रविवार, 24 दिसंबर 2023

  

गहरी चाल-40

 

एक घंटे के बाद हम सभी लोग हाल मे इकठ्ठे हो गये थे। मैने अपनी योजना उनके सामने रखनी आरंभ की… पोखरा से आने वाला ट्रक सुबह चार-छह बजे के बीच मे नाके पर पहुँचेगा। रात की शिफ्ट मे उस नाके पर तीन लोग रहते है। एक बैरियर पर तैनात रहता है और दूसरा अन्दर बैठ कर हिसाब रखता है। तीसरा ड्राईवर से पैसे वसूलता है और ट्रक के कागज जाँचने की ड्युटी पर तैनात रहता है। हम रात को दो बजे उस नाके को अपने कब्जे मे ले लेंगें। उन तीन आदमियों को गोदाम मे उठा लायेंगें। उनकी जगह हमारे तीन आदमी वहाँ पर तैनात हो जाएँगें। चार सैनिक उस केबिन के पीछे तैनात रहेंगें और इशारा मिलते ही ट्रक को कवर करके सबसे पहले ड्राईवर केबिन मे बैठे हुए जिहादियों को कब्जे मे कर लेंगें और फिर उस ट्रक को गोदाम मे सुरक्षित पहुँचा दिया जायेगा। कंटेनर मे बैठे हुए बाकी जिहादियों को गोदाम मे लाकर न्युट्रिलाइज करेंगें। किसी को कुछ पूछना है तो अभी पूछ लिजिये।

किसी ने कोई सवाल नहीं किया तो मैने सबकी ड्युटी बतानी आरंभ कर दी थी। कैप्टेन यादव केबिन मे बैठ कर हिसाब रखेंगें। थापा बेरियर पर रहेगा और मै वसूली का काम करुँगा। जो लोग आज गार्ड ड्युटी पर गोदाम मे होंगें वह अपनी ड्युटी पर तैनात रहेंगें। जैसे ही उन तीन नाके के कर्मचारियों को यहाँ लाया जायेगा तो दो सैनिक उनकी निगरानी पर तैनात हो जाएँगें। बचन सिंह और उसके साथ तीन सैनिक केबिन के पीछे तैनात रहेंगें और इशारा मिलते ही उस ट्रक को कवर कर लेंगें। एक शार्प शूटर स्नाईपर राइफल के साथ थापा के पास अंधेरे मे खड़ा रहेगा और ड्राईवर केबिन मे बैठे हुए लोगों पर नजर रखेगा। अगर वह किसी प्रकार का खतरा देखता है तो उस खतरे को तुरन्त प्रभावहीन करने के लिये वह अपने विवेक के अनुसार फायर कर सकता है। चार सैनिक जो ट्रक को कवर कर रहे होंगें वह ड्राईवर केबिन मे बैठे हुए लोगो को ट्रक से उतार कर गोदाम मे अपने साथियों के हवाले करके नाके के तीनो कर्मचारियों लेकर वापिस नाके पर छोड़ देंगें। शार्प शूटर उस ट्रक को गोदाम मे लाकर खड़ा कर देगा। उन तीनो कर्मचारियों के पहुँचने के बाद वह नाका उनके हवाले करने के बाद ही हम लोग वापिस गोदाम पर लौट कर आ जाएँगें। कोई शक? जब कोई जवाब नहीं मिला तो मैने कहा… बेशक। आप लोग आराम किजिये और डेड़ बजे वापिस इसी हाल मे मिलते है। इतनी बात करके मै वापिस संपर्क केन्द्र मे चला गया था।

…क्या वह फोन स्विच आफ हो गया? …नहीं सर, वह आन है और लगातार नेटवर्क टावर बदल रहा है। इसका मतलब है कि वह रास्ते मे है। …हमारी एक टीम यहाँ से बीस मील पर है। उन्हें बता दो कि उस कन्टेनर ट्रक पर हमारी निगाह जमी हुई है। उनके करीब पहुँचते ही हम उस ट्रक की पहचान के लिये उनकी डिवाइस पर बीप करेंगें। एक बार उस ट्रक की निशानदेही हो गयी तो नाके का काम सरल हो जाएगा। विजय कुमार अपने काम मे जुट गया था। टार्गेट की पहचान होने के बाद दुश्मन की गतिविधि और दूरी पर लगातार नजर बनाये रखने का प्रशिक्षण स्पेशल फोर्सेज के सभी सैनिकों को दिया जाता है। इस काम मे हम सभी कुशल थे। जब तक उसका फोन चालू रहेगा तब तक हम आसानी से बेरियर पर तैनात टीम को यहीं से उस ट्रक की पहचान असानी से करा सकते थे। उस जिहादी की बेवकूफी ने हमारा काम आसान कर दिया था।

डेड़ बजे हम सब एक बार फिर से हाल मे इकठ्ठे हो गये थे। एक बार फिर से सारी रणनीति को दोहरा कर सभी लोग निकल गये थे। हम जैसे ही गोदाम का शटर खोलने के लिये आगे बढ़े की तभी गार्ड ड्युटी पर तैनात सैनिक ने रुकने का इशारा किया और तभी मेरे कान मे लगे हुए टू-वे हेड्फोन मे उसकी आवाज पड़ी… सर, नाके पर पुलिस पेट्रोल की गाड़ी खड़ी हुई है। एकाएक चलते हुए सभी के कदम अपनी जगह पर रुक गये थे। कुछ मिनट गुजरने के बाद एक बार फिर उसकी आवाज कान मे पड़ी… सर, पुलिस पेट्रोल की गाड़ी हमारे गोदाम के सामने से निकल गयी है। आल क्लीयर। शटर खोल कर सभी लोग सड़क छोड़ कर अंधेरे मे छिपते-छिपाते नाके की ओर निकल गये थे। सबसे पहले बेरियर पर खड़े हुए आदमी को कब्जे मे लेकर उसकी जगाह थापा तैनात हो गया था। ट्रक से पैसे वसूली करने वाला व्यक्ति सबसे आखिर मे कब्जे मे किया था। कैप्टेन यादव ने केबिन मे बैठे हुए व्यक्ति को कब्जे मे किया और जैसे ही वसूली करने वाला टोकन कटवाने के लिये अन्दर आया तो मैने उसे कब्जे मे कर लिया था। कैप्टेन यादव अब टोकन काटने वाले के स्थान पर बैठ गया था और मै टोकन की पर्ची लेकर लाईन मे खड़े हुए ट्रक की ओर चला गया था। अब तक मै उनकी कार्यप्रणाली को समझ चुका था। सबसे पहले मै ट्रक के कागजात देख कर ड्राईवर का लाइसेंस चेक करके ट्रक का चक्कर लगा कर ड्राइवर से पैसे लेकर केबिन मे दाखिल होता और फिर यादव को ट्रक का नम्बर और पैसे देकर एक पर्ची लेकर वापिस उस ट्रक ड्राईवर को थमा कर थापा की ओर बेरियर उठाने का इशारा कर देता। उस ट्रक के हिलते ही दूसरा ट्रक उसके स्थान ले लेता था। एक बार फिर वही क्रिया दोहरायी जाती थी। चार बजे तक हमने यही काम लगभग सौ से ज्यादा ट्रक और अन्य गाड़ियों के साथ किया था।

