सोमवार, 4 दिसंबर 2023

  

गहरी चाल-37

 

अजीत सर कमरे मे नहीं थे। पता चला के वह मीटिंग रुम मे थे। हम दोनो मीटिंग रुम की ओर चले गये थे। वहाँ एकत्रित भीड़ देखते ही मै समझ गया कि आज जरुर कुछ खास बात है। सुरक्षा एजेन्सियों के साथ तीनों अंगों के सेनाध्यक्ष बैठे हुए थे। विदेश मंत्री और प्रधानमंत्री का इंतजार हो रहा था। मै तो अजीत सर की कुर्सी के पीछे जाकर बैठ गया था। जनरल रंधावा अजीत सर के साथ जाकर बैठ गये थे। मै सबको पहचानने की कोशिश कर रहा था। आईबी के दीपक शर्मा और रा के गोपीनाथ को पहचान गया था। सीआरपीफ, बीएसफ, राष्ट्रीय राईफल्स, जैसे अन्य सुरक्षा एजेन्सियों के मुखिया बैठे हुए थे। अचानक दरवाजा खुला और रुम मे बैठे हुए सभी लोग खड़े हो गये थे। विदेश मंत्री के साथ प्रधानमंत्री ने प्रवेश किया और उनके पीछे वीके भी अन्दर आ गये और फिर दरवाजा बन्द कर दिया गया था।

विदेश मंत्री ने अपनी बात रखते हुए कहा… पाकिस्तान ने पठानकोट एयरबेस पर हुए आतंवादी हमले के बारे मे हमारे डोजियर पर किसी जाँच के आदेश देने से पहले अपनी मांग रखी है कि उनका जाँच दल पठानकोट एयरबेस का मुआईना करना चाहता है। उनकी रिपोर्ट के आधार पर ही वह कोई आगे की कार्यवाही करेंगें। आपकी राय जानने के लिये यह मीटिंग बुलायी गयी है। विदेश मंत्री के चुप होते ही प्रधानमंत्री ने कहा… मुझे इसमे कोई आपत्ति नहीं दिख रही है लेकिन आप पर सुरक्षा की जिम्मेदारी है तो आपकी राय जानना चाहता हूँ। इतना बोल कर वह चुप हो गये थे। अजीत सर ने अपनी राय रखते हुए कहा… अगर हम मना करते है तो उनको बहाना मिल जाएगा और अगर हम आने देते है तो हम उनके सामने अपने एयरबेस को खोल कर रख रहे है। एक के बाद एक सबने अपनी राय रखनी आरंभ कर दी थी। कोई मना कर रहा था और कोई कह रहा था कि अब गूगल मैप पर सब कुछ तो दिख रहा है तो उनके देखने मे कौनसी आफत खड़ी हो जाएगी। जितने मुँह उतनी बातें सुनाई दे रही थी।

दो घंटे मीटिंग चलने के बाद प्रधानमंत्री ने कहा… आप सब की राय मिल गयी है। इस पर हम सोच कर निर्णय लेंगें। इतना बोल कर वह उठ कर विदेशमंत्री के साथ हाल से बाहर चले गये थे। मीटिंग समाप्त हो चुकी थी। सभी लोग निकल गये परन्तु हाल मे अजीत सर और जनरल रंधावा बैठे रहे। अजीत सर ने कहा… ऐसी मांग पाकिस्तान ने पहली बार रखी है। उस जाँच दल मे आधे तो आईएसआई के लोग होंगें जो सिर्फ एयरबेस की निशानदेही करने के लिये आएँगें। तभी वीके ने हाल मे प्रवेश करते हुए कहा… यह तय हुआ है कि उन्हें आने दो। वह आकर देख लें जिससे हम उन पर कोई एक्शन लेने का दबाव डाल सकें। उसके बाद फिर कोई ऐसी हरकत पर हम उन्हें एक पुख्ता जवाब देने की स्थिति मे हो जाएँगें। अजीत सर ने कहा… इस जाँच दल के लिये हमे इसे निचले दर्जे का प्रारुप देना चाहिये। एयरबेस का कमांडर उन्हें रिसीव करे और सारे हमले की कार्यवाही का रिप्ले उनको दिखा कर वापिस भेज देगा तो बेहतर होगा। …अजीत कुछ देर मे तुम्हारा बुलावा आने वाला है। अपना सुझाव दे देना। अभी वीके बोल कर चुके थे कि प्रधानमंत्री के आफिस की ओर से खबर आयी कि वीके और अजीत सर को बुलाया है। जनरल रंधावा और मै अपने आफिस की ओर चल दिये थे।

शाम हो गयी थी मैने कहा… सर, मै जा रहा हूँ। …हाँ तुम चलो। मै स्ट्रेटिजिक कमांड युनिट से उस फोन और ताहिर के बारे मे जानकारी लेकर ही जाऊँगा। मै आफिस के बाहर निकल आया और अपने घर की ओर चल दिया। जब घर पहुँचा तब तक आफशाँ नहीं लौटी थी। मेनका ने मुझे देखते ही अपनी शिकायतों का पुलिन्दा खोल दिया था। आयशा ने एक कागज मेरी ओर बढ़ाते हुए कहा… यह उसके खास लोग है। मैने एक सरसरी नजर उस कागज पर डाल कर कहा… यह तो सभी उत्पात मचाने वाले है। वह मुस्कुरा कर बोली… चलो तुमने तो मुझे सही माना वर्ना अभी तक तो रिश्ता टूटने का सब मुझको ही दोष दे रहे थे। मै चाय पीने बैठ गया और मेनका मुझे अपने स्कूल की कहानी सुनाने लगी थी। आफशाँ के आते ही मेनका मुझे छोड़ कर उसको पकड़ कर बैठ गयी थी। …अम्मी मुझे यह चीजे कल स्कूल ले जानी है। उसने एक लिस्ट अपने बैग से निकाल कर आफशाँ के हाथ मे पकड़ा दी थी। आफशाँ ने वह लिस्ट देख कर कहा… बेटा अब तो दुकान बन्द हो गयी होंगी। तुम फोन पर मुझे बता देती तो लौटते हुए ले आती। मेनका का चेहरा उतरता देख कर एकाएक आफशाँ बोली… एक बार चल कर मार्किट मे देख लेते है। शायद कोई दुकान खुली हो। चलो मेनका अपने अब्बू से कहो कि जीप निकाले। मैने जीप की चाबी उठाई और दोनो को लेकर मार्किट की ओर चल दिया।

