शह और मात-11
रात को सारी रिकार्डिंग
भेज कर मैने एक मेसेज डाल दिया… कल सुबह सात बजे आपके नये निर्देश लेने के लिये काल
करुँगा। मेसेज और रिकार्डिंग भेज कर मै कपड़े बदल कर बिस्तर पर पड़ गया था। अगली सुबह
कमांड सेन्ट्रल से संपर्क साधते ही जनरल रंधावा की आवाज गूंजी… पुत्तर, मै दोनो को
लाइन पर ले रहा हूँ। वीके की आवाज कान मे पड़ी… मेजर। तभी अजीत सर बोले… कल की बातचीत
की रिकार्डिंग हमने सुन ली है। …सर, अब बताईये कि आगे क्या करना है? वीके ने कहा… मेजर,
वालकाट का असिस्टेन्ट बनने मे तुम्हें एक फायदा है कि तुम्हारे पास इसके द्वारा वालकाट
के नीतिगत फैसलों पर प्रभाव डाल सकते हो परन्तु इसी के साथ यह भी खतरा है कि तुम उसके
नेटवर्क के सामने आ जाओगे। अजीत सर ने बीच मे बात काटते हुए कहा… वीके, उसके नेटवर्क
के सामने अगर समीर आ भी गया तो भी यह भेद करना मुश्किल हो जायेगा कि वह पाकिस्तानी
समीर है या भारतीय समीर है। मैने जल्दी से कहा… सर, मै नेपाल का समीर भी हो सकता हूँ।
आप सही कह रहे है कि यह मेरे उपर निर्भर करता है कि उसके नेटवर्क के सामने मै कैसे
पेश आता हूँ। जनरल रंधावा बोले… अजीत, इस आप्रेशन मे व्यक्ति को सामने तो आना ही पड़ेगा।
अच्छा यही होगा कि हमारा और इसका संपर्क सीधे और परोक्ष रुप से कभी नहीं होना चाहिये।
अबकी बार वीके ने निर्णय लेते हुए कहा… मेजर, वालकाट अपने हित साधने की कोशिश करेगा।
हमे अपना काम करते हुए बस यह ख्याल रखना है कि कहीं अपने हित साधते हुए वह हमारे लिये
कोई नयी मुश्किल न खड़ी कर दे। इस लिये उसके साथ काम करना हम सब के लिये बेहतर होगा।
दोनो ने तुरन्त वीके की बात का अनुमोदन कर दिया था।
कुछ सोच कर मैने पूछा…
सर, आज मुझे अपनी कीमत बतानी है। मै आज तक मर्सेनरी फोर्स रहा नहीं तो मुझे क्या करना
चाहिये? अजीत सर ने पहल करते हुए कहा… पाकिस्तानी कारोबारी बने हो तो उनकी तरह सोचना।
अमरीका को पाकिस्तान की हर चीज की कीमत देनी पड़ती है। इसलिये बेझिझक अपनी कीमत खुद
तय करना। वीके ने सुझाव दिया… हर उद्देश्य के अनुसार अपनी कीमत तय करना। तभी जनरल रंधावा
बोले… यार तुम लोग एक फौजी को क्यों बर्बाद करने पर तुले हुए हो। समीर पुत्तर यह सोच
कर कीमत बताना कि तुम इस हक डाक्ट्रीन के लिये सल्श फन्ड तैयार कर रहे हो। इसके सिवा
और कुछ नहीं सोचना। अजीत सर ने चुटकी लेते हुए कहा… सरदार, नेपाल की आब्सर्वेशन पोस्ट
भी तूने मुफ्त मे तैयार करवा ली और इसका कारोबार भी मुफ्त मे सेट करवा दिया। अबकी बार
मुफ्त मे इसे पाकिस्तानी पूंजी निवेशक भी बना दिया। अब फिर इसको मुफ्त मे काम करने
की शिक्षा दे रहा है। भाई इसके भी बाल बच्चे है। इसको भी घर चलाना है और अपने भविष्य
को भी देखना है। कब तक इससे मुफ्त मे काम लेता रहेगा। अब तो इसकी तन्ख्वाह भी बन्द
हो गयी है। गरीब पर कुछ तो रहम कर। इसे भी कमाने दे। तीनो इसी बात मे उलझ गये थे।
मैने बीच मे बात काटते
हुए कहा… सर, एक केरेला के सरकारी स्कूल का आईडेन्टिटी कार्ड की फोटो भेज रहा हूँ।
प्लीज क्या आप इस लड़की के बारे जानकारी निकाल सकते है क्योंकि पहली बार मैने कुछ मलयाली
लड़कियों को दाईश के जिहादियों के साथ पाकिस्तान मे देखा है। अजीत सर ने चौंकते हुए
पूछा… साफ शब्दों मे बताओ। मैने उन तीन स्त्रियों की कहानी सुना कर पूछा… सर, यह मेरी
समझ से बाहर है कि मलयाली लड़कियाँ दाईश के जिहादियों के साथ क्या कर रही है। सभी जिहादी
पश्तून थे परन्तु महिलायें मलयाली होने कारण मुझे अजीब लगा था। केरेला कहीं दाईश का
नया रिक्रूटमेन्ट सेन्टर तो नहीं बनता जा रहा है? …समीर, हमारे लिये भी यह जानकारी
नयी है। भला हिन्दु मलयाली लड़की अफगानिस्तान कैसे पहुँच गयी। अगर रिक्रूटमेन्ट की बात
है तो मलयाली मुस्लिम लड़के होने चाहिये थे। इसकी जाँच करनी जरुरी है। क्या तुम उन लड़कियों
से दोबारा मिल सकते हो? …पता नहीं सर। कोशिश करके देखता हूँ लेकिन आप तो जानते है कि