साड़े चार बजे के करीब विजय कुमार ने कैप्टेन यादव को खबर दी कि बेरियर पर खड़ी हुई टीम ने उस ट्रक की निशानदेही कर ली है और उसके पीछे पिकअप मे लौट रहे है। मै जब पैसे जमा कराने के लिये गया तब कैप्टेन यादव ने मुझे इसकी जानकारी दे दी थी। मैने बाहर आकर सभी लोगों अब सावधान रहने का इशारा कर दिया था। बीस मील की दूरी लगभग आधे घंटे मे पूरी होने का अंदाजा लेकर मै जल्दी से जल्दी लाइन को छोटा करने मे व्यस्त हो गया था। पाँच बज कर पन्द्रह मिनट पर बिलावल ट्रान्सपोर्ट का एक छोटा कंटेनर ट्रक लाईन मे आकर लग गया था। उसके पीछे हमारी पिकअप भी आकर रुक गयी थी। टार्गेट अब हमारे सामने था। उसके आगे चार ट्रक पहले से लगे हुए थे। मैने अपनी गति थोड़ा धीमी करके अपने सभी साथियों को टार्गेट को पहचानने का अवसर दे दिया था। एक दो ट्रक के ड्राइवर के साथ वसूली के लिये बहस भी करके एक माहौल तैयार कर लिया था। जैसे ही वह कंटेनर ट्रक मेरे सामने आकर रुका तो सबसे पहले मेरी नजर ड्राईवर और उसके साथ बैठे हुए तीन लोगो पर पड़ी थी। सभी के कन्धों अन्यथा गले मे लिपटा हुआ पर वही चेक मार्का जिहादियों का गमछा पड़ा हुआ था। उनका चेहरा ही उनकी पहचान के लिये काफी था। मै धीरे से बड़बड़ाया… तीन लोग ड्राइवर के साथ केबिन मे है। मेरे स्नाईपर अपना निशाना साधने मे लग गये थे।

मै चलते हुए ड्राइवर साइड पर पहुँच कर बोला… गाड़ी के कागज दिखाओ। ड्राईवर ने गाड़ी के कागज खिड़की से बाहर निकाल कर देते हुए कहा… भाईजान पैसे पकड़ो और जल्दी फारिग करो। बड़ी दूर से ट्रक लेकर आया हूँ। …कहाँ से आ रहे हो? …बाहराइच से आ रहा हूँ भाई। …खाली ट्रक है? …सामान लाया हूँ। आम की पेटियाँ है। मैने आराम से कागज देखने के बाद कहा… लाईसेन्स। उसने जल्दी से लाईसेन्स निकाल कर मेरे हाथ मे थमा दिया। कुछ पल लाईसेन्स पर निगाह जमा कर मैने कहा… मियाँ नीचे उतरो। वह हड़बड़ा कर बोला… क्या हुआ भाईजान? …तुम्हारे लाईसेन्स को समाप्त हुए दो महीने हो गये है। इस ट्रक का चालान होगा। …ऐसा हर्गिज नहीं हो सकता। मै उसको अनसुना करके आगे बढ़ गया। ट्रक का चक्कर लगा कर मैने देख लिया था कि मेरे चारो साथी अंधेरे से निकल कर बाहर आ गये थे। मेरे साथियों ने अब तक ट्रक को कवर कर लिया था। मै पिक अप मे बैठे हुए साथियों को इशारा किया जिससे पीछे खड़े हुए कतार मे ट्रक हार्न वगैराह बजा कर जल्दबाजी न करें। अपना चक्कर पूरा करके मै कलेक्शन केबिन मे चला गया। कुछ मिनट वहाँ गुजार कर मै एक बार और फिर वापिस ड्राईवर के पास पहुँच कर बोला… अपना ट्रक लाइन से निकाल कर किनारे मे खड़ा करके अन्दर साहब से जाकर बात कर ले। इन सब सवारी को उतार दे क्योंकि ड्र्राईवर के साथ सिर्फ एक आदमी बैठ सकता है। साहब ने उन्हें देख लिया तो और उनका मुँह और फट जाएगा। यह बोल कर मै पीछे के ट्रक की ओर निकल गया था।

उसने ट्रक स्टार्ट किया और केबिन के पास ले जाकर रोक दिया। ड्राइवर ट्रक से उतर कर केबिन मे चला गया। उसके साथ बैठे हुए तीन जिहादी भी नीचे उतर कर केबिन के पास टहल कर अपने हाथ पाँव हिला कर अपने जोड़ खोलने मे लग गये थे। मैने अपने साथियों को इशारा किया और अगले ही पल वह बाज की तरह उनकी ओर झपटे और पल भर मे एक-एक आदमी को घसीटते हुए केबिन की आढ़ मे ले गये थे। जब तक ड्राइवर केबिन से बड़बड़ाता हुआ बाहर निकला तब तक हमारा शार्प शूटर उस ट्रक मे बैठ चुका था। वह ड्राईवर बड़बड़ाते हुए अपने ट्रक की चल दिया… सब साले चोर है। सिर्फ पैसा लूटने के लिये बैठे है। वह ट्रक की ओर बढ़ रहा था कि तभी उसका ट्रक स्टार्ट होकर आगे की ओर धीरे से हिला तो वह ठिठक कर रुक गया। जब तक वह कुछ समझ पाता तब तक चौथे सैनिक ने पीछे से उस पर एक वार किया। जब तक वह कुछ समझ पाता तब तक वह सैनिक उस ड्राईवर को गरदन से पकड़ कर केबिन के पीछे ले गया था। उन चारों को इतनी सफाई से हटाया गया था कि वहाँ पर कतार मे खड़े हुए ट्रकों मे बैठे हुए लोगों मे से कोई भी बैरियर के हालात को समझने की स्थिति मे नहीं था। अगले ही पल छोटा सा कंटेनर ट्रक बेरियर पार करके आगे निकल गया था। पिकअप सामने पहुँचते ही थापा ने जल्दी से बेरियर गिरा दिया था। जैसे ही पिकअप बेरियर के सामने रुकी उसी समय चार सैनिक उन चारों को अपने कन्धों पर उठाये तेजी से सामने आये और उन्हें बोरियों की भांति पिक अप के पीछे फेंक कर धड़धड़ाते हुए उसमे सवार हो गये थे। पलक झपते ही बेरियर उठ गया और पिकअप ट्रक तेजी से आगे निकल गया था। जब यह सब हो रहा था तब मै लाइन मे खड़े हुए ट्रक के ड्राईवर के साथ उलझा हुआ था। बामुश्किल पाँच ट्रक निकले होंगें कि दो सैनिकों के साथ तीनो नाके के कर्मचारी आते हुए दिखायी दे गये थे। बेरियर के सामने खड़े हुए ट्रक के पेपर्स लेकर मै अन्दर चला गया।

