रविवार, 15 अक्टूबर 2023

 

गहरी चाल-30

 

कैप्टेन यादव अपनी गाड़ी से उतर कर सारी कार्यवाही होती हुई देख रहा था। जेनब को हाथों मे उठाये दोनो आदमी तेजी से कार की तरफ चल दिये। तीसरे आदमी ने झुक कर शुक्रिया कहा और ड्राईवर की साइड की ओर बढ़ गया। तभी मै उसके पीछे से चिल्लाया… सावधान…हाल्ट। अपने हाथ उपर करो। एकाएक सभी के बढ़ते हुए कदम वहीं पर रुक गये थे। ड्राइवर साइड की ओर जाते हुए व्यक्ति की ओर इशारा करके मैने अपने साथियों से कहा… इसकी तलाशी लो। इसके पास पिस्तौल है। एकाएक सब कुछ जो अभी तक शांत लग रहा था वहाँ युद्ध जैसा तनाव हो गया था। एक साथ पाँच एके-203 की खट की आवाज सबके कानो मे पड़ गयी थी। सभी फौजी थे और सभी उस आवाज का मतलब समझते थे। गन का सेफ्टी लाक हट गया था और अब गन फायरिंग के लिये तैयार थी। जिनके हाथ मे जेनब थी वह दोनो तो कुछ भी कर पाने के योग्य नहीं थे। एक आदमी जो कुछ कर सकता था वह भी अब गन के निशाने पर आ गया था। राजकुमार ने आगे बढ़ कर उसकी तलाशी ली और उसकी जैकेट मे से एक पिस्तौल निकाल कर मुझे दिखाते हुए कहा… विदेशी पिस्तौल है। तब तक मेरे एक साथी ने जेनब को संभाल लिया और बाकी लोग उन दोनो की तलाशी लेने मे जुट गये थे। सबके हथियार अपने कब्जे मे करके मैने पूछा… यह क्या चक्कर है। शौकत अजीज की तरह पहले उन्होंने दूतावास की धमकी दी और जब बात नहीं बनी तो फिर रिश्वत देने की बात करने लगे थे।

…आप मेरे साथ आईये। खुले मे ऐसी बात नहीं कर सकते। यह बोल कर मै तीनो लेकर मै जंगल की ओर चल दिया था। मै उनकी कहानी कुछ दूर तक सुनता रहा। जंगल मे कुछ दूर अन्दर आने के बाद अपनी एके-203 से दो छोटे बर्स्ट मार कर मैने उन तीनो का जिस्म गोलियों से छलनी कर दिया। वह तीनो कटे हुए वृक्ष की तरह जमीन पर ढेर हो गये थे। मैने सबकी नब्ज चेक करके उन्हें वही छोड़ कर वापिस सड़क की ओर चल दिया। इतनी देर मे सड़क पर लगी सभी गाड़ियों को मेरे साथियों ने एक लाईन से सड़क के किनारे लगा कर खड़ी कर दी थी। सबकी डंगरी और हथियार गायब हो गये थे। कुछ साथियों को अपने साथ लेकर टोयोटा उन तीनो के पास ले गया। मेरे साथियों ने उनकी लाशों को टोयोटा मे डाला और जमीर सेम्टेक्स को फ्युज और टाइमर के साथ जोड़ कर विस्फोट की तैयारी मे जुट गया था। अपना काम समाप्त करके हम वापिस अपनी गाड़ियों की दिशा मे चल दिये थे। मैने जेनब को कंटेनर ट्रक मे डाला और बाकी सब पिक-अप मे बैठ गये थे। मैने घड़ी पर नजर डाली और कैप्टेन यादव से पूछा… शुजाल बेग के बारे मे पता करो। कैप्टेन यादव अपने साथियों से फोन पर बात करने के पश्चात बोला… सर, वह लोग अभी भी अन्दर है। एक बज गया था और शुजाल  बेग के अनुसार उसे दोपहर की फ्लाईट पकड़नी थी। इस वक्त तक उसे एयरपोर्ट पर होना चाहिये था। …कैप्टेन मेरे पीछे आओ। मैने अपनी गाड़ी मोड़ ली और वापिस उस हाउसिंग सोसाईटी की दिशा मे चल दिया था। वहाँ से चलने से पहले जमीर ने रिमोट से टोयोटा मे विस्फोट करके उसके परखच्चे हवा मे उड़ा दिये थे।

कुछ ही देर मे हम उस हाउसिंग सोसाइटी के सामने थे जहाँ शुजाल बेग ठहरा हुआ था। मै जेनब को ट्रक मे छोड़ कर बाकी लोगो को सावधान करके उस फ्लैट की ओर बढ़ गया। उसके दरवाजे पर दस्तक देकर मै किनारे मे खड़ा हो गया था। कुछ देर के बाद दरवाजा खुला और नीलोफर ने मेरी ओर देख कर बोली… क्या हुआ? …शुजाल बेग? …वह तो चले गये। इस वक्त तो वह आसमान मे होंगें। मैने चकरा कर कहा… मजाक मत करो। शुजाल बेग कहाँ है? फ्लैट मे अन्दर जाते हुए वह बोली… समीर, ब्रिगेडियर साहब जा चुके है। तुम खुद देख लो। उन्होंने मुझे बता दिया था कि तुम आओगे इसीलिये मै यहाँ बैठी हुई तुम्हारा इंतजार कर रही थी। मैने पूरा फ्लैट छान मारा लेकिन शुजाल बेग निकल गया था। नीलोफर मेरे पास आकर बोली… समीर, वह सुबह होते ही यहाँ से चले गये थे। उन्हें पता था कि तुम्हारी शैडो पार्टी उन पर दूर से नजर रख रही थी। मै आराम से सोफे पर बैठते हुए कहा… वह सच मे चले गये है तो कोई बात नहीं। अगर वह नहीं गये है तो अब मै भी उन्हें बचाने की स्थिति मे नहीं हूँ। जैसे ही दूतावास की कार बरामद होगी तो आईएसआई के खेमे मे हाहाकार मच जाएगा। हर आदमी उनकी तलाश मे सड़क पर आ जाएगा। पाकिस्तान मे भी फिर उनके लिये बचने की संभावना बेहद कम हो जाएगी। मैने मन ही मन सोचा कि जब चिड़िया उड़ ही गयी तो फिर अब उन दोनो लड़कियों को सुरक्षित अमरीका भेज कर वापिस दिल्ली की ओर कूच करने का समय नजदीक आ गया है।

