गहरी चाल-33
मै ढाका की फ्लाईट
मे बैठा हुआ पिछले दो दिनों के बारे मे सोच रहा था। सिकन्दर रिजवी को आज मेरे सामने
एमीग्रेशन चेक पोईन्ट पर नेपाल के सुरक्षा दल ने पकड़ कर हिरासत मे ले लिया था। अब उसको
दिल्ली ले जाने की प्रक्रिया पता नहीं कितने दिन खराब करेगी लेकिन तब तक वह काठमांडू
की जेल मे रहेगा। मुझे इसका संतोष था कि एक गद्दार तो शिकंजे मे फँस गया है। उधर एनआईऐ
लगातार अंसारी परिवार और देबबंदी गाजियों की देश भर मे धर पकड़ शुरु करने मे जुटा हुआ
था। अंसार रजा ने दारुल उलुम बरेलवी और दारुल उलुम देवबंद के सारे राज अजीत सुब्रामन्यम
के सामने खोल कर सारी सुरक्षा एजेन्सियाँ को सक्रिय कर दिया था। अनमोल बिस्वास की एक
सूचना ने आईएसआई के द्वारा रचित षड्यंत्र को भारतीय सुरक्षा एजेन्सियों के सामने खोल
कर रख दिया था।
उस दिन नीलोफर के
फ्लैट से लौटने के बाद सारा दिन मैने तबस्सुम के साथ गुजारा था। अगली सुबह शुजाल बेग
का डोजियर नये लिफाफे मे डाल कर मैने भारतीय दूतावास मे शर्मा के जरिये डिप्लोमेटिक
डाक से अजीत सर के भिजवा दिया था। मैने उनको अपने ढाका जाने वाली फ्लाईट की जानकारी
देकर कहा कि सदाकत हुसैन को सूचना दे दिजिएगा। नफीसा के कारण खुद न जाकर मैने उनकी
टिकिट कैप्टेन यादव के हाथ उनके पास भिजवा दी थी। दोपहर को मै सरिता से उसके आफिस के
बाहर मिला था। मै उसको कुछ हद तक दोषी मानता था लेकिन उस बेचारी की भी कोई गलती नहीं
थी। उसकी मनोस्थिति से मै वाकिफ था इसलिये उससे मिलने चला गया था। वह मुझसे गले मिल
कर फूट-फूट कर रोयी थी। जब सब कुछ शांत हो गया तो मै उससे वादा करके वापिस आ गया था
कि लौटने के बाद उससे मिलने जरुर आऊँगा। बस एक ही काँटा मेरे दिल मे चुभ रहा था कि
मेरी एक नजायज हरकत ने नफीसा की मासुमियत को तार-तार कर दिया था। अचानक उस रात का ख्याल
आते ही अपने सिर को झटक कर सीधा होकर बैठ गया। …क्या सोच रहे है? मेरे कान मे आरफा
की आवाज पड़ी तो मैने मुड़ कर उसकी ओर देखा तो वह मुझे बड़े ध्यान से देख रही थी।
…कुछ याद आ गया था।
बस वही सोच रहा था। अचानक वह मेरी बाँह पकड़ कर बड़े अपनेपन से बोली… आप मेरे साथ मेरे
घर पर चलिएगा। …नहीं आरफा। तुम अपने लिये एक नयी मुसीबत खड़ी कर लोगी। मुझे लेने एयरपोर्ट
पर इन्टेलीजेन्स विभाग के लोग आयेंगे। मै नहीं चाहता कि वह तुम्हें मेरे साथ देखें।
तुम एयरपोर्ट पर उतर कर अकेली चली जाना। मेरा फोन नम्बर तुम्हारे पास है तो फिर बाद
मे मुझसे बात करके मेरा पता ले लेना। उसके बाद हम मिलने की जगह भी तय कर लेंगें। अगर
वापिस नहीं लौटना चाहोगी तो यह पासपोर्ट मुझे लौटा देना। बस उन तीन मुख्य लोगो के दलालों
का पता किसी तरह मालूम कर लेना। अगर कोई पैसों के लिये वह जानकारी देने को तैयार हो
जाये तो तुरन्त सौदा कर लेना। मुझे सिर्फ दो चीजों की जानकारी चाहिये पहला उनका प्रशिक्षण
केन्द्र बंगाल की खाड़ी मे कहाँ है और दूसरा उन लोगो के नाम जो वहाँ पर प्रशिक्षण ले
रहे थे। उसका हाथ अपने हाथ मे लेकर मैने कहा… इस जानकारी के लिये अपने आप को खतरे मे
डालने की जरुरत नहीं है। बस जहाँ ऐसा लगता है कि यह जानकारी मिल सकती है तो उस जगह
की मुझे खबर कर देना। बाकी का काम यहाँ के लोग करेंगें। पहली बार इतने दिनो मे हम इतनी
देर आराम से बैठ कर बात कर रहे थे।
बंगबन्धु अन्तरराष्ट्रीय
एयरपोर्ट की घोषणा हो गयी थी। प्लेन से बाहर निकलते ही वहाँ की उमस का एहसास हो गया
था। ठंडे इलाके से यहाँ पहुँचते ही पसीने की बरसात शुरु हो गयी थी। एयरपोर्ट मे प्रवेश
करने के पश्चात वातानुलित वातावरण मे मैने थोड़ी राहत महसूस की थी। आरफा अपना बैग उठाये
आगे निकल गयी। मै उसके थोड़ा पीछे चल रहा था। एमीग्रेशन काउन्टर पर उसे कोई परेशानी
का सामना नहीं करना पड़ा और जल्दी ही वह कस्टम कंट्रोल की दिशा मे चली गयी थी। एमिग्रेशन
काउन्टर के उस पार दो पुलिस वाले तैनात थे। मेरा पास्पोर्ट देख कर एमीग्रेशन पर तैनात
व्यक्ति ने उनकी ओर इशारा किया और जैसे ही मै अपना पासपोर्ट लेकर आगे बढ़ा तभी उन दोनो
पुलिस वाले मेरा रास्ता रोक कर मुस्तैदी से सैल्युट किया और फिर एक ने मेरा बैग उठा
