रविवार, 9 जुलाई 2023

  

गहरी चाल-16

 

पशुपतिनाथजी के मंदिर मे दर्शन करके हम सीधे इसुजू के शोरुम पर आ गये थे। मेरी दोनो गाड़ियाँ तैयार खड़ी हुई थी। वहीं पर कैप्टेन यादव और ड्राइवर बचन सिंह हमारा इंतजार कर रहे थे। मैने सारी कागजी औपचारिक्ताएँ पूरी करके पिक-अप को कैप्टेन यादव के हवाले करते हुए कहा… यह आप लोगों का ट्रांस्पोर्ट है। बचन सिंह जब भी टैंक फुल कराना हो तो हमारे गोदाम के पास लक्षमी पेट्रोल पम्प के पास चले जाना। मैने अपनी जेब से एक लक्षमी पेट्रोल पंप की कूपन बुक कैप्टेन यादव के हाथ मे रखते हुए कहा… जब भी डीजल की जरुरत हो एक कूपन पर दस्तखत करके बचन सिंह को दे देना। हम हर महीने उसका हिसाब कर दिया करेंगें। बचन सिंह ने डीलर से पिक-अप की चाबी ली और ड्राईविंग सीट पर बैठ कर पिक-अप स्टार्ट की और एक छोटा सा चक्कर लगा कर वापिस आकर बोला… साहबजी बेहतरीन गाड़ी है। पन्द्रह लोग तो इसमे आसानी से फिट हो जाएँगें। 8-सीटर एसयुवी की चाबी तबस्सुम के हाथ मे देते हुए कहा… यह मेरी ओर से तुम्हारे लिये आज का तोहफा है। …मुझे यह गाड़ी चलानी नहीं आती। …फिलहाल तुम्हारा ड्राइवर मै हूँ लेकिन तुम भी जल्दी सीख लो तो अच्छा होगा। दोनो गाड़ियों की डिलीवरी लेकर मै अपने आफिस की दिशा मे चल दिया था।

आफिस पहुँच कर मैने दोनो लड़कियों वहाँ उतार कर कहा… मै अपने गोदाम को देखने जा रहा हूँ। थोड़ी देर हो जाएगी। तबस्सुम कुछ बोलना चाहती थी लेकिन तब तक मै मुड़ कर बोला… बचन सिंह यहाँ से तुम पिक-अप लेकर गोदाम पर चले जाओ। मै और यादव साहब कुछ देर मे वहीं पहुँच रहे है। बचन सिंह पिक-अप लेकर गोदाम की ओर चल दिया और अपने साथ कैप्टेन यादव को लेकर मै एयरपोर्ट की दिशा मे चल दिया था। त्रिभुवन एयरपोर्ट पहुँचने मे ज्यादा समय नहीं लगा था। सवा चार बजे तक एयरपोर्ट पहुँच गये थे। जब तक पार्किंग मे गाड़ी खड़ी करके हमने एयरपोर्ट प्रवेश किया तब तक फ्लाईट लैंड कर चुकी थी। हम दीर्घा गैलरी मे जाकर खड़े हो गये थे। कुछ ही देर मे यात्रियों ने बाहर निकलना आरंभ कर दिया था। कैप्टेन यादव एक कागज पर आने वाले टेक्निशियन्स के नाम लिख कर गेट पर खड़ा हो गया था। अपना नाम पढ़ कर तीनो टेक्निशियन्स उसके पास पहुँच गये थे। वह उन तीनों को मेरे पास ले आया था। …मेजर समीर बट। …यस। …मेरा नाम ए कुरियन है। मेरे साथ एम एस एय्यर और आर के शर्मा है। बताईये क्या करना है? तभी एम एस नायर ने एक मोटा सा लिफाफा मुझे देते हुए कहा… यह वीके साहब ने आपके लिये भिजवाया है। मैने वह लिफाफा ले लिया और फिर मैने कहा … कुरियन साहब, मै आपको पहले एक जगह दिखाता हूँ फिर दूसरी जगह चल कर देख लिजीये। उसके बाद आप बताईये कि कौनसी जगह संचार सिस्टम स्थापित करना ठीक रहेगा। उन्हें सबसे पहले मै अपने आफिस ले गया था। दूसरी मंजिल का हाल और उस पर छत दिखा कर पूछा… इस पोस्ट को दिल्ली मे स्ट्रेटिजिक कमांड सेन्टर से जोड़ना है जिससे हम उनके साथ चौबीस घंटे संपर्क मे रहे। वह तीनों अपने काम के बारे मे जानकार थे। हाल और छत को देखने के बाद उन्होंने कहा… दूसरी जगह कौन सी है? मै उनको लेकर गोदाम की ओर चल दिया था। उन्होंने गोदाम पहुँचते ही कहा… मेन कम्युनिकेशन सेन्टर यहाँ बनाना बेहतर होगा। इसका एक छोटा युनिट वहाँ हाल मे बनाया जा सकता है। जगह के हिसाब से तो वह जगह ठीक है परन्तु पचास मीटर ऊँचा संचार टावर वहाँ नहीं लग सकेगा। गोदाम के साथ संचार टावर और डिश लगने से किसी को कोई परेशानी नहीं होगी। वैसे ही गोदाम की उँचाई 30-35 मीटर है तो पचास मीटर का टावर किसी की आँख मे नहीं चुभेगा। हमारे बीच बिना किसी विवाद के तय हो गया था कि मुख्य संचार केन्द्र गोदाम मे बनेगा और एक डिश के द्वारा आफिस की दूसरी मंजिल पर कनेक्शन दे दिया जाएगा।