जीप चलाते हुए मैने कहा… मेनका, यह लिस्ट मुझे दिखा देती तो मै पहले ही तुम्हें सारा सामान दिलवा देता। बेचारी तुम्हारी अम्मी थकी हुई घर आयी और फिर यह सामान लेने के लिये चल दी। मेनका चुपचाप आफशाँ की ओर देखने लगी तो आफशाँ ने तुरन्त कहा… अब्बू ने कभी कोई चीज खरीदी है जो यह तुम्हें इस लिस्ट का सामान दिलवा देते। अपने अब्बू से पूछो कि रेड रिबन किस दुकान पर मिलता है। मैने जल्दी से कहा… मुझे माफ करो। मै तो तुम्हारी सुविधा के लिये कह रहा था। अब माँ और बेटी एक हो गयी और मेरी कमी निकालने बैठ गयी। मुझे खीजते देख कर दोनो खिलखिला कर हँस पड़ी। मार्किट मे अभी कुछ दुकाने खुली हुई थी। वह दोनो मार्किट मे चली गयी और मै जीप मे बैठ कर आफशाँ के बारे मे सोच रहा था। क्या वह ऐसा काम कर सकती है? कुछ देर मे दोनो वापिस आकर बोली… घर चलिये। …सारा सामान मिल गया? …हाँ। हम वापिस घर की ओर चल दिये थे। माँ और बेटी पूरे रास्ते अपनी कहानी मे उलझी रही थी। लौट कर खाना समाप्त करके आयशा अपने कमरे मे चली गयी और हम तीनो हमेशा की तरह अपने लान मे टहलने के लिये निकल गये थे।

कुछ देर टहलने के बाद मैने पूछा… आफशाँ, मुंबई आने से पहले तुमने कुछ समय बैंगलौर मे भी तो काम किया था? …हाँ, दो साल बैंगलोर मे मैने डेटामेटिक्स मे नौकरी की थी। क्यों पूछ रहे हो? …पता नहीं कब वहाँ ट्रांस्फर हो जाये तो क्या तुम्हें वहाँ ऐसी नौकरी मिल जाएगी। …अरे वह तो आईटी वालों का सेन्टर है। मेरे साथी मुझे मुंबई जाने के लिये मना कर रहे थे लेकिन इतना अच्छा पैकेट मिलने के कारण मै मुंबई आ गयी थी। तुम्हें पता नहीं है लेकिन यह नौकरी भी मेरी झोली मे खुद-ब-खुद आकर गिरी थी। मै कुछ और पूछता कि अचानक मेनका बोली… अम्मी वापिस चलिये। मै थक गयी हूँ। आफशाँ उसे लेकर अन्दर जाते हुए बोली… तुम टहल कर आ जाओ। मै इसे सुलाने जा रही हूँ। मै कुछ देर आफशाँ से बात करने की भुमिका बना कर बेडरुम मे चला गया था।

कुछ देर के बाद आफशाँ आई और कपड़े बदल कर मेरे साथ लेटते हुए बोली… मेनका का उतरा हुआ चेहरा देख कर मै सब कुछ भूल जाती हूँ। वह मुझसे लिपटते हुए बोली… तुम उस पर नाराज मत हुआ करो। मैने उसको बाँहों मे जकड़ कर कहा… मुझसे गलती हो गयी। मुझे तुम माँ-बेटी माफ कर दो। मन ही मन अपनी भुमिका तैयार कर रहा था लेकिन मुझे समझ मे नहीं आ रहा था कि उस से कैसे बात शुरु की जाये कि अचानक वह बोली… क्या सोच रहे हो? …आजकल आफिस मे अफरोज के कारण हंगामा मचा हुआ है। कोई कोडनेम वलीउल्लाह के नाम से हमारी गोपनीय सूचना दुश्मन देश को दे रहा है। यह सुनते ही वह उठ कर बैठ गयी थी। मैने उसकी ओर देखते हुए पूछा… आफशाँ, तुम नौसेना का काम संभाल रही हो तो क्या तुम्हारे पास ओएनजीसी के दो प्लेटफार्म सागर विराट और सागर अनंत के ग्रिड रेफ्रेन्स है? मेरी ओर देखते हुए बोली… यह नौसेना की गोपनीय जानकारी है। यह सिर्फ तुम्हें नौसेना से ही मिल सकती है। अचानक वह मेरी ओर देख कर बोली… तुम क्या करने की सोच रहे हो? पहली बार मुझे उसके चेहरे पर भय के लक्षण दिख रहे थे।

मुझे उसकी प्रतिक्रिया समझ मे नहीं आयी थी। वह मुझे ध्यान से देख रही थी। मैने अबकी बार संभल कर कहा… तुम मुझे गलत मत समझो। हमे खबर मिली थी कि यह दो प्लेटफार्म आतंकवादियों के निशाने पर है। उनके एक साथी के पास सात अंकों कुछ ग्रिड रेफ्रेन्स मिले थे। उसने उन दो प्लेटफार्म का नाम लिया था। मै बस चेक करना चाहता हूँ कि जो ग्रिड रेफ्रेन्स हमे मिले थे वह उन्हीं दो प्लेटफार्म के ग्रिड रेफ्रेन्स है या वह हमे धोखा देकर किसी और प्लेटफार्म को निशाना बनाने की ताक मे थे। जब तक हमे कोई पुख्ता सुबूत नहीं मिलता तब तक हम नौसेना या अन्य किसी सुरक्षा एजेन्सी को खबर नहीं कर सकते है। अगर वह ग्रिड रेफ्रेन्स मैच हो गये तब हम नौसेना को इसकी खबर कर देंगें और फिर उसके बाकी साथियों को पकड़ने के लिये सभी सुरक्षा एजेन्सियों सावधान कर देंगें। मेरी बनाई हुई कहानी को सुन कर उसके चेहरे पर अभी भी भय व्याप्त था। वह अभी भी तनाव मे दिख रही थी।

