गहरी चाल-18
सुबह से मेरे उपर
अचानक काफी काम का दबाव आ गया था। सुबह उठते ही गोदाम से खबर आ गयी थी कि एनटीसी वालों
को आप्टिक फाइबर की केबल डालनी है तो उन तीनो को गोदाम पर बुलाया है। मै उनको गोदाम
पर छोड़ने चला गया था। जब वहाँ से लौटा तब तक सप्लायर का ट्रक मेरे आफिस के बाहर खड़ा
हुआ मेरा इंतजार कर रहा था। अपने साथियों की मदद से मैने सारा सामान चेक करके उतरवा
कर अन्दर रखवा कर मै तैयार होने के लिये चला गया था। जब तक तैयार होकर नाश्ता खाने
बैठा कि तभी गोदाम से फोन आया कि कुछ सामान की और जरुरत पड़ेगी। मुझे बैंक से भी कैश
निकालना था क्योंकि अगर उन लोगों ने आज शाम तक सारा काम समाप्त कर लिया तो बाकी के
पैसे देने होंगें। मै अपने साथ तबस्सुम को लेकर पहले बैंक गया और उसको चेक देकर पैसे
निकालने के लिये वहाँ छोड़ कर सप्लायर के पास चला गया था। उससे सामान लेकर मै वापिस
बैंक गया और तबस्सुम को लेकर जब तक वापिस लौटा तो एक मुसीबत मेरी राह ताक रही थी।
नूर मोहम्मद और उसकी
पत्नी शबाना मेरे घर पर बैठ कर मेरा इंतजार कर रही थी। मुझे देखते ही नूर मोहम्मद ने
कहा… आज मै अपनी बीवी के साथ तुम्हारे घर पर दावत का निमन्त्रण देने के लिये आया हूँ।
तुमने देख लिया होगा कि मेरा एक भी आदमी तुम्हारे घर के आसपास खड़ा नहीं है। मैने भी
जल्दी से रंग बदलते हुए कहा… आप मुझे शर्मिन्दा कर रहे है। उस दिन आपके जाने के बाद
अंजली ने पहले ही मुझे बहुत कुछ सुना दिया है। …नहीं समीर, आपने सही कहा था कि जब किसी
परिवार से मिलने जाएँ तो एक परिवार की तरह जाना चाहिये। अपनी गलती सुधारने के लिये
आज अपनी शरीक-ए-हयात शबाना को लेकर आया हूँ। मैने घर पर एक दावत रखी है। मै चाहता हूँ
कि अंजली और आप हमारी खुशियों मे जरुर शामिल होने चाहिये। …जरुर यह आपकी जर्रानवाजी
है। हम जरुर शामिल होंगे। वैसे भी अंजली और मै इस जगह के लिये बिल्कुल नये है तो किसी
से हमारी ज्यादा जान पहचान भी नहीं है। वह कुछ देर बैठ कर चला गया था। उसके जाते ही
एक बार फिर से पूरे कमरे की चेकिंग करवा कर ही वहाँ बैठने की हिम्मत जुटा सका था।
उनके जाते ही गोदाम
से फोन आ गया कि वहाँ का सारा काम समाप्त हो गया है और संचार केन्द्र सुचारु रुप से
काम कर रहा है। तबस्सुम से पैसे लेकर मै गोदाम की ओर चल दिया था। वहाँ पहुँच कर मै
सीधे गोदाम नहीं गया था। सबसे पहले मै संचार टावर पर चला गया था। सब कुछ पहले जैसा
ही लग रहा था। सारे रास्ते के पाईप को मिट्टी के नीचे दबा दिया गया था। हमारे संचार
माध्यम पर कोई बाहर से नुकसान नहीं पहुँचा सकता था। जब पूरी तरह से आश्वस्त हो गया
तब मैने गोदाम मे प्रवेश किया था। गार्ड ड्युटी पर तैनात सैनिक को छोड़ कर बाकी सभी
उस हाल मे विस्मय से इस नये अजूबे को देख रहे थे। मै भी उनके काम से काफी प्रभावित
हो गया था। …मै जनरल रंधावा से बात करना चाहता हूँ। कुशाल सिंह ने एक कंप्युटर टर्मिनल
पर बैठ कर कुछ टाइप किया और अगले ही पल जनरल रंधावा का चेहरा स्क्रीन पर आ गया था।
…मेजर, कैसा काम चल रहा है। उनकी आवाज मेरे कान पर लगे हुए हेडफोन पर गूंजी तो मैने
जल्दी से कहा… यह उसी काम का परिणाम है सर कि अब हम आराम से बात कर रहे है। कुछ देर
बात करने के बाद मैने लाईन काट कर कहा… मुझे नूर मोहम्मद के गोदाम को स्क्रीन पर दिखाईये।
कुशाल सिंह ने किसी से बात की और मुश्किल से तीन मिनट मे नूर मोहम्मद के गोदाम का दृश्य
स्क्रीन पर आ गया था। दो ट्रक रैम्प के पास खड़े हुए थे और उनमे सामान रखवाया जा रहा
था। ऐसे ही मैने एक दो और चीजे टेस्ट करके कुरियन की पीठ थपथपाकर कहा… ग्रेट जाब डन।
अबकी बार अय्यर ने
कहा… मेजर, आपके हाल मे भी इसी प्रकार का सिस्टम स्थापित होगा। एक बात का ख्याल रखियेगा
कि आपका संपर्क यहाँ से होगा। कमांड सेन्टर से संपर्क स्थापित करने के लिये आपको यहाँ
पर संपर्क स्थापित करना पड़ेगा उसके बाद ही आप कमांड सेन्टर मे बात कर सकेंगें। आपको
यहाँ की सुरक्षा व्यवस्था के लिये कुछ नये इंतजाम करने पड़ेंगें। स्क्रीन और टर्मिनल
प्रतिबन्धित क्षेत्र होना चाहिये। हर कोई उस ओर नहीं जा सकता है। इसके लिये आपको आधुनिक
सिक्युरिटी सिस्टम की व्यवस्था करनी पड़ेगी। बाकी जगह मे आप मीटिंग और बैठने की व्यवस्था
कर सकते है। एक टर्मिनल इसीलिये दूर लगाया है कि उसके द्वारा यहाँ से आप अपने आफिस
