सोमवार, 29 जुलाई 2024

 

 

 

शह और मात-12

 

सेटफोन पर आये मेसेज देख कर गेस्ट हाउस जाने के बजाय सड़क किनारे लगे हुए खाने के स्टाल के पास मैने लैंडरोवर खड़ी कर दी थी। खाने का आर्डर देकर मै सेटफोन के मेसेज देखने बैठ गया था। अंजली की ओर से दो मेसेज थे। एक जनरल रंधावा का मेसेज था। मैने जनरल रंधावा का मेसेज खोला…

तालिबान के मुख्य फाईनेन्सर एहमद हबीबुल्लाह और परवेज खान। दोनो काबुल मे स्थित है। अमरीकनो के लिये यह दोनो तालिबान के लिये मध्यस्ता कर रहे है। इनके जरिये तेहरीक के बैतुल्लाह से मिलो। 

मैने अंजली का मेसेज खोला…

मै बाकू जा रही हूँ। किसी ने जोरावर को बाकू मे देखा है। उसकी निशानदेही होते ही क्या आप बाकू आ सकते है?

आपसे बात करके मेनका बहुत खुश है। कुछ दिनो से मै घर से बाहर हूँ इसलिये आप उससे बात कर लिया किजिये। आपको बहुत मिस करती हूँ लेकिन अदा का पता लगाये बिना मै आपके सामने नहीं आ सकती। मेरे कारण वह आपसे बिछुड़ गयी है तो उसको वापिस लाना अब मेरी जिम्मेदारी है।

खाना खाते हुए मैने चार-पाँच बार अंजली के मेसेज पढ़ लिये थे। हमेशा की तरह उसका मेसेज पढ़ कर एक अजीब सी कैफियत का एहसास हो रहा था। वह जोरावर के लिये अकेली बाकू गयी है। यह जानकारी मेरे लिये चिन्ता की बात थी। जलालाबाद, इस्लामाबाद और अब बाकू मे उलझ कर रह गया था। खाना समाप्त करने के पश्चात मैने जल्दी से अपना मेसेज टाइप किया…

जब दोजख मे साथ रहने की कसम खायी है तो क्या यह पूछने की बात है। तुम अपना ख्याल रखना और बेफिजूल खतरा मोल लेने की कोशिश मत करना। नो एन्गेजमेन्ट विद जोरावर। अदा की सुरक्षा हम दोनो की जिम्मेदारी है। मेनका से बात करके काफी देर तक आँसू बहाता रहा था। तुम चिन्ता मत करो। मै मेनका से बात कर लिया करुँगा। बस तुम अपना ख्याल रखना। मुझे वन पीस मे मेरी अंजली वापिस चाहिये।       

अपना मेसेज भेज कर मैने नीलोफर को फोन लगाया… समीर, कब वापिस आ रहे हो। नूरानी पर दबाव डाल रही हूँ। बैंक के लिये वह आनाकानी कर रहा है। तायाजी को पैसों की जरुरत है। क्या कश्मीरी तंजीम पर पैसा लगाओगे? …नीलोफर, जब तुम जानती हो तो पूछती क्यों हो। अगर वह तुम्हें बैतुल्लाह या मुफ्ती से मिलवा देंगें तो पैसे की मदद के बारे मे सोचा जा सकता है। …समीर, नाल्तार घाटी से पुख्ता खबर मिली है कि मेजर हया इनायत मीरवायज ही खुदाई शमशीर की जाँच कर रही है। क्या इस बीच अंजली से तुम्हारी कभी कोई बात हुई है। मेरा दिल नहीं मानता कि अंजली ने वापिस नौकरी जोइन कर ली होगी। …नीलोफर, यह कोई इतना मुश्किल काम नहीं है। कोई भी फोन पर उसकी एक फोटो खींच कर भेज देगा तो पल भर मे सब साफ हो जाएगा। …मुझे बेवकूफ समझा है। मेजर हया के चार फोटो भेज रही हूँ। देख कर बताओ। एक और बात है कि अनवर रियाज तुमसे मिलना चाहता है। मैने झल्ला कर कहा… उसकी फोटो तुम्हारे पास थी तो अब तक मुझे क्यों नहीं भेजी थी। …समीर, वह अंजली नहीं है। इसमे जनरल फैज की चाल साफ नजर आ रही है। अनवर रियाज का बताओ। …हाँ। उसे बता दो कि कुछ समय लगेगा। अगली किश्त रिलीज होने से पहले मै इस्लामाबाद पहुँच जाऊँगा। …तुम कब आ रहे हो? …अभी कहना मुश्किल है। दो आदमियों का पता चला है। उनसे मिलना जरुरी है। वही हमारी मुहिम को गति दे सकते है। …समीर, एक छोटा तालिबानी गुट कन्धार मे अफगान-पाक सीमा पर काफी सक्रिय हो गया है। उन्होंने डूरन्ड लाईन के विरोध मे अपनी मुहिम तेज कर दी है। उस गुट का संचालन स्वयं मुल्ला याकूब का दाहिना हाथ मुल्ला मोइन उल अनवर कर रहा है। खबर है कि आईएसआई ने हक्कानी के हाथ मे उसे रोकने की कमान दी है। …कौनसा हक्कानी? …सिराजुद्दीन हक्कानी का बेटा सिकन्दर हक्कानी उसको मरवाने की साजिश रच रहा है। अल्ताफ ने यह खबर देते हुए पूछा था कि मुल्ला मोइन इस मुहिम मे मेहसूद कबीले से मदद मांग रहा है। क्या करना चाहिये? …नीलोफर, एक बात तय हो गयी है कि खुदाई शमशीर हमेशा उसकी खिलाफत करेगा जिसके पीछे आईएसआई खड़ी हुई है। …मै अल्ताफ को खबर कर दूंगी। …अभी उसे कुछ नहीं करना है। उसको कहो कि जिरगा से पहले किसी भी मुहिम मे शामिल मत होना वर्ना वह एस्टेब्लिशमेन्ट के निशाने पर आ जाएगा। मुल्ला मोइन की सुरक्षा का इंतजाम मै यहाँ से करवाने की कोशिश करता हूँ। बस इतनी बात करके मैने फोन काट दिया था।