वह मेरी ओर देख कर बोली… समीर, सात अंको का नम्बर का मतलब ही उसके पास ग्रिड रेफ्रेन्स है। नौसेना के ग्रिड रेफ्रेन्स मांगने का अधिकार सिर्फ मेरे पास है। जब यह जानकारी मुझे मिल जाती है तो उस जानकारी को हमारे यहाँ से सिर्फ तीन लोग ही जानते है। मेरे एमडी, मै और कोडर जो व्यक्ति उसकी डिकोडिंग और कोडिंग करता है। एक बार उस ग्रिड रेफ्रेन्स की कोडिंग कर दी तो फिर कोडिड ग्रिड रेफ्रेन्स हम किसी को भी दे सकते है। दोनो ही सात अंकों का नम्बर है परन्तु कोडिड ग्रिड रेफ्रेन्स को अगर कोई असली ग्रिड रेफ्रेन्स की तरह इस्तेमाल करेगा तो हो सकता है कि उसे नक्शे पर मुंबई के बजाय वाशिंगटन दिखाई देगा। …अच्छा अगर कोडिंग वाला ग्रिड रेफ्रेन्स किसी के पास है तो क्या वह उसका असली ग्रिड रेफ्रेन्स निकाल सकता है? …हाँ क्यों नहीं निकाल सकता है। कोडिंग क्या है एक मशीन की भाषा ही तो है लेकिन यह काम इतना आसान नहीं है। इसके लिये साफ्टवेयर एक्स्पर्ट होना जरुरी है। अब अगर उस आतंकवादी के पास उन दो प्लेटफार्म के असली ग्रिड रेफ्रेन्स मिल गये तो उसके लिये मुझे जेल हो जाएगी। अभी कुछ महीने पहले ही सरकार ने हर कंपनी से एक कानूनी अन्डरटेकिंग ली है कि मांगी हुई जानकारी की गोपनीयता बनाये रखने की जिम्मेदारी उस व्यक्ति की है जिसने वह जानकारी मांगी थी। इसीलिये जैसे ही तुमने मुझे उन प्लेटफार्म्स के ग्रिड रेफ्रेन्स की बात बतायी तो मै घबरा गयी थी। …इसका मतलब यही हुआ कि तुम्हारे पास उन प्लेटफार्म्स के ग्रिड रेफ्रेन्स है? वह चिड़ कर मेरे कन्धे पर हाथ मार कर बोली… क्या तुम मुझे डराने की कोशिश कर रहे हो? नौसेना की जानकारी मेरे पास नहीं होगी तो फिर किसके पास होगी। …तभी तो मै कह रहा हूँ कि एक बार चेक कर लो। अगर वह सही हुए तो मै उसको नष्ट कर दूंगा जिससे तुम पर फिर कोई बात नहीं आयेगी।

वह इस बार मेरी ओर ध्यान से देखते हुए बोली… समीर, तुम मेरा इम्तिहान ले रहे हो या मुझे पागल बना रहे हो। मै तुम्हें बचपन से जानती हूँ। मुझे विश्वास है कि अगर कभी ऐसी स्थिति आई भी तो भी तुम उस कागज को कभी नष्ट नहीं कर सकते। मैने मुस्कुरा कर कहा… मै इतना भी बेवकूफ नहीं हूँ कि अपनी बच्ची की अम्मी को जेल भिजवा दूँगा। वह लेटते हुए बोली… मै तुम्हारी नस-नस से वाकिफ हूँ तो मुझे बनाने की कोशिश मत करो। अगर तुम चेक करना चाहते हो तो मेरी सलाह मानो कि तुम्हारे सेना भवन मे एक लेफ्टीनेन्ट जनरल मोहन्ती है जो उसको चेक करके बता देंगें कि वह ग्रिड रेफ्रेन्स सही है कि गलत है। मैने एक बार फिर से प्रयास किया… तुम चेक करके खुद क्यों नहीं बता देती। मै तुम्हें वह कागज दे देता हूँ। तुम आफिस मे पहुँच कर उसको चेक करके मुझे बता देना। इससे गोपनीयता भी बनी रहेगी और किसी का कोई नुकसान भी नहीं होगा। वह करवट लेकर बोली… अब सो जाओ। सुबह आफिस भी जाना है। कल सोच कर बता दूँगी। उसके साथ लेटते हुए मैने कहा… अच्छा गुड नाईट। वह कुछ देर मेरी ओर पीठ करके लेटी रही और फिर करवट लेकर मेरी ओर देखा तो मै अभी भी जाग रहा था। …समीर। क्या सो गये? मैने उसकी ओर देखा तो वह बोली… तुम चिन्ता मत करो। उसके पास सही ग्रिड रेफ्रेन्स नहीं हो सकते। मैने उसे अपनी बाँहों मे बांध कर उसके गाल को चूम कर कहा… सो जाओ।

सुबह की दिनचर्या आरंभ हो गयी थी। अपने आफिस जाते हुए अचानक एक आदमी का ख्याल आया तो मैने थापा से कहा… राष्ट्रीय रक्षा कालेज चलो। आफशाँ ने रात को जो बताया था उसके बारे मे मुझे कोई जानकारी नहीं थी। मै किसी विशेषज्ञ से ग्रिड रेफ्रेन्स की कहानी समझना चाहता था। जैसे ही मै अपने पुराने आफिस के सामने से निकला तभी मुझे प्रोफेसर सुरेश पेंडारकर का ख्याल आ गया था। वह तो इसरो से ही आया था तो वह मेरी कुछ मदद कर सकता था।  मै सीधे कालेज मे चला गया था। प्रोफेसर पेंडारकर अपने आफिस मे बैठे हुए मिल गये थे। मुझे देखते ही वह बोले… मेजर साहब, आज यहाँ कैसे। अंजली के क्या हाल चाल है। मुझे खुशखबरी मिल गयी है। यह सुन कर मै चौंक गया था। …अंजली की शिखा से बात हुई थी उसी ने बताया था कि घर मे नया मेहमान आने वाला है। मैने कल ही शिखा से वादा किया है कि मेहमान के आने के बाद अगली छुट्टी मे उसे काठमांडू घुमाने जरुर ले जाऊँगा। …प्रोफेसर साहब मै आपसे कुछ समझने के लिये आया हूँ। …बोलिये क्या जानना चाहते हो? मैने जैसे ही ग्रिड रेफ्रेन्स की बात कही तो वह एकाएक सावधान हो कर बैठ गया था।

