रविवार, 7 जनवरी 2024

 

 

गहरी चाल-42

 

फारुख का फोन आने बाद से गोदाम मे अफरातफरी मच गयी थी। पिक-अप और मेरी गाड़ी मे असला बारुद रखा जा रहा था। कैप्टेन यादव की टीम अपने काम मे जुट गयी थी। कुछ सोच कर मै उस कंटेनर की दिशा मे बढ़ गया। मैने उस कंटेनर मे बंधे हुए छह जिहादियों पर एक नजर डाल कर जाकिर मूसा की ओर बढ़ गया। उसकी नब्ज टटोल कर चेक करके उन्हीं सब के सामने उनके ट्रक के अलग-अलग स्थानों मे उनसे जब्त किये सेम्टेक्स को फिट करते हुए नीलोफर से कहा… मेरी जान आओ आज तुम्हें चांद पर ले जाने का रास्ता दिखाता हूँ। नीलोफर ने घूर कर मेरी ओर देखा तब तक मेरे हाथ मे ग्रेनेड को देख कर अन्दर और बाहर वालों की सभी आँखे मुझ पर टिक गयी थी। जैसे ही मैने उस ग्रेनेड का पिन निकाला सबकी साँस गले मे अटक गयी थी। नीलोफर फटी आँखों से अब सारा दृश्य देख रही थी। उसके चेहरे पर भी आतंक झलकने लगा था। मैने एक-एक करके उन्हीं के पाँच ग्रेनेड के पिन निकाल कर सिरीज मे जोड़ कर एक टूलबाक्स मे फिट करके उनके बीच मे रखते हुए कहा… भाईजान, चांद पर पहुँचने के लिये यह राकेट का छोटा सा हिस्सा है। इस टूलबाक्स को कस कर पकड़ कर रखना क्योंकि अगर यह हिला और अकारण कनेक्शन टूट गया तो तुम सबके हिस्से की हूरें किसी को भी पहचान नहीं पाएँगी। इसलिये ट्रक चलते ही संभाल के इसको पकड़ कर बैठ जाना।

ऐसे ही सीरीज मे ग्रेनेड जोड़ कर मैने चार लड़ियाँ तैयार करके ट्रक के चारों कोनों मे सेम्टेक्स के साथ जोड़ कर रख दिये थे। अब सर्किट पूरा करने का समय आ गया था। डेटोनेटर और फ्युज को दिखाते हुए मैने कहा… यह तुम्हारे राकेट का पुँछ्ल्ला है जिसका एक सिरा तुम्हारे सेम्टेक्स से जुड़ा हुआ है और दूसरा हिस्सा टाइमर के साथ जोड़ कर ग्रेनेड के साथ जोड़ दिया है। इसकी रिमोट सेन्सिंग डिवाईस आगे ड्राइवर केबिन मे रखा हुआ है। अगर चलते हुए ट्रक उड़ाने की सोची तो वह भी करके देख लेना क्योंकि ड्राईवर केबिन को कुछ नहीं होगा। बंद कंटेनर अब एक चलता फिरता बोम्ब बन गया है। विस्फोट अन्दर ही प्रभाव डालेगा, बाहर नहीं। सभी आँखें फाड़े मुझे काम करते हुए देख रहे थे। नीलोफर ट्रक से बाहर खड़ी हुई विस्मय से मुझे सारे कनेक्शन जोड़ते हुए देख रही थी। ऐसा ही दृश्य एक रात श्रीनगर की जामिया मस्जिद मे मैने देखा था जब वह जिहादी मेरी तेजी से चलती हुई उँगलियों को आश्चर्य से देख रहा था। अपना काम समाप्त करके मैने कंटेनर के दरवाजे को बन्द करके आखिरी कनेक्शन लगा कर नीलोफर से कहा… मेरी जान, आओ अब तुम्हें चांद पर घुमा कर लाता हूँ। उसे ड्राईवर केबिन मे बैठा कर मै आराम से चलता हुआ ड्राइविंग सीट पर बैठ गया था। हाथ मे पकड़ा हुआ रिमोट अपनी जेब मे रख कर ट्रक स्टार्ट किया और हम त्रिशुली रेस्त्रां की ओर चल दिये थे।

कैप्टेन यादव अपने साथियों को लेकर पिक-अप से पहले ही जा चुका था। …समीर, तुम यह क्यों कर रहे हो? …सिर्फ इसलिये क्योंकि तुमने आफशाँ को इस काम मे उलझाया है। वह चुपचाप बैठी अपने फोन को देख रही थी। …तुम चाहो तो अपने यार को फोन पर खबर कर सकती हो। …तुम्हें शर्म नहीं आती ऐसा बोलते हुए। अगर मेरा कोई यार है तो वह आज भी तुम ही हो। मैने उसकी ओर देखा तो वह किसी गहरी सोच मे डूबी हुई थी। मै उस रेस्त्रां पर पहुँचने की जल्दी मे नहीं था। …समीर, तुम समझने की कोशिश करो यह सब हमारे करार होने से पहले हुआ था। …नीलोफर, मुझे इस बात का दुख है कि अगर तुम मुझे पहले आफशाँ के बारे मे बता देती तो आज वह अपनी बेटी के साथ सुरक्षित अपने घर पर बैठी हुई होती। अपने सिर को झटक कर मैने कहा… छोड़ो पुरानी बातें। अब जो हो गया है उसको तो बदला नहीं जा सकता लेकिन सच पूछो तो मै भी तुम्हारी तरह कोई दूध का धुला नहीं हूँ। मैने भी तुम्हें एक नहीं दो बार धोखा दिया है। मैने ट्रक चलाते हुए उसकी ओर देखा तो वह अबकी बार मुझे बड़े ध्यान से देख रही थी। मैने मुस्कुरा कर कहा… आज अगर हम जिन्दा बच गये तो तुम्हें सारी सच्चायी बता दूँगा लेकिन दोस्ती की खातिर उसके लिये अभी माफी मांग लेता हूँ। अबकी बार उसने कहा… तुम तबस्सुम की बात कर रहे हो? मैने चौंक कर उसकी ओर देखा तो वह मुस्कुरा कर बोली… सच पूछो तो तुमने मुझे धोखा देने के बजाय मुझ पर एक एहसान किया है। मै अब उससे कुछ बोलने की स्थिति मे नहीं था परन्तु मन ही मन साथ बैठी हुई नागिन की अगली चाल के बारे मे सोच रहा था।

