रविवार, 29 अक्टूबर 2023

  

गहरी चाल-32

 

जीएचक्यू, रावलपिंडी

जनरल शरीफ के आफिस मे उसकी मीटिंग सारे कोर कमांडरों के साथ हो रही थी।  कमरे मे काफी तनावपूर्ण माहौल था। ब्रिगेडियर शुजाल बेग की रिपोर्ट सबके सामने रखी हुई थी। सभी कोर कमांडरों ने अपनी नाराजगी जनरल शरीफ के सामने जाहिर कर दी थी। पाकिस्तानी फौज की सबसे प्रभावशाली कोर कमांडर जनरल कमाल हुसैन जान्जुआ बोला… जनरल, आप इतना बड़ा आप्रेशन लांच करने जा रहे थे और आपने इतना भी नहीं सोचा कि एक बार इसकी चर्चा अपने कोर कमांडरों से कर लें। अगर आपकी योजना के विपरीत दुश्मन ने जंग का मोर्चा खोल दिया होता तो क्या आप रातों रात अपने सभी कोर कमांडरों को जंग की आग मे झोंक देते। आपकी जैसी बेवकूफी पहले भी एक जनरल ने कारगिल मे की थी जिसका खामियाजा हम आज तक भुगत रहे है। हमे तो हैरानी हो रही है कि आप हमारी नौसेना के दम पर दुश्मन से टकराने की सोच रहे है। उनकी नौसेना के आगे हमारी पूरी फ्लीट एक घंटे भी नहीं टिक पायेगी। जनरल मंसूर बाजवा ने अचानक बोला… कोशिश करने… कमाल हुसैन गुस्से मे दहाड़ते हुए बोला… मंसूर अपनी औकात मे रह कर बात करना। दलाल और फौजी मे फर्क करना सीख ले। तू सेनेट मे नहीं बैठा है। यहाँ पर आठ जनरल ऐसे बैठे है जिनके बूट के नीचे तूने काम किया है। हमारे पास वलीउल्लाह नाम का एस्सेट होने के बावजूद हम मे से किसी को इसकी खबर नहीं है। क्या हमको भी कहीं आप ब्रिगेडियर शुजाल बेग की तरह खत्म करने की योजना तो नहीं बना रहे है?

जनरल शरीफ ने हाथ उठा कर कहा… कमाल जैसा तुम सोच रहे हो ऐसी बात नहीं है। यह हमारा निर्णय था कि आप्रेशन खंजर के लांच होते ही आप लोगों को ब्रीफ कर दिया जाता। अचानक बलूच रेजीमेन्ट का कोर कमांडर जनरल कमर जावेद बोला… जनरल अगर दुश्मन ने सैन्य कार्यवाही की तो हमारे पास कितने दिन का लड़ने का स्टाक है? …वह नहीं कर सकता। उसने आज तक ऐसा नहीं किया है। …अगर करता है तो हमारे पास सिर्फ दो दिन का स्टाक है। उसके बाद क्या आप परमाणु हथियार का इस्तेमाल करने की हिम्मत रखते है? पता नहीं आप दोनो कौनसी सपनों की दुनिया मे जी रहे है। आप्रेशन खंजर दुश्मन के सीने मे प्रहार करे न करे लेकिन एक बात तो तय है कि यह खंजर हमारे सीने को छलनी जरुर करेगा। मै जनरल कमाल की बात से सहमत हूँ कि हमे फौरन इस आप्रेशन खंजर को समाप्त कर देना चाहिये कि इससे पहले दुश्मन को इसकी जरा सी भी भनक मिले। अचानक सारे कोर कमांडर खड़े हो गये और जनरल कमाल हुसैन जान्जुआ ने कहा… जनरल, आप अपने सभी कोर कमांडरों का भरोसा खो चुके है। मै आपको खुदा का वास्ता देकर कह रहा हूँ कि आप इज्जत से अपने पेपर्स राष्ट्रपति के पास भिजवा देंगें तो अच्छा होगा। जनरल कमाल ने बड़ी मुस्तैदी से जनरल शरीफ को सैल्युट किया और मुड़ कर कमरे से बाहर निकल गया। उसके पीछे बाकी सभी कोर कमांडर भी बाहर निकल गये थे।           

 

मै अपने बेड पर लेटा हुआ कल रात के बारे मे सोच रहा था कि तभी मेरे फोन की घंटी ने मेरा ध्यान भंग कर दिया था। अजीत सर का फोन था। …मेजर। एक खुशखबरी देनी है। पाकिस्तान से सूचना मिली है कि ब्रिगेडियर बेग के डोजियर के कारण जनरल शरीफ और जनरल बाजवा के खिलाफ उसके कोर कमाँडरों ने विद्रोह कर दिया है। मेरी अभी कुछ देर पहले ही जनरल शरीफ से बात हुई है और मैने आप्रेशन खंज़र के बारे बता दिया है। साथ ही चेतावनी भी दे दी है कि अगर ऐसी बेवकूफी उसकी ओर से किसी भी तंजीम ने करने की कोशिश की तो हम पूरी सैन्य ताकत से उस पर प्रहार करेंगें। मुझे पूरा विश्वास है कि अब आप्रेशन खंजर हमेशा के लिये उनकी फाईलों दफन होकर रह जाएगा। इस आप्रेशन का आखिरी सिरा बांग्लादेश मे कहीं पर अपनी आखिरी साँसे ले रहा है। उस पर प्रहार करने का समय आ गया है। आज कल मे ढाका पहुँच कर उसको भी समाप्त कर दो जिससे यह खतरा हमेशा के लिये समाप्त हो जाये। …जी सर। मै आज ही ढाका के लिये निकलने की तैयारी करता हूँ। …मेजर ख्याल रहे। वह नेपाल नहीं है। तुम्हारी ओर से कोई एक्शन नहीं होना है। उनकी इन्टेलीजेन्स एक्शन लेगी बस तुम्हें उन्हें दिशा दिखाने की जरुरत है। …सर, आप बेफिक्र रहिये। इतनी बात करके मैने फोन काट दिया था।

तबस्सुम बड़े ध्यान से मुझे देख रही थी। …आप ढाका जा रहे है? …हाँ, तीन दिन के लिये जाना है। आरफा भी मेरे साथ जाएगी लेकिन उसने अपना निर्णय अभी तक मुझे नहीं बताया है। …कैसा निर्णय? मैने पास खड़ी तबस्सुम का हाथ पकड़ कर अपने साथ बिठाते हुए कहा… वह बेचारी यहाँ अवैध रुप से आयी थी। उसके पास यही एक मौका है कि जब वह वापिस अपने परिवार के पास लौट सकती है। …पर उसे यहाँ क्या तकलीफ है? …तबस्सुम, यह उसको निर्णय लेना है। अगर वह वहीं रुकना चाहेगी तो मै उसको यहाँ रोकने का प्रयास नहीं करुँगा और तुमसे भी यही उम्मीद रखता हूँ। उसने हमारे बिन कहे अपनी मोहब्बत के कारण हमारी बहुत मदद की है। अब हमारा फर्ज है कि हम उसकी मदद करें। तबस्सुम मेरा हाथ अपने हाथ मे लेकर बोली… आरफा बाजी के जाने के बाद मै बिल्कुल अकेली हो जाउँगी। उसके पेट पर हाथ फिराते हुए मैने कहा… तुम अब अकेली कहाँ रह गयी? अब यह तुम्हारे पास है। इसके आने के बाद तो तुम्हारे पास मेरे लिये भी समय निकालना मुश्किल हो जाएगा। वह मेरी ओर मुस्कुरा कर बोली… इसके आने मे अभी कुछ महीने शेष है। उसको अपने सीने से लगा कर मैने समझाते हुए कहा… मैने ऐसा नहीं कहा है कि वहीं रुक जाएगी। यह निर्णय हमे उस पर छोड़ देना चाहिये कि वह क्या चाहती है। इतनी बात करके मै तैयार होने के लिये चला गया था लेकिन दिमाग के किसी कोने मे नफीसा और सरिता बैठी हुई थी।

कुछ देर के बाद मैने अपना और आरफा का पासपोर्ट बांग्लादेश के दूतावास मे वीसा के लिये देकर वापिस लौट रहा था कि तभी दिमाग मे आया कि नीलोफर के पासपोर्ट के बारे मे तो मै बिल्कुल भूल गया था। मैने अपनी गाड़ी भारत के दूतावास की ओर मोड़ दी थी। दूतावास के बाहर पहुँच कर मैने शर्मा को बाहर बुला लिया था। वह दूतावास से बाहर निकल कर मेरी ओर आ गया था। …मेजर साहब कैसे है? …मै ठीक हूँ। आपसे एक सहायता मांगने आया हूँ। मैने नीलोफर का आधार कार्ड अपने पर्स से निकाल कर उसकी ओर बढ़ाते हुए कहा… इसका पासपोर्ट अर्जेन्ट मे चाहिये। यह हमारी एक एस्सेट है। इसको जल्दी से जल्दी यहाँ से बाहर निकालना है। उसने आधार कार्ड को अपनी जेब मे रखते हुए कहा… नूर मोहम्मद तो गायब हो गया है। आपको उसके बारे मे कुछ पता है? …शर्माजी उसको वापिस पाकिस्तान बुला लिया गया था। …उसकी जगह कौन आया है? …आया था कहिए। कर्नल शौकत अजीज ने उसका चार्ज लिया था। …कौन वही जिसकी दो दिन पहले हत्या हो गयी थी। …जी। …अच्छा इजाजत दिजिये। यह पासपोर्ट कब तक तैयार हो जाएगा? …मेजर साहब, शाम तक आपके आफिस मे पहुँचा दूँगा। मैने जल्दी से कहा… चार बजे मुझे अपना पासपोर्ट बांग्लादेश दूतावास से लेने आना है। उसके बाद मै यहीं आ जाउँगा। शर्मा से विदा लेकर मै अपने घर की ओर चल दिया था।

घर पहुँच कर अपना लैपटाप खोल कर ढाका की फ्लाईट देखने बैठ गया था। हफ्ते मे तीन दिन ढाका की फ्लाईट थी। आज की जा चुकी थी। अब दो दिन बाद की फ्लाईट थी। एक विकल्प था कि हम कलकत्ता से ढाका जा सकते थे लेकिन वह भी कल ही हो सकता था। कुछ सोच कर मैने सीधी ढाका की फ्लाईट बुक करके फिर यहाँ के हालात के बारे मे सोचना आरंभ कर दिया था। आईएसआई के नेटवर्क की कमर टूट गयी थी लेकिन फिलहाल उनका नेटवर्क सिर कटे हुए दानव की भाँति था। अब जैसे ही कोई नया आदमी आयेगा तो एक बार फिर से दानव उठ कर खड़ा हो जाएगा। मै अभी सोच रहा था कि तभी आरफा सामने से निकलती हुई दिखी तो उसे आवाज देकर बुला लिया था।

…आरफा, दो दिन बाद हम ढाका जा रहे है। मैने तुम्हारी आने-जाने की फ्लाईट कि टिकिट करवायी है लेकिन वापिस आना न आना मैने तुम पर छोड़ दिया है। हमे तीन दिन मे उस जगह का पता लगाना है जहाँ पर हिज्बुल के जिहादी प्रशिक्षण ले रहे थे। वह मुस्कुरा कर बोली… आप बेफिक्र रहिये। वहाँ पहुँच कर पता चल जाएगा। उसको खुश देख कर मुझे तबस्सुम के साथ हमदर्दी हो रही थी। वह बेचारी आरफा के जाने की बात सुन कर ही दुखी हो रही थी। आरफा के जाने के बाद मैने एक नजर अपनी घड़ी पर डाली तो चार बजने वाले थे। तबस्सुम को बता कर मै बांग्लादेश दूतावास की ओर चल दिया था। वीसा काउन्टर पर खासी भीड़ लगी हुई थी। मै हैरान था कि इतने सारे लोग बांग्लादेश क्यों जा रहे थे। अचानक उस लाइन मे एक चेहरा देख कर मै सावधान हो गया था। सिकन्दर रिजवी भी ढाका जा रहा था। मुझे जनरल रंधावा पर अचानक ताव आ गया था। मैने उनसे साफ शब्दों मे कहा था कि उस पर कड़ी नजर रखी जाये। वह नेपाल पहुँच गया और अभी तक उसकी खबर किसी ने नहीं दी थी। मै लाइन मे खड़ा अपनी बारी का इंतजार कर रहा था। मेरा नम्बर आया तो मैने रसीद आगे बड़ा दी थी। काउन्टर पर बैठे हुए आदमी ने रसीद देख कर दो पासपोर्ट मेरी ओर बढ़ा दिये थे। दोनो पासपोर्ट पर वीसा की मौहर देख कर मै अपनी गाड़ी की ओर बढ़ गया।

सिकन्दर रिजवी अभी भी वहीं खड़ा हुआ अपने पासपोर्ट को चेक कर रहा था। कुछ सोच कर मै उसकी ओर चल दिया था। …सलाम रिजवी साहब। पहचाना आपने? मुझे देख कर वह थोड़ा सा घबरा गया था। वह जल्दी से बोला… अरे मियाँ आपको कैसे भूल सकता हूँ। आप यहाँ कैसे? …वीसा लगवाने आया था। कुछ माल ढाका मे कस्टम ने रोक लिया है उसको छुड़वाने के लिये जाना पड़ रहा है। आप यहाँ कैसे खड़े है, आपकी गाड़ी कहाँ है? …मियाँ यहाँ गाड़ी कौन देगा। टैक्सी की राह देख रहा हूँ। …वाह रिजवी साहब। मेरे होते हुए आप टैक्सी से जाएँगें। कमाल है। आईये चलिये आपको मै छोड़ देता हूँ। …नहीं मियाँ आपको तकलीफ होगी। …रिजवी साहब, यहाँ की खासियत है कि यहाँ से जाने वाले के लिये सिर्फ एक ही सड़क है। दरबार रोड के आखिर मे पहुँच कर ही रास्ता अलग-अलग दिशा की ओर जाता है। ऐसा करते है कि अगर वहाँ पहुँच कर आपको अलग दिशा मे जाना होगा तो वहाँ से टैक्सी पकड़ लिजियेगा। यहाँ पर टैक्सी आसानी से नहीं मिलती है। सिकन्दर रिजवी मेरे साथ चल दिया था।

रास्ते मे भारतीय दूतावास की इमारत देख कर मैने कहा… रिजवी साहब पाँच मिनट यहाँ रुकना पड़ेगा। बीवी का नया पासपोर्ट लेना है। इतना बोल कर मैने सड़क के किनारे गाड़ी खड़ी कर दी और उतर कर मैने शर्मा को फोन पर खबर कर दी थी। थोड़ी देर मे वह नीलोफर का पासपोर्ट और आधार कार्ड मुझे देकर वापिस चला गया था। …रिजवी साहब देख लिजिये पाँच मिनट से ज्यादा आपको इंतजार नहीं करवाया। …आपका यहाँ काफी रसूख है वर्ना तो लाईन मे लग कर पासपोर्ट मिलता है। …यह रसूख नहीं है रिजवी साहब। हम वतन है तो इतना लिहाज कर देते है। बताईये आप कहाँ ठहरे है? अपने पार्टी गेस्ट हाउस मे ठहरा हूँ। …कुछ भी कहिये कम्युनिस्ट पार्टी का यहाँ पर जलवा ही कुछ और है। वह तो रास्ते मे ही पड़ेगा। मै वहीं छोड़ देता हूँ। इतना बोल कर मै उसके गेस्ट हाउस की ओर चल दिया था। …आप  पार्टी के काम से ढाका जा रहे है? …जी। मैने उसे पार्टी के गेस्ट हाउस पर उतार कर आगे निकल गया था। इतनी देर मे मुझे इतना तो आभास हो गया था कि सिकन्दर रिजवी भले ही मेरी शक्ल को पहचान गया होगा परन्तु मेरा नाम उसे याद नहीं था।

शाम हो चली थी घर जाने के बजाय मै नीलोफर से मिलने के लिये उसके फ्लैट की ओर चल दिया था। हमारी युनिट के चार सैनिक अभी भी उसके फ्लैट पर पहरा दे रहे थे। फ्लैट मे घुसते ही मेरी नजर सोफे पर बैठी नफीसा पर पड़ी तो मेरे कदम एकाएक रुक गये थे। मुझे देखते ही नीलोफर उठते हुए बोली… तीन दिन से कहाँ गायब थे? हम सब रोज तुम्हारी राह देख रहे थे। मैने मुस्कुरा कर कहा… एक काम मे फँस गया था। नफीसा से कुछ दूरी बना कर मै सोफे के एक किनारे मे बैठ गया था। …जेनब तुम दोनो ने अपने पासपोर्ट का क्या किया? …अर्जी लगाने गये थे लेकिन वह पुलिस रिपोर्ट की कापी मांग रहे है। इसीलिये आपसे बात करना चाह रही थी। हम पुलिस के चक्कर मे नहीं पड़ना चाहते। आप कहे तो एक बार नूर अंकल के घर चल कर अपना पर्स ले आते है। …मुझे एक दिन का समय दो। इसके बारे मे सोच कर बताऊँगा। मैने नीलोफर से बात करने के लिये मुँह खोला ही था कि तभी नफीसा ने गरदन घुमा कर मेरी ओर देखते हुए कहा… आप जेनब के लिये सोचना क्योंकि मै कहीं नहीं जा रही हूँ। मेरी उससे आँख मिलाने की हिम्मत नहीं हो रही थी। मैने मुस्कुरा कर सिर्फ इतना कहा… पासपोर्ट का मतलब टिकिट नहीं होता या पासपोर्ट मिलने के बाद इस जगह को छोड़ना अनिवार्य नही हो जाता। उसे लेकर रखने मे क्या बुराई है। उसके बाद जब मन चाहे तब इस्तेमाल कर लेना। जेनब और नीलोफर ने भी अपनी गरदन हिला कर मेरी बात अनुमोदन कर दिया था।

