रविवार, 22 सितंबर 2024

 

 

शह और मात-19

 

अपने कमरे मे प्रवेश करते ही मैने सेटफोन से कमांड सेन्टर का नंबर मिलाया तो तुरन्त जनरल रंधावा की आवाज कान मे पड़ी… पुत्तर जरा होल्ड कर। मै उन दोनो को भी नेटवर्क से जोड़ रहा हूँ। कुछ देर तक लाईन शांत पड़ी रही और वीके की आवाज कान मे पड़ी… मेजर। …यस सर। …क्या तैयारी है? मैने सारी बात उनके सामने रख कर पूछा… सर, स्टेल्थ और स्पीड पर सारा हमला निर्भर करता है। अगर मेरी बैठक मे उपस्थिति अनिवार्य नहीं होती तो मै इस हमले मे उनके साथ भाग ले रहा होता। तभी अजीत सर की आवाज गूंजी… समीर, हम उनकी फौज के लिये डाईवर्जन का इंतजाम कर रहे है। कल रात को हमारी ओर से पहली बार उनकी कुछ महत्वपूर्ण पोस्ट पर आर्टिलरी के द्वारा हेवी फायरिंग होगी जिससे उनकी उत्तरी कमांड का ध्यान तुम्हारी बैठक के बजाय हमारे उपर केन्द्रित हो जाएगा। जीरो आवर क्या रखा है? …सर, जीरो आवर कल दोपहर को तय किया जाएगा। अजीत सर ने तुरन्त कहा… तो हमारी कार्यवाही कल रात दस बजे से आरंभ हो जाएगी। अपना जीरो आवर इसके हिसाब से तय करने की कोशिश करना। …यस सर। इतनी बात करके फोन कट गया था। अपना सेटफोन आफ करके मै कमरे से बाहर निकला तो मेरा सामना आमेना से हो गया था।

आमेना मेज पर खाना लगा रही थी। गजल नहीं दिख रही थी। मैने आगे बढ़ कर पीछे से आमेना को अपनी बाँहों मे जकड़ कर कहा… आमेना, मुझे आफिस के काम से दो दिन के लिये काबुल से बाहर जाना पड़ रहा है। अगर मै परसों दोपहर तक वापिस नहीं आता तो यह जगह उसी समय छोड़ कर निकल जाना। जब किसी सुरक्षित स्थान पर पहुँच जाओ तो एक नम्बर पर फोन करके बस इतना बता देना कि समीर खतरे है। वह लोग तुम दोनो को सुरक्षित बाकू पहुँचाने का सारा इंतजाम कर देंगें। उसके बाद बस इतना याद रखना कि अब्बू की कंपनी और दुश्मनों से बदला लेने की चाह से पहले तुम दोनो की जिंदगी ज्यादा जरुरी है। मैने उसकी ओर देखा तो वह झिलमिलाती हुई आँखों से मुझे एकटक देख रही थी। उसके मन मे बहुत से सवाल उमड़ रहे थे परन्तु उसने कोई सवाल नहीं किया। डिनर के बाद उस रात दोनो बहने मुझ पर ज्यादा ही मेहरबान हो गयी थी। जब हम तीनो थक कर चूर हो गये तब एक दूसरे को बाँहों मे लिये सपनो की दुनिया मे खो गये।

अगली सुबह आमेना को नीलोफर का नम्बर दे कर मै आफिस के लिये निकल गया था। उसी शाम को अपाचे हेलीकाप्टर से डेल्टा फोर्स के साथ हम दोनो काल्पनिक डूरंड लाईन से दो मील पहले उतर गये थे। अफगान-पाक सीमा को काल्पनिक कहना अतिशियोक्ति नहीं होगी क्योंकि यही जमीनी हकीकत थी। दो देशों की सीमा पर कोई लकीर, फेन्सिंग अथवा फौजी पोस्ट जैसी निशानी नहीं दिख रही थी परन्तु पहाड़ी चट्टानों के उतार-चढ़ाव से सीमा की पहचान हो रही थी। रात के अंधेरे मे एक प्राकृतिक पहाड़ी दर्रे से निकल कर हम पाकिस्तानी सीमा मे प्रवेश कर गये थे। उस काल्पनिक सीमा को पार करके डेल्टा फोर्स हमे पथरीली चट्टानों के बीच एक साफ स्थान पर छोड़ कर फौजी चौकी ओर निकल गयी थी। सभी तंजीमो के प्रतिनिधियों के साथ कर्नल श्रीनिवास और कुछ अमरीकी सेना के अधिकारियों ने उस बैठक मे भाग लिया था। रात के तीन बजे तक बिना किसी झमेले के हमारी बैठक सफलतापूर्वक संम्पन्न हो गयी थी। उस रात वालकाट ने आप्रेशन जूलू का ब्लू प्रिंट सबके सामने रख दिया गया था। बैठक समाप्त होते ही मुल्ला मोइन उस चौकी दिशा मे निकल गया था। जिस वक्त हम पहाड़ी दर्रा पार करके अफगान सीमा मे दाखिल हो रहे थे तभी कुछ विस्फोटों की आवाज कान मे पड़ी तो चलते हुए वालकाट के कहा… मुल्ला मोइन अपना काम करके निकल गया। पिक-अप पोइन्ट पर हम से पहले मेजर एन्डर्सन और उसके साथी भी पहुँच गये थे। रात के अंधकार को मिटा कर सुर्य की पहली किरण ने आसमान को रौशन कर दिया था।

वालकाट ने आगे बढ़ कर मेजर एन्डर्सन की टीम को बधाई देते हुए पूछा… कैसा रहा? …नो सरवाईवर्स। क्लीन इन एन्ड आऊट आप्रेशन। नो कैज्युअल्टीज। अचानक मेजर एन्डर्सन आगे बढ़ा और मेरा हाथ पकड़ कर बोला… थैंक्स। मैने झेंपते हुए जल्दी से उँगलियों से विकटरी का निशान दिखाते हुए कहा… प्लीज यह आपकी टीम का पराक्रम है। इतनी बात करके हम सभी खड़े हुए बख्तरबंद ट्रक मे बैठ कर जलालाबाद एयरबेस की दिशा मे निकल गये थे। रास्ते मे मेजर एन्डर्सन ने ब्रीफिंग देते हुए बताया कि पाकिस्तानी चौकी सुरक्षा के बजाय हमला करने की तैयारी कर रही थी। इसी कारण उनके सुरक्षा गार्ड्स बड़ी आसानी से साफ हो गये थे। उनका रेडियो आप्रेटर बैरेक के अन्दर मिल गया था। हमारे कमांडोज ने बड़ी सफाई से बैरेक मे उपस्थित सभी को ठिकाने लगा दिया था। वहाँ पर उन्होंने काफी असला बारुद रखा हुआ था। चौकी पर तैनात बीस सैनिक मारे गये थे। रास्ते मे फिदायीन वेशभूषा उतार कर मेजर एन्डर्सन की टीम वापिस डेल्टा फोर्स मे तब्दील हो गयी थी। जलालाबाद एयरबेस से हेलिकाप्टर के द्वारा हम काबुल की दिशा मे निकल गये थे। काबुल तक का सफर सभी ने ऊंघते हुए निकाला था। काबुल पर उतरते हुए वालकाट ने कहा… सैम पहले आफिस चलते है। डेल्टा फोर्स को एयरपोर्ट पर छोड़ कर हम दोनो एम्बैसी की ओर चल दिये थे। अपने आफिस पहुँच कर मै अपने फोन की रिकार्डिंग को सुनने बैठ गया था।

कुछ देर की रिकार्डिंग सुनने के पश्चात मैने अपने आईपेड पर लिखना आरंभ कर दिया। बैठक मे भाग लेने के लिये आठ तंजीमे आयी थी। तालिबान की ओर से मुख्यतः अब्दुल गनी और आखुन्डजादा आये थे। अफगान तालिबान हेरात और पश्चिमी क्षेत्र का एरिया से मुल्ला यासीन और मुल्ला अब्दुल आये थे। दक्षिण क्षेत्र मे कन्धार से तालिबान का प्रतिनिधित्व मुल्ला मोइन और एहमद हबीबुल्ल्लाह कर रहे थे। परवेज खान पूर्वी तालिबान का नेतृत्व कर रहा था। उत्तरीय एलांईस की ओर से अहमद मसूद और अता मोहम्मद आये थे। तेहरीक की ओर से बैतुल्लाह का भाई सरफराज और बेटा ओमार आये थे। अफगान दाईश की ओर से अनवर उल हक आया था। बलोच रेसिस्टेन्स फ्रट के एहतेशाम बुगती और खैबर पख्तूनख्वा से पश्तून तहफुज मूवमेन्ट की ओर से मंजूर इलाही पश्तून आये थे। उज्बेक और ताजिकों के गुट नेशनल रेसिस्टेन्स फ्रंट का प्रतिनिधित्व जहीर दोस्तम और मोहम्मद जहूर ने किया था। गिलगिट और बाल्टीस्तान का प्रतिनिधित्व खुदाई शमशीर की ओर जमीर सैयद और अब्दुल रशीद ने किया था। मेरे अलावा सीआईए से एंथनी वालकाट ने बैठक मे भाग लिया था। यूएस फोर्सेज के तीन वरिष्ठ अधिकारी ब्रिगेडियर जान बुचर, कमांडर टेरी थाम्प्सन और कर्नल रिचमन्ड मौजूद थे। भारत की ओर से कर्नल श्रीनिवास ने बैठक मे भाग लिया था।    

कुल मिला कर बैठक मे भाग लेने वालों की संख्या चौबीस थी। बैठक का आरंभ एंथनी वालकाट ने किया था। उसने सभी के सामने एक प्रश्न रखा था कि अगले बारह महीने मे अमरीकन फौज को अफगानिस्तान छोड़ना है। उनको सुरक्षित रास्ता देने के लिये तंजीमो की क्या माँग है? तालिबान की ओर से गनी ने पैसों और हथियारों की मांग रखी थी। आखुन्डजादा ने पाकिस्तान की मध्यस्ता पर जोर दिया था। बलोच और पश्तून तंजीमे पाकिस्तान से आजाद होने की मांग कर रही थी। उज्बेक और ताजिक गुट तालिबान के हाथ मे सत्ता देने की खिलाफत कर रहे थे। तेहरीक और खुदाई शमशीर ने चीन की परियोजना की खिलाफत के लिये उत्तरीय पाकिस्तान मे स्थित कबीलायी तंजीमों के लिये पैसों और हथियारों की मदद की मांग रखी थी। जितने मुँह उतनी बातें सुन कर अमरीका की ओर से वालकाट ने सबकी बात काटते हुए कहा… हम किसी भी प्रकार के राजनीतिक टकराव मे नहीं उलझना चाहते है लेकिन एक बात साफ हो गयी है कि अमरीकन फोर्सेज को बाहर निकलने के लिये सभी तंजीमों को पैसों और हथियारों की मदद चाहिये। इसके लिये हम तैयार है परन्तु हमारी मदद किसी एक तंजीम को नहीं दी जा सकती। इसके लिये आप सभी तंजीमों को पहले एक मत होना होगा। हमारे सैनिकों के निकलने का रास्ता कैसे सुरक्षित होगा इसका ब्लू प्रिंट पहले आपको देना होगा उसके बाद ही हम किसी भी प्रकार की मदद देने के बारे मे सोचेंगें। एंथनी वालकाट ने एक ही सवाल मे अपने तीनो मुख्य मुद्दों को उनके सामने रख दिया था।