मैने एक लम्बी साँस छोड़ कर कहा… मेरा उद्देश्य उनको यहाँ से सुरक्षित निकालने का था। अच्छा हुआ वह चले गये। तुम वापिस कब जा रही हो? …मैने सोचा नहीं है। सामने मेज पर अटैची पड़ी हुई देख कर मैने कहा… तुम्हारे पैसे तुम्हें मिल गये तो अब यहाँ क्या करोगी? …समीर, यह फारुख के पैसे थे। ब्रिगेडियर साहब अपनी जरुरत के हिसाब से कुछ पैसे निकाल कर बाकी पैसे मेरे लिये छोड़ गये थे। फारुख को मैने दो बार चोट मारी है तो अब तक उसने अपने हत्यारे मेरे पीछे लगा दिये होंगें। …नीलोफर, ब्रिगेडियर की लड़की जेनब को हमने आईएसआई के जाल से निकाल लिया है। जब तक तुम यहाँ हो तब तक उन्हें यहाँ तुम्हारे पास छोड़ दूँ तो क्या तुम्हें कोई एतराज है। तुम चाहो तो उनके साथ तुम भी अमरीका जा सकती हो। इसमे मै तुम्हारी मदद कर सकता हूँ। वह मेरी ओर ध्यान से देखते हुए बोली… अब यह भी बता दो कि इसके लिये मुझे क्या करना होगा? …हया का पता बता दो। …सच बोल रही हूँ। मुझे पता नहीं कि हया इस वक्त कहाँ है। …मुझे यह भी पता है कि तुम वलीउल्लाह को जानती हो। क्या उसके बारे मे बता सकती हो? नीलोफर एकाएक चुप हो गयी थी।

…बोलो क्या तुम मेरी मदद करने को तैयार हो? कुछ सोचने के बाद नीलोफर ने कहा… समीर, हया के मामले मे तुम्हारी कोई मदद नहीं कर सकती। जहाँ तक वलीउल्लाह की बात है तो मै उसके बारे मे जो कुछ भी जानती हूँ वह उस वक्त ही बताउँगी जब मै अमरीका की फ्लाईट पकड़ने के लिये सिक्युरिटी चेक के लिये जा रही होंगी। अब मुझे एक आशा की किरण दिख रही थी। मैने उसके चेहरे को दोनो हाथों मे लेकर उसकी आँखों मे झाँकते हुए कहा… अगर फारुख की तरह मुझे डबल क्रास करने की  कोशिश की तो याद रखना हमारा करार उसी वक्त टूट जाएगा। उसके बाद जब भी हमारा आमना सामना होगा तब हम दोनो मे से सिर्फ एक ही जिंदा रहेगा। वह मेरी आँखों मे झाँकते हुए बोली… चिन्ता मत करो। तब भी तुम ही जिन्दा रहोगे।

उसे छोड़ कर मैने अपना फोन निकाल कर कैप्टेन यादव को फोन करके जेनब को अन्दर लाने के लिये कह कर नीलोफर से कहा… दूसरी बेटी नफीसा को शाम तक यहाँ छोड़ दूंगा। अचानक वह बोली… समीर, तुम्हारी बेटी तो अब बड़ी हो गयी होगी? …हाँ स्कूल जाने लगी है। लेकिन जब तक तुम्हारे लोग कुछ न कुछ साजिश रचते रहेंगें तो भला मै उसके साथ कैसे समय बिता सकता हूँ। जब तक हम बात कर रहे थे तब तक कैप्टेन यादव जेनब को लेकर आ गया था। अभी भी वह नशे मे थी। नीलोफर ने पूछा… इसे क्या हुआ है? …कुछ नहीं इसे ड्र्ग्स की डोज दी गयी है। शाम तक इसका नशा उतर जाएगा। अबसे शुजाल बेग की लड़कियों की जिम्मेदारी तुम्हारी है। तुम सब की सुरक्षा के लिये वह चार लोग अभी भी यहीं पर तैनात रहेंगें। जेनब को नीलोफर के साथ छोड़ कर कैप्टेन यादव के साथ मै बाहर निकल आया था। …कैप्टेन, एक आदमी इनके घर पर तैनात रहेगा और बाकी तीन अपनी सुविधा अनुसार इस फ्लैट की निगरानी पर रहेंगें। आप लोग वापिस गोदाम चले जाईये। मै भी कुछ देर के बाद तैयार होकर पहुँच रहा हूँ। …यस सर। इतना बोल कर मै अपनी गाड़ी की ओर चल दिया था।

मै सीधा अपने घर की ओर निकल गया था। तबस्सुम को सारी कहानी सुना कर कहा… ब्रिगेडियर साहब तो चले गये है। उनकी दोनो बेटियाँ अभी यहीं है। …आप उन्हें किसके पास छोड़ कर आ गये? उसके सवाल को सुन कर मै एकाएक सावधान हो गया था। …तुम्हारी नीलोफर बाजी शुजाल बेग की मदद के लिये यहाँ आयी थी। उसी के पास दोनो को छोड़ दिया है। …क्या उन्हें पता है कि मै यहाँ आपके साथ रह रही हूँ। …नहीं। जिस दिन उसे इसका पता चल गया कि उसे धोखा देकर मै तुम्हें अपने साथ ले आया था तो वह मुझे गोली मार देगी। …आप बेकार मे उससे डर रहे है। अब जब हमारा निकाह हो गया है तो फिर हमे किस बात की चिन्ता है। अब आप उन्हें बता सकते है कि मै आपके साथ रह रही हूँ। अब अब्बू भी हमारा कुछ नहीं कर सकते। मैने झल्ला कर कहा… तुम अब मीरवायज नहीं हो? अब तुम अंजली कौल हो और अगर कभी तुम्हारी बाजी सामने पड़ जाए तब भी अंजली कौल की तरह से ही उसके सामने पेश आना। तुम्हारी सुरक्षा के कारण मै उसे यहाँ से बाहर भेजने मे मदद कर रहा हूँ। वह यहाँ से चली जाएगी तो मै निश्चिन्त होकर वापिस दिल्ली लौट सकूँगा। इतनी बात करके मै तैयार होने के लिये चला गया था।

