रविवार, 30 अप्रैल 2023

  

गहरी चाल-6

 

अब सारी स्थिति हमारे नियन्त्रण मे थी। बैनर्जी भले ही चुप हो गया था परन्तु उसका चेहरा उसकी बैचेनी को साफ दर्शा रहा था। एक नजर अपनी कलाई पर बंधी हुई घड़ी पर डाल कर मैने जैसी से कहा… कैप्टेन उन लोगो की क्या हालत है? …सर कोई भी हिलने की स्थिति मे नहीं है। …क्या उन सभी को एक कमरे मे बन्द करके हम यहाँ से निकल सकते है? जेसी इस बारे मे कुछ भी बोलने से कतरा रहा था तो मैने तुरन्त कहा… उन सबको एक कमरे मे बन्द करके अपने सभी साथियों यहाँ एकत्रित करो। जेसी तुरन्त अपने पंजो पर घूमा और अपने साथियों को बुलाने के लिये चला गया। …सर, क्या आज युद्ध की तैयारी करके आये है? मैने कोई जवाब देना ठीक नहीं समझा बस बैनर्जी की बात सुन कर धीरे से मुस्कुरा कर कहा… बैनर्जी साहब आगे-आगे देखिये होता है क्या। अगले कुछ पलों में जेसी और उसके पाँच साथी मेरे सामने खड़े हुए थे। …जेसी अपने एक सैनिक को उस कमरे के दरवाजे पर पोजीशन लेकर तैनात कर दो। अगर उनमे से कोई बाहर निकलने की कोशिश करेगा तो उसे तुरन्त शूट कर देना। जेसी ने तुरन्त कहा… पंडित जी फौरन उस दरवाजे पर तैनात हो जाओ। अगर कोई बाहर निकलने की कोशिश करे तो शूट टु किल। कोई शक। पंडित नाम का सैनिक फौरन अपनी एके-203 सीने से लगा कर वापिस उस कमरे की दिशा मे चला गया था।

जेसी और चार सैनिक मेरे सामने खड़े थे। बैनर्जी को मिला कर अब हम सात लोग थे। हम सभी जीप मे बैठ कर पहले गोदाम की ओर चल दिये थे। अंधेरा गहरा हो गया था। सड़क सूनी हो गयी थी। वैसे भी बेग के काले धंधे के कारण हसनाबाद का यह हिस्सा स्थानीय लोगों के लिये प्रतिबंधित क्षेत्र था। मेरा ध्यान अब उसके गोदाम पर केन्द्रित था। जमाल ने बताया था कि उस गोदाम पर तैनात सभी लोगों को बैग ने आज दोपहर को अपनी हवेली पर तैनात किया था। इसका मतलब तो फिलहाल वहाँ पर हमे कोई रोकने वाला नहीं था। मै कोई रिस्क उठाना नहीं चाहता था। सड़क का मोड़ काटते ही वह दो मंजिला गोदाम हमारे सामने आ गया था। मेरे एक इशारे पर अगले ही क्षण गोदाम की दीवार के किनारे जीप रुकते ही जेसी और उसके साथी जीप से उतर कर अंधेरे मे उस गोदाम के मुख्य द्वार की ओर बढ़ गये थे। मै और बैनर्जी उनके पीछे हो लिये थे। मुख्य द्वार पर बड़ा सा पीतल का ताला पड़ा हुआ था। जेसी ने मेरी ओर देखा तो मैने जल्दी से कहा… कैप्टेन दस फीट से कम उँचाई की दीवार है। तुम्हारे दो साथियों को लेकर मै अन्दर स्काउट पार्टी बन कर जा रहा हूँ। अपनी टू-वे डिवाईस मुझे दो। हमारे इशारे पर ही ताला तोड़ने की कोशिश करना उससे पहले तुम्हारी ओर से कोई कार्यवाही नहीं होनी चाहिये। …जी सर। इतना बोल कर उसने एक सेट टू-वे डिवाईस मेरी ओर बढ़ा दिया था। मैने जल्दी से इयरफोन को कान पर लगाया और माईक की दूरी को सेट करते हुए बोला… ब्रावो, चार्ली। रेडी टु मूव? मेरे कान मे फौरन आवाज गूंजनी आरांभ हो गयी… आल क्लीयर। लाउड एन्ड क्लीयर। आल सेट टु गो।

दो सैनिक दौड़ कर दीवार के साथ एक दूसरे का हाथ पकड़ कर खड़े हो गये थे। जेसी ने थम्ब्स अप का इशारा किया और चार कदम भाग कर मै उनके हाथों के जोड़ पर हवा मे छलांग लगायी और मेरा कदम उस जोड़ पर पड़ते ही दोनो सैनिकों ने मुझे हवा मे उछाल दिया। दीवार का सिरा सामने आते ही मै उसको पकड़ कर हवा मे लटक गया और अपने जिस्म को हवा मे लहरा कर दीवार के दूसरी ओर लटक गया था। जब तक मै नीचे जमीन पर उतरा तब तक मेरे दो साथी भी अन्दर के अहाते मे पहुँच गये थे। घना अंधेरा व्याप्त था। मैने माईक पर जल्दी से कहा… बरामदा आल क्लीयर। हम इमारत के अन्दर जा रहे है। …गुड लक। डेल्टा फार्मेशन बना कर हम तीनो इमारत मे प्रवेश कर गये थे। मेरे हाथ मे पकड़ी हुई ग्लाक का सेफ्टी लाक हट गया था। दबे पाँव फूंक-फूंक कर कदम बढ़ाते हुए एक दरवाजे के सामने पहुँच गया था। पीछे से कवर करते हुए दो सैनिक पाँच कदम पीछे मेरे दाँये और बाँये चल रहे थे। मेरा सारा ध्यान सामने की ओर लगा हुआ था। दरवाजे के सामने पहुँच कर मैने हवा मे हाथ उठा कर रुकने का इशारा किया और फिर बन्द दरवाजे धीरे से अन्दर की ओर धकेला तो दरवाजा खुलता चला गया था।

कमरे मे घुप अंधेरा देख कर एक पल के आगे बढ़ने से झिझका लेकिन तभी हल्की सी खटकने की आवाज मेरे कान मे पड़ी तो दरवाजे से सामने से हटने के लिये मैने पूरे वेग से अन्दर छलांग लगा दी थी। एकाएक सारा कमरा बिजली की रौशनी से रौशन हो गया था। उसी के साथ एक दिशा से एके-47 का फायर दरवाजे की दिशा मे हुआ। मै कुछ पल हवा मे स्थिर हो गया था। अगला फायर होता तब तक मै धरती पर गिर कर अपने जिस्म को सिकोड़ कर रोल करते हुए एक लकड़ी की पेटी के आढ़ मे चला गया था। इस बार मै बाल-बाल बचा था। अपने आपको सुरक्षित करके मै जोर से चिल्लाया… हाल्ट। अपने दोनो साथियों और जेसी को तुरन्त खतरे से आगाह करके अपने उपर फायरिंग करने वाले हमलावरों पर ध्यान केन्द्रित किया। उन लकड़ियों की पेटियों की आढ़ से फायरिंग की दिशा मे नजर डाली तो मुझे दो परछाँईयाँ दीवार पर बनी हुई दिखायी दी …दो हमलावर है। मेरा अनुमान है कि एक हमलावर एके-47 से लैस है। मेरी बात अपने साथियों तक पहुँचाने के पश्चात अब उनको न्युट्रिलाइज करने की जिम्मेदारी स्काउटिंग पार्टी की थी। हमलावरों के स्थान का दिशाज्ञान करके मैने अपनी जगह बदलते हुए एक दिशा मे अनुमान से एक के बाद एक तीन फायर करके पेटियों के दूसरी ओर चला गया था। एक दर्दभरी चीख सुन कर बुदबुदाया… वन डाउन एन्ड वन टु गो। काउन्टडाउन मेरे दिमाग मे स्वत: आरंभ हो गया था।

अपनी स्थिति का जायजा लेने के बाद मैने माइक पर पहला निर्देश दिया… ब्रावो बाँये फ्लैंक पर फायर करके चार्ली को कमरे मे प्रवेश करने के लिये कवर दो। मेरे कान मे दो आवाजें एक साथ पड़ी… यस सर। अगले ही पल दरवाजे की ओर से एके-203 ने एक दिशा मे फायर किया और उसी फायरिंग का लाभ उठा कर दाँयी ओर से मेरा एक साथी कमरे मे प्रवेश कर चुका था। अबकी बार कमरे से किसी ने जवाबी फायर नहीं किया था। …चार्ली मुझे कवर करो। इतना बोल कर मै पेटी की आढ़ से निकल कर अपनी ग्लाक ताने उस दीवार की दिशा मे बढ़ा जिसको ब्रावो की फायरिंग ने उधेड़ कर रख दिया था। दो लड़के लहुलुहान हालत मे पेटियों के पीछे पड़े हुए थे। …टू बोगीज इन्जर्ड। रुम क्लीयर। अगले कुछ पलों के बाद सभी लोग उस कमरे मे पहुँच गये थे। जेसी को देखते ही मैने कहा… पूरे मकान को चेक करके सेनेटाइज करवाओ। तब तक मै इस कमरे मे रखी पेटियों की जाँच कर रहा हूँ। बेग के घर से निकल कर हमे पूरे आप्रेशन मे मुश्किल से बीस मिनट लगे थे।

पहली पेटी खोलते ही समझ मे आ गया था कि यहाँ से ड्रग्स का व्यापार चल रहा था। उसकी कनसाईनमेन्ट पेटियाँ सलीके से एक किनारे मे रखी हुई थी। मै अभी दूसरी पेटी खोलने की कोशिश कर रहा था कि तभी बैनर्जी की आवाज मेरे कान मे पड़ी… सर, जरा यह भी देख लिजिये। मै उसकी ओर चला गया था। यह भी लकड़ी की पेटी थी परन्तु लम्बाई के अनुपात मे चौड़ाई बहुत कम थी। बैनर्जी ने एक टूटी हुई लकड़ी की खपच्ची को उखाड़ कर जगह बना दी थी। एके-47 की नाल खाली हिस्से से बाहर झांक रही थी। …साहब, यह तो हथियारों का व्यापारी लग रहा है। …बैनर्जी साहब, यह ड्रग्स का व्यापारी भी है। हरेक पेटी खोल कर देखनी पड़ेगी। इतना बोल कर हमने हरेक पेटी खोलना आरंभ कर दिया था। एक घंटे के अथक प्रयास के पश्चात दो मंजिला इमारत के हर कमरे और हर पेटी का निरीक्षण करके हम सातों एक कमरे मे एकत्रित हो गये थे। हथियारोँ और ड्रग्स के जखीरे के साथ हमे और भी बहुत सी विस्फोटक सामग्री मिली थी।

सबसे पहले मैने सभी खुली हुई पेटियों मे रखे हुए सामान की अपने फोन कैमरे से फोटो निकाल ली थी। यही निर्देश मैने जेसी को भी दे दिये थे। कैप्टेन जेसी ने कुछ छपे हुए पैम्फलेट दिखा कर कहा… सर, पहली मंजिल पर दंगा भड़काने का ऐसा बहुत सा सामान एक कमरे मे रखा हुआ है। एक कमरे मे रुपयों से भरी हुई पेटियाँ भी मिली है। …कैप्टेन, वह सब जाली करेन्सी के नोट है। यह बोल कर मैने एक पैम्फ्लेट को देखा तो एक पल के लिये मै स्तब्ध रह गया था। लाशों के चित्र मे भगवा झंडा दर्शा कर नीचे काफिरों के विरुद्ध जिहाद छेड़ने का आह्वान दिया गया था। दूसरा पैम्फ्लेट लव जिहाद के बारे मे था। काफ़िर लड़कियों को जहन्नुम की आग से बचाने के लिये मोमिन युवकों को उनके धर्म परिवर्तन के लिये उकसाया गया था। …केप्टेन सभी पैम्फ्लेट्स की एक-एक प्रति इकठ्ठी करके एक फाइल बनाने की जिम्मेदारी किसी पर डाल कर इनके ही सेम्टेक्स को पूरे मकान मे लगवा दो। टाइमर, फ्युज और ग्रेनेड्स मुझे दे दो। कुछ देर के बाद ग्रेनेड्स के चार बाक्स, एक टाईमर का बाक्स और फ्युज वायर का गुच्छा मेरे सामने रखवा कर जेसी अपने साथियों को लेकर सेम्टेक्स की छ्ड़े लगाने के लिये कमरे से बाहर निकल गया था।

एक बार फिर से मै अपने स्पेशल फोर्सेज के भुमिका मे आ गया था। मेरे हाथ बिजली की तेजी से ग्रेनेड के पिन निकाल कर सीरीज मे ग्रेनेड जोड़ते चले जा रहे थे। पाँच ग्रेनेड की एक लड़ी को फ्युज के साथ जोड़ कर टाईमर को फिट करके ब्लास्ट के लिये तैयार कर दिया था। ऐसी दस लड़ियाँ तैयार करके दस कमरों मे फैले हुए सेम्टेक्स की छड़ों के साथ जोड़ कर मैने एक भारी भरकम विस्फोट का इंतजाम कर दिया था। जेसी की टीम भी विस्फोटकों के मामले मे काफी निपुण साबित हुई थी। सारा काम समाप्त करने मे दो घंटे और लग गये थे। गोदाम मे विस्फोट को सुबह के चार बजे के समय पर सेट किया था। …जेसी अपने एक्स्प्लोसिव्स एक्स्पर्ट से हरेक कनेक्शन डबल चेक करवा लो तब तक एक सैनिक को बेग के घर पर भेज दो। बैनर्जी तो शायद किसी और ही दुनिया मे पहुँच गया था। उसे समझ मे नहीं आ रहा था कि आखिर यह सब क्या हो रहा था। वह पुलिस का आदमी था और उसकी नजर मे यह सब काम गैर कानूनी था। फौज की कार्यवाही को देख कर वह पहले से ही अचंभित था परन्तु अब तो वह अपने आपको किसी और ही दुनिया मे महसूस कर रहा था।

सारे कनेक्शन चेक हो गये थे। मकान का कोई भी हिस्सा विस्फोटक सामग्री से अछूता नही रहा था। एक नजर सभी कमरो मे डाल कर मै जब उस इमारत से बाहर निकला तब तक रात के दस बज चुके थे। …सर उन दोनो घायलों का क्या करना है? …बैनर्जी, आप चाहे तो उन्हें खुद बचा लिजिये अन्यथा आप चाहे तो अपना भार कम करने हेतु उन्हें गोली मार दिजिये। हमारे लिये वह दुश्मन है जो मर चुके है। अगर अभी नहीं मरे है तो सुबह चार बजे मारे जाएँगें। बैनर्जी मुँह फाड़े कुछ पल मुझे देखता रह गया था। …आप हमारे साथ चल रहे है या कहीं और जाने की सोच रहे है। बैनर्जी जल्दी से बोला… साहब, मै आपके साथ चल रहा हूँ। इतना बोल कर वह जल्दी से जीप मे चढ़ गया। मेरे जीप मे बैठते ही हमारी सवारी खेत के गोदाम की ओर निकल गयी थी। …जेसी, मै और बैनर्जी वह गोदाम दिखा कर वापिस बेग की कोठी पर पहुँच जाएँगें। मेरी कार्यशैली तुम देख चुके हो। बस वैसे ही इस गोदाम को आज रात जमीन्दोज करना है। यहाँ का सारा काम समाप्त करके तुम अपनी दोनो टीम के पास चले जाना और सुबह चार बजे तक तुम हमे उसी हाईवे की क्रासिंग पर मिलना। याद रहे कि नो सर्वाईवर्स वान्टेड। जस्ट शूट टु किल। अपना एक भी साथी घायल नहीं होना चाहिये। वहाँ पर एके-203 का इस्तेमाल मत करना। बेग के गोदाम से उठाई एके-47 को इस गोदाम पर इस्तेमाल करना। …निश्चिन्त रहे सर। ऐसा ही होगा। खेत के गोदाम को दिखा कर हम दोनो पैदल बेग के मकान की दिशा मे चल दिये थे।             

