गहरी चाल-20
घर मे दोनो टीवी चला
कर बैठी हुई थी। …जरा स्थानीय समाचार लगा दो जिससे शहर की हालत का पता चले। तबस्सुम
ने चैनल बदल कर अंग्रेजी स्थानीय समाचार पर लगा दिया था। पाकिस्तान दूतावास मे कटे
हुए सिर की खबर ने पाकिस्तान और नेपाल सरकार को हिला दिया था। अन्तरराष्ट्रीय मसला
होने के कारण पाकिस्तानी दूतावास ने हंगामा खड़ा कर दिया था। बैसाखी पर चलने वाली नेपाल
सरकार अपनी गद्दी बचाने के लिये पूरे लश्कर को लेकर जाँच मे जुट गयी थी। पाकिस्तानी
विदेशमंत्री और अन्य छोटे बड़े मंत्री इसके पीछे भारत की रा का हाथ बता रहे थे। सभी
चर्चा कर रहे थे परन्तु मरने वाले की असलियत के बारे मे कोई कुछ नहीं बोल रहा था। नेपाल
सरकार का मानना था कि एक दिन पहले हुए फसाद की यह उपज थी। उन्होंने इस मसले को सुलझाने
के लिये एक उच्चस्तरीय जाँच कमेटी बैठा दी थी। काठमांडू शहर के एक हिस्से मे कर्फ्यु
लगा दिया गया था। कुछ माओइस्टों ने नेपाल सरकार के खिलाफ कुछ अन्य शहरों मे अराजकता
फैला दी थी। भारतीय दूतावास ने एक सधी हुई लाईन लेकर अपना वक्तव्य जारी कर दिया था
कि वह आतंक के खिलाफ हर लड़ाई मे नेपाल सरकार के साथ खड़े हुए है। एक ओर मामला तूल पकड़ता
जा रहा था और दूसरी ओर पाकिस्तानी दूतावास मे हंगामा मच गया था। शुजाल बेग ने अपने
आईएसआई के स्लीपिंग और एक्टिव नेटवर्क को सक्रिय कर दिया था।
मै उठ कर अपने कमरे
मे चला गया और कैप्टेन यादव को फोन लगाया… हैलो। …जी सर। …आप लोग गोदाम मे पहुँच गये
है? …जी सर। …कल सुबह थापा से कहिये कि वह अपनी युनीफार्म मे तैयार रहे। मै सुबह आठ
बजे उसे लेने आ रहा हूँ। …क्या हुआ सर? …सुरक्षा की दृष्टि से कल सुबह थापा को सीमा
के बाहर भेजना है। इस वक्त यहाँ के हालात काफी खराब हो गये है। पुलिस जब तक कुरियर
वाले की मदद से कोई प्रोफाईल स्केच बनवाये उससे पहले थापा को वापिस भेजना जरुरी है।
उसे तैयार रहने के लिये कह देना। इतनी बात करके मैने फोन काट दिया था। मैने अपना लैप्टाप
उठाया और काठमांडू से भारत की ओर जाने वाली पहली फ्लाईट की जानकारी लेकर सुबह नौ बजे
दिल्ली जाने वाली रायल नेपाल की फ्लाईट मे थापा की एक टिकिट करा कर अपनी अगली कार्यवाही
की तैयारी मे लग गया था।
एक बात ने मुझे काफी
विचलित कर दिया था कि जब से यह ग्रिड रेफ्रेन्स हमे मिलने आरंभ हुए थे तभी से आफशाँ
के काठमांडू और बांग्लादेश की यात्रायें शुरु हुई थी। एक डर दिल के किसी कोने मे अंकुरित
हो गया था जिसका निदान किये बिना मै आराम करने की स्थिति मै नहीं था। मैने लैप्टाप
पर वह सारे कोड्स देखने आरंभ किये जो हमें जिहादियों के पास मिले थे। ज्यादातर कोड्स
जो हमे मिले थे वह सेना और कश्मीर से संबन्ध रखते थे। अभी तक जिहादियों के पास से एक
भी नौसेना का ग्रिड रेफ्रेन्स बरामद नहीं हुआ था। इतनी देर मे पहली बार मेरे अशान्त
मन मे एक ठंडक की लहर उमड़ पड़ी थी। मेरे लिये साफ हो गया था कि वलीउल्लाह का कोई संबन्ध
डेल्टा साफ्टवेयर या आफशाँ के साथ नहीं था। बस अब एक ही चिन्ता का विषय मेरे दिमाग
मे घूम रहा था कि अनमोल बिस्वास के अनुसार बंगाल की
खाड़ी मे जिहादियों की टीमें प्रशिक्षण ले रही थी और गोपीनाथ का विचार था कि इस बार
उनके निशाने पर कोई हमारा समुद्री ठिकाना हो सकता है। इस मामले मे आफशाँ से मदद लेने
का मन बना कर मै अपने कमरे से बाहर निकल आया। मूड अच्छा था तो उन दोनो के साथ बैठ
गया।
सुबह छ्ह बजे उठ कर
मै जल्दी से तैयार हुआ और सात बजे तक मै अपने गोदाम पहुँच गया था। राईफलमैन अजय सिंह
थापा अपनी युनीफार्म मे चलने के लिये तैयार था। उसे अपने साथ लेकर मै एयरपोर्ट की दिशा
मे निकल गया। आठ बजने से पहले ही हम एयरपोर्ट पहुँच गये थे। …सर, कुछ नहीं होगा आप
बेवजह चिन्ता कर रहे है। वह मुझे कभी पहचान नहीं सकेगा। …थापा, तुम सब लोगों की सुरक्षा
मेरी जिम्मेदारी है। इस वक्त मुझे लगता है कि तुम्हारा यहाँ होना ठीक नहीं होगा इसीलिये
यहाँ से एक जरुरी काम से एक महीने के लिये दिल्ली भेज रहा हूँ। तुम्हें अपने घर पर
सुरक्षा ड्युटी पर लगा रहा हूँ। मुझे वहाँ पर हर आने-जाने वालों की रिपोर्ट चाहिये।
मेरी पत्नी से बात करके मै तुम्हारे ठहरने की व्यवस्था करवा दूँगा। एक महीने बाद तुम
मेरे साथ वापिस अपने साथियों के पास आ जाना लेकिन इस वक्त यहाँ तुम्हारे लिये खतरा
है। मैने उसके हाथ मे टिकिट देकर एक लिफाफा पकड़ाते हुए कहा… इसमे दस हजार रुपये है।
यह तुम्हारे दिल्ली के खर्चे के पैसे है। मै समय-समय पर तुम्हें कुछ निर्देश दूंगा
जिसके लिये तुम्हें घर से बाहर जाना पड़ेगा। थापा ने करारा सा फौजी सैल्युट किया और
