रविवार, 2 जून 2024

  

शह और मात-4

 

अगली सुबह मेरे लिये चुनौती भरी थी। नाश्ता भी नहीं कर सका था कि रिसेप्शन ने खबर दी कि अजमल करीम साहब मिलने आये है। मै और नीलोफर रिसेप्शन पर अजमल से मिलने चले गये थे। हमे देखते ही वह बड़ी बेबाकी से मिला जैसे हमारे साथ उसके बहुत पुराने संबन्ध है। …अजमल साहब रेस्त्रां मे बैठ कर आराम से बात हो जाएगी। …नहीं जनाब। यहीं बैठ कर बात कर लेते है। आप बताईये कि चार करोड़ के लिये मुझे क्या करना होगा? …आपको कैश चाहिये या बैंक ट्रांस्फर? …जनाब मै चार करोड़ रुपये कहाँ लेकर जाऊँगा। आप तो शिपिंग कंपनी के नाम बैंक ट्रांस्फर करवा देंगें तो माल आज ही छूट जाएगा। मैने नीलोफर की ओर देख कर पूछा… जानेमन क्या अजमल साहब से किसी की गारन्टी लेने की जरुरत है? …यह बात तो आपको सोचना है। …क्या आप लखवी साहब की गारन्टी दिलवा सकते है? …हाँ क्यों नही। अभी लिजिये। उसने तुरन्त अपना फोन उठा कर किसी से दबी आवाज मे बात करके नीलोफर से बोला… आपके तायाजी कुछ देर मे आपको फोन करके कह देंगें। …नीलोफर इनसे कंपनी का नाम और बाकी डिटेल्स लेकर अपने बैंक को चार करोड़ रुपये ट्रांस्फर करने के लिये कह देना। …जहेनसीब समीर साहब। आपसे मिल कर दिल खुश हो गया। कभी हमे भी मेजबानी का मौका दिजियेगा। …पैसा ट्रांस्फर होते ही मै आपको खबर कर दूंगी। इतनी बात करके वह चला गया था। …यह पैसा लौटाएगा भी कि नहीं? …समीर, अगर तायाजी इसकी गारन्टी लेते है तो यह पैसा हर हाल मे लौटाएगा। …ठीक है। तुम चार करोड़ उनसे बात करने के बाद ट्रांस्फर कर देना।

अजमल को रुखसत करने के बाद जब तक हम वापिस कमरे मे पहुँचे कि एक बार फिर रिसेप्शन से खबर मिली कि तबरेज अली मिलने आये है। …नीलोफर, इसको साहिबा ने मिलाया था। …क्या मांग रहा है? …सत्तर लाख। …साहिबा के लिये यह कोई खास रकम नहीं है। इससे मिलने मे भी कोई हर्ज नहीं है। …तुम चलोगी? …नहीं इसे तुम डील करो। मै तब तक अनवर रियाज से बात करके समय तय कर लेती हूँ। मै उठ कर रिसेप्शन पर चला गया था। तबरेज अली एक सोफे पर बैठा हुआ मेरा इंतजार कर रहा था। मुझे देखते ही उसने उठ कर सलाम किया और फिर चुपचाप मेरे सामने आकर बैठ गया। मैने अपनी नजरे इधर-उधर घुमा कर पूछा… आपके साथ साहिबा नहीं आयी? …जनाब, वह तो शूटिंग मे व्यस्त है तो आपसे बात करने के लिये मै चला आया। …तबरेज भाई, क्या मै आपको जानता हूँ? उसने चौंक कर मेरी ओर देखा तो अबकी बार मैने बड़े साफ लफ्जों मे कहा… मै साहिबा को जानता हूँ। आपको जो भी बात करनी है वह साहिबा के बिना नहीं हो सकती। उसको अपना बनाने के लिये तो पैसे इस काम मे लगा रहा हूँ वर्ना तो मै आपकी लाईन की ओर देखता भी नहीं हूँ। …नहीं जनाब आप मुझे गलत समझ रहे है। मैने उठते हुए कहा… तबरेज साहब मैने आपको कल भी कहा था कि मेरा वक्त बहुत कीमती है। मै बेकार की बातों मे अपना वक्त जाया नहीं करता। अच्छा खुदा हाफिज। इतना बोल कर मै लिफ्ट की ओर निकल गया था।

कमरे मे प्रवेश करते ही नीलोफर ने पूछा… क्या हुआ? …कुछ नहीं। मैने उसे बैरंग वापिस भेज दिया। क्या तुम्हारी अनवर रियाज से बात हुई? …हाँ बात हो गयी। वह शाम को आने की बात कर रहा था। …ठीक है। …लेकिन मैने उसे मना कर दिया। मैने चौंक कर कहा… क्यों? …क्योंकि आज हमे एक और पार्टी मे जाना है। इस पार्टी मे तुम्हें कुछ सियासी लोगों से मिलवाऊँगी। यह कल की पार्टी जैसी नहीं होगी। यहाँ सियासी जमात का असली चेहरा देखने को मिलेगा। मैने मन मार कर कहा… ठीक है। लेकिन अनवर रियाज का क्या करोगी? …दो बजे उसके आफिस चलेंगें। …कोई मुजफराबाद से खबर मिली? …उसकी तो कोई खबर नहीं मिली परन्तु बस इतना पता चला है कि पिछले महीने पीरजादा मीरवायज पेशावर मे था। …अंजली यहाँ है लेकिन कहाँ है इसका पता नहीं चल रहा है। …समीर, तुम जिसकी बात कर रहे हो उसका पता लगाना इतना आसान भी नहीं है। फिर कमरे मे खामोशी छा गयी थी। शायद हम दोनो ही अंजली के बारे मे सोच रहे थे।

