शह और मात-18
गजल को अपने सीने
से लगाये मै आने वाली मीटिंग के बारे मे सोच मे डूबा हुआ था। …यह तुम दोनो क्या कर
रहे हो? आमेना कमरे मे दाखिल होते हुए बोली तो मेरा ध्यान उसकी ओर चला गया। उसको देखते
ही मेरा जिस्म पथरा सा गया था। मेरा हाथ गजल के पुष्ट नितंब पर रखा हुआ था। मुझे लगा
कि किसी ने मुझे चोरी करते हुए रंगें हाथ पकड़ लिया है। आमेना मुझे देख कर अपनी कामयाबी
पर मुस्कुरा रही थी। मैने गजल को अपने से दूर करते हुए कहा… तुम यहाँ क्या करने आयी
हो? आमेना मुस्कुरा कर बोली… तुम्हारे हथियार को डर बानो के मन से हमेशा के लिये निकालने
आयी हूँ। इतना बोल कर वह बेड के किनारे खड़ी होकर अपने कपड़े उतारने लगी तो मै झपट कर
उसे रोकने के लिये उठा तो गजल मुझे रोकते हुए बोली… प्लीज, आज मुझे रुसवा मत किजिये।
उसकी चेहरे पर आये हुए भावों को देख कर मै चुपचाप लेट गया। बड़ी अदा से अपने वस्त्र
तन से जुदा करते हुए आमेना बोली… बानो, अपने खाविन्द के कपड़े उतार दो। वह तुरन्त मेरे
कपड़े उतारने मे जुट गयी और मै चुपचाप उसकी मदद करते हुए कुछ ही पलों मे नग्न हो कर
बेड पर लेटा हुआ था। अचानक गजल ने झुक कर मेरे मुर्झाये हुए भुजंग पर धीरे से अपनी
उंगली रख कर बोली… बाजी, इसको क्या हो गया? आमेना सरक कर मेरे पास आकर बोली… तुमसे
डर रहा है। आओ मै दिखाती हूँ कि इसे कैसे तैयार किया जाता है लेकिन पहले तुम भी अपने
कपड़े हटा दो। आज तुम्हारी रात है। मै सिर्फ तुम्हारे डर को खत्म करने के लिये आयी हूँ।
गजल एक पल के लिये झिझकी तो आमेना ने कहा… बानो, शर्माने की जरुरत नहीं है। तुम्हारे
पास भी वही कुछ है जो मेरे पास है। गजल ने धीरे से अपना कुर्ता और शलवार त्याग कर बेड
के किनारे खड़ी हो गयी।
मैंने गजल पर एक नजर डाली तो वह किसी दूसरी
ही दुनिया मे खोयी हुई थी। गेहुआं रंग, बादामी चेहरा और
तीखे नयन-नक्श, बड़ी-बड़ी आँखें, सुतवां नाक, लम्बी गरदन और सलीके से बन्धे हुए लम्बे काले बाल, बल
खाती हुई कमर और पुष्ट गोल नितंब, सब कुछ मिला कर वह दृश्य मेरे होश उड़ाने
के लिए काफी थी। उसके कमसिन बदन की मादक महक मेरे दिमाग पर छाती
जा रही थी। मेरा दिल जोर जोर से धड़कने लगा था। गजल के प्रणय निवेदन
के कारण मैने अपने आप को आज रात उन दोनो के हवाले कर दिया था। आमेना ने धीरे से मुर्झाये
हुए भुजंग को सहलाया और फिर गरदन से पकड़ कर उसके मुंड पर अपनी जुबान से पहला वार किया।
धीरे से अपने होंठ खोल कर मुंड को अपने मुँह मे भर कर जुबान से वार करना आरंभ कर दिया।
गजल विस्मय से आमेना को देख रही थी। मेरी नजर गजल पर टिकी हुई थी। उसके अनछुये जिस्म
को देखते हुए कुछ देर तक मेरा जिस्म और विवेक मेरे नियन्त्रण मे रहा परन्तु आमेना के
सधे हुए वारों के कारण भुजंग मे तनाव आना आरंभ हो गया। मेरे हाथ अनियंत्रित होकर आमेना
के भारी वक्षस्थलों को छेड़ने मे व्यस्त हो गये थे। उसके पुष्ट स्तनों पर सिर उठाये
मोतियों को अपनी उँगिलियों से छेड़ते हुए कुछ ही देर मे मेरे जनांनग मे रक्त का प्रवाह
बढ़ता चला गया और एक बार फिर वह शैतानी मेरुदंड अपने असली स्वरुप मे आ गया था।
आमेना एकाएक हट गयी
और झूमते हुए भुजंग को गर्व से दिखाते हुए बोली… बानो, इस तरह से अपने खाविन्द को तैयार
किया जाता है। अब इसको निगलने का तुम्हारा समय आ गया है। गजल धीरे बोली… बाजी इतना
बड़ा अन्दर कैसे जाएगा? …बानो, देखती जाओ। गजल का हाथ अनायस ही भुजंग की ओर बढ़ गया।
उसने झूमते हुए भुजंग को गरदन से पकड़ कर स्थिर किया और फिर झुक उसके टमाटर से फूले
हुए मुंड पर अपने होंठ टिका दिये। आमेना उसके बालों को धीरे से सहलाते हुए दबाव बड़ाते
हुए बोली… बानो अपना मुँह खोल कर इसको अन्दर जाने दो। गजल के कोमल होंठ खुलते ही मुंड
धीरे से अन्दर सरक गया। जैसे ही गजल ने साँस छोड़ी तभी आमेना ने उसके सिर को पकड़ कर
दबा दिया। …ग…ग…गु…गू…गूँ… की आवाज करते हुए वह छ्टपटा कर हटने लगी परन्तु लगभग चौथाई
भुजंग उसके मुख मे धँस चुका था। आमेना उसका सिर पकड़े बोली… बानो नाक से साँस लेने की
कोशिश करो। गजल का चेहरा लाल सुर्ख हो गया था। वह पूरी ताकत लगा कर अपना सिर हटाने
की कोशिश कर रही थी। एकाएक उसने नाक से साँस लेना शुरु कर दिया। कुछ ही पलों मे वह
सामान्य हो गयी तो आमेना ने उसके सिर को छोड़ते हुए कहा… बानो, जैसे मैने दिखाया था