टिकिट और लिफाफा लेकर सिक्युरिटी चेक के लिये निकल गया। मै तब तक एयरपोर्ट मे खड़ा रहा
जब तक की फ्लाईट उड़ नहीं गयी थी।
जब मै फ्लाईट के जाने
का इंतजार कर रहा था तब मैने आफशाँ का नम्बर मिला कर उसे बता दिया कि अजय सिंह थापा
को उसकी और मेनका की सुरक्षा ड्युटी पर लगाया है। उसने कुछ देर तो मना किया फिर मेरी
बात मान कर वह उसके रहने का इंतजाम आउटहाउस मे करने के लिये तैयार हो गयी थी। थापा
की फ्लाईट जाने के बाद मै अपने गोदाम की ओर चल दिया। थापा के जाने के बाद मन पर से
एक बोझ उतर गया था। मैने गोदाम के बाहर जैसे ही अपनी गाड़ी खड़ी करके बाहर निकला तभी
एनटीसी का बकेट ट्रक गोदाम के सामने से गुजर रहा था। मुझे देख कर बिस्ट ट्रक रुकवा
कर मेरे पास आकर बोला… समीर साहब सब काम ठीक तरह से चल रहा है? …हाँ, आपने काफी अच्छा
काम किया है। दो मिनट वहीं खड़े-खड़े बात करने के बाद वह चलते हुए बोला… मेरे लायक कोई
काम हो तो बताईयेगा। इतना बोल कर वह अपने ट्रक की ओर चल दिया था।
अचानक मेरे दिमाग
मे एक ख्याल आया और मैने उसे रोकते हुए कहा… बिस्ट साहब एक मिनट रुकिये। वह लौट कर
मेरे पास आ गया था। …बिस्ट साहब, क्या आपके टेलिकाम नेटवर्क सिस्टम से किसी फोन को
ट्रेक और टेप कर सकते है? …क्या समीर साहब, यह भी कोई पूछने की बात है। सत्ता पक्ष
आधे से ज्यादा नेताओ और मंत्रियों के फोन टैप करवाता है। क्यों आपको इसकी कैसे जरुरत
पड़ गयी? …क्या बताऊँ बिस्ट साहब, मेरा एक ट्रक माल किसी ने रास्ते से ही गायब कर दिया
है। मेरे ड्राईवर का कहना है कि बातों से वह पाकिस्तानी लग रहा था। उस आदमी ने मेरे
ड्राईवर के फोन से किसी को खबर दी थी। वह वह फोन नम्बर मेरे पास है। मै सोच रहा था
कि अगर उस नम्बर को टैप किया जाये तो शायद मुझे मेरे ट्रक के बारे मे कोई जानकारी मिल
जाएगी। …किसी का फोन टैप करना इतना आसान काम नहीं है। मैने भी जल्दी से कहा… आपको बेकार
तकलीफ दी। अगर यह इतना ही आसान होता हर बीवी अपने पति का फोन टैप करवाना शुरु कर देती।
यह बोल कर मै गोदाम की ओर चल दिया।
…समीर साहब, एक मिनट
रुकिये। मै किसी से बात करके देखता हूँ लेकिन इसके लिये आपको कुछ खर्चा करना पड़ेगा।
…बिस्ट साहब, मेरा तीन लाख का माल चोरी हुआ है। अगर उसकी वजह से मेरा माल मिल जाता
है तो जरुर मै खर्च कर दूँगा। वह मेरे पास आकर दबी जुबान से बोला… यह बात हमारे और
आपके बीच मे रहनी चाहिये। मैने उसका हाथ दबा कर कहा… बिस्ट साहब आप मुझ पर विश्वास
रखिये। बिस्ट अपने ट्रक मे बैठ कर चला गया था। मै अपने गोदाम मे आ गया था। कैप्टेन
यादव अपने साथियों के साथ बैठा हुआ कुछ बात कर रहा था। …सर, थापा को भेज दिया। …हाँ,
उसे फ्लाईट मे बैठा कर यहाँ आया हूँ। कुछ देर मे ही वह दिल्ली मे सुरक्षित उतर जाएगा।
आओ चल कर हाल ने बैठते थे है। दो सैनिकों को गार्ड ड्युटी पर लगा कर बाकी सब हाल मे
इकठ्ठे हो गये थे।
…हमारा अगला टार्गेट
सानेपा का हिमगिरी नाइट क्लब है। आज शाम को चार लोग नाइट क्लब
देखने चले जाईये। आप सभी मनोरंजन के लिये जा रहे लेकिन ख्याल रहे कि वह आईएसआई का हाटस्पाट
है। आँखें खुली रखिये और नोट करिये कि उन्होंने सुरक्षा का क्या इंतजाम किया है। सबके
चेहरे पर एक मुस्कुराहट आ गयी थी। मैने कुछ रुपये मेज पर रखते हुए कहा… जाते हुए एक
बार आसपास का मुआईना जरुर कर लिजिएगा। इतना बोल कर मै चुप हो गया था। तभी कैप्टेन यादव
ने पूछा… सर, वहाँ पर क्या करने की सोच रहे है? …विस्फोट। …जब यह लोग वहाँ जा रहे है
तो उस जगह के कमजोर स्थानों की निशानदेही भी कर लेंगें जहाँ विस्फोटक लगाये जा सकते
है। …नहीं कैप्टेन, उसके लिये एक्स्प्लोसिव के एक्सपर्ट की जरुरत होगी। जमीर को हम
कल अपने साथ ले जाएँगें। दीवार पर नाइट क्लब की कुछ तस्वीरें लगा दी थी। …सर, वहाँ
विस्फोट हुआ तो काफी लोग उसकी चपेट मे आयेंगें। …कैप्टेन तभी तो इन चारों को भेज रहा
हूँ कि एक बार वहाँ जाकर अपनी आँखों से देख लें कि कैसी जगह है। कुछ देर चर्चा करने
के बाद हम इस नतीजे पर पहुँचे कि अगर वह काफी चलता हुआ नाइट क्लब हुआ तो विस्फोट बाहर
किसी कार मे करेंगें अन्यथा अन्दर बैठे हुए लोग जिहादी लगे तो विस्फोट अन्दर करेंगें।
जब यह तय हो गया तब
मै अपने घर की ओर निकल गया था। घर पर पहुँच कर तबस्सुम ने कारोबार आरंभ करने के लिये
फेहरिस्त पकड़ाते हुए कहा… भंडारी अंकल को काम शुरु होने से पहले यह सब चीजें चाहिये।
मैने उस लिस्ट पर एक नजर मारी तो सारा प्रिंटिंग का काम था। इन्वोइस, आर्डर बुक, बिल
बुक, विज्ञापन का सामान, अन्य कारोबार से जुड़ी हुई चीजें लिखी हुई थी। एक बार फिर से
