सोमवार, 29 जुलाई 2024

 

 

 

शह और मात-12

 

सेटफोन पर आये मेसेज देख कर गेस्ट हाउस जाने के बजाय सड़क किनारे लगे हुए खाने के स्टाल के पास मैने लैंडरोवर खड़ी कर दी थी। खाने का आर्डर देकर मै सेटफोन के मेसेज देखने बैठ गया था। अंजली की ओर से दो मेसेज थे। एक जनरल रंधावा का मेसेज था। मैने जनरल रंधावा का मेसेज खोला…

तालिबान के मुख्य फाईनेन्सर एहमद हबीबुल्लाह और परवेज खान। दोनो काबुल मे स्थित है। अमरीकनो के लिये यह दोनो तालिबान के लिये मध्यस्ता कर रहे है। इनके जरिये तेहरीक के बैतुल्लाह से मिलो। 

मैने अंजली का मेसेज खोला…

मै बाकू जा रही हूँ। किसी ने जोरावर को बाकू मे देखा है। उसकी निशानदेही होते ही क्या आप बाकू आ सकते है?

आपसे बात करके मेनका बहुत खुश है। कुछ दिनो से मै घर से बाहर हूँ इसलिये आप उससे बात कर लिया किजिये। आपको बहुत मिस करती हूँ लेकिन अदा का पता लगाये बिना मै आपके सामने नहीं आ सकती। मेरे कारण वह आपसे बिछुड़ गयी है तो उसको वापिस लाना अब मेरी जिम्मेदारी है।

खाना खाते हुए मैने चार-पाँच बार अंजली के मेसेज पढ़ लिये थे। हमेशा की तरह उसका मेसेज पढ़ कर एक अजीब सी कैफियत का एहसास हो रहा था। वह जोरावर के लिये अकेली बाकू गयी है। यह जानकारी मेरे लिये चिन्ता की बात थी। जलालाबाद, इस्लामाबाद और अब बाकू मे उलझ कर रह गया था। खाना समाप्त करने के पश्चात मैने जल्दी से अपना मेसेज टाइप किया…

जब दोजख मे साथ रहने की कसम खायी है तो क्या यह पूछने की बात है। तुम अपना ख्याल रखना और बेफिजूल खतरा मोल लेने की कोशिश मत करना। नो एन्गेजमेन्ट विद जोरावर। अदा की सुरक्षा हम दोनो की जिम्मेदारी है। मेनका से बात करके काफी देर तक आँसू बहाता रहा था। तुम चिन्ता मत करो। मै मेनका से बात कर लिया करुँगा। बस तुम अपना ख्याल रखना। मुझे वन पीस मे मेरी अंजली वापिस चाहिये।       

अपना मेसेज भेज कर मैने नीलोफर को फोन लगाया… समीर, कब वापिस आ रहे हो। नूरानी पर दबाव डाल रही हूँ। बैंक के लिये वह आनाकानी कर रहा है। तायाजी को पैसों की जरुरत है। क्या कश्मीरी तंजीम पर पैसा लगाओगे? …नीलोफर, जब तुम जानती हो तो पूछती क्यों हो। अगर वह तुम्हें बैतुल्लाह या मुफ्ती से मिलवा देंगें तो पैसे की मदद के बारे मे सोचा जा सकता है। …समीर, नाल्तार घाटी से पुख्ता खबर मिली है कि मेजर हया इनायत मीरवायज ही खुदाई शमशीर की जाँच कर रही है। क्या इस बीच अंजली से तुम्हारी कभी कोई बात हुई है। मेरा दिल नहीं मानता कि अंजली ने वापिस नौकरी जोइन कर ली होगी। …नीलोफर, यह कोई इतना मुश्किल काम नहीं है। कोई भी फोन पर उसकी एक फोटो खींच कर भेज देगा तो पल भर मे सब साफ हो जाएगा। …मुझे बेवकूफ समझा है। मेजर हया के चार फोटो भेज रही हूँ। देख कर बताओ। एक और बात है कि अनवर रियाज तुमसे मिलना चाहता है। मैने झल्ला कर कहा… उसकी फोटो तुम्हारे पास थी तो अब तक मुझे क्यों नहीं भेजी थी। …समीर, वह अंजली नहीं है। इसमे जनरल फैज की चाल साफ नजर आ रही है। अनवर रियाज का बताओ। …हाँ। उसे बता दो कि कुछ समय लगेगा। अगली किश्त रिलीज होने से पहले मै इस्लामाबाद पहुँच जाऊँगा। …तुम कब आ रहे हो? …अभी कहना मुश्किल है। दो आदमियों का पता चला है। उनसे मिलना जरुरी है। वही हमारी मुहिम को गति दे सकते है। …समीर, एक छोटा तालिबानी गुट कन्धार मे अफगान-पाक सीमा पर काफी सक्रिय हो गया है। उन्होंने डूरन्ड लाईन के विरोध मे अपनी मुहिम तेज कर दी है। उस गुट का संचालन स्वयं मुल्ला याकूब का दाहिना हाथ मुल्ला मोइन उल अनवर कर रहा है। खबर है कि आईएसआई ने हक्कानी के हाथ मे उसे रोकने की कमान दी है। …कौनसा हक्कानी? …सिराजुद्दीन हक्कानी का बेटा सिकन्दर हक्कानी उसको मरवाने की साजिश रच रहा है। अल्ताफ ने यह खबर देते हुए पूछा था कि मुल्ला मोइन इस मुहिम मे मेहसूद कबीले से मदद मांग रहा है। क्या करना चाहिये? …नीलोफर, एक बात तय हो गयी है कि खुदाई शमशीर हमेशा उसकी खिलाफत करेगा जिसके पीछे आईएसआई खड़ी हुई है। …मै अल्ताफ को खबर कर दूंगी। …अभी उसे कुछ नहीं करना है। उसको कहो कि जिरगा से पहले किसी भी मुहिम मे शामिल मत होना वर्ना वह एस्टेब्लिशमेन्ट के निशाने पर आ जाएगा। मुल्ला मोइन की सुरक्षा का इंतजाम मै यहाँ से करवाने की कोशिश करता हूँ। बस इतनी बात करके मैने फोन काट दिया था।

मैने घड़ी पर नजर डाली तो पता चला कि रात के ग्यारह बज गये थे। मै मेनका से बात करने की सोच रहा था लेकिन अब देर हो गयी थी। मैने लैंडरोवर स्टार्ट करके गेस्ट हाउस की दिशा मे चल दिया। गेस्ट हाउस के बाहर लैंडरोवर खड़ी करके जैसे ही रिसेप्शन मे प्रवेश किया तो मेरी नजर दो व्यक्तियों पर पड़ी तो ठिठक कर वहीं खड़ा हो गया था। आमेना और गजल सोफे पर बैठी हुई उँघ रही थी। काशिफ बगल मे लेटा हुआ अपने हाथ पाँव चला रहा था। मुझे देखते ही रिसेप्शन पर बैठा हुआ आदमी बोला… यह आपकी काफी देर से इंतजार कर रही थी। उसकी आवाज सुन कर आमेना ने मेरी ओर देखा और मुझको देखते ही खड़ी होकर बोली… आपको लौटने मे काफी देर हो गयी। गजल भी जाग गयी थी। …मेरे साथ आओ। आमेना ने जल्दी से बच्चे को उठाया और गजल को लेकर मेरे साथ चल दी थी। कमरे मे पहुँच कर मैने पूछा… अभी तक कुछ खाया भी है कि सिर्फ मेरा इंतजार कर रही थी। मै तो खाना खाने के लिये रुक गया था। उन्होंने जब कोई जवाब नहीं दिया तब मैने रूम सर्विस पर फोन करके कुछ खाने का आर्डर देकर पूछा… कैसे आना हुआ? …गजल को छोड़ने के लिये आयी थी। मैने गजल की ओर देखा तो वह सिर झुकाये खड़ी हुई थी। …तुम इसे सुबह छोड़ देती। …नहीं आपसे कुछ बात करनी थी। …आराम से बैठ जाओ। बात बाद मे कर लेना पहले कुछ खा लो क्योंकि तुम दोनो के मुर्झाये चेहरे देख कर लग रहा है कि भूख लग रही है। मेरी बात सुन कर दोनो मुस्कुरा दी थी।

थोड़ी देर मे खाना आ गया था। खाना खाते हुए आमेना ने पूछा… हमे आपने यह नहीं बताया कि आप क्या करते है? अपनी जेब से अपना कार्ड निकाल कर उनके सामने दिखाते हुए कहा… मै यूएस एम्बैसी मे नौकरी करता हूँ। आमेना बोली… खुदा का शुक्र है कि आप कोई गैर कानूनी काम नहीं करते है। आपने जैसे आज नोटों की गड्डियाँ दिखाई थी तो मन मे शक हुआ कि कहीं इस बेचारी को आप कोई गलत काम करने के लिये तो नहीं ले जा रहे है। गजल भी हमारी बात चुपचाप सुन रही थी। …आमेना, मै तुम्हारी परिस्थिति जानता हूँ। तुम बेफिक्र रहो मै इससे ऐसा कोई काम नहीं करवाने वाला हूँ। बस इसे तीन दिन मेरी बीवी बन कर एक पश्तून परिवार के बीच मे रहना है। गजल बस एक बात का ख्याल रखना कि यह बात वहाँ किसी को पता नहीं चलनी चाहिये कि मै युएस एम्बैसी मे काम करता हूँ। तुम इन जिहादियों को जानती हो कि वह यह सुन कर तुरन्त मेरी जान के दुश्मन बन जाएँगें। यह बात तो मेरे परिवार वालो को भी पता नहीं है। पहली बार गजल बोली… आप बेफिक्र रहे। यह राज अब हमारे सीने मे हमेशा के लिये दफन हो गया है।

आमेना उठते हुए बोली… अब मै चलती हूँ। …इस वक्त कहाँ जाओगी। यहीं रात गुजार लो। कल सुबह तुम्हें फ्लैट पर छोड़ कर हम दोनो जलालाबाद के लिये निकल जाएँगें। तुम दोनो बेड पर सो जाओ। मै यहाँ कालीन पर सो जाऊँगा। एक दौर न नुकुर का चला और फिर मेरे दबाव मे बच्चे को लेकर दोनो बेड पर लेट गयी थी। मै सोफे की गद्दियों को सिरहाना बना कर कालीन पर लेट गया। कुछ सोच कर मैने पूछा… आमेना क्या आप लोग बुर्का और हिजाब पहन कर सोते हो?  …नहीं। …तो इनको जुदा करके आराम से सो जाओ। आमेना ने उठ कर एक नजर मुझ पर डाल कर अपना बुर्का उतार कर बोली… गजल तुम भी हिजाब हटा दो। सुबह से देर रात तक की थकान मुझ पर हावी हो रही थी परन्तु अंजली की याद के कारण नींद आँखों से कोंसों दूर थी। वह अकेली एक अनजान देश मे एक दुर्दान्त चरमपंथी के पीछे गयी थी। उसके बारे मे सोचते हुए कब नींद के नशे मे डूब गया मुझे पता नहीं चला। सुबह मेरी आँख जल्दी खुल गयी थी। वह दोनो गहरी नींद मे सो रही थी। मै तैयार होने के लिये बाथरुम मे घुस गया और जब तक बाहर निकला तब तक काशिफ जाग चुका था। वह हवा मे अपने हाथ-पाँव चला रहा था। आज सूट के बजाय अपना पुराना लिबास निकाल कर पहन लिया था। सिर पर पगड़ी बाँध कर जैसे ही मुड़ा तो मेरी नजर आमेना और गजल पर पड़ी जो चुपचाप हैरत भरी नजरों से मेरी ओर देख रहीं थी।

…तुम भी तैयार हो जाओ। …यह आपने क्या पहन लिया? …अपने परिवार से मिलने जा रहा हूँ तो वही कपड़े पहनने पड़ेंगें जो सब पहनते है। …इस हुलिये मे आपको पहचानना मुश्किल है। …कोई बात नहीं। जब लौट कर तुम्हारे पास आऊँगा तब सूट पहना होगा। आमेना ने झेंप कर अपना चेहरा बच्चे के पीछे छिपा लिया था। मै फोन पर नाश्ते का आर्डर देने मे व्यस्त हो गया और आमेना तैयार होने के लिये चली गयी थी। …गजल जरा खड़ी हो जाओ। वह सकुचाती हुई खड़ी हो गयी थी। रंग, कद और काठी पठान के अनुरुप था। चेहरे पर मसुमियत और अलहड़पन साफ झलक रहा था। ढीले से कुर्ते और शलवार मे जिस्मानी उतार चढ़ाव का अनुमान लगाना मुश्किल था परन्तु निकाह के पश्चात लड़कियों के जिस्म मे जो बदलाव दिखता है वह गायब था। वह एक छुईमुई सी अपरिपक्व लड़की लग रही थी। आमेना हाथ मुँह धोकर जब बाहर निकली तो दिन की रौशनी मे और भी सुन्दर लग रही थी। ढीले से कुर्ते और शलवार मे होने के बावजूद अपने उफनते यौवन को छिपाने मे असफल थी। उसको इस रुप मे देख कर मेरे मुख से अनायस ही निकल गया… पर्फेक्ट।  गजल तैयार होने के लिये चली गयी थी।

वह मेरे पास बैठ कर अपने खुले हुए बालों को बाँधते हुए बोली… कल आपने अपने पैसे वसूल नहीं किये। मैने चौंक कर उसकी ओर देखा तो वह दूसरी दिशा मे देखते हुए मन्द-मन्द मुस्कुरा रही थी। …कल खाता खोला है। तीन के बाद वसूली शुरु हो जाएगी। …मै आपकी राह देखूँगी। …आमेना, इसको कुछ शादीशुदा लड़कियों जैसे दिखने के लिये कुछ कपड़े व अन्य मेक-अप का सामान खरीदवा दोगी तो बेहतर होगा। …मुझे कब दिलवायेंगें? …आज ही खरीद लेना। तभी दरवाजे पर किसी ने दस्तक दी तो मैने कहा… नाश्ता आ गया है। आमेना ने उठ कर दरवाजा खोला तो वेटर नाश्ता लेकर आ गया था। …सुनिये क्या यहाँ दूध मिल सकता है? वेटर ने मेरी ओर देखा तो मैने कहा… अगर रेस्त्रां मे दूध नहीं है तो बाहर से मंगवा दिजिये। बच्चे के लिये चाहिये। इतना बोल कर मैने पर्स से एक नोट निकाल कर वेटर को पकड़ा दिया था। गजल भी तब तक बाहर निकल आयी थी। हम नाश्ता करके चलने के लिये तैयार हो गये थे। अपने सूट और बूट इकठ्ठे करके मैने एक बैग मे डाल कर लैंडरोवर के पिछले हिस्से मे रखवा दिये थे। केरीबैग मे बाथरुम का सामान और अन्य छोटी-मोटी चीजें डाल कर मै चलने के लिये तैयार हो गया था। मैने गेस्टहाउस का बिल चुकाया और उन्हें लेकर मुख्य बाजार की ओर चल दिया। आमेना के हाथ मे हजार के दस नोट थमा कर मैने कहा… इनसे अपने और गजल के लिये कुछ कपड़े व अन्य सामन खरीद लो। अगर और जरुरत पड़े तो इसको पैसे लेने के लिये यहीं भेज देना। …आप नहीं आ रहे? …मुझे आफिस मे फोन करना है। मै यहीं गाड़ी मे तुम्हारा इंतजार कर रहा हूँ। वह दोनो बाजर मे चली गयी थी और मै अपना स्मार्टफोन निकाल कर मेनका से बात करने के लिये उसका नम्बर लगाया।

…हैलो। …अब्बू। …बेटा क्या हाल है? …सब ठीक है। केन मेरे साथ बैठा हुआ है। हम लोग आज मार्किट जा रहे है। वह बोलती चली जा रही थी और मै उसकी आवाज सुन रहा था। बीच-बीच मे मै एक दो सवाल भी कर देता था। कुछ देर उसकी कहानी सुनने के बाद मैने पूछा… अम्मी वापिस कब आ रही है? …अब्बू कल रात को ही बात हुई थी। उनको कुछ समय लगेगा। …यहाँ पर तुम्हारे साथ कौन है। …सभी है। मैने ज्यादा कुरेदना ठीक नहीं समझा तो बात समाप्त करके बोला… बेटा अपना और केन का ख्याल रखना। एक दो दिन मे तुम्हें दोबारा फोन करुँगा। अम्मी का फोन आये तो कह देना कि मै उन्हें बहुत याद करता हूँ। इतनी बात करके मैने फोन काट दिया था। सुबह बाजार मे इतनी भीड़ नहीं थी तो एक घंटे मे दोनो सामान खरीद कर वापिस आ गयी थी। …एक बैग खरीद लेती तो उसमे गजल का सामन रख देती। …फ्लैट पर इसका बैग रखा है। वह ले जाएगी। मैने फिर कुछ नहीं कहा और तिलाई टाउन की दिशा मे चल दिया था। उन्होंने भी सारे रास्ते मुझसे कोई बात नहीं की थी। मैने अपनी गाड़ी उनके फ्लैट के नीचे रोकी तो आमेना ने कहा… वह अपना बैग लेकर आ रही है। आप इंतजार किजिये। बस इतना बोल कर दोनो अपने फ्लैट की ओर चली गयी थी। गजल के लौटने के इंतजार मे मेरी नजर सीड़ियों की ओर लगी हुई थी। दस मिनट के पश्चात गजल सीड़ियों से उतरते हुए दिख गयी थी। स्कूल बैक उसके कन्धे पर टंगा हुआ था। उस बैग के स्ट्रेप के कारण कुछ ऐसा उत्तेजक दृश्य देखने को मिला कि एक टक उस नजारे को देखता रह गया था।

