रविवार, 13 अगस्त 2023

  

गहरी चाल-21

 

कंपनी के कारोबार का काम आरंभ किये तीन महीने हो गये थे। अब तक नेपाल के चारों मुख्य क्षेत्रों मे हमारे चार मुख्य एजेन्ट बन गये थे। वह हर हफ्ते अपना आर्डर दे दिया करते और काठमांडू के गोदाम से उनके पास माल पहुँचा दिया जाता था। गोल्डन इम्पेक्स कंपनी का नाम भी अब तक नेपाल के बाजार मे स्थापित हो गया था। मैने सोचा भी नहीं था कि तीन महीने मे कंपनी का काम इतना बढ़ जाएगा कि मेरा असली मकसद पीछे छूटता चला जाएगा। तबस्सुम ने कंपनी के काम की काफी जिम्मेदारी अपने उपर ले रखी थी। वही सारे क्षेत्रीय एजेन्टों से संपर्क मे रहती थी परन्तु गोदाम की आवक और जावक की जिम्मेदारी मैने अपने सिर पर ले रखी थी। गोदाम जाने से मुख्यत: मेरे दो कार्य पूर्ण हो रहे थे। एक कैप्टेन यादव की टीम का संचालन वहाँ से आसानी से हो जाता था और दूसरा कमांड सेन्टर के साथ भी रोजाना बातचीत हो जाती थी।

बेग को पार्सल भिजवाने के बाद से उनके खेमे मे भूचाल सा आ गया था। हिमगिरी नाईट क्लब के विस्फोट मे संयोगवश केसिनो के साथ बने हुए तहखाने मे आईएसआई के बारुद के जखीरे ने आग पकड़ ली थी। इतना भयंकर विस्फोट हुआ था कि आसपास की आबादी मे कुछ इमारतें ढह गयी और कुछ की दीवारों मे दरार आ गयी थी। उस विस्फोट के बाद अजीत सर ने कहा कि कुछ महीने मुझे अब शांत रहने की जरुरत है। आईएसआई के काठमांडू स्थित दो मुख्य मोड्युल को अब तक हमने काफी हद तक क्षति पहुँचा दी थी। नूर मोहम्मद का कारोबार भी लगभग ठप्प हो गया था। पिछले कुछ दिनों मे हुए काठमांडू शहर मे हुए विस्फोटों के कारण नेपाल सरकार ने पाकिस्तानी कारोबारियों के प्रति अपना रुख कड़ा कर दिया था। इसी के कारण नेपाल मे आईएसआई की गतिविधि मे भी भारी गिरावट आ गयी थी। इस बात का सारा श्रेय मेरी टीम को जाता था। पुलिस और सेना की जाँच टीमे दोनो ही विस्फोटक के संबन्ध मे एक ही निष्कर्ष पर पहुँची थी कि विस्फोटक नेपाल के बाहर से लाया गया था। अजीत सर ने कश्मीर और अन्य जगह हुए विस्फोट की फारेन्सिक रिपोर्ट नेपाल सरकार को गोपनीय रुप से देकर यह साबित कर दिया था कि पाकिस्तानी तंजीमे इसी प्रकार के विस्फोटक का इस्तेमाल करती थी। सज्जाद अफगानी और हरकत उल अंसार की जानकारी भी नेपाल सरकार को समय-समय पर गोपनीय तरीके से भारत सरकार ने दे दी थी। इसके कारण पाकिस्तानी दूतावास भी काफी दबाव मे आ गया था।

शुजाल बेग के फोन को टैप करने से मुझे बड़ी मदद मिल गयी थी। एक तो उसके नेपाल नेटवर्क से जुड़े हुए मुख्य लोगो की जानकारी मिल गयी थी और दूसरी जिहादी तंजीमो के साथ उसकी भुमिका भी खुल कर सामने आ गयी थी। एक बात साफ हो गयी थी कि लगातार असफलता के कारण पाकिस्तान का फौजी इदारा भी शुजाल बेग से काफी नाराज चल रहा था। इसका सारा ठीकरा अपने आकाओं के सामने वह नूर मोहम्मद के सिर पर फोड़ रहा था। उसके फोन पर बात करने से मुझे नेपाल मे अलग-अलग जगह बैठे हुए उसके कुछ खास लोगों का पता भी चल गया था। उपयुक्त समय देख कर कैप्टेन यादव की टीम माल पहुँचाने के बहाने उस जगह पर पहुँच कर एक-एक करके उन सभी को ठिकाने लगाने का काम भी कर रही थी। काठमांडू मे सज्जाद अफगानी के बाद से जो मुहिम जो शुरु हुई थी वह अमरगढ़ी मे जैश के इकबाल मसूद, नेपाल गंज मे लश्कर का सलीम शेख, सिद्धार्थनगर मे आईएसआई का मौलाना शमसुद्दीन फैजल और बीरगंज मे हिज्बुल के तारिक अनवर शेख की हत्या करके हमने नेपाल मे आईएसआई की रीढ़ की हड्डी तोड़ कर रख दी थी। इसी प्रकार का एक्शन एनआईए भारत के संवेदनशील स्थानों पर करने मे व्यस्त हो गया था। तीन महीने मे अपने कारोबार को बढ़ाते हुए हमने शुजाल बेग के नापाक इरादों को एक तरह से धूल मे मिला दिया था। कुछ दिन पहले ही मुझे शुजाल बेग और नूर मोहम्मद की बातचीत से पता चला था कि नूर मोहम्मद को वापिस पाकिस्तान बुलाया गया है। मुझे अब तक पूरा यकीन हो गया था कि नूर मोहम्मद आईएसआई और संयुक्त मोर्चे की असली योजना से पूरी तरह अनिभिज्ञ था। काठमांडू की योजना फेल होने का सारा ठीकरा नूर मोहम्मद के सिर पर फोड़ कर शुजाल बेग अपने आप को बचाने की जुगत मे लगा हुआ था।