एक घंटे के बाद अपने हाल मे बैठ कर अजीत सर को यहाँ की रिपोर्ट दे रहा था। …सर, मैने देखा नहीं है। शुजाल बेग मेरे आदमियों को चकमा देकर निकल गया है। नीलोफर का कहना है कि वह सुबह की फ्लाइट पकड़ कर निकल गया था। …नीलोफर ने कुछ मेजर हया या वलीउल्लाह के बारे मे कुछ बताया? …सर, वह वलीउल्लाह के बारे मे बताने के लिये तैयार है लेकिन उसकी एक शर्त है। वह चाहती है कि उसको शुजाल बेग की लड़कियों के साथ अमरीका भेज दिया जाये। …इसमे हम क्या कर सकते है? …उसे पासपोर्ट की जरुरत। कुछ सोचने के बाद अजीत सर ने कहा… मेजर वह फिर कोई नयी कहानी मे उलझा रही है। पासपोर्ट मिलने से तो वह अमरीका मे दाखिल नहीं हो सकती। उसे वहाँ का वीसा भी चाहिये। पासपोर्ट तो बन जाएगा परन्तु वीसा हमारे हाथ की बात नहीं है। उसने मेजर हया के बारे मे कुछ बताया? …सर, उसे नहीं पता कि वह कहाँ है। मेजर हया ने उससे फोन पर बात की थी जिसके कारण वह काठमांडू पहुँची थी। अचानक बोलते हुए मुझे याद आया कि उस फ्लैट मे तीन जब्त किये फोन मे से एक फोन नीलोफर का भी था। …क्या हुआ मेजर? …सर, नीलोफर का फोन हमारे पास है। उसकी काल लिस्ट चेक करके मेजर हया का पता लगाने की कोशिश करते है। …ठीक है मेजर। उस यार्ड को चेक किया? …नहीं सर। शुजाल बेग के कारण हमारा सारा कार्यक्रम अस्तव्यस्त हो गया था। …आप्रेशन खंजर के खंजर को तोड़ने के लिये हमे कुछ पुख्ता कदम जल्दी उठाने है। …यस सर।

…समीर, एजाज मूसा और उसके आदमियों से शुजाल बेग के बाद दोबारा से पूछताछ की गयी थी। उसके अनुसार अरब सागर मे हमारे तेल के संसाधनों पर हमले की योजना जमात-ए-इस्लामी ने बनायी थी। हिजबुल के पचास जिहादी बंगाल की खाड़ी मे प्रशिक्षण ले रहे है। हमने अपनी जाँच रिपोर्ट का एक डोजियर बांग्लादेश की प्रधानमंत्री को सौंप दिया है। उनकी इन्टेलीजेन्स उस प्रशिक्षण केन्द्र का पता लगाने की कोशिश कर रही है। आरफा को लेकर अगर तुम उनसे मिलोगे तो वह शायद उस जगह के बारे कुछ बता सकेगी। एक बार उससे बात करके देखो कि क्या वह उसके बारे मे कुछ जानती है या उसे अनमोल बिस्वास ने कुछ बताया था। बांग्लादेश सरकार ने अपनी ओर से पूरी मदद करने का आश्वासन दिया है। उन्होंने अब तक जमात-ए-इस्लामी बांग्लादेश के खिलाफ भी सख्त कदम उठाये है। उनके चार मुख्य कार्यकारी लोग इस वक्त हिरासत मे है और उनसे पूछताछ चल रही है। आरफा से बात करके देखो तो शायद उनका कोई सुराग मिल जाये। …जी सर। शाम तक आपको बताता हूँ। इतनी बात करके अजीत सर ने फोन काट दिया था।

मैने अपनी ओर से आप्रेशन खंजर को ध्वस्त करने के लिये तीन मोर्चे खोले थे। एक शुजाल बेग के द्वारा पाकिस्तान के फौजी इदारे मे खलबली मचा कर मंसूर बाजवा पर निशाना साधा था। दूसरा आप्रेशन खंजर का काठमांडू से संचालन करने की आईएसआई योजना को भारी जान और माल का नुकसान पहुँचा कर वहाँ से पीछे हटने के लिये मजबूर कर दिया था। तीसरा मोर्चा वलीउल्लाह पर केन्द्रित था। एक मोर्चे पर सफलता मिलने से कम से कम काठमांडू अब उनके लिये सुरक्षित स्थान नहीं रहा था। अब उसका सारा संचालन पाकिस्तान से ही हो सकता था। अगर शुजाल बेग अपने उद्देशय मे कामयाब हो गया तो आप्रेशन खंज़र का आखिरी सिरा जमात पर भी अंकुश लगाना आसान हो जाएगा। बांग्लादेश मे अगर हम उन जिहादियों और प्रशिक्षण केन्द्र की पहचान करने मे सफल हो गये तो आप्रेशन खंजर सिर्फ एक कहानी बन कर रह जाएगा। यही सोचते हुए मै हाल से निकल कर आरफा से मिलने चला गया था। तबस्सुम की जगह आरफा आजकल आफिस मे बैठ रही थी तो मै सीधे आफिस की ओर चला गया था।

मुझे आफिस मे आता देख कर आरफा चौंक गयी। …तुमसे कुछ बात करनी थी इसलिये यहाँ आ गया था। मैने उसके बारे मे एक बात नोट की थी कि उस रात के बाद से वह मेरे सामने आते ही असहज हो जाती थी। …आरफा क्या तुम्हें मूसा के बंगाल की खाड़ी मे हो रहे प्रशिक्षण केन्द्र के बारे मे कुछ पता है? गोपीनाथ से मिलने के बाद हम पहली बार इस बारे मे चर्चा कर रहे थे। शायद इसीलिये वह थोड़ा घबरा सी गयी थी। वह झिझकते हुए बोली… मैने जमात का प्रशिक्षण केन्द्र सिर्फ एक बार देखा था जब उधर कुछ लड़कियाँ लेकर गयी थी। बंगाल की खाड़ी के प्रशिक्षण केन्द्र के बार मे मुझे कुछ पता नहीं। …जैसे तुम एक प्रशिक्षण केन्द्र मे गयी थी वैसे ही कोई और तुम्हारी तरह भी जिहादियों के लिये लड़कियों का इंतजाम करता होगा। वह एक पल कुछ सोच कर बोली… सभी के लिये इंतजाम शाकिर किया करता था। वह जानता होगा कि उस प्रशिक्षण केन्द्र मे कौन लड़कियाँ पहुँचाता होगा। मै उठते हुए बोला… शाकिर तो हमारी गिरफ्त है। उससे पता करता हूँ लेकिन तुम भी सोचना कि कि क्या अनमोल बिस्वास ने तुम्हें उसके बारे मे कुछ और बताया था। इतनी बात करके मै बाहर निकल कर अपनी गाड़ी मे बैठा और सरिता के घर की ओर चल दिया था। सारा काम समाप्त करने मे शाम हो गयी थी। ठंड भी बढ़ती जा रही थी। 

