गहरी चाल-39
कुछ सोच कर अब्बासी
ने बोलना आरंभ किया… मेजर, काजी इमरान साहब दूर के रिश्ते मे मेरे भाई लगते है। मेरा
पुश्तैनी कनेक्शन कुपवाड़ा से है। दंगे और कर्फ्यु के कारण मै बैंगलोर पढ़ने के लिये
आ गया था। यहीं पर कुछ साल साफ्टवेयर कंपनी मे नौकरी करने के बाद मैने अपनी एक छोटी
सी साफ्टवेयर की कंपनी बैंगलोर मे डाली थी। युसुफजयी के घर मे मेरी मुलाकात पहली बार
फारुख मीरवायज से हुई थी। वह अपना कारोबार जमाने के लिये पाकिस्तान से कश्मीर मे आया
था। उसके बाद हमारी मुलाकात काफी दिन तक नहीं हुई थी। एक बार जब वह बैंगलौर आया तो
मुझसे मिलने के लिये मेरे आफिस चला आया था। तब तक मेरा काम चल निकला था। उसी समय रक्षा
मंत्रालय ने निजि साफ्टवेयर कंपनियों के लिये नयी स्कीम शुरु की थी। बिना पूंजी निवेश
किये इस नयी स्कीम से जुड़ना मेरे लिये मुम्किन नहीं था। इसी कारण मै उन दिनो अपने लिये
निवेशक ढूंढ रहा था। एक दिन फारुख मुझसे मिलने के लिये बैंगलोर आया था। वह कुपवाड़ा
मे एक काल सेन्टर डालने की सोच रहा था। मैने उसे समझाया कि कश्मीर मे काल सेन्टर के
बजाय अगर वह मेरी कंपनी मे अपना पैसा लगायेगा तो उसको आगे चल कर काफी मुनाफा होगा।
उसने पैसे लगाने के लिये दो शर्त रखी थी। पहली शर्त थी कि मुझे अपनी कंपनी मुंबई मे
खोलनी पड़ेगी होगी और दूसरी शर्त यह थी कि वह सारा पैसा हवाले के जरिये से दुबई से लगायेगा।
कंपनी की हिस्सेदारी की बात पर उसने साफ कह दिया कि वह औपचारिक रुप से कंपनी का हिस्सा
नहीं बन सकता लेकिन मुनाफे मे उसने तीस प्रतिशत हिस्सेदारी रखने की बात करी थी। मेरे
लिये इससे बेहतर क्या हो सकता था। सारा पैसा उसका लगेगा परन्तु कंपनी का नियंत्रण मेरे
हाथ मे रहेगा। मैने तुरन्त उसके प्रस्ताव को मान कर डेल्टा साफ्टवेयर खड़ी कर दी थी।
मेजर, यहीं से ही मेरे पतन की कहानी शुरु हो गयी थी। मैने सोचा भी नहीं था कि यह काम
करके मै दलदल मे फंसता चला जाउँगा।
यह बोल कर वह कुछ
घड़ी के लिये चुप हो गया था। वह धीरे से सिर हिला कर फिर बोला… हवाले के पैसे के कारण
मै उसके हाथ की कठपुतली बन कर रह गया था। काम शुरु होने के बाद उसने काफी दिनो तक कंपनी
के काम मे हस्तक्षेप नहीं किया था। मै अकेला ही कंपनी का काम देख रहा था जिसके परिणामस्वरुप
कंपनी तरक्की की राह पर चल दी थी। हमारी कंपनी को नौसेना का काम मिलने के बाद से फारुख
ने मुझ पर धीरे-धीरे दबाव डालना शुरु किया। आरंभ मे वह छोटे-छोटे काम के लिये कहता
था। जैसे उसके कहने पर आफशाँ को मैने अपनी कंपनी मे नौकरी पर रखा था। उसने एक बार कुपवाड़ा
मे काल सेन्टर खोलने के लिये मदद मांगी थी। उसके काल सेन्टर को स्थापित करने के लिये
मैने अपनी कंपनी के कुछ तकनीकी लोगों को कुपवाड़ा भेज दिया था। ऐसे छोटे-छोटे कामों
के लिये मैने कभी कोई आपत्ति नहीं दर्शायी थी। एक दिन उसने मुझे बुला कर नौसेना के
डेटाबेस से लड़ाकू जहाजों की संख्या की जानकारी मांगी तो पहली बार मुझे उसकी मंशा पर
शक हुआ था। मै इतना दलदल मे फंस चुका था कि अब मै उसे मना करने की स्थिति मे नहीं था।
पहले एक जानकारी दी फिर दूसरी जानकारी और फिर एक सिलसिला शुरु हो गया था। सब जानते
बूझते हुए कि यह सब गलत और गैर कानूनी काम है फिर भी मै उसके काम को करने के लिये मजबूर
हो गया था।
इतना बोल कर अब्बासी
अपना सिर पकड़ कर बैठ गया था। मैने उसके कंधे को थपथपा कर कहा… ताहिर जो हो गया है उसे
बदला तो नहीं जा सकता लेकिन जब तुम अपनी गल्ती खुद स्वीकार करोगे तो तुम्हारे हालात
देख कर कानून तुम्हारे प्रति नर्म रुख लेगा। उसने हामी भर कर फिर से कहा… मेजर, रक्षा
मंत्रालय ने अब हमे डेटाबेस के साथ और भी नौसेना के काम देना अरंभ कर दिया था। आफशाँ
भी नौसेना के प्रोजेक्ट मे काम कर रही थी। एक दिन फारुख ने मुझसे ग्रिड रेफ्रेन्स कोडिंग
सिस्टम के बारे मे पता लगाने के लिये कहा तो मैने अपने प्रोजेक्ट हेड अय्यर से उसके
बारे मे पूछा तो उसने बताने से साफ मना कर दिया था। अय्यर का कहना था कि यह अत्यन्त