इन तीन महीनों मे गोल्डन इम्पेक्स कंपनी का कारोबार बढ़ने के कारण काठमांडू के संभ्रात समाज के कार्यक्रमों और पार्टियों मे हमारी उपस्थिति दर्ज होने लगी थी। नूर मोहम्मद और शबाना से अकसर वहाँ मुलाकात हो जाती थी। नूर मोहम्मद अभी भी मेरे सामने आते ही असहज हो जाता था परन्तु तबस्सुम के साथ उन दोनों के बेहद अच्छे संबन्ध बन गये थे। पिछली शाम को कोयराला परिवार की पार्टी मे हमारी मुलाकात उससे हो गयी थी। तब बातों-बातों मे नूर मोहम्मद ने कहा… समीर, हम लोग अब जल्दी वापिस पाकिस्तान लौट रहे है। सब कुछ जानते हुए भी मैने आश्चर्यचकित हो कर कहा… यह सुन कर बेचारी अंजली को गहरा धक्का लगेगा। सब कुछ वहाँ ठीक तो है जो ऐसे अचानक वापिस जाना पड़ रहा है? कुछ नशे का सुरुर और तनाव के कारण अचानक उसने कहा… कुछ आफिस की राजनीति के कारण मुझे वापिस बुलाया जा रहा है। …कोई खतरे की बात तो नहीं है? उसके दिमाग मे उठने वाली चेतावनी को मैने जैसे ही बोला तो वह एकाएक बोल उठा… समीर, मुझे लगता था है कि किसी ने मेरे खिलाफ मेरे अधिकारियों से कोई झूठी शिकायत की है जिसके कारण मेरे सबसे नजदीकी दोस्त भी अब बात करने से कन्नी काट रहे है। वह धीरे-धीरे खुल रहा था कि तभी तबस्सुम और शबाना आकर बोली… चलिये खाना खा लिजिये ऐसे कब तक ड्रिंक्स चलती रहेगी। अपना मन मसोस कर मै चुप हो गया था।

मेरे पास शुजाल बेग की रिकार्डिंग थी जिसमे उसने पाकिस्तान मे किसी खास आदमी को बताया था कि नूर मोहम्मद पैसों के लालच मे रा के साथ मिल गया है। उसी की निशानदेही पर रा के एजेन्टों ने एक-एक करके आईएसआई के मुख्य लोगों का सफाया कर दिया था। उसने सिफारिश की थी कि उसे तुरन्त पाकिस्तान वापिस बुला कर उसके खिलाफ दंडात्मक कार्यवाही की जाये। अब आईएसआई के एक प्यादे को तोड़ने का समय आ गया था। उस शाम विदा लेने से पहले मैने नूर मोहम्मद से कहा… आप दोनो प्लीज कल हमारे घर पर आईये। उसने न नुकुर की परन्तु अंजली और शबाना ने तुरन्त उसको चुप करा कर तय कर लिया कि कल उनका डिनर हमारे घर पर होगा। अब मुझे शुजाल बेग के प्यादे को घेरने की तैयारी करनी थी। घर पहुँचते ही मैने अजीत सर से बात करके पूछा… हम नूर मोहम्मद को अपनी ओर कर सकते है। अपनी योजना उनके सामने रख कर मैने पूछा… आपका क्या विचार है? …हमे उसका क्या फायदा होगा? …सर, पाकिस्तान लौटने से पहले वह हमे ब्रिगेडियर शुजाल बेग को थाली मे परोस कर दे देगा। अजीत सर ने कुछ देर सोचा और फिर बोले… मेजर, अगर इस आप्रेशन मे कामयाब हो गये तो फिर तुम यहाँ वापिस आने की तैयारी कर लेना। …जी सर। मैने बोल तो दिया परन्तु अब इस कारोबार को छोड़ कर तबस्सुम को लेकर वापिस जाने का मेरा मन नहीं था। मेरे कारण उसका सारा भविष्य गर्त मे चला गया था। यह सब मैने उसके भविष्य को सुदृढ बनाने के लिये ही तो खड़ा किया था। यही एक तरीका मुझे समझ मे आया जिसके कारण वह अपनी पहचान खुद बना सकती थी।  

अगले दिन सुबह भारतीय दूतावास मे मनोहर लाल शर्मा को मैने सारी बात समझा दी थी। तबस्सुम और आरफा ने डिनर की खास तैयारी की थी। उन्होंने कुछ ड्रिंक्स का भी इंतजाम करवा दिया था। दिन भर हम अपनी तैयारी करने मे जुटे रहे थे। शाम को सात बजे के बाद नूर मोहम्मद और शबाना का हमने बड़ी गर्मजोशी के साथ स्वागत किया और आफिस का एक चक्कर लगवा कर हम अपने ड्राँइग रुम मे आकर बैठ गये थे। पहले ड्रिंक्स का दौर आरंभ हुआ फिर हमारी बातचीत का दौर शुरु हो गया था। जब नशे के हल्के सुरुर ने असर दिखाना शुरु किया तो मैने बात छेड़ी… आपने बताया था कि आपके खिलाफ किसी ने शिकायत की है। …हाँ, मुझे पता चला है कि किसी ने मेरे अधिकारियों को यकीन दिलाया है कि मैने पैसों की खातिर भारतीय रा के साथ कोई साँठ-गाँठ की है जिसके कारण पिछले कुछ दिनों मे हमारे लोगों की हत्या हो गयी है। …तो आपने क्या सोचा है? …कुछ समझ मे नहीं आ रहा है। एक बार अपनी बात उनके सामने रखने की कोशिश करुँगा तभी बीवी बच्चों को अपने साथ नहीं ले जा रहा हूँ। …आपको यह पता नहीं चला कि किसने आपकी शिकायत की है? …समीर इस काम मे यही खतरा हर दम मंडराता है कि न जाने कौन अपनी दुश्मनी निकालने के लिये आपकी पीठ मे छुरा मार दे। मैने एक घूँट भर कर धीरे से कहा… मुझे पता है कि किसने आपके खिलाफ साजिश रची है। एक पल के लिये कमरे मे अचानक शान्ति छा गयी थी। कुछ दूरी पर बैठी हुई अंजली और शबाना ने भी बात करना बन्द करके हमारी ओर देखना शुरु कर दिया था।