सरिता के फ्लैट के दरवाजे पर दस्तक देकर मैने आवाज लगाई… नफीसा। कुछ पल गुजरने के बाद नफीसा दरवाजा खोल कर मेरी ओर देखते हुए बोली… आप यहाँ कैसे पहुँच गये। …तुम्हें लेने आया हूँ। तुम्हारी जेनब बाजी को वहाँ से सुरक्षित निकाल लिया है। तुम्हारे अब्बू ने तुम्हे और तुम्हारी बाजी को वापिस भेजने के लिये कहा है। वह कुछ बोलती तभी मैने पूछा… सरिता तो आफिस मे होगी। मै सरिता को बता देता हूँ लेकिन फिलहाल तुम यहाँ से चलने की तैयारी करो। यह बोल कर मै सरिता का फोन नम्बर मिलाने लगा तभी उसकी आवाज मेरे कान मे पड़ी… अब मै कहीं नहीं जा रही। मैने उस नेपाली मेजर के साथ रहने का फैसला कर लिया है तो अब मै वादा खिलाफी नहीं कर सकती। उसकी बात सुन कर एक पल के लिये मै सकते मे आ गया था। मैने जल्दी से फोन काट कर कहा… उस मेजर से हमारी बात हो गयी है। उसने तुम्हें आजाद कर दिया है। अब चलो क्योंकि हम ज्यादा देर यहाँ रुक नहीं सकते है। वह अन्दर जाते हुए बोली… उसने मेरे लिये अब्बू को आजाद किया है तो अब मै उसे छोड़ कर नहीं जाऊँगी। बाजी को आप अमरीका भिजवा दिजिये। मै उसके पीछे फ्लैट के अन्दर दाखिल हो गया और झल्ला कर बोला… क्या बेवकूफी की बात कर रही हो। जब उसने तुम्हें आजाद कर दिया है तो अब यह फालतू की बात करना बेमानी है। …आपके लिये हो सकती है क्योंकि आप वहाँ नहीं थे। अगर उस वक्त वह मेरी जान भी मांग लेता तो मै एक पल की देरी नहीं करती। आपको क्या पता कि उस शौकत ने मेरे साथ कार मे क्या-क्या किया था। उस नेपाली ने मेरी जान उन लोगो से बचायी थी और फिर मेरे कहने पर मेरे अब्बू की जान बक्श दी थी। भला ऐसे आदमी को अब मै कैसे छोड़ कर जा सकती हूँ। आप यहाँ से जाईये और फिर कभी मत आईयेगा। यह मेरा आखिरी फैसला है।

मै अपना सिर पकड़ कर सोफे पर बैठ गया। मैने एक बार फिर से नये तरीके से कोशिश की… नफीसा, वह निहायत ही बदमाश, व्यभिचारी और रिश्वतखोर इंसान है। कोई और लड़की मिलेगी तो वह तुम्हें छोड़ देगा। ऐसे आदमी पर तुम्हें भरोसा नहीं करना चाहिये। हमने उसे पैसे देकर तुम्हारी आजादी खरीद ली है। अब यह बचपना छोड़ो और चलो मेरे साथ। जेनब तुम्हारी राह देख रही है। वह अबकी बार झल्ला कर बोली… आपको मेरी बात क्यों नहीं समझ आ रही है।  मैने उसको कभी न छोड़ कर जाने की कसम खायी है। मै नहीं जाउँगी और इसके बारे मे मै कुछ नहीं सुनना चाहती। …यह दकियानूसी बातें छोड़ो। उसकी बीवी भी तुम्हे यहाँ हमेशा के लिये नहीं रखेगी। …क्यों क्या उसने मुझे निकाल दिया है। अभी भी तो वह मुझे अपने साथ रखे हुए है। मेरे दिमाग ने काम करना बन्द कर दिया था। स्त्री हठ के सामने सारे तर्क बेकार थे। मै उठ कर खड़ा हो गया और उसकी ओर देख कर पूछा… यह तुम्हारा आखिरी फैसला है। …हाँ यह मेरा आखिरी फैसला है। अब अगर आपने मेरे साथ कोई जोर जबरदस्ती करने की कोशिश की तो मै अपनी जान दे दूंगी। इसी के साथ वह कुरान की कुछ आयात बढ़बढ़ाने लगी थी। मै कुछ देर उसे ताकता रहा और फिर जब कोई रास्ता नहीं सूझा तो धम्म से सोफे पर बैठ गया। वह अभी भी कुछ आयात बड़बड़ा रही थी।

जब मुझे लगा कि अब उसे समझाना मेरे बस की बात नहीं रही तो मुझे मदरसे मे सिखायी गयी एक दुआ याद आ गयी। …तुम गलत आयात पढ़ रही हो। मैने या कदिरु  की दुआ उसके सामने पढ़ कर कहा… नफीसा, इस मुसीबत से अब तुम ही मुझे निकाल सकती हो। यह बात मै कुरान पाक की कसम खा कर बोल रहा हूँ। उस शाम  नेपाली मेजर के वेष मे मै ही था। तुम्हें और तुम्हारे अब्बू को कर्नल शौकत अजीज से बचाने के लिये मुझे नेपाली स्पेशल फोर्सेज के मेजर के रुप मे सामने आना पड़ा था। मै यह सच्चायी तुम्हे बताने की स्थिति मे नहीं था क्योंकि मैने तुम्हारे सामने चार आईएसआई के एजेन्टों और दूतावास के ड्राइवर की हत्या की थी। मैने अपनी असलियत तुम्हारे अब्बू के सामने जाहिर कर दी थी। तुम्हें धोखा देने का मेरा इरादा नहीं था परन्तु यहाँ के हालात ऐसे है कि मै अपनी असलियत तुम्हें बता नहीं सकता। तुम्हारी बड़ी बहन जेनब को मैने आज ही उनके कब्जे से निकाला है। इसके लिये मुझे एक बार फिर से तीन आईएसआई एजेन्टों की हत्या करनी पड़ी है। यह सभी तुम्हारे वतन के फौजी थे परन्तु मेरे लिये वह सभी दुश्मन थे। सरिता मेरी दोस्त है। तुम्हारी सुरक्षा और मेरी असलियत जान कर भी अगर तुम मेरे साथ नहीं चलने की जिद्द पर अड़ी रहोगी तो वह तुम्हारी मर्जी है लेकिन यह जान लो कि वह नेपाली मेजर यहाँ पर वापिस लौट कर नहीं आयेगा। जब भी तुम्हे अब यहाँ लेने आयेगा तो वह मेजर समीर बट होगा जो भारतीय सेना मे काम करता है। यह भी तुम्हें इसलिये बता दिया है कि तुम्हारे अब्बू यहाँ से जा चुके है। अब तुम्हें सोचना है कि क्या तुम मेरे साथ चल रही हो या उस नेपाली मेजर का जीवन भर यहीं बैठ कर इंतजार करना है। मेरी सारी सच्चायी जानने के बाद भी अगर तुम मुझे हत्यारा समझती हो तो तुम मेरे बारे मे पुलिस मे जाकर रिपोर्ट कर सकती हो। इतना बोल कर मै चलने के लिये खड़ा हो गया था।