पैदल चलते हुए मै कुछ बोलता उससे पहले बैनर्जी ने कहा… सर, आपकी कार्यशैली देख कर पहली बार मुझे अपनी इतने साल की नौकरी पर शर्म आ रही है। सच पूछिये अब सोचता हूँ तो अगर मैने थोड़ी हिम्मत दिखायी होती तो बेग इतना बड़ा नासूर नहीं बन पाता। …बैनर्जी, बेग जैसे लोग हमारे देश को दीमक की तरह चाट रहे है। मुश्किल घड़ी मे कठिन निर्णय लेने पड़ते है। …सर, बेग जैसे नेता इस राज्य के हर जिले मे मौजूद है। बेग के संरक्षण मे आये हुए शरणार्थियों के जाली राशनकार्ड व वोटर कार्ड  यहीं के तहसीलदार और पटवारी बनाते है। इस काम के एवज मे बेग उनको पैसे और एयाशी के लिये शर्णार्थी लड़कियों को उपलब्ध करवाता है। एक बार अधिकारी उसके जाल मे फँस गये तो शर्णार्थियों के पहचान पत्र आसानी से तैयार हो जाते है। उसके बाद बेग उनको किसी और राज्य मे भेज देता है। हमे यह भी पता चला है कि दूसरे राज्यों के मुफ्ती और मौलाना भी बेग जैसे लोगों को बताते है कि उसके यहाँ ठहरे हुए शरणार्थियों को कहाँ बसाना है। यह सिलसिला कुछ सालों मे काफी जोर पकड़ गया है। कुछ सोच कर मैने पूछा… यहाँ पर बेग को चुनौती देने वाला कोई दूसरा गुट भी होगा? …साहब, इसके विरुद्ध यहाँ पर शिया फिरके का बरेलवी गुट है। इस जिले मे सुन्नी फिरके का दबदबा होने के कारण वह शिया फिरके पर भारी पड़ता है। उसकी बात सुन कर मेरे दिमाग मे एक विचार आ गया था।

अंधेरा गहरा हो गया था। हम बेग के मकान पर पहुँच गये थे। सब कुछ शांत दिख रहा था। लोहे का गेट खोल कर जैसे ही हम आगे बढ़े तभी पंडित नाम का सैनिक हाथ मे एके-203 ताने सामने खड़ा हो गया था। …पंडितजी अन्दर का क्या हाल है? …जनाब, सब शांत है। वह सब कमरे मे बन्द है। कुछ सोच कर मैने पूछा… बैनर्जी, अगर आज शिया गुट को पता चल गया कि बेग और उसके निहत्थे गुन्डे एक कमरे मे बन्द है तो वह उनके साथ क्या करेंगें? …यह भी कोई पूछने की बात है साहब, इस मौके को वह अपने हाथ से जाने नहीं देंगें और तुरन्त इन सब का सफाया करके इस इलाके मे अपना वर्चस्व स्थापित कर लेंगें। …बैनर्जी, अच्छा तो फिर यही होगा कि इन दोनो के बीच खिंची हुई दरार को खायी मे बदल दिया जाये। क्या तुम शिया गुट के किसी आदमी के पास इसकी खबर कर सकते हो? एक बार बैनर्जी ने मेरी ओर अविश्वास भरी नजरों से देखा और फिर मुस्कुरा कर बोला… इसकी खबर तो मै बड़ी आसानी से कर सकता हूँ। …ठीक है, तुम इसकी सूचना दे दो और मै अपने काम पर लग जाता हूँ। बैनर्जी एक किनारे मे चला गया और किसी से फोन से बात करने लगा और मै अपनी नयी रणनीति तैयार करने मे लग गया था।

हम बेग की कोठी से बाहर निकल कर एक दीवार की आढ़ मे बैठ गये थे। मेरे साथ स्पेशल फोर्सेज एक कमांडो और आईबी का चंद्रजीत बैनर्जी रह गये थे। बेग के सुरक्षाकर्मियों की स्वचालित एक-47 हमने अपने कब्जे मे कर ली थी। एक घंटे के अन्तराल से बेग की कोठी से कुछ दूरी पर अंधेरे मे करीब दर्जन से ज्यादा साये इकठ्ठे होते हुए दिखे तो हम सभी सावधान हो गये थे। वह समूह दबे पाँव बेग की कोठी की ओर बढ़ रहा था। अचानक बैनर्जी ने दबी आवाज मे किसी को पहचानते हुए मुझसे बोला… बेग के लिये तो खुद रिजवी आया है। …रिजवी कौन है? …सर, हसनाबाद मे शिया फिरके का मुखिया है। मैने उसी को खबर दी थी। …चलो अच्छा हुआ। हम दबे स्वर मे बातचीत कर रहे थे और रिजवी और उसके लोग हमारी ओर बढ़ रहे थे। लोहे के गेट के सामने पहुँच कर वह कुछ क्षणों के लिये रुक गये थे। …क्या हुआ? रात के सन्नाटे मे एक आवाज गूँजी… चलो आगे बढ़ो। सावधानीवश धीरे-धीरे वह सभी लोग कोठी के अहाते मे प्रवेश कर गये थे। अब वह सब हमारे निशाने पर थे परन्तु अभी उन्हें हमारे एक काम को अंजाम देना था। हम दूर से चुपचाप उनकी गतिविधियों पर नजर रखे हुए थे।

रिजवी नाम के व्यक्ति ने जैसे ही अपने साथियों को इशारा किया तो उस भीड़ मे खलबली मच गयी थी। उसके आदमियों ने तेजी से कमरों की तलाशी लेना आरंभ कर दिया। किसी की आवाज ने रात की शांति को भंग किया… भाईजान वह सब यहाँ है। साले चूहे की तरह दुबक कर बैठे हुए है। सारे लोग तुरन्त उस दिशा की ओर बढ़ गये थे। कुछ देर के बाद कोठी के अंदरुनी भाग मे इंसानी शोर के साथ चीखने की आवाज गूंजने लगी और एकाएक फिर गोलियाँ चलने की आवाज हमारे कानों मे पड़ी तो मै समझ गया कि बेग की कहानी का अंत हो गया था। हम अंतिम मुठभेड़ के लिये तैयार हो गये थे। कुछ देर के बाद अपनी जीत के दंभ मे रिजवी और उसके साथी ठहाके लगाते हुए जैसे ही कोठी के अहाते मे पहुँचे तभी बैनर्जी बांग्ला भाषा मे जोर से चीखा… रुक जाओ। अपने हथियार जमीन पर रख कर एक किनारे मे खड़े हो जाओ। वह सभी चौंक कर ठिठक कर वहीं रुक गये थे। बैनर्जी ने एक बार फिर से अपनी बात दोहरायी परन्तु इस वक्त उनकी मनोस्थिति ऐसी थी कि सब कुछ कर गुजरने के लिये तैयार थे। उनमे से किसी ने एकाएक अंधेरे मे फायर कर दिया।

…फायर। मै जोर से चीखा और मेरे साथ खड़े हुए पंडित ने  बेग की एक-47 से सधी हुई फायरिंग आरंभ कर दी थी। अगले ही क्षण कटे हुए वृक्ष कि भांति सभी जो अब तक जश्न मना रहे थे वह एक-एक करके जमीन पर गिरते चले गये थे। उस सधी हुई फायरिंग से बचने की स्थिति मे कोई भी नहीं था। रिजवी को तो पता ही नहीं चल पाया था कि वहाँ अचानक क्या हुआ था। मैने फायरिंग रोकने का इशारा किया और दीवार को फांद कर अहाते मे चला गया। मेरे पीछे-पीछे दोनो दीवार के पीछे से निकल कर अहाते मे आ गये थे। मेरा इशारा पाते ही मैने उन्हें कवर कर लिया और दूसरा सैनिक मृत लोगो को देखने मे व्यस्त हो गया था। अहाते को अपने नियंत्रण मे लेने के थोड़ी देर के बाद उसने बताया कि इस मुठभेड़ मे कोई भी नहीं बच पाया था। एक नजर सभी पर डाल कर मै उस कमरे की ओर चला गया जहाँ बेग और उसके साथियों को हमने बन्द किया था। वहाँ पर भी कोई जिवित नहीं बचा था। मैने अपने सैनिकों से कहा… इनकी एक-47 यहाँ पर डाल कर फौरन निकलो। एक बार उस कोठी पर एक नजर डाल कर मै बाहर निकल आया था। एक ही रात मे हसनाबाद के विघटनकारी साम्राज्य का सफाया हो गया था।

बैनर्जी ने चलते हुए कहा… सर, एक ही रात मे आपने यहाँ का सारा जिहादी नेटवर्क तबाह कर दिया है। दूसरी जगहों पर भी क्या आप यही करने की सोच रहे है? …फिलहाल तो नहीं। एक बार इस घटना का राज्य सरकार पर क्या असर होता है उसको देख कर ही आगे की रणनीति तैयार करेंगें। …सर, एक ही कार्यवाही से यहाँ की विधान सभा मे भूचाल आ जाएगा। सत्तापक्ष इस घटना का सारा दोष विपक्ष पर थोपेंगें और विपक्ष सड़क पर उतर कर सत्तापक्ष के विरोध मे आन्दोलन छेड़ देगा। आने वाले कुछ दिन इस राज्य मे बेहद मुश्किल होंगें। बैनर्जी कुछ और बोलता इससे पहले मैने कहा… चलो आप तीनो हाईवे की ओर निकल जाओ और मै कुछ देर मे वहीं पहुँच रहा हूँ। इतना बोल कर मै होटल की ओर निकल गया था। जब तक मै कमरे मे पहुँचा तब तक चांदनी शांत हो चुकी थी। मुझे देखते ही झपट कर मुझसे लिपटते हुए बोली… आज अगर तुम समय पर नहीं आते तो न जाने क्या होता। उसको अनसुना करके मैने एक नजर घड़ी पर डाली तो तीन बजने मे अभी कुछ मिनट शेष थे। अब हमारे पास ज्यादा समय नहीं था। उसे अपने से अलग करते हुए मैने कहा… चांदनी, अब यहाँ पर रुकना खतरे से खाली नहीं है। जल्दी से अपना सामान उठाओ और यहाँ से चलो। यह बोल कर मैने जल्दी से अपना सामान बैग मे भरा और चलने के लिये तैयार हो गया था।

सारा होटल सन्नाटे मे डूबा हुआ था। वैसे भी ऐसा टाइम था कि जब सभी गहरी नींद मे डूबे हुए थे। …हम चोरों की तरह यहाँ से क्यों भाग रहे है? …चाँदनी, क्या बेग आराम से हमे यहाँ से जाने देगा? मेरा सवाल सुन कर वह चुप हो गयी थी। कुछ ही देर मे हम दोनो दबे पाँव होटल के बाहर निकल आये थे। होटल छोड़ने से पहले मुझे एक काम और करना था। चाँदनी को होटल के बाहर एक पेड़ के पास खड़ा करके जैसे ही मै वापिस जाने के लिये मुड़ा उसने मेरा हाथ पकड़ कर रोकते हुए पूछा… अब कहाँ जा रहे हो? …हमारी उपस्थिति के निशान मिटाने के लिये जाना जरुरी है। बेग अब हम दोनो को यहाँ से जिन्दा वापिस जाने नहीं दे सकता। मेरी बात सुन कर एक पल के लिये वह स्तब्ध रह गयी थी। उसे वहीं छोड़ कर मै रिसेप्शन की ओर चला गया था। कमरे मे चाय और खाना पहुँचाने वाला वेटर रिसेप्शन के एक किनारे मे जमीन पर चादर ताने सो रहा था। मै दबे पाँव रिसेप्शन काउन्टर पर पहुँच गया। मैने जल्दी से काउन्टर की दराज खोल कर विजिटर फाइल निकाल कर उसमे से चांदनी का आईकार्ड और अपना वोटर कार्ड की फोटोकापी के कागज निकाल कर अपनी जेब के हवाले किया और फिर रिसेप्शन काउन्टर पर रखे हुए होटल के रजिस्टर को लेकर मै चांदनी के पास पहुँच कर बोला… आओ चलें। 

थोड़ी देर के बाद हम हाईवे पर बैनर्जी और दो सैनिकों के साथ जेसी की टीम का इंतजार कर रहे थे। मैने होटल का रजिस्टर और फोटोकापी को सड़क के किनारे आग जला कर उसमे स्वाहा किया लेकिन इस बार चांदनी ने मुझसे कोई प्रश्न नहीं किया। शायद उसने भी बेग से हमेशा के लिये अपना पीछा छुड़ाने के लिये हालात से समझौता कर लिया था। ठीक चार बजे बहुत दूर से एक दबे हुए विस्फोट की आवाज हमारे कान मे पड़ी और उसके बाद तो ऐसा प्रतीत हुआ कि जैसे दूर कही दीवाली की आतिशबाजी आरंभ हो गयी थी। चाँदनी चुपचाप एक किनारे मे बैठी हुई अपनी सोच मे डूबी हुई थी जब विस्फोट की आवाज आयी थी। उसने चौंक कर मेरी ओर देखा तो मैने जल्दी से कहा… घुसपैठियों के विरुद्ध आर्मी का एक्शन आरंभ हो गया है। एक बार फिर से वह अपनी सोच मे डूब गयी थी। मै मन ही मन सोच रहा था कि क्या यह अपना मुँह बन्द रख सकेगी? एक बार फिर से अपने पदचिन्हों की छाप को अपने दिमाग मे ट्रेस करते हुए मै सोच रहा था कि क्या अभी भी कोई ऐसा सुराग मैने गलती से वहाँ पर छोड़ा था जिसके कारण कोई जाँच एजेन्सी हम तक पहुँच सके। फौज को छोड़ कर इस कार्यवाही के बस तीन लोग गवाह थे। बैनर्जी को छोड़ कर बाकी सभी को सिर्फ आधी-अधूरी जानकारी थी।    

हाईवे पर जेसी की जीप और उसके पीछे तीन ट्रक रात का अंधियारा छँटने के कुछ देर बाद पहुँचे थे। आसमान पर लालिमा छाने लगी थी। एक ही समय पर रेड डालने से जेसी की टीम ने कमाल कर दिया था। लगभग 120 बांग्लादेशी और रोहिंग्या शरणार्थियों को पकड़ लिया था। उन्होंने सभी को सीमा सुरक्षा बल के दो ट्रकों मे भर दिया था। फौज के ट्रक मे तस्करी का जब्त सामान रख दिया था। ड्राईवर के साथ हर ट्रक मे दो तस्कर रस्सियों मे जकड़े हुए एक किनारे मे बैठे हुए थे। …जेसी तुम्हारी एक टीम कहाँ है? …सर, वह सीमा सुरक्षा दल के साथ पीछे आ रहे है। वह इस सेक्टर के सभी सिपाहियों और अधिकारी को सीमा सुरक्षा बल के कमांडेन्ट के हवाले करके वापिस आएँगें। …यह अच्छा किया तुमने क्योंकि अब जिसको भी इस सेक्टर मे तैनात किया जाएगा वह ऐसी गलती दोबारा नहीं करेगा। …सर, इन शरणार्थियों का क्या करना है? …अभी के लिये इन्हें कलकत्ता लेकर चलना है। वहाँ पर जनरल बक्शी से बात करके सोचेंगें कि इनका क्या करना है। …उस गोदाम का क्या हुआ? …सर, उन्हीं के बारुद से उस गोदाम को भी ध्वस्त कर दिया है। वहाँ आठ कैज्युलटी हुई है। नो ट्रेसेज लेफ्ट बिहाईन्ड। …गुड। एक घन्टे के बाद सीमा सुरक्षा दल का ट्रक हमारे सामने आकर रुका और उसमे से जेसी की एक टीम के साथ एक व्यक्ति उतर कर हमारे पास पहुँच कर बोला… सर, मै कमान्डेन्ट अवतार सिंह गिल हूँ। सबको हिरासत मे लेकर उनके खिलाफ हमने कार्यवाही आरंभ कर दी है। फिलहाल हमने अपनी दूसरी युनिट के कुछ लोगों को इस सेक्टर की सुरक्षा पर लगा दिया है। जेसी ने मेरी ओर देखा तो मैने जल्दी से कहा… कमांडेन्ट गिल, हर व्यक्ति की जाँच की रिपोर्ट अगले सात दिन मे कलकत्ता पहुँच जानी चाहिए। अब आप जा सकते है। वह तेजी से मुड़ा और अपना ट्रक लेकर वापिस चला गया था।

जेसी की टीम उसके साथ जीप मे बैठ गयी थी। बैनर्जी, रामबीर और मंजूर इलाही मेरे अगले निर्देश का इंतजार कर रहे थे। मैने कुछ नोट जेब से निकाल कर रामबीर को देते हुए कहा… इन पैसों को लेकर तुम कुछ दिनों के लिये यहीं से अपने गाँव चले जाओ क्योंकि अभी यह जगह किसी के लिये भी सुरक्षित नहीं है। बैनर्जी और मंजूर इलाही तुम दोनो मेरे साथ कलकत्ता चल रहे हो। बैनर्जी ने तुरन्त कहा… सर, रामबीर को भी कलकत्ता लेकर चलते है। वह वहीं से अपने गाँव निकल जाएगा। यहाँ पर कुछ दिन के लिये कर्फ्यु लग जायेगा तब इसका यहाँ से निकलना मुश्किल हो जाएगा। मैने सहमति मे अपनी गरदन हिला दी थी। जेसी ने पूछा… सर, अब आगे क्या करना है? …कुछ नहीं, बस हम सभी को जल्दी से जल्दी पूर्वी कमान के कैन्टोनमेन्ट पहुँचना है। यह बोल कर मैने चांदनी को सहारा देकर उस ट्रक मे बैठा दिया जिसमे तस्करी का सामान रखा हुआ था। उसके पीछे-पीछे वह तीनो भी ट्रक मे चढ़ गये थे। मैने जेसी को चलने का इशारा किया और अगले ही पल हमारा काफिला कलकत्ता की ओर रवाना हो गया था। थकान से मेरा जिस्म टूट रहा था। ट्रक मे रखे हुए समान का सहारा लेकर मै आँख मूंद कर बैठ गया था।    

