रविवार, 8 अक्टूबर 2023

  

गहरी चाल-29

 

उस फ्लैट मे प्रवेश करते हुए मैने जमीन पर पड़ी हुई नीलोफर के नितंब पर एक लात जमा कर कहा… चल खड़ी हो जा। साली जिहादिन अब नखरे दिखा रही है। वह जल्दी से अपना सीना थामे उठ कर आगे बढ़ गयी थी। तभी शौकत चिल्लाया… ब्रिगेडियर,  यह नेपाल स्पेशल फोर्सेज है। मैने नफीसा की गरदन पकड़ कर हिलाते हुए कहा… इस जिहादिन की एक झटके मे गरदन टूट जाएगी। अब अपनी गन इधर फेंक दे वर्ना इसका काम हो जाएगा। अबकी बार बोलते हुए मैने नफीसा का झुका हुआ चेहरा बालों से पकड़ कर उठाते हुए शुजाल बेग के सामने कर दिया था। नफीसा को देख कर उसकी तनी हुई गन एकाएक नीचे हो गयी। उसने धीरे से अपनी गन जमीन पर रख कर पैर से मेरी ओर सरका दी थी। अपनी आवाज तेज रखते हुए मैने कहा… एक जिहादी अपने आप को कर्नल बता रहा था। यहाँ आकर वही दूसरे जिहादी को ब्रिगेडियर बता रहा है। तुम लोगों ने अपने लिये क्या फौजी रैंक रखनी शुरु कर दी है? मैने नफीसा को शुजाल बेग की ओर धकेल दिया और नीलोफर के गले पर अपनी बाँह जकड़ते हुए कहा… अपने आईडी एक-एक करके निकाल कर दिखा दो। शौकत अजीज ने जल्दी से अपनी फौज का परिचय पत्र दिखाते हुए कहा… मै पाकिस्तानी फौज मे कर्नल हूँ। …तो कर्नल साहब आप झूठ बोल रहे थे कि आप दूतावास मे काम करते है।

तब तक सावरकर मेरे पास आकर धीरे से कान मे बोला… सर, उस कार को मरे हुए जिहादियों के साथ ठिकाने लगाने के लिये भेज दिया है। …यादव से कहो कि वह अपनी युनिट को लेकर फौरन यहाँ पहुँच जाये। जब तक वह नहीं आते है तब तक राज कुमार को बाहर गार्ड ड्युटी पर लगा दो। उनसे जब्त किये हथियारों का बेझिझक इस्तेमाल कर सकते हो। सावरकर ने जमीन पर पड़ी हुई स्वचलित गन उठाई और बाहर निकल गया था। मै तब तक गैलरी से निकल कमरे मे आ गया था। शौकत अजीज, ब्रिगेडियर और नफीसा सामने खड़े मुझे घूर रहे थे। मेरी बाँह के शिकंजे मे नीलोफर की गरदन दबी हुई थी। सावरकर अन्दर आकर दबी हुई आवाज मे बोला… सर, उनको पहुँचने मे कुछ समय लगेगा तब तक इनका क्या करना है? …पहले तुम सबके फोन कब्जे मे ले लो। सबको हेडक्वार्टर्स लेकर चलते है और वहीं पर पहुँच कर इनसे पूछताछ करेंगें। मुझे कैप्टेन यादव और उसकी युनिट के पहुँचने तक शौकत अजीज और शुजाल बेग को उलझा कर रखना था। सावरकर जैसे ही उनकी तलाशी लेने के लिये आगे बढ़ा शुजाल बेग और शौकत अजीज ने अपने आप ही अपने फोन उसके आगे कर दिये थे। …इनके हाथ पीछे बाँध दो। सावरकर ने एक झटके से नफीसा के गले से दुपट्टा खींच लिया और ब्रिगेडियर के हाथ बाँधने मे जुट गया। दोनो मुझे खा जाने वाली नजरों से दोनो घूर रहे थे लेकिन मुझे नीलोफर के डबल क्रास पर रह-रह कर गुस्सा आ रहा था।

वह मेरी पकड़ से छूटने के लिये छटपटायी कि तभी अचानक मेरा हाथ नीलोफर के गले से सरक कर उसके ब्लाउज के अन्दर चला गया और उसके एक स्तन को अपने पंजे मे जकड़ कर बड़ी बेशर्मी से पूरी ताकत से मसक दिया। नीलोफर के मुख से दर्दभरी चीख निकली तो सबकी नजरे हमारे उपर आकर टिक गयी थी। उसके स्तन की पुष्टता और गोलाई को महसूस करते मैने कहा… जिहादिनों से मेरी पूछताछ बड़ी रोमांटिक होती है। शुरु मे नखरे जरुर दिखाती है लेकिन मेरी पूछताछ आरंभ होने के बाद साली उछल-उछल कर सब कुछ बड़े प्यार से बता देती है। बड़ी बेशर्मी से मैने अपनी ओर घूरती हुई नफीसा से कहा… इस जिहादिन को ही देख ले कि यह कितना मजे कर रही है। नफीसा का चेहरा डर के मारे सफेद हो गया था। शर्मसार होकर वह सिर झुका कर खड़ी हो गयी। नीलोफर घुर्रा कर बोली… हरामी यह पिस्तौल हटा कर एक बार देख तो मै बताती हूँ कि मै क्या चीज हूँ। अपने पैरों पर चल कर वापिस नहीं जाएगा। बेशर्मी से उसके गाल को चूम कर मैने जोर से कहा… छिनाल तेरे पीछे पिस्तौल नहीं तोप टिकी हुई है। पिस्तौल तो तेरे सामने मेरे हाथ मे है।

