शह और मात-17
जब हम फ्लैट पर पहुँचे
तब तक आमेना जाग रही थी। दरवाजा खुलने की आहट सुन कर वह कमरे से बाहर निकल आयी और हमे
देखते ही बोली… आप वापिस क्यों आ गये? मैने निकाहनामे की तीन कापियाँ उसके हाथ मे रखते
हुए कहा… तुम्हारा काम हो गया। अब तुम दोनो अपने वापिस लौटने की तैयारी करो। आमेना
ने एक सरसरी नजर निकाहनामे पर डाल कर पूछा… इस वक्त निकाह कराने के लिये वहाँ कौन बैठा
हुआ था? तुरन्त गजल बोली… बाजी, इन्होंने मुफ्ती साहब को घर से बुलवा कर मस्जिद मे
निकाह करवाया है। …अब तुम दोनो आराम करो। इतना बोल कर मै अपने कमरे की ओर चल दिया।
मै कपड़े बदल कर बिस्तर पर फैल गया था। सुबह मुझे समय से पहले ताज्मुल मस्जिद पहुँचना
था। मेरे दिमाग मे सिर्फ एक प्रश्न कुलबुला रहा था कि क्या अपने साथ आमेना और गजल लेकर
जाना चाहिये? मुझे पूरा विश्वास था कि वालकाट ने रात को ही वहाँ पर सुरक्षा बढ़ा दी
होगी परन्तु क्या जमाल के लोग बिना इन दोनो के सामने आयेंगें? यही सोचते हुए जैसे ही
मैने करवट ली कि तभी आमेना ने कमरे मे प्रवेश किया। उसको देख कर मै उठ कर बैठ गया।
…समीर, आज तुम्हारी
शबे-वस्ल की रात है। क्या गजल को तुम्हारे पास भेज दूँ? …आमेना, इस निकाह को सिर्फ
कागजी निकाह से ज्यादा तरजीह देने की जरुरत नहीं है। इसी शर्त पर मै निकाह के लिये
राजी हुआ था। …समीर, उस बेचारी के भी कुछ अरमान है। उसकी दलील का कोई जवाब देना मैने
उचित नहीं समझा और बात बदलते हुए पूछा… क्या तुम दोनो कल सुबह मेरे साथ ताज्मुल मस्जिद
चल सकती हो? वह हैरानी से मेरी ओर देखते हुए बोली… जब निकाह हो गया है तो अब क्यों?
…जमाल के गाजियों को पकड़वाने के लिये तुम दोनो का साथ होना जरुरी है। इसमे खतरा काफी
है लेकिन अपनी ओर से मैने तुम दोनो की सुरक्षा का इंतजाम करवा दिया गया है। वह कुछ
देर के लिये गहरी सोच मे डूब गयी थी। तभी कमरे मे गजल ने प्रवेश किया तो सारी सोच का
तारतम्य टूट गया। वह धीरे-धीरे चलते हुए मेरे पास आकर बोली… क्या अभी भी आप पर मेरा
कोई हक नहीं है? …गजल, यह निकाह सिर्फ तुम्हें जमाल की महत्वाकांक्षा से बचाने के लिये
किया है। इन हालात मे शबे-वस्ल की कोई अहमियत नहीं है। एक बार जमाल नाम का काँटा तुम्हारी
जिन्दगी से हमेशा के लिये साफ हो गया तो तुम नये सिरे से अपनी जिंदगी शुरु करना और
तब अपने लिये राजकुमार चुनना। अचानक आमेना को न जाने क्या हुआ वह मेरे गले मे बाँहें
डाल कर बोली… मेरे साथ जिना करने मे तो कोई पाबन्दी नहीं है। उसे अपने से अलग धकेलते
हुए मैने कहा… अगर कल सुबह तुम्हारी की गयी गलती को सुधारना है तो आज आराम करने की
रात है। दोनो को अपने कमरे से निकालने की मंशा से मै उठ कर खड़ा हुआ तो आमेना ने कहा…
मै जा रही लेकिन तुम्हारी बीवी अबसे तुम्हारे साथ तुम्हारे कमरे मे ही सोया करेगी।
इतना बोल कर वह कमरे से बाहर निकल गयी। गजल उठ कर दरवाजा बन्द करके बिस्तर पर वापिस
आकर मेरी ओर पीठ करके लेट गयी। कुछ पल उसको देखता रहा और फिर लाइट बुझा कर उसके साथ
जाकर लेट गया।
मेरे फोन के अलार्म
ने मुझे समय पर जगा दिया था। गजल न जाने कब और कैसे सोते हुए मेरे पास आ गयी थी। मेरा
एक हाथ उसके संतरे जैसे पुष्ट स्तन पर रखा हुआ था और दूसरा हाथ उसकी नग्न नाभि पर रखा
था। प्रातःकालीन जरुरत के कारण मेरा तन्नाया हुआ भुजंग उसके नितंबों की दरार मे फँसा