न चाहते हुए भी मेरी आँखे गजल के हिलते हुए उभरे हुए वक्षस्थल पर टिक गयी थी। ढीले कुर्ते मे शायद मैने कभी नोट नहीं किया था परन्तु बैग के स्ट्रेप के कारण कुर्ता सीने पर जरा सा कस गया था। उसके सीने के दोनो उभरे हुए हिस्से और भी ज्यादा उभरे हुए प्रतीत हो रहे थे। परन्तु उसके हर बढ़ते कदम पर दोनो कलश कभी डोलते हुए लगते और कभी थरथराते हुए दिख रहे थे। मै आँखें फाड़े उसकी हिचकोले लेते हुए वक्षस्थल को देखने मे डूबा हुआ था कि तभी वह लैंडरोवर का दरवाजा खोल कर बोली… ऐसे क्या देख रहे है? उसकी आवाज अपने इतने पास सुन कर मैने हड़बड़ा गया था। मैने जल्दी से कहा… कुछ नही। बस जल्दी से बैठो। हमे दूर जाना है। उसके लैंडरोवर मे बैठते ही हम जलालाबाद की दिशा मे निकल गये थे। अपनी बेवकूफी पर मै मन ही मन शर्मिन्दा हो रहा था। काबुल से बाहर निकलते ही गजल ने पूछा… जलालाबाद कितनी दूर है? …दो घन्टे का रास्ता है। आराम से बैठ जाओ।

कुछ देर चुप्पी के बाद गजल ने पूछा… आपके घर मे कौन-कौन है? जब कोई उचित जवाब नहीं सूझा तो मैने कहा…सभी है। मेरा जवाब सुन कर वह सिर झुका कर चुप बैठ गयी थी। कुछ दूर निकलने पश्चात वह फिर बोली… क्या मै इतनी बुरी हूँ कि आप मुझसे बात भी नहीं करना चाहते। …नहीं ऐसी बात नहीं है। गाड़ी चलाते हुए ध्यान सड़क पर होना चाहिये। …रहने दिजिये। गाड़ी चलाते हुए आप आपा से तो आराम से बात कर रहे थे। उसकी बात सुन कर मैने गरदन घुमा कर उसकी ओर देखते हुए मैने मुस्कुराते हुए कहा… पिछले दो दिन से तुम्हारी आवाज मैने सिर्फ चार बार सुनी थी। अब अचानक ऐसा क्या हो गया कि तुम सवाल पर सवाल पूछती जा रही हो? इस बार वह मेरी ओर देख कर बोली… मै आपके या आपके परिवार के बारे मे कुछ नहीं जानती तो फिर कैसे मै आपकी बीवी बन सकती हूँ। आपा ने चलते हुए कहा था कि रास्ते मे उनसे सब कुछ समझ लेना। वहाँ पर कोई गलती नहीं होनी चाहिये। …वहाँ की चिन्ता मत करो। उस जगह मुझे कोई नहीं जानता। उसने चौंक कर मेरी ओर देखा तो मैने जल्दी से पीछे आते हुए ट्रेफिक पर नजर डाल कर लैंडरोवर को सड़क से उतार कर कच्चे मे खड़ा करके बोला… गजल घबराने की कोई बात नहीं है। बस इतना जान लो कि जहाँ हम जा रहे है वहाँ हम दोनो को कोई नहीं जानता। गजल मेरी ओर देख रही थी। मेरी बात सुन कर उसके चेहरे पर आये अचरज के भाव एकाएक आतंक मे तब्दील हो गये थे। उसने लड़खड़ाती आवाज मे पूछा… आप कौन है?

मैने उसका कांपता हुआ हाथ अपने हाथ मे लेकर कहा… मुझसे डरने की जरुरत नहीं है। याद है मैने आमेना से क्या कहा था कि तुम पर कोई आँच नहीं आएगी। वह फटी हुई आँखों से मुझे देखती रही लेकिन शायद डर के कारण मेरी बात समझने की कोशिश नहीं कर रही थी। अब उसका सच से सामना कराने का वक्त आ गया था। मैने एक नजर बाहर डाली तो कुछ कदम पर एक छोटा सा रेस्त्रां काबुल नदी के तट पर बना हुआ था। मैने इशारे से उसे दिखाते हुए कहा… देखो वहाँ चल कर आराम से बैठ कर बात करते है। इतना बोल कर मै लैंडरोवर का दरवाजा खोल कर उतर गया था। वह डरते-डरते नीचे उतर कर मेरे साथ रेस्त्रां की ओर चल दी थी। कुछ बैठने की जगह तलाश करके नदी की ओर देखते हुए उसे अपने साथ बिठा कर मैने अपने सफर की सारी कहानी सुनाने के पश्चात कहा… हम दोनो शाम तक उनके ठिकाने पर पहुँचेंगें और एक रात के लिये उनके पास रुकेंगें। मेरी बीवी होने के कारण तुम आसानी से उन तीनो से बात करके वैजयन्ती का पता लगा कर मुझे बता देना। उसके बाद वैजयन्ती को उनके बीच से निकालने की मेरी जिम्मेदारी है। क्या तुम मेरी इस काम मे मदद कर सकती हो? वह सामने बहती हुई काबुल नदी को कुछ देर देखती रही और फिर धीरे से बोली… यह वैजयन्ती आपकी क्या लगती है? …वह मेरी कोई नहीं लगती। एक मजलूम की सहायता करने की कोशिश कर रहा हूँ। पता नहीं वह किस दबाव मे उनके जुल्म बर्दाश्त कर रही है। …आप क्या सभी मजलूमों की मदद करने के लिये तैयार हो जाते है? …क्या मतलब? …आमेना आपा ने अपनी कहानी सुनाई तो आप तुरन्त पैसे रख कर वापिस चल दिये थे। वैजयन्ती ने मदद मांगी तो आप उसको वहाँ से निकालने के लिये चल दिये। अब अगर मै मदद मांगूगी तो क्या आप मेरी भी मदद करने के लिये भी ऐसे ही तैयार हो जाएँगें? उसकी मासूम सी बात पर हँसते हुए मैने कहा… गजल, आप मेरी बीवी है। आपको तो सिर्फ हुक्म देने की जरुरत है। वह कुछ देर सोचने के बाद मुड़ कर मेरी ओर देख कर बड़े आत्मविश्वास से बोली… अब चलिये। वैजयन्ती को लेकर ही वापिस लौटेंगें।

शाम तक हम जलालाबाद पहुँच गये थे। यहाँ पर काबुल शहर की भव्यता और रौशनी नदारद थी। एक पुराना शहर लग रहा था। जब तक ईदगाह मस्जिद पर पहुँचा तब तक अंधेरा हो गया था। गजल को लैंडरोवर मे छोड़ कर मस्जिद के बाहर लगी हुई सीमेन्ट के बेन्च पर बैठे हुए कुछ लोगों के पास पहुँच कर मैने पूछा… भाईजान, दिलावर पठान कहाँ मिलेंगें? उनमे से एक आदमी बोला…अन्दर जाकिर भाई से पूछ लो। मस्जिद के अन्दर प्रवेश करते ही मेरी नजर एक कारिन्दे पर पड़ी जो फर्श को पानी से धो रहा था। …जाकिर भाई। उसने गरदन घुमा कर मेरी ओर देखा तो मैने जल्दी से पूछा… भाईजान, दिलावर पठान से मिलना है। वह कहाँ मिलेंगें? फर्श धोते हुए उसने कहा… मस्जिद के पीछे उनका घर है। इस वक्त वहीं मिलेंगें। …वहाँ गाड़ी जा सकती है? जाकिर काम छोड़ कर मेरे साथ मस्जिद से बाहर निकल कर इशारे से बोला… साथ वाली सड़क से अन्दर चले जाओ। दाहिने हाथ पर पहला मोड़ मुड़ते ही पहला मकान दिलावर पठान का है। मै वापिस लैंडरोवर मे जाकर बैठ गया। वहाँ से चलने से पहले मैने गजल से कहा… गजल अब तुम अपना बुर्का ओढ़ लो। वह बुर्का ओढ़ने मे व्यस्त हो गयी और मैने अपनी सीट के नीचे से ग्लाक-17 निकाल कर सेफ्टी लाक चेक करके अपने पाजामे के नाढ़े मे अटका ली थी।  डैशबोर्ड से एक एक्स्ट्रा क्लिप अपनी जेब के हवाले करके मै बताये हुए रास्ते पर निकल गया।

पहले मकान के दरवाजे के सामने लैंडरोवर रोक कर मैने उतर कर दरवाजे के कुन्डे को दरवाजे पर खटखटा कर चुपचाप खड़ा हो गया। अन्दर से किसी ने पुकारा… कौन है? फिर सांकल हटाने की आवाज आयी और एकाएक दरवाजा खुल गया। दिलावर पठान आंगन मे पलंग पर बैठा हुआ हुक्का गुड़गुड़ा रहा था। वहाँ पर चार आदमी उसके सामने बैठे हुए थे। तभी दरवाजे के पीछे से एक आदमी सामने आकर बोला… क्या काम है। उस आदमी की शक्ल देखते ही पहचान गया था। वह अली था। …अली भाई मै समीर हूँ। पहचाना? तभी दिलावर पठान वहीं से जोर से चिल्लाया… समीर अन्दर चले आओ। आंगन मे पहुँचते ही दिलावर जोर से हँसते हुए बोला… यह क्या हुलिया बना लिया है। तेरी बीवी को उन्होंने नहीं भेजा? …नहीं। ऐसी बात नहीं है। वह मेरे साथ है। रात हो गयी थी तो बीवी के साथ सीमा पार नहीं करना चाहता तो आपके पास आ गया। दिलावर उठ कर खड़ा हो गया और मेरी पीठ पर धौल जमा कर बोला… अपनी बीवी किसके पास छोड़ आया? …बाहर गाड़ी मे है। सुसराल वालों ने विदा करते हुए अपनी बेटी की सहुलियत के लिये एक गाड़ी दे दी है। दिलावर बाहर निकल कर लैंडरोवर को देख कर बोला… तेरी तो लाटरी लग गयी। …क्या खाक लाटरी लगी है। अब मेरी तनख्वाह पेट्रोल मे जाया होगी।

हमे लैंडरोवर की ओर आते हुए देख कर तब तक गजल नीचे उतर कर एक किनारे मे खड़ी हो गयी थी। …आओ बिटिया। मै किसी को भेजता हूँ जो आपको जनानखाने तक पहुँचा देगी। गजल सलाम करके हमारे साथ आंगन मे आ गयी थी। दिलावर ने जोर से आवाज लगा कर कहा… किसी को जनानखाने से भेजना। तभी जीनत भागती हुई आंगन मे आयी और मुझे देखते ही एक पल के लिये वह ठिठक कर रुक गयी। अली जल्दी से बोला… जीनत, अपनी चची को जनानखाने मे लेजा। समीर तू हमारे साथ बैठ। जीनत गजल का हाथ पकड़ कर अपने साथ ले गयी और मै वहीं आंगन मे उनके साथ बैठ गया था। दिलावर पठान अपने स्थान पर बैठ कर बोला… यह अच्छा किया कि तू यहाँ आ गया। रात मे जवान औरत के साथ सीमा पार करने मे बहुत खतरा है। वर्दी वाले हम पश्तूनों को अपना गुलाम समझते है। हमारी बहू और बेटियों के साथ जानवर जैसा सुलूक करते है।

कुछ सोच कर मैने पूछा… मैने तो सुना था कि दाईश और अन्य तंजीमो के गाजियों के साथ तो फौज अच्छा सुलूक करती है। अबकी बार अली घुर्रा कर बोला… कौन हरामखोर कहता है। आज तक पाकिस्तानी फौज ने हमारा इस्तेमाल सिर्फ अपने निजि फायदे के लिये किया है। …अली भाई, वह सभी तंजीमो को हथियार और पैसे देती है। अली ने तुरन्त जवाब दिया… कश्मीरी और कुछ मजहबीं तंजीमो को छोड़ कर फौज किसी की मदद नहीं करती है। दिलावर धुएँ को हवा मे छोड़ते हुए बोला… पहले अमरीका से डालर लेकर फौज कुछ डालर तालिबान को दे दिया करती थी। अब तो पाकिस्तानी एस्टेबलिश्मेन्ट सारी मदद हक्कानी समूह को दे रहे है। कल ही सीमा से खबर मिली है कि सिकन्दर हक्कानी हमारे छोटे-छोटे गुटों को हक्कानी गुट मे विलय करने के लिये दबाव डाल रहा है। …अब्बाजान, अब हमे हक्कानियों को निशाने पर लेना पड़ेगा। …अभी समय ठीक नहीं है। अमरीका के साथ बातचीत अगर कामयाब हो गयी तो सिराजुद्दीन हक्कानी का तालिबानी गुट सत्ता पर काबिज हो जाएगा। हक्कानियों की इस चाल से अब दाइश भी खतरा महसूस करने लगा है। एक अधेड़ सा आदमी जो अभी तक चुप बैठा हुआ था वह अचानक बोला… दिलावर भाई, तब तक बहुत देर हो जाएगी। दिलावर ने हुक्का गुड़गुड़ा कर कहा… अभी उनसे टकराने का समय नहीं आया है। ओमार, फिरोज, अखुन्डजादा, जोरावर, शेरखान, मोहसिन और मुल्ला जैसे लोगों के परिवार पाकिस्तान के अलग-अलग हिस्सों मे रह रहे है। सभी जानते है कि अगर हमारी ओर से पहल हुई तो आईएसआई के निशाने पर उनका पूरा परिवार आ जाएगा। बड़े मुल्ला ने सभी को हक्कानियों के खिलाफ कोई भी कार्यवाही करने से मना किया है। दिलावर की बात सुन कर एक बार फिर शांति छा गयी थी।

नौ बजे के करीब जीनत और एक लड़की आंगन मे आकर बोली… दस्तरखान लग गया है। बस इतना बोल कर दोनो वापिस भाग गयी थी। एक-एक करके सब उठ कर एक दिशा मे चल दिये थे। मै भी उनके पीछे चल दिया था। एक बड़े से हाल मे मटन की देगची और एक बड़ा सा बिरयानी का थाल रखा हुआ था। उस हाल मे एक झीना सा पर्दा बीच मे खिंचा हुआ था। पर्दे के दूसरी ओर महिलाओं के बैठने का इंतजाम किया हुआ था। मेरा अनुमान था कि ऐसी ही देगची और थाल वहाँ पर भी रखा हुआ होगा। महिलाओं की संख्या का अंदाजा लगा मुश्किल था परन्तु बच्चे दोनो हिस्से मे आते-जाते दिख रहे थे। हम सब थाल के इर्द-गिर्द बैठ गये और फिर अली ने मटन की देगची को थाल मे उलट दिया था। दिलावर पठान कुछ बुदबुदा कर बोला… बिस्मिल्लाह किजिये। अगले ही पल खाना आरंभ हो गया और उसी के साथ राजनीतिक चर्चा भी आरंभ हो गयी थी। अब तक बातों से इतना तो समझ मे आ गया था कि दाईश मे दिलावर पठान कोई महत्वपूर्ण व्यक्ति था। अली को छोड़ कर बाकी तीन जिहादी इस महफिल मे नहीं थे। यही मेरे लिये चिन्ता का विषय था। अगर वैजयन्ती यहाँ नहीं हुई तो मेरा आना बेकार हो गया था। कुछ सोच कर मैने साथ बैठे हुए अली से पूछा… अली भाई आपके तीन साथी नहीं दिख रहे है। …समीर, वह मेरे भाई है। तीनो काम से बाहर गये है। देर रात तक वापिस आ जाएँगें। यह सुन कर मै चुपचाप खाने मे जुट गया था।

दिलावर पठान कुछ बोल रहा था लेकिन मेरा ध्यान पर्दे के दूसरी ओर लगा हुआ था कि तभी अचानक बाहर शोर मचा तो सबके हाथ रुक गये थे। …अली देख बाहर क्या हो रहा है? अली फौरन उठा और जैसे ही बाहर जाने के लिये बढ़ा कि तभी दो आदमी भागते हुए अन्दर आकर जोर से चीखे… आका, अपनी गली मे अफगान फौज घर-घर की तलाशी ले रही है। एकाएक हाल मे सन्नाटा छा गया था। दिलावर की आवाज गूंजी… क्या हुआ? …पता नहीं। वह कुछ और बोलता कि उससे पहले अफगान फौज के कुछ सिपाहियों के साथ एक अफसर के साथ वालकाट हाल के अन्दर प्रवेश करता हुआ दिखायी दिया तो मै सावधान हो गया। अफगानी अफसर घुर्रा कर बोला… बाहर लैंडरोवर किसकी खड़ी है? मैने जल्दी से उठ कर उनके सामने पहुँच कर कहा… वह मेरी गाड़ी है। …चलो उसको वहाँ से हटाओ। फौज के ट्रक का रास्ता रुका हुआ है। दिलावर अब तक संभल गया था। उसने पूछा… जनाब तलाशी की वजह क्या है? …दिलावर पठान तुम पाकिस्तान से यहाँ किस लिये आये हो? दिलावर पठान ने गिरगिट की तरह रंग बदलते हुए बोला… माईबाप, अपने घर वापिस आया हूँ। भला इसमे आपको या सरकार को क्या आपत्ति हो सकती है। …दिलावर, आज शाम को जलालाबाद एयरबेस पर अमरीकी फौज के साथ हुई मुठभेड़ मे रज्जाक मारा गया। उसके पास आरडीएक्स काफी मात्रा मे मिला है। दाईश ने कौनसी नयी साजिश रची है? मै पागलों की भाँति वालकाट को देख रहा था। लेकिन तभी पर्दे के दूसरी तरफ से एक औरत जोर से चीखी… रज्जाक। हाय अल्लाह। अगले ही पल उनका रोना पीटना चालू हो गया था। दिलावर बोला… कौन रज्जाक? मै किसी रज्जाक को नहीं जानता। वह अफसर चलता हुआ दिलावर के पास पहुँच कर बोला… तुम्हारा बेटा रज्जाक इस्माईल पठान। हमे सब मालूम है तो हमारी आँख मे धूल झोंकने की कोशिश मत करो। वह अफसर जोर से चिल्लाया… सबको इस हाल मे इकठ्ठा करो। यह पर्दा हटाओ और ख्याल रहे कि कोई भी इस हाल से बाहर तब तक नहीं निकलेगा जब तक तलाशी का काम पूरा नहीं हो जाता। इतना बोल कर वह अफसर वालकाट से बात करने मे व्यस्त हो गया था।