…कुरियन साहब, कोई ऐसा तरीका बताईये कि अगर यहाँ पर किसी मोबाईल नम्बर की काल टैप या ट्रेक करना चाहे तो क्या किया जा सकता है? …यहाँ पर नही हो सकता। यहाँ के मोबाईल सर्विस प्रोवाईडर की काल को टैप और ट्रैक जिस सेटेलाइट के द्वारा रिले हो रहा है उसके कंट्रोल से हो सकती है अथवा सर्विस प्रोवाइडर के यहाँ से दोनो काम हो सकते है। इसके अलावा और कोई उपाय नहीं है। यहाँ कौनसा टेलीकाम आप्रेटर है? …वह फोन नम्बर यूटीएल का है। …उस नम्बर को आप स्ट्रेटिजिक कमांड सेन्टर के द्वारा बड़ी आसानी से टैप और ट्रैक कर सकते है क्योंकि इसका सेटेलाइट सेन्टर भारत मे है। आप यह कर सकते है कि वहाँ पर उसकी टैपिंग और ट्रेकिंग हो और वहाँ से उसकी फीड आपके कोन्सोल पर दे दी जाये तो उसकी बातें आप यहाँ सुन सकते है। …स्क्रीन कहाँ लगाये? …सर, स्क्रीन तो आपके हाल मे लगाना ठीक होगा। यहाँ से डिश के द्वारा आपको हाल मे फीड मिल जाएगी। कितने स्क्रीन लगाने है। दो स्क्रीन लगाने है। एक सेटेलाईट कनेक्शन के लिये और दूसरा अगर सेन्टर कुछ वहाँ से दिखाना चाहे तो उसकी प्रतिलिपि स्क्रीन पर आ जाये। …सर, कमांड से तो आपको हर फीड यहाँ मिल जाएगी। …तो कुरियन साहब आप अपना काम आरंभ किजिये। …सर, वह सारा सामान कहाँ है? मैने शंभूजी से कहा… इन्हें कंटेनर खोल कर दिखा दो। वह तीनों शंभू के साथ कंटेनर ट्रक की ओर चले गये थे।

…सर, हमे एक आयुध केन्द्र भी बनाना पड़ेगा। सारा असला बारुद और हथियार ट्रक मे तो नहीं पड़ा रहेगा। …आओ मै तुम्हें दिखाता हूँ कि असला बारुद कहाँ रखा जाएगा। उसे लेकर मै आफिस से निकल कर शेड मे आ गया था। हम एक किनारे की ओर चल दिये थे। शेड के आखिरी छोर पर दूर से एक अलमारी के दरवाजे जितनी जगाह थी। पुराने किरायेदार ने उसे अपना टूल रुम बनाया था। 12’X12’ का छोटा सा कमरा था। लोहे की मोटी चादर का दरवाजा था और अन्दर काफी जगह थी। यादव ने जगह देख कर कहा… यह जगह काफी है अपना सामान रखने के लिये। मै आज ही अपने आदमियों को इस कमरे की सफाई पर लगा देता हूँ। लकड़ी के कुछ फट्टे लाकर जमीन पर डाल देंगें। उस पर अपना असला और बारुद रख देंगें। हम बात करते हुए बाहर निकल आये थे। वह तीनो हमारी ओर आ रहे थे।

…मेजर साहब, सारा सामान मिल गया। तीन चीजें आपको खरीद कर लानी पड़ेंगी। आप्टिक फाईबर केबल लगभग दो सौ मीटर, दो फ़्लेट स्क्रीन वाले 62” के टीवी, और 108” इंच की दो डिश। एक और काम करना पड़ेगा। आपको 60 मीटर की संचार टावर बनवानी पड़ेगी। उस पर लगने वाला सारा सामान ट्रक मे है। बस टावर को आपको बनवाना पड़ेगा। …कोई डिजाईन दिखाईये। …मैने ऐसे टावर अभी आते हुए रास्ते मे देखे है। …यह आपका काम कितने दिन का है? …हम तीन दिन मे सारा काम समाप्त कर देंगें। …आईये आपको होटल पर छोड़ देता हूँ। …मेजर साहब, हम अपने कपड़े बदल कर अभी से काम पर लग जाते है। हम यहीं पर ठहर रहे है। हमे साफ निर्देश मिले है कि जल्दी से जल्दी सेन्टर को इस पोस्ट से जोड़ दिया जाये। इतना बोल कर वह लोग अपने काम पर लग गये थे। कैप्टेन यादव से मैने कहा… दो तीन आदमी इनके साथ रख दो जिससे अगर किसी चीज की जरुरत पड़े तो वह उनकी मदद कर सकें। बस ख्याल रहे कि इनका हाथ नहीं रुकना चाहिये।

मेरे लिये सबसे बड़ा सिर दर्द 50 मीटर उँचे टावर का इंतजाम कैसे किया जाये? उन सबसे विदा लेकर जब तक बाहर निकला तब तक अंधेरा हो चुका था। बाहर निकलते ही मेरी नजर संचार टावर पर पड़ी थी। लक्षमी पेट्रोल पम्प के पीछे एक टावर लगी हुई थी। मै कार मे बैठने के बजाय पैदल उस दिशा मे चला गया था। मै देखना चाहता था कि कैसे यह टावर लगाया होगा। यह बात तो नामुमकिन लग रही थी कि 50 मीटर की लोहे की टावर फैक्टरी मे बनाकर यहाँ तो नहीं पहुँचाई होगी। मै टावर के पास पहुँच गया था। तीन मीटर कांक्रीट मे टावर के पाँव जकड़े हुए थे। एनटीसी का ट्रक अचानक उसके पास आकर खड़ा हो गया था। एक आदमी टावर मे सरिये के सहारे उपर चढ़ता चला गया। एक आदमी नीचे रखी हुई बैटरियों के समूह को टेस्ट करने मे व्यस्त हो गया था। दो आदमी ट्रक के पास खड़े हुए बात कर रहे थे।

कुछ सोच कर मै उनके पास जाकर बोला… बहुत देर से सोच रहा था कि इतने बड़े टावर को यहाँ पर कैसे खड़ा किया होगा? एक आदमी हंस कर बोला… आप पहले आदमी हो जिसने यह सवाल हमसे पूछा है। यह टावर 2004 से यहाँ लगा हुआ है। हजारों लोग इसे हर दिन देखते है लेकिन किसी के दिमाग मे नहीं आयी कि यह कैसे खड़ा किया गया होगा। …भाई आप टेक्निकल लोग है। मै साधारण कारोबारी हूँ। मुझे एक पचास मीटर की संचार टावर अपने गोदाम के पीछे लगवानी है। इसलिये पूछ रहा था। तभी दूसरा आदमी बोला… आपको टावर का क्या करना है? …भाई नेपाल के सारे जिलों मे अपने आफिसों को यहाँ के गोदाम से कनेक्ट करना है। मेरा सारा माल भारत से आता है तो उनके साथ संपर्क करना है और अपने गोदाम को जिला आफिस से भी जोड़ना है। इसलिये मेरी टीम ने बताया है कि आपको संचार टावर खड़ा करना पड़ेगा। तभी पहला वाला बोला आदमी बोला… साहब आप दस बीस लाख लगा कर टावर क्यों खड़ा कर रहे हो। यह 75 मीटर का टावर है। आप इसी टावर पर पचास मीटर पर अपने जंकशन बाक्स और रिसीवर लगा सकते है। एनटीसी आपसे इसके इस्तेमाल का बस दस हजार रुपये प्रति महीना किराया मांगती है। उस कनेकशन के रख रखाव की जिम्मेदारी भी हमारी होती है। आपको बस इतना करना है कि यहाँ से अपने गोदाम की अन्डरग्राउन्ड वायरिंग का खर्चा आपको खुद उठाना होगा। कहाँ है आपका गोदाम? …वह पेट्रोल पंप के सामने वाला शेड ही मेरा गोदाम है। …जनाब, आप क्यों चक्कर मे पड़ रहे हो। आप एक लाख रुपये मुझे दे दो। मै सारी परमिशन से लेकर तार डाल कर जहाँ आपको चाहिये वहाँ दे दूंगा। क्यों आप इतने पैसे खर्च करना चाहते हो।