…समीर मै शापिंग आर्केड मे जा रही हूँ। कल के कपड़ों और ज्वैलरी का हिसाब करके आज के लिये आर्डर देकर कुछ देर मे आती हूँ।। इतना बोल कर वह कमरे से बाहर चली गयी थी। मैने बैग से अपना सेट्फोन निकाल कर आन किया और नेटवर्क से कनेक्ट होते ही दो संदेश डिस्पले पर उदित हो गये थे। मैने जल्दी से पहला संदेश पढ़ा… काफ़िरों की दोजख मे इजाजत नहीं है तो बिना बताये यहाँ आना पड़ा।  मैने जल्दी से दूसरा संदेश खोला तो उसमे लिखा था… आपकी नाराजगी मे भी मोहब्बत छिपी है। आई मिस यू।  दो चार बार उसका संदेश पढ़ने के बाद मैने लिखा… उम्मीद करता हूँ कि दोनो बच्चे स्वस्थ और खुशहाल है। आई मिस यू टू।  मेसेज भेज कर एक बार फिर से फोन आफ करके मैने अपने बैग मे रख दिया था। अंजली का संदेश देख कर हमेशा एक बैचेनी सी महसूस करता था। मै जानता था कि मेरे लाख कहने पर भी वह मुझसे तब तक नहीं मिलेगी जब तक वह खुद मुझसे मिलना नहीं चाहेगी। मै उसके बारे मे सोच रहा था कि एक बार फिर से रिसेप्शन ने बताया कि तबरेज अली मिलने आये है। एक बार फिर मै नीचे रिसेप्शन एरिया मे तबरेज से मिलने चला गया था।

तबरेज अली अभी भी अकेला बैठा हुआ देख कर मै वहीं से वापिस चल दिया। तब तक तबरेज अली ने मुझे लिफ्ट से बाहर निकलते हुए देख लिया था। वह तेजी से मेरी ओर बढ़ा और मेरा हाथ पकड़ कर रोकते हुए बोला… समीर भाई, साहिबा मेरे साथ आयी है। प्लीज उसे दो मिनट दिजिये। मै चलते-चलते वहीं पर रुक कर बोला… मै साहिबा को दो मिनट दे सकता हूँ लेकिन तुम्हें नहीं। तभी साहिबा हिजाब से अपना चेहरा ढके दूर से आती हुई दिखी तो मै उसकी ओर चला गया। …मुझ से मिलने के लिये तुमने इन्हें मजबूर कर दिया? मैने मुस्कुरा कर कहा… तुम्हारे लिये तो तबरेज क्या मै तो पूरी फिल्म इंडस्ट्री को हिला देता। वह खिलखिला कर हँसी और तबरेज अली से बोली… क्या आपको खड़े-खड़े बात करनी है? चलिये काफी शाप मे बैठ कर बात करते है। तबरेज अली जल्दी से बोला… जी बिलकुल। आईये समीर साहब। हम तीनो काफी शाप की दिशा मे चल दिये थे। तभी साहिबा ने चलते हुए मेरे हाथ को धीरे से पकड़ कर दबी आवाज मे कहा… क्यों बेचारे को परेशान कर रहे हो? मैने कुछ नहीं कहा बस धीरे से उसका हाथ दबा कर आगे बढ़ गया था।

काफी शाप मे साहिबा मेरे साथ बैठते हुए बोली… आप इनकी मदद करना चाहे तो किजिये परन्तु मेरे कारण अगर आप इनकी मदद कर रहे है तो इसकी जरुरत नहीं है। …साहिबा, तुम यह क्या बोल रही हो। तबरेज अली बैठते-बैठते उठ कर खड़ा हो गया था। …आपने मुझे इनसे मिलवाने के लिये कहा था। मैने आपको मिलवा दिया लेकिन हमारे बीच पैसों की कोई बात नहीं हुई थी। तबरेज अली ने घूर कर साहिबा को देखा और फिर मेरी ओर देख कर मुस्कुरा कर बोला… साहिबा खफा है। प्लीज इसकी बात को सिरियसली मत लिजियेगा। …पहले काफी का आर्डर दिजिये। तबरेज अली फौरन आर्डर देने के लिये वेटर से उलझ गया और मैने आँखों के इशारे से साहिबा से पूछा कि क्या चक्कर है तो उसकी मुस्कुराहट हिजाब के पीछे भी छिप नहीं सकी थी। काफी आने के बाद मैने पूछा… आपको पैसों की जरुरत है या स्पानसर चाहिये? तबरेज अली एक पल के लिये मेरे सवाल मे उलझ गया था। अबकी बार मैने बड़े साफ शब्दों मे समझाते हुए कहा… देखिये जब मै पैसे लगाता हूँ तो मुझे कमाई के बारे मे सोचना पड़ता है। कितने समय तक मेरा पैसा उलझा रहेगा और उस निवेश मे कमाई की कितनी संभावना है। ऐसे कुछ सवालों के जवाब मुझे आपसे पहले चाहिये। स्पान्सरशिप के लिये मै किसी भी कंपनी को बोल सकता हूँ। अब आप बताईये कि आप क्या चाहते है? तबरेज अली कुछ देर सोच कर बोला… जनाब, स्पान्सरशिप के लिये मुझे एक बार फिर से लोगों के आगे गुहार लगानी पड़ेगी और फिर से मुझे अपने ड्रामे की अदाकारों को उन लोगों के सामने परोसना पड़ेगा। आप तो पैसो की बात किजिये। मै सामने बैठे तबरेज का चेहरा देखता रह गया था।