वह तीनो कर्मचारी सहमे हुए जैसे ही केबिन मे दाखिल हुए तो कैप्टेन यादव को देख कर पहचानते हुए उन्होंने पूछा… क्या आपको भी उन सैनिकों ने बंधक बना लिया था? मैने उनकी ओर पैसों की थैली बढ़ाते हुए कहा… नेपाल सेना के आदेश पर तुम्हारा काम हमने कर दिया है। मैने इसमे दस हजार रुपये अलग से तुम्हारे लिये रख दिये है जिससे इस बात का जिक्र तुम लोग किसी से भी मत करना। उन तीन के चेहरे पर अभी भी हवाईयाँ उड़ी हुई थी। वह फटी हुई आँखों से मुझे देख रहे थे। मैने एक बार फिर से बोलना आरंभ किया… जैसे तुम्हें उन सैनिकों ने हथियार दिखा कर यहाँ से हटाया था वैसे ही उन्होंने मेरे गोदाम पर भी कुछ देर के लिये कब्जा कर लिया था। हम तो कारोबारी लोग है तो सैनिकों से हम नहीं टकरा सकते। अगर तुमने अपना मुँह खोला तो कप्तान साहब चेतावनी देकर गये है कि किसी भी रात को उनकी टुकड़ी यहाँ आकर हमेशा के लिये सबकी जुबान बन्द कर देगी। अपनी जान और कारोबार बचाने के लिये यह पैसे दे रहा हूँ। अगर अपना मुँह बन्द रखने का वादा करोगे तो कल शाम को एक दस हजार की गड्डी और भिजवा दूँगा लेकिन भाई अगर किसी ने भी इस सैनिक कार्यवाही का जिक्र किया तो हम सभी नेपाल सेना के निशाने पर आ जाएँगें। सैनिकों की बात से पता चला है कि उनका आप्रेशन माओइस्टों के खिलाफ था। उनका नाका उनके हवाले करके हम तीनो पैदल अपने गोदाम की ओर चल दिये थे।

गोदाम मे पहुँच कर सबसे पहले उन चारों जिहादियों के बारे मे पता किया। वह चारों जमीन पर बेहोश पड़े हुए थे। …इन्हें होश मे लाओ। बोल कर मै उस कंटेनर ट्रक के करीब चला गया था। मैने अपने दो शार्प शूटर्स को इशारा किया तो वह अपनी स्नाईपर राइफल तान कर दरवाजे पर निशाना लगा कर बैठ गये थे। बाकी सैनिकों ने ट्रक को चारों ओर से घेर लिया था। सावरकर ने आगे बढ़ कर कंटेनर ट्रक का लोहे का दरवाजा खोला और तेजी से सामने से हट गया। थापा जोर से चिल्लाया… अन्दर जो भी हैं वह सभी अपने हाथ हवा मे उठाकर एक-एक करके बाहर आ जाओ। नेपाल सेना देश की सेवा मे सदैव तत्पर। कुछ पल बीतने के बाद सामान के पीछे से एक आदमी अपने हाथ सिर पर रख कर निकला और ट्रक से नीचे उतर कर एक किनारे मे खड़ा हो गया था। उसके पीछे फिर एक और आदमी निकल कर ट्रक से उतर कर किनारे मे खड़ा हो गया था। चार जिहादी जमीन पर बेहोश पड़े हुए थे और दो जिहादी एके-203 के निशाने पर जमीन पर बैठे हुए थे। जानकारी के हिसाब से एक आदमी अभी भी उन दोनो के साथ अन्दर था। इस आप्रेशन का यह सबसे कठिन हिस्सा था।

मैने थापा को इशारा किया तो उसने कहा… एक आदमी अभी भी अन्दर है। वह शांति से बाहर आ जाये। एक मिनट के बाद मेनका को गोदी मे उठाये आफशाँ पहले सामान के पीछे से लड़खड़ाते हुए निकली और उसके पीछे चेक वाले सफेद गमछे से अपना चेहरा ढके एक जिहादी निकला था। मेनका का चेहरा पीला पड़ा हुआ था। आफशाँ की हालत भी अच्छी नहीं दिख रही थी। उसके चेहरे पर हवाईयाँ उड़ी हुई थी। उसके रुखे बाल चेहरे पर बिखरे हुए थे। मेनका अपनी स्कूल युनीफार्म मे थी और आफशाँ अपने आफिस के वस्त्रों मे थी। दोनो के बाल धूल से अटे हुए थे। कपड़ो पर गन्दगी और सिलवटें साफ दिख रही थी। उनकी हालत देख कर एक पल के लिये मेरे दिमाग का फ्युज उड़ता उससे पहले जिहादी के हाथ मे एके-47 उन दोनो पर तनी हुई देख कर मै वापिस एन्काउन्टर के मोड मे आ गया था। वह जिहादी जोर से चिल्लाया… अपने हथियार डाल दो वर्ना यह दोनो मासूम बेवजह मारी जाएँगी। मैने अपने शार्प शूटरों की ओर देखा तो दोनो ने मना करते हुए इशारा किया कि जिहादी को शूट करने का क्लीयर शाट नहीं मिल रहा है। मै समझ गया कि उनकी लाईन आफ साईट मे मेनका और आफशाँ के जिस्म का कोई हिस्सा आ रहा था।