उसकी बात तो मेरे समझ मे आ गयी थी। मैने अपने फोन पर यादव से बात करके कुरियन को वहीं बुला लिया था। थोड़ी देर बाद कुरियन और वह दोनो एनटीसी के इंजीनियर अपनी टेक्नीकल बात करने मे व्यस्त हो गये थे। कुछ देर बाद मेरे पास आकर कुरियन ने कहा… यह तरीका भी ठीक है। लेकिन जैसा मै कहूँगा वैसा तार डालना होगा। यहाँ से गोदाम तक एक मीटर गड्डा करके एक आठ इन्च का स्टील का पाइप डाला जाएगा और उसी मे सात इन्च का प्लास्टिक का पाईप डाल कर देना होगा जिसमे से आप्टिक फाईबर की छ्ह सेट आसानी से यहाँ से वहाँ तक खींचे जा सकेंगें। मैने एनटीसी के दोनो इंजीनियर की ओर देखा तो एक उनमे से बोला… साहब फिर खर्चा ज्यादा हो जाएगा। …क्या खर्चा होगा? …सारा सामान समेत लगभग खर्चा तीन लाख का है। …अगर यह काम तीन दिन मे पूरा करवा दोगे तो तीन लाख दे दूँगा। अगर चौथा दिन लगा तो सिर्फ ढाई लाख क्योंकि फिर उनके रुकने और खाने पीने के पैसे मुझे अलग से देने पड़ेंगें। उसने जल्दी से कहा… कल से तीन दिन मे आपका तार आपके गोदाम मे दे दूंगा। कल सुबह ही काम शुरु हो जाएगा। मै अपने आफिस से सारी परमिशन और कागजी कार्यवाही शाम तक पूरी कर लूंगा। आप बस मुझे अपनी कंपनी नाम और उसके आफिस का पता दे दिजिये। मैने जल्दी से एक कागज पर गोल्डन इम्पेक्स कंपनी और अपने आफिस का पता लिख कर उसकी ओर बढ़ा दिया था। …साहब कुछ एडवांस भी देना पड़ेगा। मजदूरों को तो रोज पेमेन्ट करना पड़ता है। …कितना एडवांस चाहिये? …आप एक लाख अभी दे दिजिये। मैने कहा… कल मजदूर को काम पर लगते देख कर सुबह मुझे से पचास हजार ले लेना और शाम को अपने आफिस की पर्मिशन देकर पचास हजार ले जाना। उसने जल्दी से मुझसे हाथ मिला कर कर पूछा… साहब आपका क्या नाम है? …समीर कौल। अब भाई अपना नाम भी बता दो। …मेरा नाम बिशम्बर नारायन बिस्ट है। मै असिस्टेन्ट इंजीनियर हूँ। यहाँ पर एनटीसी के 36 टावर की देखभाल मेरे पास है। यह मेरा जुनियर इंजीनियर राम बहादुर थापा। हमने हाथ मिलाया और वह लोग ट्रक मे बैठ कर अगले टावर की और निकल गये थे।

उनके जाने के बाद मैने पूछा… कुरियन साहब आपके ख्याल से यह तरीका कारगर सिद्ध होगा? …मेजर साहब, हमे अपना रिसीविंग सेट पचास मीटर उंचाई पर लगाना है। टावर का इसके अलावा कोई और काम नहीं है। काम तो हमारे रिसीविंग सेट को करना है तो चाहे वह इस टावर पर लगे या किसी अन्य टावर पर लगे इससे क्या फर्क पड़ता है। हमे तो बस इतना ध्यान रखना है कि कोई हमारे तार को नुकसान नहीं होना चाहिये। टावर पर कोई चिन्ता नहीं है लेकिन जब तार जमीन के नीचे डाला जाएगा तब कोई रास्ते मे उसको नुकसान नहीं होना चाहिये। इसीलिये मैने उसका पुख्ता इंतजाम करने की कोशिश की है। जैसा मैने कहा है अगर यह लोग वैसा कर देंगें तो कभी भी हमारे तार को नुकसान नहीं होगा। मैने कप्टेन यादव से कहा… जब वह खुदाई कर रहे हो तो अपने एक आदमी को उनके साथ लगा देना जिससे पता रहे कि गड्डा एक मीटर गहरा होना चाहिये। …यस सर। हम बात करते हुए गोदाम पर वापिस आ गये थे। उनसे इजाजत लेकर मै अपने आफिस की ओर चल दिया था।