वह सिर झुका कर चुपचाप बैठी रही थी। …मेरे साथ चल रही हो कि मै जाऊँ? अचानक वह अपनी जगह से उठी और मेरी ओर झपटी और पूरी ताकत से मेरी सीने पर मुक्के का वार करके फूट-फूट कर रोने लगी। मैने उससे इस प्रकार की अपेक्षा नहीं की थी। उसको अपनी बाँहों मे भर कर चुप कराने मे लग गया था। मै उसे अपनी बाँहो मे लिये वहीं बैठ गया। कभी उसकी पलकों से छलकती हुई अश्रुधारा को पौंछता और कभी उसके गालों को सहलाते हुए उसे शांत कराने की कोशिश करता। उसके मन का उद्गार आँसुओं के रुप मे लगातार बह रहा था। मेरे सीने मे मुँह छिपाये वह काफी देर तक सिसकती रही थी। मेरी शर्ट का एक हिस्सा भीग चुका था। मै उसे चुप कराने की कोशिश कर रहा था कि तभी मेरे दिमाग के किसी कोने उसकी वही अभिसारिका वाली छवि उभर आयी थी। इसी नाजुक पतली दुबली सी अनछुई अल्हड़ कली की छवि से उस रात मैने अभिसार किया था। सरिता तो सिर्फ एक जरिया मात्र थी। इंसानी जज्बात समय के गुलाम नहीं थे। उसके खुले हुए गुलाबी होंठ मेरे सामने थे। उसका कोमल जिस्म मेरे हाथों मे था। अचानक मै झुकता चला गया था। उसके कांपते लरजते होंठों को मेरे होंठों ने जैसे ही स्पर्श किया उसकी बाँहें स्वत: ही मेरे गले मे लिपट गयी थी। उसके लबों की मिठास को मेरे होंठ निचोड़ने मे सक्रिय हो गये थे। मुझे एक स्वर्गिम एहसास हो रहा था। मेरे होंठों के हर वार की प्रतिक्रिया उसका जिस्म दर्शा रहा था। इस रसपान की क्रिया मे कोई उग्रता नहीं थी। उसने झिझकते हुए अपनी जुबान से मेरे होंठों का स्पर्श किया और फिर मेरे मुख को टटोलते हुए मेरी जुबान से खेलना आरंभ कर दिया। मेरे उँगलियाँ उसकी कमर से सरक कर सीने की ओर बढ़ गयी थी। मेरी उँगली ने धीरे से उसके पुष्ट गोलायी की परिधि का चक्कर लगाया और फिर सिर उठाये स्तनाग्र को धीरे से छेड़ा तो वह चिहुंक उठी थी। संतेरे के आकार की गोलायी को मैने धीरे से सहला कर जैसे ही हौले से दबाया उसका जिस्म एकाएक तेजी से काँप कर उसका जिस्म सिहर उठा था। उसी पल वह स्खलित हो गयी थी। उसकी साँसे तेज चल रही थी।

एक पल मे ही मेरे सिर पर छाया हुआ वासना का जुनून गायब हो गया था। यथार्थ का एहसास होते ही मै तेजी से उससे अलग हुआ और उसे सोफे पर छोड़ कर फ्लैट से बाहर निकल गया था। यह मैने क्या कर दिया? एक कमजोर क्षण ने मुझे मेरी ही नजरों मे गिरा दिया था। पल भर मे मेरे चेहरे पर पड़ा हुआ शराफत का आवरण नोंच कर मुझे मेरी हैवानियत से रुबरु करा दिया था। लोहे की रेलिंग को पकड़ कर मै अपने आप को मन ही मन धिक्कार रहा था। एक मासूम लड़की की मासुमियत का मैने फायदा उठाने की कोशिश की थी। अब उसका सामना करना मेरे बस की बात नहीं थी। कुछ देर मै वहीं खड़ा पछताता रहा और फिर जैसे ही सीढ़ियों की मुड़ा तो नफीसा ने मेरी बाँह थाम कर कहा… मुझे यहाँ छोड़ कर कहाँ जा रहे है? मै उससे आँखें मिलाने की स्थिति मे नहीं था। मैने जल्दी से कहा… आओ चलते है। यह बोल कर मै आगे बढ़ गया था। वह वहीं से बोली… ऐसे तो मै आपके साथ नहीं जाऊँगी। मैने उसकी ओर देखा तो वह मुझे देख रही थी। …प्लीज इस वक्त मै कुछ भी बोलने की स्थिति मे नहीं हूँ। जो आज हुआ है वह हर्गिज नहीं होना चाहिये था। उस कृत्य के लिये मै माफी मांगने के काबिल भी नहीं हूँ।

