रविवार, 25 जून 2023

  

गहरी चाल-14

 

अंसार रजा को अजीत सर के हवाले करके और छह दिन आफशाँ और मेनका के साथ गुजार कर मै दोनो ट्रकों मे हथियार,असला-बारुद, अन्य सामान और स्पेशल फ़ोर्सेज के चौबीस साथियों को लेकर काठमांडू की ओर निकल गया था। तिगड़ी ने अंसार रजा को तीन दिन मे ही पूरा निचोड़ दिया था। उसके बताये हुए ठिकानो और व्यक्तियों की जाँच का काम एनआईए को सौंप दिया गया था। दोनो के माफिया के नेटवर्क की निशानदेही होते ही आईबी और स्थानीय पुलिस भी हरकत मे आ गयी थी। एनआईए ने अपना सारा ध्यान दारुल इस्लाम देवबंदी और बरेलवी पर केन्द्रित कर रखा था। प्रदेश के नेटवर्क तार को सिरे से पकड़ कर एनआईए दूसरे राज्यों मे भी छानबीन करने मे जुट गयी थी। शाईस्ता अपनी बच्ची को लेकर मानेसर का गेस्ट हाउस छोड़ कर वापिस अपने अब्बू के घर वापिस चली गयी थी। अंसार रजा और मुश्ताक अंसारी के काले साम्राज्य को सुरक्षा एजेन्सियाँ हमेशा के लिये ध्वस्त करने मे जुट गयी थी।

जम्मू मे हुए एन्काउन्टर से मुझे पता चला था कि बिलावल ट्रांस्पोर्ट के ट्रक भारत की सीमा मे टनकपुर और नेपालगंज से प्रवेश करते थे। यही सोच कर दोनो ट्रकों को लेकर हम देर रात को नेपालगंज बार्डर से नेपाल की सीमा मे प्रवेश कर गये थे। सीमा पर बिलावल ट्रांस्पोर्ट के कंटेनर ट्रक को देख कर किसी ने कुछ नहीं कहा बस ट्रक के कागज देख कर कुछ रुपये लेकर हमें जाने दिया था। अब यहाँ से आगे का रास्ता जोखिम भरा था। उस हाईवे पर बिलावल ट्रांस्पोर्ट के ट्रकों का आना जाना निरन्तर लगा रहता था। अगर रास्ते मे कोई खोये हुए ट्रकों की पहचान कर लेता तो हमारे लिये नया खतरा उत्पन्न हो जाता। यही सोच कर नेपाल मे प्रवेश करते ही हमने सीधे न जाकर थोड़ा घूम कर जाने का फैसला किया था। नेपालगंज से बीरेन्द्रनगर और फिर वहाँ से पोखरा होते हुए हमे काठमांडू का हाईवे पकड़ना था। इसी बीच मुसीकोट के पास एक छोटी सी वर्कशाप मे हमने दोनो ट्रकों का हुलिया बदलने का निर्णय लिया। वहाँ पर छोटा सा एयरपोर्ट होने के कारण पेन्टर और मेकेनिक की सुविधा मिल गयी थी। सबसे पहले तो बिलावल ट्रांस्पोर्ट के नीले रंग पर पीला पेन्ट करके उन पर बड़े-बड़े अक्षरों से गोल्डन इम्पेक्स ट्रांस्पोर्ट का नाम लिख दिया था। दिल्ली मे ही मैने दोनो ट्रकों के जाली पेपर्स तैयार करवा लिये थे तो उन ट्रकों की नम्बर प्लेट भी बदल दी थी। दो दिन मुसीकोट मे लगा कर वहाँ से दोनो ट्रक अपने नये स्वरुप मे आगे की यात्रा पर चल दिये थे।

