शह और मात-5
शहर से बाहर एक फार्म
हाउस पर पार्टी अयोजित की गयी थी। हम जैसे ही कार से उतरे तभी अन्दाजा हो गया था कि
अन्दर का कैसा माहौल है। कर्णभेदी संगीत की आवाज बाहर तक सुनायी दे रही थी। नीलोफर
मेरी बाँह पकड़ कर चलते हुए बोली… समीर, आज की महफिल मे हक्कानी और अखुन्ड्जादा भी आ
सकते है। इन दोनो से दूरी बना कर रखना। हम बात करते हुए अन्दर प्रवेश कर गये थे। पूरा
पंडाल हथियारों से लैस सुरक्षाकर्मियों से घिरा हुआ था। बीच मे एक स्टेज सजा हुआ था
जहाँ अधनंगी चार लड़कियाँ बालीवुड के गानो पर बेहूदा सा डाँस कर रही थी। उस स्टेज के
चारों ओर हर उम्र के पुरुष व स्त्रियाँ दिख रहे थे। ज्यादातर लोग के हाथ मे जाम था
और लान मे संगीत की लय पर झूम रहे थे। एक नजर मे वहाँ का नजारा देख कर समझ आ गया था
कि इस महफिल की जमात कल वाली पार्टी जैसी नहीं थी। मैने खड़े हुए वेटर की ट्रे से एक
हार्ड ड्रिंक उठायी और एक घूँट भर कर बोला… सबसे पहले किससे मिलना है? …तुम आराम से
एक किनारे मे बैठ जाओ। मै उन्हें तुम्हारे पास लेकर आऊँगी। इतना बोल कर वह आगे बढ़ गयी
थी। मै हाथ मे ग्लास पकड़े उस भीड़ मे शामिल हो गया था।
कुछ गुट सियासी बातों
मे उलझे हुए थे। कुछ कामरान सरकार की खामिया उजागर करते हुए सरकार के भ्रष्टाचार को
कोस रहे थे। एक गुट दुनिया मे बढ़ते हुए चीन के कद और उसका पाकिस्तान के प्रति झुकाव
पर अपने विचारों का आदान-प्रदान कर रहा था। एक गुट ऐसा भी था जो स्टेज पर नाचती हुई
बालाओँ पर पैसे लुटा रहा था। एक कोने पर मेरी नजर गयी तो वहाँ इकठ्ठा हुए जमघट को देख
कर चौंक गया। तालिबान के अखुन्ड्जादा और हक्कानी चार-पाँच मुल्लाओं से बातचीत मे डूबे
हुए थे। मै उन मुल्लाओं को पहचानने की कोशिश कर रहा था परन्तु कोई नाम दिमाग मे नहीं
आ रहा था। लिबास से सभी तालिबानी लग रहे थे। मेरे दिमाग मे एक नाम उभरा… बैतुल्लाह?
तुरन्त ही मैने वह नाम खारिज कर दिया क्योंकि तेहरीक के साथ तो इनका छत्तीस का आँकड़ा
था। मै अभी उन मौलानाओं के बारे मे सोच ही रहा था कि एक स्त्री की चीख मेरे कानों मे
पड़ी तो मैने उस दिशा मे देखा तो देखता रह गया। स्टेज पर तीन अधेड़ उम्र के लोग उन लड़कियों
के साथ नाचते हुए उनके जिस्म के कोमल अंगों के साथ छेड़खानी कर रहे थे। एक लड़की अपना
नग्न सीना अपने हाथों से छिपाये एक हमलावर से बचने की कोशिश कर रही थी। दूसरी लड़की
को दो आदमी पकड़ कर बड़ी बेशर्मी से सबके सामने उसके जिस्म के बचे कुचे कपड़े फाड़ने मे
जुटे हुए थे। मेरे देखते-देखते दोनो लड़कियाँ नग्न हो कर भद्दे तरीके से अपने स्तन को
हिलाते हुए स्टेज पर भौंडे नाच को प्रदर्शित करने लगी। तभी दो और अधनंगी लड़कियाँ स्टेज
पर आ गयी और एक बार फिर से स्टेज पर झूमते हुए पुरुष उन पर टूट पड़े थे। वहाँ पर उपस्थित
स्त्री और पुरुष तमाशबीन बन कर स्टेज पर चढ़े आदमियों का जोश बढ़ा रहे थे। मै हैरत से
स्टेज पर होता हुआ चीरहरण को ना चाहते हुए भी गवाह बन गया था।
…समीर, उनमे से दो
मंत्री है। तीसरा इस्लामी जमात का ठेकेदार है। मैने मुड़ कर देखा तो नीलोफर मेरे पीछे
खड़ी थी। …तुम्हें आज आलम साहब से मिलवाना था लेकिन अब वह नशे मे स्टेज पर चढ़ कर अपने
साथियों के साथ हंगामा मचा रहे है। …यह क्या हो रहा है? …यह तो शुरुआत है। कुछ देर
के बाद स्टेज के पीछे जाकर देखना। …यह लड़कियाँ कौन है? …सभी धंधा करने वाली है। आज
की पार्टी के लिये लड़कियाँ लाहौर और पेशावर के कोठों से लायी गयी है। हम बात कर रहे