…नीलोफर, मुझे तुमसे कुछ बात करनी है। …हाँ बोलो। एक पल बोलने मे झिझका कि नफीसा उठते हुए बोली… क्या आप हमारे सामने बात नहीं करना चाहते? मैने जल्दी से कहा… नहीं ऐसी बात नहीं है। प्लीज तुम भी बैठ जाओ। वह चलते हुए बोली… लेकिन मुझे आपसे अकेले मे बात करनी है। मै अपने कमरे मे जा रही हूँ। अपनी बात समाप्त करके अन्दर आ जाईएगा। यह बोल कर वह बेडरुम मे चली गयी थी। नीलोफर ने जेनब की ओर देख कर पूछा… इसे अचानक क्या हो गया? जेनब उठते हुए बोली… पता नहीं। मेजर साहब आप बात किजिये। मै तब तक आपके लिये चाय लेकर आती हूँ। वह रसोई की ओर बढ़ गयी थी। मैने अपनी जेब से नीलोफर का पासपोर्ट निकाल कर दिखाते हुए कहा… मेरा काम पूरा हो गया है। अब तुम्हें अपना वादा पूरा करना है। वलीउल्लाह कौन है? नीलोफर मुस्कुरा कर बोली… इतनी जल्दी नहीं समीर। यहाँ से निकलने से पहले तुम्हे बता दूंगी। मैने मन मसोस कर उसका पासपोर्ट उसकी ओर बढ़ाते हुए कहा… बैंक वाली बात के बारे मे कुछ सोचा? अपना पासपोर्ट लेकर देखते हुए वह बोली… मेरा अकाउन्ट तो खुल गया है। बस यह पैसे जमा कराने है। मै उठ कर चलने के लिये खड़ा हुआ तभी जेनब चाय लेकर आ गयी थी। मुझे चाय का प्याला पकड़ाते हुए जेनब ने कहा… एक बार उस से भी बात कर लिजिये।

जेनब की बात को अनसुना करते हुए मैने चाय पीते हुए कहा… नीलोफर, बस इतना याद रखना कि अगर इस बार बिना बताये भागने की कोशिश की तो फिर हमारा करार समाप्त हो जाएगा। मै तीन दिन के लिये बाहर जा रहा हूँ। तब तक अपने वीसा के सारे कागज वगैराह तैयार कर लेना। अगर वह किसी की गारन्टी मांगेगें तो मै लौट कर दे दूंगा। मेरी चाय समाप्त हो गयी थी। मैने चलते हुए कहा… जेनब, अब मुझे नूर मोहम्मद के घर के बारे मे जानकारी इकठ्ठी करनी है। तुम दोनो के पासपोर्ट निकालना मेरी प्राथमिकता है। नफीसा को भी बता देना कि मेरी बात उसके अब्बू से हो गयी है। वह सही सलामत जहाँ जाना चाहते थे वह पहुँच गये है। इतना बोल कर मै तेजी से चलते हुए फ्लैट से बाहर निकल आया था। वहाँ से निकल कर मै अपने घर की ओर चल दिया था। अब इस मामले मे तबस्सुम ही मेरी मदद कर सकती थी। मै घर पहुँच कर सीधे उसके पास चला गया था।

…तबस्सुम तुम्हारी मदद चाहिये। …क्यों शबाना से बात करनी है? मैने मुस्कुरा कर कहा… अब तुम मुझे समझ गयी हो। जेनब और नफीसा का पासपोर्ट उनके पर्स मे रखा है। क्या वह उनके पासपोर्ट निकाल कर हमे दे सकती है? …वह बेचारी कैसे देगी? आपको जाना पड़ेगा। ऐसा क्यों नहीं करते कि हम दोनो उससे मिलने के लिये उसके घर चलते है। …झांसी की रानी फिलहाल तुम्हें किसी भी प्रकार के सफर करने से मना किया गया है। …क्यों क्या मै आपके साथ डाक्टर के पास नहीं जाती। आईये चलते है। उसको टालते हुए मैने कहा… पहले एक बार फोन पर बात करके देख लो कि क्या उसे नूर मोहम्मद की मौत का पता चल गया है। तबस्सुम ने तुरन्त अपना फोन उठाया और शबाना का नम्बर मिलाने बैठ गयी थी। …घंटी बज रही है लेकिन वह फोन नहीं ले रही है। वह अपने आप ही काल करेगी। तबस्सुम ने अपना फोन रख दिया था। …आरफा ने बताया कि आप दो दिन के बाद ढाका जा रहे है। मैने दोनो पासपोर्ट दिखाते हुए कहा… हाँ। अभी वहाँ का वीसा लगवा कर लौटा हूँ। …आप ढाका किस लिये जा रहे है? कुछ सोच कर मैने कहा… आफिस के काम से जाना पड़ रहा है। बांग्लादेश की इन्टेलीजेन्स ने कुछ जमात के ठिकानों पर रेड डाली थी। वहाँ कुछ ऐसे सुबूत मिले थे जिसका संबन्ध भारत मे होने वाले धमाकों से है। मुझे वह सुबूत लाने के लिये भेजा जा रहा है। वह चुप होकर बैठ गयी थी। 

कुछ देर के बाद उसे वहीं आराम करने के लिये छोड़ कर मै उपर हाल मे चला गया था। मैने जनरल रंधावा से संपर्क करने के लिये बोल कर अपना हेडफोन लगा कर उनसे बात करने के लिये तैयार हो गया था। दो मिनट के बाद जनरल रंधावा का चेहरा स्क्रीन पर उभरा… बोलो मेजर। …सर, मैने सिकन्दर रिजवी पर निगरानी रखने के लिये कहा था। …मेजर, वह हमारी नजरों मे कुछ दिन पहले तक था। राजस्थान मे एक पुलिस एन्काउन्टर मे दो आतंकवादी पकड़े थे। उन्होंने सिकन्दर रिजवी के बारे मे बताया था। एनआईए का एक दल उसे हिरासत मे लेने के लिये आजमगढ़ पहुँचा था। उसकी बिरादरी के लोगो ने उनका रास्ता रोक लिया जिसके कारण वह बच कर भागने मे सफल हो गया। अब उसका फोन नम्बर भी बन्द पड़ा हुआ है। तुम उसके बारे मे क्यों पूछ रहे हो? …सर, वह आज मुझे बांग्लादेश दूतावास के बाहर मिला था। …काठमांडू में। …यस सर। वह कम्युनिस्ट पार्टी के गेस्ट हाउस मे ठहरा हुआ है। परसों वह ढाका भागने की फिराक मे है। …थैंक्स मेजर। अब इस आब्सरवेशन पोस्ट का फायदा मिलना शुरु हो गया है। मै वहाँ के डीजी से बात करता हूँ। बस इतनी बात करके उन्होंने फोन काट दिया था। अब मुझे समझ मे आ गया कि क्यों सिकन्दर रिजवी मुझे वहाँ देख कर घबरा गया था।   

मै जब नीचे आया तो तबस्सुम मुझे देखते ही बोली… चलिए मुझे अभी शबाना बाजी से मिलना है। …क्यों क्या हुआ? …उनका फोन आया था। आज सुबह ही उनके दूतावास ने नूर मोहम्मद की मौत की खबर शबाना को दी है। यह खबर सुन कर वह बेचारी टूट गयी। उसे बच्चों समेत वापिस पाकिस्तान भेजने की तैयारी की जा रही है। तभी आरफा ने आकर एक बड़ा सा लिफाफा मेरी ओर बढ़ाते हुए कहा… यह अभी आपके लिये कुरियर से आया है। मै लिफाफे को देखते ही पहचान गया था। शुजाल बेग का डोजियर था। मैने उस पर मौहर लगी हुई देखी तो वह लिफाफा पाकिस्तान के बजाय श्री लंका से आया था। इसका मतलब था कि शुजाल बेग ने यह सब पाकिस्तान से बाहर रह कर किया था। मैने उस लिफाफे को संभाल कर रख दिया और तबस्सुम को लेकर शबाना से मिलने के लिये चल दिया था।

रात के आठ बज रहे थे। नूर मोहम्मद के घर के बाहर कड़ा पहरा लगा हुआ था। मैने गाड़ी को सड़क के किनारे खड़ी करके तबस्सुम को लेकर लोहे की गेट की ओर चल दिया था। हमे अपनी ओर बढ़ता देख कर एक सैनिक हमारे पास आया तो मैने जल्दी से कहा… शबाना जी से मिलना है। हम अभी नूर मोहम्मद साहब के बारे मे खबर मिली तो गमी मे शामिल होने के लिये आये है। तबस्सुम की ओर देख कर वह बोला… आपका क्या नाम है? …समीर और अंजली कौल। उनसे मिल कर वापिस चले जाएँगें। वह सैनिक हमे वहीं छोड़ कर वापिस चला गया था। कुछ देर बाद आकर बोला… अन्दर चले जाईये। लेकिन सुरक्षा कारणों से आपकी चेकिंग होगी। मैने जल्दी से कहा… मेरी चेकिंग आप कर सकते है लेकिन मेरी बीवी को चेकिंग की बात तो दूर आप उसे छूने की कोशिश भी नहीं करेंगें। वह जल्दी से बोला… नहीं आप गलत समझ रहे है। आपकी गाड़ी की चेकिंग करनी पड़ेगी। …गाड़ी यहीं बाहर खड़ी रहेगी। हम अन्दर पैदल जाएंगे। हम उसके साथ चल दिये थे। हमारे पहुँचते ही किसी ने छोटा गेट खोल दिया था। हम पैदल ही गेट से निकल कर घुमावदार रास्ते से होते हुए मुख्य द्वार पर पहुँच गये थे।

एक सैनिक वहाँ खड़ा हुआ था। वह हमे सीधा शबाना के पास ले गया था। सूजी हुई आँखें लिये शबाना सोफे पर बैठी हुई थी। तबस्सुम को देख कर वह उठ कर खड़ी हो गयी और तबस्सुम से गले मिल कर दहाड़ मार कर रोने लगी। तबस्सुम उसको सांत्वना दे रही थी और वह लगातार रोती चली जा रही थी। जब वह शांत हो गयी तब मैने पूछा… यह कैसे हो गया? शबाना ने अपने आँसू पौंछ्ते हुए कहा… आज मुझे बताया कि हार्ट एटैक होने के कारण दो दिन पहले वह खत्म हो गये थे। उन्हें एक जरुरी काम के लिये रावलपिंडी बुलाया गया था। मीटिंग के दौरान यह हादसा हुआ था। जब तक अस्पताल पहुँचे तब तक सब कुछ खत्म हो चुका था।

तबस्सुम ने पूछा… बच्चे कहाँ है? …सभी अपने कमरे मे है। …उन्हें बता दिया? …अंजली तुम ही बताओ कि यह बात उन्हें कैसे बताऊँ। …आईये बाजी उनके पास चलते है। मैने उन्हें रोकते हुए पूछा… आपके लिये उन्होंने कोई इंतजाम किया है? …भाईजान, बस इतना कहा है कि हमारी वापिसी अब जल्दी से जल्दी हो जाएगी। इतनी बात करके वह दोनो बच्चों से मिलने के लिये चली गयी थी। मै अकेला उस रुम मे बैठा रह गया था। मै जानता था कि वह लोग मेरी हर हरकत पर नजर रख रहे थे। जब तक वह लौटी नहीं मै तब तक जहाँ बैठा हुआ था वहीं बैठा रहा था। उनको आता हुआ देख कर मै उठ कर खड़ा हो गया। अंजली ने चलते हुए शबाना से गले मिल कर बोली… बाजी, आपकी बहन यहीं पर है। आपको किसी भी चीज की जरुरत पड़े तो निसंकोच कह देना। बीच रात मे उठ कर चली आऊँगी। शबाना हमे बाहर गेट तक छोड़ने आयी थी। मैने चलते हुए बस इतना ही कहा… खुदा पर भरोसा रखिये। अपने जाने की तारीख की खबर दे दिजियेगा। हम आ जाएँगें। इतनी बात करके हम बाहर निकल आये थे।

हम दोनो गाड़ी मे बैठे और वापिस अपने घर की ओर चल दिये थे। कुछ दूर निकलने के बाद तबस्सुम ने दोनो पासपोर्ट देते हुए कहा… शबाना बता रही थी कि शौकत अजीज ने नूर मोहम्मद की हत्या की है। मैने उसकी ओर चौंक कर देखा तो वह बोली… उस कमीने ने शबाना को अपने साथ रखने का प्रस्ताव दिया था। नूर मोहम्मद जिस दिन गायब हुआ उसी दिन शौकत अजीज इस घर मे उसके साथ रहने के लिये आ गया था। …तुमने शबाना से पासपोर्ट की बात कब करी थी। …जब हम बच्चों से मिलने गये थे। चारों बच्चे उसी कमरे मे बैठे हुए थे जिसमे वह दोनो रुकी थी। बच्चों से बात करते हुए शबाना ने उनके पर्स से दोनो पासपोर्ट निकाल कर मुझे पकड़ा दिये थे। …यह सिर्फ तुम्हारी फौज मे मुम्किन है। ऐसा काफिरों की फौज मे कभी नहीं हो सकता। अगर ऐसी किसी ने हिम्मत भी की होती तो उसकी सजा मौत है। वह घूर कर मेरी ओर देखते हुए बोली… वह फौज मेरी नही है। अगर ऐसा किसी ने मेरे साथ किया होता तो वह उसी वक्त खुदा को प्यारा हो गया होता। अब मेरा निकाह एक काफ़िर से हो गया है जो काफ़िरों की फौज मे अधिकारी है। इसलिये ऐसा इल्जाम लगाने की कोशिश मत करना। अचानक मुझे अपनी भूल का एहसास हो गया था। मैने जल्दी से स्टीयरिंग छोड़ कर अपने दोनो कान पकड़ते हुए कहा… झांसी की रानी मुझसे भूल हो गयी, मुझे माफ कर दिजिये। अचानक गाड़ी ने लहका खाया तो वह चिल्लायी… आप क्या कर रहे है। मैने जल्दी से स्टीयरिंग संभालते हुए कहा… सौरी। यह सारी गड़बड़ी अंजली और तबस्सुम के चक्कर मे हो जाती है। अब से मै तुम्हें सिर्फ अंजली कहा करुँगा जिससे ऐसी गलती दोबारा नहीं होगी। …यह तो मैने पहले ही कहा था लेकिन आप मेरी बात कहाँ मानते है।

उस रात काफी दिनो के बाद चैन की नींद आयी थी। अगले दिन सुबह तैयार होकर नीलोफर के फ्लैट पर चला गया था। मुझे सुबह आया देख कर नीलोफर चौंक गयी थी। …वह दोनो कहाँ है? नफीसा बेडरुम से बाहर निकलते हुए अपने बाल लपेटते हुए एक जूड़ा सा बना कर बोली… आपके सपने देख रही थी और आप सामने आ गये। काश कुछ और सोचा होता तो वह भी पूरा हो गया होता। उसके पीछे-पीछे जेनब भी बेडरुम से निकल कर आ गयी थी। नीलोफर चाय बनाने चली गयी थी। दोनो मेरे सामने आकर बैठ गयी थी। मैने जेब से उनके पासपोर्ट निकाल कर मेज पर रखते हुए कहा… अमरीका मे तुम दोनो कहाँ रहती हो? …मै न्युयार्क मे रहती हूँ और नफीसा को शिकागो जाना है। …मै तुम्हारी टिकिट बनवा रहा हूँ। यहाँ से जितनी जल्दी निकल जाओगी उतनी जल्दी सुरक्षित हो जाओगी। यह तुम्हारे अब्बू ने कहा है। शबाना भी पाकिस्तान लौट रही है। यह जगह दोनो परिवारों के लिये अब सुरक्षित नहीं है।

नीलोफर भी आ गयी थी। उनके पासपोर्ट देख कर वह खुशी से चीखते हुए बोली… समीर तुम जरुर कोई जिन्न हो क्योंकि उनकी नाक के नीचे से यह पासपोर्ट निकाल लाये। मैने जल्दी से कहा… यह काम मैने नहीं किया है। मेरी बीवी अंजली ने इस काम को अंजाम दिया है। उसे भी इन दोनो की चिन्ता सता रही थी। इसलिये शुक्रिया करना है तो उसका करना। मै चाय पीकर जैसे ही चलने के लिये खड़ा हुआ तो नफीसा ने कहा… मेरी टिकिट कराने की जरुरत नहीं है। आप मेरी टिकिट खरीद कर अपने पैसे बेकार करेंगें। …कोई बात नहीं। मै टिकिट खरीद रहा हूँ क्योंकि मैने तुम्हारे अब्बू से वादा किया था। अचानक नीलोफर बोली… नफीसा, यह जगह तुम दोनो के लिये सुरक्षित नहीं है। आखिर तुम क्यों नहीं जाना चाहती। जेनब भी बोली… नफीसा, यह कैसा बचपना है। मेजर साहब सही तो कह रहे है। नफीसा खड़ी हो गयी और मेरी ओर देखते हुए बोली… मेजर साहब आप को पता है कि मै क्यों नहीं जा सकती। इतना बोल कर वह अपने कमरे मे चली गयी थी। दोनो मेरा चेहरा देख रही थी। गुस्से से मेरा चेहरा लाल हो रहा था। …समीर क्या बात है? …कुछ नहीं बस स्त्री हट है। मै अभी आता हूँ। यह बोल कर मै तेज कदमो से चलते हुए नफीसा के कमरे मे चला गया था।

