शह और मात-3
अफगान-पाक बार्ड्रर
अफगान-पाकिस्तान सीमा
पर एक अज्ञात स्थान पर कुछ लोग मिल रहे थे। …अखुन्डजादा क्या करने की सोच रहा है?
…जनाब, वह कतर की वार्ता को असफल करने की कोशिश मे लगा हुआ है। उसके पीछे तेहरीक के
बैतूल्लाह का हाथ है। …आईएसआई का जनरल फैज क्या कर रहा है? …जनाब, वह अखुन्डजादा की
पीछे से मदद कर रहा है। उनकी बात सुन कर पहली बार सीआईए का उप-निदेशक दक्षिण एशिया
जेरेमी वाट्स बोला… ओमर साहब पिछले एक साल से हम आपकी स्थिति मजबूत करने की कोशिश कर
रहे है लेकिन अभी तक तालिबान पर आप अपनी पकड़ नहीं बना सके है। अब हम यहाँ से जल्दी
से जल्दी निकलना चाहते है। ओमर जल्दी से अपनी सफाई देते हुए कहा… जेरेमी साहब, आप मुझे
कुछ और समय दिजीये। हम दो तरफा लड़ाई लड़ रहे है। एक अन्दर से अखुन्दजादा की ओर से भीतरघात
हो रहा है और दूसरा बाहर से पाकिस्तान अपनी पूरी कोशिश कर रहा है कि हमारे और आपके
बीच मे कोई बातचीत न हो सके। तालिबान का शीर्ष नेतृत्व आपके साथ है परन्तु पैदल फौज
बिखरी हुई है।
…जनाब, मै तेहरीक
की ओर से आपको यकीन दिलाना चाहता हूँ कि बैतूल्लाह की जंग आईएसआई और पाकिस्तानी एस्टेब्लिश्मेन्ट
के खिलाफ है। हमारा संयुक्त फोर्सेज से कोई बैर नहीं है। हम ओमर और गनी के समर्थक है।
हम भी चाहते है कि आप यहाँ से आराम से निकल जाए जिससे हम अपने लोगों की मौत का बदला
ले सके। सात महीने पहले भारत के ब्रिगेडियर चीमा काबुल मे बैतूल्लाह से मिले थे। उन्होंने
खबर दी थी कि आईएसआई और पाकिस्तानी फौज बैतूल्लाह को मारने की साजिश रच रहे है। उनकी
मदद से बैतूल्लाह बचने मे सफल हुआ था। वही तेहरीक और तालिबान के बीच की कड़ी थे। पिछले
कुछ दिनो से ब्रिगेडियर साहब भी गायब है। जेरेमी वाट्स ने समझाने के अंदाज मे कहा…
नूर गुल हमे बैतूल्लाह पर पूरा भरोसा है लेकिन जैसे नतीजे मिल रहे है वह हमारी योजना
के विपरीत है। यूएस एड्मिनिस्ट्रेशन का विचार है कि बैतूल्लाह और तालिबान का शीर्ष
नेतृत्व जल्दी से किसी नतीजे पर पहुँच जाये जिससे हम यहाँ से बिना रक्तपात के निकल
सकें। भारत ने भी इसके लिये हमारा बाहर से साथ देने का वायदा किया है।
तभी काबुल मे स्थित
भारतीय दूतावास का मिलिट्री अटाचे श्रीनिवास बोला… जेरेमी आप इस पूरे चक्रव्युह मे
चीन को भूल रहे है। चीन के कहने पर आईएसआई का जनरल फैज अफगानिस्तान की हुकूमत हक्कानियों
के हाथ मे देना चाहता है जिससे चीन आपके निकलने के बाद अपने पाँव यहाँ पर आसानी से
जमा सके। आपने हक्कानियों को वार्ता और समझौते से बाहर कर दिया है इसीलिए पाकिस्तानी
एस्टेब्लिशमेन्ट इस वार्ता को असफल करना चाहते है। जेरेमी ने उठते हुए कहा… मै दो दिन
बाद वाशिंगटन जा रहा हूँ। आज की बातचीत का निचोड़ मै वहाँ पर सबके सामने रख दूँगा लेकिन
तब तक आप लोग हालात पर नजर रखियेगा और कोशिश किजिये कि हमारी फोर्सिज पर कोई आपकी ओर
से हमला नहीं होना चाहिये। सब उठ कर खड़े हो गये और फिर एक-एक करके रात के अंधेरे मे
वहाँ से निकल गये।
रात को नौ बजे जब
हम दोनो तैयार होकर होटल की कार मे बैठे तो हम दोनो की काया पलट हो गयी थी। नीलोफर
को मै हमेशा नेचुरल ब्युटी समझता था। वह बिना मेकअप मे भी बहुत सुन्दर दिखती थी परन्तु
अब उसकी सुन्दरता मे चार चाँद लग गये थे। उसका वह रुप सामने आ गया था जिसको मैने पहली
बार दीपक सेठी की पार्टी मे देखा था। मै उसके साथ चलने मे अपने आपको असहज महसूस कर