मैने घड़ी पर नजर डाली तो पता चला कि रात के ग्यारह बज गये थे। मै मेनका से बात करने की सोच रहा था लेकिन अब देर हो गयी थी। मैने लैंडरोवर स्टार्ट करके गेस्ट हाउस की दिशा मे चल दिया। गेस्ट हाउस के बाहर लैंडरोवर खड़ी करके जैसे ही रिसेप्शन मे प्रवेश किया तो मेरी नजर दो व्यक्तियों पर पड़ी तो ठिठक कर वहीं खड़ा हो गया था। आमेना और गजल सोफे पर बैठी हुई उँघ रही थी। काशिफ बगल मे लेटा हुआ अपने हाथ पाँव चला रहा था। मुझे देखते ही रिसेप्शन पर बैठा हुआ आदमी बोला… यह आपकी काफी देर से इंतजार कर रही थी। उसकी आवाज सुन कर आमेना ने मेरी ओर देखा और मुझको देखते ही खड़ी होकर बोली… आपको लौटने मे काफी देर हो गयी। गजल भी जाग गयी थी। …मेरे साथ आओ। आमेना ने जल्दी से बच्चे को उठाया और गजल को लेकर मेरे साथ चल दी थी। कमरे मे पहुँच कर मैने पूछा… अभी तक कुछ खाया भी है कि सिर्फ मेरा इंतजार कर रही थी। मै तो खाना खाने के लिये रुक गया था। उन्होंने जब कोई जवाब नहीं दिया तब मैने रूम सर्विस पर फोन करके कुछ खाने का आर्डर देकर पूछा… कैसे आना हुआ? …गजल को छोड़ने के लिये आयी थी। मैने गजल की ओर देखा तो वह सिर झुकाये खड़ी हुई थी। …तुम इसे सुबह छोड़ देती। …नहीं आपसे कुछ बात करनी थी। …आराम से बैठ जाओ। बात बाद मे कर लेना पहले कुछ खा लो क्योंकि तुम दोनो के मुर्झाये चेहरे देख कर लग रहा है कि भूख लग रही है। मेरी बात सुन कर दोनो मुस्कुरा दी थी।

थोड़ी देर मे खाना आ गया था। खाना खाते हुए आमेना ने पूछा… हमे आपने यह नहीं बताया कि आप क्या करते है? अपनी जेब से अपना कार्ड निकाल कर उनके सामने दिखाते हुए कहा… मै यूएस एम्बैसी मे नौकरी करता हूँ। आमेना बोली… खुदा का शुक्र है कि आप कोई गैर कानूनी काम नहीं करते है। आपने जैसे आज नोटों की गड्डियाँ दिखाई थी तो मन मे शक हुआ कि कहीं इस बेचारी को आप कोई गलत काम करने के लिये तो नहीं ले जा रहे है। गजल भी हमारी बात चुपचाप सुन रही थी। …आमेना, मै तुम्हारी परिस्थिति जानता हूँ। तुम बेफिक्र रहो मै इससे ऐसा कोई काम नहीं करवाने वाला हूँ। बस इसे तीन दिन मेरी बीवी बन कर एक पश्तून परिवार के बीच मे रहना है। गजल बस एक बात का ख्याल रखना कि यह बात वहाँ किसी को पता नहीं चलनी चाहिये कि मै युएस एम्बैसी मे काम करता हूँ। तुम इन जिहादियों को जानती हो कि वह यह सुन कर तुरन्त मेरी जान के दुश्मन बन जाएँगें। यह बात तो मेरे परिवार वालो को भी पता नहीं है। पहली बार गजल बोली… आप बेफिक्र रहे। यह राज अब हमारे सीने मे हमेशा के लिये दफन हो गया है।

आमेना उठते हुए बोली… अब मै चलती हूँ। …इस वक्त कहाँ जाओगी। यहीं रात गुजार लो। कल सुबह तुम्हें फ्लैट पर छोड़ कर हम दोनो जलालाबाद के लिये निकल जाएँगें। तुम दोनो बेड पर सो जाओ। मै यहाँ कालीन पर सो जाऊँगा। एक दौर न नुकुर का चला और फिर मेरे दबाव मे बच्चे को लेकर दोनो बेड पर लेट गयी थी। मै सोफे की गद्दियों को सिरहाना बना कर कालीन पर लेट गया। कुछ सोच कर मैने पूछा… आमेना क्या आप लोग बुर्का और हिजाब पहन कर सोते हो?  …नहीं। …तो इनको जुदा करके आराम से सो जाओ। आमेना ने उठ कर एक नजर मुझ पर डाल कर अपना बुर्का उतार कर बोली… गजल तुम भी हिजाब हटा दो। सुबह से देर रात तक की थकान मुझ पर हावी हो रही थी परन्तु अंजली की याद के कारण नींद आँखों से कोंसों दूर थी। वह अकेली एक अनजान देश मे एक दुर्दान्त चरमपंथी के पीछे गयी थी। उसके बारे मे सोचते हुए कब नींद के नशे मे डूब गया मुझे पता नहीं चला। सुबह मेरी आँख जल्दी खुल गयी थी। वह दोनो गहरी नींद मे सो रही थी। मै तैयार होने के लिये बाथरुम मे घुस गया और जब तक बाहर निकला तब तक काशिफ जाग चुका था। वह हवा मे अपने हाथ-पाँव चला रहा था। आज सूट के बजाय अपना पुराना लिबास निकाल कर पहन लिया था। सिर पर पगड़ी बाँध कर जैसे ही मुड़ा तो मेरी नजर आमेना और गजल पर पड़ी जो चुपचाप हैरत भरी नजरों से मेरी ओर देख रहीं थी।