काफी पीने के लिये साहिबा का हिजाब भी चेहरे से हट गया था। जिस बेशर्मी से तबरेज अली ने बोला था उसको सुन कर साहिबा का चेहरा लाल हो गया था। वह कुछ करती उससे पहले मैने मेज की आड़ मे उसका हाथ पकड़ कर दबाते हुए कहा… अगर मै आपका मतलब सही समझा हूँ तो इसका मतलब यही हुआ कि आपने पैसों के लिये साहिबा को मेरे सामने परोसा था। अब उसके चेहरे से शराफत का नकाब उतर गया था। वह मुस्कुरा कर बोला… जनाब मैने क्या गलत बोल दिया। साहिबा की खातिर आप यहाँ बैठ कर मुझे सुन रहे है। सत्तर लाख मे साहिबा जैसी खूबसूरत अदाकारा जो करोड़ों दिलो की धड़कन है उसको मैने आपके पहलू मे बिठा दिया तो यह सौदा आपके हक मे हुआ है। अपने गुस्से को बड़ी मुश्किल से नियन्त्रण मे रखते हुए मैने कहा… आपने ठीक कहा है। यह सौदा तो मेरे हक मे हुआ है। मैने साहिबा की ओर मुड़ कर कहा… तुम ऐसे दलालों को कैसे बर्दाश्त करती हो। अपमान और शर्म से उसकी आँखें डबडबा गयी थी। मै कुछ और जलील करता तभी नीलोफर की आवाज मेरे कान मे पड़ी… तुम यहाँ बैठे हुए हो और मै तुम्हें इधर-उधर तलाश कर रही हूँ। साहिबा को देख कर वह चौंकते हुए बोली… अरे इनको क्या हुआ? मैने अभी भी साहिबा का हाथ पकड़ रखा था। एक झटके से अपना हाथ छुड़ा कर वह बोली… यह मुझे यहाँ बेचने आये है। तुम्हारे खाविन्द खरीदार है। फिलहाल इनके बीच मोल भाव चल रहा है। नीलोफर ने उसको अनसुना करके जल्दी से कहा… तायाजी से बात हो गयी है। उसको बैंक ट्रांस्फर किस अकाउन्ट से करुँ? …मेरे अकाउन्ट से चार करोड़ रुपये ट्रांस्फर कर दो। उसने मेरी चेकबुक आगे कर दी थी। मैने जल्दी से चेक पर साइन करके उसकी ओर बढ़ा कर कहा… अपने आप भर लेना क्योंकि बैंक की कमीशन का मुझे पता नहीं है। नीलोफर चेकबुक उठा कर चलने लगी तो मैने जल्दी से कहा… चेक बुक मेरे पास छोड़ दो। उसने चेक निकाल कर चेकबुक मुझे पकड़ाते हुए कहा… इनकी कीमत लगाते हुए सोच लेना कि मै इनकी बहुत बड़ी फैन हूँ।  बस इतना बोल कर वह चली गयी थी।

…तबरेज मियाँ, इनके लिये सत्तर लाख कैश चाहिये या मेरा चेक चलेगा? वह खीसे निपोरता हुआ बोला… समीर साहब इस लाईन मे कैश चलता है। …मै जो भी काम करता हूँ वह बैंक के द्वारा करता हूँ। मेरे पास न तो कोई काली कमाई का स्त्रोत है और न ही नकली नोट बनाने का कारखाना है। मै आपके नाम से चेक काट के दे देता हूँ। आप किसी भी अमेरिकन बैंक की शाखा मे जाकर कैश निकाल सकते है। …जनाब मेरे लिये थोड़ी मुश्किल हो जाएगी। क्या आप कुछ देर रुक सकते है। मै अभी बात करके बताता हूँ। इतना बोल कर वह काफी शाप के बाहर निकल गया था। …अब तुम भी मुझे जलील कर लो। साहिबा मुझे घूर कर देखते हुए बोली… कौन किसको जलील कर रहा है? बोलते हुए उसका चेहरा गुस्से से तमतमा रहा था। …बस इतना बता दो कि तुम्हारे इस नशे का कोई डिएडिक्शन कोर्स है? …सिर्फ मौत है। …साहिबा एक तरीका मेरे पास है। तुम अगर मुझे अपना मानो तो मै बता सकता हूँ। इतनी देर मे पहली बार उसकी आँखों मे उत्सुक्ता के भाव उभरे थे। जब मैने कुछ नही कहा तो वह धीरे से बोली… अब बोलिये भी। …क्या मुझे अपना मानती हो? …नहीं। एक बार फिर चुप्पी छा गयी थी। तभी तबरेज लौट कर बोला… समीर साहब, आप सत्तर लाख का चेक एजाज कम्युनिकेशन्स के नाम पर दे दिजिये। मै उनसे कैश ले लूँगा …साहिबा की रसीद आप देंगें या एजाज कम्युनिकेशन्स देगी? …क्या मतलब आपका? …साहिबा को सत्तर लाख मे आप बेचने आये थे तो इसकी पावती रसीद कौन देगा। …आप कैसी बात कर रहे है। …तबरेज मियाँ आप अपना सामान मुझे बेच रहे है और मै पैसे दे रहा हूँ तो इसकी रसीद कौन देगा? साहिबा एकाएक उठ कर खड़ी हो गयी और मुझसे बोली… आपके रुम मे चलिये। मै आपको वहाँ रसीद दूँगी लेकिन पहले इस कचरे को यहाँ से हटा दिजिये।

पहली बार सबके सामने उसका हाथ पकड़ कर जबरदस्ती बैठा कर मै बोला… तबरेज मियाँ अब मेरी बात ध्यान से सुन लिजिये। आपके अगले दस एपीसोड के लिये सत्तर लाख रुपये मै साहिबा के अकाउन्ट मे ट्रांस्फर कर रहा हूँ। साहिबा इसको एक भी पैसा देने से पहले एक कानूनी करारनामा बनवा लेना जिसमे दूरियाँ ड्रामा की कमाई के आधे हिस्से पर तुम्हारा अधिकार होगा। साहिबा मेरी शक्ल देखती रह गयी थी। तबरेज जल्दी से बोला… भाईजान यह तो सरासर बेइमानी है। मैने पहले जो पैसा लगाया है तो उसकी भरपाई कैसे होगी? …तबरेज मियाँ अब साहिबा के पास सत्तर लाख रुपये है। तुम्हें सोचना है कि साहिबा के साथ एपीसोड पूरा करना है या फिर किसी और के आगे हाथ फैला कर पैसे का इंतजाम करोगे। अब साहिबा को भी किसी के आगे नहीं परोस सकोगे। इतना बोल कर मैने जल्दी से सत्तर लाख का चेक बना कर साहिबा के हाथ मे थमा कर चलने के लिये खड़ा हो गया। अबकी बार साहिबा मेरा हाथ पकड़ कर रोक कर बोली… क्या इसकी पावती रसीद नहीं चाहिये। मैने अपना हाथ धीरे से छुड़ा कर कहा… गैरों से पावती रसीद मांगी जाती है अपनो से नहीं। बस इतना बोल कर मै अपने कमरे की ओर चल दिया था।