लोहे का मुख्य द्वार खोल कर अपनी गाड़ी पार्किंग मे खड़ी करके मै पहली मंजिल की ओर चल दिया। आज दरवाजा खुला हुआ था। दोनो सोफे पर बैठी मेरा इंतजार कर रही थी। मुझे देखते ही आरफा उठ कर जाने लगी तो मैने रोकते हुए पूछा… उनके आफिस पर तुमने आने के बाद नजर रखी थी? वह सिर झुका कर खड़ी हो गयी थी। मैने सोफे पर बैठते हुए कहा… कम से कम चाय तो पिला दो। आरफा चाय बनाने के लिये चली गयी थी। मैने तबस्सुम की ओर देख कर कहा… अब बानो मुझे बताओ कि मेरी अनुपस्थिति मे तुमने इतना सब कुछ कैसे कर लिया? वह कुछ नहीं बोली और सिर झुकाये बैठी रही थी। मै उठ कर उसके साथ बैठ गया और उसकी कमर मे हाथ डाल कर अपनी ओर खींचते हुए कहा… बानो आज के दिन भी कैसी नाराजगी। उसने मेरी ओर देखते हुए कहा… मै बानो नहीं हूँ। …ओह सौरी। अंजली यह सब कैसे कर लिया? …क्यों इसमे क्या मुश्किल था। मैने वकील साहब को बुलाया और उनसे पूछा कि यहाँ पर शादी करने का क्या तरीका है। बाकी सारा काम तो उन्होंने करवा दिया था। उसके गले मे मंगलसूत्र की ओर इशारा करके मैने पूछा… यह शिखा दीदी ने दिलवाया होगा। उसने धीरे से सिर हिला दिया था।

आरफा ने चाय का कप मेरी ओर बढ़ाते हुए कहा… आपके पास कोई दूरबीन है तो वह मुझे दे दिजिये क्योंकि यहाँ से उनका चेहरा साफ नहीं दिखता है। मैने चाय पीते हुए कहा… अंजली क्या तुम कारोबार का काम संभाल सकती हो? …कौनसा कारोबार? …हमारी कंपनी बहुत सारा सामान बेचती है। आयुर्वेदिक दवाईयाँ, कास्मेटिक्स, खाने-पीने का सामान, जैसी बहुत सी और चीजें है। अब अगर तुम इस कारोबार को यहाँ नेपाल मे जमाना चाहती हो तो क्या करोगी? उसने आरफा की ओर देखा और फिर कुछ सोच कर बोली… मुझे सोचने का समय दिजिये। मैने मुस्कुरा कर कहा… दिया लेकिन जल्दी सोचना। हमारे पास ज्यादा समय नहीं है। यह सोचना कि कैसे जल्दी से जल्दी पूरे नेपाल मे सामान बेचने का काम शुरु किया जा सकता है। वह सोचने बैठ गयी थी।

चाय पीने के बाद मैने कहा… अच्छा आज हमारी शादी हुई है तो लड़की के यहाँ वलीमे का क्या इंतजाम है? तबस्सुम ने आरफा की ओर देखा और फिर चिड़ कर कहा… वही मिलेगा जो रोज मिलता है। मैने मनाने वाले स्वर मे कहा… आज बाहर खाना खाने चलते है। दोनो फौरन चलने के लिये तैयार हो गयी परन्तु अगले ही क्षण तबस्सुम ने कहा… आफिस खुला पड़ा हुआ है। नीचे से उपर तक कोई भी नहीं होगा तो क्या पता यहाँ क्या हो जाए। पहले आप एक नौकर और चौकीदार का इंतजाम कर दिजिये उसके बाद हम आराम से बाहर जा सकेंगें। एक पल रुक कर वह फिर से बोली… इसके बारे मे मेरी मकान मालिक से बात हुई थी। वह एक गरीब परिवार की सिफारिश कर रहे थे। मियाँ बीवी और लड़का है। आदमी चौकीदारी का काम संभाल लेगा, उसकी बीवी खाने और सफाई का काम कर लेगी और उसका बेटा छोटा मोटा बाजार का काम कर दिया करेगा। उन्हें अगर आप पार्किंग के पीछे वाला कमरा रहने के लिये दे देंगें तो वह आराम से यहाँ काम कर लेंगें। अब आप बताईये कि क्या करना है? मैने अपने सिर पर और कोई परेशानी पालने के बजाय जल्दी से कहा… अंजली, इस कारोबार, आफिस और घर की तुम मालकिन हो तो जो तुम्हें ठीक लगे वह करो। इस घर और आफिस मे मेरी नहीं चलती।

मैने अपना फोन निकाला और टेक-अवे को फोन करने के लिये जैसे ही नम्बर मिलाने लगा तो तबस्सुम ने मेरा हाथ पकड़ कर बोली… इस घर की मालिक कौन? …आप। …तो खाना मत मंगाओ। आज हमने पार्टी का इंतजाम किया है। मेरी नजरे तबस्सुम पर से हट नहीं रही थी। पता नही कब और कैसे उसमे इतना आत्मविश्वास आ गया था। इस आत्मविश्वास की झलक मैने गड़ी के बस स्टाप पर देखी थी परन्तु जब से उसने सीमा पार करी थी तभी से उसमे झिझक और शर्म ही देखी थी। जब से उसने फारुख की बात सुनी थी तभी से वह चुप ही रहती थी। कभी-कभी वह गुस्से मे मुझसे खुल कर बात कर लिया करती थी अन्यथा वह बस चुपचाप रहती थी। जबसे उसे शिखा का साथ मिला तब से मैने नोट किया था कि वह अपने असली स्वरुप मे आ गयी थी।

आज उसने जिस तरीके से सारा काम संभाला था उसने मुझे काफी प्रभावित किया था। नेपाल मे कारोबार जमाने के पीछे मेरा सिर्फ एक मकसद था कि किसी तरह तबस्सुम का भविष्य सुरक्षित हो जाये और इसी कारण मैने गोपीनाथ की सरकारी मदद के लिये तुरन्त मना कर दिया था। अगर सरकार का पैसा लगता तो फिर आज नहीं तो कल कोई और दिल्ली से आकर सारे कारोबार पर काबिज हो जाता। सारा पैसा आईएसआई का लगा था इसलिये भारत सरकार का इस कारोबार पर किसी भी प्रकार का कोई नियन्त्रण अथवा हक नहीं था। पूरे कारोबार पर मालिकाना हक सिर्फ अंजली और समीर कौल का था। इसके कारण कम से कम तबस्सुम का भविष्य हमेशा के लिये सुरक्षित हो गया था। अब वह किसी की मोहताज नहीं थी।   