लिया और दूसरे ने कहा… सर, हम इन्टेलीजेन्स युनिट से आपको लेने आये है। आप कहाँ ठहरे
हुए है? मैने चलते हुए कहा… मेरा नाम मेजर समीर बट है। आप अपना परिचय दे देंगें तो
अच्छा रहेगा। …सर मै इन्स्पेक्टर मुराद हसन और यह सब-इन्स्पेक्टर मोमिन उल हक। …दोस्त
मैने अभी तक कोई होटल मे बुकिंग नहीं की है। आप मुझे किसी ऐसे होटल ले चलिये जो आपके
आफिस के नजदीक हो। …चलिये सर। उनकी कार एयरपोर्ट के मुख्य द्वार पर ही खड़ी हुई थी।
हम उस कार मे बैठ कर चल दिये थे।
कुछ दूर चलने के बाद
ड्राईवर ने हूटर चला दिया था। ढाका शहर मे प्रवेश करते ही गाड़ियों की भीड़ और उससे ज्यादा
लोगो की भीड़ देख कर मेरा दिमाग घूम गया था। अचानक मुराद ने कहा… सर सुबह आठ बजे से
ग्यारह बजे और शाम को चार बजे से आठ बजे तक सड़क पर आने का मतलब टैफिक मे फँसने जैसे
होता है। …मुराद साहब आपके यहाँ तो भीषण गर्मी हो रही है। वह मुस्कुरा कर बोला… साहब
यह तो यहाँ का सर्द मौसम है। खाड़ी की वजह से उमस होने के कारण आपको गर्मी लग रही है।
एक घंटे के सफर के बाद हम एक आलीशान से होटल पहुँच गये थे। कार से उतरते ही मुराद ने
एक इमारत दिखाते हुए कहा… वह इन्टेलीजेन्स का हेडक्वार्टर्स है। मैने उस दिशा मे देखा
तो वह एक नयी बहुमंजिला इमारत की ओर इशारा कर रहा था। दस से पन्द्रह मिनट का पैदल का
रास्ता था। …आईये सर। रुम का सारा इंतजाम उन दोनो ने कर दिया था। मैने तो बस अपना पासपोर्ट
और प्लास्टिक कार्ड उनकी ओर बढ़ा दिया था। मुश्किल से दस मिनट मे कमरा मिल गया था।
…सर, डीजी साहब देर तक बैठेंगें। उन्होंने पूछा है कि आप उनसे कितने बजे मिलना चाहते
है? मैने घड़ी पर नजर डाल कर कहा… आप उनसे पूछ कर मुझे खबर कर दिजियेगा। मै जल्दी से
जल्दी उनसे मिल कर अपना काम शुरु करना चाहता हूँ। …जी सर। यह कार आपके लिये दी गयी
है। हमे छोड़ कर यह वापिस यहीं आ जाएगी। दोनो ने सैल्युट किया और चले गये थे। मै अपने
कमरे की ओर चल दिया।
अच्छा बड़ा सा कमरा
था। दसवीं मंजिल पर होने के कारण ढाका शहर का सुन्दर नजारा दिख रहा था। मैने आईबी की
हिज्बुल की फाईल निकाल कर देखने लगा। चित्र के साथ उनका विवरण भी दिया था। करीब सौ
से ज्यादा फोटो थी। एक-एक करके मैने देखना आरंभ कर दिया था। अचानक तबस्सुम की याद आते
ही मैने कुछ देर उससे बात करने के बाद आफशाँ से बात की थी। जब उसे पता चला कि मै ढाका
मे हूँ तो वह बोली… मुझे बता देते तो मै भी कोई काम निकाल कर वहाँ पहुँच जाती। मैने
हंसते हुए कहा… तुम आ तो जाती परन्तु फिर पूरा दिन काम मे फँस जाती और मै तुम्हारा
होटल मे इंतजार करता रहता। मै यहाँ बस तीन दिन के लिये पुलिस के काम से आया हूँ। मेनका
का क्या हाल है। …वह तुमसे बहुत नाराज है कि तुम उससे मिल कर नहीं गये। वह उस लड़की
को भी बहुत याद करती है। कुछ देर बात करने के बाद कमर सीधी करने के लिये मै बिस्तर
पर लेट गया था।
सफर की थकान के कारण
आँख लग गयी थी। होटल के फोन की घंटी ने मुझे उठा दिया था। …हैलो। …सर, इन्स्पेक्टर
मुराद बोल रहा हूँ। डीजी साहब आपसे तीन बजे अपने आफिस मे मिलेंगें। हम आपके पास पौने
तीन बजे तक पहुँच जाएँगें। …ठीक है थैंक्स। मैने फोन रिसीवर पर रख दिया और फिर अपनी
घड़ी पर नजर डाल कर लेट गया था। अपने दिमाग मे सारी बातों का ताना-बाना बुनने मे जुट
गया था। चलने से पूर्व मै ठंडे पानी के शावर के नीचे खड़ा हो गया और फिर तैयार होकर
मै नीचे रिसेप्शन पर आकर बैठ गया। ढाका के नक्शे की बहुत सी प्रतियाँ काउन्टर पर रखी
हुई थी। एक प्रति उठा कर ढाका शहर की मुख्य सड़कें और उनके नाम अपने दिमाग मे बिठाने
मे जुट गया। अपने टाइम से मुराद और मोमिन भी आ गये थे। थोड़ी देर मे हम उस विशाल बहुमंजिला
इमारत की आठवीं मंजिल की ओर जा रहे थे। लिफ्ट से बाहर निकल कर वह दोनो डीजी आफिस की
ओर चल दिये थे। मै आफिस का जायजा लेता हुआ उनके साथ चल रहा था। एक दरवाजे पर पीतल के
अक्षरों से अंग्रेजी और बांग्ला मे सदाकत हुसैन लिखा हुआ था। तीन बज गये थे। मुराद
दरवाजे पर दस्तक देकर अन्दर चला गया और फिर दरवाजा खोल कर मुझे अन्दर आने का इशारा
किया तो मोमिन और मै उस कमरे मे चले गये थे। बड़ी सी मेज के पीछे बैठा हुआ एक रौबदार