ब्रिगेडियर जान बुचर ने पूछा कि किस प्रकार के हथियारों की मदद चाहिये? इस सवाल का कोई भी तंजीम पुख्ता जवाब नहीं दे सकी थी। बुचर ने अनुसार अमरीकी मदद लाईट वेपन्स और आर्मर्ड ट्रान्स्पोर्ट व्हेकिल्स की हो सकती है परन्तु हेवी आर्टिलरी, फाईटर प्लेन्स और लेजर गाईडिड मिसाईल सिस्टम जैसे अन्य आधुनिक हथियारों की मदद नहीं मिल सकती। सभी तंजीमे अमरीकी मदद के लिये सहमत थी परन्तु तालिबान की ओर से गनी और हबीबुल्लाह ने कुछ अपाचे अटैक हेलीकाप्टर देने की मांग की थी। भारत की ओर से कर्नल श्रीनिवास ने भारतीय प्रोजेक्ट्स और उसमे कार्यरत भारतीय कर्मचारियों की सुरक्षा के बारे मे जान और माल की सुरक्षा की बात उनके सामने रखी थी। दो घन्टे की बातचीत मे किसी ने भी वालकाट के सवाल का जब कोई जवाब नहीं दिया तब वालकाट ने मेरी ओर देखा तो मैने डूरंड लाईन की मुखालफत की बात उनके सामने रखी थी। अखुन्डजादा ने तुरन्त पाकिस्तान सरकार की पैरवी करनी आरंभ कर दी थी। उसके अनुसार डूरंड लाईन पर प्रश्नचिंह का मतलब था कि चीन की परियोजना सीपैक खतरे मे पड़ जाती जिसके लिये वह तैयार नहीं था। उसके जवाब मे मुल्ला मोइन की अगुवाई मे सभी तंजीमे डूरंड लाईन की अवैधता पर एक हो कर बोलने लगे थे। उसके बाद सारी चर्चा डूरंड लाईन पर केन्द्रित हो गयी थी।

नेशनल रेसिस्टेन्स फ्रंट के प्रतिनिधि जहीर दोस्तम ने अफगान सत्ता मे उज्बेक और ताजिक के लिये हिस्सेदारी की मांग वालकाट के सामने रखी थी। वालकाट ने बड़ी सफाई से उनकी मांग को तालिबान के प्रतिनिधियों पर डालते हुए कहा… सत्ता बँटवारें की बात कतार की बैठक मे तय होगी परन्तु वह तभी मुम्किन होगा जब सभी तंजीमे अमरीका को सुरक्षित रास्ता देने के लिये तैयार हो जाएँगी। सबसे बड़ी मुश्किल अमरीकी डालर की मदद के बारे सामने आयी थी। सभी को डालर चाहिये थे परन्तु वालकाट का कहना था कि तंजीमों की संख्याबल के अनुसार आर्थिक मदद दी जाएगी जिसके कारण छोटी तंजीमें एकाएक विरोध करने लगी थी। सबसे बड़े गुट तालिबान मे ही इस मुद्दे पर सिरफुटव्वल की नौबत आ गयी थी। आखिरकार आर्थिक मदद के मुद्दे को भी कतार की बातचीत मे सुलाझाने पर सभी तंजीमें सहमत हो गयी थी।

कर्नल श्रीनिवास अपनी बात रखने के पश्चात उनकी सारी बातें चुपचाप सुनता रहा था। तभी आर्थिक मुद्दे पर कर्नल श्रीनिवास ने एक ऐसी बात कही जिसके कारण मेरे कान खड़े हो गये थे। उसका बस इतना कहना था कि चीन जैसी महाशक्ति को अफगानिस्तान मे होने वाले बदलाव मे अनदेखा नहीं करना चाहिये। उसका सुझाव था कि इस बैठक मे अगर कोई चीन का प्रतिनिधि भी होता तो बेहतर होता। अभी तक अखुन्डजादा के सिवा किसी और व्यक्ति ने चीन का जिक्र नहीं किया था। कर्नल श्रीनिवास के मुख से चीन का नाम सुन कर एक पल के लिये मै चौंक गया था। कर्नल श्रीनिवास की बात काटते हुए खुदाई शमशीर की ओर से जमीर ने चीन की खिलाफत करने पर जोर दिया जिसका समर्थन तेहरीक, बलोच रेसिस्टेन्स फ्रट और पश्तून तहफुज मूवमेन्ट ने भी किया था। चीन का जिक्र होते ही बैठक मे भाग लेने वालों के बीच अन्तरविरोध खुल कर सामने आ गया था। पाकिस्तानी तंजीमे चीन का विरोध कर रही थी और अफगानी तंजीमे चीन के बारे मे कुछ भी बोलने से कतरा रही थी।

वालकाट को अपनी रिपोर्ट भेजने के पश्चात मैने उसकी एक कापी जनरल रंधावा को भी भेज दी थी। सारा काम समाप्त करने मे शाम हो गयी थी। मै जैसे ही अपना काम समेट कर चलने के लिये हुआ कि तभी वालकाट का फोन आ गया। …सैम, इस्लामाबाद के लिये कब निकल रहे हो? …यहाँ का काम समाप्त हो गया है। मुझे जल्दी से जल्दी इस्लामाबाद पहुँच कर तैयारी करनी है क्योंकि अगले महीने पाकिस्तान के उत्तरी कबीलो का जिरगा बलूचिस्तान मे बैठ रहा है। …सैम, क्या तुम उस जिरगा मे उपस्थित रहोगे? …अभी तक तो मेरा ऐसा कोई विचार नहीं है लेकिन अगर जरुरत पड़ेगी तो जाना पड़ेगा। …सैम, इस बैठक पर आईएसआई के जनरल फैज की नजर होगी तो तुम्हें सावधानी बरतने की जरुरत है। …एंथनी, इसी कारण मै वहाँ जाना नहीं चाहता लेकिन उस जिरगा मे डूरंड लाईन के जरिये चीन पर अंकुश लगाने का निर्णय होना है। आईएसआई और पाकिस्तानी एस्टेब्लिश्मेन्ट ऐसा कुछ नहीं करने के लिये सभी मुख्य लोगों को डरायेंगें व धमकायेंगें। उन पर दबाव डालने के लिये उनके बीवी, बच्चे, भाई, बहन व रिश्तेदारों को जिरगा से पहले उठाने की कोशिश करेंगें। उस वक्त अगर तुम भी इस्लामाबाद मे होगे तो यह काम आसानी से हो जाएगा। …सैम, इसीलिये कह रहा हूँ कि इस्लामाबाद पहुँचते ही तुम मेरे आफिस मे रिपोर्ट करो। तुम वहाँ पर होगे तो वक्त पड़ने पर पाकिस्तानी एस्टेब्लिश्मेन्ट पर दबाव डाला जा सकता है। …एंथनी, वहाँ के हालात देख कर मै इसका निर्णय लूंगा। …ओके। इतना बोल कर उसने फोन काट दिया था।

जब तक अपने फ्लैट पर पहुँचा तब तक अंधेरा हो गया था। जैसे ही मैने फ्लैट मे कदम रखा तो वहाँ का हाल देख कर एक पल के लिये मेरा दिल बैठ गया था। बैठक का सारा सामान इधर-उधर बिखरा हुआ पड़ा था। मै तेजी से आमेना के कमरे की ओर बढ़ा तो कुछ कदम चल कर ठिठक कर रुक गया क्योंकि सोफे के किनारे जमीन पर खून के धब्बे दिख गये थे। उस स्थान से कुछ दूरी पर टूटे हुए कांच के टुकड़े पड़े हुए थे। कुछ ही देर मे सारे फ्लैट का निरीक्षण करके मै एक ही नतीजे पर पहुँचा था कि उन दोनो को कोई जबरदस्ती अपने साथ ले गया है। वह कौन हो सकता है? यह सवाल मुझे परेशान कर रहा था। अगर अपहरणकर्ता जमाल कुरैशी है तो फिर इस काम को किसी तंजीम के बजाय प्रशिक्षित टीम ने अंजाम दिया होगा। कुछ सोच कर मैने तिपाई पर रखे हुए फोन को उठा कर चेक किया तो फोन चालू था। मैने 999 नम्बर डायल किया तो उस इमारत के अन्दर बैठी सीआईए की सिक्युरिटी की ओर से किसी ने जवाब दिया… सर, आप आ गये है तो अन्दर आ जाईये। मै फ्लैट से निकल कर गलियारा पार करके मुख्य द्वार पर पहुँच गया था। दरवाजे पर जाना पहचाना चेहरा देख कर मैने पूछा… क्या हुआ था। …सर, आप अन्दर आ जाईये। इमारत मे प्रवेश करते ही मेरी नजर गजल पर पड़ी जो काशिफ को गोदी मे लिये एक किनारे मे खड़ी हुई थी। मुझे देखते ही वह झपट कर मेरे पास आयी और मुझसे लिपट कर रोने लगी। तभी वह व्यक्ति बोला… सर, आप एक बार सीसीटीवी रिकार्डिंग देख लिजिये। गजल को समझा बुझा कर मै सीसीटीवी की रिकार्डिंग देखने के लिये उसके साथ चला गया था।

कंट्रोल रुम मे पहुँच कर उसने सड़क की रिकार्डिंग चला दी थी। सुबह चार बजे एक स्टेशन वैगन हमारे सेफ हाउस के सामने आकर रुकी थी। पहले एक आदमी उस वैगन से उतरा और सड़क और अन्दर पोर्च पर एक नजर डाल कर वापिस वैगन मे बैठ गया था। आधे घंटे के बाद पांच नकाबपोश वैगन से उतर कर पोर्च मे चले गये थे। …इस स्टेशन वैगन का नम्बर निकालने की कोशिश किजिये। लगभग छह बजे वही पाँच नकाबपोश एक स्त्री को जबरदस्ती घसीटते हुए पोर्च मे लाये और स्टेशन वैगन मे बैठ कर निकल गये थे। मैने एक बार फिर रिवाईन्ड करके उस हिस्से को दोबारा देख कर पूछा… स्टेशन वैगन का गेट पर पता किजिये। …सर, इस स्टेशन वैगन का नम्बर गेट के डेटाबेस मे रजिस्टर्ड है। यह स्टेशन वैगन पाकिस्तानी दूतावास की है। जो इस वक्त इसी कैंम्पस मे ऐजरबैजान दूतावास के अधिकारी के घर के सामने खड़ी हुई है। …सर, बताईये क्या करना चाहिये। …सबसे पहले गेट की सिक्युरिटी को खबर करो और उनकी एक टीम को बुला कर उस घर की तलाशी लेने का इंतजाम करो। …जी सर। इतना बोल कर वह गेट पर तैनात अफसर से बात करने मे व्यस्त हो गया था।