थे कि तभी एक आदमी हमारे साथ आकर खड़ा हो गया। उसको देख कर हम दोनो चुप हो गये तो वह
धीरे से बोला… नीलोफर। नीलोफर ने उसकी ओर देखा तो उसने तुरन्त कहा… मीरमशाह से मेहसूद भाई आये हुए है। तुम उनसे मिलना
चाहती थी। …जी। मै मेहसूद भाई को इनसे मिलवाना चाहती थी। कहाँ है? …वह सिर्फ तुमसे
मिलेंगें। मेरे साथ चलो। मैने उसे जाने के लिये आँख से इशारे किया तो वह चुपचाप उस
आदमी के साथ चली गयी। उत्तरी वजीरीस्तान के दो मुख्य कबीलों के मुखियाओं से मेरी मुलाकात
करवाने के लिये नीलोफर कोशिश कर रही थी। अफगान-पाक सीमा पर मेहसूद कबीले का काफी प्रभाव
था। उसके मुखिया का यहाँ आज की महफिल मे आना ही मेरे लिये अचरज की बात थी। मै कड़ियाँ
जोड़ने के प्रयास मे जुट गया। ऐसे गुट तो सरकार के घोर विरोधी है तो इस महफिल मे उनकी
उपस्थिति खतरे की घंटी बजा रही थी। अगर वह यहाँ है तो वह जरुर सरकार के किसी मंत्री
के बुलावे पर यहाँ आया होगा। वह मंत्री कौन हो सकता है? इफ्तीखार आलम पाकिस्तान केबीनेट
का आंतत्रिक मंत्री होने के कारण काफी प्रभावशाली मंत्री था। भला वह कैसे इन्हें बुला
सकता है? कामरान सरकार मे होने के कारण सभी को इन लोगों से दूरियाँ बनाना अनिवार्य
था। इसका मतलब तो यही हुआ कि पाक सरकारी एस्टेब्लिश्मेन्ट मे मेहसूद ने सेंधमारी कर
रखी है अन्यथा सरकार ने मेहसूद के मुखिया को अपने साथ मिला लिया है। जो भी कारण हो
लेकिन अब मेरी योजना के लिये बड़ी विकट समस्या खड़ी हो गयी थी।
कुछ देर के बाद मेरे
कान मे नीलोफर की आवाज पड़ी… चलो समीर। मै नीलोफर के साथ चल दिया था। एक कोने सुरक्षाकर्मियों
से घिरे दो आदमी खड़े हुए थे। …जो सिर पर पगड़ी बांधे हुए है वही जफरुल्लाह मेहसूद है।
वह मेहसूद कबीले के मुखिया नसरुल्लाह मेहसूद का भतीजा है। उसके साथ जो खड़ा हुआ है वह
वजीरी कबीले का सादिक वजीरी है। हम बात करते हुए उनके पास पहुँच गये थे। मेहसूद बड़ी
गर्मजोशी से बोला… समीर मियाँ, खुशामदीद। …सलाम जनाब, मै तो मरदान आ रहा था आपसे मिलने।
…अल्ताफ भाई आपको वहीं मिलेंगें। उनके कहने पर मै आपके मिलने का मकसद जानना चाहता हूँ।
मेरे दिमाग मे घंटी बजी और मै समझ गया कि आगे का रास्ता बेहद खतरनाक है। कुछ सोच कर
मैने झिझकते हुए कहा… भाईजान, उनसे मिलने का मेरा एक ही मकसद है कि वह खुदाई शमशीर
नाम की तंजीम पर अंकुश लगाने मे हमारा साथ दे। इस तंजीम ने आजाद कश्मीर मे व्यापारियों
का जीना दूभर कर दिया है। इतना बोल कर मै चुप हो गया था।
सादिक वजीरी अभी
तक चुपचाप खड़ा हुआ मेरा आंकलन कर रहा था। वह धीरे से बोला… इसमे हम लोग क्या कर सकते
है। खुदाई शमशीर ने अभी तक खैबर पख्तून्खवा मे कोई वारदात नहीं की है। हमारे पास जो
सूचना है उसके हिसाब से तो वह तंजीम चीनियों की खिलाफत कर रही है। मैने जल्दी से कहा…
इसी कारण तो मै आपसे मदद मांग रहा हूँ। अभी हाल मे उन्होंने दस लाख रुपये की मांग मेरे
सामने रखी थी। अपनी जान बचाने के लिये मैने वह पैसे मौलाना अली मोहम्मद को दे दिये
थे। दो दिन पहले एक बार फिर उनकी ओर से बीस लाख रुपये की मांग आ गयी है। अब आप ही बताईये
कि मै इतने पैसों का प्रबन्ध कहाँ से करुँगा। नीलोफर हैरानी से मेरा चेहरा ताक रही
थी। मेहसूद ने जल्दी से कहा… मियाँ मेरी सलाह मानो तो आलम साहब से अपनी जान-माल की
सुरक्षा की गुहार लगाओ। वह तुम्हारी मदद कर सकते है। तुम कहो तो मै तुम्हारी बात आलम
साहब से करवा सकता हूँ लेकिन पहले बता रहा हूँ कि पचास लाख से कम मे तुम्हारी बात नहीं