…कल आपकी बात सुन कर मुझे बड़ा बुरा लगा और मैने अपने कुछ जानकारों से पता लगाने की कोशिश की तो उन्होंने मुझे एक रिकार्डिंग सुना दी थी। वह रिकार्डिंग सुन कर मै चौंक गया था। …समीर, वह कौन है? …मै कुछ भी बताने की स्थिति मे नहीं हूँ लेकिन यही सच है कि आपके खिलाफ साजिश हुई है। उसी आदमी ने आपको धोखा देकर अपने किसी साथी के द्वारा कुछ लोगों की जानकारी स्थानीय रा के अधिकारी को दी थी।। एकाएक नूर मोहम्मद सकते मे आ गया था। मैने गर्म लोहे पर आखिरी चोट मारी… मुझे यह भी पता चला है कि उसने आपके लिये फायरिंग स्कायड की सिफारिश की है। मुझे जो बताना था वह मैने बता दिया है। अब इसके आगे मै आपको कुछ नहीं बता सकता। हाँ अगर आप चाहें तो मै अपने उस आदमी से मिलवा सकता हूँ। मैने काँटा फेंक दिया था और अब उसमे उसके फँसने की देर थी। मैने उसका गिलास भरते हुए कहा… आपको दोस्त कहा है तो आपके सामने सच रख दिया है। उसने एक बार शबाना और तबस्सुम पर नजर डाल कर कहा… हम कहीं बाहर चल कर बात नहीं कर सकते? मैने जल्दी से कहा… ऐसा करते है कि हम ड्रिंक्स लेकर नीचे आफिस मे चलते है।

हम दोनो आफिस मे जाकर बैठ गये थे। वह किसी गहरी सोच मे डूब गया था। …समीर, तुम कौन हो? …नूर मोहम्मद साहब मैने आपको कई बार बताया है कि मै एक कारोबारी हूँ। पहले कश्मीर मे मेरा सेबों का कारोबार था। उसके जरिये जैश और लश्कर के साथ भी अच्छे संबन्ध बन गये थे परन्तु इंडियन फोर्सेज के कारण सारा धंधा चौपट हो गया था। तब रा के एक दोस्त की मदद से मेरी जानकारी कोशी नामग्याल से हो गयी थी। उसी के सुझाव पर मै यहाँ पर नये सिरे से अपना काम जमाने के लिये आया था। वह तिब्बती चरस का एक कन्साईन्मेन्ट हर महीने मुझे देता है जिसे मै भारत मे स्थित डीलर्स तक पहुँचा देता हूँ। …जिसके पास वह रिकार्डिंग है क्या वह रा मे काम करता है? मैने उसका जवाब नहीं दिया बस चुपचाप बैठा रहा। …क्या मै उससे मिल सकता हूँ? …क्यों नहीं। मै उसे अभी यहीं बुला देता हूँ। वह कुछ सोच कर बोला… समीर, उसे बुला लो। …ठीक है। मैने अपना फोन उठा कर मनोहर लाल शर्मा से बात करके नूर मोहम्मद से कहा… अब यहाँ से आगे आपको और उसको बात करनी है। मै सिर्फ इसलिये बैठूँगा जिससे आप दोनो को विश्वास रहे कि कोई किसी को धोखा नहीं देगा। नूर मोहम्मद चुपचाप अपने प्याले से घूँट भरता रहा और अपनी ही सोच मे डूब गया था।

मनोहर लाल शर्मा को देखते ही नूर मोहम्मद पहचान गया था। …शर्मा यह क्या चक्कर है? …समीर मेरा पुराना दोस्त है। मै ही उसे यहाँ लाया था। …शर्मा वह कौन है? …मै सुबूत के साथ उसका नाम दे सकता हूँ लेकिन तुम मेरे लिये क्या करोगे? …बताओ तुम्हें क्या चाहिये? …हमारे निशाने पर ब्रिगेडियर शुजाल बेग है। हम सब जानते है कि वह आतंक का कारोबार यहाँ से चला रहा है। अब तुम बताओ कि तुम हमे उसके लिये क्या दे सकते हो? शुजाल बेग का नाम सुनते ही नूर मोहम्मद का चेहरा स्याह हो गया था। कुछ सोच कर नूर मोहम्मद ने कहा… यह तो तुम्हारी जानकारी पर निर्भर करता है। …नूर मोहम्मद हम दोनो एक ही लाइन मे है इसलिये अच्छा होगा कि तुम साफ बात करो। तुम्हारे पास शुजाल बेग के खिलाफ एक जानकारी है और हमारे पास तुम्हारी जानकारी है। क्या एक्सचेंज मुमकिन है कि नहीं? एक पल वह चुप रहा और फिर बोला… ठीक है। मै शुजाल बेग तुम्हें दूँगा लेकिन तुम मुझे उस आदमी का नाम बताओ। मनोहर लाल शर्मा मुस्कुरा कर बोला…  मेरे नाम बताने से कुछ नहीं होगा। तुम उस गद्दार की आवाज खुद सुन लो। यह बोल कर शर्मा को मैने जो रिकार्डिंग दी थी उसने नूर मोहम्मद के सामने चला दी। उसकी आवाज सुनते ही उसको बिजली का तेज करंट लगा था।

पूरी रिकार्डिंग सुन कर वह कुछ देर चुप रहा और फिर धीरे से बोला… इस खबीस की औलाद के लिये मैने क्या कुछ नहीं किया है और यह मेरे खिलाफ साजिश रच रहा है। मनोहर लाल ने तुरन्त कहा… नूर मोहम्मद, हम दोनो का दुश्मन एक ही है। तुम अगर जाने से पहले शुजाल बेग को हमारे हवाले करोगे तो तुम्हारा वापिस जाना स्थगित हो जाएगा। हम मंसूर बाजवा तक यह खबर पहुँचा देंगें कि ब्रिगेडियर शुजाल बेग अभी तक हमारे लिये काम कर रहा है। हमारे पास उसके खिलाफ इतने सुबूत है कि वह जिंदगी मे फिर कभी बाहर नहीं निकल सकेगा। यह भी हो सकता है कि बाजवा तुम्हें ही काठमांडू का स्टेशन इंचार्ज नियुक्त कर दे क्योंकि तुम यहाँ पर आईएसआई के सबसे पुराने आदमी हो। तुम हमारी मदद करोगे तो हम तुम्हारी मदद करेंगें। अब यह बताओ कि तुम कब और कैसे उसे हमारे हवाले करोगे? इस दौरान मे मैने एक भी शब्द नही बोला था। मेरी नजर उस पर जमी हुई थी। मै समझ सकता था कि उसके दिमाग मे क्या चल रहा होगा परन्तु उसको पहल करनी थी। नूर मोहम्मद को अपना आदमी बनाने के लिये इस समय कैप्टेन यादव मेरे आफिस ने होने वाली बातचीत की विडियो रिकार्डिंग कर रहा था।