वह बिस्तर पर बैठी शून्य मे घूर रही थी। दरवाजा बन्द होने की आवाज सुन कर उसने चौंक कर दरवाजे की ओर देखा तो मुझे अपने सामने देख कर वह उठ कर खड़ी हो गयी थी। …कहिये मेजर साहब आज मेरी याद कैसे आ गयी? मै कुछ पल उसे घूरता रहा और फिर धीरे से बोला… कहना तो बहुत कुछ है तुमसे परन्तु आज कुछ कहने की स्थिति मे नहीं हूँ। इस वक्त तुम दोनो की सुरक्षा की जिम्मेदारी मुझ पर है। अगर तुमको कुछ हो गया तो क्या मै अपने आप को कभी माफ कर सकूँगा? मैने आज तक तुमसे कभी कुछ नहीं मांगा है लेकिन आज मांग रहा हूँ। अगर तुम मुझसे सच्ची मोहब्बत करती हो तो प्लीज जितनी जल्दी हो सके यहाँ से निकल जाओ। वह कुछ देर मुझे देखती रही और फिर बोली… सच बताईये आप किसको भुलाना चाह रहे है? एक पल के लिये मेरे मुख पर ताला लग गया था। वह फिर बोली… उस रात सरिता के जरिये आप मुझे भुलाना चाह रहे थे। है न? मै कुछ भी बोलने की स्थिति मे नहीं था। मै मुड़ कर वापिस जाने लगा तो वह अचानक रुआंसी होकर बोली… उस रात जो कुछ भी हुआ उसके लिये मै शर्मिन्दा नहीं हूँ। भले ही उस रात आप नशे मे थे लेकिन आपने अपनी मोहब्बत का इजहार मेरे सामने खुद किया था। वह कुछ और बोलती उससे पहले मै दरवाजा खोल कर बाहर निकल गया था। जेनब और नीलोफर बाहर खड़ी हुई मेरा इंतजार कर रही थी। …अच्छा मै चलता हूँ। कल तक तुम दोनो की टिकिट मिल जाएगी। इतना बोल कर मै फ्लैट से बाहर निकल आया था।

मुझे अपने उपर निरन्तर गुस्सा आ रहा था। सरिता ने भी इसी बीच तीन चार बार फोन किया था लेकिन मैने उसका फोन नहीं उठाया था। मै अपनी गाड़ी मे सिर पकड़ कर बैठ कर सोचने लगा कि अगर नफीसा अपनी जिद्द पर अड़ी रही तब मै क्या करुँगा। इसी सोच मे गुम मै अपने घर  वापिस आ गया था। लन्च समाप्त करके हम दोनो बेड पर लेटे हुए थे। नफीसा से अपना दिमाग हटाने के लिये ब्रिगेडियर शुजाल बेग का डोजियर खोल कर पढ़ने बैठ गया था। तीन भाग का डोजियर था। पहले भाग मे फौज मे क्या चल रहा था। कैसे आईएसआई के निदेशक जनरल मंसूर बाजवा ने अफगानिस्तान और बलूचिस्तान मे करोड़ों रुपयों का हेर फेर किया था। उसने तंजीमो के मुखियाओं की मदद से तीन साल मे अफगानिस्तान की ड्र्ग्स का एक विस्तृत नेटवर्क खड़ा कर दिया था। मुख्य सेनाधिकारियों को लड़कियाँ और पैसे मुहैया करा कर उनका डोजियर तैयार करता था। वक्त पढ़ने पर उन्हें उस डोजियर को दिखा कर ब्लैक मेल भी करता था। सारे कोर कमांडरों के डोजियर उसने तैयार किये थे। उस डोजियर मे उन्होंने कब किस प्रोजेक्ट या डील से कितना पैसा खाया था, किसकी बीवी, बहन अथवा बेटी को अपने साथ सुला कर उसको तरक्की दी थी, किसकी दौलत कौनसे देश मे जमा है, इत्यादि जैसी जानकारी उसने तारीख और लोगों के नाम भी दिये हुए थे। मै बस इतना ही समझ सका था कि सारा सड़ा गला फौजी इदारा मंसूर बाजवा की मदद से जनरल शरीफ के हाथों की कठपुतली बना हुआ था।

डोजियर पढ़ते-पढ़ते मेरी नजर एक पैरा की ओर चली गयी थी जहाँ मेजर हया इनायत मीरवायज नाम लिखा हुआ था। वह नाम देख कर मै उत्सुकतावश उसे पढ़ने बैठ गया था। उसमे किसी मुरी की घटना का जिक्र किया था। कोर कमांडरों की एक कान्फ्रेंस मे हुए एक हादसे का जिक्र था। ब्रिगेडियर शुजाल बेग उस कान्फ्रेंस का इंतजाम देख रहे थे। अतिथियों की सुविधा को मेजर हया की टीम देख रही थी। उद्घाटन के लिये मंसूर बाजवा मुरी आया था। उद्घाटन की रात को मंसूर बाजवा ने मेजर हया के साथ बलात्कार करने की कोशिश की तो हया ने उसकी पिस्तौल निकाल कर उसकी मर्दान्गी को ही निशाना बना कर फायर कर दिया था। मंसूर बाजवा आखिरी समय पर घूम गया था जिसके कारण उसकी मर्दान्गी तो जैसे-तैसे बच गयी परन्तु गोली ने उसके कूल्हे की हड्डी तोड़ दी थी। मंसूर बाजवा को रातों रात रावलपिंडी के मिलिट्री अस्पताल मे इलाज के लिये भेज दिया गया। वहाँ तो मंसूर बाजवा ने सिर्फ उसे एक्सीडेन्टल फायर की कहानी सुना कर केस दबा दिया था परन्तु जब वह वापिस आया तो उसने एक फर्जी जाँच बिठायी और जाँच रिपोर्ट बनाने काम उसने मेजर फारुख मीरवायज के हाथों दे दिया था। फारुख ने अपनी तरक्की के लिये अपनी ही बहन के खिलाफ रिपोर्ट तैयार की थी। उस रिपोर्ट के आधार पर मेजर हया के खिलाफ हत्या की साजिश का इल्जाम लगा कर कोर्ट मार्शल का आदेश दे दिया गया था। उस दिन से मेजर हया वहाँ से फरार हो गयी थी। ब्रिगेडियर शुजाल बेग ने उस रात की घटना के तीन चश्मदीद गवाह का नाम देकर लिखा था कि ऐसे आदमी के कारण विभाग ने एक बेहतरीन काबिल अफसर को हमेशा के लिये खो दिया था।

मैने वह पैरा दो तीन बार पढ़ा था। मै बहुत देर तक मेजर हया इनायत मीरवायज के बारे मे सोचता रहा फिर अगले भाग को पढ़ने बैठ गया था। अगला भाग आप्रेशन खंजर था। उसमे वही कुछ बताया था जो शुजाल बेग ने हमे बताया था। इधर बस एक खास चीज का पता चला था कि सारे कोर कमांडर इस आप्रेशन से अनिभिज्ञ थे। तीसरा पैरा वलीउल्लाह के बारे मे था। मंसूर बाजवा ने किसी कशमीरी तंजीम के नेता को ब्लैकमेल करके उसकी लड़की जो सेना मे काम कर रही थी उसको कोडनेम वलीउल्लाह दिया था। वह लड़की समय-समय भारतीय सेना की गोपनीय जानकारी बाजवा को दे रही थी जिसे वह आईएसआई की ओर से इंटेल रिपोर्ट के नाम से कमांडरों को ही नहीं बल्कि तंजीमो को भी दिया करता था। पाकिस्तानी फौजी इदारे मे मंसूर बाजवा ने एक और प्रभावशाली गुप्त इदारा खड़ा कर दिया था जो सिर्फ उसके इशारों पर काम करता था।

आखिरी भाग कहना अनुचित होगा क्योंकि शुजाल बेग ने अपनी ओर से आप्रेशन खंजर की खामियाँ और होने वाले खतरे से आगाह किया था। उसका मानना था कि दुश्मन कार्गिल से सबक लेकर सीख चुका है और इसका परिणाम पाकिस्तान की पूर्ण बर्बादी था। दुश्मन की नौसेना के आगे पाकिस्तान की पूरी फ्लीट एक घंटे से ज्यादा टिक नहीं सकेगी। अगर कहीं भारत ने अपने पश्चिमी फ्रंट को खोल दिया तो पाकिस्तान की फौज दो दिन से ज्यादा मुकाबला नहीं कर सकेगी। आखिर मे उसने लिखा था कि परमाणु युद्ध भले ही विकल्प हो लेकिन पाकिस्तान कभी उसका इस्तेमाल करने की कोशिश नहीं करेगा क्योंकि भारत की तरफ से जब जवाबी हमला होगा तो पाकिस्तान नक्शे से साफ हो चुका होगा। भारत सिर्फ एक करोड़ जान का नुकसान उठाएगा परन्तु जवाब मे उसकी बीस करोड़ आवाम साफ हो जाएगी। यह भी तब है कि जब भारत अपनी ओर से पहल नहीं करता और कहीं उसने पहल की तो इन दो आदमियों की बेवकूफी के कारण पूरा पाकिस्तान तबाह और बर्बाद हो जाएगा।  

सारा डोजियर पढ़ कर मेरी आँखें भारी होने लगी थी तो सारे कागज वापिस लिफाफे मे डाल कर अपने सिरहाने के पास रख कर सो गया था। मेरी जब आँख खुली तो मेरी नजर तबस्सुम की ओर चली गयी थी। वह बड़े ध्यान से डोजियर पढ़ रही थी। मै धीरे से उठा तो उसने मेरी ओर देखा तो उसकी आँखें एकाएक छलक गयी थी। मैने जल्दी से उठ कर अपनी बाँहों मे कसते हुए कहा… अरे झांसी की रानी तुम्हारी आँखों मे आँसू शोभा नहीं देते है। तुम यह क्या पढ़ने बैठ गयी और इसमे ऐसा तो कुछ नहीं है जिसके कारण तुम दुखी हो गयी हो। यह सब तो फौज मे चलता रहता है। वह अगर आप्रेशन खंजर करते है तो हम भी आप्रेशन तलवार करते है। हमारा काम है कि हम आप्रेशन खंजर को विफल करे और उनकी फौज के लोग हमारी तलवार को विफल करने की कोशिश करते है। वह अचानक मुझसे अलग होकर बोली… क्या आपके यहाँ कोई जनरल किसी मेजर की इज्जत लूटने की कोशिश कर सकता है? …तो तुमने अपनी खाला की कहानी पढ़ ली है? वह सारे कागज वापिस लिफाफे मे डालने लगी तो मैने उसका हाथ पकड़ कर कहा… जब मैने पूछा था तब तुमने कहा कि इस नाम से तुम्हारी कोई खाला नहीं है। …तो क्या बताती। पीरजादा साहब ने फतवा जारी कर दिया था कि उनकी बेटी का मीरवायज परिवार से कोई रिश्ता नहीं है। उसके नाम का फातिहा पढ़ कर उन्होंने अपनी कौम को निर्देश दिया था कि अब से कोई हया का नाम नहीं लेगा। हया हमारे मीरवायज खानदान के नाम पर बदनुमा दाग है। इतना बोल कर एक बार फिर से उसकी आँखें बहने लगी थी।

मैने उसे बाँहों मे कस कर जकड़ते हुए कहा… मेरी झांसी की रानी आज पहली बार मुझे मेजर हया इनायत मीरवायज से हमदर्दी हो रही है। अब मेरे कुछ-कुछ समझ मे आ रहा है। मैने ब्रिगेडियर साहब के सामने एक शर्त रखी थी कि अगर वह हया को मेरे हवाले कर देंगें तो मै उन्हें छोड़ दूँगा लेकिन शुजाल बेग जैसे आदमी ने भी यह कह दिया कि मेजर फिर मेरे रुकने का इंतजाम करो। एक बार मैने नीलोफर से हया का पता बताने के लिये काफी हद तक धमकाया परन्तु वह बेइज्जत होने को तैयार हो गयी परन्तु उसने हया के बारे मे कुछ भी बताने से इंकार कर दिया था। मै सोच रहा था कि आखिर ऐसा क्या है उसमे कि शुजाल बेग और नीलोफर जैसे लोग भी उसके लिये बेइज्जत और मरने के लिये तैयार हो गये थे। थोड़ा सा उसके बारे पढ़ कर कुछ-कुछ समझ मे आ रहा है। तो मेरी झांसी की रानी अगर अब खुदा ने चाहा और कहीं उसका और मेरा आमना-सामना हो गया तो उसे यह बात जरुर बताउँगा कि उसकी भतीजी ने उसके लिये कुछ आँसू छलकाये थे। मेरी बात सुन कर वह मुस्कुरा कर बोली… तो फिर आप उस पर गोली नहीं चला सकोगे।

मैने उसके गाल को सहला कर कहा… हया पर गोली तो मै वैसे भी नहीं चलाता क्योंकि अब वह फौजी नहीं है। अगर कभी मेरा आमना-सामना हुआ तो उससे यह जरुर पूछता कि आखिर मेरी अम्मी और आलिया की हत्या करने की साजिश उसने क्यों रची थी। वह फौजी थी तो उसे मुझ पर वार करना चाहिये था। अंजली मुझसे लिपटते हुए बोली… बहुत दिनो के बाद आपने मेरे साथ इतना समय आज बिताया है। मैने हंसते हुए कहा… बस इतने से खुश हो गयी तो क्या दोजख का प्रोग्राम कैन्सिल कर रही हो। वह हंसते हुए बोली… अगर इतना समय मेरे साथ रोज बिताएंगें तो दोजख जाने की जरुरत नहीं पड़ेगी। यह बोल कर वह उठ कर बाहर चली गयी थी। जेनब और नफीसा की टिकिट कराने के लिये मै लैपटाप खोल कर बैठ गया था।

रविवार, 22 अक्टूबर 2023

  

गहरी चाल-31

 

त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट, काठमांडू

…साहबजी, पूरी पार्किंग मे बदबू चारों ओर फैली हुई है। मै तो बदबू की जाँच करने के लिये एक कार के पास पहुँचा था। काले शीशे होने के कारण खिड़की से तो कुछ नहीं दिखा लेकिन सामने वाले से शीशे पर टार्च मार कर अन्दर देखा तो किसी की औंधे मुँह लाश पड़ी हुई है। घबराया हुआ पार्किंग अटेन्डेन्ट एयरपोर्ट सिक्युरिटी पर तैनात नेपाल सुरक्षा बल के सैनिकों के सामने अपना दुखड़ा सुना रहा था। लाश की बात सुनते ही सुरक्षा बल के हवलदार ने मुख्य कंट्रोल पर अपने वाकी-टाकी से इस मामले की खबर देकर कहा… यहीं ठहर, अभी बड़े साहब आ रहे है। दस मिनट के बाद एक कप्तान साहब अपने साथ दो सैनिकों को लेकर मुख्य द्वार पर पहुँच गये थे। रात की आखिरी फ्लाईट निकलने की तैयारी चल रही थी। सभी एयरपोर्ट के कर्मचारी जल्दी से उस फ्लाईट के निकलने के बाद घर लौटने की आस लगा कर बैठे हुए थे। यात्रियों की बोर्डिंग चालू हो गयी थी। कप्तान साहब ने पार्किंग अटेन्डेन्ट की कहानी एक बार फिर सुनी और उसके साथ शेड की ओर चल दिये थे।

बदबू के कारण पार्किंग शेड मे खड़ा होना मुश्किल हो रहा था। कप्तान साहब और उनके साथ चलते हुए सैनिकों ने नाक पर रुमाल बांध लिया और पार्किंग के आखिरी छोर पर उस कार का निरीक्षण करने के लिये चल दिये थे। चलते-चलते उन्होंने वाकी-टाकी पर स्थानीय पुलिस को भी खबर देने के लिये कह दिया था। उस कार पर पहुँच कर उसकी नम्बर प्लेट देखते ही कप्तान बोला… यह दूतावास की गाड़ी है। शीशे पर टार्च मार कर अन्दर पड़ी हुई लाश को देखते ही कप्तान ने अपने वाकी-टाकी से कंट्रोल टावर से बात करके फ्लाईट रोकने का निर्देश दिया और फिर अपने सैनिक को कार के दरवाजे का एक शीशा तोड़ने का इशारा किया। सैनिक ने इशारा देखते ही अपनी गन के बट से शीशे पर पूरी ताकत से प्रहार किया जिसके कारण दरवाजे का शीशा खील-खील हो कर हवा मे बिखर गया था। कप्तान ने हाथ मे रुमाल लपेट कर जैसे ही दरवाजे का लाक खोला तो बदबू के भभके के बजाय अन्दर का दृश्य देख कर दो कदम पीछे हट गया था पाँच लाशें आगे और पिछली सीट पर एक दूसरे पर गडमड हुई पड़ी थी।

स्थानीय पुलिस भी पहुँच गयी थी। आखिरी उड़ान भी रद्द कर दी गयी थी। दूतावास की कार होने के कारण वरिष्ठ पुलिस अधिकारी भी पार्किंग स्थल पर पहुँच गये थे। कुछ दिन पहले ही गोदाम मे विस्फोट होने के कारण आतंकवादी सज्जाद अफगानी की लाश अखबार की सुर्खियों मे छा गयी थी। अभी मामला थमा भी नहीं था कि पाकिस्तान दूतावास मे कार्यरत ब्रिगेडियर शुजाल बेग की लाश शाही मस्जिद मे संदिग्ध हालत मे मिली थी। अब पाकिस्तान दूतावास की गाड़ी मे पाँच लाशों का मिलना नेपाल सुरक्षा एजेन्सियों के लिये एक चुनौती बन गया था। अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट का मामला था तो सुबह तक वह खबर अंतरराष्ट्रीय खबर बन गयी थी। नेपाल सरकार और पाकिस्तान सरकार मे बहस छिड़ गयी थी।    