बनेगी। मैने नीलोफर की ओर देखा और फिर जल्दी से बोला… भाईजान यह रकम बहुत ज्यादा है।
कुछ कम करवा दोगे तो बड़ी मेहरबानी होगी। …ठीक है। मै आलम साहब से बात करके देखता हूँ।
अभी तुम कहाँ ठहरे हो? नीलोफर तुरन्त बोली… होटल मेरियट। सादिक वजीरी ने मेरे कन्धे
पर हाथ मार कर कहा… अब जाओ और पार्टी का मजा लो। अगर जफर भाई ने कह दिया तो समझो तुम्हारा
काम हो गया। मै और नीलोफर वापिस स्टेज की दिशा मे चल दिये थे।
…तुम मेहसूद को क्या
कहानी सुना रहे थे? मैने धीरे से उसका हाथ दबा कर कहा… जफर मेहसूद इफ्तीखार आलम का
आदमी है। इसका मतलब समझ रही हो? उसके पाँव चलते-चलते ठिठक कर रुक गये थे। उसको लगभग
खींचते हुए मै घुर्राया… रुको मत चलती रहो। स्टेज के पास भीड़ के बीच मे पहुँच कर मैने
नीलोफर को कमर से पकड़ कर अपने साथ सटा कर धीरे से उसके कान मे कहा… यहाँ पर अब संभल
कर बात करनी पड़ेगी। यह इफ्तीखार आलम की पार्टी है। …नहीं, यह पार्टी रुकसत जहाँ ने
दी है। …कौन है यह रुकसत? …यहाँ की हाई सोसाईटी की जान है। बड़े लोगों के साथ हमबिस्तरी
करके एक तवायफ की लड़की ने यह मुकाम पाया है। दुनिया को दिखाने के लिये इवेन्ट मेनेजमेन्ट
की कंपनी की मालिक है परन्तु मुख्यत: दलाली का काम करती है। फौज, सरकार और कचहरी मे
इसकी अच्छी पकड़ है। …तुम इसे कैसे जानती हो? …अपनी खाला के हवाले से जानती हूँ। आज
की पार्टी का निमन्त्रण इसी ने मुझे दिया था। हम एक दूसरे के साथ सटे हुए दबी हुई आवाज
मे अभी बात कर रहे थे कि तभी एक कर्णभेदी संगीत का शोर एकाएक थम गया था। माईक पर खड़ी
स्त्री ने कहा… जनाब दस्तरखान लगा दिया गया है। उसके बाद एक बार फिर से संगीत आरंभ
हो गया था। बहुत से लोग डाइनिंग एरिया की ओर चल दिये परन्तु दिलफेंक लोगों का जमघट
अभी भी स्टेज के पास लगा था।
…नीलोफर अब यहाँ से
चलते है। …अभी नहीं। पता नहीं क्यों मुझे खतरे का आभास हो रहा था। …नहीं चलो यहाँ से।
वह कुछ जवाब देती कि तभी नशे मे धुत दो आदमी लड़खड़ाते हुए नीलोफर की ओर बढ़े तो मैने
झपट कर नीलोफर को अपनी आढ़ मे लेकर खींचते हुए डाईनिंग एरिया की ओर चल दिया। …रुक साले।
एक आवाज गूँजी। उसे अनसुना करके जैसे ही मै आगे बढ़ा कि तभी एक हथियारधारी सुरक्षाकर्मी
मेरे सामने आकर खड़ा हो गया। अब उनका सामना किये बगैर आगे बढ़ना नामुम्किन था। मै रुक
गया और मुड़ कर उनकी ओर देखने लगा। नीलोफर भी रुक कर उनको देखने लगी। वह दोनो लड़खड़ाते
हुए मेरी ओर आये और उनमे से एक बढ़ते हुए बोला… इस नाजनीन को छोड़ कर तू चला जा। सुबह
तेरे पास वापिस पहुँचा देंगें। …कौन है यह? …बिगड़े बाप की औलाद लग रही है। तब तक वह
दोनो हमारे पास आ गये थे। उनकी नजरे नीलोफर पर टिकी हुई थी। उनमे से एक ने नीलोफर की
ओर हाथ बढ़ाया तो नीलोफर तुरन्त पीछे होकर मेरी आढ़ चली गयी थी। वह अपनी झोंक मे आगे
बढ़ता चला गया और बैलेंस खराब होते ही जमीन पर लुड़क गया। दूसरा आदमी उसको गिरते हुए
देख कर मुझ पर झपटा लेकिन मै तब तक नीलोफर को पकड़ कर दूर हट गया था। मैने एक नजर चारों
ओर डाली तो कुछ सुरक्षाकर्मियों के अलावा हमारी ओर किसी का ध्यान नहीं था। स्टेज के
आसपास बचे हुए लोगों का सारा ध्यान चार नग्न लड़कियों पर लगा हुआ था जिनके नाजुक अंगों
के साथ कुछ मनचले लोग खिलवाड़ कर रहे थे। पाकिस्तानी उच्चवर्गीय समाज का घिनौनना चेहरा
मेरी आँखों के सामने था।
तभी एक कर्कश आवाज
गूँजी… अर्शद, यह क्या हंगामा कर रहे हो? चार सुरक्षाकर्मियों से घिरी हुई एक स्त्री