रहा था। …नीलोफर वहाँ प्रवेश कैसे करोगी? उसने तुरन्त अपने ब्रान्डेड पर्स से एक कार्ड
निकाल कर दिखाते हुए कहा… हाई सोसाइटी के कुछ नियम होते है। अबसे आदत डाल लो। ऐसे घरों
की पार्टियों को इवेन्ट कंपनियाँ संभालती है। वही खाने-पीने का इंतजाम, अतिथियों की
आवभगत व मनोरंजन के साधन मुहैया कराती है। अगर ऐसी एक-दो इवेन्ट कंपनी मे तुम्हारी
जानकारी हो गयी तो फिर तुम आसानी से यहाँ की पार्टी सर्किट के नियमित अतिथि बन जाओगे।
ऐसी पार्टीयों मे जाने के लिये लोग न जाने कितने हाथ-पाँव मारते है। मै चुपचाप उसकी
कहानी सुन रहा था लेकिन पता नहीं क्यों मै वहाँ जाने मे एक झिझक महसूस कर रहा था। इस्लामाबाद
शहर के एक हिस्से मे पहाड़ की तलहटी पर बने हुए विशाल क्लब मे पार्टी का अयोजन था। जब
हम वहाँ पहुँचे तब तक कारों का जमघट लग चुका था। महंगी से महंगी दुनिया भर की गाड़ियाँ
वहाँ पर नजर आ रही थी। होटल की कार से उतर कर बिना किसी रोकटोक के हम दोनो क्लब मे
प्रवेश कर गये थे। कड़ी सिक्युरिटी का इंतजाम चारों ओर साफ दिख रहा था।
दीपक सेठी और अंसार
रजा की पार्टी भी आज की पार्टी की वैभवता के सामने फीकी लग रही थी। लाहौर की पार्टी
भी आज की पार्टी के सामने कुछ भी नहीं थी। नीलोफर की चाल मे आत्मविश्वास और एक अजीब
सी लापरवाही झलक रही थी। हिजाब मे भी उसके जिस्मानी उतार-चड़ाव हर कदम पर थरथराते हुए
प्रतीत हो रहे थे। मै एक पैबन्द की भाँति उसके साथ घिसटते हुए चल रहा था। लान के प्रवेश
द्वार के बाहर चार हथियारबंद गार्ड्स और दो सुन्दर महिलायें खड़ी हुई थी। हर आने वाले
का कार्ड वह देख कर उनका स्वागत करती और फिर कुछ बोल कर उनको जाने दे रही थी। द्वार
पर पहुँच कर नीलोफर ने कार्ड निकाल कर उनके आगे कर दिया। कार्ड चेक करके एक महिला मुस्कुरा
कर बोली… टेबल नम्बर 38 प्लीज। जब तक वह कुछ स्वागत मे बोलती तब तक नीलोफर इठलाती हुई
आगे बढ़ गयी थी। मैने जल्दी से मुस्कुरा कर शुक्रिया किया और उसके पीछे लान मे प्रवेश
कर गया था।
अन्दर की वैभवता देख
कर एक पल के लिये मेरी आँखें खुली की खुली रह गयी थी। हजारों छोटे-छोटे बल्बों की रौशनी
मे सारा लान झिलमिला रहा था। फूलों की महक से सारा लान महक रहा था। नीलोफर इठलाती बलखाती
हुई आगे बढ़ती जा रही थी। मैने सोचा था कि इस्लाम के अनुसार परिसर दो भागों मे बटाँ
हुआ होगा परन्तु यहाँ तो पाश्चत्य समाज की झलक साफ दिख रही थी। महिला-पुरुष एक दूसरे
के साथ बड़े सहज भाव से घुल मिल रहे थे। नीलोफर बड़ी सहजता से कभी मुस्कुरा कर और कभी
हाथ हिला कर आगे बढ़ती जा रही थी। कुछ कदम मै उसके साथ चलता रहा लेकिन जब हिम्मत टूटती
सी लगने लगी तब मै स्वयं ही कदम धीमे करके पीछे हो गया था। लान के एक कोने मे साजिन्दे
बैठ कर अपने-अपने यन्त्रों मे उलझे हुए दिख रहे थे। मै चलते हुए लान के एक किनारे मे
पहुँच कर खड़ा हो गया था। एक वेटर हाथ मे ट्रे लिये मेरे करीब आकर बोला… वेलकम सर, व्हिस्की,
जिन, रम ओर वोदका? …व्हिस्की प्लीज। …सिंगल माल्ट ओर डबल? मैने चकराते हुए जल्दी से
कहा… यु सजेस्ट। …ब्लेक लेबल सिंगल माल्ट। …फाईन। उसने जल्दी से काँच का बिल्लौरी ग्लास
मेरी ओर बढ़ा कर कर कहा… प्लीज इन्जोय युअर ड्रिंक्स सर। इतना बोल कर वह वेटर आगे बढ़
गया था। मै अपने हाथ मे ड्रिंक्स पकड़े वहाँ उपस्थित लोगों का आंकलन करने मे व्यस्त
हो गया।
मैने अभी तक हर पार्टी
मे एक बात नोट की थी कि सारे लोग अपने जानकारों के गुट बना कर अपनी बातचीत मे व्यस्त
