रविवार, 22 अक्टूबर 2023

  

गहरी चाल-31

 

त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट, काठमांडू

…साहबजी, पूरी पार्किंग मे बदबू चारों ओर फैली हुई है। मै तो बदबू की जाँच करने के लिये एक कार के पास पहुँचा था। काले शीशे होने के कारण खिड़की से तो कुछ नहीं दिखा लेकिन सामने वाले से शीशे पर टार्च मार कर अन्दर देखा तो किसी की औंधे मुँह लाश पड़ी हुई है। घबराया हुआ पार्किंग अटेन्डेन्ट एयरपोर्ट सिक्युरिटी पर तैनात नेपाल सुरक्षा बल के सैनिकों के सामने अपना दुखड़ा सुना रहा था। लाश की बात सुनते ही सुरक्षा बल के हवलदार ने मुख्य कंट्रोल पर अपने वाकी-टाकी से इस मामले की खबर देकर कहा… यहीं ठहर, अभी बड़े साहब आ रहे है। दस मिनट के बाद एक कप्तान साहब अपने साथ दो सैनिकों को लेकर मुख्य द्वार पर पहुँच गये थे। रात की आखिरी फ्लाईट निकलने की तैयारी चल रही थी। सभी एयरपोर्ट के कर्मचारी जल्दी से उस फ्लाईट के निकलने के बाद घर लौटने की आस लगा कर बैठे हुए थे। यात्रियों की बोर्डिंग चालू हो गयी थी। कप्तान साहब ने पार्किंग अटेन्डेन्ट की कहानी एक बार फिर सुनी और उसके साथ शेड की ओर चल दिये थे।

बदबू के कारण पार्किंग शेड मे खड़ा होना मुश्किल हो रहा था। कप्तान साहब और उनके साथ चलते हुए सैनिकों ने नाक पर रुमाल बांध लिया और पार्किंग के आखिरी छोर पर उस कार का निरीक्षण करने के लिये चल दिये थे। चलते-चलते उन्होंने वाकी-टाकी पर स्थानीय पुलिस को भी खबर देने के लिये कह दिया था। उस कार पर पहुँच कर उसकी नम्बर प्लेट देखते ही कप्तान बोला… यह दूतावास की गाड़ी है। शीशे पर टार्च मार कर अन्दर पड़ी हुई लाश को देखते ही कप्तान ने अपने वाकी-टाकी से कंट्रोल टावर से बात करके फ्लाईट रोकने का निर्देश दिया और फिर अपने सैनिक को कार के दरवाजे का एक शीशा तोड़ने का इशारा किया। सैनिक ने इशारा देखते ही अपनी गन के बट से शीशे पर पूरी ताकत से प्रहार किया जिसके कारण दरवाजे का शीशा खील-खील हो कर हवा मे बिखर गया था। कप्तान ने हाथ मे रुमाल लपेट कर जैसे ही दरवाजे का लाक खोला तो बदबू के भभके के बजाय अन्दर का दृश्य देख कर दो कदम पीछे हट गया था पाँच लाशें आगे और पिछली सीट पर एक दूसरे पर गडमड हुई पड़ी थी।

स्थानीय पुलिस भी पहुँच गयी थी। आखिरी उड़ान भी रद्द कर दी गयी थी। दूतावास की कार होने के कारण वरिष्ठ पुलिस अधिकारी भी पार्किंग स्थल पर पहुँच गये थे। कुछ दिन पहले ही गोदाम मे विस्फोट होने के कारण आतंकवादी सज्जाद अफगानी की लाश अखबार की सुर्खियों मे छा गयी थी। अभी मामला थमा भी नहीं था कि पाकिस्तान दूतावास मे कार्यरत ब्रिगेडियर शुजाल बेग की लाश शाही मस्जिद मे संदिग्ध हालत मे मिली थी। अब पाकिस्तान दूतावास की गाड़ी मे पाँच लाशों का मिलना नेपाल सुरक्षा एजेन्सियों के लिये एक चुनौती बन गया था। अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट का मामला था तो सुबह तक वह खबर अंतरराष्ट्रीय खबर बन गयी थी। नेपाल सरकार और पाकिस्तान सरकार मे बहस छिड़ गयी थी।    

मै सुबह जब उठा तब तक आधी दुनिया को पता लग चुका था कि कल रात को त्रिभुवन एयरपोर्ट पर पाकिस्तान दूतावास की कार मे पाँच लाशें बरामद हुई थी। तबस्सुम टीवी पर समाचार देख रही थी। टीवी पर विशलेषकों मे चर्चा का विषय आतंकवाद और हाईजेक की असफल कोशिश के बीच झूल रहा था। पाकिस्तान दूतावास ने मरने वाले पाँचों लोगों की पहचान करने से इंकार कर दिया था। उनका कहना था कि उनमे से कोई भी दूतावास का कर्मचारी नहीं था। पाकिस्तान का राजदूत दो सरकारों के बीच मे झूल रहा था। यह तीसरी घटना थी जिसमे पाकिस्तानी दूतावास का सीधा संबन्ध निकला था। सारी सुरक्षा एजेन्सियाँ अलर्ट मोड मे आ गयी थी। सारी घटना की जानकारी लेकर मै तैयार होने के लिये चला गया। जब तक तैयार होकर बाहर निकला तब तक पाकिस्तान सरकार का औपचारिक वक्तव्य आ गया था। पाकिस्तान नागरिकों और उनके दूतावास की सुरक्षा की जिम्मेदारी नेपाल सरकार की है। पाकिस्तान सरकार इस मामले मे नेपाल की सुरक्षा एजेन्सियों का पूरा सहयोग देने के लिये वचनबद्ध है। साथ ही उन्होने नेपाल सरकार से अपील की है कि वह इस मामले की तह तक जाकर दोषियों को सजा दें।