…तुम भी तैयार हो जाओ। …यह आपने क्या पहन लिया? …अपने परिवार से मिलने जा रहा हूँ तो वही कपड़े पहनने पड़ेंगें जो सब पहनते है। …इस हुलिये मे आपको पहचानना मुश्किल है। …कोई बात नहीं। जब लौट कर तुम्हारे पास आऊँगा तब सूट पहना होगा। आमेना ने झेंप कर अपना चेहरा बच्चे के पीछे छिपा लिया था। मै फोन पर नाश्ते का आर्डर देने मे व्यस्त हो गया और आमेना तैयार होने के लिये चली गयी थी। …गजल जरा खड़ी हो जाओ। वह सकुचाती हुई खड़ी हो गयी थी। रंग, कद और काठी पठान के अनुरुप था। चेहरे पर मसुमियत और अलहड़पन साफ झलक रहा था। ढीले से कुर्ते और शलवार मे जिस्मानी उतार चढ़ाव का अनुमान लगाना मुश्किल था परन्तु निकाह के पश्चात लड़कियों के जिस्म मे जो बदलाव दिखता है वह गायब था। वह एक छुईमुई सी अपरिपक्व लड़की लग रही थी। आमेना हाथ मुँह धोकर जब बाहर निकली तो दिन की रौशनी मे और भी सुन्दर लग रही थी। ढीले से कुर्ते और शलवार मे होने के बावजूद अपने उफनते यौवन को छिपाने मे असफल थी। उसको इस रुप मे देख कर मेरे मुख से अनायस ही निकल गया… पर्फेक्ट।  गजल तैयार होने के लिये चली गयी थी।

वह मेरे पास बैठ कर अपने खुले हुए बालों को बाँधते हुए बोली… कल आपने अपने पैसे वसूल नहीं किये। मैने चौंक कर उसकी ओर देखा तो वह दूसरी दिशा मे देखते हुए मन्द-मन्द मुस्कुरा रही थी। …कल खाता खोला है। तीन के बाद वसूली शुरु हो जाएगी। …मै आपकी राह देखूँगी। …आमेना, इसको कुछ शादीशुदा लड़कियों जैसे दिखने के लिये कुछ कपड़े व अन्य मेक-अप का सामान खरीदवा दोगी तो बेहतर होगा। …मुझे कब दिलवायेंगें? …आज ही खरीद लेना। तभी दरवाजे पर किसी ने दस्तक दी तो मैने कहा… नाश्ता आ गया है। आमेना ने उठ कर दरवाजा खोला तो वेटर नाश्ता लेकर आ गया था। …सुनिये क्या यहाँ दूध मिल सकता है? वेटर ने मेरी ओर देखा तो मैने कहा… अगर रेस्त्रां मे दूध नहीं है तो बाहर से मंगवा दिजिये। बच्चे के लिये चाहिये। इतना बोल कर मैने पर्स से एक नोट निकाल कर वेटर को पकड़ा दिया था। गजल भी तब तक बाहर निकल आयी थी। हम नाश्ता करके चलने के लिये तैयार हो गये थे। अपने सूट और बूट इकठ्ठे करके मैने एक बैग मे डाल कर लैंडरोवर के पिछले हिस्से मे रखवा दिये थे। केरीबैग मे बाथरुम का सामान और अन्य छोटी-मोटी चीजें डाल कर मै चलने के लिये तैयार हो गया था। मैने गेस्टहाउस का बिल चुकाया और उन्हें लेकर मुख्य बाजार की ओर चल दिया। आमेना के हाथ मे हजार के दस नोट थमा कर मैने कहा… इनसे अपने और गजल के लिये कुछ कपड़े व अन्य सामन खरीद लो। अगर और जरुरत पड़े तो इसको पैसे लेने के लिये यहीं भेज देना। …आप नहीं आ रहे? …मुझे आफिस मे फोन करना है। मै यहीं गाड़ी मे तुम्हारा इंतजार कर रहा हूँ। वह दोनो बाजर मे चली गयी थी और मै अपना स्मार्टफोन निकाल कर मेनका से बात करने के लिये उसका नम्बर लगाया।

…हैलो। …अब्बू। …बेटा क्या हाल है? …सब ठीक है। केन मेरे साथ बैठा हुआ है। हम लोग आज मार्किट जा रहे है। वह बोलती चली जा रही थी और मै उसकी आवाज सुन रहा था। बीच-बीच मे मै एक दो सवाल भी कर देता था। कुछ देर उसकी कहानी सुनने के बाद मैने पूछा… अम्मी वापिस कब आ रही है? …अब्बू कल रात को ही बात हुई थी। उनको कुछ समय लगेगा। …यहाँ पर तुम्हारे साथ कौन है। …सभी है। मैने ज्यादा कुरेदना ठीक नहीं समझा तो बात समाप्त करके बोला… बेटा अपना और केन का ख्याल रखना। एक दो दिन मे तुम्हें दोबारा फोन करुँगा। अम्मी का फोन आये तो कह देना कि मै उन्हें बहुत याद करता हूँ। इतनी बात करके मैने फोन काट दिया था। सुबह बाजार मे इतनी भीड़ नहीं थी तो एक घंटे मे दोनो सामान खरीद कर वापिस आ गयी थी। …एक बैग खरीद लेती तो उसमे गजल का सामन रख देती। …फ्लैट पर इसका बैग रखा है। वह ले जाएगी। मैने फिर कुछ नहीं कहा और तिलाई टाउन की दिशा मे चल दिया था। उन्होंने भी सारे रास्ते मुझसे कोई बात नहीं की थी। मैने अपनी गाड़ी उनके फ्लैट के नीचे रोकी तो आमेना ने कहा… वह अपना बैग लेकर आ रही है। आप इंतजार किजिये। बस इतना बोल कर दोनो अपने फ्लैट की ओर चली गयी थी। गजल के लौटने के इंतजार मे मेरी नजर सीड़ियों की ओर लगी हुई थी। दस मिनट के पश्चात गजल सीड़ियों से उतरते हुए दिख गयी थी। स्कूल बैक उसके कन्धे पर टंगा हुआ था। उस बैग के स्ट्रेप के कारण कुछ ऐसा उत्तेजक दृश्य देखने को मिला कि एक टक उस नजारे को देखता रह गया था।