लिफ्ट मे मुझे नीलोफर मिल गयी थी। …उनको पैसे दे दिये? …तुमने पैसे ट्रांस्फर कर दिये? …हाँ। अब उसके बारे मे बताओ। …मुझे एजाज कम्युनिकेशन्स के बारे मे जानकारी चाहिये। …यह कौन है। …अंधेरे मे तीर मारा है। पता नहीं निशाने पर लगता है कि नहीं। दूरियाँ का प्रोड्युसर इस कंपनी के नाम चेक देने की बात कर रहा था। वह कंपनी उसके बदले मे नगद पैसे दे रही थी। अगर नकली नोट के वितरण की एक भी पाइपलाइन का पता लग गया तो समझ लेना कि जनरल फैज की नस हमारे हाथ मे होगी। …आसिफ मुनीर ने पेपर्स भिजवा दिये है। एक बार पढ़ कर देख लो। वह इलेक्ट्रानिक्स फैक्टरी की जमीन और मशीनों के साथ एक मकान को सिक्युरिटी के रुप मे रहन रख रहे है। …एक बार देख कर फिर बताऊँगा। तब तक हम दोनो बात करते हुए कमरे मे आ गये थे। …समीर जल्दी से तैयार हो जाओ। हमे रियाज साहब के पास दो बजे तक पहुँचना है। एक नजर घड़ी पर डाल कर हम दोनो अगली मीटिंग की तैयारी मे जुट गये थे।

ठीक दो बजे हम एक आलीशान इमारत के सामने कार से उतर रहे थे। नीलोफर अपने पुराने अंदाज मे कामुकता की छ्टा बिखेरते हुए मेरे साथ चल रही थी। …इतना बनने संवरने की जरुरत क्या थी? …मुझे जलने की महक आ रही है। मैने चुप रहना बेहतर समझा और उसके साथ अनवर रियाज के आफिस की ओर चल दिया। एक नाजनीन द्वार पर हमारा पहले से ही इंतजार कर रही थी। बड़े अदब से उसने स्वागत किया और फिर हमे लेकर अनवर रियाज के कमरे मे चली गयी थी। हमे देखते ही अनवर रियाज खड़ा हो गया… आईये समीर साहब। मै आपका ही इंतजार कर रहा था। हम दोनो सोफे पर पसर गये और फिर मैने कहा… रियाज साहब अब डीएचए के प्रोजेक्ट के बारे मे बात कर लेते है। वह हमारे सामने आकर बैठ गया। …पूरा प्रोजेक्ट सौ करोड़ रुपये का है। काम शुरु करने के लिये बीस करोड़ की जरुरत है। छह महीने मे आपका पैसा वापिस मिल जाएगा। आप अपनी ब्याज की दर बताईये। …छ्ह महीने के लिये दो टका  ब्याज। …कुछ कम नहीं हो सकता? …अगर इससे कम ब्याज पर आपको पैसा मिलता है तो मुझे सौ करोड़ दिलवा दिजिये। यह फौज का काम है और जनरल रहमत ने कहा है तो ब्याज दो टके लगाया है अन्यथा बिना गारंटी के यही चार-छह टके का हो गया होता। …समीर साहब आपकी साफगोई मुझे पसन्द आयी है। आप तो जानते है कि इस प्रोजेक्ट मे अंतिम निर्णय मेरा नहीं है। मै उनसे बात करके कल तक आपको बता दूँगा। …आपको यह पैसा व्हाईट मे चाहिये या ब्लैक मे चाहिये। …जनाब, यह पैसा हमे व्हाईट मे चाहिये। ब्लैक के लिये तो हमारे पास बहुत से दूसरे सोर्स है। इतनी बात करके नीलोफर कल की पार्टी के बारे मे चर्चा करने बैठ गयी थी।

फिल्मी हस्तियों की जैसे ही बात आयी तो मैने पूछ लिया… क्या आपने एजाज कम्युनिकेशन्स का नाम सुना है? …जनाब इस कंपनी को पाकिस्तान मे कौन नहीं जानता। यही कंपनी सारे सरकारी व गैर सरकारी विज्ञापन के काम को देखती है। इस कंपनी को पीछे से फौजी फाऊन्डेशन चलाती है। …इस कंपनी का मालिक कौन है? रियाज को इतनी देर मे पहली बार झिझकते हुए देखा था। …आपको इससे क्या काम है? …कोई खास काम नहीं है। कल आपकी पार्टी मे किसी ने जिक्र किया था कि उनके पैनल मे पाकिस्तान के सबसे खूबसूरत चेहरे होते है। मै सोच रहा था कि वैसे तो कोई मुझे घास नहीं डालेगी तो क्यों न एजाज कम्युनिकेशन्स मे कुछ पैसा लगाया जाये। अनवर रियाज खिलखिला कर हँस कर बोला… मेरी बात मानिये कि नीलोफर से बेहतर उनके पास कोई चेहरा नहीं है। …रियाज साहब, आपकी जर्रनावाजी है। मै बेवजह इनकी मोहब्बत मे पड़ कर इनके घर मे दाल बराबर बन कर रह गयी हूँ। कमरा ठहाकों से गूंज उठा था। कुछ देर बैठ कर हमने विदा ली और वापिस अपने होटल की ओर चल दिये। …क्या लगता है कि वह तैयार हो जाएँगें? …नीलोफर, व्हाईट के बीस करोड़ मे वह अस्सी करोड़ की काली कमाई खपाने की योजना बना रहे है। कार से उतर कर जैसे ही हमने होटल मे प्रवेश किया तो रिसेप्शन पर साहिबा अकेली बैठी हुई थी। मुझे देखते ही वह उठ कर मेरे पास आकर बोली… मुझे कुछ बात करनी है। नीलोफर एक नजर उस पर डाल कर आगे बढ़ते हुए बोली… समीर, तुम आठ बजे तक फ्री हो जाना क्योंकि नौ बजे एक पार्टी मे चलना है। इतना बोल कर वह कमरे मे चली गयी और मै साहिबा के साथ होटल के बाहर निकल गया था।