गोपनीय जानकारी है। जब यह बात मैने फारुख को बतायी तब उसने परोक्ष रुप से मेरी कंपनी
के काम मे हस्तक्षेप करना आरंभ कर दिया था। पहले उसने अय्यर को नौसेना प्रोजेक्ट से
हटा कर उसकी जगह आफशाँ को नियुक्त करवाया और फिर उसने कंपनी की कमान अपने हाथ मे लेकर
मुझे दुनिया के आगे करके अन्य गैर कानूनी काम करने आरंभ कर दिये थे। मैने बीच मे टोकते
हुए पूछा… किस प्रकार के गैर कानूनी काम? …बिना बोर्ड की सहमति लिये उसने कंपनी के
पैसों का निवेश फर्जी कंपनियों मे करना आरंभ कर दिया था। उसने डेल्टा साफ्टवेयर के
जरिये ग्वादर, काठमांडू, ढाका, बाकू, अश्काहबाद और ताशकंत मे नयी निजि कंपनियां खोल
दी थी। इन सब के कारण मेरी कंपनी पर आर्थिक संकट मंडराने लगा था। इसका असर मेरी निजि
जिंदगी पर भी पड़ रहा था। अपनी दबी हुई कुंठाओं के कारण अपने परिवार से दूर रहने लगा
और अकेलेपन के कारण मेरे चारित्रिक पतन की शुरुआत हो गयी थी। देखते-देखते मेरा घर टूट
गया और मेरा कारोबार मेरे हाथ से निकल कर फारुख के हाथ मे चला गया था।
…ताहिर क्या आफशाँ
ने तुम्हें इसके बारे मे कभी कुछ बताया था? …मेजर, मुझे उसने खुद बताया था कि उसके
अब्बू के कारण फारुख उसे ब्लैक मेल कर रहा है। इससे आगे पूछ कर मुझे शर्मिंदा मत किजिये।
वह हमारा साथ अपने अब्बू के कारण दे रही थी। हम दोनो ही फारुख के हाथों की कठपुतली
बन गये थे। मुझे यह बाद मे पता चला कि फारुख अपने मुनाफे से एक छोटी सी फर्जी साफ्टवेयर
कंपनी स्थापित करके उस कंपनी को मुझे मुनाफे पर बेच कर अलग हो जाता था। उस मुनाफे को
वह अपने आकाओं राहिल शरीफ, मंसूर बाजवा व अन्य मे जरुरत अनुसार बाँट दिया करता था।
दो साल पहले उसने यह काम काठमांडू मे किया और पिछले साल ढाका मे किया था। इसी तरह उसने
अन्य स्थानों पर भी डेल्टा साफ्टवेयर स्थापित किया था। हर स्थान पर फारुख की कंपनी
को मै आदिल शेख बन कर खरीद लेता था। अगर मै कहता कि मेरी कंपनी मे फिलहाल पैसों की किल्लत
है तो फारुख अपने मुनाफे के हिस्से से आदिल शेख के नाम से कंपनी खरीद लेता था। यह मुझे
अभी हाल मे ही पता चला था कि फारुख ने अपना बांग्लादेशी पासपोर्ट और रेजीडेन्ट कार्ड
आदिल शेख के नाम से बनवाया हुआ था।
मैने उसे रोक कर पूछा…
तेरह तारीख को अप्सरा नाम की ओएनजीसी की सप्लाई बोट पर कौन जाने वाला था, तुम या फारुख?
…हम दोनो मे से कोई भी वहाँ जाने वाला नहीं
था। उस टीम का नेतृत्व हिज्बुल का कमांडर जाकिर मूसा कर रहा था। उनकी योजना थी कि जब
एक बार सागर विराट का प्लेटफार्म जाकिर मूसा के नियंत्रण मे आ जाएगा तब फारुख मुझे
वलीउल्लाह बना कर भारत सरकार से बात करने के लिये आगे कर देगा। फारुख अपनी सारी मांगे
मेरे मुँह से कहलवाता और फिर वह सारे मामले को सुलझाने के लिये ब्रिगेडियर चीमा के
जरिये भारत सरकार से कुछ मांगो को मनवाने की कोशिश करता। उसकी बात सुन कर मै चकरा गया
था। मैने पूछा… क्या तुम उसके लिये यह काम करने को तैयार हो गये थे? …मेजर तुम उसकी
चाल को अभी तक नहीं समझे। उसने पहले से ही अपनी मांगों की मेरी विडियों रिकार्डिंग
करा कर अपने पास रख ली थी। …तो क्या उसकी मांगों के बारे मे तुम्हें पता है? …यही तो
मै कह रहा हूँ। मुझे उसने आश्वस्त किया था कि माँगों की रिकार्डिंग करके मै आराम से
ताहिर उस्मान अब्बासी बन कर अपना कारोबार चलाता रहूँगा और वह आदिल नाम का छलावा बन
कर सभी की आँखों मे धूल झोंक कर साफ बच कर निकल जायेगा।
…उसकी क्या मांगें
थी? …उस एक प्लेटफार्म की आज कीमत के हिसाब से 1780 मिलियन डालर और सागर अनंत की आज
की कीमत 890 मिलियन डालर केयमेन के एक बैंक के अकाउन्ट मे देने की बात थी। सभी तंजीमों
के लोगों को जेल से छोड़ने की बात थी। आखिरी मांग थी कि भारतीय फौज जम्मू और कश्मीर
को तुरन्त खाली करके निकल जाये। …भारत सरकार इनमे से एक भी मांग नहीं मानती। …यही तो
वह चाहता था। आखिर मे वह सरकार से अपने कुछ खास लोगों को छुड़वा लेता और कुछ सौ मिलियन
डालर लेकर उन गाजियों को सुरक्षित जाने का रास्ता देकर सारा मामला रफा-दफा करवा देता।
