसके लिये
कुछ सोचना पड़ेगा। क्या तुम्हारे पास कोई सुझाव है। …सर, अपने गोदाम के पीछे खाली जगह
मे उसके धड़ पर पेट्रोल छिड़क कर आसानी से आग लगा सकते है। आये दिन हमारे गोदाम के पीछे
लोग टायर जला कर हाथ सेकने बैठ जाते है। आज हम भी आग लगा कर बाहर बैठ जाएँगें और फिर
कभी भी ट्रंक को बागमती मे बहा देंगें। सज्जाद के सिर का एक सुन्दर सा पार्सल बना कर
अगर हम यहीं की किसी छोटी सी कुरियर एजेन्सी से डिलिवरी के लिये देंगें वह लोग उसे
उसी दिन दूतावास मे पहुँचा देंगें। बस हमे यह ख्याल रखना है कि वह कुरियर वाला हमारी
पहचान न कर सके।
…चलो पहले एक बार
बाहर घूम कर आते है। मै और कैप्टेन यादव गोदाम से बाहर निकल कर पीछे की ओर चले गये।
थोड़ी दूर पर सर्दी से बचने के लिये कुछ लोग टायर जला कर उसके चारों ओर बैठे हुए थे।
उनको बैठे देख कर हम दोनो वापिस आ गये। …कैप्टेन टायर जलने और माँस के जलने मे बहुत
फर्क होता है। माँस जलने की गंध आसपास फैल जाएगी। एक काम करते है। उस धड़ के उपर एक
टायर रख कर जला देंगें तो मांस की गंध समाप्त हो जाएगी। बाकी उसके सिर को शुजाल बेग
तक पहुँचाने के लिये तुम्हारे सुझाव के अनुसार काम करेंगें। इस काम को हम कल कर करेंगें।
अब तुम आराम करो मै अपने घर जा रहा हूँ। …सर, उस नोटों से भरे ट्रंक का क्या करना है।
…उस पैसे को बैंक मे पहुँचाना पड़ेगा लेकिन अभी नहीं। कुछ दिनों मे कंपनी का सामान आना
आरंभ हो जाएगा उसके बाद मै दिल्ली मे बात करके उस पैसे को बैंक मे जमा करवा दूंगा।
भारत सरकार की कंपनी के पास पैसे होंगें तभी इन जैसे लोगों के साथ यहाँ पर दो-दो हाथ
कर सकेंगें।
मै अपने घर की ओर
चल दिया था। रास्ते मे चेक पोस्ट देख कर मेरा माथा ठनका कि अचानक इतनी पुलिस क्यों
लगी हुई है। दो जगह रुक कर अपना कार्ड दिखा कर अपने घर पहुँच गया था। दोनो जाग रही
थी। दोनो के चेहरों पर चिन्ता के बादल मंडरा रहे थे। मुझे देखते ही तबस्सुम का गुस्सा
फूट पड़ा था। कुछ देर उन दोनो को समझाने के बाद मैने पूछा कि आज यहाँ इतनी ज्यादा पुलिस
क्या कर रही है तो उन्होंने बताया कि आज पहली बार काठमांडू शहर मे विस्फोट हुआ था।
लोगों का मानना है कि भारत की तरह यहाँ पर भी मुस्लिम चरमपंथी उत्पात मचाने के लिये
आ गये है। नेपाली लोग पहले से ही मुस्लिम लोगो की गुन्डागर्दी और लूटपाट के कारण परेशान
थे। इस विस्फोट के बाद आज शहर के मुस्लिम बहुल हिस्से मे अचानक दंगे भड़क गये थे। अब
तो स्थिति सामान्य हो गयी है लेकिन गुरखाली लोग अभी भी बहुत नाराज है। कुछ देर बात
करने के बाद मै अपने कमरे मे जाते हुए बोला… बदन टूट रहा है, आज तुम ही मालिश कर दो।
तभी आरफा बोली… आप चलिये मै तेल गर्म करके ला रही हूँ। आज आप दोनो की मालिश कर दूंगी।
मै जाते-जाते रुक गया और मुड़ कर तबस्सुम की ओर देखा तो वह मुस्कुरा रही थी। मैने जल्दी
से गर्दन हिला कर मना किया परन्तु उसने सिर हिला कर हामी भरी तो मैने उसे आँख दिखाते
हुए कहा… आरफा रहने दो मुझे नींद आ रही है। मै सोने जा रहा हूँ। यह बोल कर मै अपने
कमरे मे जाकर डंगरी उतार कर बिस्तर मे घुस गया और गर्म बिस्तर होते ही मै अपने सपनों
की दुनिया मे खो गया था। मुझे याद नहीं कब तबस्सुम मेरे साथ आकर सो गयी थी।
सुबह देर से जागा