आदमी मुझे देखते ही खड़ा हो गया तो मैने अपना फौजी सैल्युट किया और उसके सामने सावधान
होकर खड़ा हो गया।
…मेजर समीर बट। …यस
सर। …बैठिये। जब तक चाय आ रही है तब तक मुझे उस केस के बारे मे बता दिजिये। मैने आप्रेशन
खंजर और अब तक की तहकीकात के बारे मे बता कर कहा… सर, जमात-ए-इस्लामी का प्रशिक्षण
केन्द्र बंगाल की खाड़ी मे कहीं चल रहा है। हमे उस प्रशिक्षण केन्द्र का पता लगाना है
और वह कौन लोग है जो वहाँ पर प्रशिक्षण दे रहे थे और ले रहे थे। बस हमे यह जानकारी
चाहिये। हमारी जानकारी के अनुसार वहाँ पर हिज्बुल के लोग प्रशिक्षण ले रहे थे। सस्पेक्ट
लिस्ट मै अपने साथ लेकर आया हूँ। उससे शायद आपको कोई मदद मिल जाएगी। सदाकत हुसैन कुछ
देर सोचने के बाद बोला… मुराद, एसपी रहमान को यहाँ बुला लो। जमात का केस वह हैन्डल
कर रहा है। मुराद तुरन्त कमरे से बाहर निकल गया था। उसके जाने के बाद सदाकत हुसैन ने
पूछा… कौन से बट हो? मोमिन हो क्या। मैने मुस्कुरा कर कहा… सर, फौज मे कोई धर्म नहीं
होता लेकिन आपने ठीक कहा है। मै मोमिन हूँ। वह मुस्कुरा कर बोला… तो तुम समझ सकते हो
की इस्लामिक कट्टरपंथ अब अपने पाँव यहाँ भी फैला चुका है। जमात उसका जीता जागता सुबूत
है। तभी दरवाजे पर दस्तक हुई और फिर मुराद और मोमिन के साथ एसपी रहमान ने कमरे मे प्रवेश
किया। सैल्युट करके उसने बंगाली मे सदाकत हुसैन से बात की फिर अंग्रेजी मे बोला… मेजर,
यह केस मै डील कर रहा हूँ।
सदाकत हुसैन को अंग्रेजी
मे समझाते हुए मैने बताया कि मै यहाँ किस काम से आया हूँ। हमारी चाय खत्म हो गयी थी।
सदाकत हुसैन ने कहा… मेजर कुछ देर बाद मेरी एक मीटिंग है। आप रहमान के साथ बैठ कर बात
करके अपना काम शुरु कर दिजिये और अगर किसी चीज की जरुरत हो तो मुझसे कह दिजिएगा। मै
उठ कर खड़ा हो गया और सभी ने एक साथ सैल्युट किया और कमरे से बाहर निकल आये थे। अबकी
बार रहमान हिन्दी मे बोला… मेजर साहब हमने जमात के तीन मुख्य लोगो को पकड़ा है। आप चाहे
तो चल कर पहले उनसे बात कर सकते है। …रहमान साहब आप तो काफी अच्छी हिन्दी बोलते है।
…मेजर साहब, यहाँ सभी लोग हिन्दी समझते है और काफी लोग बोल भी लेते है। मैने कहा… चलिये
उनसे मिला जाये। रहमान के साथ मै उनके जेल की ओर निकल गया था। मुराद और मोमिन डीजी
आफिस मे कार्यरत थे तो वह वहीं रुक गये थे।
एक बार फिर से उसी
भीड़ मे से निकलते हुए हम केन्द्रीय कारागार की ओर चल दिये थे। ढाका शहर से बाहर निकलते
ही विशाल जेल के दर्शन हो गये थे। एसपी रहमान ने जेल के सुप्रिटेन्डेन्ट से रास्ते
मे ही फोन से अपने आने का प्रयोजन बता दिया था। जेल के मुख्य द्वार पर रहमान की कार
रुकते ही सारा जेल का महकमा तुरन्त सावधान हो गया था। हमे बड़े आदर के साथ सुप्रिटेन्डेन्ट
के आफिस मे बिठाया गया और फिर परिचय करवा कर हमे एक कमरे की ओर ले गये जहाँ जमात के
तीन लोगों को रखा हुआ था। सुप्रिटेन्डेन्ट के साथ हम एक कमरे मे बैठ गये थे। दो पुलिसवाले
ने एक आदमी को बेड़ियों मे जकड़ कर हमारे सामने लाकर खड़ा कर दिया था। रहमान ने कहा… यह
मुन्नवर हसन है। यह जमात का मुख्य कार्यकारी अध्यक्ष है। मैने उसको उपर से नीचे तक
देख कर रहमान से पूछा… क्या यह हिन्दी जानता है? रहमान ने मुस्कुरा कर कहा… यह अंग्रेजी,
बांग्ला और हिन्दी जानता है लेकिन इसका मुँह खुलवाने के लिये यह सिर्फ पुलिस की भाषा
को समझता है। इतना बोल कर रहमान खड़ा हो गया और उसके पास पहुँच कर बोला… मुन्नवर मुझे
पहचाना? उसने सिर्फ अपना सिर हिला दिया था। यह साहब भारत से तुमसे कुछ पूछने आये है।
उसने एक नजर मुझ पर डाल कर रहमान से कुछ बंगाली मे बोला तो रहमान ने मुस्कुरा कर कहा…
मेजर साहब यह आपको काफ़िर समझ कर खुदा के कहर की मुझे धमकी दे रहा है। मुन्नवर की आँखों
मे घृणा के साथ एक ललकार भी झलक रही थी। मेरे सामने सुप्रिटेन्डेन्ट ने उसकी केस फाईल
रख दी थी। सब कुछ बंगाली मे लिखा हुआ था।
…मुन्नवर, तुम्हारी
जमात कश्मीरी तंजीमों को यहाँ पर कहाँ-कहाँ प्रशिक्षण देती है? एक सीधा सा सवाल था
लेकिन मुझे पता था कि वह कुछ नहीं बताएगा। वह मेरी बात सुन कर मुस्कुराया और फिर बंगाली
