आप आप सभी मित्रों को मेरी ओर से दीपावली के शुभ अवसर पर ढेर सारी शुभकामनाएँ। उम्मीद करता हूँ कि माँ लक्षमी आपके उपर धनधान्य की वर्षा करे और आपके और आपके परिवार के लिये सुख समृद्धि का आशीर्वाद दें।
इसी के साथ गोवर्धन और भाई दूज के लिये भी आप सभी को मेरी शुभ कामनायें।
आपका वीर
🙏
गहरी चाल-34
एसपी रहमान के कमरे
मे बैठ कर हम बात कर रहे थे कि तभी एक पुलिस वाले ने आकर सूचना दी कि मुजीबुर शेख आ
गये है। एसपी रहमान ने मेरी ओर देखा तो मैने कहा… उसे बैठने के लिये कहो। हम उसे अभी
बुलाते है। वह सिपाही वापिस चला गया था। …मेजर साहब उस वकील से आप क्या बात करने की
सोच रहे है? …एसपी साहब इसमे क्या सोचना है। वकील साहब को उनके क्लाइन्ट के बारे मे
बात करने के लिये बुलाया गया है। थोड़ा इंतजार कराईये जिससे लगे कि एसपी साहब किसी काम
मे व्यस्त है। पन्द्रह मिनट के बाद रहमान ने फिर कहा… मेजर साहब उसे बुला लेते है।
…अभी नही। पाँच मिनट बाद एक थानेदार ने दरवाजे पर दस्तक देकर प्रवेश किया और मुस्तैदी
से सैल्युट मार कर बंगाली मे कुछ बोल कर खड़ा हो गया था। …यह महरुनिसा को लेकर आ गया
है। …वह कहाँ है? …बाहर खड़ी हुई है। …इन्हें कहिये कि यह वापिस चले जाये। पूछ्ताछ के
बाद उसे छोड़ देंगें। वह इन्स्पेक्टर मेरी बात समझ गया और उल्टे पैर वापिस लौट गया।
मै बाहर निकल कर महरुनिसा के पास चला गया। वह घबरायी हुई खड़ी थी। बुर्के की चिलमन उसने
हटा रखी थी। उसकी शक्ल देख कर मैने अन्दाजा लगाया कि वह कम उम्र की लड़की है तो सलाम
करके मैने कहा… आप हिंदी समझती है? मेरी ओर देख कर वह डरते हुए बोली… साबजी थोड़ी बोल
सकती हूँ। मैने कहा… आईये मेरे साथ। आपको कुछ देर इंतजार करना पड़ेगा। एसपी साहब किसी
से पूछताछ कर रहे है। मै सामने वाले कमरे की ओर चल दिया जहाँ एसपी रहमान का निजि सचिव
बैठता था।
एसपी रहमान के निजि
सचिव के कमरे का दरवाजा खोल कर मै घुर्रा कर बोला… मुजीबुर कौन है? मैने जगह देकर महरुनिसा
से कहा… आपको दोबारा बुलाने आउँगा। तब तक आप यहाँ बैठिये। मुजीबुर को देख वहाँ बैठा
देख कर वह ठिठक कर रुक गयी थी। मुजीबुर भी उसे देख कर एक पल के लिये चौंक गया था। मै
एसपी के पीए पर दहाड़ा… यह मुजीबुर कौन है। अबकी बार वकील साहब जल्दी से बोले… जनाब,
मै एडवोकेट… मैने उसकी बात काटते हुए कहा… फिलहाल हमारे पास किसी एडवोकेट से मिलने
का टाइम नहीं है। मैने तुरन्त पीए की ओर गरदन घुमा कर कहा… यह मुजीबुर कहाँ भाग गया।
थाने मे खबर करो कि उसके चेम्बर से उठा कर उसे यहाँ लेकर आये। हिना और परवीन भी अभी
तक नहीं आयी। …साहब, कंट्रोल रुम ने खबर दी है कि वह रास्ते मे है। …उस मुजीबुर को
भी उठवा लो। अबकी बार वह जल्दी से बोला… जनाब, मै मुजीबुर शेख हूँ। मैने उसे घूर कर
देखा… तुम तो अपने आप को एडवोकेट बता रहे थे। …जनाब मै एडवोकेट हूँ। मैने घूर कर देखते
हुए कहा… चार-चार फ्राड और चारसौबीसी के केस तुम्हारे नाम पर चल रहे है और तुम अपने
आप को एडवोकेट बता रहे हो। एकाएक उसकी वकालत सबके सामने मैने उतार दी थी। मैने महरुनिसा
से कहा… आप आराम से बैठिये। पहले जो कुछ अभी तक पता चला है उसकी पूछताछ मुजीबुर से
करनी है। यह बोल कर मुजीबुर के कन्धे पर हाथ रख कर लगभग धकेलते हुए मैने कहा… चलिये
एडवोकेट साहब। हम दोनो एसपी रहमान के कमरे मे दाखिल हो गये थे। …बैठिये एडवोकेट साहब।
उसकी हवाइंया उड़ी हुई थी। वह नजरे झुका कर बैठ गया था।
एसपी रहमान मेरी ओर
देख कर बोला… यह भारतीय सेना के मेजर समीर बट है। जमात-ए-इस्लामी की जाँच के लिये आये
है। मेजर साहब, मुजीबुर शेख आपके सामने है। जो पूछना है वह आप इनसे पूछ लिजिये। उसने
जल्दी से बंगाली मे कुछ रहमान से कहा तो रहमान ने कहा… वकील साहब पूछ रहे है कि आप
कौन होते है पूछ्ताछ करने वाले। मै इस आदमी को कोई जवाब नहीं दूंगा। मैने मुस्कुरा
कर उसकी ओर देखते हुए कहा… एसपी साहब यह तो कानून बहुत अच्छे से जानता है। मैने जो
इसके खिलाफ आपको सुबूत दिये है तो आप इसी वक्त इस पर मित्र देश के विरुद्ध साजिश, जाली
करेन्सी का वितरण और पठानकोट मे ब्लास्ट का चार्ज लगा कर तुरन्त हिरासत मे ले लिजिये।
आज ही फ्राड के जुर्म मे इसकी जमानत को रद्द करने की याचिका कोर्ट मे लगाईये और बाकी
काम मुझ पर छोड़ दिजिये। हम तो ऐसे काम आये दिन ही करते रहते है। मुजीबुर अबकी बार वह