और अलसाते हुए तैयार हुआ था। नाश्ते की टेबल पर पहली बार आरफा नाराज लग रही थी। …क्या
हुआ आज तुम दोनो का मुँह क्यों फूला हुआ है? आरफा तो कुछ नहीं बोली लेकिन तबस्सुम ने
कहा… आप थोड़ी देर रुक नहीं सकते थे। …बानो, परसों रात नींद पूरी नहीं हो पायी थी फिर
पूरी रात जागा था। कल सुबह से आफिस का ऐसा चक्कर शुरु हुआ कि देर रात को ही वहाँ से
निकल सका था। मै चाह कर भी आँखें खोलने मे अस्मर्थ था वर्ना कोई बेवकूफ ही होगा जो
इतने हसीन मौके को हाथ से जाने देगा। इतना बोल कर मै नाश्ता समाप्त करने मे व्यस्त
हो गया। नाश्ते के बाद मै उपर हाल मे चला गया था। मैने अपने संचार केन्द्र को निर्देश
दिया कि कमांड सेन्टर मे जनरल मोहन्ती से कनेक्ट करो। अगले ही मिनट मे जनरल मोहन्ती
मेरे सामने स्क्रीन पर थे।
…सर, मुझे पता चला
है कि कुछ निजि कंपनियाँ अपने साफ्टवेयर डेवल्पमेन्ट के काम के लिये आपसे स्थानीय ग्रिड
रेफ्रेन्स के लिये निवेदन करती है। आप उनकी जरुरत के हिसाब से इसरो से ग्रिड रेफ्रेन्स
लेकर उनको दे देते है। क्या मै इसकी कार्यविधि ठीक से समझ गया कि नहीं? …बिल्कुल ठीक
समझे। यही तरीका होता है। …औसतन एक महीने मे आपको कितनी बार इस काम के लिये कंपनी संपर्क
करती है? …कभी एक बार और कभी दस बार। …उसमे से कितनी बार आप उनकी मांग को खारिज कर
देते है? …मेजर, ज्यादातर उनकी मांग जरुरी होती है। खारिज तो ज्यादातर तभी होती है
जब वह आधी अधूरी जानकारी देते है। …सर, क्या आप उनकी मांग का रिकार्ड रखते है। जैसे
कि मै अगर जानना चाहूँ कि पिछले एक साल मे कौनसी कंपनी ने कौनसे स्थानीय ग्रिड रेफ्रेन्स
की मांग रखी थी। क्या वह मिल सकती है? …हाँ क्यों नहीं। ज्यादातर ग्रिड रेफ्रेन्स मांगने
वाली वह कंपनी होती है जो सेना के तीनो अंगों के लिये साफ्टवेयर बना रही है। …ठीक है
सर, मुझे एक साल का उन कंपनियों का रिकार्ड चाहिये जिन्होंने ग्रिड रेफ्रेन्स की मांग
रखी थी। अगर यह भी मिल जाये कि उन्होंने कौन से स्थान के ग्रिड रेफ्रेन्स मांगे थे
तो मेरा काम और भी आसान हो जाएगा। …मेजर, मै यह जानकारी शाम तक आप को भेज दूँगा लेकिन
इसकी जानकारी कृपया जनरल रंधावा को दे दिजियेगा। …यस सर। मैने लाइन काट कर जनरल रंधावा
से कनेक्ट करने के लिये कहा तो जनरल रंधावा ने स्क्रीन पर आते ही कहा… मैने मोहन्ती
को कह दिया है। यह वलीउल्लाह वाला चक्कर है? …यस सर। इतने सारे नाम होने के कारण बहुत
मुश्किल हो रहा था। मैने सोचा कि इस तरह एक बार कोशिश करके देख लेता हूँ। …शाम तक सारी
जानकारी मिल जाएगी। बस इतनी बात करके मैने लाइन काट दी थी।
मैने एक बार फिर से
नूर मोहम्मद के फोन की रिकार्डिंग सुनने बैठ गया था। एक दिन मे सौ से ज्यादा काल रिकार्ड
की गयी थी। कुछ काल गोदाम मे विस्फोट के लिये दुख जताने के लिये हुई थी और कुछ काल
कंपनियों की ओर से हुई थी। इतनी सारी काल रिकार्डिंग सुनने के बाद मेरे काम की चार
काल निकली थी। पहली काल बिहार से आयी थी और काल करने वाले ने बताया था कि आज सुबह चार
बजे अलताफ हुसैन को एनआईए अपने साथ ले गयी है। दूसरी काल किसी चरौन्दी थाना इन्चार्ज
की ओर से आयी थी कि उसकी कंपनी का कंटेनर ट्रक त्रिशूली नदी मे पुलिस को मिला था। उसका