रास्ते मे चांदनी ने पूछा… हम इन लोगों के साथ कहाँ जा रहे है। हमे तो बशीरघाट जाना है। मैने उसकी कमर मे हाथ डाल कर अपने पास खींचते हुए कहा… जेसी की टीम यहाँ पर घुसपैठिये पकड़ने के लिये आयी थी। वह वापिस कलकत्ता जा रहे थे तो मैने उनसे लिफ्ट मांग ली है। …हमे वापिस जाने की क्या जरुरत है। क्या हम आगे नहीं जाना है? …कल दोपहर को जो तुम्हारे साथ हुआ है क्या उसके बाद भी तुम ऐसे लोगो से अब भी मिलना चाहोगी? मेरी बात सुन कर वह चुप हो गयी थी। मैने धीरे से कहा… चाँदनी, यह अनुभव तुम्हारे लिये एक शिक्षा है। वामपंथी विचारधारा मे कोई खराबी नहीं है परन्तु जिहादी और विघटनकारी मानसिकता मे दोष है। फौज से भी कुछ ज्यादती हो जाती है परन्तु उसके लिये उन्हें कानूनी रुप से सजा दी जाती है। जैसे कि सीमा सुरक्षा दल अब उन सिपाहियों के विरुद्ध कड़ा एक्शन लेगी जो बेग के लिये काम करते थे। बेग और तपन बिस्वास जैसे लोग तुम जैसे लोगों को आगे करके अपना उल्लू सीधा करते है। तुम्हीं बताओ कि क्या तुम उनके जैसे मुनाफिकों के हाथ मे खिलौना बनना चाहती हो? अब यह तुम्हें निर्णय लेना है कि क्या अलगावादी और विघटनकारी बन कर भारतीय फौज से टकराना है या अपनी कौम की बेहतरी के लिये कुछ पुख्ता करना है। वह मेरी बात चुपचाप सुनती रही और फिर मेरे कंधे पर सिर रख कर बोली… इस बात का जिक्र किसी से मत करना। …कौनसी? उसने घूर कर मेरी ओर देखा तो मैने मुस्कुरा कर कहा… बेग ने जो कुछ तुम्हारे साथ करने की कोशिश की थी उसकी सजा मैने उसको दे दी है। इसीलिये तो हमे यहाँ से भागना पड़ रहा है। उसने मेरी ओर देखा तो मैने धीरे से अपनी गरदन हिलाते हुए कहा… उसे दोजख पहुँचा कर आ रहा हूँ। वह एक पल के लिये सकते मे आ गयी थी। रामबीर, बैनर्जी और मंजूर के सामने उसने जल्दी से अपने आपको संभाला और मेरे कन्धे पर सिर टिका कर बैठ गयी थी।

दोपहर तक हमारा काफिला कलकत्ता मे प्रवेश कर गया था। सड़क की बुरी हालत होने के कारण जिस्म की सभी हड्डियाँ हिल गयी थी। कलकत्ता मे प्रवेश करते ही बैनर्जी ने कहा… लगता है कि हसनाबाद का असर यहाँ हो गया है। …कैसे पता? …सर, सड़कें सूनी पड़ी हुई है अन्यथा इस वक्त तो काफी ट्रेफिक होता है। …बैनर्जी, रेलवे स्टेशन के पास पहुँच कर बता देना तो ट्रक रुकवा कर रामबीर को उतार देंगें। आधे घंटे के बाद रामबीर को रेलवे स्टेशन के पास उतार कर हम कैन्टोनमेन्ट की दिशा मे जा रहे थे। मै मन ही मन सोच रहा था कि विघटनकारी ताकतों पर एक ही वार से अगर राज्य मे भूचाल आ गया तो फिर आगे की कार्यवाही के लिये दिल्ली मे बैठी हुई तिगड़ी मुझ पर रोक लगा देगी।

शाम को मै अपना जवाब तैयार करने मे जुट गया था। वैसे भी हसनाबाद आप्रेशन मेरा सोचा समझा एक्शन नहीं था। हालात के अनुसार मैने काउन्टर आफेन्सिव की कार्यवाही की थी। अब अगर किसी कारण राज्य सरकार की जाँच की आँच मुझ तक पहुँच गयी तो उस स्थिति में वह तीनों भी मुश्किल मे आ जाएँगें।

 

   

मुजफराबाद

…मालिक, खबर की पुष्टि हो गयी है कि तबस्सुम की लाश मिल गयी है। पता चला है कि वह सीमा पार करके अपने अब्बू से मिलने गयी थी। फारुख ने उसका कत्ल करके उसकी लाश को वही कुपवाड़ा के जंगल मे दफना दिया है। पीरजादा मीरवायज के चेहरे पर चिंता की लकीरें उभरी और अगले ही पल गायब हो गयी थी। अपनी सफेद दाड़ी पर हाथ फेरते हुए पीरजादा बोला… यह तो खुशखबरी है। फारुख ने मीरवायज खानदान के नाम पर लगा हुआ बदनुमा दाग तो कम से कम साफ कर दिया। हरामखोर की रुह अब दोजख मे इसका हिसाब दे रही होगी। …मालिक आप सही कह रहे है लेकिन हया बिटिया अभी तक फरार है। बाजवा साहब इस बात को लेकर बेहद खफा है। पीरजादा गद्दी से उठते हुए बोला… श्रीनगर से लखवी की लड़की के बारे मे कोई खबर मिली? मैने सुना है कि वह भी गायब हो गयी है। …मालिक आपने सही सुना है। पीरजादा अपने कमरे की ओर बढ़ते हुए बोला… जोरावर को कहना कि दरवाजे पर तैनात रहे। इतना बोल कर वह अपने कमरे मे चला गया था।

पीरजादा मीरवायज अपने कमरे मे दाखिल होते ही कुछ आँख मूंद कर बड़बड़ाता और फिर हवा मे हाथ उठा कर बोला… आमीन। वह अपने बिस्तर की दिशा मे चल दिया क्योंकि उसका जिस्म अब उत्तेजना से ऐंठ रहा था। जब से उसने तबस्सुम के भागने की खबर सुनी थी तब से वह हर पल तनाव मे जी रहा था। आज उसकी मौत की खबर की पुष्टि होने से उसके जिस्म मे एकाएक खून की रवानगी बढ़ गयी थी। उसे अब किसी जवान जिस्म को रौंदने की जरुरत महसूस हो रही थी। तभी किसी ने दरवाजे पर दस्तक देकर कहा… मालिक जनरल साहब और लखवी साहब दीवाने खास मे आपका इंतजार कर रहे है। उनसे क्या कहना है? पीरजादा ने बिस्तर पर मुर्झाये हुए नग्न जिस्म पर एक नजर डाल कर जोर से बोला… उनसे कहो कि मै आ रहा हूँ। इतना बोल कर वह मुड़ गया और दो चार गहरी साँसे लेकर अपने आप को सयंत करके वापिस दरवाजे की दिशा मे चल दिया। अभी भी उसके जहन मे कल रात के एकाकार की बात घूम रही थी। बाहर निकलते ही वह दरवाजे पर खड़े हुए आदमी से बोला… जोरावर आज रात जीनत को कमरे मे ले आना क्योंकि उसके अन्दर छिपे हुए शैतान को भगाने के लिये उसके कान मे कुछ आयत फूँकनी है। तुम्हारे लिये उसे छोड़ कर जा रहा हूँ। इस्तेमाल करके उसे मदरसे मे पहुँचा देना।

जोरावर कुछ नहीं बोला बस उसने धीरे से सिर हिला दिया था।

रविवार, 23 अप्रैल 2023

 

 

गहरी चाल-5

 

कुछ दूर चलने के बाद मौलवी साहब ने लोहे के कंटीले तारों की ओर इशारा करते हुए कहा… जनाब, वह हमारी सीमा है। दस फुट उँची कंटीले तारों की बाढ़ को देखते हुए मैने पूछा… कमाल की बात है कि इसके बावजूद वहाँ से कैसे लोग इधर आ जाते है। सीमा सुरक्षा बल के लोग दिखायी नहीं दे रहे है? …मियाँ, सीमा सुरक्षा बल के जवान सुबह से देर रात तक इन तारों के साथ चलते हुए गश्त लगाते है। अगली टुकड़ी के आने का समय हो गया है। वह किसी भी समय तुम्हें दिख जायेंगें। वह बोल ही रहा था कि तभी मुझे हथियारों से लैस पाँच जवानों की टुकड़ी पैदल आती हुई दिखाई दी जो कंटीले तारों के साथ-साथ चल रही थी। उनके जाने के पश्चात मौलवी सहब ने कहा… मियाँ बिना इन लोगों की मदद के भला कोई कैसे सीमा पार कर सकता है। सब साले यहाँ पर पैसे बना रहे है। आओ वापिस चलें। हम दोनो वापिस मदरसे की ओर चल दिये थे।

…मौलवी साहब, मैने सुना है कि यह लोग हमारी कौम की लड़कियों को बेईज्जत करते है। मौलवी साहब चलते हुए सिर हिला कर बोले… कभी रात को आओगे तब देखना कि यह लोग क्या करते है। साले भूखे भेड़ियों की तरह उन मासूम शरणार्थियों पर टूट पड़ते है। यहाँ से एक मील पर सीमा सुरक्षा बल की चौकी है। वहीं पर यह तय होता है कि एक रात मे कितने लोग सीमा पार कर सकते है। अचानक बात की दिशा बदलते हुए मौलवी साहब ने पूछ लिया… तुम्हारे साथ वह लड़की कौन है? …चांदनी, मेरे साथ पढ़ती है। हम शरणार्थियों की हालत देखना चाहते थे इसीलिये यहाँ आये है। …क्या आप लोग आज रात यहाँ रुकोगे? …नहीं। मदरसे के बच्चों से बात करके हम शाम तक वापिस चले जाएँगें। आप कहाँ रहते है मौलवी साहब? …यहीं पास मे बेग साहब ने एक पक्का कमरा बनवा दिया है। वहीं पर रात गुजारता हूँ। …आपका परिवार? …मुर्शिदाबाद मे है। तुम कहाँ से आये हो? …श्रीनगर। …क्या बात है कुछ महीनों से श्रीनगर से बहुत लोग इस ओर आ रहे है। यह सुनते ही मेरे कान खड़े हो गये थे। मैने जल्दी से पूछा… मुझसे पहले यहाँ कौन आया था? …अभी कुछ महीने पहले श्रीनगर से गियासुद्दीन मट्टू अपने कुछ साथियों के साथ यहाँ मेरे पास आकर रुका था। बेग साहब ने मट्टू और उसके साथियों को आसानी से सीमा पार भिजवा दिया था। एक पल के लिये मै वह नाम सुन कर चौंक गया था। गियासुद्दीन मट्टू का नाम बारामुल्ला के जमील अहमद के मुख से सुना था। वह हिज्बुल मुजाहीदीन का शार्प शूटर था। …मौलवी साहब, वह जिहादी यहाँ क्या करने आया था? एक पल के लिये मौलवी साहब के मुख पर ताला पड़ गया था। मैने जल्दी से कहा… आपका मदरसा है इसीलिए बता रहा हूँ कि वह बच्चों और बच्चियों के मामले मे बेहद बदनाम व्यक्ति है। मेरी बात सुन कर अधेड़ मौलवी के चेहरे पर एक कुटिल मुस्कुराहट तैर गयी थी। हम बच्चों के पास पहुँच चुके थे। चांदनी कुर्सी पर बैठ कर बच्चों से बात कर रही थी।   

कुछ समय बच्चों और बच्चियों के साथ बिता कर हम अपने कमरे मे वापिस लौट आये थे। सारे रास्ते चांदनी मदरसे के बच्चों और बच्चियों की कहानी सुना रही थी। उस मदरसे मे बच्चों के यौन उत्पीड़न की बात सुन कर मुझे उस अधेड़ मौलवी से घृणा हो रही थी। सभी गरीब मुस्लिम परिवारों के बच्चे थे और यही बात मुझे बार-बार खटक रही थी। गियासुद्दीन की बात सुन कर मेरे दिमाग मे खतरे की घंटी बज गयी थी। पाकिस्तान सीमा भारतीय फौज ने सील कर दी थी तो आईबी के अनुसार पाकिस्तानी तंजीमो ने नेपाल का रास्ता अपना लिया था। बीएसफ की मुस्तैदी और आईबी के दबाव मे नेपाल सरकार की सीमा पर चौकसी बढ़ गयी थी। नयी इंटेल रिपोर्ट्स से पता चला था कि आईएसआई ने बांग्लादेश मे जमात-ए-इस्लामी की मदद से लश्कर और जैश के जिहादी प्रशिक्षण केन्द्र खोल दिये थे। अब क्या गियासुद्दीन जैसे चरमपंथियों ने कश्मीरी युवकों को प्रशिक्षण के लिये बांग्लादेश भेजना आरंभ कर दिया था? मै अभी इसी के बारे मे सोच रहा था कि एक बैगपाईपर बोतल और खाना लेकर रामबीर ने कमरे मे प्रवेश किया परन्तु आज वह अकेला नहीं था। उसके पीछे एक पतला दुबला मैला सा कुर्ता और चेक का तहमद पहने एक व्यक्ति खड़ा हुआ था।

…साहब आज सुबह इसके बारे मे बात की थी। यह मंजूर इलाही है। मैने एक नजर उस पर डाल कर कहा… आओ मियाँ तुम भी आराम से बैठो। उसने मेरे साथ बैठी चांदनी पर एक नजर डाली और फिर सलाम करके चुपचाप रामबीर के साथ जमीन पर बैठ गया। रामबीर अपने काम मे लग गया था। आज पीने के मामले मे चाँदनी ने ज्यादा ना नुकुर नहीं की थी। मैने अपने ग्लास से एक घूँट भर कर पूछा… मंजूर, तुम बेग साहब के बारे मे क्या बताना चाहते हो? वह चुप रहा और रामबीर को ताकने लगा तभी रामबीर बोला… साहब को सब कुछ साफ-साफ बता दे। मंजूर झिझकते हुए बोला… साहब, मेरी बीवी और बच्चियों को बेग साहब ने जिस्मफरोशी करने वाले किसी दलाल को बेच दिया है। उसकी बात सुन कर एकाएक कमरे मे शांति छा गयी थी। चांदनी ने पूछा… यह तुम कैसे कह सकते हो? …मेरी बीवी ने बताया था। इतना बोल कर वह सुबक-सुबक कर रोने लगा था। रामबीर ने एक ग्लास उसकी ओर बढ़ाते हुए कहा… इसको खाली करो। तुम्हारा कुछ गम कम हो जायेगा। उसने एक साँस मे ग्लास खाली कर दिया था। चांदनी भी उसकी बात ध्यान से सुन रही थी।

कुछ देर के बाद वह वह फिर बोला… साहब, बेग साहब की मदद से मै अपने परिवार के साथ चार साल पहले खुलना से यहाँ आया था। उन्होंने हमे दो महीने अपने कैंम्प मे रखा था। अपना घर चलाने के लिये मै उनके लिये काम करने लगा था। बेग साहब के अवैध हथियारों को मस्जिदों और मदरसों मे पहुँचाना मेरा काम था। वह ड्र्ग्स और नकली करेन्सी नोट का भी काम करते है परन्तु यह काम जमाल की देखरेख मे होता है। जमाल भी मेरी तरह खुलना से आया था। एक बार मुझे चोरी के इल्जाम मे तीन महीने की सज़ा हो गयी थी। मेरी बीवी जेल मे मुझसे मिलने आयी थी। उसी ने बताया कि मुझे बेग साहब ने फंसा कर जेल भिजवा दिया था। मेरी अनुपस्थिति मे उसके कुत्तों ने मेरी बीवी का बलात्कार किया और बेग ने मेरी बेटियों को किसी दलाल को बेच दिया था। तीन महीने के बाद मै जब जेल से लौटा तब तक मेरा सब कुछ बर्बाद हो चुका था। सारा मामला दबाने के लिये उसने मेरी बीवी की भी हत्या करवा दी थी। यह बोल कर एक बार फिर से वह फूट-फूट कर रोने लगा था।

उसके शांत होने के कुछ देर के बाद मैने पूछा… मंजूर तुमने कौनसी मस्जिदों और मदरसों मे हथियार पहुँचाये है? …साहब, आसपास के लगभग सभी जिलों मे मैने हथियार पहुँचाये है। मुझे तो जमाल के कारोबार का भी पता है कि वह किन लोगों को नकली करेन्सी और किन लोगों को ड्र्ग्स की खेप पहुँचाता है। मुझे लग रहा था कि आगे चल कर मंजूर इलाही एक महत्वपूर्ण संपर्क साबित हो सकता है। मेरे दिमाग मे एक नयी योजना जन्म ले चुकी थी। हम बोतल समाप्त करके खाना खाने बैठ गये थे। मंजूर और रामबीर चुपचाप खाना खा रहे थे कि तभी चांदनी ने पूछा… तुम्हें अपनी बच्चियों के बारे पता चला कि वह कहाँ है? …मेमसाहब, मैने बहुत खोजा लेकिन कुछ नहीं पता चल सका। …कभी जमाल से पूछा? …नहीं मेमसाहब। अपनी बीवी के बारे मे एक बार पूछने गया था तो उन्होंने मुझे मार कर भगा दिया था। चांदनी खाना खाते हुए एकाएक चुप हो गयी थी। मंजूर इलाही ने जल्दी से कहा… साहब, बेग बहुत रसूख वाला आदमी है। पुलिस भी उससे डरती है।