हिन्दी मे बोला… आप मुझे धमकी दे रहे। मेरे खिलाफ क्या सुबूत है? अबकी बार मै खिलखिला
कर हँस कर बोला… सुबूत कोर्ट मे पेश करने होंगें तो वहाँ करेंगें वकील साहब। फिलहाल
तो आपको लाकअप मे जाना है। इसका कोई कानून है तो बता दिजिये कि लाकअप की ओर जाती हुई
गाड़ी उलटनी नहीं चाहिये या लाकअप तोड़ कर भागने वाले आतंकवादी को गोली नहीं मार सकते।
मेरी बात सुन कर एडवोकेट मुजीबुर शेख की पेशानी पर पसीने की बूंदे साफ दिख रही थी।
वह अपने आप को सयंत
करते हुए बोला… आप क्या पूछना चाहते है? मैने एसपी रहमान की ओर देखा तो वह फटी हुई
आँखों से मेरी ओर देख रहा था। …आप अपनी मर्जी से बात कर रहे है वकील साहब? उसने गरदन
हिला दी थी। मैने आवाज कड़ी करते हुए कहा… मैने आपका जवाब नहीं सुना। वह जल्दी से बोला…
जी अपनी मर्जी से बात कर रहा हूँ। मै आराम से कुर्सी पर बैठ कर बोला… एसपी साहब, आप
गवाह है कि वकील साहब अपनी मर्जी से बोल रहे है। एसपी रहमान ने मुस्कुरा कर कहा… मेजर
साहब आप सवाल पूछिये। …मुजीबुर तुम क्या जमात के ही केस लड़ते हो? अबकी बार वह जल्दी
से बोला… नहीं जनाब। मै तो बहुत से और भी केस देखता हूँ। …तो तुम मे ऐसी क्या बात है
कि जमात के मुन्नवर, आलम बेग और आलमगीर की पैरवी सिर्फ तुम कर रहे हो और कोई दूसरा
वकील नहीं लिया गया? मेरा सवाल सुन कर वह गड़बड़ा गया था। वह अबकी बार संभल कर बोला…
इसके बारे मे भला मै क्या बता सकता हूँ। वह तीनो मेरे पुराने क्लाइन्ट है। मैने एसपी
रहमान से कहा… देखिये मैने बताया था न कि इस आदमी के उनसे पुराने संबध है। अपनी गलती
का एहसास मुजीबुर को उसी समय हो गया था लेकिन मुँह से निकली बात तो वापिस नहीं ली जा
सकती थी। …वकील साहब, आपने उनके लिये पहले कौन-कौन से और केसों मे पैरवी की है क्योंकि
आलमगीर के खिलाफ बलात्कार, तस्करी, लूटमार, हत्या और दंगा फसाद के चौदह केस दर्ज है।
अभी तक आपने कितने केस मे उसकी पैरवी की थी? अबकी बार मुजीबुर ने बस इतना ही कहा… जनाब
मै सिर्फ वकील हूँ। मेरा उनके कामो से कोई नाता नहीं है।
एसपी रहमान को अब
तक काफी मसाला मिल गया था। उसने पुलिस वाले अंदाज मे कहा… मुजीबुर, यहाँ जमात के आतंकवादी
गतिविधियों के बारे मे पूछताछ हो रही है। अच्छा होगा कि तुम जो भी जानते तो वह बता
दो क्योंकि कल अगर कोई दुर्घटना होगी तो सबसे पहले मै तुम्हें हिरासत मे लूंगा। तुम
कानून के आदमी हो तो तुम्हें पता है कि सामान्य कानून की हद कहाँ समाप्त हो जाती है।
अबकी बार मैने उसे
सीधा सवाल किया… आलमगीर के बारे मे क्या जानते हो? …वह निहायत ही बदमाश आदमी है। …उसकी
बीवी को जानते है? …जी। …वही जो बाहर बैठी है। आपने उसको क्या कहा था? अचानक उसके चेहरे
का रंग उड़ गया था। …मियाँ इसका सोच कर जवाब देना क्योंकि उसने अपना बयान दे दिया है
बस उसका लिखित बयान लेना बाकी है। मैने अचानक अपना सवाल बदल कर पूछा… मुजीबुर, तुम
जमात के अख्तर काजी को जानते हो? …जी जनाब। …वह इस वक्त कहाँ मिलेगा? एकाएक वह चुप
हो गया था। …कोई बात नहीं। यह बात आलमगीर तुमसे पूछ लेगा। वह जल्दी से बोला… जनाब,
वह आपको मकबूल चौधरी की बोट पर मिलेगा। वह आजकल सारा समय बोट पर बिता रहा है। मै कुछ
एसपी रहमान से बोलता उससे पहले वह उठ कर कमरे से बाहर निकल गया था। मुजीबुर को कुछ
समझ मे नहीं आया कि आखिर किस विषय मे पूछताछ की जा रही थी। वह कुछ बोलता उससे पहले
मैने कहा… वकील साहब आप जा सकते है। वह हैरत से मेरी ओर देखता रहा और फिर उठ कर खड़ा
हो गया। …वकील साहब बस इतना ख्याल रहे कि गवाह से मिलने या उसे बर्गलाने की कोशिश मत
करना। एडवोकेट मुजीबुर शेख तेजी से कमरे से बाहर निकल गया और इस बार उसने लिफ्ट का
भी इंतजार नहीं किया था।
मेहरुनिसा को एसपी
रहमान के कमरे मे बिठा कर मै बाहर निकल आया और उसके पीए से कहा… किसी महिला पुलिस को
तुरन्त बुलाओ। यह बोल कर मै एसपी रहमान के कमरे के बाहर खड़ा हो गया था। एसपी रहमान
लौट कर वापिस आया और मुझे बाहर खड़ा देख कर बोला… आप यहाँ कैसे खड़े हुए है। क्या मुजीबुर
का काम खत्म हो गया? …हाँ, अख्तर काजी का क्या किया? …मेरी युनिट पहले मकबूल चौधरी
को उठाएगी और फिर उसके साथ उसकी बोट पर जाएगी। अख्तर काजी को लेकर वह शाम तक वापिस
आ जाएँगें। …एसपी साहब, उस बोट पर जितने भी लोग है उन सभी को हिरासत मे लेना है। वही