न चाहते हुए भी मेरी आँखे गजल के हिलते हुए उभरे हुए वक्षस्थल पर टिक गयी थी। ढीले कुर्ते मे शायद मैने कभी नोट नहीं किया था परन्तु बैग के स्ट्रेप के कारण कुर्ता सीने पर जरा सा कस गया था। उसके सीने के दोनो उभरे हुए हिस्से और भी ज्यादा उभरे हुए प्रतीत हो रहे थे। परन्तु उसके हर बढ़ते कदम पर दोनो कलश कभी डोलते हुए लगते और कभी थरथराते हुए दिख रहे थे। मै आँखें फाड़े उसकी हिचकोले लेते हुए वक्षस्थल को देखने मे डूबा हुआ था कि तभी वह लैंडरोवर का दरवाजा खोल कर बोली… ऐसे क्या देख रहे है? उसकी आवाज अपने इतने पास सुन कर मैने हड़बड़ा गया था। मैने जल्दी से कहा… कुछ नही। बस जल्दी से बैठो। हमे दूर जाना है। उसके लैंडरोवर मे बैठते ही हम जलालाबाद की दिशा मे निकल गये थे। अपनी बेवकूफी पर मै मन ही मन शर्मिन्दा हो रहा था। काबुल से बाहर निकलते ही गजल ने पूछा… जलालाबाद कितनी दूर है? …दो घन्टे का रास्ता है। आराम से बैठ जाओ।

कुछ देर चुप्पी के बाद गजल ने पूछा… आपके घर मे कौन-कौन है? जब कोई उचित जवाब नहीं सूझा तो मैने कहा…सभी है। मेरा जवाब सुन कर वह सिर झुका कर चुप बैठ गयी थी। कुछ दूर निकलने पश्चात वह फिर बोली… क्या मै इतनी बुरी हूँ कि आप मुझसे बात भी नहीं करना चाहते। …नहीं ऐसी बात नहीं है। गाड़ी चलाते हुए ध्यान सड़क पर होना चाहिये। …रहने दिजिये। गाड़ी चलाते हुए आप आपा से तो आराम से बात कर रहे थे। उसकी बात सुन कर मैने गरदन घुमा कर उसकी ओर देखते हुए मैने मुस्कुराते हुए कहा… पिछले दो दिन से तुम्हारी आवाज मैने सिर्फ चार बार सुनी थी। अब अचानक ऐसा क्या हो गया कि तुम सवाल पर सवाल पूछती जा रही हो? इस बार वह मेरी ओर देख कर बोली… मै आपके या आपके परिवार के बारे मे कुछ नहीं जानती तो फिर कैसे मै आपकी बीवी बन सकती हूँ। आपा ने चलते हुए कहा था कि रास्ते मे उनसे सब कुछ समझ लेना। वहाँ पर कोई गलती नहीं होनी चाहिये। …वहाँ की चिन्ता मत करो। उस जगह मुझे कोई नहीं जानता। उसने चौंक कर मेरी ओर देखा तो मैने जल्दी से पीछे आते हुए ट्रेफिक पर नजर डाल कर लैंडरोवर को सड़क से उतार कर कच्चे मे खड़ा करके बोला… गजल घबराने की कोई बात नहीं है। बस इतना जान लो कि जहाँ हम जा रहे है वहाँ हम दोनो को कोई नहीं जानता। गजल मेरी ओर देख रही थी। मेरी बात सुन कर उसके चेहरे पर आये अचरज के भाव एकाएक आतंक मे तब्दील हो गये थे। उसने लड़खड़ाती आवाज मे पूछा… आप कौन है?

मैने उसका कांपता हुआ हाथ अपने हाथ मे लेकर कहा… मुझसे डरने की जरुरत नहीं है। याद है मैने आमेना से क्या कहा था कि तुम पर कोई आँच नहीं आएगी। वह फटी हुई आँखों से मुझे देखती रही लेकिन शायद डर के कारण मेरी बात समझने की कोशिश नहीं कर रही थी। अब उसका सच से सामना कराने का वक्त आ गया था। मैने एक नजर बाहर डाली तो कुछ कदम पर एक छोटा सा रेस्त्रां काबुल नदी के तट पर बना हुआ था। मैने इशारे से उसे दिखाते हुए कहा… देखो वहाँ चल कर आराम से बैठ कर बात करते है। इतना बोल कर मै लैंडरोवर का दरवाजा खोल कर उतर गया था। वह डरते-डरते नीचे उतर कर मेरे साथ रेस्त्रां की ओर चल दी थी। कुछ बैठने की जगह तलाश करके नदी की ओर देखते हुए उसे अपने साथ बिठा कर मैने अपने सफर की सारी कहानी सुनाने के पश्चात कहा… हम दोनो शाम तक उनके ठिकाने पर पहुँचेंगें और एक रात के लिये उनके पास रुकेंगें। मेरी बीवी होने के कारण तुम आसानी से उन तीनो से बात करके वैजयन्ती का पता लगा कर मुझे बता देना। उसके बाद वैजयन्ती को उनके बीच से निकालने की मेरी जिम्मेदारी है। क्या तुम मेरी इस काम मे मदद कर सकती हो? वह सामने बहती हुई काबुल नदी को कुछ देर देखती रही और फिर धीरे से बोली… यह वैजयन्ती आपकी क्या लगती है? …वह मेरी कोई नहीं लगती। एक मजलूम की सहायता करने की कोशिश कर रहा हूँ। पता नहीं वह किस दबाव मे उनके जुल्म बर्दाश्त कर रही है। …आप क्या सभी मजलूमों की मदद करने के लिये तैयार हो जाते है? …क्या मतलब? …आमेना आपा ने अपनी कहानी सुनाई तो आप तुरन्त पैसे रख कर वापिस चल दिये थे। वैजयन्ती ने मदद मांगी तो आप उसको वहाँ से निकालने के लिये चल दिये। अब अगर मै मदद मांगूगी तो क्या आप मेरी भी मदद करने के लिये भी ऐसे ही तैयार हो जाएँगें? उसकी मासूम सी बात पर हँसते हुए मैने कहा… गजल, आप मेरी बीवी है। आपको तो सिर्फ हुक्म देने की जरुरत है। वह कुछ देर सोचने के बाद मुड़ कर मेरी ओर देख कर बड़े आत्मविश्वास से बोली… अब चलिये। वैजयन्ती को लेकर ही वापिस लौटेंगें।