अब इसके साथ तुम भी वैसे करोगी तो यह जालिम तुम्हारा गुलाम बन जाएगा। गजल ने धीरे-धीरे
भुजंग की गर्दन पकड़ कर सिर हिलाना आरंभ कर दिया। कुछ देर तक गजल वह क्रिया दोहराने
के पश्चात अलग होते हुए बोली… बाजी, मै थक गयी। …कोई बात नहीं बानो। अब खाविन्द और
बीवी के बीच रिश्ते को समझने के लिये तैयार हो जाओ। इतना बोल कर आमेना मुझ पर छा गयी।
मै अभी भी लेटा हुआ
था। मेरा हथियार उत्तेजना से अकड़ कर हवा मे झूम रहा था। उसका तमतमाया हुआ टमाटर सा
फूला हुआ मुंड रौशनी मे चमक रहा था। आमेना मुझ पर घुटनो के बल बैठते हुए मस्ती मे झूमते
भुजंग को पकड़ कर बोली… बानो, देख लो कि इस बिगड़ैल दरिन्दे को कैसे काबू किया जाता है।
मैने उसके भार को अपने घुटनो पर संभाल लिया था। आमेना धीरे से बैठते हुए अपने योनिमुख को नीचे करके
मुंड पर टिका दिया। वह कुछ और ज्ञान बाटती उससे पहले मैने अचानक अपने
घुटनों को ढीला छोड़ दिया। नीचे से सहारा हटते ही आमेना अपने भार के कारण एक झटके
के साथ बैठती चली गयी। योनिमुख पर टिका हुआ नरमुंड
सारी बाधाओं को
हटाते हुए बेरोकटोक अंदर धँसता चला गया। उसी
पल आमेना के मुख से वासना से ओतप्रोत एक दर्दभरी लम्बी सी सीत्कार निकली… अ…आ…अहाय…म…र…गयी।
…बाजी बहुत दर्द हो रहा है? अपनी मुंदी हुई पलकें झपका कर आमेना मुस्कुरा कर बोली…
पगली इस दर्द का अपना ही मजा है। इतना बोल कर वह धीरे से कमरे हिलाने मे जुट गयी थी।
आमेना तो आँखे मूंद कर किसी दूसरी ही
दुनिया में खो गयी थी। अपने जिस्म के
पोर-पोर में होते हुए असंख्य छोटे-बड़े
विस्फोटों कि सुखद अनुभुति में वह मस्त हो गयी थी।
अपने मन मे उमड़ती
हुई कुंठा के वनम हेतु सब कुछ भुला कर मैंने भी उसके थरथराते हुए पुष्ट
गोल नितंबों को अपने हाथों में जकड़ लिया और सहारा देते हुए उसके हिलने
की लंबाई को बढ़ा दिया। उसके लगातार हिलने से सीने के उभारों में भी भूचाल सा आ
गया और स्तनाग्र भी फूल कर खड़े हो गये थे। उसके नितंबों को छोड़
कर मेरा एक हाथ उसके उन्नत सीने के मर्दन मे जुट गयी और दूसरे हाथ की उँगलियाँ उसके
योनिद्वार को खोल कर फूले हुए अंकुर को रगड़ने मे व्यस्त हो गयी थी। कभी सिर उठाये अकड़े
हुए स्तनाग्रों को अपनी उँगलियों मे फँसा कर तरड़ता और कभी अचकचा कर दबा देता। मेरे
हर वार पर वह कभी इठलाती और कभी तड़प कर दूर होने की कोशिश करती परन्तु धुरी पर फंसी
होने के कारण वह अलग भी नहीं हो पा रही थी। उसका जिस्म भी अब मेरे प्रबल प्रहारों को
सहने की स्थिति मे नहीं था। न…न…हीं…आह…प्ली…ज…छोड़ दिजी…ए। वह चिल्लाई और एक झटका खा कर
शिथिल हो गयी। तन्नाया हुआ भुजंग जड़ तक धँस चुका था। मेरी बैचेनी बढ़ती जा रही
थी लेकिन आमेना लस्त होकर मेरे उपर लेट गयी थी। कुछ पल के बाद वह लुढ़क कर मेरे करीब
लेटते हुए बोली… बानो, अपने खाविन्द को हमेशा के लिये अपना बनाने के लिये हर लड़की को
इस इम्तिहान से गुजरना पड़ता है। मेरा भुजंग उसके कामरस मे नहाया हुआ दिन की रौशनी मे
चमक रहा था। भुजंग का मुंड उत्तेजना से फूल का लाल भभूका होकर हवा मे झूम रहा था। उसके
तने जैसी गरदन पर अनेक नसें कामोत्तेजना के कारण जड़ तक उभर आयी थी। मै आँख मूंद कर
लेट कर अपने आप को सयंत करने का प्रयास कर रहा था। …बाजी आप ठीक है? गजल की आवाज सुनते
ही मेरी आँखें खुल गयी और मेरी नजर उसकी ओर चली गयी। उसके चेहरे पर भय, उत्तेजना और
उत्सुकता के मिश्रित भाव साफ झलक रहे थे।
आमेना उठते हुए मुझसे
बोली… समीर, आज इसको अपना बना कर तुम हमेशा के लिये कारासोव परिवार का हिस्सा बन जाओगे।
मै अभी तक चुपचाप उनकी बात सुन रहा था। बिना किसी रोकटोक के मै उन दोनो का अब तक साथ
दे रहा था। अब हालात को अपने हाथ मे लेने का समय आ गया था। मैने उठ कर बैठ गया और गजल
से कहा… एक बार फिर सोच लो। मै शादी शुदा और दो बच्चों का बाप हूँ। तुम्हारे निकाह
की कागजी जरुरत पूरी हो गयी है। अब तुम्हें इससे आगे बढ़ने की कोई जरुरत नहीं है। तुम्हारी
आपा के साथ मेरा सिर्फ औरत-मर्द का रिश्ता है और इससे ज्यादा कुछ नहीं परन्तु तुम्हारे
साथ स्थिति अलग है। इसलिये तुम्हें दोबारा सोचने के लिये कह रहा हूँ। गजल कुछ क्षण
एकटक मुझे देखती रही और फिर बोली… क्या आप मेरे लिये अपनी जान दाँव पर लगा सकते है?