कल रात आफशाँ की बात मैने उनके सामने रख कर पूछा… इसके बारे मे क्या बता सकते है? प्रोफेसर पेंडारकर ने मुस्कुरा कर कहा… मेजर किसी ने आपके साथ मजाक किया है। इसरो का ग्रिड रेफ्रेन्स सिस्टम एक बेहद आधुनिक पाँच लेयर की सिक्युरिटी का कोडिंग सिस्टम है। पहली बात तो कोडिंग को दोबारा कोडिंग करने की क्यों जरुरत पड़ेगी। दूसरी बात है कि इस धरती पर किसी भी स्थान के दो कुअर्डिनेट्स तय है जिसको हम आम भाषा मे अक्षांश और देशांतर के नाम से जानते है। दुनिया के सारे नक्शे इसी पर आधारित होते है। इसमे कोई बदलाव नहीं हो सकता है। अब ग्रिड रेफ्रेन्स क्या है? स्थायी कुअर्डिनेट्स 0 डिग्री देशांतर को लंडन आब्सर्वेटरी ग्रीनविच पर मानी गयी है और वहीं से पूरी पृथ्वी को 360 डिग्री मे बाँटा गया है। अब अगर हम 0 डिग्री ग्रीनविच को न देकर दिल्ली को दे देते है पूरी पृथ्वी के भुगोल मे इसके अनुसार बदलाव आ जाता है। उसी के साथ अगर हम 0 डिग्री अक्षांश को बदल देते है तो भुगोल और भी गूड़ तरीके से बदल जाता है। इसरो का ग्रिड रेफ्रेन्स सिस्टम भी इसी मूल सिद्धांत पर आधारित होता है। वह अपने अनुसार 0 डिग्री को किसी भी स्थान पर मान कर दुनिया के अक्षांश और देशांतर मे परिवर्तन गोपनीयता के लिये कर देते है जिसको हम कोडिंग कहते है। असलियत मे तो ग्रीनविच ही 0 डिग्री रहता है लेकिन दुनिया से छिपाने के लिये ग्रिड रेफ्रेन्स कोडिंग सिस्टम उस स्थान के कुअर्डिनेट्स बदल देता है। सिर्फ इसरो ही उस कोड के बारे मे जानता है और किसी को पता नहीं कि रेफ्रेन्स पोइन्ट क्या लिया गया है। जिस किसी ने भी आपको यह कहानी सुनाई है उसने आपके साथ एक मजाक किया है।

बीस मिनट मे प्रोफेसर पेंडारकर ने मुझे ग्रिड रेफ्रेन्स कोडिंग सिस्टम समझा दिया था। उन्होंने यह भी बता दिया कि अगर इसरो को पता चल जाता है कि रेफ्रेन्स पोइन्ट किसी बाहर की एजेन्सी को पता चल गया है तो वह तुरन्त एक नया रेफ्रेन्स पोइन्ट बना लेते है जिसके अनुसार बाकी सब पुराने पोइन्ट्स भी बदल जाते है। इस कोडिंग को तोड़ना लगभग नामुम्किन है क्योंकि हर हफ्ते यह रेफ्रेन्स पोइन्ट इसरो बदलती रहती है। इसीलिये हमारा सारा आधुनिक मिसाइल सिस्टम और स्पेस रिसर्च इसी कोडिंग पर आधारित है। कुछ देर उनसे बात करने के बाद मै अपने आफिस की ओर चल दिया था। सारे रास्ते मै इसी के बारे मे सोचता रहा था कि आफशाँ ने मुझसे झूठ क्यों बोला था। यह भी हो सकता है कि उसे खुद भी इसके बारे मे पता न हो। उसको जिसने भी यह बताया होगा वह भी उसे भ्रम मे रखना चाहता होगा लेकिन ब्रिगेडियर चीमा ने भी ऐसे ही खतरे की बात बतायी थी। मै अब खुद ही अपने जाल मे उलझता चला जा रहा था। मै वहाँ से निकल कर अपने आफिस की ओर चल दिया।

आफिस मे पहुँच कर सबसे पहले जनरल रंधावा के आफिस मे देखा तो वह अपने कमरे मे नहीं थे। मैने एनएसए के सेक्रेटरी से अजीत सर के बारे मे पूछा तो पता चला कि वह किसी मीटिंग मे गये है। मै अपने कमरे मे आकर बैठ गया और शुरु से सारी कहानी समझने लगा। यह सारी कहानी की शुरुआत जामिया मस्जिद के ब्लास्ट से शुरु हुई थी। एक आतंकवादी की जेब मे एक कागज के पुर्जे पर सात अंकों के चार नम्बर लिखे हुए थे। उसके बाद ऐसे ही कुछ नम्बर मिलने आरंभ हो गये थे। जब उन नम्बरों के बारे मे जानकारी लेने की कोशिश की तब यह शक जताया गया कि यह अत्यन्त गोपनीय ग्रिड रेफ्रेन्स कोडिंग सिस्टम है जिसके आधार पर हमारी सैन्य शक्ति धारदार मानी जाती थी। उसकी जाँच के दौरन ही एक वलीउल्लाह नाम का कोड नेम का पता चला जो हमारी सैन्य संबन्धित गोपनीय जानकारी आईएसआई को दे रहा था। इस सारी जानकरी से जुड़े हुए मुख्य लोगो मे जो नाम सबसे पहले सामने आये थे वह मेजर हया इनायत मीरवायज, फारुख मीरवायज और नीलोफर के थे। उसके बाद काठमांडू आप्रेशन के दौरान कुछ और नाम जुड़ गये थे जैसे की शुजाल बेग, आदिल, अबदुल्लाह और अफरोज। मेरी पहुँच मे लगभग सभी थे सिवाय फारुख मीरवायज, हया इनायत मीरवायज और आदिल उर्फ ताहिर। अगर पेंडारकर ने मुझे ग्रिड रेफ्रेन्स कोडिंग सिस्टम के बारे मे सही जानकारी दी है तो इस कहानी को गड़ने वाला जरुर कोई हिन्दुस्तानी ही हो सकता है। वह कौन हिन्दुस्तानी हो सकता है? मै इसी के बारे मे सोच रहा था कि तभी फोन की घंटी बज उठी थी।