लोग है जिनको भारत मे उत्पात मचाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। एसपी रहमान उल्टे
पाँव कंट्रोल रुम की ओर चला गया था। तभी एक लेडी कान्स्टेबल एसपी रहमान के कमरे का
दरवाजा खोल कर अन्दर झांक कर वापिस जाने लगी तो मैने रोक कर कहा… महिला सस्पेक्ट से
पूछताछ करनी है। तुम गवाही के लिये चुपचाप वहीं खड़ी रहना। …जी सर। उसको अपने साथ लेकर
मै कमरे मे चला गया था।
मैने आलमगीर की फाइल
निकाल कर उसके सामने रखते हुए कहा… मेहरुनिसा बीबी, उस वकील को तुम जानती हो? …जी।
…कैसे? एकाएक उसका चेहरा लाल हो गया था। वह धीरे से बोली… हमारे पड़ोसी है। …आलमगीर
से कब निकाह हुआ था? …दो महीने पहले। …उससे पहले कहाँ रहती थी? …गुलशन टाउन। …वकील
साहब कैसे आदमी है? वह सिर झुका कर बैठ गयी थी। कच्ची उम्र की लड़की थी और उसकी एक हरकत
ने उनके बीच की सारी बात खोल कर रख दी थी। जैसे ही उनका आमना सामना हुआ तो उसके चेहरे
के भाव और आखों मे पल भर के लिये तबदीली आ गयी थी कि जैसे वह पूछ रही हो कि तुम यहाँ
क्या कर रहे हो? उसी पल मै समझ गया था कि वह दोनो काफी नजदीक थे। मेरा काम तो मुजीबुर
ने कर दिया था। मेहरुनिसा की अब कोई जरुरत नहीं थी लेकिन जब उसे बुलाया था तो कुछ पूछना
होगा सोच कर मैने सामने पड़ी हुई फाईलों से सभी तस्वीरें निकाल कर एक-एक करके दिखाते
हुए पूछा… इनको कभी देखा है? मुन्नवर और आलम बेग की तस्वीर को देख कर उसने मना कर दिया
था लेकिन अख्तर की तस्वीर को वह कुछ देर ध्यान से देखती रही थी। उसने कुछ बोलने से
पहले मेरी ओर देखा तो मैने उसकी आँखों मे एक डर का साया देख कर आवाज कड़क करके पूछा…
बीबी, यह निहायत ही खतरनाक आदमी है। इसे पहले कभी देखा है? वह जल्दी बोली… साहब यह
आदमी दो दिन से मेरे घर मे रह रहा है। अपने आपको मेरे खाविन्द का दोस्त बता कर घुस
आया था। पल भर के लिये मै सकते मे आ गया था। पुलिस कान्सटेबल को उसके पास छोड़ कर मै
कंट्रोल रुम ढूंढने के लिये बाहर निकल गया था।
गैलरी मे कोई नहीं
दिखा तो कुछ कदम एक दिशा मे जाकर वापिस लौटने के लिये मुड़ा तो सामने से आते हुए एसपी
रहमान मुझे देख कर बोला… मेजर क्या ढूंढ रहे हो? …आपको ढूंढ रहा था। अख्तर बोट पर नहीं
है वह आलमगीर के घर पर पिछ्ले दो दिन से ठहरा हुआ है। …क्या? मै उसे लेकर मेहरुनिसा
के पास आ गया था। रहमान ने मेहरुनिसा से बंगाली कुछ बात की फिर जल्दी से बोला… मेजर
साहब इसे लेकर मेरे पीछे चले आओ। वह अपने फोन पर किसी से बात करते हुए तेज कदमों से
चलते हुए आगे निकल गया था। हम दोनो उसके पीछे चल दिये थे। जब तक हम नीचे पहुँचे तब
तक रहमान कार मे बैठ चुका था और हमारा इंतजार कर रहा था। हमारे कार मे बैठते ही पुलिस
कार आगे बढ़ गयी थी।
…मेजर, मैने इसके
स्थानीय थाने मे बात करके इसके घर की निगरानी पर उन्हें लगा दिया है। अब उसको जिंदा
पकड़ने के लिये थाने चल कर कोई योजना बनानी पड़ेगी। …एसपी साहब, वह आतंकवादी है जो मरने
मारने की सोच बना कर बैठा है। मेरी बात मानिये अपने पुलिस वालों से सिर्फ निगरानी करने
के लिये कहिये क्योंकि अगर पुलिस एक्शन लेगी तो ऐसी मुठभेड़ मे आपको काफी नुकसान उठाना
पड़ सकता है। उसके जैसे लोगो से निपटने का हमारा रोजाना का काम है। यह पुलिस के बस का
काम नहीं है। मुझे मेहरुनिसा के साथ अन्दर जाने दिजिये और अपनी पिस्तौल कुछ देर के
लिये मुझे दे दिजीये। एसपी रहमान पूरे रास्ते सोचता रहा फिर जैसे ही उसका घर नजदीक
आया तो अपनी पिस्तौल मेरी ओर बढ़ाते हुए बोला… मेजर, अपना ख्याल रखना। …आप बेफिक्र रहिए
एसपी साहब। बस यह पता कर लिजिए कि वह अभी भी घर के अन्दर है या नही? रहमान ने फोन पर
पूछ कर सख्त निर्देश दे दिये कि कोई कुछ अपनी ओर से एक्शन नहीं लेगा। उस घर से हम दोनो
कार से कुछ दूर पहले ही उतर गये थे।
…महरुनिसा तुम्हें
कुछ देर के लिये मुझे वकील साहब की तरह समझना पड़ेगा। मैने पिस्तौल की मैगजीन चेक की
और सेफ्टी लाक लगा कर कहा… बुर्के के नीचे क्या पहना है? …कुर्ता और शलवार। हम एक पेड़
की आढ़ मे खड़े हो गये और मैने उसे पिस्तौल पकड़ा कर कहा… इसे अपने जिस्म पर कहीं छिपा
लो। उसने पिस्तौल लेकर अपने बुर्के मे हाथ डाल कर पिस्तौल छिपा कर हाथ बाहर निकाल कर
बोली… चलें। …कहाँ छिपायी है? वह झेंप कर बोली… छिपा दी है। आपको जब जरुरत पड़ेगी तब