…शर्मा इस वक्त मै सोचने की स्थिति मे नहीं हूँ। पहली बार मैने उन दोनो के बीच मे अपनी बात रखने के लिये कहा… मेरे पास एक सुझाव है। अगर आप ठीक समझते है तो नूर साहब मै बोलूँ अन्यथा आप जाने और आपका काम। उसने मेरी ओर देख कर कहा… समीर तुम ही कोई सुझाव दो। …आप उससे मेरी मुलाकात के बहाने मेरे गोदाम पर भेज सकते है। …कैसे समीर? आज कल वह दूतावास से बाहर नहीं निकल रहा है। …तो आप मेरी बात फोन पर उससे करवा दिजिये लेकिन उससे पहले आपको उसकी शाही मस्जिद के तहखाने मे की हुई ऐयाशी की विडियो फिल्म मुझे देनी पड़ेगी। नूर मोहम्मद चौंक कर बोला… समीर तुम्हे शाही मस्जिद का राज कैसे पता है। इस बार मनोहर लाल शर्मा ने कहा… इसे मैने बताया था। मुझे मालूम है कि तुम्हारे पास उसकी फिल्म पड़ी हुई है। तुम खुद उसका इस्तेमाल अपने बचने के लिये नहीं कर सकते क्योंकि वह भले ही इसमे फँस जायेगा लेकिन तुम्हारे पास अपनी बेगुनाही का कोई सुबूत नहीं है। वैसे भी अगर तुमने उस फिल्म का खुद इस्तेमाल किया तो मौलाना कादरी तुम्हें जिन्दा नहीं छोड़ेगा क्योंकि बेग की ऐयाशी के लिये बच्चों का इंतजाम तो वही किया करता है। …पर शर्मा वह समीर से क्यों फोन पर बात करेगा? अबकी बार मैने कहा… आपको सिर्फ उससे यह कहना है कि मेरे पास कुछ वलीउल्लाह के बारे मे जानकारी है जिसका सौदा मै उसके साथ करना चाहता हूँ। नूर मोहम्मद एक बार फिर सोच मे पड़ गया था। अबकी बार मनोहर लाल ने कहा… क्या सोच रहे हो नूर मोहम्मद? उसकी फिल्म हमे दे दो और समीर की बात उससे करो दो। हम मिल कर शुजाल बेग नाम का काँटा यहाँ से हमेशा के लिये उखाड़ फेंकेंगें। …यह वलीउल्लाह कौन है? शर्मा ने कहा… उसी से पूछ कर देख लेना। यह नाम सुन कर उसे बहुत तगड़ा करंट लगेगा।

कुछ देर सोचने के बाद मनोहर लाल शर्मा से हाथ मिला कर उसने कहा… वह फिल्म तो मै अभी दे देता हूँ लेकिन पता नहीं कि शुजाल बेग वलीउल्लाह का नाम सुन कर समीर से बात करेगा कि नहीं? अबकी बार मैने कहा… वलीउल्लाह का नाम सुनते ही वह सिर के बल चल कर मुझसे मिलने आयेगा। आप देख लेना। वह कुछ सोच कर बोला…समीर, वह फिल्म मेरे आफिस के लाकर मे रखी हुई है। मै उसे अभी लेकर आता हूँ। बस उपर बैठी हुई शबाना को इसका पता नहीं चलना चाहिये कि यहाँ किससे और क्या बात हुई है। मैने जल्दी से कहा… पहले जाम टकराने का एक दौर हो जाये क्योंकि पहली बार आईएसआई और रा का जोइन्ट आप्रेशन हो रहा है। नूर मोहम्मद और मनोहर लाल शर्मा ने जोर से ठहाका मारा और अपनी ड्रिंक्स को टकरा कर चीयर्स करके बैठ गये। अपना प्याला खाली करके नूर मोहम्मद आफिस की ओर चल गया था। उसके जाते ही शर्मा ने कहा… क्या वह मुकर तो नहीं जाएगा? …यह उसकी परीक्षा की घड़ी है। उसकी इस मुलाकात की पूरी विडियो फिल्म बना ली गयी है। अब से वह हमारे लिये काम करेगा अन्यथा वह फायरिंग स्कायड के लिये तैयार हो जाये। मनोहर लाल शर्मा मुझे अजीब सी नजरों से देख रहा था और मै आराम से अपना प्याला खाली करने मे लगा हुआ था। पन्द्रह मिनट के बाद नूर मोहम्मद एक सीडी लेकर आया और मेरे हाथ मे रखते हुए कहा… यह मेरी इंश्योरेन्स पालिसी थी जो अब तुम्हें  दे रहा हूँ। बस इस खबीस की औलाद को यहाँ से हमेशा के लिये गायब करवा दो। शर्मा ने कहा… समीर, एक बार चला कर देख लो। मैने सीडी को कंप्युटर मे डाल कर चला दी थी। कुछ मिनट चलाने के बाद मैने तुरन्त बन्द करके कहा… ऐसे आदमी को तो जीने का अधिकार ही नहीं है।

मनोहर लाल के जाने के बाद हम दोनो उपर आ गये थे। दोनो स्त्रियाँ हमारी ओर उत्सुक्ता से देख रही थी। तभी नूर मोहम्मद ने मुस्कुरा कर शबाना से कहा… इस आदमी का मुझ पर बहुत बड़ा एहसान है। इसने मेरी जान बचा ली है। एकाएक तनाव का माहौल हंसी खुशी मे बदल गया था। मैने तबस्सुम से कहा… चलो अब डिनर की तैयारी करो बहुत भूख लग रही है। बड़ी तसल्ली से हमने हंसी मजाक करते हुए खाना खाया और फिर कुछ देर बैठ कर वह दोनो अपने घर चले गये थे। कैप्टेन यादव और उसके दो साथी मेरा इंतजार कर रहे थे। …इस मुलाकात की विडियो रिकार्डिंग हो गयी? …जी सर। …उसे कमांड सेन्टर मे अजीत सर के पास भिजवा दो। मैने जेब से सीडी निकाल कर ड्युटी पर बैठे हुए विजय कुमार से कहा… इस सीडी को कापी करके हिफाजत से रख लो। यह बोल कर कर मैने कैप्टेन यादव और उसके साथियों को वापिस गोदाम भेज कर अपने घर की ओर चल दिया था।