हुआ था। मुझे हालात का एहसास होते ही बिजली का तेज झटका लगा और मै तुरन्त करवट लेकर
उससे दूर होते हुए बिस्तर से उतर कर बाथरुम मे घुस गया। जब तक तैयार होकर बाहर निकला
तब तक गजल जा चुकी थी। मै जब अपने कमरे से बाहर निकला तब तक दोनो बहने तैयार होकर किचन
मे नाश्ता बनाने मे जुटी हुई थी। सात बजे तक हम लोग चलने के लिये तैयार हो गये थे।
अपने हथियार चेक करते हुए मैने कहा… वहाँ तुम दोनो के लिये खतरा है तो सावधान रहने
की जरुरत है। एक-47 और ग्लाक-17 को चेक करने के पश्चात हम लोग लैंडरोवर मे बैठे और
ताज्मुल मस्जिद की दिशा मे निकल गये थे। कुछ दूर निकलने के बाद आमेना बोली… गजल पूछ
रही थी कि इतना बड़ा हथियार वह कैसे संभालेगी। उसकी बात सुन कर मैने झेंपते हुए जल्दी
से कहा… मौत का साया हम सब के सिरों पर मंडरा रहा है तो इस वक्त संजीदा रहने की जरुरत
है। मुझे अनसुना करके आमेना पीछे मुड़ कर गजल से बोली… बानो, उससे डरने की जरुरत नहीं
है। वह कुछ और बोलती मैने जल्दी से झिड़कते हुए कहा… अब चुप हो जाओ। मुझे फोन पर अपने
बास से बात करनी है। मैने अपना फोन निकाल कर वालकाट से बात करके वहाँ के हालात की जानकारी
लेने लगा। उसने बताया कि पूरी मस्जिद की तलाशी ली जा चुकी है और कोई भी संदिग्ध वस्तु
अथवा इंसान अभी तक नहीं दिखा है। सुरक्षाकर्मी दूर से मस्जिद पर निगाहें जमा कर बैठे
हुए है। ताजमुल मस्जिद के करीब ही मुख्य सड़क पर एक पुलिस पोस्ट पर वालकाट मेरा इंतजार
कर रहा है। पुलिस पोस्ट पर पहुँच कर उन दोनो का लैंडरोवर मे छोड़ कर मै वालकाट से मिलने
चला गया था।
…सैम, तुम्हारी खबर
कितनी पुख्ता है? …एंथनी मेरे पास पुख्ता खबर है। दस बजे मै ताज्मुल मस्जिद मे प्रवेश
करुँगा। तब तुम्हारे साथियों को सतर्क रहने की जरुरत है। इतना बोल कर मै अकेला मस्जिद
की ओर चल दिया। सड़क से हट कर पहाड़ की तलहटी मे पुरानी सी मस्जिद थी। उबड़-खाबड़ चट्टानी
इलाके मे थोड़ी हरियाली, कुछ दरख्तों और झाड़ियों से घिरी हुई मस्जिद पहाड़ी धरती पर एक
पैबन्द समान लग रही थी। मैने मस्जिद का बाहर से एक चक्कर लगा कर सारे निकासी द्वार
और आसपास का अवलोकन करके मस्जिद मे प्रवेश किया था। मस्जिद के अन्दर मगरिब की दिशा
मे पाँच कमरे बने हुए थे। उसके विपरीत दिशा मे वुजुखाना था। नमाज पढ़ने का स्थान मस्जिद
की गुम्बज के ठीक नीचे था। मस्जिद ने अन्दर दो लोग सफाई के काम मे जुटे हुए थे। आराम
से चलते हुए पहले मैने मस्जिद का मुआईना करके अन्दर के नक्शे को दिमाग मे बिठा कर एक
कारिन्दे से पूछा… मौलाना अब्दुल तबलीग कहाँ मिलेंगें? वह एक पल मुझे देखता रहा और
फिर गरदन हिला कर बोला… मियाँ यहाँ कोई मौलाना अब्दुल तबलीग नहीं बैठते। यह सुन्नियों
की मस्जिद है। यहाँ तबलीगी जमात के लोगो के आने की मनाही है। इस मस्जिद की देखरेख मौलाना
कादरी साहब करते है। …मौलाना कादरी साहब कहाँ मिलेंगें? …वह फज्र की नमाज पढ़वा कर चले
गये है। अब बारह बजे जुहुर की नमाज के समय पर आयेंगें। इतना बोल कर वह अपने काम मे
लग गया था। मै अन्दर का अवलोकन करके मस्जिद से बाहर निकल कर वालकाट के पास चला गया।
…सैम, तुम अन्दर बाहर
से मुआईना कर आये? …हाँ। …क्या देखा? …हमारे सुरक्षाकर्मी कहाँ पर तैनात है? …दस कमांडो
की टीम है। दो सैनिक सामने की चट्टान की आढ़ मे बैठ कर मुख्य द्वार पर नजर रख रहे है।