…रुक जा। उस जिहादी की आवाज गूँजी। मेनका को गोदी मे लिये आफशाँ ट्रक मे दरवाजे के पास पहुँच कर रुक गयी थी। उनकी आढ़ मे वह जिहादी अपनी एक-47 उनके पीछे ताने खड़ा हुआ था। हमारी जरा सी असावधानी उन दोनो के लिये घातक हो सकती थी। मै अभी भी सामने नहीं आया था। मै दरवाजे की आढ़ लेकर उसके जोड़ की झिरी से अन्दर के हिस्से का जायजा ले रहा था। उस जिहादी का पूरा ध्यान सामने की ओर लगा हुआ था। दरवाजे के जोड़ मे बनी हुई झिरी से उसका बाँया हिस्सा ही मै देख पा रहा था। किसी भी एक्शन के लिये सब मेरे आदेश का इंतजार कर रहे थे। मैने जल्दी से अपना टू-वे हेडफोन को आन करके पूछा… शूटर्स उसका दाँया कन्धा किसको साफ दिख रहा है? एक आवाज मेरे कान मे पड़ी… यस सर। मेरे लिये शाट क्लीयर है। …अब तुम ध्यान से सुनो कि तीन गिनने पर उसके कन्धे को अपना निशाना बना लेना। …यस सर। वह जिहादी लगातार सामने खड़ी टीम को धमकी दे रहा था। कैप्टेन यादव उसको लगातार हथियार डालने के लिये कह रहा था। हर गुजरता हुआ पल मुझे भारी लग रहा था। मैने अपनी ग्लाक-17 की नाल उस दरवाजे के जोड़ की झिरी पर टिका कर स्पीकर पर कहा… आल रेडी, तीन पर फायर करना। …एक…दो…तीन! अचानक दो फायर एक साथ हुए थे। मेरी ग्लाक ने उसके घुटने को निशाना बनाया और दूसरे फायर ने उसके कन्धे के चिथड़े उड़ा दिये थे। दो अलग जगह से फायर होने के कारण वह दिशा भ्रम का शिकार हो गया था। घुटने का जोड़ नष्ट होते ही वह अपने वजन के झोंक मे स्लो मोशन मे आगे की ओर आफशाँ पर झुका लेकिन तब तक आफशाँ अपनी गोदी मे मेनका को लिये ट्रक से नीचे कूद गयी थी। कैप्टेन यादव ने उन दोनो के गिरने से पहले ही अपनी बाँहें फैला कर उन्हें संभाल लिया था। कन्धे का जोड़ नष्ट होने के कारण एके-47 उसके हाथ से छिटक कर जमीन पर गिर गयी थी। वह औंधे मुँह जमीन पर गिर कर बेहोश हो गया था। सब कुछ इतनी तेजी से हुआ था कि देखने वालों के समझ मे नहीं आया कि यह सब अचानक कैसे हो गया था।

आफशाँ और मेनका भले ही घबरायी हुई थी परन्तु सही सलामत उनके चंगुल से निकल गयी थी। थापा को देखते ही मेनका जोर से चीखी… थापा अंकल। कैप्टेन यादव से अपना हाथ छुड़ा कर वह भाग कर थापा से लिपट गयी। आफशाँ ने थापा को देखते ही उससे पूछा… थापा, समीर कहाँ है? आफशाँ अपने पुराने स्वरुप मे वापिस आ गयी थी। मै दरवाजे की आढ़ से बाहर निकलने के बजाय ट्रक की ओट मे पीछे हट गया था। थापा ने जल्दी से कहा… मैडम, मेजर साहब यहाँ नहीं है। इस आप्रेशन को कैप्टेन साहब देख रहे थे। आफशाँ ने मेनका को उसके हाथों से लेकर अपने सीने से लगा कर कैप्टेन यादव की ओर देख कर कहा… शुक्रिया कैप्टेन। कैप्टेन यादव ने जल्दी से उसका अभिवादन किया और फिर थापा को इशारा करके बोला… मैडम, बच्ची पर इस घटना का बुरा असर पड़ा है। आप दोनो को सुरक्षित जगह पर रखने के लिये निर्देश मिले है। थापा आपको वहाँ छोड़ देगा। आप दोनो आराम किजिये। अबकी बार आफशाँ की आवाज बोलते हुए तीखी हो गयी थी… कैप्टेन, मुझे मेजर समीर से बात करवा दिजिये। कैप्टेन यादव को कुछ नहीं सूझा तो वह जल्दी से बोला… मैडम, थापा आपकी बात करा देगा। फिलहाल आप दोनो यहाँ से चले जाईए क्योंकि अभी हमे इनसे पूछताछ करनी है। आफशाँ कुछ नहीं बोली और मेनका को लेकर थापा के साथ चली गयी।

उनके जाने के बाद मै ट्रक के पीछे से निकल कर सबके सामने आ गया था। जमीन पर औंधे मुँह पड़े हुए जिहादी को उलट कर मैने उसके चेहरे पर बंधे हुए कपड़े को हटाया तो उसका चेहरा देखते ही तुरन्त उसको पहचान गया… कैप्टेन यादव, आज तुम्हारी टीम ने पांच लाख के इनाम का इंतजाम कर लिया है। आप लोगों ने हिज्बुल के कमांडर जाकिर मूसा को पकड़ा है। इसका मतलब है कि यह सभी हिज्बुल के गाजी है। इसे एक मारफीन का इन्जेक्शन देकर प्राथमिक फर्स्ट एड दे दो। इसके बाकी साथियों को बांध कर इसी कंटेनर मे डाल देना। मै मुड़ कर चलने लगा तभी कुछ याद आते ही मैने पलट कर कंटेनर पर नजर डालते हुए कहा… यह बोल रहे थे कि इसमे आम है। उसकी खुशबू तो अब तक गोदाम मे फैल जानी चाहिये थी। लेफ्टीनेन्ट देखो तो सही कि यह क्या लेकर आये है? सावरकर अपने साथ दो सैनिक लेकर कंटेनर मे चढ़ गया। पहली पेटी खोलते ही वह बोला… सर, इसमे हथियार है। हम वापिस कंटेनर की ओर मुड़ गये थे। …कैप्टेन, पता नहीं इन साले जिहादियों को कहाँ से इतने हथियार मिल जाते है। अब हमारे पास भी जगह कम पड़नी शुरु हो गयी है। …सर, इनके लिये नये गोदाम मे हमे एक बड़ा आयुध डिपो बनाना पड़ेगा। लकड़ियों की पेटियों मे ग्रेनेड, एके-47, चाईनीज असौल्ट राइफल, सैकड़ों राउन्ड मैग्जीन, इत्यादि निकले थे।