अबकी बार आप सोच कर बोलना। आमेना उलझन भरी निगाहों से हमे देख रही थी। अब तक एकाकार
का सारा दिमागी और शारीरिक जुनून मेरे दिमाग से काफुर हो गया था।
कुछ पल के बाद गजल
बोली… इस रिश्ते के बदले मै आपसे कुछ नहीं मांग रही बस एक वादा करिये कि जमाल के साथ
इस लड़ाई मे आप मेरे खाविन्द होने का फर्ज अदा करेंगें। हमे उससे अपना पाई-पाई का हिसाब
चुकता करना है। आमेना अभी तक चुपचाप हमारे बीच हो रही बातचीत को सुन रही थी। वह एकाएक
बोली… बानो, इस मियाँ-बीवी के रिश्ते मे कोई शर्त नहीं बस फर्ज होता है। इसको बोलने
की जरुरत नहीं होती है। मै इस रिश्ते को बनाने के लिये शरिया के कारण जोर दे रही हूँ।
अगर जमाल ने यह साबित कर दिया कि निकाह के बाद तुम्हारा अपने खाविन्द के साथ कोई शारिरिक
संबध नहीं है तो शरिया अनुसार यह निकाहनामा कागजी माना जाएगा। गजल एकाएक बोली… बाजी,
इन्हें दोबारा से तैयार करने मे मेरी मदद किजिये। मैने उसकी ओर चौंक कर देखा तो उसके
चेहरे पर आये हुए निर्णायक भाव को देख कर मै समझ गया कि अब वह कुछ भी सुनने के लिये
तैयार नहीं होगी।
कुछ सोच कर मैने बेड
से उठते हुए कहा…आओ आज तुम्हें जन्नत की सैर करा देता हूँ लेकिन उससे पहले कुछ तैयारी
करनी पड़ेगी। दो बहनें अब हैरानी से मेरी ओर देख रही थी। मै उठ कर बाथरुम मे चला गया
और वहाँ से अपना रेजर और फोम की ट्यूब उठा कर वापिस बेड के करीब पहुँच कर बोला… अब
सीधे लेट जाओ। …बानो, खाविन्द का हुक्म है। अब जैसा कहे वैसा करती जाना। गजल बेड पर
सिकुड़ कर लेट गयी। उसकी योनि पर उगे हुए बालों के गुच्छे को शेविंग फोम से नहला कर
अपनी उँगलियों से रगड़ना आरंभ कर दिया। कुछ ही देर मे उसके बाल साफ होने के लिये तैयार
हो गये थे। मैने धीरे-धीरे रेजर से बाल साफ करना शुरु किया और कुछ ही देर मे उसकी योनि
बाल रहित स्थिति मे आ गयी थी। जुड़ी हुई संतरे की फाँकों की दरार से रस लगातार बह रहा
था। उत्तेजना से उसके सीने के कलश और उनके सिरे पर कत्थई स्तनाग्र फूल कर कड़े हो गये
थे। मैने सारा सामान और मग उठाया और बाथरुम मे चला गया। गीले टावल से उसके बालोंरहित
कटिप्रदेश को साफ करके मैने कहा… अब तुम बाथरुम मे अपने आप को साबुन से अच्छी तरह धोकर
वापिस आ जाओ। वह उठ कर बाथरुम मे चली गयी।
मेरी नजर बाथरुम के
दरवाजे पर जाकर टिक कर रह गयी थी। कुछ देर के बाद धीरे से दरवाजा खुला और गजल सिकुड़ी
सकुचाई बाहर निकली तो उसकी गोरी चिकनी पिंडलियों पर पल भर के लिये
मेरी नजर जाकर ठहर गयी थी। वह धीमे कदमों से मेरी ओर बढ़ी तो मुझे लगा कि
एक संगमरमर की
मूर्ती अपने यौवन की बारिश करने के लिए मेरी ओर बढ़ रही है। नारंगी जैसे
बेदाग गोरे स्तन और उन पर गहरे कत्थई रंग के स्तनाग्र, बल खाती हुई पतली
कमर और गोलाई लेते हुए भरे हुए नितंब, सफाचट कटिप्रदेश, सब कुछ मुझे एक
सपने जैसा लग रहा था। हर कदम पर उसके जिस्म का हरेक हिस्सा थरथराते
हुआ लग रहा था। मैं बिस्तर से उतर कर उसकी ओर बढ़ा और उसके बंधे हुए बालों
को खोल दिया,
एक लहर की तरह उसके बाल गिर कर कमर पर आ कर रुक गये थे। अब मेरे लिये
रुकना नामुमकिन था।
एक ही पल में उसे अपनी बाँहों में
भर कर बिस्तर पर लिटा कर उसके कान को चूमते हुए धीरे से कहा… आज तुम्हारे
एक-एक अंग पर अपने होंठों के निशानी छाप दूँगा। कुछ ही पल
में दो नग्न जिस्म बिस्तर के उपर एक दूसरे के साथ गुंथ गये थे। गजल को अपने जिस्म
से दबा कर उसके फड़फड़ाते हुए होठों को अपने
होठों के कब्जे में लेकर मैंने रसपान करना आरंभ कर दिया। दोनों अनावृत
उन्नत पहाड़ियों सामने पा कर, मेरे हाथ भी अपने कार्य में लग गये थे। कभी अकड़ी हुई चोटियों पर
उँगलियाँ फिराता और कभी दो उँगलियों में स्तनाग्रों को फँसा कर
खींचता,
कभी पहाड़ियों को
अपनी हथेलियों में छुपा लेता और कभी उन्हें जोर से मसक कर धीरे से सहला देता। उधर आँखे
मुदें गजल का चेहरा उत्तेजना से लाल होता चला जा रहा