हमे घूर रही थी। नीलोफर मेरी आढ़ से निकल कर उसके पास पहुँच कर बोली… बाजी यह लोग हमे
परेशान कर रहे है। तभी अर्शद उस स्त्री की ओर रुख करके बोला… रुखसत क्या यह तेरी लड़की
है? …देखिये जनाब यह मेरी बीवी है। अर्शद कुछ बोलता उससे पहले रुखसत बोली… अर्शद आप
अपने दोस्त को लेकर आउटहाउस मे चलिये। मै इनसे बात करके इसको आपके पास लेकर आती हूँ।
अर्शद ने घूर कर मुझे देखा और फिर अपने साथी के पास चला गया। दो सुरक्षाकर्मियों की
मदद से वह लड़खड़ाते हुए उठा और रुखसत की ओर देख कर बोला… मुँहबोली कीमत देकर इसके खाविन्द
को दफा कर देना। वह दोनो अपने सुरक्षाकर्मियों के साथ चल दिये थे। नीलोफर ने पूछा…
बाजी यह कौन है? रुखसत मुस्कुरा कर बोली… अर्शद अपने जनरल रहमत का बेटा है। उसके साथ
आलम साहब का बेटा शादाब है। मै जल्दी से बोला… चलो नीलोफर यहाँ से चलते है। तभी रुखसत
बोली… एक रात के लिये इसे यहीं छोड़ दिजिये। सुबह इसको वापिस पहुँचा दूँगी। नीलोफर जल्दी
से बोली… बाजी यह मुमकिन नहीं है। …एक रात के लिये तुम्हारी बीवी के बदले तुम किसी
भी लड़की को अपने साथ ले जाओ। पैसे अलग से दूँगी। …क्या आप मजाक कर रही है। आप मेरी
बीवी के लिये ऐसा कैसे बोल सकती है। चलो नीलोफर। उसका हाथ पकड़ कर मै चल दिया था। नीलोफर
एक झटके से अपना हाथ छुड़ा कर मुझसे बोली… समीर, आप बाहर जाकर मेरा इंतजार करिये। मै
अभी आती हूँ।
मुझे नीलोफर की बात
समझ मे नहीं आ रही थी। नीलोफर मुझे धकेलते हुए बोली… प्लीज आप चलिये। मै अभी आती हूँ।
कुछ सोच कर मै बाहर की ओर चल दिया। बाहर पहुँच कर मैने वेलेट से मेरिएट की कार बुलाने
के लिये कहा और एक किनारे मे खड़ा हो गया। जैसे ही होटल की कार मेरे करीब आकर रुकी मेरी
नजर द्वार की ओर चली गयी परन्तु नीलोफर अभी तक बाहर नहीं आयी थी। मुझे समझ नहीं आ रहा था
कि ऐसी हालत मे क्या करना चाहिये। मैने ड्राईवर से कहा… तुम गेट से हट कर मेरा इंतजार
करो। मै अभी आता हूँ। इतना बोल कर मै मुड़ा ही था कि तेज कदमों से चलते हुए नीलोफर गेट
से बाहर निकल रही थी। मैने जल्दी से ड्राईवर को रोकते हुए कार का दरवाजा खोल कर उसको
इशारा करते हुए कार मे बैठ गया। वह तेजी से कार की ओर आयी और कार मे बैठ कर बोली… चलिये
यहाँ से। हम दोनो होटल की दिशा मे चल दिये थे। कुछ दूर निकलने के बाद मैने पूछा… क्या
कह कर आयी हो? वह मुस्कुरा कर बोली… उसकी औकात बता कर आयी हूँ। …क्या वह तुम्हें जानती
नहीं जो तुमसे ऐसी बात कर रही थी? …समीर, यह उसका धंधा है। ऐसी पार्टियों मे यह आम
बात है। जब कोई प्रभावशाली आदमी का दिल किसी औरत पर आ जाता है तो वह रुखसत जैसी दलालों
के द्वारा अपना संदेश पहुँचाने के लिये इस्तेमाल करते है। कुछ लोग अपने निजि फायदे
अन्यथा कारोबारी फायदे के लिये या पैसों के लिये अपनी बीवी, बहन और बेटी को एक रात
के लिये उसके हवाले कर देते है। …अगर कोई मना कर दे तो? …तो बाद मे रुखसत जहाँ जैसी
दलालों के गुन्डे उस स्त्री को जबरदस्ती उठा लाते है। …अब वह तुम्हारे साथ क्या करेगी?
…कुछ नहीं करेगी। उनके पास किसी और लड़की को भेज देगी। बस इतना बोल कर वह पीठ टिका कर
चुपचाप बैठ गयी थी।
अपने कमरे मे पहुँच
कर वह बेड पर लेटते हुए बोली… आज के बाद रुखसत चैन की नींद नहीं सो सकेगी। अपने कपड़े
उतारते हुए मैने पूछा… ऐसा क्या करके आयी हो? …बस इतना बोल कर आ गयी कि इस बदतमीजी
के लिये लश्कर किसी भी रोज उसके चेहरे पर तेजाब फेंक कर उससे बदला जरुर लेगा। …क्या?