मेरे सामने वह हाईवे से जंगल की ओर निकासी मार्ग आ गया था। ट्रक को धीमे करते हुए मैने निकासी मार्ग लेकर फारेस्ट रिजर्व की सड़क पर पहुँच कर कहा… चलो मेरे सीने पर से एक भार कम हो गया। जब भी तुमसे मिलता था तो दिल मे एक ग्लानि महसूस करता था। …दूसरा धोखा कौन सा है? …समय आने पर बता दूँगा। अब सावधान हो जाओ क्योंकि हम उस रेस्त्रां से कुछ दूर रह गये है। मेरी नजरें पिक-अप की तलाश कर रही थी लेकिन मुझे वह कहीं नहीं दिख रही थी। त्रिशुली रेस्त्रां का बोर्ड दिखते ही मैने अपनी ग्लाक-17 पिस्तौल नीलोफर की ओर बढ़ाते हुए कहा… इसका इस्तेमाल मुझ पर करना चाहो तो कर सकती हो लेकिन यह याद रखना कि यहाँ से तुम्हें सिर्फ मै ही बचा कर ले जा सकता हूँ।  रेस्त्रां के बाहर तीन गाड़ियाँ खड़ी हुई थी। मैने अपना ट्रक सड़क से उतार कर दूसरी ओर कच्चे मे लगा दिया और ट्रक से उतरते हुए कहा… फारुख की पार्टी पहुँच गयी है। आओ उससे आखिरी बार तुम भी मुलाकात कर लो। नीलोफर ट्रक से उतर कर मेरे साथ चल दी थी।

रेस्त्रां मे प्रवेश करते ही मेरी नजर फारुख पर पड़ गयी थी। वह एक किनारे मे बैठा हुआ हमारी ओर देख रहा था। नीलोफर को मेरे साथ देख कर उसके चेहरे पर पल भर के लिये शिकन उभरी पर अगले ही क्षण गायब भी हो गयी थी। आज वह पठानी सूट मे था। हम दोनो चलते हुए उसके सामने जाकर बैठ गये थे। मैने एक नजर चारों ओर घुमा कर देखने के बाद कहा… लगता है कि तुमने अपनी सुरक्षा टीम को पहले से ही तैनात कर दिया है। बड़े आत्मविश्वास से वह बोला… मेजर, इस छिनाल को कहाँ से अपने साथ पकड़ लाये। हमारा सौदा तो ताहिर का हुआ था। …मेरे बीवी और बच्ची उसी सौदे का एक हिस्सा है। मै तो इसे बम्पर आफर के तौर पर लाया हूँ। एक के साथ एक फ्री। …ताहिर कहाँ है? …आफशाँ और मेनका कहाँ है? वह कुछ बोलता इससे पहले मैने नीलोफर से पूछा… क्या तुम्हें कुछ खाना है? …नहीं। …मुझे भूख लग रही है। मै अपना आर्डर दे देता हूँ। …मेजर, इस रेस्त्रां के सभी लोग इस वक्त मेरे कब्जे मे है। इसलिये काम की बात हो जाये। मै समझ गया कि उसका सारा सुरक्षा कवच रेस्त्रां मे उपस्थित है।

…अपने आदमी से एक पानी की बोतल ही मंगवा दो। उसने आवाज लगायी… सलमान। काउन्टर के पीछे से एक जिहादी का चेहरा निकला और बाहर निकल कर हमारे करीब आकर खड़ा हो गया था। एके-47 उसके कंधे पर लटकी हुई। …सलमान भाई, कुछ तो खाने को भी पड़ा होगा। भाई एक पानी की बोतल और जो भी बना हुआ पड़ा है वह लाकर दे दो तो बहुत मेहरबानी होगी। सलमान ने मुझे अनदेखा कर दिया और फारुख की ओर देखने लगा तो फारुख ने मुस्कुरा कर कहा… जो भी रखा हुआ है इसे देकर बाहर जाकर देख कि यह अकेला आया है कि इसके साथ कोई और भी है? ऐसा करना अपने साथ दो और आदमियों को लेकर जाना। इसका कोई भरोसा नहीं है। जरा सावधान रहना क्योंकि यह एक फौजी है। सलमान जल्दी से वापिस किचन मे चला गया था। कुछ मिनट के अन्तराल के बाद अपने हाथ मे एक प्लेट मे कुछ पेटिस और समोसे और एक पानी की बोतल लेकर बाहर निकला। उसके पीछे दो और जिहादी हाथ मे स्वचलित राईफलें लेकर बहर आ गये थे। सलमान ने प्लेट और बोतल मेज पर रखी और उन दोनो के साथ बाहर निकल गया था।

…शुक्रिया। इतना बोल कर मै प्लेट पर रखे हुए सामान पर हाथ साफ करते हुए नीलोफर की ओर देखते हुए बोला… तुम भी भूखी होगी। इसमे जहर नहीं है। तुम भी खा सकती हो। उसने भी जल्दी से एक समोसा उठा लिया और खाने बैठ गयी। …मेजर अब काम की बात कर लेते है। ताहिर कहा है? मैने उसे कंटेनर ट्रक की ओर इशारा करते हुए कहा… ताहिर उसमे है। लेकिन उसका दरवाजा खोलने से पहले मेरी बीवी और बच्ची को भी यहाँ बुला लो क्योंकि अगर तुमने उसका दरवाजा जबरदस्ती खोलने की कोशिश की तो उस ट्रक के परखच्चे उड़ जाएंगें। तुम लोगो से जब्त किया हुआ सेम्टेक्स है तो समझ सकते हो कि कैसा विस्फोट होगा। वह मुस्कुरा कर उठ कर खड़ा हो गया और मेरे कन्धे पर हाथ रख कर बोला… मेजर, हम तो वैसे भी उसको मारना चाहते है तो विस्फोट होने से कौन सा हमारा नुकसान होगा। उसने अबकी बार किसी को आवाज नहीं दी बस एक इशारा किया तो चार आदमी काउन्टर के पीछे से निकल कर सामने आ गये थे। सभी आधुनिक हथियारों से लैस थे।