नाश्ता करके मै उपर हाल मे चला गया था। अजीत सर से बात करके मैने सारी बात उनके सामने रखते हुए कहा… चारों आईएसआई के लोग थे। उनकी जेब से निकाले हुए चारों के परिचय पत्र मेरे पास है। सर, अभी शौकत अजीज की लाश बरामद नहीं हुई है। मै सोच रहा हूँ कि आज दोपहर तक उसकी लाश बरामद हो गयी तो यहाँ तहलका मच जाएगा। रात को अगर यार्ड और मस्जिद मे धमाके हो गये तो इनके सारे मंसूबों पर पानी फिर जाएगा। …अभी परिचय पत्र दबा कर रखो। सही वक्त पर नेपाल सरकार को सौपेंगें। मै नेपाल सेना के सेनाध्यक्ष जनरल बिरेन्द्र सिंह दोएबा से शौकत अजीज की लाश मिलने के बाद बात करुँगा और बता दूंगा कि भारत के खिलाफ आप्रेशन खंजर उनकी धरती से कार्यान्वित हो रहा था। मै उनको दोनो स्थानों की खुफिया जानकारी भी दे दूंगा जिससे विस्फोट होने के बाद नेपाल सेना विस्फोट सबन्धित सारी जांच अपने हाथों मे लेकर खुद करे। …थैंक्स सर।

…तुम्हारी आरफा से बात हुई? …जी सर। उसने बताया था कि वह सिर्फ एक ही प्रशिक्षण केन्द्र पर गयी थी। उसका कहना है कि अगर आप शाकिर से पूछताछ करेंगें तो वह यह बता देगा कि बंगाल की खाड़ी के प्रशिक्षण केन्द्र पर किस दलाल के द्वारा लड़कियाँ पहुँचाया करता था। अगर उस दलाल का नाम पता लग गया तो आरफा का कहना है वह मेरी मुलाकात उस आदमी से जरुर करवा देगी। …शाकिर वही दलाल है जो हैदराबाद और मुंबई मे लड़कियाँ भेजता था। …यस सर। …शाम तक वह सारे दलालों का नाम व पता बता देगा। रात को फोन पर पूछ लेना। …यस सर। इतनी बात करके फोन कट गया था। फोन रखने के बाद मै सोच रहा था कि कैसे शौकत अजीज की लाश तक पुलिस को पहुँचाया जाये कि तभी मेरे फोन की घंटी बज उठी थी। …हैलो। …मेजर। आवाज कान मे पड़ते ही मै पहचान गया था। …बोलिये सर। …मैने जो डोजियर पाकिस्तान मे जनरल शरीफ के साथ सारे कोर कमांडरों को भेजा है उसकी एक कापी तुम्हें भी भेज रहा हूँ। …किस पते पर भेज रहे है। …गोल्डन इम्पेक्स के पते पर भेज रहा हूँ। …सर, आप जानते थे। …नहीं, नफीसा ने चलते हुए बताया था कि वह वहाँ पर होगी तो मै समझ गया था।  …सर, उस दिन आप हम सभी को चकमा देकर निकल गये थे। …मेजर कुछ चीजें इंसान को खुद करनी पड़ती है। …सर, एक बात जानना चाहता हूँ। आपके अनुसार हथियारों का जखीरा और पैसे कहाँ रखे हुए है? वह कुछ पल चुप रहा और फिर बोला… अब पैसे वहाँ नहीं है। हथियार शाही मस्जिद के तहखाने मे है। लेकिन समीर, उन पैसों का जिक्र कभी भी किसी से नहीं करना। …सर, आप बेफिक्र रहिये। आप क्या पुलिस को एक बेनामी काल करके मौलाना कादरी के फ्लैट पर लाश होने की खबर दे सकते है। …मै पुलिस कंट्रोल पर खबर दे दूंगा। …थैंक्स। बस इतनी बात हुई थी। मैने अपना काल रिकार्ड देखा तो उसकी जगह कोई नम्बर नहीं था। मै समझ गया कि सेट फोन के द्वारा शुजाल बेग ने बात की थी। खैर मेरा काम तो हो गया था।

दोपहर होते ही पाकिस्तान दूतावास मे दूसरा विस्फोट हो गया था। पुलिस ने एजाज कंस्ट्रक्शन की साईट से एक नवनिर्मित फ्लैट से कर्नल शौकत अजीज की सड़ी हुई लाश बरामद कर ली थी। चारो ओर हंगामा मच गया था। लोकल मिडिया पुलिस की ढिलायी और बढ़ती हुई आतंकी घटनाओं पर सरकार और पुलिस को आढ़े हाथ ले रही थी। सुरक्षा एजेन्सियाँ पहले हाईजेक की असफल कोशिश पर जाँच कर रही थी और अब शौकत अजीज की लाश मिलने के बाद नये सिरे से जाँच का दायरा बढ़ा कर काठमांडू मे आतंकवादी घटनाओं के साथ जोड़ दिया था। पुलिस, सीआईडी, सेना और इन्टेलीजेन्स के लोग सड़क नाप रहे थे। खबरियों की धर पकड़ चल रही थी परन्तु कुछ भी पुख्ता लीड नहीं होने के कारण जाँच किसी नतीजे पर नहीं पहुँच रही थी। पहली बार नेपाल सरकार ने अन्तरराष्ट्रीय आतंकवाद की घटना का सामना किया था। नेपाली सुरक्षा तंत्र को तो जैसे लकवा मार गया था।

जब तक गोदाम पहुँचा तब तक जमीर अपने साथ सेम्टेक्स से भरा हुआ बैग लेकर शाही मस्जिद की ओर निकल गया था। इतने सुरक्षा इंतजाम के बावजूद सिर्फ जालीदार टोपी के कारण जमीर सारे विस्फोट के सामान को लेकर मस्जिद की दिशा मे निकल गया तथ। कैप्टेन यादव की कमांड मे दस सैनिक रात को यार्ड मे तबाही का इंतजाम करने की तैयारी मे लगे हुए थे। मगरिब की नमाज के समय से पहले ही मै भी शाही मस्जिद पहुँच गया था। मेरी आँखें जमीर की तलाश कर रही थी। मगरिब की नमाज के समय कुछ ही लोग आये थे। मै भी नमाज के लिये हाल मे चला गया था। नमाज अदा करके जैसे ही मै हाल से बाहर निकला तो मेरी नजर जमीर पर पड़ गयी थी जो द्वार की ओर जा रहा था। मै तेज कदमों से चलते हुए उसके पास पहुँच कर बोला… सलाम-आलेकुम भाईजान। जमीर एक पल के लिये अचकचा कर रुक गया और फिर हालात समझ कर जल्दी से पुराने मित्रों की तरह गले मिले और फिर इधर-उधर की बात करते हुए मस्जिद से बाहर निकल आये थे।