कैप्टेन यादव की टीम से भी अब तक मेरा अच्छी तरह से परिचय हो गया था। चौबीस सैनिकों की टीम मे एक कैप्टेन, एक सेकन्ड लेफ्टीनेन्ट, एक हवलदार और एक लाँस नायक के साथ बीस सैनिक थे। सभी ने असम और अन्य आतंकवाद से ग्रसित उत्तर-पूर्वी क्षेत्रों मे पाँच साल बिताये थे। मुसीकोट मे जब ट्रकों को नया रुप दिया जा रहा था तब मैने उनको आप्रेशन काठमांडू के बारे मे जानकारी देते हुए बताया… यहाँ वर्दी नहीं हमारा युद्ध कौशल ही काम आयेगा। हर आदमी एक टीम की तरह काम करेगा। हमेशा दो के समूह मे बाहर जाया करोगे और तीसरा उनकी परछाईं बन कर उनका पीछा करेगा। जरुरत पड़ने पर वह तुरन्त बाकियों को खतरे की पहचान करके जानकारी देने के बाद ही उनकी मदद करेगा। नयी जगह पर अनजाने दुश्मन को हराने के लिये हर व्यक्ति को एक टीम की तरह काम करना पड़ेगा। उन्हें आने वाले खतरे से आगाह करके हम काठमांडू की दिशा मे चल दिये थे। एक ओर पहाड़ और दूसरी ओर उफान पर भेड़ी नदी के साथ लहराती हुई सड़क पर चलते हुए बिना किसी परेशानी के हम पोखरा पहुँच गये थे। पोखरा मे प्रवेश करते ही हमारी पहली मुलाकात माओइस्टों से हो गयी थी। वह सड़क पर बैरियर लगा कर हर आने वाली गाड़ी से पैसे वसूल रहे थे। उनको देखते ही कैप्टेन यादव ने कहा… सर सावधान। यह नये-नये क्रांतिकारी बने है। मै इनकी नस्ल को बहुत अच्छे से जानता हूँ। इनसे मुझे बात करने दिजिएगा। कैप्टेन यादव ने अपनी टीम को सावधान किया और खिड़की से सिर निकाल कर लाल सलाम करते हुए कुछ नोट उस लड़के की ओर बढ़ा दिये थे। सिर पर लाल रुमाल बांधे उस लड़के ने जल्दी से नोट लिये और अपने साथी को बेरियर उठाने का इशारा करके दूसरे ट्रक की ओर बढ़ गया था। उस ट्रक मे बैठे हवलदार पूरन सिंह ने भी वही किया और इस तरह हम पोखरा मे प्रवेश कर गये थे।

पोखरा मे रुकने का हमारा कोई विचार नहीं था परन्तु उस दिन माओइस्टों ने वहाँ पर सरकार के खिलाफ बंद की घोषणा कर रखी थी। वह किसी भी गाड़ी को आगे नहीं जाने दे रहे थे। हमने शहर मे जाने के बजाय पहले ही अपने ट्रकों को सड़क से उतार कर एक खाली स्थान पर पार्क कर दिये थे। अभी भी शाम नहीं हुई थी तो कैप्टेन यादव और एक सैनिक पैदल शहर के हालात का जायजा लेने के लिये चले गये थे। उनको कवर देने के लिये उनके पीछे तीन सैनिक भी निकल गये थे। तीन घंटे के बाद कैप्टेन यादव और सभी ने लौट कर बताया कि किसी को पता नहीं बंद कब खुलेगा। वह अपने साथ कुछ खाने का सामान ले आये थे। खाना खाते हुए मैने निर्णय लिया कि एक दिन रुकने मे कोई हानि नहीं है परन्तु अगर यह बन्द लम्बा चला तो अगली रात को हमे जबरदस्ती यहाँ से निकलना पड़ेगा। इसके लिये चार-चार की दो टीमें कल सुबह पोखरा से बाहर निकलने वाली सड़क पर माओइस्टों के चेक पोइन्टस का जायजा लेने के लिये जाएँगी। देर रात तक वह लोग रणनीति बनाते रहे थे।