मै सुबह जब उठा तब तक आधी दुनिया को पता लग चुका था कि कल रात को त्रिभुवन एयरपोर्ट पर पाकिस्तान दूतावास की कार मे पाँच लाशें बरामद हुई थी। तबस्सुम टीवी पर समाचार देख रही थी। टीवी पर विशलेषकों मे चर्चा का विषय आतंकवाद और हाईजेक की असफल कोशिश के बीच झूल रहा था। पाकिस्तान दूतावास ने मरने वाले पाँचों लोगों की पहचान करने से इंकार कर दिया था। उनका कहना था कि उनमे से कोई भी दूतावास का कर्मचारी नहीं था। पाकिस्तान का राजदूत दो सरकारों के बीच मे झूल रहा था। यह तीसरी घटना थी जिसमे पाकिस्तानी दूतावास का सीधा संबन्ध निकला था। सारी सुरक्षा एजेन्सियाँ अलर्ट मोड मे आ गयी थी। सारी घटना की जानकारी लेकर मै तैयार होने के लिये चला गया। जब तक तैयार होकर बाहर निकला तब तक पाकिस्तान सरकार का औपचारिक वक्तव्य आ गया था। पाकिस्तान नागरिकों और उनके दूतावास की सुरक्षा की जिम्मेदारी नेपाल सरकार की है। पाकिस्तान सरकार इस मामले मे नेपाल की सुरक्षा एजेन्सियों का पूरा सहयोग देने के लिये वचनबद्ध है। साथ ही उन्होने नेपाल सरकार से अपील की है कि वह इस मामले की तह तक जाकर दोषियों को सजा दें।

नाश्ता करके मै उपर हाल मे चला गया था। अजीत सर से बात करके मैने सारी बात उनके सामने रखते हुए कहा… चारों आईएसआई के लोग थे। उनकी जेब से निकाले हुए चारों के परिचय पत्र मेरे पास है। सर, अभी शौकत अजीज की लाश बरामद नहीं हुई है। मै सोच रहा हूँ कि आज दोपहर तक उसकी लाश बरामद हो गयी तो यहाँ तहलका मच जाएगा। रात को अगर यार्ड और मस्जिद मे धमाके हो गये तो इनके सारे मंसूबों पर पानी फिर जाएगा। …अभी परिचय पत्र दबा कर रखो। सही वक्त पर नेपाल सरकार को सौपेंगें। मै नेपाल सेना के सेनाध्यक्ष जनरल बिरेन्द्र सिंह दोएबा से शौकत अजीज की लाश मिलने के बाद बात करुँगा और बता दूंगा कि भारत के खिलाफ आप्रेशन खंजर उनकी धरती से कार्यान्वित हो रहा था। मै उनको दोनो स्थानों की खुफिया जानकारी भी दे दूंगा जिससे विस्फोट होने के बाद नेपाल सेना विस्फोट सबन्धित सारी जांच अपने हाथों मे लेकर खुद करे। …थैंक्स सर।

…तुम्हारी आरफा से बात हुई? …जी सर। उसने बताया था कि वह सिर्फ एक ही प्रशिक्षण केन्द्र पर गयी थी। उसका कहना है कि अगर आप शाकिर से पूछताछ करेंगें तो वह यह बता देगा कि बंगाल की खाड़ी के प्रशिक्षण केन्द्र पर किस दलाल के द्वारा लड़कियाँ पहुँचाया करता था। अगर उस दलाल का नाम पता लग गया तो आरफा का कहना है वह मेरी मुलाकात उस आदमी से जरुर करवा देगी। …शाकिर वही दलाल है जो हैदराबाद और मुंबई मे लड़कियाँ भेजता था। …यस सर। …शाम तक वह सारे दलालों का नाम व पता बता देगा। रात को फोन पर पूछ लेना। …यस सर। इतनी बात करके फोन कट गया था। फोन रखने के बाद मै सोच रहा था कि कैसे शौकत अजीज की लाश तक पुलिस को पहुँचाया जाये कि तभी मेरे फोन की घंटी बज उठी थी। …हैलो। …मेजर। आवाज कान मे पड़ते ही मै पहचान गया था। …बोलिये सर। …मैने जो डोजियर पाकिस्तान मे जनरल शरीफ के साथ सारे कोर कमांडरों को भेजा है उसकी एक कापी तुम्हें भी भेज रहा हूँ। …किस पते पर भेज रहे है। …गोल्डन इम्पेक्स के पते पर भेज रहा हूँ। …सर, आप जानते थे। …नहीं, नफीसा ने चलते हुए बताया था कि वह वहाँ पर होगी तो मै समझ गया था।  …सर, उस दिन आप हम सभी को चकमा देकर निकल गये थे। …मेजर कुछ चीजें इंसान को खुद करनी पड़ती है। …सर, एक बात जानना चाहता हूँ। आपके अनुसार हथियारों का जखीरा और पैसे कहाँ रखे हुए है? वह कुछ पल चुप रहा और फिर बोला… अब पैसे वहाँ नहीं है। हथियार शाही मस्जिद के तहखाने मे है। लेकिन समीर, उन पैसों का जिक्र कभी भी किसी से नहीं करना। …सर, आप बेफिक्र रहिये। आप क्या पुलिस को एक बेनामी काल करके मौलाना कादरी के फ्लैट पर लाश होने की खबर दे सकते है। …मै पुलिस कंट्रोल पर खबर दे दूंगा। …थैंक्स। बस इतनी बात हुई थी। मैने अपना काल रिकार्ड देखा तो उसकी जगह कोई नम्बर नहीं था। मै समझ गया कि सेट फोन के द्वारा शुजाल बेग ने बात की थी। खैर मेरा काम तो हो गया था।

दोपहर होते ही पाकिस्तान दूतावास मे दूसरा विस्फोट हो गया था। पुलिस ने एजाज कंस्ट्रक्शन की साईट से एक नवनिर्मित फ्लैट से कर्नल शौकत अजीज की सड़ी हुई लाश बरामद कर ली थी। चारो ओर हंगामा मच गया था। लोकल मिडिया पुलिस की ढिलायी और बढ़ती हुई आतंकी घटनाओं पर सरकार और पुलिस को आढ़े हाथ ले रही थी। सुरक्षा एजेन्सियाँ पहले हाईजेक की असफल कोशिश पर जाँच कर रही थी और अब शौकत अजीज की लाश मिलने के बाद नये सिरे से जाँच का दायरा बढ़ा कर काठमांडू मे आतंकवादी घटनाओं के साथ जोड़ दिया था। पुलिस, सीआईडी, सेना और इन्टेलीजेन्स के लोग सड़क नाप रहे थे। खबरियों की धर पकड़ चल रही थी परन्तु कुछ भी पुख्ता लीड नहीं होने के कारण जाँच किसी नतीजे पर नहीं पहुँच रही थी। पहली बार नेपाल सरकार ने अन्तरराष्ट्रीय आतंकवाद की घटना का सामना किया था। नेपाली सुरक्षा तंत्र को तो जैसे लकवा मार गया था।

जब तक गोदाम पहुँचा तब तक जमीर अपने साथ सेम्टेक्स से भरा हुआ बैग लेकर शाही मस्जिद की ओर निकल गया था। इतने सुरक्षा इंतजाम के बावजूद सिर्फ जालीदार टोपी के कारण जमीर सारे विस्फोट के सामान को लेकर मस्जिद की दिशा मे निकल गया तथ। कैप्टेन यादव की कमांड मे दस सैनिक रात को यार्ड मे तबाही का इंतजाम करने की तैयारी मे लगे हुए थे। मगरिब की नमाज के समय से पहले ही मै भी शाही मस्जिद पहुँच गया था। मेरी आँखें जमीर की तलाश कर रही थी। मगरिब की नमाज के समय कुछ ही लोग आये थे। मै भी नमाज के लिये हाल मे चला गया था। नमाज अदा करके जैसे ही मै हाल से बाहर निकला तो मेरी नजर जमीर पर पड़ गयी थी जो द्वार की ओर जा रहा था। मै तेज कदमों से चलते हुए उसके पास पहुँच कर बोला… सलाम-आलेकुम भाईजान। जमीर एक पल के लिये अचकचा कर रुक गया और फिर हालात समझ कर जल्दी से पुराने मित्रों की तरह गले मिले और फिर इधर-उधर की बात करते हुए मस्जिद से बाहर निकल आये थे।

…जमीर, क्या स्थिति है? …पाँच जगह टाइमर के साथ लगा दिया है। रात को जब सब शांत हो जाएगा तब पाँच भारी विस्फोट होंगें। …डिटेक्शन की कोई संभावना है? …सर, एक्स्प्लोसिव्स को सेट करना एक कला है। सामने देखने के बाद भी किसी को पता नहीं चल सकता कि वह क्या है। …क्या कोई तुम तक पहुँच सकता है? …सर, किसी को पता ही नहीं चलेगा कि वहाँ क्या हुआ है। बैग तो सुरक्षा एजेन्सियों के लिये छोड़ा है कि जिससे वह उसका संबन्ध सज्जाद अफगानी से लगा ले। विस्फोट के बाद जब फारेन्सिक वाले जाँच करेंगें तो उन्हें विस्फोट का पाकिस्तानी संबन्ध पता चल जाएगा। …आओ चले। …आप यहाँ कैसे आ गये थे। …खुदा से इस काम के लिये माफी मांगनी थी तो मगरिब की नमाज पढ़ने के लिये आया था। अंधेरा गहरा हो गया था तो हम दोनो मेरी गाड़ी मे सवार हुए और यार्ड की ओर निकल गये थे।

यार्ड से कुछ दूर पर अपनी गाड़ी खड़ी करके पहले हम दोनो ने पूरे यार्ड के कंटीले तारों के साथ चलते हुए अन्दर का जायजा लिया और फिर एक्स्प्लोसिव्स के लिये कुछ उपयुक्त स्थान की निशान देही करके अपनी टीम का इंतजार करने बैठ गये थे। दस बजे कैप्टेन यादव कंटेनर ट्रक लेकर यार्ड की मुख्य सड़क पर पहुँच कर सड़क के किनारे खड़े कर दिया था। दो आदमी जैक लगाने मे व्यस्त हो गये थे। बाकी साथियों को अपने साथ लेकर कैप्टेन यादव यार्ड के पास पहुँच गया था। हम दोनो भी उसकी दिशा मे चल दिये थे। हम दोनो को आया देख कर वह कर बोला… सर, आप यहाँ कैसे आ गये? …एक्स्प्लोसिव्स एक्स्पर्ट का तुम्हारे साथ होना जरुरी है। वैसे भी मै देखना चाहता था कि मेरी अनुपस्थिति मे तुम पूरे मिशन का संचालन कैसे करोगे। वह मुस्कुरा कर बोला… सर, यह काम तो आसाम मे हमारा रोज का होता था। सभी लोग इस प्रकार के गुरिल्ला युद्ध मे बहुत निपुण है। यह बोल कर वह जमीर को अपने साथ लेकर चला गया था।

दो लोग रेंगते हुए कँटीले तार के करीब पहुँच कर उसको काटने मे जुट गये थे। वायर-कटर से उन्होंने कुछ ही मिनट मे इतनी जगह बना दी थी कि एक आदमी आसानी से अन्दर दाखिल हो सकता था। अपना काम समाप्त करके वह दोनो लौट आये थे। अन्दर दाखिल होने का समय दो घंटे बाद कर रखा था। एक स्काउट टीम यार्ड का जायजा लेने के लिये निकल चुकी थी। बारह बजे चार आदमी जमीर की कमांड मे यार्ड मे दाखिल हो गये थे। कुछ जगह की निशानदेही हम पहले ही कर चुके थे। वह तेजी से अपने काम मे लग गये थे। एक बजे तक वह अपने विस्फोटक लगा कर वापिस आ गये थे। कैप्टेन यादव सबसे आखिरी मे निकला था। हम गाड़ी मे बैठ कर दबी हुई आवाज मे बात कर रहे थे कि एकाएक दूर  आसमान मे आग का गोला उठता हुए देख कर जमीर ने कहा… शाई मस्जिद मे विस्फोट हो गया। मुझे लगा कि धरती धीरे थरथरा गयी थी। …ऐसा लगता है कि तुमने पूरा सेम्टेक्स से भरा हुआ ड्रम वहाँ लगा दिया था। …यही मै भी सोच रहा हूँ। इतने बड़े विस्फोट के बारे मे तो मैने भी नहीं सोचा था। ऐसा लगता है कि उनके जखीरे मे आग लग गयी है तभी इतनी उँची लपट उठी थी।

इन्हीं बातों मे समय कैसे गुजर गया हमे पता ही नहीं चला था। मै अपनी गाड़ी मे बैठा हुआ उनके निकलने का इंतजार कर रहा था। ट्रक धीरे से हिला और फिर आगे बढ़ गया था। मै भी उनके पीछे चल दिया था। मुख्य सड़क पर ट्रेफिक कम था। शाही मस्जिद मे विस्फोट होने के कारण सड़क पर नेपाल की फौज हरकत मे आ गयी थी। हमारे सामने से कुछ सेना की गाड़ियाँ तेजी से निकलती हुई दिखायी दी तो मैने गति कुछ कम करने का इशारा किया। एकाएक तभी कुछ दूरी पर एजाज कंस्ट्रक्शन के यार्ड मे सिरीज से ब्लास्ट होने लगे। दूर से ऐसा लग रहा था कि रात मे दीवाली मनायी जा रही थी। सेना की गाड़ियाँ विस्फोट और आग के दावानल देख कर तुरन्त उस दिशा मे मुड़ गयी थी। हम उस जगह को पीछे छोड़ कर गोदाम की ओर चल दिये थे। रास्ते भर बैरीकेड और चेकिंग का सामना करते हुए जब हम गोदाम पहुँचे तो मैने कैप्टेन यादव से पूछा… सेना उसी समय वहाँ कैसे पहुँच गयी थी? …सर, जैसे ही यह लोग लौटे थे तभी मैने सेना के कंट्रोल रुम मे खबर कर दी थी नेपाल सेना के कुछ अधिकारी असला बारुद की खरीद फरोख्त कर रहे है। उसने जेब से शौकत अजीज का फोन दिखाते हुए कहा…  कर्नल साहब मरने के बाद भी नेपाल सेना को आराम से बैठने नहीं दे रहे है। इतना बोल कर वह चुप हो गया था। …इस फोन से वह तुम्हें यहाँ ट्रेस कर लेंगें। …सर, शौकत अजीज का सिम कार्ड फोन करने के बाद निकाल दिया था। आखिरी रिकार्ड उस कार्ड का यार्ड पर ही मिलेगा। …ब्रिलियन्ट कैप्टेन। अब मुझे लगता है कि तुम्हें यहाँ पर मेरी जरुरत नहीं है। उनसे विदा लेकर मै अपने घर की ओर चल दिया था।

तबस्सुम ने मुख्य द्वार बन्द करना छोड़ दिया था। वह भिड़ा रहता था। मैने अपने घर मे दाखिल हुआ और अपने बेडरुम मे पहुँच कर कपड़े उतार कर बाक्सर पहने बिस्तर मे घुस गया था। रुम हीटर के कारण काफी गर्माहट थी। रजाई गरम होते ही मै अपनी सपनों की दुनिया मे खो गया था। सुबह मेरी आँख देर से खुली थी। मै आराम से उठा और बाक्सर पहने ही अपने कमरे से बाहर निकला तो सामने आरफा पड़ गयी थी। तबस्सुम मुझे देखते ही बोली… आपकी चाय ला रही हूँ। …आरफा कुछ याद आया कि अनमोल बिस्वास ने तुम्हें कुछ बताया था। मै अपने कमरे से लैपटाप लेकर डाइनिंग टेबल पर बैठ गया था। तबस्सुम भी तब तक चाय लेकर मेरे साथ आकर बैठ गयी थी। मैने बांगलादेश का नक्शा निकाल कर आरफा को बुला कर कहा… तुम सिर्फ मुझे वह जगह दिखा दो जहाँ-जहाँ तुम्हारा जाना होता था। यह बोल कर मैने उसका स्क्रीन आरफा की दिशा मे घुमा दिया था। तबस्सुम ने धीरे से मेरी कन्धे पर पड़े हुए निशान पर उंगली फिराते हुए बोली… यहाँ क्या लगा था। …जमात वाले खुद सुसाइड कर रहे थे उनको पकड़ने के चक्कर मे एक स्प्लिन्टर कन्धे मे आकर लगा था। वह धीरे से मेरे कन्धे को चूम कर बोली… उधर दिल के पास गोली लगी और यहाँ स्प्लिन्टर ने घायल किया है। अब और कोई निशान नहीं लगने चाहिये। मैने उसका हाथ पकड़ कर कहा… यह सब किस्मत की बात है। फिर मैने आरफा की ओर देख कर कहा… कुछ पता चला? वह शर्मा कर बोली… सब कुछ तो अंग्रेजी मे लिखा हुआ है। अपनी भूल पर शर्मिन्दा होते हुए मैने कहा… सौरी। मैने लैपटाप बन्द करके कहा… तो कम से कम टीवी चला दो। पता तो चले की दुनिया मे कल क्या हुआ। आरफा ने उठ कर टीवी चला दिया और तबस्सुम से कह कर नीचे आफिस मे चली गयी थी।