शाम तक हम जलालाबाद पहुँच गये थे। यहाँ पर काबुल शहर की भव्यता और रौशनी नदारद थी। एक पुराना शहर लग रहा था। जब तक ईदगाह मस्जिद पर पहुँचा तब तक अंधेरा हो गया था। गजल को लैंडरोवर मे छोड़ कर मस्जिद के बाहर लगी हुई सीमेन्ट के बेन्च पर बैठे हुए कुछ लोगों के पास पहुँच कर मैने पूछा… भाईजान, दिलावर पठान कहाँ मिलेंगें? उनमे से एक आदमी बोला…अन्दर जाकिर भाई से पूछ लो। मस्जिद के अन्दर प्रवेश करते ही मेरी नजर एक कारिन्दे पर पड़ी जो फर्श को पानी से धो रहा था। …जाकिर भाई। उसने गरदन घुमा कर मेरी ओर देखा तो मैने जल्दी से पूछा… भाईजान, दिलावर पठान से मिलना है। वह कहाँ मिलेंगें? फर्श धोते हुए उसने कहा… मस्जिद के पीछे उनका घर है। इस वक्त वहीं मिलेंगें। …वहाँ गाड़ी जा सकती है? जाकिर काम छोड़ कर मेरे साथ मस्जिद से बाहर निकल कर इशारे से बोला… साथ वाली सड़क से अन्दर चले जाओ। दाहिने हाथ पर पहला मोड़ मुड़ते ही पहला मकान दिलावर पठान का है। मै वापिस लैंडरोवर मे जाकर बैठ गया। वहाँ से चलने से पहले मैने गजल से कहा… गजल अब तुम अपना बुर्का ओढ़ लो। वह बुर्का ओढ़ने मे व्यस्त हो गयी और मैने अपनी सीट के नीचे से ग्लाक-17 निकाल कर सेफ्टी लाक चेक करके अपने पाजामे के नाढ़े मे अटका ली थी।  डैशबोर्ड से एक एक्स्ट्रा क्लिप अपनी जेब के हवाले करके मै बताये हुए रास्ते पर निकल गया।

पहले मकान के दरवाजे के सामने लैंडरोवर रोक कर मैने उतर कर दरवाजे के कुन्डे को दरवाजे पर खटखटा कर चुपचाप खड़ा हो गया। अन्दर से किसी ने पुकारा… कौन है? फिर सांकल हटाने की आवाज आयी और एकाएक दरवाजा खुल गया। दिलावर पठान आंगन मे पलंग पर बैठा हुआ हुक्का गुड़गुड़ा रहा था। वहाँ पर चार आदमी उसके सामने बैठे हुए थे। तभी दरवाजे के पीछे से एक आदमी सामने आकर बोला… क्या काम है। उस आदमी की शक्ल देखते ही पहचान गया था। वह अली था। …अली भाई मै समीर हूँ। पहचाना? तभी दिलावर पठान वहीं से जोर से चिल्लाया… समीर अन्दर चले आओ। आंगन मे पहुँचते ही दिलावर जोर से हँसते हुए बोला… यह क्या हुलिया बना लिया है। तेरी बीवी को उन्होंने नहीं भेजा? …नहीं। ऐसी बात नहीं है। वह मेरे साथ है। रात हो गयी थी तो बीवी के साथ सीमा पार नहीं करना चाहता तो आपके पास आ गया। दिलावर उठ कर खड़ा हो गया और मेरी पीठ पर धौल जमा कर बोला… अपनी बीवी किसके पास छोड़ आया? …बाहर गाड़ी मे है। सुसराल वालों ने विदा करते हुए अपनी बेटी की सहुलियत के लिये एक गाड़ी दे दी है। दिलावर बाहर निकल कर लैंडरोवर को देख कर बोला… तेरी तो लाटरी लग गयी। …क्या खाक लाटरी लगी है। अब मेरी तनख्वाह पेट्रोल मे जाया होगी।

हमे लैंडरोवर की ओर आते हुए देख कर तब तक गजल नीचे उतर कर एक किनारे मे खड़ी हो गयी थी। …आओ बिटिया। मै किसी को भेजता हूँ जो आपको जनानखाने तक पहुँचा देगी। गजल सलाम करके हमारे साथ आंगन मे आ गयी थी। दिलावर ने जोर से आवाज लगा कर कहा… किसी को जनानखाने से भेजना। तभी जीनत भागती हुई आंगन मे आयी और मुझे देखते ही एक पल के लिये वह ठिठक कर रुक गयी। अली जल्दी से बोला… जीनत, अपनी चची को जनानखाने मे लेजा। समीर तू हमारे साथ बैठ। जीनत गजल का हाथ पकड़ कर अपने साथ ले गयी और मै वहीं आंगन मे उनके साथ बैठ गया था। दिलावर पठान अपने स्थान पर बैठ कर बोला… यह अच्छा किया कि तू यहाँ आ गया। रात मे जवान औरत के साथ सीमा पार करने मे बहुत खतरा है। वर्दी वाले हम पश्तूनों को अपना गुलाम समझते है। हमारी बहू और बेटियों के साथ जानवर जैसा सुलूक करते है।