कुछ सोचते हुए मैने कहा… मंजूर, आज रात सीमा पर चल कर देखते है कि घुसपैठ कैसे और कहाँ से होती है। जरा सीमा सुरक्षा बल के लोगों को भी देख लेते है कि वह कैसे सीमा की रखवाली करते है। तभी चांदनी बोली… समीर, तुम गलत काम मे उलझ रहे हो। अगर तुम लोग पकड़े गये तो यहाँ से बच कर निकलना मुश्किल हो जाएगा। मैने उसको अनसुना करते हुए कहा… आज की रात मंजूर हमे दूर से वह जगह दिखा देगा। क्या तुम सीमा पर तैनात सिपाहियों का अत्याचार नहीं देखना चाहती? इस सवाल ने चांदनी के मुख पर ताला लगा दिया था। हम खाना समाप्त कर चुके थे। रामबीर और मंजूर कमरे से बाहर चले गये थे। चांदनी उठते हुए बोली… मै भी तुम्हारे साथ चलूँगी। …आज नहीं। तुम कल मेरे साथ चलना। वह मुझे बड़ी हसरतभरी निगाहों से देख रही थी। मै उसके नजदीक चला गया और उसकी कमर को अपनी बाँह मे जकड़ कर धीरे से उसके गालों को अपने होंठों से सहलाते फुसफुसाकर कहा… कल रात की अधूरी कहानी आज रात लौट कर पूरी करुँगा। यह बोल कर उसे वहीं कमरे मे छोड़ कर मै बाहर निकल गया था। रामबीर और मंजूर इलाही होटल के मुख्य द्वार पर मेरा इंतजार कर रहे थे।

रात के अंधेरे मे हम तीनों चुपचाप सीमा की ओर चल दिये थे। एक घंटे मे हम सीमा पर पहुँच गये थे। मंजूर ने इशारे से दिखाते हुए कहा… वहाँ कंटीले तारों की बाड़ मे एक जोड़ है जिसको हटा कर घुसपैठ होती है। मेरी नजर उस जगह के आसपास का जायजा ले रही थी। कंटीले तार से लगभग बीस मीटर की जमीन साफ रखी गयी थी जहाँ सीमा सुरक्षा बल की टुकड़ी गश्त लगाती थी। बाकी की सारी जमीन पर धान की फसल लहलहा रही थी। …घुसपैठ हमारे सैनिकों की देखरेख मे होती है? …हाँ। वह लोग घुसपैठियों को गिन कर पैसों का तकाजा करते है। बेग का आदमी पहले उन्हें पैसे पकड़ाता है उसके बाद ही वह उन लोगों को जाने देते है। …मंजूर, तुम हथियार और नकली करेन्सी इसी जगह से लाते थे? …नहीं, वह जगह यहाँ से दो मील पर है जहाँ पर बेग का शरणार्थी कैंम्प स्थित है। अभी तो रात जवान हुई थी तो मैने कहा… चलो एक बार वह जगह भी देख आते है। हम तीनों चुपचाप उस दिशा की ओर चल दिये थे। पहली यात्रा तो बड़े आराम से तय हो गयी थी परन्तु अब आगे का रास्ता मुश्किल हो गया था। एक छोटी सी पुलिस चौकी उस कैंम्प से कुछ दूरी पर बनी हुई थी। सबकी नजर से बचते-बचाते हुए जब कैंम्प के नजदीक पहुँचे तब मंजूर ने इशारा करते हुए कहा… इस कैंम्प के चारों ओर बेग के गुन्डे पहरा देते है। अब संभल कर आगे बढ़ना होगा क्योंकि उनमे से बहुत से लोग कैंम्प से किसी भी औरत को जबरदस्ती उठाकर खेत मे ले जाते है। हम लोग अंधेरे मे दबे कदमों से कैंम्प की ओर बढ़ने लगे थे।

कुछ दूरी और तय करने बाद अचानक किसी की घुटी हुई चीखें हमारे कान मे पड़ी तो हम सावधान हो गये थे। हम चुपचाप उस दिशा मे बढ़ गये। अंधेरे मे हमारी नजरें किसी को भी दूर से देख पाने मे अस्मर्थ थी परन्तु इतना तो पता चल गया था कि तीन-चार आदमी किसी स्त्री के साथ जबरदस्ती कर रहे थे। मै बड़े धर्म संकट मे फंस गया था। अगर उस स्त्री को बचाने के लिये मै आगे बढ़ता तो हम तीनों का उनकी नजरों मे आ जाने का खतरा था। रामबीर और मंजूर इलाही उन लोगों से लड़ने लायक स्थिति मे नहीं थे। कुछ सोच कर अपने दिल पर पत्थर रख कर हमने एक बड़ा चक्कर लगाया और उनसे बचते-बचाते हम कैंम्प तक पहुँच गये थे। कैंम्प के किनारे पहुँचते ही मेरी नजर सबसे पहले नदी पर पड़ी जो कुछ दूरी पर बह रही थी। यहाँ पर भी कंटीले तार की बाड़ लगी हुई थी परन्तु बहुत सी जगह वह बाड़ पानी के नीचे डूबी हुई थी। पल भर मे मुझे मंजूर की बात समझ मे आ गयी थी। …साहब, जिस जगह बाड़ पानी मे डूबी हुई है वहाँ पर हमने तारों को काट कर निकलने की जगह बना दी है। नाव से रात के अंधेरे मे हम नदी पार करते है और फिर यहाँ से हम सारा सामान बेग के लोगों के हवाले कर देते है जो कैंम्प मे रख दिया जाता है। अगले दिन जब सुबह राशन का ट्रक कैंम्प मे आता है तो उसके जरिये शाम को हम सारा सामान कैंम्प से बाहर निकाल कर अलग-अलग गोदामों मे रखवा देते है। अब यहाँ की सारी कहानी मेरे लिये साफ हो गयी थी। …बेग के गोदाम कहाँ-कहाँ है? …दो गोदाम तो हसनाबाद मे है। एक बशीरघाट और दो मुर्शीदाबाद मे है। मैने वापिस चलने का इशारा किया और हम तीनो दबे पाँव अंधेरे की आढ़ मे अपने होटल की ओर चल दिये थे।

…मंजूर, बेग के गोदाम कहाँ है? …साहब, एक गोदाम तो उसकी हवेली से कुछ दूरी पर है। दूसरा गोदाम उसने अपने खेत मे बनाया है। …वहाँ की सुरक्षा का क्या हाल है? …चार-पाँच हथियारों से लैस आदमी गोदाम पर हरदम पहरे पर तैनात रहते है। कुछ ही देर मे आप खुद देख लिजियेगा। रात के अंधेरे मे कच्ची सड़क पर हम तीनो दरख्तों की आढ़ लेकर आगे बढ़ते जा रहे थे। मेढ़कों की टर्रटर्र और झींगुरों की आवाज रात के सन्नाटे को भंग कर रही थी। हमे कैंम्प से निकले हुए एक घंटा हो गया था। अचानक मंजूर अपनी चाल धीमी करके बुदबुदाया… साहबजी, उस खेत मे जो इमारत दिख रही है वह बेग का गोदाम है। यहाँ पर काफी असला बारुद रखा हुआ है। मै ठिठक के पेड़ की आढ़ लेकर खड़ा हो गया था। धान के लहलहाते खेतों के बीच लगभग दौ सौ गज मे फैली हुई एक मंजिला इमारत लग रही थी। रामबीर और मंजूर मुझे अचरज से देख रहे थे। …मंजूर, मुझे तो कोई पहरेदार नहीं दिख रहा है। …साहबजी, सब कामचोर है। सब जानते है कि बेग साहब के गोदाम पर सेंधमारी करने की किसी मे हिम्मत नहीं है। इसीलिये अब तक सब सो गये होंगें। एक नजर उस इमारत पर डाल कर हम आगे बढ़ गये थे।

बेग के मकान से कुछ दूरी पर होटल की दिशा मे सड़क के किनारे एक दो मंजिला इमारत की ओर इशारा करके मंजूर ने कहा… यह उसका दूसरा गोदाम है। इधर भी असला-बारूद के साथ ड्रग्स की पेटियाँ भी रखी जाती है। घर के पास होने के कारण यहीं से उसका ड्रग्स का कारोबार भी चलता है। जमाल यहाँ की देखरेख करता है। वही सारे खरीदारों से सौदा करता है। बेग का खरीदारों से कभी सीधा संपर्क नहीं होता। पार्टी के लोगों को भी यहीं से बम्ब और अन्य विस्फोटक सामग्री भी सप्लाई होती है। …मुझे यहाँ भी कोई खास पहरा नहीं दिख रहा है। …आपको बताया है कि सब सो गये होंगें। पुलिस यहाँ कभी रेड नहीं डालती और अगर कभी कोई केन्द्रीय एजेन्सी अगर नीरिक्षण के लिये आने वाली होती है तो पुलिस वाले पहले से ही बेग को इसकी सूचना दे देते है। उनके आने से पहले सारा अवैध सामान दूसरे गोदाम पहुँचा दिया जाता है। मै चुपचाप सारी जानकारी अपने दिमाग मे बैठा रहा था। कुछ देर उस इमारत का मुआईना करके हम तीनो होटल की दिशा मे चल दिये थे।           

सुबह के तीन बज चुके थे जब मै कमरे मे दाखिल हुआ था। चांदनी गहरी नींद मे सो रही थी। रामबीर और मंजूर इलाही ने होटल के बाहर पेड़ के नीचे रात गुजारने का फैसला किया था। थकान के कारण बिस्तर पर पड़ते ही मै भी अपनी सपनों की दुनिया मे खो गया था। सुबह चांदनी ने मुझे उठाया था। …उठो जल्दी से दस बजे बेग के पास पहुँचना है। मै हड़बड़ा कर उठा और सामने खड़ी हुई चांदनी से कहा… तुम रामबीर के साथ चली जाओ। मै यहाँ से तैयार होकर सीधा कैंम्प पर पहुँच जाऊँगा। बस रामबीर को बता देना कि तुम कौन से कैंम्प की ओर जा रहे हो। चांदनी के जाने के बाद मै आराम से तैयार होने के लिये चला गया था। तैयार होकर होटल से नाश्ता करने के पश्चात मैने लेफ्टीनेन्ट जनरल बक्शी को फोन लगा कर उन्हें सारी बातों से अवगत करा दिया था। बारह बजे तक मै शरणार्थी कैंम्प पहुँच गया था। बेग की फार्च्युनर उसके मुख्य द्वार पर खड़ी हुई थी। कैंम्प के द्वार पर खड़े हुए गार्ड के द्वारा मैने बेग को अपने आगमन की सूचना भिजवा कर दिन मे आसपास का जायजा लिया तो पाया कि दूर-दूर तक धान के खेत मे महिलाएँ काम कर रही थी। यह बेग का दूसरा शरणार्थी कैंप था क्योंकि रात को मै यहाँ नहीं आया था। यहाँ का हाल भी वैसा ही था जैसे मैने कल रात को देखा था। दर्जन से ज्यादा नवयुवक कैंम्प के चारों ओर फैल कर उसकी सुरक्षा मे तैनात थे। वह गार्ड लौट कर बोला… आप इंतजार कीजिए। साहब अभी आ रहे है।

…भाईजान, यहाँ कितने परिवार रह रहे है? गार्ड ने अपनी टूटी-फूटी हिन्दी मे जवाब दिया… कोई डेड़ सौ परिवार इस कैंप मे ठहरे हुए है। मै टहलते हुए कैंप के एक सिरे पर पहुँच गया था। वहाँ का हाल भी कुछ वैसा ही दिखा जैसे कल रात को दिखा था। आधी से ज्यादा कंटीले तार की बाड़ नदी मे डूबी हुई थी। दूर से सामान्यता सब कुछ ठीक लग रहा था परन्तु मंजूर इलाही के रहस्योद्घाटन के पश्चात मुझे अवैध कारोबार का मुख्य आगमन केन्द्र समझ मे आ गया था। …समीर। मैने मुड़ कर देखा तो बेग अपनी फार्च्युनर के पास खड़ा हुआ मुझे आवाज दे रहा था। बिना कोई जवाब दिये मै उसकी ओर चल दिया। उसके पास पहुँच कर हमारे बीच दुआ-सलाम हुई और फिर वह मुझे चांदनी के पास ले जाने के बजाय बोला… समीर मियाँ, जब तक चांदनी परिवारों से बातचीत कर रही है तब तक आपको मै अपने खेत दिखा कर लाता हूँ। यह बोल कर वह आगे बढ़ गया और मै उसके साथ चल दिया। कुछ दूर जाने के बाद वह बोला… मियाँ, तुम्हारा चांदनी के साथ क्या रिश्ता है? …मेरे साथ पढ़ती है। …नहीं, मै जानना चाहता हूँ कि क्या कोई मोहब्बत का चक्कर है? अबकी बार मैने हँसते हुए कहा… बेग साहब, वह बेहद नकचड़ी और मर्दमार लड़की है। भला कोई बेवकूफ ही होगा जो उसकी मोहब्बत मे पड़ेगा। मोहम्मद अली बेग ने खिसियाते हुए पूछा… आप दोनो होटल के एक ही कमरे मे फिर कैसे रहते हो? मैने मुस्कुरा कर कहा… ओह, आपने हमारे पीछे जासूस लगा रखे है। …ऐसी बात नहीं है। मेरे मन मे ख्याल आया कि अपनी कौम की लड़की बिना किसी पाक रिश्ते के कैसे एक अनजान मर्द के साथ रह सकती है? …बेग साहब, वह कट्टर वामपंथी है। तभी चांदनी द्वार से बाहर निकलती हुई दिखी तो हमारी बातों का सिलसिला थम गया था।

मैने अपनी कलाई पर बंधी हुई घड़ी पर नजर डाली तो तीन बज चुके थे। चांदनी मेरे पास पहुँच कर बोली… कहाँ रह गये थे, अब चले। बेग जल्दी से बोला… आज आपका लंच मैने अपने घर पर रखा है। मुझे भी मेहमाननवाज़ी का मौका दीजिए। मैने जल्दी से कहा… बेग साहब, आपकी दावत के लिये शुक्रिया। मुझे अभी जाना है लेकिन चांदनी आपकी मेहमाननवाज़ी जरुर कुबूल करेंगी। चांदनी ने कुछ बोलने के लिये मुँह खोला ही था कि मैने जल्दी से कहा… तुम चली जाओ। मुझे कुछ काम है। लंच के बाद मै तुम्हें होटल पर मिलूँगा। इतना बोल कर मै रिक्शे की ओर चल दिया था। मेरी योजना को कार्यान्वित करने का समय आ गया था। हसनाबाद शहर के बाहर निकल कर हम रिक्शे से हाईवे की ओर चल दिये थे। मंजूर इलाही हाईवे पर हमारा इंतजार कर रहा था। …मंजूर, वह अभी तक नहीं पहुँचे? …नहीं। हम तीनों वही पुलिया पर उनका इंतजार करने के लिये बैठ गये थे। …कौन आ रहा है? …कुछ देर मे देख लेना। आधे घंटे के बाद एक फौज की जीप और उसके पीछे एक फौजी ट्रक पर नजर पड़ी तो मै उठ कर हाईवे पर चला गया। जीप मेरे नजदीक आकर रुकी और उसमे से स्पेशल फोर्सेज का कप्तान उतर कर मेरे पास आकर बोला… मेजर समीर बट। उसकी जैकेट पर उसका नाम जेसी लिखा हुआ था। मैने सिर हिलाया और अपना आईडेन्टिटी कार्ड दिखा कर जेसी को एक किनारे मे ले जाकर पूछा… तुम्हारी टीम मे कितने लोग है? …पन्द्रह। …पाँच मेम्बरों की तीन टीम बनाओ और रेड के दौरान मुझे एक ग्लाक चाहिए। मुझसे बात करके जेसी तुरन्त ट्रक की ओर चला गया था।