था। अपने नीचे उसके मचलते हुए जिस्म को महसूस करते हुए एक बार फिर से भुजंग
जीवन्त होने लगा था।
गजल का उत्तेजना से
जलता हुआ नग्न जिस्म वासना की आग बुझाने के लिए तड़प रहा था। मेरी उँगलियों ने
नीचे सरक कर सफाचट कटिप्रदेश के सिरे पर जुड़ी हुई संतरे
की फाँकों को अलग करके सिर उठाये फूल हुए अंकुर पर पहली चोट मारी तो उसके मुख से
लम्बी सीत्कार निकली… उई... माँ…. उफ.उ.उ... न्हई…आह.....नहीं। अब मेरी उंगली ने खून से लबालब भरे हुए अंकुर को रगड़ना शुरु किया तो तड़प कर छूटने की
कोशिश करने लगी परन्तु मेरे भार के आगे उसकी सारी कोशिश विफल हो गयी थी। गजल के गले से नीचे सरकते
हुए उसके सीने पर पहुँच कर रुक गया और फिर उसके स्तनों पर अपने होंठों के निशान छोड़ने
मे जुट गया। कभी जुबान से फूले हुए स्तनाग्र को छेड़ता और कभी पूरी
पहाड़ी को निगल कर उसका रस सोखने की कोशिश मे जुट जाता। मेरे
होंठ और हाथों ने उसके दोनो स्तनों को कुछ ही देर मे लाल कर दिया था। मै उसके सीने
की पहाड़ियों को मुठ्ठी मे दबाये नीचे सरक गया। सफाचट कटिप्रदेश पर जैसे ही मेरे होंठों
ने स्पर्श किया वह चिहुँक कर उठने लगी परन्तु मैने उसको पकड़ कर जबरदस्ती लिटा दिया
था। उसकी दोनो जाँघे पकड़ कर अलग किया और उसके योनिमुख पर झुक कर चूम लिया। वह मचल कर
अलग होने का प्रयास करने लगी परन्तु तब तक मेरी उँगलियों ने संतरे की फाँकों को खोल
कर अकड़े हुए अंकुर को अनावरित कर दिया था। मैने झुक कर अपने होंठ उस अंकुर पर टिका
दिये थे। वह जल बिन मछली की भाँति तड़पने लगी और मै उस अंकुर का रस सोखने मे जुट गया।
तभी उसके मुख से घुटी हुई आवाज निकली…
हुं….उई... न्…हई…आह…! उसके जिस्म ने झटका खाया और उसकी योनि झरझरा
कर बहने लगी।
वह लस्त होकर लेट
गयी थी। मै सरक कर उसके निढाल जिस्म पर छा गया और अपने तन्नायें
हुए भुजंग को अपनी मुठ्ठी में जकड़ कर धीरे से एक-दो
बार हिलाया और फिर गजल की कमसिन योनिमुख को टटोलते हुए उस पर टिका दिया।
लोहे सी गर्म राड का एहसास होते ही गजल के मुख से एक
गहरी सिसकारी निकल गयी थी। अपनी उँगलियों से
संतरे की फाँकों
को खोल कर अकड़े हुए अंकुर पर भुजंग का सिर रगड़ने लगा और
फिर धीरे-धीरे रगड़ाई की लम्बाई बढ़ाता चला गया। इस प्रकार के नये
हमले के कारण गजल की आँखें विस्मय से खुल कर फैल गयी थी। मेरी हर हरकत को वह लगातार महसूस कर रही थी। एकाएक उसने
अपने पाँव फैला कर मुझे उसमे जकड़ने की कोशिश करी तो मै समझ गया कि वह अब तैयार हो गयी
है। मेरी गर्म सलाख सिर उठाये अंकुर को दबाते
हुए योनिछेद की तरफ सरकी तो गजल ने मचल कर अपने जिस्म को झटका दिया तो भुजंग का फूला
हुआ सिर योनिछेद से टकरा गया। गजल का जिस्म एक पल के लिये काँप गया और उसके मुख से
कामोत्तेजना से ओतप्रोत एक लम्बी सित्कार निकली… उ.उई....उ…
उफ.…उफआह.....म…र…गयी।
अब की बार मैंने अपनी जुबान से गजल के होंठों को खोल
कर उसके गले की गहराई नापने में लग गया। मेरा भुजंग उसके योनिछेद
पर चोट मारते हुए अंदर प्रवेश करने मे प्रयासरत हो गया। कामोत्तेजना में
तड़पती गजल के चेहरे और होंठों पर अपने होंठों और
जुबान से भँवरें की भाँति मै बार-बार चोट
मारने में लग गया था। गजल के निचले होंठ को
चूस कर धीरे से काटते हुए मैने अबकी बार चोट
मारते हुए अपनी कमर पर दबाव डाला तो भुजंग का सिर संकरे छिद्र को जबरदस्ती खोल कर अन्दर
प्रवेश कर गया। गजल की आँखें का मुख खुला रह गया था। उसी क्षण उसके मुख से दर्दभरी घुटी हुई चीख निकली… उ.उई.माँ....न्हई…आह....मर गयी। वह गिड़गिड़ाने लगी…
प्लीज मुझे छोड़ दिजिये। वह कुछ और आवाज निकले इससे पहले मैंने अपने
होंठों से उसका मुख सीलबंद कर दिया था। मेरा भुजंग अपना सिर अटकाए शांति
से अंदर बैठ कर मेरी अगली हरकत का इन्तजार करता रहा। एक बार फिर से
मैंने अपनी कमर पर जोर लगाया परन्तु रुकावट के कारण आगे नहीं सरका तो मैने
धीरे-धीरे