कुछ सोच कर मैने पूछा… मैने तो सुना था कि दाईश और अन्य तंजीमो के गाजियों के साथ तो फौज अच्छा सुलूक करती है। अबकी बार अली घुर्रा कर बोला… कौन हरामखोर कहता है। आज तक पाकिस्तानी फौज ने हमारा इस्तेमाल सिर्फ अपने निजि फायदे के लिये किया है। …अली भाई, वह सभी तंजीमो को हथियार और पैसे देती है। अली ने तुरन्त जवाब दिया… कश्मीरी और कुछ मजहबीं तंजीमो को छोड़ कर फौज किसी की मदद नहीं करती है। दिलावर धुएँ को हवा मे छोड़ते हुए बोला… पहले अमरीका से डालर लेकर फौज कुछ डालर तालिबान को दे दिया करती थी। अब तो पाकिस्तानी एस्टेबलिश्मेन्ट सारी मदद हक्कानी समूह को दे रहे है। कल ही सीमा से खबर मिली है कि सिकन्दर हक्कानी हमारे छोटे-छोटे गुटों को हक्कानी गुट मे विलय करने के लिये दबाव डाल रहा है। …अब्बाजान, अब हमे हक्कानियों को निशाने पर लेना पड़ेगा। …अभी समय ठीक नहीं है। अमरीका के साथ बातचीत अगर कामयाब हो गयी तो सिराजुद्दीन हक्कानी का तालिबानी गुट सत्ता पर काबिज हो जाएगा। हक्कानियों की इस चाल से अब दाइश भी खतरा महसूस करने लगा है। एक अधेड़ सा आदमी जो अभी तक चुप बैठा हुआ था वह अचानक बोला… दिलावर भाई, तब तक बहुत देर हो जाएगी। दिलावर ने हुक्का गुड़गुड़ा कर कहा… अभी उनसे टकराने का समय नहीं आया है। ओमार, फिरोज, अखुन्डजादा, जोरावर, शेरखान, मोहसिन और मुल्ला जैसे लोगों के परिवार पाकिस्तान के अलग-अलग हिस्सों मे रह रहे है। सभी जानते है कि अगर हमारी ओर से पहल हुई तो आईएसआई के निशाने पर उनका पूरा परिवार आ जाएगा। बड़े मुल्ला ने सभी को हक्कानियों के खिलाफ कोई भी कार्यवाही करने से मना किया है। दिलावर की बात सुन कर एक बार फिर शांति छा गयी थी।

नौ बजे के करीब जीनत और एक लड़की आंगन मे आकर बोली… दस्तरखान लग गया है। बस इतना बोल कर दोनो वापिस भाग गयी थी। एक-एक करके सब उठ कर एक दिशा मे चल दिये थे। मै भी उनके पीछे चल दिया था। एक बड़े से हाल मे मटन की देगची और एक बड़ा सा बिरयानी का थाल रखा हुआ था। उस हाल मे एक झीना सा पर्दा बीच मे खिंचा हुआ था। पर्दे के दूसरी ओर महिलाओं के बैठने का इंतजाम किया हुआ था। मेरा अनुमान था कि ऐसी ही देगची और थाल वहाँ पर भी रखा हुआ होगा। महिलाओं की संख्या का अंदाजा लगा मुश्किल था परन्तु बच्चे दोनो हिस्से मे आते-जाते दिख रहे थे। हम सब थाल के इर्द-गिर्द बैठ गये और फिर अली ने मटन की देगची को थाल मे उलट दिया था। दिलावर पठान कुछ बुदबुदा कर बोला… बिस्मिल्लाह किजिये। अगले ही पल खाना आरंभ हो गया और उसी के साथ राजनीतिक चर्चा भी आरंभ हो गयी थी। अब तक बातों से इतना तो समझ मे आ गया था कि दाईश मे दिलावर पठान कोई महत्वपूर्ण व्यक्ति था। अली को छोड़ कर बाकी तीन जिहादी इस महफिल मे नहीं थे। यही मेरे लिये चिन्ता का विषय था। अगर वैजयन्ती यहाँ नहीं हुई तो मेरा आना बेकार हो गया था। कुछ सोच कर मैने साथ बैठे हुए अली से पूछा… अली भाई आपके तीन साथी नहीं दिख रहे है। …समीर, वह मेरे भाई है। तीनो काम से बाहर गये है। देर रात तक वापिस आ जाएँगें। यह सुन कर मै चुपचाप खाने मे जुट गया था।

दिलावर पठान कुछ बोल रहा था लेकिन मेरा ध्यान पर्दे के दूसरी ओर लगा हुआ था कि तभी अचानक बाहर शोर मचा तो सबके हाथ रुक गये थे। …अली देख बाहर क्या हो रहा है? अली फौरन उठा और जैसे ही बाहर जाने के लिये बढ़ा कि तभी दो आदमी भागते हुए अन्दर आकर जोर से चीखे… आका, अपनी गली मे अफगान फौज घर-घर की तलाशी ले रही है। एकाएक हाल मे सन्नाटा छा गया था। दिलावर की आवाज गूंजी… क्या हुआ? …पता नहीं। वह कुछ और बोलता कि उससे पहले अफगान फौज के कुछ सिपाहियों के साथ एक अफसर के साथ वालकाट हाल के अन्दर प्रवेश करता हुआ दिखायी दिया तो मै सावधान हो गया। अफगानी अफसर घुर्रा कर बोला… बाहर लैंडरोवर किसकी खड़ी है? मैने जल्दी से उठ कर उनके सामने पहुँच कर कहा… वह मेरी गाड़ी है। …चलो उसको वहाँ से हटाओ। फौज के ट्रक का रास्ता रुका हुआ है। दिलावर अब तक संभल गया था। उसने पूछा… जनाब तलाशी की वजह क्या है? …दिलावर पठान तुम पाकिस्तान से यहाँ किस लिये आये हो? दिलावर पठान ने गिरगिट की तरह रंग बदलते हुए बोला… माईबाप, अपने घर वापिस आया हूँ। भला इसमे आपको या सरकार को क्या आपत्ति हो सकती है। …दिलावर, आज शाम को जलालाबाद एयरबेस पर अमरीकी फौज के साथ हुई मुठभेड़ मे रज्जाक मारा गया। उसके पास आरडीएक्स काफी मात्रा मे मिला है। दाईश ने कौनसी नयी साजिश रची है? मै पागलों की भाँति वालकाट को देख रहा था। लेकिन तभी पर्दे के दूसरी तरफ से एक औरत जोर से चीखी… रज्जाक। हाय अल्लाह। अगले ही पल उनका रोना पीटना चालू हो गया था। दिलावर बोला… कौन रज्जाक? मै किसी रज्जाक को नहीं जानता। वह अफसर चलता हुआ दिलावर के पास पहुँच कर बोला… तुम्हारा बेटा रज्जाक इस्माईल पठान। हमे सब मालूम है तो हमारी आँख मे धूल झोंकने की कोशिश मत करो। वह अफसर जोर से चिल्लाया… सबको इस हाल मे इकठ्ठा करो। यह पर्दा हटाओ और ख्याल रहे कि कोई भी इस हाल से बाहर तब तक नहीं निकलेगा जब तक तलाशी का काम पूरा नहीं हो जाता। इतना बोल कर वह अफसर वालकाट से बात करने मे व्यस्त हो गया था।