निकाल कर दे दूंगी। मेरे पास बात करने का समय नहीं था। मैने उसकी कमर पर हाथ फिरा कर
चेक किया लेकिन पिस्तौल नहीं मिली तो मैने झटके के साथ उसके वर्जित क्षेत्र मे टटोल
कर देखा तो पिस्तौल उसने अपने अन्तर्वस्त्र मे छिपायी थी। …संभल कर चलना वर्ना पिस्तौल
के भार से कहीं नीचे खिसक गयी तो बेइज्जत हो जाओगी। उस बेचारी ने अपना बुर्के को आगे
से थाम लिया और मेरे साथ चल दी थी। ऐसे ही चलते हुए हम दोनो उसके मकान मे प्रवेश कर
गये थे।
घर मे घुसते ही उसके
चेहरे पर घबराहट के लक्षण साफ उजागर हो रहे थे। उसको देख कर ही सारी कहानी खुल जाती।
उसने अपना बुर्का उतार कर एक खूँटी पर टाँग दिया और मेरी ओर देखने लगी। अख्तर काजी
अभी तक सामने नहीं आया था। मुझे इतना आभास हो गया था कि वह यहीं कहीं है और हम पर नजर
रख रहा है। अचानक मैने झुक कर एक झटके से महरुनिसा को अपनी बाँहों मे उठाया तो उसकी
चीख निकल गयी थी। मैने हंसते हुए कहा… बेडरुम कहाँ है जानेमन। उसकी आवाज कांप गयी…
आपको इतनी जल्दी क्या है। फूल सी हल्की महरुनिसा एक बच्ची की तरह मेरी बाँहों मे झूल
गयी थी। उसने बेडरुम की ओर इशारा करके कहा… इतने उतावले तो मत बनिये। …मेरी जान अन्दर
चलो तो सही इस नायब हुस्न का दीदार करना है। वह जल्दी से बोली… आप धीरे नहीं बोल सकते।
अन्दर भाईजान हो सकते है। मैने इतनी देर मे मकान का जायजा ले लिया था। दो कमरे एक रसोई
और बाथरुम की निशानदेही कर चुका था। मेरा अनुमान के अनुसार अख्तर सिर्फ इन दो कमरो
मे हो सकता था।
मेरी नजरें दोनो कमरों
मे से एक कमरे को चुनने की सोच रही थी कि तभी पीछे से आवाज कान मे पड़ी… ओह मेजर साहब।
आप यहाँ पर क्या करने आये है? अब्दुल्लाह नासिर हमारे पीछे से निकल कर सामने आ गया
था। उसके हाथ मे पकड़ी हुई क्लाशनीकोव हमारी ओर तनी हुई थी। वह अपनी किस्मत पर इतरा
रहा था। मैने महरुनिसा को बाँहों मे उठा रखा था तो इस वक्त मै कुछ भी करने की स्थिति
मे नहीं था। वह आगे बढ़ा और जल्दी से मेरी तलाशी लेकर बोला… बहुत पुराना हिसाब चुकता
करना है। इस छिनाल के चक्कर मे आप कैसे पड़ गये? एक बात तो तय हो गयी थी कि वह देखते
ही मुझे गोली मारने की फिराक मे नहीं था। मुझे जल्दी ही कुछ करना था लेकिन क्लाशनीकोव
के सामने मेरी जरा सी चूक हम दोनो के लिये घातक बन सकती थी।
मैने मेहरुनिसा को
धीरे से जमीन पर खड़ा करके उसको देखते हुए कहा… मियाँ मैने तुम्हें पहचाना नहीं। क्या
इसका तुम्हारे साथ भी कोई चक्कर है? वह हँस कर बोला… हाजी मोहम्मद के बेटे अब्दुल्लाह
नासिर को आप इतनी जल्दी भूल गये। मैने चकराते हुए कहा… ओह तुम हो, यह तुमने कैसा हाल
बना लिया है। उस वक्त तो तुम ठीक ठाक दिखते थे। जिहादी कब से बन गये? उसने क्लाशनीकोव
से इशारा करते हुए कहा… चलिये बेडरुम मे चलिये। आज इस छिनाल का भी हिसाब कर दूँगा।
मैने मुस्कुरा कर कहा… वह तो ठीक है लेकिन आलमगीर को क्या बताओगे? बेडरुम की ओर जाते
हुए मैने अपने आगे मेहरुनिसा को कर लिया था। मेरी आढ़ मिलते महरुनिसा ने चलते हुए पिस्तौल
निकाल कर हाथ मे ले ली थी। बेडरुम मे घुसते हुए उसने एक ठोकर मुझे मारी और मै महरुनिसा
को अपनी बाँहों मे बाँध कर औंधे मुँह बिस्तर पर गिर पड़ा था। उसी क्षण महरुनिसा ने पिस्तौल
मेरे हाथ मे रख दी थी। मै औंधे मुँह अब्दुल्लाह की ओर पीठ करके उसके उपर पड़ा रहा और
इसी बीच मैने पिस्तौल का सेफ्टी लाक हटा दिया था।
मैने करवट लेकर महरुनिसा
को अपने उपर खींच कर पिस्तौल उसके जिस्म की आढ़ मे छिपा ली थी। मुझे बस एक मौके की तलाश
थी। मैने बड़ी बेशर्मी से महरुनिसा के कुरते मे अपना हाथ डाल कर उसके सीने की गोलाईयों
से खेलते हुए कहा… मियाँ तुमने यहाँ आकर सारा मजा किरकिरा कर दिया है। आज इसके जिस्म
को निचोड़ने की नीयत से आया था लेकिन यहाँ भी तुम जैसे जिहादी पहुँच गये। मियाँ लानत
है इस किस्मत पर कि साले जिहादी कहीं भी चैन से नहीं रहने देते। यार क्या कुछ देर के
लिये मुझे इसके साथ अकेला नहीं छोड़ सकते? मैने उसके स्तन को कस कर दबाया तो दर्द से
दोहरी होकर आगे झुक गयी थी। इससे दो कार्य सिद्ध हो गये थे कि पहला यह कि पिस्तौल सीधी
करने की जगह बन गयी थी और दूसरा उसका ध्यान मेहरुनिसा की ओर चला गया था। मेरा हाथ अभी
भी उसकी गोलाईयों को नाप रहा था। उसका सारा ध्यान मेरे हाथ पर टिका हुआ था। मैने एक