के साथ संपर्क मे रह सकते है। उसके बाद कुरियन ने बताया कि कुशाल सिंह के साथ उन दोनो
को भी इस सिस्टम पर काम करने के लिये प्रशिक्षित कर दिया गया है। हम अभी बात कर रहे
थे कि गार्ड ड्युटी पर तैनात सैनिक ने किसी के आने का इशारा किया तो हम हाल से निकल
कर नीचे चले आये थे। हमारे साथी ने जैसे ही शटर खोला हमारी नजर एनटीसी के ट्रक पर पड़
गयी थी। बिस्ट और थापा दोनो गोदाम की ओर आ रहे थे।
…समीर साहब, आज तीसरा
दिन है और हमारा काम पूरा हो गया है। …बिल्कुल आपने अपना काम बड़ी मुस्तैदी से किया
है। मैने दो लाख रुपये उसकी ओर बढ़ाते हुए कहा… अब आपकी जिम्मेदारी बढ़ गयी है। बिस्ट
ने गड्डियाँ गिन कर अपनी जेब के हवाले करने बाद कहा… आपको यह कहने की जरुरत ही नहीं
है। आपके कहने से पहले मैने अपने एक टेक्निशियन की ड्युटी उस टावर पर ही स्थायी रुप
से लगा दी है। कोई भी परेशानी हो तो आप उसको संपर्क कर सकते है। अभी तो मै यहाँ पर
बैठा हूँ तो आप निश्चिन्त रहिये। कनेक्टिविटी मे आपको कोई परेशानी नहीं होगी। हमारी
कंपनी तार डालने के लिये इस तरह काम नहीं करती परन्तु कुरियन साहब ने हमसे दुगना काम
करवाया है। कुछ देर बात करने के बाद वह चला गया था। कुरियन ने कहा… एक डीजी सेट की
यहाँ व्यवस्था करो और एक अतिरिक्त बैटरी की व्यवस्था टावर पर करनी पड़ेगी। मै उनकी बतायी
हुई सभी चीजों को नोट कर रहा था। मैने कुछ देर कैप्टेन यादव की टीम के साथ बिताया और
रात की कार्यवाही पर चर्चा करने के बाद तीनो टेक्निश्यन्स को लेकर मै वापिस अपने आफिस
की ओर चल दिया था।
हाल मे पहुँचते ही
वह अपने काम मे जुट गये थे। उनका बताया सामान उनके हवाले करके जब तक मै अपने घर पर
पहुँचा तब तक नूर मोहम्मद की पार्टी मे जाने के लिये तबस्सुम तैयार हो चुकी थी। उसको
देखते ही मैने कहा… तुम जरुर आज बहुत लोगो को घायल करोगी। वह आज भी साड़ी मे थी। आज
भी साड़ी मे लिपटी होने के बावजूद उसके जिस्मानी उतार चड़ाव कुछ जयादा ही उभरे हुए प्रतीत
हो रहे थे। वैसे ही मीरवायज होने के कारण देखने मे तो वह सुन्दर थी परन्तु मांग मे
सिंदूर और गले मे मंगसूत्र ने उसकी काया ही पलट कर रख दी थी। कुछ पलों के लिये मै उसको
देखता रहा गया था। मुझे वह चलती फिरती कामुकता की मूर्ती लग रही थी। …अब आप तैयार हो
जाईये या मुझे ही ऐसे ही खड़े-खड़े घूरते रहेंगें। उसकी झिड़की सुन कर मै तुरन्त तैयार
होने के लिये चला गया था।
एक घंटे के बाद हम
नूर मोहम्मद के घर मे दाखिल हो गये थे। दिल्ली की पार्टियों जैसा माहौल दिख रहा था।
पार्टी का इंतजाम उसने अपने बड़े से लान मे किया था। छोटी-छोटी टिमटिमाती लाईटों से
सारा लान जगमगा रहा था। दिल्ली जैसी भीड़ नहीं थी परन्तु सभी लोग अच्छे संभ्रात परिवार
के लग रहे थे। तबस्सुम के साथ चलते हुए मुझे ऐसा लग रहा था कि सभी की नजरें उस पर जाकर
चिपक गयी थी। हम दोनो ही चुंकि नये थे तो सिर्फ नूर मोहम्मद और शबाना को ही जानते थे।
हम चलते हुए उनके पास पहुँच गये थे। वह लोगों मे घिरे हुए सबकी मुबारकबाद कुबूलने मे
व्यस्त दिखायी दे रहे थे। हम उनसे कुछ दूर खड़े हो कर उनके सामने लगी हुई भीड़ के छँटने
का इंतजार कर रहे थे। …मै कुछ पीने के लिये लेकर आता हूँ तब तक तुम यहीं रहो… कह कर
मै ड्रिंक्स के काउन्टर पर चला गया था। काउन्टर पर शराब और न जाने कौन सी अलग-अलग तरह
की ड्रिंक्स का इंतजाम किया हुआ था। ऐसी स्थितियों मे ज्यादातर मै सिर्फ वही पीता था
जिसके बारे मे जानता था। मैने एक व्हिस्की का प्याला और एक फ्रूट पंच लेकर कर तबस्सुम
की ओर बढ़ा तो मैने देखा कि वह किसी आदमी के साथ हंस-हंस कर बात कर रही थी। एक पल के
लिये मेरे मन मे ईर्ष्या की अनुभुति हुई लेकिन फिर अगले ही पल उसके गले मे पड़े हुए
मंगलसूत्र को देख कर वह तुरन्त काफुर भी हो गयी थी।
उनके पास पहुँच कर
मैने तबस्सुम की ओर फ्रूट पंच बढ़ाते हुए जैसे ही उस आदमी की ओर देखा तो एक पल के सन्न
रह गया था। …जनाब, मुझे लोग शुजाल बेग के नाम से जानते है। इन्हें अकेली खड़ी देख कर
दिल के हाथों मजबूर हो गया और इनसे मिलने चला आया। मै तब तक संभल गया था। मै उसके बारे
मे पहले से बहुत कुछ जानता था। वह आईएसआई का सबसे बदनाम अफसर और कसाई के नाम से जाना
जाता था। यहाँ पर वह बेहद संजीदा और समझदार आदमी की तरह पेश आ रहा था। …मेरा नाम समीर
कौल है और यह मेरी पत्नी अंजली है। आपसे मिल कर बड़ी खुशी हुई। सौरी मुझे पता नहीं था