जब तक मै वापिस लौटा था तब तक सब कुछ साफ हो गया था। आरफा अपने कमरे मे जा चुकी थी और बेडरुम मे तबस्सुम मेरी राह देख रही थी। अपने कपड़े उतार कर जब मै उसके साथ लेटा तो उसने पूछा… आप इन लोगो के चक्कर मे क्यों पड़ रहे है। अच्छा खासा करोबार चल रहा है। किसी कारणवश अगर बात बिगड़ गयी तो इसका सारा असर यहाँ के काम पर पड़ेगा। मैने उसे अपनी बाँहों मे भर कर उसके संवेदनशील अंगों को छेड़ते हुए कहा… यह सिर्फ इसलिये कर रहा हूँ कि तुम्हारे कारोबार पर कोई आँच न आये। तुम तो जानती हो कि मेरी नौकरी ऐसी है कि वह कभी भी वापिस बुला सकते है। इस काम के बाद दिल्ली मे बैठे हुए लोग गोल्डन इम्पेक्स कंपनी और तुम्हें कभी नजरअंदाज नहीं करेंगें और तुम्हारे कारोबार पर फिर कभी कोई आँच नहीं आयेगी। …और आप? …मुझे तो कभी भी जाना पड़ सकता है लेकिन तुम तो यहाँ पर सुरक्षित रहोगी। …नहीं मै आपके साथ ही जाउँगी। मुझे इसकी कोई जरुरत नहीं है। उसको समझाने के लिये मेरे पास काफी समय था तो मैने उसकी बात को अनसुना करके उसकी कामाग्नि भड़काने मे जुट गया था।

अगले दो दिन तक कोई फोन नहीं आया था। हम लोग नूर मोहम्मद और शुजाल बेग के फोन पर कड़ी निगरानी रख रहे थे। इसी बीच अजीत सर से मेरी दो बार बात हुई थी। इस कार्य की सफलता के बारे मे जानने के लिये वह भी काफी उत्सुक थे। उन्होंने भी अपनी ओर से तैयारी कर ली थी। बस शुजाल बेग का इंतजार चल रहा था। तीसरे दिन शाम को नूर मोहम्मद ने फोन पर कहा… बड़ी मुश्किल से उसने अभी मिलने का समय दिया है। मै तुम्हारी बात कराने की पूरी कोशिश करुँगा लेकिन अगर उसने बात नहीं की तो फिर क्या करोगे क्योंकि दो दिन बाद की मेरी इस्लामाबाद की फ्लाईट है। …आप बेफिक्र रहिये। इसका भी हल निकल आयेगा। आप आराम से जाईये और मेरा पैगाम दे दिजिये बाकी सब खुदा पर छोड़ दिजिये। मैने फोन काट दिया था। मै संचार केन्द्र मे बैठ कर दीवार पर लगी हुई घड़ी की सुईयों पर निगाह गड़ाये बैठा हुआ था। सेकन्ड की सुई के साथ ही मेरी भी धड़कन बढ़ती जा रही थी। मेरे साथी हर पल दोनो के फोन पर नजर रखे हुए थे। नूर मोहम्मद को दूतावास मे गये हुए एक घंटे से ज्यादा हो गया था। अब मेरे मन मे ख्याल उठ रहा था कि क्या शुजाल बेग भी वलीउल्लाह से अनिभिज्ञ तो नहीं था? अगर ऐसी बात है तो वह हमारे किसी काबिल भी नहीं था।

मै उठ कर चहलकदमी कर रहा था कि तभी अचानक शुजाल बेग का फोन एक्टिव हो गया था। उसकी काल मेरे फोन पर फार्वर्ड हुई थी। स्पीकर पर उसकी आवाज गूंजी… जनाब, वलीउल्लाह का कवर समाप्त हो गया है। …क्या बक रहे हो। …जनाब, इसके बारे मे अभी मुझे मेजर नूर मोहम्मद से खबर मिली है। उसे एक व्यक्ति ने संपर्क किया है जो वलीउल्लाह की जानकारी बेचना चाहता है। उसके लिये वह आदमी मुझसे मिलना चाहता है। …तुमने उससे खुद बात की है? …नहीं जनाब लेकिन उससे मिलने से पहले मैने आपको सुचित करना जरुरी समझा था। …बेवकूफ, शुजाल बेग पहले तुम्हें खुद जाँच पड़ताल करनी चाहिये थी। तुम्हारी इस हरकत ने यह साबित कर दिया कि कोई वलीउल्लाह नाम का आदमी है। मेजर नूर मोहम्मद को भी इस नाम की पहचान हो गयी है। तुमसे कहा गया था कि इस नाम का जिक्र कभी ओपन लाइन पर नहीं होना चाहिये फिर तुमने ऐसी हिमाकत करने जुर्रत कैसे की है। अगर यह बात बाहर निकल गयी तो मै खुद तुम्हें गोली मार दूँगा। …जनाब, खबर ही ऐसी थी। …उसकी क्या मांग है? …जनाब वह एक मिलियन डालर मांग रहा है। …देने का वादा कर दो लेकिन वह जिन्दा नहीं बचना चाहिये। …जी जनाब। …मेजर नूर मोहम्मद का भी वही हश्र होना चाहिये क्योंकि उसे भी पता चल गया है। जी जनाब। दूसरी ओर से लाइन कट गयी थी।