दोपहर तक सभी टीम लौट कर आ गयी थी। उन्होंने  बताया कि नेपाल फौज की एक युनिट रास्ता साफ कराने के लिये पहुँच गयी है। इस वक्त सेना माओइस्टों को शहर से बाहर खदेड़ने मे जुटी हुई है। हम शाम तक वहीं रुके और अंधेरा होते ही हमारा कारवाँ चल दिया था। शहर मे फौज ने कर्फ्यु लगा दिया था। किसी ने हमे रोकने की चेष्टा नहीं की थी परन्तु शहर से बाहर निकलने के लिये फौज ने कड़ी सुरक्षा का इंतजाम किया था। हर गाड़ी को वह चेक करके ही आगे जाने दे रहे थे। उन्हें माओइस्टों की तलाश थी परन्तु अगर हमारे ट्रक की जाँच होती तो सामान देख कर पूरी नेपाल सेना हम पर टूट पड़ती। गाड़ियों की लम्बी कतार लगी हुई थी। कुछ सोच कर मै ट्रक से उतर कर चौकी पर बैठे हुए अफसर के पास पैदल मिलने चला गया था। वह लेफ्टीनेन्ट रैंक का अफसर था। मै जानता था कि नेपाल सरकार के अधिकांश सेना के अफसर भारतीय सेना अकादमी से प्रशिक्षण प्राप्त करते थे। भले ही राजनीति और राजनीतिज्ञ सीमा के दोनो ओर भिन्न राय रखते हों परन्तु दोनो सेनाएँ एक दूसरे की इज्जत करती थी। यही सोच कर मैने अपना परिचय पत्र निकाल कर दिखाते हुए कहा… मेजर समीर बट। भारतीय सेना की ओर से पोलियो के टीके की मदद लेकर नेपाल सरकार को देने के लिये हम काठमांडू जा रहे है। दवाई है इसलिये हम रुक नहीं सकते। हमे तुरन्त जाने की इजाजत दिजिये। एक पल के लिये उसने कार्ड देखा और फिर बेरियर की ओर चलते हुए बोला… मेजर साहब आपने कौनसी अकादमी से है। …खड़गवासला। आपने कहाँ से कोर्स किया है। …चेन्नई। बैरियर पर पहुँच कर वह बोला… अपने ट्रक को लाइन से बाहर निकलने का इशारा किजिये। मैने कैप्टेन यादव को इशारा किया और दोनो ट्रक लाईन तोड़ कर आगे चल दिये थे। बेरियर के सामने ट्रक रुकते ही वह बोला… सर, मै लेफ्टीनेन्ट बिरेन्द्र थापा। भारतीय सेना को प्रणाम और नेपाल सेना की ओर से धन्यवाद। उसने सैल्युट किया तो उसके जवाब मे सैल्युट करके मै ट्रक मे चढ़ गया था। अगले ही पल हमारे ट्रक आगे बढ़ गये और हम पोखरा से बाहर निकल आये थे।

कप्टेन यादव ने पूछा… सर, उसे क्या कहानी सुना दी? …वह चेन्नई अकादमी का पास आउट था। …सर, मैने भी तो वहीं से कमीशन ली थी। आप मुझे बता देते तो मै भी उससे मिल लेता। …मैने उसे बताया था कि भारतीय सेना की ओर से पोलियो की खुराक नेपाल सरकार को देने जा रहे है। यादव ने ठहाका लगा कर कहा… मै तभी सोच रहा था कि उसने ट्रक को बगैर चेक किये कैसे जाने दिया था। सर, आपने इतनी सफाई से कहानी सुनायी कि अगर मै भी चेकपोस्ट पर खड़ा होता तो मै भी ट्रक को खुलवाने की कोशिश नहीं करता। पता नहीं क्यों मै इतनी सफाई से किसी को धोखा नहीं दे सकता। पहली बार कैप्टेन यादव ने मुझे अपने अन्दर आये हुए बदलाव का एहसास कराया था। इसका श्रेय मै उन तीनों को दे सकता था जिनका मेरी जिंदगी पर काफी असर हुआ था। मैने संजीदा स्वर मे कहा… यह तुम्हारी कमी नहीं है कैप्टेन। यह भारतीय सेना की शक्ति है। एक सच्चा भारतीय सैनिक कभी झूठ नहीं बोल सकता है। एक समय था जब मै भी तुम्हारे जैसा ही कैप्टेन था। अब मै सिविलियन के वेष मे सैनिक हूँ तो यह जिंदगी झूठ और सच से भरी हुई है। यादव ने मेरी ओर ध्यान से देखा परन्तु मै अपने ही ख्यालों मे डूब गया था।