फारुख ने कश्मीरी मे उनसे ट्रक से ताहिर को लाने का हुक्म दिया तो मैने जल्दी से कश्मीरी मे कहा… जबरदस्ती दरवाजा खोलने की कोशिश करोगे तो तुम मे से कोई नहीं बचेगा। तुम्हारी मर्जी है। खोल कर देख लो। उन्होंने फारुख की ओर देखा तो उसने जल्दी से कहा… यह झूठ बोल रहा है। जाओ जैसा कहा है वैसा करो। मै उठते हुए चिल्लाया… ऐसी बेवकूफी मत करना। मेरी बात पर विश्वास नहीं है तो फारुख तुम नीलोफर से पूछ लो। …तुम चारों जाओ। एक पल के लिये वह झिझके और फिर रेस्त्रां से बाहर निकल गये थे। …फारुख तुम कितने जिहादियों को अपने साथ लेकर आये हो? …तुम्हारे लिये गाज़ियों का पूरा लश्कर अपने साथ लाया हूँ। फारुख ने अपनी पिस्तौल नीलोफर की ओर तान कर कहा… छिनाल, यह बता दे कि मेरे नुकसान की भरपाई कैसे होगी? नीलोफर जल्दी से बोली… मुझे मार कर तो तुम्हें कुछ भी हासिल नहीं होगा। मैने बीच मे टोकते हुए कहा… फारुख, मेरी बात मान कर उस ट्रक को मत छेड़ अन्यथा बहुत पछताएगा। …मेजर, मेरे यहाँ से सुरक्षित निकल जाने के बाद तुम्हारी बीवी और बच्ची तुम्हें मिल जाएगी। उसने मुड़ कर शादाब से कहा… इस छिनाल को अपने साथ ले चलो। मैने कुछ नहीं कहा और वह रेस्त्रां की मुख्य द्वार की ओर तेजी से बढ़ते हुए मुड़ कर बोला… खुदा हाफिज।

तभी एक भयंकर विस्फोट हुआ और सामने खड़ा हुआ ट्रक आग की लपटों मे तब्दील होकर जमीन से छह-सात फुट हवा मे उछल गया था। उसके चारों जिहादी जो कंटेनर ट्रक के दरवाजे से जूझ रहे थे वह उस विस्फोट की चपेट मे आ गये थे। उस विस्फोट का प्रभाव इतना भयानक था कि सारा रेस्त्रां हिल गया था। रेस्त्रां के शीशे खील-खील होकर हवा मे बिखर गये थे। उसके असर के कारण दरवाजे के पास खड़ा हुआ फारुख भी हवा मे उछल गया था। काँच के उड़ते हुए टुकड़े धारदार हथियार बन गये थे। फारुख और शादाब भी उस विस्फोट के प्रभाव से अछूते नहीं रहे थे। विस्फोट की आवाज सुनते ही मै नीलोफर पर झपटा और उसे अपनी बाँहों मे बाँध कर लुड़कते हुए गिरी हुई मेज की आढ़ मे चला गया था। रेस्त्रां का वातावरण बारुद मिश्रित धुएं से दुषित हो गया था। कुछ समय तक मुझे साँस लेने मे मुश्किल हो रही थी। नीलोफर का भी हाल मुझ से बेहतर नहीं था। फारुख के जिहादी भी इधर-उधर बिखर गये थे। रेस्त्रां के पीछे उपस्थित जिहादी भी अब तक सामने नहीं आये थे। थोड़ी देर मे धुआँ छटने के बाद मेरी नजर फारुख पर पड़ी तो उसका चेहरा और जिस्म उड़ते हुए शीशों के टुकड़ों से घायल हो गया था। मैने सहारा देकर नीलोफर को उठा कर खड़ा किया था कि तब तक आठ-दस जिहादी रेस्त्रां मे दाखिल हो चुके थे। जमीन पड़े हुए फारुख को उठाते हुए एक जिहादी बोला… भाईजान, क्या हुआ? फारुख ने लड़खड़ाती हुए बोला… पानी की बोतल लेकर आओ। उनमे से एक तुरन्त रेस्त्रां के किचन की ओर चला गया था।

कुछ देर तक वह जब नहीं लौटा तो दर्द से तड़पते हुए फारुख चिल्लाया… खबीस कहाँ मर गया। जल्दी से पानी लेकर आओ। अबकी बार दो आदमी रेस्त्रां के पीछे की ओर भागे तो अगले ही पल धाँय…धाँय…की आवाज सबको सुनायी दे गयी थी। अब सभी सतर्क हो गये थे। सभी के हथियार किचन के दरवाजे की ओर तन गये थे। घायल फारुख के चेहरे पर भी अब तनाव झलकने लगा था। उसने एक नजर बाहर डाली और फिर अपने बचे हुए साथियों से बोला… हथियार और अपने आदमियों को जल्दी से इकठ्ठा करो क्योंकि कुछ देर मे पुलिस यहाँ पहुँचने वाली होगी। पल भर मे ही उसके साथी वहाँ से निकलने की तैयारी मे लग गये थे। हमारी दिशा की ओर इशारा करके बोला… इन दोनो को भी अपने साथ ले चलो। अभी इनसे अपना हिसाब चुकता करना है। …भाईजान, उस विस्फोट की चपेट मे हमारी गाड़ियाँ भी आ गयी है। देखना पड़ेगा कि क्या वह चलने की स्थिति मे हैं कि नहीं। फिलहाल अच्छा यही होगा कि इन दोनो को लेकर जंगल मे चले जाते है। फारुख ने कुंठित स्वर मे कहा… अंधेरा होने तक तो अब हमे जंगल मे रुकना पड़ेगा। इन दोनो को लेकर वहीं चलो। यह बोल कर वह लंगड़ाते हुए रेस्त्रां से बाहर निकल गया। इससे पहले वह हमारे उपर झपटते नीलोफर का हाथ पकड़ कर मै उनकी ओर बढ़ते हुए बोला… यहाँ से जल्दी निकलो। यह बोल कर हम दोनो रेस्त्रां से बाहर निकल आये थे।