…हैलो। …समीर, वह ग्रिड रेफ्रेन्स बताओ। …आफशाँ इस वक्त मै मीटिंग मे हूँ। इसके समाप्त होते ही मै तुम्हें फोन करता हूँ। मैने तुरन्त फोन काट दिया था। फोन के कारण मेरे विचारों का तारतम्य टूट गया था। एक बार फिर से मैने अपने दिमाग को ग्रिड रेफ्रेन्स कोडिंग सिस्टम पर केन्द्रित किया कि तभी जनरल रंधावा ने कमरे मे प्रवेश करते हुए कहा… मेजर, वह बीस लोग यहाँ पहुँच गये है। उन्हें डिटेन्शन सेन्टर मे स्थानांतरित कर दिया गया है। …सर अब वह क्या बताएँगें क्योंकि अब तो वह सिर्फ ताहिर उस्मान ही सारी सच्चाई बता सकता है। उसकी कोई खबर मिली? …नहीं। लेकिन उस लड़की के पास अब बहुत सी काल ताहिर को पूछने के लिये आ रही है। अब जब वह ताहिर को काल मिलायेगी अन्यथा ताहिर उससे बात करेगा तभी उसके ठिकाने का पता चल सकेगा। …सर, एक बात और पता चली है कि ताहिर के काफी घनिष्ट संबन्ध फारुख मीरवायज के साथ थे। उसकी मध्यस्ता के कारण ही अफरोज और फारुख के बीच मे बात हो सकी थी। …तो क्या जमात की ओर से फारुख आप्रेशन खंजर को कार्यान्वित कर रहा था। …सर, मेरा भी यही ख्याल है कि फारुख का इस आप्रेशन खंजर मे बड़ा महत्वपूर्ण रोल है। मंसूर बाजवा का वह खास आदमी था। शुजाल बेग का डोजियर इस बात की पुष्टि करता है। मेरा सुझाव है कि हमे फारुख पर नजर रखनी चाहिये। जनरल रंधावा ने धीरे से गरदन हिला कर कहा… तुम ठीक कह रहे हो लेकिन यह मत भूलो कि फारुख की नब्ज अभी भी हमारे हाथ मे है। …जी सर।

मेरी मेज पर रखे हुए फोन की घंटी बज उठी थी। …आ गया बुलावा। मैने जल्दी से फोन उठा कर कहा… हैलो। …मेजर, फौरन रंधावा को लेकर मेरे कमरे मे आओ।  फोन कट गया था। मैने मुस्कुरा कर कहा… सर, अजीत सर का फोन था। अपने कमरे मे बुलाया है। हम दोनो अजीत सर के कमरे की ओर चल दिये थे। वीके और अजीत सर बैठे हुए किसी मुद्दे पर चर्चा कर रहे थे। हमे देखते ही अजीत सर ने कहा… आप दोनो मे से कौन पठानकोट जाएगा? …मेजर को भेज दो। …सर, मै ताहिर के पीछे लगा हूँ। इस वक्त मै यहाँ से बाहर नहीं जा सकता। …पुत्तर, सुबह जाओगे और दोपहर तक वापिस आ जाओगे। तुम युनीफार्म पहन सकते और मै सिर्फ वेटर्न्स की युनीफार्म पहन सकता हूँ। पाकिस्तानियों के सामने हमे वर्दी मे ही होना चाहिये। मैने अजीत सर की ओर देखा तो वह वीके की ओर देख कर मुस्कुरा रहे थे। वीके ने कहा… एक मेजर डेलीगेशन का नेतृत्व नहीं कर सकता। …तो इसको कर्नल बना कर भेज दो। दोनो जोर से हँस पड़े थे। अजीत सर ने कहा… किसी को जाने की जरुरत नहीं है। ब्रिगेडियर चीमा श्रीनगर से पठानकोट पहुँच रहा है। वह अपने आप संभालेगा। वह कुछ और बोलते तभी मैने जल्दी से टोकते हुए कहा… सर, आप सभी यहाँ है तो एक खुलासा करने आया हूँ। तीनो की नजर मुझ पर टिक गयी थी।

मैने ग्रिड रेफ्रेन्स कोडिंग सिस्टम की सारी कहानी सुनाने के बाद कहा… इसरो द्वारा निर्मित ग्रिड रेफ्रेन्स कोडिंग सिस्टम अभेद्य है परन्तु कोई हमारा आदमी हमारे बीच मे बैठ कर पाकिस्तानियों और हमे बेवकूफ बना रहा है। अजीत सर ने गौर से देखते हुए कहा… समीर, इस सिस्टम के बारे मे तुम्हें किसने बताया। …इसरो के वैज्ञानिक ने बताया है। इसलिये उसकी बात पर शक नहीं कर सकते है। वीके ने कुछ सोच कर कहा… कर्नल साहब, आप मेजर ही ठीक है क्योंकि अब आप बार-बार टार्गेट बदल रहे है। हमारा टार्गेट इस वक्त ताहिर है। आपको यह नहीं भूलना चाहिये। …जी सर। अजीत सर बोले… समीर, हमारी प्राथमिकता इस वक्त आप्रेशन खंजर को ध्वस्त करने की होनी चाहिये। …सर, आप्रेशन खंजर से जुड़े हुए सभी लोगों मे से सिर्फ तीन आदमी अभी हमारी पहुँच से बाहर है मुख्यत: मेजर हया, फारुख और ताहिर। इसमे भी फारुख तो अभी भी हमारी मुठ्ठी मे है और मेजर हया अपनी ही फौज के द्वारा फरार घोषित कर दी गयी है तो अब ताहिर रह जाता है। …तो पहले ताहिर को पकड़ो। यह तुम्हारी पहली जिम्मेदारी है। …जी सर। अजीत सर ने कुछ सोचते हुए कहा… समीर, अगले महीने स्ट्रेटजिक सेन्ट्रल कमांड कमेटी की सचिव लेवल की मीटिंग होनी तय हुई है। इस मीटिंग मे जाने से पहले यह आप्रेशन खंजर की कहानी समाप्त हो जानी चाहिये। …जी सर।