मे रहमान से कुछ बोलने लगा। रहमान ने मेरी ओर देखते हुए कहा… जो इसने बोला है उसका
मै तर्जुमा नहीं कर सकता। तभी अचानक रहमान का हाथ घूमा और उसके मुँह पर पूरी ताकत से
पड़ा जिसके कारण वह दो कदम लड़खड़ा कर जमीन पर ढेर हो गया था। …आपको गाली दे रहा था। मैने
मुस्कुरा कर कहा… कोई बात नहीं। मै अपने साथ वह आईबी की फाइल लेकर आया था। वह फाईल
मेज पर खोल कर रख कर मै खड़ा हुआ और जमीन पर पड़े हुए मुन्नवर को उसके कालर से पकड़ कर
उठाया और मेज के करीब ले जाकर बोला… मुन्नवर, रहमान साहब पुलिस के अधिकारी है। इन्हे
हमेशा मानवाधिकारों की चिन्ता रहती है। मै फौज की स्पेशल फोर्सेज से हूँ तो वह सारे
अधिकार मुझ पर लागू नहीं होते है। लेकिन मै यहाँ एक मेहमान की हैसियत से आया हूँ तो
वह सब नहीं कर सकता जो मै अपने कैदियों के साथ करता हूँ। इसलिये जितनी गाली देनी है
एक बार देकर अपने दिल का मवाद निकाल लो और सामने रखी हुई फाइल की तस्वीरें देख कर बताओ
कि क्या इनमे से कोई तुमसे मिला था। इतना बोल कर मैने उसे मेज की ओर धकेल दिया। वह
मेज पर अपने हाथ रख कर बंगाली मे सुप्रिटेन्डेन्ट से बोलने लगा था। जब वह चुप हो गया
तो मैने कहा… अब कुछ काम कर ले। वह कुछ बोलने को हुआ और फिर अचानक जोर से चीखा… अल्लाह…खुदा
के लिये रहम किजिये। रहमान और सुप्रिटेन्डेन्ट दोनो ही हैरत से उसमे आये हुए बदलाव
को देख कर चौंक गये थे। उसकी आँखों से आँसू छलक गये थे। …मुन्नवर, यह सिर्फ शुरुआती
दर्द महसूस हुआ है। कुछ देर के बाद यह दर्द गायब हो जाएगा लेकिन पाँच मिनट के बाद यह
तुम्हारा पैर घुटने तक सुन्न हो जाएगा। अगर मै पन्द्रह मिनट ऐसे ही खड़ा रहा तो यह कभी
ठीक नहीं होगा और फिर सारी जिन्दगी तुम्हें एक पाँव पर गुजारनी पड़ेगी। सुप्रिटेन्डेन्ट
तुरन्त उठ कर खड़ा हुआ और झुक कर नीचे देखने लगा। रहमान भी झुक कर नीचे देख रहा था।
मेरे जूते की एड़ी उसके पंजे पर गड़ी हुई थी। अब्दुल्लाह का चीखना और चिल्लाना बन्द हो
गया तो मैने कहा… अब पाँव मे खून का दौरा लगभग बन्द हो गया है। जरा पैर की उंगलियाँ
हिला कर देख लो। अचानक वह जोर से चीखा… बताता हूँ जनाब, खुदा के लिये रहम किजिये। सुप्रिटेन्डेन्ट
कुछ बोलना चाह रहा था लेकिन मैने अबकी बार हँसते हुए कहा… आप चिन्ता मत किजिये। इसके
पैर को लकवा मारने के बाद बड़े से बड़ा डाक्टर और वकील किसी भी अदालत मे यह साबित नहीं
कर सकेंगें कि टार्चर के कारण ऐसा हुआ था। यह किसी के साथ भी चलते-चलते दुर्घटना हो
सकती है बस बदकिस्मती कह कर बात आयी गयी हो जाएगी। दोनो जो अभी तक उसकी बंगाली सुन
कर मुस्कुरा रहे थे वह अब मुझे हैरानी से देख रहे थे।
…मुन्नवर, मेरे लिये
तुझ जैसे एक दफ्तर के चपरासी से ज्यादा नहीं है। पिछले दस साल मे मैने सैकड़ों हिज्बुल,
लश्कर और जैश के आतंकवादियों को उनकी हूरों से मिलाया है और लगभग उतने ही लोगों के
मुँह भी खुलवाये है। अब यह तेरे पास आखिरी पाँच मिनट बचे है। फिर भी मुँह नहीं खोला
तो उसके बाद मै तेरे दूसरे पाँव के साथ करुँगा। वह जल्दी से बोला… रहम किजिये। सब कुछ
बताता हूँ। खुदा के लिये मुझ पर रहम किजिये। मैने रहमान की ओर देख कर कहा… एसपी साहब
क्या कहते है। अब यह हिन्दी मे सब कुछ बोलेगा? रहमान ने जल्दी से कहा… मेजर साहब, अब
यह जरुर बोलेगा। मैने अपनी एड़ी उसके पँजे से हटा कर उसे अपने कन्धे की चोट मार कर नीचे
गिरा दिया और जल्दी से उसके पंजे को हाथ मे लेकर दबा कर घुटने तक रगड़ने लगा। कुछ देर
रगड़ने के बाद उठ कर मैने कहा… तेज दर्द होगा लेकिन पाँव को कोई नुकसान नहीं होगा। मैने
अपनी कुर्सी उठा कर उसके आगे रखते हुए कहा… अब इस पर बैठ कर आराम से बातचीत करते है।
रहमान और सुप्रिटेन्डेन्ट मूक दर्शक बने सब कुछ देख रहे थे। मैने उसे सहारा देकर कुर्सी
पर बिठाया और फिर उसके सामने बैठ कर पूछा… हिज्बुल के लोग कहाँ ठहरते थे। वह जल्दी
से बोला… हमारे चार सेन्टर पर हिज्बुल के लोग रुकते थे और दो सेन्टर पर हरकत उल अंसार
के लोग रुकते थे। …भाईजान नक्शे पर दिखाओ। उसने सामने लगे हुए बांग्लादेश के नक्शे
पर छह जगह दिखा कर पूछा… यह दर्द कब खत्म होगा। जब तुम इस फाइल को देख लोगे तो वह दर्द
भी खत्म हो जाएगा।