होटल के पोर्च मे खड़े हुए वेलेट के पास पहुँच कर मैने पूछा… अब बताओ कहाँ चलना है? …हिल्टन हिल्स। मुझे कहने की जरुरत नहीं पड़ी क्योंकि वेलेट ने तुरन्त इशारे से एक टैक्सी को बुला लिया था। कुछ ही देर मे हम हिल्टन हिल्स नामक गेस्ट हाउस के सामने पहुँच गये थे। …चलिये। मै उसके साथ हो लिया था। तीसरी मंजिल पर उसका आलीशान कमरा देख कर मैने कुछ कहना चाहा लेकिन उससे पहले वह बोली… इस्लामाबाद मे यह मेरा स्थायी कमरा है। वह आगे बढ़ते हुए बोली… क्या पियोगे? …आज तुम्हें पीने आया हूँ। अचानक वह असहज होकर दो कदम पीछे हट गयी थी। …क्या हुआ? …मै यहाँ बात करने के लिये आयी हूँ। …मै किसी और उद्देश्य से यहाँ आया हूँ। उसकी आँखें और उसका चेहरा उसकी घबराहट और तनाव को साफ दर्शा रहे थे। एकाएक वह मेरी ओर आयी और अपने पर्स से मेरा चेक निकाल कर फाड़ने के पश्चात उसके टुकड़े मुझे थमा कर मेरे करीब आकर बोली… अब बताओ क्या पियोगे? एक कदम पीछे हटते हुए मैने कहा… यह चेक क्यों फाड़ दिया? …मुझे पैसों के लिये तुम्हारा साथ नहीं चाहिये। वह बोलते हुए मेरे काफी करीब आ गयी थी। शायद यहीं पर मुझसे गलती हो गयी थी। हमारी नजरें एक पल के लिये मिली और मै उसकी आखों की गहरायी मे डूबता चला गया था।

पहले वाली बिन्दास छवि के बजाय अब वह सकुचायी सी मेरे सामने खड़ी हुई थी। साहिबा का सिर और चेहरा झीने से हिजाब से ढका हुआ था। चटख गुलाबी रंग का शनील का ढीला सा कुर्ता और मैचिंग शलवार पहने हुए वह छुईमुई सी लग रही थी। पहली बार एक नजर मैने उसे सिर से पाँव तक गौर से देखा था। मेरी नजर उसके पांव पर जाकर अटक गयी थी। दूध से सफेद उसके पाँव और उसकी सैन्डल की स्ट्रेप का पँजे पर कसाव से किनारे पर लाली उभर यी थी। उसकी नाजुक काया को देख कर मेरा मन रोमांचित हो रहा था। मैने महसूस किया कि उत्तेजना मे हम दोनो की सांसे तेज हो गयी थी। मैने उसके हिजाब को धीरे से खोलते हुए कहा… इतनी खूबसूरत हो लेकिन फिर भी ढकी छिपी रहती हो। …यही तो हम अदाकारों की सुरक्षा कवच है। उसके बालों मे लगी हुई पिन को जैसे ही मैने निकाला तो उसके बाल लहरा कर कमर तक आ गये थे। उसकी कमर मे अपना हाथ डाल कर अपनी ओर खींच कर सीने से लगा कर बोला… साहिबा। अपनी उँगली मेरे होठों पर रख कर बोली… आप तो मेरी आँखें पढ़ लेते है तो बताईये मै क्या चाह रही हूँ। उसे अपने साथ बेड पर बिठा कर आँखों मे झाँक कर मैने कहा… वही जो मै चाहता हूँ। अबकी बार वह मुस्कुरा कर बोली… मै क्या जानू कि तुम क्या चाहते है?

मैने धीरे से सहारा देते हुए उसे बेड पर लिटा कर धीरे से उसके गुलाबी गालों को चूम कर कहा… ठीक है। तुम्हारे कान मे बताता हूँ कि मै क्या चाहता हूँ। यह बोलते हुए उसके गालों पर अपने होंठ रगड़ते हुए कहा… बस एक बार तुम्हारा दीदार करना चाहता हूँ। इससे पहले वह कुछ बोलती मेरे होंठ उसके होंठ से जुड़ गये। उसने मेरे होंठों का अपने होंठ खोल कर स्वागत किया। कुछ देर की जद्दोजहद के बाद जब हम अलग हुए तो उसके होंठ लाल सुर्ख हो गये थे और गुलाबी गालों पर लालिमा छा गयी थी। कनपटी उत्तेजना से दहक रही थी। साहिबा वाकई मे बेहद नाजुक लड़की थी। मेरे होंठ उसके जिस अंग पर टिकते वहीं एक लाल निशान छूट जाता था। उसके गले पर भी एक दो जगह मेरे होंठों की मौहर साफ दिख रही थी। वह मदमस्त हो कर बेड पर मेरे से उलझी पड़ी हुई थी।

उसके कुर्ते की चिकनाई की वजह से मेरे हाथ उसके पूरे जिस्म पर फिसल रहे थे। अचानक मेरा हाथ उसके कुर्ते की जिप मे अटक गया था। उसके होंठों का रस सोखते हुए मैने धीरे से उसकी जिप को नीचे करते हुए कहा… अब पर्दा हटने का वक्त आ गया है। वह चिहुंक उठते हुए बोली… नहीं। लेकिन तब तक सकी पीठ पर कपड़ा हट चुका था। मैने जैसे ही अपने होंठ उसकी नग्न पीठ पर टिकाये तो उसके मुख से एक उत्तेजना से भरी सिस्कारी छूट गयी थी। वह मेरी पकड़ मे मचली लेकिन मै कभी उसके कान को चूमता और कभी गले पर और कभी पीठ पर अपने गर्म होंठों को रगड़ कर उसके जिस्म मे आग भरने की कोशिश करता। वह बेहाल हो कर तड़पती और मेरी गिरफ्त से छूटने के लिये कसमसाती। वह जितना बल खाती उसके जिस्म मे उसी वेग से कामाग्नि भड़कती जा रही थी। मेरे हाथ उसकी बगल से निकल कर उसके उन्नत कलश और उसके शिखरों को अपने काबू मे किये हुए थे।