हमारे सिस्टम ने उसका हर शब्द रिकार्ड कर लिया था। वह अपने पैसे बनाने की योजना बना रहा था। मै अभी उसके बारे मे सोच रहा था कि मेरे फोन की घंटी बज उठी थी। मैने तुरन्त कुशाल सिंह को इशारा किया और फोन उठा कर बोला… हैलो। …मुझे नूर मोहम्मद ने बताया कि तुम मुझसे बात करना चाहते हो? …जहेनसीब ब्रिगेडियर साहब। आपसे बात करने के बजाय वलीउल्लाह की जानकारी का सौदा करना चाहता हूँ। …कौन वलीउल्लाह? …कोई बात नहीं मै रा मे गोपीनाथ से इसका सौदा कर लेता हूँ। शुक्रिया। इतना बोल कर मैने फोन काट दिया था। मुझे मालूम था कि वह दोबारा फोन करेगा तो मैने अपना फोन अभी जेब मे नहीं रखा था। अगले ही पल मेरे फोन की घंटी फिर से बज उठी थी। अबकी बार मैने फोन उठा कर कहा…हैलो। …भाईजान, फोन क्यों काट दिया। उस सौदे के मामले मे आपसे कहाँ मिलना है? मै तुरन्त वहाँ पहुँच जाता हूँ। अबकी बार मेरी आवाज कठोर हो गयी थी… शुजाल बेग मेरी बात ध्यान से सुन कि वलीउल्लाह का सौदा तो मै अब गोपीनाथ से करुँगा लेकिन पहले जनरल शरीफ और तेरे आका बाजवा को तेरी शाही मस्जिद की ऐयाशी की दास्तान सुना दूंगा। एक पल के लिये उसकी जुबान को ताला लग गया था।

…हैलो। उसने जल्दी से बोलना आरंभ किया… भाईजान आपको खुदा का वास्ता मेरी बात सुन लिजिये। मै सौदा करने के लिये तैयार हूँ बस आप इतना बता दिजिये कि आना कहाँ है। …ठीक है। तू नूर मोहम्मद के साथ अकेला आयेगा। वैसे मुझे पूरा विश्वास है कि तू अपने साथ ग़ाजियों की फौज लाने की सोच रहा होगा तो मेरी बात अब ध्यान से सुन कि अगर मुझे तेरे साथ नूर मोहम्मद के अलावा सड़क पर एक कुत्ता भी दिखा तो अपनी डील उसी समय समाप्त हो जाएगी। कुछ भी बेवकूफी करने से पहले तुझे एक बात समझ लेनी चाहिये कि शाही मस्जिद के तहखाने मे तेरी एयाशियों का अच्छा खासा ब्यौरा मेरे पास है। अगर नूर मोहम्मद के साथ तू मेरे पास आधे घंटे मे नहीं पहुँचा तो वह सीडी कल सुबह तक नेपाल सरकार को सौंप दूँगा। यह सोच ले कि जो तूने नेपाली बच्चे और बच्चियों के साथ किया है उसकी खबर बाहर आने के बाद नेपाल की जेल मे नेपाली लोग तेरा क्या हश्र करेंगें। चल अब नूर मोहम्मद को फोन दे। वह कुछ नहीं बोला और उसने अपना फोन नूर मोहम्मद को पकड़ा दिया… हैलो। …फोन को स्पीकर पर डाल दो। शुजाल बेग को लेकर सीधे मेरे गोदाम पर पहुँचों और फोन आन रखना ताकि तुम्हारी जान बच जाए। इस खबीस ने तो तुम्हारी हत्या करने की पूरी साजिश रच डाली है। तुम वहाँ से जिन्दा बच कर नहीं निकल सकते थे।

शाही मस्जिद की बात सुन कर शुजाल बेग को सांप सूंघ गया था। वह पूरे रास्ते कुछ नहीं बोला था। जब तक नूर मोहम्मद की कार हमारे गोदाम तक नहीं पहुँची थी तब तक मैने फोन आन रखा था। जैसे ही गार्ड ड्युटी पर तैनात सैनिक ने उनके आगमन की सूचना दी तभी नूर मोहम्मद की आवाज स्पीकर पर सुनाई दी… हम पहुँच गये है। उनके पीछे-पीछे मेरी स्काउट पार्टी भी पहुँच गयी थी। मेरे इशारे पर गोदाम का शटर खोल दिया गया था। नूर मोहम्मद और शुजाल बेग पैदल चलते हुए अन्दर आ गये थे। मै हाल से निकल कर उनकी ओर चल दिया था। मुझे सिड़ियों से उतरते हुए देख कर शुजाल बेग चौंक गया था। …आईये ब्रिगेडियर साहब। नूर मोहम्मद तुम्हारा काम समाप्त हो गया और इसके गायब होने की खबर चौबीस घंटे के लिये दबा कर रखना। अगर तुम्हारी जुबान पर चौबीस घंटे ताला पड़ा रहा तो तुम्हारी बेगुनाही का सुबूत तुम्हारे पास पहुँच जाएगा। नूर मोहम्मद उल्टे कदम वापिस हो लिया था। शुजाल बेग ने बात करने के लिये जैसे ही मुँह खोला कि तभी उसकी कनपटी पर कैप्टेन यादव ने अपनी पिस्तौल से वार किया जिसके कारण वह एक पल के लिये हवा मे लहराया और जमीन पर गिर कर बेहोश हो गया।

हमारे पास समय नहीं था। हमने जल्दी से उसे ट्रक मे डाला और उसके साथ छह हथियारबंद सैनिकों को लेकर मै पीछे बैठ गया। मुश्किल से दस मिनट के बाद हम भारत की सीमा की ओर जा रहे थे। मैने रास्ते मे उसको बेहोशी का इन्जेक्शन दे दिया था जिससे वह उठ कर कोई बेवजह हंगामा न कर सके। इसी ट्रक मे शुजाल बेग का नोटों से भरा हुआ ट्रंक भी रखा हुआ था। हमने अबकी बार सबसे छोटा रास्ता चुना था। काठमांडू से हिटौडा और फिर वहाँ से बीरगंज पहुंच कर सीमा पार करने का इंतजाम किया था। रक्सौल पर सीमा सुरक्षा दल की चौकी पर पहले से ही खबर कर दी थी जिसके कारण ट्रक को सीमा पार करने मे कोई मुश्किल पेश न आये। सीमा सुरक्षा बल के हेलीपेड पर एयरफोर्स का हेलीकाप्टर हमारा इंतजार कर रहा था। सुबह दस बजे तक हम भारत की सीमा मे प्रवेश कर गये थे। शुजाल बेग को अभी तक होश नहीं आया था। हेलीकाप्टर मे चढ़ाने से पहले मैने उसे एक और इन्जेक्शन दे दिया था। शुजाल बेग और नोटों से भरे हुए ट्रंक को हेलीकाप्टर मे रखवा कर ट्रक और अपने साथियों को वापिस काठमांडू भेज दिया था। दोपहर ढलने से पहले हम दिल्ली के एयरपोर्ट पर उतर गये थे।