…जमीर, क्या स्थिति है? …पाँच जगह टाइमर के साथ लगा दिया है। रात को जब सब शांत हो जाएगा तब पाँच भारी विस्फोट होंगें। …डिटेक्शन की कोई संभावना है? …सर, एक्स्प्लोसिव्स को सेट करना एक कला है। सामने देखने के बाद भी किसी को पता नहीं चल सकता कि वह क्या है। …क्या कोई तुम तक पहुँच सकता है? …सर, किसी को पता ही नहीं चलेगा कि वहाँ क्या हुआ है। बैग तो सुरक्षा एजेन्सियों के लिये छोड़ा है कि जिससे वह उसका संबन्ध सज्जाद अफगानी से लगा ले। विस्फोट के बाद जब फारेन्सिक वाले जाँच करेंगें तो उन्हें विस्फोट का पाकिस्तानी संबन्ध पता चल जाएगा। …आओ चले। …आप यहाँ कैसे आ गये थे। …खुदा से इस काम के लिये माफी मांगनी थी तो मगरिब की नमाज पढ़ने के लिये आया था। अंधेरा गहरा हो गया था तो हम दोनो मेरी गाड़ी मे सवार हुए और यार्ड की ओर निकल गये थे।

यार्ड से कुछ दूर पर अपनी गाड़ी खड़ी करके पहले हम दोनो ने पूरे यार्ड के कंटीले तारों के साथ चलते हुए अन्दर का जायजा लिया और फिर एक्स्प्लोसिव्स के लिये कुछ उपयुक्त स्थान की निशान देही करके अपनी टीम का इंतजार करने बैठ गये थे। दस बजे कैप्टेन यादव कंटेनर ट्रक लेकर यार्ड की मुख्य सड़क पर पहुँच कर सड़क के किनारे खड़े कर दिया था। दो आदमी जैक लगाने मे व्यस्त हो गये थे। बाकी साथियों को अपने साथ लेकर कैप्टेन यादव यार्ड के पास पहुँच गया था। हम दोनो भी उसकी दिशा मे चल दिये थे। हम दोनो को आया देख कर वह कर बोला… सर, आप यहाँ कैसे आ गये? …एक्स्प्लोसिव्स एक्स्पर्ट का तुम्हारे साथ होना जरुरी है। वैसे भी मै देखना चाहता था कि मेरी अनुपस्थिति मे तुम पूरे मिशन का संचालन कैसे करोगे। वह मुस्कुरा कर बोला… सर, यह काम तो आसाम मे हमारा रोज का होता था। सभी लोग इस प्रकार के गुरिल्ला युद्ध मे बहुत निपुण है। यह बोल कर वह जमीर को अपने साथ लेकर चला गया था।

दो लोग रेंगते हुए कँटीले तार के करीब पहुँच कर उसको काटने मे जुट गये थे। वायर-कटर से उन्होंने कुछ ही मिनट मे इतनी जगह बना दी थी कि एक आदमी आसानी से अन्दर दाखिल हो सकता था। अपना काम समाप्त करके वह दोनो लौट आये थे। अन्दर दाखिल होने का समय दो घंटे बाद कर रखा था। एक स्काउट टीम यार्ड का जायजा लेने के लिये निकल चुकी थी। बारह बजे चार आदमी जमीर की कमांड मे यार्ड मे दाखिल हो गये थे। कुछ जगह की निशानदेही हम पहले ही कर चुके थे। वह तेजी से अपने काम मे लग गये थे। एक बजे तक वह अपने विस्फोटक लगा कर वापिस आ गये थे। कैप्टेन यादव सबसे आखिरी मे निकला था। हम गाड़ी मे बैठ कर दबी हुई आवाज मे बात कर रहे थे कि एकाएक दूर  आसमान मे आग का गोला उठता हुए देख कर जमीर ने कहा… शाई मस्जिद मे विस्फोट हो गया। मुझे लगा कि धरती धीरे थरथरा गयी थी। …ऐसा लगता है कि तुमने पूरा सेम्टेक्स से भरा हुआ ड्रम वहाँ लगा दिया था। …यही मै भी सोच रहा हूँ। इतने बड़े विस्फोट के बारे मे तो मैने भी नहीं सोचा था। ऐसा लगता है कि उनके जखीरे मे आग लग गयी है तभी इतनी उँची लपट उठी थी।