आनन-फानन मे दो सिपाहियों ने पर्दा खींच कर हटा दिया था। औरतें और लड़कियाँ चीखते हुए इधर-उधर भागने लगी लेकिन तब तक दोनो दरवाजों पर कुछ और सिपाही तैनात हो गये थे। किसी ने दुपट्टा और किसी ने चादर से अपना चेहरा छिपाया। गजल हिजाब मे थी। मुझे देखते ही वह दौड़ कर मेरे पास आ गयी थी। डर के कारण उसका चेहरे सफेद हो गया था। मैने धीरे से उसके कन्धे को दबा कर कहा… गजल घबराने की कोई बात नहीं है। तभी वह अफसर दहाड़ा… अबे अपनी गाड़ी हटाने नहीं गया। मैने जल्दी से कहा… जनाब, मेरी बीवी बेहद आतंकित हो गयी है। अगर आप इजाजत दें तो इसे मेरे साथ बाहर जाने दें। गाड़ी हटा कर हम दोनो वापिस आ जाएँगें। गजल पर एक नजर डाल कर वालकाट ने जाने का इशारा किया और अफगानी अफसर अपने साथ आये सिपाहियों को निर्देश देने मे व्यस्त हो गया। सारी गली मै सैनिक फैले हुए थे। दो फौज के ट्रक मेरी लैंडरोवर के पीछे खड़े हुए थे। मुझे देखते ही एक सैनिक जोर से चिल्लाया… अबे गाड़ी हटा। मै गजल का हाथ पकड़ कर लगभग भागते हुए गाड़ी मे बैठा और आगे बढ़ गया। लैंडरोवर हिलते ही दोनो ट्रक मेरे पीछे चल दिये थे। गली के अंतिम छोर पर मोड़ से पहले एक खाली जगह देख कर मैने लैंडरोवर सड़क से उतार कर किनारे मे खड़ी कर दी थी। दोनो ट्रक मेरे पास से निकल कर आगे बढ़ गये थे। एक ट्रक आगे निकल गया और एक ट्रक मोड़ पर रुक गया था। दर्जन से ज्यादा सिपाही धड़धड़ाते हुए ट्रक से उतर कर इधर-उधर फैल गये थे।

गजल अभी भी मेरी बाँह पकड़ कर बैठी हुई थी। उसका जिस्म थरथर काँप रहा था। उसका चेहरा अपने हाथ मे लेकर मैने कहा… घबराने की जरुरत नहीं है। क्या वैजयन्ती मिल गयी? वह अभी भी डरी हुई थी। उसने धीरे से सिर हिला कर हामी भरते हुए कहा… वह कल बाजार जाएगी। वह हमे वहाँ पर मिलेगी। …कोई बात नहीं। इतनी बात करके हम दोनो गाड़ी बन्द करके पैदल दिलावर के घर की ओर चल दिये थे। हाल मे पहुँच कर मै और गजल एक किनारे मे खड़े हो गये। रात के दो बज गये थे जब तक शिनाख्त और तलाशी का अभियान समाप्त हुआ था। पूछताछ के लिये दिलावर और अली के साथ दो और परिवार के लोगों को फौज अपने साथ ले गयी थी। वालकाट की कार्यवाही के कारणों का मुझे पता नहीं था परन्तु कुछ देर उसने मुझसे पूछताछ करके छोड़ दिया था। हवेली मे बस महिलायें और कुछ नौकर रह गये थे। बाकी आदमी फौज के जाते ही निकल गये थे। सबके जाने के बाद निर्णय लेने वालों मे बस बड़ी बी रह गयी थी। मर्दो मे वहाँ पर मेरे साथ कुछ नौकर व बच्चे रह गये थे। हाल मे गमगीन माहौल हो गया था।

गजल अभी भी मेरी बाँह पकड़ कर खड़ी हुई थी। मैने बड़ी बी से कहा… आप चिन्ता मत किजिये। मै तब तक यहाँ से नहीं जाने वाला जब तक दिलावर चचा और अली भाई वापिस नहीं आते। बड़ी बी बोली… बेटा, हमारा दुश्मन ऐसे ही टाइम पर घात लगा कर हमला करता है। तुम यहाँ होगे तो हम बेफिक्र हो जाएँगें। …बड़ी बी, मै समझा नहीं। …बेटा, मुख्तियारी के लिये भाई-भाई को हलाक कर देते है। उनके जाने के बाद कुछ लोग शायद आज रात को ही हमला करने की कोशिश करेंगें। हमे सावधान रहने की जरुरत है। हमारे यहाँ सिर्फ यह तीनो लड़कियाँ हथियार चलाना जानती है। तीन पर्दानशींन औरतें बड़ी बी के पास आकर खड़ी हो गयी थी। …आपके पास हथियार है? …जी। …तो अपने हथियार लेकर आओ। मैने अपने फेंटें से ग्लाक-17 निकाल कर दिखाते हुए कहा… मेरे पास मेरा अपना हथियार है। गजल तुम बड़ी बी के साथ चली जाओ। यहाँ की सुरक्षा मै संभाल लूँगा। परन्तु गजल वहाँ से हिलने के लिये तैयार ही नहीं थी। बड़ी बी ने उसे बहुत समझाया परन्तु वह मुझे छोड़ कर जाने के लिये राजी नहीं हुई तो आखिर मे मैने कहा… इसे मेरे साथ रुकने दिजिये। आप बच्चो और महिलाओं को लेकर अपने कमरे मे चली जाईये। बस मुझे एक व्यक्ति ऐसा दे दिजिये जो मुझे इस इमारत के हर कोने को दिखा दे। तभी एक औरत बोली… अम्मी मै दिखा दूँगी। …इन्हें तू हवेली दिखा दे। इतना बोल कर बड़ी बी बच्चों को लेकर अपने कमरे मे चली गयी थी।