कुछ सोचते हुए मैने पूछा… इतने सारे हथियार देखने से लगता है कि फारुख यहाँ जंग के इरादे से आया है। अभी हम बात कर ही रहे थे कि सावरकर चिल्लाया… सर, जरा यहाँ आईये। उसकी आवाज की प्रतिक्रिया देख कर हम दोनो फौरन ट्रक पर चढ़ गये। एक पेटी अमरीकन डालर से भरी पड़ी हुई थी। सारी पेटियाँ जब खुल गयी तब ऐसा प्रतीत हो रहा था कि यह जिहादी न जाने कौन से बैंक आफ अमरीका मे डाका डाल कर लौट रहे थे। पाँच पेटियाँ अमरीकन डालर से भरी हुई थी। दो पेटियों मे चाईनीज करेन्सी के नोट थे। तीन पेटी युरो की गड्डियों से भरी हुई थी। कुछ सोच कर मैने कहा… कैप्टेन, इसको देख कर ऐसा लगता है कि फारुख यहाँ से निकल भागने की फिराक मे है। इन सब पेटियों को उठा कर स्टोर मे रखवा दो। मै दिल्ली मे बात करता हूँ कि इन सब का क्या करना है। कैप्टेन यादव के हवाले सारी पेटियाँ करके मै संपर्क केन्द्र मे चला गया था।

सुबह के छह बज रहे थे। मैने जनरल रंधावा का लिंक मांगा तो संपर्क होने मे कुछ समय लगा लेकिन उनका चेहरा स्क्रीन पर आते ही मैने कहा… सर, हिज्बुल के सात जिहादी हमारे कब्जे मे है। उनमे से एक जाकिर मूसा भी है। वह घायल है और उसे बचाना है तो तुरन्त अस्पताल पहुँचाना पड़ेगा। बताईये क्या करना है? …पुत्तर, तुम लोग इन जिहादियों को घायल क्यों करते हो? वह एक पल रुक कर मुस्कुरा कर बोले… अरे इन बेचारों की हूरें इनकी राह देख रही है। क्या तुम लोग नहीं चाहते कि यह उनसे जल्दी से जल्दी मिले। इन्हें ठिकाने लगा दो क्योंकि इनको लेकर सीमा पार कैसे करोगे। …सर, उस कंटेनर ट्रक मे हथियार के साथ करोंड़ो रुपये की विदेशी करेंसी भी मिली है। ऐसा लगता है कि फारुख मीरवायज भागने की फिराक मे है। अबकी बार जनरल रंधावा संजीदा होकर बोले… तुम्हारी बीवी और बच्ची का क्या हाल है? …सर, उन दोनो को बचा लिया गया है। …पुत्तर, उन दोनो की चिन्ता करने का समय है। उन बेचारियों पर इसका कितना बुरा प्रभाव पड़ा होगा। इस वक्त उन दोनो को तेरी जरुरत है। मेरी बात को ध्यान से सुन कि इस लाइन मे बहुत बार जो दिखता है वह सच नहीं होता। वह तेरी बीवी है और उसकी रक्षा करना तेरा धर्म है। इससे ज्यादा मै अभी कुछ नहीं बोल सकता। बस इस बार फारुख को बच कर निकलने मत देना।  …यस सर। दूसरी ओर से लाइन कट गयी थी।

मैने कैप्टेन यादव को जनरल रंधावा का संदेश सुना कर कहा… फारुख से बात करने के लिये इनका जिन्दा रहना जरुरी है। नीलोफर को भी कंटेनर से निकाल कर ले आओ। तभी मेरे मोबाइल फोन की घंटी बज उठी थी। …हैलो। दूसरी ओर से किसी की सांस की आवाज सुनाई दे रही थी। …आफशाँ। जब कुछ देर तक वह कुछ नहीं बोली मैने जल्दी से कहा… तुम फिलहाल आराम करो। मै कुछ देर मे वहाँ आ रहा हूँ। एक बार मेरी सारी बात सुन लेना क्योंकि बहुत सी बातों का तुम्हें पता नहीं है। उसके बाद तुम जैसा चाहोगी वैसा ही होगा। उसने बिना कुछ बोले फोन काट दिया था। तभी कैप्टेन यादव ने कहा… सर, मेरा ख्याल है कि आप्रेशन क्लीन आउट आरंभ करने से पहले आपको एक बार उन दोनो से मिल लेना चाहिये। मुझे लगता है कि थापा को देखते ही वह समझ गयी थी कि आप यहाँ पर उपस्थित होने के बावजूद उनसे मिलना नहीं चाह रहे है। मैने अपने सिर को झटक कर हामी भरते हुए कहा… कैप्टेन तुम नहीं समझ सकते। वह अपने आपको ऐसे काम के लिये दोषी मान रही है जो उसने नहीं किया है। मै उसको अभी कुछ भी कहूँगा तो वह यही समझेगी कि मै उसे बचाने की कोशिश कर रहा हूँ। वह इसके लिये हर्गिज तैयार नहीं होगी। वह बेहद स्वाभिमानी और जिद्दी है। वह अच्छे से जानती है कि इसका सीधा असर मुझ पर भी होगा।

हम हाल मे उनसे जब्त किये हुए सारे फोन मेज पर सजा कर बैठ गये थे। मुझे फारुख के फोन का इंतजार था। नीलोफर भी सूजी हुई आँखें लेकर मेरे सामने बैठ गयी थी। एक रात कंटेनर मे बन्द रहने के बाद उसके चेहरे की चमक धुमिल पड़ गयी थी। …मुझसे डबल क्रास करने परिणाम देख लिया कि अब सारी जिन्दगी ऐसे ही सेल मे गुजारनी पड़ेगी। …मैने तुमसे कौन सा डबल क्रास किया है? …तुम वलीउल्लाह को जानती थी उसके बावजूद तुमने मुझे नहीं बताया। वह सिर झुका कर बैठ गयी। अचानक वह बोली… उसको वलीउल्लाह बनाने का कोई दोषी है तो वह मै हूँ। मैने ही उसे मकबूल बट की छोटे बच्चे और बच्चियों के साथ रंगरलियाँ मनाते हुए की फिल्म दिखायी थी। उसके बाद मैने उससे यही कहा था कि वह हमारी मदद करे अन्यथा यह फिल्म मिडिया को सौंप दूंगी। …कब दिखायी थी? …जब वह तुम्हारी अम्मी की मौत पर श्रीनगर आयी थी। …तुम झूठ बोल रही हो। वह उस वक्त सारे समय वह मेरे साथ थी और मै उसे अच्छे से जानता हूँ। अगर ऐसी कोई बात होती तो वह मेरी नजरों से छिप नहीं सकती थी। नीलोफर ने मुस्कुरा कर कहा… अच्छा तो यह बताओ कि श्रीनगर एयरपोर्ट पर सिक्युरिटी चेक के सामने कौन अपने कान पकड़ कर उनके सामने खड़ा हुआ था। एक छनाके के साथ वह दृश्य मेरी आँखों के सामने से निकल गया था।