इस मसले को सफलता पूर्वक सुलझा कर वह खुद कश्मीर और जमात का एक महत्वपूर्ण नेता बन
जाता और सीमा के दूसरी ओर उसके आका भी अपने मंसूबों मे कामयाब हो जाते।
अब सारी बात मुझे
समझ मे आ चुकी थी। मैने मुस्कुरा कर कहा… ताहिर इसी कारण वह तुम्हें मारना चाहता है
क्योंकि तुम्हें उसकी साजिश का पता है। तुम्हारी रिकार्डिंग उसके पास है और अगर तुम्हारी
हत्या हो जाती है तो फिर तुम्हारे सिर पर सारी साजिश मढ़ कर वह साफ बच कर निकल जाएगा।
मुझे एक अंग्रेजी कहावत याद आ गयी थी- रन विद द हेयर एन्ड हंट विद द हाउन्डस- की
कहावत को चरितार्थ कर रहा था । अपना फोन उठा कर मैने कहा… सर, सब रिकार्ड हो गया।
…मेजर, रिकार्ड तो हो गया है। हमारे भी कुछ प्रश्न है। कल मै और अजीत उससे बात करने
के लिये आयेगें। उसे बता देना। …यस सर। इतनी बात करके मैने फोन काट कर उससे कहा… ताहिर,
कल जनरल रंधावा और अजीत सर तुमसे कुछ बात करने आयेंगें। मेरी सलाह है कि वह जो भी पूछे
उन्हें बता देना तो तुम्हारी रिहाई आसान हो जाएगी क्योंकि वही दोनो निर्णय लेंगें कि
तुम्हें कब और कैसे छोड़ना है।
ताहिर अचानक उठ कर
खड़ा होकर बोला… मेजर, अब आफशाँ और अपनी बच्ची को कैसे बचाओगे? …अब वहाँ पहुँच कर देखता
हूँ कि क्या किया जा सकता है। इतना बोल कर मै उसके सेल से बाहर निकल आया था। दोपहर
होने वाली थी। अभी भी मेरे दिमाग मे बहुत से सवाल घूम रहे थे लेकिन उन सवालों के जवाब
बाद मे भी लिये जा सकते है। मैने थापा से कहा… मुझे एयरपोर्ट छोड़ दो। वह मुझे एयरपोर्ट
की ओर लेकर चल दिया था। …साहबजी, मेमसाहब और मेनका बिटिया का कुछ पता चला? …पता नहीं
लेकिन शायद इतवार को काठमांडू मे उनसे मिलना होगा। …साहब मै भी चलूँगा। …इस जीप का
क्या होगा? …साहबजी इसे यहीं एयरफोर्स स्टेशन पर खड़ी कर देते है। …चलो ऐसा ही करो।
हम एक बजे तक अपनी जीप एयरपोर्ट के एयरफोर्स स्टेशन की पार्किंग मे खड़ी करके पैदल एयरपोर्ट
पहुँच गये थे। मै सीधा एयरलाईन के काउन्टर की ओर चला गया। वीकएन्ड होने के कारण फ्लाईट
भरने का खतरा तो सदैव लगा रहता है। थापा की टिकिट करवा कर हम दोनो सिक्युरिटी चेक के
लिये चले गये। सारी औपचारिकताएँ पूरी करने के बाद हम कैन्टीन मे जाकर बैठ गये थे। लंच
करते हुए मैने थापा को फारुख के बारे मे बताते हुए कहा… काठमांडू मे पहुँच कर सबसे
पहले एक ऐसी जगह तलाशनी है जहाँ पुलिस की नजर से बच कर उन लोगों से मिला जा सके। …सर,
उनसे अपने गोदाम मे मिलना ठीक रहेगा। वह जगह सबकी देखी भाली है। …अगर वह वहाँ आने के
लिये राजी नहीं हुआ तो फिर कौन सी जगह ठीक रहेगी। …सर, ऐसी तो बहुत सी जगह है। कल सुबह
आपको सभी जगह दिखा दूँगा। बोर्डिंग की घोषणा होते ही हम दोनो गेट की ओर चल दिये थे।
शाम को छह बजे त्रिभुवन
एयरपोर्ट पर उतर कर बाहर निकले तो कैप्टेन यादव दिख गया था। थापा को मेरे साथ देख कर
वह पल भर के लिये मुझे भूल गया था। दोनो बड़ी आत्मीयता से मिले और फिर हम लोग पिक-अप
मे बैठ कर घर की ओर चल दिये थे। …यहाँ की क्या खबर है? …सब शान्ति है। काम अच्छा चल
रहा है। आजकल मैडम का आफिस मे आना नहीं हो रहा है तो सावरकर आफिस का काम संभाल रहा
है। ऐसे ही बात करते हुए हम घर पहुँच गये थे। …कैप्टेन आप लोग जाओ और सबको इकठ्ठा करके
रात को आठ बजे तक हम हाल मे मिलेंगें। यह बोल कर मै तबस्सुम से मिलने चला गया था।
वह सोफे पर बैठी हुई
मेरा इंतजार कर रही थी। मुझे देख कर उठने लगी तो मैने आगे बढ़ कर उसे रोकते हुए कहा…
आराम से बैठो। तुम्हारी देखभाल करने के लिये मै कुछ दिन की छुट्टी लेकर आया हूँ। क्या
हाल चाल है? …सब ठीक चल रहा है। आज ही डाक्टर को दिखाने गयी थी। …क्या बताया? …कुछ
खास नहीं बस कुछ टेस्ट किये और वापिस भेज दिया। तभी सरिता की माँ हाथ मे एक गिलास लेकर
आ गयी थी। …बेटा तुम कब आये? …अभी आया था। उसने ग्लास तबस्सुम की ओर बढ़ाते हुए कहा…
अंजली बिटिया इसे पी लो। इस समय तुम्हें ताकत की जरुरत है। पीने के बाद ग्लास को वापिस
देते हुए अंजली बोली… अम्मा इतना तो मेरी अम्मी भी देखभाल नहीं करती जितना तुम करती