इतनी बात हमारे बीच मे उस दिन हुई थी। मै अपने कमरे मे बैठा हुआ ताहिर उस्मान अब्बासी के बारे सोच रहा था। वह इस वक्त अपने बारह हिज्बुल के गाजियों के साथ कहाँ होगा? उसकी बैंगलोर, मुंबई, दिल्ली और श्रीनगर मे किसी एक जगह पर होने की संभावना हो सकती है। अगर उसको पता चल गया है कि उसके बीस लोग हिरासत मे चले गये है तो वह बांग्लादेश भी भाग सकता है। मै उसके बारे मे सोच रहा था कि जनरल रंधावा ने मुझे फोन पर बताया कि उसकी सेक्रेटरी लीसा ने बैंक के मैनेजर से कहा है कि वह तुरन्त कैश का इंतजाम करे क्योंकि ताहिर साहब पैसे लेने के लिये आज शाम तक खुद बैंक आयेंगें। जब उस बैंक का नम्बर ट्रेस किया गया तो पता चला कि वह बैंक दिल्ली के कनाट प्लेस मे स्थित है। …मेजर, उस बैंक पर निगरानी लगाने की तैयारी करो। …यस सर। यह बोल कर मै तुरन्त बाहर भागा। ताहिर उस्मान इस वक्त दिल्ली मे कहीं छिपा हुआ है। कुछ ही देर के बाद जनरल रंधावा ने सेना के बारह जवानों की टुकड़ी मेरे साथ कर दी थी। एक साधारण सी मिनी बस को लेकर हम उस बैंक के सामने पहुँच गये थे। मैने स्थानीय पुलिस को भी सावधान कर दिया था। मिनी बस से बैंक के आसपास की जगह का अवलोकन करके मैने अपने साथ आये हुए सनिकों को मुख्य स्थानों पर तैनात कर दिया था। चिन्ता मुझे ताहिर की ओर से नहीं थी जितनी उसके साथ चलते हुए जिहादियों की ओर से थी। भीड़भाड़ वाले इलाके मे उन्हें मासूम लोगों पर गोली चलाने मे लेशमात्र भी झिझक नहीं होगी।

सबको तैनात करके मै बैंक के अन्दर चला गया था। बैंक मे भी काफी लोग दिख रहे थे। ऐसी जगह सुरक्षाकर्मियों के लिये अपना काम करना बड़ा मुश्किल था। बैंक के मैनेजर से पूछताछ करने के लिये मै उसके केबिन की ओर चला गया था। मैनेजर अपने कुछ बैंक कर्मचारियों के साथ किसी काम मे उलझा हुआ था। जैसे ही मैने दरवाजा खोल कर अन्दर प्रवेश करने के लिये कदम बढ़ाया कि तभी मैनेजर ने मुझे हाथ हिलाते हुए जोर से कहा… आप देख नहीं रहे है कि हम काम कर रहे है। आप बाहर इंतजार करिये। मै अन्दर प्रवेश कर चुका था। उसके कर्मचारी मुझे अन्दर आता हुआ देख कर खड़े हो गये थे। इससे पहले कोई खींचातानी होती मैने जल्दी से कहा… मैनेजर साहब मुझे सिर्फ आपसे बात करनी है। मैने अपना परिचय पत्र दिखाते हुए कहा… मेरा नाम मेजर समीर बट है। अपने आदमियों को कुछ देर के लिये बाहर भेज दिजिये। मै वर्दी मे नहीं था शायद इसी लिये वह मेरे बारे मे कुछ और समझ रहे थे। मैने जल्दी से कहा… आप चाहे तो पुलिस को बुला सकते है लेकिन फिलहाल अपने आदमियों को कहिये कि वह कुछ देर के लिये बाहर चले जाये। मैनेजर ने मेरा परिचय पत्र देख कर अपने कर्मचारियों को बाहर जाने का इशारा किया तो वह बेमन से बाहर निकल गये थे।

…नीलकंठन साहब, मै आपके एक क्लाईन्ट ताहिर उस्मान अब्बासी के बारे मे बात करना चाहता हूँ। उसका नाम सुन कर ही वह जल्दी से बोला… उसी के लिये तो मै अपने आदमियों से चर्चा कर रहा था। उन्होंने आज सुबह ही फोन पर कहा कि उन्हें बीस करोड़ रुपये कैश मे चाहिये। इतना कैश हम बैंक की शाखा मे नहीं रखते है। उस कैश के इंतजाम के लिये मै अपने कर्मचारियों से बात कर रहा था जब आप कमरे मे आये थे। …मै आपके काम मे दख्ल देने नहीं आया हूँ। हमारे पास पुख्ता रिपोर्ट है कि वह पैसा आतंकवादियों को देने के लिये निकाला जा रहा है। मै सिर्फ इतना चाहता हूँ कि जब वह पैसे लेने आये तब आप उसे अपने कमरे मे बीस मिनट के लिये रोक लिजीएगा। उसके साथ उस वक्त बारह के करीब हथियारों से लैस जिहादी होंगें। हमे उन्हें संभालने के लिये समय चाहिये क्योंकि वह हल्का सा खतरा भांप कर मासूमों पर गोली चलाना आरंभ कर देंगें। उन्हें संभालने के लिये मेरे सैनिको को बस बीस मिनट चाहिये। यह बात आपको अपने तक सिमित रखनी होगी क्योंकि यह राष्ट्रीय सुरक्षा का मसला है। अभी तक तो बीस करोड़ कैश के इंतजाम की चिन्ता मे वह उलझा हुआ परन्तु आतंकवादी की बात सुन कर तो अब सभी की जान का खतरा भी उसके लिये उत्पन्न हो गया था। उसने जल्दी से सिर हिला दिया था। …नीलकंठन साहब अगर वह अपने प्रोग्राम मे कोई भी फेर बदल करता है तो प्लीज मुझे इसकी तुरन्त सूचना दिजीयेगा। …जी सर। उसे वहीं छोड़ कर मै उसके केबिन से बाहर निकल आया था।