…तुम्हें यह बात समझने की जरुरत है कि यहाँ का सबसे प्रभावशाली व्यक्ति अगर किसी से
डरता है तो वह ऐसी तंजीमो से डरता है अन्यथा उनके लिये बाकी सब की हैसियत किसी कीड़े
से ज्यादा नहीं है। अपने कपड़े बदल कर उसके साथ लेटते हुए मैने कहा… तुम भी कपड़े बदल
लो। वह करवट लेकर मेरे सीने पर कोहनी टिका कर मेरी आँखों झाँक कर बोली… तुम उतारो।
मैने मुस्कुरा कर उसको अपनी बाँहों मे बाँधा और करवट लेकर उसको अपने जिस्म के नीचे
दबा कर बोला… अगर मै उतारुँगा तो तुम्हें उसका परिणाम भी मालूम है। छेड़खानी से बात
आरंभ हुई और कुछ ही देर मे उसके कपड़े कार्पेट पर बिखरे पड़े हुए थे। एक लम्बी पारी के
बाद अपनी साँसों को सयंत करते हुए उसने पूछा… मेहसूद को तुम मरदान मे मिल कर क्या कहना
चाहते हो? …तुम भी मेरे साथ होगी तो खुद देख लेना परन्तु जफर की सच्चायी से उसे अवगत
कराना जरुरी है। …और वजीरी? …नीलोफर अगर उन दोनो मे से एक भी तैयार हो गया तो दूसरा
स्वयं तैयार हो जाएगा। आजाद कश्मीर के बाद वजीरीस्तान मे खुदाई शमशीर के पाँव जमाने
के लिये इन दोनो का साथ जरुरी है। …इफ्तीखार आलम का क्या करोगे? …एक बार उससे मिलने
मे क्या बुराई है। बात करते-करते कब आँख लग गयी मुझे पता ही नहीं चला।
अगले दिन सुबह स्टरलिंग
इलेक्ट्रानिक्स के साथ हुआ करार कोर्ट मे रजिस्टर हो गया था। अबिद और आसिफ के साथ कुछ
देर इस बात पर बहस चली कि बीस करोड़ का एक साल का ब्याज पहले काट कर दिया जाएगा। आखिर
मे यह तय हुआ कि दूसरी किस्त छह महीने के बाद चाहिये तो छह महीने का ब्याज काट कर उन्हें
बाकी रकम का चेक बना कर आबिद मुनीर के हवाले कर दिया था। दूसरी ओर अनवर रियाज ने फोन
करके नीलोफर को बताया कि जनरल रहमत की ओर से हरी झंडी मिल गयी है। आगे की कार्यवाही
पर बात करने के लिये उसने शाम को अपने घर पर बुलाया है। हम दोनो आराम से तैयार हुए
और नाश्ता समाप्त करके जैसे ही बैठे थे कि तभी रिसेप्शन से सूचना मिली कि कोई असगर
नाम का आदमी मिलने आया है। मै और नीलोफर कुछ ही देर मे रिसेप्शन पर असगर के साथ बैठे
हुए थे। …जनाब, मेरा नाम असगर अहमद है। जफर भाई ने आपकी बात आलम साहब से की थी। उस
रकम मे कोई कटौती नहीं कर सकते लेकिन आलम साहब आपका काम करने के लिये तैयार हो गये
है। रकम का इंतजाम होने के बाद मुझे इस नम्बर पर सूचना दे दिजियेगा। नीलोफर तुरन्त
बोली… असगर मियाँ, हमे पहले एक बार आलम साहब से मिलना है। हमारा काम ऐसा नहीं है कि
हम सिर्फ आपकी बात पर भरोसा करके सारी रकम उनके हवाले कर देंगें। हमारी जान पर बन आयी
है। जब फौज और आईएसआई मिल कर खुदाई शमशीर का अभी तक कुछ नहीं कर पायी तो भला आलम साहब
हमे कैसे सुरक्षा देंगें। रकम पकड़ाने से पहले हमे भी तो भरोसा होना चाहिये। असगर कुछ
पल नीलोफर का चेहरा ताकता रह गया था। …देखिये मैने जो कहना था वह आपको मैने बता दिया
है। मै आपकी बात जफर भाई तक पहुँचा दूँगा। इतना बोल कर वह वापिस चला गया था। …तुम्हें
कुछ समझ मे आया? इसको यहाँ उन दोनो बेवकूफों ने हमसे पचास लाख रुपये ठगने के लिये भेजा
है। मै धीरे-धीरे पाकिस्तानी समाज की कमजोरियों और वर्दी के प्रभाव को समझने की कोशिश
कर रहा था। आप्रेशन अज्ञातवीर को लाँच करने के लिये यह समझना जरुरी था।
हम वापिस अपने कमरे
की ओर चल दिये कि तभी मुझे किसी का ख्याल आया तो मैने कहा… नीलोफर, तुम चलो। मै कुछ
देर मे आता हूँ। इतना बोल कर मै होटल के मुख्य द्वार की ओर चल दिया था। होटल से बाहर
निकल कर एक खड़ी हुई टैक्सी मे बैठते हुए मै बोला… भाईजान, इलेक्ट्रानिक मार्किट चलो।