कि आप मेरी पत्नी को कंपनी देने के लिये आ जाएँगें वर्ना मै आपके लिये भी ड्रिंक्स
ले आता। आप अगर व्हिस्की पीते है तो यह ले लिजिये मै दूसरी ले आऊँगा। मेरा नाम सुन
कर एक बार उसकी आंखे सिकुड़ गयी थी। वह जल्दी ही संभलते हुए बोला… मैने आप दोनो को पहले
किसी और पार्टी मे नहीं देखा है। क्या आप इस शहर मे नये है? मैने हंसते हुए कहा… जनाब,
जब इनके साथ नहीं होता तो कोई मेरी ओर दूसरी बार नहीं देखता है। इन्हीं के कारण मै
लोगों की नजर मे आता हूँ लेकिन आपने ठीक पहचाना कि हम इस शहर मे नये है। अबकी बार वह
मुस्कुरा कर बोला… आप मजाक अच्छा कर लेते है। तभी तबस्सुम ने कहा… वह फ्री हो गये है।
शुजाल बेग ने जल्दी से कहा… हाँ क्यों नहीं। आप चलिये। मै और तबस्सुम उनकी ओर बढ़ गये
थे। शुजाल बेग वहीं खड़ा रहा लेकिन उसकी नजर हम पर टिकी हुई थी।
…सलाम। हमारी ओर से
आपको शुभ कामनाएँ। नूर मोहम्मद बड़ी गर्मजोशी से मिला और शबाना ने स्वागत करते हुए कहा…
अंजली आओ तुम्हें अपने बच्चों से मिलवाती हूँ। …समीर, आओ तुम्हें कुछ लोगो से मिलवाता
हूँ। वह सीधा मुझे शुजाल बेग के पास ले गया था। …यह हमारे रहनुमा ब्रिगेडियर शुजाल
बेग है। पाकिस्तान दूतावस मे काम करते है। …मै इनसे अंजली के जरिये पहले ही मिल चुका
हूँ। मैने पहली बार नूर मोहम्मद को अचंभित होते हुए देखा था। उसने शुजाल बेग की ओर
देखते हुए कहा… मुझे नहीं मालूम था कि आप पहले से अंजली को जानते है। शुजाल बेग ने
ठहाका लगा कर कहा… नूर मोहम्मद, ऐसी कोई बात नहीं है। अंजली से मै यहीं पर मिला था।
समीर साहब आप क्या काम करते है? …मेरा अपना ड्र्ग्स का कारोबार है। एक भारतीय कंपनी
का मै यहाँ पर सोल एजेन्ट हूँ। मेरी बात सुन कर नूर मोहम्मद का मुँह खुला रह गया था
लेकिन जल्दी से शुजाल बेग एक बार फिर मुस्कुरा कर कहा… यह उस ड्रग्स की बात नहीं कर
रहे है। इनका दवाईयों का कारोबार है। …जी आप ठीक समझे मेरा आयुर्वेदिक दवाईयाँ और कास्मेटिक्स
का काम है। अभी हम बात कर रहे थे कि तभी मेरी नजर सिकन्दर रिजवी पर पड़ी जो हमारी ओर
आ रहा था। उसका ध्यान मेरी ओर के बजाय शुजाल बेग पर लगा हुआ था। वह हमारे पास आकर खड़ा
हुआ और बड़े अदब से झुक कर शुजाल बेग और नूर मोहम्मद को सलाम करके बोला… ब्रिगेडियर
साहब, कैसे है? यहाँ पार्टी मीटिंग मे आया था। आज इसी बहाने आप से भी मिलना हो गया।
मैने महसूस किया कि दोनो मेरी उपस्थिति मे सिकन्दर रिजवी से बात करने मे कतरा रहे थे।
…बेग साहब, अभी जो
मैने कहा था उसका जीता जागता उदाहरण आपको दे देता हूँ। सिकन्दर रिजवी साहब आपने मुझे
नहीं पहचाना। मेरा नाम समीर है। हम अंसार रजा साहब की पार्टी मे मिले थे। उस दिन प्रोबीर
मित्रा भी आपके साथ थे। मुझे पहचानते हुए वह बोला… समीर भाई, मैने आपको पहचान लिया
है। आपका तो सेब का कारोबार था। माफ किजिएगा मेरा दिमाग किसी और चीज मे लगा हुआ था।
…देख लिया बेग साहब। यह मेरे साथ अकसर होता है। अगर नीलोफर यहाँ होती तो यह मुझे फौरन
पहचान जाते। उसने सारे रास्ते आपकी बहुत तारीफ की थी। इसीलिये आपके कहने पर रोहिंग्या
शरणार्थियों के लिये अगले दिन ही मैने दस लाख रुपये देवबंद भिजवा दिये थे। मै तो सोच
रहा था कि आप मुझसे जरुर संपर्क मे रहेंगें लेकिन उसके बाद तो आप गायब हो गये थे। सिकन्दर
रिजवी मेरी बात सुन कर झेंप गया था। …नहीं समीर भाई ऐसी बात नहीं है। नूर मोहम्मद और
शुजाल बेग दोनो मुझे अब हैरानी से घूर रहे थे। एक ही झटके मे मैने तीनो को इतना उलझा
दिया था कि किसी के कुछ भी समझ मे नहीं आ रहा था। उस पर तबस्सुम ने आकर उन दोनो का
ध्यान मुझसे हटा कर अपनी ओर खींच लिया था। …रिजवी साहब, यह मेरी पत्नी अंजली है। रिजवी
की नजर अंजली पर टिक कर रह गयी थी।
अचानक शुजाल बेग ने
पूछा… समीर, आप नीलोफर को कैसे जानते है? …मै तो कश्मीर से उसे जानता हूँ। वह लोन साहब
का सेब का करोबार संभालती थी। मेरा भी सेब का कारोबार है तो मिलना जुलना होता रहता
था। क्या आप भी उस खूबसूरत नाजनीन को जानते है? अब बेग के लिये मेरे सवाल का जवाब देना
भारी हो गया था। उसने जल्दी से कहा… आप ठीक कह रहे है। उसे भी मै एक पार्टी मे मिला
था। क्या आज कल वह आपके संपर्क मे है? मैने बड़े अपनेपन से तबस्सुम की कमर मे हाथ डाल
कर अपनी ओर खींचते हुए कहा… ब्रिगेडियर साहब, क्यों मेरे घर मे आग लगाने का प्रयत्न