मै काउन्टर के सामने पड़ी बेन्च पर आराम से बैठ गया और अपने कान मे माईक्रोफोन और शर्ट के बटन पर स्पीकर लगा कर आन करके धीरे से बोला… टीम लीडर टु आल…आप लोग अपनी लोकेशन पर पहुँच गये है। टीम वन। हल्की सी घर्घराहट हुई और मेरे कान मे आवाज आई… टीन वन रेडी। गेट पर दरबान के साथ तैनात है। …टीम वन कोई भी हथियार के साथ अन्दर दाखिल न होने पाये। …जी सर। …टीम टू। …सर पीछे की गली हमने दोनो ओर से कवर कर रखी है। …गुड सावधान रहिएगा। जी सर। …टीम थ्री। …सर हम अपने पोइन्ट पर तैनात है। आपके निर्देश पर टार्गेट को हिट करेंगें। …सिर्फ जब क्लीयर शाट मिले तभी शूट करना। टीम फोर। …हम भी तैनात है। …क्लीयर शाट मिले तभी गोली चलाना। किसी भी हालत मे मासूम की जिंदगी को खतरे मे नहीं डालना है। …यस सर। …टीम फाईव। …सर, हम भी तैयार है। …टीम सिक्स। …सर हम भी तैयार है। उसकी गाड़ी की शिनाख्त होते ही उनकी गाड़ियों के टायर को निशाने पर ले लेंगें। …गुड हंटिंग बोयज। ओवर एन्ड आउट। मेरी ओर से तैयारी हो चुकी थी। अब ताहिर उस्मान अब्बासी के आने का इंतजार था।

वहाँ बेन्च पर बैठे हुए दोपहर हो गयी थी। उसका दूर-दूर तक नामोनिशान नहीं था। जब भी कोई बैंक मे दाखिल होता तो मेरी नजर उस पर जमी होती थी। लंच टाइम हुआ तो बैंक मे भीड़ छंट गयी थी। सारे काउन्टर खाली हो गये थे। मै अभी भी बेन्च पर बैठा हुआ उसके आगमन का इंतजार कर रहा था। तीन बजे कैश डिलिवरी वाले दो बड़े लोहे के काले संदूक लेकर बैंक के स्ट्रांग रुम मे रख कर वापिस चले गये थे। इसी बीच मे तीन बार जनरल रंधावा फोन कर चुके थे। वह उस लीसा नाम की लड़की के फोन पर नजर रख रहे थे। चार बजने वाले थे और पब्लिक डीलिंग का समय समाप्त होने जा रहा था। दो बार मैनेजर भी मुझसे बात करने आ चुका था। ताहिर की ओर से अभी तक किसी ने भी उससे संपर्क स्थापित नहीं किया था। मैने मन ही मन सोचा कि अगर वह आज नहीं आया तो कल सुबह से फिर हमे यहीं पर अपना वक्त गुजारना होगा।

मैनेजर मेरे पास आकर बोला… सर, लगता है कि वह आज नहीं आयेंगें। मुझे यह सारा पैसा वापिस भेजना पड़ेगा क्योंकि इतना कैश हम इस ब्रांच मे नहीं रख सकते। मैने एक नजर बैंक मे चारों ओर घुमाकर देखा तो अब इक्के-दुक्के लोग काउन्टर पर खड़े हुए थे। …नीलकंठन साहब, आप अपने काम वैसे ही किजीये जैसे रोज करते है। उसने मुड़ कर गेट पर खड़े दरबान को चेन गेट लगाने का इशारा किया तभी मेरे कान मे आवाज आयी… टीम सिक्स हेयर। अभी एक बीएमड्ब्लू आयी है और उसके पीछे जीप मे भी कुछ लोग है। आठ लोग है। एक पल रुक कर फिर आवाज गूंजी… सर वही आदमी है और वह अपने साथ एक स्त्री को लेकर कार से उतरा है। मैने जल्दी से कहा… आल टीम्स रेडी फार एक्शन। मैने पेट के किनारे टंगी हुई अपनी ग्लाक-17 को अपनी उँगलियों से टटोल कर देख कर खुद को मुठभेड़ के लिये आश्वस्त किया और फिर अपनी नजर गेट पर टिका दी थी।

…टीम सिक्स। सर वह लोग बैंक के गेट की ओर जा रहे है। …उनके टायर को निशाना बनाने के लिये तैयार हो जाओ। …यस सर। …टीन वन उन्हे गेट पर रोक देना और कोशिश करके सिर्फ उस आदमी को अकेला अन्दर दाखिल होने देना। आज के लिये बैंक बन्द हो गया है। तभी मेरे कान मे आवाज आयी… सौरी सर, बैन्किंग टाइम समाप्त हो गया है। तभी दूसरी आवाज गूंजी… मैने फोन पर आपके मैनेजर से बात की है। वह मेरा इंतजार कर रहे है। …सौरी सर। मैनेजर साहब ने बन्द करने निर्देश अभी कुछ देर पहले दिया है। अगले ही पल… सर, सबसे पहले इन्हें गेट से दूर रहने के लिये कहिये। मै उनकी सारी बात सुन रहा था। टीम वन अपना काम बखूबी के साथ निबाह रही थी। एक बार मेरी टीम की आवाज फिर से गूंजी… सर, आप अपने आदमियों से कहिये कि वह दूरी बना कर खड़े हो जाये। …मेरी बात सुनो भाईजान। …सर, कुछ भी बोलने से पहले इनसे कहिये की यह पीछे हो जाये। मै आखिरी बार बोल रहा हूँ। बैक आफ। अचानक एके-203 की काकिंग आवाज…क्लिक…मेरे कान मे सुनाई दे गयी थी। …सब पीछे चले जाओ। पहली बार बैंक के गेट पर कोमांडो को देख रहा हूँ। …सर, बैकिंग का टाइम समाप्त हो गया है। …भाईजान, मुझे मैनेजर से बात करने के लिये तो जाने दो। …सर, प्लीज इन्हें रास्ता दिजिये। यह कैश डिलीवरी वाले है।