अन्दर बैठे होने के कारण बाहर क्या हुआ उसका तो मुझे पता नहीं चला था लेकिन बाहर निकलते ही हमारी नजर बुरी तरह नष्ट हुए ट्रक पर पड़ी जो लोहे के कचरे मे तब्दील हो गया था। अन्दर बैठे हुए जाकिर और उसके साथियों का भी कोई निशान नहीं दिख रहा था। नष्ट हुआ ट्रक अभी भी धू-धू करके जल रहा था। डीजल की दुर्गन्ध हवा मे फैली हुई थी। हम रुक कर विस्फोट का प्रभाव देख रहे थे कि तभी किसी ने पीछे धक्का देकर कहा… आगे बढ़ो। हम चुपचाप सड़क पार करके उँचे पेड़ों के झुरमुटों की ओर चल दिये थे। जंगल मे प्रवेश करते ही दूर से पुलिस की गाड़ी के साईरन की आवाज हमारे कानों मे पड़ी तो सभी ठिठक कर रुक गये थे। फटाफट हमे कवर करके वह सब तेज कदमों से चलते हुए जंगल के अंदर बढ़ने लगे। आधे घंटे चलने के बाद एक स्थान पर फारुख ने रोक कर कहा… दो आदमी यहीं पर रुक कर दूर से ही पुलिस की गतिविधियों पर नजर रखना। बाकी लोग इधर उधर फैल जाओ। वह चलते हुए मेरे पास आकर बोला… मेजर, मेरे आठ गाजियों की मौत तुम्हारे कारण हुई है। इसका हिसाब तो तुम्हें चुकाना पड़ेगा। मै कुछ भी जवाब देने के मूड मे नहीं था लेकिन नीलोफर ने तुरन्त कहा… उनकी मौत का कारण तुम खुद हो। इसने तो तुम्हें रोकने की कोशिश की थी। न चाहते हुए भी मैने कहा… फारुख, तुम्हारी बेवकूफी के कारण ग्यारह गाज़ी आज शहीद हो गये है। पता नहीं तुम कैसे फौजी हो कि इतना भी नहीं समझ सके कि मै अगर अकेला आया हूँ तो मैने अपने लिये कुछ न कुछ तो इंतजाम किया होगा। इतना बोल कर मै एक पेड़ के तने पर पीठ टिका कर बैठ गया था। नीलोफर भी मेरे साथ बैठ गयी थी।

उँचे वृक्षों के मध्य मे एक खाली सी जगह पर रुक गये थे। यह प्रतिबन्धित क्षेत्र था। सड़क पर विस्फोट होने के कारण पुलिस के साथ अब फारेस्ट गार्डस का भी खतरा बना हुआ था। शायद विस्फोट का असर उसके दिमाग पर हुआ था जिसके कारण वह ठीक से सुनने या सोचने की स्थिति मे नहीं था। वह भी पेड़ के तने पर पीठ टिका कर बैठ गया था। उसके साथी इधर-उधर फैल कर निगरानी मे जुट गये थे। मै उसके गाजियों की संख्या गिनने मे व्यस्त्त था। अभी तक की गिनती के हिसाब से दस हथियारों से लैस जिहादियों की मै निशानदेही कर चुका था। अचानक फारुख ने कहा… मेजर, ताहिर उस्मान का काम तो तमाम हो गया है। सोच रहा हूँ कि तुम दोनो को भी यहीं दफना कर वापिस चला जाता हूँ। कैसा ख्याल है? …नेक ख्याल है। मैने नीलोफर की ओर देख कर कहा… तुम मेरे साथ दफन होना चाहोगी? वह मेरी ओर देख कर मुस्कुरा कर बोली… मै तुम्हें वहाँ भी चैन से रहने नहीं दूंगी। फारुख ने घूर कर नीलोफर की ओर देखा और फिर एकाएक मुस्कुरा कर बोला… मेजर, इस नागिन से बच कर रहना। यह जिसको डसती है वह पानी भी नहीं मांगता। नीलोफर कुछ बोलती उससे पहले मैने उसका हाथ पकड़ कर चुप कराते हुए कहा… तुम अपनी चिन्ता करो। फारुख ने मुझे अनसुना कर दिया था।

फारुख कुछ सोच कर बोला… मेजर, तुमने मेरा बहुत नुकसान कर दिया है। …मैने तुम्हारा कौनसा नुकसान कर दिया? एक तरह से तुम्हें तो मेरा शुक्र गुजार होना चाहिये क्योंकि मेरे कारण ही तुम जमात के सर्वेसर्वा बन सके थे। नीलोफर जो अब तक चुप बैठी हुई थी वह बोली… समीर, तुमने आफशाँ से निकाह करके इसका सबसे बड़ा नुकसान किया है। मैने चौंक कर नीलोफर की ओर देखा तो उसके चेहरे पर एक अजीब सी खुशी झलक रही थी। फारुख के जख्मों पर नमक रगड़ने की मंशा से नीलोफर ने कहा… इसने आफशाँ के लिये क्या कुछ नहीं किया लेकिन तुमने इसके सारे मंसूबों पर पानी फेर दिया। मैने फारुख की ओर देखा तो उसके चेहरे पर कुटिलतापूर्ण मुस्कान तैर गयी थी। वह नीलोफर को घूरते हुए बोला… छिनाल लगता है कि तू भूल गयी कि कैसे उस रात को मैने अपने साथियों के सामने तेरे जिस्म को रौंदा था। आफशाँ से भले ही मेरा निकाह नहीं हुआ परन्तु वह भी अपनी इज्जत मुझसे नहीं बचा सकी थी। अपने बाप की इज्जत की खातिर उसके जिस्म का भी वही हाल किया था जैसे मैने तेरे साथ किया था। क्यों मेजर कभी सोचा नहीं कि तुम्हारी गैरहाजिरी मे उसके जिस्म की आग को कौन ठंडा कर रहा था?