शुरुआती दौर मे एक शाम मै उनके साथ आफीसर्स मेस मे बैठा हुआ अपनी हक डाक्ट्रीन की रिपोर्ट पर चर्चा कर रहा था। उसके दौरान अजीत सर की एक बात सुन कर मैने पूछा… सर एक बात मेरी समझ से बाहर है कि वामपंथी विचार और इस्लाम एक दूसरे के अस्तित्व को सिरे से नकारते है परन्तु ऐसी क्या बात है कि यहाँ पर उनका मजबूत गठजोड़ दिखाई देता है? अजीत सर ने मुस्कुरा कर कहा… यह बात तुम सभी फौजियों की समझ से परे है। एक ओर वामपंथ धर्म के अस्तित्व को सिरे से नकारता है और वहीं इस्लाम धर्म एकेश्वरवादी है जहाँ दूसरे धर्मों के लिए कोई जगह नहीं है। दोनो ही विचार एक दूसरे से विपरीत है जिसमे एक दूसरे के लिए कोई जगह नहीं है। जैसे वामपंथी रुस और चीन मे इस्लाम के लिए कोई जगह नहीं है और वैसे ही इस्लामिक राष्ट्रों जैसे साउदी अरब और ईरान मे वामपंथी विचार के लिए कोई जगह नहीं है। मुझे उनकी बात समझ मे नहीं आयी तो मैने बीच मे टोकते हुए कहा… सर, यही तो मेरा प्रश्न है कि जब दोनो ही एक दूसरे के विपरीत कट्टर विचारधारायें है तो भारत मे यह कैसा बेमेल गठजोड़ है?

जैसे किसी बच्चे को समझाते है वैसे ही उस दिन अजीत सर ने मुझे समझाते हुए कहा… समीर, यह बेमेल गठजोड़ भारत मे ही नहीं अपितु सभी प्रजातांत्रिक राष्ट्रों मे देखने को मिलता है। अमरीका, ब्रिटेन, फ्रांस व अन्य प्रजातांत्रिक राष्ट्रों मे भी यही बेमेल गठजोड़ फल फूल रहा है। इसका बस एक कारण है कि दोनो विचारधारा वहाँ पर अल्पमत मे है। इसीलिए दोनो विचारधारायें अपने अस्तित्व को बचाने के लिए एक दूसरे की मदद के लिये साथ खड़े हुए है। इनके गठजोड़ के पीछे इस्लामिक मूल की दो विशेष नीतियाँ काम करती है। तक्किया डाक्ट्रीन और हुदायबिय्याह की संधि के द्वारा पैगम्बर ने मक्का पर विजय पायी और इस्लाम धर्म की स्थापना की थी। तक्किया की नीति कुरान मे दर्ज है और यह एक मोमिन को आवश्यकता अनुसार कुरान पर हाथ रख कर झूठ बोलने की इज़ाजत देती है। इसी प्रकार हुदायबिय्याह की संधि इस्लामिक इतिहास मे कूट्नीतिक चाल मानी जाती है। जब अपनी स्थिति कमजोर हो तो अपने दुश्मन के साथ शांति की संधि करके समय ले लो और उस दौरान अपने आप को उसके साथ युद्ध के लिए तैयार करो। जब पूरी तरह से तैयार हो जाओ तो बिना किसी सूचना दिये संधि को तोड़ कर उस पर आक्रमण करके उसे पराजित कर दो। यह दोंनों नीतियाँ छल और धूर्तता पर आधारित है जिसकी कुरान और हदीसें इज़ाजत देती है। इन्हीं नीतियों के आधार पर यह बेमेल गठजोड़ आज संभव हुआ है। दोनो विचारधारायें फिलहाल मिल कर बहुसंख्यक समाज और भिन्न धार्मिक विचारधारा से अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है। एक बार बहुसंख्यक समाज छिन्न-भिन्न हो गया तो फिर दोनो विचारधारायें एक दूसरे को धाराशायी करके अपना वर्चस्व स्थापित करने मे लग जाएँगी। इतना बोल कर अजीत चुप हो गये थे।