हो जाते है। आज की पार्टी मे वैसा कुछ अभी तक दिख नहीं रहा था। ज्यादातर लोग अपने-अपने
जोड़े बना कर किसी का इंतजार कर रहे थे। नीलोफर भी कुछ स्त्रियों के साथ खड़ी हुई किसी
का इंतजार कर रही थी। मै अकेला एक किनारे मे ड्रिंक्स का ग्लास पकड़ कर खड़ा हुआ सब देख
रहा था। एकाएक महफिल मे हरकत हुई और एक अधेड़ उम्र का जोड़ा रेड कार्पेट पर चलते हुए
बाहर निकला जिसका सभी ने तालियाँ बजा कर स्वागत किया। मैने अनुमान लगाया कि वह अनवर
रियाज और उसकी पत्नी होगें। मै अभी अनुमान लगा ही रहा था कि तभी महफिल मे हलचल हो गयी।
सबकी नजरें उस जोड़े से हट कर मुख्य द्वार की ओर चली गयी थी। अपने सुरक्षाकवच मे घिरा
हुआ एक वर्दीधारी आफीसर लान मे प्रवेश कर रहा था। एकाएक लान मे शांति छा गयी थी। जैसे
ही वह नजदीक आया तो उसकी शक्ल देखते ही मै पहचान गया कि वह आईएसआई का नया निदेशक जनरल
फैज एहमद था। अभी मै उसके प्रोटोकोल को समझने की कोशिश कर रहा था कि तभी बाहर तेज हूटर
की आवाज गूँजने लगी थी। अनवर रियाज अपनी पत्नी को छोड़ कर तुरन्त तेजी से द्वार की ओर
बढ़ गया था। जनरल फैज भी अपने सुरक्षा कवच को बीच मे छोड़ कर द्वार की ओर चला गया था।
अगले कुछ मिनट के बाद पश्चिमी सूट मे एक जोड़े ने कदम रखा तो ऐसा लगा कि महफिल मे आये
सभी लोगों को साँप सूँघ गया था। पाकिस्तान का नया सेनाअध्यक्ष जनरल रहमत उल मेहमूद
अपनी पत्नी के साथ लान मे प्रवेश कर रहा था। अनवर रियाज और जनरल फैज ने उसका स्वागत
किया और बात करते हुए लान के बीच मे आकर खड़े हो गये थे। अनवर रियाज की बीवी भी उनके
पास आकर खड़ी हो गयी थी। महफिल मे एक बार फिर से हरकत हुई और सब एक कतार बना कर उनसे
मिलने के लिये चल दिये।
…यहाँ अकेले क्या
कर रहे हो? मैने चौंक कर नीलोफर की ओर देखा जो मेरे साथ आकर खड़ी हो गयी थी। …आज की
पार्टी का दूर से लुत्फ ले रहा हूँ। …चलो लाईन मे लग जाते है। मै भी नीलोफर के साथ
उस कतार मे खड़ा हो गया था। अनवर रियाज, जनरल रहमत और जनरल फैज और दोनो महिलायें सभी
से बड़ी गर्मजोशी के साथ मिल रहे थे। जब हमारा नम्बर आया तो नीलोफर ने पहल करते हुए
सबका अभिवादन करके मुझे अपने खाविन्द के रुप मे मिलाते हुए कहा… समीर का फाईनेन्स का
कारोबार है। यह दुनिया भर मे बड़े प्रोजेक्ट्स मे पैसा लगाते है। जनरल रहमत ने मुस्कुरा
कर हाथ मिला कर कहा… कुछ हमारे प्रोजेक्ट्स मे भी इन्वेस्ट्मेन्ट किजिये। अनवर भाई
अपने डीएचए वाले प्रोजेक्ट के बारे मे समीर से बात किजिये। अनवर रियाज तुरन्त बोला…
बिल्कुल जनाब। अनवर युगल को मुबारकबाद देकर और कुछ औपचारिक बात करके हम वहाँ से हट
गये थे। जब सबका मिलना-मिलाना हो गया तो सारी औपचारिक्तायें त्याग कर वहाँ पर जश्न
का माहौल बन गया था।
कुछ लोग जनरल फैज
को घेर कर खड़े हो गये थे और कुछ लोग जनरल रहमत को घेर कर खड़े हो गये थे। अनवर रियाज
मेहमानो से मिलने मे व्यस्त हो गया था। मै और नीलोफर एक ग्रुप मे जाकर खड़े हो गये थे।
वहाँ पर विदेश की चर्चा चल रही थी। कोई फ्राँस और कोई अमरीका के अपने संस्मरण सुना
रहा था तो कोई ब्रिटेन मे होने वाले चुनाव पर चर्चा कर रहा था। हम दोनो चुपचाप उनकी
बात सुन रहे थे। कुछ देर के बाद अनवर रियाज मेरे पास आकर बोला… समीर भाई क्या आपके
पाँच मिनट ले सकता हूँ? मैने जल्दी से उस महफिल से हटते हुए कहा… क्या अनवर भाई। क्यों
शर्मिन्दा कर रहे है। …क्या आप डीएचए प्रोजेक्ट पर पैसा लगा सकते है? …अगर कन्स्ट्रक्शन