कुछ देर के बाद स्पेशल फोर्सेज की ग्लाक मेरी ओर बढ़ाते हुए बोला… सर, हम चलने के लिये तैयार है। मैने ग्लाक की मैगजीन चेक करके अपनी जेब मे फंसा कर बोला… जेसी, मेरे साथी तुम्हारे तीनों टीम लीडरों को कुछ जगहों की निशानदेही करने के लिये ले जाएँगें। मैने इशारे से रामबीर और मंजूर इलाही को अपने पास बुलाया और उनसे कहा… मंजूर, तुम एक फौजी को अपने साथ लेकर दोनो शरणार्थी कैंप के पास जहाँ से तस्करी होती है वह जगह दिखा देना। रामबीर तुम एक फौजी को लेकर सीमा पर वह जगह दिखा देना जहाँ से बांग्लादेशी और रोहिंग्या की घुसपैठ होती है। वह जगह दिखाकर तुम सभी लोग यहीं वापिस आ जाना और मेरा इंतजार करना। जेसी मेरी बात समझ कर रामबीर और मंजूर इलाही को अपने साथ लेकर ट्रक की दिशा मे चला गया था। अपने साथियों को समझा कर वह वापिस लौट कर बोला… अब क्या करना है? …तुम मेरे साथ चलो। उसकी जीप मे बैठ कर हम हसनाबाद शहर की ओर चल दिये थे। मैने रास्ते मे बेग के मकान के पास वाले गोदाम और खेत वाले गोदाम की कहानी सुना कर जेसी से कहा… कैप्टेन, उन दोनो इमारत को जमीनदोज करने की जिम्मेदारी तुम्हारी होगी। …जी सर। हमारी बात समाप्त हो गयी थी।

रास्ता दिखाते हुए कुछ देर के बाद हम लोग मोहम्मद अली बेग की कोठी पहुँच गये थे। दूर से सब कुछ सामान्य लग रहा था परन्तु जैसे ही जीप मुख्य द्वार पर पहुँची तभी अचानक चार-पाँच नवयुवक दौड़ कर आये और हमारी जीप घेर कर खड़े हो गये। मुझे जीप से उतरते देख कर एकाएक सभी चौंक गये थे। तभी जमाल दौड़ते हुए कोठी से बाहर निकला और मुझे देख कर ठिठक कर रुक गया था। …जमाल मियाँ यहाँ क्या हो रहा है? यह बेग साहब का पता पूछ रहे थे तो मै इन्हें यहाँ ले आया। जमाल धीमे कदमों से चलता हुआ मेरे पास पहुँच कर बोला… बेग साहब घर पर नहीं है। …अरे वह तो लंच के लिये चांदनी को लेकर यहीं आये थे। जेसी तुरन्त आगे बढ़ कर बोला… मोहम्मद अली बेग का घर यही है? जमाल ने सिर्फ सिर हिला कर हामी भर दी थी। …जाकर बेग साहब को बुलाईये। मैने कुछ बोलने जा रहा था कि कोठी से एक स्त्री की चीख सुन कर मै चौंक गया। मैने सामने खड़े हुए नवयुवक को जोर से धक्का देते हुए चिल्लाया… जेसी, अगर कोई भी अपनी जगह से हिले या आवाज निकाले तो तुरन्त गोली मार देना। शूट टु किल। बस यह बोल कर मैने भागते हुए अपनी ग्लाक निकाली और कोठी मे प्रवेश कर गया था। दो मशीनगन के आगे किसी ने भी हिलने की चेष्टा भी नहीं की थी। कोठी मे घुस कर भागते हुए मैने रास्ते मे पड़ने वाले हर कमरे पर नजर डालते हुए आगे बढ़ता चला जा रहा था। एक बार फिर से किसी के चीखने की आवाज मेरे कान मे पड़ी तो मै उस दिशा मे दौड़ लिया था।

एक कमरे का दरवाजा भिड़ा हुआ था। एक पल रुक कर मैने अपने आप को संभाला और फिर पूरी ताकत से अपने कंधे का वार उस दरवाजे पर किया तो वह चिटखनी समेत भड़ाक की आवाज करते हुए दीवार से टकरा गया। अंदर का दृश्य देख कर एक पल के लिये मै ठिठक कर रुक गया था। चांदनी जमीन पर अर्धनग्न स्थिति मे बेग की पकड़ से छूटने का असफल प्रयास कर रही थी। उसका कुर्ता तार-तार हो गया था। बेग एक जानवर की भांति उसके नग्न स्तन को अपने मुँह मे दबाये उसकी जीन्स उतारने की कोशिश कर रहा था। दरवाजा खुलने की आवाज सुन कर उसने मुड़ कर मेरी ओर देखा और मेरे हाथ मे तनी हुई ग्लाक का रुख अपनी ओर देख कर वह चौंक कर उठ कर बैठ गया था। चांदनी उसकी पकड़ से आजाद होते ही उठ कर मेरी ओर भागते हुए आयी और जोर से चिल्लायी… इस कमीने को गोली मार दो। एक नजर उसके उघड़े हुए सीने पर पड़ी जिस पर दाँतों के लाल निशान उभर आये थे। मैने जल्दी से फटे हुए कुर्ते से उसके सीने को ढकते हुए कहा… पहले अपने आप को ढक लो क्योंकि अब यह कहीं नहीं जा रहा। अपनी स्थिति का ज्ञान होते ही चांदनी ने जल्दी से बेड पर पड़ी हुई चादर से अपने आप को ढक लिया और मेरे साथ आकर खड़ी हो गयी। उसका जिस्म अभी भी उत्तेजना से कांप रहा था। मैने अपनी ग्लाक से इशारा करते हुए कहा… बेग साहब उठ कर खड़े हो जाओ। वह भौंचक्का सा मुझे घूरते हुए चुपचाप खड़ा हो गया था।

…चांदनी बाहर जेसी नाम का फौजी इसके गुर्गों को निशाने पर लेकर खड़ा हुआ है। तुम जाकर उसे कह दो कि सभी को इस कमरे मे ले आये। एक पल के लिये वह झिझकी और फिर तेजी से कमरे से बाहर निकल गयी थी। कुछ देर के बाद उसी कमरे मे बेग और जमाल के साथ उसके पाँच साथी जमीन पर बैठे हुए थे। …अपने दो सैनिकों को हवेली की तलाशी लेने के लिये भेज दो। अगर कोई आदमी या औरत मिले तो उसे भी यहीं पर ले आना। जेसी ने दो सैनिकों को इशारा किया और वह तुरन्त कमरे से बाहर निकल गये थे। जेसी के साथ आये हुए हथियारों से लैस दो सैनिक उन सभी की तलाशी लेने के बाद उनके सभी फोन जब्त करके दूर से उन सात लोगों की हर हरकत पर नजर रख रहे थे। मैने अपनी सधी हुई आवाज मे कहा… बेग साहब आपसे बहुत बड़ी गलती हो गयी है। चांदनी के अब्बा अंसार रज़ा उत्तरप्रदेश के नामी बाहुबली और विधायक है। उनकी बेटी के साथ जबरदस्ती करने की कोशिश का मतलब है कि आपने अपनी मौत को खुद दावत दी है। उसके बदलते हुए रंग को देख कर साफ था कि वह उस नाम से परिचित था।

अभी स्थिति पूरी तरह हमारे नियन्त्रण मे नहीं आयी थी। गोदाम की इमारत मे भी बेग के दरिंदें हमारे लिये मुसीबत खड़ी कर सकते थे। …तुम्हारा यहाँ का खेल खत्म हो गया। अब तुम्हारा पाला भारतीय सेना से पड़ा है। तभी चांदनी ने कहा… इस कमीने से पूछो कि मंजूर इलाही की बच्चियाँ कहाँ है?  मैने पूछा… तुमने उसकी बच्चियों को किसी दलाल को बेचा था। मुझे उस दलाल का नाम चाहिए। बेग चुप बैठा रहा जैसे उसे कोई साँप सूँघ गया था। …तुम्हारे पीछे वाले गोदाम पर कितने आदमी तैनात है? इस सवाल को सुन कर बेग के बजाय जमाल चौंक कर बोला… कौनसा गोदाम? मैने पास खड़े जेसी से कहा… यह ऐसे नहीं बोलेगा। अपने साथियों को काम पर लगा दो। मै बाहर जा रहा हूँ। जब तक लौट कर वापिस आऊँ तब तक इन सबकी ऐसी हालत हो जानी चाहिए कि इनमे से कोई भी अपने पैरों खड़ा न हो सके। इतना बोल कर चांदनी को लेकर मै बाहर निकल गया था। …चांदनी तुम इस जीप से होटल चली जाओ। मै यहाँ का काम समाप्त करके होटल पहुँच जाऊँगा। चांदनी चुपचाप जेसी की जीप मे बैठी और होटल वापिस चली गयी। मै बाहर लान मे टहलते हुए अपनी अगली कार्ययोजना तैयार करके कुछ देर के बाद वापिस उसी कमरे मे चला गया था।

जब मैने कमरे मे प्रवेश किया तो मैने पाया कि सभी जमीन पर पड़े हुए कराह रहे थे। अब जमीन पर पड़े हुए लोगों की संख्या ग्यारह हो गयी थी। वह दो सैनिक भी अपनी गन ताने अपने साथियों के साथ खड़े हो गये थे। बेग को छोड़ कर सब के चेहरे लहुलुहान थे। एक बार फिर से मैने अपना प्रश्न दोहराया परन्तु बेग के बजाय जमाल ने कहा… उस दलाल का नाम शाकिर है और वह मुंबई मे जिस्मफरोशी का धंधा करता है। …जमाल मियाँ उस गोदाम पर कितने लोग है? वह कुछ पल चुप रहा और एक बेग पर नजर डाल कर धीरे से बोला… बेग साहब के कहने पर दोपहर को सभी को यहीं पर बुला लिया था। …और खेत वाले गोदाम पर कितने आदमी पहरा दे रहे है? जब किसी ने कोई जवाब नहीं दिया तो मैने बाद बदलते हुए पूछा… जमाल मियाँ आज रात बेग साहब का माल कहाँ उतरेगा? अबकी बार जमाल और बेग की आँखे आश्चर्य से फैल गयी थी। मैने अपनी ग्लाक हवा मे लहराते हुए कहा… हाँ मुझे मालूम है कि हर जुमे की रात को सीमा पार से बांग्लादेशी और रोहिंग्या शरणार्थियों के साथ अवैध हथियार और नकली करेन्सी भी हमारी सीमा मे प्रवेश करती है। आज तुम्हारा माल कहाँ उतर रहा है? एक बार फिर से कमरे मे चुप्पी छा गयी थी। …लगता है कि तुम्हारा मुँह खुलवाने के लिये एक बार फिर से तुम सभी पर थर्ड डिग्री आजमानी पड़ेगी। मैने जैसे ही जेसी को इशारा किया कि तभी जमाल जोर से चीखा… खुदा के लिये रहम करो। मै बताता हूँ। इतना सब कुछ होने के बाद भी मोहम्मद अली बेग के मुख से अभी तक एक भी आवाज नहीं निकली थी। …आज दो स्थानों पर लोगो का आगमन होगा और दूसरे कैंम्प पर माल उतरेगा। कुछ सोच कर मैने कहा… जेसी, जमाल से उन सब जगहों की नक्शे पर निशान लगवा लो जहाँ बेग ने असला बारुद रखा है। इसी के साथ मे बेग के गोदामों की भी निशानदेही करवा लेना। जेसी तुरन्त अपना आई-पैड निकाल कर नक्शे पर मार्किंग करने मे व्यस्त हो गया था।

अचानक इतनी देर मे पहली बार बेग बोला… समीर, मुझे तुमसे कुछ बात करनी है। …हाँ मै सुन रहा हूँ। …यहाँ सबके सामने नहीं, मुझे अकेले मे कुछ बात करनी है। मै उसकी ओर चला गया और सहारा देकर उठाते हुए कहा… चलो। वह लंगड़ाते हुए मेरे साथ कमरे से बाहर निकल गया और एक खाली जगह पहुँच कर बोला… तुम कौन हो? …तुम्हें जो कहना है वह जल्दी से कहो क्योंकि तुमको भी उनके साथ जाना है। …उस लड़की से कहना कि खुदा के लिये इस घटना का जिक्र अपने अब्बा से न करे। …क्यों? वह चुप हो गया और काफी देर तक चुप रहने के बाद बोला… अपनी कौम के लिये तुम इतना काम तो कर सकते है। उसकी बात सुन कर मेरे तन बदन मे आग लग गयी थी। मुझसे रहा नहीं गया और कटाक्ष मारते हुए मैने पूछा… बेग साहब, आपको उस वक्त शर्म नहीं आयी जब उस लड़की को आप बेइज्जत कर रहे थे। अगर आप जैसे लोग हमारी कौम के ठेकेदार है तो अच्छा है कि पूरी कौम का रुसवा होना ही ठीक होगा। अचानक उसकी आवाज बदल गयी थी। …बस इतना जान लो कि इस खबर से हमारी कौम मे फूट पड़ जाएगी जिसका सीधा फायदा काफ़िरों को मिलेगा। उसकी बात सुन कर मेरा दिमाग चकरा गया था। …बेग साहब, जब तक आप मुझे साफ शब्दों मे नहीं बताएँगें तब तक मेरे पल्ले कुछ नहीं पड़ेगा। जहाँ तक कौम की बात है तो मुझे अभी भी यकीन नहीं हो रहा कि आपके कुकर्म को जग जाहिर करने से इस्लाम कैसे खतरे मे आ जाएगा। इतना बोल कर मै चुप हो गया और उसके चेहरे पर बदलते हुए हावभाव को समझने की कोशिश करने लगा।

कुछ देर तक वह चुप रहा और फिर धीरे से बोला… यह बात दारुल उलुम बरेलवी और दारुम उलुम देवबंद के बीच दरार डाल सकती है। …क्या मतलब? …क्या समीउल हक के दारुल उलुम हक्कानिया का नाम तुमने सुना है? यह नाम सुनते ही मेरे दिमाग मे खतरे की घंटी बज गयी थी। मैने मना करते हुए कहा… यह क्या है? …यह एक पाकिस्तानी संस्थान है जो हर साल चार हजार जिहादी तैयार करता है। यहीं के विद्यार्थीयों को तालिब कहते है जो सारी दुनिया मे तालिबान के नाम से मशहूर है। …इसका यहाँ क्या काम है? …समीर, हमारी कौम को गज्वा-ए-हिन्द करने की हिदायत मिली है। दारुल उलुम वह जरिया है जिसके द्वारा गज्वा-ए-हिन्द का सपना साकार हो सकेगा। दोनो दारुल उलुम हर साल हिन्दुस्तान के हजारों मुस्लिम नवयुवकों को जिहाद के लिये प्रशिक्षण देकर यहाँ पर गाज़ियों की सेना का गठन करके शरिया नाफिज करेंगें। अंसार रजा दारुल उलुम बरेलवी का हिस्सा है और मेरा ताल्लुक दारुल उलुम देवबंद से है। पिछले साल देवबंद की मजलिस मे इसका निर्णय लिया गया था। फिलहाल दोनों का मंसूबा यहाँ पर गाजियों की फौज तैयार करने का है परन्तु इस खबर के कारण मुझे डर है कि दोनो मे कहीं कोई मतभेद न पैदा हो जाये। इतना बोल कर वह चुप हो गया था। मै कुछ भी बोलने की स्थिति मे नहीं था। समीउल हक और तालिबान का जनक दारुल उलुम हक्कानिया की असलियत मुझसे छिपी नहीं थी परन्तु उसका भारतीय प्रतिरुप का होना हमारी आंतरिक सुरक्षा के लिये बहुत बड़ा खतरा था। अभी तक किसी भी इंटेल रिपोर्ट मे मैने इसका जिक्र नहीं देखा था। यह तो बंगाल मे बड़ी विस्फोटक स्थिति बन गयी थी।

कुछ सोच कर मैने कहा… बेग साहब, इसमे कोई शक नहीं दारुल उलुम हमारी कौम को गज्वा-ए-हिन्द के लिये नींव डाल रही है परन्तु इसके लिये तो बहुत से पैसों और हथियारों की जरुरत होगी। इसका इंतजाम कहाँ से होगा? …मियाँ इसके लिये हथियारों का इंतजाम तो पाकिस्तान से होता है और पैसों का इंतजाम अरब देश करते है। इसके अलावा अफगानी ड्रग्स नेपाल के रास्ते से यहाँ पहुँचती है जिसको हम यहाँ से दूसरे महानगरों मे पहुँचाते है। पाकिस्तानी आईएसआई की देखरेख मे सीमा पार से जमात-ए-इस्लामी हमको हथियार मुहैया कराती है। यह सब सिर्फ गज्वा-ए-हिंद का मंसूबा पूरा करने के लिये किया जा रहा है। एक बार हमारी कौम जिहाद के लिये तैयार हो गयी तो गज्वा-ए-हिन्द का सपना जल्द ही साकार हो जाएगा। …परन्तु बेग साहब दारुल उलुम देवबंद और दारुल उलुम बरेलवी को जिहाद के लिये बच्चे कहाँ से मिलते है? …पूरे बंगाल मे लगभग बहुत से छोटे और बड़े मदरसे है। यही सब मदरसे हर साल हजारों जिहादी बना रहे है। …यह दोनो संस्थान भारत मे कहाँ है? …हर राज्य मे यह दोनो संस्थान मिल जाएँगें। दारुल उलुम देवबंद की बंगाल शाखा बशीरघाट मे है और दारुल उलुम बरेलवी की शाखा मालदा मे है।  