कुछ देर शान्ति रही और एक बार फिर से आवाज आयी… भाईजान मुझे मैनेजर से बात करने के लिये जाने दो। …ठीक है सर, सिर्फ आप अन्दर जाकर बात कर लिजिये और इन लोगो से कहिये कि यह गेट से अलग हो जाये। मैने जल्दी से कहा… टीम थ्री एन्ड टीम फोर फौरन उन आठ आदमियों और उस स्त्री को हिरासत मे लेकर मिनी बस मे बिठा दो। …यस सर। …ख्याल रहे शूट टु डिसआर्म। …यस सर। मेरी नजर अब गेट पर चली गयी थी। बैंक के गार्ड ने चेन गेट खोल दिया तो ताहिर उस्मान तेजी से कदम बढ़ाते हुए अन्दर चला आया था। वह सीधे मैनेजर के केबिन की ओर चला गया था। मैनेजर अपने केबिन मे नहीं दिखा तो एक नजर कर्मचारियों पर डाल कर जोर से चीखा… मैनेजर। जब तक कोई कर्मचारी उठ कर बोलता तब तक मै उसके पास पहुँच बोला… बोलिये। उसने मुझे घूर कर देखा और फिर बोला… तुम मैनेजर हो? …जी नहीं। मैनेजर साहब स्ट्रांग रुम मे गये है। बैंक बन्द होने से पहले ज्यादा कैश वापिस भिजवाना होता है। …मुझे मैनेजर से बात करनी है। वह तो सारा कैश भिजवा कर ही बाहर आएँगें। तब तक वह दोनो काले संदूक लेकर गार्ड्स के साथ मैनेजर बाहर आता हुआ दिखा तो ताहिर तेजी से उसकी ओर बढ़ गया। मै भी उसकी ओर चला गया था।

…मैनेजर मेरे आफिस ने कैश तैयार रखने के लिये आपको सुबह कह दिया था। मै कैश लेने आया हूँ। मेरा नाम ताहिर उस्मान अब्बासी है। बीस करोड़ निकालने है। यह बोल कर उसने चेक उसकी ओर बढ़ा दिया था। मैनेजर ने एक बार मेरी ओर देखा और फिर बोला… सर, बैंकिंग का समय समाप्त हो गया है। वह संदूक मे जो पैसे जा रहे है वह आपके लिये हेड आफिस से मंगाया था। आप समय से नहीं आये तो वापिस भिजवा दिया। …रोको उसे। मै कैश लेने आ गया हूँ। नीलकंठन ने अपनी अस्मर्थता जाहिर करते हुए कहा… ताहिर साहब, आप टाइम से नहीं आये तो मैने हेड आफिस को खबर कर दी थी। अब मै इन्हें रोक नहीं सकता। आप कल टाइम से आ जाईये। मै इस कैश को कल सुबह मंगा लूँगा। ताहिर बेबस सा उनको जाते हुए देख रहा था। वह जल्दी से बोला… मेरे लिये बैंक रात को भी खुल जाता है। तुम पाँच मिनट भी रुक नहीं सके। …सर, अगर आप मुझे अपने आने के समय की खबर कर देते तो मै देर रात तक पेमेंट के लिये बैठ सकता था। इतना कैश शाखा मे रखना मना है इसीलिये बैंक बन्द होने से पहले इसे वापिस भिजवाना जरुरी था।

वह कुछ देर नीलकंठन को घूरता रहा और फिर मुड़ कर जाने लगा तो मैने उसे रोकते हुए कहा… ताहिर साहब मै आपका ही इंतजार कर रहा था। वह ठिठक कर वहीं रुक कर मुड़ कर मेरी ओर देखने लगा तो मैने कहा… आपको मेरे साथ चलना होगा। अचानक मेरे कान मे आवाज सुनाई दी… उन सभी को हिरासत मे ले लिया गया है। मेरा ध्यान पल भर के लिये भटक गया था। तब तक उसने तेजी से गेट की ओर छलांग लगायी लेकिन चेन गेट बन्द होने के कारण वह बाहर नहीं निकल पाया था। …यह क्या मजाक है। वह अबकी बार गुस्से मे चीखा तो मैने कहा… ताहिर उस्मान अब्बासी उर्फ आदिल तुमसे आप्रेशन खंजर के सिलसिले मे कुछ पूछताछ करनी है। बात करते हुए मैने जल्दी से उसकी तलाशी ली और उसे अपने साथ लेकर बैंक से बाहर आ गया था। गेट पर खड़ी हुई टीम तुरन्त उसको पार्किंग की दिशा मे ले गयी थी।

बस के अन्दर ताहिर को धकेलते हुए मैने जैसे ही प्रवेश किया तो एक महिला की आवाज मेरे कान मे पड़ी… समीर। उस अवाज को अंधेरे मे भी पहचान सकता था। उस आवाज को सुन कर मेरा जिस्म काँप गया था। मैने गरदन घुमा कर उस दिशा मे देखा तो पीछे की सीट पर बैठी हुई आफशाँ उठ कर आश्चर्य से मेरी ओर देख रही थी। उसके चेहरे पर तनाव के साथ अब गुस्सा भी झलक रहा था।

मै आफशाँ की ओर बढ़ गया।

4 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही जबरदस्त अंक और अब मजा आयेगा और कॉन्फ्लिक्ट ऑफ इंट्रेस्ट के वजह से समीर क्या फैसला लेता है यह देखना होगा और आफसां अपने बॉस के जो व्यक्तित्व को जानती है तो मिया बीवी के बीच दूरी आना स्वाभाविक है,और ग्रिड रेफरेंस का जो मसला अभी तक चल रहा है उसमें एक नया ट्विस्ट आ चुका है और अगर को ऑर्डिनेट्स हर सप्ताह में बदल रहे हैं और उनको अगर रेफरेंस प्वाइंट पता ना हो तो फिर वो खतरा थोड़ा टाल सकता है।और आगे क्या होता है यह देखने में मजा आयेगा, थ्रिलर टाइम स्टार्ट....

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    1. अल्फा भाई शुक्रिया। वह भले ही कान्फ्लिक्ट आफ इंट्रेस्ट का शिकार हो गया परन्तु क्या वह देश की सुरक्षा के आगे आफशाँ को रख सकता है। अगर सच पूछो तो यह सवाल हर भारतीय को ऐसा निर्णय लेने से पहले एक बार जरुर अपने आप से पूछना चाहिये।

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  2. साईरस भाई धन्यवाद। इतने दिन साथ निबाहने के लिये लिये आप भी तारीफ के हकदार है।

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