इन्हीं बातों मे समय कैसे गुजर गया हमे पता ही नहीं चला था। मै अपनी गाड़ी मे बैठा हुआ उनके निकलने का इंतजार कर रहा था। ट्रक धीरे से हिला और फिर आगे बढ़ गया था। मै भी उनके पीछे चल दिया था। मुख्य सड़क पर ट्रेफिक कम था। शाही मस्जिद मे विस्फोट होने के कारण सड़क पर नेपाल की फौज हरकत मे आ गयी थी। हमारे सामने से कुछ सेना की गाड़ियाँ तेजी से निकलती हुई दिखायी दी तो मैने गति कुछ कम करने का इशारा किया। एकाएक तभी कुछ दूरी पर एजाज कंस्ट्रक्शन के यार्ड मे सिरीज से ब्लास्ट होने लगे। दूर से ऐसा लग रहा था कि रात मे दीवाली मनायी जा रही थी। सेना की गाड़ियाँ विस्फोट और आग के दावानल देख कर तुरन्त उस दिशा मे मुड़ गयी थी। हम उस जगह को पीछे छोड़ कर गोदाम की ओर चल दिये थे। रास्ते भर बैरीकेड और चेकिंग का सामना करते हुए जब हम गोदाम पहुँचे तो मैने कैप्टेन यादव से पूछा… सेना उसी समय वहाँ कैसे पहुँच गयी थी? …सर, जैसे ही यह लोग लौटे थे तभी मैने सेना के कंट्रोल रुम मे खबर कर दी थी नेपाल सेना के कुछ अधिकारी असला बारुद की खरीद फरोख्त कर रहे है। उसने जेब से शौकत अजीज का फोन दिखाते हुए कहा…  कर्नल साहब मरने के बाद भी नेपाल सेना को आराम से बैठने नहीं दे रहे है। इतना बोल कर वह चुप हो गया था। …इस फोन से वह तुम्हें यहाँ ट्रेस कर लेंगें। …सर, शौकत अजीज का सिम कार्ड फोन करने के बाद निकाल दिया था। आखिरी रिकार्ड उस कार्ड का यार्ड पर ही मिलेगा। …ब्रिलियन्ट कैप्टेन। अब मुझे लगता है कि तुम्हें यहाँ पर मेरी जरुरत नहीं है। उनसे विदा लेकर मै अपने घर की ओर चल दिया था।

तबस्सुम ने मुख्य द्वार बन्द करना छोड़ दिया था। वह भिड़ा रहता था। मैने अपने घर मे दाखिल हुआ और अपने बेडरुम मे पहुँच कर कपड़े उतार कर बाक्सर पहने बिस्तर मे घुस गया था। रुम हीटर के कारण काफी गर्माहट थी। रजाई गरम होते ही मै अपनी सपनों की दुनिया मे खो गया था। सुबह मेरी आँख देर से खुली थी। मै आराम से उठा और बाक्सर पहने ही अपने कमरे से बाहर निकला तो सामने आरफा पड़ गयी थी। तबस्सुम मुझे देखते ही बोली… आपकी चाय ला रही हूँ। …आरफा कुछ याद आया कि अनमोल बिस्वास ने तुम्हें कुछ बताया था। मै अपने कमरे से लैपटाप लेकर डाइनिंग टेबल पर बैठ गया था। तबस्सुम भी तब तक चाय लेकर मेरे साथ आकर बैठ गयी थी। मैने बांगलादेश का नक्शा निकाल कर आरफा को बुला कर कहा… तुम सिर्फ मुझे वह जगह दिखा दो जहाँ-जहाँ तुम्हारा जाना होता था। यह बोल कर मैने उसका स्क्रीन आरफा की दिशा मे घुमा दिया था। तबस्सुम ने धीरे से मेरी कन्धे पर पड़े हुए निशान पर उंगली फिराते हुए बोली… यहाँ क्या लगा था। …जमात वाले खुद सुसाइड कर रहे थे उनको पकड़ने के चक्कर मे एक स्प्लिन्टर कन्धे मे आकर लगा था। वह धीरे से मेरे कन्धे को चूम कर बोली… उधर दिल के पास गोली लगी और यहाँ स्प्लिन्टर ने घायल किया है। अब और कोई निशान नहीं लगने चाहिये। मैने उसका हाथ पकड़ कर कहा… यह सब किस्मत की बात है। फिर मैने आरफा की ओर देख कर कहा… कुछ पता चला? वह शर्मा कर बोली… सब कुछ तो अंग्रेजी मे लिखा हुआ है। अपनी भूल पर शर्मिन्दा होते हुए मैने कहा… सौरी। मैने लैपटाप बन्द करके कहा… तो कम से कम टीवी चला दो। पता तो चले की दुनिया मे कल क्या हुआ। आरफा ने उठ कर टीवी चला दिया और तबस्सुम से कह कर नीचे आफिस मे चली गयी थी।

मैने समाचार लगा दिये थे। शाही मस्जिद की तस्वीरें दिखाई जा रही थी। उसका एक हिस्सा खंडहर मे तबदील हो चुका था। अलग-अलग लोग अलग-अलग बात कर रहे थे। कोई कह रहा था कि रसोई मे रखे हुए सिलिंडर फटने विस्फोट हुआ था। कोई कह रहा था कि तहखाने मे बारुद का जखीरा रखा हुआ था जिसमे आग लग गयी थी। जितने मुँह उतनी बातें टीवी पर चल रही थी। नेपाली लोग मौलाना कादरी के अराजक तत्वों के संबन्धों का परिणाम बता रहे थे। मुस्लिम नेता इसे आतंकवाद की घटना सिद्ध करने मे लगे हुए थे। सेना के एक्सपर्ट मस्जिद के ब्लास्ट की जाँच मे लगे हुए थे। उनका मानना था कि सेम्टेक्स और आरडीएक्स के कारण ब्लास्ट हुआ था। उसी खबर के साथ नीचे टिकर चल रहा था कि एजाज कंस्ट्रक्शन के मालिक अब्दुल कादिर को सेना ने हिरासत मे ले लिया है। उसके यार्ड से नेपाली सेना ने रात को हरकत उल आंसार के लगभग तीस जिहादी पकड़े थे। फिलहाल नेपाल सेना के फारेन्सिक एक्सपर्ट यार्ड मे हुए ब्लास्ट और मस्जिद के ब्लास्ट मे इस्तेमाल किये बारुद की जाँच मे लगे हुए है।  