एक घंटे के बाद गेट पर तैनात सार्जेन्ट मेजर और उसकी टुकड़ी को लेकर हम एजरबैजानी अधिकारी के फ्लैट पर पहुँच गये थे। सार्जेन्ट मेजर ने सबसे पहले स्टेशन वैगन को अपने कब्जे मे लिया और फिर वह अपने सैनिकों को लेकर ऐजरबैजानी अधिकारी के फ्लैट मे दाखिल हो गया। एजरबैजानी अधिकारी कुछ देर तक अपने बेगुनाह होने की बहस करता रहा लेकिन जब उसको अपहरण और स्टेशन वैगन की रिकार्डिंग दिखा कर पूछा गया तब उसने बताया कि आईएसआई के गोपनीय आप्रेशन मे पाकिस्तानी दूतावास के निवेदन पर उसने आईएसआई को अपने फ्लैट का इस्तेमाल करने की इजाजत दी थी। दोपहर को पाकिस्तानी दूतावास की कार मे वह लोग उस स्त्री को अपने साथ ले गये थे। उसके बयान लेकर हम वापिस आ गये थे। मैने वालकाट को सारी बातों से अवगत करा कर कहा… एंथनी पाकिस्तानी राजदूत से बात करके आमेना को छोड़ने के लिये कहो अन्यथा जमाल कुरैशी का वित्तीय नेटवर्क नष्ट करने की सारी उम्मीद समाप्त हो जाएगी। …सैम, यह संवेदनशील मसला है। तीन सरकारें उलझ जाएँगी। सीधे पाकिस्तानी राजदूत से बात करने के बजाय मै अपने तरीके से तुम्हारी बीवी को उनके चंगुल से निकालने की कोशिश करता हूँ। …प्लीज जो भी करना है जल्दी करो। बस हमारे बीच मे इतनी बात हुई थी। सार्जेन्ट मेजर को धन्यवाद देकर मै अपने गजल को लेकर वापिस अपने फ्लैट मे आ गया था।

हम दोनो फ्लैट मे करीने से सामान लगाने मे व्यस्त हो गये थे। तीन घंटे की कड़ी मेहनत के बाद हमारा फ्लैट अपने पुराने स्वरुप मे आ गया था। आधी रात बीत चुकी थी। देर रात तक सारा काम निबटाने के पश्चात जब थकान उतारने के लिये बैठा तभी मेरे फोन की घंटी बज उठी थी। …हैलो। …मेजर। वीके की आवाज सुन कर मै संभल कर बोला… यस सर। …तुम्हारा ब्रीफ देख लिया है। जैसा हमने सोचा था लगभग सब वैसा ही है। वालकाट अच्छे से जानता है कि उन्हें निकलने का रास्ता पाकिस्तान से लेना पड़ेगा परन्तु इसके लिये पाकिस्तान हर्गिज तैयार नहीं होगा तो इसलिये वह तंजीमों को भड़का कर पाकिस्तानी फौज पर दबाव डालने की कोशिश कर रहा है। …सर, यही मेरा भी आंकलन है। वह बिना लड़े शांति से निकलने के लिये तंजीमों से बात कर रहा है। …मेजर, अत्याधुनिक हथियार तो वह दुशान्बे के रास्ते निकालने की सोच रहे है क्योंकि उनके एनएसए ने अजीत से कल रात को इस बारे मे बात की है। जमीनी फौज को वह टुकड़ों मे काबुल और दुशान्बे से निकालने की योजना पर काम कर रहे है। …सर, आप लोगों का इसके बारे मे क्या विचार है? तभी अजीत सर की आवाज कान मे पड़ी… समीर, संवेदनशील सेक्टर के अनुसार सेना की वापिसी होगी। अमरीकी और नाटो सेना अपनी समर्थक तालिबानी टुकड़ी के हाथ मे मोर्चा थमा कर पीछे हटेगी। इस तरीके से तालिबान के सत्ता हथियाने के लिये ज्यादा लड़ाई-झगड़े की संभावना कम हो जाएगी। …सर, एक बात समझ मे नहीं आ रही कि अफगान सरकार को इस योजना मे शामिल क्यों नहीं किया जा रहा है। …अमरीका जानता है कि अफगान सरकार पर किसी भी तंजीम को भरोसा नहीं है। अफगानी अपनी सरकार को बेहद भ्रष्टाचारी और अमरीकन पिठ्ठू मानते है। पाकिस्तान उस सरकार को एक दुश्मन के रुप मे देखता है। चीन की निगाह अमरीका के अगले कदम पर टिकी हुई है। इसलिये वालकाट जानता है कि उनके वहाँ से निकलते ही अफगान सरकार की सत्ता तालिबान के हाथ मे चली जाएगी। वह सिर्फ इस चक्कर मे है कि किसी तरह यहाँ की सत्ता हक्कानी गुट के हाथ मे नहीं जानी चाहिये।

मै अभी वालकाट की योजना को समझने की कोशिश कर रहा था कि मेरे कान मे जनरल रंधावा की आवाज गूंजी… पुत्तर, श्रीनिवास के बारे मे क्या ख्याल है? …सर, उसकी बात सुन कर मुझे कुछ अटपटा जरुर लगा। …तुम्हारे ब्रीफ मे हमने सब देख लिया है। मै जानना चाहता हूँ कि क्या उसका कोई चीनी कनेक्शन है? …सर, अभी तक मैने उसको अपनी जांच के दायरे मे नहीं रखा था। इस मीटिंग के बाद मै उस पर नजर रखने के लिये आपसे सिफारिश करुँगा। …हम अपनी ओर से उस पर नजर रख रहे है। उसके डोजियर की एक कापी तुम्हें भी भेज रहा हूँ। उससे सावधान रहने की जरुरत है। …सर, उन तीनो लड़कियों से कुछ पता चला? …पुत्तर, उनकी निशानदेही पर एनआईए जाँच कर रही है। हमे यहाँ पर बाकू का कनेक्शन बेहद संवेदनशील लग रहा है। बाकू की बात निकलते ही मैने पूछा… सर क्या वहाँ पर अपना कोई आप्रेटिव तैनात है? …बाकू हमारे लिये कभी भी इतना महत्वपूर्ण स्टेशन नहीं रहा है जहाँ पर हम अपना कोई स्थायी आप्रेटिव नियुक्त करते। …अजीत सर ने क्या आंद्रेय टुपलोव से बात की है? अजीत सर ने तुरन्त कहा… समीर, उससे अभी तक सपर्क नहीं हो पाया है। आखिर मे जनरल रंधावा ने कहा… इस्लामाबाद पहुँच कर संपर्क करना क्योंकि तब तक बाकू से कनेक्शन की कुछ और जानकारी मिल जाएगी। …जी सर। फोन कटने के बाद एक नजर मैने सामने बैठी हुई गजल पर डाली तो वह काशिफ को सुलाने मे जुटी हुई थी।

अभी तक गजल से मेरी कोई बात नहीं हुई थी। पहले सीसीटीवी रिकार्डिंग और उसके बाद ऐजरबैजान दूतावास के अधिकारी के साथ बातचीत मे उलझा रहा था। जब उसको लेकर वापिस फ्लैट मे आया तो टूटे और बिखरे हुए सामान को करीने से सेट करने हम दोनो जुट गये थे। जब उस काम से फारिग हुए तब भूख शान्त करने की तैयारी मे व्यस्त हो गये थे। सब काम समाप्त करके जब बिस्तर पर लेटा तब तक जिस्म थक कर चूर हो गया था। काशिफ को सुलाने के पश्चात गजल मेरे पास लेटते हुए बोली…  परसों बीच रात को आमेना बाजी के पास एक फोन आया था। मुझे जगा कर उन्होंने काशिफ को मुझे पकड़ा कर फ्लैट से बाहर निकाल कर कहा कि पीछे के लान मे जाकर छिप जाओ। उन्होंने अपना फोन देकर कहा कि अगर उन्हें कोई जबरदस्ती ले जाते हुए दिखे तो बाहर निकलने की जरुरत नहीं है। उनके जाने के बाद मुझे वापिस फ्लैट मे आकर इन्टरकाम पर 999 डायल करके इमर्जेन्सी बोल कर सारी बात बता कर दोपहर तक आपका इंतजार यहीं पर करना था। अगर आप किसी कारण नहीं आते तो उन्होंने मुझे एक नम्बर दिया था कि मै उस नम्बर पर आपके साथ अपना रिश्ता बता कर सुरक्षा मांगूँगी तो आपके साथी मुझे सुरक्षित बाकू पहुँचा देंगें। मै आमेना के फोन की काल लिस्ट देखने बैठ गया। सारे नम्बर काबुल के थे। कुछ देर के बाद गजल बोली… बाजी का कहना था कि वह लोग मुझे कत्ल करने के लिये आ रहे है। इसलिये उन्होंने मुझे वहाँ से भगाया था। क्या आपको आमेना बाजी के बारे मे कुछ पता चला? …हाँ बस इतना पता चला है कि आईएसआई के लोगों ने आमेना को फ्लैट से अपहरण करके एजरबैजानी दूतावास के डिफेंस एटैची सर्गई इस्लाम के घर पर कुछ देर रखा और फिर दोपहर को पाकिस्तानी दूतावास की कार मे लेकर निकल गये थे।

मेरा दिमाग गजल की बातों मे उलझा हुआ था। वह लोग गजल के लिये आये थे… पर क्यों? आमेना ने समय रहते हुए गजल को वहाँ से हटा कर उनके मंसूबे पर पानी जरुर फेर दिया परन्तु खुद को उनसे नहीं बचा सकी। अगले ही पल दिमाग मे एक ख्याल आया कि कहीं आमेना ने गजल को वहाँ से हटाने के लिये झूठ का सहारा तो नहीं लिया था। मैने अपना शक उनके सामने रखते हुए कहा… गजल की मौत से जमाल का क्या फायदा हो सकता है? वह बोली… अगर मेरा निकाह नहीं हुआ है तो मेरी मौत के पश्चात बाजी ही सारी जायदाद की वारिस हो जाएँगी। उसके बाद आमेना के खाविन्द होने के कारण जमाल सारी चल-अचल संपत्ति पर आसानी से काबिज हो जाएगा। सारी बात समझ कर मैने कहा… सबसे पहले हमे बाकू पहुँच कर निकाह को रजिस्टर कराना चाहिये।  इसके बाद तुम्हारे जीने-मरने से जमाल को कोई फायदा नहीं मिलने वाला है। गजल को चुप देख कर मैने उसकी ओर देखा तो वह आँखें मूंद कर अपने सपनो की दुनिया मे खो गयी थी। उसे अपनी बाँहों मे लिये मै भी कुछ ही देर मे अपने सपनो की दुनिया मे खो गया था।  

सुबह उठने के बाद कुछ सोच कर मैने वालकाट नम्बर मिलाया। …हैलो। …एंथनी, क्या कोई दोस्त तुम्हारा बाकू के दूतावास मे है? …क्यों? …मुझे अपना निकाहनामा वहाँ पर रजिस्टर करना है। तुम तो जानते हो कि मुझे कल इस्लामाबाद जाना है। …हमारा एक अधिकारी वहाँ के दूतावास मे भी तैनात है। उससे बात करके देखता हूँ। अगर हो सकेगा तो वह तुम्हारा निकाहनामा रजिस्टर करा देगा। …एंथनी, अर्जेन्ट है। अगर कल तक रजिस्टर नहीं करवाया तो तारीख का चक्कर पड़ जाएगा। …अभी वापिस काल करता हूँ। इतना बोल कर उसने फोन काट दिया था। गजल ने तुरन्त प्रश्न किया… आप इस्लामाबाद जा रहे है? …वहाँ नहीं जाउँगा तो तुम्हारी तुम्हारी बाजी कैसे वापिस आयेगी? …मै भी आपके साथ चलूँगी। मै कोई जवाब देता उससे पहले मेरे फोन की घँटी बज गयी थी। …हैलो। …सैम, अपना निकाहनामा और अपना और वाईफ का पासपोर्ट स्कैन करके मुझे मेल कर दो। रजिस्ट्रेशन के लिये फोटोकापी पर हमारे दूतावास की मौहर काफी है। …ओके। जमाल कुरैशी की बीवी के बारे मे कुछ पता चला? …कोशिश जारी है। हमारी ओर से तुर्खैम और चमन पर नजर रखी जा रही है। जैसे ही खबर मिलती है तो तुम्हें खबर करुँगा। …थैंक्स। उसने फोन काट दिया था। मेरे कागजात तो मेरे पास थे परन्तु मेरे लिये परेशानी का सबब गजल का पास्पोर्ट था।