मैने दूरबीन से उस दिशा मे देखा तो सैनिकों के बजाय सिर्फ चट्टान के बीच स्नाईपर राईफल
की नली ही दिख रही थी। …तीन सैनिक उधर झाड़ियों मे तैनात है। एक बार फिर से मैने उस
दिशा मे देखा तो अबकी बार उनका साया दिख गया था। …दो सैनिक मस्जिद के पीछे तैनात है।
पहाड़ की तलहटी मे चट्टानों की आढ़ मे बैठे हुए है। दो सैनिक पुलिस पोस्ट पर तैनात है।
…और एक? …अन्दर कमरे मे बैठा हुआ है। …एंथनी सिर्फ शुमाल की दिशा मे कोई तैनाती नहीं
है। …शुमाल? …सौरी, नार्थ को खाली क्यों छोड़ दिया? …वहाँ कोई रास्ता नहीं है। वह ब्लाईन्ड
स्पाट है। इतना बोल कर वालकाट ने टू-वे डिवाईस मेरी ओर बढ़ाते हुए कहा… टीम लीडर का
काल साईन अल्फा है। तुम्हारा काल साईन ओमेगा है। मैने टू-वे डिवाईस लेकर कहा… ठीक दस
बजे लैन्डरोवर लेकर यहाँ आऊँगा। मेरे साथ दो लड़कियाँ और एक बच्चा होगा। उनके साथ मै
मस्जिद के अन्दर प्रवेश करुँगा। कमरे मे तैनात सैनिक का काल साइन बताओ। वालकाट ने मुस्कुरा
कर कहा… अल्फा। मैने घूर कर उसकी ओर देखा तो वह तुरन्त बोला… तुम चिन्ता मत करो। मै
भी क्रेक शाट हूँ। मैने अपनी घड़ी पर नजर डाली तो नौ बज गये थे। …हमारी सुरक्षा की जिम्मेदारी
तुम्हारे उपर है। आल द बेस्ट। इतना बोल कर वालकाट को वहीं छोड़ कर मै अपनी लैंडरोवर
की दिशा मे चल दिया था।
दस बजे मैने अपने
कान पर टू-वे डिवाईस के माईक्रोफोन को कान पर लगाया और अपनी ग्लाक निकाल कर पैन्ट की
बेल्ट मे अटका कर स्विच आन करके धीरे बोला… ओमेगा टु अल्फा। प्रोसीडींग टू साईट। ओवर।
…अल्फा टू ओमेगा। आल क्लीयर। यू आर फ्री टू मूव। आल द बेस्ट। मैने लैंडरोवर को स्टार्ट
किया और गियर बदल कर दरख्तों और झाड़ियों की आढ़ से निकल कर मुख्य सड़क पर आ गया था। पुलिस
पोस्ट पीछे छोड़ कर अपनी गति बढ़ाते हुए मै मस्जिद की दिशा मे निकल गया। कुछ ही देर मे
लैंडरोवर सड़क छोड़ कर मस्जिद की पगडंडी पर उतर गयी और मैने पूर्व निर्धारित स्थान पर
ले जाकर कर लैंडरोवर खड़ी करके कहा… तुम दोनो मेरी आढ़ मे पीछे चलना। काशिफ मेरे पास
रहेगा। दोनो लड़कियों के चेहरे हिजाब से ढके हुए थे। मै लैंडरोवर से उतर कर मस्जिद के
आसपास निगाह डाल कर उन दोनो को उतरने का इशारा किया। वह दोनो लड़खड़ाती हुई नीचे उतर
कर मेरे साथ खड़ी हो गयी थी। मैने आमेना से काशिफ को लेने के लिये हाथ बढ़ाया तो एक पल
के लिये वह झिझकी तो मैने जबरदस्ती काशिफ को अपनी गोदी मे लेकर कहा… मै भी दो बच्चों
का बाप हूँ। उसकी आँखों मे भय देख कर उसे अपने निकट खींच कर धीरे उसके कान मे कहा…
कसम खुदा की कि तुम तीनो को सही सलामत वापिस लेकर जाऊँगा। इतना बोल कर मै मस्जिद के
मुख्य द्वार की ओर चल दिया। मेरी आढ़ मे दोनो मेरे पीछे लड़खड़ाते हुए चल दी थी।
मस्जिद मे प्रवेश
करते ही मुझे कुछ अजीब सा लगा तो मैने धीरे से सीने पर लगे स्विच आन करके बड़बड़ाया…
अल्फा सफाई का काम करने वाले कहाँ गये? एक पल कान मे घरघराहट हुई फिर वालकाट की आवाज
कान मे पड़ी… तीनों कारिन्दे वापिस चले गये। यह सुन कर मै उनको लेकर वुजुखाने की दिशा
मे चल दिया क्योंकि वहाँ पर सीमेन्ट की बेन्च रखी हुई थी। हम तीनो वहाँ बैठ गये थे।
मैने एक हाथ मे काशिफ को थाम रखा था और दूसरे हाथ को अपनी ग्लाक की मूठ पर रखा हुआ
था। हर बीतते पल के साथ मेरी धड़कन बढ़ती जा रही थी। तभी मेरे कान मे आवाज गूँजी… जीटा