तबस्सुम खबर सुनते हुए बोली… यहाँ आज कल खून खराबा बढ़ता जा रहा है। क्या हो रहा है? चाय पीते हुए मैने कहा… यहाँ जंग का मैदान बना हुआ है। आईएसआई वाले आईएसआई वालों का मार रहे है। एक तंजीम के लोग दूसरी तंजीम के लोगों को मार रहे है। उन सब को सुरक्षा बल वाले मार रहे है। यहाँ पर यही सब चल रहा है। कुछ देर बैठने के बाद मै तैयार होने के लिये चला गया था। जब तक तैयार हो कर बाहर निकला तब तक नाश्ता तैयार हो गया था। तबस्सुम के शरीर मे छ्ठे महीने से बदलाव दिखने लगा था। अब उससे ज्यादा देर खड़े होने मे परेशानी होने लगी थी। मै नाश्ता कर रहा था कि तभी मेरा फोन बज उठा था। …हैलो। …मै सरिता बोल रहूँ। आज शाम को आप मिलने आ सकते है। …पहुँच जाउँगा। यह बोल कर मैने फोन काट दिया था। मै समझ गया कि अब वह फोन जिसकी टैपिंग हो रही थी वह बन्द हो गया था। उसके बारे मे बताना चाह रही थी। इसका मतलब था कि उसका हिसाब करना बाकी था। मै उठ कर हाल मे चला गया था। अठ्ठाईस फोन नम्बर और उसके पते मेरे सामने पड़े हुए थे। काठमांडू को छोड़ कर बाकी सभी जगह के पते सीमावर्ती शहरों के दिये हुए थे। मैने वह कागज अपनी जेब मे रख कर अजीत सर को फोन लगाया। कुछ ही पलों के बाद उनका चेहरा स्क्रीन पर आ गया था।

…मेजर, तुमने आईएसआई की नेपाल मे कमर तोड़ दी है। खबर मिल गयी है। गुड जाब डन। अब उनकी सेना को अपना काम करने दो। शाकिर ने तीन दलालों के नाम बताये है है जो दूसरे प्रशिक्षण केन्द्र मे जिहादियों की मौज के लिये लड़कियाँ भिजवाते थे। उसे यह नहीं पता कि कौन से केन्द्र मे कौन पहुँचाता था। एक नाम ओमर सुल्तान है। उसका काम फतुल्लाह मे जमा हुआ है। दूसरी सादरघाट मे रानी है जो होटल चलाती है। तीसरे का नाम मकबूल चौधरी है। वह मछली का व्यापारी है। …ठीक है सर। मै आरफा से इसके बारे मे बात करुँगा। …मेजर, वहाँ तुम्हें कुछ एक्शन लेने की जरुरत नहीं है। इन्टेलीजेन्स का चीफ सदाकत हुसैन है। उसके पास हमारा डोजियर है। वह तीनो को बुला लेगा बस तुम उनसे पूछताछ करोगे। …जी सर। शुजाल बेग ने अपना डोजियर तैयार करके पाकिस्तान के फौजी इदारे मे कुछ लोगों के पास भेजा है। उसकी एक कापी मुझे भी भेजी है। वह मिलते ही उसे मै आपके पास भेज दूंगा। …मेजर, कुछ दिन शांत रहने की जरुरत है। नेपाल सरकार को अपना काम करने देना। …जी सर। बस इतनी बात हुई थी।

मै नीचे आफिस मे चला गया था। आरफा फोन पर आर्डर ले रही थी। आफिस मे स्टाकिस्टों के आर्डर लिये जा रहे थे। इन्वोईस काट कर गोदाम पर भेजी जा रही थी। कारोबार का काम जोर शोर से चल रहा था। आरफा ने फोन काटने के बाद मेरी ओर देखा तो मैने तीनो नाम उसके आगे कर दिये थे। वह नाम पढ़ कर बोली… यह तो बहुत बड़े लोग है। मै उनके दलालों को जानती हूँ जिनके जरिये वह इस काम को करते है। …आरफा, हमे सिर्फ दो तीन दिन के लिये वहाँ जाना है। अब यह मौका तुम्हारे पास आया है कि अगर तुम वहीं रुकना चाहती हो तो मुझे कोई एतराज नहीं है। मै तुम्हारे लिये कुछ पैसों का इंतजाम कर दूंगा जिससे वहाँ पर तुम अपनी जिंदगी नये सिरे से आरंभ कर सकोगी। अभी समय है तो सोच कर जवाब देना। इतनी बात करके मै उठ कर बाहर आ गया था। तभी तबस्सुम का बुलावा आ गया था तो मै उसके पास चला गया।

…अभी शबाना का फोन आया था। क्या नूर मोहम्मद साहब की कोई खबर मिली? मै उसे इस बुरी खबर से दूर रखना चाहता था लेकिन अबकी बार उसने सीधे सवाल कर दिया था तो मैने संभल कर जवाब दिया… उसके बारे मे कोई अच्छी खबर नहीं है। कर्नल शौकत अजीज ने बताया था कि नूर मोहम्मद से पूछताछ के दौरान उसकी मौत हो गयी थी। यह बात पाकिस्तान दूतावास ने दबा दी थी। उन्होंने शबाना को भी नहीं बताया था। नूर मोहम्मद की लाश उन्होंने पाकिस्तान भिजवा कर उसकी फौजी सम्मान के साथ विदाई कर दी थी। मुझे बस इतना पता है। मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी कि मै तुम्हे यह बुरी खबर दूँ इसीलिये मैने तुम्हें नहीं बताया था। वह सुन कर चुप हो गयी थी। कुछ देर के बाद वह बोली… शबाना बाजी को कैसे बताऊँ मुझे समझ मे नहीं आ रहा है। …तुम्हें कुछ भी बताने की जरुरत नहीं है। एक दो दिन मे दूतावास का कोई कर्मचारी जाकर उसे बता देगा। उस वक्त तुम उससे मिलने चली जाना लेकिन यह बात तुम्हें बताने की जरुरत नहीं है।