मैने नीलोफर की ओर देखा तो वह बोली… तुम ठीक समझे क्योंकि फारुख के कहने पर मै भी उसी प्लेन से मुंबई के लिये उनके साथ सफर कर रही थी। दिल्ली एयरपोर्ट पर उस फिल्म को मैने आफशाँ और अदा को दिखा कर अपनी बात मानने के लिये मजबूर कर दिया था। उसके दो या तीन महीने के बाद मुंबई मे फारुख ने पहली बार आफशाँ से इस बात के लिये संपर्क किया था। इतना बोल कर वह चुप हो गयी थी। अचानक बहुत सी उलझने सुलझती हुई लगने लगी। अदा मेरी बेवफाई के बजाय अपने अब्बू के कारनामों और ब्लैकमेल के कारण नर्वस ब्रेकडाउन का शिकार हुई थी। आफशाँ ने लौटने के बाद एक बार भी अपने अब्बू के बारे मे मुझसे नहीं पूछा था। मकबूल बट के घायल होने के बावजूद आफशाँ  और आसिया ने कभी मुझसे उसकी तबियत के बारे मे बात की थी। हर बार आसिया बस इतना कहती कि आफशाँ और मेनका का ख्याल रखना और जब भी समय मिले तो अदा से बात कर लेना। तीनो बहने बेचारी अजीब स्थिति मे फँस कर मुझे इनकी साजिश से दूर रखने की कोशिश मे जुटी हुई थी। मै सिर पकड़ मन ही मन मकबूल बट और फारुख को कोसने बैठ गया था।  

सुबह आठ बजे सरिता का फोन आ गया था। उसने उस फोन की लोकेशन होटल येती, दरबार रोड की बतायी थी। हमे फारुख के ठिकाना पता लग गया था। वहाँ पर हम कोई एक्शन नहीं ले सकते थे। जिस फोन का मुझे इंतजार था वह अभी तक नहीं आया था। नौ बजने से कुछ मिनट पहले मेज पर पड़ा हुआ एक फोन बज उठा था। मैने जल्दी से फोन उठा कर कान से लगा कर कहा… हैलो। …कौन बोल रहा है। …भाई समीर बोल रहा हूँ। दूसरी ओर से वह लगभग चीखा… क्या? …भाई, जाकिर भाई बुरी तरह घायल होकर बेहोश पड़े हुए है। उनका बचना मुश्किल लग रहा है। पोखरा से निकलते ही माओईस्टों से मुठभेड़ हो गयी थी। ट्रक को बहुत नुकसान हो गया है। हम दो लोग ही बचे है। …उन दोनो का क्या हुआ? …उन दोनो को तो माओइस्ट उठा कर अपने साथ ले गये है। …खुदा गारत करें उन खबीसों को लेकिन ट्रक मे माल की क्या हालत है? …भाई, सारी पेटियाँ ठीक ठाक ट्रक मे रखी हुई है। रईस भाई किसी ट्रक का इंतजाम करने के लिये गये है। जैसे ही ट्रक का इंतजाम होगा तो उसमे उन पेटियों को रखवा कर हम काठमांडू पहुँच जाएँगें। …काठमांडू पहुँचते ही मुझे इसी नम्बर पर सूचना देना। …जी भाई। फारुख ने फोन काट दिया था। कप्टेन यादव और नीलोफर मुझे अजीब सी नजरों से देख रहे थे।

कुछ देर के बाद मैने फारुख का नम्बर मिलाया तो वह अभी भी स्विच आफ बता रहा था। दस बजे फारुख की काल किसी दूसरे नम्बर से मेरे फोन पर आयी थी। …हैलो। …मेजर काठमांडू पहुँच गये। …फारुख तुम बताओ कि क्या तुम उन दोनो को लेकर पहुँच गये? …नहीं आता तो फोन क्यों करता मेजर। …मेरी आफशाँ से बात कराओ। …अभी नहीं पहले सौदे की जगह तय कर लेते है। कब और कहाँ मिलना है? …एक गार्डन आफ ड्रीम्स है। बहुत से लोग होंगे तो वहाँ मिलते है। हम दोनो के लिये अच्छा होगा। …नहीं, कोई भीड़भाड़ वाली जगह नहीं होनी चाहिये। …तो त्रिशुली हाईवे पर जंगल की ओर एक रास्ता कटता है। वहाँ पर फारेस्ट वालों का त्रिशूली रेस्त्रां है जो ज्यादातर खाली रहता है। वहाँ मिल सकते है। …कोई और जगह बताओ? …तो फिर काठमांडू शहर मे एक गोदाम है। वहाँ मिल सकते है। …मेजर, मै सोच कर बताता हूँ। इतनी बात करके उसने फोन काट दिया था। मैने काल रिकार्ड्स मे नम्बर देखा तो वही नम्बर था जिसके द्वारा वह जाकिर से बात कर रहा था। कैप्टेन यादव अपने साथियों को इकठ्ठा करने मे व्यस्त हो गया था।