थोड़ी देर मे ही डाईनिंग टेबल पर खाने पीने का सामान सज चुका था। खाने की महक से मेरी भूख भड़क उठी थी। सुबह नाश्ता खा कर निकला था उसके बाद तो पानी पीने का समय भी नसीब नहीं हुआ था। मेज पर रखी हुई कुछ बोतलों को देख कर मैने पूछा… यह क्या है? …यहाँ की साफ्ट ड्रिंक्स है। इतना बोल कर उसने तीन बोतल के ढक्कन निकाल कर एक बोतल मुझे पकड़ा दी और दूसरी आरफा के हाथ मे थमा कर बोली… हमारी शादी की खुशी मे चीयर्स। उसने अपनी बोतल मुँह से लगायी और एक लम्बा सा घूँट भर कर जल्दी से गटक कर बोली… यह कोका कोला जैसी तो हर्गिज नहीं है। मैने बोतल को मेज पर रख कर मटन के पीस का लुत्फ ले रहा था। आरफा ने भी घूँट भरा तो उसने भी कहा… हाँ यह कोई यहाँ की घटिया साफ्ट ड्रिंक है। मै तो अपनी भूख शान्त करने मे लगा हुआ था। उन दोनो की बातें सुन कर मैने एक घूँट भरा तो पल भर मे ही समझ मे आ गया था कि साफ्ट ड्रिंक्स के चक्कर मे नेपाली लोकल बियर ले आयी थी। तब तक दोनो ने आधी बोतल समाप्त कर दी थी।

…तुम्हें पता है कि तुम दोनो क्या पी रही हो? एक पल के लिये दोनो पीते-पीते रुक गयी थी। …क्या है? उन्हें झटका देने के लिये मैने जल्दी से कहा… तुम दोनो शराब पी रही हो। एकाएक दोनो एक साथ बोल उठी तौबा-तौबा-तौबा और दोनो बोतलें मेज पर रख कर बोली… कल उसका सिर फोड़ देंगें। …किसका सिर फोड़ दोगी? …यह सामने दुकान वाले के लड़के से हमने खाना और कोका कोला लाने के लिये कहा था। वह यह ले आया। एक बार फिर से उनकी तौबा आरंभ हो गयी थी। मैने हंसते हुए कहा… दोनो ही पागल हो गयी हो। यह शराब नहीं है। जौ का पानी है। यह बियर है जिसको विदेशी लोग लोग साफ्ट ड्रिंक्स की तरह पीते है। वह बेचारा नहीं जानता था कि तुम इसे हराम समझती हो। वह दोनो अविश्वास भरी नजरों से मुझे ताक रही थी। …बानो मुझसे तो तुम बात नहीं करोगी लेकिन यह भी जान लो कि अंजली के मुँह से तौबा जैसा शब्द कभी नहीं निकलेगा। तुम एक बार फिर सोच लो कि तबस्सुम बने रहना है कि अंजली बनना है। मैने आराम से एक लम्बा सा घूँट भरा और एक बार फिर से खाने बैठ गया था। अचानक तबस्सुम ने अपनी बोतल उठाई और एक ही साँस मे उसे खाली करके कहा… मै अंजली ही रहूँगी। तबस्सुम तो उसी दिन मर गयी थी जिस दिन वह बिना बताये अपने घर से निकली थी। यह बोलते हुए उसकी आवाज भर्रा गयी थी।

मै कुछ नहीं बोला और अपनी बोतल खाली करके कहा… अंजली प्लीज एक बोतल और खोल देना। उसने दो बोतल खोली और एक बोतल मुझे देकर बोली… अब जब आपके साथ दोजख मे रहने का फैसला कर लिया तो फिर किस से और क्यों डरना। उसने बोल कर एक घूँट भर लिया था। आरफा ने भी देखादेखी अपनी बोतल उठा कर पीना आरंभ कर दिया था। …अंजली, खाली पेट मत पियो। कुछ खाती भी जाओ तो अच्छा लगेगा। हम तीनों ने आराम से खाना खाया और बियर की बची हुई सभी बोतल समाप्त करके आराम से बैठ गये थे। हल्का सा सुरुर मेरे दिमाग पर छा गया था। आरफा और तबस्सुम दोनो शान्त हो कर बैठ गयी थी। मै उठा और सारी खाली बोतलें उठा कर डस्टबिन मे डाल दी। मेज पर बिखरा हुआ सामान मैने इकठ्ठा किया और किचन मे रख कर अपने कमरे मे चला गया था। मैने अपने कपड़े उतारे और गर्म टी-शर्ट और बाक्सर पहने अपने बिस्तर पर लेट गया था। थोड़ी देर मे नींद मुझ पर हावी हो गयी थी। मै अपने सपनों की दुनिया मे खो गया था। मुझे याद नहीं कि तबस्सुम मेरे पास कब आयी थी लेकिन जब मेरी आँख खुली तो वह मेरे साथ गहरी नींद मे सो रही थी। शब-ए-वस्ल के उसके टूटे हुए अरमानों के बारे मे सोचते हुए मै जल्दी से उठ कर तैयार होने के लिये चल दिया था।

मै जल्दी से तैयार होकर अपनी गाड़ी मे बैठा और अपने बैंक की ओर चल दिया था। सबसे पहले बैंक पहुँच कर मैने वीके के कहे अनुसार कंपनी अकाउन्ट से दो करोड़ रुपये बाबाजी की कंपनी को इलेक्ट्रानिक ट्रांस्फर करवा दिये थे। उसकी रसीद लेने के बाद मैने दो लाख रुपये नगद निकाले क्योंकि शाम तक मुझे एक लाख का पेमेन्ट करना था। कुछ और सामान कुरियन ने लिखवाया था वह भी खरीदना था। पैसे निकाल कर मै सीधे गोदाम पहुँचा तो कैप्टेन यादव मुझे बाहर मिल गया था। …कैसा काम चल रहा है? …सर, उनका काम तो बहुत तेज चल रहा है। दो घंटे मे वह टावर से सड़क तक पहुँच गये है। …उन्हें एक मीटर गहरायी का गड्डा करना है। …चलिये सर, आप खुद अपनी आँखों से देख लिजिये। हम दोनो उस जगह  पहुँच गये जहाँ खुदाई चल रही थी। एक आदमी के हाथ मे हिल्टी थी और दो लोग गड्डे मे से मिट्टी निकाल कर बाहर किनारे मे डाल रहे थे। वहीं पर कुरियन नीचे उतर कर गड्डे की नपाई कर रहा था। वह लोग तो बड़ी तेजी से अपना काम पूरा करने मे लगे हुए थे। कुछ देर वहाँ बिता कर हम लोग गोदाम पर वापिस आ गये थे।