मैने समाचार लगा दिये थे। शाही मस्जिद की तस्वीरें दिखाई जा रही थी। उसका एक हिस्सा खंडहर मे तबदील हो चुका था। अलग-अलग लोग अलग-अलग बात कर रहे थे। कोई कह रहा था कि रसोई मे रखे हुए सिलिंडर फटने विस्फोट हुआ था। कोई कह रहा था कि तहखाने मे बारुद का जखीरा रखा हुआ था जिसमे आग लग गयी थी। जितने मुँह उतनी बातें टीवी पर चल रही थी। नेपाली लोग मौलाना कादरी के अराजक तत्वों के संबन्धों का परिणाम बता रहे थे। मुस्लिम नेता इसे आतंकवाद की घटना सिद्ध करने मे लगे हुए थे। सेना के एक्सपर्ट मस्जिद के ब्लास्ट की जाँच मे लगे हुए थे। उनका मानना था कि सेम्टेक्स और आरडीएक्स के कारण ब्लास्ट हुआ था। उसी खबर के साथ नीचे टिकर चल रहा था कि एजाज कंस्ट्रक्शन के मालिक अब्दुल कादिर को सेना ने हिरासत मे ले लिया है। उसके यार्ड से नेपाली सेना ने रात को हरकत उल आंसार के लगभग तीस जिहादी पकड़े थे। फिलहाल नेपाल सेना के फारेन्सिक एक्सपर्ट यार्ड मे हुए ब्लास्ट और मस्जिद के ब्लास्ट मे इस्तेमाल किये बारुद की जाँच मे लगे हुए है।  

तबस्सुम खबर सुनते हुए बोली… यहाँ आज कल खून खराबा बढ़ता जा रहा है। क्या हो रहा है? चाय पीते हुए मैने कहा… यहाँ जंग का मैदान बना हुआ है। आईएसआई वाले आईएसआई वालों का मार रहे है। एक तंजीम के लोग दूसरी तंजीम के लोगों को मार रहे है। उन सब को सुरक्षा बल वाले मार रहे है। यहाँ पर यही सब चल रहा है। कुछ देर बैठने के बाद मै तैयार होने के लिये चला गया था। जब तक तैयार हो कर बाहर निकला तब तक नाश्ता तैयार हो गया था। तबस्सुम के शरीर मे छ्ठे महीने से बदलाव दिखने लगा था। अब उससे ज्यादा देर खड़े होने मे परेशानी होने लगी थी। मै नाश्ता कर रहा था कि तभी मेरा फोन बज उठा था। …हैलो। …मै सरिता बोल रहूँ। आज शाम को आप मिलने आ सकते है। …पहुँच जाउँगा। यह बोल कर मैने फोन काट दिया था। मै समझ गया कि अब वह फोन जिसकी टैपिंग हो रही थी वह बन्द हो गया था। उसके बारे मे बताना चाह रही थी। इसका मतलब था कि उसका हिसाब करना बाकी था। मै उठ कर हाल मे चला गया था। अठ्ठाईस फोन नम्बर और उसके पते मेरे सामने पड़े हुए थे। काठमांडू को छोड़ कर बाकी सभी जगह के पते सीमावर्ती शहरों के दिये हुए थे। मैने वह कागज अपनी जेब मे रख कर अजीत सर को फोन लगाया। कुछ ही पलों के बाद उनका चेहरा स्क्रीन पर आ गया था।

…मेजर, तुमने आईएसआई की नेपाल मे कमर तोड़ दी है। खबर मिल गयी है। गुड जाब डन। अब उनकी सेना को अपना काम करने दो। शाकिर ने तीन दलालों के नाम बताये है है जो दूसरे प्रशिक्षण केन्द्र मे जिहादियों की मौज के लिये लड़कियाँ भिजवाते थे। उसे यह नहीं पता कि कौन से केन्द्र मे कौन पहुँचाता था। एक नाम ओमर सुल्तान है। उसका काम फतुल्लाह मे जमा हुआ है। दूसरी सादरघाट मे रानी है जो होटल चलाती है। तीसरे का नाम मकबूल चौधरी है। वह मछली का व्यापारी है। …ठीक है सर। मै आरफा से इसके बारे मे बात करुँगा। …मेजर, वहाँ तुम्हें कुछ एक्शन लेने की जरुरत नहीं है। इन्टेलीजेन्स का चीफ सदाकत हुसैन है। उसके पास हमारा डोजियर है। वह तीनो को बुला लेगा बस तुम उनसे पूछताछ करोगे। …जी सर। शुजाल बेग ने अपना डोजियर तैयार करके पाकिस्तान के फौजी इदारे मे कुछ लोगों के पास भेजा है। उसकी एक कापी मुझे भी भेजी है। वह मिलते ही उसे मै आपके पास भेज दूंगा। …मेजर, कुछ दिन शांत रहने की जरुरत है। नेपाल सरकार को अपना काम करने देना। …जी सर। बस इतनी बात हुई थी।

मै नीचे आफिस मे चला गया था। आरफा फोन पर आर्डर ले रही थी। आफिस मे स्टाकिस्टों के आर्डर लिये जा रहे थे। इन्वोईस काट कर गोदाम पर भेजी जा रही थी। कारोबार का काम जोर शोर से चल रहा था। आरफा ने फोन काटने के बाद मेरी ओर देखा तो मैने तीनो नाम उसके आगे कर दिये थे। वह नाम पढ़ कर बोली… यह तो बहुत बड़े लोग है। मै उनके दलालों को जानती हूँ जिनके जरिये वह इस काम को करते है। …आरफा, हमे सिर्फ दो तीन दिन के लिये वहाँ जाना है। अब यह मौका तुम्हारे पास आया है कि अगर तुम वहीं रुकना चाहती हो तो मुझे कोई एतराज नहीं है। मै तुम्हारे लिये कुछ पैसों का इंतजाम कर दूंगा जिससे वहाँ पर तुम अपनी जिंदगी नये सिरे से आरंभ कर सकोगी। अभी समय है तो सोच कर जवाब देना। इतनी बात करके मै उठ कर बाहर आ गया था। तभी तबस्सुम का बुलावा आ गया था तो मै उसके पास चला गया।

…अभी शबाना का फोन आया था। क्या नूर मोहम्मद साहब की कोई खबर मिली? मै उसे इस बुरी खबर से दूर रखना चाहता था लेकिन अबकी बार उसने सीधे सवाल कर दिया था तो मैने संभल कर जवाब दिया… उसके बारे मे कोई अच्छी खबर नहीं है। कर्नल शौकत अजीज ने बताया था कि नूर मोहम्मद से पूछताछ के दौरान उसकी मौत हो गयी थी। यह बात पाकिस्तान दूतावास ने दबा दी थी। उन्होंने शबाना को भी नहीं बताया था। नूर मोहम्मद की लाश उन्होंने पाकिस्तान भिजवा कर उसकी फौजी सम्मान के साथ विदाई कर दी थी। मुझे बस इतना पता है। मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी कि मै तुम्हे यह बुरी खबर दूँ इसीलिये मैने तुम्हें नहीं बताया था। वह सुन कर चुप हो गयी थी। कुछ देर के बाद वह बोली… शबाना बाजी को कैसे बताऊँ मुझे समझ मे नहीं आ रहा है। …तुम्हें कुछ भी बताने की जरुरत नहीं है। एक दो दिन मे दूतावास का कोई कर्मचारी जाकर उसे बता देगा। उस वक्त तुम उससे मिलने चली जाना लेकिन यह बात तुम्हें बताने की जरुरत नहीं है।

इन्हीं चक्करों मे शाम हो गयी थी। छुटपुटा होते ही मै सरिता का हिसाब करने के लिये उसके फ्लैट की ओर निकल गया था। जब मै उसके फ्लैट पर पहुँचा तब तक वह आफिस से आ चुकी थी। मुझे देखते ही उसका चेहरा खिल उठा था। …आप आज टाइम से आ गये है। वह दरवाजा बन्द करके मुझसे लिपट गयी थी। उसे अपनी बाँहों मे बाँधे सोफे पर बैठ गया था। उसके होंठों का रसपान करने के पश्चात हम अलग हो कर बैठ गये थे। वह एक नयी बोतल ले आयी थी। एक प्लेट मे ताजा भुना हुआ गोश्त और नमकीन का पैकट मेज पर रख कर बोली… वह फोन तो बन्द हो गया है। …कोई बात नहीं। जिसको बचाना था उसको समय रहते हुए बचा लिया गया था। उसके लिये तुम्हारा शुक्रिया। यह बोल कर मैने जेब से एक पचास हजार की गड्डी निकाल कर मेज पर रख दी थी। उसने वह गड्डी उठाई और उसे रखने अन्दर चली गयी थी। उसको जाते हुए देख कर मुझे एक बार फिर से नफीसा की याद आ गयी थी। शायद इस लिये कि आज वह कुर्ता और शलवार मे थी। दो दिन पहले इसी सोफे पर बैठ कर मैने कुछ कमजोर पलों मे नफीसा के कोमल जिस्म को महसूस करते हुए अपने जहन मे हमेशा के लिये कैद कर लिया था।

नफीसा की छवि दिमाग मे उभरते ही मैने सामने पड़ी बोतल खोल कर अपना गिलास बनाया और एक घूंट भर कर गोश्त का नर्म सा टुकड़ा उठा कर मुँह मे रख लिया। उसकी छवि दिमाग मे उभरते ही खून का बहाव एकाएक तेज हो गया था। सरिता इठलाती हुई मेरे पास आकर बोली… इसको खिलाने की जिम्मेदारी मेरी है। उसने अपना गिलास बनाया और एक बार फिर से उस रात वाली कहानी को दोहराना आरंभ कर दिया था। उसके होंठों का रस सोखते हुए मेरे हाथ उसके जिस्म के हर हिस्से को नाप रहे थे। अचानक वह मेरे कान को चूम कर बोली… यह कपड़े मुझे काट रहे है। …तो उतार दो। कौन रोक रहा है। वह मेरे गाल को चूम कर बोली… आपके कपड़े मुझे काट रहे है। …तो उतार दो। उसने पहले मुझसे मेरा ग्लास खाली कराया और फिर मेरी शर्ट के बटन खोल कर मेरे नग्न सीने पर अपने होंठों की मौहर लगाना चालू कर दिया था। अचानक वह मेरी बाँहों मे मचली और मुझसे अलग होकर बोली… आप बड़े बेरहम है। अब उस बेचारे को भी आजाद कर दीजिये। मै उसका मतलब समझ गया था। मै अपनी जगह पर खड़ा हो गया। अपनी पैन्ट और बाक्सर उतार कर निर्वस्त्र हो कर बैठ गया। इतनी देर से सरिता के जिस्म के साथ खिलवाड़ करने के कारण भुजंग अपना रौद्र रुप ले चुका था। बंधनमुक्त होते ही मस्ती मे झूमने लगा। वह जमीन पर बैठ गयी और शराब का एक घूंट भर भुजंग के सिर पर मुँह मे भरी शराब को उंडेल दिया। शराब से नहाये सिर को उसने अपने मुख मे भर कर उसका रस सोखने लगी।

सरिता का चेहरा मेरी आँखों के सामने आते ही पता नहीं सारा उत्साह ठंडा हो गया था। अचानक मैने दोनो हाथों से उसका सिर पकड़ कर नीचे की ओर ठेल दिया। भुजंग का सिर जो अब तक उसके होंठों मे दबा हुआ था वह सरक कर गले मे उतर गया। वह कुछ क्षण सांस रोक कर शांत बैठी रही और फिर उसने धीरे से नाक के सहारे साँस लेना आरंभ कर दिया था। मै धीरे से हिला और भुजंग थोड़ा सा और अन्दर सरक गया था। अभिसार की क्रिया के अनुसार मैने धीरे-धीरे हिलने आरंअभ कर दिया था। उसका मुख उस वक्त योनिमुख की भाँति लग रहा था। उसने आँखें उठाकर मेरी ओर देखा और भुजंग को अपनी उंगलियों मे जकड़ कर उसका रस सोखने मे लग गयी थी। कुछ देर तक वह अपने मुख और जुबान से तन्नाये हुए भुजंग की मालिश करती रही और जब वह थक गयी तो अलग हो गयी। उसने जल्दी से अपने आप को निर्वस्त्र किया और मेरी गोद मे बैठने से पहले झूमते हुए भुजंग को गरदन से पकड़ कर स्थिर किया और फिर अपने स्त्रीत्व द्वार पर धीरे से टिका कर बैठ गयी। पल भर मे सारी बाधाएँ हटाते हुए भुजंग अपने बिल मे जगह बनाता हुआ जड़ तक धंस गया था। उसकी चिकनी पीठ मेरी ओर थी। उसकी पीठ को धीरे से चूमते हुए मेरे हाथ उसके वक्षस्थल पर जम गये थे। उसकी सीने की गोलाईयों को मैने धीरे से दोहना शुरु किया तो उसके मुख से उत्तेजना से ओतप्रोत सीत्कार छूट गयी थी।

स्त्री और पुरुष के बीच काम क्रिया का एक सुखद एहसास होते ही उसको मैने आगे की ओर झुका दिया था। वह मेज का सहारा लेकर खड़ी हो गयी थी। मैने धीरे से अपने आप को पीछे खींचा और पूरी शक्ति लगा कर मैने अपनी कमर को झटका दिया तो एक बार फिर उसकी गहराईयों धँसता चला गया था। एक बार फिर से मैने वही क्रिया का दोबारा प्रयोग किया लेकिन इस बार उसके मुख से किलकारी छूट गयी थी। उसके बाद तो चोट पर चोट आरंभ हो गयी थी। हर चोट पर उसके मुख से गहरी सिस्कार विस्फुटित हो रही थी। अचानक वह मेरी पकड़ से छूट कर अलग होकर बोली… आओ साहबजी अन्दर चलते है। यह बोल कर वह बेडरुम मे चली गयी थी। अचानक तंद्रा भंग होने के कारण मैने उबलते हुए लावा को शांत किया और फिर ग्लास मे पड़ी बची हुई शराब को एक ही साँस मे गटक गया। नशे मे झूमता हुआ बेड पर पड़े हुए बेदाग गोरे नग्न जिस्म को कुछ पल निहारता रहा और फिर नशे के कारण अपने आपको संभालता हुआ उसके साथ जाकर लेट गया था। मैने उसके पुष्ट गोल नितंब पर धीरे से अपना हाथ रख कर फिराया तो वह चिहुंक उठी थी।

नशे मे अधखुली आँखों से मैने सरिता की ओर देखा तो वह पीठ करके लेटी हुई थी। आहिस्ता से मै उसके निकट गया तो मेरा मुर्झाता हुए भुजंग उसके नितंब से टकरा गया तो वह आगे सरक कर मेरी ओर करवट लेकर लेट गयी थी। अचानक सरिता के चेहरे की जगह एक बार फिर नफीसा का चेहरा मेरे सामने आ गया था। उसका चेहरा सामने आते ही मुझे दो रात पहले का अनुभव जहन मे उभर आया था। मैने उठ कर बैठ गया और उसका सिर अपनी गोदी मे रख उस पर झुक गया था। मेरे होंठों ने जैसे ही इस बार सरिता के होठों को स्पर्श किया मुझे वही गुलाबी पंखुड़ियों का स्वर्गिम एहसास हुआ था। उसके माथे को चूम कर उसकी मुंदी हुई पलकों को चूम कर एक बार फिर से गुलाबी होंठों पर छा गया था। मेरी उँगलिया उसके सीने की गोलाईयों की परिधि नाप रही थी। गुलाबी आभा लिये उसके स्तनाग्र सिर उठाये मेरी विचरती हुई उँगलियों से खेल रहे थे। उसके होंठों का रस पीकर उसके सुराहीदार गले पर अपनी मोहर लगा कर उसकी आंखों मे झांका तो उसी वक्त मुझे एहसास हुआ कि मै मतिभ्रम का शिकार हो गया था। मेरे आगोश मे नफीसा थी।

मैने धीरे से उसकी कमर मे हाथ डाल कर उसे अपने से सटाते हुए कहा… तुम बहुत सुन्दर हो। वह मुस्कुरा कर बोली… तो आप हमेशा के लिये मुझे अपना बना लिजीये। …नहीं मुझे गलत मत समझो सरिता। मै कोई वादा करने की स्थिति मे नहीं हूँ। तुम्हें जब भी देखता हूँ तो तुम मे मुझे किसी की छवि दिखती है। प्लीज, आज मुझे अपनी सभी दबी हुई इच्छाओं को पूरी करने दो। जैसे उस रात को मैने तुम्हारे दिमाग से बिस्ट नाम का भूत निकाल दिया था आज तुम मेरे दिमाग से उस छवि को हमेशा के लिये निकाल दो। वह कब और कैसे वह मेरे जहन पर छा गयी मुझे पता ही नहीं चला। …ऐसा क्या है उसमें। …यही तो मुझे भी पता नहीं बस उसकी ओर खिंचता चला जा रहा हूँ। शराब का नशा अब सिर पर चढ़ कर बोल रहा था। मेरी बात सुन कर वह खिलखिला कर हँस पड़ी थी। उसकी कनपटी लाल हो गयी थी और गाल दहकने लगे थे।

मेरे जहन मे न जाने कैसे नफीसा की छवि उभर आयी थी। उसके जिस्म की बनावट का स्वर्गिम एहसास होते ही उसकी कंचन नग्न काया को बेदर्दी से अपने आगोश में जकड़ लिया था। उसके मुख से एक आह निकली जिसने मेरे दिल को भेद दिया था। हमारे नग्न जिस्म एक दूसरे के साथ लिपटे हुए बिस्तर पर पड़े हुए थे। दिमाग पर नशा हावी होने कारण मुझे उसका नग्न गोरा जिस्म बल्ब की रौशनी मे दमकता हुआ लग रहा था। शर्म की लालिमा उसके चेहरे पर बढ़ती जा रही थी। सीने के उभार उसकी हर साँस पर उपर नीचे बैठ रहे थे और उनके शिखर पर गुलाबी स्तनाग्र उत्तेजनावश फूल कर खड़े हो चुके थे। मैंने झुक कर एक स्तनाग्र को अपने मुख में भर कर अपनी जुबान से उस पर वार किया और दूसरे को अपनी उंगलियों में फँसा कर हौले से तरेड़ दिया। यही क्रम मैं काफी देर तक बदल बदल कर करता रहा थाउसके गुलाबी शिखर अब तक मेरी मेहनत से सुर्ख लाल हो चुके थे।