अजीत की बात सुन कर हम सभी हैरत मे थे। जनरल रंधावा ने मेरी ओर देखते हुए पूछा… समीर तुम मुस्लिम हो तो क्या तुमने इन दो नीतियों के बारे मे कभी सुना है? मैने गरदन हिलाते हुए कहा… जी सर, यह दोनो नाम मैने मदरसे मे दीन की शिक्षा के दौरान सुने है परन्तु जिस तरह अजीत सर ने इसे नीतियों की तरह बताया मैने वैसे कभी नहीं सुना था। अजीत ने मुस्कुरा कर कहा… आज सारे सलाफी मदरसे इन दो नीतियों को हर बच्चे के जहन मे बिठा रहे है। अगर तुम भी उन मदरसे मे गये होते तो आज तुम भी एक सिक्युरिटी रिस्क बन गये होते। हथियार तुम्हारे हाथ मे अवश्य होता परन्तु वर्दी नहीं होती। मेरी बात का बुरा मत मानना क्योंकि यही सच्चायी है। मुझे तब भी विश्वास नहीं हुआ तो मैने कुरेदते हुए पूछा… सर, इस प्रकार के बेमेल गठजोड़ का दुनिया मे कोई उदाहरण है जहाँ यह सफल हुए है। अजीत ने मुस्कुरा कर कहा… साठ के दशक मे लेबनान एक ईसाई बहुल प्रजातांत्रिक राष्ट्र था। इन्ही दोनो नीतियों का इस्तेमाल वहाँ इस प्रकार के गठजोड़ के लिये भी किया गया था। इसी बेमेल गठजोड़ ने पहले फिलिस्तीनी शरणार्थियों को लेबनान मे बसा कर जनसांख्यिकीय संरचना मे बदलाव किया। एक दशक मे वहाँ पर असंख्य छोटे-बड़े दंगे, कत्लेआम, लूट और बलात्कार से बहुसंख्यक ईसाई समाज पलायन के कारण अल्पमत मे आ गया था। कट्टर इस्लाम के समर्थक जब सत्ता पर काबिज होने योग्य हुए तो वामपंथियों को कुफ्र के गुनाह के लिए वाजिबुल कत्ल मान कर उन्हें चुन-चुन कर मारना आरंभ कर दिया था। डेड़ दशक मे प्रजातांत्रिक इसाई-बहुल लेबनान एक वामपंथ-विहीन इस्लामिक राष्ट्र बन गया था।

लेबनान का वृतान्त सुन कर मै गहरी सोच मे डूब गया था। कुछ देर के पश्चात वीके ने मुस्कुरा कर पूछा… मेजर, तुम्हारे प्रश्न का जवाब मिल गया? …अजीत सर के जवाब के साथ ही हक डाक्ट्रीन को नये लेन्स से देखने पर मजबूर हो गया हूँ। भारत मे बांग्लादेशी और रोहिंग्या शरणार्थी समस्या क्या हक डाक्ट्रीन का एक नया अध्याय हो सकता है? एकाएक अजीत ने हंसते हुए कहा… इस अन्तरराष्ट्रीय कूटनीतिक खेल मे तुम्हारा स्वागत है । पहली बार मैने जब तुम्हारी हक डाक्ट्रीन पर रिपोर्ट पढ़ी थी तभी मै समझ गया था कि तुम्हारी सोच सही दिशा मे है परन्तु वह सोच फौजी सच्चायी की कार्यप्रणाली से ग्रसित है। सारी हक डाक्ट्रीन छल और धूर्तता पर आधारित है। इसीलिए हम सब चाहते थे कि तुम्हारी सोच के दायरे को बढ़ाया जाए। तुम अच्छे सैनिक हो सकते हो परन्तु हक डाक्ट्रीन और फारुख और नीलोफर जैसे लोगों को मात देने के लिये इन्ही दो नितियों को अपने व्यक्तित्व मे तुम्हें उतारना होगा। तुम्हारी किस्मत से तुम्हें उनके द्वारा बनाया हुआ नेटवर्क मिल गया है परन्तु उसको नष्ट करने के लिये तुम्हें भी छल और धूर्तता का सहारा लेना पड़ेगा। उसका यह परिणाम अब अचानक मेरे सामने आ गया था। मै छल और धूर्तता मे इतना निपुण हो गया कि अब अपनो को भी धोखा देने मे मुझे कोई ग्लानि नहीं होती थी। एकाएक आफशाँ और अदा कि छवि मेरी आँखों के सामने से निकल गयी थी।