उसका कटाक्ष सुन कर एक पल के लिये मेरे जिस्म मे आग लग गयी थी। मै कुछ करता उससे पहले नीलोफर ने मेरा हाथ दबाते हुए बोली… समीर यह तुम्हें उकसा रहा है। अपने आप को नियंत्रित करते हुए मैने उससे पूछा… क्या यह सच बोल रही है? उसने कोई जवाब नहीं दिया वह दूसरी ओर देखने लगा थ। मै जानता था कि मिरियम और आफशाँ का निकाह मीरवायज और बट परिवारों के बीच करार को मजबूती देने के लिये किया गया था। अब तक मै संभल चुका था। अबकी बार मैने शान्त स्वर मे कहा… फारुख, तुम इतना जान लो कि हमे मारने की बेवकूफी मत करना। तुम्हारे दिये गये डालर से भरी हुई अटैची अभी भी हमारे पास है। मैने वह अटैची देखी है जिसमे ठसाठस अमरीकन करेन्सी भरी हुई है। …मेजर, वह अटैची मुझे वापिस चाहिये। …फारुख रात होने तक तो यहीं रुकना पड़ेगा। अभी काफी समय है। एक पहेली दे रहा हूँ तब तक उसका हल निकालो। उस विस्फोट मे तुम्हारे चार गाजी नहीं मरे थे बल्कि ग्यारह गाजी मरे थे। अब सोचो कि बाकी सात कौन थे। इसका सही जवाब दे दोगे तो वह अटैची तुम्हारे को इनाम के तौर पर दे दूँगा। इतना बोल कर मै आँख मूंद कर बैठ गया लेकिन फारुख की बात मेरे दिमाग पर लगातार चोट कर रही थी।

आफशाँ से दिमाग हटाने के लिये मै अपनी टीम के बारे मे सोचने बैठ गया। मुझे यकीन था कि वह यहीं कहीं आसपास है क्योंकि जिन तीन जिहादियों को फारुख ने पानी लेने भेजा था वह सब उनकी गोली का शिकार हो गये थे। सावरकर और जमीर भी फारुख का पीछा करते हुए यहाँ पहुँच गये होंगे। कैप्टेन यादव और उसके साथी टीम कहाँ पर है? तभी मुझे अपने दिये गये निर्देश याद आ गये थे। वन मैन, वन बुलैट। मुझे अब फारुख की समझदारी पर भी शक होने लगा था। आप्रेशन खंजर को कार्यान्वित करने की योजना बनाने वाला तो कोई शातिर दिमाग ही हो सकता था। अभी तक मेरे सामने बैठे हुए व्यक्ति ने उस शातिर दिमाग का परिचय नहीं दिया था। फारुख सामने बैठा हुआ किसी सोच मे डूबा हुआ था। …समीर। नीलोफर ने धीरे से कोहनी मार कर दबे हुए स्वर मे कहा… तुम्हारी पिस्तौल अभी भी मेरे पास है। …अभी उसकी जरुरत नहीं है। यहाँ पर उपस्थित हरेक व्यक्ति के हाथ मे ऐसा हथियार है जो एक मिनट मे हजार गोलियाँ फायर करती है। फारुख ने आँखें खोल कर हमारी ओर देख कर कहा… मेजर, क्या इसके साथ तुम भी हमबिस्तर हुए हो? नीलोफर ने तुरन्त कहा… क्यों क्या तू मेरे साथ निकाह करने की सोच रहा है? फारुख ने उसे अनदेखा करते हुए कहा… मेरी सलाह मानो कि इस छिनाल के चक्कर मे मत पड़ना वर्ना बर्बाद हो जाओगे।

फारुख इतना बोल कर चुप हो गया था। इतना तो अब तक मेरे लिये साफ हो गया था कि फारुख ने भारत मे प्रवेश सिर्फ एक योजना को कार्यान्वित करने के लिये किया था। मेजर हया का किरदार बड़ा रहस्यमयी लग रहा था। आज तक वह कभी मेरे सामने नहीं आयी थी। …फारुख, अभी तक तुम्हारी बहन मेजर हया का किरदार मेरी समझ से बाहर है। क्या तुम भाई-बहन इस आप्रेशन खंजर का संयुक्त संचालन कर रहे थे? फारुख ने सिर उठा कर एक बार मेरी ओर देखा और फिर नीलोफर की ओर इशारा करके बोला… इस छिनाल ने नहीं बताया? हया तो इसकी सहेली है। मैने नीलोफर की ओर एक बार देख कर कहा… यह तो बता रही थी कि उसने तो जमात को धाराशायी करने की कसम खा रखी है। अबकी बार अपना सिर झटकते हुए बोला… वह पागल हो गयी है। उसने मेरा जितना नुकसान किया है उतना तो तुम्हारी फौज ने भी अभी तक नहीं किया। पहली बार मैने हंसते हुए कहा… मुझे बेहद खुशी है कि वह कम से कम तुम्हारी बहन तुम्हारी तरह दोगली नही है। इतना बोल कर मै चुप हो गया था।  

कुछ देर के बाद फारुख ने पूछा… क्या सोच रहे हो मेजर? उसकी आवाज मेरे कान मे पड़ी तो मैने उसकी ओर देखा तो वह मुझे बड़े ध्यान से देख रहा था। …फारुख, वैसे तो वलीउल्लाह की कहानी तो लगभग समाप्त हो गयी है। इस कोडनेम वलीउल्लाह की असली कहानी क्या है? वह मुस्कुरा कर बोला… तुम अभी तक नहीं समझे कि कोडनेम वलीउल्लाह की क्या कहानी है? मैने गरदन हिला कर कहा… लेकिन मरने से पहले जरुर एक बार कोडनेम वलीउल्लाह का सच जानना चाहता हूँ। इतनी देर मे पहली बार वह जोर से हंस कर बोला… यह मेरी बहन हया के दिमाग की योजना है। मैने चिड़ कर कहा… जिसको तुमने मंसूर बाजवा के कहने पर गद्दार साबित कर दिया था। …मेजर, जिंदगी मे अगर मुझसे एक गलती हुई है तो वह यही है। जब मुझे उसका साथ देने की जरुरत थी तब मै अपनी महत्वकाँक्षा के लिये उसके विरोध मे खड़ा हो गया था। उसे अपने खिलाफ करके मेरी सारी योजना विफल हो गयी। इतना बोल कर वह चुप हो गया था परन्तु मै और भी ज्यादा उलझ गया था। मीरवायज भाई-बहन आखिर क्या योजना को कार्यान्वित करने के लिये भारत मे आये थे?