मैने सरिता का ऐसा रुप उस रात से पहले नहीं देखा था। वह नयी नवेली दुल्हन की तरह पेश आ रही थी। मैने अपनी पलकें झपका कर अपने दिमाग पर छाये नशे के बादलों को छाँट कर नीचे की ओर सरक गया था। मेरी उँगलियाँ उसकी जांघों के बीच बालों से ढके हुए स्त्रीत्व के द्वार को टटोलने मे लग गयी थी। वह तड़प कर उठने को हुई परन्तु उसके पुष्ट गोल नितंब मेरे पंजे मे जकड़े होने के कारण वह अपने प्रयास मे असफल हो गयी थी। जब वह कुछ नहीं कर पायी तो अपनी टाँगे सिकोड़ कर लेट गयी थी। मैंने उसके पेट को चूमते हुए धीरे से उसकी जाँघों बीच जगह बना कर उसकी माँसल जाँघ पर अपने होंठ टिका दिये थे। एक बिजली का करन्ट उसके जिस्म मे दौड़ गया था। उसके मुख से लम्बी सिसकारी छूट गयी थी… अ…आ…ह

मेरे हाथों मे उसका जिस्म मचल रहा था। मैने उसकी दोनों जाँघों पर अपने होंठों की छाप छोड़ कर जैसे ही अपने अगले पड़ाव की ओर अग्रसर हुआ तो मेरी नजर उसके सीने की ओर चली गयी थी। गुलाबी स्तनाग्र रस निचुड़ने कारण सुर्ख हो गये थे। तेज चलती हुई साँसों के कारण उनमें लगातार स्पंदन हो रहा था। …आज तुम्हारे जिस्म के कतरे-कतरे से रस सोख लूँगा। यह बड़बड़ाते हुए उसके चिकने और सपाट पेट और नाभि पर अपनी जुबान से वार करने लगा। मेरे दोनो हाथ उसके गोल नितंबों को गूँध रहे थे और वह उत्तेजना में कसमसा रही थी मेरी जुबान के वार से बचने के लिए वह इधर उधर सिर पटक रही थी। कभी कभी वह अपने हाथों से मेरे सिर को रोकने की चेष्टा करती और कभी मेरे सिर को पकड़ कर अपने पेट पर दबा देती। कुछ देर उसकी नाभि और कूल्हों के साथ खिलवाड़ करने के बाद एक बार फिर से बड़बड़ाया… अब तुम अपने आप को सारे बंधनों से मुक्त कर दो। इतना बोल कर मेरा चेहरा नाभि से नीचे सरक कर उसके योनिमुख के सामने आ गया था। मैने बालों को अपनी उँगलियों से हटा कर एक नजर उसके बन्द स्त्रीत्व द्वार पर डाली और फिर अपनी दो उँगलियों की मदद से  उसके स्त्रीत्व द्वार को खोल कर अंकुर को अनावरित करके उस पर अपनी जुबान से प्रहार किया। पहले वार पर ही वह उछल गयी थी। मैने आराम से अपनी जुबान को पूरी दरार पर फिरा कर जैसे ही अकड़े हुए अंकुर पर अपने होंठ टिकाये वह तड़प उठी थी। मेरे शिकंजे मे फँसी होने कारण वह सिर्फ छटपटा कर रह गयी थी। मेरी जुबान और मेरे होंठों ने उसके स्त्रीत्व से छेड़छाड़ आरंभ कर दी थी। एकाएक उसका संयम टूट गया और वह आनंद से कराहते हुए बहने लगी थी।

मै नशे मे झूमता हुआ उपर की ओर सरक गया और उसके जिस्म पर छाते हुए उसके कान को चूम कर धीरे से फुसफुसाया… आज जानेमन मैंने तुम्हारे हर अंग पर अपनी मौहर लगा दी है। अचानक उसकी आवाज मेरे कान मे पड़ी… प्लीज धीरे से किजियेगा। मै इस पल को जीवन भर संजो कर रखना चाहती हूँ। मैने उसके गालों को चूम कर कहा… तुम इस पल को ही नहीं बल्कि आज के बाद मुझे भी जीवन भर याद रखोगी। मैंने उत्तेजना मे झूमते हुए भुजंग को अपनी मुठ्ठी मे जकड़ कर उसके स्त्रीत्व द्वार पर कुछ पल घिस कर उसके द्वार को खोल कर योनिमुख पर टिका दिया। वह सांस रोक कर लेटी रही लेकिन मै भी किसी जल्दबाजी मे नहीं था। जब साँस लेना उसके लिये अनिवार्य हो गया तो उसने अपनी साँस छोड़ी बस तभी मैने अपनी कमर पर दबाव डाला और परिणामस्वरुप उत्तेजना मे अकड़ा हुआ भुजंग अपनी जगह बना कर अन्दर सरक गया था। उसकी योनि पूरी तरह गीली थी और वह शारीरिक व मानसिक रुप से पूर्णत: उत्तेजित अवस्था मे उसे निगलने के लिये तैयार हो गयी थी। उत्तेजना से भन्नाये हुए भुजंग का फूला हुआ सिर उसकी योनि मे प्रविष्ट हो कर पल भर के लिये रुक गया था। उसके मुख से एक हिचकी सी निकली और उसने मुझे कस कर अपनी बाँहों मे जकड़ लिया था

रविवार, 15 अक्टूबर 2023

 

गहरी चाल-30

 

कैप्टेन यादव अपनी गाड़ी से उतर कर सारी कार्यवाही होती हुई देख रहा था। जेनब को हाथों मे उठाये दोनो आदमी तेजी से कार की तरफ चल दिये। तीसरे आदमी ने झुक कर शुक्रिया कहा और ड्राईवर की साइड की ओर बढ़ गया। तभी मै उसके पीछे से चिल्लाया… सावधान…हाल्ट। अपने हाथ उपर करो। एकाएक सभी के बढ़ते हुए कदम वहीं पर रुक गये थे। ड्राइवर साइड की ओर जाते हुए व्यक्ति की ओर इशारा करके मैने अपने साथियों से कहा… इसकी तलाशी लो। इसके पास पिस्तौल है। एकाएक सब कुछ जो अभी तक शांत लग रहा था वहाँ युद्ध जैसा तनाव हो गया था। एक साथ पाँच एके-203 की खट की आवाज सबके कानो मे पड़ गयी थी। सभी फौजी थे और सभी उस आवाज का मतलब समझते थे। गन का सेफ्टी लाक हट गया था और अब गन फायरिंग के लिये तैयार थी। जिनके हाथ मे जेनब थी वह दोनो तो कुछ भी कर पाने के योग्य नहीं थे। एक आदमी जो कुछ कर सकता था वह भी अब गन के निशाने पर आ गया था। राजकुमार ने आगे बढ़ कर उसकी तलाशी ली और उसकी जैकेट मे से एक पिस्तौल निकाल कर मुझे दिखाते हुए कहा… विदेशी पिस्तौल है। तब तक मेरे एक साथी ने जेनब को संभाल लिया और बाकी लोग उन दोनो की तलाशी लेने मे जुट गये थे। सबके हथियार अपने कब्जे मे करके मैने पूछा… यह क्या चक्कर है। शौकत अजीज की तरह पहले उन्होंने दूतावास की धमकी दी और जब बात नहीं बनी तो फिर रिश्वत देने की बात करने लगे थे।

…आप मेरे साथ आईये। खुले मे ऐसी बात नहीं कर सकते। यह बोल कर मै तीनो लेकर मै जंगल की ओर चल दिया था। मै उनकी कहानी कुछ दूर तक सुनता रहा। जंगल मे कुछ दूर अन्दर आने के बाद अपनी एके-203 से दो छोटे बर्स्ट मार कर मैने उन तीनो का जिस्म गोलियों से छलनी कर दिया। वह तीनो कटे हुए वृक्ष की तरह जमीन पर ढेर हो गये थे। मैने सबकी नब्ज चेक करके उन्हें वही छोड़ कर वापिस सड़क की ओर चल दिया। इतनी देर मे सड़क पर लगी सभी गाड़ियों को मेरे साथियों ने एक लाईन से सड़क के किनारे लगा कर खड़ी कर दी थी। सबकी डंगरी और हथियार गायब हो गये थे। कुछ साथियों को अपने साथ लेकर टोयोटा उन तीनो के पास ले गया। मेरे साथियों ने उनकी लाशों को टोयोटा मे डाला और जमीर सेम्टेक्स को फ्युज और टाइमर के साथ जोड़ कर विस्फोट की तैयारी मे जुट गया था। अपना काम समाप्त करके हम वापिस अपनी गाड़ियों की दिशा मे चल दिये थे। मैने जेनब को कंटेनर ट्रक मे डाला और बाकी सब पिक-अप मे बैठ गये थे। मैने घड़ी पर नजर डाली और कैप्टेन यादव से पूछा… शुजाल बेग के बारे मे पता करो। कैप्टेन यादव अपने साथियों से फोन पर बात करने के पश्चात बोला… सर, वह लोग अभी भी अन्दर है। एक बज गया था और शुजाल  बेग के अनुसार उसे दोपहर की फ्लाईट पकड़नी थी। इस वक्त तक उसे एयरपोर्ट पर होना चाहिये था। …कैप्टेन मेरे पीछे आओ। मैने अपनी गाड़ी मोड़ ली और वापिस उस हाउसिंग सोसाईटी की दिशा मे चल दिया था। वहाँ से चलने से पहले जमीर ने रिमोट से टोयोटा मे विस्फोट करके उसके परखच्चे हवा मे उड़ा दिये थे।

कुछ ही देर मे हम उस हाउसिंग सोसाइटी के सामने थे जहाँ शुजाल बेग ठहरा हुआ था। मै जेनब को ट्रक मे छोड़ कर बाकी लोगो को सावधान करके उस फ्लैट की ओर बढ़ गया। उसके दरवाजे पर दस्तक देकर मै किनारे मे खड़ा हो गया था। कुछ देर के बाद दरवाजा खुला और नीलोफर ने मेरी ओर देख कर बोली… क्या हुआ? …शुजाल बेग? …वह तो चले गये। इस वक्त तो वह आसमान मे होंगें। मैने चकरा कर कहा… मजाक मत करो। शुजाल बेग कहाँ है? फ्लैट मे अन्दर जाते हुए वह बोली… समीर, ब्रिगेडियर साहब जा चुके है। तुम खुद देख लो। उन्होंने मुझे बता दिया था कि तुम आओगे इसीलिये मै यहाँ बैठी हुई तुम्हारा इंतजार कर रही थी। मैने पूरा फ्लैट छान मारा लेकिन शुजाल बेग निकल गया था। नीलोफर मेरे पास आकर बोली… समीर, वह सुबह होते ही यहाँ से चले गये थे। उन्हें पता था कि तुम्हारी शैडो पार्टी उन पर दूर से नजर रख रही थी। मै आराम से सोफे पर बैठते हुए कहा… वह सच मे चले गये है तो कोई बात नहीं। अगर वह नहीं गये है तो अब मै भी उन्हें बचाने की स्थिति मे नहीं हूँ। जैसे ही दूतावास की कार बरामद होगी तो आईएसआई के खेमे मे हाहाकार मच जाएगा। हर आदमी उनकी तलाश मे सड़क पर आ जाएगा। पाकिस्तान मे भी फिर उनके लिये बचने की संभावना बेहद कम हो जाएगी। मैने मन ही मन सोचा कि जब चिड़िया उड़ ही गयी तो फिर अब उन दोनो लड़कियों को सुरक्षित अमरीका भेज कर वापिस दिल्ली की ओर कूच करने का समय नजदीक आ गया है।

मैने एक लम्बी साँस छोड़ कर कहा… मेरा उद्देश्य उनको यहाँ से सुरक्षित निकालने का था। अच्छा हुआ वह चले गये। तुम वापिस कब जा रही हो? …मैने सोचा नहीं है। सामने मेज पर अटैची पड़ी हुई देख कर मैने कहा… तुम्हारे पैसे तुम्हें मिल गये तो अब यहाँ क्या करोगी? …समीर, यह फारुख के पैसे थे। ब्रिगेडियर साहब अपनी जरुरत के हिसाब से कुछ पैसे निकाल कर बाकी पैसे मेरे लिये छोड़ गये थे। फारुख को मैने दो बार चोट मारी है तो अब तक उसने अपने हत्यारे मेरे पीछे लगा दिये होंगें। …नीलोफर, ब्रिगेडियर की लड़की जेनब को हमने आईएसआई के जाल से निकाल लिया है। जब तक तुम यहाँ हो तब तक उन्हें यहाँ तुम्हारे पास छोड़ दूँ तो क्या तुम्हें कोई एतराज है। तुम चाहो तो उनके साथ तुम भी अमरीका जा सकती हो। इसमे मै तुम्हारी मदद कर सकता हूँ। वह मेरी ओर ध्यान से देखते हुए बोली… अब यह भी बता दो कि इसके लिये मुझे क्या करना होगा? …हया का पता बता दो। …सच बोल रही हूँ। मुझे पता नहीं कि हया इस वक्त कहाँ है। …मुझे यह भी पता है कि तुम वलीउल्लाह को जानती हो। क्या उसके बारे मे बता सकती हो? नीलोफर एकाएक चुप हो गयी थी।

…बोलो क्या तुम मेरी मदद करने को तैयार हो? कुछ सोचने के बाद नीलोफर ने कहा… समीर, हया के मामले मे तुम्हारी कोई मदद नहीं कर सकती। जहाँ तक वलीउल्लाह की बात है तो मै उसके बारे मे जो कुछ भी जानती हूँ वह उस वक्त ही बताउँगी जब मै अमरीका की फ्लाईट पकड़ने के लिये सिक्युरिटी चेक के लिये जा रही होंगी। अब मुझे एक आशा की किरण दिख रही थी। मैने उसके चेहरे को दोनो हाथों मे लेकर उसकी आँखों मे झाँकते हुए कहा… अगर फारुख की तरह मुझे डबल क्रास करने की  कोशिश की तो याद रखना हमारा करार उसी वक्त टूट जाएगा। उसके बाद जब भी हमारा आमना सामना होगा तब हम दोनो मे से सिर्फ एक ही जिंदा रहेगा। वह मेरी आँखों मे झाँकते हुए बोली… चिन्ता मत करो। तब भी तुम ही जिन्दा रहोगे।

उसे छोड़ कर मैने अपना फोन निकाल कर कैप्टेन यादव को फोन करके जेनब को अन्दर लाने के लिये कह कर नीलोफर से कहा… दूसरी बेटी नफीसा को शाम तक यहाँ छोड़ दूंगा। अचानक वह बोली… समीर, तुम्हारी बेटी तो अब बड़ी हो गयी होगी? …हाँ स्कूल जाने लगी है। लेकिन जब तक तुम्हारे लोग कुछ न कुछ साजिश रचते रहेंगें तो भला मै उसके साथ कैसे समय बिता सकता हूँ। जब तक हम बात कर रहे थे तब तक कैप्टेन यादव जेनब को लेकर आ गया था। अभी भी वह नशे मे थी। नीलोफर ने पूछा… इसे क्या हुआ है? …कुछ नहीं इसे ड्र्ग्स की डोज दी गयी है। शाम तक इसका नशा उतर जाएगा। अबसे शुजाल बेग की लड़कियों की जिम्मेदारी तुम्हारी है। तुम सब की सुरक्षा के लिये वह चार लोग अभी भी यहीं पर तैनात रहेंगें। जेनब को नीलोफर के साथ छोड़ कर कैप्टेन यादव के साथ मै बाहर निकल आया था। …कैप्टेन, एक आदमी इनके घर पर तैनात रहेगा और बाकी तीन अपनी सुविधा अनुसार इस फ्लैट की निगरानी पर रहेंगें। आप लोग वापिस गोदाम चले जाईये। मै भी कुछ देर के बाद तैयार होकर पहुँच रहा हूँ। …यस सर। इतना बोल कर मै अपनी गाड़ी की ओर चल दिया था।

मै सीधा अपने घर की ओर निकल गया था। तबस्सुम को सारी कहानी सुना कर कहा… ब्रिगेडियर साहब तो चले गये है। उनकी दोनो बेटियाँ अभी यहीं है। …आप उन्हें किसके पास छोड़ कर आ गये? उसके सवाल को सुन कर मै एकाएक सावधान हो गया था। …तुम्हारी नीलोफर बाजी शुजाल बेग की मदद के लिये यहाँ आयी थी। उसी के पास दोनो को छोड़ दिया है। …क्या उन्हें पता है कि मै यहाँ आपके साथ रह रही हूँ। …नहीं। जिस दिन उसे इसका पता चल गया कि उसे धोखा देकर मै तुम्हें अपने साथ ले आया था तो वह मुझे गोली मार देगी। …आप बेकार मे उससे डर रहे है। अब जब हमारा निकाह हो गया है तो फिर हमे किस बात की चिन्ता है। अब आप उन्हें बता सकते है कि मै आपके साथ रह रही हूँ। अब अब्बू भी हमारा कुछ नहीं कर सकते। मैने झल्ला कर कहा… तुम अब मीरवायज नहीं हो? अब तुम अंजली कौल हो और अगर कभी तुम्हारी बाजी सामने पड़ जाए तब भी अंजली कौल की तरह से ही उसके सामने पेश आना। तुम्हारी सुरक्षा के कारण मै उसे यहाँ से बाहर भेजने मे मदद कर रहा हूँ। वह यहाँ से चली जाएगी तो मै निश्चिन्त होकर वापिस दिल्ली लौट सकूँगा। इतनी बात करके मै तैयार होने के लिये चला गया था।