आनन-फानन मे दो सिपाहियों ने पर्दा खींच कर हटा दिया था। औरतें और लड़कियाँ चीखते हुए इधर-उधर भागने लगी लेकिन तब तक दोनो दरवाजों पर कुछ और सिपाही तैनात हो गये थे। किसी ने दुपट्टा और किसी ने चादर से अपना चेहरा छिपाया। गजल हिजाब मे थी। मुझे देखते ही वह दौड़ कर मेरे पास आ गयी थी। डर के कारण उसका चेहरे सफेद हो गया था। मैने धीरे से उसके कन्धे को दबा कर कहा… गजल घबराने की कोई बात नहीं है। तभी वह अफसर दहाड़ा… अबे अपनी गाड़ी हटाने नहीं गया। मैने जल्दी से कहा… जनाब, मेरी बीवी बेहद आतंकित हो गयी है। अगर आप इजाजत दें तो इसे मेरे साथ बाहर जाने दें। गाड़ी हटा कर हम दोनो वापिस आ जाएँगें। गजल पर एक नजर डाल कर वालकाट ने जाने का इशारा किया और अफगानी अफसर अपने साथ आये सिपाहियों को निर्देश देने मे व्यस्त हो गया। सारी गली मै सैनिक फैले हुए थे। दो फौज के ट्रक मेरी लैंडरोवर के पीछे खड़े हुए थे। मुझे देखते ही एक सैनिक जोर से चिल्लाया… अबे गाड़ी हटा। मै गजल का हाथ पकड़ कर लगभग भागते हुए गाड़ी मे बैठा और आगे बढ़ गया। लैंडरोवर हिलते ही दोनो ट्रक मेरे पीछे चल दिये थे। गली के अंतिम छोर पर मोड़ से पहले एक खाली जगह देख कर मैने लैंडरोवर सड़क से उतार कर किनारे मे खड़ी कर दी थी। दोनो ट्रक मेरे पास से निकल कर आगे बढ़ गये थे। एक ट्रक आगे निकल गया और एक ट्रक मोड़ पर रुक गया था। दर्जन से ज्यादा सिपाही धड़धड़ाते हुए ट्रक से उतर कर इधर-उधर फैल गये थे।

गजल अभी भी मेरी बाँह पकड़ कर बैठी हुई थी। उसका जिस्म थरथर काँप रहा था। उसका चेहरा अपने हाथ मे लेकर मैने कहा… घबराने की जरुरत नहीं है। क्या वैजयन्ती मिल गयी? वह अभी भी डरी हुई थी। उसने धीरे से सिर हिला कर हामी भरते हुए कहा… वह कल बाजार जाएगी। वह हमे वहाँ पर मिलेगी। …कोई बात नहीं। इतनी बात करके हम दोनो गाड़ी बन्द करके पैदल दिलावर के घर की ओर चल दिये थे। हाल मे पहुँच कर मै और गजल एक किनारे मे खड़े हो गये। रात के दो बज गये थे जब तक शिनाख्त और तलाशी का अभियान समाप्त हुआ था। पूछताछ के लिये दिलावर और अली के साथ दो और परिवार के लोगों को फौज अपने साथ ले गयी थी। वालकाट की कार्यवाही के कारणों का मुझे पता नहीं था परन्तु कुछ देर उसने मुझसे पूछताछ करके छोड़ दिया था। हवेली मे बस महिलायें और कुछ नौकर रह गये थे। बाकी आदमी फौज के जाते ही निकल गये थे। सबके जाने के बाद निर्णय लेने वालों मे बस बड़ी बी रह गयी थी। मर्दो मे वहाँ पर मेरे साथ कुछ नौकर व बच्चे रह गये थे। हाल मे गमगीन माहौल हो गया था।

गजल अभी भी मेरी बाँह पकड़ कर खड़ी हुई थी। मैने बड़ी बी से कहा… आप चिन्ता मत किजिये। मै तब तक यहाँ से नहीं जाने वाला जब तक दिलावर चचा और अली भाई वापिस नहीं आते। बड़ी बी बोली… बेटा, हमारा दुश्मन ऐसे ही टाइम पर घात लगा कर हमला करता है। तुम यहाँ होगे तो हम बेफिक्र हो जाएँगें। …बड़ी बी, मै समझा नहीं। …बेटा, मुख्तियारी के लिये भाई-भाई को हलाक कर देते है। उनके जाने के बाद कुछ लोग शायद आज रात को ही हमला करने की कोशिश करेंगें। हमे सावधान रहने की जरुरत है। हमारे यहाँ सिर्फ यह तीनो लड़कियाँ हथियार चलाना जानती है। तीन पर्दानशींन औरतें बड़ी बी के पास आकर खड़ी हो गयी थी। …आपके पास हथियार है? …जी। …तो अपने हथियार लेकर आओ। मैने अपने फेंटें से ग्लाक-17 निकाल कर दिखाते हुए कहा… मेरे पास मेरा अपना हथियार है। गजल तुम बड़ी बी के साथ चली जाओ। यहाँ की सुरक्षा मै संभाल लूँगा। परन्तु गजल वहाँ से हिलने के लिये तैयार ही नहीं थी। बड़ी बी ने उसे बहुत समझाया परन्तु वह मुझे छोड़ कर जाने के लिये राजी नहीं हुई तो आखिर मे मैने कहा… इसे मेरे साथ रुकने दिजिये। आप बच्चो और महिलाओं को लेकर अपने कमरे मे चली जाईये। बस मुझे एक व्यक्ति ऐसा दे दिजिये जो मुझे इस इमारत के हर कोने को दिखा दे। तभी एक औरत बोली… अम्मी मै दिखा दूँगी। …इन्हें तू हवेली दिखा दे। इतना बोल कर बड़ी बी बच्चों को लेकर अपने कमरे मे चली गयी थी।

गजल ने इतनी देर मे पहली बार मुझसे कहा… यह माला है। वैजयन्ती हथियार लेने के लिये गयी है। मै एक नजर माला पर डाली तो वह शक्ल सूरत और कद काठी से पंजाबी लग रही थी। मै समझ गया कि वह तीन महिलायें जो मेरे साथ सफर कर रही थी उनमे से एक यह भी थी। फिलहाल मैने कोई बात करना उचित नहीं समझा तो मै माला के साथ उस मकान के चप्पे-चप्पे को देखने के लिये निकल गया था। …यह हिस्सा सड़क के सामने खुलता है। दस फुट की दीवार को देख कर मैने कहा… दीवार फांदना इतना आसान नहीं होगा। दूसरी दीवार किसके साथ लगी हुई है? …वह ईदगाह मस्जिद की दीवार के साथ लगी हुई है। एक नजर पूरी दीवार पर डाल कर मै आगे बढ़ते हुए बोला… वह जगह दिखाओ जहाँ से वह आने की कोशिश कर सकते है। …सड़क की ओर दीवार सबसे कमजोर स्थान है। हल्की सी सेंधमारी करके पूरी जिहादियों की फौज अन्दर प्रवेश कर सकती है। मैने उस दीवार का आंकलन करके कहा… माला तुम सही बोल रही हो कि यह दीवार सबसे कमजोर कड़ी है। कुछ देर के बाद जब हम वापिस हाल मे पहुँचे तो वैजयन्ती और सितारा हमारा इंतजार कर रही थी।

…मैने सभी स्थानों को देख लिया है। आज की रात हमें चौकस रहने की जरुरत है। माला और सितारा आज रात तुम दोनो दस फीट वाली बाँयी दीवार पर निगरानी रखना। जैसे ही किसी को अन्दर प्रवेश करने की कोशिश करते हुए देखो तो संभल कर फायरिंग आरंभ कर देना। हमे भी पता चल जाएगा। मै और वैजयन्ती मुख्य द्वार वाली दीवार पर नजर रखेंगें। हमारी ओर से फायरिंग होगी तो तुम्हें भी पता चल जाएगा। उसके बाद हालात देख कर हम लोग जगह की अदला-बदली करने की सोचेंगें। तीनो ने जल्दी से सिर हिला कर अपनी स्वीकृति देने के पश्चात माला ने पूछा…गजल को कहाँ तैनात कर रहे है? गजल अभी भी मेरे साये की तरह मेरा हाथ पकड़ कर बैठी हुई थी। …इसे मेरे पास रहने दो। किसी ने कुछ नहीं कहा और सब अपनी जगह पर तैनात हो गयी थी। वैजयन्ती और गजल के साथ मै मुख्य द्वार पर नजर टिका कर बैठ गया था।

गजल ने मेरी बाँह अभी भी पकड़ रखी थी। …गजल अगर ऐसे ही मेरी बाँह पकड़े रहोगी तो मै दुश्मन पर गोली कैसे चला सकूँगा। उसने जल्दी से मना करते हुए कहा… अगर आपको कुछ हो गया तो मै क्या करुँगी। वैजयन्ती ने मुस्कुरा कर कहा… बानो, अपने खाविन्द से बहुत मोहब्बत करती हो। गजल तुरन्त बोली… क्या आप अपने खाविन्द से मोहब्बत नहीं करती? एकाएक वैजयन्ती संजीदा होकर बोली… यहाँ पर किसी का एक खाविन्द नहीं होता है। तुम खुशकिस्मत हो कि तुम्हारा एक खाविन्द है। गजल ने उसकी दुखती नस दबा दी थी। कुरेदने की मंशा से मैने धीरे से पूछा… वैजयन्ती क्या इस दोजख से बाहर निकलना चाहती हो? उसने चौंक कर मेरी ओर देखा तो मै उसकी ओर ही देख रहा था। गजल धीरे से बोली… बाजी, यह आपको यहाँ से निकालने के लिये आये है। …वैजयन्ती आज की रात तो हम सभी को रतजगा करना है तो कम से कम इतना बता दो कि तुम कालीकट से यहाँ कैसे पहुँच गयी? वह चौंक कर बोली… आपको कैसे पता कि मै कालीकट से हूँ। …तुम्हारे आईकार्ड पर तुम्हारा नाम और पता दिया हुआ था। क्या भूल गयी? उसने एक बार मुझे घूर कर देखा और फिर वह द्वार पर निगाह टिका कर बैठ गयी थी। मै कुछ पूछता उससे पहले एके-53 चलने की आवाज ने रात की शान्ति भंग कर दी थी। दुश्मन की ओर से कार्यवाही आरंभ हो गयी थी। …वैजयन्ती, तुम माला और सितारा की मदद करने के लिये निकल जाओ। यहाँ मै संभाल लूंगा। वह तुरन्त एक प्रशिक्षित लड़ाकू की तरह सिर झुकाये अंधेरे मे खो गयी थी।

रविवार, 21 जुलाई 2024

 

 

शह और मात-11

 

रात को सारी रिकार्डिंग भेज कर मैने एक मेसेज डाल दिया… कल सुबह सात बजे आपके नये निर्देश लेने के लिये काल करुँगा। मेसेज और रिकार्डिंग भेज कर मै कपड़े बदल कर बिस्तर पर पड़ गया था। अगली सुबह कमांड सेन्ट्रल से संपर्क साधते ही जनरल रंधावा की आवाज गूंजी… पुत्तर, मै दोनो को लाइन पर ले रहा हूँ। वीके की आवाज कान मे पड़ी… मेजर। तभी अजीत सर बोले… कल की बातचीत की रिकार्डिंग हमने सुन ली है। …सर, अब बताईये कि आगे क्या करना है? वीके ने कहा… मेजर, वालकाट का असिस्टेन्ट बनने मे तुम्हें एक फायदा है कि तुम्हारे पास इसके द्वारा वालकाट के नीतिगत फैसलों पर प्रभाव डाल सकते हो परन्तु इसी के साथ यह भी खतरा है कि तुम उसके नेटवर्क के सामने आ जाओगे। अजीत सर ने बीच मे बात काटते हुए कहा… वीके, उसके नेटवर्क के सामने अगर समीर आ भी गया तो भी यह भेद करना मुश्किल हो जायेगा कि वह पाकिस्तानी समीर है या भारतीय समीर है। मैने जल्दी से कहा… सर, मै नेपाल का समीर भी हो सकता हूँ। आप सही कह रहे है कि यह मेरे उपर निर्भर करता है कि उसके नेटवर्क के सामने मै कैसे पेश आता हूँ। जनरल रंधावा बोले… अजीत, इस आप्रेशन मे व्यक्ति को सामने तो आना ही पड़ेगा। अच्छा यही होगा कि हमारा और इसका संपर्क सीधे और परोक्ष रुप से कभी नहीं होना चाहिये। अबकी बार वीके ने निर्णय लेते हुए कहा… मेजर, वालकाट अपने हित साधने की कोशिश करेगा। हमे अपना काम करते हुए बस यह ख्याल रखना है कि कहीं अपने हित साधते हुए वह हमारे लिये कोई नयी मुश्किल न खड़ी कर दे। इस लिये उसके साथ काम करना हम सब के लिये बेहतर होगा। दोनो ने तुरन्त वीके की बात का अनुमोदन कर दिया था।

कुछ सोच कर मैने पूछा… सर, आज मुझे अपनी कीमत बतानी है। मै आज तक मर्सेनरी फोर्स रहा नहीं तो मुझे क्या करना चाहिये? अजीत सर ने पहल करते हुए कहा… पाकिस्तानी कारोबारी बने हो तो उनकी तरह सोचना। अमरीका को पाकिस्तान की हर चीज की कीमत देनी पड़ती है। इसलिये बेझिझक अपनी कीमत खुद तय करना। वीके ने सुझाव दिया… हर उद्देश्य के अनुसार अपनी कीमत तय करना। तभी जनरल रंधावा बोले… यार तुम लोग एक फौजी को क्यों बर्बाद करने पर तुले हुए हो। समीर पुत्तर यह सोच कर कीमत बताना कि तुम इस हक डाक्ट्रीन के लिये सल्श फन्ड तैयार कर रहे हो। इसके सिवा और कुछ नहीं सोचना। अजीत सर ने चुटकी लेते हुए कहा… सरदार, नेपाल की आब्सर्वेशन पोस्ट भी तूने मुफ्त मे तैयार करवा ली और इसका कारोबार भी मुफ्त मे सेट करवा दिया। अबकी बार मुफ्त मे इसे पाकिस्तानी पूंजी निवेशक भी बना दिया। अब फिर इसको मुफ्त मे काम करने की शिक्षा दे रहा है। भाई इसके भी बाल बच्चे है। इसको भी घर चलाना है और अपने भविष्य को भी देखना है। कब तक इससे मुफ्त मे काम लेता रहेगा। अब तो इसकी तन्ख्वाह भी बन्द हो गयी है। गरीब पर कुछ तो रहम कर। इसे भी कमाने दे। तीनो इसी बात मे उलझ गये थे।

मैने बीच मे बात काटते हुए कहा… सर, एक केरेला के सरकारी स्कूल का आईडेन्टिटी कार्ड की फोटो भेज रहा हूँ। प्लीज क्या आप इस लड़की के बारे जानकारी निकाल सकते है क्योंकि पहली बार मैने कुछ मलयाली लड़कियों को दाईश के जिहादियों के साथ पाकिस्तान मे देखा है। अजीत सर ने चौंकते हुए पूछा… साफ शब्दों मे बताओ। मैने उन तीन स्त्रियों की कहानी सुना कर पूछा… सर, यह मेरी समझ से बाहर है कि मलयाली लड़कियाँ दाईश के जिहादियों के साथ क्या कर रही है। सभी जिहादी पश्तून थे परन्तु महिलायें मलयाली होने कारण मुझे अजीब लगा था। केरेला कहीं दाईश का नया रिक्रूटमेन्ट सेन्टर तो नहीं बनता जा रहा है? …समीर, हमारे लिये भी यह जानकारी नयी है। भला हिन्दु मलयाली लड़की अफगानिस्तान कैसे पहुँच गयी। अगर रिक्रूटमेन्ट की बात है तो मलयाली मुस्लिम लड़के होने चाहिये थे। इसकी जाँच करनी जरुरी है। क्या तुम उन लड़कियों से दोबारा मिल सकते हो? …पता नहीं सर। कोशिश करके देखता हूँ लेकिन आप तो जानते है कि यहाँ के सामजिक परिवेश मे उनसे मिलना और बात करना बेहद मुश्किल होगा। …कोई बात नहीं। मै इस लड़की का पता लगाता हूँ और तुम भी अपनी ओर से कोशिश करके पता लगाओ। …जी सर। बस इतना बोल कर अजीत सर ने फोन काट दिया था। मैने तुरन्त आई-कार्ड स्कैन करके कमांड सेन्टर भेज कर तैयार होने के लिये चल दिया था।