इन्हीं चक्करों मे शाम हो गयी थी। छुटपुटा होते ही मै सरिता का हिसाब करने के लिये उसके फ्लैट की ओर निकल गया था। जब मै उसके फ्लैट पर पहुँचा तब तक वह आफिस से आ चुकी थी। मुझे देखते ही उसका चेहरा खिल उठा था। …आप आज टाइम से आ गये है। वह दरवाजा बन्द करके मुझसे लिपट गयी थी। उसे अपनी बाँहों मे बाँधे सोफे पर बैठ गया था। उसके होंठों का रसपान करने के पश्चात हम अलग हो कर बैठ गये थे। वह एक नयी बोतल ले आयी थी। एक प्लेट मे ताजा भुना हुआ गोश्त और नमकीन का पैकट मेज पर रख कर बोली… वह फोन तो बन्द हो गया है। …कोई बात नहीं। जिसको बचाना था उसको समय रहते हुए बचा लिया गया था। उसके लिये तुम्हारा शुक्रिया। यह बोल कर मैने जेब से एक पचास हजार की गड्डी निकाल कर मेज पर रख दी थी। उसने वह गड्डी उठाई और उसे रखने अन्दर चली गयी थी। उसको जाते हुए देख कर मुझे एक बार फिर से नफीसा की याद आ गयी थी। शायद इस लिये कि आज वह कुर्ता और शलवार मे थी। दो दिन पहले इसी सोफे पर बैठ कर मैने कुछ कमजोर पलों मे नफीसा के कोमल जिस्म को महसूस करते हुए अपने जहन मे हमेशा के लिये कैद कर लिया था।

नफीसा की छवि दिमाग मे उभरते ही मैने सामने पड़ी बोतल खोल कर अपना गिलास बनाया और एक घूंट भर कर गोश्त का नर्म सा टुकड़ा उठा कर मुँह मे रख लिया। उसकी छवि दिमाग मे उभरते ही खून का बहाव एकाएक तेज हो गया था। सरिता इठलाती हुई मेरे पास आकर बोली… इसको खिलाने की जिम्मेदारी मेरी है। उसने अपना गिलास बनाया और एक बार फिर से उस रात वाली कहानी को दोहराना आरंभ कर दिया था। उसके होंठों का रस सोखते हुए मेरे हाथ उसके जिस्म के हर हिस्से को नाप रहे थे। अचानक वह मेरे कान को चूम कर बोली… यह कपड़े मुझे काट रहे है। …तो उतार दो। कौन रोक रहा है। वह मेरे गाल को चूम कर बोली… आपके कपड़े मुझे काट रहे है। …तो उतार दो। उसने पहले मुझसे मेरा ग्लास खाली कराया और फिर मेरी शर्ट के बटन खोल कर मेरे नग्न सीने पर अपने होंठों की मौहर लगाना चालू कर दिया था। अचानक वह मेरी बाँहों मे मचली और मुझसे अलग होकर बोली… आप बड़े बेरहम है। अब उस बेचारे को भी आजाद कर दीजिये। मै उसका मतलब समझ गया था। मै अपनी जगह पर खड़ा हो गया। अपनी पैन्ट और बाक्सर उतार कर निर्वस्त्र हो कर बैठ गया। इतनी देर से सरिता के जिस्म के साथ खिलवाड़ करने के कारण भुजंग अपना रौद्र रुप ले चुका था। बंधनमुक्त होते ही मस्ती मे झूमने लगा। वह जमीन पर बैठ गयी और शराब का एक घूंट भर भुजंग के सिर पर मुँह मे भरी शराब को उंडेल दिया। शराब से नहाये सिर को उसने अपने मुख मे भर कर उसका रस सोखने लगी।

सरिता का चेहरा मेरी आँखों के सामने आते ही पता नहीं सारा उत्साह ठंडा हो गया था। अचानक मैने दोनो हाथों से उसका सिर पकड़ कर नीचे की ओर ठेल दिया। भुजंग का सिर जो अब तक उसके होंठों मे दबा हुआ था वह सरक कर गले मे उतर गया। वह कुछ क्षण सांस रोक कर शांत बैठी रही और फिर उसने धीरे से नाक के सहारे साँस लेना आरंभ कर दिया था। मै धीरे से हिला और भुजंग थोड़ा सा और अन्दर सरक गया था। अभिसार की क्रिया के अनुसार मैने धीरे-धीरे हिलने आरंअभ कर दिया था। उसका मुख उस वक्त योनिमुख की भाँति लग रहा था। उसने आँखें उठाकर मेरी ओर देखा और भुजंग को अपनी उंगलियों मे जकड़ कर उसका रस सोखने मे लग गयी थी। कुछ देर तक वह अपने मुख और जुबान से तन्नाये हुए भुजंग की मालिश करती रही और जब वह थक गयी तो अलग हो गयी। उसने जल्दी से अपने आप को निर्वस्त्र किया और मेरी गोद मे बैठने से पहले झूमते हुए भुजंग को गरदन से पकड़ कर स्थिर किया और फिर अपने स्त्रीत्व द्वार पर धीरे से टिका कर बैठ गयी। पल भर मे सारी बाधाएँ हटाते हुए भुजंग अपने बिल मे जगह बनाता हुआ जड़ तक धंस गया था। उसकी चिकनी पीठ मेरी ओर थी। उसकी पीठ को धीरे से चूमते हुए मेरे हाथ उसके वक्षस्थल पर जम गये थे। उसकी सीने की गोलाईयों को मैने धीरे से दोहना शुरु किया तो उसके मुख से उत्तेजना से ओतप्रोत सीत्कार छूट गयी थी।

स्त्री और पुरुष के बीच काम क्रिया का एक सुखद एहसास होते ही उसको मैने आगे की ओर झुका दिया था। वह मेज का सहारा लेकर खड़ी हो गयी थी। मैने धीरे से अपने आप को पीछे खींचा और पूरी शक्ति लगा कर मैने अपनी कमर को झटका दिया तो एक बार फिर उसकी गहराईयों धँसता चला गया था। एक बार फिर से मैने वही क्रिया का दोबारा प्रयोग किया लेकिन इस बार उसके मुख से किलकारी छूट गयी थी। उसके बाद तो चोट पर चोट आरंभ हो गयी थी। हर चोट पर उसके मुख से गहरी सिस्कार विस्फुटित हो रही थी। अचानक वह मेरी पकड़ से छूट कर अलग होकर बोली… आओ साहबजी अन्दर चलते है। यह बोल कर वह बेडरुम मे चली गयी थी। अचानक तंद्रा भंग होने के कारण मैने उबलते हुए लावा को शांत किया और फिर ग्लास मे पड़ी बची हुई शराब को एक ही साँस मे गटक गया। नशे मे झूमता हुआ बेड पर पड़े हुए बेदाग गोरे नग्न जिस्म को कुछ पल निहारता रहा और फिर नशे के कारण अपने आपको संभालता हुआ उसके साथ जाकर लेट गया था। मैने उसके पुष्ट गोल नितंब पर धीरे से अपना हाथ रख कर फिराया तो वह चिहुंक उठी थी।