गजल ने इतनी देर मे पहली बार मुझसे कहा… यह माला है। वैजयन्ती हथियार लेने के लिये गयी है। मै एक नजर माला पर डाली तो वह शक्ल सूरत और कद काठी से पंजाबी लग रही थी। मै समझ गया कि वह तीन महिलायें जो मेरे साथ सफर कर रही थी उनमे से एक यह भी थी। फिलहाल मैने कोई बात करना उचित नहीं समझा तो मै माला के साथ उस मकान के चप्पे-चप्पे को देखने के लिये निकल गया था। …यह हिस्सा सड़क के सामने खुलता है। दस फुट की दीवार को देख कर मैने कहा… दीवार फांदना इतना आसान नहीं होगा। दूसरी दीवार किसके साथ लगी हुई है? …वह ईदगाह मस्जिद की दीवार के साथ लगी हुई है। एक नजर पूरी दीवार पर डाल कर मै आगे बढ़ते हुए बोला… वह जगह दिखाओ जहाँ से वह आने की कोशिश कर सकते है। …सड़क की ओर दीवार सबसे कमजोर स्थान है। हल्की सी सेंधमारी करके पूरी जिहादियों की फौज अन्दर प्रवेश कर सकती है। मैने उस दीवार का आंकलन करके कहा… माला तुम सही बोल रही हो कि यह दीवार सबसे कमजोर कड़ी है। कुछ देर के बाद जब हम वापिस हाल मे पहुँचे तो वैजयन्ती और सितारा हमारा इंतजार कर रही थी।

…मैने सभी स्थानों को देख लिया है। आज की रात हमें चौकस रहने की जरुरत है। माला और सितारा आज रात तुम दोनो दस फीट वाली बाँयी दीवार पर निगरानी रखना। जैसे ही किसी को अन्दर प्रवेश करने की कोशिश करते हुए देखो तो संभल कर फायरिंग आरंभ कर देना। हमे भी पता चल जाएगा। मै और वैजयन्ती मुख्य द्वार वाली दीवार पर नजर रखेंगें। हमारी ओर से फायरिंग होगी तो तुम्हें भी पता चल जाएगा। उसके बाद हालात देख कर हम लोग जगह की अदला-बदली करने की सोचेंगें। तीनो ने जल्दी से सिर हिला कर अपनी स्वीकृति देने के पश्चात माला ने पूछा…गजल को कहाँ तैनात कर रहे है? गजल अभी भी मेरे साये की तरह मेरा हाथ पकड़ कर बैठी हुई थी। …इसे मेरे पास रहने दो। किसी ने कुछ नहीं कहा और सब अपनी जगह पर तैनात हो गयी थी। वैजयन्ती और गजल के साथ मै मुख्य द्वार पर नजर टिका कर बैठ गया था।

गजल ने मेरी बाँह अभी भी पकड़ रखी थी। …गजल अगर ऐसे ही मेरी बाँह पकड़े रहोगी तो मै दुश्मन पर गोली कैसे चला सकूँगा। उसने जल्दी से मना करते हुए कहा… अगर आपको कुछ हो गया तो मै क्या करुँगी। वैजयन्ती ने मुस्कुरा कर कहा… बानो, अपने खाविन्द से बहुत मोहब्बत करती हो। गजल तुरन्त बोली… क्या आप अपने खाविन्द से मोहब्बत नहीं करती? एकाएक वैजयन्ती संजीदा होकर बोली… यहाँ पर किसी का एक खाविन्द नहीं होता है। तुम खुशकिस्मत हो कि तुम्हारा एक खाविन्द है। गजल ने उसकी दुखती नस दबा दी थी। कुरेदने की मंशा से मैने धीरे से पूछा… वैजयन्ती क्या इस दोजख से बाहर निकलना चाहती हो? उसने चौंक कर मेरी ओर देखा तो मै उसकी ओर ही देख रहा था। गजल धीरे से बोली… बाजी, यह आपको यहाँ से निकालने के लिये आये है। …वैजयन्ती आज की रात तो हम सभी को रतजगा करना है तो कम से कम इतना बता दो कि तुम कालीकट से यहाँ कैसे पहुँच गयी? वह चौंक कर बोली… आपको कैसे पता कि मै कालीकट से हूँ। …तुम्हारे आईकार्ड पर तुम्हारा नाम और पता दिया हुआ था। क्या भूल गयी? उसने एक बार मुझे घूर कर देखा और फिर वह द्वार पर निगाह टिका कर बैठ गयी थी। मै कुछ पूछता उससे पहले एके-53 चलने की आवाज ने रात की शान्ति भंग कर दी थी। दुश्मन की ओर से कार्यवाही आरंभ हो गयी थी। …वैजयन्ती, तुम माला और सितारा की मदद करने के लिये निकल जाओ। यहाँ मै संभाल लूंगा। वह तुरन्त एक प्रशिक्षित लड़ाकू की तरह सिर झुकाये अंधेरे मे खो गयी थी।

2 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही जबरदस्त अंक और एक ही झटके में पूरा माहौल ही बदल गया है जहां रौनक और खुशहाली का माहोल था थोड़े ही समय में अब वहां गिद्ध के समूह ने धावा बोल दिया है। समीर को बैजयंती मिल तो गई मगर परिस्थिति ऐसी है की ना कोई इस वक्त ज्यादा बात हो सकती है। खैर अब आगे देखते हैं यह रात किस के उपर भारी गुजरती है।

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  2. अल्फा भाई शुक्रिया। भारत मे लव जिहाद का पहला केस दाईश के ईराक के बादुश कैम्प मे पायी गयी कुछ केरेला की हिन्दू लड़कियों के द्वारा दुनिया के सामने आया था।

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