के बाद एक दो फायर किये और मेहरुनिसा कर लेकर बिस्तर पर लुड़क दूसरी ओर चला गया था।
जब तक अब्दुल्लाह कुछ समझ पाता वह अपने वजन को संभालने के लिये लड़खड़ाया जिसके कारण
हाथ मे पकड़ी हुई क्लाशनीकोव हवा मे लहराती हुई छूट कर जमीन पर गिर गयी थी। पहले फायर
ने उसका घुटने को तोड़ दिया था जिसके कारण वह लड़खड़ाया और दूसरे फायर ने उसके कूल्हे
को घायल कर दिया जिसके कारण एक दिशा मे गिरता चला गया था। उसके गिरते ही मैने महरुनिसा
को धकेल कर पहले क्लाशनीकोव उठा ली और फिर जमीन पर पड़े हुए अब्दुल्लाह नासिर को कवर
करते हुए महरुनिसा से कहा… बाहर जाकर उन्हें अन्दर बुला लाओ।
थोड़ी देर के बाद अब्दुल्लाह
को लेकर हम लोग अस्पताल की ओर जा रहे थे। अब्दुल्लाह होश मे था लेकिन उसका एक हिस्सा
सुन्न कर दिया गया था। …मेजर साहब, इसकी गिरफतारी का सारा श्रेय आपको जाता है परन्तु
औपचारिक घोषणा मे आपका नाम नहीं होगा। मैने मुस्कुरा कर कहा… एसपी साहब आप बस उनको
और पकड़ लिजिये जो हिज्बुल के जिहादी बोट पर है। मेरा यहाँ का काम समाप्त हो जाएगा।
अब्दुल्लाह ने बीच मे टोका… मेजर वहाँ तो एक ही टीम मिलेगी। बाकी तो जा चुके है उनका
क्या करोगे। मै कुछ बोलता उससे पहले वह मुस्कुरा कर बोला… मेजर खंजर तो निकल गया है।
अब तो वह तुम्हारे सीने मे घुस कर ही रुकेगा। एसपी रहमान ने तुरन्त मेरी ओर देखा तो
एक पल के लिये मै भी सकते मे आ गया था। …अब्दुल्लाह, अस्पताल मे तुम उन जाने वाले बाकी
लोगों बारे मे भी बताओगे। मैने उसकी स्प्लिन्ट मे बन्धी हुई टांग को एकाएक हवा मे उठा
कर छोड़ दिया था। उसकी दर्दनाक चीख ऐम्बुलेन्स मे गूंज गयी थी। …एसपी साहब यह सब यहाँ
के नहीं है। यह सब भारत के नागरिक है। इसके कागज तो आज शाम तक मिल जाएँगें तो इसे भारत
के हवाले करने की कार्यवाही आपको शुरु करनी पड़ेगी। …मेजर साहब, इसके लिये आपको एक बार
डीजी साहब से बात करनी पड़ेगी। …कागज मिलते ही मै उनसे बात कर लूँगा।
उसी शाम मै अपने दूतावास
से अब्दुल्लाह नासिर के कागजात लेकर डीजी सदाकत हुसैन से मिला था। उनको सारे कागजात
देते हुए मैने निवेदन किया कि जो पन्द्रह हिज्बुल के जिहादी बोट से पकड़े गये थे उनसे
पूछताछ करने की इजाजत मिल जायेगी तो आप्रेशन खंजर की पूरी साजिश से पर्दा उठ जाएगा।
सदाकत हुसैन ने इजाजत देते हुए कहा… मेजर समीर उन पन्द्रह मे हमारा कोई नागरिक हुआ
तो उससे पूछताछ एसपी रहमान करेंगें। …जी सर। यह बात करके मै बाहर निकल आया था। मैने
एसपी रहमान से कहा… सदाकत हुसैन साहब को मेरी पूछताछ का ढंग शायद पसन्द नहीं आया।
…जेल सुप्रिटेन्डेन्ट ने जरुर आपकी शान मे उन्हें काफी कुछ बताया होगा। …एसपी साहब
यही फौजी और गैर-फौजी कार्यशैली मे फर्क है। आप खुद सोच कर दिखिये कि जिहादियों के
दिल मे क्या कानून के प्रति कोई डर है। वर्दी मे खड़ा हुआ कान्स्टेबल इनकी नजरो मे कीड़े
से ज्यादा कुछ नहीं है। वह बेचारा कानून से बंधा हुआ है और इनके लिये कानून की कोई
अहमियत ही नहीं है। इसीलिए जब आतंकवादी का सामना करना होता है तो उसे युद्ध की तरह
लेना पड़ता है। आप चिन्ता मत किजिये उस समूह मे एक भी यहाँ का नगरिक नहीं होगा लेकिन
यहाँ के नागरिक मकबूल चौधरी को अब आपको संभालना होगा। काफी देर हो गयी थी तो अगले दिन
मिलने की बात करके मै वापिस होटल की ओर चल दिया था।
अपने होटल पहुँचते
हुए रात के नौ बज गये थे। मै सीधा आरफा के कमरे मे चला गया था। वह काफी देर से मेरा
इंतजार कर रही थी। …आज कहाँ चले गये थे? मैने बैठते हुए कहा… आज हमने अख्तर और उसके
साथियों को पकड़ लिया है। मेरा यहाँ का सारा काम समाप्त हो गया है। मै कल तक यहाँ हूँ
तुम अपना जवाब सोच कर बता देना। यह सुन कर उसका चेहरा उतर गया था। बात बदलने के लिये
मैने कहा… खाना वगैराह मंगा लेते है। सुबह नाश्ते के बाद सारा दिन भागने मे निकल गया
है। चलो मेरे कमरे मे वहाँ खाना मंगा लेंगें। …आज आप यहीं खाना मंगा लिजिये। मैने रुम
सर्विस को आर्डर दिया और हाथ मुँह धोने के लिये चला गया था। …आज मै साहिबा से मिली
थी। उसके और अख्तर के बीच मे किसी बात पर मतभेद हो गया है जिसके कारण वह तीन महीने
से उससे नहीं मिला है। …अगर तुम यहाँ रहना चाहती हो तो तुम्हे अब उन लोगो से सारे रिश्ते
समाप्त कर देने चाहिये। इसी दौरान खाना आ गया था।
पेट भर गया था तो