जैसे ही सावरकर नफीसा के हाथ बाँध कर शौकत अजीज की ओर बढ़ा तो वह जल्दी से बोला… जनाब, इन लोगो से मेरा कुछ लेना देना नहीं है। मै तो इनसे सिर्फ मिलने आया था। आप प्लीज मुझे छोड़ दिजिये। इसके लिये मै आपको कुछ जुर्माना भी देने के लिये तैयार हूँ। मै कोई जवाब देता उससे पहले शुजाल बेग बोला… अगर तुम इस लड़की को छोड़ दोगे तो मै तुम्हें इतना दे दूंगा कि फिर तुम्हें नौकरी की कभी जरुरत नहीं पड़ेगी। अबकी बार नीलोफर के स्तन को धीरे से दबा कर सोये हुए स्तनाग्र को सहलाते हुए मैने पूछा… ब्रिगेडियर साहब कौनसी लड़की? शुजाल बेग ने नफीसा की ओर इशारा करके कहा… यह मेरी बेटी है। उसे छोड़ दो। …पहले माल दिखाओ। शुजाल बेग अपनी जगह से जैसे ही हिला तो मैने जल्दी से कहा… लेफ्टीनेन्ट इस पर नजर रखना। अगर बेवकूफ बना रहा है तो साले जिहादी को वहीं गोली मार देना। कुछ ही पल बीते होंगें सावरकर एक वीआईपी अटैची उठा कर ले आया था। …खोलो इसको। सावरकर ने अटैची खोल कर मेरे सामने कर दी थी। अमरीकन डालर से वह अटैची ठसाठस भरी हुई थी। मैने शुजाल बेग से पूछा… इस लड़की को अगर मै छोड़ दूँगा तो यह अटैची मेरी हो गयी। …बेशक। नीलोफर उस अटैची को देख कर एक क्षण के लिये मचली लेकिन उसका स्तनाग्र जो मेरी छेड़खानी के कारण सिर उठा कर खड़ा हो गया था वह अचानक मेरी दो उंगलियों के बीच फँस गया। नीलोफर के लिये इतना ही इशारा काफी था। वह चुपचाप स्थिर होकर खड़ी हो गयी थी।

मैने जल्दी से कहा… लेफ्टीनेन्ट, उस अटैची को अपने कब्जे मे ले लो और लड़की के हाथ खोल कर छोड़ दो। इन तीनो को लेकर हेडक्वार्टर्स चलते है। नफीसा अचानक मेरी ओर आयी और मेरे पाँव पकड़ कर बोली… मेरे अब्बू को प्लीज छोड़ दिजिये। उसे अनदेखा करके मैने कर्नल की ओर देख कर कहा… अब जब सौदेबाजी की बात चल ही रही है तो अपनी रिहाई के लिये क्या दोगे कर्नल? शौकत अजीज जल्दी से बोला… दस हजार डालर तक दे सकता हूँ। …ठीक है। माल निकालो। …मेरे पास इस वक्त हजार डालर से ज्यादा नहीं है। कुछ समय दोगे तो मंगवा लूंगा। मैने जल्दी से कहा… चलो एक फोन काल की कीमत हजार डालर निकालो। हेडक्वार्टर्स चलते है वहाँ से फोन करके दस हजार डालर मंगा लेना। पैसे मिल गये तो तुम्हारा नाम केस फाइल मे नहीं डालूँगा। नीलोफर घृणा से बुदबुदाई… हरामी रिश्वतखोर। मैने सुन लिया था। नीलोफर के सीने को एक बार फिर से जोर से मसक कर सहलाते हुए कहा… देख लिया सब अपनी रिहाई के लिये कुछ न कुछ दे रहे है। तुम्हारे पास भी कुछ है? वह रुआंसी होकर बोली… उस अटैची मे मेरे पैसे है। …जो अब मेरे हो गये जानेमन। तुम्हारे यार ने अपनी बेटी को छुड़ाने के लिये वह अटैची तुम्हारे सामने मुझे दी है। अचानक नफीसा जो मेरे पैर पकड़ कर बैठी हुई थी एकाएक उठ कर बोली… मै जिंदगी भर तुम्हारी गुलामी करुँगी लेकिन मेरे अब्बू को छोड़ दो। मैने अपनी पिस्तौल से उसे दूर होने का इशारा करते हुए कहा… सब ऐसे ही कहती है। साली जिहादिन को एक बार मौका मिल जाये तो गला तराश कर नौ दो ग्यारह हो जाती है। वह बिलख कर बोली… तुम ही बताओ मै क्या करुँ? मेरे अब्बू को छोड़ दो। मैने ब्रिगेडियर शुजाल बेग की ओर देखा तो उसकी आँखें मे बेबसी साफ झलक रही थी। मैने सावरकर को इशारा किया तो वह जल्दी से बाहर निकल गया था।

कैप्टेन यादव को पहुँचने मे काफी देर हो गयी थी। मै नीलोफर के स्तन से खेलते हुए उन तीनो पर नजर जमाये हुए खड़ा हुआ था कि तभी सावरकर लौट कर मेरे पास आकर बोला… सर, वह लोग आ गये है। जमीर उन्हें ब्रीफ कर रहा है। मैने एक चैन की साँस ली और जल्दी से कहा… इन सबको लेकर हेडक्वार्टर्स चलते है। दोनो से कहो कि फ्लैट की तलाशी लेकर हेडक्वार्टर्स पहुँच जाये। अचानक नफीसा ने वह किया जिसकी किसी ने उम्मीद नहीं की थी। नीलोफर के ब्लाउज मे पड़े हुए मेरे हाथ को एक झटके से निकाल कर उसने अपने सीने पर रख कर बोली… मै अपने आप को तुम्हारे हवाले कर रही हूँ। मेरे अब्बू को छोड़ दो। मैने अचकचा कर उसको अपने से दूर धकेलते हुए कहा… अगर एक भी शब्द और बोला तो तुम्हारे अब्बू को यहीं गोली मार दूँगा। वह चौंक कर अलग खड़ी हो गयी। तब तक कैप्टेन यादव काली डंगरी मे स्पेशल फोर्सेज का मास्क लगा कर मेरे साथ आकर खड़ा हो गया था। जल्दी से नीलोफर को अपने से अलग करके मैने कहा… इतनी देर कैसे लग गयी। …सर, युनिट के लोग स्काउट ड्युटी पर थे। उनको इकठ्ठा करने मे कुछ समय बर्बाद हो गया था। …बाहर की क्या स्थिति है? …सब शांत पड़ा हुआ है। पुलिस रेडियो की फ्रीक्वेन्सी भी चेक कर ली है। कोई रिपोर्ट नहीं है। …गुड थिंकिन्ग कैप्टेन।