अजीत सर खुद एयरपोर्ट पर आये हुए थे क्योंकि मैने बता दिया था कि शाम की फ्लाईट पकड़ कर मुझे उसी रोज वापिस काठमांडू पहुंचना है। पाकिस्तान आईएसआई का ब्रिगेडियर शुजाल बेग को अजीत सर के हवाले करके मैने कहा… सर, आप्रेशन काठमांडू मेरी ओर से ओवर हो गया है। एक ट्रंक है मै चाहता हूँ कि इस पैसों को भी गोल्डन इम्पेक्स के अकाउन्ट मे ट्रांस्फर करवा दिया जाये। …कितने पैसे है? …सर, लगभग पांच करोड़ रुपये है। अब आगे क्या? …तुम बताओ कि क्या सारा काम समेटना चाहते हो? …सर, मैने वहाँ पर अपना काम जमा लिया है। अब हमारे लिये नेपाल मे बेहद पुख्ता फ्रंट तैयार हो गया है। गोल्डन इम्पेक्स कंपनी अब चलती रहेगी और आगे भी जब जरुरत पड़ेगी तो वह हमारे काफी काम आएगी। …फारुख की बेटी उसका काम संभाल रही है? …जी सर, बस हालात ऐसे थे कि हम दोनो ही स्टाकहोम सिन्ड्रोम के शिकार हो गये थे। जो छ्द्म नाम और रिश्ता बना कर काठमांडू गये थे वह वहाँ जाकर सच हो गया है। …मेजर, श्रीनगर से फारुख गायब हो गया है। उस लड़की को उस आदमी से दूर रखना। कब तक वापिस आ जाओगे? …सर, फिलहाल आईएसआई का नेटवर्क तो वहाँ पर पूरी तरह से तबाह हो गया है। अब नूर मोहम्मद का स्टेशन इंचार्ज बना रहेगा तो उसकी नस अब हमारे हाथ मे है। उस ओर से मुझे अब कोई खतरा नजर नहीं आ रहा है। …मेजर, तुमने अभी भी मेरी बात का जवाब नहीं दिया। अब तुम्हारा यहाँ होना बेहद जरुरी है। …सर मुझे दो हफ्ते का समय चाहिये। वहाँ पर सब कुछ ठीक करके मै वापिस यहाँ ड्युटी पर रिपोर्ट करुँगा।

शुजाल बेग को लेकर अजीत सर वापिस चले गये थे। मै एयरपोर्ट मे दाखिल हो गया था। इन्डियन एयरलाइन्स की फ्लाईट पकड़ कर रात तक मै काठमांडू पहुँच गया था। शुजाल बेग को पकड़े हुए अभी चौबीस घंटे पूरे नहीं हुये थे। मेरी योजनानुसार शुजाल बेग के गायब होने की खबर से पहले मेरा काठमांडू मे होना अनिवार्य था। …आप कल शाम से कहाँ गायब थे? …गोदाम मे बैठ कर काम कर रहा था। क्या करुँ हमारा ट्रक माल पहुँचा कर बाद मे लौटता है लेकिन उससे पहले तुम्हारा नया आर्डर पहुँच जाता है। अधकचरी नींद और थकान के कारण बदन टूट रहा था। बानो मै सोने जा रहा हूँ। मै आंखें मूंद कर नींद की प्रतीक्षा कर रहा था कि मुझे लगा कि कोई मेरी पीठ धीरे-धीरे दबा रहा है। मैने मुड़ कर देखा तो तबस्सुम मेरी पीठ को धीरे-धीरे दबा रही थी। …क्या नींद नहीं आ रही है। एक करवट लेकर उसे अपने आगोश मे बाँध कर उसके कान पर अपने होंठ रगड़ते हुए कहा… तुम्हारे बिना कमबख्त नींद नहीं आती है। उसने मचल कर दूर होने की कोशिश की परन्तु तब तक मै उस पर छा गया था। उस रात मैने उसको टूट कर प्यार किया था। मेरे पास दो हफ्ते का समय था तो उस रात विछोह के डर से उसके पोर-पोर को मैने अपनी मोहब्बत से सींच दिया था। उसके जिस्म का शायद ही कोई ऐसा हिस्सा बचा होगा जिसे मेरे होंठों का स्पर्श नहीं हुआ होगा। जब तूफान गुजर गया तो उसने मेरे सीने पर सिर रख कर कहा… आज आपको क्या हो गया था? …कुछ नहीं बस तुम पर अपना सब कुछ लुटाने का दिल कर रहा था। …कुछ दिनो से एक बात बताने की सोच रही हूँ लेकिन समय ही नहीं मिल रहा है। मैने उसका चेहरा अपने हाथों मे लेकर उसकी आंखों मे झाँकते हुए कहा… जो भी मन मे है वह बोल दो। अचानक वह बोलते हुए शर्मा गयी और अपना चेहरा मेरे सीने मे छिपा कर बोली… मुझे लगता है कि कोई तीसरा हमारे बीच मे आ गया है। उसके पुष्ट नितंब पर एक चपत लगा कर धीरे उसमे उठती हुई थरथराहट को अपनी उंगलियों महसूस करते हुए मैने कहा… पगली हमारे बीच मे कोई तीसरा नही है। उसने झेंप कर मेरे सीने पर मुक्का मार कर जल्दी से कहा… मुझे लगता है कि मै हामिला हो गयी हूँ। यह बोल कर उसने अपना चेहरा मेरे सीने मे छिपा लिया था।