कर रहे है। अंजली के साथ निकाह के बाद मेरा किसी नीलोफर या अन्य किसी स्त्री से कोई
संपर्क नहीं है। उन्हीं सबको वहीं छोड़ कर तो अब यहाँ आकर इनके साथ बस गया हूँ। डार्लिंग
इनकी बात पर कोई तवज्जो मत देना। यह हमारा घर तुड़वाने की साजिश रच रहे है। एक साथ सभी
खिलखिला कर हँस दिये थे। अंजली भी मेरी बात सुन कर झेंप गयी थी। …रिजवी साहब आप वापिस
कब जा रहे है? …वह जल्दी से बोला… मै अभी दो दिन और यहाँ पर हूँ। …आप एक शाम मेरे यहाँ
डिनर किजिये। …हाँ क्यों नहीं। …आप अपना नम्बर दिजिये। मै आपके पास अपनी गाड़ी भेज दूँगा।
रिजवी ने जल्दी से अपना नम्बर देकर बोला… समीर भाई, अगर इस बार समय नहीं मिला तो अगली
बार जरुर मिल कर जाऊँगा। अचानक शुजाल बेग ने कहा… भई नूर मोहम्मद अब मुझे चलना चाहिये।
समीर साहब इजाजत दीजिये। अच्छा अंजली जी आपसे मिल कर बहुत खुशी हुई। नूर मोहम्मद ने
जल्दी से कहा… समीर, मै इन्हें बाहर तक छोड़ने जा रहा हूँ आप लोग पार्टी का मजा लिजिये।
वह दोनो हमे वहीं छोड़ कर चले गये थे।
रिजवी तबस्सुम से
बात करने व्यस्त हो गया था। मैने अपनी घड़ी पर नजर मारी तो ग्यारह बज चुके थे। अब तक
कैप्टेन यादव को फोन पर मुझे कोई न कोई खबर देनी चाहिये थी। …अंजली, चलो चल कर खाना
खा लेना चाहिये। बहुत देर हो गयी है। अंजली मेरे साथ चल दी तो सिकन्दर रिजवी ने कहा…
आप लोग शुरु किजिये मै अभी आता हूँ। मेरी नजर गेट पर लगी हुई थी। नूर मोहम्मद अभी तक
वापिस नहीं लौटा था। आज के लिये उन दोनो को सोचने के लिये मैने काफी सारी पहेलियाँ
छोड़ दी थी। मै और अंजली खाना खाने बैठ गये थे। …यह शुजाल बेग कौन है? …वह तुम से क्या
बात कर रहा था? कुछ खास नहीं। तुमने नहीं बताया कि यह आखिर कौन है? मैने टालते हुए
कहा… मै भी तो उसे आज ही मिला हूँ। बस इतना जानता हूँ कि वह पाकिस्तानी फौज मे ब्रिगेडियर
है और आजकल पाकिस्तान के दूतावास मे काम करता है। …वह नीलोफर बाजी को कैसे जानता है?
…वह नीलोफर को ही नहीं तुम्हारे अब्बा को भी बहुत अच्छे से जानता है। फारुख का जिक्र
आते ही उसके चेहरे पर तनाव की लकीरें खिंच गयी थी। मैने धीरे से उसका हाथ पकड़ कर कहा…
आराम से खाना खाओ। दोजख मे हमारा हनीमून सूट बुक है तो फिर इतनी चिन्ता क्यों कर रही
हो। मेरी बात सुन कर वह मुस्कुरा कर बोली… उस हनीमून सूट मे फूलों की सेज नहीं गर्म
तपती हुई रेत मिलेगी। …अगर तुम मेरे साथ होगी तो वह मेरे लिये फूलों की सेज है। …मेरे
बिना दोजख मे आपको कोई घुसने नहीं देगा क्योंकि वहाँ सिर्फ मोमिन ही जा सकते है, काफ़िर
नहीं। तबस्सुम से बात करते हुए मेरा ध्यान कैप्टेन की ओर लगा हुआ था। खाना खाते हुए
मैने दो बार अपना फोन निकाल कर चेक कर लिया था। हम खाना समाप्त करके वहाँ से विदा लेने
की नीयत से शबाना की ओर चले गये थे।
…शबाना जी, इजाजत
दिजिये। नूर मोहम्मद साहब नहीं दिख रहे है। काफी देर हो गयी है। अब हमे चलना चाहिये।
तभी गेट से नूर मोहम्मद आता हुआ शबाना को दिखाई दिया तो वह जल्दी से बोली… लिजिये वह
भी आ गये है। मैने मुड़ कर देखा तो नूर मोहम्मद तेजी से चलते हुए हमारी ओर आ रहा था।
हमे शबाना के साथ खड़ा हुआ देख कर बोला… समीर, मुझे माफ किजिये। कुछ काम ही ऐसा निकल
आया था कि देर हो गयी। आपने खाना खाया कि नहीं। …जनाब, हम खाना खा चुके है। आपने बेहद
लाजवाब पार्टी रखी है। दिल खुश हो गया। आप नहीं दिखे तो शबाना जी से इजाजत लेकर जा
रहे थे। आज आपके कारण कुछ लोगो से मिलना हो गया। आपका बहुत शुक्रिया और आज का दिन आप
दोनो के लिये नयी खुशियाँ लेकर आये। अच्छा शब्बा खैर। इतना बोल कर हम द्वार की ओर चल
दिये थे।
गाड़ी मे बैठते ही
मेरे फोन की घंटी बज उठी थी। मैने जल्दी से फोन कान पर लगा कर कहा… हैलो। …सर, उनके
ट्रक और जीप के साथ पाँच फिदायीन को त्रिशूली नदी मे जलमग्न कर दिया है। सारा सामान
अपने ट्रक मे रखवा कर अब हम काठमांडू की ओर निकल रहे है। सुबह से पहले हम वहाँ पहुँच
जाएँगें। …काठमांडू के नाके से कुछ दूर पहले पहुँच कर मुझे सुचित करना जिससे मै वहाँ
गोदाम से उस नाके पर नजर रखूँगा। अगर कोई गड़बड़ी होगी तो मै वहाँ पहुँच जाऊँगा। …जी
सर। इतनी बात करके उसने फोन काट दिया था। मैने गाड़ी आगे बढ़ा दी थी। एक ट्रक का नुकसान
नूर मोहम्मद को हो गया था। अब यह खबर सुन कर नूर मोहम्मद की क्या प्रतिक्रिया होगी
इसको भी जानना मेरे लिये बहुत जरुरी था। इस बार वह शुजाल बेग का कैसे सामना करेगा?