…सर, क्या सोच रहे है? यादव की आवाज ने अचानक मुझे वर्तमान मे लाकर खड़ा कर दिया था। …कुछ नहीं। बस अपनी सेना की पुरानी जिंदगी को याद कर रहा था। हम कहाँ पहुँच गये है? मेरे साथ बैठे हुए ड्राईवर ने कहा… सर, बांदीपुर निकल गया है और अगले कुछ मिनट के बाद चौराहा पार करके बेनिघाट पहुँच जाएँगे। शाम हो चली थी। अंधेरा अभी पूरी तरह से नहीं हुआ था। चौराहा पार करके कुछ आगे निकले ही थे कि ड्राईवर ने कहा… सर एक जीप पीछे आ रही और वह रुकने का इशारा कर रही है। …पुलिस या फौज की जीप है? …नहीं सर। प्राईवेट नम्बर की जीप है। …ठीक है। किसी खाली जगह देख कर सड़क से उतार कर ट्रक खड़ा कर दो। …कैप्टेन, मुठभेड़ के लिये तैयार रहना। लगता है कि ट्रक की पहचान हो गयी है। सड़क के किनारे एक खाली जगह देख कर दोनो ट्रक खड़े हो गये थे। वह जीप तेजी से हमारे साथ से गुजर कर सड़क से नीचे उतर कर खड़ी हो गयी थी। तीन लोग तेजी से दौड़ते हुए हमारी ओर आये और एक आदमी ने घुर्रा कर ड्राईवर से बोला… इतनी देर से रुकने का इशारा कर रहे थे रुका क्यों नही। इसे नीचे उतार लो। तीनों जवान लड़के थे और तीनो ही फिदायीन के वेष मे थे। उन्होंने दरवाजा खोल कर ड्राईवर के साथ जब जोर आजमाईश करने लगे तो मैने बीच मे पड़ते हुए कहा… क्यों मियाँ इसके साथ किस लिये जोर आजमाईश कर रहे हो।

अबकी बार उसने मुझे घुर्रा कर बोला… चल बे तू भी उतर। मैने यादव की ओर देखा और उतरते हुए दबी आवाज मे कहा… एक साथी इनका जीप मे बैठा हुआ है। तब तक ट्रक के दरवाजे पर एक लड़का आकर खड़ा हो गया था। मै आराम से नीचे उतरा और उसके सामने खड़े होकर बोला… बोलो क्या बात है। अब तक ड्राईवर भी नीचे उतर कर मेरी ओर आ गया था। तीनो के हाथ मे हथियार थे और उनमे से एक मेरे पास आकर बोला… कहाँ से आ रहे हो? …श्रीनगर से। शायद उसे ऐसे जवाब की उम्मीद नहीं थी। वह उन तीनो का शायद लीडर था। वह तेजी से बोला… साले झूठ बोलता है। मैने कश्मीरी मे कहा… मै क्यों झूठ बोलूँगा। उसने भौंचक्का होकर अपने साथियों की ओर देखते हुए कहा… यह तो कश्मीरी बोल रहा है। उसने तुरन्त कश्मीरी मे पूछा… क्या नाम है? अबकी बार मैने झल्लाते हुए कश्मीरी मे कहा… तुम्हें क्या अपनी बहन से निकाह कराना है। हमे क्यों रोका है तुम्हे क्या काम है? पहली बार वह उलझन मे पड़ गया था। …महमूद, जाकर फरहान साहब को लेकर आ। यह तो कश्मीरी है। वह लड़का फौरन दौड़ते हुए जीप मे बैठे व्यक्ति को बुलाने के लिये चला गया था। उसी लड़के ने कहा… ट्रक के कागज दिखाओ। मैने ड्राईवर को इशारा किया और वह ट्रक के कागज लेने चला गया था। किसी ने उसे रोकने की कोशिश नहीं की थी। वह कागज लेकर आया और मेरे हाथ मे रख कर एक किनारे मे खड़ा हो गया था। फरहान भी मुझे जीप से उतर कर आता हुआ दिखा तो उसकी ओर कागज बढ़ाते हुए पूछा… मियाँ क्या बात है? …भाई हम दो ट्रकों की तलाश कर रहे है। वह दोनो ट्रक तुम्हारे दोनो ट्रकों जैसे थे।