मैने जल्दी से कहा… दो आदमियों से कहो कि वह पूरे फ्लैट की तलाशी लेकर रिपोर्ट करे। कैप्टेन यादव अपने मुँह के सामने लगे हुए स्पीकर पर निर्देश देने मे लग गया था। कैप्टेन यादव को उनकी निगरानी पर लगा कर मै फ्लैट का निरीक्षण करने लगा। चार कमरों का फ्लैट था। मेरे दिमाग मे सवाल घूम रहा था कि अब आगे इनके साथ क्या करना है? गोदाम ले जाउँगा तो सभी के सामने हमारी आब्सर्वेशन पोस्ट और मेरी असलियत खुल जाएगी। नीलोफर और शौकत अजीज तो विश्वास के काबिल बिल्कुल नहीं थे। कुछ सोच कर एक बेडरुम मे बेड को उठा कर साथ रखी रखी हुई मेज को बीच मे रख कर डाईनिंग टेबल की दो कुर्सी आमने सामने लगा कर आवाज लगायी… कैप्टेन, ब्रिगेडियर को अन्दर भेजना। कैप्टेन यादव ने शुजाल बेग को दरवाजे पर लाकर अन्दर धकेल कर दरवाजा बन्द करके एक किनारे मे खड़ा हो गया। …ब्रिगेडियर साहब बैठिये। शुजाल बेग के हाथ पीछे की ओर बंधे हुए थे इसलिये कुर्सी पर बैठने मे उसे थोड़ी परेशानी हुई थी। मैने अपना स्पेशल फोर्सेज का मास्क हटा कर कहा… ब्रिगेडियर साहब, अब शौकत अजीज का क्या करना है? वह एक पल मुझे देखता रहा और फिर चौंक कर बोला… मेजर समीर। मैने अपने चेहरे पर हाथ फिरा कर कहा… आपको बचाना अब मुश्किल होता जा रहा है। वह तो शुक्र मनाईये कि मै यहाँ पर समय से पहले पहुँच गया था। शौकत अजीज जबरदस्ती नफीसा को नूर मोहम्मद के घर से लेकर यहाँ आपकी हत्या के इरादे से आया था। इस काम के लिये वह अपने साथ चार जिहादी भी लेकर आया था। आपकी एक बेटी तो बच गयी परन्तु जेनब अभी भी वहीं शबाना के पास आईएसआई के कब्जे मे है। यह आपका मसला है तो यह आपको सोचना है कि अब इसका क्या करना है? ब्रिगेडियर शुजाल बेग कुछ पल सोचने के बाद बोला… इसको कुछ देर के लिये मेरे साथ छोड़ दो क्योंकि मुझे शौकत से कुछ बात करनी है।

अबकी बार मैने साफ शब्दों मे कहा… सर, लेकिन पहले मुझे आपसे कुछ पूछना है। उसने मेरी ओर देखा तो मैने पूछा… शौकत अजीज की असलियत क्या है? …यह जीएचक्यू रावलपिंडी मे जनरल मंसूर बाजवा का एडीसी है। …क्या वह आप्रेशन खंजर के बारे मे जानता है? …जरुर जानता होगा। …और वलीउल्लाह के बारे मे भी जानता होगा? …मुझे नहीं लगता कि वह उसके बारे मे कुछ जानता होगा। …सर, आप नीलोफर को कैसे जानते है? …उसे आईएसआई ने श्रीनगर के लिये रिक्रूट किया था। मेजर हया उसकी हैंडलर थी। उसी के जरिये मेरी नीलोफर से मुलाकात हुई थी। हया के कहने पर वह मेरी मदद करने के लिये आज यहाँ आयी थी। उस अटैची मे उसके ही पैसे थे। तुमने उसके साथ बड़ी बदतमीजी की है। वह ऐसी लड़की नहीं है जैसे कि तुम उसके बारे मे सोच रहे हो। …सर, शौकत अजीज को यहाँ से जिंदा नहीं जाने दे सकते। उसने आपके खिलाफ यहाँ पर उपस्थित सारे आईएसआई के नेटवर्क को एक्टिव कर दिया है। …मेजर मुझे उसके साथ बात करने का कुछ समय दे दो। वह यहाँ से जिंदा वापिस नहीं जाएगा।   

मैने कैप्टेन को इशारा किया तो वह शौकत अजीज को अन्दर लेकर आया लेकिन तब तक मैने अपना मास्क वापिस अपने चेहरे पर चढ़ा लिया था। शौकत अजीज के कमरे मे आते ही मैने पूछा… कर्नल साहब, यह तो आपके बारे मे कोई और ही कहानी सुना रहे है। शौकत अजीज जल्दी से बोला… यह गद्दार है। मै इसे वापिस ले जाने के लिये आया हूँ। कप्तान साहब इस आदमी को आप हमारे हवाले कर दिजिये। मैने जल्दी से कहा… एक घंटे मे आपने तीसरा झूठ बोला है। अब जो भी मै आपसे सवाल पूछूँगा उसका अगर आप सही जवाब दे देंगें तो मै आपको छोड़ दूंगा अन्यथा मै आपको ब्रिगेडियर साहब के हवाले कर दूंगा। शौकत अजीज ने जल्दी से कहा… पूछिये। …आप्रेशन खंजर क्या है? एकाएक शौकत अजीज का चेहरा विकृत हो गया था और वह शुजाल बेग पर जोर से चीखा… तूने यह बता कर अपनी मौत को खुद दावत दी है। वह मेरी ओर देख कर बोला… मै इसके बारे मे कुछ नहीं बता सकता। …कभी तुमने वलीउल्लाह का नाम सुना है? उसने एक बार हैरत से मेरी ओर देखा और फिर शुजाल बेग को घूरते हुए बोला… यह भी इसने ही आपको बताया होगा। इंस्पेक्टर साहब इन दोनो का आपसे या आपकी सरकार से कोई संबन्ध नहीं है। इसलिये मै आपको कुछ भी नहीं बता सकता। आपको जो भी करना है वह करिये। इतना बोल कर वह चुप हो गया था। मै उठ कर कैप्टेन यादव के पास चला गया था।