अगले दिन ठीक दस बजे मै यूएस एम्बैसी के मुख्य द्वार पर पहुँच गया था। एम्बैसी क्या थी वह तो अमरीकन सेना का ब्रिगेड हेडक्वार्टर्स लग रहा था। पहला घेरा अफगान पुलिस का था। उसको पार किया तो अफगान सेना तैनात थी। तीसरा घेरा एम्बैसी के बाहर आधुनिक हथियारों से लैस यूएस मरीन्स तैनात थे। उसके बाद बड़े से लोहे के गेट को पार करके चप्पे-चप्पे पर मरीन्स की टुकड़ी तैनात थी। उन सब को पार करके जब तक मै रिसेप्शन पर पहुँचा तब तक मेरी तीन बार तलाशी ली जा चुकी थी। वह तो अच्छा हुआ कि मैने अपना हुलिया बदल लिया था वर्ना तो पहले घेरे से ही मुझे वापिस लौटा दिया जाता। रिसेप्शन पर खड़े हुए आदमी को अपना पासपोर्ट देकर मैने कहा… मुझे मिस्टर एन्थनी वालकाट से मिलना है। कुछ पल के लिये वह मुझे ताकता रहा और फिर बोला… क्या काम है? …आप उनसे खुद पूछ लिजियेगा। मेरा जवाब सुन कर वह स्तब्ध रह गया था। वह धीरे से बोला… मिस्टर आप इंतजार करिये। वह काउन्टर किसी और के हवाले करके कहीं चला गया और मै लोहे के जंगलों के पीछे बने हुए वेटिंग एरिया मे जाकर बैठ गया। पन्द्रह मिनट के बाद एक आदमी वेटिंग एरिया मे मेरे पास आकर बोला… मिस्टर बट। मै उठ कर खड़ा हुआ और उसके साथ चल दिया। एक कैदी की भांति लोहे के जंगलों के गेट को खोल कर अपनी दसों उँगलियों के निशान देकर मैने एम्बैसी के अन्दर प्रवेश किया था। गलियारों के जाल मे चलते हुए उसने मुझे एक कमरे मे ले जाकर बिठा दिया। …मिस्टर वालकाट अभी आ रहे है। इतना बोल कर वह वापिस चला गया। मुझे ऐसा लग रहा था कि मै किसी पिंजरे मे कैद होकर रह गया था।

वालकाट ने मुझे कुछ देर इंतजार कराया था। वह आते ही बड़ी गर्मजोशी से मिला और फिर मुझे एक आफिस मे ले गया। वहाँ मेरी तीन एंगल से फोटो खींची गयी और आँखों को स्कैन किया गया। एक मशीन पर दोनो हाथ रखवा कर उँगलियों के निशान लेने के पश्चात वालकाट ने कहा… आओ मेरे साथ। अपना आफिस भी देख लो। हम दोनो एक गलियारे से होते हुए लिफ्ट के सामने पहुँच गये थे। वालकाट ने अपना कार्ड निकाल कर स्कैनर पर रखा और तीसरी मंजिल का बटन दबा दिया। तीसरी मंजिल पर एक विशाल क्युबिकल का जाल था। वालकाट अपने आफिस मे पहुँच कर बोला… सैम तुम्हारे बैठने का इंतजाम अभी तक नहीं हुआ है। ग्रेड-3 आफीसर हमारे इन्फार्मेशन नेटवर्क से दुनिया के किसी भी हिस्से से जुड़ सकता है। तुम्हें इसी लेवल पर रखा जा रहा है। अब क्या पैसों की बात भी तय कर लें? …मिस्टर वालकाट मेरा रेट काम से तय होता है। आप काम बताईये तो मै उसके हिसाब से आपको पैसे बता दूंगा।

वालकाट के कुछ सोच कर कहा… सैम, अभी तुम सभी तंजीमो को इकठ्ठा करने की बात कर रहे थे। पहला काम यही है कि सब तंजीमो को इकठ्ठा करके उन्हें चीन के विरुद्ध काम करने के लिये तैयार करना है। …इस काम मे तीन खर्चे होने है। पहला हथियारों का खर्चा, दूसरा तंजीमो को अनुदान और तीसरा मेरा मेहनताना। इस काम का मेरा मेहनताना एक मिलियन डालर है। …और तंजीमो के लिये कितना तय किया है? …यह आपके बजट पर निर्भर करता है। छोटी तंजीमों के लिये दस लाख अफगानी प्रति महीना और बड़ी तंजीमो के लिये बीस लाख अफगानी प्रति महीना। मुझे उम्मीद है कि यह सारा काम छह महीने मे पूरा हो जाएगा। उनकी जरुरत के अनुसार उनको हथियार देने पड़ेंगे। …टोटल प्रोजेक्ट कास्ट कितनी हो जाएगी? …लगभग पाँच मिलियन यूएस डालर और हथियारों की कीमत अलग है। …यह हमे मंजूर है। अब तालिबान के खर्चे के बारे मे बता दो? …कुछ मीटिंग्स होने के पश्चात उसकी कीमत भी बता दूँगा क्योंकि उसमे इन खर्चों के अलावा कुछ राजनीतिक हत्या भी करवानी पड़ेगी। एन्थनी वालकाट कुछ पल मुझे घूरता रहा और फिर मुस्कुरा कर बोला… लगता है कि तुमने पूरी योजना तैयार कर ली है। तुम्हारे बैठने की जगह तय करने के लिये मै जानना चाहता हूँ कि क्या तुम्हारी कोई मांग है। …ऐसी जगह चाहिये जहाँ आपके स्टाफ के साथ मेरा कम से कम संपर्क हो। मेरे आने और जाने पर कम से कम लोगों की नजर पड़े। …ओके।

एक घंटे हम आप्रेशन की चर्चा मे व्यस्त हो गये थे। हमारी चर्चा पर अंकुश वालकाट की सेक्रेटरी ने लगाया जब वह मेरा आईडेन्डिटी कार्ड और एक नया आई-पैड देने आयी थी। …सैम यह मेरी सेक्रेटरी एलिस है। आप दोनो अपने फोन नम्बर एक्सचेन्ज कर लिजिये। नम्बर एक्सचेन्ज करने के बाद वह आईपेड और मेरा कार्ड देकर वापिस चली गयी थी। मैने उस कार्ड को देखा तो नेरा नाम सैम भट्ट लिखा हुआ था। आफिस की जगह यूएस स्टेट डिपार्टमेन्ट और पता यूएस कोम्पलेक्स दिया गया था। एक बात अच्छी दिखी कि स्टेशन का स्थान काबुल और इस्लामाबाद लिखा था। वालकाट ने आईपैड को इस्तेमाल करने का तरीका दिखा कर कहा… अपना पासवर्ड खुद डाल देना। इसके जरिये तुम हमारे नेटवर्क से किसी भी स्थान से जुड़ सकते हो और तुम्हारे ग्रेड का आफीसर सेटेलाईट से भी लिंक कर सकता है। अगले दो घंटे आईपेड को चलाने मे निकल गये थे। शाम हो चुकी थी। एम्बैसी बन्द हो चुकी थी परन्तु तीसरी मंजिल पर अभी भी दिन निकला हुआ था। …जैसे ही तुम्हारे बैठने का इंतजाम होगा, एलिस तुम्हें खबर कर देगी। …मै इस्लामाबाद जाने की सोच रहा हूँ। तेहरीक के बैतुल्लाह से मुलाकात तय करनी है। …पहले अपने आफिस को जोइन कर लो। फिर बस एक लाइन का मेसेज मुझे और एलिस को डाल देना कि तुम इस्लामाबाद जा रहे हो। उसके लिये इतना ही काफी होगा। अगर कभी तुम्हारी जरुरत पड़ेगी तो हम तुम्हे खबर कर देंगें। उस वक्त सब कुछ छोड़ कर जल्दी से जल्दी आफिस मे पहुँच जाना। …ओके। इतनी बात करके मै वालकाट से इजाजत लेकर वापिस चल दिया था। बाहर निकलने मे मुझे कोई परेशानी नहीं हुई थी। मै शाम तक काबुल मे स्थित यूएस एम्बैसी मे सीआईए का ग्रेड-3 आफीसर बन चुका था।

गेस्ट हाउस पहुँच कर आज की सारी बातचीत का ब्यौरा जनरल रंधावा को देकर मैने पूछा… सर, क्या आपके पास कोई तालिबान के शीर्ष नेतृत्व का कोई कोन्टेक्ट है? …क्यों? …सर, ब्रिगेडियर चीमा का भी तो कोई कोन्टेक्ट रहा होगा। …पुत्तर, यही तो मुश्किल है कि हम अभी तक ब्रिगेडियर चीमा की कोन्टेक्ट लिस्ट नहीं निकाल सके है। एक और बात है कि अजीत ने वैजयन्ती का सारी जन्मपत्री निकाल ली है। मै अब उसे लाईन पर ले रहा हूँ। अचानक अजीत सर की आवाज गूंजी… समीर, तुमने एक तिलस्मी पिटारा अनजाने मे खोल दिया है। वैजयन्ती नाम की लड़की पिछले पाँच साल से गायब है। पुलिस रिपोर्ट बता रही है कि वह किसी शोएब जमाल नाम के लड़के की मोहब्बत के चक्कर मे फँस कर घर से भाग गयी थी। उस लड़की के पिता का कहना था कि उसकी बेटी को शोएब स्कूल से आते-जाते तंग किया करता था। उन्हें शक है कि शोएब ने ही उसकी बेटी का अपहरण करवाया है। पुलिस की तहकीकात मे पता चला है कि शोएब उसी दिन से घर से गायब है। शोएब के घरवालों ने उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट थाने मे जमा की थी। शोएब को ट्रेक करते हुए पुलिस को पता चला कि वह गायब होने एक हफ्ते बाद अमीरात की फ्लाईट पकड़ कर इस्तानबुल निकल गया था। पुलिस का कहना है कि उस फ्लाईट मे वैजयन्ती नाम की कोई महिला ने सफर नहीं किया था। कुछ दिन छानबीन करने के पश्चात पुलिस ने दोनो की फाईल बन्द कर दी थी। उनके बारे मे अफवाहों का बाजार गर्म है। शोएब के कुछ दोस्तों का अनुमान से कि वह आईसिस मे भर्ती होने के लिये इस्तानबुल से इराक चला गया है। वैजयन्ती के दोस्तों का कहना है कि शोएब ने अपने दोस्तों के साथ मिल कर वैजयन्ती का बलात्कार करके उसे मार कर खाड़ी मे फेंक दिया होगा। अब तुम बताओ क्या उन तीन औरतों मे से कोई वैजयन्ती जैसी दिख रही थी?

वैजयन्ती का खुलासा सुन कर कुछ सोच कर मैने कहा… सर, उन पैराशूटी बुर्कों मे आँखें भी नहीं दिखती तो भला चेहरा कैसा देखता। यह सच है कि तीनो मलयालम मे बात कर रही थी। मै तो सिर्फ अनुमान लगा सकता हूँ कि उन तीन मे से एक वैजयन्ती उन्नीकृष्नन हो सकती है। …समीर, क्या एक बार जाँच करके देख सकते हो? …सर मै कोशिश कर सकता हूँ परन्तु बेहद पेचीदा मामला है। …समीर ऐसा करने के लिये इसलिये कह रहा हूँ कि अगर वह लड़की इराक मे मिलती तो एक बार के लिये हम सोच सकते थे कि शोएब उसे छ्द्म नाम से अपने साथ ले गया होगा परन्तु इसका पाकिस्तान या अफगानिस्तान मे दाईश के लड़ाकुओं के साथ निकलना किसी बड़ी साजिश की ओर इशारा कर रहा है। …सर, अगर उन तीन मे से एक वैजयन्ती हुई तो मुझे क्या करना है? …समीर, ऐसी हालत ने तुम उसे कर्नल श्रीनिवास को सौंप देना। …सर, सीआईए का श्रीनिवास से मिलना सारे आप्रेशन को खतरे मे डाल देगा। …तुम उसकी चिन्ता मत करो। मै यहाँ से इंतजाम कर दूँगा। पता चलते ही मुझे खबर कर देना। …जी सर। उस रात हमारे बीच इतनी बात हुई थी।

अगले दिन सुबह नौ बजे मै यूएस एम्बैसी मे अपना कार्ड पंच करके आसानी से अन्दर प्रवेश कर गया था। एन्थनी वालकाट मुझे इमारत की बेसमेन्ट मे बने हुए डेटासेन्टर मे ले जाकर बोला… सैम, यह हमारा एक्स्क्लूसिव डेटासेन्टर है। तुम्हारे बैठने के लिये यह जगह कैसी रहेगी? इस स्थान का आगमन और निकासी का पोइन्ट एक ही है। कार पार्किंग बेसमेन्ट मे होने के कारण तुम अपनी कार से आसानी से यहाँ आ सकते हो। एक बार सबकी नजर से बच कर तुम बेसमेन्ट मे पहुँच गये तो फिर डेटासेन्टर मे प्रवेश करना बेहद आसान होगा। ऐसे ही तुम सबकी नजरों मे आये बिना आसानी से बाहर भी निकल जाओगे।  …जगह तो ठीक लग रही है लेकिन डेटासेन्टर मे मुझे सिर्फ क्युबिकल्स ही दिख रहे है। क्या कोई कमरा नहीं है? …सौरी। डेटासेन्टर मे कोई रुम नहीं है। वैसे भी तुम्हें यहाँ कौनसा रोज बैठना है क्योंकि तुम्हारा मुख्य काम तो फील्ड मे होगा। जब भी यहाँ होगे तभी तुम्हें बैठने की जगह चाहिये। …फाईन। मेरे बैठने का इंतजाम आप यहीं करवा दिजिये। इतनी बात करके हम दोनो डेटासेन्टर से बाहर निकल आये थे। …एन्थनी, एक पश्तून लीडर से मिलने के लिये मुझे जलालाबाद जाना है। …कब जाना है। …मेरी औपचारिक रुप से आज हाजिरी लग गयी है। मै सोच रहा हूँ कि आज ही जलालाबाद के लिये निकल जाऊँगा तो बेहतर होगा क्योंकि मुझे जल्दी से जल्दी इस्लामाबाद पहुँचना है। …ठीक है। तुम आईपेड से मेरे पास मेसेज डाल दो कि तुम इस आदमी से मिलने जलालाबाद जा रहे हो। …क्या किसी का नाम देना जरुरी है? …यह तुम्हारे फायदे मे है। अगर तुमने मुझे चौबीस घंटे मे हमसे संपर्क नहीं किया तब हम तुम्हें ट्रेस करने के लिये उसी व्यक्ति से अपनी जाँच आरंभ करेंगें। यह गोल्डन क्रीसेन्ट हमारे लिये बर्मुदा ट्राईएंगल जैसा है। आदमी यहाँ कब गायब हो जाये किसी को पता नहीं चलता। …नो प्राब्लम। इतना बोल कर मैने अपने केरीबेग से आईपेड निकाला कर जल्दी से टाइप किया… ईदगाह मस्जिद मे दिलावर पठान से मिलने जा रहा हूँ। …एंथनी, अब मै चलता हूँ। बस इतनी बात करके मै एम्बैसी से बाहर निकल आया था।

एक गाड़ी का इंतजाम करने के लिये मै पुराने काबुल शहर मे कार वर्कशाप को ढूंढने के लिये निकल गया था। एक पठान कुछ बच्चों के साथ एक विदेशी गाड़ी मे उलझा हुआ था। मुझे वर्कशाप मे प्रवेश करते हुए देख कर वह काम बीच मे छोड़ कर मेरी ओर आते हुए बोला… गाड़ी खराब हो गयी है? …पठान भाई मुझे एक मजबूत पुरानी जोंगा या लैंडरोवर चाहिये। …तो यहाँ के बजाय किसी डीलर से बात करो। …पठान भाई, मै चाहता हूँ कि आप अपने अनुसार गाड़ी ढूंढिये। अगर कोई कमी पेशी हो तो उसे आपको पूरा करना होगा। …तुम्हारा बजट क्या है? …अच्छी गाड़ी के लिये कोई बजट की सीमा नहीं है। दुकान के बाहर खड़ी हुई लैंड रोवर की ओर इशारा करके पठान बोला… उस गाड़ी के बारे मे क्या ख्याल है? उस लैंडरोवर को दुकान के बाहर खड़ी हुई देख कर ही मै उस वर्कशाप मे घुसा था। …इसकी क्या कीमत होगी? …मियाँ, इसमे कल्च और सस्पेन्शन का काम करना पड़ेगा। इंजन पानी की माफिक चलता है। …पठान भाई, आप कीमत बोलो। चार लाख से बात आरंभ हुई और डेढ़ लाख अफगानी पर समाप्त हो गयी थी। लैंडरोवर पर काम करने के पैसे अलग थे। …शाम तक गाड़ी मिल गयी तो डेढ़ लाख दे दूंगा और अगर अगले दिन डिलिवरी दी तो सवा लाख दूंगा। पठान तुरन्त बोला… रात को आठ बजे पैसे लेकर आ जाना। बयाना कितना दे रहे हो। मैने अपनी जेब से पर्स निकाल कर पाँच सौ डालर के नोट निकाल कर पठान के हाथ मे रखते हुए कहा… यह बयाना है। उसने नोटों का निरीक्षण करके कहा… रात को आठ बजे बाकी पैसे लेकर पहुँच जाना। साढ़े आठ बजे मार्किट बंद हो जाती है। पठान से विदा लेकर मै अपने गेस्टहाउस की ओर निकल गया था।