हो। …नहीं बिटिया। अपनी बच्ची के लिये हर माँ ऐसे ही देखभाल करती है। मै उन दोनो को
देख कर आश्वस्त हो गया था कि मेरी अनुपस्थिति मे तबस्सुम का ख्याल रखने वाला कोई यहाँ
पर है। तभी कविता कुछ कागज लेकर आयी और मुझे देख कर ठिठक कर रुक गयी थी। …कविता कैसी
हो? वह झेंप कर बोली… जी ठीक हूँ। वह कागज तबस्सुम की ओर बढ़ाते हुए बोली… दीदी ललितपुर
से आर्डर आया है। उसके साथ यह चेक भी भिजवाया है। तबस्सुम ने कागज और चेक देख कर कहा…
गोदाम मे इस कागज को भिजवा दो और कल सुबह यह चेक जमा करवा देना। पैसा मिलते ही इनकी
इन्वोइस तैयार करके गोदाम भिजवा देना। …जी दीदी। वह वापिस चली गयी थी। …मै सोच रही
हूँ कि कविता को अपने आफिस मे ही रख लेती हूँ। वह आफिस का सारा काम सीख गयी है। …यह
तुम्हारा कारोबार है। इसमे मै क्या बोल सकता हूँ। कुछ देर उसके साथ बिता कर मैने कहा…
मै गोदाम जा रहा हूँ जल्दी वापिस आ जाउँगा। मै उसे वहीं छोड़ कर गोदाम की ओर निकल गया
था।
गोदाम मे सारी टीम
हाल मे मेरा इंतजार कर रही थी। अपनी कुर्सी पर बैठ कर पहले सबका हाल पूछा और फिर आप्रेशन
खंजर की कहानी सुना कर बताया कि कैसे उनके कारण पाकिस्तानी आप्रेशन तबाह हो गया था।
कुछ देर उनको जिहादी और गाजियों के बारे मे बता कर मैने कहा… इस आप्रेशन का संचालक
रविवार को काठमांडू मे मुझसे मिलेगा। उसने मेरी बीवी और बच्ची को दिल्ली से अगुवा किया
है और यहाँ पर वह अपने आदमी के बदले मे उन्हें छोड़ेगा। बाकी तो सब ठीक है परन्तु इस
सौदे मे सिर्फ एक परेशानी की बात है कि उसका आदमी मेरे पास नहीं है। ऐसी हालत मे अब
हमे क्या करना चाहिये? यह सवाल मै आपके पास छोड़ना चाहता हूँ। मिलने की जगह और समय को
हमे तय करना है लेकिन उससे पहले हमे एक काम करना पड़ेगा। वह लोग हवाई जहाज से दोनो को
लेकर कभी नहीं आयेंगें तो फिर सड़क मार्ग ही बचता है। नेपाल मे आने के भारत की ओर से
मुख्यत: छ्ह रास्ते है परन्तु काठमांडू मे प्रवेश करने के सिर्फ तीन रास्ते है। तीन
आदमियों की टीम माओइस्टों के वेष मे अगर उन तीन रास्तों को कवर कर लेती है तो उनकी
गाड़ियाँ और उनके ठहरने की जगह का पता लग जायेगा। पहली मीटिंग मे वह अकेला मिलने आयेगा
तब आपके पास उन दोनो को आजाद कराने का एक मौका होगा क्योंकि उसकी ताकत आधी हो जाएगी।
आधे लोग उसकी रक्षा मे लगे हुए होंगें और आधे लोग उन दोनो की निगरानी पर तैनात होंगें।
यह मौका चूक गये तो फिर एक बार सौदे के दिन मिलना होगा। तब उनकी सारी ताकत उनके साथ
होगी और फिर उन दोनो को छुड़ाना इतना आसान नहीं होगा। अपनी बात उनके सामने रख कर कर
मैने फारुख का नम्बर कुशाल सिंह को देते हुए कहा… कमांड कंट्रोल को यह नम्बर देकर इस
नम्बर को ट्रेकिंग और रिकार्डिंग पर लगाने के लिये अभी से कह दो। कुशाल सिंह नम्बर
लेकर संपर्क केन्द्र मे चला गया और कुछ देर उनसे बात करने के बाद मै भी अपने घर की
ओर वापिस चल दिया था।
घर पहुँचने तक रात
के दस बज गये थे। सभी अपना काम समेट कर सोने जा चुके थे। मै अपने बेडरुम मे घुसा तब
तक तबस्सुम भी सो चुकी थी। अपने कपड़े बदल कर मै भी उसके साथ लेट गया। आफशाँ और मेनका
दिमाग पर छायी हुई थी। आफशाँ और तबस्सुम का संबन्ध मुझे विचलित कर रहा था। काफी देर
तक करवट बदलता रहा और न जाने कब नींद का झोंका आया और मेरी आँख लग गयी थी। सुबह मुझे
तबस्सुम ने जगाया था। …कल आपको लौटने मे काफी देर हो गयी थी। …दस बज गये थे। कल तुम
जल्दी सो गयी थी। …अम्मा मुझे नौ बजे से सुलाना शुरु कर देती है। कहीं आना जाना होता
नहीं तो जल्दी सोने की आदत पड़ गयी है। …अच्छी बात है। वह मेरे साथ बैठ गयी थी। …क्या
तुम्हारी कभी आफशाँ से बात हुई है? उसने चौंक कर मेरी ओर देखते हुए कहा…क्या मतलब?
…कुछ दिन पहले मै आफशाँ की डायरी देख रहा था। उसमे आफशाँ ने तुम्हारा नम्बर एक किनारे
मे पेन्सिल से लिखा हुआ था। मैने सोचा कि शायद तुमने उससे कभी बात की है? …वह मुझे
जानती नहीं है तो वह मुझसे क्यों बात करेगी? …फिर तुम्हारा नम्बर उसको किसने दिया?