फरहान हमारे पास आकर बोला… कश्मीर से क्या लेकर आये हो? …तुमसे मतलब? अगले ही पल उसके हाथ मे उसकी सर्विस पिस्तौल निकल आयी थी। …जो पूछा जा रहा है उसका सही-सही जवाब दो वर्ना यहीं पर मार कर फेंक देंगें। …हाँ श्रीनगर से आये है। फरहान ट्रक के कागज देख कर बोला… यह ट्रक किसका है? …गोल्डन इम्पेक्स कंपनी के ट्रक है। …मुन्नवर लखवी का माल है? तभी तीन फायर हुये और तीनो लड़के उसी वक्त ढेर हो गये थे। फरहान तेजी से उनकी ओर बढ़ा तो मैने धीरे से कहा…फरहान भाई अब तुम हमारे निशाने पर हो। अगर हिले भी तो पहली गोली तुम्हारे घुटने पर और दूसरी गोली तुम्हारे पेट के नीचे जोड़ पर लगेगी। उसके कदम वहीं पर रुक गये थे। उसके चेहरे पर खौफ साफ नजर आ रहा था। वह बोलते हुए हकला गया… कौन हो तुम लोग? मैने उसके हाथ से पिस्तौल ले लिया लेकिन तब तक दोनो ट्रकों मे से चौबीस लोग उतर उसे घेर कर खड़े हो गये थे। मैने यादव की ओर देखते हुए कहा… भाईजान, किसी को भेज कर उस जीप को यहाँ ले आओ। मैने अपने साथियों की ओर देख कर कहा… इसकी तलाशी लो। नायक फौरन उसकी तलाशी लेने मे जुट गया था। जीप आते ही मैने कहा… इन तीनो की लाशों की जेब से सभी सामान निकाल कर जीप मे डाल कर खाई मे लुढ़का दो। पहले इनके हथियार अपने कब्जे मे ले लो और खाई मे फेंकने से पहले जीप की नम्बर प्लेट के साथ कोई काम का सामान मिले तो निकाल लेना। दस मिनट मे वह तीन अपनी जीप के साथ पहाड़ी खाई मे पड़े हुए थे।

उन चारों से इकठ्ठा किया सारा सामान एक थैले मे डाल कर यादव ने अपने पास रख लिया था। फरहान को लेकर मै ट्रक मे पीछे बैठ गया। ट्रक के पिछले हिस्से मे मेरे साथ छ: सैनिक भी बैठ गये थे। बाकी कुछ आगे बैठ गये और कुछ पीछे वाले ट्रक मे एडजस्ट हो गये थे। दोनो ट्रक अपने रास्ते पर चल दिये थे। कंटेनर ट्रक एक तरीके से साउन्ड प्रूफ बन गया था। मैने पास बैठे अपने साथियों से कहा… तुमने अभी तक सिर्फ आईएसआई नाम सुना होगा अब उसके एक प्यादे को भी देख लो। मैने अपना ध्यान फरहान की ओर लगाते हुए पूछा… तुम लोग किस ट्रक को ढूंढ रहे थे? उसने एक बार मेरी ओर देखा और फिर बोला… मियाँ तुम गलती कर रहे हो। …फरहान मियाँ एक बात समझ लो कि तुम्हारे सामने सिर्फ दो रास्ते है। एक जो पूछा जाए उसका सही जवाब दे दोगे तो तुम्हें किसी जगह पर छोड़ कर हम निकल जाएँगें। हमारी तुम्हारे साथ कोई दुश्मनी नहीं है। दूसरा तुम्हारा मुँह जबरदस्ती खुलवा कर तुम्हें मार कर किसी खाई मे फेंक कर निकल जाएँगें। मेरी बात समझ गये तो सिर्फ अपना सिर हिला दो। उसने धीरे से सिर हिला दिया था।