वह जल्दी-जल्दी तस्वीरे
देखने बैठ गया था। उसने मुश्किल से बीस मिनट मे सवा सौ तस्वीरों मे से तीस तस्वीरों
की पहचान कर ली थी। मैने सब तस्वीरों पर निशान लगा कर पूछा… अब दर्द तो कम हो गया होगा।
…जी जनाब। मै खड़ा हो गया और उसके कन्धे पर हाथ मार कर कहा… मियाँ तुम्हारा पाँव बच
गया। किस्मत वाले हो क्योंकि ज्यादातर जिहादी अपना एक पाँव खोने के बाद ही अपना मुँह
खोलते है। एसपी साहब आपको कुछ पूछना है तो आप पूछ सकते है। रहमान ने जल्दी से मना करते
हुए कहा… इसका काम खत्म हो गया है तो दूसरे को बुला लेते है। …हाँ इसे जाने दिजिये
लेकिन एक मिनट रुकिये। मुन्नवर पिछले तीन महीने मे जमात कुछ हिज्बुल के लोगों को बंगाल
की खाड़ी मे प्रशिक्षण दे रहे थे। उसके बारे मे कुछ भी जानते हो तो बता दो। एक ही अनुभव
के कारण उसका मनोबल टूट गया था। वह जल्दी से बोला… खुदा की कसम मुझे नहीं मालूम लेकिन
हिज्बुल के सारे प्रशिक्षण का काम अख्तर देखता था। मैने रहमान की ओर देखा तो उसने पूछा…
अख्तर काजी? …जी जनाब। मैने उसको फिर रोका नहीं और वह लंगड़ाते हुए पुलिस वालों का सहारा
लेकर बाहर चला गया था।
…एसपी साहब यह अख्तर
काजी कौन है? …जमात का सदस्य है। कुछ दिन वह हमारी हिरासत मे रहा था लेकिन कोर्ट से
जमानत मिलने पर छूट गया था। …मुझे उसका डोजियर और फोटो चाहिये। …आफिस पहुँच कर आपको
दोनो चीजें मिल जाएगी। उसको पकड़ने के लिये मै अपने इन्टेलीजेन्स नेटवर्क को एक्टिव
कर दूँगा। आप बेफिक्र रहिये चौबीस घंटे मे उसका पता चल जाएगा। आप कहे तो दूसरे आदमी
को बुला लेते है। …एसपी साहब, आज उनसे बात मत किजिये। आज की कहानी मुन्नवर अपने दोनो
साथियों को जरुर सुनायेगा। आज रात बाकी दोनो मेरा सामना करने के लिये कोई नयी रणनीति
बनायेंगें। हो सकता है कल उनमे से कोई बिना किसी दबाव के सब कुछ बता देगा और नहीं तो
कल हम उन्हें नये तरीके से हैन्डल करेंगें। एसपी रहमान ने सुप्रिटेन्डेन्ट से बात करके
कल आने के लिये कह कर चलने लगा तभी मैने कहा… सुप्रिटेन्डेन्ट साहब, इन तीनों की फाईल
की एक कापी मुझे दे दीजिये। …सर, वह तो बांग्ला मे है। …कोई बात नहीं। मुझे भी तो अपनी
नयी रणनीति पर काम करना है। …यस सर। अब तक दोनो अधिकारी मेरी कार्यशैली को देख कर सावधान
हो गये थे। वह तीनों की फाईल की कापी निकालने के लिये चला गया था। एसपी रहमान मेरे
साथ बैठ गया था।
…मेजर साहब, क्या
सच मे उसका पाँव हमेशा के लिये खराब हो जाता? …आपको शक है तो कल उसका भी परीक्षण कर
लेते है। वह हँसते हुए बोला… नहीं, मेरा मतलब है कि क्या आप लोगों को इसका प्रशिक्षण
दिया जाता है? …एसपी साहब, अनुभव से बड़ा कोई प्रशिक्षक नहीं है। जब हमारा कोई सैनिक
इन जिहादियों के हाथ लग जाता है तो क्या आपको पता है कि हमे उसको इकठ्ठा करना पड़ता
है। इन हिज्बुल, जैश और लश्कर के आतंकियों पर लगाम लगाने के लिये इनके जहन मे हमारा
आतंक हमेशा के लिये बैठाना पड़ता है। यहाँ अपनी वर्दी मे नहीं आया वर्ना आप खुद उनकी
आँखों मे खौफ देख लेते। तीनों की फाईल मिलने के बाद हम वापिस आफिस की ओर चल दिये थे।
शाम हो गयी थी। ट्रेफिक अपने पूरे चरम पर था। रुकते-रुकाते जैसे ही हम रहमान के आफिस
मे पहुँचे थे कि मेरे फोन की घंटी बजी तो मैने जल्दी से फोन लिया… हैलो। …आरफा बोल
रही हूँ। मैने जल्दी से अपने होटल और रुम नम्बर का पता बता कर फोन काट दिया था। अब
मेरे पास उसका नम्बर आ गया था। …आप यहाँ किसी को जानते है? …नहीं। बीवी का फोन था।
रात को आराम से वह होटल मे फोन पर अब बात कर लेगी। …वह तो आपसे मोबाइल पर बात कर सकती
है। …रहमान साहब, बीवीयों से बेहतर कोई इन्टेलीजेन्स युनिट नहीं हो सकती। वह होटल के
नम्बर पर बात करके आश्वस्त हो जाएगी कि उस वक्त मै अपने रुम मे हूँ। वह हँसते हुए बोला…
आप किसी के साथ अपने रुम मे भी तो हो सकते है? …उसके लिये उनके पास और भी बहुत से तरीके
होते है। एसपी रहमान खिलखिला कर हँसते हुए बोला… आप बड़े दिलचस्प इंसान है। यह अख्तर
काजी के डोजियर की कापी है। उसकी फोटो भी इसमे है। उसकी फोटो देख कर एक पल के लिये
मै चौंक गया था। यह ढाका मे अख्तर काजी बन कर रह रहा था।
…क्या हुआ मेजर साहब?