मैने दबी हुई आवाज मे यादव से कहा… कैप्टेन, इन दोनो की सारी बातचीत को रिकार्ड कर लेना। इतना बोल कर मैने शुजाल बेग से कहा… आप दोनो बैठ कर बात कर लिजिये। मेरा कैप्टेन दरवाजे पर खड़ा रहेगा। मैने यादव की ओर रुख करके कहा… जब तक यह दोनो अपना सिर फोड़ते है तब तक कुछ मत करना लेकिन अगर इनमे से कोई तुम्हारी ओर आने की कोशिश करे तो उसे तुरन्त गोली मार देना। शुजाल बेग ने कहा… मेरे हाथ खोल दिजिये। मैने आगे बढ़ कर उसके हाथ खोलते हुए कहा… मै बाहर हूँ। यह बोलते हुए मैने झुकते हुए अपनी पिस्तौल उसके हाथ मे धीरे से सरका दी थी। उन दोनो को आमने सामने बिठा कर मै कमरे से बाहर निकल गया। बाहर दोनो लड़कियाँ सहमी हुई खड़ी थी। मुझे बाहर निकलते देख कर नफीसा मेरी ओर बढ़ती हुई बोली… मेरे अब्बू को छोड़ दिजिये। मैने उसको अनदेखा करके नीलोफर से कहा… तुमसे पूछताछ करनी है उस बेडरुम मे चलो। पहली बार मैने उसको आतंकित श्रीनगर के डिटेन्शन सेन्टर मे देखा था परन्तु आज वह कुछ ज्यादा ही भयग्रस्त दिख रही थी। मैने जैसे ही उसकी ओर कदम बढ़ाया तो वह दो कदम पीछे हट गयी।

उसकी ओर बढ़ने के लिये मै कदम आगे बढ़ाता कि तभी नफीसा मेरे रास्ता रोक कर खड़ी हो गयी। …इसमे और मुझमे क्या फर्क है? मैने मजाक मे कहा… तुमने तो अभी कुछ देर पहले अपने आप को मेरे हवाले कर दिया है। एक पल के लिये वह असमंजस मे मेरे सामने खड़ी रही और फिर बोली… तो मेरे अब्बू को आप छोड़ देंगें। …हाँ छोड़ दूंगा। क्या सब कुछ छोड़ कर मेरे साथ रह सकोगी? वह मेरी और देख कर बोली… खुदा की कसम अगर आप मेरे अब्बू को छोड़ देंगें तो मै सारी जिंदगी आपकी गुलामी करुँगी। मैने हाथ हिला कर कहा… वह तो वक्त बताएगा। अब मेरी गुलाम की तरह चुपचाप यहाँ खड़ी रहना और मेरे काम मे दख्ल मत देना। मैने नीलोफर के करीब जाकर कहा… चल तेरे से कुछ पूछताछ करनी है। …मुझे छुआ भी तो तुम्हारा मुँह नोच लूंगी। मुझसे दूर रहो। मैने जैसे ही उसकी ओर हाथ बढ़ाया वह तेजी से मुझ पर झपटी लेकिन मै तैयार था। अपने ही झोंक बढ़ते हुए उसका बढ़ा हुआ हाथ मैने पकड़ कर मरोड़ते हुए उसकी पीठ से लगा कर उसे धकेलते हुए बेडरुम मे जबरदस्ती ले गया।

उसे बेड की ओर धक्का देकर मै दरवाजा बन्द करके उसके सामने खड़ा हो गया। उसकी आँखों मे बेबसी के आँसू झलक रहे थे। …अब कपड़े उतारोगी या मेरे सवालों का जवाब दोगी? वह बिस्तर पर पड़ी हुई असमंजस मे मुझे ताक रही थी। …मेजर हया इनायत मीरवायज कहाँ है? मेरा सवाल सुनते ही वह उठ कर बैठ गयी। मैने एक बार फिर से अपना प्रश्न दोहराया तो उसने सिर्फ इतना कहा… मुझे नहीं पता वह कहाँ है। वह जानती थी कि उसकी जान मेरे हाथ मे है लेकिन फिर भी उसका पता बताने के लिये तैयार नहीं थी। …फिर अपने कपड़े उतारना शुरु कर। वह उठ कर खड़ी हो गयी और अपना साड़ी का पल्ला गिरा कर बोली… तुम जैसे लोगो के हाथों बहुत बार लुट चुकी हूँ। एक कमीना और हो गया तो उससे क्या फर्क पड़ता है। वह अपनी साड़ी को जैसे ही खोलने लगी तभी मैने उसे रोकते हुए कहा… ठहरो। एक बात मुझे समझ मे नहीं आ रही है कि शुजाल बेग का पता बताने के लिये यह अटैची तुम्हें किसने दी थी? वह चलती हुई मेरे करीब आकर खड़ी हो गयी और अचानक उसका हाथ घूमा और सीधे मेरे गाल पर पड़ा। चेहरे पर नकाब होने के बावजूद उसके थप्पड़ से मेरा गाल झनझना गया था। मैने चौंक कर उसकी ओर देखा लेकिन तभी वह आगे बढ़ कर मुझसे लिपट कर फूट-फूट कर रोने लगी।

मुझे उसी क्षण पता चल गया कि उसके सामने मेरी असलियत खुल चुकी थी। मैने जल्दी से अपना नकाब उतारा और उसको चुप कराने मे लग गया। जब तनाव और डर का गुबार निकल गया तब वह शांत होकर बोली… तुम यहाँ क्या कर रहे हो? …मैने तुम्हें कई बार फोन किया लेकिन तुम कहाँ गायब हो गयी थी? …मत पूछो कि मुझ पर क्या गुजरी है। मेरे दोनो ट्रक तो पहले ही सेठी और अंसार रजा ने हड़प लिये थे। अपनी जान बचाने के लिये मै मुंबई चली गयी थी। दो दिन पहले हया का फोन आया कि काठमांडू मे ब्रिगेडियर शुजाल बेग से तुरन्त जाकर मिलूँ तो मै यहाँ उनकी मदद के लिये आ गयी थी। हया ने ही सुझाव दिया था कि शुजाल बेग का पता बताने के लिये फारुख पैसों का इंतजाम कर देगा। ब्रिगेडियर साहब ने मुझे अपने पुराने सेफ हाउस का पता देकर पैसों का इंतजाम करने के लिये कहा था। आज ही यह फारुख के पैसे आये थे जो उस अटैची मे पड़े हुए है।