कालिंग अल्फा। टू हाईल्क्स मूविंग टुवर्ड्स साईट। एट बोगीज विद वेपन्स। ओवर। …आमेना
वह लोग पहुँच गये है। इसके आगे मै कुछ बोलता कि तभी उत्तर की दिशा मे स्थित द्वार से
चार लोग मस्जिद मे दाखिल होते हुए दिख गये थे। एक व्यक्ति सफेद चोगे और सिर पर गोल
पगड़ी बाँधे हुए था। उसके साथ हथियारों से लैस तीन सुरक्षाकर्मी चल रहे थे। उन तीनो
के चेहरे पर गमछा बंधा हुआ था। वालकाट की आवाज मेरे कान मे गूंजी… अल्फा टू असाल्ट
टीम। फोर बोगीज इन्साईड। थ्री विद वेपन्स। एन्गेज टु कट बोथ हाईल्क्स आउट साइड। सील
द मेन गेट।
तब तक वह चारों हमारे
पास पहुँच गये थे। सफेद चोगा पहने व्यक्ति बोला… आमेना बीबी कौन है? आमेना जल्दी से
उठ कर बोली… मौलाना साहब मै आमेना हूँ। मौलाना ने आमेना को एक बार घूर कर देखा और फिर
मेरी ओर देख कर पूछा… बीबी, निकाह किसका होना है? आमेना तुरन्त गजल की ओर इशारा करके
बोली… जनाब, मेरी छोटी बहन गजल का निकाह इनके साथ होना तय किया है। …मियाँ तुम्हारा
नाम क्या है? उसकी बात का जवाब देने बजाय मैने पूछा… क्या आप मौलाना अब्दुल तबलीग है?
एक क्षण के लिये उसकी भौंहें तन गयी और मुझको घूर कर देखते हुए बोला… मियाँ मै ही मौलाना
अब्दुल तबलीग हूँ। वह कुछ और बोलता कि तभी एक भयंकर विस्फोट की आवाज मस्जिद के बाहर
से आयी तो सभी चौंक गये थे। तीनो सुरक्षाकर्मियों ने अपनी आटोमेटिक राईफलें हमारी ओर
तान दी थी। मौलाना दहाड़ा… शाहिद, बाहर जाकर देख कि क्या हुआ? उन तीनो मे से एक जिहादी
तुरन्त दौड़ता हुआ मुख्य द्वार की ओर चला गया। …मौलाना साहब, इस मस्जिद मे तबलीगी जमात
के आने की मनाही है तो भला आपके द्वारा यहाँ पर करवाया निकाह और निकाहनामा दोनो ही
शरिया अनुसार गैर कानूनी हो जाएँगें। मौलाना का सारा ध्यान फिलहाल बाहर की ओर लगा हुआ
था। मेरे कान मे आवाज आयी… जीटा तू अल्फा। वन डाउन टू बोगीज डेड। टू एस्केप्ड एन्ड
वन सीरियस। तभी शाहिद दौड़ता हुआ अन्दर प्रवेश करते हुए चिल्लाया… आका…। बस वह इतना
ही बोल सका था। वह हवा मे उछला और औंधे मुँह जमीन पर गिर कर ढेर हो गया। शाहिद मुख्य
द्वार पर तैनात स्नाईपर का शिकार हो गया था।
मौलाना ने तुरन्त
अपने साथ खड़े हुए जिहादी से कहा… इनको लेकर यहाँ से निकलो। तभी मस्जिद के बाहर आटोमेटिक
मशीन गन की फायरिंग की आरंभ हो गयी थी। सभी के पाँव ठिठक कर वहीं रुक गये थे। काशिफ
को अपनी गोदी मे संभालने का उपक्रम करते हुए मैने अपनी ग्लाक निकाल ली थी। …मौलाना
साहब, बाहर तो गोलियाँ चल रही है। आमेना और गजल मेरी आढ़ लेकर खड़ी हुई थी। मौलाना और
उसके दोनो साथियों के चेहरों पर अब तनाव साफ झलक रहा था। उनके दिमाग से खेलने की मंशा
से मैने जल्दी से पूछा… यह कौन लोग है? यही सवाल उन तीनो के दिमाग मे घूम रहा था। एक
जिहादी जल्दी से बोला… मेरे आका, यह कहीं अहले हदीस वाला गुट तो नहीं है? मैने तुरन्त
गरदन हिलाते हुए कहा… मुझे यह कट्टर सुन्नी गुट लगता है। तभी दूसरा जिहादी मेरी बात
काटते हुए झुंझला कर बोला… बेवकूफ यह दाईश का गुट है। मेरे आका मुझे लगता है कि मौलाना
कादरी इनका पीछा करते हुए यहाँ पहुँच गया है। मौलाना अब्दुल तबलीग का चेहरा उसकी उलझन
साफ दर्शा रहा था। अचानक मौलाना बोला… हमे बच्चा और वह लड़की चाहिये। इन दोनो को हलाक
करके लड़की और बच्चे को लेकर पीछे से निकल जाओ। …मौलाना साहब इसमे हमारा क्या दोष है?