…कुरियन साहब, आपने वह जगह देख ली जहाँ आपने अपना सेन्टर बनाना है। …हाँ। आफिस के पीछे बने हुए हाल को कम्युनिकेशन सेन्टर बनाना है। वहाँ पर बिजली के पोइन्ट्स बहुत कम है। तभी यादव ने कहा… हमने इनसे निशान लगवा लिये है। हमारा बोम्ब एक्स्पर्ट जमीर लाइन बिछा रहा है। इन्हें शाम तक सारे पोइन्ट्स मिल जाएँगें। हम बात करते हुए गोदाम से बाहर निकल आये थे कि तभी एनटीसी का ट्रक हमारे गोदाम के बाहर आकर रुका और उसमे से थापा नीचे उतर कर मेरे पास आकर बोला… नमस्ते साहब, बिस्ट जी ने एडवांस मंगाया है। मैने एक नोटों की गड्डी उसे देते हुए कहा… शाम को पर्मिशन की कापी देकर बाकी की रकम यही से मिल जाएगी। उसने गड्डी जेब मे डाल कर पूछा… कैसा काम चल रहा है साहब? …बहुत अच्छा काम चल रहा है। बस इसी तरह काम करते रहे तो समय से पहले पूरा हो जाएगा। उसने विदा ली और वह वापिस चला गया।

…सर, इस हफ्ते सारे काम समाप्त हो जाएँगे तो फिर आगे क्या करना है। …कैप्टेन, दो दिन बाद शुक्रवार है। यहाँ से जाने वाले बिलावल ट्रांस्पोर्ट के ट्रक पर नजर रखनी है। …सर, यहाँ से दिन भर मे उनके बहुत से ट्रक निकलते है। कौन से ट्रक पर नजर रखनी है? …उस ट्रक की तीन निशानियाँ है। पहला वह शुक्रवार की रात को यहाँ से निकलेगा, दूसरा उसके साथ एक जीप चल रही होगी जिसमे कुछ हथियारों से लैस फिदायीन बैठे हुए होंगे और तीसरी बहुत जरुरी निशानी है वह सील्ड कंटेनर ट्रक होगा। हमे बस अपनी आँखें खुली रखनी है। कैप्टेन यादव अब आप उस ट्रक को इन्ट्र्सेप्ट करने की एक फूलप्रूफ योजना तैयार करिये। आपके इंटर्सेपशन के लिये खतरा ट्रक के बजाय जीप मे बैठे हुए फिदायीन से होगा। उस ट्रक का सारा सामान निकाल कर खाली ट्रक को एक्सीडेन्ट का रुप देना है। यही सबसे मुश्किल काम होगा। फिलहाल मै चलता हूँ और शाम को आऊँगा क्योंकि उसका हिसाब भी करना है तब बैठ कर इस मसले का हल खोजेंगें। गोदाम से निकल कर मैने भारतीय दूतावास मे कार्यरत मनोहर लाल से फोन से बात करके पता किया कि डिश और आप्टिक फाईबर केबल कहाँ मिल सकती है। उसने दूतावास के कुछ सप्लायर्स के नाम और पते दे दिये और मै उनसे मिलने के लिये निकल गया था।

तीन चार सप्लायर्स से पूछ्ताछ और मोल भाव करके दो एलसीडी फ्लैट 80” स्क्रीन के टीवी, 108” की दो छतरियाँ और 200 मीटर आप्टिक फाईबर केबल खरीद कर मै अपने आफिस की ओर चल दिया था। सुबह उन्हें सोता हुआ छोड़ आया था तो सोचा चल कर देख लिया जाये कि अब उन दोनो की क्या हालत है।। मैने जैसे ही अपनी गाड़ी आफिस के आगे रोकी अचानक एक आदमी हाथ मे डंडा लिये दौड़ कर मेरे पास आकर बोला… साबजी किससे मिलना है? मै समझ गया की मालकिन ने निर्णय लेना आरंभ कर दिया है। अपनी गाड़ी से उतर कर अन्दर जाते हुए मैने पूछा… क्या नाम है तुम्हारा? …नारायन बहादुर। …देखो बहादुर तुमने आज से काम शुरु किया है। तुम्हारे कमरे मे अगर किसी चीज की जरुरत हो तो बता देना। यह बोल कर मै अन्दर चला गया था। पहली मंजिल पर पहुँच कर जैसे ही मै अन्दर दाखिल हुआ तो मेरी नजर अपने मकान मालिक पर पड़ी थी। वह मुझे देख कर बोला… समीर, पहले तो आप मिलते थे लेकिन जबसे एग्रीमेन्ट साईन हुआ उसके बाद से तो आप दिखे ही नहीं। आपकी मिसेज से बात करके चला जाता था। मेरी आवाज सुन कर तबस्सुम भी वहीं आ गयी थी। …आप ठीक कह रहे है। काम के सिलसिले मे दिल्ली गया हुआ था। क्या आपका सारा काम खत्म हो गया? …हाँ जी। मैने अंजली जी को सब दिखा दिया है। आज तो मै नारायन को छोड़ने आया था। …कौन नारायन बहादुर? …जी। बेहद इमानदार आदमी है। इसके पिता के समय मै उसे जानता हूँ। …धन्यवाद, उसका परिवार नहीं आया? …आ गया है। वह किचन मे काम कर रही है।