मैने उसके गालों को सहला कर कहा… मुझे कैसे पहचाना? मेरी ओर देख कर मुस्कुरा कर बोली… हया के लिये पूछने वाला तुम्हारे सिवा इस दुनिया मे और कोई नहीं हो सकता। मैने मुस्कुरा कर कहा… भला उसमे ऐसी क्या बात है कि उसके लिये अपनी इज्जत दांव पर लगा दी? …तुम नहीं समझ सकते। …मुझे थप्पड़ क्यों मारा? मुझे अपनी बाँहों मे कस कर जकड़ कर बोली… इतने दिन तुम्हारे साथ रही लेकिन कभी तुमने मुझे छुआ नही और आज अपना मुँह छिपा कर कितनी बेशर्मी से सबके सामने तुम पेश आये थे। …तुम क्या सोचती हो कि इतने करीब होने के बाद भी क्या मेरा मन नहीं किया होगा लेकिन मैने वह सीडी देखी थी इसीलिये मै कभी आगे नहीं बढ़ सका था। हमारे बीच मे एक पाक करार हुआ था कि अब हम पार्टनर है और जब भी तुम्हें मेरी जरुरत होगी मै तुम्हारी मदद के लिये पहुँच जाउँगा। आज मै समय पर नहीं आता तो शौकत अजीज के जिहादी तुम दोनो की हत्या करके अब तक यहाँ से जा चुके होते। …समीर, तुम यहाँ क्या कर रहे हो? …शुजाल बेग को छोड़ने आया था। उसकी हत्या की खबर सुन कर रुक गया था। उसके चेहरे की लालिमा लौट आयी थी। मैने जल्दी से कहा… नीलोफर, प्लीज उस लड़की को मेरी सच्चायी पता नहीं चलनी चाहिये। मैने जल्दी से अपना चेहरा नकाब से ढका और कमरे से बाहर निकलने से पहले नीलोफर से कहा… अगर सेठी से एक ट्रक के पैसे दिलवा दूँ तो उसके बदले मे मुझे क्या दोगी। मै दरवाजा खोल कर बाहर निकल रहा था कि वह झपट कर मुझसे लिपटते हुए बोली… जान मांगोगे तो जान दे दूंगी। याद है न कि अगर मुझे डबल क्रास किया तो गोली मार दूंगी। मैने उसे अपनी बांहों मे जकड़ कर कहा… अपना अकाउन्ट नम्बर दे दो। मै सेठी और अंसार से एक ट्रक के पैसे दिलवा दूंगा। यह बोल कर मै कमरे से बाहर निकल आया था। मेरे पीछे नीलोफर भी बाहर निकली और चुपचाप नफीसा के पास जाकर खड़ी हो गयी थी। नफीसा उसमे आये हुए बदलाव को हैरानी से देख रही थी। मैने नफीसा से कहा… देख लिया कि कैसे रोते हुए गयी थी और अब खुशी-खुशी वापिस आ गयी है। नीलोफर ने मुझे आँखें दिखायी तो मै मुड़ कर शुजाल बेग के कमरे के बाहर जाकर खड़ा हो गया था।

मैने अपनी कलाई पर बंधी हुई घड़ी देखी तो अब तक बीस मिनट हो गये थे। मैने अपना फोन निकाल कर कान से लगाया तो मेरे कान मे शौकत अजीज की आवाज सुनाई दे रही थी।

…उसकी लाश मैने पाकिस्तान भिजवा दी है। …तूने नूर मोहम्मद को सिर्फ इसीलिये मरवा दिया था। यह भी नहीं सोचा कि वह भी हमारी फौज का हिस्सा था। …बेग साहब, मुझे जैसा हुक्म मिला मैने वैसे ही किया था। …जैसे तू आज मेरी हत्या करने के लिये भाड़े के जिहादी लेकर आया था। …बेग साहब, यह मत भूलिये कि आप फरार है और आपको मुर्दा पाकिस्तान पहुँचाने का निर्देश मिला है। आपकी तो मौत निश्चित है। भले वह अटैची देकर तुम यहाँ से बच कर निकल जाओगे लेकिन बाहर कितने दिन जिन्दा रह सकोगे। एक बेटी जेनब तो अभी भी हमारे कब्जे मे है। अगर सरेंडर कर दोगे तो वादा करता हूँ कि आपको मै अपने साथ पाकिस्तान ले जाउँगा। तुम्हारी दूसरी बेटी को तो अब यह नेपाली अपने साथ ले जायेगा। वह कुछ और बोलता कि तभी पिस्तौल के फायर की आवाज गूंज गयी थी।

मै समझ गया कि शुजाल बेग ने शौकत अजीज को ठिकाने लगा दिया। दोनो लड़कियों ने भी फायर की आवाज सुन ली थी। दोनो ही तेजी से उस कमरे की ओर झपटी लेकिन मैने दोनो को रोकते हुए कहा… ब्रिगेडियर साहब ठीक है। नफीसा का जिस्म काँप रहा था। वह मुझे देख रही थी कि तभी दरवाजा खुला और पहले कैप्टेन यादव बाहर निकला और फिर उसके पीछे शुजाल बेग भी बाहर आ गया था। ग्लाक को मेरी ओर बढ़ाते हुए कहा… मेजर, अपनी अमानत संभालो। नफीसा मेरी पकड़ से छूट कर शुजाल बेग से लिपट कर रोने लगी और वह उसे चुप कराने मे लग गया था। …ब्रिगेडियर साहब, अब हमे यहाँ से निकलना चाहिये। यह फ्लैट किसका है? …मौलाना कादरी का है। …क्या आपके पास कोई और ठिकाना है? …हाँ। …आपको जल्दी से जल्दी यहाँ से निकल जाना चाहिये। एक बात याद रखियेगा कि शौकत अजीज जाएगा तो कोई और आ जाएगा। जितनी जल्दी हो सके यहाँ से निकल जाईये। लेफ्टीनेन्ट वह अटैची इन्हें वापिस कर दो। शुजाल बेग ने गरदन हिलाते हुए कहा… मै कल यहाँ से निकल जाऊँगा। एक बात और आप्रेशन खंजर अभी भी…मैने बीच मे टोकते हुए कहा… आपका पाकिस्तान पहुँचना जरुरी है। उसकी चिन्ता आप मुझ पर छोड़ दिजिये।

मैने कैप्टेन यादव से कहा… अपने आदमियों को सारे निशान मिटाने के काम पर लगा दो। फौरन चार सैनिक काम पर लग गये थे। नीलोफर और शुजाल बेग अपनी जरुरत का सामान बांध कर जब तक चलने को तैयार हुए तब तक सारे कमरे सेनेटाईज हो चुके थे। हम लोग रात के अंधरे मे उस हाउसिंग सोसाईटी से बाहर निकल आये थे। बाहर निकलते हुए शुजाल बेग ने मुझे एक किनारे मे ले जाकर दबी आवाज मे कहा… मेजर, मुझे पता नहीं मेरा क्या होगा। मुझ पर एक और एहसान कर दो। किसी तरह इन दोनो लड़कियों को अमरीका भेजने का इंतजाम कर देना। यह जगह इनके लिये अब खतरनाक हो गयी है। …सर, आप बेफिक्र हो कर जाईये। जेनब के वहाँ से निकलते ही दोनो को अमरीका भेज दूँगा। इस वक्त आपको कहाँ जाना है? …हमे एयरपोर्ट के पास छोड़ दो। वहाँ पर मेरा ठहरने का इंतजाम है। …सर, आप दोनो मेरे साथ चलिये। आपको जहाँ जाना है वहाँ मै छोड़ दूँगा। …नहीं मेजर, अब यहाँ से आगे मुझे अकेला जाना है। इतना बोल कर वह नीलोफर के पास बात करने के लिये चला गया था।    