अब तक मुझे समझ मे आ गया था कि बेग की देखरेख मे यहाँ पर सब कुछ चल रहा है।
हम देर रात को अपने
घर पहुँच गये थे। रास्ते मे तबस्सुम ने नूर मोहम्मद के परिवार के बारे मे बताया था।
शबाना उसकी दूसरी बीवी थी। मै चुपचाप उसकी बात सुन रहा था। गाड़ी पार्किंग मे लगा कर
हम अपने बेडरुम मे चले गये थे। आरफा सोने जा चुकी थी। जल्दी से अपने कपड़े उतार कर मै
बिस्तर मे घुस गया था। वह अपनी शोख अदाकारी दिखाते हुए धीरे-धीरे कपड़े अपने जिस्म से
अलग करते हुए बोली… मै उस पार्टी मे कैसी लग रही थी। …दूसरो का तो पता नहीं लेकिन तुम
मुझ पर बिजलियाँ गिरा रही थी। वह हंसते हुए बोली… बेग साहब भी यही बोल रहे थे। उसने
तो न जाने किस ख्याल से कहा था परन्तु मैने कहा… बानो, आज तक मेरे मन मे किसी के प्रति
ईर्ष्या जैसी भावना नहीं आयी थी लेकिन आज तुम्हें बेग के साथ हँस-हँस का बाते करते
हुए देख कर मैने उस भावना को महसूस किया था। अचानक वह कपड़े उतारते हुए रुक गयी और मेरी
ओर देखने लगी… सच बोलिये क्या आपको ऐसा महसूस हुआ था? …क्यों तुम हो ही इतनी खूबसूरत
कि सभी की नजरें तुम पर टिकी हुई थी। वह हँसते हुए बोली… मै अभी तक आपको पत्थरदिल समझती
थी लेकिन आपकी बात सुन कर मुझे खुशी हुई कि आपने मुझे गलत सबित कर दिया। मैने चकराते
हुए कहा… क्या मतलब? …मै सोचती थी कि आपके लिये हमारी कोई अहमियत नहीं है और किसी काम
के लिये आपने हमे अपने साथ रखा हुआ है। …तुम्हें तो कम से कम ऐसा नहीं सोचना चाहिये।
तुम्हें मैने किस काम के लिये अपने साथ रखा हुआ है? वह मुस्कुरा कर बोली… पहले तो अब्बू
पर दबाव डालने के लिये और अब… इतना बोल कर वह चुप हो गयी थी। मै समझ गया कि वह क्या
कहना चाहती थी। पता नहीं उसकी बात से मेरे दिल के किसी कोने मे कहीं चोट लग गयी थी।
…बानो, आज से मेरी ओर से तुम पूरी तरह से आजाद हो। बस जिस समय मेरी जरुरत महसूस हो
तो बुला लेना। मैने तुम्हें कम से कम इस काम के लिये तो अपने साथ नहीं रखा है। यह बोल
कर मै करवट लेकर सोने की कोशिश मे लग गया था।
वह कुछ देर बाद मेरे
साथ लेटते हुए बोली… मेरी बात का बुरा मान गये। …नहीं तुमने मुझे सिर्फ आईना दिखाया
है। मुझे पकड़ कर उसने जबरदस्ती अपनी ओर खींचा तो मै उठ कर बैठ गया और उस से नजरे मिला
कर कहा… जो कुछ बोलना चाहती बोलो मै सुन रहा हूँ। …यही कि जैसा मै आपके बारे मे सोचती
थी वह सब गलत था। आप नाराज है तो इसका मतलब आप के दिल पर कहीं मेरी बात से चोट लगी
है तो कम से कम आपके पास दिल तो है जो किसी के लिये धड़कता है। आपको जलन हुई तभी तो
मुझे पता चला कि आपके दिल मे मेरे लिये मोहब्बत है। यह भावनायें आरफा या किसी और के
लिये कभी नहीं महसूस कर सकते। पहले मै सोचती थी कि आप मेरा मन बहलाने के लिये ऐसा बोलते
है लेकिन अब मुझे यकीन हो गया है कि अगर मुझे दोजख जाना पड़ गया तो आप मेरे साथ मे होंगें।
क्या मै गलत हूँ बताईये। मै आप जैसी समझदार और पढ़ी लिखी नहीं हूँ परन्तु मै जानती हूँ
जलन और नाराजगी जैसी भावना कभी बनावटी नहीं हो सकते। जिसे आप अपना समझते है उसी के
प्रति इसका एहसास होता है। मै उसकी बात सुन कर सोच रहा था कि क्या कोई बारहवीं पास
लड़की के पास इतनी बारीक नजर हो सकती है। जब से यहाँ आया था तभी से उसमे परिवर्तन होता
हुआ देख रहा था। पहले मैने सोचा था कि यह सब शिखा का असर था परन्तु अब मुझे अपने उपर
ही शक होने लगा था। मै अन्दर से इतना धूर्त बन चुका था कि अब उसके सादगी भरे जवाब को
भी शक की नजर से देख रहा था। वह मुझे एकटक देख रही थी।
…क्या सोच रहे है?