अनुमान था कि ड्राइवर की आँख लगने से ट्रक सड़क से बहक कर नदी मे गिर गया था। तेज बहाव
के कारण जहाँ पानी का कटाव था वहाँ पर चट्टानों मे फँस कर नजरों मे आ गया था। उसने
तुरन्त नूर मोहम्मद को बुलाया था। नूर मोहम्मद से उसने पूछा कि ट्रक मे क्या सामान
था। उसके जवाब मे नूर मोहम्मद ने कह दिया कि वह इन्वोइस देख कर ही बता सकता था। तीसरी
काल सीतला थाने से आयी थी कि एक लाश पत्थरों मे उलझी मिली है। कहीं वह ट्रक ड्राइवर
की लाश तो नहीं है। लाश की शिनाख्त करने के लिये नूर मोहम्मद को थाने मे बुलाया गया
था। चौथी काल शुजाल बेग की थी जिसमे उसने सिर्फ इतना कहा था कि फौरन उससे आकर मिलो।
इन चार काल रिकार्डिंग से साफ हो गया था कि उसको अपना ट्रक मिल गया है।
मैने जब तक कान से
हेडफोन उतार कर रखा ही था कि मेरे स्क्रीन पर जनरल मोहन्ती का चेहरा उभर आया था। मैने
जल्दी से हेड फोन लगा कर कहा… यस सर। …मेजर, सारी डिटेल तुम्हारे बाक्स मे डाल दी है।
पिछले एक साल मे सिर्फ आठ कंपनी है जिन्होंने ग्रिड रेफ्रेन्स मांगें थे। सबसे ज्यादा
ग्रिड रेफ़्रेन्स मांगने वाली सिर्फ चार कंपनी है। शायद इस जानकारी से तुम्हें कोई मदद
मिल जाए। …थैक्स सर। यह बोल कर मैने कनेक्शन काट दिया और अपने बाक्स खोल कर बैठ गया
था। जनरल मोहन्ती ने सही कहा था कि चार कंपनियों ने सबसे ज्यादा ग्रिड रेफ्रेन्स की
मांग की थी। सबसे ज्यादा ग्रिड रेफ्रेन्स मांगने वाली कंपनी का नाम डेल्टा साफ्टवेयर
सौल्युशन्स था। मैने उस कंपनी का विवरण और स्टाफ की लिस्ट के लिये वीके की फाइल खोल
कर बैठ गया था।
डेल्टा साफ्टवेयर
सोल्युशन्स हिन्दुस्तानी कंपनी थी और भारतीय नौसेना के लिये साफ्टवेयर बनाती थी। उसके
पंजीकृत आफिस का पता मुंबई का दिया हुआ था। कंपनी को यह काम करते हुए बारह साल हो गये
थे। वह दुनिया भर के देशों मे काम रही थी। भारतीय नौसेना का काम देखने वालों कर्मियों
के बारे मे पढ़ने बैठ गया था। एक-एक करके उनके नाम और काम का विवरण पड़ते हुए अचानक एक
नाम को देख कर मुझे बिजली का तेज झटका लगा था। आफशाँ बट, वरिष्ठ सिस्टम अधिकारी, नेवल
लाजिस्टिक्स। उसकी डिग्री और अनुभव के बारे मे कुछ लिखा हुआ था परन्तु मेरा दिमाग तो
उस नाम पर अटक कर रह गया था। उसके ग्रुप मे बीस लोग काम कर रहे थे। सारा विवरण पढ़ने
के बाद मै अपनी कुर्सी पर बैठा हुआ कुछ सोच रहा था कि तभी मेरा फोन बज उठा था। …सर,
उसका धड़ जला दिया है और आज दिन मै शुजाल बेग के नाम से पार्सल उसके दूतावास के पते
पर हमने भक्तपुर से कुरियर करवा दिया है। …कुरियर करने कौन गया था? …सर, राईफलमैन थापा
को भेजा था। …गुड। उस ट्रंक को भागमती नदी मे डाल कर वापिस लौट रहे है। …आप लोगो को
रात मे जाना चाहिये था। दिन मे किसी की नजर पड़ गयी तो मुश्किल हो जाएगी। …सर क्या आप
अभी जागे है। रात के दस बज रहे है। मेरी नजर खिड़की पर चली गयी थी। बाहर गहरा अंधेरा
हो गया था। …ओह सौरी। कैप्टेन मै कुछ देर पहले ही जागा था। मैने ध्यान नहीं दिया कि
इतना समय हो गया है। प्लीज टेक रेस्ट। इतना बोल कर मैने फोन काट दिया था। मुझे अभी
भी अपने उपर अफसोस हो रहा था कि मै आफशाँ के बारे मे कितना कम जानता था। अगर मुझे उसके
बारे मे पता होता तो बहुत पहले ही उससे पूछ लेता तो वलीउल्लाह की कहानी जल्द सुलझ जाती।