मै अभी सारे खुलासे के बारे मे सोच रहा था कि तभी जेसी ने आकर कहा कि सभी पोजिशन्स को नक्शे पर मार्क कर लिया है। तभी एक अधेड़ उम्र का व्यक्ति मेरे पास आकर बोला… सर, आपसे कुछ बात करनी है। बेग उस आदमी को देख कर एक पल के लिये चौंक गया था। उस आदमी का इशारा समझते ही मैने कहा… बेग साहब को इनके लोगों के पास ले जाओ। तब तक मै इन से बात करता हूँ। बेग को लेकर जब जेसी ने चला गया तो उस व्यक्ति ने अपना परिचय पत्र मेरी ओर बढ़ाते हुए कहा… मेरा नाम चंद्रजीत बैनर्जी है। मै आईबी के लिये इस क्षेत्र मे काम करता हूँ। बेग पर काफी दिन से हमारी नजर थी। मैने तुरन्त उसे टोका… बैनर्जी साहब तो इतने दिन से आप यहाँ क्या कर रहे थे। यहाँ पर खुले आम सीमा पार से घुसपैठ और हथियारों की तस्करी हो रही है तो आपने अब तक क्या किया? …सर, हमने यहाँ की सरकार को कई बार इसकी सूचना दी थी परन्तु राजनीतिक कारणों से बेग के खिलाफ पुलिस कार्यवाही नहीं हो सकी थी। पहले वामपंथी सरकार ने इसको राजनीतिक संरक्षण दिया हुआ था और जब से नयी सरकार बनी है तो वह भी इसके प्रति नर्म रुख अपना रहे है।

मै कुछ सोच रहा था कि तभी बैनर्जी ने कहा… बेग का मदरसों के मौलानाओं और मुस्लिम समुदाय मे काफी प्रभाव है। वैसे भी जब से सीमावर्ती इलाकों मे मुस्लिम बहुसंख्यक हो गये है तभी से राज्य की सुरक्षा एजेन्सियाँ  भी सख्त कार्यवाही करने से डरती है। कलकत्ता से साफ निर्देश दिये गये है कि मुस्लिम समुदाय के विरुद्ध कोई भी कार्यवाही बिना राज्य सरकार की अनुमति के न की जाये। फौज को बेग के घर पर देख कर मै पता करने के लिये चला आया था कि माजरा क्या है। जब मैने आपकी कार्यवाही होते हुए देखी तो आपको आगाह करने के लिये आ गया। अच्छा होगा कि आप अपने लोगों को लेकर जितनी जल्दी हो सके यहाँ से निकल जाईए क्योंकि बेग की हिरासत की खबर अगर फैल गयी तो फिर आपके लिये यहाँ से सुरक्षित निकलना नामुमकिन हो जाएगा। …अगर मै तुम्हारी बात सही समझ रहा हूँ तो वामपंथियों और मुस्लिमों का यहाँ पर पहले से ही गहरा गठजोड़ है। …जी सर। मैने कुछ बोलने के लिये अपना मुख खोला ही था कि जेसी आता हुआ दिखा तो मैने जल्दी से कहा… बैनर्जी साहब आगे की बात बाद मे होंगी। पहले जिस काम के लिये आये है वह पूरा करना है। मेरी बात सुन कर बैनर्जी चुप हो गया था। अब तक मैने अपने दिमाग मे आगे की रणनीति की रुपरेखा बना ली थी।

रविवार, 16 अप्रैल 2023

 


 

गहरी चाल-4

           

पुरानी सी खड़खड़ाती हुई सरकारी बस मे हम हसनाबाद की ओर चल दिये थे। अपनी फ्राक त्याग कर चांदनी ने वामपंथियों की युनीफार्म जींस और कुर्ता पहन लिया था। उसने गले मे एक रेशम का स्कार्फ डाल लिया जिससे वह जब चाहे चेहरे और सिर को ढक सकती थी। मै भी ट्रेक सूट छोड़ कर जीन्स और शर्ट मे आ गया था। बस मे बैठे हुए यात्रियों पर एक नजर डाल कर मैने चांदनी से कहा… कलकत्ता शहर से निकलते ही लगता है कि गरीबी चारों ओर व्याप्त है। पैतींस साल तुम्हारी वामपंथी सरकार यहाँ रही लेकिन लगता है उन्होंने पर यहाँ पर कुछ नहीं किया। खिड़की के बाहर कच्ची फूस की झोपड़ियाँ और धान के लहलहाते हुए खेत दिखाते हुए मैने कहा… पूरे रास्ते मे पक्के मकान उंगलियों पर गिने जा सकते है। यहाँ पर गरीबी के यह हालात है। वह चिड़ कर बोली… तुम हमेशा हमारी विचारधारा पर तंज क्यों कसते रहते हो। क्या गरीबी सिर्फ यहाँ है, युपी और बिहार मे गरीबी नहीं है क्या? बस की हालत और सड़क के गड्डे तो वैसे ही सिर का दर्द बन चुके थे इसीलिए मैने बात बदलते हुए कहा… हसनाबाद के बाद कहाँ जाना है? …हम बहरामपुर, इंग्लिशबजार और कूचबिहार भी जा सकते है। यह तो तुम पर निर्भर करता है कि तुम क्या देख कर हमारी मदद करना चाहोगे। …चांदनी, मै अपनी कौम की मदद करने से पीछे कभी नहीं हटूँगा परन्तु अलगावादी और कट्टरपंथियों के साथ मै कभी भी काम नहीं करुँगा। मेरी बात सुन कर वह कुछ पल चुप रही फिर धीरे से बोली… मेरे लिये भी नहीं। बड़ी दृड़ता से मैने कहा… किसी के लिये भी नहीं। मेरी बात सुन कर वह चुपचाप बैठ गयी थी।

हसनाबाद छोटा सा शहर था परन्तु काफी घनी आबादी थी। यहाँ से बांग्लादेश की सीमा नजदीक थी। हम चार बजे तक हसनाबाद पहुँच गये थे। बस से उतर कर चांदनी ने अपना सिर और चेहरा स्कार्फ से ढक लिया था। अपना बैग पीठ पर और चांदनी का बैग अपने कंधे पर लाद कर हम दोनो सीधे मोहम्मद अली बेग से मिलने के लिये चल दिये थे। मोहम्मद अली बेग हसनाबाद शहर की जानी मानी हस्ती थी। हम दोनो की मूल भाषा बंगाली नहीं थी परन्तु वहाँ पर बहुत से लोग रोजगार की तलाश मे बिहार और यूपी से आये थे इसीलिए बातचीत करने मे आसानी हो गयी थी। हमारा रिक्शेवाला भी बिहारी था। उसी ने पूछने पर बताया कि मोहम्मद अली बेग कुछ गाँवों मे अपने मदरसे भी चला रहा था। शहर के बाहरी इलाके मे उसकी आलीशान कोठी थी। उसने हमे उसकी कोठी के बाहर उतारते  हुए पूछा… साहब अगर वापिस जाना है तो मै रुक जाता हूँ। …हाँ रुक जाओ। रात गुजारने के लिए क्या यहाँ कोई होटल या धर्मशाला है? …हाँ। …ठीक है। लौट कर हमे उस होटल पर छोड़ देना। यह कह कर अपना सामान रिक्शे मे छोड़ कर हम कोठी के गेट पर खड़े हुए गार्ड की ओर चल दिये थे। चांदनी ने किसी के नाम का हवाला देकर कहा… उन्होंने बेग साहब से मिलने भेजा है। गेट पर खड़ा हुआ गार्ड कोठी के अन्दर चला गया और कुछ देर के बाद अपने साथ एक आदमी को लेकर आता हुआ दिखायी दिया। सिर पर तुर्की टोपी, सफेद चिकन के कुर्ते और टखने तक के पाजामे मे वह आदमी हमारे पास आकर बोला… हाँ, किस लिये मिलना है। चांदनी ने जल्दी से कहा… तपन बिस्वासे आपकी बात हुई होगी। …हाँ। आप शरणार्थी कैंप देखना चाहती है। …जी। वह दोनो बात कर रहे थे और मै उस आदमी को देख रहा था।

मोहम्मद अली बेग के पहनावे, बातचीत और हावभाव मे एक बनावटीपन झलक रहा था। फौज मे कम परन्तु ऐसे लोगो को मैने अपने अब्बा के साथ बहुत बार देखा था। आँखों मे काजल, अधपके खिजाब लगे हुए बाल, खिचड़ी दाड़ी, गले मे भारी सोने की चेन और हाथ मे तस्बीह देख कर मै एकाएक सावधान हो गया था। बात करते हुए उसकी आँखें चांदनी पर चिपक कर रह गयी थी कि जैसे वह उसको वहीं निर्वस्त्र कर रहा था। मैने महसूस किया कि बात करते हुए चांदनी भी असहज हो गयी थी। मैने बीच मे टोकते हुए कहा… बेग साहब क्या पीने के लिए पानी मिल सकता है। हम दोनो बहुत लम्बा सफर करके आ रहे है। एकाएक उसकी निगाह मुझ पर पड़ी तो वह झेंपते हुए बोला… जरुर। माफ कीजिए आप लोग अन्दर आईए। मै इनकी बातों मे खो गया था कि आपको बिलकुल भूल गया। हम दोनो उसके साथ चलते हुए घर के अन्दर दाखिल हो गये थे। बैठक मे पहुँच कर वह बोला… आप लोग तशरीफ रखिए। यह बोल कर वह हमे छोड़ कर अन्दर चला गया। मै चुपचाप चांदनी के साथ एक सोफे पर बैठ गया था। कुछ देर के बाद वह हमारे सामने आकर बैठते हुए बोला… आपकी तारीफ। …मेरा नाम समीर बट है। हम दोनो साथ पढ़ते है। …ओह। तो आप भी इनके साथ कैंम्प देखने आये है। …जी, इनकी तरह मै भी देखना चाहता हूँ कि वह लोग कैसे सीमा पार करके यहाँ पहुँचते है और आप जैसे लोग उनकी कैसे मदद करते है। हम बात कर रहे थे कि दो नौकर ट्रे मे चाय और पानी लेकर आ गये थे। मैने पानी का ग्लास उठा कर पूछा… बेग साहब, इतना सब काम आप कौम के लिये कर रहे है। इसके लिये बहुत पैसों की जरुरत पड़ती होगी। पहली बार मेरी बात सुन कर उसकी आँखें चौकन्नी हो गयी थी। तभी चांदनी बोली… समीर यहाँ इसीलिए मेरे साथ आया है कि वह कैसे अपनी कौम की मदद पैसों से कर सकता है। इसका कारोबार काफी फैला हुआ है। यह सुन कर अचानक मोहम्मद अली बेग के हावभाव बदल गये थे।

…हमे ऐसे लोगों की बहुत जरुरत रहती है। इस काम के लिये सरकार की ओर से हमे कोई खास मदद नहीं मिलती है। सारा काम अभी तक मै अपने पैसों से चला रहा हूँ। मेरे चार मदरसे सीमावर्ती इलाकों मे चलते है। मेरे दो शरणार्थी कैंप चल रहे है। हर कैंप मे लगभग 100-120 परिवार ठहरे हुए है। मैने उसकी बात को बीच मे काटते हुए पूछा… बेग साहब आप मेरी बात का बुरा मत मानिएगा परन्तु आपने बताया नहीं कि आप क्या काम करते है? मेरी बात सुन कर वह चुप हो गया और फिर मेरी ओर गौर से देखते हुए बोला… अपना काश्तकारी का काम है। …तो आप किसान है। …जी। सब अल्लाह की मेहरबानी है। चाय समाप्त करके मैने कहा… बेग साहब। हम चल कर आपका काम कब देख सकते है? अपनी कलाई पर चमकती हुई घड़ी पर नजर डाल कर वह बोला… कुछ ही देर मे अब रात हो जाएगी। कल सुबह चलिए आपको मदरसे और कैंम्प दिखा दूँगा। …बेग साहब मैने सुना है कि सीमा सुरक्षा बल के लोग बड़ा परेशान करते है। …खबीस के बच्चे, बीएसफ वाले पैसे भी लेते है और हमारी लड़कियों की अस्मत भी तार-तार करते है। मैने चांदनी पर नजर डाली तो वह मेरी ओर देख रही थी। …सीमा पार करने के लिये वह कितने पैसे लेते है। …तीन सौ प्रति व्यक्ति। बहुत बार ऐसा होता है कि किसी की बीवी, बहन और बेटी पर बुरी नजर पड़ गयी तो वह उसे एक रात के लिए सीमा पर रोक लेते है और सुबह की पाली बदलने से पहले उसके परिवार को सौंप देते है। …बेग साहब आप इसके बारे मे कुछ नहीं करते। …मियाँ, पानी मे रह कर मगर से बैर नहीं किया जा सकता। मैने उठते हुए कहा… बेग साहब इजाजत दीजिए। कल हम कितने बजे यहाँ हाजिर हो जाएँ? वह खड़े हो कर बोला… आप लोग दस बजे तक आ जाईयेगा। हम लोग बात करते हुए बाहर निकल आये थे। उससे विदा लेकर जैसे ही हम आगे बढ़े उसने पूछा… आप कहाँ ठहरे हुए है? …हम यहीं एक होटल मे ठहरे हुए है। वह मुस्कुरा कर चांदनी से बोला…यहाँ के होटल आप जैसी नाजनीनों के लायक नहीं है। आप चाहे तो यहीं मेरे गरीबखाने मे ठहर जाईये। शुक्रिया बोल कर चांदनी उसका प्रस्ताव ठुकरा कर मेरे साथ चल दी थी।

वह चलते हुए बड़बड़ाई… कितना कमीना इंसान है। मुझे उसकी आँखे मेरे कपड़े मे झांकती हुई लग रही थी। …तुम हो ही इतनी सुन्दर। इसमे उस बेचारे की क्या गलती है। उसने मुझे घूर कर देखा और फिर तेजी से बोली… अब मुझे वामपंथी विचारधारा पर लेक्चर मत देना। हमारा रिक्शेवाला पेड़ के नीचे बैठा हुआ बीड़ी फूँक रहा था। हमे आता हुआ देख कर जल्दी से बीड़ी फेंक कर हमारे पास आकर बोला… बहुत समय लग गया। चलिये आपको होटल लेकर चलता हूँ। …चलो। हम रिक्शे मे बैठ गये और वह होटल की दिशा मे चल दिया था। कुछ दूर चलने के बाद मैने पूछा… भाई आपका क्या नाम है? …रामबीर। …तुम बेग साहब को जानते हो? …साहब, उन्हें कौन नहीं जानता। …तुम कब से यहाँ रह रहे हो? …साहब, मुझे यहाँ आये हुए दस साल से ज्यादा हो गये है। …रामबीर, यहाँ पर कोई ठेका वगैराह है? …हाँ साहब। यहाँ अंग्रेजी और देसी सभी प्रकार की दारु मिलती है। …तुम पीते हो? उसने झिझकते हुए कहा… नहीं साहब। …चलो पहले होटल मे कमरा लेकर इन्हें छोड़ देते है फिर चल कर बोतल का इंतजाम करेंगें। उसने जल्दी पाँव चलाये और एक होटल के सामने ले जाकर खड़ा हो गया। …साहब, यहाँ का यह सबसे अच्छा होटल है। रामबीर हमारे बैग उठा कर हमारे साथ चल दिया था। रिसेप्शन पर कागजी औपचारिकताएं पूरी करने मे कोई ज्यादा समय नहीं लगा और कुछ ही देर मे हम लोग कलकत्ता जैसे एक कमरे मे बैठे हुए थे। रामबीर ने झिझकते हुए कहा… अच्छा साहब। मैने अपने पर्स से सौ रुपये का एक नोट निकाल कर उसके हाथ मे रखते हुए कहा… रामबीर यह तुम्हारा आज का मेहनताना है। अब चल कर एक बोतल का इंतजाम करते है। अचानक चांदनी घुर्रा कर बोली… क्या तुम शराब पीयोगे? …हाँ। बहुत थकान हो रही है। तुम्हें भी पीना है तो अपनी पसन्द बता दो। वह तुनक कर बोली… मुझे कुछ नहीं पीना है। …तुम कैसी वामपंथी हो जो नहीं पीती। तुम्हारे घर की पार्टी मे तो सभी पी रहे थे। यह कह कर चांदनी को वहीं छोड़ कर मै रामबीर के साथ बाहर निकल आया था।