…यह अख्तर काजी नहीं है। इसका असली नाम अब्दुल्लाह नासिर है। यह श्रीनगर के हाजी मोहम्मद
अल मंसूर सैयद साहब का बेटा है। वह श्रीनगर की जामिया मस्जिद के इमाम है और जमात-ए-इस्लामी
के संस्थापक सदस्यों मे से एक है। यह भी जमात के मुख्य युवा नेताओं मे से एक था। यह
अचानक श्रीनगर से गायब हो गया था। अब पता चला है कि यह यहाँ अख्तर काजी के नाम से रह
रहा था। एसपी साहब मुझे यह आदमी चाहिये। इसको अपने साथ लेकर जाऊँगा। इसकी असलियत को
साबित करने के लिये मै आज ही अपने आफिस को खबर कर देता हूँ। एसपी रहमान भी हैरत से
मेरी बात सुन कर सोच मे पड़ गया कि भला एक घुसपैठिया यहाँ आकर कैसे बस गया था? उस पर
पुलिस का केस भी चला और जमानत भी मिल गयी लेकिन किसी को पता नहीं चला कि वह घुसपैठिया
था। कुछ देर बात करने के बाद कल मिलने का समय तय करके मै अपने होटल की ओर पैदल निकल
गया था।
होटल पहुँच कर मैने
उसी नम्बर पर काल किया। आरफा की आवाज कान मे पड़ी… हैलो। अब बताओ कहाँ मिलोगी? …मै आपके
होटल आ जाती हूँ। …आरफा, तुम भी इसी होटल मे ठहर जाओ। तुम्हारे पास कोई बाँग्लादेश
का परिचय है तो वह दिखा कर तुम यहाँ ठहर सकती हो अन्यथा तुम्हें कहीं और रहना पड़ेगा।
…मेरे पास यहाँ का आईडी कार्ड है। …तो तुम इसी होटल मे ठहर जाओ। …जी। मैने फोन काट
दिया और अजीत सर को फोन लगाया। कुछ देर घंटी बजने के बाद उनकी आवाज आयी… मेजर, क्या
कुछ कामयाबी मिली? …सर, पता नहीं लेकिन आपको अभी ब्रिगेडियर चीमा से अब्दुल्लाह नासिर
के बारे मे मालूम करना पड़ेगा कि वह इस वक्त श्रीनगर मे है कि नहीं है? अगर वह वहाँ
है तो उसे फौरन हिरासत मे लेना पड़ेगा। वह हिज्बुल के लिये यहाँ पर अख्तर काजी के नाम
से सारा प्रशिक्षण कुअर्डिनेट किया करता था। …और कुछ? …ब्रिगेडियर चीमा के पास उसका
पूरा डोजियर होगा। उसकी कापी चाहिये। अगर वह यहाँ पकड़ा गया तो उसे भारत लाने के लिये
उस डोजियर की जरुरत पड़ेगी। …भारतीय दूतावास से उसका डोजियर कल शाम को ले लेना। …यस
सर। इतनी बात करके फोन कट गया था।
रात को आठ बजे मेरे
दरवाजे पर दस्तक हुई तो मैने उठ कर दरवाजा खोला तो बाहर आरफा खड़ी हुई थी। वह अन्दर
आकर बिस्तर पर बैठ कर बोली… ओमर सुल्तान के लिये साहिबा काम करती है। रानी के लिये
लड़कियों का इंतजाम परवीन करती है और मकबूल चौधरी के लिये हिना करती है। तीनो को मै
अच्छी तरह से जानती हूँ। …तुम किस कमरे मे ठहरी हो? …मै 5405 मे हूँ। मैने चार फाईलें उसके सामने रख कर कहा… इन्हें पढ़
कर मुझे हिन्दी मे समझा सकती हो। मैने सबसे पहले अख्तर की फाईल उसे पकड़ा दी थी। वह
मुझे बंगाली को हिन्दी मे अनुवाद करते हुए समझाने लगी थी। अख्तर के खिलाफ तस्करी और
पुलिस के साथ मारपीट का चार्ज लगा हुआ था। …कहाँ रहता है? उसने पता बताते हुए कहा…
यहाँ से काफी दूर है। …उसके परिवार के बारे मे कुछ लिखा है? वह पढ़ते हुए अचानक रुक
गयी थी। …क्या हुआ? …वह साहिबा के साथ रहता है। वह उसके लिये गवाह बनी थी। …कौन साहिबा?
…वही जो ओमार सुलातान के लिये काम करती है। …यह तुम कैसे कह सकती हो? …यहाँ पर साहिबा
का पता लिखा हुआ है। …क्या तुम मुझे साहिबा से मिलवा सकती हो? …पता नहीं वह यहाँ आयेगी
कि नहीं? मै उससे कल मिलुँगी तब पूछ लूँगी। …अख्तर के परिवार मे और कोई भी है? …यहाँ
सिर्फ तीन बच्चों का जिक्र है। …उसके तीन बच्चे कैसे हो सकते है? …क्यों? …वह श्रीनगर
मे रहता है। उसे यहाँ आये तो एक साल ही हुआ है। …हो सकता है कि वह साहिबा के बच्चे
होंगें। …तुम बाकी को छोड़ कर इस पर ध्यान केन्द्रित करो। यही हमारी सभी मुश्किलों की
चाबी है। …बाकी फाइलें? …बाद मे देखेंगें। तुमने खाना खाया कि नहीं? वह चुप हो गयी
तो मै समझ गया और खाने का आर्डर रुम सर्विस को देकर मै आराम से बैठ गया था। कुछ देर
बाद खाना आया और समाप्त भी हो गया था।
कुछ देर अख्तर और
साहिबा की बात करने के बाद आरफा ने उठते हुए कहा… मै अब चलती हूँ। आप आराम किजिये।
मै भी उठ कर उसे दरवाजे तक छोड़ने के लिये चल दिया था। अचानक उसने मुझे पीछे से अपनी
बाँहों मे जकड़ कर कहा… उस रात के लिये आप अभी भी खफा है। मैने घूम कर उसकी आँखों मे
झाँकते हुए कहा… इसमे खफा होने की क्या बात है। …उस रात के बाद आपने मुझे कभी अपने
करीब नहीं आने दिया। मैने मुस्कुरा कर कहा… आज तो इतने करीब होने के बाद भी तुम जाने
की बात कर रही थी। यह बोल कर मैने उसका चेहरा अपने हाथों मे लेकर उसके होंठों को चूम
लिया। वह तड़प मेरे होंठों पर छा गयी थी। उसे अपनी बाँहों मे बाँधे बिस्तर पर ले आया
था। कुछ ही देर मे हम निर्वस्त्र हो कर बिस्तर पर एक दूसरे को बाँहों मे जकड़ कर एक
दूसरे से गुथ गये थे। कमरे की सभी लाईट जल रही थी सफेद चादर पर उसका सांवला जिस्म किसी
नागिन की भांति बल खा रहा था। उस रात मैने अपने आप को उसके हवाले कर दिया था परन्तु
आज उसने अपना जिस्म मेरे हवाले कर दिया था। उसके होंठों का रस सोख कर जब उसके सीने
पर धावा बोला तो वह तड़प कर बोली… बस और देर मत करिये। इतना बोल कर उसने ऐठें हुए भुजंग
अपनी उंगलियों मे जकड़ा और कुछ देर अपने स्त्रीतव द्वार के जोड़ पर रगड़ती रही। उसने भुजंग
के फूले हुए सिर को अपनी बहती हुई तरलता से नहलाया और फिर अपने योनिमुख पर रख कर मुझे
आगे बढ़ने के लिये प्रेरित किया। उसके पुष्ट नितंबों को अपने हाथों मे जकड़ कर मैने उसे
स्थिर किया और अगले ही क्षण अपनी कमर को भरपूर झटका दिया तो भुजंग तीर की तरह सारी
बाधाएँ हटाते हुए जड़ तक जाकर बैठ गया था। जैसे ही हमारे जोड़ टकराये उसने एक हिचकी लेकर
लम्बी सीत्कार भरी और फिर स्खलित हो गयी थी। वह शांत होकर मेरी आँखों मे झांकते हुए
बोली… यह तो शुरुआत है। मैने मुस्कुरा कर कहा… अच्छा तो अंत कैसा होगा?