कुछ सोच कर मैने गजल से कहा… अपना पूरा नाम, अपने अब्बू का नाम, बाकू का पता व जन्मतिथि एक कागज पर लिख कर मुझे दे दो। गजल ने जल्दी से एक कागज पर सारा विवरण लिख कर मेरी ओर बढ़ाते हुए कहा… आपको छोड़ कर मै कहीं नहीं जाने वाली। मैने अपने बैग से आईपैड निकाल कर गजल की दो चार फोटो सामने से खींच कर अपना बैग उठा कर आफिस की दिशा मे चल दिया। एक शान्त स्थान पर अपनी लैंडरोवर खड़ी करके मैने कमांड सेन्टर का नम्बर मिलाया तो जनरल रंधावा की आवाज कान मे पड़ते ही… बोल पुत्तर। …सर, एक लड़की का पास्पोर्ट बनवाना है। …डीटेल्स भेजो। मैने जल्दी से गजल के सारे डिटेल्स देकर कहा… सर, यह लड़की बाकू मे आईएसआई के नेटवर्क के सरगना जमाल कुरैशी की साली है। इस लड़की की आढ़ लेकर मै आईएसआई के वित्तीय पाइपलाइन पर प्रहार करने की योजना बना रहा हूँ। मुझे उसके पास्पोर्ट की स्कैन कापी की तुरन्त जरुरत है। …उसकी फोटो? …सर, आपको भेज रहा हूँ। बस इतना बता दिजिये कि कब तक मेरा काम हो जाएगा। …पुत्तर, दो घन्टे मे स्कैन कापी तेरे फोन पर मिल जाएगी। कल सुबह हमारे दूतावास चले जाना तो राजदूत के आफिस से उसका पास्पोर्ट ले लेना। …मै उसकी फोटो भेज रहा हूँ। इतना बोल कर मैने फोन काट दिया था।

अपने आफिस पहुँच कर मै वालकाट के पास चला गया था। …एंथनी, मै कल सुबह इस्लामाबाद के लिये निकल रहा हूँ। अपना काम आरंभ करने से पहले मै एक बार फिर से पूछना चाहता हूँ कि तुम्हारी प्राथमिकता क्या है? यहाँ से निकलना है या चीन पर अंकुश लगाना है। वालकाट कुछ पल मेरी ओर देखता रहा और फिर मुस्कुरा कर बोला… दुनिया के लिये यहाँ से निकलना है और मेरी बात मानो तो चीन पर अंकुश लगाने के लिये हमारा यहाँ से निकलना जरुरी है। उसकी बात सुन कर मै ज्यादा उलझ गया था। मैने अपना सिर झटक कर कहा… सभी तंजीमो को डूरंड लाईन के नाम पर भड़काने से पाकिस्तानी एस्टेबलिश्मेन्ट दबाव मे आ जाएगा जिसके कारण वह सीपैक परियोजना को ठंडे बस्ते मे डालने के लिये मजबूर हो जाएगा। एक बार सीपैक का काम रुक गया तो पाकिस्तानी एस्टेबलिशमेन्ट चीन के निशाने पर आ जाएगा। अब तुम्हें बताना है कि उस जिरगा मे तुम्हारी ओर से कौन शांति सन्धि पर मौहर लगायेगा? वालकाट कुछ क्षण मुझे देखता रहा और फिर बोला… शांति सन्धि पर तंजीमो की ओर से मौहर कौन लगायेगा? …तालिबान की ओर से कोई मुल्ला ही लगायेगा। …यही हमारे लिये मुश्किल है। …एंथनी, तुम्हारे दिमाग मे कोई है तो उसका नाम बताओ? …सैम हमारी यही सबसे बड़ी परेशानी है कि तालिबान बहुत से गुटों की फौज है। एक गुट सन्धि करता है तो बाकी उसकी खिलाफत मे खड़े हो जाते है। हम चाहते है कि जिरगा मे भाग लेने वाले सभी गुट शान्ति सन्धि के प्रस्ताव को एक मत से पारित करें। …एंथनी उसके बाद भी बहुत से गुट ऐसे होंगें जो जिन्हें उस जिरगा मे बुलाया नहीं जायेगा। उनका क्या करोगे? …वह सब बाद मे देखेंगें।

इतनी बात करने के पश्चात वालकाट बोला… आईएसआई का कहना है कि हनी ट्रेप के जरिये आमेना ने उनके एक खास आप्रेटिव को फँसाया है और उसे ब्लैकमेल करने की कोशिश कर रही थी। …एंथनी उनसे यह नहीं पूछा कि आमेना किस संस्था के लिये हनीट्रेप का काम करती थी? वालकाट कुछ पल मुझे देखता रहा और फिर बोला… वह रा का नाम ले रहे है। …वह झूठ बोल रहे है। यह जानकारी तुम्हें किसने दी? …जनरल फैज के एडीसी कर्नल हमीद ने बताया है। …जनरल फैज का आफिस अपने मुख्य ड्र्ग्स के केरियर जमाल कुरैशी को बचाने की कोशिश कर रहा है। आमेना का शिपिंग ट्रांस्पोर्ट का कारोबार रुस और युरोप मे फैला हुआ है। आईएसआई उसका कारोबार हथियाने की सोच रही है। आमेना के कारोबार के जरिये आईएसआई गोल्डन क्रेसेन्ट का माल रुस और युरोप के नाईट क्लब्स मे पहुँचाना चाहती है। …मै सब समझ रहा हूँ। अब सीधे सवाल पूछता हूँ कि क्या तुम अपनी बीवी को जमाल के खिलाफ इस्तेमाल कर रहे थे? उसका सवाल सुन कर एक पल के लिये मै चुप हो गया था। उसकी निगाहें मुझ पर जमी हुई थी।

कुछ सोच कर मैने कहा… एंथनी, यह सही बात है कि जमाल कुरैशी और गोल्डन क्रेसेन्ट का नेटवर्क मेरे निशाने पर है। यह सिस्टम हमारे उद्देश्य मे सबसे बड़ी बाधा है। आमेना मेरी बीवी नहीं है। वालकाट चौंकते हुए बोला… क्या मतलब? …वह जमाल कुरैशी की बीवी है। मैने उसको सिर्फ बचाने की कोशिश कर रहा हूँ। …फिर तुम्हारी बीवी कौन है? …आमेना की छोटी बहन गजल मेरी बीवी है। …तो वह बच्चा जमाल का है? मैने मुस्कुरा कर कहा… तुम ठीक समझे। वालकाट ने तुरन्त अपना फोन उठा कर किसी का नम्बर मिला कर बोला… कर्नल, उस लड़की को आज ही रात को वहाँ से निकालो। इतना बोल कर उसने दूसरा नम्बर मिलाया… आज रात को हम वहाँ से लड़की निकाल लेंगें। अगर कोई पाकिस्तानी फौज की कार्यवाही होने की संभावना दिखे तो फौरन खबर करना। इतना बोल कर उसने फोन काट कर मुझसे कहा… वह लड़की बरामद होते ही मै तुम्हें खबर कर दूँगा।

अभी हमारी बात समाप्त नहीं हुई थी कि मेरे फोन पर एक मेसेज फ्लैश करने लगा था। मैने जल्दी से मेसेज चेक किया तो गजल के पास्पोर्ट की कापी आ गयी थी। मैने बैग खोल कर अपना आईपेड निकाल कर गैलरी से निकाहनामे और भारतीय पास्पोर्ट की कापी निकाल वालकाट को दिखाते हुए कहा… तीनो डाक्युमेन्ट्स की कापी भेज रहा हूँ। प्लीज अपने दोस्त से कहना कि कल सुबह तक यह निकाहनामा रजिस्टर हो जाना चाहिये। अब मै वहीं से इस्लामाबाद निकल जाऊँगा। इतना बोल कर मै अपने फ्लैट की दिशा मे निकल गया था।

 

शाकीन, पाक-अफगान सीमा     

रात के अंधेरे मे सड़क के किनारे एक गोदाम के बाहर चार हथियारबंद लोग पहरा देते हुए दिख रहे थे। उस गोदाम से कुछ दूरी पर हथियारों से लैस कुछ फिदायीन मकान की छत पर बैठ कर गोदाम की निगरानी कर रहे थे। एक फिदायीन धीरे से अपने साथी से बोला… फैजल भाई कब तक यहाँ बैठना पड़ेगा। …आज रात काली होगी। चुपचाप उस गोदाम पर निगरानी रखो। तभी विपरीत दिशा मे ताकते हुए एक फिदायीन दबी आवाज मे बोला… फैजल भाई चार ट्रक सीमा के उस पार से इस ओर बढ़ रहे है। तुरन्त सब सचेत होकर बैठ गये थे। ट्रकों के कारवाँ को देखते हुए फैजल बोला… सब अलग दिशा मे जा रहे है परन्तु उन ट्रकों के मूवमेन्ट पर नजर रखना।

कुछ देर के बाद एक फिदायीन दूरबीन से देखते हुए बोला… भाई, यह तो पाकिस्तानी रेन्जर्स है। दूसरी दिशा से किसी ने कहा… भाई, दूसरा और तीसरा ट्र्क गोदाम के सामने वाली गली मे रुक गया है। सबकी धड़कने बढ़ गयी थी। …भाई चौथा ट्रक गोदाम के सामने रुक गया है। फैजल जल्दी से दूरबीन लेकर ट्रकों का आँकलन करते हुए अपना फोन निकाल कर किसी का नम्बर मिला कर बोला… बिरादर, चार ट्रक मे पाकिस्तानी रेन्जर्स सीमा पार करके आये है। वह गोदाम को घेर कर बैठे हुए है। हमारे लिये क्या हुक्म है। …दूर से सिर्फ नजर रखना। यह हमारा आप्रेशन नहीं है। …जी बिरादर। बस इतनी बात करके फैजल की नजर एक बार फिर से गोदाम पर टिक गयी थी।

तभी फैजल के फोन की घँटी बजी तो तुरन्त फोन उठा कर बोला… बोलिये भाई। अभी-अभी रेन्जर्स की एक टुकड़ी गोदाम मे गयी है। …बाकी तीन ट्रकों की क्या पोजीशन है? …भाई, तीनो दिशायें के रास्ते पर तैनात हो गये है। तभी आसमान मे एक हेलीकाप्टर न जाने कहाँ से अचानक उदित हुआ और गोदाम के उपर स्थिर हो गया था। …भाई लगता है कि डेल्टा फोर्स पहुँच गयी है। एकाएक फैजल चीखा… भाई, यह डेल्टा फोर्स नहीं है। …खबीस क्या बोल रहा है? …भाई, रेन्जर्स उस लड़की को लेकर गोदाम की छत पर पहुँच गये है। वह कुछ बोलता उससे पहले लाईन कट गयी थी।

दूरबीन लिये फिदायीन चीखा… भाई, देखिये उस लड़की को उन्होंने हवा मे उठा लिया है। वह उसे हेलीकाप्टर मे खींच रहे है। फैजल चुपचाप सारा दृश्य देखता रहा और कुछ ही देर मे हेलीकाप्टर उस लड़की को लेकर चला गया था।  


सोमवार, 16 सितंबर 2024

 