मै कैप्टेन यादव के पास चला गया था। …कैप्टेन, वह हमारे साथ नहीं जाएगा। चार आदमियों की टीम को इसके पीछे लगा दो। उनको अपनी पिक-अप दे दो। जब तक यह कल एयरपोर्ट सही सलामत न पहुँच जाए तब तक वह टीम उसके पीछे रहेगी। इसे सुरक्षित यहाँ से निकालने की जिम्मेदारी हमारी है। …जी सर। कैप्टेन यादव अपने आदमियों को निर्देश देने के लिये चला गया था। मै सोच रहा था कि नीलोफर और नफीसा को कहाँ ठहराया जाये? तभी मेरी नजर शुजाल बेग पर पड़ी जो नीलोफर से किसी बहस मे उलझा हुआ था। वह दोनो अपना सामान उठाये पार्किंग के पास एक पुराने से आटो की ओर चले गये थे। शुजाल बेग को आटो की ड्राईविंग सीट पर बैठते हुए नफीसा दूर से खड़ी देख रही थी। कैप्टेन यादव मेरे पास आकर बोला… सर, मेरे आदमी तैयार है। उधर सारा सामान आटो के पीछे रख कर नीलोफर सीट के एक किनारे मे बैठ गयी थी। एक बार शुजाल बेग ने हमारी ओर देखा और फिर अगले ही क्षण उसका आटो आगे बढ़ गया था। उनके जाने के कुछ मिनट के अंतराल के बाद हमारी पिक-अप उनके पीछे चली गयी थी।

कैप्टेन यादव के बचे हुए साथी जल्दी से कंटेनर ट्रक मे बैठने लगे तो मैने यादव से कहा… आप लोग निकलो। कुछ ही देर मे वहाँ पर मै और नफीसा खड़े रह गये थे। …तुम अपने अब्बू के साथ नहीं गयी? …नहीं। आपने अब्बू को छोड़ दिया है तो अब मै आपकी गुलाम हूँ। …मै शादी शुदा हूँ। मेरी रखैल बन कर रहना पड़ेगा। …आपकी गुलाम हूँ। आप जो भी कहेंगें वही करुँगी। उसकी बात सुन कर मेरे दिमाग मे खतरे की घंटी बज रही थी। जब तक जेनब उनके चंगुल से आजाद नहीं होती तब तक मै नफीसा को अपने घर या गोदाम पर नहीं रख सकता था। रात को तीन बजे इसको लेकर कहाँ जाऊँ? यही सोचते हुए मै अपनी गाड़ी मे बैठ गया और उसके बैठते ही वहाँ से हम निकल गय थे। कुछ देर सड़क नापने के बाद मुझे एक इंसान का ख्याल आया जो एक दो दिन के लिये उसे अपने साथ रख सकता था। मैने अपनी गाड़ी सड़क के किनारे खड़ी की और बाहर निकल कर उसका फोन मिलाया। काफी देर तक घंटी बजने के बाद उसकी आवाज मेरे कान मे पड़ी तो मैने तुरन्त कहा… मै समीर बोल रहा हूँ। …आप आज शाम को आये नहीं। मै आपका इंतजार कर रही थी। …क्या तुम मेरी मदद कर सकती हो। एक लड़की को सिर्फ दो दिन के लिये तुम्हारे पास छोड़ना चाहता हूँ। क्या तुम उसे अपने साथ रख सकती हो? …हाँ क्यों नहीं। आप ले आईये। …मै उसे अभी ला रहा हूँ। यह बोल कर मैने फोन काट दिया था।

मै गाड़ी मे बैठा और सरिता की हाउसिंग सोसाईटी की ओर चल दिया था। मै अपनी गाड़ी वहीं बाहर पार्किंग मे खड़ी की और सरिता के फ्लैट की ओर चल दिया। सुबह के चार बज रहे थे इसलिये अभी कोई भी बाहर नहीं था। नफीसा मेरे साथ चलते हुए बोली… आप यहाँ रहते है। …हाँ। अब सरकारी नौकरी मे इससे बेहतर रहने के लिये कौन सी जगह मिलेगी। …तो आपने वह अटैची क्यों वापिस कर दी? मैने उसको अनसुना करके सरिता के फ्लैट की ओर रुख किया। मेरे चेहरे पर अभी भी स्पेशल फोर्सेज का नकाब पड़ा हुआ था। उसके फ्लैट के पास पहुँच कर मैने उसे एक किनारे मे खड़े होने के लिये कहा… पहले अपनी बीवी को समझाना पड़ेगा। अपना मुँह फेर कर खड़ी हो जाओ। वह मेरी ओर पीठ करके खड़ी हो गयी थी। मैने अपना नकाब हटा कर जैसे ही घंटी बजायी तो सरिता ने दरवाजा खोल दिया था। मै उसको अन्दर धकेल कर कर जल्दी से अपना नकाब चढ़ा कर बोला… जिस आदमी को बचाने के लिये वह पता लिया था। यह उसकी बेटी है। इसकी जान खतरे मे है तो इसे दो दिन अपने पास रख लो। वह कुछ नहीं बोली और बाहर निकल कर वह नफीसा को अपने साथ अंदर लेकर आ गयी थी। …यह मेरी बीवी है। तुम्हे अबसे इसके साथ रहना है। अच्छा मेरी ड्युटी का टाईम है। मुझे वापिस हेडक्वार्टर्स पहुँचना है। तभी सरिता ने कहा… आपके पते निकाल लिये है। वह पते लेने अन्दर चली गयी तो नफीसा ने मेरी ओर देखते हुए कहा… आपकी और कितनी बीवीयाँ है? …एक ही है। तभी सरिता दो कागज मेरी ओर बढ़ाते हुए बोली… सभी के पते है। इसमे सात ऐसे नम्बर थे जो हमारी कंपनी के नहीं थे। मैने अपनी सहेली से पूछ कर उनके पते भी लिख दिये है। मैने जल्दी से वह कागज अपनी जेब मे रखे और अल्विदा कह कर बाहर निकल गया था।