मैने उठते हुए उससे कहा… आज मुझे कुछ काम है तो हो सकता है कि लौटने मे मुझे देर हो
जाएगी। इतना बोल कर मै तैयार होने के लिये चला गया था।
घर से निकल कर मै
सीधा गोदाम पहुँचा तो यादव ने बताया कि उसकी टीम सुबह निकल गयी है। मै सीधे संपर्क
केन्द्र मे चला गया था। कुशाल सिंह अपने काम पर लगा हुआ था। …उस फोन नम्बर का क्या
हुआ? …सर, रात से उसको ट्रेकिंग और रिकार्डिंग पर लगा दिया है। फिलहाल वह नम्बर बन्द
पड़ा हुआ है। जैसे ही किसी नेटवर्क से जुड़ेगा तो हमे तुरन्त पता चल जाएगा। वहाँ से बाहर
निकल कर मै थापा के पास चला गया था। हम दोनो कुछ सुरक्षित स्थानों को देखने के लिये
निकल गये थे। बहुत सी जगह देखने के बाद एक बार फिर वहीं पहुँच गये थे जहाँ हमने आईएसआई
के चंगुल से जेनब को छुड़ाया था। …सर, यह बिल्कुल शान्त जगह है। आप उनसे यहाँ भी मिल
सकते है। जंगल के किनारे सामने ही एक रेस्त्रां दिख रहा था जहाँ फारुख से मिला जा सकता
था। हमने तीन जगह चुनी थी परन्तु मुठभेड़ के लिये यही जगह उप्युक्त लग रही थी। हम दोनो
गाड़ी छोड़ कर उस रेस्त्रां के आसपास की जगह का अवलोकन करने के लिये पैदल निकल गये थे।
घने उँचे दरख्तों
के जंगल के सामने वह रेस्त्रां सड़क के दूसरी ओर स्थित था। दूर-दूर तक कोई रिहाईश नहीं
थी। उस रेस्त्रां से कुछ दूरी पर त्रिशूली हाईवे दिख रहा था। पुलिस की पोस्ट भी यहाँ
से आधे घंटे की दूरी पर थी। सब लिहाज से वह रेस्त्रां फारुख से मिलने के लिये उचित
स्थान लग रहा था। थापा अपने हिसाब से स्थिति का अवलोकन कर रहा था। …सर, अगर वह दोनो
उसके साथ होंगें तो रेस्त्रां मे हम उनके साथ आमना-सामना नहीं कर सकेंगें। जो भी हमारी
ओर से कार्यवाही होगी वह उनके बाहर निकलने पर ही हो सकेगी। हमारी युनिट मे दो शार्प
शूटर है। वह जंगल मे रह कर सड़क पर खड़े हुए लोगों को आसानी से निशाना बन सकते है। मै
भी उसकी बात से सहमत था। रेस्त्रां इतना बड़ा नहीं था कि वहाँ कोई सैन्य कार्यवाही करी
जाए। कुछ देर के बाद हम वापिस काठमांडू शहर की ओर चल दिये थे। हमने तीन जगह तय की थी।
पहला अपना गोदाम, दूसरा गार्डन आफ ड्रीम्स और तीसरा वही रेस्त्रां। गोदाम पहुँच कर
मै अपने हथियारों का स्टाक देखने के लिये चला गया था। अभी भी फारुख की फौज को संभालने
के लिये काफी स्टाक था।
हाल मे पहुँच कर मैने
यादव से पूछा… उन मे से किसी ने कुछ खबर दी है? …नहीं सर। उनकी ओर से अभी तक कोई खबर
नहीं आयी है। मै चुपचाप बैठ गया। …आपने कोई जगह चिन्हित की है? मैने हामी भरते हुए
उन तीनों जगह के बारे मे बता कर कहा… कैप्टेन, यह उस पर निर्भर करता है कि वह कहाँ
मिलना चाहेगा। …सर, खबर मिली है कि पाकिस्तान दूतावास मे आज अचानक दोपहर से ही काफी
चहल पहल हो गयी है। अगर उन दोनो को दूतावास मे छोड़ कर वह आपसे मिलने आयेगा तो हमारे
लिये मुश्किल खड़ी हो जाएगी। …कैप्टेन, उनके लिये दूतावास कोई स्थायी ठहरने की जगह नहीं
हो सकती। एक रात के लिये उन्हें कहीं रुकना पड़ेगा और उस जगह का हमे समय से पहले पता
चल जाना चाहिये। …यस सर। मैने स्क्रीन पर काठमांडू का नक्शा निकाल लिया था। मै सड़कों
का अध्ययन करने बैठ गया। सुरक्षित प्रवेश और निकासी के रास्ते समझना मेरे लिये अनिवार्य
हो गया था। यह अपना देश नहीं था इसीलिये हमे यहाँ की सुरक्षा एजेन्सियों से बच कर अपने
काम को अंजाम देना था।
शाम हो गयी थी। …कैप्टेन,
जैसे ही उनकी ओर से खबर मिले तो तुरन्त मुझे सुचित करना। यह कह कर मै अपनी गाड़ी मे
बैठा और अपने घर की ओर चल दिया। रास्ते मे मुझे नीलोफर का ख्याल आया तो मैने अपनी गाड़ी
उसके फ्लैट की दिशा मे मोड़ दी थी। हमेशा के जैसे उसके फ्लैट के बाहर सब शांत पड़ा हुआ
था। मैने उसके दरवाजे पर दस्तक दी तो मेरी युनिट मे गनर बचन सिंह ने दरवाजा खोला था।
मुझे देखते ही मुस्तैदी से सैल्युट करके रास्ता देते हुए बोला… साहबजी, वह बेडरुम मे
है। …यहाँ का क्या हाल है? …सब कुछ ठीक है साहब। बेडरुम का दरवाजा खोल कर मै अन्दर
चला गया था। नीलोफर बेड पर आंखे मूंद कर बैठी हुई कुछ सोच रही थी। कदमों की आहट सुन
कर मुझे देखते ही वह चौंक कर बोली… समीर। मै उसके करीब जाकर बोला… मेरे आने की उम्मीद
नहीं थी। वह जल्दी से बोली… कल दोपहर को फारुख का फोन आया था। उसे अपने पैसे वापिस
चाहिये और उसके लिये वह काठमांडू आ रहा है। उसको जरुर तुमने बताया होगा कि मै यहाँ