प्रोजेक्ट है तो क्यों नहीं। …सरकार ने हाल ही मे डीएचए को 23 एकड़ जमीन इस्लामाबाद
मे दी है। डीएचए ने वहाँ पर 200 रिहाईशी प्लाट्स और शापिंग काम्प्लेकस बनाने की योजना
तैयार की है। क्या आप इस प्रोजेक्ट मे कोई रुचि है? …अनवर साहब मेरी रुचि सिर्फ पैसा
बनाने मे है। प्रोजेक्ट कोई भी और कैसा भी चलेगा लेकिन कितने टके कमाई होगी इस बात
पर सब कुछ निर्भर करता है। …प्रोजेक्ट मे हिस्सेदारी नहीं मिल सकती। …मुझे चाहिये भी
नहीं क्योंकि मै हिस्सेदारी मे विश्वास नहीं रखता। वैसे भी डीएचए के प्रोजेक्ट्स मे
तो हिस्सेदारी सिर्फ वर्दी वालो की होगी। …आप बताईये कितना टका ब्याज लेंगें? …अनवर
साहब, कितने समय के लिये चाहिये? …छह महीने। …किसकी गारन्टी देंगें? मेरा सवाल सुन
कर अनवर रियाज थोड़ा गड़बड़ा गया था। मैने हंसते हुए कहा… मजाक कर रहा हूँ। मै जानता हूँ
कि यहाँ वर्दी की गारन्टी है। मै मैरियट ठहरा हूँ। कल किसी वक्त आराम से बैठ कर बात
करते है। …मुझे इजाजत दिजिये। बस इतना बोल कर वह दूसरे लोगों से मिलने चला गया था।
मै वापिस नीलोफर के
पास चला गया था। तभी नीलोफर मुझे किसी से मिलाते हुए बोली… समीर, इनसे मिलिये। यह अजमल
साहब है। इनका इम्पोर्ट-एक्सपोर्ट का काम दुनिया भर मे फैला हुआ है। …सलाम अजमल साहब।
नीलोफर मिला रही है तो फिर आपमे जरुर कोई खास बात होगी। …इनके मेरे ताया साहब के साथ
बड़े अच्छे ताल्लुकात है। …जहेनसीब। बताईये मै आपके लिये क्या कर सकता हूँ? …चार करोड़
का माल कराँची पोर्ट पर अटका हुआ है। …उन्त्तीस दिन का दो टका ब्याज। कल अपना माल छुड़वा
लिजियेगा। महीना पूरा होते ही चार टका ब्याज लग जायेगा। सीधी और दो टूक बात करके मैने
कहा… पैसे लेने मेरियट मे आ जाईयेगा। नीलोफर धीरे से बोली… समीर, अजमल साहब के बेहद
अच्छे रिश्ते बैतुल्लाह साहब के साथ भी है। …अरे ऐसी बात है तो पहले बताना था। बैतुल्लाह
साहब तो हमारे हमदर्द और हमनवाज है। अजमल धीरे से मुस्कुरा कर बोला… यह उनका माल है।
मैने जल्दी से कहा… चार टके की बात भूल जाईये। कल जाकर माल छुड़वा लिजियेगा। …अरे नहीं
आप कैसी बात कर रहे है। धन्धे और रिश्तों को एक दूसरे से दूर रखना चाहिये। आपको एक
हफ्ते मे सारे पैसे मिल जाएँगें। हाँ कभी समय निकाल कर क्वेटा आईये तो मेजबानी का मौका
जरुर दिजियेगा। …बिलकुल भाईजान। इतनी बात करके अजमल आगे बढ़ गया और नीलोफर मेरा हाथ
पकड़ कर किसी और से मिलाने के लिये चल दी थी।
…समीर, यह आसिफ मुनीर
है। वह देखने मे कोई फिल्मी हस्ती लग रहा था। …यह यहाँ के उद्योग जगत के बेताज बादशाह
है। आसिफ मुनीर ने झुक कर नीलोफर से कहा… यह इनकी जर्रानवाजी है। समीर साहब हमारा पारिवारिक
बिजनिस है। …समीर,यह एक इलेक्ट्रानिक पार्ट्स बनाने के लिये नयी फैक्टरी डाल रहे है।
इनके बड़े भाईसाहब आबिद साहब से मेरी बात हुई थी। आसिफ को फैक्टरी लगाने के लिये चालीस
करोड़ रुपये की जरुरत है। मैने आबिद से मदद करने का वादा किया है। मैने जल्दी से कहा…
जब तुमने वादा कर लिया है तो उसे रोकने वाला भला मै कौन होता हूँ। किस नाम से चेक चाहिये?
आसिफ मुनीर तुरन्त बोला… स्टरलिंग इलेक्ट्रानिक्स के नाम से चेक चाहिये। …इक्विटी मे
शेयर देंगें या कर्जे के रुप मे चाहिये? …कर्जा चाहिये। घर का कारोबार है तो हम बाहर
वालों को शेयरहोल्डिंग नहीं देते है। …कोई बात नहीं। कितने समय के लिये कर्जा चाहिये?