मैने एक बार फिर से कहा… फारुख तुमने अभी भी कोडनेम वलीउल्लाह की सच्चायी नहीं बतायी है? वह मुस्कुरा कर बोला… एक बार हम दोनो मे बहस चल रही थी कि कौन पहले मेजर बनेगा। उसने कहा था कि मेजर का तो वह नहीं कह सकती लेकिन आईएसआई मे पहली महिला जनरल वही बनेगी। उस वक्त बहस-बहस मे उसने अपनी एक योजना मेरे सामने मजाक मे रखी थी जिसको बाद मे मैने कोडनेम वलीउल्लाह के नाम से भारत मे कार्यान्वित किया था। तुम भी सोच कर देखो कि आईएसआई का एक अधिकारी अगर किसी तरह अपने नेतृत्व को यह विश्वास दिला देता है कि वह ऐसे आदमी के संपर्क मे है जो दुश्मन के सुरक्षा कवच के शीर्ष स्थान पर बैठा हुआ है तो उसका परिणाम क्या होगा? मैने जल्दी से जवाब दिया… वह अधिकारी तुरन्त अपने शीर्ष नेतृत्व की नजरों मे आ जाएगा। अबकी बार फारुख मुस्कुरा कर बोला… मैने भी बस यही किया था। उसके चेहरे पर एक गर्वीली चमक आ गयी थी।

कुछ ऊँघते और कुछ बातचीत करते हुए दोपहर ढल चुकी थी। फारुख उठ कर खड़ा हो गया और चलते हुए कुछ दूर निकल गया था। किसी से फोन पर बात करके थोड़ी देर के बाद चहलकदमी करते हुए वह वापिस आकर अपने एक साथी से बोला… किसी को सड़क पर भेज कर पता करो कि पुलिस अभी तक वही है या चली गयी? नीलोफर ने एक बार फिर से फुसफुसा कर कहा… यहाँ से निकलने की कोशिश करने के बजाय तुम हथियार डाल कर बैठे हुए हो। …तुम बताओ कि इन हालात मे क्या करना चाहिये? दो आदमी यहाँ से रेस्त्रां के बीच मे छिप कर बैठे हुए है और बाकी लोग इधर-उधर फैले हुए है। एक या दो आदमी होते तो शायद कोई कोशिश कर सकते थे परन्तु अभी हम कुछ भी करने की स्थिति मे नहीं है। हम अभी बात कर रहे थे कि उस आदमी ने आकर फारुख से कहा… पुलिस अपना काम खत्म कर चुकी है। सेना की दो गाड़ियाँ तो जा चुकी है कुछ देर मे बाकी लोग भी वापिस चले जाएँगें। नेपाल सेना ने उस ट्रक को अपने कब्जे मे ले लिया है।

मै समझ गया था कि क्यों अभी तक मेरे साथियों ने हमला नहीं बोला था। वह नेपाल सेना के सामने एक्शन लेने के पक्ष मे नहीं है और सही समय का इंतजार कर रहे है। अब मुझे सारी स्थिति समझ मे आ गयी थी। हलका सा अंधेरा होते ही फारुख हमारे पास आकर बोला… मेजर, चलो चल कर वह अटैची मुझे देकर विदा करो। …अभी तक मेरे बीवी और बच्ची मुझे नहीं मिले है। …वह दोनो भी मिल जाएँगें। चलो अब समय मत खराब करो। अपनी पैन्ट झाड़ते हुए मै खड़ा हो गया और फिर हाथ बढ़ा कर नीलोफर को सहारा देकर खड़ा किया। फारुख अपने साथियों को इकठ्ठा करने के लिये कह कर मेरे पास आकर बोला… मेजर वह अटैची कहाँ है? …पहले मेरे बीवी और बच्ची को मेरे हवाले करो तभी उस अटैची को दूँगा। उसने पिस्तौल निकाल कर नीलोफर के सिर की ओर इशारा करके कहा… तुम्हारी बीवी और बच्ची मेरे पास यहाँ पर नहीं है। हम बड़ी सावधानी  रेस्त्रां की ओर बढ़ रहे थे। अचानक फारुख बोला… आज सुबह पता चला कि रास्ते मे आते हुए तुम्हारी बीवी और बच्ची को माओइस्ट उठा कर ले गये है। जिस ट्रक मे वह आ रहे थे वह भी बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया है और एक नये ट्रक का इंतजाम किया जा रहा है। इतना बोल कर वह चुप हो गया था। उसी क्षण मै समझ गया था कि दोपहर से वह मेरे साथ दिमागी जंग मे उलझा हुआ था।