उसने रिक्शा एक किनारे मे खड़ा किया और बोला… साहब, आप क्या पीयोगे? …तुम क्या पीते हो? वह झेंप कर बोला… मै नहीं पीता। …अरे यार शर्माना छोड़ो। तुम कौनसी पीते हो। नयी जगह पर मै कोई खतरा मोल नहीं लेता। …साहब, हम तो कभी-कभी देसी ले लेते है। वैसे यहाँ आप जैसे साहब लोग ज्यादातर बैगपाईपर लेते है। मैने पर्स से पाँच सौ का नोट निकाल कर उसके हाथ मे रखते हुए कहा… एक बोतल ले आओ। आज बैगपाईपर पीते है। खाने के लिए क्या मिलेगा? …आप चल कर देख लिजीए। वहाँ आपको मच्छी, बोटी, वगैराह सब मिल जाएगी। मै उसके साथ चल दिया था। कुछ देर मे एक बैगपाईपर की बोतल और खाने का सामान लेकर हम होटल की ओर वापिस लौट रहे थे कि मैने पूछा… रामबीर, वह बेग मियाँ मुझे सही आदमी नहीं लगते है। वह मेरे साथ चुपचाप चल रहा था। …वह मेरी बीवी को बड़ी गन्दी निगाहों से देख रहा था। अचानक वह धीरे से बोला… साहब, धीरे बोलिये। वह निहायत ही कमीना इंसान है। वह शराब की दुकान जहाँ से बोतल खरीदी है वह दुकान उसी की है। …उस कमीने को गोली मारो। पहले चल कर कुछ गला तर किया जाये। हम दोनो कमरे मे चले गये थे। चांदनी अपने कपड़े बदल कर एक बार फिर से पुरानी वेषभूषा मे आ गयी थी। मेरे हाथ मे बैगपाईपर की बोतल देख कर वह एक बार फिर से नाराज हो गयी थी।

…रामबीर, तुम कुछ प्लेट और ग्लास नीचे से ले आओ। तब तक मै खाने का सामान खोलता हूँ। रामबीर जल्दी से कमरे से बाहर निकल गया और मैने खाना खोल कर बिस्तर पर रखते हुए चांदनी से कहा… कामरेड अपने कान खुले रखना। अपने वामपंथी जिलाध्यक्ष की असलियत जान लो। रामबीर ने तीन प्लेट और ग्लास बिस्तर पर रख कर जमीन पर चुपचाप बैठ गया। मैने बोतल खोल कर एक ग्लास रामबीर को पकड़ाते हुए कहा… भाई अपने हिसाब से अपना ग्लास तैयार कर लो। मैने अपनी एक ड्रिंक खुद तैयार की और हवा मे उठा कर बोला… चीयर्स। रामबीर ने हवा मे ग्लास उठाया और उँगली ग्लास मे डाल कर हवा मे छिड़क कर एक भरपूर घूँट भर कर बोला… साहब आप देवता हो। मैने एक घूँट भर कर कहा… भाई, मेरी बीवी की नजर मे हम दोनो तो पापी इंसान है। उसके लिये तो बेग साहब देवता है जो हर घड़ी माला जपते रहते है। वह एक पल चुप हो गया और एक और बड़ा सा घूँट लेकर बोला… साहब, वह दोगला इंसान है। यहाँ रहने वाले सभी पुराने लोग उसकी असलियत जानते है। सात साल पहले तक वह सड़कछाप गुन्डा था। मै जब नया-नया यहाँ आया था तब मजदूरी करने के लिये हम सभी से वह जबरदस्ती हफ्ता वसूला करता था। वह मारा-मारी और बलात्कार के जुर्म मे चार बार जेल हो आया है और अब कैसा दयावान बनता है। इतना बोल कर एक ही घूँट मे उसने अपना ग्लास खाली कर दिया था। चांदनी पर एक नजर डाल कर मैने कहा… भाई, तुम अपना ग्लास बनाओ और कुछ खाते भी रहो। खाली पेट शराब सीधे दिमाग पर चड़ जाती है। …साहब, यह विदेशी दारु हम पर कोई खास असर नहीं करती। वह अपना ग्लास भरने मे लग गया था।

चांदनी जो अब तक मुँह फुलाये दूर बैठी थी सरक कर मेरे साथ आकर बैठ गयी। मैने प्लेट उसकी ओर बड़ाते हुए कहा… तुम खाना खा लो। उसने मेरी ओर घूर कर देखा और प्लेट लेकर खाना खाने बैठ गयी थी। मैने एक घूँट लेकर कहा… अरे रामबीर, वह तो बता रहा था कि वह अपने पैसे से मदरसे और शरणार्थी कैंप चला रहा है। अबकी बार वह हँसते हुए बोला… हाँ साहब, यह बात तो ठीक है परन्तु उसकी असलियत कोई नहीं जानता है। कैंम्प की औरते और लड़कियों को वह यहाँ के अफसरों को सप्लाई करता है। कुछ दिन पहले मंसूर का पाँच साल का लड़का खेत मे मरा हुआ मिला था। सब जानते है कि उसके मदरसे मे क्या चलता है। सब जानते है कि उसके लोग मदरसे मे जाने वाले छोटे बच्चे और बच्चियों के साथ कैसा कुकर्म करते है। साहब, क्या बताऊँ उसके लोग फौज की वर्दी पहन कर सीमा पार से असला और बारुद लेकर आते है। उसके गोदाम मे कितना असला रखा हुआ है कोई नहीं जानता परन्तु पिछले चार चुनावों मे यहाँ जितनी भी मारकाट हुई है वह सब उसी ने करवायी थी। कोई उसके खिलाफ कुछ नहीं बोलता क्योंकि पुलिस उसके हाथों की कठपुतली बनी हुई है। पहले वामपंथियों के लिये वह चुनाव मे बूथ पर कब्जा किया करता था और फिर यहाँ के विधायक ने उसे पार्टी का जिलाध्यक्ष नियुक्त करवा दिया था। आपने उसकी कोठी तो देखी है। असल मे वह कोठी बिनायक बाबू की है जिस पर उसने जबरदस्ती कब्जा कर लिया था। बात करते हुए वह तीन ग्लास खाली कर चुका था। मेरा ग्लास भी खाली हो गया था तो उसने जल्दी से मेरा ग्लास भर कर कहा… साहब, मेरी सलाह मानो तो आप मेमसाहब को लेकर जल्दी से जल्दी यहाँ से निकल जाओ।

अचानक चांदनी ने पूछा… भईया, उन कैंपों मे रहने वाले किसी परिवार को आप जानते है। रामबीर एक पल के लिये चुप हो गया और फिर कुछ सोच कर बोला… कुछ महीने पहले कैंम्प की एक लड़की की लाश शहर के बाहर तालाब के पास पड़ी मिली थी। आप उसके परिवार से बात कर सकती है। कैंम्प मे जितने जवान लड़के और आदमी रहते है वह सब बेग के लिये तस्करी का काम करते है। पुलिस की छ्त्रछाया मे उसका सारा गैरकानूनी काम चल रहा है। …सीमा पर तो बीएसएफ लगी हुई है तो भला यह कैसे मुमकिन हो सकता है। …छोड़िये साहब। वह लोग भी बिके हुए है। हर आदमी पैसा बनाने मे लगा हुआ है। भला बीएसएफ के होते हुए कैसे हर जुमे की रात को दो सौ से ज्यादा बंग्लादेशी यहाँ घुस जाते है। हर महीने आधे से ज्यादा बेग साहब के कैंम्प मे रहने वाले परिवार कैसे बदल जाते है। कोई भी परिवार कैंम्प मे बस उतने दिन ही ठहरता है जब तक उसका पहचान पत्र और राशन कार्ड नहीं बनता। एक बार उसके कार्ड बन गये तो वह रात के अंधेरे मे देश मे इधर-उधर निकल जाते है। …रामबीर, मैने सुना है कि यहाँ पर जबरदस्ती धर्म परिवर्तन भी कराया जा रहा है। …नहीं साहब। ऐसी बात नहीं है। कैंम्प मे आने वालो मे बहुत कम हिन्दु परिवार होते है। उनकी औरतों और लड़कियों को अपने लड़को के साथ जबरदस्ती निकाह पढ़वा मुसलमान बनवा देना तो यहाँ आम बात है। कैंम्प के बाहर धर्म परिवर्तन की बात मैने कभी नहीं सुनी है। अब बोलते हुए रामबीर की आवाज लड़खड़ाने लगी थी। मैने कहा… बहुत हो गया है। रामबीर कुछ खाकर घर चले जाओ। अभी भी एक तिहाई बोतल बच गयी थी। वह ललचाई हुई नजरों से बोतल को देख रहा था। मैने जल्दी से अपना ग्लास भरा और एक खाली ग्लास भर कर चांदनी की ओर बढ़ाते हुए कहा… मेमसाहब आज एक जाम तो हमारे साथ भी पी सकती हो। कह कर वह ग्लास उसके आगे रख कर बाकी की बोतल रामबीर की ओर बढ़ाते हुए कहा… लो इसको तुम खत्म करो। रामबीर ने झपट कर बोतल को मुँह से लगाया और एक घूँट मे बोतल खाली करके बोला… साहब, मै कुछ खाने का सामान अपने साथ ले जाता हूँ। अपने रिक्शे पर बैठ कर आराम से खा लूँगा। …ले जाओ यार। आज पीने मे मजा आ गया। उसने खाने का सामान एक थैले मे भरा और उठते हुए बोला… साहब, चलता हूँ। कल सुबह कितने बजे आ जाऊँ? …दस बजे तक आ जाना। …मै नौ बजे ही पहुँच जाऊँगा साहब। यह बोल कर वह कमरे से बाहर निकल गया था।

प्लेट मे रखा हुआ खाना खाते हुए मैने पूछा… कामरेड, मोहम्मद अली बेग के बारे मे अब आपका क्या ख्याल है? चांदनी गहरी सोच मे डूबी हुई थी। मैने चुपचाप खाना खाया और अपना ग्लास खाली करके बिस्तर पर रखा हुआ सारा सामान समेट कर कमरे से बाहर रख कर आया तब तक चांदनी अपने हाथ मे पकड़े हुए ग्लास को आधा खाली कर चुकी थी। …अरे नीट पी रही हो। पानी तो मिला लो। उसने मेरी ओर देखा और फिर मुस्कुरा कर बोली… बेग के बारे मे सुन कर मेरा दिमाग घूम गया है। नीट व्हीस्की ही अब दिमाग को स्थिर कर सकेगी। समीर, यह तुमने कैसे पता किया कि यह इतना कुछ जानता होगा और वह तुम्हें बता भी देगा? …गरीब रिक्शेवाला सारा दिन सड़क पर घूमता है और सैकड़ों लोगों के साथ बात करता है। बस उसकी झिझक खोलने की जरूरत थी तो शराब से बेहतर कौन सी दवा हो सकती है। यही सोच कर मैने आज पीने की योजना बनायी थी। बहुत कुछ बता दिया उसने अब यह हमारे उपर है कि इस सूचना का क्या करना है। …अब तुम क्या करने की सोच रहे हो? …परसों जुमे की रात है। सीमा पर जाकर एक बार सब कुछ अपनी आँखों से देखना चाहता हूँ। उसने एक घूँट भरा और धीरे से गटकने के बाद ग्लास की ओर देखते हुए बोली… मै उसकी बात नहीं कर रही हूँ। एक झटके के साथ उसने अपना ग्लास खाली करके मेरी ओर देखा तो उसकी आँखों मे उसकी मंशा साफ नजर आ रही थी।

उसकी आँखों मे नशे के सुरुर के लाल डोरे तैर रहे थे। मै धीरे से उसके पास सरक कर बोला… कामरेड सोच लो। इसके आगे बढ़ गया तो वापिस नहीं लौट सकूँगा। वह सरक कर मुझसे सटते हुए अपने होंठों को जुबान से भिगोते हुए बोली… ट्रेन के बाद अब क्या सोचना बाकी रह गया है। उसके कांपते हुए सुर्ख होंठ बल्ब की रौशनी मे चमक रहे थे और एकाकार के पूर्वाभास से उसकी सांसे तेज चल रही थी। मैने झुक कर धीरे से उसके कन्धे को चूम कर उसे सहारा देकर बेड पर लिटा दिया और अपनी शर्ट उतार कर उस पर झुक कर उसके होंठ पर धीरे अपने होंठ टिका दिये लेकिन इससे पहले मै आगे बढ़ता कि उसने अपने दोनो हाथों मे मेरा चेहरा पकड़ कर मेरे होंठों पर छा गयी थी। वह कभी मेरा होंठ चूसती और कभी धीरे से चबा देती थी। धीरे-धीरे जब वह कमजोर पड़ने लगी तब मै उस पर छा गया और बेदर्दी से उसके होंठों का रसपान करना आरंभ कर दिया। उसके होंठों और गालों का रस सोखने के बाद मेरे हाथ उसकी फ्राक को सीने पर समेटने मे व्यस्त हो गये थे।

उसकी फ्राक को समेटते हुए जैसे ही मेरा हाथ उसकी कमर पर आया कि तभी मुझे एहसास हुआ कि उसने नीचे कुछ नहीं पहना था। आज वह एकाकार के लिये मानसिक रुप से तैयार बैठी थी। शायद इसीलिए जब हमारी पीने-पिलाने की बात होने लगी थी तो वह नाराज हो गयी थी। उसके हावभाव देखने से साफ था कि वह एकाकार के सुख के बारे मे अनुभवहीन नहीं है। एक बार झीनी सी कपड़े की फ्राक  मे उन्नत गोलाईयों पर बादामी रंग के शिखरों पर नजर डाल कर मैने नग्न सफाचट कटिप्रदेश की ओर रुख किया। कुछ हरकत न होते देख कर चांदनी कसमसाते हुए उठने लगी तो मैने जबरदस्ती उसे लिटा दिया। एलिस ने सिखाया था कि स्त्री की कामाग्नि कोयले की भांति धीमे सुलगती है जिसे भड़काने के लिये अथक प्रयास करना पड़ता है। पूर्ण यौन सुख पाने के लिये पुरुष को स्त्री की कामाग्नि जब चरम पर हो तभी एकाकार करना चाहिए। चांदनी की बेचैनी को देख कर मैने अपना मुख अधखुली हुई योनि के पास लेजा कर धीरे से साँस छोड़ी तो वह इस अप्रत्याशित हमले से चिहुँक कर उत्तेजना से काँप उठी थी। धीमी रफ्तार से नग्न अन्दरुनी भाग पर अपनी गर्म शव्सों को लगातार छोड़ते हुए योनिमुख की ओर बढ़ गया। लगातार गर्म साँसों का आघात से चांदनी विचलित होने लगी और अजीब सी सनसनाहट उसके सारे जिस्म में फैलनी आरंभ हो गयी थी। कभी वह छिटक कर दूर होने की कोशिश करती और कभी अपने शरीर को बस में रखने के लिये पंजो को सिकोड़ती और कभी मेरा सिर पकड़ने की कोशिश करती परन्तु धीरे-धीरे उसका अपने जिस्म पर नियंत्रण खोता जा रहा था। 

थोड़ा रुक कर, मै उठ कर बैठ गया था। आग भड़क गयी थी और उसने आनन-फानन मे अपनी फ्राक को जिस्म से जुदा कर दिया था। मेरे निशाने पर दो हसीन पहाड़ियॉ आ गयी थी। मैने बिना स्पर्श किये अपनी गर्म साँसें से उन पर आघात करना आरंभ कर दिया। वह भी उत्तेजना की चरम सीमा पर पहुँचने को हो रही थी। कभी गुदगुदी का एहसास, कभी शरीर मे सिहरन, कभी अनजानी राह की अनिश्चितता, और इन सब में धीमी आँच मे जलता हुआ उसका बदन मुझे अब आगे बढ़ने का इशारा कर रहा था। मै कोई हरकत करता इससे पहले चांदनी मुझसे एक लता कि भांति लिपट गयी थी। कुछ देर उसके कोमल जिस्म को सहलाते हुए उसके लरजते अधरों को चूमते, चूसते और काटते हुए लाल किया और फिर धीरे से अपनी पतलून को त्याग कर उस पर छा गया। मेरा पौरुष अब तक रौद्र रुप ले चुका था। बिना विलंब किये अपने अकड़े हुए भुजंग को उसके योनिमुख पर रगड़ कर धीरे से अन्दर सरका दिया। एक क्षण के लिये वह मेरी पकड़ मे मचली परन्तु मेरा एक हाथ उसकी लालिमा लिये पहाड़ी को रौंरहा था और मेरा मुख एक बादामी बुर्जी को लाल करने का प्रयत्न कर रहा था। मेरा एक हाथ उसके सुडौल नितंब को निचोड़ रहा था। उसके मचलने के कारण मेरा जनानंग धीरे से अन्दर सरका तो उसके मुख से एक गहरी सिसकारी निकल गयी थी।