यहाँ के सामजिक परिवेश मे उनसे मिलना और बात करना बेहद मुश्किल होगा। …कोई बात नहीं।
मै इस लड़की का पता लगाता हूँ और तुम भी अपनी ओर से कोशिश करके पता लगाओ। …जी सर। बस
इतना बोल कर अजीत सर ने फोन काट दिया था। मैने तुरन्त आई-कार्ड स्कैन करके कमांड सेन्टर
भेज कर तैयार होने के लिये चल दिया था।
अगले दिन ठीक दस बजे
मै यूएस एम्बैसी के मुख्य द्वार पर पहुँच गया था। एम्बैसी क्या थी वह तो अमरीकन सेना
का ब्रिगेड हेडक्वार्टर्स लग रहा था। पहला घेरा अफगान पुलिस का था। उसको पार किया तो
अफगान सेना तैनात थी। तीसरा घेरा एम्बैसी के बाहर आधुनिक हथियारों से लैस यूएस मरीन्स
तैनात थे। उसके बाद बड़े से लोहे के गेट को पार करके चप्पे-चप्पे पर मरीन्स की टुकड़ी
तैनात थी। उन सब को पार करके जब तक मै रिसेप्शन पर पहुँचा तब तक मेरी तीन बार तलाशी
ली जा चुकी थी। वह तो अच्छा हुआ कि मैने अपना हुलिया बदल लिया था वर्ना तो पहले घेरे
से ही मुझे वापिस लौटा दिया जाता। रिसेप्शन पर खड़े हुए आदमी को अपना पासपोर्ट देकर
मैने कहा… मुझे मिस्टर एन्थनी वालकाट से मिलना है। कुछ पल के लिये वह मुझे ताकता रहा
और फिर बोला… क्या काम है? …आप उनसे खुद पूछ लिजियेगा। मेरा जवाब सुन कर वह स्तब्ध
रह गया था। वह धीरे से बोला… मिस्टर आप इंतजार करिये। वह काउन्टर किसी और के हवाले
करके कहीं चला गया और मै लोहे के जंगलों के पीछे बने हुए वेटिंग एरिया मे जाकर बैठ
गया। पन्द्रह मिनट के बाद एक आदमी वेटिंग एरिया मे मेरे पास आकर बोला… मिस्टर बट। मै
उठ कर खड़ा हुआ और उसके साथ चल दिया। एक कैदी की भांति लोहे के जंगलों के गेट को खोल
कर अपनी दसों उँगलियों के निशान देकर मैने एम्बैसी के अन्दर प्रवेश किया था। गलियारों
के जाल मे चलते हुए उसने मुझे एक कमरे मे ले जाकर बिठा दिया। …मिस्टर वालकाट अभी आ
रहे है। इतना बोल कर वह वापिस चला गया। मुझे ऐसा लग रहा था कि मै किसी पिंजरे मे कैद
होकर रह गया था।
वालकाट ने मुझे कुछ
देर इंतजार कराया था। वह आते ही बड़ी गर्मजोशी से मिला और फिर मुझे एक आफिस मे ले गया।
वहाँ मेरी तीन एंगल से फोटो खींची गयी और आँखों को स्कैन किया गया। एक मशीन पर दोनो
हाथ रखवा कर उँगलियों के निशान लेने के पश्चात वालकाट ने कहा… आओ मेरे साथ। अपना आफिस
भी देख लो। हम दोनो एक गलियारे से होते हुए लिफ्ट के सामने पहुँच गये थे। वालकाट ने
अपना कार्ड निकाल कर स्कैनर पर रखा और तीसरी मंजिल का बटन दबा दिया। तीसरी मंजिल पर
एक विशाल क्युबिकल का जाल था। वालकाट अपने आफिस मे पहुँच कर बोला… सैम तुम्हारे बैठने
का इंतजाम अभी तक नहीं हुआ है। ग्रेड-3 आफीसर हमारे इन्फार्मेशन नेटवर्क से दुनिया
के किसी भी हिस्से से जुड़ सकता है। तुम्हें इसी लेवल पर रखा जा रहा है। अब क्या पैसों
की बात भी तय कर लें? …मिस्टर वालकाट मेरा रेट काम से तय होता है। आप काम बताईये तो
मै उसके हिसाब से आपको पैसे बता दूंगा।
वालकाट के कुछ सोच
कर कहा… सैम, अभी तुम सभी तंजीमो को इकठ्ठा करने की बात कर रहे थे। पहला काम यही है
कि सब तंजीमो को इकठ्ठा करके उन्हें चीन के विरुद्ध काम करने के लिये तैयार करना है।
…इस काम मे तीन खर्चे होने है। पहला हथियारों का खर्चा, दूसरा तंजीमो को अनुदान और
तीसरा मेरा मेहनताना। इस काम का मेरा मेहनताना एक मिलियन डालर है। …और तंजीमो के लिये
कितना तय किया है? …यह आपके बजट पर निर्भर करता है। छोटी तंजीमों के लिये दस लाख अफगानी
प्रति महीना और बड़ी तंजीमो के लिये बीस लाख अफगानी प्रति महीना। मुझे उम्मीद है कि
यह सारा काम छह महीने मे पूरा हो जाएगा। उनकी जरुरत के अनुसार उनको हथियार देने पड़ेंगे।
…टोटल प्रोजेक्ट कास्ट कितनी हो जाएगी? …लगभग पाँच मिलियन यूएस डालर और हथियारों की
कीमत अलग है। …यह हमे मंजूर है। अब तालिबान के खर्चे के बारे मे बता दो? …कुछ मीटिंग्स
होने के पश्चात उसकी कीमत भी बता दूँगा क्योंकि उसमे इन खर्चों के अलावा कुछ राजनीतिक