आगे-पीछे होते हुए उस रुकावट पर चोट मारना आरंभ कर दिया। गजल कभी दर्द से तड़प उठती
और कभी मचल कर छूटने की असफल कोशिश करती। कामोत्तेजना और मीठे
से दर्द में तड़पती हुई गजल ने अपने होंठों
को दांतों में दबा कर मेरी पीठ पर अपने नाखून गड़ा दिये। बार-बार हल्की चोट मारते
हुए एक बार जगह बनाते हुए मैंने अपनी कमर दबाव बड़ाता चला गया। अचानक रुकावट
की दीवार ढह गयी और भुजंग सारे संकरेपन को खोलता हुआ जड़ तक जा कर बैठ गया। अबकी बार
गजल की आँखें खुली की खुली रह गयी और मुख से दबी हुई चीख निकल गयी…
हाय…मरर.…गय…यईई…उफ..नई…आह..ह..ह। जोड़ से जोड़ टकराते ही भुजंग गजल की गहराईयों
मे जड़ तक धंस गया था। मै कुछ पल स्थिर पड़ा रहा और फिर उसके होंठों और स्तनों का रस
सोखने मे व्यस्त हो गया। कुछ देर वह कराहती रही परन्तु निरन्तर उसके होंठों और स्तनों
के साथ छेड़खानी करने के कारण वह मेरा साथ देने लगी। जड़ तक धँसे हुए होने के
बावजूद मुझे ऐसा लग रहा था कि मेरे जनानंग को किसी ने मजबूत
शिकंजे मे जकड़ कर दोहना शुरु कर दिया है। मुझे स्वर्गिक और अप्रतिम एहसास की अनुभुति हो रही
थी। तभी गजल की कमर हिली और उसने अपनी कमर पर दबाव बनाने की कोशिश करी तो क्षण भर रुक कर मैने उसके नितंबों
को दोनों हाथों मे जकड़ कर एक लय मे धीरे-धीरे चोट
मारना आरंभ कर दिया। कुछ देर बाद गजल के जिस्म ने इशारा किया तो मेरे वार की लम्बाई
बढ़ने लगी। लय और ताल बदलते हुए अब हमारे जोड़ लगातार पूरे वेग से टकराने लगे थे।
एकाकार के चक्रवात
मे हम दोनो फँस कर अपनी मंजिल को पाने के लिये अग्रसर हो गये थे। गजल भी अब तक इस
प्रकार के दखल की धीरे-धीरे आदि हो गयी थी। मेरे जिस्म में लावा खौलना आरंभ हो गया
और धीरे-धीरे मैं अपनी चरम सीमा पर पहुँच रहा था। ज्वालामुखी फटने से पहले
उत्तेजनावश मैंने एक जबरदस्त आखिरी वार किया तो मेरा भुजंग तीर की तेजी से नयी
गहराईयों मे धंसता चला गया। इस वार को गजल भी बरदाश्त नहीं कर
पायी थी। उसका जिस्म धनुषाकार बनाते हुए एक क्षण के लिए
हवा में स्थिर हुआ और फिर एक भरपूर झटके के साथ वह ढेर हो गयी। उसकी
योनि झरझरा कर बहने लगी और उसका जिस्म काँपने लगा। मुझे उसके जिस्म
मे उठने वाली हर तरंग व स्पंदन का अपने जनानंग पर एहसास हो रहा था। एकाएक उसकी योनि
में फँसें हुए मेरे तन्नायें हुए भुजंग को उसके जिस्म ने जकड़ कर दोहना शुरु कर दिया।
इस का एहसास होते ही सारे बाँध तोड़ते हुए ज्वालामुखी मे विस्फोट
हुआ और लावा बहना आरंभ हो गया। गजल की योनि को अपने प्रेमरस से लबालब
भरने के बाद भी अपने भुजंग वहीं फँसाये हुए उसकी योनि के
संकरेपन का लुत्फ लेता रहा। अचानक मेरी नजर गजल के चेहरे पर पड़ी तो वह आँखे मूंदे
मेरे नीचे शिथिल
अवस्था में पड़ी हुई थी। वह तो जैसे किसी और ही दुनिया मे पहुँच गयी थी। मैने धीरे से उसके
कान मे कहा… गजल…गजल क्या हुआ? उसने धीरे से अपनी पलकें झपकी और फिर आँखें खोल कर
बोली… कुछ नहीं, साँस घुटती हुई लगी और मेरी आँखों के आगे अंधेरा छा गया था। तभी आमेना की आवाज
कान मे पड़ी… बानो जन्नत की सैर कर आयी? गजल ने शर्मा कर मेरे सीने मे अपना चेहरा छिपा
लिया था। एकाकार के नशे के कारण आँखें बोझिल हो रही थी। कुछ ही देर मे एक दूसरे बाँहों
मे जकड़े हम दोनो सपनो की दुनिया मे खो गये थे।
देर रात को हमे आमेना
ने उठाया था। उसने टेक-अवे से खाना मंगा लिया था। गजल कराहती हुई उठी तो आमेना ने कहा…
बानो, शब-ए-अरुसी के बाद दर्द होता है। बाथरुम मे जाकर गर्म
पानी से नहाते हुए सिकाई कर लेना। इससे काफी आराम मिलेगा। मै हाथ मुँह धोकर कर तैयार
हुआ और डाईनिंग टेबल पर खाना खाने बैठ गया। आमेना मेरे साथ बैठते हुए बोली… शुक्रिया।
मैने उसकी ओर देखा तो वह मुस्कुरा रही थी। …क्या हुआ? …डिनर के बाद अब मेरा बकाय हिसाब
चुकाना है। तभी लंगड़ाते हुए गजल आयी और हमारे सामने बैठ गयी। …बानो, अब दर्द कैसा है?