उसके साथ चलते हुए मैने पूछा… तुम्हें यह खबर किसने दी? …सच पूछो यह खबर तुमने ही मुझे दी थी। उसी ट्रक मे बैठ कर आने की तुम्हें जरुरत क्या थी? मुझे यकीन है कि तुम उस ट्रक मे आकर मुझे कोई चुनौती देना चाहते थे। अबकी बार हैरान होने की मेरी बारी थी। …तो जब तुम्हें पता चल गया था कि मेरी बीवी और बच्ची सकुशल मेरे पास पहुँच गये है तो फिर उस ट्रक मे विस्फोट करने की क्या जरुरत थी? …मेजर तुम नहीं समझ सकते। मेरे सारे गाज़ी तुम्हारे को उस ट्रक से उतरते हुए देख कर अपने साथियों की असफलता के बारे जान गये थे। उनको पता चलना चाहिये कि असफलता का क्या परिणाम होता है। आज यहाँ से बच कर निकलने के लिये उन सभी को यह समझाना जरुरी था कि यहाँ असफलता का परिणाम सिर्फ मौत है। मै उसका चेहरा देखने लगा लेकिन वह किसी और ही सोच मे डूबा हुआ था। कुछ कदम चलने के बाद मैने पूछा… किस सोच मे डूबे हुए हो? फारुख एक पल के लिये चलते हुए रुक गया था। वह मेरी ओर देखते हुए बोला… मै जानना चाहता हूँ कि आखिर वहाँ रेस्त्रां मे तुम्हारे आने का मकसद क्या है? हमारी बात सुन कर नीलोफर के चेहरे पर हवाइयाँ उड़ी हुई थी। …तुम बताओ कि मै किस मकसद से वहाँ आया था? …मेजर, तुम्हारे आने का एक ही मकसद हो सकता था कि वलीउल्लाह की गोपनीयता बनाये रखने के लिये तुम्हें मेरी हत्या करनी जरुरी है। अब मुझे साथ चलते हुए आदमी के बारे मे पुनर्विचार करने की जरुरत थी। अभी भी उसके चेहरे पर हल्की सी शिकन नहीं थी। तभी दूर कहीं गोली चलने की आवाज कान मे पड़ी तो मैने और नीलोफर ठिठक कर रुक गये थे। फारुख घुर्राया… मेजर, चलते रहो। मेरे गाजियों ने तुम्हारे लिये खतरा साफ किया है।

हम वापिस सड़क पर पहुँच गये थे। पुलिस और सेना जा चुकी थी और रेस्त्रां अंधेरे मे डूबा हुआ था। नेपाल सेना के चार सैनिक रेस्त्रां के दरवाजे के सामने निर्जीव पड़े हुए थे। सड़क का कुछ हिस्सा बल्ब की लाइट मे रौशन था परन्तु अधिकांश हिस्सा अंधेरे मे डूबा हुआ था। लोहे के कचरे के आकार मे कंटेनर ट्रक अभी भी उसी स्थिति मे सड़क के किनारे पड़ा हुआ था। फारुख की दस हथियारबंद गाज़ियों की फौज ने सड़क पर फैल कर हम दोनो को कवर कर लिया था। तभी रेस्त्रां से कुछ साये बाहर निकलते हुए दिखे तो फारुख ने जल्दी से अपने साथियों से कहा… अपने लोग है। गोली मत चलाना। मेरी नजर अंधेरे मे बढ़ते हुए सायों पर टिक गयी थी। जैसे ही उन्होंने रौशनी मे कदम रखा तो एक पल के लिये मेरा जिस्म ठंडा पड़ गया था। मेरे रोंगटे खड़े हो गये थे। मकबूल बट धीमे कदमो से चलता हुआ मेरी ओर आ रहा था। उसके साथ आफशाँ भी थी। उनके पीछे दो जिहादी चल रहे थे। कुछ पल के लिये मेरा हलक सूख गया था। …क्या हुआ मेजर? फारुख की आवाज मेरे कान मे पड़ी लेकिन मै समझ गया था कि मै यह बाजी हार चुका था।

आफशाँ मुझे देख कर एक पल के लिये ठिठक कर रुक गयी थी। उसके पीछे चल रहे जिहादी ने अपनी गन से उसे आगे की ओर ठेला तो वह चलते हुए मेरे पास आकर खड़ी हो गयी थी। अबकी बार फारुख ने मेरी ओर घूरते हुए कहा… मेजर, इस बार तुम अपने मकसद मे असफल हो गये। मै अब यहाँ से जिन्दा वापिस जाऊँगा। अब तुम सब की जिंदगी बस एक बात पर टिकी हुई है कि उस ट्रक का सामान और इसकी अटैची मुझे वापिस चाहिये। मैने एक बार नजर घुमा कर चारों ओर का जायजा लिया और फिर फारुख की ओर रुख करके कहा… मै इतनी देर से एक बात सोच रहा था कि आखिर सब कुछ जानने के बाद भी तुमने अभी तक हमे क्यों जिन्दा छोड़ा हुआ है? इस प्रश्न का उत्तर बिना पूछे ही तुमने स्वयं ही दे दिया है। …वह पैसे मेरे है और हथियार इन सबके लिये है। तभी मकबूल बट ने टोकते हुए कहा… उसमे मेरा भी हिस्सा है फारुख। …जनाब तो आप ही अपने फर्जन्द से कहिये कि वह जल्दी से हमारा सामान वापिस कर दे। मकबूल के घृणा भरे स्वर मे कहा… इस काफिर की औलाद से मेरा कोई संबन्ध नहीं है। इस आस्तीन के साँप को मैने एक मुगालते मे पाला और इसी मे मुझे कहीं का नहीं छोड़ा। मकबूल बट को अनसुना करके मैने दबी आवाज मे आफशाँ से पूछा… तुम ठीक हो। उसने पल्कें उठा कर एक बार मेरी ओर देख कर धीरे से बोली… अदा भी अब्बू के कब्जे मे है। मैने उसके कन्धे को धीरे से दबा कर कहा… सब ठीक हो जाएगा। तुम चिन्ता मत करो।

फारुख अपने फरार होने की योजना बनाने मे व्यस्त था तो मैने धीरे से आफशाँ से पूछा… तुम अब्बू के पास कैसे पहुँच गयी? तुम दोनो को तो फ्लैट पर सुरक्षित छोड़ दिया था। …तुम नहीं जानते। अदा इनके कब्जे मे है। अब्बू ने फोन पर अदा की हत्या की धमकी देकर मुझे होटल येती पहुँचने के लिये कहा था। मेनका को थापा के हवाले करके खाने का सामान लाने के बहाने मै होटल येती पहुँच गयी थी। …अदा कहाँ है? …वह होटल मे तो नहीं थी। मैने धीरे से उसके कन्धे को सहलाते हुए कहा… तुम चिन्ता मत करो। बस मौका देखते ही जंगल मे चली जाना। आफशाँ ने कुछ नहीं कहा बस अपना सिर हिला दिया था। मै समझ गया था कि यह बाजी शुरु होने से पहले ही मै हार चुका था। फारुख अब तक अपने सारे पत्ते छिपा कर बैठा हुआ था। मेरा मनोबल तोड़ने के लिये वह एक-एक करके अपने पत्ते दिखा रहा था। एक आस अभी भी मुझे हार मानने से रोक रही थी। कैप्टेन यादव की टीम अभी तक सामने नहीं आयी थी। मुझे विश्वास था कि वह यहीं कहीं छिप कर सारी स्थिति पर नजर रख रहे है और उप्युक्त समय आने पर जवाबी कार्यवाही जरुर करेंगें।