मेरे होंठों और जुबान
ने उसके सीने की पहाड़ियों पर जैसे ही हमला बोला वह एक बार फिर अपनी मस्ती मे आ गयी
थी। मेरे हाथ उसके भारी उन्नत वक्षस्थल पर काबिज हो गये थे। कभी उसके उरोज को जोर से मसक
देता और कभी उनको सहलाते हुए उन पर खड़े हुए काले बादम जैसे
स्तनाग्र को तरेड़ देता। आरफा की योनि में अभी भी मेरा भुजंग
गहरायी मे धंसा हुआ था। जैसे ही थोड़ी उसमे शिथिलता आती तो अपने हथियार को धीरे से पीछे खींच
कर अंदर ठेल देता था। आरफा के कामरस मे नहा कर उसकी योनि बिना किसी
हील-हुज्जत के मेरे भुजंग को जड़ तक निगल गयी थी। आरफा की बड़ी-बड़ी आँखे एक अलग ही प्रकार
के नशे मे डूबी हुई लग रही थी। उसके सीने के सुंदर कलश पर मै लगातार वार
कर रहा था। कभी उसके कलश को अपने मुख
में भर कर उसका रस सोखता और कभी अपनी जुबान से अकड़े हुए स्तनाग्र की
मालिश करता और कभी अपने हाथों से कलश को निचोड़ता और कभी हौले से सहला देता। इतनी देर मे आरफा
के जिस्म में एक बार फिर से आग भड़क चुकी थी।
…आह…ह…हा…य बस इस जिस्म को पीस कर रख दो
जालिम…म…र गयी…हाय। होटल के कमरे मे उसकी सिसकारियों
से गूँज रही थी। अब वह एकाकार के लिये तैयार हो गयी थी। उसके जिस्म का
इशारा पाते ही मैंने अपना कार्य शुरु कर दिया। कभी पूरी लम्बाई
के कुछ वार के पश्चात कुछ छोटे परन्तु शक्तिशाली
वार करते हुए धीरे-धीरे हम दोनों अपने आखिरी पड़ाव की ओर अग्रसर हो रहे
थे। हम दोनों की साँसे तेज हो चली थी। हम दोनों के
अंदर स्खलन का दबाव बढ़ता जा रहा था। अचानक आरफा के मुख से लम्बी
सिस्कारी छूट गयी और फिर झटके लेते हुए अपने प्रेमरस की वर्षा से मेरे भुजंग को सिर से लेकर
गरदन तक नहला दिया था। उसके हर झटके से ऐसा प्रतीत हो रहा था कि जैसे उसकी
योनि मेरे भुजंग का सिर जकड़ कर उसका रस सोख रही थी। इस आभास ने
मुझे भी अपनी चरम सीमा पर पहुँचा दिया था। एक क्षण के लिए मेरे लिए सब कुछ रुक सा
गया था। अचानक मेरे अंदर उफ़नता हुआ ज्वालामुखी फट पड़ा
और बिना रुके लावा बह निकला था। मेरा कामरस उसकी योनि को लबालब भर
कर बाहर रिसने लगा था। कुछ समय तक निश्चल हो कर हम दोनों एक दूसरे को बाँहों मे लिये
बिस्तर पर लस्त पड़े रहे थे। थोड़ी देर मे उसने
करवट लेकर मेरी ओर देखते हुए कहा… आपने बताया नहीं कि आपने मुझे अपने से क्यों दूर
कर दिया था। आप मेरे कमरे आते तो अंजली को कोई आपत्ति नहीं होती। …तुम नहीं समझोगी।
उसने एक बार मुझसे इस बारे बात की थी। मैने मना कर दिया था। अगर हमारा निकाह नहीं होता
तब यह मुम्किन हो सकता था। निकाह के बाद उसके सामने तुम्हारे पास जाना मेरे लिये मुमकिन
नहीं था। …तो अब क्यों? …क्योंकि वह यहाँ मेरे साथ नहीं है। अगर वह यहाँ होती तो तुम
आज भी अपने कमरे मे सो रही होती। वह चुप होकर लेट गयी थी। आँखे नींद से भारी हो रही
थी तो मै आँख मूंद कर लेट गया था। पता ही नहीं चला कब अपने सपनो की दुनिया मे खो गया
था।
सुबह उठा तो बाथरुम
से फारिग होकर बाहर निकलते हुए उस पर नजर पड़ी तो ठिठक कर रुक गया था। दिन के उजाले
मे उसका सांवला जिस्म दमक रहा था। भारी वक्ष और उन पर काले रंग के फूले हुए
स्तनाग्र,
घने घुँघराले
बालों से ढका हुआ कटिप्रदेश, लम्बी गरदन और तीखे-नयन नक्श, सब कुछ मिला कर आरफा मुझे कालिदास की
यक्षिणी की याद दिला रही थी। भरे हुए गोल नितंब और मासंल जांघे, पतली कमर और गहरे
काले लंबे बाल बिस्तर पर फैले हुए थे। उसको देख कर मेरे मुख से एक आह निकल गयी थी। मैने धीरे से पुकारा…
आरफा। मेरी आवाज सुन कर वह उठ कर बैठ गयी थी। अचानक उसे अपनी
स्थिति का आभास हुआ तो उसने मेरी ओर देखा और आँखे चार होते ही उसने शर्मा कर अपनी निगाहें झुका
ली थी। …तुम कपड़े पहन लो तो मै चाय मंगा लेता हूँ। वह झपट कर अपने कपड़े लेकर बाथरुम
मे चली गयी थी। मैने रुम सर्विस को चाय का आर्डर देकर वह फाईले देखने बैठ गया था।
चाय पीते हुए उसने
बताया कि आलम बेग चौधरी जमात-ए-इस्लामी बांग्लादेश का सेक्रेटरी के पद पर कार्यरत है।
वह खुलना मे रहता है। पुलिस रिपोर्ट मे बताया गया है कि वह देह तस्करी के मामले मे
पकड़ा गया था। …खुलना तो सीमावर्ती इलाके मे पड़ता है। तुम भी तो उसी रास्ते से भारत