…बाजी, बस चलते हुए दर्द होता है। …कोई बात नहीं। कल तक यह दर्द भी चला जाएगा। हम तीनो
खाना खाने बैठ गये थे। खाना खाते हुए आमेना ने कहा… समीर, हमारे लिये तुम्हारे निकाहनामे
को बाकू मे पंजीकृत कराना जरुरी है।…उसकी फिक्र तुम मत करो। कल सुबह मै निकाहनामे की
कापी अमरीकन दूतावास की डाक से बाकू भिजवा दूंगा। बाकू मे स्थित हमारी एम्बैसी के कर्मचारी
के द्वारा उस निकाहनामे को वहाँ के सरकारी आफिस मे पंजीकृत भी करवा दूंगा। यह सब कागजी
कार्यवाही तो हो जाएगी परन्तु तुम बिना पास्पोर्ट के तुम दोनो बाकू कैसे जाओगी? वह
दोनो जानती थी कि बिना पास्पोर्ट के हवाई सफर नामुम्किन था।
खाना समाप्त करके
मै मै अपने दिमाग मे होने वाली मीटिंग की योजना बनाने मे जुट गया था। जब मेरी योजना
का ड्राफ्ट तैयार हो गया तब अपने सेटफोन को आन करके अपने स्मार्टफोन पर अंजली के मेसेज
देखने बैठ गया। दो मेसेज डिस्प्ले पर फ्लैश कर रहे थे…
…मै वापिस मेनका के
पास कुछ दिनो के लिये जा रही हूँ। यहाँ की जाँच करते हुए कुछ नये तथ्य पता चले है तो
उसकी पुष्टि करने के लिये मुजफराबाद जाना जरुरी है।
…इसे परियोजना मत
कहिये। अदा की सलामती हम दोनो पर फर्ज है। उसकी सलामती के लिये अगर मुझे पीरजादा साहब
से टकराना भी पड़ गया तो मुझे आपकी कसम है कि पीछे नहीं हटूँगी।
एक दो बार उसका मेसेज
पढ़ने के बाद मै अपना जवाब टाइप करने बैठ गया… झाँसी की रानी तुमसे टकराने की जो
सोचेगा वह अपनी मौत को दावत देगा। वहाँ पहुँच कर मेनका और केन को मेरा प्यार कहना।
अगर दोबारा बाकू जाने की सोचो तो मुझे खबर कर देना। एक कमी मुझे हमेशा खलती है कि हम
दोनो कभी साथ मे काम नहीं कर सके। एक बार मेरे साथ भी काम करके देख लो। लव यू।
मेसेज भेज कर मैने
सेटेलाईट फोन जैसे ही उठाया तभी उसकी घंटी बजी तो मैने जल्दी से काल लेते हुए बोला…
हैलो। जनरल रंधावा की आवाज मेरे कान मे पड़ी… पुत्तर, उस मीटिंग की तैयारी कैसी चल रही
है। …सर, एक मुश्किल सामने आकर खड़ी हो गयी है। जहाँ हमारी मीटिंग होनी तय हुई थी वहाँ
से कुछ दूरी पर पाकिस्तानी पोस्ट स्थापित हो गयी है। …तो अब वालकाट क्या सोच रहा है?
…सर, अगर यह मीटिंग टल गयी तो फिर जिरगा के बाद ही हो सकेगी। वह मीटिंग टालने के पक्ष
मे था लेकिन मै उस पर मीटिंग करने का दबाव डाल रहा हूँ। …तुम बहुत बड़ा खतरा मोल ले
रहे हो। …सर, वालकाट के साथ मिल कर उस मीटिंग होने के वक्त से पहले उनकी पोस्ट पर मुल्ला
मोईन के द्वारा हमला करवाने की योजना बनाई है। …तो भी यह इतना आसान नहीं होगा। …सर,
यह मै जानता हूँ कि मुल्ला मोइन और उसके जिहादी फ्रंटियर फोर्स से भिड़ने मे सक्षम नहीं
है। एक ही मौका मिलेगा और हमला सटीक होना अनिवार्य है अन्यथा तुरन्त पाकिस्तान की फौज
एक्टिव हो जाएगी। …तो तुमने क्या सोचा है? …सर, मै डेल्टा फोर्स को मुल्ला मोईन के
जिहादियों के वेश मे भेजने की सोच रहा हूँ। वह ऐसे गुरिल्ला हमले के लिये पूर्णत: सक्षम
है। …वालकाट का क्या विचार है? …सर, कल उसने डेल्टा फोर्स के साथ मेरी मीटिंग रखी है।
कल उनसे बात करके तब निर्णय लेंगें कि क्या करना चाहिये। …पुत्तर, अपना ख्याल रखना।
तुम पर बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। …जी सर। …पुत्तर, गोपीनाथ ने इस मीटिंग की खबर आज ही
अजीत को दी है जिसका मतलब कर्नल श्रीनिवास भी रा की ओर से मीटिंग मे शामिल होगा। …कोई
बात नहीं सर लेकिन इससे एक बात तो तय हो गयी कि हमारे बीच मे कोई आईएसआई के लिये काम
कर रहा है। …सुरिंदर की खातिर उसका पता लगाना जरुरी है। …जी सर। …डेल्टा फोर्स के साथ