पर हूँ। मैने नीलोफर को आफशाँ और मेनका की कहानी बता कर कहा… वह तुम्हारे लिये नहीं
आ रहा है। उसका मकसद कुछ और है। मैने उसे यहाँ बुलाया है। उसके अनुसार आफशाँ ही वलीउल्लाह
है। वह धीरे से दूसरी दिशा मे खिसकी और अचानक उठने की कोशिश की परन्तु तब तक मैने झपट
कर उसे पकड़ लिया था। उसकी गरदन मेरी बाँह के शिकंजे मे फँस गयी थी और मेरी टाँगें उसकी
कमर पर कस गयी थी। वह हिलने-डुलने की भी स्थिति मे नहीं थी।
…तुम जानती थी कि
आफशाँ ही वलीउल्लाह है लेकिन तुमने यह बात मुझसे क्यों छिपायी? वह कुछ नहीं बोली बस
कुछ देर छूटने का प्रयत्न करती रही फिर जब वह थक गयी तो शिथिल हो कर शांत होकर बैठ
गयी। …नीलोफर मैने समय-समय पर तुम्हारी मदद की परन्तु तुमने हमेशा मुझे धोखा देने की
कोशिश की है। हमारे बीच का करार इसी वक्त से समाप्त हो गया है। अब मै खुद तुम्हें फारुख
के हवाले करुँगा। वह कुछ नहीं बोली तो मैने उसके गले पर अपनी पकड़ को ढीले छोड़ते हुए
अपनी पाँवों की गिरफ्त से आजाद करके कहा… अगर आफशाँ और मेनका की जान का खतरा न होता
तो अब तक यह सुराहीदार गरदन को मै तोड़ चुका होता। अचानक वह तड़प कर बोली… तोड़ दो और
मुझे इस जिंदगी से आजाद कर दो। मैने उसे छोड़ कर कहा… इतनी जल्दी क्या है। यह नेक काम
फारुख करेगा। वह मुझसे अलग होकर बोली… तुम्हें क्या लगता है कि ऐसा करने से वह तुम्हें
आफशाँ और मेनका को सौंप देगा। हर्गिज नहीं क्योंकि अब वह उनके जरिये तुम्हें अपनी उंगलियों
पर नचायेगा। मै उसकी बात ध्यान से सुन रहा था परन्तु मेरी नजर उस पर टिकी हुई थी। वह
खड़ी होकर बोली… मैने तुम्हें उसे प्लेट मे सजा कर दिया था। तुमने क्या किया? उस जैसे
दोगले सांप को अपने अफसरों के हवाले कर दिया। उसने उन्हें शीशे मे उतार कर तुम्हारे
ही पर काट दिये थे। उसने तुम्हें वहाँ से उठाकर दिल्ली फिंकवा दिया जिससे वह आसानी
से जमात पर काबिज हो जाये। तुम्हारे कारण वह अपनी इस मुहिम मे कामयाब भी हो गया। अगर
तुम उसी दिन तुम उसे गोली मार देते तो आज यह सब नहीं देखना पड़ता। वह बोलते हुए गुस्से
से काँप रही थी।
मै अपने गुस्से पर
अब तक काबू कर चुका था। …नीलोफर, मै तुम दोनो का खेल समझ चुका हूँ। मै लखवी और मीरवायज
की अंतरकलह मे तुम्हारा हथियार नहीं बनूँगा। तुम्हारे परिवारों मे वर्चस्व की लड़ाई
के चक्कर मे आफशाँ और मेनका की जिंदगी को दाँव पर नहीं लगा सकता। अब चलो मेरे साथ।
मै उठ कर खड़ा हो गया और नीलोफर को लेकर बेडरुम से बाहर आ गया था। बचन सिंह फ्लैट के
दरवाजे पर खड़ा हुआ था। …बचन सिंह, अब यहाँ रुकने की आवश्यकता नहीं है। फ्लैट को लाक
करो और चलो मेरे साथ। मैने मुड़ कर नीलोफर की ओर देखा तो उसकी नजर अपनी अटैची पर जमी
हुई थी। मैने आगे बढ़ कर उसकी अटैची उठा कर कहा… चिन्ता मत करो। इसे तुम्हारे साथ ही
दफना दूँगा। मैने उसका हाथ पकड़ा और खींचते हुए बाहर निकल आया था। …समीर, बेवकूफ मत
बनो। तुमने उसको यहाँ बुला कर बहुत भारी गलती की है। उसको अनसुना करके मै आगे बढ़ गया।
बाहर अंधेरा हो गया था। हम तीनों फ्लैट से निकल कर अपनी गाड़ी के पास पहुँच गये। मैने
उसकी अटैची पीछे की सीट पर डाल कर कहा… बचन सिंह पीछे बैठ कर इसे कवर करना। मैने उसके
लिये दरवाजा खोल कर उसे बिठा कर सीट बेल्ट से जाम करके अपनी गाड़ी का स्टीयरिंग संभाल
लिया था।
पहले मै अपने गोदाम
चला गया था। मै अपने साथ नीलोफर को लेकर हाल मे आ गया। वहाँ कैप्टेन यादव भी पहुँच
गया था। …कैप्टेन, उनकी ओर से अभी तक कोई खबर मिली? …नहीं सर। …नीलोफर अपना फोन दो।
उसने अपने कुर्ते की जेब से फोन निकाल कर मेरी ओर सरका दिया। मैने उसका फोन उठा कर
उसकी काल्स पर नजर डाल कर पूछा… फारुख ने किस नम्बर से तुम्हें फोन किया था। उसने फोन
मेरे हाथ से लेकर एक नम्बर दिखाते हुए कहा… उसने इस नम्बर से फोन किया था। मैने उस
नम्बर पर एक नजर डाली तो वही नम्बर हमने ट्रेकिंग पर लगा रखा था। …कैप्टेन इस पर नजर
रखना। यह बोल कर मै संपर्क केन्द्र मे चला गया। विजय कुमार ने सिस्टम संभाल रखा था।
…उस फोन की कोई खबर मिली है। …नहीं सर, अभी भी वह स्विच आफ पड़ा हुआ है। जब दिल्ली से
चला था तभी से दिमाग मे एक भय सता रहा था कि अगर वह काठमांडू नहीं आया तो मेरी सारी
योजना धरी की धरी रह जायेगी। नीलोफर से बात होने के बाद यह तो यकीन हो गया था कि वह