…तुम्हारे बारे मे सोच रहा हूँ। …मेरे बारे ऐसा क्या सोच रहे है? …यही कि एक कमजोर
पल मे मैने अपने दिल की बात तुम्हारे सामने बता कर अपनी कमजोरी उजागर कर दी है। जब
तुम किसी से मोहब्बत करते हो तो वह तुम्हारी कमजोरी बन जाती है। …अगर मै आपकी कमजोरी
बन गयी हूँ तो क्या मेरी कमजोरी आप नहीं है। आपकी सोच गलत है। पता नहीं आप लोगों को
फौज मे क्या सिखाया गया है। मोहब्बत कमजोरी नहीं ताकत बन जाती है। वह मुझे लगातर गलत
सबित करती जा रही थी। अपना पीछा छुड़ाने की नीयत से मैने जल्दी से कहा… तुम जीती और
मै हारा। सो जाओ मुझे किसी भी समय गोदाम जाना पड़ सकता है। वह मेरे साथ लेटते हुए बोली…
मोहब्बत मे न किसी की जीत होती है और न किसी हार। अब फिर वहीं से शुरु करें जहाँ से
छोड़ा था। अबकी बार वह कुछ और बोलती उससे पहले मैने उसके होंठों पर अपने होंठों की मौहर
लगा कर उसका मुँह बन्द कर दिया था।
…सुनिये आपका फोन
बज रहा है। मै हड़बड़ा कर बैठ गया था। अपनी कलाई पर बंधी घड़ी पर नजर डाली तो तीन बज रहे
थे। मुश्किल से मुझे सोये हुए बीस मिनट ही हुए थे। मैने जल्दी से फोन उठा कर कान से
लगा कर कहा… हैलो। …सर, चन्द्रगिरी से आगे निकल चुके है। अगले बीस मिनट मे हम नाके
पर पहुँच जाएँगें। …मै गोदाम पर पहुँच रहा हूँ। मैने जल्दी से फोन काटा और अपने कपड़े
पहन कर निकल गया था। अपनी गाड़ी गोदाम के बाहर खड़ी करके गार्ड ड्युटी पर तैनात सैनिक
को इशारे से नीचे बुला कर कहा… सामने नाके पर नजर रखो। जैसे ही अपना ट्रक नाके पर आये
तो मुझे खबर करना। कुछ ट्रक लाइन मे पहले से ही लगे हुए थे। पाँच मिनट के बाद उसने
ट्रक पहुँचने का इशारा कर दिया था। मै चुपचाप वहीं अपनी गाड़ी के पास खड़ा रहा था। हमेशा
की तरह तीन लोग थे। एक जो बेरियर उठाता और गिराता था। दूसरा पैसे वसूल करके पर्ची देता
था और तीसरा कमरे मे बैठ कर हर आने वाले ट्रक का नम्बर नोट करता था। धीरे-धीरे सात
ट्रक निकलने के बाद हमारा ट्रक बैरियर के सामने आकर खड़ा हो गया था। बैरियर वाले ने
बैरियर गिराया नहीं और ट्रक को निकलने का इशारा कर दिया था। हमारा ट्रक गति पकड़ कर
गोदाम की ओर चल दिया था।
मैने ड्युटी पर तैनात
सैनिक को इशारा किया और उसने शटर उठाना आरंभ कर दिया था। जब तक ट्रक गोदाम के सामने
पहुँचा तब तक शटर पूरा खुल चुका था। ड्राईवर ने तेजी से ट्रक को मोड़ा और गति धीमी करते
हुए शटर पार करके गोदाम के अन्दर दाखिल हो गया था। उसने तुरन्त शटर गिराना आरंभ कर
दिया था। ड्राईवर ने ट्रक को उसी जगह ले जाकर खड़ा कर दिया जहाँ वह पहले खड़ा हुआ था।
ट्रक के रुकते ही कैप्टेन यादव तुरन्त ट्रक से कूद कर मेरी ओर आकर बोला… सर, उस ट्रक
मे एक ड्रम और दो ट्रंक मिले थे। तीनो को हम अपने साथ ले आये है। कैप्टेन यादव ने कंटेनर
ट्रक का दरवाजा खोला तो दस सैनिक धड़ाधड़ जमीन पर कूद गये थे। मै ट्रक पर चढ़ गया और एक
नजर ट्रंक और ड्रम पर डाल कर कहा… ड्रम का ढक्कन हटाओ और ट्रंक के ताले तोड़ डालो। अगले
कुछ मिनट मे ड्रम का ढक्कन हटा दिया गया था।
उस ड्रम मे काफी मात्रा
मे प्लास्टिक एक्स्प्लोसिव्स रखा हुआ था। आरडीएक्स और सेम्टेक्स की इतनी भारी मात्रा
देख कर साफ था कि वह किसी बड़े भारी विस्फोट की तैयारी मे लगे हुए थे। ऐसा ही एक ड्रम
मैने श्रीनगर की जामिया मस्जिद मे देखा था। अब कुछ-कुछ मुझे समझ मे आने लगा था। पहले
उनके निशाने पर 15वी कोर का हेडक्वार्टर्स था और अब उनके निशाने पर क्या था। मैने लोहे
के ट्रंक की ओर इशारा किया तो यादव ने हथौड़े के एक वार से ही उस पर पड़ा हुआ ताला तोड़
दिया था। ट्रंक भारतीय करेंसी की गड्डियों से ठसाठस भरा हुआ था। मैने एक गड्डी उठा
कर उसमे से एक नोट निकाल कर रौशनी मे देखा तो पता ही नहीं चल पा रहा था कि नकली है
या असली नोट है। मैने उस नोट को अपनी जेब के हवाले करके दूसरा ट्रंक खोलने का इशारा
किया। एक बार फिर यादव का हथौड़ा चला और कुन्दा समेत ताला अलग हो गया था। इस ट्रंक मे
आठ एक-47, उनकी दर्जन से ज्यादा राउन्ड मैग्जीन, डिटोनेटर्स, 12 ब्लैक स्टार चीनी पिस्तौल
और तीस राउन्ड पड़े हुए थे। एक ही सवाल मेरे दिमाग मे घूम रहा था कि यह लोग बांग्लादेश
मे इस जखीरे के साथ क्या करने की सोच रहे थे।
…कैप्टेन यादव, इस
सामान को कहाँ रख सकते है? हथियारों तो अपने स्टोर मे रख सकते है। सारी परेशानी इस
ड्रम की है। …सर अभी तो फिलहाल इसे सील करके ट्रक मे पड़ा रहने देते है। एक दो दिन बाद
रात मे निकल कर इसे भागमती नदी मे बहा देंगें। तभी एक्स्प्लोसिव्स एक्पर्ट लांस नायक
जमीर ने कहा… सर, हम इसे पानी मे बहाने के बजाय अगर गोदाम मे एक ड्रम के बराबर गड्डा