एक पल के लिये मुझे उसकी बात समझ मे नहीं आयी लेकिन जब उसका मतलब समझ मे आया तो मैने संभलते हुए पूछा… तुम्हें कैसे पता चला? …मुझे तो शब-ए-वस्ल को ही लगा था। परन्तु तीन महीने से सब कुछ रुक गया है। मेरे दिमाग मे तुरन्त मुंबई सेन्ट्रल की याद आ गयी थी। अंजली ने मुझे मेनका के बारे मे रेलवे स्टेशन पर बताया था। अबकी बार मैने एक-एक शब्द संभल कर बोला… यह तो हम दोनो के लिये खुशी की बात है लेकिन तुम क्या चाहती हो? उसने मुझे घूर कर देखते हुए बोली… आपका क्या मतलब है? …बहुत सी लड़कियाँ निकाह के बाद इतनी जल्दी यह जिम्मेदारी उठाने के लिये तैयार नहीं होती है। …हमारे यहाँ इसे खुदा की नेयमत मानते है। …खुदा को दो मिनट के लिये एक तरफ रख कर सोच कर देखो कि तुम क्या चाहती हो। उसने जल्दी से कहा… मै तो चाहती हूँ। …तो ठीक है मै भी चाहता हूँ तो अब से हमे सावधान हो जाना चाहिये। कल सबसे पहले डाक्टर से टाइम लेकर उसे दिखाने चलो। उसने मेरी आँखों मे देखते हुए पूछा… क्या आप तैयार है इसकी जिम्मेदारी उठाने के लिये? उसको अपनी बाँहों मे जकड़ते हुए मैने कहा… जब तुम्हारी जिम्मेदारी उठाने की कसम खायी है तो फिर तुम्हारी हर जिम्मेदारी उठाने के लिये तैयार हूँ। वह मुझसे बेल की तरह लिपट गयी थी। वह तो अपने दिल का बोझ हल्का करके सो गयी थी लेकिन मै अपने आपको उसी परिस्थिति मे पा रहा था जो उस समय मेरे और अंजली के साथ हुआ था। अजीत सर ने दो हफ्ते का टाइम दिया था। उस रात काफी देर तक मै अपने आप से बहस करता रहा था। जब मुझे कोई हल नहीं सूझा तो उसके सीने मे सिर छिपा कर सो गया था।

सुबह उसने मुझे उठाकर कर कहा… डाक्टर से टाइम ले लिया है। जल्दी से तैयार हो जाईये। रात का खुमार उतर गया था। यन्त्रवत तैयार हुआ और नाश्ता करके डाक्टर को दिखाने के लिये चले गये थे। डाक्टर ने कुछ टेस्ट करवाये और प्रेगनेन्सी की खबर देकर चलते हुए एक डायट चार्ट और कुछ एक्सरसाईज करने की हिदायत देकर हमे वापिस कर दिया था। उसे अपने साथ लेकर मै सीधे गोदाम की ओर चला गया था। गोदाम मे दोनो ट्र्क खड़े देख कर मै समझ गया था कि मेरे साथी सकुशल वापिस लौट आये थे। तबस्सुम गोदाम को देख कर विस्मय से बोली… इतना सारा सामान रखा हुआ है। कैप्टेन यादव तब तक हमारे पास पहुँच चुका था। वह बोला… आज शाम तक वह सारा हिस्सा खाली हो जाएगा। एक हफ्ते मे यह गोदाम बिल्कुल साफ हो जाएगा। तबस्सुम कैप्टेन यादव को जानती थी परन्तु बहुत से चेहरों से वह अनजान थी। मैने उसे अपनी युनिट से मिला कर कहा… तुम्हें आज यहाँ लाने का एक ही मकसद था कि अगर मुझे किसी काम से बाहर जाना पड़ गया तो यादव जी की टीम यहाँ का सारा काम संभाल लेगी। उस वक्त वह कुछ नहीं बोली परन्तु लौटते हुए उसने कहा… अब आप कहीं नहीं जा रहे है। आपके उपर अब तीसरे की जिम्मेदारी भी आ गयी है। भूल गये की डाक्टर ने क्या कहा था। मैने कोई जवाब नहीं दिया और उसके बारे मे सोचते हुए जब मै अपने घर मे प्रवेश कर रहा था कि तभी मेरे फोन की घंटी बज उठी थी।

…हैलो। …मेजर कैसे हो? तुमने अभी तक मेरा काम नहीं किया। उसकी आवाज सुन कर मुझे ऐसा लगा कि किसी ने गर्म सीसा मेरे कान मे उंडेल दिया था। मै चलते-चलते रुक गया था। तबस्सुम अपने झोंक मे आगे बढ़ती चली गयी थी। उसने मुड़ कर मेरी ओर देखा तो वह भी स्थिर खड़ी हो गयी थी।  …फारुख। …ठीक पहचाना। मैने सुना है कि आईएसआई के ब्रिगेडियर शुजाल बेग को तुम्हारी स्पेशल फोर्सेज ने काठमांडू से अगुवा कर लिया है। मुझे उस जगह का पता चाहिये जहाँ उसे रखा हुआ है। मै जानता हूँ कि तुम बिना लिये-दिये कोई काम नहीं करते। इसलिये मुझे उसका पता दो और मै तुम्हें आईएसआई की मेजर हया इनायत मीरवायज की असलियत बता दूँगा है। उसी ने तुम्हारी अम्मी और बहन आलिया के कत्ल की साजिश रची थी। अब तुम्हें सोचना है कि तुम मेरा काम करोगे या नहीं। यह नम्बर अब मत भूलना। इतनी बात करके उसने फोन काट दिया था। मेरे ख्याल से फारुख ने एक ही साँस मे अपनी बात बोल कर फोन काट दिया था। मै फोन कान पर लगाये कुछ पल ऐसे ही खड़ा रह गया था।

…अब्बू का फोन था? तबस्सुम के चेहरे पर परेशानी की लकीरें खिंच गयी थी। मैने उसकी बात का कोई जवाब नहीं दिया तो तुरन्त उसने दूसरा प्रश्न किया… क्या कह रहे थे? मैने उसकी कमर मे हाथ डाल कर दरवाजे की ओर चलते हुए कहा… अपने अब्बू को छोड़ कर अब से अपने खाविन्द के बारे मे सोचा करो। बस इतनी बात करके हम अपने घर के भीतर आ गये थे।

2 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही जबरदस्त अंक और नूर मोहम्मद को चारा बना कर सुजाल बैग को पकड़ ही लिया और इसी के साथ वॉलीउल्लाह की जो हवा उड़ती रही है अब वो धीरे धीरे धुएं से एक किरदार में परिवर्तित होता दिख रहा है और जब सही चल रहा था तो फारूक का फिर से समीर से बात करने से अब स्थिति नाजुक बन चुकी है, अब आगे देखते हैं क्या होता है।

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  2. अल्फा भाई कहानी मे नया मोड़ देने की कोशिश है। आब्सर्वेशन पोस्ट के कारण शुजाल बेग तो पकड़ मे आ गया लेकिन क्या वह इतनी आसानी से सब कुछ बता देगा। अभी तो बहुत से राज खुलने बाकी है। आपकी प्रतिक्रिया के लिये धन्यवाद।

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