एकाएक उसकी सिसकारी सुन कर मै स्थिर हो गया था। उसके जिस्म मे उठने वाले हर स्पंदन को मुझे अपने जनानंग पर एहसास हो रहा था। वह अब पूर्ण एकाकार के लिये स्थिर होकर तैयार हो गयी थी। मैने उसके दोनो नितंबो को अपने पंजों मे जकड़ लिया और अचानक एक जोर का झटका मारते हुए पूरी शक्ति से अपनी कमर पर दबाव डाला तो मेरा जनानंग सारी बाधायें ध्वस्त करता हुआ उसकी गहराईयों मे जाकर धँस गया। वह बिलबिला कर तड़पी फिर छूटने के लिये मचली परन्तु तब तक बहुत देर हो चुकी थी। उसके मुख से एक घुटी हुई चीख ही निकल सकी थी। वह कुछ क्षण शिथिलता से मेरे नीचे दबी पड़ी रही फिर एकाएक उसने मुझे अपनी बाँहों मे जकड़ लिया। हम दोनों कुछ देर तक बेल की तरह एक दूसरे के साथ गुथे पड़े रहे और फिर उसने मुझे आगे बढ़ने का इशारा किया। मैने अपने आप को थोड़ा सा पीछे खींच कर फिर से एक करारी चोट मारी तो अबकी बार उसके मुख से एक संतुष्टि से भरी सित्कार निकल गयी थी। एक बार फिर से मै उसकी उन्नत पहाड़ियों के मर्दन और उन पर सजी हुई बादामी बुर्जीयों को लाल करने में जुट गयामेरा दूसरा हाथ धीरे से उसके सुडौल नितंबों पर बेखटके कुछ ढूंढने का प्रयास कर रहा था। कमरे एक तूफान धीरे-धीरे गति पकड़ रहा था और हम दोनो की सिसकारियाँ और गहरी साँसें कमरे मे गूँज रही थी। सी आपाधापी मे मेरी उंगली उसके सूरजमुखी आकार के छिद्र पर जा टिक गयी थी। मैने धीरे से अपनी उँगली को उसके रिसते हुए पिघलते लावे से नहलाया और फिर उस छिद्र को उसी से भिगो दिया। मेरी हरकतों से अनभिज्ञ, चांदनी मिलन की चरम सीमा पर पहुँचने के लिए व्याकुल हो रही थी। मैने धीरे से उसकी बायीं बुर्जी का रस सोखते हुए एकाएक दाँतों से चबा दिया और पूरी ताकत से उँगली को सूरजमुखी आकार के छिद्र मे प्रविष्ट करते हुए एक करारी आखिरी चोट मारी तो चांदनी तीन तरफे हमले को सह नहीं पायी और झरझरा कर रस पड़ी थी। उसके जिस्म मे उठने वाले भूचाल ने मुझे भी धाराशायी कर दिया था। हम दोनों एक दूसरे को बाहों मे जकड़ कर कुछ देर तक लस्त होकर पड़े रहे और फिर निढाल होकर बेड पर लुड़क गये।

कुछ देर के बाद चांदनी पलकें झपकाती हुई मेरे सीने पर सिर रख कर बोली… समीर, तुम्हारा उस छिनाल के साथ क्या रिश्ता है? …तुमने कब देखा? …जब तुम दोनो पार्टी छोड़ कर साथ बाहर निकल रहे थे। मै समझ गया था कि वह नीलोफर के बारे पूछ रही थी। …कुछ नहीं बस दोस्ती है। तुम उसे कैसे जानती हो? …हमारी सोसाइटी मे उसे कौन नहीं जानता। वह एक जानी-मानी हस्ती है। उसका संपर्क नेताओं, मिडिया और प्रशासन मे बेहद गहरा है। मेरे अब्बा पर जब नेतागिरी का भूत चड़ा तो उसकी मदद से उनको पार्टी का टिकिट मिला था। क्या तुम भी नेतागिरी करने की तो नहीं सोच रहे? मै उसके कोमल अंगों से खेल रहा था और वह लगातार मेरे हाथ को पकड़ने की असफल कोशिश कर रही थी। मैने हँसते हुए कहा… नहीं। मेरे अन्दर नेता बनने वाला एक भी गुण नहीं है। वह भी खिलखिला कर हँसी और मेरे सीने पर मुक्का मारते हुए बोली… एक वामपंथी छात्र नेता के उत्पीड़न करने की सभी गुण तुम मे जरूर है। मैने उसे अपनी बाँहों मे जकड़ते हुए कहा… कट्टर वामपंथी के मुख से यह बात शोभा नहीं देती। …मै कट्टर वामपंथी नहीं हूँ। मै उनकी विचारधारा को मानती हूँ परन्तु जबसे रामबीर की बात सुनी है तब से मेरा विश्वास डगमगा गया है। …तुम तपन बिस्वाको कैसे जानती हो? …वह हमारे कालेज मे आये थे और मै उनके भाषण से बड़ी प्रभावित हुई थी। जब उन्होंने जामिया मे एक नया छात्र संगठन स्थापित किया तब से मै उनके साथ जुड़ गयी थी। …तुम्हें पता है कि वह नक्सलवादी है। …हाँ। वह एक अच्छे प्रोफेसर है और दूर-दराज जंगल मे रहने वाले गरीबों की आवाज बने है। उन्होंने बहुत बलिदान दिया है। मैने करवट लेकर उस पर छाते हुए कहा… कामरेड तुमसे तुम्हारी विचारधारा बलिदान मांग रही है। वह मुझे अपने से दूर धकेलने लगी परन्तु उसका जिस्म स्वत: ही एकाकार के लिये तैयार हो गया था। एक बार फिर से दो जवान जिस्म एक दूसरे मे समाने के लिये अग्रसर हो गये थे लेकिन इस बार एकाकार मे वह तीव्रता नहीं थी। उस रात कब हमारी आँख लगी पता ही नहीं चला था।

सुबह हमेशा की तरह मै सबसे पहले जाग गया था। जब तक मै तैयार होकर बाहर निकला तब तक चांदनी भी उठ गयी थी। मैने चाय का इंतजाम किया और फिर बाहर टहलने के लिये निकल गया था। चांदनी तैयार होकर जब तक नीचे आयी तब तक मै शहर के एक हिस्से को नाप चुका था। हम लोग होटल के साथ बने हुए छोटे से रेस्त्रां मे नाश्ता कर रहे थे तब तक रामबीर भी आ गया था। नाश्ता समाप्त करने के बाद हम दोनो रिक्शे मे बैठ कर बेग की कोठी की ओर चल दिये थे। …साहब, मै आपको एक आदमी से मिलवाना चाहता हूँ। …वह कौन है? …साहब, मंजूर इलाही एक बांग्लादेशी है। वह तीन साल पहले यहाँ बेग साहब की मदद से आया था। वह आपको बेग साहब की सारी असलियत बता देगा। …आज शाम को उसे भी अपने साथ ले आना।

मेरी बात सुन कर उसने जल्दी से पैडल मारने शुरू कर दिये और कुछ ही देर मे हम बेग की कोठी के बाहर खड़े हुए थे। आज कोई नया गार्ड खड़ा हुआ था। एक बार फिर से चांदनी ने जाकर अपना परिचय दिया और बेग को खबर करने के लिये कह कर वह वापिस मेरे साथ आकर खड़ी हो गयी थी। थोड़ी देर के बाद बेग अपने साथ कुछ लोगो के साथ बाहर निकला और हमारे पास पहुँच कर बोला… माफ कीजिए। मै आपके साथ आज नहीं जा सकता। मुझे आज कलकत्ता जाना है। शाम तक लौट आऊँगा और आपको कल कैंम्प लेकर चलूँगा। मैने जल्दी से कहा… बेग साहब, अगर आप इजाजत दें तो हम खुद ही कैंम्प घूम कर आ जाते है। …समीर मियाँ, वहाँ की सुरक्षा आपको प्रवेश नहीं करने देगी। …तो क्या हम आपके द्वारा चलाये जा रहे मदरसे को देखने जा सकते है? इस बार वह कुछ सोच कर बोला… हाँ। आप आज मेरे मदरसे देख लिजीए। अपने साथ खड़े हुए व्यक्ति से वह बोला… जमाल, आज इनको अपने यहाँ के मदरसे दिखा दो। कल मै इन्हें अपने साथ शरणार्थी कैंम्प दिखाने ले जाऊँगा। इतना कह कर वह गेट पर खड़ी हुई बड़ी सी फार्च्युनर मे बैठा और चला गया।

हम जमाल के साथ चल दिये थे। जमाल ने चलते हुए पूछा… आप लोग कहाँ से आये है? …फिलहाल तो दिल्ली से आ रहे है लेकिन मै उससे भी दूर श्रीनगर से आया हूँ। वह कुछ बोलता कि उसके फोन की घंटी बज उठी थी। …एक मिनट यहीं ठहरिए। यह कह कर वह हमसे कुछ दूरी बना कर फोन पर बात करने लगा। कुछ देर के बाद वह हमारे पास आकर बोला… आपके पास कोई चलने का साधन है? मैने रिक्शे की ओर इशारा करके कहा… यहाँ पर तो सिर्फ यही साधन उपलब्ध है। वह कुछ सोच कर बोला… भाईजान, मै इसको रास्ता समझा देता हूँ। यह आपको तीनो मदरसे दिखा देगा। मुझे तुरन्त किसी काम के लिये जाना पड़ रहा है। वह रामबीर की ओर चला गया और कुछ समझाकर वापिस लौटते हुए बोला… मैने उसे समझा दिया है। वह आपको वहाँ ले जाएगा। अच्छा, खुदा हाफ़िज। इतना बोल कर वह वापिस कोठी मे चला गया था। हम रिक्शे पर बैठ कर मदरसे की ओर चल दिये थे। …रामबीर हम कहाँ जा रहे है? …साहब, पहले सीमा के पास वाले मदरसे चल रहे है। वहाँ से लौट कर नदी पार दूसरे मदरसे चलेंगें।

रास्ता बेहद खराब था। धान के खेतों के बीच जगह-जगह से टूटी हुई कच्ची सड़क गड्डों से भरी हुई थी। इसी कारण हमे पहुँचने मे काफी समय लग गया था। जैसी सड़क से आये थे लगभग वैसा ही दूर से मदरसा दिख रहा था। एक खंडहर से कमरे को दीन-ए-इस्लामिया का नाम दिया था। एक बच्चे को अपनी गोदी मे लेकर अधेड़ से मौलवी साहब एक टूटी हुई कुर्सी पर बैठे हुए थे। वह बच्चा बार-बार उचक कर अपने आपको उनसे छुड़ाने का असफल प्रयास करता और मौलवी साहब उसको जबरदस्ती बाँहों मे जकड़ कर बैठे हुए थे। बीस-पच्चीस भिन्न उम्र के बच्चे जमीन पर सिर झुकाये बैठे हुए कुरान की आयात रट रहे थे। यह दृश्य मेरे लिये नया नहीं था। बचपन मे अपने मदरसे मे ऐसे दृश्य मैने बहुत बार देखे थे। हमे रिक्शे से उतरते देख कर मौलवी साहब ने हड़बड़ा कर जल्दी से बच्चे को अपनी गोदी से धकेल कर अलग किया और अपने कपड़े ठीक करते हुए वह उठ कर खड़े हो गये थे। चांदनी ने भी सारा दृश्य देख लिया था। उसके चेहरे पर बदलते रंग के साथ एक रोष भी झलकने लगा था। …कामरेड अपने आपको संभालो। सिर्फ काम पर ध्यान दो। इतना बोल कर मै आगे बड़ गया था।   

…सलाम वालेकुम। मौलवी साहब ने एक नजर भर कर चांदनी को देखा और फिर अपनी दाड़ी पर हाथ फेर कर बोले… मियाँ, यहाँ कैसे आना हुआ? …बेग साहब ने अपना मदरसा देखने भेजा है। …मियाँ यहाँ तो सिर्फ दीन की शिक्षा दी जाती है। इसमे क्या देखना है। तभी चांदनी बोली… आपके मदरसे मे कितने बच्चे है? …बीस लड़के और सोलह लड़कियाँ। …लड़कियाँ कहाँ है? …वह इस कमरे के पीछे बैठती है। …उनको कौन पढ़ाता है? …मै ही पढ़ाता हूँ। एक घन्टे यहाँ बैठता हूँ फिर इन्हें कार्य देकर उनको पढ़ाने चला जाता हूँ। बस इसी प्रकार दोनो की शिक्षा पूरी हो जाती है। चांदनी अभी भी गुस्से मे लग रही थी। मैने जल्दी से बात संभालते हुए पूछा… मौलवी साहब यह बच्चे कहाँ से आते है। रास्ते मे तो हमे कोई खास रिहाईश नहीं दिखी है। अबकी बार मौलवी साहब ने मुस्कुरा कर धान के खेतों की ओर इशारा करते हुए कहा… आस-पास खेतों पर काम करने वाले मजदूरों के बच्चे है। वह लोग वहीं खेत के पास अपनी झुग्गी डाल कर रहते है। चांदनी ने जल्दी से पूछा… अगर आप इजाजत दें तो मै बच्चों से बात करना चाहती हूँ। …हाँ क्यों नहीं। आप उनके पास जाकर बात कर लिजीये। चांदनी बच्चों की ओर चली गयी और मै और मौलवी साहब के साथ कुछ कदम चल कर बच्चों से दूरी बना कर खड़े हो गये थे।

मौलवी साहब बात करने से कतराते हुए लग रहे थे। वह नजरे मिलाने के बजाय इधर-उधर देख रहे थे तो मैने मुस्कुरा का कहा… माफ किजिये अनजाने मे हमने आपके अरमानों पर पानी फेर दिया। मौलवी साहब एक पल के लिये स्त्बध रह गये थे और फिर झेंपते हुए बोले… मियाँ आप भी कैसी बात करते है। …मौलवी साहब, मैने भी दीन की शिक्षा मदरसे मे ली है। आपको उस लड़के के साथ बैठे देख कर एक पल के लिये मेरे भी अरमान मचल गये थे परन्तु इस मोहतरमा के कारण अपने अरमानों को मैने अगले ही पल कुचल दिया था। मौलवी ने खीसे निपोरते हुए कहा… कैसी बात कर रहे है जनाब। मैने तुरन्त बात बदल कर पूछा …मौलवी साहब भारत-बांग्लादेश सीमा यहाँ से कितनी दूर है? …यहाँ से ज्यादा दूरी पर नहीं है। चलिये मै दिखाता हूँ।

मौलवी साहब के साथ मै भारत-बांग्लादेश की सीमा देखने के लिये चल दिया था।

 

श्रीनगर

उसी समय ब्रिगेडियर चीमा एक सादी कार मे फारुख के साथ कुपवाड़ा की दिशा मे सफर कर रहे थे। …सर, आपने तबस्सुम की मौत की सूचना दे दी। …तुम फिक्र मत करो। सारे कागजात और उसकी हत्या के साक्ष, पुलिस रिपोर्ट और लाश का इंतजाम कर दिया है। अपने सोर्स के द्वारा हमने आईएसआई और पीरजादा के पास भी इसकी खबर पहुँचा दी है। कल कुपवाड़ा मे तुम्हें एक लाश मिल जाएगी तो अपनी जमात के लोगों के साथ जाकर दफना देना। तुम्हारे तीन महीने गायब होने का कारण पुख्ता तरीके से तैयार हो गया है। कुछ कागजों का बंडल उसके हाथ मे देते कहा… यह कुछ टिकिट और होटल की रसीदे है। इन्हें रख लो दिखाने के काम आएगी। अब तुम आराम से अपने लोगों मे वापिस जा सकते हो। …ब्रिगेडियर साहब इसकी क्या जरुरत थी। एक बार हमारी मेजबानी का भी लुत्फ उठा कर देखिये। …जरुर लेकिन फिलहाल तुम अपनी चिन्ता करो। समय मिलते ही संपर्क करके वहाँ की स्थिति की सूचना देना। …जी जनाब।

थोड़ी देर के बाद ब्रिगेडियर चीमा एक सुनसान जगह पर कार से उतर गये थे। वह कार फारुख को लेकर आगे निकल गयी। ब्रिगेडियर चीमा ने फोन निकाल कर किसी से बात करके पैदल एक दिशा की ओर चल दिये।

मुजफराबाद

 …जनाब श्रीनगर से खबर आयी है कि फारुख ने तब्बसुम को उसके किये की सजा दे दी है। पीरजादा मीरवायज के चेहरे पर एक मुस्कान तैर गयी थी। …पठान, अपनी लड़की को हमारी सजा से बचाने के लिये वह श्रीनगर से गायब हुआ था। अब वह कहाँ है? …जनाब सुनने मे आया है कि युसुफजयी से मिलने के लिये वह कुपवाड़ा जा रहा है। गुमनामी मे उसकी लाश को दफनाने का इंतजाम भी सुनने मे आया है कि युसुफजयी ने किया है। …यह खबर तुम्हें किसने दी है? …मूसा ने खबर की है। …ओह! बस इतना बोल कर बूढ़ा मीरवायज गहरी सोच मे डूब गया था।

…जनाब। बूढ़े ने घूर कर पठान की ओर देखा तो वह जल्दी से बोला… आपकी इजाजत हो तो इस खबर की पुष्टि करने के लिये मेजर फरहान से बात की जाये। कुछ सोच मीरवायज ने कहा… मेजर फरहान को इसकी सूचना देकर कहो कि मै जल्दी से जल्दी जनरल बाजवा से मिलना चाहता हूँ। फारुख के सामने आते ही एक बार फिर से हम लखवी पर भारी पड़ेंगें। पठान ने सिर झुका कर अभिवादन किया और तेज कदमो से चलते हुए कमरे से बाहर निकल गया था।