मुझे जलालाबाद के लिये नये सिरे से तैयारी करनी थी। ऐसा क्या करना चाहिये जिससे पता चल सके कि उन तीन मलयाली स्त्रियों मे से कौन वैजयन्ती है? बहुत देर तक सोचने के पश्चात इसी नतीजे पर पहुँचा कि वैजयन्ती का पता करने के लिये मुझे एक स्त्री की मुझे जरुरत पड़ेगी। पाकिस्तान मे तो नीलोफर की मदद ले सकता परन्तु एक अनजान देश मे एक लड़की का इंतजाम करना इतना आसान नहीं था। कुछ सोच कर पहले मेकेनिक के लिये पैसे निकालने के लिये अमेरिकन एक्स्प्रेस बैंक चला गया था। पाँच लाख अफ़गानी निकाल कर मै उस मेकेनिक के वर्कशाप की दिशा मे निकल गया। अभी अंधेरा पूरी तरह से नहीं हुआ था। पुराने काबुल की तंग सड़कें रौशन हो गयी थी। टैक्सी से मै मार्किट के बाहर उतर कर पैदल ही मेकेनिक के वर्कशाप की दिशा मे चल दिया था। दुकानों पर सामान सजा हुआ था। खरीदारों की भीड़ बाजार मे फैली हुई थी। हिजाब और बुर्के मे स्त्रियों का समूह कपड़ों और सजावट की दुकानों पर जमा हुआ था। पुरुष और बच्चे ज्यादातर खाने-पीने की दुकानों पर दिख रहे थे। कुछ मनचले युवकों के झुन्ड भीड़ मे लड़कियों और स्त्रियों के साथ छेड़खानी करने मे व्यस्त थे। भीड़ से बचता-बचाता मै अपने कन्धे पर केरीबैग लटकाये वर्कशाप की ओर बढ़ता चला जा रहा था।

मेरे आगे बुर्का ओढ़े महिला गोदी मे नवजात शिशु को लेकर चल रही थी। उसी बुर्कापोश महिला के साथ एक हिजाब पहने युवती कुछ थैले उठाये चल रही थी। दोनो बेचारी आने और जाने वाली भीड़ से बचती-बचाती हुई चल रही थी। तभी एक लड़कों का झुन्ड लोगो को धकेलते हुए अपनी जगह बनाता हुआ मुझसे टकराया। उसी मे से किसी ने मेरे बैग पकड़ कर खींचा तो मै तुरन्त फुर्ती से पंजो पर घूम कर उसकी कलाई को पकड़ कर मरोड़ दिया। …ओ म्म्म्ममाँ…अल्लाह। मैने जैसे ही उस आवाज की ओर मुड़ कर देखा तो वही झुन्ड दो भागों ने बँट गया था। एक झुन्ड उस बुर्कापोश औरत को घेर कर एक दिशा मे चल दिया और दूसरा झुन्ड उस युवती को घेर कर दूसरी ओर ले गया। उस युवती की चीख सुन कर मैने जल्दी से पकड़ी हुई कलाई छोड़ी और झपट कर सामने वाले लड़के के बाल पकड़ कर खींचते हुए उस घेरे मे चला गया। वहाँ का हाल देख कर एक पल के लिये मेरी आँखें फटी की फटी रह गयी थी। दिन दहाड़े बीच बाजार मे सभी उस लड़की के नाजुक अंगों के साथ बड़ी बेशर्मी से खेल रहे थे। उस लड़की के मुख पर रखे हुए हाथ के कारण उसकी चीखें घुट कर रह गयी थी। मै कुछ समझ कर जब तक कुछ करने की स्थिति मे होता उससे पहले वह लड़कों का झुन्ड तेजी से आगे बढ़ गया था। वह युवती उनकी गिरफ्त से आजाद होते ही गिरने को हुई तो मैने झपट कर उसे कमर से पकड़ कर सहारा देकर खड़ा कर दिया। मेरी नजर उस बुर्कापोश महिला को ढूंढ रही थी। बच्चे की रोने की आवाज जैसे ही मेरे कान मे पड़ी तो मेरी नजर उस ओर चली गयी। उस लड़की को छोड़ कर मै उस बुर्कापोश महिला की ओर झपटा लेकिन तब तक वह झुन्ड भी उन्हें वहीं छोड़ कर आगे निकल गया था। उनसे छूटते ही वह बुर्कापोश महिला भरभरा कर सड़क पर बैठ गयी। जब तक मै उस महिला को सहारा देकर खड़ा करता तब तक वह युवती भी आ गयी थी। पहली बार मैने उस युवती को ध्यान से देखा था। वह देखने मे अपरिपक्व लड़की थी परन्तु कद-काठी से पूर्ण युवती लग रही थी।

उन दोनो को भीड़ से बचा कर एक किनारे मे खड़ा करके मैने पूछा… आप दोनो ठीक है। लेकिन फिलहाल कोई भी बोलने की स्थिति मे नहीं था। लड़की का चेहरा उसकी हालत बयान कर रहा था। महिला अपने रोते हुए बच्चे को चुप कराने मे जुटी हुई थी। मैने अपने बैग से पानी की बोतल निकाल कर उनके आगे करते हुए कहा… थोड़ा पानी पी लेंगी तो बेहतर होगा। इतना बोल कर मैने उसके बच्चे को अपनी गोदी मे उठा लिया। उस बुर्कापोश महिला ने अपने चेहरे पर से चिलमन हटा कर कुछ घूँट पानी पीकर अपने साथ खड़ी हुई युवती की ओर बोतल बढ़ाते हुए बोली… शुक्रिया भाईजान। पहली बार उसका चेहरा देख कर एक पल के लिये धड़कन बढ़ गयी थी। वही पूनम के चाँद सा चेहरा था। उसमे मुझे आफशाँ की झलक दिख रही थी। उसका चेहरा देख कर कुछ पल के लिये मै ठगा सा खड़ा रह गया था। भीड़ की आवाक-जावक वैसे ही लगी हुई थी। वह मुझे कुछ पल देखती रही और फिर बोली… भाईजान आप ठीक है? अपनी दुनिया मे वापिस आते हुए मैने जल्दी से कहा …जी। मै ठीक हूँ। मैने बच्चे को वापिस उस महिला को देते हुए कहा… कुछ देर आराम से किसी जगह पर बैठ जाईये। सब ठीक हो जाएगा। बस इतना बोल कर मै जैसे ही आगे बढ़ा कि तभी वह महिला बोली… भाईजान हमारी मदद किजिये। इस भीड़ मे आगे जाने की अब हमारी हिम्मत नहीं हो रही है। मैने कहा… चलिये मेरे साथ आईये। दोनो मेरे पीछे चल दी थी। जैसे ही मुझे एक टी स्टाल दिखा तो मैने कहा… आप कुछ देर आराम से यहाँ बैठ जाईये। वह दोनो भी मेरे साथ टी-स्टाल मे बैठ गयी थी।

उस महिला का चेहरा चिलमन के पीछे चला गया था परन्तु अभी भी मेरा दिल तेजी से धड़क रहा था। चाय का आर्डर देकर मैने पूछा… आपको कहाँ जाना है? वह लड़की बोली… तिलाई टाउन। …यह जगह मेरे लिये नयी है। इसलिये इसके बारे मे मुझे पता नहीं है। अगर आप चाहे तो मै आपको अपनी गाड़ी से छोड़ दूंगा लेकिन आपको मेरे साथ कुछ दूर चलना पड़ेगा। मेरी गाड़ी वर्कशाप मे खड़ी हुई है। उन दोनो ने दबी आवाज मे कुछ बात की और फिर वह महिला बोली… भाईजान आप अगर हमे छोड़ देंगें तो बड़ी मेहरबानी होगी। …मेरा नाम समीर है। आपका क्या नाम है? बुर्कापोश महिला बोली… मेरा नाम आमेना असगरी है। उस लड़की की ओर इशारा करके बोली… यह मेरी ननद गजल है। …छोटे नवाब का क्या नाम है? वह शर्माते हुए बोली… काशिफ। चाय पीकर हम लोग वर्कशाप की ओर चल दिये थे। अब तक वह दोनो संभल गयी थी। कुछ देर बाद मै वर्कशाप मे खड़ा हुआ उस लैंडरोवर की जाँच कर रहा था। उन दोनो को मैने गेराज के एक किनारे मे बैठा दिया। …भाईजान, कल्च और सस्पेन्शन का काम हो गया है। …एक नयी बैटरी भी रखवा दो। बिजली के कनेक्शन और लाईट की जाँच हो गयी? …जी भाईजान। इतना बोल कर वह बैटरी बदलने के काम मे लग गया था। …काशिफ के अब्बा क्या करते है? पहली बार गजल बोली… भाईजान का अपना कारोबार है। तभी पठान दूर से चिल्लाया… भाईजान पीछे के टायर ज्यादा नहीं चल सकेंगें। …पाँचों टायर बदलवा दो। इस गाड़ी के पेपर्स तो एक बार दिखा दो। सारा काम समाप्त करने मे एक घँटा और लग गया था।

अपने केरीबैग से अफगानी नोटों की गड्डियाँ एक-एक करके निकाल कर मेज पर रखते हुए मैने कहा… पठान भाई, अपने वादे अनुसार दस गड्डियाँ आपके सामने रखी हुई है। बयाने के पैसे एडजस्ट करके नोट गिन कर इसकी रसीद दे दो और ट्रांसफर के पेपर्स पर दस्तखत करके दे दो। पठान तुरन्त नोटो को गिनने मे व्यस्त हो गया था। वह दोनो महिलाएँ मेज पर पड़ी हुई नोटों की गड्डियों को हैरानी से देख रही थी। उन नोटों को देख कर आमेना की आँखों मे आयी चमक मेरी नजरों से छिप नहीं सकी थी। …आमेना, इस देरी के लिये मुझे माफ कर दिजिये। अगर आप अपने घर पर देर से पहुँचने की खबर करना चाहती है तो मेरे फोन से खबर कर सकती है। आमेना ने जल्दी से कहा… इसकी जरुरत नहीं है। काशिफ के अब्बा काम के सिलसिले मे बाहर गये हुए है। अचानक कुछ सोच कर मैने एक नजर गजल पर डाल कर पूछा… आमेना, क्या गजल स्कूल जाती है? आमेना ने इस बार बड़े अंदाज से मुझसे नजरे मिला कर धीरे से पूछा… क्यों जनाब आप इसके साथ क्या करने की सोच रहे है? मैने जल्दी से कहा… मुझे गलत मत समझिये। मुझे एक काम मे इसकी मदद चाहिये। अबकी बार वह खुल कर बोली… क्या उस काम मे आपकी मदद मै नहीं कर सकती? उसने जिस अंदाज मे कहा था उसको सुन कर पठान भी नोट की गिनती करना भूल गया था।

…अलम्दुल्लिआह। खुदा खैर करे। पठान ने बड़बड़ा कर दोबारा से नोट गिनना शुरु कर दिया। गजल भी झेंप कर नजरे मेज पर गड़ा कर बैठ गयी थी। वह भले ही उम्र से परिपक्व नहीं दिख रही थी परन्तु इतना समझ गया था कि वह इंसानी रिश्तों की फितरत से अनजान नहीं थी। सारी गड्डियों के नोट गिनने के पश्चात पठान बोला… भाईजान बीस हजार अफगानी और चाहिये। पाँच नये टायर डाले है। बैग से एक गड्डी निकाल कर पठान की ओर बढ़ाते हुए कहा… पेट्रोल कितना है। …बाहर निकलते ही डलवा लेना। …कितने लीटर का जेरीकेन है? …चालीस। पठान ने रसीदी टिकिट लगा कर अपने अंगूठे की मौहर लगा कर पश्तो मे दस्तखत करके कागज बढ़ाते हुए कहा… आप कहे तो मेरा दलाल तीन दिन मे गाड़ी ट्रांस्फर करवा देगा। …ठीक है। पहले ट्रांस्फर पेपर पर दस्तखत करो। उसने एक बार फिर से अंगूठे का निशान लगा कर पश्तों मे दस्तखत करके बोला… ट्रांस्फर के हजार अफगानी लगेंगें। मैने बची हुई गड्डी वापिस केरीबैग मे डाल कर रसीद और ट्रांस्फर पेपर्स लेकर कर खड़ा होकर बोला… शुक्रिया भाईजान। एक दो दिन गाड़ी चलाने के बाद ट्रांस्फर करवाना ठीक होगा। इतना बोल कर वर्कशाप के बाहर खड़ी हुई लैंडरोवर की ओर चल दिया। वह दोनो भी मेरे पीछे चल दी थी। आठ बजे से पहले ही हम वहाँ से निकल गये थे।

बाजार से बाहर निकलते ही पेट्रोल पंप दिखते ही मैने लैंडरोवर को तुरन्त उसकी दिशा मे मोड़ दिया था। …टैंक फुल कर दो। दोनो जेरीकेन भी फुल कर देना। इतना बोल कर मै एक किनारे मे खड़ा हो गया। आमेना और गजल कुछ देर लैंडरोवर मे बैठी रही फिर बाहर निकल कर मेरे पास आकर खड़ी हो गयी थी। कुछ सोच कर मैने कहा… आमेना, तीन दिन के लिये मुझे गजल की जरुरत है। उसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी मेरी है। इसे बस तीन दिन के लिये मेरी बीवी बनने का नाटक करना पड़ेगा। एक पश्तून परिवार अपनी लड़की का मेरे साथ निकाह कराने पर तुला हुआ है। वह मेरे परिवार वालो पर भी दबाव डाल रहा है। दो दिन पहले मैने अपना पीछा छुड़ाने के लिये अपने परिवार से कह दिया था कि मेरा निकाह हो गया है। अब मेरे परिवार वाले बहू को देखने की जिद्द पर अड़ गये है। आमेना तुरन्त बोली… हाय अल्लाह तुमने अगर बेचारी को जबरदस्ती बीवी बना लिया और तीन दिन के बाद छोड़ दिया तो मै क्या करुँगी। ऐसा करो मुझे बीवी बना कर ले चलो। मै तैयार हूँ। मैने गरदन हिलाते हुए कहा… काशिफ के कारण नहीं ले जा सकता। तुम्हें देख कर वह मुझ पर दूसरा निकाह करने का दबाव डालेंगें। गजल की कच्ची उम्र होने के कारण वह अभी दूसरे निकाह के लिये दबाव नहीं डाल सकते। आमेना अबकी बार गजल की ओर देखते हुए बोली… तीन दिन की कीमत देनी पड़ेगी। …कितनी कीमत बोलो? …एक लाख। गजल हमारी सारी बात चुपचाप सुन रही थी परन्तु इस बात को सुन कर एक बार मेरी ओर देख कर बोली… मै आपका काम नहीं कर सकती। आमेना ने मेरी ओर देख कर कहा… एक लाख दोगे तो इसको राजी करना मेरी जिम्मेदारी है। इतना बोल कर आमेना ने गजल का हाथ पकड़ा और लैंडरोवर की ओर चल दी।

पेट्रोल के पैसे चुका कर वापिस अपनी गाड़ी मे बैठते हुए मैने कहा… अब तिलाई टाउन का रास्ता बताओ। आमेना रास्ता बताते हुए बोली… आप मुताह करके इसे अपने साथ ले जाईये। …यह मुताह क्या होता है? …कुछ समय के लिये आपका इसके साथ निकाह होगा और समय समाप्त होते ही यह मेरे पास वापिस आ जाएगी लेकिन तब इसकी कीमत पाँच लाख और मेरे लिये पाँच लाख अलग नजराना देना होगा। अबकी बार मैने बड़ी बेशर्मी से कहा… आमेना बीबी तुम दोनो से दस लाख वसूलने मे काफी समय लग जायेगा। मेरे पास इतना समय नहीं है। उसने कोई जवाब नहीं दिया और मै चुपचाप गाड़ी चलाता रहा। तिलाई टाउन मे प्रवेश करते ही आमेना ने कहा… हमे यहीं पर उतार दो। मैने गाड़ी चलाते हुए हुए कहा… क्या सड़क पर खड़े होकर दस लाख अफगानी की बात करोगी? इस बार दोनो को सांप सूंघ गया था। कुछ देर के बाद हम तीन मंजिली इमारतों के जंगल मे पहुँच गये थे। वह तीन मंजिला फ्लैट्स की कोलोनी लग रही थी। एक इमारत के सामने पहुँच कर आमेना ने कहा… तीसरी मंजिल पर हमारा फ्लैट है। लैंडरोवर को एक किनारे मे खड़ी करके अपना केरीबैग उठा कर मै उन दोनो के साथ फ्लैट की ओर चल दिया।