काठमांडू आ रहा था।
मैने अपना हेडफोन
कान पर लगाया और अजीत सर से बात करने के लिये लिंक जोड़ने के लिये कह दिया। मुझे दो
मिनट इंतजार करना पड़ा था। अजीत सर का चेहरा स्क्रीन पर उभरते ही उनकी आवाज मेरे कान
मे पड़ी… समीर, छुट्टी मे भी काम से पीछा नहीं छूट रहा है। …सर, आप आज ताहिर से मिले
होंगें। क्या कुछ और जानकारी उसने बतायी है? …समीर, कोई खास बात पता नहीं चली परन्तु
एक बात जान कर बहुत अफसोस हुआ कि तुम्हारी पत्नी आफशाँ का कोडनेम वलीउल्लाह था। तुम्हारी
नाक के नीचे वह हमारी गोपनीय जानकारी को ताहिर के जरिये दुश्मनों तक पहुँचा रही थी
और तुम्हें इसकी भनक भी नहीं लगी। …सर, मुझे अभी भी इस बात पर विश्वास नहीं है। …समीर,
आफशाँ पिछले छह दिन से नौसेना भवन मे भी नहीं
आयी है। तुम्हारा घर भी लाक पड़ा हुआ है। हमारी टीम उससे पूछताछ करने के लिये उसको तलाश
कर रही है लेकिन वह अब तक फरार है। मै उम्मीद करता हूँ कि उसको फरार करवाने मे तुम्हारा
कोई हाथ तो नहीं है। …सर, अगर आपको ऐसा लगता है कि उसको फरार करवाने मे मेरा हाथ है
तो मेरी छुट्टी समाप्त होते ही मै कोर्ट मार्शल के लिये आत्मसमर्पण कर दूँगा। लेकिन
तब तक तो आपको मेरी बात पर विश्वास करना चाहिये। जिस दिन हमने ताहिर को पकड़ा था उसी
दिन फारुख मीरवायज ने आफशाँ और मेरी बेटी मेनका को बंधक बना लिया था। उन दोनो की जान
बचाने के लिये की वह ताहिर उस्मान का कत्ल करवाना चाहता है। ताहिर अभी भी आपके पास
सुरक्षित है। इससे ज्यादा मै आपको अपनी बेगुनाही का और क्या सुबूत दे सकता हूँ। …तो
अब क्या करने की सोच रहे हो? …सर, फारुख मीरवायज मेरे हाथ से इस बार बच कर नहीं निकल
सकता। …मेजर, कुछ भी करने से पहले ध्यान रहे कि यह तुम्हारी निजि लड़ाई नहीं है। …सर,
मैने उस दिन भी आपको समझाने की कोशिश की थी कि ग्रिड रेफ्रेन्स कोडिंग सिस्टम की गोपनीयता
पर अभी तक कोई आँच नहीं आयी है। इसलिये कोड नेम वलीउल्लाह मेरे लिये कोई मायने नहीं
रखता है। फारुख मीरवायज ने मेरी बीवी और बच्ची को बंधक बनाया है तो यह मेरी निजि लड़ाई
है। उसके लिये जो भी मुझे सजा मिलेगी उसके लिये मै तैयार हूँ लेकिन वह मेरे हाथ से
इस बार नहीं बच सकेगा। …समीर, पागल मत बनो। काठमांडू इस काम के लिये सेफ जोन नहीं है।
अगर तुम नेपाल सरकार के हाथ लग गये तो फिर तुम्हें छुड़ाना मुश्किल हो जाएगा। …सर, सेना
मे यह सिखाया गया है कि मिशन सर्वोपरि है और उसका परिणाम फिर चाहे कुछ भी हो। कल हमारे
बीच मीटिंग तय हुई है। खुदा हाफिज। इतनी बात करके मैने लिंक काट दिया था।
मुझे पता था कि वलीउल्लाह
के स्कैंडल की आग से मै खुद को भी नहीं बचा सकूँगा इसीलिये मैने काठमांडू चुना था।
कोई भी आफशाँ की मजबूरी रही होगी परन्तु मुझे अभी भी पूरा विश्वास था कि ग्रिड कुअर्डिनेट्स
देने से हमारा कोई नुकसान नहीं हुआ है। जिस आदमी ने यह सारी कहानी रची थी वह जरुर अभी
भी किसी उँचे ओहदे के पीछे छिप कर हिन्दुस्तान मे बैठा हुआ था। इसी कारण आफशाँ से मिलना
जरुरी था। मै हेडफोन लगाये बैठा हुआ अभी भी सोच ही रहा था कि मेरे कान मे विजय कुमार
की आवाज पड़ी… सर, वह दो फोन नम्बर जो आपने दिये थे उनमे से एक एक्टिव मोड मे आ गया
है। उसकी लोकेशन ट्रेक कर रहे है। मैने जल्दी से हेडफोन उतारा और विजय कुमार के सामने
स्क्रीन पर नजर गड़ा कर बैठ गया था। स्क्रीन पर लोकेशन ट्रेस करने का निशान लगातार चल
रहा था। अचानक एक सेटेलाइट नक्शा स्क्रीन पर बनना आरंभ हो गया था। धीरे-धीरे वह नक्शा
साफ होता चला गया और अचानक नक्शे के एक स्थान पर पहुँच कर केन्द्रित हो गया था। पाँच
सेकन्ड के बाद एक स्थान उभरा और उसी के साथ उस जगह का पता उदित हो गया… 32, होटल ग्रान्डे,
पोखरा।
…सर, वह उस नम्बर
से काल कर रहा है। मैने जल्दी से अपना हेडफोन सिर पर लगाया और मेरे कान मे घंटी की
आवाज सुनायी थी। …वह काल कहाँ कर रहा है उसका नम्बर नोट करो। तभी दूसरी ओर से फोन उठा
लिया गया था।
…अस्लाम वालेकुम भाईजान,
हम पोखरा पहुँच गये है। खानापीना करके दस बजे यहाँ से निकल कर कल सुबह तक काठमांडू
पहुँच जाएंगें। …दोनो की क्या हालत है। …ठीक है जनाब। उन्हें खाना खिला दिया है। …किसी
को कोई शक तो नहीं हुआ? …नहीं जनाब। सामान के पीछे बैठा रखा है। बस माओइस्टों के कारण
जगह-जगह बेरियर का सामना करना पड़ रहा है। …उनसे उलझना नहीं। कितने आदमी साथ चल रहे