यही सोचते हुए नीचे अपने घर मे आ गया था।
बहुत ही जबरदस्त अंक और बढ़ती महंगाई में भी हिंदुस्तान को खत्म करने की जो सोच और साजिश है दुश्मनों की अब उनके मित्र राष्ट्र भी अपना हाथ खड़े कर रहे हैं और समीर की सोची समझी कार्यवाही ने एक ऐसे कट्टरपंथी नेता को उनके हाथ ला पटका की अभी बहुत से चीजें की धागे निकल आएंगे,और वो वॉलीउल्ला के केस में अफ्सा के कंपनी और उसके नाम आना कुछ न कुछ गड़बड़ी के और इशारा करती है खैर समीर कैसे अपने व्यक्तिगत और देशभक्ति को अलग रख कर अपने बीवी से इस मामले में बात करेगा यह देखना दिलचस्प होगा। अगले अंक के अपेक्षा में ।
जवाब देंहटाएंशुक्रिया अल्फा भाई। आपने ठीक कहा है कि वह चाहे मित्र हो या दुश्मन, भारत की संपन्नता को देख कर कोई खुश नहीं है। सभी अपनी ओर से साजिशें रच रहे है। दुख की बात यह है कि भारत उन सभी बाहरी ताकतों को मुँह तोड़ जवाब देने मे सक्षम है परन्तु अपने देश मे पलने वाले जयचन्दों और मीर जाफरों का क्या किया जाये।
हटाएंnice post brother
जवाब देंहटाएंधन्यवाद साईरस भाई।
हटाएंintjar hai
जवाब देंहटाएंमित्र आपका इंतजार समाप्त हुआ। अगली पोस्ट आ गयी है।
हटाएंनर राक्षस दरिन्दा सज्जाद अफगाणी तो नरक पहुंच गया,देखते है जब बेग उसका सर देखेगा तो असकी पतलून कैसे गिली होती है, आफशा की कंपनी मे जरूर कोई हरामखोर बैठा है जो सारे ग्रिड लोकेशन आयएसआय को दे रहा. समीर कैसे इस सबसे निपटता है ये देखणा दिलचस्प रहेगा.
जवाब देंहटाएंप्रशांत भाई धन्यवाद। बेग को पैकेट भेजने से काठमांडू आप्रेशन लांच होने की मुनादी हो गयी है। तुम एक मारोगे तो हम चार मारेंगें। अब यह देखना है कि बेग और नूर मोहम्मद क्या सीधे टकराने के लिये सामने आएंगें। वलीउल्लाह अभी भी एक पहेली बना हुआ है। न जाने कितने सारे वलीउल्लाह इस देश मे अभी भी पल रहे है।
हटाएंवीर भाई आपसे एक अनुरोध है, गहरी चाल की साप्ताहिक अंक के साथ क्या आप आपके पुराने कहानी जंग मोहब्बत और धोखा या फिर CIA की अंक इस वेबसाइट पर दे, वो PDF से online में पढ़ने में दिक्कत आ रही है कभी पेज लोड नही हो रहा है तो कभी कौनसी भाग पढ़ रहें हैं उसमें scroll होने से दूसरे पेज खुल जाता है। तो अगर समय आपको इजाजत दे तो उसको भी आप पब्लिश कर सकते हैं?
जवाब देंहटाएंअल्फा भाई ऐसी रिक्वेस्ट मेरे पास पहली बार आयी है। प्लीज मुझे सोचने के लिये कुछ समय दिजिये। अगर गहरी चाल के बीच मे मैने किसी दूसरी कहानी को पोस्ट करना आरंभ कर दिया तो फिर गहरी चाल पढ़ने वालों का कहानी से लिंक टूटने की आशंका है। बहुत बार मै अपनी कहानियों को फोन पर पढ़ लेता हूँ लेकिन ऐसी मुश्किल अपने फोन पर कभी महसूस नहीं की है। अपितु मै जहाँ पर छोड़ता हूँ मैने पाया है कि पीडीफ मे अगली बार उसी पेज से कहानी खुलती है। फिर भी मुझे इसके बारे मे सोचने के लिये कुछ समय दिजिये।
हटाएंवो नेटवर्क स्लो जब हो जाता है तो ऑनलाइन pdf में पेज लोड होने में दिक्कत होती है, अगर आपके यह प्रोजेक्ट के बाद समय हो तो उस कहानी को यहां पोस्ट कीजिए अगर आपको अभी वो स्टोरी पोस्ट करना अनुचित लगता है तो, में वैट कर लूंगा इस कहानी के खत्म होने तक।
हटाएंजरुर दोस्त। शुक्रिया।
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