अंजली ने कहा… मै इनसे अपने कारोबार के बारे मे बात कर रही थी। इन्होंने तीस साल यहाँ पर एक भारतीय कम्पनी के लिये काम किया है। यह उसकी मार्किटिंग का काम देखते थे। मै उनसे यहाँ के हालात समझने की कोशिश कर रही थी। …अरे मुझे आपने कभी नहीं बताया कि आप मार्किटिंग मे थे। …समीर जी, आपने कभी पूछा नहीं तो मै कैसे बताता। वह तो अंजली जी ने पूछा तो मैने बता दिया था। मैने झेंपते हुए कहा… यही उसमे और मुझमे फर्क है। तबस्सुम ने जल्दी से कहा… हम इन्हें अपनी कंपनी मे क्यों नहीं रख लेते? मैने अपने हाथ खड़े करते हुए कहा… तुम यहाँ के कारोबार की मालकिन हो और यह तुम्हारा काम है किसे रखना है और किसे नहीं। मुझे माफ करो। तबस्सुम ने तुरन्त कहा… अंकल, क्या आप हमारे साथ काम करेंगें? …अंजली जी, काम के लिये मै कभी नहीं मना करुँगा लेकिन अब मै ज्यादा भाग दौड़ करने की स्थिति मे नहीं हूँ। …अंकल आपको भागदौड़ करने की जरुरत नहीं है। यहाँ आफिस मे बैठ कर आप लोगों से तो काम करवा सकते है। आप अपनी एक टीम बनाईये और उसे भगाईये। यह तो आप आसानी से कर सकते है। अचानक अंजली के अंकलजी सोच मे पड़ गये थे। कुछ सोचने के बाद वह धीरे से बोले… ठीक है लेकिन मेरी एक शर्त है कि मै तुमसे पैसे नहीं लूँगा। मेरा वक्त अच्छे से कट जाएगा तो यह क्या कम बात है। वैसे भी सुबह से शाम तक घर मे पड़ा रहता हूँ। यहाँ आउँगा तो हाथ-पाँव चलते रहेंगें। …ठीक है अंकल लेकिन फिर मेरी भी एक शर्त है कि आप मुझे अंजली कहिये और इन्हें समीर। वह जोर से हंसते हुए बोला… तुम दोनो तो मेरे बच्चे जैसे हो। अच्छा मै चलता हूँ। जब तुम्हारा काम शुरु हो जाए तो मुझे बता देना। …अंकल आपका काम आज से शुरु हो गया है। आप अपनी टीम का चयन करना आरंभ कर दिजिये। …ठीक है बेटा। मै कुछ अनुभवी लोगो से बात करके देखता हूँ। इतनी बात करके वह चला गया था।

…अंजली मै यहाँ लंच के लिये आया था। तुम अब अपने कारोबार मे ऐसे उलझ गयी कि अब मेरे लिये तुम्हारे पास वक्त नहीं है। मै बोल कर चुका था कि डाईनिंग टेबल पर खाना लगना शुरु हो गया था। मैने तबस्सुम की ओर देखा तो उसके चेहरे पर एक गर्वीली मुस्कान खिंची हुई थी। मै चुपचाप खाना खाने बैठ गया था। …अंजली, लंच के बाद मेरे साथ बैंक चल कर अपना अकाउन्ट खोल लो जिससे रोजमर्रा का घर खर्च आसानी से चलाया जा सकेगा। कल की पार्टी के पैसे कहाँ से आये? …आपकी जेब से। …क्या मतलब? जवाब देने के बजाय अचानक खाते हुए उसका चेहरा लाल हो गया था। …इसीलिये कह रहा हूँ कि अकाउन्ट खुलवा लोगी तो फिर मेरी जेब की ओर देखने की जरुरत नहीं पड़ेगी। खाना समाप्त करके वह मेरे साथ बैंक चली गयी थी। उसका अकाउन्ट खुलवा कर हम वापिस लौट रहे थे। …आपको कल रात बुरा तो नहीं लगा कि हम पहली रात साथ नहीं गुजार सके। उसने जिस तरह से कहा था मुझे लगा कि कल की बात सोच कर वह पछ्ता रही थी। …बिना निकाह किये रोज मेरे साथ सोती थी तो एक दिन नहीं सोई तो क्या हो गया। वैसे सच पूछो कल मुझे भी नशा ज्यादा हो गया था। मै तो सोच रहा था कि तुम मुझसे नाराज होगी इसीलिये मै दोपहर को घर का तापमान देखने के लिये आ गया था। उसने कुछ नहीं कहा बस मुस्कुरा दी थी।

वह अचानक बोली… उनसे बात करके क्या मैने सही निर्णय लिया है? …क्यों इसमे गलत क्या है। वह यहाँ की सारी व्यवस्था को जानते है। उनके अनुभव से तुम्हें काम सीखने का मौका मिलेगा। मैने एक हाथ से कन्धे को थपथपा कर कहा… तुमने बिल्कुल सही निर्णय लिया है। उन्हें पैसे देने के हजार रास्ते है। उनका किराया बढ़ा दोगी तो भी उनके पास पैसे पहुँच जाएँगें। …यह काम कब से शुरु होगा? …आज ही कंपनी को दो करोड़ रुपये ट्रांस्फर किये है। उम्मीद है कि इस महीने के अन्त तक तुम्हारा काम शुरु हो जाएगा। उसकी खामोशी को महसूस करते हुए मैने उसकी ओर देखा तो वह मुझे घूर रही थी। …क्या हुआ? वह हैरानी से बोली… आपने आज दो करोड़ रुपये ट्रांस्फर किये है। …हाँ तो इसमे क्या हुआ? …इतने पैसे आपके पास आये कहाँ से? मुँह से निकली बात और कमान से निकला तीर कभी वापिस नहीं लिया जा सकता तो उसी क्षण मुझे अपनी भूल का एहसास हो गया था। अब सिर्फ बात संभालने की कोशिश की जा सकती थी। …मैने कब कहा मेरे दो करोड़ रुपये है। …तो फिर? …गोल्डन इम्पेक्स कंपनी को मैने दो करोड़ रुपये की निजि गारंटी पर बैंक के पास रहन रखा है। बैंक ने वह पैसे आज उस कंपनी को ट्रांस्फर किये है जिसके बदले मे वह कंपनी हमे दो करोड़ का सामान एक साल मे देगी। उस सामान को बेच कर जो कमाई होगी वह वापिस बैंक मे जमा हो जाएगी। बैंक अपना पैसा और सूद काट कर बाकी जो पैसा बचेगा वह हमारी कमाई होगी जिससे हम लोगों की तन्ख्वाह और आफिस के अन्य खर्च निकालेंगें। उसके बाद जो पैसा बचेगा वह कंपनी का मुनाफा होगा जो तुम्हारे अकाउन्ट मे जमा हो जाएगा। मेरी बातों मे वह कुछ देर के लिये उलझ कर रह गयी थी। आफिस पहुँच कर सबसे पहले वीके के द्वारा भेजे गये कागजों को उसे दिखाते हुए कहा… अंजली यह वह कागज है जिन पर दस्तखत करके इस कंपनी का सारा भविष्य तुम्हारे हाथों मे दे दिया है। इतना बोल कर मै उन कागजों पर साइन करने बैठ गया था। उसने उन कागजों को उठा कर कुछ देर देखा और वापिस रखते हुए वह बोली… इसकी क्या जरुरत थी। मैने सारे कागज साईन करके उसी लिफाफे मे डाल कर सील करके कहा… अबसे तुम इस कंपनी की आधी मालकिन और कार्यकारी निदेशक बन गयी हो।