नीचे उतरते ही मैने सबसे पहले अपना मास्क हटाया क्योंकि अब उसमे मेरा दम घुटने लगा था। इतनी देर के बद सर्द हवा का थपेड़ा अपने चेहरे पर महसूस करके आत्मिक शांति का अनुभव हुआ था। मैने अपनी गाड़ी अपने घर की ओर मोड़ दी थी। घर के बाहर सड़क के किनारे अपनी गाड़ी खड़ी करके पिछली सीट पर जाकर लेट गया। इस समय तबस्सुम को उठाने का मन नहीं कर रहा था। सीट पर लेटते ही नींद का तेज झोंका आया और फिर मुझे तबस्सुम ने सुबह उठाया था। …आप यहाँ सो गये। अपनी आँख मलते हुए मैने घड़ी पर नजर डाली तो सुबह के दस बज रहे थे। अपनी गाड़ी से उतरते हुए मैने कहा… रात को लौटने मे देर हो गयी थी। उपर आता तो तुम्हारी नींद मे खलल पड़ता इसलिये यहीं कार मे सो गया था। तुम्हें एक बात सुन कर खुशी होगी कि ब्रिगेडियर साहब सही सलामत है। मै उनसे मिल कर आया हूँ। …मुझे पता है कि पिछले दो दिन से आप उनको ही ढूंढने मे लगे हुए है।

सब काम से फारिग होकर मै गोदाम जाने के लिये नीचे उतरा कि तभी दिमाग मे एक ख्याल आया तो वापिस तबस्सुम के पास चला गया था। कुछ दिनों से तबस्सुम आफिस मे नहीं बैठ रही थी। उसकी जगह आरफा सारा काम देख रही थी। जब पैसो का बिल या कोई डिस्पैच की इन्वोइस का हिसाब करना होता था तब वह खुद उपर जाकर उससे बात कर लेती थी। …तबस्सुम, इस वक्त ब्रिगेडियर की बेटी जेनब शबाना के घर पर नजरबन्द है। आईएसआई के लोग नूर मोहम्मद के घर पर तैनात है।  इन हालात मे जेनब को वहाँ से निकालने मे मुझे तुम्हारी मदद चाहिये। शबाना से फोन पर पूछ कर देखो कि वहाँ पर आईएसआई का कौनसा आदमी इस वक्त उपस्थित है। एक दो गार्डस के नाम पता करने की कोशिश करो। तबस्सुम ने अपना फोन निकाल कर शबाना का नम्बर मिलाया और कुछ देर बात करने के बाद फोन काट कर बोली… लेफ्टीनेन्ट अब्दुल बासित चौधरी और उसके साथ चार सिपाही है। …उन सिपाहियों के नाम क्या है? …इमरान, फिरोज़, पठान और जमाल। उससे यह जानकारी लेने के बाद मै अपने गोदाम की ओर चल दिया था।

गोदाम पहुँच कर मैने कैप्टेन यादव से शौकत अजीज का फोन मांग लिया था। सावरकर ने कल रात को नीलोफर, शुजाल बेग और शौकत अजीज के फोन जब्त किये थे। तीनो फोन मेरे आगे रख कर यादव ने कहा… सर, अभी भी हमारी टीम उस पर निगरानी रख रही है। वह दोनो अभी उस जगह से बाहर नहीं निकले है। …कुशाल सिंह से पूछो कि क्या कोई पाकिस्तानी दूतावास की कार की कोई खबर है? मैने सभी फोन चेक किये और शौकत अजीज के फोन मे पड़ी हुई कोन्टेक्ट लिस्ट को खोल कर बैठ गया था। हर एक नम्बर को चेक करते हुए मै अब्दुल बासित चौधरी का नम्बर तलाश रहा था। जल्दी ही अब्दुल नाम के तीन नम्बर मिल गये थे। मैने लिस्ट देखना बन्द नहीं किया था। एक नम्बर लेफ्टीनेन्ट चौधरी के नाम से भी था। कैप्टेन यादव ने आकर बताया कि अभी तक पाकिस्तानी दूतावास की कार की कोई खबर नहीं है। …कैप्टेन, मेरी गाड़ी लेकर तुम नूर मोहम्मद के मकान पर पहुँच कर तुरन्त मुझे खबर करो। कैप्टेन यादव के जाने के बाद जमीर के साथ पाँच सैनिकों को कंटेनर ट्रक मे लेकर मै बालाजु से आगे नागार्जुन फारेस्ट रिजर्व एरिया की ओर चल दिया। कुछ देर के बाद कैप्टेन यादव का फोन आया… सर मै यहाँ पहुँच गया हूँ। …कप्टेन अब मै एक फोन कर रहा हूँ। वहाँ पर होने वाली हलचल पर निगाह रखना। जैसे ही कोई गाड़ी घर से बाहर निकले तो देखना कि क्या कोई लड़की उसमे बैठी है? अगर बैठी हुई है तो उसका पीछा करना। कैप्टेन यादव को सारी बात समझा कर अब लेफ्टीनेन्ट चौधरी से बात करने की बारी थी।  

एक बार फिर से सारी कोन्टेक्ट लिस्ट देखने के बाद मैने शौकत अजीज के फोन से लेफ्टीनेन्ट चौधरी के नम्बर पर काल मिलाया। एक घंटी के बाद ही कड़क सी आवाज मेरे कान मे पड़ी… जनाब। …बेग की लड़की के क्या हाल है? …जनाब, वह यहीं पर हमारे सामने है। यहाँ पर सब ठीक है। …लेफ्टीनेन्ट ध्यान से सुनो। जेनब को अपने साथ लेकर नागार्जुन फारेस्ट रिजर्व एरिया मे पहुँचो। सिर्फ इमरान और फिरोज को अपने साथ रखना और बेवा की निगरानी पर पठान और जमाल को लगा कर आना। …जी जनाब। यह बोल कर मैने फोन काट दिया था। कुछ देर के बाद ही कैप्टेन यादव का फोन आ गया… सर अभी एक सफेद टोयोटा कार मे एक लड़की को लेकर तीन लोग निकले है। मै उनका पीछा कर रहा हूँ। …गुड। बस ख्याल रखना कि वह नजरों से ओझल न होने पाये। …जी सर। मैने फोन काट दिया था।