हत्या भी करवानी पड़ेगी। एन्थनी वालकाट कुछ पल मुझे घूरता रहा और फिर मुस्कुरा कर बोला…
लगता है कि तुमने पूरी योजना तैयार कर ली है। तुम्हारे बैठने की जगह तय करने के लिये
मै जानना चाहता हूँ कि क्या तुम्हारी कोई मांग है। …ऐसी जगह चाहिये जहाँ आपके स्टाफ
के साथ मेरा कम से कम संपर्क हो। मेरे आने और जाने पर कम से कम लोगों की नजर पड़े।
…ओके।
एक घंटे हम आप्रेशन
की चर्चा मे व्यस्त हो गये थे। हमारी चर्चा पर अंकुश वालकाट की सेक्रेटरी ने लगाया
जब वह मेरा आईडेन्डिटी कार्ड और एक नया आई-पैड देने आयी थी। …सैम यह मेरी सेक्रेटरी
एलिस है। आप दोनो अपने फोन नम्बर एक्सचेन्ज कर लिजिये। नम्बर एक्सचेन्ज करने के बाद
वह आईपेड और मेरा कार्ड देकर वापिस चली गयी थी। मैने उस कार्ड को देखा तो नेरा नाम
सैम भट्ट लिखा हुआ था। आफिस की जगह यूएस स्टेट डिपार्टमेन्ट और पता यूएस कोम्पलेक्स
दिया गया था। एक बात अच्छी दिखी कि स्टेशन का स्थान काबुल और इस्लामाबाद लिखा था। वालकाट
ने आईपैड को इस्तेमाल करने का तरीका दिखा कर कहा… अपना पासवर्ड खुद डाल देना। इसके
जरिये तुम हमारे नेटवर्क से किसी भी स्थान से जुड़ सकते हो और तुम्हारे ग्रेड का आफीसर
सेटेलाईट से भी लिंक कर सकता है। अगले दो घंटे आईपेड को चलाने मे निकल गये थे। शाम
हो चुकी थी। एम्बैसी बन्द हो चुकी थी परन्तु तीसरी मंजिल पर अभी भी दिन निकला हुआ था।
…जैसे ही तुम्हारे बैठने का इंतजाम होगा, एलिस तुम्हें खबर कर देगी। …मै इस्लामाबाद
जाने की सोच रहा हूँ। तेहरीक के बैतुल्लाह से मुलाकात तय करनी है। …पहले अपने आफिस
को जोइन कर लो। फिर बस एक लाइन का मेसेज मुझे और एलिस को डाल देना कि तुम इस्लामाबाद
जा रहे हो। उसके लिये इतना ही काफी होगा। अगर कभी तुम्हारी जरुरत पड़ेगी तो हम तुम्हे
खबर कर देंगें। उस वक्त सब कुछ छोड़ कर जल्दी से जल्दी आफिस मे पहुँच जाना। …ओके। इतनी
बात करके मै वालकाट से इजाजत लेकर वापिस चल दिया था। बाहर निकलने मे मुझे कोई परेशानी
नहीं हुई थी। मै शाम तक काबुल मे स्थित यूएस एम्बैसी मे सीआईए का ग्रेड-3 आफीसर बन
चुका था।
गेस्ट हाउस पहुँच
कर आज की सारी बातचीत का ब्यौरा जनरल रंधावा को देकर मैने पूछा… सर, क्या आपके पास
कोई तालिबान के शीर्ष नेतृत्व का कोई कोन्टेक्ट है? …क्यों? …सर, ब्रिगेडियर चीमा का
भी तो कोई कोन्टेक्ट रहा होगा। …पुत्तर, यही तो मुश्किल है कि हम अभी तक ब्रिगेडियर
चीमा की कोन्टेक्ट लिस्ट नहीं निकाल सके है। एक और बात है कि अजीत ने वैजयन्ती का सारी
जन्मपत्री निकाल ली है। मै अब उसे लाईन पर ले रहा हूँ। अचानक अजीत सर की आवाज गूंजी…
समीर, तुमने एक तिलस्मी पिटारा अनजाने मे खोल दिया है। वैजयन्ती नाम की लड़की पिछले
पाँच साल से गायब है। पुलिस रिपोर्ट बता रही है कि वह किसी शोएब जमाल नाम के लड़के की
मोहब्बत के चक्कर मे फँस कर घर से भाग गयी थी। उस लड़की के पिता का कहना था कि उसकी
बेटी को शोएब स्कूल से आते-जाते तंग किया करता था। उन्हें शक है कि शोएब ने ही उसकी
बेटी का अपहरण करवाया है। पुलिस की तहकीकात मे पता चला है कि शोएब उसी दिन से घर से
गायब है। शोएब के घरवालों ने उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट थाने मे जमा की थी। शोएब को
ट्रेक करते हुए पुलिस को पता चला कि वह गायब होने एक हफ्ते बाद अमीरात की फ्लाईट पकड़
कर इस्तानबुल निकल गया था। पुलिस का कहना है कि उस फ्लाईट मे वैजयन्ती नाम की कोई महिला
ने सफर नहीं किया था। कुछ दिन छानबीन करने के पश्चात पुलिस ने दोनो की फाईल बन्द कर
दी थी। उनके बारे मे अफवाहों का बाजार गर्म है। शोएब के कुछ दोस्तों का अनुमान से कि
वह आईसिस मे भर्ती होने के लिये इस्तानबुल से इराक चला गया है। वैजयन्ती के दोस्तों
का कहना है कि शोएब ने अपने दोस्तों के साथ मिल कर वैजयन्ती का बलात्कार करके उसे मार
कर खाड़ी मे फेंक दिया होगा। अब तुम बताओ क्या उन तीन औरतों मे से कोई वैजयन्ती जैसी
दिख रही थी?