…समीर। नीलोफर की आवाज ने मेरा ध्यान तोड़ दिया था। मैने उसकी ओर देखा तो वह बोली… क्या मुझे तुम आफशाँ से मिलवा सकते हो? उसकी बात सुन कर एक पल के लिये मेरे तन-बदन मे आग लग गयी थी। मेरी सारी परेशानी की जड़ तो मेरे साथ बैठी हुई थी। कुछ सोच कर मैने अपने आपको सयंत किया और उससे पूछा… क्या अकेला फारुख इस सारे फसाद के पीछे है? इस फसाद मे मेजर हया का क्या किरदार है? वह कुछ देर शून्य मे ताकती रही और फिर धीरे से बोली… इस फसाद की जड़ मे दो व्यक्ति है। एक फारुख है और दूसरा मकबूल बट है। मेजर हया के निशाने पर मकबूल बट है। उसने मिरियम की हत्या का बदला लेने के लिये अपना सब कुछ दाँव पर लगा दिया है। जिस जमात को उसने खड़ा किया था उसी जमात को धरातल मे मिलाने के लिये वह यहाँ आयी है। …अगर मकबूल बट उसका दुश्मन था तो फिर उसने अम्मी और आलिया की हत्या क्यों करवाई थी? नीलोफर ने अपनी अनिभिज्ञता जाहिर करते हुए धीरे से कहा… जब उसका तुम्हारा सामना हो तो उसी से पूछ लेना। इतनी बात करके नीलोफर ने एक बार फिर कहा… क्या मै आफशाँ से एक बार मिल सकती हूँ। आफशाँ का नाम सुन कर मेरी आँखों के सामने उसका बुझा हुआ चेहरा आ गया था। एकाएक मेरे दिल मे उसके प्रति उपजी नाराजगी और शिकायत पल भर मे फनाह हो गयी थी। अब उससे तुरन्त मिलने की इच्छा तीव्र हो गयी थी। …समीर क्या सोच रहे हो? मैने जल्दी से कहा… अभी नहीं। फारुख का अध्याय अंत करके फिर आराम से तुम सबसे मिलना। इसी के साथ हमारी बातचीत को विराम लग गया था।

नीलोफर के द्वारा खुलासे के बाद मेरे दिमाग मे फारुख और मकबूल बट की जोड़ी घूम रही थी। फारुख के सात गाजी मेरे कब्जे मे थे। वह कितने और जिहादियों को अपने साथ लेकर यहाँ आया होगा? इस प्रश्न का जवाब मेरे पास नहीं था परन्तु उस जवाब पर मेरी जिंदगी टिकी हुई थी। अगर वह 5-10 जिहादियों के साथ यहाँ आया है तो उससे भिड़ा जा सकता था।  परन्तु अगर 40-50 जिहादियों की फौज को अपने साथ लेकर चल रहा है तो उस हालत मे मेरा शहीद होना पहले ही तय हो गया था। …सर। मैने सिर उठा कर उस आवाज की ओर देखा तो मेरे सामने कैप्टेन यादव और लेफ्टीनेन्ट सावरकर खड़े हुए थे। …सर विपक्ष में कितने लोग होंगें? …पता नहीं। …सर हमे उसी को देख कर अपनी मोर्चाबन्दी करनी पड़ेगी। उस ट्रक मे मिला असला-बारुद विपक्ष की ताकत को साफ दर्शा रहा है। एक-47, सेम्टेक्स, कार्बाईन इत्यादि लेकर वह लोग पूरी तैयारी के साथ आये है। हमारे हाथ तो सिर्फ एक ट्रक लगा है परन्तु और भी इसी प्रकार उनके ट्रक अगर यहाँ पहुँचने मे कामयाब हो गये तो फिर मुठभेड़ के बाद यहाँ से सुरक्षा एजेन्सियों की नजरों से बच कर निकलना नामुमकिन हो जाएगा। कैप्टेन यादव ने स्थिति का आंकलन सही किया था। हमारे बीच भारी फायरिंग नेपाल की सुरक्षा एजेन्सियों का ध्यान हमारी ओर आकृष्ट करने मे सक्षम थी तो फिर उनकी नजरों से बच कर निकलना मुश्किल होगा। यही सोच कर मैने कहा… कैप्टेन मोर्चाबन्दी नये प्रकार से करनी पड़ेगी…वी विल शूट ओनली टु किल। …यस सर। …हमारे साथियों को छिप कर वार करना है। उद्देश्य सिर्फ एक गोली और एक दुश्मन। कोई शक। …नो सर।

अपने निर्देश देने के बाद मैने कुछ सोच कर कहा… कैप्टेन उसके साथ जिहादियों की संख्या 15-20 से ज्यादा नहीं हो सकती जब तक उसकी मदद के लिये यहीं पर उपस्थित आईएसआई के स्लीपर सेल एक्टिव न हो जायें। …सर, यह काम उसके लिये मुश्किल होगा क्योंकि पिछले चार महीने से हमने यहाँ पर आईएसआई के बहुत से एक्टिव जिहादियों का सफाया किया है। बड़ी सफाई से हमने उनके उच्च नेतृत्व को चुन-चुन कर साफ किया है। उनकी अनुपस्थिति मे स्लीपर सेल्स को एक्टिव करना नामुमकिन होगा। हमारी सूचना के अनुसार आईएसआई का यहाँ पर स्थापित पूरा जिहादी नेटवर्क लगभग ध्वस्त हो गया है। …कैप्टेन, दुश्मन को कभी कम करके आँकना नहीं चाहिये। …सर, मै सिर्फ स्थिति का आंकलन करके यह बात बोल रहा हूँ। …तो फिर सात हमारे कब्जे मे है इसलिये हमे 10-15 आधुनिक हथियारों से लैस जिहादियों के लिये मोर्चाबन्दी करने की जरुरत है। …जी सर। लेफ्टीनेन्ट सावरकर ने झिझकते हुए पूछा… सर, क्या मै इस आप्रेशन मे भाग ले सकता हूँ? …लेफ्टिनेन्ट तुम्हें पिछला फ्लैंक सुरक्षित रखना है क्योंकि दुश्मन एक नहीं दो है। कैप्टेन यादव की टीम फारुख को न्युट्रिलाईज करेगी और चुँकि मकबूल बट अभी तक सामने नहीं आया है तो उसको न्युट्रिलाइज करने के लिये तुम मेरे आफिस मे तैनात रहोगे। …यस सर। मैने अपनी व्युहरचना तैयार कर ली थी और अब मुझे फारुख के फोन का इंतजार था। कैप्टेन यादव और लेफ्टीनेन्ट सावरकर अपने साथियों को निर्देश देने के लिये चले गये थे।

मुजफराबाद        

बहुत दिनो के बाद जैश-ए-मोहम्मद का इज्तमा मुजफराबाद मे लगा था। संयुक्त इस्लामिक जिहाद काउन्सिल पर वज्रपात होने के बाद से सभी तंजीमें अपने-अपने उद्देशय को साधने मे जुट गयी थी। आप्रेशन खंजर के खुलासे के बाद से पाकिस्तानी फौज ने सभी तंजीमों से दूरी बना ली थी। पीरजादा मीरवायज अपनी मस्जिद मे बैठ कर जैश के लड़ाकूओं से बातचीत कर रहा था।