मैने दूतावास मे शर्मा से बात करके कुछ प्रिन्टर्स का पता लिया और उनसे मिलने के लिये
चला गया था। सेब के कारोबार के कारण मुझे बहुत कुछ का ज्ञान था परन्तु स्टाकिस्ट के
बारे मे ज्यादा जानकारी नहीं थी। प्रिन्टिंग प्रेस वाले ने बताया कि इन्डेन्ट बुक,
स्टोर का रजिस्टर व अन्य गोदाम से संबन्धित चीजें भी चाहिये होंगी। उसने कुछ सैम्पल
भी दिखाये और दो घन्टे की मेहनत के बाद उसको सभी प्रकार की स्टेशनरी का आर्डर देकर
वापिस आ गया था। घर आकर तबस्सुम को बता दिया कि सभी प्रकार की स्टेशनरी के प्रूफ दो
दिन बाद मिल जाएँगें उसके बाद ही छपाई का काम हो सकेगा। इतना बोल कर मै अपने कमरे मे
चला गया था।
रात को सब काम समाप्त
करके जब तबस्सुम ने कमरे मे कदम रखा तो वह काफी थक चुकी थी। मेरे साथ लेटते हुए बोली…
अब आपको भी कुछ समय आफिस मे गुजारना चाहिये। बहुत सी बातों मे मुझे आपकी राय लेने की
जरुरत पड़ती है। …तुम्हें जब भी मेरी जरुरत हो तो मुझे बुला लिया करो। इसमे क्या मुश्किल
है? कुछ देर कारोबार की बात करने के बाद वह बोली… आज आरफा को बुला लें? …बानो, तुम
ठंडे दिमाग से सोच लो कि क्या तुम्हें अपनी मोहब्बत किसी के साथ बाँटना गंवारा होगा?
जब तक तुम्हारे साथ निकाह नहीं हुआ था तब तक किसी पर कोई फर्क नहीं पड़ता लेकिन अब हमारे
बीच एक पाक रिश्ता है। आज एक प्रयोग के लिये करोगी लेकिन फिर वह आरफा का हक हो जाएगा।
इसीलिये मै अभी तक इसको टाल रहा हूँ। वह दोनो बहने जिन्हें तुमने मेरे साथ देखा था
उन मे से मेरा किसी के साथ रिश्ता नहीं था। मै अपनी रौ मे बोल रहा था वह चुपचाप सुन
रही थी। अचानक वह उठी और मेरे होंठों पर अपने होंठ रख उसने मुझे चुप कर दिया था। एक
बार शुरुआत हो गयी तो फिर साहिल पर पहुँच कर ही तूफान शांत होता है। थोड़ी देर बाद तूफान
के शान्त होने के बाद वह बोली… सच पूछिये तो मै आपको किसी के साथ बाँटना नहीं चाहती।
मैने तो सिर्फ इसलिये कहा था कि कहीं आपको ऐसा न लगे कि मैने आपके उपर अंकुश लगा दिया
है। उस रात जब मैने उसको आपके साथ देखा था तो मै जल कर राख हो गयी थी। उसे अपने
सीने से लगा कर मै लेट गया।
सुबह मेरी आँख भी
नहीं खुल पायी थी कि हमारे गोदाम पर तीन ट्रक सामान पहुँच गया था। कैप्टेन यादव ने
जब इसकी मुझे सूचना दी तो मै गोदाम की ओर निकल गया था। गोदाम के एक हिस्से मे सारा
सामान श्रेणी अनुसार लगवा दिया था। एक ओर आयुर्वेदिक दवाईयाँ और कास्मेटिक्स रखवा दी
थी। दूसरे सिरे पर खाने का सामान जैसे आटा, दाल, तेल, इत्यादि रखवा दिया था। तीसरी
ओर जूस, बिस्किट, चाकलेट, रेडी टु ईट जैसे आईटम रखवा दिये थे। इन्वोइस के अनुसार एक-एक
डिब्बा चेक करने के बाद कैप्टेन यादव ने कहा… सर, सारा सामान मिल गया है। …कैप्टेन
यादव, अब इस गोदाम के मालिक आप है। आपके साथी भी आज से इस कंपनी के काम करने वाले लोग
है। यह कंपनी इस आब्सरवेशन पोस्ट का आधिकारिक
फ्रंट है। इस सामान की डिलिवरी की आढ़ मे अब से हमारा काम चलेगा। अभी तक आप लोगों को
इस गोदाम मे सिर्फ इसलिये ठहराया था कि जब तक कंपनी का काम आरंभ नहीं होता तो आप यहाँ
सिर्फ एक पर्यटक के तौर पर रुके हुए थे। आज के बाद आप लोगों के लिये यहाँ रुकने की
जरुरत नहीं है। आपके लिये एक मकान किराये पर लिया है जहाँ अब आप शिफ्ट हो सकते है।
एक कमरे मे दो लोगो के रहने की व्यवस्था करी है। कैप्टेन यादव, लेफ्टीनेन्ट सावरकर,
हवलदार पूरन सिंह और लांस नायक जमीर के लिये अलग से एक-एक कमरे का इंतजाम किया है।
अब से आप गोल्डन इम्पेक्स कंपनी के लिये काम करते है। दोपहर तक सारा काम समाप्त हो
गया था।
कैप्टेन यादव और पूरन
सिंह को पेट्रोल पंप के पीछे एक तीन मंजिला इमारत दिखा कर जब हम वापिस गोदाम की ओर
लौट रहे थे तब मैने पूछा… हिमगिरी नाइटक्लब की क्या
रिपोर्ट है। …सर, वह जगह शरीफ लोगों के लिये नहीं है। वहाँ ज्यादातर लोग ड्रग्स और
शराब का सेवन कर रहे थे। ऐसा लगता है कि काठमांडू मे ड्र्ग्स का वितरण वहीं से होता
है। सुरक्षा के लिये वहाँ पर हथियारों से लैस बाउन्सरों की फौज उपस्थित है। वहाँ पर
खुले आम जिस्मफरोशी का काम भी होता है। हमारे चार साथियों को द्वार पर ही बहुत सी लड़कियों
ने घेर कर उन्हें अन्दर मजे कराने का प्रलोभन देना आरंभ कर दिया था। जब उन्होंने मना
किया तो पता चला कि बिना महिला साथी के क्लब मे प्रवेश मना है। बाहर खड़ी हुई भीड़ मे
से चार लड़कियों को अपने साथ लेकर हमारे साथी क्लब के अन्दर प्रवेश कर सके थे। कल्ब
के अन्दर जाने के दो रास्ते पता चले है। एक मुख्य द्वार है जहाँ से सभी अन्दर प्रवेश