मीटिंग करके बात करना। वीके और अजीत को मै ब्रीफ कर दूंगा तो कल वह भी मेरे साथ होंगें।
…राईट सर। दूसरी ओर से फोन कट गया था।
मैने अपना स्मार्टफोन
निकाल कर पहले कुछ देर मेनका से बात करने के पश्चात नीलोफर को फोन लगाया… हैलो। …तुम
कब वापिस आ रहे हो? …तुम्हें बताया तो था कि अगले हफ्ते मै इस्लामाबाद पहुँच जाऊँगा।
…समीर, नोटबन्दी के बाद से यहाँ पर नगदी की काफी किल्लत हो गयी है। रोजाना मेरे पास
पैसों के लिये दस-बीस मांगने वालों की काल आती है। ब्रिगेडियर नूरानी ने मेरा जीना
हराम कर दिया है। नूरानी अब जनरल फैज का नाम लेकर मुझ पर पैसों के लिये दबाव डाल रहा
है। …नीलोफर, मेरे आने तक उन सब को किसी तरह टालती रहो। तुम तब तक इसका आंकलन करो कि
हमारे काम कौन आ सकता है और उसकी क्या और कितनी जरुरत है? …समीर, वह तो मै कर लूंगी
लेकिन अनवर रियाज क्या करना है? वह तुमसे मिलना चाहता है। …तुम उसकी चिन्ता छोड़ दो।
वह अब हमारे शिकंजे मे फँस गया है। जिरगे के बाद उसे कसना आरंभ करेंगें। …एक नयी खबर
दे रही हूँ। तुम्हारी साहिबा आजकल जमाल कुरैशी के निशाने पर है। …नीलोफर, तुमसे कुछ
छिपा नहीं है। अगर मेरी कोई है तो वह सिर्फ एक अंजली है। उसके सिवा अगर कोई दूसरा है
तो वह तुम हो इसलिये इन शब्दों को इतने हल्के मत इस्तेमाल किया करो। …मै जानती हूँ।
अगले हफ्ते पहुँच जाओगे तब बैठ कर जिरगा की तैयारी करेंगें। …जमीर की टीम की क्या रिपोर्ट
है। …खुदाई शमशीर गिलगिट मे सक्रिय हो गयी है और अब खैबर पख्तूनख्वा मे पाँव जमा रही
है। अब तक वह दो गुटों मे बँट कर सात हमले कर चुके है और तुम्हारे दिये गये पाँच नामो
को दोजख डिस्पैच कर दिया है। …ओके। इतना बोल कर मैने फोन काट दिया और अपने कमरे की
ओर चला गया।
अगली सुबह अपने आफिस
जाने के लिये मै तैयार होकर जब कमरे से बाहर निकला तो आमेना नाश्ता बनाते हुए बोली…
नाश्ता तैयार है। इतना बोल कर वह डाईनिंग टेबल पर नाश्ता लगाने मे व्यस्त हो गयी थी।
नाश्ता समाप्त करके मै अपने आफिस की ओर निकल गया था। आफिस मे वालकाट मेरा इंतजार कर
रहा था। वह मुझे लेकर काबुल शहर से बाहर स्थित यूएस मरीन्स के बेस की ओर निकल गया था।
डेल्टा फोर्स की बीस सैनिकों की युनिट हमारा इंतजार कर रही थी। मेजर एन्डर्सन उस युनिट
का इन्चार्ज था। पाँच सेटेलाईट इमेजिस स्क्रीन पर रौशन करके वालकाट बोला… इस पोस्ट
को तबाह करना है। नो सर्वाईवर्स वान्टेड।
मेजर एन्डर्सन और
उसकी टीम इमेजिस की बारीकियों पर चर्चा करने बैठ गये। कुछ देर के बाद मेजर एन्डर्सन
बोला… सर, बेहद आसान इन-आउट आप्रेशन है। इसके लिये डेल्टा फोर्स की क्या जरुरत है?
अबकी बार मैने कहा… इस पोस्ट पर पाकिस्तानी फ्रंटियर फोर्स के जवान बैठे हुए है। एकाएक
कमरे मे शांति छा गयी थी। वालकाट ने कहा… यह सीआईए का फाल्स फ्लैग आप्रेशन है। फौजी
युनीफार्म के बजाय जिहादी वेश मे लाईट वेपन्स से हमला होगा। अगेन नो सर्वाईवर्स वान्टेड।
मेजर एन्डर्सन एक बार फिर से अपने साथियों के साथ चर्चा कर लिजिये। इतना बोल कर वह
चुप हो गया था। एक बार फिर से डेल्टा फोर्स की टीम के बीच चर्चा आरंभ हो गयी थी। सभी
चर्चा करने के पश्चात हमले का ब्लू प्रिंट बनाने का समय आ गया था। मेजर एन्डर्सन की
योजना से मै सहमत नहीं था। वालकाट की सहमति के बिना मै मेजर एन्डर्सन की बात काटने
की स्थिति मे नहीं था क्योंकि वह मुझे पाकिस्तानी कारोबारी के रुप मे जानता था।
हमले का ब्लू प्रिंट
तैयार करने के पश्चात पहली बार वालकाट बोला… सैम इस बारे मे तुम्हारा क्या ख्याल है?