मे दाखिल हुई थी। …आप ठीक समझे। ज्यादातर जिहादी वहीं से बांग्लादेश मे घुसपैठ करते
है। पुलिस ने उस पर यही इल्जाम लगाया है कि वह उन घुसपैठियों के लिये सुविधा मुहैया
कराता था। …उसके परिवार के बारे मे कुछ लिखा हुआ है? …दो बीवियाँ और सात बच्चे। …उसका
केस कौन लड़ रहा है? …मुजीबुर शेख नाम का वकील है। तीसरी रिपोर्ट आलमगीर हुसैन की है।
वह ढाका स्थित जमात की शाखा का अध्यक्ष है। उस पर तो बहुत सारी पुलिस रिपोर्ट है। बलात्कार,
तस्करी, लूटमार, हत्या और दंगा फसाद जैसे केस उस पर पहले से चल रहे है। इस बार उसे
गैर कानूनी मोर्चा और पुलिस बल पर हमले का चार्ज है। …उसके परिवार के बारे मे कुछ नहीं
दिया है। वह उसकी रिपोर्ट पढ़ते हुए जल्दी से बोली… इसके लिये भी साहिबा ने वकील का
इंतजाम किया था। इसका वकील भी मुजीबुर शेख है। मैने जल्दी से कहा… जरा मुन्नवर की रिपोर्ट
देख कर बताओ उसका वकील कौन है? वह मुन्नवर की रिपोर्ट देखने के बाद बोली… इसका भी वकील
मुजीबुर शेख है। अब एक पैटर्न मेरे सामने आ गया था। आरफा तैयार होने के लिये अपने कमरे
मे चली गयी थी। मै भी तैयार होने के लिये चला गया था।
दस बजे मै वह चारों
फाईल लेकर एसपी रहमान के कमरे मे बैठा हुआ चारों रिपोर्ट्स पर चर्चा कर रहा था। वह
हैरानी से मेरी ओर देख रहा था। …मेजर साहब एक ही रात मे आप बंगाली कैसे सीख गये? मैने
हंसते हुए कहा… कुछ सौ टके खर्च किये और होटल के आदमी को बैठा कर सारी रिपोर्ट मैने
हिन्दी मे समझ गया था। अब आपसे मेरा निवेदन है कि मुजीबुर शेख नाम के वकील से बात करना
चाहता हूँ। इन तीनो का वकील वही है। दूसरे आदमी का नाम मुझे पता नहीं है। आलमगीर हुसैन
की कोई बीवी या रखैल है तो उससे बात करना चाहता हूँ। दो स्त्रियाँ है हिना और परवीन
जो जिहादियो के लिये लड़कियों का इंतजाम करती थी। मै उनसे बात करना चाहता हूँ। एक और
निवेदन है कि इन सभी लोगो के नाम अपने क्रिमिनल डेटाबेस मे चेक कर लिजियेगा। मुझे यकीन
है कि यह सभी नाम वहाँ पर जरुर मिल जाएँगें। मुझे उनकी रिपोर्ट चाहिये। एसपी रहमान
मुँह खोल कर मुझे घूर रहा था। …क्या हुआ एसपी साहब? …मेजर साहब, क्या आपका इन्टेलीजेन्स
नेटवर्क यहाँ भी फैला हुआ है? …नहीं एसपी साहब। आपको बताया तो था कि पिछले दस साल से
मेरा वास्ता इन्हीं जिहादियों से रहा है। सभी अपने मददगारों के नाम बताते है। हाल ही
मे नेपाल मे हरकत उल अंसार के तीस जिहादी पकड़े गये थे। उनसे पूछताछ मे कुछ नाम पता
चले थे तो मैने आपके सामने रख दिये है।
…दोपहर तक इन्हें
बुला लूँगा लेकिन पहले डेटाबेस चेक कर लेता हूँ। यह बोल कर एसपी रहमान अपनी मेज पर
रखे हुए कंप्युटर मे व्यस्त हो गया था। मुजीबुर शेख के नाम पर भी चार धोखाधड़ी के केस
दर्ज थे। चार केस मारपीट के दर्ज थे। वह जमानत पर बाहर था लेकिन कोर्ट मे इन लोगो के
लिये केस लड़ रहा था। हिना और परवीन पर देह व्यापार के काफी केस दर्ज थे। उसने सबके
प्रिंट निकाल कर मेरे हाथ मे पकड़ा दिये थे। आलमगीर हुसैन के लिये रहमान ने उसके इलाके
के थाने मे पता करके बोला… वह आज कल मेहरुनिसा नाम की लड़की के साथ रहता है। …उसको भी
बुला लिजिये। एसपी रहमान अपने काम मे लग गया था। कुछ देर बाद रहमान ने कहा… मेजर साहब,
उक्त थानो को खबर कर दी गयी है। कुछ ही देर मे वह आने शुरु हो जाएँगें। …आने दिजीये।
मै अपनी पीठ टिका कर आराम से बैठ गया था।
ab naya khel susru ho raha hai thx brother
जवाब देंहटाएंHappy Deepawali cyrus bhai. thanks for your comment.
हटाएंबहुत ही जबरदस्त अंक और समीर को बांग्लादेश में कश्मीर के पुराने तंजीम के तार दिखने लगे हैं जिसको उसने चीमा के हाथों छोड़ कर आया था, अब देखते हैं कैसे वो सभी लोग अपना मुंह खोलते हैं और क्या नया गहरी चाल के बारे में पता लगेगा।
जवाब देंहटाएंअब साजिश खुल कर सामने आ गयी है। अब चाल खुलने का कुचक्र तैयार हो गया है। अल्फा भाई शुक्रिया। दीपावाली की शुभ कामनाएँ
हटाएं✨✨✨दिपावली-पाडवा की विरभाई और सभी भाईयोंको हार्दिक बधाई ✨✨✨
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