कुछ ही देर मे एक विशाल इमारत के सामने मै उतर गया था। यहाँ पर फोन, लैपटाप व कंप्युटर
और उनके पार्ट्स की अनेक दुकानें थी। मुझे स्मार्टफोन खरीदना था। उसके साथ ही एक इलेक्ट्रानिक
स्क्रेमबलर और एक एन्टी-ट्रेकिंग डिवाईस खरीदनी थी। स्क्रेमब्लर एक यूएसबी जैसी आवाज
बदलने की इलेक्ट्रानिक डिवाईस होती है। एन्टी-ट्रेकिंग डिवाईस आपके स्मार्टफोन की पोजिशनिंग
चिप को निष्क्रिय कर देती है। सेटफोन मे यह फोन के अन्दर चिप लगा होता है और अन्य स्मार्टफोन
के लिये उसे अलग से बाहर लगाना पड़ता है।
दो घंटे इलेक्ट्रानिक
मार्किट की खाक छान कर डबल सिम वाले दो स्मार्टफोन, एक स्क्रेम्बलर और एन्टी-ट्रेकिंग डिवाईस का इंतजाम
हो गया था। मार्किट से बाहर निकल कर सबसे पहले चार अलग-अलग कंपनी के प्रीपेड सिम कार्ड
खरीद कर दोनो फोन चालू करवाने मे कुछ समय लग गया था। फोन चालू होते ही मैने सबसे पहले
साहिबा का नम्बर मिलाया… हैलो। …यह मेरा नम्बर स्टोर कर लो। …समीर। …तुमसे ऐसे बात
करने वाला और कौन हो सकता है। क्या तुमने एजाज कम्युनिकेशन्स मे किसी से बात की है।
…नहीं। मै एक एड शूट करने के लिये सुबह से इस्लामाबाद से बाहर निकली हूँ। शाम तक वापिस
आऊँगी। …कोई बात नहीं लेकिन जल्दी से जल्दी एजाज कम्युनिकेशन्स मे किसी से बात कर लो
क्योंकि मै कल या परसों तक यहाँ से चला जाऊँगा। …इतनी जल्दी। तुम कहाँ जा रहे हो?
…मेरी किस्मत मे तो भटकना लिखा है। …प्लीज आज शाम मेरे साथ गुजारो। …साहिबा, शाम को
मुझे किसी से मिलना है। तुम फ्री होगी तो देर रात को डिनर साथ मे करेंगें। …मै तुम्हारा
इंतजार करुँगी। बस इतनी बात करके मैने फोन काट दिया और चलते हुए उस विशाल मार्किट से
बाहर निकल कर सड़क पर आ गया था।
अपने होटल के कमरे
मे पहुँच कर मैने अपनी जेब से दोनो फोन निकाल कर एक फोन नीलोफर को देते हुए कहा… इसमे
दो सिम कार्ड है। इसका इस्तेमाल सोच समझ कर करना। उसके दोनो नम्बरों से अपने फोन पर
काल करके दोनो नम्बर कोन्टेक्ट लिस्ट मे दर्ज करने के बाद अपने दोनो नम्बर उसके फोन
की कान्टेक्ट लिस्ट मे डाल कर कहा… होटल छोड़ने का वक्त नजदीक आ गया है। प्रोग्राम मे
बदलाव कर रहा हूँ। अब तुम यहाँ से सीधे मीरमशाह जाओगी और मै तुम्हारे जाने के बाद मरदान
की ओर निकल जाऊँगा। दो हफ्ते के बाद मै तुम्हें मीरमशाह मे मिलूँगा। तब तक पश्तून फ्रंट
के नेताओं से मुलाकात करके मेरा उनसे मिलने का कोई इंतजाम कर लेना। …समीर, हम दोनो
को मरदान साथ जाना था तो यह बदलाव क्यों? …जफर और सादिक ने सारा प्लान चौपट कर दिया
है। वह कबीले के लोग है। अभी भी वह सातवीं शताब्दी के अरब के कानून अनुसार जी रहे है।
अल्ताफ को इन दोनो की सूचना देनी जरुरी है लेकिन मै यह नहीं जानता कि आलम और जनरल फैज
की पकड़ मेहसूद कबीले मे कितनी गहरी है। इसलिये मै तुम्हारे लिये कोई रिस्क लेना नहीं
चाहता। नीलोफर चुपचाप बेड पर जाकर लेट गयी थी।
उसके चेहरे को देख
कर मै समझ गया था कि उसके दिमाग मे कोई नयी खुराफात जन्म ले रही है। उसके साथ लेटते
हुए मै बोला… नीलोफर मै तुम्हें हर्गिज अपने साथ नहीं ले जाऊँगा तो अपने दिमाग पर ज्यादा
जोर मत देना। …समीर, इसी कारण मेरा तुम्हारे साथ जाना जरुरी है। तुम्हारे लिये वहाँ
खतरा है। मै रहूँगी तो तंजीमों का अनकहा कानून बीच मे आ जाएगा। …लेकिन तुम्हारे लिये वहाँ ज्यादा बड़ा खतरा है।
…ऐसी बात नहीं है। लखवी परिवार से टकराना इतना आसान भी नहीं है। तुम बेकार मे उन्हें
इतना दकियानूसी समझ रहे हो। कबीलों से बात करने के लिये हम दोनो का साथ रहना जरुरी