नशे मे अधखुली आँखों से मैने सरिता की ओर देखा तो वह पीठ करके लेटी हुई थी। आहिस्ता से मै उसके निकट गया तो मेरा मुर्झाता हुए भुजंग उसके नितंब से टकरा गया तो वह आगे सरक कर मेरी ओर करवट लेकर लेट गयी थी। अचानक सरिता के चेहरे की जगह एक बार फिर नफीसा का चेहरा मेरे सामने आ गया था। उसका चेहरा सामने आते ही मुझे दो रात पहले का अनुभव जहन मे उभर आया था। मैने उठ कर बैठ गया और उसका सिर अपनी गोदी मे रख उस पर झुक गया था। मेरे होंठों ने जैसे ही इस बार सरिता के होठों को स्पर्श किया मुझे वही गुलाबी पंखुड़ियों का स्वर्गिम एहसास हुआ था। उसके माथे को चूम कर उसकी मुंदी हुई पलकों को चूम कर एक बार फिर से गुलाबी होंठों पर छा गया था। मेरी उँगलिया उसके सीने की गोलाईयों की परिधि नाप रही थी। गुलाबी आभा लिये उसके स्तनाग्र सिर उठाये मेरी विचरती हुई उँगलियों से खेल रहे थे। उसके होंठों का रस पीकर उसके सुराहीदार गले पर अपनी मोहर लगा कर उसकी आंखों मे झांका तो उसी वक्त मुझे एहसास हुआ कि मै मतिभ्रम का शिकार हो गया था। मेरे आगोश मे नफीसा थी।

मैने धीरे से उसकी कमर मे हाथ डाल कर उसे अपने से सटाते हुए कहा… तुम बहुत सुन्दर हो। वह मुस्कुरा कर बोली… तो आप हमेशा के लिये मुझे अपना बना लिजीये। …नहीं मुझे गलत मत समझो सरिता। मै कोई वादा करने की स्थिति मे नहीं हूँ। तुम्हें जब भी देखता हूँ तो तुम मे मुझे किसी की छवि दिखती है। प्लीज, आज मुझे अपनी सभी दबी हुई इच्छाओं को पूरी करने दो। जैसे उस रात को मैने तुम्हारे दिमाग से बिस्ट नाम का भूत निकाल दिया था आज तुम मेरे दिमाग से उस छवि को हमेशा के लिये निकाल दो। वह कब और कैसे वह मेरे जहन पर छा गयी मुझे पता ही नहीं चला। …ऐसा क्या है उसमें। …यही तो मुझे भी पता नहीं बस उसकी ओर खिंचता चला जा रहा हूँ। शराब का नशा अब सिर पर चढ़ कर बोल रहा था। मेरी बात सुन कर वह खिलखिला कर हँस पड़ी थी। उसकी कनपटी लाल हो गयी थी और गाल दहकने लगे थे।

मेरे जहन मे न जाने कैसे नफीसा की छवि उभर आयी थी। उसके जिस्म की बनावट का स्वर्गिम एहसास होते ही उसकी कंचन नग्न काया को बेदर्दी से अपने आगोश में जकड़ लिया था। उसके मुख से एक आह निकली जिसने मेरे दिल को भेद दिया था। हमारे नग्न जिस्म एक दूसरे के साथ लिपटे हुए बिस्तर पर पड़े हुए थे। दिमाग पर नशा हावी होने कारण मुझे उसका नग्न गोरा जिस्म बल्ब की रौशनी मे दमकता हुआ लग रहा था। शर्म की लालिमा उसके चेहरे पर बढ़ती जा रही थी। सीने के उभार उसकी हर साँस पर उपर नीचे बैठ रहे थे और उनके शिखर पर गुलाबी स्तनाग्र उत्तेजनावश फूल कर खड़े हो चुके थे। मैंने झुक कर एक स्तनाग्र को अपने मुख में भर कर अपनी जुबान से उस पर वार किया और दूसरे को अपनी उंगलियों में फँसा कर हौले से तरेड़ दिया। यही क्रम मैं काफी देर तक बदल बदल कर करता रहा थाउसके गुलाबी शिखर अब तक मेरी मेहनत से सुर्ख लाल हो चुके थे।

मैने सरिता का ऐसा रुप उस रात से पहले नहीं देखा था। वह नयी नवेली दुल्हन की तरह पेश आ रही थी। मैने अपनी पलकें झपका कर अपने दिमाग पर छाये नशे के बादलों को छाँट कर नीचे की ओर सरक गया था। मेरी उँगलियाँ उसकी जांघों के बीच बालों से ढके हुए स्त्रीत्व के द्वार को टटोलने मे लग गयी थी। वह तड़प कर उठने को हुई परन्तु उसके पुष्ट गोल नितंब मेरे पंजे मे जकड़े होने के कारण वह अपने प्रयास मे असफल हो गयी थी। जब वह कुछ नहीं कर पायी तो अपनी टाँगे सिकोड़ कर लेट गयी थी। मैंने उसके पेट को चूमते हुए धीरे से उसकी जाँघों बीच जगह बना कर उसकी माँसल जाँघ पर अपने होंठ टिका दिये थे। एक बिजली का करन्ट उसके जिस्म मे दौड़ गया था। उसके मुख से लम्बी सिसकारी छूट गयी थी… अ…आ…ह