वह कुछ पल मुझे ताकती रही फिर मेरे पास आकर बोली… सरिता के फ्लैट को ऐसे ही छोड़ कर चले जाएँगें? तुरन्त मुझे अपनी गलती का एहसास हो गया था। मैने फोन निकाल कर सरिता का नम्बर मिलाया। …हैलो। …सरिता, मै नफीसा को अपने साथ लेकर जा रहा हूँ। ताला लगा कर किसके पास चाबी छोड़ दूँ? …आप चाबी मेरे साथ वाले फ्लैट मे दे दिजियेगा। लौट कर मै उनसे ले लूँगी। वह कुछ बोल रही थी लेकिन मै अपनी सोच मे गुम था। मैने फोन काट दिया और उसके फ्लैट मे जाकर ताला और चाबी तलाशने लगा। वह मेरे पीछे अन्दर आ गयी थी। वह उसके बेडरुम मे गयी और ताला और चाबी मेरे हाथ मे देकर बोली… चलने से पहले आपको पता होना चाहिये कि मै आपको उसी समय पहचान गयी थी जब आपने कार से बाहर निकालते हुए मुझसे जेनब के बारे मे पूछा था। मैने उसकी ओर आश्चर्य से देखा तो बड़ी संजीदगी से बोली… आप यही सोच रहे है कि तो फिर मैने ऐसा क्यों किया था? आप ही बताईये तो मै कैसे अपनी मोहब्बत का इजहार आपसे करती। मैने सबके सामने आपके साथ जीवन भर रहने की कसम खायी थी। आप चाहे मुझे ठुकरा दे लेकिन जो सच है वह मैने आपको बता दिया है। मै सारी जिंदगी के लिये आपकी हूँ और आपकी रहूँगी। इसलिये आप अपने आप को अकेला दोषी मत समझिये। मै कोई बच्ची नहीं हूँ कि जो औरत और मर्द के संबन्ध के बारे मे नहीं जानती। इस गलतफहमी को भी त्याग दिजीये कि आपने मुझे गुमराह करने की कोशिश की है। जो कुछ भी अभी हमारे बीच मे हुआ है वह मेरी मर्जी से हुआ है। अपने आपको दोषी मान कर मुझसे पीछा छुड़ाने की कोशिश मत किजियेगा। अब चलिये। यह बोल कर वह फ्लैट के बाहर निकल गयी थी।

भारी कदमो से चलते हुए मैने उस फ्लैट का ताला लगाया और साथ वाले मकान मे चाबी देकर नीचे उतर आया था। वह मेरी गाड़ी के पास खड़ी हुई थी। मैने गाड़ी का लाक खोला और वह बिना कुछ कहे मेरे साथ बैठ गयी थी। …आप मुझे क्या इतनी बेवकूफ समझते है कि मै आपकी गाड़ी नहीं पहचानती। इस गाड़ी मे अंजली बाजी और मेनका के साथ बैठ चुकी हूँ तो देखते ही पहचान गयी थी। मै साक्षी हूँ कि उस दिन कैसे अब्बू ने आपको जलील किया था और फिर भी आपने उनकी बिना कहे मदद की थी। मैने उसी दिन एयरपोर्ट पर आपसे अपने दिल की बात रखने की कोशिश की थी। जब हमने अब्बू की हत्या की बात सुनी तो पता नहीं मेरे मन मे आपसे मिलने की तीव्र इच्छा हुई और जब आपने कहा कि अब्बू को कुछ नहीं हुआ है तो उसी वक्त मै अपना सब कुछ हार गयी थी। उस कार मे मेरे हमवतन और मेरे अब्बू के आधीन काम करने वाले शौकत मिर्जा ने सारे रास्ते मेरे जिस्म से खिलवाड़ किया तो मै उस समय खुदा से मौत की भीख मांग रही थी। आपने एक बार फिर मुझे उन दरिंदों के हाथों मे जाने से बचा लिया था। उस दिन मुझे ही नहीं आपने मेरे अब्बू को भी बचा लिया था। अब आप ही बताईये कि मेरे पास एक ही जान है और अगर वह जान मैने आपके नाम कर दी तो कौनसा गुनाह हो गया। मेरा खुदा गवाह है कि मैने जो कुछ भी बोला है वह काफी सोच समझ कर बोला है। इतना बोल कर वह तो चुप हो गयी लेकिन मै अपनी बेवकूफी के कारण एक नये जंजाल मे फँस गया था।

मै चुपचाप अपनी इसुजु चलाता रहा और नीलोफर के फ्लैट पर पहुँच कर बोला… आओ चले। वह चुपचाप मेरे साथ चल दी थी। हमारा गनर हरद्वारी लाल मुस्तैदी के साथ फ्लैट के बाहर पहरा दे रहा था। …कोई खतरे की आशंका अभी तक तो नहीं देखी? …नहीं सर। आज रात की चौकसी मे सब पता चल जाएगा। मैने दरवाजे की घंटी बजा दी थी। नीलोफर के बजाय दरवाजा सैनिक राम प्रसाद ने खोला था। मुझे देखते ही उसने सैल्युट किया तो मैने जवाब मे सैल्युट करते हुए कहा… गार्ड ड्युटी पर इसकी जरुरत नहीं है। वह दोनो लड़कियाँ कहाँ है? …साहबजी वह बेडरुम मे है। …क्या उसको होश आ गया है? …जी जनाब। मै बेडरुम की दिशा मे चला गया था। एक बार दरवाजे पर दस्तक देकर मै दरवाजा खोल कर अन्दर चला गया। बेड पर जेनब लेटी हुई थी और उसी के साथ नीलोफर दीवार से पीठ टिका कर बैठी हुई थी। मेरे पीछे से निकल कर नफीसा तेजी से अपनी बहन की तरफ चली गयी थी। …बाजी आपको क्या हुआ? जेनब बैठते हुए बोली… कुछ नहीं। उन्होंने चलने से पहले कोई नशे की गोली खिला दी थी। अब ठीक हूँ। दोनो बहने बात करने मे लग गयी थी। मैने नीलोफर को इशारा किया तो वह उठ कर मेरे साथ बाहर आ गयी थी।