एक घंटे के बाद अपने हाल मे बैठ कर अजीत सर को यहाँ की रिपोर्ट दे रहा था। …सर, मैने देखा नहीं है। शुजाल बेग मेरे आदमियों को चकमा देकर निकल गया है। नीलोफर का कहना है कि वह सुबह की फ्लाइट पकड़ कर निकल गया था। …नीलोफर ने कुछ मेजर हया या वलीउल्लाह के बारे मे कुछ बताया? …सर, वह वलीउल्लाह के बारे मे बताने के लिये तैयार है लेकिन उसकी एक शर्त है। वह चाहती है कि उसको शुजाल बेग की लड़कियों के साथ अमरीका भेज दिया जाये। …इसमे हम क्या कर सकते है? …उसे पासपोर्ट की जरुरत। कुछ सोचने के बाद अजीत सर ने कहा… मेजर वह फिर कोई नयी कहानी मे उलझा रही है। पासपोर्ट मिलने से तो वह अमरीका मे दाखिल नहीं हो सकती। उसे वहाँ का वीसा भी चाहिये। पासपोर्ट तो बन जाएगा परन्तु वीसा हमारे हाथ की बात नहीं है। उसने मेजर हया के बारे मे कुछ बताया? …सर, उसे नहीं पता कि वह कहाँ है। मेजर हया ने उससे फोन पर बात की थी जिसके कारण वह काठमांडू पहुँची थी। अचानक बोलते हुए मुझे याद आया कि उस फ्लैट मे तीन जब्त किये फोन मे से एक फोन नीलोफर का भी था। …क्या हुआ मेजर? …सर, नीलोफर का फोन हमारे पास है। उसकी काल लिस्ट चेक करके मेजर हया का पता लगाने की कोशिश करते है। …ठीक है मेजर। उस यार्ड को चेक किया? …नहीं सर। शुजाल बेग के कारण हमारा सारा कार्यक्रम अस्तव्यस्त हो गया था। …आप्रेशन खंजर के खंजर को तोड़ने के लिये हमे कुछ पुख्ता कदम जल्दी उठाने है। …यस सर।

…समीर, एजाज मूसा और उसके आदमियों से शुजाल बेग के बाद दोबारा से पूछताछ की गयी थी। उसके अनुसार अरब सागर मे हमारे तेल के संसाधनों पर हमले की योजना जमात-ए-इस्लामी ने बनायी थी। हिजबुल के पचास जिहादी बंगाल की खाड़ी मे प्रशिक्षण ले रहे है। हमने अपनी जाँच रिपोर्ट का एक डोजियर बांग्लादेश की प्रधानमंत्री को सौंप दिया है। उनकी इन्टेलीजेन्स उस प्रशिक्षण केन्द्र का पता लगाने की कोशिश कर रही है। आरफा को लेकर अगर तुम उनसे मिलोगे तो वह शायद उस जगह के बारे कुछ बता सकेगी। एक बार उससे बात करके देखो कि क्या वह उसके बारे मे कुछ जानती है या उसे अनमोल बिस्वास ने कुछ बताया था। बांग्लादेश सरकार ने अपनी ओर से पूरी मदद करने का आश्वासन दिया है। उन्होंने अब तक जमात-ए-इस्लामी बांग्लादेश के खिलाफ भी सख्त कदम उठाये है। उनके चार मुख्य कार्यकारी लोग इस वक्त हिरासत मे है और उनसे पूछताछ चल रही है। आरफा से बात करके देखो तो शायद उनका कोई सुराग मिल जाये। …जी सर। शाम तक आपको बताता हूँ। इतनी बात करके अजीत सर ने फोन काट दिया था।

मैने अपनी ओर से आप्रेशन खंजर को ध्वस्त करने के लिये तीन मोर्चे खोले थे। एक शुजाल बेग के द्वारा पाकिस्तान के फौजी इदारे मे खलबली मचा कर मंसूर बाजवा पर निशाना साधा था। दूसरा आप्रेशन खंजर का काठमांडू से संचालन करने की आईएसआई योजना को भारी जान और माल का नुकसान पहुँचा कर वहाँ से पीछे हटने के लिये मजबूर कर दिया था। तीसरा मोर्चा वलीउल्लाह पर केन्द्रित था। एक मोर्चे पर सफलता मिलने से कम से कम काठमांडू अब उनके लिये सुरक्षित स्थान नहीं रहा था। अब उसका सारा संचालन पाकिस्तान से ही हो सकता था। अगर शुजाल बेग अपने उद्देशय मे कामयाब हो गया तो आप्रेशन खंज़र का आखिरी सिरा जमात पर भी अंकुश लगाना आसान हो जाएगा। बांग्लादेश मे अगर हम उन जिहादियों और प्रशिक्षण केन्द्र की पहचान करने मे सफल हो गये तो आप्रेशन खंजर सिर्फ एक कहानी बन कर रह जाएगा। यही सोचते हुए मै हाल से निकल कर आरफा से मिलने चला गया था। तबस्सुम की जगह आरफा आजकल आफिस मे बैठ रही थी तो मै सीधे आफिस की ओर चला गया था।

मुझे आफिस मे आता देख कर आरफा चौंक गयी। …तुमसे कुछ बात करनी थी इसलिये यहाँ आ गया था। मैने उसके बारे मे एक बात नोट की थी कि उस रात के बाद से वह मेरे सामने आते ही असहज हो जाती थी। …आरफा क्या तुम्हें मूसा के बंगाल की खाड़ी मे हो रहे प्रशिक्षण केन्द्र के बारे मे कुछ पता है? गोपीनाथ से मिलने के बाद हम पहली बार इस बारे मे चर्चा कर रहे थे। शायद इसीलिये वह थोड़ा घबरा सी गयी थी। वह झिझकते हुए बोली… मैने जमात का प्रशिक्षण केन्द्र सिर्फ एक बार देखा था जब उधर कुछ लड़कियाँ लेकर गयी थी। बंगाल की खाड़ी के प्रशिक्षण केन्द्र के बार मे मुझे कुछ पता नहीं। …जैसे तुम एक प्रशिक्षण केन्द्र मे गयी थी वैसे ही कोई और तुम्हारी तरह भी जिहादियों के लिये लड़कियों का इंतजाम करता होगा। वह एक पल कुछ सोच कर बोली… सभी के लिये इंतजाम शाकिर किया करता था। वह जानता होगा कि उस प्रशिक्षण केन्द्र मे कौन लड़कियाँ पहुँचाता होगा। मै उठते हुए बोला… शाकिर तो हमारी गिरफ्त है। उससे पता करता हूँ लेकिन तुम भी सोचना कि कि क्या अनमोल बिस्वास ने तुम्हें उसके बारे मे कुछ और बताया था। इतनी बात करके मै बाहर निकल कर अपनी गाड़ी मे बैठा और सरिता के घर की ओर चल दिया था। सारा काम समाप्त करने मे शाम हो गयी थी। ठंड भी बढ़ती जा रही थी। 

सरिता के फ्लैट के दरवाजे पर दस्तक देकर मैने आवाज लगाई… नफीसा। कुछ पल गुजरने के बाद नफीसा दरवाजा खोल कर मेरी ओर देखते हुए बोली… आप यहाँ कैसे पहुँच गये। …तुम्हें लेने आया हूँ। तुम्हारी जेनब बाजी को वहाँ से सुरक्षित निकाल लिया है। तुम्हारे अब्बू ने तुम्हे और तुम्हारी बाजी को वापिस भेजने के लिये कहा है। वह कुछ बोलती तभी मैने पूछा… सरिता तो आफिस मे होगी। मै सरिता को बता देता हूँ लेकिन फिलहाल तुम यहाँ से चलने की तैयारी करो। यह बोल कर मै सरिता का फोन नम्बर मिलाने लगा तभी उसकी आवाज मेरे कान मे पड़ी… अब मै कहीं नहीं जा रही। मैने उस नेपाली मेजर के साथ रहने का फैसला कर लिया है तो अब मै वादा खिलाफी नहीं कर सकती। उसकी बात सुन कर एक पल के लिये मै सकते मे आ गया था। मैने जल्दी से फोन काट कर कहा… उस मेजर से हमारी बात हो गयी है। उसने तुम्हें आजाद कर दिया है। अब चलो क्योंकि हम ज्यादा देर यहाँ रुक नहीं सकते है। वह अन्दर जाते हुए बोली… उसने मेरे लिये अब्बू को आजाद किया है तो अब मै उसे छोड़ कर नहीं जाऊँगी। बाजी को आप अमरीका भिजवा दिजिये। मै उसके पीछे फ्लैट के अन्दर दाखिल हो गया और झल्ला कर बोला… क्या बेवकूफी की बात कर रही हो। जब उसने तुम्हें आजाद कर दिया है तो अब यह फालतू की बात करना बेमानी है। …आपके लिये हो सकती है क्योंकि आप वहाँ नहीं थे। अगर उस वक्त वह मेरी जान भी मांग लेता तो मै एक पल की देरी नहीं करती। आपको क्या पता कि उस शौकत ने मेरे साथ कार मे क्या-क्या किया था। उस नेपाली ने मेरी जान उन लोगो से बचायी थी और फिर मेरे कहने पर मेरे अब्बू की जान बक्श दी थी। भला ऐसे आदमी को अब मै कैसे छोड़ कर जा सकती हूँ। आप यहाँ से जाईये और फिर कभी मत आईयेगा। यह मेरा आखिरी फैसला है।

मै अपना सिर पकड़ कर सोफे पर बैठ गया। मैने एक बार फिर से नये तरीके से कोशिश की… नफीसा, वह निहायत ही बदमाश, व्यभिचारी और रिश्वतखोर इंसान है। कोई और लड़की मिलेगी तो वह तुम्हें छोड़ देगा। ऐसे आदमी पर तुम्हें भरोसा नहीं करना चाहिये। हमने उसे पैसे देकर तुम्हारी आजादी खरीद ली है। अब यह बचपना छोड़ो और चलो मेरे साथ। जेनब तुम्हारी राह देख रही है। वह अबकी बार झल्ला कर बोली… आपको मेरी बात क्यों नहीं समझ आ रही है।  मैने उसको कभी न छोड़ कर जाने की कसम खायी है। मै नहीं जाउँगी और इसके बारे मे मै कुछ नहीं सुनना चाहती। …यह दकियानूसी बातें छोड़ो। उसकी बीवी भी तुम्हे यहाँ हमेशा के लिये नहीं रखेगी। …क्यों क्या उसने मुझे निकाल दिया है। अभी भी तो वह मुझे अपने साथ रखे हुए है। मेरे दिमाग ने काम करना बन्द कर दिया था। स्त्री हठ के सामने सारे तर्क बेकार थे। मै उठ कर खड़ा हो गया और उसकी ओर देख कर पूछा… यह तुम्हारा आखिरी फैसला है। …हाँ यह मेरा आखिरी फैसला है। अब अगर आपने मेरे साथ कोई जोर जबरदस्ती करने की कोशिश की तो मै अपनी जान दे दूंगी। इसी के साथ वह कुरान की कुछ आयात बढ़बढ़ाने लगी थी। मै कुछ देर उसे ताकता रहा और फिर जब कोई रास्ता नहीं सूझा तो धम्म से सोफे पर बैठ गया। वह अभी भी कुछ आयात बड़बड़ा रही थी।

जब मुझे लगा कि अब उसे समझाना मेरे बस की बात नहीं रही तो मुझे मदरसे मे सिखायी गयी एक दुआ याद आ गयी। …तुम गलत आयात पढ़ रही हो। मैने या कदिरु  की दुआ उसके सामने पढ़ कर कहा… नफीसा, इस मुसीबत से अब तुम ही मुझे निकाल सकती हो। यह बात मै कुरान पाक की कसम खा कर बोल रहा हूँ। उस शाम  नेपाली मेजर के वेष मे मै ही था। तुम्हें और तुम्हारे अब्बू को कर्नल शौकत अजीज से बचाने के लिये मुझे नेपाली स्पेशल फोर्सेज के मेजर के रुप मे सामने आना पड़ा था। मै यह सच्चायी तुम्हे बताने की स्थिति मे नहीं था क्योंकि मैने तुम्हारे सामने चार आईएसआई के एजेन्टों और दूतावास के ड्राइवर की हत्या की थी। मैने अपनी असलियत तुम्हारे अब्बू के सामने जाहिर कर दी थी। तुम्हें धोखा देने का मेरा इरादा नहीं था परन्तु यहाँ के हालात ऐसे है कि मै अपनी असलियत तुम्हें बता नहीं सकता। तुम्हारी बड़ी बहन जेनब को मैने आज ही उनके कब्जे से निकाला है। इसके लिये मुझे एक बार फिर से तीन आईएसआई एजेन्टों की हत्या करनी पड़ी है। यह सभी तुम्हारे वतन के फौजी थे परन्तु मेरे लिये वह सभी दुश्मन थे। सरिता मेरी दोस्त है। तुम्हारी सुरक्षा और मेरी असलियत जान कर भी अगर तुम मेरे साथ नहीं चलने की जिद्द पर अड़ी रहोगी तो वह तुम्हारी मर्जी है लेकिन यह जान लो कि वह नेपाली मेजर यहाँ पर वापिस लौट कर नहीं आयेगा। जब भी तुम्हे अब यहाँ लेने आयेगा तो वह मेजर समीर बट होगा जो भारतीय सेना मे काम करता है। यह भी तुम्हें इसलिये बता दिया है कि तुम्हारे अब्बू यहाँ से जा चुके है। अब तुम्हें सोचना है कि क्या तुम मेरे साथ चल रही हो या उस नेपाली मेजर का जीवन भर यहीं बैठ कर इंतजार करना है। मेरी सारी सच्चायी जानने के बाद भी अगर तुम मुझे हत्यारा समझती हो तो तुम मेरे बारे मे पुलिस मे जाकर रिपोर्ट कर सकती हो। इतना बोल कर मै चलने के लिये खड़ा हो गया था।

वह सिर झुका कर चुपचाप बैठी रही थी। …मेरे साथ चल रही हो कि मै जाऊँ? अचानक वह अपनी जगह से उठी और मेरी ओर झपटी और पूरी ताकत से मेरी सीने पर मुक्के का वार करके फूट-फूट कर रोने लगी। मैने उससे इस प्रकार की अपेक्षा नहीं की थी। उसको अपनी बाँहों मे भर कर चुप कराने मे लग गया था। मै उसे अपनी बाँहो मे लिये वहीं बैठ गया। कभी उसकी पलकों से छलकती हुई अश्रुधारा को पौंछता और कभी उसके गालों को सहलाते हुए उसे शांत कराने की कोशिश करता। उसके मन का उद्गार आँसुओं के रुप मे लगातार बह रहा था। मेरे सीने मे मुँह छिपाये वह काफी देर तक सिसकती रही थी। मेरी शर्ट का एक हिस्सा भीग चुका था। मै उसे चुप कराने की कोशिश कर रहा था कि तभी मेरे दिमाग के किसी कोने उसकी वही अभिसारिका वाली छवि उभर आयी थी। इसी नाजुक पतली दुबली सी अनछुई अल्हड़ कली की छवि से उस रात मैने अभिसार किया था। सरिता तो सिर्फ एक जरिया मात्र थी। इंसानी जज्बात समय के गुलाम नहीं थे। उसके खुले हुए गुलाबी होंठ मेरे सामने थे। उसका कोमल जिस्म मेरे हाथों मे था। अचानक मै झुकता चला गया था। उसके कांपते लरजते होंठों को मेरे होंठों ने जैसे ही स्पर्श किया उसकी बाँहें स्वत: ही मेरे गले मे लिपट गयी थी। उसके लबों की मिठास को मेरे होंठ निचोड़ने मे सक्रिय हो गये थे। मुझे एक स्वर्गिम एहसास हो रहा था। मेरे होंठों के हर वार की प्रतिक्रिया उसका जिस्म दर्शा रहा था। इस रसपान की क्रिया मे कोई उग्रता नहीं थी। उसने झिझकते हुए अपनी जुबान से मेरे होंठों का स्पर्श किया और फिर मेरे मुख को टटोलते हुए मेरी जुबान से खेलना आरंभ कर दिया। मेरे उँगलियाँ उसकी कमर से सरक कर सीने की ओर बढ़ गयी थी। मेरी उँगली ने धीरे से उसके पुष्ट गोलायी की परिधि का चक्कर लगाया और फिर सिर उठाये स्तनाग्र को धीरे से छेड़ा तो वह चिहुंक उठी थी। संतेरे के आकार की गोलायी को मैने धीरे से सहला कर जैसे ही हौले से दबाया उसका जिस्म एकाएक तेजी से काँप कर उसका जिस्म सिहर उठा था। उसी पल वह स्खलित हो गयी थी। उसकी साँसे तेज चल रही थी।

एक पल मे ही मेरे सिर पर छाया हुआ वासना का जुनून गायब हो गया था। यथार्थ का एहसास होते ही मै तेजी से उससे अलग हुआ और उसे सोफे पर छोड़ कर फ्लैट से बाहर निकल गया था। यह मैने क्या कर दिया? एक कमजोर क्षण ने मुझे मेरी ही नजरों मे गिरा दिया था। पल भर मे मेरे चेहरे पर पड़ा हुआ शराफत का आवरण नोंच कर मुझे मेरी हैवानियत से रुबरु करा दिया था। लोहे की रेलिंग को पकड़ कर मै अपने आप को मन ही मन धिक्कार रहा था। एक मासूम लड़की की मासुमियत का मैने फायदा उठाने की कोशिश की थी। अब उसका सामना करना मेरे बस की बात नहीं थी। कुछ देर मै वहीं खड़ा पछताता रहा और फिर जैसे ही सीढ़ियों की मुड़ा तो नफीसा ने मेरी बाँह थाम कर कहा… मुझे यहाँ छोड़ कर कहाँ जा रहे है? मै उससे आँखें मिलाने की स्थिति मे नहीं था। मैने जल्दी से कहा… आओ चलते है। यह बोल कर मै आगे बढ़ गया था। वह वहीं से बोली… ऐसे तो मै आपके साथ नहीं जाऊँगी। मैने उसकी ओर देखा तो वह मुझे देख रही थी। …प्लीज इस वक्त मै कुछ भी बोलने की स्थिति मे नहीं हूँ। जो आज हुआ है वह हर्गिज नहीं होना चाहिये था। उस कृत्य के लिये मै माफी मांगने के काबिल भी नहीं हूँ।