कामक्रीड़ा का खेल शुरु होने का बिगुल बज गया था। अभी तक मै पहल कर रहा था और वह निरन्तर मेरे वारों से बचने की चेष्टा कर रही थी। अब वह पूरे जोश के साथ मेरा साथ दे रही थी। मैने उसके कुर्ते के एक सिरे को पकड़ कर उतारने के लिए उठाया तो उसने मुझे रोक कर अपनी कमर के हुक खोल कर हाथ उपर उठा दिये थे। पल भर मे उसका कुर्ता जमीन पर पड़ा हुआ था। मेरा हाथ जैसे ही उसकी शलवार के कमरबंद की ओर गया उसने मेरा हाथ कस कर पकड़ लिया था। मैने जबरदस्ती उसके कमरबंद पर बंधे हुए नाड़े को पकड़ कर एक झटका दिया तो वह भी खुल कर ढीला हो गया था। एक बार फिर हम एक दूसरे से उलझ गये थे। हल्की सी सरसराहट की आवाज के साथ मेरा एक पाँव उसकी शलवार मे उलझ गया था। कामोउत्तेजनावश उसका ध्यान उस ओर नहीं गया परन्तु उसकी शलवार घुटनों मे फँस गयी थी। आहिस्ता से मैने अपना पाँव सीधा किया और उसकी शलवार पल भर मे उसकी एड़ी से निकल कर दूर हो गयी थी। मै उस पर से हट गया और एक नजर बिस्तर पर बल खाते हुए जिस्म को अपने जहन मे बिठाने मे जुट गया।

बेदाग संगमरमरी यौवन से गदराया हुआ दुधिया सिन्दुरी रंग का जिस्म, पतली कमर और फैलते हुए कूल्हें, गोल पुष्ट नितंब और केले सी चिकनी टाँगे  जिसको को देख कर मेरे मुख से एक ठंडी आह निकल गयी थी। उसकी यौवन से दमकती हुई मखमली त्वचा मेरे सामने थी। सीने के पुष्ट उभार पतली सी महीन जाली से आधे से ज्यादा बाहर निकल रहे थे। वैसी ही त्रिभुज आकार की जाली ने कटिप्रदेश को ढक रहा था। मेरी आँखों से जाली का गीलापन छिप नहीं सका था। इसमे कोई शक नही था कि साहिबा भी कामोउत्तेजना मे जल रही थी। वह आँख मूंद कर पड़ी हुई थी परन्तु वह जानती थी कि मेरी निगाहें उसके अंग-अंग का निरीक्षण कर रही थी। वह कामुकता से परिपूर्ण अप्सरा सी लग रही थी। मेरी नजर पहले उसके सीने की जाली पर जा कर अटक गयी थी। गुलाबी स्तनाग्र उत्तेजना से खड़े हुये थे। मेरी निगाह फिसल कर कटिप्रदेश पर जा कर टिक गयी थी। उत्तेजना से मै भी जल रहा था। मैने उसके नग्न जिस्म को धीरे से सहलाते हुए कहा… साहिबा तुम बहुत सुन्दर हो। आज मुझे अपनी किस्मत पर रश्क हो रहा है। अब मेरे दिमाग मे बस लक्ष्य भेदने की चाह बची थी।

उसके नाजुक जिस्म को अपने प्यार से सींचने के लिए मै अग्रसर हो गया था। आग दोनों ओर बराबर लगी हुई थी। हम दोनों निर्वस्त्र हो कर बेल की तरह हम एक दूसरे से लिपटे हुए एक दूसरे के जिस्म को स्पर्श करते हुए उसकी नाजुकता, कोमलता और कठोरता को महसूस कर रहे थे। मेरी उँगलियाँ और मेरे होंठ उसके जिस्म के पोर-पोर पर अपनी छाप छोड़ कर आगे बढ़ते जा रहे थे। वह कभी मचलती, कभी तड़पती और कभी थरथरा उठती थी। उसका नाजुक कोमल हाथ ने कामपिपासा मे झूमते हुए अजगर को गरदन से पकड़ कर धीरे-धीरे सहलाना आरंभ कर दिया था। उत्तेजना अपने चरम पर पहुँच गयी थी। हम दोंनो अब अभिसार के लिए तैयार हो गये थे। लक्ष्य मेरे सामने था और लक्ष्यभेदन के लिए वह तैयार थी। मैने उसके मचलते हुए जिस्म को स्थिर किया और उसने मेरे पौरुष को अपने स्त्रीत्व के द्वार पर आहिस्ता से घिसते हुए मुझे दिशा दिखाई। उसी क्षण मैने अपनी कमर पर दबाव डालना आरंभ कर दिया। साहिबा के लिये कुछ भी नया नहीं था फिर भी वह अपेक्षा मे स्थिर हो गयी थी। मै उसके जिस्म और स्नायुओं मे तनाव महसूस कर रहा था। अचानक पूरी तेजी से अपनी कमर पर दबाव डालते हुए आगे की ओर धकेला और अगले ही पल सारी बाधाएँ पार करते हुए मै उसमे जड़ तक समा गया था। उसके मुख से एक दबी हुई सीत्कार निकल गयी थी। दो जिस्म अब एक हो गये थे।