…तीन साल के लिये। …चार टका ब्याज और कर्जा इन्स्टालमेन्ट मे चाहिये या एक मुश्त रकम
चाहिये? …जी दो किश्तों मे रकम चाहिये। …ठीक है आप कल तक पेपर्स तैयार करके मेरे होटल
आ जाईयेगा। बीस करोड़ का चेक ले जाईयेगा। …समीर साहब आप कमाल के आदमी है। पाँच मिनट
मे आपने बीस करोड़ की डील फाइनल कर दी। …आसिफ साहब, आपने जिसकी सिफारिश लगवायी है उसको
मना करने की मै हिम्मत नहीं कर सकता। हम तीनो ने एक ठहाका लगाया और कुछ इधर-उधर की
बात करने के बाद नीलोफर को आसिफ मुनीर के पास छोड़ कर मै आगे बढ़ गया था।
मै एक किनारे मे खड़ा
हुआ महफिल का नजारा ले रहा था कि तभी पीछे से सुरीली सी आवाज कान मे पड़ी… आप यह ग्लास
कब तक हाथ मे पकड़ कर खड़े रहेंगें। अगर पीने से परहेज है तो नीचे रख दिजिये। एक लड़की
हिजाब पहने मेरे सामने आकर खड़ी हो गयी थी। बेहद खूबसूरत थी लेकिन उसकी बड़ी-बड़ी आँखों
मे शरारत झलक रही थी। मैने झेंप कर जल्दी से एक घूँट भरा तो वह मुस्कुरा कर बोली… मुझे
साहिबा कहते है। बहुत देर से देख रही थी कि आप इसे हाथ मे लेकर खड़े हुए है तो सोचा
कि याद दिला दूँ कि यह पीने की चीज है। उसके बोलने का बेहद दिलकश अंदाज था। …मेरा नाम
समीर है। …तो बताईये समीर साहब क्या ले रहे है? अब तक मै संभल चुका था। एक और घूँट
लेकर मैने जवाब दिया… सिंगल माल्ट। आप बताईये कि आप क्या लेंगीं। वह कुछ पल मुझे देखती
रही और फिर मुस्कुरा कर बोली… नशे के लिये आप का साथ क्या काफी नहीं है। मै कुछ बोलता
उससे पहले नीलोफर आकर बोली… जहेनसीब। साहिबा आप कैसी है। आपका कौनसा नया ड्रामा स्क्रीन
पर आने वाला है? वह मुस्कुरा कर बोली… दूरियाँ। अगले महीने एआरवाई पर रिलीज हो रहा
है। …साहिबा आप बेहद खूबसूरत अदाकारा है। मै आपकी फैन हूँ। तभी नीलोफर को किसी ने इशारे
से अपनी ओर बुलाया तो वह जल्दी से बोली… माफ किजियेगा। इतना बोल कर वह उनके पास चली
गयी थी। …आप अदाकारा है? …आप बता रहे है या पूछ रहे है? एक बार फिर से मैने झेंपते
हुए जल्दी से कहा… सौरी। मै टीवी नहीं देखता तो मुझसे ऐसी खता हो गयी। आगे फिर कभी
नहीं होगी। मैने जल्दी से एक घूँट भर कर उसकी ओर देखा तो वह मुझे देख कर मंद-मंद मुस्कुरा
रही थी।
…क्या अपने ड्रामों
मे भी आप सभी को ऐसे ही असहज कर देती है। …क्यों क्या मै आपको असहज कर रही हूँ। …साहिबा
आप जानती है। …तो मै चली जाती हूँ। वह मुड़ी और चल दी थी। मुझे समझ मे नहीं आया कि ऐसे
वक्त मे मुझे क्या करना चाहिये। यहाँ की सामाजिक मान्यताओं से अभी तक मै अनजान था।
मेरे मन मे आया कि उसका हाथ पकड़ कर रोक लूँ परन्तु हिम्मत नहीं हुई। अचानक वह वापिस
मुड़ कर मेरे करीब आकर बोली… जालिम, खुदा के लिये झूठे ही सही एक बार रुकने के लिये
तो कह सकते थे। अपने सभी दिमागी जंजालों को त्याग कर एक घूँट मे सारा ग्लास खाली करके
अपने पुराने फौजी अंदाज मे बोला… कोई और समय और जगह होती तो साहिबा तुम्हारा हाथ पकड़
कर रोक लेता लेकिन यहाँ पर तुम्हें रोकने की हिम्मत नहीं जुटा सका। वह खिलखिला कर हँसते
हुए बोली… वाह आपने जवाब भी दे दिया और अपना हाले दिल भी ब्यान कर दिया। बहुत खूब समीर।
मैने मुस्कुरा कर कहा… तो अपने बारे मे कुछ बताओ। …चलिये वहाँ बैठ कर बात करते है।
मै आपके लिये ड्रिंक्स लेकर आती हूँ। …प्लीज यह हमारा काम है। तुम आराम से वहाँ बैठो।
वह टेबल की दिशा मे चली गयी और मैने वेटर को इशारे से बुला कर कर कहा… दो सिंगल माल्ट
ब्लैक लेबल। इतना बोल कर मै साहिबा के पास चला गया।
…तुम सिंगल माल्ट
ले सकती हो या तुम्हारे लिये साफ्ट ड्रिंक्स का आर्डर दूँ। …इस लाईन मे कोई रोक टोक