उस सील्ड पैकेट पर वीके का नाम लिख कर अपनी गाड़ी मे रख कर मै गोदाम की ओर चल दिया था। गोदाम पर सभी अपने काम मे लगे हुए थे। मुझे देख कर कैप्टेन यादव और लेफ्टीनेन्ट सावरकर मेरी ओर आ गये थे। हमने बात करनी शुरु ही की थी कि गार्ड ड्युटी पर तैनात आदमी ने किसी के आने का इशारा किया तो हम तीनो गोदाम के शटर की ओर चले गये थे। बिस्ट अपने ट्रक से उतर कर हमारी ओर आ गया था। बिस्ट ने एक लिफाफा मेरी ओर बढ़ाते हुए कहा… समीर सर, यह आपकी पर्मिशन है। आप अपना रिसीविंग युनिट हमारे टावर पर लगा सकते है। यह सारे कागजी कार्यवाही की कापी जिसके आधार पर आपको पर्मिशन दी गयी है। यह पुलिस रिपोर्ट जिसके कारण सड़क की खुदाई करके तार बिछायी जा सकती है। मैने सारे कागज देख कर अपनी जेब से एक गड्डी निकाल कर उसकी ओर बढ़ाते हुए कहा… बिस्ट साहब आपने कमाल कर दिया है। वह झेंपते हुए बोला… साहबजी यह हमारा रोज का काम है। तभी कुरियन आते हुए बोला… बिस्ट साहब क्या कल कुछ देर के लिये आपकी बकेट ट्रक का इस्तेमाल कर सकते है? …हाँ लेकिन किस काम के लिये यह ट्रक आपको चाहिये? …वह छतरी शेड की छत पर लगानी है। …अरे सर आपको जब लगवाना हो तो सिर्फ फोन कर दिजियेगा। मेरे आदमी रोज यही काम करते है। वह खुद छतरी को फिट कर देंगें बस आप उन्हें जगह बता दिजियेगा। कुछ देर बात करने के बाद बिस्ट वापिस चला गया था। मैने कार से वीके के नाम का पैकेट निकाल कर अय्यर को देते हुए कहा… यह कृप्या वीके साहब को दे दिजियेगा। उसने तुरन्त उस पैकेट को अपने बैग मे रखते हुए कहा… अच्छा किया कि आपने इस पैकेट को यहीं दे दिया वर्ना लौटने की जल्दबाजी में अक्सर मै सामान रखना भूल जाता हूँ। अय्यर मेरे साथ चलते हुए कम्युनिकेशन सेन्टर मे आ गया था। कुरियन और शर्मा आराम से बैठ कर अगले कार्य की चर्चा कर रहे थे। …कुरियन साहब, आपका काम कहाँ तक पहुँच गया है? …मेजर साहब, सेन्टर का मूलभूत ढांचा तो लगभग तैयार हो गया है। कल तक यहाँ के सारे कनेक्शन पूरे हो जाएँगें और दोपहर के बाद आपके उस हाल मे काम करना आरंभ कर देंगें। मै वहाँ कुछ देर बैठ कर सबसे विदा लेकर आफिस की दिशा मे निकल गया था।

आफिस के बाहर कुछ गाड़ियाँ खड़ी थी। नारायन ने मेरी गाड़ी पहचानते ही लोहे का गेट खोल दिया था। अपनी गाड़ी को पार्किंग मे खड़ी करके जैसे ही गाड़ी से उतरा कि नारायन ने जल्दी से कहा… साहबजी आपसे मिलने कुछ लोग आये हुए है। उनके पास हथियार भी है। मेरा हाथ तुरन्त अपनी कमर की ओर चला गया था। ग्लाक नदारद थी। उसे तो मैने आज ही गोदाम मे अन्य हथियारों के साथ रख दिया था। इसी के साथ मेरी धड़कन बढ़ गयी थी।

7 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही जबरदस्त अंक और तबस्सुम/ अंजली का यह रूप बहुत ही मनमोहक और उसकी बुधिमानिता दिखाती है कैसे उसने अपने शादी के सारी सरकारी काम खुद कर लिए बिना समीर के। वहीं समीर की कमांड सेंटर भी बनना शुरू हो चुकी है मगर आखरी समय में कौन आगया अभी समीर के घर?

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    1. शुक्रिया अल्फा भाई। अब नेपाल आप्रेशन की सभी तैयारी पूरी होने जा रही है तो बदलाव तो आना उचित है। दुश्मन भी वार करने के लिये अपनी तैयारी मे जुटा है। इसका क्या परिणाम होगा आगे देखते है।

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  2. last main dharkan badhakar rakh diya sir ab aglipost tak dil sochta rahega

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    1. धन्यवाद साईरस भाई। अभी से धड़कन बढ़ाने की जरुरत नहीं है। अभी बहुत से ऐसे मुकाम देखने को मिलेंगें। कहानी के साथ जुड़ने के लिये शुक्रिया।

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  3. बानो का अंजलीमे ट्रान्सफॉरमेशन शादीसे स्मूथली हो गया, दुसरी ओर कमांड सेंटर का काम भी सुचारू रूपसे आगे बढ रहा, अंजली का बिझनेस सेन्स गजब का दिख रहा, वो जितणा इसमे रुचि लेगी उतनी समीरकी उलझणे कम होगी ऐसा लगता है, वैसे ये उलझणे कुछ हालातने और जादातर समीरने खुदसे पैदा की है😂😂😂और खुद बानोकी जिंदगी भी अंजलीके रूपमे स्थिर हो जाएगी ऐसा लगता तो है🤔

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    1. प्रशांत भाई कहानी के सभी पात्रों मे परिस्थिति के अनुसार बदलाव आना जरुरी है। तीनो पात्र हालात और परिस्थिति के कारण एक दूसरे के साथ उलझे हुए है।

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  4. समीर की लाडली बेरेटा नहीं स्पेशल फोर्सेज की स्टेंन्डर्ड पिस्टल ग्लाक-17 है। यूएस फ़ोर्सेज मे बेरेटा का चलन ज्यादा है। अब तैयारी पूरी हो गयी है और सत्य कहा कि अब माहौल गर्माने लगा है। प्रशांत भाई धन्यवाद।

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