मै अपनी राह पर चल पड़ा। कुछ ही देर मे कामुक सीत्कार और सिस्कारियों के साथ तेज चलती हुई साँसे कमरे मे गूंजने लगी थी। हम एक दूसरे के अन्दर भड़कती हुई कामाग्नि को बुझाने के लिए आगे बढ़ते जा रहे थे। चक्रवाती तूफान धीरे-धीरे पूरे वेग मे चुका था। हमारे लिए वक्त थम गया और हम दोनो उस तूफान मे बहते चले गये थे। एक समय आया कि जब साहिबा के मुख से सिस्कारियों की आवाज आनी बन्द हो गयी थी परन्तु उसका कोमल जिस्म तनाव से अकड़ गया था। एकाएक उसके मुख से लम्बी सी उत्तेजना से भरी किलकारी निकली और उसका जिस्म पल भर के लिए ऐंठा और फिर कंपन करते हुए निढाल हो बिस्तर पर लस्त हो कर पड़ गया। मै भी चरम सीमा पर पहुँच चुका था। मैने एक आखिरी और भरपूर वार करते हुए उसकी गहराईयों धंसता चला गया। बहुत देर से उबलता हुआ ज्वालामुखी एकाएक फट पड़ा और पिघलता हुआ लावा उसकी योनि मे बेरोकटोक बहने लगा। उसकी योनि मेरे कामांग को जकड़ कर दोहन करने मे जुट गयी थी। उसके जिस्म के अन्दर होने वाले स्पन्दन और कंपन को मै महसूस कर रहा था। मै भी निढाल हो कर उस पर गिर गया। काफी देर तक हम उसी मुद्रा में पड़े रहे थे। वह धीरे से हिली तो मै उसके उपर से हट कर उसके साथ लेट गया।

दिन के उजाले मे उसका हसीन जिस्म एकाकार की मस्ती मे दमक रहा था। उसके नग्न जिस्म के उतार चड़ाव को मेरी उंगली रेखांकित करते हुए आगे बढ़ी तो वह करवट लेकर मुझसे लिपट गयी। …चेक क्यों फाड़ दिया था। …समीर, तबरेज ने बताया कि अगर तुम्हारे सत्तर लाख एजाज कम्युनिकेशन्स के खाते मे जमा होते तो उसके बदले मे उसे एक करोड़ रुपये नगद मिल जाते। मुझे पैसे देकर तुमने बैठे-बिठाये तबरेज का तीस लाख का नुकसान कर दिया था। …भला ऐसा कौन अहमक होगा जो सत्तर लाख के बदले एक करोड़ देगा? …क्यों तुम्हें व्हाईट और ब्लैक मनी का पता नही? अचानक वह उठ कर बैठते हुए बोली… समीर, तुम्हारे सत्तर लाख व्हाईट के चक्कर मे एजाज कम्युनिकेशन्स सात करोड़ ब्लैक की कमाई को ठिकाने लगा देगी। …मुझे यकीन नहीं हो रहा कि एक कंपनी का ऐसी ब्लैक की कमाई का क्या स्त्रोत हो सकता है? वह कोहनी के बल उठ कर मेरे सीने पर चेहरा रख कर बोली… एजाज कम्युनिकेशन्स को फौजी फाऊन्डेशन के बजाय आईएसआई चलाती है। वह एस्टेब्लिशमेन्ट की प्रोपेगंडा मशीन है। सब जानते है कि यहाँ पर जितने भी अवैध व गैर कानूनी काम होते है उनके पीछे सिर्फ वर्दी है। …तुम फिल्म लाईन से ताल्लुक रखती हो तो तुम्हें पता होगा कि करांची मे कौन लोग फाईनेन्स करते है? …हमारी लाईन मे सबको पता है कि करांचीवुड और बालीवुड मे काफी पैसा आईएसआई के जनरल फैज का लगा हुआ है। उसका सारा पैसा कमाल कुरैशी नाम का दलाल देखता है। वही दलाल करांचीवुड और बालीवुड की उभरती हुई लड़कियों को जनरल फैज के सामने परोसता है। …फिर भी तुम इस लाइन को छोड़ना नहीं चाहती। वह मुस्कुरा कर मेरे होंठों को उँगली से छेड़ते हुए बोली… इस नशे की मारी हूँ तो बताओ मै क्या करुँ।

उसको अपने उपर खींचते हुए मैने पूछा… तुम्हारी तरह की लड़कियाँ इस लाईन मे अपने भविष्य को सुदृड़ करने के लिये क्या करती है? बड़ी बेबाकी के साथ वह बोली… तुम जैसे किसी आदमी को फँसा कर निकाह कर लेती है या फिर उसकी रखैल बन जाती है। उसकी बात सुन कर मै झेंप गया था। वह खिलखिला कर हँसी और फिर संजीदा होकर बोली… डर गये क्या। …साहिबा, तुम क्या चाहती हो? …बिना किसी कमिटमेन्ट के बस मुझे तुम्हारा साथ चाहिये। …तो आगे के एपीसोड कैसे बनेंगें? …पैसों की मेरी जिम्मेदारी नहीं है। …तबरेज तुम्हें फिर किसी के पास जाने के लिये मजबूर करेगा तो फिर क्या करोगी? …पिछले पाँच साल से भी तो इस लाईन मे हूँ तो इसमे नया क्या है? …मै तो नया हूँ। एक ही रात मे बहुत कुछ हमारे रिश्ते मे बहुत फर्क आ गया है। …वर्दी को मना करने की किसी मे हिम्मत नहीं है लेकिन आज जो भी हमारे बीच मे हुआ है वह मेरी मर्जी से हुआ है और इसका मुझे कोई मलाल नहीं है। तुम्हारे सामने मुझे एक्टिंग करने की जरुरत नहीं है। इस बात का भी डर नहीं है कि तुम किसी निजि फायदे के लिये मेरे साथ मोहब्बत की एक्टिंग कर रहे हो। एक तरीके से हमारे काम और जिंदगी एक दूसरे से अलग है। वह तो सितारों की चाल के कारण अनायास ही हमारे रास्ते मिल गये है। जब तक साथ है तब तक तो एक दूसरे के साथ खुशियाँ बाँट सकते है।