 

शह और मात-18

 

गजल को अपने सीने से लगाये मै आने वाली मीटिंग के बारे मे सोच मे डूबा हुआ था। …यह तुम दोनो क्या कर रहे हो? आमेना कमरे मे दाखिल होते हुए बोली तो मेरा ध्यान उसकी ओर चला गया। उसको देखते ही मेरा जिस्म पथरा सा गया था। मेरा हाथ गजल के पुष्ट नितंब पर रखा हुआ था। मुझे लगा कि किसी ने मुझे चोरी करते हुए रंगें हाथ पकड़ लिया है। आमेना मुझे देख कर अपनी कामयाबी पर मुस्कुरा रही थी। मैने गजल को अपने से दूर करते हुए कहा… तुम यहाँ क्या करने आयी हो? आमेना मुस्कुरा कर बोली… तुम्हारे हथियार को डर बानो के मन से हमेशा के लिये निकालने आयी हूँ। इतना बोल कर वह बेड के किनारे खड़ी होकर अपने कपड़े उतारने लगी तो मै झपट कर उसे रोकने के लिये उठा तो गजल मुझे रोकते हुए बोली… प्लीज, आज मुझे रुसवा मत किजिये। उसकी चेहरे पर आये हुए भावों को देख कर मै चुपचाप लेट गया। बड़ी अदा से अपने वस्त्र तन से जुदा करते हुए आमेना बोली… बानो, अपने खाविन्द के कपड़े उतार दो। वह तुरन्त मेरे कपड़े उतारने मे जुट गयी और मै चुपचाप उसकी मदद करते हुए कुछ ही पलों मे नग्न हो कर बेड पर लेटा हुआ था। अचानक गजल ने झुक कर मेरे मुर्झाये हुए भुजंग पर धीरे से अपनी उंगली रख कर बोली… बाजी, इसको क्या हो गया? आमेना सरक कर मेरे पास आकर बोली… तुमसे डर रहा है। आओ मै दिखाती हूँ कि इसे कैसे तैयार किया जाता है लेकिन पहले तुम भी अपने कपड़े हटा दो। आज तुम्हारी रात है। मै सिर्फ तुम्हारे डर को खत्म करने के लिये आयी हूँ। गजल एक पल के लिये झिझकी तो आमेना ने कहा… बानो, शर्माने की जरुरत नहीं है। तुम्हारे पास भी वही कुछ है जो मेरे पास है। गजल ने धीरे से अपना कुर्ता और शलवार त्याग कर बेड के किनारे खड़ी हो गयी।

मैंने गजल पर एक नजर डाली तो वह किसी दूसरी ही दुनिया मे खोयी हुई थी। गेहुआं रंग, बादामी चेहरा और तीखे नयन-नक्श, बड़ी-बड़ी आँखें, सुतवां नाक, लम्बी गरदन और सलीके से बन्धे हुए लम्बे काले बाल, बल खाती हुई कमर और पुष्ट गोल नितंब, सब कुछ मिला कर वह दृश्य मेरे होश उड़ाने के लिए काफी थी। उसके कमसिन बदन की मादक महक मेरे दिमाग पर छाती जा रही थी। मेरा दिल जोर जोर से धड़कने लगा थागजल के प्रणय निवेदन के कारण मैने अपने आप को आज रात उन दोनो के हवाले कर दिया था। आमेना ने धीरे से मुर्झाये हुए भुजंग को सहलाया और फिर गरदन से पकड़ कर उसके मुंड पर अपनी जुबान से पहला वार किया। धीरे से अपने होंठ खोल कर मुंड को अपने मुँह मे भर कर जुबान से वार करना आरंभ कर दिया। गजल विस्मय से आमेना को देख रही थी। मेरी नजर गजल पर टिकी हुई थी। उसके अनछुये जिस्म को देखते हुए कुछ देर तक मेरा जिस्म और विवेक मेरे नियन्त्रण मे रहा परन्तु आमेना के सधे हुए वारों के कारण भुजंग मे तनाव आना आरंभ हो गया। मेरे हाथ अनियंत्रित होकर आमेना के भारी वक्षस्थलों को छेड़ने मे व्यस्त हो गये थे। उसके पुष्ट स्तनों पर सिर उठाये मोतियों को अपनी उँगिलियों से छेड़ते हुए कुछ ही देर मे मेरे जनांनग मे रक्त का प्रवाह बढ़ता चला गया और एक बार फिर वह शैतानी मेरुदंड अपने असली स्वरुप मे आ गया था।

आमेना एकाएक हट गयी और झूमते हुए भुजंग को गर्व से दिखाते हुए बोली… बानो, इस तरह से अपने खाविन्द को तैयार किया जाता है। अब इसको निगलने का तुम्हारा समय आ गया है। गजल धीरे बोली… बाजी इतना बड़ा अन्दर कैसे जाएगा? …बानो, देखती जाओ। गजल का हाथ अनायस ही भुजंग की ओर बढ़ गया। उसने झूमते हुए भुजंग को गरदन से पकड़ कर स्थिर किया और फिर झुक उसके टमाटर से फूले हुए मुंड पर अपने होंठ टिका दिये। आमेना उसके बालों को धीरे से सहलाते हुए दबाव बड़ाते हुए बोली… बानो अपना मुँह खोल कर इसको अन्दर जाने दो। गजल के कोमल होंठ खुलते ही मुंड धीरे से अन्दर सरक गया। जैसे ही गजल ने साँस छोड़ी तभी आमेना ने उसके सिर को पकड़ कर दबा दिया। …ग…ग…गु…गू…गूँ… की आवाज करते हुए वह छ्टपटा कर हटने लगी परन्तु लगभग चौथाई भुजंग उसके मुख मे धँस चुका था। आमेना उसका सिर पकड़े बोली… बानो नाक से साँस लेने की कोशिश करो। गजल का चेहरा लाल सुर्ख हो गया था। वह पूरी ताकत लगा कर अपना सिर हटाने की कोशिश कर रही थी। एकाएक उसने नाक से साँस लेना शुरु कर दिया। कुछ ही पलों मे वह सामान्य हो गयी तो आमेना ने उसके सिर को छोड़ते हुए कहा… बानो, जैसे मैने दिखाया था अब इसके साथ तुम भी वैसे करोगी तो यह जालिम तुम्हारा गुलाम बन जाएगा। गजल ने धीरे-धीरे भुजंग की गर्दन पकड़ कर सिर हिलाना आरंभ कर दिया। कुछ देर तक गजल वह क्रिया दोहराने के पश्चात अलग होते हुए बोली… बाजी, मै थक गयी। …कोई बात नहीं बानो। अब खाविन्द और बीवी के बीच रिश्ते को समझने के लिये तैयार हो जाओ। इतना बोल कर आमेना मुझ पर छा गयी।   

मै अभी भी लेटा हुआ था। मेरा हथियार उत्तेजना से अकड़ कर हवा मे झूम रहा था। उसका तमतमाया हुआ टमाटर सा फूला हुआ मुंड रौशनी मे चमक रहा था। आमेना मुझ पर घुटनो के बल बैठते हुए मस्ती मे झूमते भुजंग को पकड़ कर बोली… बानो, देख लो कि इस बिगड़ैल दरिन्दे को कैसे काबू किया जाता है। मैने उसके भार को अपने घुटनो पर संभाल लिया था। आमेना धीरे से बैठते हुए अपने योनिमुख को नीचे करके मुंड पर टिका दिया। वह कुछ और ज्ञान बाटती उससे पहले मैने अचानक अपने घुटनों को ढीला छोड़ दिया। नीचे से सहारा हटते ही आमेना अपने भार के कारण एक झटके के साथ बैठती चली गयी। योनिमुख पर टिका हुआ नरमुंड सारी बाधाओं को हटाते हुए बेरोकटोक अंदर धँसता चला गया। उसी पल आमेना के मुख से वासना से ओतप्रोत एक दर्दभरी लम्बी सी सीत्कार निकली… अ…आ…अहाय…म…र…गयी। …बाजी बहुत दर्द हो रहा है? अपनी मुंदी हुई पलकें झपका कर आमेना मुस्कुरा कर बोली… पगली इस दर्द का अपना ही मजा है। इतना बोल कर वह धीरे से कमरे हिलाने मे जुट गयी थी। आमेना तो आँखे मूंद कर किसी दूसरी ही दुनिया में खो गयी थीअपने जिस्म के पोर-पोर में होते हुए असंख्य छोटे-बड़े विस्फोटों कि सुखद अनुभुति में वह मस्त हो गयी थी।

अपने मन मे उमड़ती हुई कुंठा के वनम हेतु सब कुछ भुला कर मैंने भी उसके थरथराते हुए पुष्ट गोल नितंबों को अपने हाथों में जकड़ लिया और सहारा देते हुए उसके हिलने की लंबाई को बढ़ा दिया। उसके लगातार हिलने से सीने के उभारों में भी भूचाल सा आ गया और स्तनाग्र भी फूल कर खड़े हो गये थे। उसके नितंबों को छोड़ कर मेरा एक हाथ उसके उन्नत सीने के मर्दन मे जुट गयी और दूसरे हाथ की उँगलियाँ उसके योनिद्वार को खोल कर फूले हुए अंकुर को रगड़ने मे व्यस्त हो गयी थी। कभी सिर उठाये अकड़े हुए स्तनाग्रों को अपनी उँगलियों मे फँसा कर तरड़ता और कभी अचकचा कर दबा देता। मेरे हर वार पर वह कभी इठलाती और कभी तड़प कर दूर होने की कोशिश करती परन्तु धुरी पर फंसी होने के कारण वह अलग भी नहीं हो पा रही थी। उसका जिस्म भी अब मेरे प्रबल प्रहारों को सहने की स्थिति मे नहीं था। न…न…हीं…आह…प्ली…ज…छोड़ दिजी…ए। वह चिल्लाई और एक झटका खा कर शिथिल हो गयी। तन्नाया हुआ भुजंग जड़ तक धँस चुका था। मेरी बैचेनी बढ़ती जा रही थी लेकिन आमेना लस्त होकर मेरे उपर लेट गयी थी। कुछ पल के बाद वह लुढ़क कर मेरे करीब लेटते हुए बोली… बानो, अपने खाविन्द को हमेशा के लिये अपना बनाने के लिये हर लड़की को इस इम्तिहान से गुजरना पड़ता है। मेरा भुजंग उसके कामरस मे नहाया हुआ दिन की रौशनी मे चमक रहा था। भुजंग का मुंड उत्तेजना से फूल का लाल भभूका होकर हवा मे झूम रहा था। उसके तने जैसी गरदन पर अनेक नसें कामोत्तेजना के कारण जड़ तक उभर आयी थी। मै आँख मूंद कर लेट कर अपने आप को सयंत करने का प्रयास कर रहा था। …बाजी आप ठीक है? गजल की आवाज सुनते ही मेरी आँखें खुल गयी और मेरी नजर उसकी ओर चली गयी। उसके चेहरे पर भय, उत्तेजना और उत्सुकता के मिश्रित भाव साफ झलक रहे थे।  