करते है और दूसरा रास्ता पीछे से है जहाँ से स्टाफ का आना जाना होता है। आठ बाउन्सर
नाइटक्लब के अन्दर और चार बाउन्सर मुख्य द्वार पर उपस्थित रहते है। उस नाईटक्ल्ब के
आसपास कोई और इमारत नहीं है इसलिये 150-200 मीटर से पूरी इमारत देखी जा सकती है। स्थानीय
पुलिस थाना वहाँ से तीन किलोमीटर की दूरी पर है। इमारत के सामने खाली प्लाट को पर्किंग
की तरह इस्तेमाल किया जाता है। रात मे वहाँ काफी गाड़ियाँ होती है। कुछ देर बात करने
के बाद मैने कहा… जमीर को लेकर आफिस आ जाना। आज रात हम चल कर एक बार उस जगह को देख
लेते है। इतनी बात करके मै अपने आफिस की ओर चल दिया था।
तबस्सुम आफिस मे भंडारी
साहब के साथ बैठी हुई किसी चीज की चर्चा कर रही थी। मेरी गाड़ी देखते ही वह बाहर निकल
कर बोली… भंडारी अंकल आप से कुछ बात करना चाहते है। अन्दर आ जाईये। मै अपनी गाड़ी खड़ी
करके भंडारी साहब से मिलने के लिये चला गया था। …समीर, अभी तक तुम्हारी ओर से सामान
की कोई जानकारी नहीं मिली है। मैने तुरन्त अपनी जेब से सामान की इन्वोइस निकाल कर उनके
सामने रखते हुए कहा… भंडारी साहब, आज ही तीन ट्रक माल पहुँचा है। उसे गोदाम मे रखवा
कर ही लौटा हूँ। भंडारी की नजर इन्वोइस पर पड़ते ही वह चौंक कर बोला… तुम्हें इस कंपनी
ने अपना स्टाकिस्ट बनाया है। मै भी एक पल के लिये उनकी प्रतिक्रिया देख कर चौंक गया…
क्यों क्या हुआ? …अरे समीर, इस कंपनी के पीछे
तो बहुत दिनों से नेपाल के बड़े-बड़े उद्योग घराने लगे हुए थे परन्तु बाबाजी किसी से
बात करने के लिये राजी नहीं थे। अभी तक उस कंपनी का सारा सामान यहाँ के विक्रेता भारत
से खरीद कर लाकर बेचते थे। जैसे ही उन्हें पता चलेगा कि बाबाजी ने अपना स्टाकिस्ट यहाँ
नियुक्त कर दिया है तो यहाँ बिटिया को सांस लेने का समय भी नहीं मिलेगा। तुमने मुझे
उस कंपनी का नाम नहीं बताया तो मै एक नयी कंपनी की तरह काम जमाने की सोच रहा था। यहाँ
सभी अचंभित हो जाएँगें कि यह कैसे हो गया। क्या तुम बाबाजी को जानते हो? …भंडारी साहब,
मैने तो बाबाजी को आजतक देखा भी नहीं है और मैने कंपनी का नाम इस लिये नहीं बताया था
क्योंकि जब तक पहली डिलिवरी नहीं मिल जाती तब तक कंपनी ने किसी भी प्रकार के प्रचार
से मना कर दिया था। कल से हर हफ्ते पाँच ट्रक सामान की डिलिवरी होनी आरंभ हो जाएगी।
भंडारी ने मुस्कुराते हुए कहा… बिटिया तुम सोने की खान पर बैठी हुई हो क्योंकि इस कंपनी
का नाम तो पहले से ही काफी प्रचलित है। अब कल बैठ कर नये सिरे से वितरण की योजना तैयार
करनी पड़ेगी। समीर इसकी खबर फैलते ही बाजार मे हलचल मच जाएगी। भंडारी साहब तो चले गये
थे परन्तु उनकी बात सुन कर अब तबस्सुम को घबराहट हो रही थी।
उसे अपने साथ लेकर
घर मे चला आया था। …तुम्हारा मुँह क्यों उतर गया है? …इतनी बड़ी कंपनी का काम लेने की
क्या जरुरत थी। छोटी कंपनी का काम लेते तो आराम से काम जम जाता लेकिन अब दूसरे लोग
दुश्मनी निकालेंगें। प्रचार माध्यम की नजर अब हमारे उपर टिक जाएगी। मैने जल्दी से कहा…
हमारे नहीं तुम्हारे उपर टिक जाएगी। …क्या आपने कभी सोचा है कि मेरे सामने आते ही क्या
होगा? मीरवायज परिवार हम दोनो के दोजख जाने की टिकिट बनवा देगा। …तुम्हें मुझ पर विश्वास
है? …अपने से ज्यादा। …तो तुम चिन्ता मत करो। पुरानी तबस्सुम और नयी अंजली मे बहुत
फर्क आ गया है। बाकी मीरवायज परिवार के कातिलों की फौज को मुझ पर छोड़ दो। अगर वहाँ
जाना ही पड़ गया तो दोनो साथ चलेंगें तो फिर किस बात का डर है। मेरी बात सुन कर वह मुस्कुरा
दी थी परन्तु उसके चेहरे पर आयी तनाव की लकीरें अभी भी विद्यमान थी। उसका दिमाग वहाँ
से हटाने के लिये मैने कहा… आज रात को मै तुम दोनो को नाइट क्लब घुमा कर लाता हूँ।
चलोगी क्या? आरफा की ओर देख कर वह बुझे हुए मन से बोली… चलो अब जो भी होगा देखा जाएगा।
हम दोनो नाइट क्लब की रौनक देखने जाएँगें।
रात को नौ बजे तक
कैप्टेन यादव और जमीर आफिस पहुँच गये थे। तबस्सुम और आरफा भी चलने के लिये तैयार हो
गयी थी। उन दोनो को पश्चिमी वेषभूषा मे देख कर एक पल के लिये मै चौंक गया था। आरफा
को सलवार सूट और तबस्सुम को साड़ी मे देखने की मुझे आदत हो गयी थी। दोनो को हाई हील्स,
जींस और टाप मे पहली बार देख रहा था। वस्त्र इंसान का स्वरुप कैसे बदल देते है उसका
प्रमाण देख रहा था। …यह कब फेर बदल हुआ? तबस्सुम मुस्कुराते हुए बोली… नाइट क्लब जा
रहे है तो पहनावा भी उसी प्रकार से होना चाहिये। बहुत दिनो से सोच रहे थे। आज पहली
बार मौका मिला है। कैसी लग रही हूँ? मै कहना तो बहुत कुछ चाहता था परन्तु बस इतना ही
बोल कर चुप हो गया… तुम दोनो बहुत सुन्दर लग रही हो। कुछ ही देर मे हम पाँचों मेरी