हम त्रीशूली हाईवे पर चलते हुए इन्टर्सेप्शन के लिये सुरक्षित जगह की तलाश कर रहे थे। नागार्जुन रिजर्व फारेस्ट एरिया आरंभ होते ही एक ओर घने जंगलों का सिलसिला आरंभ हो गया था। जैसे ही हाईवे पर पहली निकासी जंगल की ओर हुई हम हाईवे छोड़ कर जंगल की सड़क पर आ गये थे। सुनसान रास्ता था इक्का दुक्का गाड़ी निकल रही थी। एक अन्धा मोड़ देख कर मैने कंटेनर ट्रक को सड़क के किनारे खड़ा कर दिया था। …आप लोग अपनी कोम्बेट युनीफार्म पहन लिजिये। इतना बोल कर मैने एक बार फिर लेफ्टीनेन्ट को फोन लगाया…  कहाँ पहुँचे? …सर, सिनेमा घर के सामने से निकल रहे है। …हाईवे की पहली निकासी लेकर जंगल की सड़क पर आकर फिर सीधे चलते रहना। आगे जाकर एक अस्थायी चेक पोस्ट पड़ेगी उससे बस एक मील आगे एक रेस्टोबार मिलेगी। मै वहीं तुम्हारा इंतजार कर रहा हूँ। …जी जनाब। जब तक मैने अपनी बात समाप्त की तब तक पाँचो अपनी काली डंगरी पहन चुके थे। कन्धे पर आटोमेटिक एके-203 लटक रही थी। मैने कैप्टेन यादव का नम्बर मिलाया… सर। …कहाँ पहुँचे? …सर वह हाईवे छोड़ कर जंगल की सड़क पर आ गये है। …ठीक है। मैने फोन काट दिया था।

मैने जल्दी से कंटेनर ट्रक को सड़क पर आढ़ा खड़ा करवाया जिससे आसानी या तेज गति से कोई गाड़ी आगे न निकल सके। दो आदमी कंटेनर के दरवाजे पर अपनी एके-203 लेकर खड़े हो गये थे। मेर साथ दो साथी सड़क पर खड़े हो गये थे। मेरा एक साथी सड़क के दूसरी और खड़ा हो गया था। जैसे ही दूर से सफेद टोयोटा आती हुई दिखी मै जोर से चिल्लाया… सावधान। हमारी ओर आती हुई कार को मै हाथ से रुकने का इशारा करने लगा। सफेद टोयोटा हमारे पास आकर रुक गयी थी। एक आदमी ने खिड़की खोल कर गर्दन बाहर निकाल कर पूछा… जनाब क्या बात है। …नारकोटिक्स विभाग की चेकिंग चल रही है। आप सब लोग नीचे उतर कर किनारे मे खड़े हो जाईये। उन्होंने एक दूसरे को देखा और फिर बोले… लड़की कि तबियत ठीक नहीं है। इसे जल्दी अस्पताल पहुँचाना है।  …जनाब, इस ओर कोई अस्पताल नहीं है। आपको वापिस जाना पड़ेगा लेकिन तब तक उनके पीछे हरे रंग की इसुजु आकर खड़ी हो गयी थी। मैने कहा… आगे जाकर राईट पर सड़क मिलेगी जो आपको वापिस हाईवे पर छोड़ देगी। आप लोग पहले कार से बाहर आईये। पीछे जाने का रास्ता बन्द हो चुका था। आगे एके-203 लिये पाँच आदमी खड़े देख कर तीनों चुपचाप कार से बाहर आ गये थे। मैने कार के अन्दर झांक कर देखा तो जेनब ए किसी नशे मे आँख मूंद कर एक मुर्झाई हुई गुड़िया की भाँति खिड़की के शीशे पर सिर टिकाये बैठी हुई थी। …इसे उतारो। …जनाब यह बीमार है। …पाँच मिनट मे कुछ नहीं होता। इसे कार से बाहर निकालो। दो आदमी उसकी ओर बढ़े और उसे उठा कर बाहर निकाल कर खड़े हो गये थे। तीनो विवश होकर मेरी ओर देख रहे थे। मैने कार के अन्दर इधर उधर देखा और फिर डिक्की खोल कर देख कर बोला… सब ठीक है। आप जा सकते है। उनके चेहरे पर आयी हुई तनाव की लकीरें एक पल मे गायब हो गयी थी। मेरे साथी मुझे हैरत से देख रहे थे।

4 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही जबरदस्त अंक और सुजाल बैग के साथ निलोफर भी हया के बारे में बोल नही रहे चाहे उनकी जान न चली जाए तो ऐसा क्या है उसमें की सब अपने जान देकर भी उसको गुप्त रखने लगे हैं, और तो और भारतीय के गुप्तचर के हाथ लग रहे सभी भी पाकिस्तानी अधिकारियों को भी अपने रास्ते हटाने से पीछे नहीं हट रहे। अब नफीसा और जैनब का क्या होगा यह देखना मजेदार होगा।

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    1. अल्फा भाई शु्क्रिया। आप्रेशन खंजर का संचालन केन्द्र काठमांडू होने के कारण अब बहुत सारा खून खराबा वहाँ होना तो निश्चित है। शुजाल बेग के हटते ही आईएसआई नेटवर्क के संचालन पर आघात हुआ है। हर किरदार की कड़ी जुड़ने का समय नजदीक आता जा रहा है।

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  2. लगता है हया नाम की पहेली जल्दी नही सुल्झेगी, क्या नफिसा एक और तबस्सुम बननेकी राह पे चल पडी है, समिर को जल्दसे जल्द इससे छुटकारा लेना पडेगा, देखते है शुजाल बेग और निलोफर पाक कब तक लौटते है. निलोफर का तो पता नही, पर शुजाल बेग के लीये आगेका रास्ता और कठीण हो गया. देखते है आगे कहाणी किस ओर करवट लेती है.

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    1. प्रशांत भाई क्या नफीसा के तब्बसुम बनने की कोई उम्मीद है। मुझे ऐसा नहीं लगता लेकिन इंसानी जज्बात किसी बंदिश के गुलाम नहीं होते है। शुजाल बेग आप्रेशन खंजर का संचालक था और उसके हटते ही पूरा आईएसआई का काठमांडू नेटवर्क खतरे मे आ गया है। किरादारों की कड़ियाँ अब धीरे-धीरे जुड़ने लगेंगी। धन्यवाद भाई।

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