साधारण दो कमरों का फ्लैट था। …गजल तुम भी बैठ जाओ। मैने अपने बैग मे से दस हजार के नोट की एक गड्डी निकाल कर मेज पर रखते हुए कहा… यह तीन दिन की तुम्हारे काम की कीमत दे रहा हूँ। बस मेरी बीवी की एक्टिंग करनी पड़ेगी। एक लाख है तुम गिन लो। आमेना और गजल नोट गिनने मे लग गयी थी। अपने साथ सोफे पर सोते हुए काशिफ को देख कर मै केन के बारे मे सोच रहा था कि वह भी इसी की उम्र का होना चाहिये। गड्डी के कुछ नोट गिनने के बाद आमेना बोली… रहने दे। नोट पूरे है। इसे कब ले जाना है। …यह मेरे साथ अभी जाएगी। कल सुबह इसको कुछ खरीदारी करवा कर जलालाबाद के लिये निकल जाऊँगा। यह सुनते ही गजल ने जल्दी से कहा… नहीं आपा। मुझसे यह काम नहीं हो पायेगा। एक पल मे रिश्तों की अदलाबदली ने मुझे सावधान कर दिया था। मेरी आवाज कड़ी हो गयी… आमेना बीबी, सच बोलो कि यह क्या चक्कर है। तुम्हारी ननद है कि छोटी बहन है? गजल जल्दी से बोली… आप पैसे ले जाईये। हमे आपका काम नहीं करना है। आमेना सिर झुकाये कुछ देर चुपचाप बैठी रही और फिर मेरी ओर देख कर बोली… समीर, यह मेरी रिश्ते मे बेटी लगती है। इसके अब्बा जमाल साहब की मै तीसरी बीवी हूँ लेकिन चार महीने पहले उन्होंने मुझे तलाक देकर घर से निकाल दिया था। बड़ी मुश्किल से मैने मेहर की रकम और अपने जेवर बेच कर यह फ्लैट खरीदा था। गजल उनकी पहली बीवी की निशानी है। बदले हुए हालात मे इस बेचारी को भी उन्होने मेरे पास छोड़ दिया है। इसके लिये वह जो हर महीने खर्चा देते है उससे आज तक यह घर चल रहा है। यही सच है। मैने गजल की ओर देखा तो वह सिर झुकाये बैठी हुई थी।

…गजल, यह तुम्हारी जिंदगी का सवाल है। आमेना की बात मे कितनी सच्चाई है तुमसे बेहतर कोई नहीं जानता है। अगर मेरी मदद नहीं भी करना चाहती तब भी यह पैसे अब ऐसे ही छोड़ कर चला जाउँगा। मै यही समझ लूंगा कि तुम्हारी मजबूरी देख कर मैने तुम्हारी कुछ मदद की है। बाकी सारी बातें फिजूल है लेकिन अगर तुम दोनो मुझ पर यकीन कर सकती हो इतना जान लो कि मेरा कोई नापाक इरादा नहीं है। मेरे साथ चलो कसम खुदा की तुम पर हल्की सी आंच नहीं आने दूँगा। इतना बोल कर मै उठ कर खड़ा हो गया और चलते हुए बोला… आपस मे बात कर लो। अब मै वापिस यहाँ नहीं आऊँगा। अगर तुम मेरी मदद कर सकती हो तो कल सुबह नौ बजे तक इस पते पर पहुँच जाना। अपने गेस्ट हाउस का कार्ड मेज पर रख कर मै उस फ्लैट से बाहर निकल गया था। कुछ देर के बाद एक शान्त जगह पर लैंडरोवर रोक कर मैने अपना बैग खाली करना शुरु किया। ग्लाक-17 को अपनी सीट के नीचे टूल बाक्स मे रख कर एक्स्ट्रा मैग्जीन और गाड़ी के पेपर्स गल्व कम्पार्ट्मेन्ट मे रख दिये थे। सेटफोन को आन करके डैशबोर्ड पर लगे हुए फोन स्टैन्ड मे बिठा कर अपने गेस्ट हाउस की दिशा मे चल दिया। सेटफोन नेटवर्क से जुड़ते ही दो-तीन मेसेज डिस्प्ले पर दिखने शुरु हो गये थे।

 

रावलपिंडी

 …जनाब, पेशावर कोर कमांडर से खबर मिली है कि खुदाई शमशीर नाम की तंजीम अब खैबर पख्तूनख्वा मे भी सक्रिय हो गयी है। उन्होंने फ्रंटियर फोर्स के एक लेफ्टीनेन्ट और दो जेसीओ की दिन दहाड़े हत्या की है। मेहसूद और वजीरी कबीलो की गद्दी के लिये उत्पन्न आंतरिक कलह को भी वह हल करवाने मे जुटे हुए है। जनरल फैज ने गुस्से मे दहाड़ते हुए पूछा… खुदाई शमशीर अब हमारे लिये सिर दर्द बनता जा रहा है। इसके लिये मेजर हया ने अब तक क्या किया है? …जनाब वह अभी भी फील्ड मे है। उनका ख्याल है कि कोई बाहरी ताकत इस तंजीम के पीछे खड़ी हुई है। …बेवकूफ वह कौनसी बाहरी ताकत है, अमरीका या हिन्दुस्तान? …जनाब, इन दोनो के अलावा भला सीपैक का और कौन विरोध करेगा। …कर्नल हमीद, गोदाम के माल का क्या सोचा है? …जनाब, पुराने नोट सिर्फ बैंक मे बदले जा रहे है। इस समय बैंकों मे हमारे नोट नहीं दिये जा सकते। हिन्दुस्तान मे बैठे हुए सारे डीलर्स ने अपने हाथ खड़े कर दिये है और उन्होंने तो पिछला बकाया चुकाने से भी इंकार कर दिया है। …कराँची से अकबर और कुर्बान अली ने क्या जवाब दिया? …जनाब, बालीवुड की कमाई भी ठप्प हो गयी है। एक महीने मे कराँची के लगभग हजार करोड़ रुपये डूब गये है। हिन्दुस्तान मे बड़ी फिल्म रिलीज करने के लिये सभी ने फिलहाल मना कर दिया है।

…ब्रिगेडियर नूरानी से कहो कि बीस करोड़ का एक हफ्ते मे इंतजाम करे। कश्मीरी तंजीमे लगातार जनरल रहमत पर दबाव डाल रही है। …जनाब, ब्रिगेडियर नूरानी ने कुछ नगदी का इंतजाम करने के लिये आज सुबह ही मुझ से कहा है। जनरल फैज गुस्से से दहाड़ा… वह क्या पागल हो गया है। नगदी का इंतजाम करना उसका काम है। …जनाब, पिछले महीने उसने पाँच करोड़ आपको बाजार से उठा कर दिये थे। नोटबंदी के कारण आपने अभी तक उसकी भरपाई नहीं की है। …नकली नोट चाहिये तो दस करोड़ उसके पास भिजवा दो। …जनाब, देनदार ने बैंक मे जमा करने के लिये कहा है। जनरल फैज सिर पकड़ कर बैठते हुए बोला… भला अपने बैंक मे नकली नोट कैसे जमा होंगें। …जनाब, अगर आप कहे तो हबीब बैंक के जरिये कुछ समय के लिये नकली नोट के बदले यह पैसे उसके अकाउन्ट मे ट्रांस्फर किये जा सकते है। इस महीने जमाल से डालर मिलते हबीब बैंक का सारा नुकसान पूरा कर देंगें। बस एक बार आपको जावेद हबीब को कहने की जरुरत है।  …मुझे सोचने दो।

रविवार, 14 जुलाई 2024

  

शह और मात-10

 

हमारे बीच बस इतनी बात हो सकी थी क्योंकि तभी साथ बैठे हुए बुजुर्ग ने पूछा… क्या बड़बड़ा रहा है? मैने जल्दी से कहा… कुछ नहीं बस बीवी की कुछ बातें याद आ गयी थी। वह हँसते हुए बोला… यह कौनसी नम्बर की बीवी है? …पहली है। …तू हाँ बोल तो यहीं किसी पश्तून लड़की से तेरा निकाह कल करा दूँगा। …बड़े मियाँ रहने दो। एक ने जीना हराम कर दिया है। दो महीने से नाराज होकर मायके मे पड़ी हुई है। तभी वह बुजुर्ग उठ कर खड़ा होते हुए बोला… चलो उठो। जलालाबाद पहुँचने का तो इंतजाम हो गया है। मैने सड़क की ओर देखा तो एक छोटा ट्रक हमारे करीब आकर रुका और उन चारों मे से एक उतर कर बोला… चलो सब पीछे बैठ जाओ। हमारे साथ चल तुझे भी जलालाबाद उतार देंगें समीर। हम सभी पीछे जाकर बैठ गये थे। खाली ट्रक होने के कारण पैर फैला कर मै एक किनारे मे बैठ गया था। हाईवे की हालत काफी खस्ता थी लेकिन फिर भी ट्रकों की लाईन लगी हुई थी। सड़क के दोनो ओर उजड़ी हुई इमारतें अफगानिस्तान की असली हालत दर्शा रहे थे। तालिबान और अमरीकन फौज के बीच युद्ध की यह कुछ जीवन्त निशानियां अभी भी बची हुई थी। जलालाबाद पहुँचने मे दो घन्टे लग गये थे। …समीर काबुल जाने के लिये तू यहाँ उतर जा। उतरने से पहले मैने कहा… बड़े मियां अगर बीवी चलने को राजी नहीं हुई तो तुमसे मिलने के लिये कहाँ आना होगा। …ईदगाह मस्जिद पहुँच जाना। मुझे वहाँ पर सब दिलावर पठान के नाम से जानते है। तभी जीनत मेरे करीब आयी और मुझसे लिपट कर बोली… चचाजान आप भी हमारे साथ चलिये। बात करते हुए अचानक मुझे लगा की उसका हाथ मेरी जेब मे सरक गया परन्तु मै कुछ भी बोलने की स्थिति मे नहीं था। जलालाबद शहर मे जाने वाले मोड़ पर वह मुझे उतार कर आगे चल बढ़ गये थे।

उनके ट्रक के निकलते ही मैने अपनी जेब मे हाथ डाल कर पर्स को जाँचा तो एहसास हुआ कि पर्स के साथ एक कार्ड जैसी वस्तु रखी थी। मैने जल्दी से वह कार्ड निकाल कर देखा तो मुड़ा-तुड़ा सरकारी स्कूल का आईडेन्टिटी कार्ड का था। फोटो किसी स्कूल की बच्ची की थी। नाम की जगह वैजयन्ती उन्नीकृष्नन लिखा हुआ था। उस कार्ड पर उसका पता कालीकट का दिया हुआ था। मै हैरानी से उस कार्ड को कुछ देर देखता रहा फिर कुछ सोच कर वापिस जेब के हवाले करके काबुल जाने के साधन का इंतजाम करने के लिये निकल गया। हाईवे होने के कारण मुझे ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ा था। ट्रक मे बैठ कर शाम तक काबुल शहर पहुँच गया था। दिन मे सफर कर रहा था तो अफगानिस्तान के हालात का भी जायजा ले रहा था। सारे रास्ते मे अमरीकन फौज कहीं नहीं दिखी थी। एक दो बार फौज की गाड़ी या विदेशी संस्थाओं की गाड़ियाँ जरुर देखने को मिल गयी थी। काबुल शहर अंधेरे मे दूर से बिजली की रौशनी मे जगमगाता हुआ दिख रहा था। मुझे काबुल शहर मे छोड़ कर ट्रक आगे निकल गया था। रात की जगमगाहट देखते हुए पैदल एक होटल की तलाश निकल गया। पहले मैने सोचा था कि किसी सस्ते से होटल मे रुक जाऊँ परन्तु तभी ख्याल आया कि यहाँ पर मुझे दूतावास के अधिकारियों से मिलना था तो एक टैक्सी पकड़ कर भारतीय दूतावास के करीब काबुल लाज मे ठहर गया था।

कमरे मे पहुँच कर सबसे पहले अपने फोन चालू करके चार्जिंग पर लगा कर थकान और धूल मिट्टी साफ करने के लिये बाथरुम मे घुस गया। आधा घँटा गर्म पानी के टब से जब बाहर निकला तब तक सारे जिस्म की थकान समाप्त हो गयी थी। सबसे पहले मैने सेटफोन से कमांड सेन्टर का नम्बर मिलाया… हैलो। …सर, मै काबुल पहुँच गया हूँ। अब मुझे आगे की कार्यवाही के लिये आप ब्रीफ कर दिजिये। …समीर, मै अजीत को लाईन पर ले रहा हूँ। तू थोड़ा इंतजार कर। इस बीच मे मैने अपने स्मार्टफोन पर नजर डाली तो बहुत सी मिस्ड काल डिस्प्ले पर दिख रही थी। तभी अजीत सर की आवाज गूंजी… ब्रिगेडियर साहब। …जी सर। मै काबुल पहुँच गया हूँ। …समीर, जिरगा के लिये अब तेहरीक और तालिबान को साधने का समय आ गया है। …जी सर। कल श्रीनिवास के साथ मीटिंग मे क्या करना है? …ठहरो, वीके भी हमे जोइन करने वाला है। नीलोफर के क्या हाल है? …सर, काफी रिसोर्सफुल एस्सेट साबित हो रही है। इतनी बात करके मैने खैबर पख्तुनख्वा मे फ्रंटियर फोर्स के साथ हुई दो बार मुठभेड़ की कहानी सुना दी थी। तभी वीके की आवाज गूँजी… समीर। …यस सर। इसी के साथ तिगड़ी का कोरम पूरा हो गया था।

वीके ने कहा… समीर, इस बातचीत को रिकार्डिंग पर लगा लो जिससे सारी बातचीत को अपने जहन मे  बिठाने मे आसानी हो जाये। …यस सर। …समीर, स्टेट डिपार्ट्मेन्ट की पुख्ता खबर है कि अमरीका अपना मन बना चुका है कि अब उसे अफगानिस्तान से अपने सैनिक हटाने का समय आ गया है। इस लिये तालिबान के सारे गुटों को वह कतर मे बुला कर बातचीत कर रहा है। कतर का अमीर इन दोनो गुटों के बीच मध्यस्ता कर रहा है। हमारे लिये पहली चुनौती तो अपने लोगों को अफगानिस्तान से सुरक्षित बाहर निकालने की है। दूसरी चुनौती तालिबान की ओर से है। तीसरी चुनौती चीन की सड़क परियोजना की ओर से नजर आ रही है। चौथी और सबसे बड़ी चुनौती पाकिस्तान से मिल रही है। वहाँ राहदारी एक ऐसा मुद्दा बन गया है कि पाकिस्तान सभी के लिये रोड़े अटका रहा है। इस राहदारी के कारण भारत की भुमिका अफगानिस्तान मे नगण्य हो गयी है। हम अफगानिस्तान मे बिजली, सड़क, स्वास्थ व शिक्षा की परियोजनायें स्थापित कर रहे है। वहाँ पर हालात खराब होने से हमारे लोगों की जान और माल की हानि होने की संभावना बढ़ जाएगी। इन हालात मे हमारी ओर से रा के द्वारा पहल की गयी थी। हमारी कोशिश थी कि तालिबान का नेतृत्व, सीआईए, अमरीकन फौज और हमारा विदेश विभाग एक प्लेटफार्म पर आकर इसका हल निकालने की कोशिश करे। हमारी ओर से इस मसले को सुलझाने के लिये ब्रिगेडियर चीमा उनके साथ काम कर रहे थे। वहाँ के हालात की ताजा जानकारी देने के लिये काबुल मे नियुक्त मिलिट्री अटाचे कर्नल श्रीनिवास है जो अभी तक ब्रिगेडियर चीमा की अनुपस्थिति मे उन लोगों से डील कर रहे थे। अजीत अब आगे की बात तुम बताओ।

…समीर, ब्रिगेडियर चीमा तालिबान के शीर्ष नेतृत्व यह यकीन दिलाने मे सफल हो गये थे कि हमारी सभी परियोजनायें जनहित मे है। वह अमरीका और तालिबान के बीच सुलह कराने मे भी सफल हो गये थे। उनके बीच यह तय हो गया था कि अगर तालिबान कुछ समय के लिये शांति बहाल करने मे कामयाब हो गयी तो अमरीकन और नाटो फोर्सेज अफगानिस्तान से निकलने का कार्य आरंभ कर देंगी। काफी हद तक इस पर एक राय बन चुकी थी और तालिबान पिछले कुछ महीने से शांत बैठे हुए थे। इसी का परिणाम है कि कतर मे तालिबान और अमरीका की शांति वार्ता आरंभ हो गयी थी। तालिबान की सिर्फ एक ही शर्त थी कि इस वार्ता मे कोई तीसरी पार्टी नहीं होगी। उनका सीधा इशारा पाकिस्तान की ओर था। उनका मानना था कि अफगानी ही अपना मुस्तकबिल खुद तय करेंगें। यह विचार पाकिस्तान की आईएसआई और फौज के हित मे नहीं था तो सबसे पहले वह अमरीका को राहदारी देने के मामले मे आनाकानी करने लगे। उसके लिये पाकिस्तानी एस्टेबलिश्मेन्ट ने अपनी आवाम को अमरीका के विरुद्ध भड़काना शुरु किया जिसमे मुख्य भुमिका लब्बैक और जमात के मौलानाओं और उनके मदरसों की थी। हमारे पास पुख्ता सूचना है कि इसके पीछे उन्हें चीन से मदद मिल रही है। चीन अपनी उस वन बेल्ट-वन रोड सड़क परियोजना के द्वारा अड़तीस से ज्यादा एशियाई राष्ट्रों पर अमरीका की पकड़ कमजोर करके उन पर अपना नियंत्रण करना चाहता है।