…नीलोफर, तुम्हारे पासपोर्ट का इंतजाम मै कर दूंगा लेकिन अमरीकन वीसा का मिलना हमारे हाथ मे नहीं है। कुछ भी करने से पहले मुझे वलीउल्लाह के बारे मे बताना पड़ेगा। मेरे सीओ साहब का यही निर्णय है। नीलोफर ने कुछ सोच कर कहा… समीर, मै उसका नाम तब तक नहीं बताउँगी जब तक मुझे विश्वास नहीं होता कि उसके आगे अब मुझे कोई नहीं रोकेगा। अपने सीओ को मेरा जवाब बता देना। …ठीक है। एक बात के बारे मे सोच लो कि क्या यह अटैची मे भरे हुए डालर को ऐसे ही लेकर अपने साथ जाओगी? …क्यों? इसमे क्या परेशानी है। …कुछ नहीं बस यह सब एक्स-रे मे कस्टम को पता चल जाएगा और प्लेन मे बैठने से पहले ही एक बार फिर तुम इस दौलत को गंवा दोगी। अच्छा यही होगा कि जब तक यहाँ हो तब तक अपना अकाउन्ट खुलवा कर उसमे एक बड़ी रकम जमा करवाती रहो। इस बहाने तुम फिर यह पैसा दुनिया मे कहीं पर भी निकाल सकती हो। वह चुपचाप मुझे देखती रही फिर मुस्कुरा कर बोली… तुम ठीक कह रहे हो। कुछ देर के बाद दोनो बहनें कमरे से बाहर निकल कर हमारे सामने आकर बैठ गयी थी।

कुछ सोच कर मैने पूछा… जेनब, तुम दोनो का पासपोर्ट कहाँ है? …शबाना खाला के यहाँ हमारे सामान मे है। …पाकिस्तान या अमरीका? …अमरीकन पासपोर्ट है। मैने एक चैन की सांस ली और कहा… अब तुम्हारा सामान वहाँ से नहीं लाया जा सकता है। ऐसी हालत मे तुम दोनो कल सुबह यहाँ स्थित अमरीकन दूतावास मे जाकर अपने खोये हुए पासपोर्ट की शिकायत दर्ज करा कर नये पासपोर्ट मांग सकती हो। एक-दो दिन मे तुम्हें नया पासपोर्ट मिल जाएगा। तुम्हें वापिस जाने मे कोई परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा। मैने अपना रुख नीलोफर की ओर करते हुए कहा… तुम्हारे पास सौम्या कौल का आधार कार्ड है। वह मुझे दे दो। मै सौम्या कौल के नाम का नया पासपोर्ट बनवा दूँगा। अगर इनके साथ अमरीका जाने की सोच रही हो तो टुरिस्ट वीसा के अर्जी देकर आना। तुम्हारी जमानत मै दे दूंगा। अच्छा मै चलता हूँ। आज की रात सावधान रहने की जरुरत है। जो भी होना होगा वह आज या कल मे ही होगा। चार लोग यहाँ गार्ड ड्युटी पर तैनात है तो घबराने की जरुरत नहीं है। लेकिन ख्याल रहे तुम तीनो मे से किसी को बाहर जाना है तो पहले हवलदार पूरन सिंह से पूछ कर जाना। मैने उठते हुए कहा… अच्छा चलता हूँ। खुदा हाफिज। बस इतनी बात करके मै गोदाम की ओर निकल गया था।

गोदाम पर सब मेरा इंतजार कर रहे थे। मुझे आते हुए देख कर सभी सावधान हो गये थे। मै हाल मे दाखिल हो गया और एक खाली कुर्सी पर बैठ कर पूछा… उस यार्ड की सेटेलाइट इमेजिस स्क्रीन पर दिखाओ। कैप्टेन यादव ने कहा… सर एक बार शुजाल बेग और शौकत अजीज की पूरी बात आपको सुन लेनी चाहिये। …चलो उनकी बात सुन लेते है। यादव ने अपने फोन पर उनकी रिकार्डिंग चला दी थी। उस रिकार्डिंग मे ऐसी कोई बात नहीं थी जिसको मै नहीं जानता था परन्तु उस रिकार्डिंग ने मेरी सोच के बहुत से रिक्त स्थान भर दिये थे। एक बात जिसके कारण कैप्टेन यादव मुझे वह रिकार्डिंग सुनाने पर जोर दे रहा था वह उस यार्ड से जुड़ी हुई थी। बांग्लादेश से आये हरकत उल अंसार के दो गुट उस यार्ड मे एक हफ्ते से पैसों और हथियारों के इंतजार मे ठहरे हुए थे। शुजाल बेग के गायब होने के कारण सारा मामला मुल्तवी हो गया था। शुजाल बेग के पास ही इसकी जानकारी थी उनके पैसे और हथियार किसके पास रखे हुए है। इस बात पर काफी देर तक उनमे बहस छिड़ी रही थी। इसी बात की जानकारी निकालने के लिये नूर मोहम्मद को जान से हाथ धोना पड़ा था। उस रिकार्डिंग को सुन कर हम सब के लिये साफ हो गया था कि पचास की संख्या के आसपास प्रशिक्षित लड़ाकू उस यार्ड मे ठहरे हुए थे।

मै उनकी बात सुन कर कुछ सोच रहा था कि तभी हमारे एक्स्प्लोसिव्स एक्सपर्ट जमीर ने कहा… सर, मुझे शक है कि शाही मस्जिद के बेसमेन्ट मे शुजाल बेग के पैसे और हथियार रखे हुए है। मै दो बार जुमे की नमाज के लिये मस्जिद मे गया था। पिछले एक हफ्ते से हम उस मस्जिद पर नजर रख रहे है। उस मस्जिद के इमाम मौलाना कादरी का सीधा संबन्ध शुजाल बेग के साथ था। शौकत अजीज के लोग भी उस मस्जिद मे छानबीन के लिये दो बार गये थे। वह दोनो आदमी जिनको शाही मस्जिद के पास मंडराते हुए देखा था वह आज भी उसी यार्ड मे रह रहे है। आपने अपनी पहली ब्रीफींग मे बताया था कि शुजाल बेग हर जुमे को वहाँ पर आकर तंजीमों के लोगों के साथ मिल कर अपनी योजना को कार्यान्वित करने का निर्देश देता था। उस यार्ड और मस्जिद मे अगर कोई कड़ी मिलती है तो वह यही हो सकती है। मेरा भी दिमाग इसी कड़ी की ओर लगा हुआ था। अपनी प्रतिक्रिया देते हुए मैने कहा… तो अब हमारे सामने दो स्थान है। एक यार्ड है जहाँ जिहादी ठहरे हुए है और दूसरा शाही मस्जिद है जहाँ हथियारों का जखीरा रखा हुआ है। हम यहाँ पर मुश्किल से बीस लोग है। यह हमारी धरती भी नहीं है। हम सब यहाँ पर बाहरी है तो उनसे सीधे टकराने का मतलब है कि अगर कामयाब हो भी गये जिसकी संभावना बहुत कम है तो भी यहाँ की सुरक्षा एजेन्सियों से बच कर निकलना लगभग नामुमुकिन होगा। इन सब की रौशनी मे हमे नये सिरे से सोचना पड़ेगा।