आमेना उठते हुए मुझसे बोली… समीर, आज इसको अपना बना कर तुम हमेशा के लिये कारासोव परिवार का हिस्सा बन जाओगे। मै अभी तक चुपचाप उनकी बात सुन रहा था। बिना किसी रोकटोक के मै उन दोनो का अब तक साथ दे रहा था। अब हालात को अपने हाथ मे लेने का समय आ गया था। मैने उठ कर बैठ गया और गजल से कहा… एक बार फिर सोच लो। मै शादी शुदा और दो बच्चों का बाप हूँ। तुम्हारे निकाह की कागजी जरुरत पूरी हो गयी है। अब तुम्हें इससे आगे बढ़ने की कोई जरुरत नहीं है। तुम्हारी आपा के साथ मेरा सिर्फ औरत-मर्द का रिश्ता है और इससे ज्यादा कुछ नहीं परन्तु तुम्हारे साथ स्थिति अलग है। इसलिये तुम्हें दोबारा सोचने के लिये कह रहा हूँ। गजल कुछ क्षण एकटक मुझे देखती रही और फिर बोली… क्या आप मेरे लिये अपनी जान दाँव पर लगा सकते है? अबकी बार आप सोच कर बोलना। आमेना उलझन भरी निगाहों से हमे देख रही थी। अब तक एकाकार का सारा दिमागी और शारीरिक जुनून मेरे दिमाग से काफुर हो गया था।

कुछ पल के बाद गजल बोली… इस रिश्ते के बदले मै आपसे कुछ नहीं मांग रही बस एक वादा करिये कि जमाल के साथ इस लड़ाई मे आप मेरे खाविन्द होने का फर्ज अदा करेंगें। हमे उससे अपना पाई-पाई का हिसाब चुकता करना है। आमेना अभी तक चुपचाप हमारे बीच हो रही बातचीत को सुन रही थी। वह एकाएक बोली… बानो, इस मियाँ-बीवी के रिश्ते मे कोई शर्त नहीं बस फर्ज होता है। इसको बोलने की जरुरत नहीं होती है। मै इस रिश्ते को बनाने के लिये शरिया के कारण जोर दे रही हूँ। अगर जमाल ने यह साबित कर दिया कि निकाह के बाद तुम्हारा अपने खाविन्द के साथ कोई शारिरिक संबध नहीं है तो शरिया अनुसार यह निकाहनामा कागजी माना जाएगा। गजल एकाएक बोली… बाजी, इन्हें दोबारा से तैयार करने मे मेरी मदद किजिये। मैने उसकी ओर चौंक कर देखा तो उसके चेहरे पर आये हुए निर्णायक भाव को देख कर मै समझ गया कि अब वह कुछ भी सुनने के लिये तैयार नहीं होगी।

कुछ सोच कर मैने बेड से उठते हुए कहा…आओ आज तुम्हें जन्नत की सैर करा देता हूँ लेकिन उससे पहले कुछ तैयारी करनी पड़ेगी। दो बहनें अब हैरानी से मेरी ओर देख रही थी। मै उठ कर बाथरुम मे चला गया और वहाँ से अपना रेजर और फोम की ट्यूब उठा कर वापिस बेड के करीब पहुँच कर बोला… अब सीधे लेट जाओ। …बानो, खाविन्द का हुक्म है। अब जैसा कहे वैसा करती जाना। गजल बेड पर सिकुड़ कर लेट गयी। उसकी योनि पर उगे हुए बालों के गुच्छे को शेविंग फोम से नहला कर अपनी उँगलियों से रगड़ना आरंभ कर दिया। कुछ ही देर मे उसके बाल साफ होने के लिये तैयार हो गये थे। मैने धीरे-धीरे रेजर से बाल साफ करना शुरु किया और कुछ ही देर मे उसकी योनि बाल रहित स्थिति मे आ गयी थी। जुड़ी हुई संतरे की फाँकों की दरार से रस लगातार बह रहा था। उत्तेजना से उसके सीने के कलश और उनके सिरे पर कत्थई स्तनाग्र फूल कर कड़े हो गये थे। मैने सारा सामान और मग उठाया और बाथरुम मे चला गया। गीले टावल से उसके बालोंरहित कटिप्रदेश को साफ करके मैने कहा… अब तुम बाथरुम मे अपने आप को साबुन से अच्छी तरह धोकर वापिस आ जाओ। वह उठ कर बाथरुम मे चली गयी।

मेरी नजर बाथरुम के दरवाजे पर जाकर टिक कर रह गयी थी। कुछ देर के बाद धीरे से दरवाजा खुला और गजल सिकुड़ी सकुचाई बाहर निकली तो उसकी गोरी चिकनी पिंडलियों पर पल भर के लिये मेरी नजर जाकर ठहर गयी थी। वह धीमे कदमों से मेरी ओर बढ़ी तो मुझे लगा कि एक संगमरमर की मूर्ती अपने यौवन की बारिश करने के लिए मेरी ओर बढ़ रही है। नारंगी जैसे बेदाग गोरे स्तन और उन पर गहरे कत्थई रंग के स्तनाग्र, बल खाती हुई पतली कमर और गोलाई लेते हुए भरे हुए नितंब, सफाचट कटिप्रदेश, सब कुछ मुझे एक सपने जैसा लग रहा था। हर कदम पर उसके जिस्म का हरेक हिस्सा थरथराते हुआ लग रहा था। मैं बिस्तर से उतर कर उसकी ओर बढ़ा और उसके बंधे हुए बालों को खोल दिया, एक लहर की तरह उसके बाल गिर कर कमर पर आ कर रुक गये थे। अब मेरे लिये रुकना नामुमकिन था।

एक ही पल में उसे अपनी बाँहों में भर कर बिस्तर पर लिटा कर उसके कान को चूमते हुए धीरे से कहा… आज तुम्हारे एक-एक अंग पर अपने होंठों के निशानी छाप दूँगा। कुछ ही पल में दो नग्न जिस्म बिस्तर के उपर एक दूसरे के साथ गुंथ गये थे। गजल को अपने जिस्म से दबा कर उसके फड़फड़ाते हुए होठों को अपने होठों के कब्जे में लेकर मैंने रसपान करना आरंभ कर दिया। दोनों अनावृत उन्नत पहाड़ियों सामने पा कर, मेरे हाथ भी अपने कार्य में लग गये थे। कभी अकड़ी हुई चोटियों पर उँगलियाँ फिराता और कभी दो उँगलियों में स्तनाग्रों को फँसा कर खींचता, कभी पहाड़ियों को अपनी हथेलियों में छुपा लेता और कभी उन्हें जोर से मसक कर धीरे से सहला देता। उधर आँखे मुदें गजल का चेहरा उत्तेजना से लाल होता चला जा रहा था। अपने नीचे उसके मचलते हुए जिस्म को महसूस करते हुए एक बार फिर से भुजंग जीवन्त होने लगा था।

गजल का उत्तेजना से जलता हुआ नग्न जिस्म वासना की आग बुझाने के लिए तड़प रहा था। मेरी उँगलियों ने नीचे सरक कर सफाचट कटिप्रदेश के सिरे पर जुड़ी हुई संतरे की फाँकों को अलग करके सिर उठाये फूल हुए अंकुर पर पहली चोट मारी तो उसके मुख से लम्बी सीत्कार निकली… उई... माँ…. उफ.उ.उ... न्हई…आह.....नहीं। अब मेरी उंगली ने खून से लबालब भरे हुए अंकुर को रगड़ना शुरु किया तो तड़प कर छूटने की कोशिश करने लगी परन्तु मेरे भार के आगे उसकी सारी कोशिश विफल हो गयी थी। गजल के गले से नीचे सरकते हुए उसके सीने पर पहुँच कर रुक गया और फिर उसके स्तनों पर अपने होंठों के निशान छोड़ने मे जुट गया। कभी जुबान से फूले हुए स्तनाग्र को छेड़ता और कभी पूरी पहाड़ी को निगल कर उसका रस सोखने की कोशिश मे जुट जाता। मेरे होंठ और हाथों ने उसके दोनो स्तनों को कुछ ही देर मे लाल कर दिया था। मै उसके सीने की पहाड़ियों को मुठ्ठी मे दबाये नीचे सरक गया। सफाचट कटिप्रदेश पर जैसे ही मेरे होंठों ने स्पर्श किया वह चिहुँक कर उठने लगी परन्तु मैने उसको पकड़ कर जबरदस्ती लिटा दिया था। उसकी दोनो जाँघे पकड़ कर अलग किया और उसके योनिमुख पर झुक कर चूम लिया। वह मचल कर अलग होने का प्रयास करने लगी परन्तु तब तक मेरी उँगलियों ने संतरे की फाँकों को खोल कर अकड़े हुए अंकुर को अनावरित कर दिया था। मैने झुक कर अपने होंठ उस अंकुर पर टिका दिये थे। वह जल बिन मछली की भाँति तड़पने लगी और मै उस अंकुर का रस सोखने मे जुट गया। तभी उसके मुख से घुटी हुई आवाज निकली… हुं….उई... न्…हई…आह! उसके जिस्म ने झटका खाया और उसकी योनि झरझरा कर बहने लगी।   

वह लस्त होकर लेट गयी थी। मै सरक कर उसके निढाल जिस्म पर छा गया और अपने तन्नायें हुए भुजंग को अपनी मुठ्ठी में जकड़ कर धीरे से एक-दो बार हिलाया और फिर गजल की कमसिन योनिमुख को टटोलते हुए उस पर टिका दिया। लोहे सी गर्म राड का एहसास होते ही गजल के मुख से एक गहरी सिसकारी निकल गयी थीअपनी उँगलियों से संतरे की फाँकों को खोल कर अकड़े हुए अंकुर पर भुजंग का सिर रगड़ने लगा और फिर धीरे-धीरे रगड़ाई की लम्बाई बढ़ाता चला गया। इस प्रकार के नये हमले के कारण गजल की आँखें विस्मय से खुल कर फैल गयी थी। मेरी हर हरकत को वह लगातार महसूस कर रही थी। एकाएक उसने अपने पाँव फैला कर मुझे उसमे जकड़ने की कोशिश करी तो मै समझ गया कि वह अब तैयार हो गयी है। मेरी गर्म सलाख सिर उठाये अंकुर को दबाते हुए योनिछेद की तरफ सरकी तो गजल ने मचल कर अपने जिस्म को झटका दिया तो भुजंग का फूला हुआ सिर योनिछेद से टकरा गया। गजल का जिस्म एक पल के लिये काँप गया और उसके मुख से कामोत्तेजना से ओतप्रोत एक लम्बी सित्कार निकली… उ.उई....उ… उफ.…उफआह.....म…र…गयी