नहीं है। सिंगल माल्ट ठीक रहेगी। …कुछ अपने बारे मे बताईये समीर। …शादीशुदा और एक बच्ची…तभी
दिमाग मे एक जलजला उठा और एक क्षण के लिये मेरी आँखें मुंद गयी थी। वह कुछ बोलती उससे
पहले मैने जल्दी से अपने आपको संभालते हुए कहा… दो बच्चो का बाप हूँ और पेशे से बैंकर
या कहिये निवेशक हूँ। तुम भी कुछ अपने बारे मे बताओ। तब तक वेटर मेज पर दो सिंगल माल्ट
रख कर चला गया था। साहिबा ने धीरे से एक घूँट भर कहा… सिंगल और पिछले पाँच साल से पेशे
से अदाकारा हूँ। चार ड्रामे और एक फिल्म कर चुकी हूँ। टीवी जैसी कामयाबी फिल्मों मे
नहीं मिल सकी तो ऐसी पार्टियों की शान बन गयी हूँ। …कमाल है इतनी शोहरत पाकर भी तुम
खुश नहीं लग रही हो। वह मुस्कुरा कर बोली… अब समीर तुम मुझे असहज करने लगे। …सौरी,
मेरी यह मंशा नहीं थी। अचानक वह संजीदा होकर बोली… समीर, प्लीज अगर मुझे गलत नहीं समझो
तो मेरे लिये एक काम कर दो। …बेझिझक होकर बोलो क्या काम करना है? …क्या तुम एक आदमी
से मेरे कहने पर मिल सकते हो? …आओ चलो मेरे साथ। यह बोल कर मै खड़ा हो गया। वह उठ कर
मेरे साथ चलते हुए बोली… मुझे गलत मत समझना। मै चुपचाप उसके साथ चल दिया था।
जनरल फैज को कुछ लोग
घेर कर खड़े हुए थे। …तुम रुको यहीं पर। इतना बोल कर वह उनके पास चली गयी और उस भीड़
मे खड़े एक अधेड़ से उम्र के आदमी को अपने साथ लेकर मेरे पास आकर बोली… समीर, यह दूरियाँ
नाम के सीरियल के प्रोड्युसर तबरेज अली साहब है। तबरेज अली ने हाथ मिलाने के लिये अपना
हाथ आगे बढ़ा दिया था। मैने हाथ मिलाते हुए कहा… मेरा नाम समीर है। साहिबा मेरी दोस्त
है तो बेहिचक तबरेज साहब बताईये मै आपके लिये क्या कर सकता हूँ? शायद वह मुझसे ऐसे
सवाल की आशा नहीं कर रहा था। वह बोलते हुए गड़बड़ा गया… नहीं ऐसी कोई बात नही है। …प्लीज
मेरा वक्त बेहद कीमती है। सिर्फ साहिबा के कहने पर आपसे बात करने के लिये आ गया इसलिये
जो कहना है वह साफ शब्दों मे बताईये। …जनाब, फाईनेन्स की मदद चाहिये। दस एपीसोड का
पाईलट पूरा हो गया है लेकिन अभी तक कोई स्पान्सर नहीं मिला है। एअरवाई को दस और एपीसोड
बना कर देने है तो उसके बारे मे बात करना चाहता था। …एक एपीसोड पर कितना लगता है?
…तीन से सात लाख तक लग जाते है। …लगभग सत्तर लाख का इन्वेस्टमेन्ट की बात कर रहे है।
…जी। …ठीक है। कल मेरियट होटल मे आ जाइयेगा। वहाँ बैठ कर बात कर लेंगें। इतना बोल कर
मै मुड़ कर वहाँ से वापिस अपनी टेबल की ओर चल दिया।
मेज पर रखा हुआ ग्लास
वेटर हटा चुका था। वह मुझे वापिस आते हुए देख कर वह एक नया ग्लास मेज पर रख कर चला
गया। अपने आस-पास नजर दौड़ा कर मै आराम से बैठ कर एक घूँट भर कर दिमागी जोड़-तोड़ करने
बैठ गया। फारुख के पैसों को मै दिल खोल कर लुटा रहा था लेकिन बहुत सा पैसा लौट कर दुगना
होता चला जा रहा था। …क्या अब मै तुम्हारे साथ नहीं बैठ सकती? साहिबा मेरे करीब आकर
खड़ी हो गयी थी। मै जल्दी से उठ कर खड़ा हो गया… ऐसा क्यों पूछ रही हो? …इसलिये कि तुम
मुझे वहीं छोड़ कर वापिस आ गये थे। मैने मुस्कुरा कर कहा… मै तो इसलिये आ गया था कि
मुझे लगा कि वह शायद तुमसे कुछ कहना चाहता था। प्लीज बैठो। इतना बोल कर मैने एक बार
फिर से वेटर की ओर इशारा किया। उसने तुरन्त एक सिंगल माल्ट लाकर मेज पर रख दी थी। वह
मेरे साथ बैठते हुए बोली… तुम यही सोच रहे होगे कि पैसे के लिये मैने तुमसे संपर्क
साधा था। …यह कोई राकेट सांईस नहीं है। तुम इसको झुठला तो नहीं सकती। अगर मैने तुम्हें
दोस्त माना है तो फिर मै बेकार की बातों मे समय नहीं खराब करता। वह सिर झुकाये बैठी
रही तो अबकी बार मैने कहा… तुम अपने पहले अवतार मे ज्यादा अच्छी लग रही थी। …क्या मतलब?