गाड़ी मे सवार होकर हिमगिरी नाइट क्लब की ओर निकल गये थे।
काठमांडू शहर के बाहरी
हिस्से मे हिमगिरी नाइट क्लब स्थित था। जैसा बताया गया था लगभग वैसा ही दृश्य दिख रहा
था। रात मे दूर से ही नाइट क्लब की रौनक देखी जा सकती थी। पार्किंग मे गाड़ियों की भीड़
बता रही थी कि अन्दर का क्या हाल था। हम पाँचों गाड़ी से उतर कर उसके मुख्य द्वार की
ओर चल दिये। बाहर ग्राहकों के लिये जवान लड़कियों की भीड़ लगी हुई थी। हर आने वाले व्यक्ति
को वह घेर कर खड़ी हो जाती थी। तबस्सुम और आरफा के कारण कोई भी हमारी ओर नहीं आया था।
हम बिना किसी परेशानी के नाइट कल्ब मे प्रवेश कर गये थे। कुछ लोग अन्दर बैठे हुए दिखे
परन्तु बाहर पार्किंग मे गाड़ियों की भीड़ के अनुपात के हिसाब से नाइट क्लब मे इतने लोग
नहीं दिख रहे थे। एक लड़की भड़कीले से कपड़े पहने हमारे पास आयी और हमे एक खाली मेज की
दिशा मे ले जाते हुए बोली… प्राईवेट केबिन या टेबल? …आज पहली बार आये है क्या प्राईवेट
केबिन एक बार देख सकते है? …श्योर। वह हमे मुख्य हाल के किनारे मे एक गैलरी मे ले गयी
जहाँ लकड़ी के पार्टीशन द्वारा बहुत से छोटे-छोटे केबिन बने हुए थे। सब केबिन के आगे
एक भारी सा पर्दा डाल रखा था। उसने खाली केबिन का पर्दा हटा कर दिखाया तो उधर एक सोफा
और मेज पड़ी हुई थी। मैने उसको देख कर कहा… इसमे हम पाँच तो नहीं बैठ सकेंगें। उसने
मुस्कुरा कर कहा… अगर अपने साथी के साथ कुछ देर मजा करना है तो एक केबिन ले लिजिये
और बाकी लोग बाहर कामन एरिया मे अपनी बारी का इंतजार किजिये। तबस्सुम ने तुरन्त कहा…
मेरे साथ यह घर मे मजे करते है। हम यहाँ सब साथ मजे करने आये है। उस लड़की ने झेंपते
हुए कहा… सौरी मैडम। यहाँ पर ज्यादातर लोग अपनी फैमिली के साथ नहीं आते है। आपके लिये
एक और जगह है। वह हमे वापिस हाल मे ले गयी और एक कोने मे बड़ी सी मेज के चारों ओर सोफे
रखे हुए थे। यह जगह हाल से जरा हट कर थी परन्तु हाल का ही हिस्सा थी। हम वहीं बैठ गये
थे।
एक अर्धनग्न सी लड़की
हमारी मेज के पास आकर बोली… आप लोग क्या पीना चाहेंगें। जमीर ने जल्दी से कहा… सर,
मै तो सिर्फ जूस लूँगा। आरफा और तबस्सुम ने भी जूस की मांग की लेकिन मैने और यादव ने
विहस्की का आर्डर दिया तो उसने कहा… सर, ड्रिंक्स के साथ खाने के लिये क्या लेंगें?
हमने कुछ भुना हुआ और तंदूरी का आर्डर देकर बैठ गये थे। वह जैसे ही जाने के लिये मुड़ी
तभी जमीर ने पूछा… टायलेट किस ओर है? उसने उसी गैलरी की ओर इशारा करके कहा… आखिरी मे
बाँयें लेडीज और दाँयें जेन्ट्स टायलेट है। इतना बता कर वह चली गयी थी। यादव और जमीर
उठे और टायलेट की दिशा मे चले गये थे। …तुमने जूस क्यों मंगाया। तुम दोनो कहो तो तुम्हारे
लिये वही साफ्ट ड्रिंक मंगा देता हूँ। तबस्सुम ने आरफा की ओर एक बार देखा और फिर मुस्कुरा
कर बोली… नूर मोहम्मद के यहाँ जो लाये थे वह पीना है। उन्हें वही छोड़ कर मै बार की
ओर चला गया था जहाँ वह लड़की हमारा आर्डर लिखवा रही थी। मै अभी उससे फ्रूट पंच के बारे
मे समझाने की कोशिश कर रहा था कि मुझे तबस्सुम की आवाज कान मे पड़ी जो किसी से लड़ रही
थी। मै मुड़ उसकी ओर भागा लेकिन तब तक तबस्सुम ने एक लड़के को पकड़ कर मारना शुरु कर दिया
था। दूसरा लड़का जब तक तबस्सुम पर झपटता तब तक मै पहुँच गया था। मैने उस लड़के को पीछे
से पकड़ लिया और धक्का देकर दूर कर दिया लेकिन तबस्सुम ने तब तक उस लड़के को अधमरा करके
जमीन पर लिटा दिया था।
अचानक वह घूमी और
उसकी लात जमीन पर पड़े हुए लड़के के गुप्त अंग पर पड़ी। वह तड़प कर चीखा लेकिन तब तक तबस्सुम
ने सधे हुए तरीके से लात मारना आरंभ कर दिया था। मैने झपट कर उसे जल्दी से अपनी बाँहों
मे बाँध कर हवा मे उठा कर अलग करते हुए मैने कहा… झाँसी की रानी वह मर जाएगा। तब तक
हमारे चारों ओर भीड़ इकठ्ठी हो गयी थी। क्लब के बाउन्सर भी पहुँच कर भीड़ हटाने मे जुट
गये थे। मैने धीरे से तबस्सुम को जमीन पर उतार कर पूछा… क्या हो गया था? उसका चेहरा
अभी भी गुस्से से तमतमा रहा था। …हमे परेशान कर रहे थे। एक बार मैने उन दोनो को समझाया
कि मेरे पति और उनके दोस्त हमारे साथ है लेकिन बदतमीज मेरा हाथ पकड़ कर सामने केबिन
मे जबरदस्ती ले जाने की कोशिश कर रहा था। वहाँ खड़े हुए सभी लोग जमीन पर पड़े लड़के और
उसके दोस्त को देख रहे थे। दो बाउन्सर हमारे पास आकर खड़े हो गये और उनमे से एक बोला…
सौरी। आप प्लीज यहाँ से चले जाईये। हम यहाँ पर कोई लड़ाई-झगड़ा नहीं चाहते है। तबस्सुम
भड़कते हुए बोली… कमाल है। उस जमीन पर पड़े हुए कचरे को बाहर फेंकने के बजाय आप लोग हमे