अब की बार मैंने अपनी जुबान से गजल के होंठों को खोल कर उसके गले की गहराई नापने में लग गया। मेरा भुजंग उसके योनिछेद पर चोट मारते हुए अंदर प्रवेश करने मे प्रयासरत हो गया। कामोत्तेजना में तड़पती गजल के चेहरे और होंठों पर अपने होंठों और जुबान से भँवरें की भाँति मै बार-बार चोट मारने में लग गया थागजल के निचले होंठ को चूस कर धीरे से काटते हुए मैने अबकी बार चोट मारते हुए अपनी कमर पर दबाव डाला तो भुजंग का सिर संकरे छिद्र को जबरदस्ती खोल कर अन्दर प्रवेश कर गया। गजल की आँखें का मुख खुला रह गया था। उसी क्षण उसके मुख से दर्दभरी घुटी हुई चीख निकली… उ.उई.माँ....न्हई…आह....मर गयीवह गिड़गिड़ाने लगी… प्लीज मुझे छोड़ दिजिये। वह कुछ और आवाज निकले इससे पहले मैंने अपने होंठों से उसका मुख सीलबंद कर दिया थामेरा भुजंग अपना सिर अटकाए शांति से अंदर बैठ कर मेरी अगली हरकत का इन्तजार करता रहा। एक बार फिर से मैंने अपनी कमर पर जोर लगाया परन्तु रुकावट के कारण आगे नहीं सरका तो मैने धीरे-धीरे आगे-पीछे होते हुए उस रुकावट पर चोट मारना आरंभ कर दिया। गजल कभी दर्द से तड़प उठती और कभी मचल कर छूटने की असफल कोशिश करती। कामोत्तेजना और मीठे से दर्द में तड़पती हुई गजल ने अपने होंठों को दांतों में दबा कर मेरी पीठ पर अपने नाखून गड़ा दिये। बार-बार हल्की चोट मारते हुए एक बार जगह बनाते हुए मैंने अपनी कमर दबाव बड़ाता चला गया। अचानक रुकावट की दीवार ढह गयी और भुजंग सारे संकरेपन को खोलता हुआ जड़ तक जा कर बैठ गया। अबकी बार गजल की आँखें खुली की खुली रह गयी और मुख से दबी हुई चीख निकल गयी… हाय…मरर.…गय…यईई…उफ..नई…आह..ह..ह। जोड़ से जोड़ टकराते ही भुजंग गजल की गहराईयों मे जड़ तक धंस गया था। मै कुछ पल स्थिर पड़ा रहा और फिर उसके होंठों और स्तनों का रस सोखने मे व्यस्त हो गया। कुछ देर वह कराहती रही परन्तु निरन्तर उसके होंठों और स्तनों के साथ छेड़खानी करने के कारण वह मेरा साथ देने लगी। जड़ तक धँसे हुए होने के बावजूद मुझे ऐसा लग रहा था कि मेरे जनानंग को किसी ने मजबूत शिकंजे मे जकड़ कर दोहना शुरु कर दिया है। मुझे स्वर्गिक और अप्रतिम एहसास की अनुभुति हो रही थी। तभी गजल की कमर हिली और उसने अपनी कमर पर दबाव बनाने की कोशिश करी तो क्षण भर रुक कर मैने उसके नितंबों को दोनों हाथों मे जकड़ कर एक लय मे धीरे-धीरे चोट मारना आरंभ कर दिया। कुछ देर बाद गजल के जिस्म ने इशारा किया तो मेरे वार की लम्बाई बढ़ने लगी। लय और ताल बदलते हुए अब हमारे जोड़ लगातार पूरे वेग से टकराने लगे थे।

एकाकार के चक्रवात मे हम दोनो फँस कर अपनी मंजिल को पाने के लिये अग्रसर हो गये थे। गजल भी अब तक इस प्रकार के दखल की धीरे-धीरे आदि हो गयी थी। मेरे जिस्म में लावा खौलना आरंभ हो गया और धीरे-धीरे मैं अपनी चरम सीमा पर पहुँच रहा था। ज्वालामुखी फटने से पहले उत्तेजनावश मैंने एक जबरदस्त आखिरी वार किया तो मेरा भुजंग तीर की तेजी से नयी गहराईयों मे धंसता चला गया। इस वार को गजल भी बरदाश्त नहीं कर पायी थी। उसका जिस्म धनुषाकार बनाते हुए एक क्षण के लिए हवा में स्थिर हुऔर फिर एक भरपूर झटके के साथ वह ढेर हो गयी। उसकी योनि झरझरा कर बहने लगी और उसका जिस्म काँपने लगा। मुझे उसके जिस्म मे उठने वाली हर तरंग व स्पंदन का अपने जनानंग पर एहसास हो रहा था। एकाएक उसकी योनि में फँसें हुए मेरे तन्नायें हुए भुजंग को उसके जिस्म ने जकड़ कर दोहना शुरु कर दिया। इस का एहसास होते ही सारे बाँध तोड़ते हुए ज्वालामुखी मे विस्फोट हुआ और लावा बहना आरंभ हो गया। गजल की योनि को अपने प्रेमरस से लबालब भरने के बाद भी अपने भुजंग वहीं फँसाये हुए उसकी योनि के संकरेपन का लुत्फ लेता रहा। अचानक मेरी नजर गजल के चेहरे पर पड़ी तो वह आँखे मूंदे मेरे नीचे शिथिल अवस्था में पड़ी हुई थी। वह तो जैसे किसी और ही दुनिया मे पहुँच गयी थी। मैने धीरे से उसके कान मे कहागजल…गजल क्या हुआ? उसने धीरे से अपनी पलकें झपकी और फिर आँखें खोल कर बोली… कुछ नहीं, साँस घुटती हुई लगी और मेरी आँखों के आगे अंधेरा छा गया था। तभी आमेना की आवाज कान मे पड़ी… बानो जन्नत की सैर कर आयी? गजल ने शर्मा कर मेरे सीने मे अपना चेहरा छिपा लिया था। एकाकार के नशे के कारण आँखें बोझिल हो रही थी। कुछ ही देर मे एक दूसरे बाँहों मे जकड़े हम दोनो सपनो की दुनिया मे खो गये थे।

देर रात को हमे आमेना ने उठाया था। उसने टेक-अवे से खाना मंगा लिया था। गजल कराहती हुई उठी तो आमेना ने कहा… बानो, शब-ए-अरुसी के बाद दर्द होता है। बाथरुम मे जाकर गर्म पानी से नहाते हुए सिकाई कर लेना। इससे काफी आराम मिलेगा। मै हाथ मुँह धोकर कर तैयार हुआ और डाईनिंग टेबल पर खाना खाने बैठ गया। आमेना मेरे साथ बैठते हुए बोली… शुक्रिया। मैने उसकी ओर देखा तो वह मुस्कुरा रही थी। …क्या हुआ? …डिनर के बाद अब मेरा बकाय हिसाब चुकाना है। तभी लंगड़ाते हुए गजल आयी और हमारे सामने बैठ गयी। …बानो, अब दर्द कैसा है? …बाजी, बस चलते हुए दर्द होता है। …कोई बात नहीं। कल तक यह दर्द भी चला जाएगा। हम तीनो खाना खाने बैठ गये थे। खाना खाते हुए आमेना ने कहा… समीर, हमारे लिये तुम्हारे निकाहनामे को बाकू मे पंजीकृत कराना जरुरी है।…उसकी फिक्र तुम मत करो। कल सुबह मै निकाहनामे की कापी अमरीकन दूतावास की डाक से बाकू भिजवा दूंगा। बाकू मे स्थित हमारी एम्बैसी के कर्मचारी के द्वारा उस निकाहनामे को वहाँ के सरकारी आफिस मे पंजीकृत भी करवा दूंगा। यह सब कागजी कार्यवाही तो हो जाएगी परन्तु तुम बिना पास्पोर्ट के तुम दोनो बाकू कैसे जाओगी? वह दोनो जानती थी कि बिना पास्पोर्ट के हवाई सफर नामुम्किन था।

खाना समाप्त करके मै मै अपने दिमाग मे होने वाली मीटिंग की योजना बनाने मे जुट गया था। जब मेरी योजना का ड्राफ्ट तैयार हो गया तब अपने सेटफोन को आन करके अपने स्मार्टफोन पर अंजली के मेसेज देखने बैठ गया। दो मेसेज डिस्प्ले पर फ्लैश कर रहे थे…

…मै वापिस मेनका के पास कुछ दिनो के लिये जा रही हूँ। यहाँ की जाँच करते हुए कुछ नये तथ्य पता चले है तो उसकी पुष्टि करने के लिये मुजफराबाद जाना जरुरी है।

…इसे परियोजना मत कहिये। अदा की सलामती हम दोनो पर फर्ज है। उसकी सलामती के लिये अगर मुझे पीरजादा साहब से टकराना भी पड़ गया तो मुझे आपकी कसम है कि पीछे नहीं हटूँगी।

एक दो बार उसका मेसेज पढ़ने के बाद मै अपना जवाब टाइप करने बैठ गया… झाँसी की रानी तुमसे टकराने की जो सोचेगा वह अपनी मौत को दावत देगा। वहाँ पहुँच कर मेनका और केन को मेरा प्यार कहना। अगर दोबारा बाकू जाने की सोचो तो मुझे खबर कर देना। एक कमी मुझे हमेशा खलती है कि हम दोनो कभी साथ मे काम नहीं कर सके। एक बार मेरे साथ भी काम करके देख लो। लव यू।

मेसेज भेज कर मैने सेटेलाईट फोन जैसे ही उठाया तभी उसकी घंटी बजी तो मैने जल्दी से काल लेते हुए बोला… हैलो। जनरल रंधावा की आवाज मेरे कान मे पड़ी… पुत्तर, उस मीटिंग की तैयारी कैसी चल रही है। …सर, एक मुश्किल सामने आकर खड़ी हो गयी है। जहाँ हमारी मीटिंग होनी तय हुई थी वहाँ से कुछ दूरी पर पाकिस्तानी पोस्ट स्थापित हो गयी है। …तो अब वालकाट क्या सोच रहा है? …सर, अगर यह मीटिंग टल गयी तो फिर जिरगा के बाद ही हो सकेगी। वह मीटिंग टालने के पक्ष मे था लेकिन मै उस पर मीटिंग करने का दबाव डाल रहा हूँ। …तुम बहुत बड़ा खतरा मोल ले रहे हो। …सर, वालकाट के साथ मिल कर उस मीटिंग होने के वक्त से पहले उनकी पोस्ट पर मुल्ला मोईन के द्वारा हमला करवाने की योजना बनाई है। …तो भी यह इतना आसान नहीं होगा। …सर, यह मै जानता हूँ कि मुल्ला मोइन और उसके जिहादी फ्रंटियर फोर्स से भिड़ने मे सक्षम नहीं है। एक ही मौका मिलेगा और हमला सटीक होना अनिवार्य है अन्यथा तुरन्त पाकिस्तान की फौज एक्टिव हो जाएगी। …तो तुमने क्या सोचा है? …सर, मै डेल्टा फोर्स को मुल्ला मोईन के जिहादियों के वेश मे भेजने की सोच रहा हूँ। वह ऐसे गुरिल्ला हमले के लिये पूर्णत: सक्षम है। …वालकाट का क्या विचार है? …सर, कल उसने डेल्टा फोर्स के साथ मेरी मीटिंग रखी है। कल उनसे बात करके तब निर्णय लेंगें कि क्या करना चाहिये। …पुत्तर, अपना ख्याल रखना। तुम पर बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। …जी सर। …पुत्तर, गोपीनाथ ने इस मीटिंग की खबर आज ही अजीत को दी है जिसका मतलब कर्नल श्रीनिवास भी रा की ओर से मीटिंग मे शामिल होगा। …कोई बात नहीं सर लेकिन इससे एक बात तो तय हो गयी कि हमारे बीच मे कोई आईएसआई के लिये काम कर रहा है। …सुरिंदर की खातिर उसका पता लगाना जरुरी है। …जी सर। …डेल्टा फोर्स के साथ मीटिंग करके बात करना। वीके और अजीत को मै ब्रीफ कर दूंगा तो कल वह भी मेरे साथ होंगें। …राईट सर। दूसरी ओर से फोन कट गया था।