…एंथनी, ब्लू प्रिंट तो ठीक है लेकिन इसमे कुछ खामियाँ नजर आ रही है। यह एक इन-आउट
आप्रेशन नहीं हो सकता क्योंकि इसमे दो महत्वपूर्ण मुद्दे को अनदेखा किया जा रहा है।
पहला, पाकिस्तानी कमांड को पता है कि उस स्थान के आसपास हमारी बैठक हो रही है जिसके
कारण उन्होंने वहाँ यह चौकी स्थापित की है। दूसरा, उस चौकी से 100 मीटर की दूरी पर
हमारी बैठक चल रही होगी। आने वाले सभी लोग पाकिस्तानी फौज की नजरों से बचने की कोशिश
मे होंगें तो एक्शन शुरु होते ही वह सब भागने की कोशिश करेंगें। एकाएक वालकाट और मेजर
एन्डर्सन का सारा ध्यान मुझ पर केन्द्रित हो गया था। …मेजर एन्डर्सन मेरा सुझाव बस
इतना है कि इस पूरे आप्रेशन मे सिर्फ तीन शार्प शूटर्स और कुछ कमांडो की जरुरत है।
हमारा उद्देश्य उस बैठक को शांति से होने देना है। इसका मतलब कि यह हमला गुपचुप और
तीव्र गति का आप्रेशन होना चाहिये। इसमे हमे साईलेन्सर युक्त स्नाईपर राईफल्स का उप्योग
करना पड़ेगा और जो सैनिक स्नाईपर की रेन्ज से बाहर है उनके लिये कमांडो आप्रेशन लाँच
होगा। यह हमला एक सीरीज आसाल्ट आप्रेशन होना चाहिये जिससे बैठक मे कोई विघ्न नहीं पड़े।
इतना बोल कर मै चुप हो गया था।
सारे लोग मुझे चुपचाप
सुन रहे थे। मैने एक इमेज पर उंगली के इशारे से समझाते हुए कहा… आपके तीन शार्प शूटर्स
साईलेन्सर युक्त स्नाईपर राईफल लेकर इन तीन स्थान पर तैनात होंगें। उनके निशाने पर
यह पाँच लोग होने चाहिये। एक बार उस चौकी पर स्थित पांच गार्ड्स साफ हो गये तब बैरेक
मे बैठे हुए लोगों को साफ करने के लिये कमांडो युनिट की जिम्मेदारी होगी। मुझे पूरी
उम्मीद है कि उन्होने वायरलैस के द्वारा कुछ दूरी पर घात लगाये फ्रंटियर फोर्स की युनिट
से निरन्तर संपर्क बना रखा होगा। हमारी सबसे बड़ी चुनौती उस वायरलैस आप्रेटर की निशानदेही
करने की होगी और फिर मैसेज फ्लेश करने से पहले उसे न्युट्रिलाईज करना होगा। मै चाहता
हूँ कि एक जैमर व्हीकल उस चौकी के आसपास खड़ा किया जाये परन्तु सभी स्थिति मे हमारी
प्राथमिकता यही होनी चाहिये कि फ्रंटियर फोर्स की युनिट को हमले की जानकारी नहीं मिलनी
चाहिये। इतना बोल कर मै चुप हो गया। वालकाट हैरानी से मेरी ओर देख रहा था और मेजर एन्डर्सन
मेरी बात सुन कर गहरी सोच मे डूब गया था। …मेजर, तुम्हारा क्या ख्याल है? …सर, एक बात
का जवाब नहीं मिला है कि यह उनको कैसे पता चलेगा कि यह फिदायीन हमला है। मैने तुरन्त
कहा… यह मुल्ला मोइन पर छोड़ दिजिये। वह हमारे साथ उस बैठक मे शामिल होगा और बैठक समाप्त
होते ही अपने फिदायीनों के साथ उस चौकी पर कुछ विस्फोट करके वह सीमा पार चला जाएगा।
वालकाट ने मेरे कन्धे पर हाथ मार कर कहा… सैम क्या कभी सेना मे रहे थे? …नहीं सर, आप
तो जानते है कि मै एक कारोबारी आदमी हूँ। इनकी चर्चा सुनकर यह मेरे दिमाग मे आया था।
मेजर एन्डर्सन ने मुस्कुरा कर कहा… सैम, सीआईए छोड़ कर हमारी डेल्टा फोर्स जोईन कर लो।
तुम्हें तुरन्त कमीशन मिल जाएगा। वालकाट जल्दी से बोला… मेजर एन्डर्सन अब जल्दी से
हमले का पूरा ब्लू प्रिंट तैयार करके कल दोपहर को मुझसे मेरे आफिस मे मिलना। इसी के
साथ हमारी बातचीत का अन्त हो गया था।
अपनी एम्बैसी की ओर
लौटते हुए वालकाट ने कहा… सैम, कल होने वाली बैठक मे तीन मुद्दो पर बात होगी। पहला,
हमारे साथ काम करने वाली तंजीमो को हमसे क्या मदद चाहिये। दूसरा, हमारे निकलने के लिये
वह कैसे हमे सुरक्षित रास्ता दे सकते है और तीसरा हमारे जाने के बाद वह आपस मे कैसे
समन्वय बिठाने की सोच रहे है। …एंथनी, तीनो महत्वपूर्ण मुद्दे है। जहाँ तक सुरक्षित
रास्ते की बात है तो मुझे शक है कि वह इसके बारे मे कुछ कर सकेंगें। ईरान से तुम जा
नहीं सकते और उत्तर मे रुस के मित्र देशों से तुम बात नहीं कर सकते। इन हालातों मे
फिर दो ही रास्ते बचते है पहला पाकिस्तान का रास्ता और दूसरा भारत की मदद से उत्तर
मे रास्ता खुलवाया जाये। पाकिस्तान हर्गिज तुम्हें रास्ता नहीं देगा तो फिर भारत की
मदद से उत्तर का रास्ता खुलवाने की कोशिश करनी चाहिये। उज्बेकिस्तान वह रास्ता दे सकता
है क्योंकि उज्बेकिस्तान का भारत के साथ विषम परिस्थिति मे उनके हवाईअड्डो को इस्तेमाल
करने का करार है। …सैम, तुम ठीक कह रहे हो परन्तु वाशिंगटन और पेन्टागन इसके लिये राजी
नहीं होंगें। पाकिस्तानी लौबी हमारे स्टेट डिपार्टमेन्ट को ऐसे सुझाव पर गर्म तवे पर
भून कर रख देगी। …वह तो ठीक है एंथनी परन्तु एक सत्य यह भी तो है कि क्या भारत इसके
लिये तैयार होगा? वालकाट ने सिर हिलाते हुए कहा… तुम सही कह रहे हो। हम बात करते हुए
एम्बैसी पहुँच गये थे। मुझे विदा करते हुए वालकाट ने कहा… तुम सच बोल रहे हो कि तुमने
पाकिस्तानी सेना मे कभी काम नहीं किया? मैने मुस्कुरा कर उसके सवाल का जवाब सवाल से
किया… क्या तुम्हें लगता है कि मै किसी ऐसी संस्था के लिये काम कर सकता हूँ जो कानूनी
तरीके से गैरकानूनी काम करती है। इतना बोल कर मै एम्बैसी पार्किंग मे खड़ी अपनी लैंडरोवर
की ओर चल दिया था।
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