…अल्लाह ने हमारी तंजीम को एक मौका दिया था परन्तु एक काफ़िर के कारण सब कुछ फनाह हो गया। मसूद अजहर चुपचाप बैठ कर सारी बातचीत सुन रहा था। मौलवी एहसान मट्टू ने पूछा… आका हमे जल्द ही कुछ करना पड़ेगा वर्ना सारी तंजीमों पर हमारी पकड़ कमजोर पड़ जाएगी। लखवी की जमात आईएसआई के नये निदेशक जनरल फैज को साधने मे लगी हुई है। अगर एक बार वह अपने मंसूबे मे कामयाब हो गया तो हमारी मुश्किलें बढ़ जाएँगी। पीरजादा ने अपनी दाड़ी को धीरे से सहलाते हुए कहा… एहसान, अभी सब कुछ खत्म नहीं हुआ है। थोड़ा सब्र करो। पहली बार मसूद अजहर सबकी बात काट कर बोला… मेरे आका आज तक सभी सब्र करके बैठे हुए थे। अभी तक फारुख और आपके दामाद मकबूल बट की ओर से कोई खबर नहीं मिली है। पिछली बार फारुख ने कहा था कि जल्दी ही वह एक ऐसे काम को अंजाम देगा कि सीमा के उस पार की सरकार ही नहीं बल्कि पाकिस्तानी फौज भी हिल जाएगी। क्या उसकी ओर से कोई खबर आपके पास आयी है? इसी के साथ सब की नजरें पीरजादा पर टिक गयी थी।

…मसूद, जल्दी ही वह काफ़िर हमारे कब्जे मे होगा। फारुख और मकबूल बट ने उस काफ़िर को इस बार अपने जाल मे ऐसा फंसाया है कि वह निकलना भी चाहे तो भी निकल नहीं सकेगा। एक बार वह हमारे कब्जे मे आ गया तो फिर हम जनरल फैज के बजाय नये सेनाअध्यक्ष जनरल अशरफ महमूद से बात करेंगें। वह काफ़िर एनएसए अजीत सुब्रामन्यम के लिये काम करता है। उसकी नस जब हमारे हाथ मे होगी तो हम जैसा कहेंगें वह वैसा करेगा। तभी बोल रहा हूँ कि सब्र रखो। अगले अड़तालीस घंटे मे तुमको पता चल जाएगा। मसूद अजहर चुप बैठ गया परन्तु मौलवी एहसान एकाएक बोला… आका आप ठीक कह रहे है। अगर किसी कारणवश फारुख और मकबूल बट अपने मकसद मे कामयाब नहीं हुए तब हमे क्या करना चाहिये? …अगर किसी कारण ऐसा नहीं हो सका तब भी हमारा एक लश्कर श्रीनगर मे तैनात है। युसुफजयी का इशारा मिलते ही हम 15 कोर के दिल पर ऐसी चोट मारेंगें कि भारतीय सेना पस्त हो जाएगी।

सभी दबी जुबान मे बात कर रहे थे। अचानक पीरजादा अपनी गद्दी से उठ कर चलते हुए बोला… मेरे बच्चों अब हम अड़तालीस घंटों के बाद फिर यहीं मिल कर अपनी कामयाबी का जश्न मनायेंगें। अल्लाह हाफिज। इतना बोल कर पीरजादा दरवाजे की ओर चल दिया। 

5 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही जबरदस्त अंक और जो दूरियां अब समीर और आफशाँ के बीच आ गयी है कैसे उसको खतम करना है यह देखना दिलचस्प होगा, और अदा जो मेंटल ट्रॉमा से गुजरी थी जिस में समीर खुद के कसूरवार सोच रहा था उसका तो कुछ और ही कारण निकला, और तो और यह गुत्थी फिर से आगे आ गई है की आलिया और अम्मी के हत्या हया ने क्यों करवाई। खैर नीलोफर ने भी सच न बताकर समीर को अंधेरे में रखा उसके जरिए वो तंजीम धीरे धीरे अपना पांसा फैलाइते गए। अब देखना है की इस नदी के समुंदर में मिलन कैसा होता है।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. अल्फा भाई शुक्रिया। साजिश की एक-एक कड़ी खुल रही है। अब देखना होगा कि हर कोई बिछी हुई शतरंज की बिसात पर सीमा के दोनो ओर अपनी चाल किस प्रकार से चल रहा था। काउन्टर इन्टेलीजेन्स आप्रेशन का मजा लिजिये।

      हटाएं
  2. पहले तो विरभाई आपको औऱ पुरे परिवारको अंग्रेजी नववर्ष की हार्दिक बधाई..

    अब तो मकबुल बट पे भी शक हो रहा, कही आफशा का समीरके सामने एक चारे की तरह तो इस्तेमाल नही किया गया, जिस बारे खुद आफशा भी अंजान हो. मकबुल एक ऐसा आदमी है जो खुद के बिबी का न हुवा, लडकीयोंका न हुवा तो समीर जैसे काफिर का कहासे होगा. आफशा औऱ बाकी लडकिया जाने अंजाने मकबुल, फारूख औऱ निलोफर के षडयंत्र के जाल मे फस गयी, ऐसा तो निलोफरके कहनेसे साफ साफ लगता है. देखते है आगे की कहाणी फारूख के कब्जेमे आनेके बाद ही साफ होगी.

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. अंग्रेजी नववर्ष की शुभकामनाओं के लिये धन्यवाद। गहरी चाल एक काउन्टर इन्टेलीजेन्स आप्रेशन है जहाँ सीमा के दोनो साईड सभी शतरंज की बिसात पर अपनी-अपनी चाल चल रहे है। एक-एक कड़ी खुल रही है और एक-एक करके सभी प्यादें आपके सामने आ रहे है। अभी यह देखना बाकी है कि आखिर वह कौन है जो यह चाल चल रहा है।

      हटाएं
  3. सर मै exbii के समय से आपको फालो कर रहा हू,बेहतरीन लेखन अफगानिस्तान के चप्पे का विवरण फिर अमेरिका फिर कश्मीर और अब नेपाल।
    कहानी का बेहतरीन विवरण। किसी लेखक के लिए इतना बारिक विवरण लिखना संभव नही है!! कभी लगता है आप सही मे फौजी है या बेहतरीन लेखक है! भगवान जाने!! लेकिन आपकी कहानीया अद्भुत है। एक बार अगर संभव हो तो आपसे बात करना चाहता हू! मेरा नाम अंजय श्रीवास्तव है और मै बिहार के मुजफ्फरपुर जीले का रहने वाला हू!!

    जवाब देंहटाएं