वैजयन्ती का खुलासा
सुन कर कुछ सोच कर मैने कहा… सर, उन पैराशूटी बुर्कों मे आँखें भी नहीं दिखती तो भला
चेहरा कैसा देखता। यह सच है कि तीनो मलयालम मे बात कर रही थी। मै तो सिर्फ अनुमान लगा
सकता हूँ कि उन तीन मे से एक वैजयन्ती उन्नीकृष्नन हो सकती है। …समीर, क्या एक बार
जाँच करके देख सकते हो? …सर मै कोशिश कर सकता हूँ परन्तु बेहद पेचीदा मामला है। …समीर
ऐसा करने के लिये इसलिये कह रहा हूँ कि अगर वह लड़की इराक मे मिलती तो एक बार के लिये
हम सोच सकते थे कि शोएब उसे छ्द्म नाम से अपने साथ ले गया होगा परन्तु इसका पाकिस्तान
या अफगानिस्तान मे दाईश के लड़ाकुओं के साथ निकलना किसी बड़ी साजिश की ओर इशारा कर रहा
है। …सर, अगर उन तीन मे से एक वैजयन्ती हुई तो मुझे क्या करना है? …समीर, ऐसी हालत
ने तुम उसे कर्नल श्रीनिवास को सौंप देना। …सर, सीआईए का श्रीनिवास से मिलना सारे आप्रेशन
को खतरे मे डाल देगा। …तुम उसकी चिन्ता मत करो। मै यहाँ से इंतजाम कर दूँगा। पता चलते
ही मुझे खबर कर देना। …जी सर। उस रात हमारे बीच इतनी बात हुई थी।
अगले दिन सुबह नौ
बजे मै यूएस एम्बैसी मे अपना कार्ड पंच करके आसानी से अन्दर प्रवेश कर गया था। एन्थनी
वालकाट मुझे इमारत की बेसमेन्ट मे बने हुए डेटासेन्टर मे ले जाकर बोला… सैम, यह हमारा
एक्स्क्लूसिव डेटासेन्टर है। तुम्हारे बैठने के लिये यह जगह कैसी रहेगी? इस स्थान का
आगमन और निकासी का पोइन्ट एक ही है। कार पार्किंग बेसमेन्ट मे होने के कारण तुम अपनी
कार से आसानी से यहाँ आ सकते हो। एक बार सबकी नजर से बच कर तुम बेसमेन्ट मे पहुँच गये
तो फिर डेटासेन्टर मे प्रवेश करना बेहद आसान होगा। ऐसे ही तुम सबकी नजरों मे आये बिना
आसानी से बाहर भी निकल जाओगे। …जगह तो ठीक
लग रही है लेकिन डेटासेन्टर मे मुझे सिर्फ क्युबिकल्स ही दिख रहे है। क्या कोई कमरा
नहीं है? …सौरी। डेटासेन्टर मे कोई रुम नहीं है। वैसे भी तुम्हें यहाँ कौनसा रोज बैठना
है क्योंकि तुम्हारा मुख्य काम तो फील्ड मे होगा। जब भी यहाँ होगे तभी तुम्हें बैठने
की जगह चाहिये। …फाईन। मेरे बैठने का इंतजाम आप यहीं करवा दिजिये। इतनी बात करके हम
दोनो डेटासेन्टर से बाहर निकल आये थे। …एन्थनी, एक पश्तून लीडर से मिलने के लिये मुझे
जलालाबाद जाना है। …कब जाना है। …मेरी औपचारिक रुप से आज हाजिरी लग गयी है। मै सोच
रहा हूँ कि आज ही जलालाबाद के लिये निकल जाऊँगा तो बेहतर होगा क्योंकि मुझे जल्दी से
जल्दी इस्लामाबाद पहुँचना है। …ठीक है। तुम आईपेड से मेरे पास मेसेज डाल दो कि तुम
इस आदमी से मिलने जलालाबाद जा रहे हो। …क्या किसी का नाम देना जरुरी है? …यह तुम्हारे
फायदे मे है। अगर तुमने मुझे चौबीस घंटे मे हमसे संपर्क नहीं किया तब हम तुम्हें ट्रेस
करने के लिये उसी व्यक्ति से अपनी जाँच आरंभ करेंगें। यह गोल्डन क्रीसेन्ट हमारे लिये
बर्मुदा ट्राईएंगल जैसा है। आदमी यहाँ कब गायब हो जाये किसी को पता नहीं चलता। …नो
प्राब्लम। इतना बोल कर मैने अपने केरीबेग से आईपेड निकाला कर जल्दी से टाइप किया… ईदगाह
मस्जिद मे दिलावर पठान से मिलने जा रहा हूँ। …एंथनी, अब मै चलता हूँ। बस इतनी बात करके
मै एम्बैसी से बाहर निकल आया था।
एक गाड़ी का इंतजाम
करने के लिये मै पुराने काबुल शहर मे कार वर्कशाप को ढूंढने के लिये निकल गया था। एक
पठान कुछ बच्चों के साथ एक विदेशी गाड़ी मे उलझा हुआ था। मुझे वर्कशाप मे प्रवेश करते
हुए देख कर वह काम बीच मे छोड़ कर मेरी ओर आते हुए बोला… गाड़ी खराब हो गयी है? …पठान
भाई मुझे एक मजबूत पुरानी जोंगा या लैंडरोवर चाहिये। …तो यहाँ के बजाय किसी डीलर से
बात करो। …पठान भाई, मै चाहता हूँ कि आप अपने अनुसार गाड़ी ढूंढिये। अगर कोई कमी पेशी
हो तो उसे आपको पूरा करना होगा। …तुम्हारा बजट क्या है? …अच्छी गाड़ी के लिये कोई बजट
की सीमा नहीं है। दुकान के बाहर खड़ी हुई लैंड रोवर की ओर इशारा करके पठान बोला… उस
गाड़ी के बारे मे क्या ख्याल है? उस लैंडरोवर को दुकान के बाहर खड़ी हुई देख कर ही मै
उस वर्कशाप मे घुसा था। …इसकी क्या कीमत होगी? …मियाँ, इसमे कल्च और सस्पेन्शन का काम
करना पड़ेगा। इंजन पानी की माफिक चलता है। …पठान भाई, आप कीमत बोलो। चार लाख से बात
आरंभ हुई और डेढ़ लाख अफगानी पर समाप्त हो गयी थी। लैंडरोवर पर काम करने के पैसे अलग
थे। …शाम तक गाड़ी मिल गयी तो डेढ़ लाख दे दूंगा और अगर अगले दिन डिलिवरी दी तो सवा लाख
दूंगा। पठान तुरन्त बोला… रात को आठ बजे पैसे लेकर आ जाना। बयाना कितना दे रहे हो।