है। एक दूसरे को कवर करना आसान हो जाता है। …तुम फारुख के साथ हुई मुठभेड़ को भूल गयी।
एक दूसरे को बचाने के चक्कर मे हम दोनो मरते-मरते बचे थे। वह करवट लेकर मुझ पर छाती
हुई बोली… हम साथ-साथ मरते और हमारी कब्र भी एक होती तो इसमे कौनसी आफत आ जाती? वह
मरदान जाने की बात कर रही थी परन्तु वह मेरे गालों पर अपने होंठ रगड़ते हुए और जिस्म
के कोमल अंगों को सटाते हुए मुझे उत्तेजित करने मे जुट गयी थी। तूफान गुजर जाने के
बाद वह बोली… रियाज के लिये क्या सोचा है? …नीलोफर बात बीस करोड़ की है। मुझे यकीन है
कि वह हमारा पैसा हड़पने के चक्कर मे है। अब यह हमे सोचना है कि इस डील को कैसे करना
है। …समीर, उसके पीछे जनरल रहमत है। उसकी तोड़ सोचनी पड़ेगी। …नीलोफर भले ही अनजाने मे
ही सही लेकिन तुमने मुझे रियाज की कमजोर नस बता दी है। उसने चौंक कर मेरी ओर देखा तो
मैने उसके गालों को धीरे से सहला कर कहा… जानेमन तुम मेरे लिये फरिश्ता बन कर मेरे
साथ यहाँ आयी हो। …ओह हो। अब जनाब को मेरी जरुरत महसूस होने लगी है। अब हम दोनो मरदान
जाएँगें। इतना बोल कर वह खिलखिला कर हँस पड़ी थी। …नीलोफर शाम को रियाज से बात करके
मुझे साहिबा से मिलने जाना है। इतनी बात करके हम दोनो एक दूसरे को बाँहों मे लिये सपनों
की दुनिया मे खो गये थे।
शाम को पाँच बजे होटल
मेरियट की कार से हम अनवर रियाज के घर की दिशा मे चल दिये थे। उसका घर नहीं अपितु आलीशान
महल लग रहा था। बड़े से लान के किनारे बजरी का ट्रेक और उसके अंत मे लकड़ी पर नक्काशी
किया मुख्य द्वार दूर से दिख गया था। हमारी कार उस दरवाजे के सामने उतार कर पार्किंग
के स्थान पर जाकर खड़ी हो गयी थी। दरवाजे पर पहुँचते ही हमारे स्वागत के लिये एक नौकर
खड़ा हुआ था। वह हमे ड्राईंग रुम मे छोड़ कर अन्दर चला गया। एक नजर कमरे की सजावट का
जायजा लेकर जैसे ही मै कुछ बोलने के लिये मुँह खोला ही था कि रियाज और उसकी बीवी ने
कमरे मे प्रवेश किया और दोनो ने बड़ी गर्मजोशी के साथ हमारा स्वागत किया। बात आरंभ होने
से पहले कुछ पेय पदार्थ हमारे सामने लाकर मेज पर सजा दिये गये थे। एक घूँट भर कर मैने
कहा… रियाज साहब, अब आप बताईये कि पैसे कितने किश्तों मे आपको चाहिये? …समीर हम चाहते
है कि दो किश्तों मे आप बीस करोड़ का पेमेन्ट रिलीज कर देंगें तो काम करने मे आसानी
हो जाएगी। मैने सारे कागज तैयार करवा दिये है। इतना बोल कर उसने एक फोल्डर मेरे सामने
रख दिया था। कुछ सोच कर मैने कहा… चलिये दो किश्तों मे पेमेन्ट हो जाएगा लेकिन एक बात
का आपको ध्यान रखना पड़ेगा। यह पैसे मेरे नहीं है। तेहरीक, लश्कर और जैश जैसी तंजीमो
के ड्र्ग्स के पैसे है। वह चौंक कर बोला… क्या मतलब है आपका? मै समझ गया कि मेरा तीर
ठीक निशाने पर जाकर लगा था।
…रियाज साहब, मै निवेशक
हूँ। पूँजी हमेशा दूसरों की होती है जिसको मै उनके लिये अलग-अलग प्रोजेक्ट्स पर कमाई
के लिये लगाता हूँ। उस पूंजी की कमाई का कुछ हिस्सा वह मुझे कमीशन के रुप मे दे देते
है और बाकी उनकी कमाई होती है। आपके प्रोजेक्ट मे पैसा लगाने से पहले मुझे उनको बताना
जरुरी था। जब उनकी ओर से ग्रीन सिगनल मिला तभी मैने आपसे उस दिन दो टके पर पैसा देने
की बात कही थी। …समीर साहब, यह पैसा जनरल साहब के डीएचए प्रोजेक्ट मे लग रहा है। …रियाज
साहब, मेरे लिये यह पैसा आपको दिया जा रहा है। इसकी देनदारी सिर्फ आपकी होगी। जनरल
रहमत तो मेरे लिये सिर्फ एक गारन्टी है। एकाएक वह तैश मे बोला… हम लोग तंजीमो के साथ
कारोबार नहीं करते। …यह तो आपकी मर्जी है। यह जान लिजिये कि सारा पैसा आपको व्हाईट