इतना बोलते हुए मै तब तक सरक कर वालकाट की फायरिंग लाईन के सामने से हट कर मौलाना के
सामने आ गया था।
एक फायर मस्जिद मे
हुआ जिसकी गूंज से दीवारें थर्रा गयी थी। एक जिहादी हवा मे उछला और दीवार से टकरा कर
जमीन पर ढेर हो गया। वह कुछ क्षण पहले मेरे सामने खड़ा हुआ दाईश की बात कर रहा था। जब
तक कोई समझ पाता कि काशिफ की आढ़ मे मेरी ग्लाक ने फायर किया और दूसरा जिहादी अपना सीना
पकड़ कर जमीन पर गिर गया। दोनो लड़कियाँ तो पहले फायर का नतीजा देख कर ही पथरा गयी थी।
दूसरे फायर की आवाज सुन कर दो कदम पीछे होती हुई धम्म से जमीन पर बैठ गयी। उनकी आँखें
जमीन पर पड़े हुए जिहादी पर टिकी हुई थी जो अपनी अंतिम सांसें ले रहा था। तभी वालकाट
की आवाज मस्जिद मे गूंजी… अमरीकन फौज ने सारा इलाका घेर लिया है। सभी अपने हाथ हवा
मे उठा कर दीवार के सहारे खड़े हो जाएँ। वालकाट अभी भी सामने नहीं आया था। तभी मेरे
कान मे वालकाट की आवाज पड़ी… अल्फा टू ओमेगा। मूव टू गेट। मैने अपनी ग्लाक पथराये हुए
अब्दुल तबलीग की ओर तान कर जल्दी से काशिफ को जमीन पर बैठी हुई आमेना के हवाले किया।
तभी मुख्य द्वार पर दो जिहादी न जाने कैसे बच कर मस्जिद मे दाखिल हो गये थे।
मेरे हाथ मे तनी हुई
ग्लाक को देख कर उन्होंने अपनी एके-47 को हमारी दिशा मे किया लेकिन मौलाना के कारण
फायर करने से एक पल के लिये वह झिझके जिसका फायदा मुझे मिल गया था। मेरी ग्लाक ने दिशा
बदलते हुए एक साथ दो फायर किये और अपना स्थान बदलते हुए जमीन पर गिर कर रोल करते मैने
दो फायर और कर दिये थे। अस्थिरता के कारण मै सटीक निशाना तो नहीं लगा पाया परन्तु दोनो
जिहादियों को घायल कर दिया था। इस आपाधापी मे दोनो लड़कियों मुझसे दूर हो गयी थी। न
जाने कहाँ से मौलाना अब्दुल के हाथ मे छोटी सी कटार आ गयी थी और उसने झपट कर आमेना
की गर्दन पर कटार टिका के मुझसे कहा… अपनी पिस्तौल मेरी ओर फेंक दे वर्ना इसका सिर
कलम कर दूँगा। मेरी ग्लाक मे अभी भी दस गोलियाँ बची हुई थी परन्तु उन दोनो की जान को
खतरा था। जमीन से उठते हुए मै बड़बड़ाया… अल्फा डू यू हैव अ क्लीयर शाट? …नो। मैने ग्लाक
को दो उँगलियों से पकड़ कर मौलाना की दिशा मे करते हुए बोला… उसे कुछ मत करना। आमेना
की आढ़ लेकर मौलाना चिल्लाया… मेरी ओर फेंक दो। …बेवकूफ आदमी गन को उछालने का मतलब समझता
है। अगर हवा मे नहीं पकड़ी तो जमीन पर गिरने के झटके से गोली फायर हो जाएगी। बात करते
हुए मैने मैग्जीन के लाक को हटा कर ग्लाक को उसकी दिशा मे उछाल दिया।
ग्लाक को हवा मे उछालने
से दो कार्य एक साथ हुए थे। मैग्जीन चैम्बर से सरक कर वहीं जमीन पर गिर गयी और खाली
ग्लाक हवा मे तैरती हुई मौलाना अब्दुल के करीब गिर गयी। ग्लाक को उठाने के लिये मौलाना
को आगे बढ़ना पड़ा तो आमेना के गले पर टिकी हुई कटार हट गयी थी। तभी वालकाट की आवाज कान
मे गूंजी… क्लीयर शाट। शूट टू किल। मै जोर से चिल्लाया… नो। लेकिन तब तक फायर हो चुका
था। स्नाईपर राईफल से निकल कर गोली मौलाना के सिर मे लगी थी। उसका परिणाम यह हुआ कि
उसकी खोपड़ी खील-खील होकर बिखर गयी थी। बड़ा भयावह दृश्य था। आमेना और गजल जमीन पर बैठे-बैठे
गश खाकर लुढ़क गयी थी। काशिफ का रोना शुरु हो गया था। मै जल्दी से काशिफ को गोदी मे