जाने के लिये कह रहे है। आपको शर्म आनी चाहिये। यादव और जमीर अभी भी लौट कर नहीं आये
थे। एक बाउन्सर धीरे से मुझसे बोला…सर, आप फैमिली वाले लोग है। मेरी सलाह मानिये कि
जितनी जल्दी हो सके आप इन्हें लेकर यहाँ से निकल जाईये। यह अमीर परिवारों की बिगड़ी
हुई औलादें है। कुछ ही देर मे इनके दोस्त आ जाएँगें तो फिर आपका यहाँ से बच कर निकलना
मुश्किल हो जाएगा। तभी मेरी नजर जमीर और यादव पर पड़ी जो तेजी से चलते हुए हमारी ओर
आ रहे थे।
दोनो लड़के अब तक खड़े
हो कर तबस्सुम को घूर रहे थे। जिस लड़के को तबस्सुम ने मारा था वह गुस्से मे बोला… साली
तू जिन्दा बच कर यहाँ से नहीं जा सकेगी। उसने कुछ बोलने के लिये जैसे मुँह खोला तक
तबस्सुम का हाथ उसके गाल पर पूरी ताकत पड़ चुका था। …चटाख…की आवाज कल्ब मे गूंज गयी
थी। वह अपने पंजो पर घूमा और चकरा कर जमीन पर ढेर हो गया था। मैने जल्दी से एक बार
फिर उसे अपनी बाँहों मे जकड़ कर हवा मे उठा लिया लेकिन उस लड़के का साथी थप्पड़ की आवाज
सुन कर दो कदम पीछे हट गया था। यह सब इतनी तेजी से हुआ था कि तीन बाउन्सर खड़े होने
के बावजूद भी हिल नहीं सके थे। यादव और जमीर भी मेरे साथ आकर खड़े हो गये थे। अबकी बार
मैने उन फूले हुए जिस्मों वालों से कहा… पता नहीं कि तुम लोग कैसे अपने परिवार की रक्षा
करते होगे। इस नाइट क्ल्ब का मालिक कौन है? अचानक सामने खड़ी हुई भीड़ हटने लगी और एक
जवान हट्टा-कट्टा आदमी पठानी सूट पहने हमारे सामने आकर बोला… समीर साहब, मै इस नाइट
क्ल्ब का मैनेजर हूँ।
एक पल के लिये मेरा
दिमाग चकरा गया था। भला यह मुझे कैसे जानता है? उसने तब तक अपने बाउन्सरों को इशारा
किया और फिर मेरे पास आकर बोला… मैने आपको नूर मोहम्मद साहब की पार्टी मे देखा था।
मेरा नाम शादाब है। मैने अभी भी तबस्सुम को कमर से कस कर पकड़ा हुआ था। वह मुस्कुरा
कर बोला… अंजली जी, आपने मुझे पहचाना नहीं। शबाना आपा ने आपको मुझसे मिलवाया था। अचानक
तबस्सुम जिस्म तनाव से जो अकड़ा पड़ा हुआ वह एकाएक ढीला हो गया और वह मुस्कुरा कर बोली…
उन खबीसों ने मूड खराब कर दिया। भाईजान, कैसे लोगों को आप यहाँ आने देते है। वह झेंप
कर जल्दी से बोला… माफी चाहता हूँ। इस बात का जिक्र आप उनसे बिल्कुल मत किजिएगा। मैने
भी जल्दी से कहा… आप भी मत करना वर्ना वह क्या सोचेंगी कि कैसे लड़ाकू लोगों के साथ
उन्होंने दोस्ती की है। हम तो यहाँ नये है तो किसी ने इस नाइट क्लब का नाम बताया था
तो बाहर से आये अपने कुछ दोस्तों को लेकर यहाँ समय बिताने के लिये आ गये थे। यह तो
अब पता चला कि यह नाइट क्लब फैमिली के लिये नहीं है। अच्छा इजाजत दिजिये। आज की शाम
बर्बाद हो गयी। मैने यादव और जमीर को इशारा किया और तबस्सुम का हाथ पकड़ कर बाहर चलते
हुए कहा… झांसी की रानी चलो। आपको कहीं और लेकर चलता हूँ। शादाब ने एक बार भी हमे रोकने
की कोशिश भी नहीं की थी। हम नाइट क्लब से बाहर निकल कर अपनी गाड़ी मे बैठ कर शहर की
ओर चल दिये थे।
तबस्सुम मेरे साथ
बैठी हुई थी। गुस्से मे वह बार-बार मुठ्ठियाँ भींच रही थी। …झाँसी की रानी अब बस भी
करो। तुमने उसको इतनी बुरी तरह से मारा था कि वह सारी जिंदगी तुम्हें याद रखेगा। …आप
बार-बार मुझे झांसी की रानी क्यों कह रहे है। एक पल के लिये मेरी उंगलियाँ स्टीयरिंग
पर कस गयी थी। मैने जल्दी से कहा… अंजली, हमारे साथ जो मेहमान है वह तुम्हारी कलाकारी
नहीं देख पाये थे। इसीलिये मै उन्हें बता रहा था कि वहाँ क्या हुआ था। तभी कैप्टेन
यादव पीछे से बोला… सर, हम समझ गये थे। खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी।
हम शहर के एक अच्छे होटल मे बैठ कर ड्रिंक्स और खाना खा कर देर रात तक लौटे थे। यादव
और जमीर अपनी पिक-अप लेकर गोदाम की ओर चले गये थे। उस रात पहली बार नाइट क्लब मे छुईमुई
सी तबस्सुम का नया रुप सामने आया था। बेडरुम मे हमारे प्रणय मिलन के दौरान उसकी कंचन
काया एक कसे हुए स्प्रिंग का आभास करा रही थी। जब तक तूफान शान्त हुआ वह अपने पुराने
स्वरुप मे आ गयी थी।
उसे अपने सीने से
लगाकर मैने कहा… मुझे नहीं पता था कि गुस्से मे तुम इतनी खुंखार हो सकती हो। वह मुस्कुरा
कर बोली… अगर आप नहीं रोकते तो आज वह बेचारा जाया हो जाता। इतना बोल कर उसने अपना चेहरा
मेरे सीने मे छिपा लिया था। कुछ देर वह मेरी बाहों मे शांत पड़ी रही और मै काफी देर
तक उसको अपनी बाँहों मे बाँधे हुए पड़ा रहा था। वह तो कुछ देर मे सो गयी परन्तु शादाब
का नाम मेरे दिमाग मे लगातार घूम रहा था। यह नाम मुझे सुना हुआ लग रहा था परन्तु कहाँ
यह मुझे याद नहीं आ रहा था। काफी देर तक मगजपच्ची के बाद भी जब उस नाम को मै किसी चेहरे