इतना बोल कर अजीत सर चुप हो गये थे। कुछ पल रुक कर उन्होंने फिर बोलना आरंभ किया… ब्रिगेडियर चीमा के ब्लू प्रिंट की सीआईए और तालिबान के नेतृत्व ने भी काफी सराहना की थी। उनका मानना था कि पाकिस्तान मे फौज के प्रति रोष व असंतोष की स्थिति मे चीन की सीपैक परियोजना पर प्रतिकूल असर होगा जिसके कारण दोनो का ध्यान अफगानिस्तान से हट कर पाकिस्तान तक सिमित हो जाएगा। इसके लिये उन्होंने तेहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान और उसकी जैसी अन्य तंजीमो को मजबूत करने का सुझाव दिया था। अमरीका को एक तीर से दो शिकार करने का मौका मिल गया था। उन्होंने सहर्ष यह सुझाव को अमल मे करने के लिये ब्रिगेडियर चीमा को ग्रीन सिगनल दे दिया था। तुमने उस ब्लू प्रिंट मे अपनी ओर से खुदाई शमशीर की रचना करी जिसके पीछे यही उद्देश्य था कि किसी तरह इस आप्रेशन की बागडोर हमारे हाथ मे रहे। हक डाक्ट्रीन को पाकिस्तान मे कार्यान्वित करने का यह बेहद सटीक सुझाव था। योजना यह थी कि अमरीकन डालर और हथियारों की मदद मिलते ही तेहरीक और उनकी जैसी बलूचिस्तान, पख्तूनिस्तान, वजीरीस्तान की अन्य तंजीमों ने पाकिस्तानी फौज और सीपैक को निशाने पर लेने से पाकिस्तानी एस्टेब्लिशमेन्ट का ध्यान अफगानिस्तान से हट कर पाकिस्तान की ओर लग जायेगा। इसके कारण तालिबान की वार्ता किसी हद तक अफगानिस्तान मे शांति स्थापित करने मे सफल हो जायेगी। जब तक इस योजना को हम कार्यान्वित करते तब तक ब्रिगेडियर चीमा आएसआई की नजर मे आ गये थे। उसका परिणाम तुम्हारे सामने है।

तभी जनरल रंधावा बीच मे बोले… पुत्तर, तालिबान के बारे एक बात जानना जरुरी है कि पहले अफगान युद्ध मे तालिबान को बनाने वाले लोगों मे हक्कानी परिवार आज भी काफी प्रभाव रखता है। हक्कानी परिवार मूलत: पाकिस्तानी पश्तून है और अफगान सीमा पर उनका काफी दबदबा है। पहले और दूसरे अफगान युद्ध मे तालिबान की हक्कानियों ने काफी मदद की थी। पाकिस्तानी फौज और आईएसआई का तालिबान पर प्रभाव हक्कानी परिवार के कारण है। जब यह वार्ता की पहल हुई तब पाकिस्तान फौज के दबाव मे हक्कानियों ने इस वार्ता मे भाग लेने से मना कर दिया था। बहुत से तालिबान के नेताओं का परिवार अभी भी पाकिस्तान मे रह रहा है जिसके कारण तालिबान का नेतृत्व दो भाग मे बँट गया है। हक्कानी और उनके समर्थक पाकिस्तान के पिठ्ठु बन कर वार्ता असफल करने की जुगत लगा रहे है और वहीं दूसरी तरफ एक बड़ा तबका तालिबान का अमरीकन से बात करने की पैरवी कर रहा है। चीन के लिये यह सभी प्यादे है और उनका उद्देश्य उस महत्वाकांक्षी सड़क परियोजना से जुड़ा हुआ है। ग्वादर और सीपैक परियोजना मे अब तक चीन का काफी पैसा लग चुका है। इसी कारण अब वह भी पाकिस्तानी फौजी एस्टेब्लिशमेन्ट के दबाव मे आ गये है। तुमको यह सब बताने की जरुरत ब्रिगेडियर चीमा की असामायिक मौत के कारण पैदा हो गयी है। एक ओर तालिबान के नेतृत्व मे सेंधमारी के लिये आईएसआई हक्कानियों से मदद ले रही है और दूसरी ओर तालिबान का दूसरा धड़ा तेहरीक के साथ मिल कर उनके खिलाफ जंग छेड़ने जा रही है। पश्तून और पठान के बीच मे अमरीका की छवि ठीक नहीं है अपितु उन लोगों के बीच भारतीयों की छवि बेहतर है। अमरीका चाहता है कि हम इस स्थिति को संभाले इसी लिये ब्रिगेडियर चीमा का रिप्लेसमेन्ट वह जल्दी से जल्दी चाहते है।

अजीत सर की आवाज गूंजी… समीर, कूटनीति मे हम एक दोराहे पर खड़े हो गये है। क्या हम अपनी विदेश नीति को बदलने की सोच रहे है? आज तक हमारी नीति आतंकवादियों और उनकी तंजीमो के लिये बड़ी साफ रही थी कि हम उनसे कोई बात नहीं करेंगें। यहाँ पर हम उनके साथ काम करने का नेतृत्व लेने की बात कर रहे है। यह कैसे मुम्किन है? इस्लामिक हुदायबिय्याह की डाक्ट्रीन का कहना है कि दुश्मन का दुश्मन दोस्त होता है। ब्रिगेडियर चीमा भी शायद इसीलिये इसकी वकालत कर रहे थे। लेकिन यह समझना जरुरी है कि यह नीति बदलने की बात नहीं है। अपनी जान और माल की रक्षा के लिये हमे तालिबान के साथ काम करना ही पड़ेगा। अमरीका आज नहीं तो कल वहाँ से जाएगा तो उनके बाद परोक्ष अथवा अपरोक्ष रुप मे तालिबान के हाथ मे वहाँ की सत्ता होगी तो तब क्या हमे तालिबान से बात नहीं करनी पड़ेगी? मैने मन ही मन सोचा कि तर्क तो सही था क्योंकि पहले भी अपने यात्रियों को छुड़ाने के लिये तालिबान से बात करनी पड़ी थी।

अजीत सर एक बार फिर से बोले… समीर, एक बात तय है कि हम परोक्ष रुप से उसके साथ खड़े नहीं हो सकते। ऐसी हालत मे तुम्हें पाकिस्तानी कारोबारी की तरह ही इसको डील करना पड़ेगा। यह बात हम अपने दोस्त और दुश्मन राष्ट्रों के सामने भी जाहिर नहीं कर सकते कि इस आप्रेशन को हम चला रहे है। कूट्नीति और राजनीति के साथ तुम्हें सैन्य नीति को भी इस्तेमाल करना पड़ेगा। हमारे बीच मे जरुर कोई है जिसके कारण ब्रिगेडियर चीमा शहीद हो गये। इसीलिये तुमको ज्यादा सावधान रहने की जरुरत है। तुम्हारी असलियत श्रीनिवास को भी पता नहीं चलनी चाहिये। इसके लिये हमने तय किया है कि तुम एक पाकिस्तानी नागरिक बन कर उनकी मीटिंग मे शामिल होगे और जनरल रंधावा ब्रिगेडियर चीमा के रिप्लेस्मेन्ट की तरह काम करेंगें। वह तुम्हारा सिर्फ मुखौटा होगा लेकिन तुम जो भी निर्देश दोगे उसको जनरल रंधावा का निर्देश मान कर श्रीनिवास उसका पालन करेगा। …सर, अगर श्रीनिवास ही उनका आदमी हुआ तो सारा आप्रेशन खतरे मे पड़ जाएगा। …समीर, क्या तुम्हारे पास इसका कोई विकल्प है? …सर,  मेरा ख्याल दूसरा है। भारतीय दूतावास और भारत सरकार का इसमे सीधे संपर्क नहीं होना चाहिये। आप मुझे सीआईए या अमेरीकन फोर्सिज की ओर से उस मीटिंग मे शामिल करवाने की कोशिश किजिये। अगर ऐसा हो जाता है तो फिर कूटनीति के अनुसार हमारा कभी किसी तंजीम के साथ सीधा संबन्ध नहीं निकल सकेगा। मैने अपना विचार उनके सामने रख दिया था।

वीके की आवाज गूंजी… अजीत, इस आप्रेशन मे श्रीनिवास रा का एजेन्ट है। गोपीनाथ इसके लिये हर्गिज तैयार नहीं होगा। तुम युएस के एनएसए से बात करके समीर को सीआईए या अमरीकन फौज के एजेन्ट के तौर पर काम करने के लिये बात करो और श्रीनिवास को रा के एजेन्ट के रुप मे काम करने दो। समीर अगर उनका आदमी बन कर उस समूह मे काम करेगा तो कम से कम ब्रिगेडियर चीमा का राज खोलने वाले का पता भी चल जाएगा। …वीके तुमने ठीक आंकलन किया है। इस आप्रेशन से रा की भुमिका को अब हटाया नहीं जा सकता अन्यथा पार्टनर्स के बीच मे संदेह उत्पन्न हो जाएगा। मै उनके एनएसए से बात करके समीर को उनके समूह मे शामिल करने के लिये कह दूंगा। …सर, श्रीनिवास से अब मिलना बेकार है। क्या मै वापिस चला जाऊँ? …नहीं कल दोपहर तक तुम्हारा इंतजाम हो जाएगा। …जी सर। …अब से रेडियों साईलेन्स ज्यादा लम्बा नहीं होना चाहिये। …यस सर। …पुत्तर, ब्रिगेडियर बनते-बनते रह गया। सारी। …कोई बात नहीं सर। तभी अजीत सर ने बीच मे बात काटते हुए कहा… कल तीन बजे काल करुँगा। ओवर एन्ड आउट। इसी के साथ लाईन कट गयी थी।

मैने मेसेज डिस्पले पर देखा तो दो मेसेज आये हुए थे। मैने जल्दी से वह मेसेज खोल कर पढ़ने बैठ गया।

…आपका फोन बन्द पड़ा हुआ है। मेनका ने बहुत बार नम्बर मिलाया लेकिन हर बार फोन बन्द बताया गया। सब ठीक तो है। मुझे आपकी चिन्ता सता रही है। प्लीज मेसेज पढ़ कर तुरन्त फोन किजिये। आपको पाकिस्तानी नम्बर कहाँ से मिल गया?

…मेनका को आपका संदेश पढ़वा दिया था। अपने नाम का मेसेज देख कर वह बहुत खुश हुई। वह आपसे उस नम्बर पर कल दोपहर को बात करेगी। खुदा का शुक्र है कि उस वक्त मै वहाँ पर नहीं हूँ।

दोनो मेसेज पढ़ने के बाद मैने अपना स्मार्टफोन उठा कर अंजली का नम्बर मिलाया। काफी देर घंटी बजती रही और फिर लाइन कट गयी थी। दीवार पर टंगी हुई घड़ी पर नजर डाल कर एक बार फिर से वह नम्बर मिलाया तो कुछ देर घंटी बजती रही… हैलो। बहुत पतली आवाज कान मे मे पड़ी तो मैने जल्दी से कहा… मेनका। …होल्ड किजिये। अचानक दूसरी ओर शोर की आवाज के बाद मेनका की आवाज कान मे पड़ी… अब्बू। मेरे दिल ने कुछ पल धड़कना बन्द कर दिया था। …अब्बू। …बेटा कैसी हो? …अब्बू। इतना बोल कर वह सिसक कर रोने लगी। …बेटा, आई एम सारी। मेरा फोन खराब हो गया था। इसलिये आपसे बात नहीं कर सका। सौरी। …अब्बू, आपकी बहुत याद आती है। केन भी अब थोड़ा बोलने लगा है। प्लीज आप यहाँ आ जाईये। …स्कूल जा रही हो कि पढ़ाई छोड़ दी है? …क्या अम्मी ऐसा होने देंगी? …तुम्हारी अम्मी कैसी है? …अच्छी है। यहाँ पर सिर्फ आपकी बात करती रहती है। …अब्बू, मैने साईकिल चलानी सीख ली है। …तीन पहिये की? …दो पहिये की। अब्बू, एक बार केन को डलिया मे बिठा कर मैने सड़क पर साईकिल चलाई है। …तुम्हारी अम्मी कहाँ है? वह कुछ नहीं बोली तो मैने पूछा… अम्मी ने मना किया है। …हाँ। अब्बू केन कुछ कह रहा है। एक बच्चे की किलकारी मेरे कान मे पड़ी तो मैने जल्दी से पूछा… केन की आवाज सुनाने के लिये शुक्रिया। मेनका अपनी अम्मी और केन का ख्याल रखना और उन्हें तंग मत करना। अच्छा फिर फोन करुँगा तब तक के लिये अल्विदा। इतना बोल कर मैने फोन काट दिया था। मेनका से बात करते हुए मेरी आँखें छलक गयी थी। अगर मेरा बस चलता तो मै तुरन्त उनके पास पहुँच गया होता।

मैने मिस्ड काल की लिस्ट देखी तो मेनका की काल के साथ साहिबा और नीलोफर की काल भी आयी थी। दो काल जनरल रंधावा की भी आई थी। सबसे पहले मैने नीलोफर को काल लगाया। उसने तुरन्त फोन उठा कर अपने इस्लामाबाद पहुँचने की जानकारी देते हुए पाकिस्तान मे आये हुए आर्थिक संकट के बारे मे बताने लगी थी। नगदी की कमी होने के कारण सारा कारोबार और व्यापार ठप्प पड़ गया है। वहाँ के हालात की जानकारी देने के बाद नीलोफर ने अल्ताफ की खबर देते हुए कहा… वह मेहसूद कबीले के मुखिया की गद्दी पर बैठ गया है। कुछ देर हालात पर चर्चा करने के पश्चात मैने कहा… एक दो दिन मे इस्लामाबाद पहुँच जाऊँगा। इतनी बात करके मैने फोन काट दिया था।

सबसे आखिर मे मैने साहिबा को फोन लगाया था। …हैलो। …आपको मुझसे बात करने का समय मिल गया। …मेरा फोन गिर कर खराब हो गया था जिसके कारण इतने दिन बात नहीं हो सकी थी। तुमने कैसे याद किया? …क्यों क्या सिर्फ काम के लिये ही आपसे बात हो सकती है। …नहीं ऐसी बात नहीं। तुम्हारी मिस्ड काल देखी तो मैने फोन मिलते ही तुम्हें काल किया। …आपको बताना था कि ब्रिगेडियर सलीम नूरानी साहब ने दो दिन बाद बता दिया था कि आपके एक करोड़ बीस लाख उनको मिल गये है परन्तु कुछ दिन के बाद उनकी बातों से ऐसा लगा कि वह आपके पैसे हजम करने के चक्कर मे है। …यह तुम कैसे कह सकती हो? …उन्होंने मुझसे पूछा था। मेरे मना करने पर उन्होंने साफ शब्दों मे कहा कि इसकी जानकारी आपको नहीं देनी है। …साहिबा तुम अपने काम पर ध्यान दो। इसके बारे मे फिक्र मत करो। क्या तुम्हारी शूटिंग शुरु हो गयी? …हाँ। ड्रामे की शूटिंग शुरु हो गयी है। …आप कराँची कब आ रहे है? …फिलहाल तो मै पाकिस्तान से बाहर हूँ। अपनी वापिसी पर तुम्हें बता दूँगा और अगर समय मिला तो वहीं आकर तुमसे मिलूँगा। …नहीं तो मै आपके पास आ जाऊँगी। …हाँ ठीक है। रात काफी हो गयी है तुम आराम करो। इससे पहले वह कुछ और बोलती मैने फोन काट दिया था।

मैने तुरन्त नीलोफर को फोन लगा कर कहा… ब्रिगेडियर नूरानी अब हमारे जाल मे फँस गया है। कल फोन करके एक करोड़ साठ लाख नगद माँग लेना। मुझे नहीं लगता है कि वह इतने पैसे दे सकेगा। जब तक मै नहीं आता तब तक उस पर दबाव बनाये रखना। …तुम्हें कैसे पता लगा? …साहिबा ने बताया था। …ओह। तो वह अभी भी तुम्हारे संपर्क मे है। …हाँ लेकिन तुम नूरानी से बस फोन पर संपर्क करना। अब उसके आफिस जाने की जरुरत नहीं है। …तुम कहो तो वसूली के लिये तायाजी से बात करुँ? …मेरे आने से पहले सिर्फ फोन पर बात करनी है। …अगर उसने नगद पैसे भिजवा दिये तो? …उनमे आधे से ज्यादा नकली नोट होंगें। इसीलिये मेरी अनुपस्थिति का बहाना बना कर उसे सारे पैसे मेरे अकाउन्ट मे जमा करने के लिये कह देना। …समीर, अगर नकली नोट हुए तो इसके लिये वह कभी तैयार नहीं होगा। …जल्दी इस्लामाबाद मे मिलता हूँ। खुदा हाफिज। मैने फोन काट दिया था। पाकिस्तान कारोबारियों मे नोटबंदी का असर अब दिखने लगा था। इसी बात को सोचते हुए न जाने कब मेरी आँख लग गयी थी।    

अगले दिन देर से उठा और आराम से तैयार होकर जब तक खाना खाने बैठा तब तक दोपहर हो गयी थी। खाना समाप्त करके अपने सेटफोन को चेक कर रहा था कि तभी सेन्ट्रल कमांड का एक मेसेज फ्लैश हुआ… काल बैक। मैने नम्बर मिलाया तो पहली घंटी पर अजीत सर की आवाज कान मे पड़ी… समीर। …यस सर। …मेरी एनएसए विल्किन्सन से बात हो गयी है। एनएसए विल्किन्सन ने हर प्रकार की मदद देने का वादा किया है। सीआईए के डिप्टी डायरेक्टर एन्थनी वालकाट आजकल काबुल मे है। वह इस्लामाबाद और काबुल के सीआईए के आफिस का कार्यभार संभाल रहा है। यूएस और नाटो की ओर से वह इस आप्रेशन का संचालन भी कर रहा है। उसका पर्सनल फोन नम्बर दे रहा हूँ। वह तुम्हारे फोन का इंतजार कर रहा होगा। …सर, उन्हें कितना बताना है? …समीर, जनरल रंधावा को ब्रिगेडियर चीमा के रिप्लेसमेन्ट बता कर उनके निर्देश पर फील्ड मे तुम काम करोगे। इसलिये जितना तुम ठीक समझते हो बस उतना ही बताना। …आपने उन्हें मेरे बारे मे क्या बताया है? …समीर बट, हमारा पाकिस्तान मे एक डीप एस्सेट है। वह पेशे से फाईनेन्सर और कारोबारी है परन्तु सभी तंजीमो के साथ उसके अच्छे रिश्ते है। मैने विल्किनसन को बस इतनी जानकारी दी है। …ठीक है सर। …उसको सिर्फ इतना कहना कि तुमको जनरल रंधावा ने बात करने के लिये कहा था। …जी सर। अजीत सर ने इतनी बात करके फोन काट दिया था।