मैने अपनी जेब से पर्स निकाल कर पाँच सौ डालर के नोट निकाल कर पठान के हाथ मे रखते
हुए कहा… यह बयाना है। उसने नोटों का निरीक्षण करके कहा… रात को आठ बजे बाकी पैसे लेकर
पहुँच जाना। साढ़े आठ बजे मार्किट बंद हो जाती है। पठान से विदा लेकर मै अपने गेस्टहाउस
की ओर निकल गया था।
मुझे जलालाबाद के
लिये नये सिरे से तैयारी करनी थी। ऐसा क्या करना चाहिये जिससे पता चल सके कि उन तीन
मलयाली स्त्रियों मे से कौन वैजयन्ती है? बहुत देर तक सोचने के पश्चात इसी नतीजे पर
पहुँचा कि वैजयन्ती का पता करने के लिये मुझे एक स्त्री की मुझे जरुरत पड़ेगी। पाकिस्तान
मे तो नीलोफर की मदद ले सकता परन्तु एक अनजान देश मे एक लड़की का इंतजाम करना इतना आसान
नहीं था। कुछ सोच कर पहले मेकेनिक के लिये पैसे निकालने के लिये अमेरिकन एक्स्प्रेस
बैंक चला गया था। पाँच लाख अफ़गानी निकाल कर मै उस मेकेनिक के वर्कशाप की दिशा मे निकल
गया। अभी अंधेरा पूरी तरह से नहीं हुआ था। पुराने काबुल की तंग सड़कें रौशन हो गयी थी।
टैक्सी से मै मार्किट के बाहर उतर कर पैदल ही मेकेनिक के वर्कशाप की दिशा मे चल दिया
था। दुकानों पर सामान सजा हुआ था। खरीदारों की भीड़ बाजार मे फैली हुई थी। हिजाब और
बुर्के मे स्त्रियों का समूह कपड़ों और सजावट की दुकानों पर जमा हुआ था। पुरुष और बच्चे
ज्यादातर खाने-पीने की दुकानों पर दिख रहे थे। कुछ मनचले युवकों के झुन्ड भीड़ मे लड़कियों
और स्त्रियों के साथ छेड़खानी करने मे व्यस्त थे। भीड़ से बचता-बचाता मै अपने कन्धे पर
केरीबैग लटकाये वर्कशाप की ओर बढ़ता चला जा रहा था।
मेरे आगे बुर्का ओढ़े
महिला गोदी मे नवजात शिशु को लेकर चल रही थी। उसी बुर्कापोश महिला के साथ एक हिजाब
पहने युवती कुछ थैले उठाये चल रही थी। दोनो बेचारी आने और जाने वाली भीड़ से बचती-बचाती
हुई चल रही थी। तभी एक लड़कों का झुन्ड लोगो को धकेलते हुए अपनी जगह बनाता हुआ मुझसे
टकराया। उसी मे से किसी ने मेरे बैग पकड़ कर खींचा तो मै तुरन्त फुर्ती से पंजो पर घूम
कर उसकी कलाई को पकड़ कर मरोड़ दिया। …ओ म्म्म्ममाँ…अल्लाह। मैने जैसे ही उस आवाज की
ओर मुड़ कर देखा तो वही झुन्ड दो भागों ने बँट गया था। एक झुन्ड उस बुर्कापोश औरत को
घेर कर एक दिशा मे चल दिया और दूसरा झुन्ड उस युवती को घेर कर दूसरी ओर ले गया। उस
युवती की चीख सुन कर मैने जल्दी से पकड़ी हुई कलाई छोड़ी और झपट कर सामने वाले लड़के के
बाल पकड़ कर खींचते हुए उस घेरे मे चला गया। वहाँ का हाल देख कर एक पल के लिये मेरी
आँखें फटी की फटी रह गयी थी। दिन दहाड़े बीच बाजार मे सभी उस लड़की के नाजुक अंगों के
साथ बड़ी बेशर्मी से खेल रहे थे। उस लड़की के मुख पर रखे हुए हाथ के कारण उसकी चीखें
घुट कर रह गयी थी। मै कुछ समझ कर जब तक कुछ करने की स्थिति मे होता उससे पहले वह लड़कों
का झुन्ड तेजी से आगे बढ़ गया था। वह युवती उनकी गिरफ्त से आजाद होते ही गिरने को हुई
तो मैने झपट कर उसे कमर से पकड़ कर सहारा देकर खड़ा कर दिया। मेरी नजर उस बुर्कापोश महिला
को ढूंढ रही थी। बच्चे की रोने की आवाज जैसे ही मेरे कान मे पड़ी तो मेरी नजर उस ओर
चली गयी। उस लड़की को छोड़ कर मै उस बुर्कापोश महिला की ओर झपटा लेकिन तब तक वह झुन्ड
भी उन्हें वहीं छोड़ कर आगे निकल गया था। उनसे छूटते ही वह बुर्कापोश महिला भरभरा कर
सड़क पर बैठ गयी। जब तक मै उस महिला को सहारा देकर खड़ा करता तब तक वह युवती भी आ गयी
थी। पहली बार मैने उस युवती को ध्यान से देखा था। वह देखने मे अपरिपक्व लड़की थी परन्तु
कद-काठी से पूर्ण युवती लग रही थी।
उन दोनो को भीड़ से
बचा कर एक किनारे मे खड़ा करके मैने पूछा… आप दोनो ठीक है। लेकिन फिलहाल कोई भी बोलने
की स्थिति मे नहीं था। लड़की का चेहरा उसकी हालत बयान कर रहा था। महिला अपने रोते हुए
बच्चे को चुप कराने मे जुटी हुई थी। मैने अपने बैग से पानी की बोतल निकाल कर उनके आगे
करते हुए कहा… थोड़ा पानी पी लेंगी तो बेहतर होगा। इतना बोल कर मैने उसके बच्चे को अपनी
गोदी मे उठा लिया। उस बुर्कापोश महिला ने अपने चेहरे पर से चिलमन हटा कर कुछ घूँट पानी
पीकर अपने साथ खड़ी हुई युवती की ओर बोतल बढ़ाते हुए बोली… शुक्रिया भाईजान। पहली बार
उसका चेहरा देख कर एक पल के लिये धड़कन बढ़ गयी थी। वही पूनम के चाँद सा चेहरा था। उसमे
मुझे आफशाँ की झलक दिख रही थी। उसका चेहरा देख कर कुछ पल के लिये मै ठगा सा खड़ा रह
गया था। भीड़ की आवाक-जावक वैसे ही लगी हुई थी। वह मुझे कुछ पल देखती रही और फिर बोली…