सभी लोग मेरा चेहरा देख रहे थे। कुछ सोच कर मैने कहा… हमे कुछ ऐसा करना चाहिये कि इन दोनो जगहों पर नेपाल सेना के द्वारा एक्शन लिया जाये। अगर नेपाल सरकार की फोर्सेज द्वारा उन दोनो जगहों पर एक्शन लिया जाता है तो हम पर कोई बात नहीं आयेगी। अब हमे यह सोचना है कि नेपाल सुरक्षा एजेन्सियों का ध्यान उस ओर कैसे खींचा जाये जिसके कारण वह वहाँ जाने के लिये मजबूर हो जाएँगें। …जमीर, तुम दो बार मस्जिद मे जा चुके हो तो तुम्हें वहाँ के लेआउट की कुछ तो जानकारी हो गयी होगी। क्या कोई ऐसी जगह है जहाँ बिना किसी की नजरों मे आये एक भारी सा विस्फोट किया जा सकता है? राजकुमार की टीम यार्ड पर इतने दिनो से निगरानी कर रही है तो वह भी उसके ले आउट को समझ गये होंगें। क्या वहाँ भी ऐसी कुछ जगह है जहाँ दो चार भारी विस्फोट किये जा सकते है? कैप्टेन यादव अब वह सेटेलाइट इमेजिस स्क्रीन पर दिखाओ। कुछ ही देर मे हम यार्ड की सेटेलाईट की तस्वीरें देखते हुए कुछ खास जगहों की निशानदेही कर रहे थे।

राज कुमार ने कहा… सर, यार्ड के अन्दर जाने मे कोई खास मुश्किल पेश नहीं आयेगी। कंटीले तारों की चारों ओर बाढ़ लगी हुई है। रात के अंधेरे मे तारों को काट कर कुछ लोग आसानी से अन्दर दाखिल हो सकते है। फिदायीन हमलावरों की तरह यार्ड मे घुस कर भारी मशीनरी की मदद से विस्फोट बेहद भयानक हो सकता है। अगर किस्मत ने साथ दिया तो विस्फोट के कारण यार्ड के अन्दर भी काफी नुकसान पहुँचाया जा सकता है। जमीर ने भी मस्जिद का लेआउट कागज पर उतार कर दिखाया… सर, मस्जिद के मुख्य हाल तक पहुँचने के लिये लोगों को काफी दूरी तय करनी पड़ती है। दोनो ओर लोगो के ठहरने के लिये कमरे बने हुए है। एक दिशा के अन्त मे रसोई है और उसकी विपरीत दिशा के आखिरी सिरे पर टायलेट और बाथरुम है। बेसमेन्ट मे जाने वाला रास्ता मस्जिद के मुख्य हाल से पहले मौलाना कादरी के कमरे के साथ बना हुआ है। देखने वालों को लगता है कि मौलाना साहब की सुरक्षा के लिये हथियारों से लैस फौज उनके कमरे के बाहर खड़ी हुई है परन्तु असलियत मे वह तहखाने की सुरक्षा मे लगे हुए है।

उन सबकी बात सुन कर मैने कहा… सबकी बात से साफ है कि दोनो जगह ऐसे कुछ स्थान अवश्य है जहाँ सेम्टेक्स आसानी से लगा कर विस्फोट किया जा सकता है। हमारा उद्देशय उनकी जान और माल को नुकसान पहुँचाने के बजाय यहाँ की सुरक्षा एजेन्सियों का ध्यान उनकी ओर खींचने का है। अब हमे एक ऐसा मौके का इंतजार करना चाहिये जब सुरक्षा एजेन्सियाँ अत्यन्त संवेदनशील स्थिति मे हो जिसके कारण विस्फोट की घटना को दबाना सभी के लिये नामुमकिन हो जाये। हम जिस वक्त यह बात कर रहे थे उसी समय त्रिभुवन एयरपोर्ट का पार्किंग अटेन्डेन्ट भागता हुआ एयरपोर्ट मे दाखिल हो रहा था। उसकी हवाईयाँ उड़ी हुई थी। 

6 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही जबरदस्त अंक और आखिर जेनब भी समीर के हाथ लग गई मगर नफ़िसा के साथ जो हुआ उसके बाद समीर के गले में एक और घंटे बांधने जैसे हो गया है, और तो और नफ़िसा ने भी अपनी नापि तुली शब्दों में समीर के प्रति प्यार/ आकर्षण को उजागर कर दी है, अब अपेक्षा है की निलोफोर वलिउलह के बारे में कुछ बताए तो आतंकीयों के कमर तोड़ ने में देर न लगेगी। अगले अंक के इंतज़ार में ।

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    1. अल्फा भाई शुक्रिया। वलीउल्लाह तो काफ़िर से ही रहस्य बना हुआ है लेकिन अब परतें धीरे-धीरे खुल रही है। ऐसा लगता है कि वलीउल्लाह की सूचना के आधार पर आईएसआई ने आप्रेशन खंजर की साजिश रची थी। आगे देखना होगा कि क्या आप्रेशन खंजर के द्वारा वलीउल्लाह सामने आएगा।

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  2. समीर के लिये एक और गले की घंटी बन गयी, देखते है कितनी बजती है. जेनब को छुडाना एक ओर जितना महत्वपूर्ण था, उतनाही कठीण अब उन लोगोंको अमरिका भेजना हो जायेगा. पाकिस्थान दूतावास के कुछ और लोग ७२ हुरोंके भेंट चढ गये, धिरे धिरे इंच बाय इंच समीर वलीउल्लाह के करीब पहूंच रहा.

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    1. समीर तो बहुत सी घंटियाँ गले मे बाँध कर घूम रहा है। परेशानी तो वलीउल्लाह नामक घंटे की है जिसके कारण आईएसआई ने आप्रेशन खंजर की साजिश रची थी। एक बात तो तय है कि आईएसआई की चाल पर काठमांडुू मे गहरा आघात लगा है। धन्यवाद प्रशांत भाई।

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  3. सभी मित्रों को विजय दशमी की शुभ कामनाएँ

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  4. नवरात्री और विजया दशमीकी शुभकामना विरभाई.

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