मैने अपना स्मार्टफोन उठा कर वह नम्बर मिलाया तो कुछ देर घंटी बज कर लाइन कट गयी थी। एक बार मैने दोबारा मिलाने की सोची परन्तु अगले ही पल उस विचार को त्याग कर चुपचाप बैठ गया। दस मिनट के बाद उसी नम्बर से काल आयी… हैलो। …मिस्टर वालकाट, मुझे जनरल रंधावा ने आपसे बात करने के लिये कहा था। मेरा नाम समीर बट है। …मिस्टर समीर। हम कब मिल सकते है? …मै काबुल मे हूँ। आपके लिये जब भी सुविधाजनक हो तभी मिल सकता हूँ। …मिस्टर समीर, आज शाम को सात बजे होटल इन्टरकान्टीनेन्टल के काफी शाप मे मिलते है। …ठीक सात बजे काफी शाप। ओके। इतनी बात करके मैने फोन काट दिया था। मुझे अब उससे मिलने की तैयारी करनी थी। चार बजने वाले थे। मेरे पास कपड़ों मे सिर्फ पठानी शलवार सूट और ऊनी जैकेट के अलावा कुछ भी पहनने के लिये नहीं था। जल्दी से अपना पर्स और कार्ड्स जेब मे डाल कर मै गेस्ट हाउस से निकल कर एक शापिंग सेन्टर की दिशा मे चला गया था। डिप्लोमेटिक एरिया होने के कारण वहाँ ज्यादातर पश्चिमी सामान की दुकानों की भरमार थी। मैने पुरुषों के कपड़ों की दुकान देखते ही उसमे घुस गया और जल्दी से दो सूट, दो शर्ट, दो टाई व अन्य सामान पैक करवा कर इटालियन जूते की दुकान मे चला गया। एक जोड़ी जूते खरीद कर मेरा कार्य लगभग पूरा हो गया था। बस अब चेहरे और बालों की हजामत करानी रह गयी थी। वापिस लौटते हुए एक सैलून दिखा तो उसमे चला गया था। जब तक बाहर निकला तब तक मेरा सारा हुलिया बदल चुका था।

सात बजे मै नीले सूट मे जेन्टलमेन केडेट की तरह तैयार होकर इन्टरकान्टीनेन्टल होटल के काफी शाप मे बैठ कर काफी पीते हुए वालकाट का इंतजार कर रहा था। उस वक्त काफी शाप मे ज्यादा भीड़ नहीं थी। दो तीन टेबल पर कुछ विदेशी लोग बैठे हुए दिख रहे थे। मेरी नजर मुख्य द्वार पर टिकी हुई थी। सात के सवा सात हुए फिर साढ़े सात हुए लेकिन वालकाट अभी तक नजर नहीं आया था। वालकाट ने फोन पर देरी के कारण की कोई सूचना भी नहीं दी थी। मुझे समझ मे नहीं आ रहा था कि ऐसे हालात मे उसका इंतजार करना चाहिये या नहीं। थोड़ी देर और इंतजार करके मै अपना बिल चुका कर जैसे ही काफी शाप से बाहर निकला कि तभी काफी शाप के काउन्टर पर तैनात व्यक्ति ने मुझे एक रसीद पकड़ा दी थी। मैने एक उड़ती हुई नजर रसीद पर डाली तो उस रसीद के एक किनारे मे हाथ से एक गाड़ी का नम्बर लिखा हुआ देख कर मै सावधान हो गया। इसका मतलब साफ था कि वालकाट यहीं कहीं है लेकिन वह पब्लिक मे मुझसे मिलना नहीं चाहता है। मै होटल से निकल कर पार्किंग मे खड़ी हुई गाड़ियों के नम्बर देखते हुए के मुख्य द्वार से बाहर निकला कि तभी एक कार मेरे करीब आकर रुकी और ड्राईवर कार से उतर कर पीछे का दरवाजा खोलते हुए बोला… मिस्टर समीर बट। मै बिना कुछ कहे कार मे बैठ गया। अगले ही पल कार मुख्य सड़क पर निकल गयी थी।

कार मे ड्राईवर समेत तीन और लोग बैठे हुए थे। सभी अंग्रेज थे लेकिन मेरे साथ एक बुजुर्ग व्यक्ति बैठा हुआ था। …मिस्टर समीर बट। मै एन्थनी वालकाट हूँ। आपसे मिल कर बड़ी खुशी हुई। …थैंक्स मिस्टर वालकाट। आप फोन पर ही बता देते तो बेकार काफी शाप मे बैठ कर अपना समय खराब नहीं करता। …मिस्टर समीर, बेहद संवेदनशील मुलाकात है तो बहुत सी बातों का ख्याल रखना पड़ता है। हम सेफ हाउस मे बैठ कर आराम से बात करेंगें। मैने कोई जवाब देना उचित नहीं समझा तो चुप बैठ गया। वालकाट ने भी फिर कोई बात नहीं की थी। कुछ देर के बाद हम एक आलीशान मकान के सामने पहुँच कर रुक गये थे। …आईये मिस्टर समीर। मै उसके साथ चल दिया। मकान मे प्रवेश करके कुछ कदम चल कर हम एक स्टडी रुम मे पहुँच गये थे। …काफी के लिये बोल देना। अपने साथ चलते हुए व्यक्ति से इतना बोल कर वह मुझसे बोला… प्लीज आराम से बैठिये। मै सोफे पर बैठ कर कमरे का जायजा लेकर बोला… मिस्टर वालकाट मै उम्मीद करता हूँ कि हमारी बात या तो रिकार्ड हो रही होगी अन्यथा रियल टाइम बेसिस पर आपके वरिष्ठ अधिकारियों को रिले हो रही होंगी। मुझे इसमे कोई आपत्ति नहीं है लेकिन मै भी आज की बातचीत जनरल रंधावा के लिये रिकार्ड करना चाहता हूँ। …नो प्राब्लम। अच्छा रहेगा कि आप मुझे एन्थनी कहे और मै आपको समीर कहूँ तो बेहतर होगा। मैने भी तुरन्त कहा… नो प्राब्लम। इतना बोल कर मैने अपने फोन की रिकार्डिंग चालू कर उसके सामने मेज पर रख दिया था।

सबसे पहले वालकट बोला… समीर, आज सुबह एनएसए मिस्टर विल्किन्सन ने मुझे बड़ा अजीब निर्देश दिया है। आप इस आप्रेशन मे भारत सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर हमारे साथ काम करेंगें लेकिन आप पाकिस्तानी नागरिक है। यही एक बहुत अजीब बात है। फिर उनका यह भी आदेश था कि आपको उस समूह मे भारत सरकार के बजाय सीआईए या यूएस फोर्सेज के प्रतिनिधि के रुप मे बताया जाये। यह और भी अजीब बात है परन्तु मिस्टर विल्किन्सन ने इस बात का निर्णय मुझ पर छोड़ा है कि क्या ऐसा करने मे हमारा कोई नुकसान तो नहीं है। इसीलिये कोई भी निर्णय लेने से पहले मै आपसे जानना चाहता हूँ कि क्या ऐसा करना हमारे हित मे होगा? मैने उसकी बात चुपचाप सुनी थी। प्रथम दृष्टिये बातचीत वालकाट की प्रतिभा और सटीक आंकलन की ओर इशारा कर रही थी।

मेज पर रखे काफी मग को उठा कर काफी एक घूँट पीकर गला तर करके मै बोला… थैंक्स। एन्थनी आपका बेहद सटीक आंकलन और सवाल जायज है। पहली बात मै पाकिस्तानी नागरिक सिर्फ पेपेर्स पर हूँ। वैसे भी पाकिस्तान के सभी महत्वपूर्ण ओहदेदार और प्रभावशाली कारोबारी दोहरी नागरिकता रखते है जिसमे ज्यादातर यूएस और यूके के नागरिक है तो यह आपके लिये कोई अजीब बात नहीं होनी चाहिये। दूसरी बात मै पाकिस्तान मे अलग-अलग सेक्टर मे काले और सफेद इन्वेस्टमेन्ट करके मोटा ब्याज कमाने का धंधा करता हूँ। इसके कारण मेरा संपर्क पाकिस्तानी एस्टेबलिश्मेन्ट और बड़े कारोबारियों से अच्छा है। तीसरी बात है कि कश्मीरी तंजीमों को छोड़ कर जितनी भी कट्टरपंथी तंजीमे पाकिस्तान मे शरिया नाफिज करने मे इच्छुक है उनका मै फाईनेन्सर हूँ। फ्रंटियर प्रोविन्स आजाद कश्मीर और खैबर पख्तूनख्वा मे बहुत सी छोटी-छोटी तंजीमे आती है लेकिन सबसे महत्वपूर्ण तेहरीक-ए-तालिबान है। ऐसे ही बलूचिस्तान मे बहुत सी तंजीमे उत्तर से लेकर दक्षिण तक सक्रिय है लेकिन सबसे महत्वपूर्ण तंजीम बलूचिस्तान रेसिस्टेन्स फ्रंट है। इन सभी के साथ मेरे अच्छे संबन्ध है। यह तो आपके पहले सवाल का जवाब है। इतना बोल कर मैने काफी का मग उठा लिया।

वालकाट को मौका मिला तो उसने पहला सवाल दाग दिया… समीर, शरिया नाफिज करने के उद्देशय वाली चरमपंथी तंजीमो के साथ तो हम काम नहीं कर सकते। अपना गला तर करके एक बार फिर मैने बोलना आरंभ किया… एन्थनी, आप तालिबान से कतर मे बात कर रहे है। आप साउदी अरब के मुख्य रक्षा और कारोबारी पार्टनर है। सभी अपना हित देखते है तो कृपया मुझे नैतिकता का पाठ मत पढ़ाईये। पाकिस्तान मे शरिया नाफिज करने मे सबसे बड़ा रोड़ा चीन का इन्वेस्टमेन्ट है। अगर यह अभी रोड़ा नहीं है तो बनाना पड़ेगा। इसी के बल पर इन सभी तंजीमो को चीन के बेल्ट एन्ड रोड परियोजना के विरोध मे आसानी से खड़ा किया जा सकता है। इसका सबसे अच्छा उदाहरण गिल्गिट मे खुदाई शमशीर नाम की चरमपंथी तंजीम है जिसके कारण सीपैक परियोजना को काफी नुकसान पहुँचा है। उन्होंने चीन को वहाँ के रिहायशी इलाकों और जल स्त्रोतों को बचाने के लिये परियोजना की सड़क मोड़ने के लिये मजबूर कर दिया था। 120 मील के स्ट्रेच की लागत आठ गुना बढ़ गयी थी। हाल ही खुदाई शमशीर की मध्यस्था मे खैबर पख्तूनख्वा मे मेहसूद और वजीरी कबीलो ने तय किया है कि शरिया नाफिज करने के लिये वह चीन के विरोध मे सभी छोटे और बड़े कबीलों को एक छत के नीचे लाने का प्रयास करेंगें। अगर वह सब एक हो गये तो तेहरीक और अफगान तालिबान भी इससे अछूते नहीं रहेंगें। सीपैक और बेल्ट एन्ड रोड परियोजना अगर रुक गयी तो अब यह आपको सोचना है कि क्या वह आपके हित मे या नहीं?

अबकी बार वालकाट कुछ सोच कर बोला… मान लिया कि यह हमारे हितो की रक्षा करेगा लेकिन इसमे आपका या भारत का क्या फायदा है? अबकी बार जवाब देने से पहले मुझे कुछ सोचना पड़ा था। कुछ पल सोचने के पश्चात मैने कहा… जहाँ तक मेरे फायदे की बात है तो मै तो एक मर्सेनरी फोर्स हूँ। जहाँ से पैसा मिलेगा मै उसके लिये काम करता हूँ। अब भारत के फायदे की बात जहाँ तक है तो मै सिर्फ अनुमान लगा सकता हूँ कि भारत मे बैठे हुए रक्षा विशेषज्ञ यही सोचते है कि चीन कभी भी पाकिस्तान मे शरिया नाफिज नहीं होने देगा और भारत के हित मे एक कमजोर और अस्थिर पाकिस्तान बेहतर विकल्प है। मेरे चुप होते ही वालकाट ने अगला प्रश्न दाग दिया… समीर, इतना जटिल रिश्ता बनाने की जरुरत क्या है। तुम भारत सकार के प्रतिनिधि क्यों नहीं बन जाते या तुम्हारी असली पहचान क्या है? …एन्थनी, भारत सरकार किसी भी हालत मे पाकिस्तान की चरपंथी तंजीम अथवा तंजीमो के साथ कोई परोक्ष या अपरोक्ष रुप से रिश्ता नहीं रख सकती। यह उनकी कूटनीतिक मजबूरी है। इसलिये भारत सरकार को उस समूह मे एक छलावा चाहिये जिसकी कोई पहचान न हो। मेरी भी यही खूबी है कि मेरी कोई पहचान नहीं है। मेरा नाम समीर धर्म न्युट्रल है। यह नाम मोमिन भी रख सकते है और हिन्दु भी रख सकते है। इस नाम को यहूदी भी इस्तेमाल करते है और इसाई भी इस्तेमाल करते है।

एक बार कुछ पल रुक कर मैने कहा… एन्थनी, यह आपके भी हित मे है कि इस आप्रेशन मे तंजीमो को साधने का काम आपकी ओर से किसी छलावे के द्वारा होना चाहिये। आपको अफगानिस्तान से सुरक्षित निकलना है तो परोक्ष रुप से आप तालिबान से बात कर रहे है परन्तु आप खुद जानते है कि पाकिस्तान आपको यहाँ से आसानी से निकलने नहीं देगा। इसीलिये तालिबान दो धड़ों मे बँटा हुआ दिख रहा है। अगर उनके दूसरे गुटों और तंजीमों के साथ आप परोक्ष रुप से खड़े दिखे तो आपके लिये अन्तरराष्ट्रीय पटल पर बात संभालनी मुश्किल हो जाएगी। इसीलिये आपको भी एक ऐसा छलावा उनके बीच चाहिये जो हक्कानी नेटवर्क और आईएसआई के विरोध मे बाकी गुटों को एक कर सके। …हमे तुम्हारे लिये क्या करना पड़ेगा? …मेरे लिये डालर और उनके लिये हथियार चाहिये। अबकी बार एन्थनी वालकाट मुस्कुरा कर बोला… तुम्हारी बात सुन ली लेकिन क्या मुझे निर्णय लेने के लिये कुछ समय दोगे? मैने खाली मग उसको दिखाते हुए कहा… एक रिफिल चाहिये। तब तक आप उनसे बात करके निर्णय ले लिजिये। वालकाट ने काफी मग भरने के का इशारा किया और उठ कर कमरे से बाहर निकल गया था। मै आराम से पीठ टिका कर सोफे पर फैल गया था।

आधे घंटे के बाद एन्थनी वालकाट ने कमरे मे प्रवेश करते हुए पूछा… क्या मेरे असिस्टेन्ट बन कर काम कर सकते हो? …नो प्राब्लम। …मेरे आधीन इस्लामाबाद और काबुल का आफिस है। तुम्हें काम करने मे सुविधा हो जाएगी। पहली बार उसकी बात सुन कर मै मुस्कुरा कर बोला… बस ख्याल रहे कि मै एक छ्लावे की तरह काम करुँगा जिसका आपके रिकार्ड्स मे कोई जिक्र नहीं होगा। समीर बट के बजाय आप सैम नाम से मेरे सारे पेपर वर्क तैयार करवा दिजिये। जो फोन नम्बर आपके पास है वही रहेगा लेकिन मुझे आपके सूचना तंत्र को इस्तेमाल करने की इजाजत चाहिये। …अब पैसे की बात कर लें। …अभी नहीं। पहले काम का आंकलन करना जरुरी है। आज की मीटींग भारत सरकार के पैसे पर हुई है। अगली मीटिंग मे आपकी सरकार को अपना बिल दे दूँगा। एन्थनी वालकाट ने एक ठहाका लगा कर कहा… मिस्टर सैम कल सुबह दस बजे आप एम्बैसी पहुँच जाईयेगा। कल ही सारा पेपर वर्क समाप्त करके आपकी नयी आईडी मिल जाएगी। मैने घड़ी पर नजर डाली तो रात के दस बज चुके थे। जिस कार से आया था उसी कार ने मुझे होटल के बाहर मुख्य सड़क पर छोड़ दिया था। वहाँ से टैक्सी लेकर मै अपने गेस्ट हाउस ग्यारह बजे तक पहुँच गया था। अब मुझे सारी रिकार्डिंग जनरल रंधावा के पास भेज कर कल एन्थनी से मिलने से पहले तिगड़ी से आगे के काम की बात करनी जरुरी थी।