मे मेरे बैंक अकाउन्ट से मिलेगा परन्तु आपको यह भी पता होना चाहिये कि यह पैसा असलियत
मे तंजीमो का है। अनवर रियाज के चेहरे पर हर पल भाव बदल रहे थे। पहली बार नीलोफर बोली…
रियाज साहब आपको बस इतना ख्याल रखना है कि उन तंजीमो का पैसा कोई हड़पने की हिम्मत नहीं
करता। पहले महीने का दो टका ब्याज तो काट कर आपकी पहली किश्त रिलीज हो जाएगी। उसके
बाद हर महीने आपको किश्त समय से देनी होगी।
…मुझे आपने अजीब सी
स्थिति मे लाकर खड़ा कर दिया है। …ऐसा क्यों? …अगर जनरल साहब ने पैसा देने से इंकार
कर दिया तो? …भला इस बारे मे कोई क्या कर सकता है। इस पैसे की देनदारी सिर्फ आपकी है
क्योंकि यह पैसा मै आपके अकाउन्ट जमा करा रहा हूँ। …यही तो मेरी मुश्किल है। तभी नीलोफर
बोली… मुझे समझ मे नहीं आ रहा है कि आपको घबराहट किस बात की है। क्या आप यह पैसे नहीं
लौटाना चाहते है? वह धीरे से झिझकते हुए बोला… ऐसी बात नहीं है लेकिन वर्दी वालों की
कोई गारन्टी नहीं ले सकता। प्लीज मेरी मजबूरी समझने की कोशिश किजिये। इस डील मे सब
कुछ मेरा दाँव पर लगा हुआ है। मैने उठते हुए कहा… रियाज साहब कोई बात नहीं। आप एक बार
फिर से जनरल साहब से बात कर लिजिये। यह पेपेर्स तो कल भी साइन हो जाएँगें। बस यह जान
लिजिये कि मै यहाँ पर एक दो दिन और हूँ। मेरे जाने से पहले यह डील हो जानी चाहिये।
वह बुत बन कर कुछ देर बैठा रहा और फिर उठ कर बोला… कल शाम तक मै आपको इसका जवाब दे
दूंगा। अनवर रियाज इससे पहले कुछ और बोलता
मैने चलते हुए कहा… अच्छा खुदा हाफिज। मै और नीलोफर बाहर की दिशा मे चल दिये थे। कार
मे बैठते ही नीलोफर बोली… समीर, तुमने वाकई मे आज कमाल कर दिया। रियाज को ऐसे चक्कर
मे फँसाया है कि वह न तो हाँ बोल सकता है और न ही वह मना कर सकता है। …यह आईडिया तुम्हारी
चरमपंथी तंजीमों के प्रभाव की बात सुन कर सूझा था। चौराहा पार करते ही मैने कहा… तुम
मुझे यहीं उतार दो। वह मुझे वहीं छोड़ कर वापिस होटल चली गयी थी।
नयी दिल्ली
आठ पेज का फैक्स अजीत
सुब्रामन्यम की मेज पर रखा हुआ था। यह फैक्स पाकिस्तान स्थित भारतीय दूतावास से भेजा
गया था। वीके और जनरल रंधावा चीन के उस फैक्स पर बात करने के लिये आये हुए थे। इस्लामाबाद
स्थित चीन के दूतावास मे नियुक्त एक अधिकारी पर चर्चा चल रही थी। फाँग लियु वांग चीन
के विदेश मंत्रालय की 36 वर्षीय तेज तर्रार आफीसर थी। यहाँ से पहले उसने तीन साल ऐजरबैजान
की राजधानी बाकू-स्थित चीनी दूतावास मे वरिष्ठ आफीसर के रुप मे गुजारे थे। वह कम्युनिस्ट
पार्टी के पोलिटब्युरो के मेम्बर की बेटी थी। ऐजरबैजान मे उसका रिकार्ड काफी विवादस्पद
रहा था। वहाँ पर वह हनी ट्रेप के जरिये राजनितिज्ञों और सेना के अधिकारियों को फँसा
कर चीन के हितों को साधने का काम करती थी। कुछ गोपनीय सूत्रों से यह भी पता चला था
कि पाकिस्तान की सी-पैक की योजना की सौदेबाजी मे उसकी अहम भुमिका रही थी। आज कल वह
दूतावास के औपचारिक प्रोटोकोल को धता बता कर बिना रोकटोक के वह इस्लामाबाद मे किसी
से कभी भी मिलने चली जाती है। सीआईए की रिपोर्ट्स के अनुसार वह कट्टर रुढ़िवादी मार्क्सवादी
और एन्टी-इंडिया लौबी की विश्वसनीय सदस्य है।
बहुत ही जबरदस्त अंक और अपनी होशियारी से निलोफर ने फिर से एक बार समीर को बचाया ठगने से, मगर लगता है अब मिरामशाह में नया बसे लगेगा मगर अभी फौजी एक्शन इतना खुल कर देखने को मिला और लगता वो अब नजदीक ही है। देखते हैं आगे क्या होता है।
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