के साथ जोड़ने मे असफल रहा तो नींद एक झोंके मे अपनी सपनो की दुनिया मे खो गया था।
सारा दिन अपने नये
कारोबार की शुरुआत मे उलझा रहा था। भंडारी साहब और तबस्सुम के साथ बैठ कर कंपनी के
कार्य के लिये नये सिरे से लोगों का चयन और कार्यविधि की रुपरेखा तैयार करने मे निकल
गया था। शाम को अपने गोदाम पर चला गया था। कैप्टेन यादव और उसकी टीम अपनी नयी रिहायश
मे जाने की तैयारी मे जुटे हुए थे। अब गोदाम के सिर्फ पहली मंजिल का एक हिस्सा उनका
सैन्य ठिकाना था। बाकी हिस्सा अब कंपनी के गोदाम मे परिवर्तित कर दिया गया था। हमने
यह तय किया कि कैप्टेन यादव सुबह नौ बजे से आफिस मे बैठा करेगा। उसके तीन साथी संचार
केन्द्र मे तीन शिफ्ट मे काम करेंगें। दो सैनिक गार्ड ड्युटी पर तीन शिफ्ट मे तैनात
रहेंगें। इसी प्रकार लेफ्टीनेन्ट सावरकर आफिस मे स्थित संपर्क केन्द्र मे दो साथियों
के साथ तैनात रहेगा। वह नौ बजे अपनी ड्युटी पर पहुँच कर उस केन्द्र का काम संभालेगा।
दो शिफ्ट मे एक सैनिक हमेशा उस हाल मे उपस्थित रहेगा। मै नीचे आफिस मे बैठ कर कारोबार
मे तबस्सुम की मदद करुँगा और जरुरत पड़ने पर ही दिन मे हाल मे आऊँगा। आफिस पर तैनात
गार्ड ड्युटी पर दो सैनिक पहले की तरह ही काम करेंगें। सब कुछ फाइनल करके मै यादव और
जमीर को लेकर हाल मे चला गया था।
…कल रात को नाइट क्लब
के हंगामे की वजह से बात नहीं हो सकी थी। तुम्हारा क्या निर्णय है? यादव ने कहा… सर,
हमारी नजर मे चार स्पाट्स है जहाँ विस्फोटक रखे जा सकते है। गैलरी से निकल कर टायलेट
के आगे एक छोटा सा अवैध केसिनो है। वहाँ जाने पर हमे काफी भीड़ दिखी थी। एक कोना वही
है जहाँ हम बैठे हुए थे। वह जगह मुख्य कालम की आढ़ मे था तो एक वह जगह हो सकती है।
…यह तो ठीक है परन्तु आप्रेशन को कब अंजाम देना चाहिये। जमीर ने तभी हमारी बात को काटते
हुए कहा… सर, केसिनो की ओर जाते हुए सामने एक औसत से छोटा लोहे का दरवाजा है। मैने
खोलने की कोशिश की थी परन्तु वह अन्दर से बन्द था। मुझे लगता है कि नाइट कल्ब मे एक
तहखाना भी है। …सर, जमीर सही कह रहा है। वहाँ एक लोहे का गेट मैने भी देखा था। …तो
कब आप्रेशन का समय होना चाहिये? अबकी बार कैप्टेन यादव ने जवाब दिया… जब नाइट क्लब
बंद हो जाता है तभी इस कार्य को अंजाम देना चाहिये वर्ना बहुत से लोगों की जान जाएगी।
…मुझे सोचने दो। मै अभी उनसे बात ही कर रहा था कि एक सैनिक दौड़ते हुए मेरे पास आकर
बोला… सर, एनटीसी वाला इंजीनियर आपसे मिलने के लिये आया है। मै उन्हें वहीं छोड़ कर
बिस्ट से मिलने के लिये चला गया था।
बिस्ट आज अपने ट्रक
से नहीं आया था। मै गोदाम से बाहर निकल कर बिस्ट के पास चला गया। …समीर साहब, आपके
काम के लिये मैने किसी से बात की है। उसका मुँह ज्यादा ही फट रहा है। …बोलिये बिस्ट
साहब वह कितना मांग रहा है? …एक लाख। …यह ज्यादा नहीं है? …मैने तो बहुत मनाने की कोशिश
की परन्तु वह मानने को तैयार ही नहीं हुआ। वह आपको रिकार्डिंग नहीं दे सकता लेकिन जब
भी उस नम्बर पर काल आयेगी उसकी काल को आपके फोन पर फार्वर्ड कर सकता है। आप चाहें तो
उसकी बातें सुन सकते है अथवा उसकी सारी बातचीत अपने फोन पर रिकार्ड भी कर सकते है।
…बिस्ट साहब पैसे देने मे मुझे कोई आपत्ति नहीं है लेकिन इस बात की मै कैसे पुष्टि
करुँगा कि वह काल उसी नम्बर पर आयी है? इसके लिये पहले मै उस आदमी से मिलना चाहूँगा
क्योंकि कहीं ऐसा न हो कि वह किसी और नम्बर की काल को मुझे सुनवा कर पैसे लेकर मुझे
बाद मे फंसवा दे। बिस्ट एक पल के लिये चुप हो गया था। कुछ सोच कर वह बोला… समीर साहब,
मै कल उससे एक बार बात करके मिलवाने का प्रयत्न करुँगा। …ठीक है। पता नहीं क्यों मुझे
अबकी बार उसकी बातों मे सच्चायी कम और झूठ ज्यादा लग रहा था। बिस्ट वापिस चला गया और
मै गोदाम मे जाने एक बजाय अपने घर लौट आया था।
अगले दिन अपने आफिस
मे बैठा हुआ तबस्सुम के साथ मै किसी काम मे उलझा हुआ था जब बिस्ट ने फोन पर कहा… समीर
साहब, आप एनटीसी के मुख्य एक्स्चेंज आ जाईये। मै आपका मुख्य द्वार पर इंतजार कर रहा
हूँ। सारे काम तबस्सुम के हवाले करके मै बिस्ट से मिलने के लिये चला गया था। एक्सचेंज
आफिस के बाहर बिस्ट मुझे मिल गया था। वह मुझे लेकर एक्सचेंज मे चला गया और एक गलियारे
मे खड़ा होकर बोला… वह सेन्ट्रल एक्सचेंज मे काम करती है। रिलीवर मिलते ही वह आ जाएगी।
…लड़की है? …साहब यह बात किसी को पता नहीं है। वह मेरी दूसरी बीवी है। …क्या? …हाँ जनाब।
…बिस्ट साहब क्या आप मुस्लिम है? …नहीं जनाब। …तो फिर आपने दूसरा विवाह कैसे कर लिया?