…अब तुम अपने जहन मे एक बोझ उठा कर बात कर रही हो जो उस वक्त नहीं था। अचानक वह उठ
कर खड़ी होकर बोली… समीर, मेरे साथ चलो। …कहाँ? वह तो तब तक आगे बढ़ गयी थी।
मैने नीलोफर को ढूंढने
की कोशिश की परन्तु वह मुझे कहीं दिख नहीं रही थी। मैने कदम तेजी से बढ़ा कर साहिबा
के साथ चलते हुए बोला… प्लीज, तुम्हारी फैन को बता तो दूँ कि मै वापिस जा रहा हूँ।
वह मुड़कर बोली… मेरी फैन कुछ देर पहले जाहिद साहब के साथ बाहर चली गयी। अब तुम चल रहे
हो कि मै जाऊँ। …चल रहा हूँ। प्लीज इतनी जल्दी क्या है? गेट से बाहर निकलने के बाद
वह मुस्कुरा कर बोली… ऐसे माहौल मे दम घुटता है। …तुम कैसे आयी थी। …अपनी कार से।
…तो मै होटल की कार छोड़ देता हूँ। इतना बोल कर मैने मेरियट की कार को वेलेट द्वारा
बुलवा कर वापिस भेज दिया और साहिबा की कार मे बैठ कर उसके साथ चल दिया। उसके चेहरे
पर पुरानी मुस्कान वापिस आ गयी थी। …साहिबा तुमने खाना तो खाने नहीं दिया। अब तो कम
से कम कहीं आराम से बैठ कर खाना खा लेते है। …आओ तुम्हें एक जगह लेकर चलती हूँ जहाँ
का खाना मुझे बेहद पसन्द है। वह मुझे लेकर एफ-7 स्ट्रीट पहुँच गयी थी। रात मे वहाँ
दिन निकला हुआ था। चारों ओर छोटी-बड़ी दुकानें, महंगे रेस्त्रां, रेड़ी पर हलीम बिरयानी,
इत्यादी से भरमार थी। भीड़ भी कम नहीं थी। अपना चेहरा हिजाब से ढक कर सड़क के किनारे
कार खड़ी करके बोली… आओ चले। मै उसके साथ चल दिया। एक किनारे मे रेड़ी लगाये बूढ़े आदमी
से बोली… दादाजान दो प्लेट बिरयानी और मटन कोरमा दे दिजिये। …बिटिया यही बैठोगी या
घर के लिये पैक कर दूँ? …यहीं बैठ कर खायेंगें। क्यों समीर? मैने जल्दी से सिर हिला
दिया था।
एक टूटी हुई बेन्च
पर प्लेट लगा कर वह बूढ़ा वहाँ से हट गया। हम दोनो खाना खाने मे जुट गये थे। …साहिबा
अगर तुमको किसी ने पहचान लिया तो क्या होगा? …तुम हो न। कह देना की बीवी है बस साहिबा
से शक्ल मिलती है। उसकी आँखें मे शरारत झलक रही थी। …साहिबा क्या कभी किसी ने कहा है
कि तुम्हारी आँखें बोलती है। खाते-खाते उसका हाथ रुक गया था और वह कुछ पल मेरी ओर देख
कर धीरे से बोली… संघर्ष के दिनो मे एक दोस्त ने एक बार ऐसा कहा था। उसकी दिल की पीड़ा
एक क्षण मे उसकी आँखों मे झलक आयी थी। …फिर क्या हुआ? वह धीरे से सिर झटक कर बोली…
होना क्या था वह एक रोल के लालच मे किसी और का हो गया। इतना बोल कर वह खाना खाने मे
जुट गयी थी। खाना समाप्त करने के बाद वह बोली… मेरे होटल या तुम्हारे होटल? …कहीं और
चलते है। ऐसी जगह चलो जहाँ पुराना सब कुछ देर के लिये भूला जा सके। वह अचानक मुस्कुरा
कर बोली… ओह मै ही अकेली चोट खायी हुई नहीं हूँ बल्कि कोई और भी है। तुम्हें एक जगह
लेकर चलती हूँ जहाँ तुम सब कुछ भूल जाओगे। हम वापिस कार मे बैठे और एक दिशा मे चल दिये
थे।
इस्लामाबाद शहर के
बाहरी हिस्से पर नदी पर बने हुए पुल के पास सड़क से कार उतार कर खड़ी करके वह बोली… आओ
मेरे साथ। मै उसके साथ चल दिया। ठंडी रात मे टहलते हुए भी काफी अच्छा लग रहा था। नदी
के किनारे एक बड़ी सी चट्टान पर हम दोनो जाकर बैठ गये थे। एक ओर पानी का शोर और रात्री
की शांति के साथ आसमान मे चन्द्रमा और झिलमिलाते हुए तारे सब कुछ मिल कर एक रुमानी
वातावरण बना रहे थे। …क्या पहले भी कभी यहाँ आयी हो? …यह मेरा निजि स्थान है। जब भी
मै विचलित होती हूँ तब कराँची से यहाँ आ जाती हूँ। अपने मन को शांत करने के लिये कुछ
समय यहाँ बिता कर वापिस चली जाती हूँ। …साहिबा तुम कराँची मे रहती हो? …हाँ। हमारी
फिल्म इंडस्ट्री वहाँ पर स्थित है। सारे टीवी ड्रामों की शूटिंग वहीं होती है। …तुम
इस काम कैसे चली आयी? अचानक वह मेरी ओर मुड़ कर बोली… हम यहाँ अपना अतीत भूलने के लिये
आये है और तुम उसे बार-बार कुरेदने की कोशिश कर रहे हो। …सौरी। चलो भविष्य के बारे
मे बात करते है। …नहीं हम सिर्फ अभी और इस समय की बात करते है। …ओके। एक बार फिर चुप्पी
छा गयी थी। हम दोनो अपने अतीत से पीछा छुड़ाने मे जुट गये थे।
…समीर। …हुँ। …पता
नहीं फिर कभी हमारा मिलना होगा कि नहीं। क्या आज रात को तुम मेरे नहीं हो सकते? …मै
तो तुम्हारे साथ ही हूँ। …ऐसे नहीं। …तो कैसे। वह चट्टान से उतर कर खड़ी हो गयी और मेरे
गले मे बाँहें डाल कर बोली… ऐसे। …ऐसे नहीं। यह कहते हुए मैने उसको अपनी बाँहों मे
जकड़ कर हवा मे उठा लिया और उसके चेहरे को अपने सामने लाकर कहा… ऐसे ठीक है। वह मुस्कुरा
कर बोली… हाँ यह ठीक है। उसका जिस्म मेरी बाँहों मे कुछ पल स्थिर रहा और फिर मचल कर
उसने अपने होंठ मेरी ओर बढ़ा दिये थे। …साहिबा इतना आगे बढ़ने के बाद पीछे लौटना मुश्किल
हो जाएगा। …चुप। इतना बोल कर वह मेरे होठों पर छा गयी। कुछ रुमानी वातावरण और कुछ उसकी
मदहोशी मे हम एक दूसरे मे खो गये थे। मेरे हाथ उसके जिस्म के उतार चड़ाव को नापने मे
जुट गये थे। उसके उभरे हुए उरोज को मैने जैसे ही सहलाया वह खुल कर मस्ती मे झूम गयी
थी। मै उसके जिस्म के साथ निरन्तर छेड़खानी कर रहा था। वह मेरी बाँहों मे कभी मचलती
और कभी तड़प कर दूर होने की असफल कोशिश करती। हम दुनिया को भुला कर एक दूसरे मे खोये
हुए थे कि तभी पुलिस की जीप साईरन बजाती हुई पुल पार करके रुक गयी। साईरन की आवाज ने
हमे वापिस यथार्थ मे ला कर बेदर्दी से पटक दिया था। पुलिस ने टार्च की रौशनी मे पुल
से नीचे नदी के किनारो का मुआईना किया और फिर कार की ओर चले गये। कुछ देर वह आसपास
का मुआईना करने के बाद वापिस चले गये तब हम दोनो हम दोनो चट्टान के पीछे से निकल कर
वापिस सड़क पर आ गये थे।
सुनसान सड़क पर दूर-दूर
तक कोई नहीं दिख रहा था। …समीर, मेरे दोस्त की कार है। पुलिस कोई गड़बड़ तो नहीं करेगी?