मैने अपना स्मार्टफोन निकाल कर पहले कुछ देर मेनका से बात करने के पश्चात नीलोफर को फोन लगाया… हैलो। …तुम कब वापिस आ रहे हो? …तुम्हें बताया तो था कि अगले हफ्ते मै इस्लामाबाद पहुँच जाऊँगा। …समीर, नोटबन्दी के बाद से यहाँ पर नगदी की काफी किल्लत हो गयी है। रोजाना मेरे पास पैसों के लिये दस-बीस मांगने वालों की काल आती है। ब्रिगेडियर नूरानी ने मेरा जीना हराम कर दिया है। नूरानी अब जनरल फैज का नाम लेकर मुझ पर पैसों के लिये दबाव डाल रहा है। …नीलोफर, मेरे आने तक उन सब को किसी तरह टालती रहो। तुम तब तक इसका आंकलन करो कि हमारे काम कौन आ सकता है और उसकी क्या और कितनी जरुरत है? …समीर, वह तो मै कर लूंगी लेकिन अनवर रियाज क्या करना है? वह तुमसे मिलना चाहता है। …तुम उसकी चिन्ता छोड़ दो। वह अब हमारे शिकंजे मे फँस गया है। जिरगे के बाद उसे कसना आरंभ करेंगें। …एक नयी खबर दे रही हूँ। तुम्हारी साहिबा आजकल जमाल कुरैशी के निशाने पर है। …नीलोफर, तुमसे कुछ छिपा नहीं है। अगर मेरी कोई है तो वह सिर्फ एक अंजली है। उसके सिवा अगर कोई दूसरा है तो वह तुम हो इसलिये इन शब्दों को इतने हल्के मत इस्तेमाल किया करो। …मै जानती हूँ। अगले हफ्ते पहुँच जाओगे तब बैठ कर जिरगा की तैयारी करेंगें। …जमीर की टीम की क्या रिपोर्ट है। …खुदाई शमशीर गिलगिट मे सक्रिय हो गयी है और अब खैबर पख्तूनख्वा मे पाँव जमा रही है। अब तक वह दो गुटों मे बँट कर सात हमले कर चुके है और तुम्हारे दिये गये पाँच नामो को दोजख डिस्पैच कर दिया है। …ओके। इतना बोल कर मैने फोन काट दिया और अपने कमरे की ओर चला गया।

अगली सुबह अपने आफिस जाने के लिये मै तैयार होकर जब कमरे से बाहर निकला तो आमेना नाश्ता बनाते हुए बोली… नाश्ता तैयार है। इतना बोल कर वह डाईनिंग टेबल पर नाश्ता लगाने मे व्यस्त हो गयी थी। नाश्ता समाप्त करके मै अपने आफिस की ओर निकल गया था। आफिस मे वालकाट मेरा इंतजार कर रहा था। वह मुझे लेकर काबुल शहर से बाहर स्थित यूएस मरीन्स के बेस की ओर निकल गया था। डेल्टा फोर्स की बीस सैनिकों की युनिट हमारा इंतजार कर रही थी। मेजर एन्डर्सन उस युनिट का इन्चार्ज था। पाँच सेटेलाईट इमेजिस स्क्रीन पर रौशन करके वालकाट बोला… इस पोस्ट को तबाह करना है। नो सर्वाईवर्स वान्टेड।

मेजर एन्डर्सन और उसकी टीम इमेजिस की बारीकियों पर चर्चा करने बैठ गये। कुछ देर के बाद मेजर एन्डर्सन बोला… सर, बेहद आसान इन-आउट आप्रेशन है। इसके लिये डेल्टा फोर्स की क्या जरुरत है? अबकी बार मैने कहा… इस पोस्ट पर पाकिस्तानी फ्रंटियर फोर्स के जवान बैठे हुए है। एकाएक कमरे मे शांति छा गयी थी। वालकाट ने कहा… यह सीआईए का फाल्स फ्लैग आप्रेशन है। फौजी युनीफार्म के बजाय जिहादी वेश मे लाईट वेपन्स से हमला होगा। अगेन नो सर्वाईवर्स वान्टेड। मेजर एन्डर्सन एक बार फिर से अपने साथियों के साथ चर्चा कर लिजिये। इतना बोल कर वह चुप हो गया था। एक बार फिर से डेल्टा फोर्स की टीम के बीच चर्चा आरंभ हो गयी थी। सभी चर्चा करने के पश्चात हमले का ब्लू प्रिंट बनाने का समय आ गया था। मेजर एन्डर्सन की योजना से मै सहमत नहीं था। वालकाट की सहमति के बिना मै मेजर एन्डर्सन की बात काटने की स्थिति मे नहीं था क्योंकि वह मुझे पाकिस्तानी कारोबारी के रुप मे जानता था।

हमले का ब्लू प्रिंट तैयार करने के पश्चात पहली बार वालकाट बोला… सैम इस बारे मे तुम्हारा क्या ख्याल है? …एंथनी, ब्लू प्रिंट तो ठीक है लेकिन इसमे कुछ खामियाँ नजर आ रही है। यह एक इन-आउट आप्रेशन नहीं हो सकता क्योंकि इसमे दो महत्वपूर्ण मुद्दे को अनदेखा किया जा रहा है। पहला, पाकिस्तानी कमांड को पता है कि उस स्थान के आसपास हमारी बैठक हो रही है जिसके कारण उन्होंने वहाँ यह चौकी स्थापित की है। दूसरा, उस चौकी से 100 मीटर की दूरी पर हमारी बैठक चल रही होगी। आने वाले सभी लोग पाकिस्तानी फौज की नजरों से बचने की कोशिश मे होंगें तो एक्शन शुरु होते ही वह सब भागने की कोशिश करेंगें। एकाएक वालकाट और मेजर एन्डर्सन का सारा ध्यान मुझ पर केन्द्रित हो गया था। …मेजर एन्डर्सन मेरा सुझाव बस इतना है कि इस पूरे आप्रेशन मे सिर्फ तीन शार्प शूटर्स और कुछ कमांडो की जरुरत है। हमारा उद्देश्य उस बैठक को शांति से होने देना है। इसका मतलब कि यह हमला गुपचुप और तीव्र गति का आप्रेशन होना चाहिये। इसमे हमे साईलेन्सर युक्त स्नाईपर राईफल्स का उप्योग करना पड़ेगा और जो सैनिक स्नाईपर की रेन्ज से बाहर है उनके लिये कमांडो आप्रेशन लाँच होगा। यह हमला एक सीरीज आसाल्ट आप्रेशन होना चाहिये जिससे बैठक मे कोई विघ्न नहीं पड़े। इतना बोल कर मै चुप हो गया था।

सारे लोग मुझे चुपचाप सुन रहे थे। मैने एक इमेज पर उंगली के इशारे से समझाते हुए कहा… आपके तीन शार्प शूटर्स साईलेन्सर युक्त स्नाईपर राईफल लेकर इन तीन स्थान पर तैनात होंगें। उनके निशाने पर यह पाँच लोग होने चाहिये। एक बार उस चौकी पर स्थित पांच गार्ड्स साफ हो गये तब बैरेक मे बैठे हुए लोगों को साफ करने के लिये कमांडो युनिट की जिम्मेदारी होगी। मुझे पूरी उम्मीद है कि उन्होने वायरलैस के द्वारा कुछ दूरी पर घात लगाये फ्रंटियर फोर्स की युनिट से निरन्तर संपर्क बना रखा होगा। हमारी सबसे बड़ी चुनौती उस वायरलैस आप्रेटर की निशानदेही करने की होगी और फिर मैसेज फ्लेश करने से पहले उसे न्युट्रिलाईज करना होगा। मै चाहता हूँ कि एक जैमर व्हीकल उस चौकी के आसपास खड़ा किया जाये परन्तु सभी स्थिति मे हमारी प्राथमिकता यही होनी चाहिये कि फ्रंटियर फोर्स की युनिट को हमले की जानकारी नहीं मिलनी चाहिये। इतना बोल कर मै चुप हो गया। वालकाट हैरानी से मेरी ओर देख रहा था और मेजर एन्डर्सन मेरी बात सुन कर गहरी सोच मे डूब गया था। …मेजर, तुम्हारा क्या ख्याल है? …सर, एक बात का जवाब नहीं मिला है कि यह उनको कैसे पता चलेगा कि यह फिदायीन हमला है। मैने तुरन्त कहा… यह मुल्ला मोइन पर छोड़ दिजिये। वह हमारे साथ उस बैठक मे शामिल होगा और बैठक समाप्त होते ही अपने फिदायीनों के साथ उस चौकी पर कुछ विस्फोट करके वह सीमा पार चला जाएगा। वालकाट ने मेरे कन्धे पर हाथ मार कर कहा… सैम क्या कभी सेना मे रहे थे? …नहीं सर, आप तो जानते है कि मै एक कारोबारी आदमी हूँ। इनकी चर्चा सुनकर यह मेरे दिमाग मे आया था। मेजर एन्डर्सन ने मुस्कुरा कर कहा… सैम, सीआईए छोड़ कर हमारी डेल्टा फोर्स जोईन कर लो। तुम्हें तुरन्त कमीशन मिल जाएगा। वालकाट जल्दी से बोला… मेजर एन्डर्सन अब जल्दी से हमले का पूरा ब्लू प्रिंट तैयार करके कल दोपहर को मुझसे मेरे आफिस मे मिलना। इसी के साथ हमारी बातचीत का अन्त हो गया था।

अपनी एम्बैसी की ओर लौटते हुए वालकाट ने कहा… सैम, कल होने वाली बैठक मे तीन मुद्दो पर बात होगी। पहला, हमारे साथ काम करने वाली तंजीमो को हमसे क्या मदद चाहिये। दूसरा, हमारे निकलने के लिये वह कैसे हमे सुरक्षित रास्ता दे सकते है और तीसरा हमारे जाने के बाद वह आपस मे कैसे समन्वय बिठाने की सोच रहे है। …एंथनी, तीनो महत्वपूर्ण मुद्दे है। जहाँ तक सुरक्षित रास्ते की बात है तो मुझे शक है कि वह इसके बारे मे कुछ कर सकेंगें। ईरान से तुम जा नहीं सकते और उत्तर मे रुस के मित्र देशों से तुम बात नहीं कर सकते। इन हालातों मे फिर दो ही रास्ते बचते है पहला पाकिस्तान का रास्ता और दूसरा भारत की मदद से उत्तर मे रास्ता खुलवाया जाये। पाकिस्तान हर्गिज तुम्हें रास्ता नहीं देगा तो फिर भारत की मदद से उत्तर का रास्ता खुलवाने की कोशिश करनी चाहिये। उज्बेकिस्तान वह रास्ता दे सकता है क्योंकि उज्बेकिस्तान का भारत के साथ विषम परिस्थिति मे उनके हवाईअड्डो को इस्तेमाल करने का करार है। …सैम, तुम ठीक कह रहे हो परन्तु वाशिंगटन और पेन्टागन इसके लिये राजी नहीं होंगें। पाकिस्तानी लौबी हमारे स्टेट डिपार्टमेन्ट को ऐसे सुझाव पर गर्म तवे पर भून कर रख देगी। …वह तो ठीक है एंथनी परन्तु एक सत्य यह भी तो है कि क्या भारत इसके लिये तैयार होगा? वालकाट ने सिर हिलाते हुए कहा… तुम सही कह रहे हो। हम बात करते हुए एम्बैसी पहुँच गये थे। मुझे विदा करते हुए वालकाट ने कहा… तुम सच बोल रहे हो कि तुमने पाकिस्तानी सेना मे कभी काम नहीं किया? मैने मुस्कुरा कर उसके सवाल का जवाब सवाल से किया… क्या तुम्हें लगता है कि मै किसी ऐसी संस्था के लिये काम कर सकता हूँ जो कानूनी तरीके से गैरकानूनी काम करती है। इतना बोल कर मै एम्बैसी पार्किंग मे खड़ी अपनी लैंडरोवर की ओर चल दिया था।