वह कुछ पल मुझे ताकती रही फिर मेरे पास आकर बोली… सरिता के फ्लैट को ऐसे ही छोड़ कर चले जाएँगें? तुरन्त मुझे अपनी गलती का एहसास हो गया था। मैने फोन निकाल कर सरिता का नम्बर मिलाया। …हैलो। …सरिता, मै नफीसा को अपने साथ लेकर जा रहा हूँ। ताला लगा कर किसके पास चाबी छोड़ दूँ? …आप चाबी मेरे साथ वाले फ्लैट मे दे दिजियेगा। लौट कर मै उनसे ले लूँगी। वह कुछ बोल रही थी लेकिन मै अपनी सोच मे गुम था। मैने फोन काट दिया और उसके फ्लैट मे जाकर ताला और चाबी तलाशने लगा। वह मेरे पीछे अन्दर आ गयी थी। वह उसके बेडरुम मे गयी और ताला और चाबी मेरे हाथ मे देकर बोली… चलने से पहले आपको पता होना चाहिये कि मै आपको उसी समय पहचान गयी थी जब आपने कार से बाहर निकालते हुए मुझसे जेनब के बारे मे पूछा था। मैने उसकी ओर आश्चर्य से देखा तो बड़ी संजीदगी से बोली… आप यही सोच रहे है कि तो फिर मैने ऐसा क्यों किया था? आप ही बताईये तो मै कैसे अपनी मोहब्बत का इजहार आपसे करती। मैने सबके सामने आपके साथ जीवन भर रहने की कसम खायी थी। आप चाहे मुझे ठुकरा दे लेकिन जो सच है वह मैने आपको बता दिया है। मै सारी जिंदगी के लिये आपकी हूँ और आपकी रहूँगी। इसलिये आप अपने आप को अकेला दोषी मत समझिये। मै कोई बच्ची नहीं हूँ कि जो औरत और मर्द के संबन्ध के बारे मे नहीं जानती। इस गलतफहमी को भी त्याग दिजीये कि आपने मुझे गुमराह करने की कोशिश की है। जो कुछ भी अभी हमारे बीच मे हुआ है वह मेरी मर्जी से हुआ है। अपने आपको दोषी मान कर मुझसे पीछा छुड़ाने की कोशिश मत किजियेगा। अब चलिये। यह बोल कर वह फ्लैट के बाहर निकल गयी थी।

भारी कदमो से चलते हुए मैने उस फ्लैट का ताला लगाया और साथ वाले मकान मे चाबी देकर नीचे उतर आया था। वह मेरी गाड़ी के पास खड़ी हुई थी। मैने गाड़ी का लाक खोला और वह बिना कुछ कहे मेरे साथ बैठ गयी थी। …आप मुझे क्या इतनी बेवकूफ समझते है कि मै आपकी गाड़ी नहीं पहचानती। इस गाड़ी मे अंजली बाजी और मेनका के साथ बैठ चुकी हूँ तो देखते ही पहचान गयी थी। मै साक्षी हूँ कि उस दिन कैसे अब्बू ने आपको जलील किया था और फिर भी आपने उनकी बिना कहे मदद की थी। मैने उसी दिन एयरपोर्ट पर आपसे अपने दिल की बात रखने की कोशिश की थी। जब हमने अब्बू की हत्या की बात सुनी तो पता नहीं मेरे मन मे आपसे मिलने की तीव्र इच्छा हुई और जब आपने कहा कि अब्बू को कुछ नहीं हुआ है तो उसी वक्त मै अपना सब कुछ हार गयी थी। उस कार मे मेरे हमवतन और मेरे अब्बू के आधीन काम करने वाले शौकत मिर्जा ने सारे रास्ते मेरे जिस्म से खिलवाड़ किया तो मै उस समय खुदा से मौत की भीख मांग रही थी। आपने एक बार फिर मुझे उन दरिंदों के हाथों मे जाने से बचा लिया था। उस दिन मुझे ही नहीं आपने मेरे अब्बू को भी बचा लिया था। अब आप ही बताईये कि मेरे पास एक ही जान है और अगर वह जान मैने आपके नाम कर दी तो कौनसा गुनाह हो गया। मेरा खुदा गवाह है कि मैने जो कुछ भी बोला है वह काफी सोच समझ कर बोला है। इतना बोल कर वह तो चुप हो गयी लेकिन मै अपनी बेवकूफी के कारण एक नये जंजाल मे फँस गया था।

मै चुपचाप अपनी इसुजु चलाता रहा और नीलोफर के फ्लैट पर पहुँच कर बोला… आओ चले। वह चुपचाप मेरे साथ चल दी थी। हमारा गनर हरद्वारी लाल मुस्तैदी के साथ फ्लैट के बाहर पहरा दे रहा था। …कोई खतरे की आशंका अभी तक तो नहीं देखी? …नहीं सर। आज रात की चौकसी मे सब पता चल जाएगा। मैने दरवाजे की घंटी बजा दी थी। नीलोफर के बजाय दरवाजा सैनिक राम प्रसाद ने खोला था। मुझे देखते ही उसने सैल्युट किया तो मैने जवाब मे सैल्युट करते हुए कहा… गार्ड ड्युटी पर इसकी जरुरत नहीं है। वह दोनो लड़कियाँ कहाँ है? …साहबजी वह बेडरुम मे है। …क्या उसको होश आ गया है? …जी जनाब। मै बेडरुम की दिशा मे चला गया था। एक बार दरवाजे पर दस्तक देकर मै दरवाजा खोल कर अन्दर चला गया। बेड पर जेनब लेटी हुई थी और उसी के साथ नीलोफर दीवार से पीठ टिका कर बैठी हुई थी। मेरे पीछे से निकल कर नफीसा तेजी से अपनी बहन की तरफ चली गयी थी। …बाजी आपको क्या हुआ? जेनब बैठते हुए बोली… कुछ नहीं। उन्होंने चलने से पहले कोई नशे की गोली खिला दी थी। अब ठीक हूँ। दोनो बहने बात करने मे लग गयी थी। मैने नीलोफर को इशारा किया तो वह उठ कर मेरे साथ बाहर आ गयी थी।

…नीलोफर, तुम्हारे पासपोर्ट का इंतजाम मै कर दूंगा लेकिन अमरीकन वीसा का मिलना हमारे हाथ मे नहीं है। कुछ भी करने से पहले मुझे वलीउल्लाह के बारे मे बताना पड़ेगा। मेरे सीओ साहब का यही निर्णय है। नीलोफर ने कुछ सोच कर कहा… समीर, मै उसका नाम तब तक नहीं बताउँगी जब तक मुझे विश्वास नहीं होता कि उसके आगे अब मुझे कोई नहीं रोकेगा। अपने सीओ को मेरा जवाब बता देना। …ठीक है। एक बात के बारे मे सोच लो कि क्या यह अटैची मे भरे हुए डालर को ऐसे ही लेकर अपने साथ जाओगी? …क्यों? इसमे क्या परेशानी है। …कुछ नहीं बस यह सब एक्स-रे मे कस्टम को पता चल जाएगा और प्लेन मे बैठने से पहले ही एक बार फिर तुम इस दौलत को गंवा दोगी। अच्छा यही होगा कि जब तक यहाँ हो तब तक अपना अकाउन्ट खुलवा कर उसमे एक बड़ी रकम जमा करवाती रहो। इस बहाने तुम फिर यह पैसा दुनिया मे कहीं पर भी निकाल सकती हो। वह चुपचाप मुझे देखती रही फिर मुस्कुरा कर बोली… तुम ठीक कह रहे हो। कुछ देर के बाद दोनो बहनें कमरे से बाहर निकल कर हमारे सामने आकर बैठ गयी थी।

कुछ सोच कर मैने पूछा… जेनब, तुम दोनो का पासपोर्ट कहाँ है? …शबाना खाला के यहाँ हमारे सामान मे है। …पाकिस्तान या अमरीका? …अमरीकन पासपोर्ट है। मैने एक चैन की सांस ली और कहा… अब तुम्हारा सामान वहाँ से नहीं लाया जा सकता है। ऐसी हालत मे तुम दोनो कल सुबह यहाँ स्थित अमरीकन दूतावास मे जाकर अपने खोये हुए पासपोर्ट की शिकायत दर्ज करा कर नये पासपोर्ट मांग सकती हो। एक-दो दिन मे तुम्हें नया पासपोर्ट मिल जाएगा। तुम्हें वापिस जाने मे कोई परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा। मैने अपना रुख नीलोफर की ओर करते हुए कहा… तुम्हारे पास सौम्या कौल का आधार कार्ड है। वह मुझे दे दो। मै सौम्या कौल के नाम का नया पासपोर्ट बनवा दूँगा। अगर इनके साथ अमरीका जाने की सोच रही हो तो टुरिस्ट वीसा के अर्जी देकर आना। तुम्हारी जमानत मै दे दूंगा। अच्छा मै चलता हूँ। आज की रात सावधान रहने की जरुरत है। जो भी होना होगा वह आज या कल मे ही होगा। चार लोग यहाँ गार्ड ड्युटी पर तैनात है तो घबराने की जरुरत नहीं है। लेकिन ख्याल रहे तुम तीनो मे से किसी को बाहर जाना है तो पहले हवलदार पूरन सिंह से पूछ कर जाना। मैने उठते हुए कहा… अच्छा चलता हूँ। खुदा हाफिज। बस इतनी बात करके मै गोदाम की ओर निकल गया था।

गोदाम पर सब मेरा इंतजार कर रहे थे। मुझे आते हुए देख कर सभी सावधान हो गये थे। मै हाल मे दाखिल हो गया और एक खाली कुर्सी पर बैठ कर पूछा… उस यार्ड की सेटेलाइट इमेजिस स्क्रीन पर दिखाओ। कैप्टेन यादव ने कहा… सर एक बार शुजाल बेग और शौकत अजीज की पूरी बात आपको सुन लेनी चाहिये। …चलो उनकी बात सुन लेते है। यादव ने अपने फोन पर उनकी रिकार्डिंग चला दी थी। उस रिकार्डिंग मे ऐसी कोई बात नहीं थी जिसको मै नहीं जानता था परन्तु उस रिकार्डिंग ने मेरी सोच के बहुत से रिक्त स्थान भर दिये थे। एक बात जिसके कारण कैप्टेन यादव मुझे वह रिकार्डिंग सुनाने पर जोर दे रहा था वह उस यार्ड से जुड़ी हुई थी। बांग्लादेश से आये हरकत उल अंसार के दो गुट उस यार्ड मे एक हफ्ते से पैसों और हथियारों के इंतजार मे ठहरे हुए थे। शुजाल बेग के गायब होने के कारण सारा मामला मुल्तवी हो गया था। शुजाल बेग के पास ही इसकी जानकारी थी उनके पैसे और हथियार किसके पास रखे हुए है। इस बात पर काफी देर तक उनमे बहस छिड़ी रही थी। इसी बात की जानकारी निकालने के लिये नूर मोहम्मद को जान से हाथ धोना पड़ा था। उस रिकार्डिंग को सुन कर हम सब के लिये साफ हो गया था कि पचास की संख्या के आसपास प्रशिक्षित लड़ाकू उस यार्ड मे ठहरे हुए थे।

मै उनकी बात सुन कर कुछ सोच रहा था कि तभी हमारे एक्स्प्लोसिव्स एक्सपर्ट जमीर ने कहा… सर, मुझे शक है कि शाही मस्जिद के बेसमेन्ट मे शुजाल बेग के पैसे और हथियार रखे हुए है। मै दो बार जुमे की नमाज के लिये मस्जिद मे गया था। पिछले एक हफ्ते से हम उस मस्जिद पर नजर रख रहे है। उस मस्जिद के इमाम मौलाना कादरी का सीधा संबन्ध शुजाल बेग के साथ था। शौकत अजीज के लोग भी उस मस्जिद मे छानबीन के लिये दो बार गये थे। वह दोनो आदमी जिनको शाही मस्जिद के पास मंडराते हुए देखा था वह आज भी उसी यार्ड मे रह रहे है। आपने अपनी पहली ब्रीफींग मे बताया था कि शुजाल बेग हर जुमे को वहाँ पर आकर तंजीमों के लोगों के साथ मिल कर अपनी योजना को कार्यान्वित करने का निर्देश देता था। उस यार्ड और मस्जिद मे अगर कोई कड़ी मिलती है तो वह यही हो सकती है। मेरा भी दिमाग इसी कड़ी की ओर लगा हुआ था। अपनी प्रतिक्रिया देते हुए मैने कहा… तो अब हमारे सामने दो स्थान है। एक यार्ड है जहाँ जिहादी ठहरे हुए है और दूसरा शाही मस्जिद है जहाँ हथियारों का जखीरा रखा हुआ है। हम यहाँ पर मुश्किल से बीस लोग है। यह हमारी धरती भी नहीं है। हम सब यहाँ पर बाहरी है तो उनसे सीधे टकराने का मतलब है कि अगर कामयाब हो भी गये जिसकी संभावना बहुत कम है तो भी यहाँ की सुरक्षा एजेन्सियों से बच कर निकलना लगभग नामुमुकिन होगा। इन सब की रौशनी मे हमे नये सिरे से सोचना पड़ेगा।

सभी लोग मेरा चेहरा देख रहे थे। कुछ सोच कर मैने कहा… हमे कुछ ऐसा करना चाहिये कि इन दोनो जगहों पर नेपाल सेना के द्वारा एक्शन लिया जाये। अगर नेपाल सरकार की फोर्सेज द्वारा उन दोनो जगहों पर एक्शन लिया जाता है तो हम पर कोई बात नहीं आयेगी। अब हमे यह सोचना है कि नेपाल सुरक्षा एजेन्सियों का ध्यान उस ओर कैसे खींचा जाये जिसके कारण वह वहाँ जाने के लिये मजबूर हो जाएँगें। …जमीर, तुम दो बार मस्जिद मे जा चुके हो तो तुम्हें वहाँ के लेआउट की कुछ तो जानकारी हो गयी होगी। क्या कोई ऐसी जगह है जहाँ बिना किसी की नजरों मे आये एक भारी सा विस्फोट किया जा सकता है? राजकुमार की टीम यार्ड पर इतने दिनो से निगरानी कर रही है तो वह भी उसके ले आउट को समझ गये होंगें। क्या वहाँ भी ऐसी कुछ जगह है जहाँ दो चार भारी विस्फोट किये जा सकते है? कैप्टेन यादव अब वह सेटेलाइट इमेजिस स्क्रीन पर दिखाओ। कुछ ही देर मे हम यार्ड की सेटेलाईट की तस्वीरें देखते हुए कुछ खास जगहों की निशानदेही कर रहे थे।

राज कुमार ने कहा… सर, यार्ड के अन्दर जाने मे कोई खास मुश्किल पेश नहीं आयेगी। कंटीले तारों की चारों ओर बाढ़ लगी हुई है। रात के अंधेरे मे तारों को काट कर कुछ लोग आसानी से अन्दर दाखिल हो सकते है। फिदायीन हमलावरों की तरह यार्ड मे घुस कर भारी मशीनरी की मदद से विस्फोट बेहद भयानक हो सकता है। अगर किस्मत ने साथ दिया तो विस्फोट के कारण यार्ड के अन्दर भी काफी नुकसान पहुँचाया जा सकता है। जमीर ने भी मस्जिद का लेआउट कागज पर उतार कर दिखाया… सर, मस्जिद के मुख्य हाल तक पहुँचने के लिये लोगों को काफी दूरी तय करनी पड़ती है। दोनो ओर लोगो के ठहरने के लिये कमरे बने हुए है। एक दिशा के अन्त मे रसोई है और उसकी विपरीत दिशा के आखिरी सिरे पर टायलेट और बाथरुम है। बेसमेन्ट मे जाने वाला रास्ता मस्जिद के मुख्य हाल से पहले मौलाना कादरी के कमरे के साथ बना हुआ है। देखने वालों को लगता है कि मौलाना साहब की सुरक्षा के लिये हथियारों से लैस फौज उनके कमरे के बाहर खड़ी हुई है परन्तु असलियत मे वह तहखाने की सुरक्षा मे लगे हुए है।

उन सबकी बात सुन कर मैने कहा… सबकी बात से साफ है कि दोनो जगह ऐसे कुछ स्थान अवश्य है जहाँ सेम्टेक्स आसानी से लगा कर विस्फोट किया जा सकता है। हमारा उद्देशय उनकी जान और माल को नुकसान पहुँचाने के बजाय यहाँ की सुरक्षा एजेन्सियों का ध्यान उनकी ओर खींचने का है। अब हमे एक ऐसा मौके का इंतजार करना चाहिये जब सुरक्षा एजेन्सियाँ अत्यन्त संवेदनशील स्थिति मे हो जिसके कारण विस्फोट की घटना को दबाना सभी के लिये नामुमकिन हो जाये। हम जिस वक्त यह बात कर रहे थे उसी समय त्रिभुवन एयरपोर्ट का पार्किंग अटेन्डेन्ट भागता हुआ एयरपोर्ट मे दाखिल हो रहा था। उसकी हवाईयाँ उड़ी हुई थी।