लेकर चुप कराने मे जुट गया। वालकाट और उसका स्नाईपर दोनो कमरे से बाहर निकल कर मेरे
पास पहुँच कर बोले… सैम यह लोग तो तुम्हारे लिये आये थे। …एंथनी मै तो इनके लिये चारा
बन कर आया था। यह लबलीगी जमात का पेशावर युनिट कमांडर मौलाना अब्दुल तबलीग है। यहाँ
पर परवेज खान से मिलने की अफवाह मैने फैलाई थी। हक्कानियों ने इसे यहाँ भेजा था। अगर
इसे जिन्दा पकड़ लेते तो इसका मुँह खुलवाया जा सकता था। चलो इसी बहाने हक्कानियों का
एक गुट तो शांत हो गया। वालकाट अपने माईक्रोफोन पर निर्देश देने मे व्यस्त हो गया था।
मै उन दोनो लड़कियों को संभालने मे जुट गया था।
एक घन्टे के बाद वालकाट
ने आकर बताया… सारे आस पास के इलाके को सेनेटाईज कर दिया है। एक हाईलक्स को पुलिस पोस्ट से निकलते ही हमने नष्ट
कर दिया था। दूसरी हाईलक्स को यहाँ पर पहुँचने के बाद नष्ट किया। दस जिहादी मारे गये
है। दो घायल है उन्हें अस्पताल भिजवा दिया है। …एंथनी, रिपोर्ट तो आठ बोगीज की थी।
…वह हाईलक्स की रिपोर्ट थी। मस्जिद मे आने वाले चार जिहादी पहाड़ से उतर कर आये थे।
वह हमारा ब्लाईन्ड स्पाट था जिसके कारण वह मस्जिद के अन्दर पहुँचने मे कामयाब हो गये
थे। अब तुम जा सकते हो लेकिन कल इस मुठभेड़ की रिपोर्ट फाईल कर देना। अब तक दोनो लड़कियाँ
होश मे आ चुकी थी परन्तु अभी भी खड़े होने की किसी मे हिम्मत नहीं थी। वालकाट की मदद
से मैने उन दोनो को सहारा देकर लैंडरोवर मे बिठा कर कहा… एंथनी, तुम यही पूछना चाहते
हो न कि यह दोनो कौन है? वालकाट ने मुस्कुरा कर कहा… तुम बताना नहीं चाहते तो मत बताओ।
…यह मेरी बीवियाँ है। वह मेरा बेटा है। वालकाट ने चकरा कर कहा… तो इन्हें अपने साथ
यहाँ लाने की जरुरत क्या थी? …मौलाना अब्दुल तबलीग और मौलाना कादरी तो प्यादे है। इस
आप्रेशन का संचालन कराँची से जमाल कुरैशी नाम का ड्र्ग माफिया का सरगना कर रहा था।
वह तुम्हारे विरुद्ध काम करने वाली तंजीमो का मुख्य फाईनेन्सर है। अगर हमे जिरगा को
कामयाब करना है तो जमाल कुरैशी को कमजोर करना पड़ेगा। वह मेरी बीवियों को मारकर बाकू
मे उनके शिपिंग और ट्रांस्पोर्ट के कारोबार को हथियाने की फिराक मे है। वालकाट तुरन्त
बोला… इसको रिपोर्ट मे फाईल करने की जरुरत नहीं है। दो दिन के बाद होने वाली मीटिंग
की तैयारी करो। बस इतना बोल कर वह अपनी गाड़ी की ओर चला गया। मैने लैंडरोवर स्टार्ट
की ओर काबुल की दिशा मे चल दिया।
लैंडरोवर चलाते हुए
मेरा दिमाग जमाल कुरैशी मे उलझा हुआ था। कट्टरपंठी तंजीमो मे उसकी बड़ी गहरी पकड़ लग
रही थी। एक ही उद्देश्य के लिये पहले दाईश का मौलाना कादरी और आज तबलीगी जमात का अब्दुल
तबलीग पाकिस्तान से अफगानिस्तान आये थे। उन दोनो गुटों को यहाँ भेजने वाला जमाल कुरैशी
के अलावा और कौन हो सकता था। पता नहीं क्यों मुझे विभिन्न पाकिस्तानी तंजीमो का समीकरण
उचित नहीं लग रहा था। …समीर। आमेना की आवाज ने मेरा ध्यान भंग कर दिया। मैने गरदन घुमा
कर उसकी ओर देखा तो वह रुआंसी आवाज मे बोली… क्या बाकू मे भी हमे इनके जैसे लोगों का
सामना करना पड़ेगा? …यह मै कैसे बता सकता हूँ। मेरा अनुमान है कि वहाँ की स्थिति यहाँ
से ज्यादा खराब होगी क्योंकि वहाँ पर तुम्हें इन लोगो के साथ रुसी माफिया से भी बचना