भाईजान आप ठीक है? अपनी दुनिया मे वापिस आते हुए मैने जल्दी से कहा …जी। मै ठीक हूँ।
मैने बच्चे को वापिस उस महिला को देते हुए कहा… कुछ देर आराम से किसी जगह पर बैठ जाईये।
सब ठीक हो जाएगा। बस इतना बोल कर मै जैसे ही आगे बढ़ा कि तभी वह महिला बोली… भाईजान
हमारी मदद किजिये। इस भीड़ मे आगे जाने की अब हमारी हिम्मत नहीं हो रही है। मैने कहा…
चलिये मेरे साथ आईये। दोनो मेरे पीछे चल दी थी। जैसे ही मुझे एक टी स्टाल दिखा तो मैने
कहा… आप कुछ देर आराम से यहाँ बैठ जाईये। वह दोनो भी मेरे साथ टी-स्टाल मे बैठ गयी
थी।
उस महिला का चेहरा
चिलमन के पीछे चला गया था परन्तु अभी भी मेरा दिल तेजी से धड़क रहा था। चाय का आर्डर
देकर मैने पूछा… आपको कहाँ जाना है? वह लड़की बोली… तिलाई टाउन। …यह जगह मेरे लिये नयी
है। इसलिये इसके बारे मे मुझे पता नहीं है। अगर आप चाहे तो मै आपको अपनी गाड़ी से छोड़
दूंगा लेकिन आपको मेरे साथ कुछ दूर चलना पड़ेगा। मेरी गाड़ी वर्कशाप मे खड़ी हुई है। उन
दोनो ने दबी आवाज मे कुछ बात की और फिर वह महिला बोली… भाईजान आप अगर हमे छोड़ देंगें
तो बड़ी मेहरबानी होगी। …मेरा नाम समीर है। आपका क्या नाम है? बुर्कापोश महिला बोली…
मेरा नाम आमेना असगरी है। उस लड़की की ओर इशारा करके बोली… यह मेरी ननद गजल है। …छोटे
नवाब का क्या नाम है? वह शर्माते हुए बोली… काशिफ। चाय पीकर हम लोग वर्कशाप की ओर चल
दिये थे। अब तक वह दोनो संभल गयी थी। कुछ देर बाद मै वर्कशाप मे खड़ा हुआ उस लैंडरोवर
की जाँच कर रहा था। उन दोनो को मैने गेराज के एक किनारे मे बैठा दिया। …भाईजान, कल्च
और सस्पेन्शन का काम हो गया है। …एक नयी बैटरी भी रखवा दो। बिजली के कनेक्शन और लाईट
की जाँच हो गयी? …जी भाईजान। इतना बोल कर वह बैटरी बदलने के काम मे लग गया था। …काशिफ
के अब्बा क्या करते है? पहली बार गजल बोली… भाईजान का अपना कारोबार है। तभी पठान दूर
से चिल्लाया… भाईजान पीछे के टायर ज्यादा नहीं चल सकेंगें। …पाँचों टायर बदलवा दो।
इस गाड़ी के पेपर्स तो एक बार दिखा दो। सारा काम समाप्त करने मे एक घँटा और लग गया था।
अपने केरीबैग से अफगानी
नोटों की गड्डियाँ एक-एक करके निकाल कर मेज पर रखते हुए मैने कहा… पठान भाई, अपने वादे
अनुसार दस गड्डियाँ आपके सामने रखी हुई है। बयाने के पैसे एडजस्ट करके नोट गिन कर इसकी
रसीद दे दो और ट्रांसफर के पेपर्स पर दस्तखत करके दे दो। पठान तुरन्त नोटो को गिनने
मे व्यस्त हो गया था। वह दोनो महिलाएँ मेज पर पड़ी हुई नोटों की गड्डियों को हैरानी
से देख रही थी। उन नोटों को देख कर आमेना की आँखों मे आयी चमक मेरी नजरों से छिप नहीं
सकी थी। …आमेना, इस देरी के लिये मुझे माफ कर दिजिये। अगर आप अपने घर पर देर से पहुँचने
की खबर करना चाहती है तो मेरे फोन से खबर कर सकती है। आमेना ने जल्दी से कहा… इसकी
जरुरत नहीं है। काशिफ के अब्बा काम के सिलसिले मे बाहर गये हुए है। अचानक कुछ सोच कर
मैने एक नजर गजल पर डाल कर पूछा… आमेना, क्या गजल स्कूल जाती है? आमेना ने इस बार बड़े
अंदाज से मुझसे नजरे मिला कर धीरे से पूछा… क्यों जनाब आप इसके साथ क्या करने की सोच
रहे है? मैने जल्दी से कहा… मुझे गलत मत समझिये। मुझे एक काम मे इसकी मदद चाहिये। अबकी
बार वह खुल कर बोली… क्या उस काम मे आपकी मदद मै नहीं कर सकती? उसने जिस अंदाज मे कहा
था उसको सुन कर पठान भी नोट की गिनती करना भूल गया था।
…अलम्दुल्लिआह। खुदा
खैर करे। पठान ने बड़बड़ा कर दोबारा से नोट गिनना शुरु कर दिया। गजल भी झेंप कर नजरे
मेज पर गड़ा कर बैठ गयी थी। वह भले ही उम्र से परिपक्व नहीं दिख रही थी परन्तु इतना
समझ गया था कि वह इंसानी रिश्तों की फितरत से अनजान नहीं थी। सारी गड्डियों के नोट
गिनने के पश्चात पठान बोला… भाईजान बीस हजार अफगानी और चाहिये। पाँच नये टायर डाले
है। बैग से एक गड्डी निकाल कर पठान की ओर बढ़ाते हुए कहा… पेट्रोल कितना है। …बाहर निकलते
ही डलवा लेना। …कितने लीटर का जेरीकेन है? …चालीस। पठान ने रसीदी टिकिट लगा कर अपने
अंगूठे की मौहर लगा कर पश्तो मे दस्तखत करके कागज बढ़ाते हुए कहा… आप कहे तो मेरा दलाल
तीन दिन मे गाड़ी ट्रांस्फर करवा देगा। …ठीक है। पहले ट्रांस्फर पेपर पर दस्तखत करो।
उसने एक बार फिर से अंगूठे का निशान लगा कर पश्तों मे दस्तखत करके बोला… ट्रांस्फर
के हजार अफगानी लगेंगें। मैने बची हुई गड्डी वापिस केरीबैग मे डाल कर रसीद और ट्रांस्फर