नींद हावी होने लगी थी। मै उसके बिस्तर पर लेट गया था। …लाईये आज मै आपकी थकान उतार
देती हूँ। मैने मुस्कुरा कर कहा… उस रात की तरह? वह झेंप कर नीचे देखने लगी थी। मैने
उसको अपने नजदीक खींच कर कहा… क्या आज रात को यहीं तुम्हारे पास ठहर जाऊँ? उसने मेरी
ओर देखा तो उसकी आँखो ने उसके अन्दर सुलगती हुई कामाग्नि को बयाँ कर दिया था। वह मेरी
शर्ट के बटन खोलते हुए बोली… आप कल दिन मे मेरे साथ एक घंटे के लिये चल सकते है? …तुम्हें
जब चलना हो मुझे बता देना। मै तुम्हारे साथ चल दूँगा। मेरी शर्ट उतरने के बाद कुछ ही
देर मे पैन्ट और बाक्सर भी जुदा हो गये थे। उसने मुझे पेट के बल लिटा दिया और मेरी
पीठ पर बैठ कर अपनी उँगलियों का जादू दिखाने लगी। वह जिस हिस्से को भी दबाती थी जिस्म
को चैन आ जाता था। कुछ देर कंधे और पीठ दबाने के बाद वह मेरे नितंबों को गूँधने लगी
और फिर सरक कर मेरी टाँगो पर आ गयी थी। आधे घंटे मे दिन भर की सारी थकान मिट गयी थी
और जिस्म हल्का महसूस करने लगा था। मै करवट लेकर सीधे लेटते हुए कहा… अब इसका क्या
होगा। कैसे मतवाले हाथी की तरह झूम रहा है। मैने उसके ब्लाउज के हुक खोलते हुए उसके
भारी सीने के साथ छेड़खानी करते हुए उसे निर्वस्त्र करना आरंभ कर दिया।
…आप कितने गोरे है?
इस जालिम का सिर टमाटर की फूल कर लाल हो गया है। …यह तुम्हारे कारण इतना उतावला हो
रहा है। उसका चेहरा लहराते हुए भुजंग के सामने आ गया था। उसने नागिन की तरह अपनी जिबहा
निकाल कर मस्ती मे झूमते हुए भुजंग के सिर पर पहला प्रहार किया। मेरी एक ठंडी आह निकल
गयी थी। उसके होंठ धीरे से खुल गये थे और उन खुले होठों को उसने भुजंग के सिर पर टिका
कर दबाव डाला तो वह अन्दर प्रवेश करता चला गया। उसकी जुबान ने उस टमाटर जैसे सिर के
साथ अठखेलियाँ करना आरंभ कर दिया था। उसकी उँगलियाँ मेरे भुजंग की गरदन पकड़ उसकी मालिश
मे जुट गयी थी। उसके दूसरे हाथ ने अंडकोशों के साथ खेलना आरंभ कर दिया था। अचानक एलिस
की याद आ गयी थी जिसने मुझे एक युवक से पुरुष बनाया था। उसने ही सिखाया था कि एक स्त्री
कैसे पुरुष को नियंत्रित करती है। उस रात आरफा टूट कर अपनी मोहब्बत का एहसास कराने
मे जुट गयी थी। उसका जिस्म एक नागिन के तरह मेरे जिस्म से आधी रात तक खिलवाड़ करता रहा
था। उसने मुझ पर अपने अनुसार अलग-अलग तरीके का इस्तेमाल किया और मैने भी उसकी खुशी
के लिये हर भरसक प्रयत्न किया था। जब हम दोनो ही थक कर चूर हो गये तब एक दूसरे से गुथे
हुए सपनो की दुनिया मे खो गये थे।
सुबह वह उठी और मुझे
जगा कर बोली… आप तैयार हो जाईये। हम नाश्ता साथ करेंगें। …तुम तैयार होकर मेरे कमरे
मे आ जाना। मै वहीं नाश्ता मंगा लूंगा। मैने जल्दी से अपने कपड़े पहने और अपने कमरे
मे चला गया था। नौ बजे तक मै तैयार हो गया था। मैने नाश्ते का आर्डर दिया ही था कि
वह भी तैयार होकर आ गयी थी। नाश्ते के दौरान उसने कहा… आप पहले मेरे साथ चलिये क्योंकि
एक बार आप अपने काम मे लग गये तो फिर आपका निकलना मुश्किल हो जाएगा। आज मुझे भी ऐसी
कोई जल्दी नहीं थी तो मैने भी उसके साथ चलने की हामी भर दी थी। नाश्ता समाप्त करके
जैसे ही हम होटल के रिसेप्शन पर आये कि तभी पुलिस की कार मुझे लेने आ गयी थी। …क्या उस जगह पुलिस की कार से जा सकते है? …बाहर
उतर जाएँगें। हम दोनो कार मे बैठ गये और आरफा ने ड्राईवर को एक पता दे दिया। मैने एक
बात महसूस की थी कि ढाका मे कोई भी जगह ज्यादा दूर नहीं थी परन्तु ट्रेफिक के कारण
टाइम लगता था।
एक जगह पुराने ढाका
के पास पहुँच कर ड्राईवर ने कहा… सर, वह जगह आ गयी है। मैने आरफा की ओर देखा तो वह
आँख मूंद कर मेरे कंधे पर सिर रख कर बैठी हुई थी। …आरफा। वह चौंक कर उठ गयी थी। …तुमने
जिस जगह का पता दिया था वहाँ पहुँच गये है। उसने खिड़की के बाहर देख कर जल्दी से बोली…
यहीं उतरना है। मैने ड्राईवर से कहा… यहीं पर मेरा इंतजार करो। यह बोल कर मै आरफा के
साथ चल दिया। घुमावदार गलियों मे से गुजरते हुए वह एक पूराने से विशाल मकान मे मुझे
ले गयी। एक नजर घुमा कर मैने उस इमारत का जायजा लिया तो पता चला कि उस इमारत मे बहुत
से परिवार रह रहे थे। …हम कहाँ जा रहे है? …चलिये तो सही। वह पहली मंजिल पर एक कमरे
के बाहर जाकर खड़ी हो गयी। उसने धीरे से दरवाजे पर दस्तक दी और दरवाजे को धकेला तो वह