कुछ सोच कर मैने कहा… अगर तुम एजाज कम्युनिकेशन्स के नाम से मेरा चेक लेकर उनके पास जाओगी तो क्या वह तुम्हें एक करोड़ रुपये दे देंगें? …पता नहीं लेकिन अगर वह तबरेज को दे सकते है तो मुझे भी दे सकते है। …तुम भी एक्टर और प्रोड्युसर बन जाओ। उसके बाद तुम अपने अनुसार अपनी जिंदगी गुजार सकती हो। उसने गौर से मेरी ओर देखा और फिर मेरे सीने मे अपना चेहरा छिपा कर बोली… मेरे हमनवाज प्लीज मेरी फिक्र करना बन्द कर दो। बस इतना करना कि जब मुझे तुम्हारी जरुरत महसूस हो तो मेरे साथ खड़े हो जाना। उसके माथे को चूम कर मैने कहा… मेरा यह वादा रहा। लेकिन अब मुझे चलना चाहिये। हम दोनो कपड़े पहनने मे जुट गये थे। वहाँ से चलने से पहले मैने कहा… साहिबा, प्लीज पता करके देखना कि क्या एजाज कम्युनिकेशन्स वाले भी तुम्हें वही डील देंगें जो वह तबरेज को दे रहे थे। मै अभी दो दिन उसी होटल मे हूँ तो मुझे खबर कर देना और मुझे तुम्हारा निजि नम्बर चाहिये। वह कुछ नहीं बोली बस एक कागज पर अपना नम्बर लिख कर बोली… तुमने अपना नम्बर नहीं दिया। उसके चेहरे को अपने हाथ मे लेकर मैने कहा… मै यहाँ मोबाईल फोन इस्तेमाल नहीं करता लेकिन बाहर निकलते ही एक नया मोबाईल खरीद कर चालू होते ही सबसे पहला फोन तुम्हें करुँगा। मेरे फोन का इंतजार करना। इतना बोल कर मै हिल्टन हिल्स की टैक्सी लेकर वापिस मेरियट की ओर चल दिया था।

कमरे मे प्रवेश करते ही मेरी नजर नीलोफर पर पड़ी जो रात की पार्टी मे जाने के लिये बन संवर रही थी। मुझे देखते ही वह बोली… समीर, जल्दी से तैयार हो जाओ। उसको देख कर मै धीरे से बुदबुदुया… तुम आज जरुर दंगा करा कर मानोगी। …समीर, आज की पार्टी देख कर तुम्हें 440 वोल्ट का झटका लगेगा। पैसे और सियासी जमात का आज नंगा नाच देखने को मिलेगा। कुछ देर के बाद हम होटल की कार मे बैठ कर अपने गंतव्य स्थान की ओर चल दिये थे।

 

रावलपिंडी

आईएसआई के निदेशक का एडीसी कर्नल हमीद इफ्तीखार चौधरी अपने असिस्टेन्ट को बोला… जनरल फैज ने नये निर्देश दिये है कि आज से मेजर हया इनायत मीरवायज कश्मीर की डेस्क संभालेंगी। इस आदेश को तुरन्त लागू करो। …सर, हया के खिलाफ तो कोर्ट मार्शल के आर्डर है। भला उसकी नियुक्ति कैसे हो सकती है? …जितना कहा गया है वह करो। …जी जनाब। …गिल्गिट वाली फाईल का क्या हुआ? …सर, खुदाई शमशीर नाम की तंजीम का कोई सुराग अभी तक नहीं मिला है। हमने शक मे आधार पर कुछ लोगों पर नजर रख रहे है। …वह अभी तक हिरासत मे क्यों नहीं लिये गये है। चीन की सरकार का लगातार दबाव बढ़ रहा है। अगर जल्दी ही उन चालीस कर्मचारियों के हत्यारों को पकड़ा नहीं तो वह सड़क परियोजना के काम को रोक देंगें। कौन इसकी तफ्तीश कर रहा है? …जनाब, मेजर फारुखी इसकी जाँच कर रहे है। …कल जनरल फैज वापिस लौट रहे है। तुरन्त मेजर फारुखी को खबर करो कि वह कल यहाँ आफिस मे रिपोर्ट करे। …जी सर।

कर्नल हमीद अभी जनरल फैज के निर्देश देकर बैठा ही था कि फोन की घंटी बजी तो तुरन्त फोन लेते हुए बोला… जनाब। …कर्नल हमीद गिल्गिट की क्या खबर है? …सर, जाँच चल रही है। मेजर फारुखी इस केस को देख रहा है लेकिन अभी तक उसको कोई सुराग नहीं मिला है। …मेजर फारुखी वही है जिसकी पीरजादा मीरवायज ने सिफारिश की थी? …जी सर। …मेजर हया का क्या हुआ? …जनाब उसकी नियुक्ति के निर्देश जारी कर दिये है। …कर्नल, खुदाई शमशीर की फाईल मेजर हया को सौंप दो और मेजर फारुखी को कल आफिस मे अब तक की जाँच की ब्रीफिंग देने के लिये बुला लो। …जनाब उसके निर्देश जारी कर दिये है। …कल सुबह तक पहुँच जाऊँगा। इसी के साथ कनेक्शन कट गया था। एक लम्बी साँस छोड़ कर कर्नल चौधरी अपनी कुर्सी पर बैठ कर फारुखी की रिपोर्ट पढ़ने मे जुट गया था।   

उसी आफिस से चार कमरे छोड़ कर पाकिस्तानी फौज का चीफ जनरल रहमत का एडीसी अनवर रियाज से फोन पर बोला… पैसे मिलने के बाद उसको भी देख लेंगें। तुम फिलहाल उसके पैसे से काम तो शुरु करो। जनरल साहब इस प्रोजेक्ट को जल्दी से जल्दी पूरा करना चाहते है। 

1 टिप्पणी:

  1. शुक्रिया अल्फा भाई। इस कहानी के जरिये वहाँ की सामाजिक व राजनीतिक गिरावट को दर्शाने की कोशिश है। सब कुछ जैसा दिखता है वैसा अक्सर होता नहीं है। हर समाज मे दरारें है बस देखना है कि कैसे उन दरारों का लाभ दुशमन उठाता है।

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