…साहब यह मोहब्बत का चक्कर था। वह नयी-नयी नौकरी पर लगी थी और मै यहाँ सेन्टर्ल एक्स्चेन्ज
मे मेन्टेनेन्स का इंचर्ज था। बस मोहब्बत हो गयी और फिर दुनिया से छिप कर हमने ब्याह
कर लिया था। मैने हंस कर उसके कन्धे पर हाथ मार कहा… बिस्ट साहब आप बड़े छिपे रुस्तम
निकले। वह भी झेंप कर हंस दिया था।
थोड़ी देर बाद एक पतली
दुबली नेपाली लड़की हमारी ओर आती हुई दिखी तो बिस्ट ने जल्दी से कहा… यह सरिता है। वह
हमारे पास आकर बिस्ट से बोली… आप यहाँ क्यों आ गये। उसने अनसुना करके कहा… यह समीर
साहब है। इनके काम के बारे मे बात की थी। चलो बाहर चल कर बात करते है। यह बोल कर वह
आगे निकल गया और हम उसके पीछे चल दिये थे। …सरिता, क्या इस काम मे तुम्हारे लिये कोई
खतरा हो सकता है? उसने एक बार गरदन घुमा कर मेरी ओर देखा और फिर जल्दी से बोली… अगर
किसी को पता चल गया तो नौकरी पर बात आ जाएगी। …तो फिर क्यों इस काम को कर रही हो? वह
चलते-चलते रुक गयी और मेरी ओर देख कर बोली… क्या आप मजाक कर रहे है। …नहीं। मुझे अभी
तुम्हारे और बिस्ट साहब के संबन्धों का पता चला है। मै हैरान हूँ कि बिस्ट साहब अपनी
बीवी को कैसे खतरे मे डाल सकते है। वह जल्दी से बोली… इस नौकरी को पाने के लिये मेरे
परिवार ने कर्जा लेकर रिश्वत के पैसों का इंतजाम किया था। बेचारे बिशम्बरजी बड़ी मुश्किल
से थोड़ा-थोड़ा करके हमारा कर्जा उतार रहे है। मै उनकी मजबूरी जानती हूँ इसीलिये आपका
काम करने के लिये राजी हुई थी।
सारी कहानी समझने
के बाद मैने पचास हजार की गड्डी सरिता के हाथ मे रखते हुए शुजाल बेग का नम्बर लिखा
हुआ कागज देकर कहा… यह मेरे काम का एडवांस है। जब भी खतरा महसूस हो तो काल फारर्वड
करने की गलती मत करना बस उनकी बात सुन कर मुझे बता देना। …किस नम्बर पर काल फारवर्ड
होगी? मैने एक नया नम्बर उसे बता कर कहा… तुम्हारा एनटीसी का नम्बर है। …जी। उन दोनो
को वहीं छोड़ कर मै अपने आफिस की ओर चल दिया था। जिस दिन बिस्ट ने काल फारवर्ड की बात
की थी उसी दिन मैने एनटीसी का नया सिम कार्ड खरीद कर उसका कनेक्शन चालू कर लिया था।
अगले दिन सुबह से
मेरे नये फोन की घंटी बजना आरंभ हो गयी थी।
BEHTAREEN POST
जवाब देंहटाएंहौसला अफजाई के लिये शुक्रिया दोस्त।
हटाएंबहुत ही उम्दा प्रस्तुति जब कभी भी अपने हद से आगे जाने के सोचे उसके हाल को तबस्सुम/अंजली जैसा उस लोगों के साथ किया वोही करना चाहिए और तो और बिष्ट साहब तो खिलाड़ी निकलेगी अपने दोनो बाजू के अंदर दो जोरूएं कैसे फिट कर बैठे हैं अब वोही जाने और अनुच्छेद में अफसां को समीर ने क्लीन चिट दे तो दिया मगर कहीं न कहीं आगे उसकी कार्य कैसे होते हैं यह देखना होगा, अब अदा और आसिया के बारे में भी कोई खोज खबर नहीं अब देखना होगा आगे वो दोनो कब लौटती हैं दृश्य में।
जवाब देंहटाएंअल्फा भाई हर किरदार की अपनी महत्वता है। जब समय आयेगा तब वह किरदार स्वयं ही सामने आ जाएँगें। धन्यवाद दोस्त।
हटाएं🤣🤣🤣🤣तबस्सुम उर्फ बानो उर्फ अंजली तो झांशीकी राणी निकली, क्या दे दना दन ताबडतोड हाथ के करतबसे 2 मवाली ढेर कर दिये, हां पर समीर अब आयएसआय के नेपाळी गुरगोंके नजरमे चढ जायेगा, अच्छा किया जलदीसे वहासे निकल लिये, बानो को आपणे बेडमे जितनी खुंखार बताया 😉उससे कही अधिक असल जिंदगीमे दीख रही😂बिष्ट साहेब तो छुपा रुस्तम निकले, दोनो हाथोमे लडू लिये घुम रहे, नाईट क्लब की रेकी तो हो गयी अब बस धमाकेका इंतेजार है.
जवाब देंहटाएंवाह प्रशांत भाई। समीर तो पहले दिन से ही बेग और नूर मोहम्मद की नजरों मे आ गया था परन्तु वह दोनो उसको चीन के पाले हुए नामग्याल नाम के तिब्बती ड्रग्स का वितरक का एजेन्ट समझने की गलती कर बैठे थे। शुक्रिया दोस्त।
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