पेपर्स लेकर कर खड़ा होकर बोला… शुक्रिया भाईजान। एक दो दिन गाड़ी चलाने के बाद ट्रांस्फर
करवाना ठीक होगा। इतना बोल कर वर्कशाप के बाहर खड़ी हुई लैंडरोवर की ओर चल दिया। वह
दोनो भी मेरे पीछे चल दी थी। आठ बजे से पहले ही हम वहाँ से निकल गये थे।
बाजार से बाहर निकलते
ही पेट्रोल पंप दिखते ही मैने लैंडरोवर को तुरन्त उसकी दिशा मे मोड़ दिया था। …टैंक
फुल कर दो। दोनो जेरीकेन भी फुल कर देना। इतना बोल कर मै एक किनारे मे खड़ा हो गया।
आमेना और गजल कुछ देर लैंडरोवर मे बैठी रही फिर बाहर निकल कर मेरे पास आकर खड़ी हो गयी
थी। कुछ सोच कर मैने कहा… आमेना, तीन दिन के लिये मुझे गजल की जरुरत है। उसकी सुरक्षा
की जिम्मेदारी मेरी है। इसे बस तीन दिन के लिये मेरी बीवी बनने का नाटक करना पड़ेगा।
एक पश्तून परिवार अपनी लड़की का मेरे साथ निकाह कराने पर तुला हुआ है। वह मेरे परिवार
वालो पर भी दबाव डाल रहा है। दो दिन पहले मैने अपना पीछा छुड़ाने के लिये अपने परिवार
से कह दिया था कि मेरा निकाह हो गया है। अब मेरे परिवार वाले बहू को देखने की जिद्द
पर अड़ गये है। आमेना तुरन्त बोली… हाय अल्लाह तुमने अगर बेचारी को जबरदस्ती बीवी बना
लिया और तीन दिन के बाद छोड़ दिया तो मै क्या करुँगी। ऐसा करो मुझे बीवी बना कर ले चलो।
मै तैयार हूँ। मैने गरदन हिलाते हुए कहा… काशिफ के कारण नहीं ले जा सकता। तुम्हें देख
कर वह मुझ पर दूसरा निकाह करने का दबाव डालेंगें। गजल की कच्ची उम्र होने के कारण वह
अभी दूसरे निकाह के लिये दबाव नहीं डाल सकते। आमेना अबकी बार गजल की ओर देखते हुए बोली…
तीन दिन की कीमत देनी पड़ेगी। …कितनी कीमत बोलो? …एक लाख। गजल हमारी सारी बात चुपचाप
सुन रही थी परन्तु इस बात को सुन कर एक बार मेरी ओर देख कर बोली… मै आपका काम नहीं
कर सकती। आमेना ने मेरी ओर देख कर कहा… एक लाख दोगे तो इसको राजी करना मेरी जिम्मेदारी
है। इतना बोल कर आमेना ने गजल का हाथ पकड़ा और लैंडरोवर की ओर चल दी।
पेट्रोल के पैसे चुका
कर वापिस अपनी गाड़ी मे बैठते हुए मैने कहा… अब तिलाई टाउन का रास्ता बताओ। आमेना रास्ता
बताते हुए बोली… आप मुताह करके इसे अपने साथ ले जाईये। …यह मुताह क्या होता है? …कुछ
समय के लिये आपका इसके साथ निकाह होगा और समय समाप्त होते ही यह मेरे पास वापिस आ जाएगी
लेकिन तब इसकी कीमत पाँच लाख और मेरे लिये पाँच लाख अलग नजराना देना होगा। अबकी बार
मैने बड़ी बेशर्मी से कहा… आमेना बीबी तुम दोनो से दस लाख वसूलने मे काफी समय लग जायेगा।
मेरे पास इतना समय नहीं है। उसने कोई जवाब नहीं दिया और मै चुपचाप गाड़ी चलाता रहा।
तिलाई टाउन मे प्रवेश करते ही आमेना ने कहा… हमे यहीं पर उतार दो। मैने गाड़ी चलाते
हुए हुए कहा… क्या सड़क पर खड़े होकर दस लाख अफगानी की बात करोगी? इस बार दोनो को सांप
सूंघ गया था। कुछ देर के बाद हम तीन मंजिली इमारतों के जंगल मे पहुँच गये थे। वह तीन
मंजिला फ्लैट्स की कोलोनी लग रही थी। एक इमारत के सामने पहुँच कर आमेना ने कहा… तीसरी
मंजिल पर हमारा फ्लैट है। लैंडरोवर को एक किनारे मे खड़ी करके अपना केरीबैग उठा कर मै
उन दोनो के साथ फ्लैट की ओर चल दिया।
साधारण दो कमरों का
फ्लैट था। …गजल तुम भी बैठ जाओ। मैने अपने बैग मे से दस हजार के नोट की एक गड्डी निकाल
कर मेज पर रखते हुए कहा… यह तीन दिन की तुम्हारे काम की कीमत दे रहा हूँ। बस मेरी बीवी
की एक्टिंग करनी पड़ेगी। एक लाख है तुम गिन लो। आमेना और गजल नोट गिनने मे लग गयी थी।
अपने साथ सोफे पर सोते हुए काशिफ को देख कर मै केन के बारे मे सोच रहा था कि वह भी
इसी की उम्र का होना चाहिये। गड्डी के कुछ नोट गिनने के बाद आमेना बोली… रहने दे। नोट
पूरे है। इसे कब ले जाना है। …यह मेरे साथ अभी जाएगी। कल सुबह इसको कुछ खरीदारी करवा
कर जलालाबाद के लिये निकल जाऊँगा। यह सुनते ही गजल ने जल्दी से कहा… नहीं आपा। मुझसे
यह काम नहीं हो पायेगा। एक पल मे रिश्तों की अदलाबदली ने मुझे सावधान कर दिया था। मेरी
आवाज कड़ी हो गयी… आमेना बीबी, सच बोलो कि यह क्या चक्कर है। तुम्हारी ननद है कि छोटी
बहन है? गजल जल्दी से बोली… आप पैसे ले जाईये। हमे आपका काम नहीं करना है। आमेना सिर
झुकाये कुछ देर चुपचाप बैठी रही और फिर मेरी ओर देख कर बोली… समीर, यह मेरी रिश्ते
मे बेटी लगती है। इसके अब्बा जमाल साहब की मै तीसरी बीवी हूँ लेकिन चार महीने पहले
उन्होंने मुझे तलाक देकर घर से निकाल दिया था। बड़ी मुश्किल से मैने मेहर की रकम और