खुलता चला गया था। मेरी नजर एक बूढ़ी औरत पर पड़ी जो जमीन पर बैठ कर सब्जी काट रही थी।
उसी के पास एक पाँच-छह साल का पतला दुबला बच्चा बैठ कर बंगाली मे बात कर रहा था। आरफा
ने जैसे ही उस कमरे मे कदम रखा तो दोनो ने सिर उठा कर उसकी ओर देखा। एकाएक बूढ़ी महिला
बंगाली मे कुछ बोलने लगी और वह बच्चा उसको एक टक देखता रह गया था।
आरफा ने कहा… अन्दर
आ जाइये। यह मेरी माँ है और वह मेरा बेटा अमन है। मै अन्दर आ गया लेकिन बैठने के लिये
कोई चीज नहीं दिखी तो दीवार से पीठ टिका कर जमीन पर बैठ गया था। वह माँ से कुछ बंगाली
मे बोली तो उसकी माँ ने मेरी ओर देखते हुए कुछ कहा जो मेरे पल्ले नहीं पड़ा तो आरफा
ने कहा… आपको शुक्रिया कह रही है। उसने अपने बच्चे को गोद मे उठाया और मेरे पास लाकर
बोली… यह अनमोल बिस्वास की निशानी है। एकाएक सब कुछ मेरे सामने साफ हो गया था। …तुम
इतने दिन से वहाँ पर थी लेकिन एक बार भी इनके बारे मे नहीं बताया आखिर क्यों? वह चुपचाप
बैठी रही। मैने उसके बच्चे को अपने पास बुलाया तो वह झिझकते हुए मेरे पास आकर खड़ा हो
गया… तुम्हारा नाम क्या है। मेरी भाषा एक बार फिर रोड़ा बन गयी थी। आरफा ने उसे बंगाली
मे बतया तो वह शर्माते हुए बोला… अमन। …तुम जब वहाँ थी तो इनका गुजारा कैसे चल रहा
था। …अनमोल के कुछ पैसे थे और कुछ मेरे जेवर थे। उन्हीं से गुजारा हो रहा था। अब आप
ही बताईये इन दोनो को यहाँ छोड़ कर अब मै कैसे वापिस जा सकती हूँ।
हम कुछ देर बात करते
रहे और फिर मैने उठते हुए कहा… सबसे पहले आज ही अपना बैंक अकाउन्ट खुलवा लो। शाम को
मुझे तुम्हारे बैंक की सारी जानकारी चाहिये। अब से अमन मेरा बेटा है। इसकी पढ़ाई-लिखाई
की जिम्मेदारी मेरी है। तुम्हें अब इनकी चिन्ता करने की जरुरत नहीं है। अनमोल बिस्वास
का जो भी सरकारी मुआवजा होगा वह तुम्हें दिलवा दूँगा लेकिन अब तुम कोई इज्जत वाला काम
यहाँ शुरु करो और अपनी अम्मी और बच्चे को यहाँ से निकाल कर किसी साफ और अच्छी जगह पर
रहो। तुम्हारा मुझ पर ही नही मेरी सरकार पर भी एहसान है। मुझे जाना है शाम को होटल
मे मिलना। आज मेरा आखिरी दिन है। कल सुबह मै चला जाऊँगा लेकिन अब से अमन मेरा बेटा
है। इसको कोई तकलीफ नहीं होनी चाहिये। आरफा को सुबकती हुई वहीं छोड़ कर मै किसी तरह
गलियों के जाल से निकल कर मुख्य सड़क पर आ गया था। पुलिस की कार वहीं खड़ी हुई थी जहाँ
मैने उसे छोड़ा था। बड़े भारी मन से कार मे बैठा और एसपी रहमान के आफिस की ओर चल दिया
था।
मुझे देखते ही एसपी
रहमान ने कहा… मेजर साहब आज देर कैसे हो गयी? मै तो सोच रहा था कि आप आज सुबह ही आ
जाएँगे। …एक काम मे फँस गया था। एसपी साहब बोट पर पकड़े गये लोगों से मिल सकता हूँ।
…हाँ, उसी के लिये आपका इंतजार कर रहा था। हम दोनो उनसे पूछताछ करने के लिये निकल गये
थे। स्थानीय थाने के लाकअप मे उन्हें रात के लिये रखा था। आज उनके खिलाफ चार्ज लगा
कर जेल भेजना है। मेरी शिनाख्त पर ही वह चार्ज लगाने का सोच रहे थे। रहमान की कार मे
बैठ कर हम स्थानीय थाने की ओर चल दिये थे। पास ही थाना था तो इस बार हम जल्दी वहाँ
पहुँच गये थे।
थाने की हालत भी कोई
खास अच्छी नहीं दिख रही थी। बीस लोग हिरासत मे लिये गये थे। …मेजर साहब, इनमे पाँच
लोग तो स्थानीय है जो बोट पर काम करते थे। आपके लिये पन्द्रह लोग इन तीन सेल मे बन्द
है। …मकबूल चौधरी का क्या हुआ? …वह भी हिरासत मे है लेकिन उसे हमने कहीं और रखा हुआ
है। मै पहले सेल मे एसपी रहमान के साथ चला गया था। पाँच लोग शक्ल से ही खुंखार आतंकवादी
लग रहे थे। …तुम्हारा हिज्बुल से ताल्लुक है? किसी ने कोई जवाब नहीं दिया तो अबकी बार
मैने कश्मीरी मे कहा… एक बात सोच लो कि तुम्हें यहाँ की जेल मे रहना है या वापिस कश्मीर
जाना है। यह तुम्हारी मर्जी है। वैसे एक बात बता देना चाहता हूँ कि तुम जैसे गोरे लड़के
एक रात भी यहाँ की जेल मे बच नहीं सकोगे। दस पन्द्रह छ्टे हुए बंगाली कैदी तुम्हें
अपनी रखैल बना कर रखेंगें। जहाँ तक आरोप है तो वह अवैध हथियार, आतंकवाद और यहाँ पर
जितने भी ब्लास्ट हुए है उन सबके इल्जाम तुम पर लगाये जाएँगें। फाँसी होगी तो परेशानी
कम है लेकिन अगर चौदह साल की सजा हो गयी तो जीतेजी जहन्नुम पहुँच जाओगे। अगर अपना सही
नाम और पता बता दोगे तो तुम्हारी शिनाख्त करके तुम्हें कश्मीर वापिस भेज दिया जायेगा।