कर के उसमे पूरे ड्रम को रख दे तो समय पड़ने पर इसको काम मे लिया जा सकता है। जब तक
यह ड्रम मे है तब तक हमे कोई खतरा नहीं है। दो अलग राय मिलने के बाद अब मेरे उपर बात
आकर अटक गयी थी। कुछ सोच कर मैने कहा… ठीक है। फिलहाल इसे ट्रक मे रहने दिजिये। जमीर
इस गोदाम मे सबसे सुरक्षित जगह कौन सी होगी जहाँ गड्डा खोदा जा सकता है? चट्टानी इलाका
होने के कारण हर जगह तो इतना गहरा गड्डा करना मुश्किल होगा तो पहले तय कर लो कि कहाँ
वह गड्डा किया जा सकता है। इस नोटों से भरे लोहे के ट्रंक को ड्रम से साथ रख ट्रक मे
रहने दो। पहले इन नोटों की असलियत पता करनी जरुरी है। इतनी बात करके हम ट्रक से नीचे
उतर कर संचार केन्द्र की ओर चले गये थे।
…कुशाल सिंह, जनरल
रंधावा से कनेक्ट करो। …सर, अभी सुबह के पाँच बज रहे है। …हम जाग रहे है तो जनरल साहब
कैसे सो सकते है। तुम कनेक्ट करो। कुशाल सिंह अपने काम मे लग गया था। दो मिनट मे ही
जनरल रंधावा का चेहरा स्क्रीन पर आ गया था। …गुड मार्निंग सर। कल दुश्मन का एक कनसाइनमेन्ट
हमारे हाथ लगा है। इतना बोल कर मैने सारा विवरण देकर कहा… मै आपको नूर मोहम्मद का फोन
नम्बर दे रहा हूँ। थोड़ी देर मे यह नम्बर काफी एक्टिव हो जाएगा। इसी नम्बर से ब्रिगेडियर
शुजाल बेग का नम्बर हमे मिल सकेगा इसलिये इसकी रिकार्डिंग और ट्रेकिंग करना जरुरी है।
जनरल रंधावा मेरी बात नोट कर रहे थे। …मेजर, यह नेपाल का नम्बर है। इस काम मे थोड़ा
समय लग जाएगा। …सर, जल्दी से जल्दी यह काम हो जाएगा तो उतनी ही जल्दी इस जखीरे का उद्देश्य
भी पता चल जाएगा।
…मेजर, उस नोट को
दोनो साइड से स्केन करके स्क्रीन पर दिखाओ। मैने जेब से नोट निकाल कर कुशाल सिंह को
दे दिया और उसने उस नोट को दोनो तरफ से स्कैन करके स्क्रीन पर डाल दिया था। कुछ देर
जनरल रंधावा ने उस नोट को ध्यान से देखा और फिर बोले… बड़ा मुश्किल है इसकी पहचान करना।
कुछ देर मे इसकी असलियत बताता हूँ। सर, मुझे कुछ स्थानों की सेटेलाइट की तस्वीरें चाहिये।
शुक्रवार को शाही मस्जिद की 12-2 बजे तक की तस्वीरें चाहिये। उसी के साथ सानेपा मे
हिमगिरी नाइट क्लब, ललितपुर मे बिलावल ट्रांस्पोर्ट का गोदाम और बालाजु मे एजाज कन्स्ट्रक्शन्स
शेडयार्ड। यह तीनो आईएसआई के आप्रेशनल हाटस्पाट्स है। जैसे ही कंपनी का कारोबार आरंभ
होगा हम एक-एक करके इन चारों पर इन्हीं के सेम्टेक्स का इस्तेमाल करना आरंभ कर देंगें।
…मेजर, वह लोग कब तक वापिस लौट रहे है? …सर, आज शाम तक उनका यहाँ का काम समाप्त हो
जाएगा। कल वह वापिस चले जाएँगें। लेकिन सर, अगर एक आदमी उनमे से यहाँ रुक जायेगा तो
हमारी मदद हो जाएगी। …मेजर, वह लोग डीआरडीओ से उधार लिये है। उनकी जगह मै एक सेना के
एक अधिकारी को भेज दूंगा जो यहाँ कमांड सेन्टर के रखरखाव युनिट मे काम करता है। …जी
सर। …मेजर, एक बात ध्यान रखना कि कुछ भी एक्शन लेने से पहले अजीत से बात कर लेना क्योंकि
चीन की ओर से नेपाल सरकार मे कुछ उलट-फेर होने के आसार नजर आ रहे है। …सर, जैसे ही
आफिस का सिस्टम चालू होगा मै अजीत सर से वैसे भी बात करना चाहता हूँ। कुछ नाम मैने
उन्हें दिये थे उनमे से सिकन्दर रिजवी आजकल यहाँ पर है। वह मेरे सामने शुजाल बेग से
मिला था। उसके बारे मे अजीत सर से राय लेना चाहता हूँ। …मेजर, वीके ने तुम्हारे लिये
एक फाईल डाली है। उसका नाम सिक्युरिटी मेनुअल है। उसे सिर्फ तुम ही अपने स्टाफ नम्बर
के द्वारा खोल सकते हो। उसे जल्दी से जल्दी देख कर खत्म करो जिससे उस फाइल को वहाँ
से हटा दिया जाये। एक और बात है कि वीके को कंपनी ने पैसे मिलने की स्वीकृति दे दी
है। पेपर्स मिलते ही वह सामान भेजना आरंभ कर देंगें। कुछ और बात है तो कहो वर्ना शाम
को एक बार फिर बात होगी तब तक वह फोन नम्बर को ट्रेस करने का इंतजाम करता हूँ। …थैंक्स।
अगले ही पल जनरल रंधावा स्क्रीन पर से गायब हो गये थे।
मैने उठ कर खड़ा हुआ
तो वहाँ पर कुछ सैनिक विस्मय से सब कुछ देख रहे थे। हेडफोन के कारण वह बातचीत तो नहीं
सुन पाये थे परन्तु जनरल रंधावा को स्क्रीन पर देख कर आश्चर्यचकित जरुर दिख रहे थे।
मुझे अय्यर की बात तुरन्त याद आ गयी थी। मैने कैप्टेन यादव से कहा… इस जगह को सुरक्षा
की दृष्टि से अब तैयार करवाना है। पता लगाओ कि इस हाल का विभाजित करके इस सिस्टम को
एक साउन्ड प्रूफ कमरे मे तैयार कैसे किया जा सकता है। …जी सर। इतनी बात करके मै उस
हाल से बाहर निकल आया था। हम चलते हुए गोदाम के शटर की ओर जा रहे थे कि कैप्टेन यादव
ने कहा… सर, अब किसी को दिखाने के लिये यहाँ लाना ठीक नहीं होगा। मेरे ख्याल से अगर
कुछ कारीगर बुलवा कर हम पहले एक दीवार खड़ी कर दे तो फिर इलेक्ट्रानिक सिक्युरिटी लाक