पड़ेगा। तभी गजल बोली… बाजी, वहाँ पर हमारा सामना सोफिया से भी होगा। वह अब्बू के आफिस
मे काबिज हो गयी है। एक बार फिर से लैंडरोवर मे चुप्पी छा गयी थी। बाकू का जिक्र आते
ही मेरा दिमाग वहाँ की स्थिति और यहाँ के समीकरण का आंकलन करने मे व्यस्त हो गया था।
आफशाँ और अब्बासी
के अनुसार फारुख ने बाकू मे अपना काफी पैसा निवेश किया था। श्रीनिधि ने बताया था कि
पीरजादा का धार्मिक शिक्षा और शुद्धिकरण केन्द्र बाकू मे स्थित था। अब आमेना और गजल
के अनुसार गोल्डन क्रेसेन्ट का ड्रग्स के वितरण केन्द्र जमाल कुरैशी बाकू मे स्थापित
करने की कोशिश कर रहा था। अंजली ने तो मीरवायज परिवार का बाकू से रिश्ते की बात को
सिरे से नकार दिया था। जोरावर का पीछा करते हुए अंजली भी बाकू पहुँच गयी थी। अंजली
के अनुसार जोरावर बाटामालू उसके अब्बा पीरजादा मीरवायज का दाहिना हाथ था। तो भला जोरावर
अपने साथ अदा को लेकर वहाँ क्या करने के लिये गया था? पिछले तीन साल मे बाकू का नाम
मैने अलग-अलग समय पर दुश्मनों के मुख से सुना था। कुरैशी के बारे मे जानकारी इकठ्ठी
करते हुए जब नक्शे का अध्ययन किया तो पता चला कि ऐजरबैजान की राजधानी बाकू व्यापार
की दृष्टि से एक स्ट्रेटिजिक स्थान पर स्थित थी। कैस्पियन सागर के तट पर स्थित बाकू
का बंदरगाह रुस और मध्य-पुर्वी एशिया का एक महत्वपूर्ण सड़क-सागर लिंक बना रहा था। चीन
की सड़क परियोजना का मुख्य क्रासिंग पोइन्ट बाकू बना हुआ था। वहाँ से सड़क चार दिशाओं
मे जाती हुई दिख रही थी। एक उत्तर-दक्षिण सड़क रेगिस्तानी मध्य-पूर्वी एशिया के मुख्य
शहरों को रुस से जोड़ रही थी। दूसरी पूर्वी-पश्चिमी सड़क चीन को युरोप से जोड़ती हुई दिख
रही थी।
लैंडरोवर चलाते हुए
अब मुझे जमाल कुरैशी, आईएसआई और चरमपंथियों के लिये बाकू का महत्व कुछ-कुछ समझ मे आने
लगा था। तंजीमो को हथियार और पैसा चाहिये था। ड्र्ग्स का कारोबार उनके लिये पैसों का
स्त्रोत था। ब्लैक ट्रायेड गैंग के संरक्षण मे ड्रग्स का कारोबार युरोपीय बाजार के
मुख्य शहरों मे फलफूल रहा था। यही सोचते हुए हम दोपहर तक अपने फ्लैट पर पहुँच गये थे।
दोनो के चेहरों पर हवाईयां उड़ी हुई थी। टेक-अवे से खाना मंगा कर भूख शांत कर ली थी।
मै उन्हें वही छोड़ कर अपने कमरे मे आ गया था। बेड पर लेट कर आज की मुठभेड़ के बारे मे
सोचने लगा। इस मुठभेड़ ने वालकाट की कार्यशैली की बहुत सी खामिया उजागर कर दी थी। सीमा
पर होने वाली मीटिंग के संदर्भ अब मुझे दोबारा से सोचने की जरुरत थी क्योंकि इस बार
हम पाकिस्तानी फौजी दस्ते से टकराने की सोच रहे थे। मै अपनी सोच मे डूबा हुआ था कि
गजल मेरे समीप लेटते हुए बोली… आप क्या सोच रहे है? मैने चौंक कर उसकी ओर देखा तो उसकी
आँखों मे अभी भी भय झलक रहा था। मैने धीरे से अपनी बाँह का सहारा देकर उसे अपने सीने
से लगा कर कहा… उनसे डरने की जरुरत नही है। मेरे सीने पर अपना सिर रख कर वह लेट गयी
और मै अपनी उलझनो को सुलझाने मे जुट गया।
बाकू
रात जवान थी। क्रेसेन्ट
नाईट क्लब मे जवानी की बहार छायी हुई थी। डांसिंग फ्लोर पर दुनिया भुला कर नशे मे झूमते
हुए युवक और युवतियाँ पाश्चात्य संगीत की धुन पर थिरक रहे थे। सभी लोग संभ्रान्त और