कुछ रुक कर मैने उन दोनो की ओर रुख करके कहा… यह तो तुम भी जानते हो कि वह सामान यहाँ तो मेरे पास नहीं है। उस सामान को लाने के लिये तो मुझे जाना पड़ेगा। अबकी बार फारुख ने बड़ी दृड़ता से कहा… मेजर, जब तक मुझे मेरा सामान और अटैची नहीं मिल जाते तब तक यहाँ से कोई वापिस नहीं जायेगा। …तो क्या अपने आप हवा मे उड़ कर तुम्हारा सामान यहाँ आ जाएगा? अपने दिमाग का इस्तेमाल करने की कोशिश करो क्योंकि मेरे जाये बिना तुम्हें यह दोनो चीजे नहीं मिल सकती। वह कुछ सोचने लगा कि तभी मैने कहा… फारुख, इसकी क्या गारंटी है कि सारा सामान मिल जाने के बाद तुम हमको जाने दोगे। इसलिये हमारी शर्त सिर्फ इतनी है कि जान के बदले मे ही सामान और अटैची तुम्हें मिल सकती है। मै यहीं पर तुम्हारे पास हूँ लेकिन इन दोनो को जाने दो। नीलोफर को सामान का पता है। वह सारा सामान लेकर कुछ ही देर मे वापिस आ जाएगी। फारुख ने पास खड़े हुए एक जिहादी से कहा… इरफान, क्या हमारी गाड़ियाँ चलने लायक स्थिति मे है? इरफान फौरन अपने साथ एक जिहादी को लेकर रेस्त्रां के सामने खड़ी हुई तीन स्टेशन वैगनों की ओर चला गया था।

विस्फोट का असर तो सभी गाड़ियों पर हुआ था। उनके सारे कांच टूट कर सड़क पर बिखर गये थे। बाहरी चादर भी जगह-जगह से दब गयी थी और कुछ के जोड़ भी खुल गये थे। सबकी नजर उन गाड़ियों की ओर चली गयी थी। एक स्टेशन वेगन तो चाबी लगाते ही स्टार्ट हो गयी थी। इरफान ने गियर डाल कर जैसे ही उसको आगे बढ़ाया तो जोर से किसी चीज के टकराने की आवाज आने लगी थी। दूसरी स्टेशन वेगन स्टार्ट भी नहीं हो सकी थी। तीसरी स्टेशन वेगन का भी वही हाल था। सारी गाड़ियों को चेक करने के बाद इरफान ने आकर कहा… भाईजान, कोई भी स्टेशन वेगन चलने की स्थिति मे नहीं है। फारुख ने गुस्से से जमीन पर ठोकर मार कर बोला… बट साहब आपकी गाड़ी कहाँ है? मकबूल बट ने कुछ दूरी पर अंधेरे मे खड़ी हुई कार की ओर इशारा करके कहा… वहाँ खड़ी है। …एक गाड़ी मे तो हम सब नहीं जा सकते तो जल्दी से यहाँ से निकलने का इंतजाम करो। फारुख से कुछ देर दबी आवाज मे मकबूल बट और इरफान से बात करने के बाद कहा… ठीक है। इरफान अपने दो साथियों के साथ जाकर किसी गाड़ी का इंतजाम करो जिससे हम सब यहाँ से जल्दी से जल्दी निकल सके। इरफान अपने साथ दो जिहादियों को लेकर मकबूल बट की कार मे बैठा और हाईवे की ओर चला गया। मै भले ही उनको देख रहा था परन्तु मेरा दिमाग अपने साथियों की ओर लगा हुआ था। कैप्टेन यादव की टीम को क्या हो गया है? उनके सामने आने का यह सबसे उप्युक्त समय था। अब मुझे उनकी चिन्ता सताने लगी थी।

जाती हुई कार की लाल टेललाइट नजर से ओझल होते ही फारुख ने कहा… मेजर, तुम्हारे कारण देर होती चली जा रही है। मैने उसकी बात को अनसुना कर दिया था क्योंकि मेरी नजर विपरीत दिशा मे दूर सड़क पर एक गाड़ी की हेडलाइट पर पड़ी जो हमारी दिशा मे तेजी से बढ़ रही थी। अभी तक किसी का ध्यान उस ओर नहीं गया था क्योंकि सभी का ध्यान इरफान की गाड़ी की ओर लगा हुआ था। परन्तु मेरी नजरों का पीछा करते हुए फारुख की नजर भी उस गाड़ी की हेडलाइट पर पड़ी तो वह जोर से चिल्लाया… सावधान। अपने हथियार पीछे छिपा लो। कोई गाड़ी आ रही है। सेना या पुलिस की पेट्रोल पार्टी हो सकती है। सभी ने जल्दी से अपने हथियार पीछे की ओर कर लिये और सभी उन खड़ी हुई स्टेशन वैगनों को घेर कर उसके आसपास खड़े हो गये थे। सभी की नजरें उस आती हुई गाड़ी पर टिक गयी थी।

2 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही जबरदस्त अंक और साथ ही समीर और अफसां भी फारूक के हाथ लग चुके हैं मगर समीर के बाहरी सहायता अभी तक मिल नही पाया है, देखते हैं क्या होता अब, जब वो आनेवाली गाड़ी रुकेगी इन सब के सामने।

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    1. अल्फा भाई शुक्रिया। एक-एक करके साजिश करने वालों के चेहरे पर से पर्दा हटना आरंभ हो गया है। अब आपको यह तय करना है कि किसकी दूरगामी और मात देने वाली गहरी चाल है।

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