वहाँ जेल मे रहोगे तो भी अपने परिवार से मिल सकोगे। अब सब कुछ तुम्हारे उपर निर्भर
करता है। कुछ लोग कश्मीरी मे ही एक दूसरे से बहस करने मे जुट गये थे। कुछ देर के बाद
पांच मे से तीन लोगों ने अपने सही नाम और पता बता कर पूछा… यह हमे वापिस भेजने को तैयार
हो जाएँगें। मैने एसपी रहमान को इशारा किया कि वह अब इनके बयान नोट कर सकता है। उसे
वहीं छोड़ कर मै दूसरे सेल मे चला गया था। वही बात करके मै तीसरे सेल मे चला गया था।
उधर भी मैने वही कहा था। दो घंटे मे पन्द्रह मे से ग्यारह लोग अपने बयान लिखवाने मे
व्यस्त हो गये थे। बाकी चार के बारे मे उनके साथियों ने सब कुछ बता दिया था। चलने से
पहले मैने कहा… एसपी साहब इनके बयान की एक कापी मुझे दे दिजियेगा। कल दिल्ली पहुँच
कर मै इनके बारे मे तहकीकात करवा कर इनके शिनाख्ती के कागज आपके पास भिजवा दूँगा। हम
दोनो बात करते हुए थाने के बाहर आ गये थे।
वहाँ से निकल कर हम
दोनो अस्पताल पहुँच गये। रात को ही अख्तर का आप्रेशन कर दिया गया था। उसका एक पाँव
तो लगभग बेकार हो गया था। उसके वार्ड के बाहर पुलिस का पहरा लगा हुआ था। जब हम उसके
पास पहुँचे थे तब तक वह होश मे आ चुका था। …अब्दुल्लाह नासिर तुझे अब सोचना है कि अख्तर
बन कर बांग्लादेशी जेल मे कैदी बन कर जीवन गुजारना है अन्यथा अब्दुल्लाह बन कर श्रीनगर
चलना है। एक बार फिर से मैने वही कहानी कश्मीरी मे उसे सुना दी थी। वह कुछ नहीं बोला
तो मैने कहा… शाहीन को मैने तुम्हारे बारे मे बता दिया है। वह मुँह फेर कर लेट गया
था। …अब्दुल्लाह मुझे यह पता है कि आप्रेशन खंजर अरब खाड़ी मे हमारे समुद्री तेल के
संसाधनों पर फिदायीन हमले की योजना है। वह योजना तो शुरु होते ही फेल हो गयी है। डाक्टर
ने बताया है कि शायद अभी भी तुम अपने दोनो पाँव पर चल सकोगे परन्तु अब भी अगर तुमने
मुँह नहीं खोला तो यहाँ से निकलने से पहले मै तुम्हारी ऐसी हालत कर दूँगा कि शायद दूसरी
टांग से भी नहीं चल पाओगे। उसने करवट लेकर मेरी ओर देख कर बोला… मेजर, इस खंजर की ऐसी
खासियत है कि दाँये हाथ को नहीं पता कि बाँया हाथ क्या कर रहा है। मुझे सिर्फ इतना
पता है कि इस आप्रेशन को तीन महीने मे होना था लेकिन अब वह एक महीने मे हो जाएगा। बत्तीस
लोग बोट पर प्रशिक्षण लेकर जा चुके है। आखिरी पन्द्रह का ग्रुप दो दिन बाद जाना था।
मै उनके ही कारण यहाँ रुका था। वह बत्तीस गाजी इस वक्त तुम्हारे देश मे कहाँ है और
क्या कर रहे है किसी को नहीं पता। अब तुम उनको रोक सको तो रोक कर देख लो। मेरी लड़ाई
तो समाप्त हो गयी है तुम्हें जो करना है वह कर लो।
मुझे पूरा यकीन था कि इसे सब कुछ पता है परन्तु यह इतनी आसानी से बताने वाला नहीं था। दूसरे देश मे जोर आजमाइश करने के लिये मुझे अजीत सर ने पहले ही मना कर दिया था। मैने यही सोचा कि एक बार दिल्ली पहुँच गया तो यह अपने आप तोते की तरह बोलना शुरु कर देगा। उसको वहीं छोड़ कर एसपी रहमान के साथ बाहर निकल आया था। …रहमान साहब बस आप एक काम कर दिजिये कि इसका फोन आप जमा करने के बजाय मुझे दे दिजिये। उससे हम इसके लोगों को आसानी से ट्रेस कर सकेंगें। एसपी रहमान ने उस वक्त कुछ नहीं कहा परन्तु जब मै सदाकत हुसैन और सभी से विदा लेकर आफिस से बाहर आया तो रहमान मुझे कार तक छोड़ने आया था। कार मे बैठने से पहले आखिरी बार हाथ मिलाते हुए उसने वह फोन मुझे देते हुए कहा… इसका जिक्र मैने जब्ती मे नहीं किया है। …थैंक्स। मै कार मे बैठा और होटल की ओर चल दिया। मेरे पास उन पन्द्रह लोगो के बयान की कापी भी थी। अब अजीत सर के लिये काम बढ़ गया था।
दिवाली की हार्दिक शुभकामनाएं वीर भाई आपको, और है बार की तरह बहुत ही जबर्दस्त अंक दिखी और समीर और नासिर की बीच हुई बहसबाजी से लगता है की इसबार समीर थोड़े बहुत चूक गया है उन आतंकी यों को पकड़ ने में, और यह बिन सर के सांप के पुंछ को भी खतम करना पड़ेगा। देखते हैं आगे वो हया और इस सामने आई चुनौती को कैसे रोका जाएगा।
जवाब देंहटाएंअल्फा भाई शुक्रिया। सुरक्षा एजेन्सियों के सामने सबसे बड़ी चुनौती है कि जो आतंकी देश मे प्रवेश कर गये है उनको कैसे और कहाँ से पकड़ा जाये। साँप चाहे कहीं भी रहे, उसकी फितरत वही रहती है। अब राज पर से पर्दा हटता हुआ लग रहा है। मेरे साथ अब तक बने रहने के लिये शुक्रिया।
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