सिस्टम लगवाना और भी आसान हो जाएगा। हमने कौनसा यहाँ आलीशान आफिस बनाना है। दो दिन
मे दीवार और प्लास्टर हो जाएगा। बनी बनायी चौखट आती है तो सब काम दो दिन मे हो जाएगा।
दो दिन की छुट्टी है तो हम इन दो दिनो मे विभाजन का काम समाप्त कर लेंगें। जब काम चल
रहा होगा तो इस सारे सामान को धूल मिट्टी से बचाने के लिये ढक देंगें। …ठीक है। तो
आज ही काम शुरु करवा दो। यह बोल कर मै अपने घर की ओर चला आया था।
अगले दिन वह तीनों
वापिस दिल्ली चले गये थे। मेरे आफिस मे आठ वर्क स्टेशन लग गये थे। छत पर छतरी लगते
ही हाल का सिस्टम भी सुचारु रुप से आरंभ हो गया था। उसके लिये बस मुझे एनटीसी का ब्राडबेन्ड
कनेक्शन लेना पड़ा था। दो दिन कैसे गुजर गये पता ही नहीं चला था। गोदाम मे भी दीवार
खड़ी हो गयी थी। अब वह सिस्टम एक कमरे मे बन्द हो गया था। कैप्टेन यादव के लोगों के
पास भी फिलहाल कोई काम नहीं था तो सभी ने मिल कर इस काम को दो दिनों मे समाप्त कर दिया
था। आधुनिक इलेक्ट्रानिक लाक लगा हुआ लकड़ी का दरवाजा खरीद कर फिट करके संचार केन्द्र
को पूरी तरह सिक्युर कर दिया था। अब हर कोई उस कमरे मे नहीं जा सकता था। उस कमरे मे
जाने का अधिकार सिर्फ चार लोगों के पास था। कुशाल सिंह और दूसरा वायरलैस आप्रेटर विजय
कुमार तो शिफ्ट मे संचार केन्द्र पर तैनात रहते थे। उनके अलावा कैप्टेन यादव और मै
अन्दर जा सकते थे। इतवार की रात तक हाल मे सब कुछ तैयार हो गया था। एक बड़ी मेज और दस
बारह कुर्सियाँ भी दूसरे हिस्से मे रख कर उसे मीटिंग रुम की तरह बना दिया था।
अगले दिन सुबह जनरल
रंधावा ने फोन पर बताया… मेजर, नूर मोहम्मद का फोन एक्टिव हो गया है। आज सुबह ही उसे
सीतामड़ी से किसी ने फोन किया था कि उसका ट्रक अभी तक सीमा पर नहीं पहुँचा है। तभी से
उसका फोन बज रहा है। आईबी के लोग सीतामढ़ी के उस फोन को ट्रेस करने मे लगे हुए है। तुम
रिकार्डिंग सुन कर बताओ कि शुजाल बेग कौन है। सबके नम्बर हम दर्ज करते जा रहे है।
…सर, वह अभी शुजाल बेग को खबर नहीं करेगा। फिलहाल वह अपने आदमियों से उस ट्रक को ढूंढने
के लिये निर्देश दे रहा होगा। जब उस ट्रक का कोई सुराग नहीं मिलेगा तब वह शुजाल बेग
को बताने के लिये फोन करेगा। इतनी बात करके मैने फोन काट दिया था। अब आईएसआई के साथ
जंग का बिगुल बज गया था। उस ट्रक को ढूंढने के लिये नूर मोहम्मद ने अपनी पूरी फौज लगा
दी होगी। यह सोच कर जल्दी से तैयार हुआ और अपने हाल मे बैठ कर नूर मोहम्मद की बातें
सुनने बैठ गया था। सज्जाद हुसैन और मूसा के लोगों को भी नूर मोहम्मद ने इस काम पर लगा
दिया था। सुबह से शाम हो गयी थी लेकिन उसने शुजाल बेग को खबर नहीं की थी।
मै रात को कान पर हेडफोन लगाये बैठा हुआ था। नूर मोहम्मद के फोन
की घंटी बजते ही मै सावधान हो गया था। …हैलो। एक खरखराती हुई आवाज गूंजी… बेग बोल
रहा हूँ। उसी वक्त मै समझ गया कि मेरे
हाथ जैकपाट लग गया है। मैने तुरन्त मेसेज फ्लैश किया… यह शुजाल बेग का फोन है। नम्बर
ट्रेस करो। बस अब यहाँ से आईएसआई की कमर तोड़ने का मुझे साधन मिल गया था।
बहुत ही बहतरीन अंक और कहीं न कहीं तबस्सुम/अंजलि की जो मनोदशा है उसको दिखाने के लिए इससे बढ़िया मौका नहीं हो सकता था समीर के सामने और कहीं न कहीं अब समय का पहिया फिर से चल पड़ा है और देखना है कि बेग और नूर मोहम्मद क्या करते हैं इस ट्रक हाईजैक को ले कर।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद अल्फा भाई। नेपाल मे एक्शन शुरु हो रहा है। आज कल नेपाल मे आईएसआई का इस्लामिक नेटवर्क चीन के संरक्षण मे बेहद मजबूती से फैल रहा है।
हटाएंhamesa iki tarah behtareen post thx dear
जवाब देंहटाएंशुक्रिया साईरस भाई। आपके दो शब्द मेरा मनोबल सदैव बढ़ा देते है।
हटाएंकॅप्टन यादव का वार सटीक निशानेपे लग गया, जीस तरहसे बेग और नूर मोहोमद बिलबिला रहे उससे तो यही लग रहा, NTC वालोने समयसे पहले डिश और केबल्स का काम कर दिया,गोदाम और शॉप का कमांड सेंटर भी सुचारु रुपसे काम कर रहा, अब ये देखना मजेदार होगा के नूर और बेग का अगला कदम क्या रहेगा. आतंक का दायरा काश्मीरसे शुरू हुवा और उसकी जडे खोदणे के लिये समीर को नेपाळ आना पडा. आतंक एक हजारो सर का राक्षस जैसा है, जीसका न आदी दीख रहा न अंत.
जवाब देंहटाएंप्रशांत भाई यह तो शुरुआत है। आगे देखिये होता है क्या। यह तो जग जाहिर है कि कश्मीर की सीमा पर पहरा कड़ा होने के बाद सारी घुसपैठ नेपाल के रास्ते से होती है। सीमा रानी भी तो नेपाल से नोएडा पहुँची थी। माओवादी सरकार के संरक्षण मे नेपाल भी इस्लामीकरण की चपेट मे आ गया है। धन्यवाद भाई।
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