अमीर परिवार के लग रहे थे। क्लब के एक किनारे मे कुछ लोग ड्रग्स का सेवन कर रहे थे।
अधनंगी पोशाक मे कमसिन हसीन लड़कियाँ शराब और नशे के पदार्थ ग्राहकों को सर्व करने मे
जुटी हुई थी। क्रेसेन्ट कल्ब के पहले तल पर स्थित मैनेजर के कमरे मे तीन आदमी और दो
औरतें बैठ कर क्लब के मैनेजर विक्टर पोपोव से मोल भाव करने मे व्यस्त थे।
एक औरत बोली… फिलहाल
मेरे पास पाँच लड़कियाँ है। खुंखार सा दिखने वाला आदमी बोला… हमे बीस लड़कियाँ चाहिये।
जिस्म से भरी हुई और कद काठी मे मजबूत होनी चाहिये। वही औरत बोली… एक बार उन पाँच को
देख लिजिये। आपका दिल खुश हो जाएगा। विक्टर पोपोव तुरन्त बोला… एक लड़की की क्या कीमत
लगा रहे हो? वह औरत एक पल के लिये चुप हो गयी थी। तभी उसके साथ बैठा हुआ आदमी बोला…
विक्टर, क्या यहाँ पर जिस्मफरोशी का काम डालने की सोच रहे हो? …नहीं। मेरे क्लाईंट
को बीस लड़कियाँ किसी धार्मिक संस्था के काम के लिये चाहिये। दूसरी औरत तुरन्त बोली…
हम कुंवारी लड़कियों का सौदा नहीं करते। विक्टर पोपोव कुछ पल उस औरत को घूरता रहा और
फिर उठ कर खड़ा होकर बोला… डिलिवरी कब तक हो जाएगी? वह औरत बोली… बीस लड़कियों का इंतजाम
करने मे समय लगेगा। एक अन्य आदमी घुर्रा कर बोला… विक्टर हमारे पास इतना समय नहीं है।
प्रशिक्षण शिविर अगले महीने लगने वाला है। इनसे पाँच तो ले लो। तेरे क्लब की कुछ लड़कियाँ
और इन दोनो को मिला इस बार हमारा काम चल जाएगा लेकिन हमारी जरुरत के लिये बीस और लड़कियों
चाहिये। विक्टर घुर्रा कर बोला… बेवकूफ यहाँ काम करने वाली सभी लड़कियों को ब्लैक ट्रायेड
गैंग का संरक्षण प्राप्त है। उन पर हाथ डालने का मतलब सीधे मौत है। वह आदमी उठते हुए
बोला… तुम छोटे दलालों के बजाय ब्लैक ट्रायड गैंग से सीधे बात करना बेहतर होगा। इतना
बोल कर वह खुंखार से दिखने वाले आदमी से बोला… चल गाज़ी, इसके बाप से बात करते है।
विक्टर उठते हुए खुंखार
से दिखने वाले आदमी से बोला… अपने साथ किस पागल लड़की को लाया है? …क्यों क्या हुआ?
…उसे यहाँ से हटाओ। पुलिस ने कभी यहाँ छापा मारा तो क्या बताऊँगा। उसके पास पेपर्स
भी नहीं है। …बेफिक्र रह। उसे जल्दी ही यहाँ से हटा दूँगा। जो काम तुझसे कहा है उस
काम को अंजाम दे। इतना बोल कर वह दोनो चल दिये। विक्टर पोपोव और दलालों का समूह उस
कमरे मे रह गये थे। उनके बाहर जाते ही एक फिर सभी बातों मे उलझ गये थे।
समीर ने कुछ समय के लिए गजल और उसकी बहन आमेना के लिए बला तो टाल दिया मगर अभी कुछ समय से जीतने भी ऑपरेशन का हिस्सा रहा है सब का सुई जाके बाकू में अटक रहा है और उसके खुद के निजी मसला भी बाकू पहुँच चुकी है, और आखरी में कुछ लोगों की जो बात हुई उसमें एक लड़की का जिक्र हुआ है जिसका पेपर नहीं है यै एक ही सूरत है में हो सकती है या तो लड़की अपने मर्जी से दूसरे देश से आके वहाँ रह रही है या फिर वो लड़की अगुआ की गई है। खैर अब यह देखना दिलचस्प होगा की क्या अंजली की मुलाकात समीर से बाकू में होती है या फिर इनका विच्छेद और लंबा चलेगा।
जवाब देंहटाएंशुक्रिया अल्फा भाई। दोनो किरदारों के सामने सबसे बड़ी चुनौती तो सभी तंजीमो के बीच समन्वय बनाने की है। आगे देखिये होता है क्या।
जवाब देंहटाएं