अपने जेवर बेच कर यह फ्लैट खरीदा था। गजल उनकी पहली बीवी की निशानी है। बदले हुए हालात
मे इस बेचारी को भी उन्होने मेरे पास छोड़ दिया है। इसके लिये वह जो हर महीने खर्चा
देते है उससे आज तक यह घर चल रहा है। यही सच है। मैने गजल की ओर देखा तो वह सिर झुकाये
बैठी हुई थी।
…गजल, यह तुम्हारी
जिंदगी का सवाल है। आमेना की बात मे कितनी सच्चाई है तुमसे बेहतर कोई नहीं जानता है।
अगर मेरी मदद नहीं भी करना चाहती तब भी यह पैसे अब ऐसे ही छोड़ कर चला जाउँगा। मै यही
समझ लूंगा कि तुम्हारी मजबूरी देख कर मैने तुम्हारी कुछ मदद की है। बाकी सारी बातें
फिजूल है लेकिन अगर तुम दोनो मुझ पर यकीन कर सकती हो इतना जान लो कि मेरा कोई नापाक
इरादा नहीं है। मेरे साथ चलो कसम खुदा की तुम पर हल्की सी आंच नहीं आने दूँगा। इतना
बोल कर मै उठ कर खड़ा हो गया और चलते हुए बोला… आपस मे बात कर लो। अब मै वापिस यहाँ
नहीं आऊँगा। अगर तुम मेरी मदद कर सकती हो तो कल सुबह नौ बजे तक इस पते पर पहुँच जाना।
अपने गेस्ट हाउस का कार्ड मेज पर रख कर मै उस फ्लैट से बाहर निकल गया था। कुछ देर के
बाद एक शान्त जगह पर लैंडरोवर रोक कर मैने अपना बैग खाली करना शुरु किया। ग्लाक-17
को अपनी सीट के नीचे टूल बाक्स मे रख कर एक्स्ट्रा मैग्जीन और गाड़ी के पेपर्स गल्व
कम्पार्ट्मेन्ट मे रख दिये थे। सेटफोन को आन करके डैशबोर्ड पर लगे हुए फोन स्टैन्ड
मे बिठा कर अपने गेस्ट हाउस की दिशा मे चल दिया। सेटफोन नेटवर्क से जुड़ते ही दो-तीन
मेसेज डिस्प्ले पर दिखने शुरु हो गये थे।
रावलपिंडी
…जनाब, पेशावर कोर कमांडर से खबर मिली है कि खुदाई
शमशीर नाम की तंजीम अब खैबर पख्तूनख्वा मे भी सक्रिय हो गयी है। उन्होंने फ्रंटियर
फोर्स के एक लेफ्टीनेन्ट और दो जेसीओ की दिन दहाड़े हत्या की है। मेहसूद और वजीरी कबीलो
की गद्दी के लिये उत्पन्न आंतरिक कलह को भी वह हल करवाने मे जुटे हुए है। जनरल फैज
ने गुस्से मे दहाड़ते हुए पूछा… खुदाई शमशीर अब हमारे लिये सिर दर्द बनता जा रहा है।
इसके लिये मेजर हया ने अब तक क्या किया है? …जनाब वह अभी भी फील्ड मे है। उनका ख्याल
है कि कोई बाहरी ताकत इस तंजीम के पीछे खड़ी हुई है। …बेवकूफ वह कौनसी बाहरी ताकत है,
अमरीका या हिन्दुस्तान? …जनाब, इन दोनो के अलावा भला सीपैक का और कौन विरोध करेगा।
…कर्नल हमीद, गोदाम के माल का क्या सोचा है? …जनाब, पुराने नोट सिर्फ बैंक मे बदले
जा रहे है। इस समय बैंकों मे हमारे नोट नहीं दिये जा सकते। हिन्दुस्तान मे बैठे हुए
सारे डीलर्स ने अपने हाथ खड़े कर दिये है और उन्होंने तो पिछला बकाया चुकाने से भी इंकार
कर दिया है। …कराँची से अकबर और कुर्बान अली ने क्या जवाब दिया? …जनाब, बालीवुड की
कमाई भी ठप्प हो गयी है। एक महीने मे कराँची के लगभग हजार करोड़ रुपये डूब गये है। हिन्दुस्तान
मे बड़ी फिल्म रिलीज करने के लिये सभी ने फिलहाल मना कर दिया है।
…ब्रिगेडियर नूरानी
से कहो कि बीस करोड़ का एक हफ्ते मे इंतजाम करे। कश्मीरी तंजीमे लगातार जनरल रहमत पर
दबाव डाल रही है। …जनाब, ब्रिगेडियर नूरानी ने कुछ नगदी का इंतजाम करने के लिये आज
सुबह ही मुझ से कहा है। जनरल फैज गुस्से से दहाड़ा… वह क्या पागल हो गया है। नगदी का
इंतजाम करना उसका काम है। …जनाब, पिछले महीने उसने पाँच करोड़ आपको बाजार से उठा कर
दिये थे। नोटबंदी के कारण आपने अभी तक उसकी भरपाई नहीं की है। …नकली नोट चाहिये तो
दस करोड़ उसके पास भिजवा दो। …जनाब, देनदार ने बैंक मे जमा करने के लिये कहा है। जनरल
फैज सिर पकड़ कर बैठते हुए बोला… भला अपने बैंक मे नकली नोट कैसे जमा होंगें। …जनाब,
अगर आप कहे तो हबीब बैंक के जरिये कुछ समय के लिये नकली नोट के बदले यह पैसे उसके अकाउन्ट
मे ट्रांस्फर किये जा सकते है। इस महीने जमाल से डालर मिलते हबीब बैंक का सारा नुकसान
पूरा कर देंगें। बस एक बार आपको जावेद हबीब को कहने की जरुरत है। …मुझे सोचने दो।
समीर फिर से एक नए सफर पे निकल चुका है और गजल नाम की लड़की क्या उसका साथ देगी जो की बिलकुल अंजान और अपरचित है, वैसे केरल के लड़की उस विरान में कैसे जा फंसी यह सोचने वाली बात है और कहीं न कहीं यह बहुत ही चिंताजनक बात है, वैसे नकली पैसे के स्रोत भी भारत के नोट बंदी के वजह से खासा प्रभाव झेल रही है जो ब्रिगेडियर साहब के खीज से पता चल रहा है। अब आगे देखना है की क्या मेजर हया इस सब में अब क्या करती है जो को अब तक परदे के पीछे छुपी हुई है।
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