मेरे हाथों मे उसका जिस्म मचल रहा था। मैने उसकी दोनों जाँघों पर अपने होंठों की छाप छोड़ कर जैसे ही अपने अगले पड़ाव की ओर अग्रसर हुआ तो मेरी नजर उसके सीने की ओर चली गयी थी। गुलाबी स्तनाग्र रस निचुड़ने कारण सुर्ख हो गये थे। तेज चलती हुई साँसों के कारण उनमें लगातार स्पंदन हो रहा था। …आज तुम्हारे जिस्म के कतरे-कतरे से रस सोख लूँगा। यह बड़बड़ाते हुए उसके चिकने और सपाट पेट और नाभि पर अपनी जुबान से वार करने लगा। मेरे दोनो हाथ उसके गोल नितंबों को गूँध रहे थे और वह उत्तेजना में कसमसा रही थी मेरी जुबान के वार से बचने के लिए वह इधर उधर सिर पटक रही थी। कभी कभी वह अपने हाथों से मेरे सिर को रोकने की चेष्टा करती और कभी मेरे सिर को पकड़ कर अपने पेट पर दबा देती। कुछ देर उसकी नाभि और कूल्हों के साथ खिलवाड़ करने के बाद एक बार फिर से बड़बड़ाया… अब तुम अपने आप को सारे बंधनों से मुक्त कर दो। इतना बोल कर मेरा चेहरा नाभि से नीचे सरक कर उसके योनिमुख के सामने आ गया था। मैने बालों को अपनी उँगलियों से हटा कर एक नजर उसके बन्द स्त्रीत्व द्वार पर डाली और फिर अपनी दो उँगलियों की मदद से  उसके स्त्रीत्व द्वार को खोल कर अंकुर को अनावरित करके उस पर अपनी जुबान से प्रहार किया। पहले वार पर ही वह उछल गयी थी। मैने आराम से अपनी जुबान को पूरी दरार पर फिरा कर जैसे ही अकड़े हुए अंकुर पर अपने होंठ टिकाये वह तड़प उठी थी। मेरे शिकंजे मे फँसी होने कारण वह सिर्फ छटपटा कर रह गयी थी। मेरी जुबान और मेरे होंठों ने उसके स्त्रीत्व से छेड़छाड़ आरंभ कर दी थी। एकाएक उसका संयम टूट गया और वह आनंद से कराहते हुए बहने लगी थी।

मै नशे मे झूमता हुआ उपर की ओर सरक गया और उसके जिस्म पर छाते हुए उसके कान को चूम कर धीरे से फुसफुसाया… आज जानेमन मैंने तुम्हारे हर अंग पर अपनी मौहर लगा दी है। अचानक उसकी आवाज मेरे कान मे पड़ी… प्लीज धीरे से किजियेगा। मै इस पल को जीवन भर संजो कर रखना चाहती हूँ। मैने उसके गालों को चूम कर कहा… तुम इस पल को ही नहीं बल्कि आज के बाद मुझे भी जीवन भर याद रखोगी। मैंने उत्तेजना मे झूमते हुए भुजंग को अपनी मुठ्ठी मे जकड़ कर उसके स्त्रीत्व द्वार पर कुछ पल घिस कर उसके द्वार को खोल कर योनिमुख पर टिका दिया। वह सांस रोक कर लेटी रही लेकिन मै भी किसी जल्दबाजी मे नहीं था। जब साँस लेना उसके लिये अनिवार्य हो गया तो उसने अपनी साँस छोड़ी बस तभी मैने अपनी कमर पर दबाव डाला और परिणामस्वरुप उत्तेजना मे अकड़ा हुआ भुजंग अपनी जगह बना कर अन्दर सरक गया था। उसकी योनि पूरी तरह गीली थी और वह शारीरिक व मानसिक रुप से पूर्णत: उत्तेजित अवस्था मे उसे निगलने के लिये तैयार हो गयी थी। उत्तेजना से भन्नाये हुए भुजंग का फूला हुआ सिर उसकी योनि मे प्रविष्ट हो कर पल भर के लिये रुक गया था। उसके मुख से एक हिचकी सी निकली और उसने मुझे कस कर अपनी बाँहों मे जकड़ लिया था

4 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही जबरदस्त अंक और पिछले अंक के आखरी में दिखाए गए वो एयरपोर्ट में मिली लाश समीर के करतूतों के बदौलत निकली और लगे हाथों उसने बेग हाथों फिर से काठमांडू में हलचल मचा दी, मगर आखिर भाग में कुछ गडबड है और समीर जिसको सरिता समझकर नशे में अपना होश खो रहा है वो कहीं सचमुच आगे जा कर उसके पारिवारिक जीवन में असर दिखाना शुरू कर दे।

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    1. शुक्रिया अल्फा भाई। दुश्मन के खेमे को अस्त वयस्त करके वार करना तो उनकी योजना थी जिसके कारण वह दूसरे देश मे उनकी सुरक्षा एजेन्सियों की नजरों से बच कर आईएसआई के नेटवर्क को तबाह करने मे कामयाब हो सके थे।

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  2. एक ओर पाक और नेपाळ मे पाक एम्बसी के लोगों की हत्या की वजहसे तो जैसे भूचाल सा आ गया, दुसरी ओर नुर मोहम्मद की हत्या मे कर्नल का हाथ भी स्पष्ट हो गया, अब तबस्सूम के आगे शबाना को कैसे बताये ये धर्म संकट खडा हो गया है.
    रही सरिता की बात, तो मुझे नही लगता ये रिश्ता बहोत आगे जायेगा, ये एक दुसरेकी जिस्मानी जरुरतसे एक दुसरेके साथ है, और सरिता से मिल रही जाणकारी भी तो महत्त्वपूर्ण है.

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    1. प्रशांत भाई धन्यवाद। आईएसआई के काठमांडू नेटवर्क को तहस नहस करने की मंशा तो सफल हो गयी। कैसा धर्म संकट क्योंकि समीर कभी नूर मोहम्मद की हत्या की बात खुद तो शबाना के सामने जाहिर नहीं कर सकता। कहानी मे सरिता के किरदार की अपनी अहमियत है। उसकी मदद के कारण शुजाल बेग फँस गया था।

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