…तो तुरन्त अपने दोस्त को खबर करो कि सब कुछ ठीक है। पेट्रोल खत्म होने कारण कार को
वहीं खड़ी करके पेट्रोल लेने गयी थी। मैने जैसा उसे समझाया था उसने फोन पर अपने दोस्त
को वैसा बता दिया था। कुछ देर के बाद हम वापिस मेरियट होटल की दिशा मे जा रहे थे। वह
कार चलाती हुई बोली… समीर, अगर कभी कराँची आओ तो मुझसे जरुर मिलना। …क्या तबरेज के
साथ कल तुम नहीं आओगी? …नहीं। यह प्रोड्युसर्स हमे सिर्फ संपर्क साधने के काम मे इस्तेमाल
करते है। आज तबरेज जनरल फैज से पैसे की बात करने के लिये यहाँ आया था। …क्या जनरल फैज
का काफी पैसा कराँचीवुड लगा हुआ है? …हाँ सब जानते है। मैने तो यहाँ तक सुना है कि
बालीवुड पर भी जनरल फैज की गहरी पकड़ है। …अच्छा। …समीर यह बहुत गन्दी लाईन है। दुनिया
के दिलों पर हम स्टार बनके राज करते है परन्तु असल जिंदगी मे हम इन जैसे लोगों की रखैल
से ज्यादा कुछ भी नहीं है। वह चाहे तो एक मिनट मे हमारी स्टारडम को मिट्टी मे मिला
सकते है। …तुम फिर क्यों ऐसी लाईन मे अभी तक हो? …समीर, कैमरे के सामने खड़ा होने का
अपना ही नशा होता है। एक बार इंसान को इस नशे की लत लग गयी तो उसकी हालत स्मैकियों
और चरसियों से बदतर हो जाती है। मै चुपचाप उसकी बात सुन रहा था लेकिन जनरल फैज और मुंबई
का कनेक्शन सामने आते ही मेरा ध्यान उसकी बातों पर से हट गया था। पाकिस्तान के एक प्रभावशाली
व्यक्ति की नस का मुझे पता चल गया था। अब उसको समय पर दबाने की युक्ति ढूंढने का काम
मेरा था।
साहिबा मुझे मेरियट
होटल के बाहर छोड़ कर वापिस चली गयी थी। मै जब अपने कमरे मे पहुँचा तो नीलोफर जाग रही
थी। मुझे देखते ही वह झपट कर मेरे पास आकर बोली… तुम कहाँ चले गये थे? …तुम जाहिद के
साथ कहाँ गयी थी? वह झेंप कर बोली… तुम्हें किसने बताया? …कौन है यह जाहिद? …पश्तून
नेता है। अफगान तालिबान मे उसकी बहुत मजबूत पकड़ है। उसको अपनी मुहिम चलाने के लिये
पैसों की जरुरत है। इसी सिलसिले मे उससे बात करने गयी थी। अब तुम बताओ कि इतनी देर
तक तुम कहाँ थे? …साहिबा, मुझे इस्लामाबाद घुमाने ले गयी थी। …इन फिल्म वालों के चक्कर
मे मत पड़ना। इस लाईन पर आईएसआई की पकड़ बहुत मजबूत है। …मुझे पता है। अब हमे यह सोचना
है कि फिल्म इंडस्ट्री की नस कहाँ पर और किसके पास है।
हमेशा की तरह सोने
से पहले मैने अपना सेटफोन निकाल कर चेक किया परन्तु कोई नया मेसेज नहीं था।
बहुत ही अच्छा अंक था समीर का बड़े बड़े पार्टियों में जाने का पहला अनुभव बहुत ही यादगार रहेगा 😀। बहुत सारे नकाब धारी लोगों के भी थोड़ी बहुत परिचय हुआ मगर कौन इस सतरंज के धुरंधर खिलाड़ी है या फिर सब के सब प्यादे हैं यह तो वक्त बताएगा। मगर अंजली के चले जाने से समीर का दिल जीतना खाली पन से भरा हुआ है यह उसकी एक झलक मैसेज पढ़ने को तरसते हुए देखकर पता चलता है।
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