है? …भाईजान मुझे मिला कर सात लोग है। …सावधान रहना। काठमांडू पहुँच कर तुरन्त खबर
करना। …जी भाईजान।
बस इतनी बात करके
फोन कट गया था। मैने वह नम्बर लेकर कहा… इस फोन को ट्रेक करते रहने। यह बोल कर मै वहाँ
से बाहर निकल गया था। नीलोफर किसी सोच मे गुम बैठी हुई थी। इतना तो तय हो गया था कि
पोखरा की ओर से आने वाले सारा ट्रेफिक काठमांडू मे हमारे गोदाम के सामने वाले नाके
से गुजरेगा। एक सैनिक को नीलोफर की निगरानी पर लगा कर मै यादव को लेकर हाल से बाहर
निकल आया था।
…कैप्टेन, यह कन्फर्म
हो गया है कि फारुख मीरवायज काठमांडू मे आ चुका है। वह दोनो किसी कंटेनर ट्रक मे पोखरा
से रात को दस बजे काठमांडू के लिये निकल रहे है। उसमे सात जिहादी बैठे हुए है। हमारे
सामने दो विकल्प है कि हमारी टीम इसी समय नौबीसे के लिये निकल जाये और चौराहे के आसपास
अपना मोर्चा लगा कर उन्हें वहाँ इन्टर्सेप्ट करे अन्यथा वह लोग सामने वाले नाके से
ही काठमांडू मे प्रवेश करेंगें तब उन्हें यहाँ पर इन्टर्सेप्ट किया जाये। तुम बताओ
कि कौन सा विकल्प ठीक रहेगा। वैसे तो हम उस फोन को फिलहाल ट्रेक कर रहे है लेकिन पता
नहीं वह फोन कब स्विच आफ हो जाये। …सर, हम अगर उन्हें इस नाके पर इन्टर्सेप्ट करते
है तो पूरी फायरपावर हमारे पास होगी। उनके बच कर निकलने की संभावना न के बराबर होगी।
बीच रास्ते मे उस कंटेनर ट्रक को तभी इन्टर्सेप्ट कर सकते है कि जब हमे पता हो कि उनका
कौनसा ट्रक है। …तुम ठीक लाइन पर सोच रहे हो। तो हमे अपना मोर्चा उस नाके पर लगाना
चाहिये। …जी सर। …अपनी सभी टीम को वापिस बुला लो। और एक घंटे के बाद फिर बैठते है।
…सर, एक टीम तो इसी सड़क पर बीस मील पर अपना बेरियर डाल कर बैठी हुई है। उसे वहीं रहने
देते है। उनको अब खबर कर देते है है कि कंटेनर ट्रक पोखरा से आ रहा है। सात जिहादी
उस कंटेनर ट्रक मे सफर कर रहे है। अगर वह उस ट्रक की पहचान कर लेते है तो हमारे लिये
इस नाके पर उन्हें रोकना आसान हो जाएगा। फिर तो हमारे दो शार्प शूटर्स ही काफी है उस
ट्र्क को सुरक्षित गोदाम मे पहुँचाने के लिये। …ठीक है कैप्टेन, उस नाके पर इन्टर्सेप्ट
करने की तैयारी मे तुरन्त जुट जाओ। …सर, इस नीलोफर का क्या करना है? …फिलहाल इसको अपने
आफिस मे बन्द कर दो। फारुख के लिये यह चारे के रुप मे काम आयेगी।
कैप्टेन यादव अपने
काम पर लग गया था। मैने गोदाम से बाहर निकल कर सरिता को फोन किया… जी मुझे पता चला
है कि आप आ गये है। सरिता इस वक्त किसी की जान खतरे मे है। सिर्फ तुम मेरी मदद कर सकती
हो। …बोलिये मुझे क्या करना है? …यह नम्बर लिखो। मैने जल्दी से वह नम्बर देकर कहा…
मुझे इसकी लोकेशन का पता करना है। तुम्हारे बिना मांगे वादा कर रहा हूँ कि इस काम के
पैसे बिना मांगें मिल जाएँगें। …आप बेफिक्र रहिये। मेरी कल सुबह ड्युटी सात बजे की
शिफ्ट मे है। आठ बजे तक आपको इस फोन की लोकेशन मिल जाएगी। इतनी बात करके मैने फोन काट
दिया था।
मुजफराबाद
…हया के बारे मे कुछ
पता चला? …नहीं। परन्तु अब यह यकीन से कहा जा सकता है कि वह पाकिस्तान मे हर्गिज नहीं
है। श्रीनगर से खबर मिली है कि वह कुछ समय के लिये वहाँ पर थी परन्तु यह पता नहीं चल
सका है कि अब वह कहाँ है। हिन्दुस्तान मे हमारा नेटवर्क सक्रिय हो गया है। जल्दी ही
हया का पता लगा लेंगें। …नीलोफर के लिये लखवी के लोग क्या कर रहे है? …मालिक वह तो
छ्लावा बन गयी है। हिन्दुस्तान के अलग-अलग शहरों मे उसे देखा गया है। आखिरी बार उसे
दिल्ली मे अंसार रजा और सेठी के साथ देखा गया था। अपने लोगों से पता लगा है कि वह वहाँ
से फरार होने की फिराक मे है। …फारुख से बात हुई? …जी जनाब। फारुख जल्द ही आपके लिये
एक बेशकीमती तोहफा ला रहा है। उसने आपके सबसे बड़े दुश्मन को अपने जाल मे फँसा लिया
है। जल्दी ही उसे लेकर वह आपके सामने हाजिर होगा। …कौन? …मेजर समीर बट जिसने हमारे
इज्तिमा की मुहिम को नष्ट किया था। उसी ने फारुख के कारोबार को बर्बाद करने की कोशिश
की थी। इसी व्यक्ति के कारण आप्रेशन खंजर का पर्दाफाश हुआ था। मैने पता किया था कि
वह भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार का दाँया हाथ है। वह अगर हमारे कब्जे मे आ गया
तो हमारा और उनका फौजी इदारा हमारे इशारों पर नाचेगा। …आमीन।
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