मैने उसकी पिस्तौल को चेक करते हुए पूछा… किस ट्रक को ढूंढ रहे थे? …बिलावल ट्रांस्पोर्ट के दो कंटेनर ट्रक दिल्ली से गायब हो गये है। हम उनको ढूंढ रहे थे। नेपालगंज से खबर मिली थी कि दोनो ट्रक वहाँ से नेपाल मे दाखिल हुए थे। …कौनसी रेजीमेन्ट से हो? वह चुप हो गया तो मैने एक बार उसकी पिस्तौल को हाथ मे तौलते हुए कहा… मियाँ, जिंदा बचने के लिये यह बहुत जरुरी है। फौज के लिये हमारे दिल मे बहुत इज्जत है। …बलूच रेजीमेन्ट। …इसका कोई सुबूत दे सकते हो? …मेरे फोन की फोटो गैलरी मे मेरा आईकार्ड की फोटो है। …यहाँ नेपाल मे क्या कर रहे हो? …हमारी युनिट को यहाँ पर कुछ तंजीमों की मदद के लिये लगाया गया है। …कौनसी तंजीम? …हरकत उल अंसार, जमात-ए-इस्लामी और दुख्तर-अल-हिन्द। …तुम्हारी युनिट का अफसर कौन है? …लेफ्टीनेन्ट शादाब उल हक। लेकिन मियाँ आप लोग कौन है? …मै, बुरहान मियांवाली, लश्कर का कमांडर। शुजाल बेग साहब से मिलने जा रहे थे। …बुरहान भाई, आप उसी समय बता देते कि आप लोग लश्कर से है तो उनकी जान तो नहीं जाती। …फरहान भाई, अब यह भी बता दो कि यहाँ क्या चल रहा है। यह सभी तंजीमे तो कश्मीर के जिहाद के लिये काम कर रही थी तो यह नेपाल मे क्या कर रही है। हमारे लोगों को इंडियन फोर्सेज रोज शहीद कर रही है और यह लोग यहाँ मजे ले रहे है। आपके बाजवा साहब ने हमसे वादा किया था कि कश्मीर पहुंचते ही पैसे मिल जाएँगें लेकिन दो महीने हो गये एक रुपया भी नसीब नहीं हुआ। अब तुम बता रहे हो कि संयुक्त मोर्चे की तीन तंजीमे यहाँ नेपाल मे बैठी हुई है। इस मुनाफिकगिरी को तो मुझे जकीउर भाईजान को बताना पड़ेग। हरकत उल अंसार का यहाँ पर कमांडर कौन है? …सज्जाद अफगानी। …अपने सज्जाद भाई आजकल यहाँ काठमांडू मे है। …उनका कोई फोन नम्बर या पता है तो बताओ। …मेरे फोन मे उनका नम्बर है। …जमात की ओर से कौन है? …हिज्बुल का जाकिर मूसा। मैने आश्चर्य दिखाते हुए कहा… फरहान भाई यह किस मुनाफिक की चाल है। हमे यह बताया गया था सज्जाद भाई और जाकिर भाई मुजफराबाद मे गाजियों की फौज तैयार कर रहे है। मैने सिर हिलाया और पिस्तौल का रुख उसकी ओर करके एकाएक आवाज कड़ी हो गयी थी। …मुझे अब ऐसा लग रहा है कि तुम मुझे बेवकूफ बना रहे हो। वह जल्दी से बोला… बुरहान भाई कसम खुदा की जो कुछ अब तक बताया है वह सच है। मुझे नहीं पता कि कौन किसको धोखा दे रहा है परन्तु यही सच है। …दुख्तर-अल-हिन्द की कमांडर कौन है? …भाईजान, उसके बारे मे मुझे नहीं पता। …तुमने कभी आईएसआई की मेजर हया नाम की खातून को देखा है? …नही भाई। …यह नूर मोहम्मद कौन है? मुझसे कहा गया था कि शुजाल बेग से मिलने के लिये नूर मोहम्मद से पहले मिलना पड़ेगा। …भाईजान, नूर मोहम्मद झंघ यहाँ की आईएसआई का मुखिया है। वही यहाँ पर असला बारुद, ड्रग्स व पैसों का इंतजाम करता है।  …वह कहाँ मिलेगा? …बिलावल ट्रांस्पोर्ट उसकी कंपनी है। उसी के जरिये वह सामान भारत और बांगलादेश मे भिजवाता है।

मैने हैरान होने का नाटक करते हुए कहा… अब यह बांग्लादेश कहाँ से आ गया? …आपको नहीं पता भाई? हर हफ्ते जुमे की रात को असला-बारुद और पैसों का एक ट्रक यहाँ से बांग्ला देश भेजा जाता है। हमारी युनिट का मुख्य काम उसे सुरक्षित नेपाल की सीमा पार कराना होता है। हिन्दुस्तान मे हिज्बुल के मुजाहीदीन उसको सुरक्षा देते है। मै उसकी बात सुन कर थोड़ा सचेत हो गया था। फरहान का क्या करना चाहिये? इसके बारे मे सोचने के बाद मैने पूछा… फरहान मियाँ, तुम्हें कहाँ उतार दूँ? …भाईजान, आप मुझे कहीं भी उतार दिजिये। मैने जोर से कंटेनर की स्टील की दीवार पर हाथ मार कर कहा…जरा रोकना। ड्राईवर ने सड़क से उतार कर ट्रक रोक दिया था। पहले मै उतरा और फिर फरहान को उतरने का इशारा किया तो वह भी सड़क पर कूद गया था। चारों ओर अंधेरा था और जो कुछ भी रौशनी आ रही थी वह ट्रक की टेललाइट से आ रही थी। सड़क सुनसान पड़ी हुई थी लेकिन पहाड़ी नदी का शोर साफ सुनायी दे रहा था। मैने उसकी पिस्तौल उसकी ओर बढ़ाते हुए कहा… अल्विदा मियाँ। उसने अपनी पिस्तौल लेने के लिये हाथ आगे बढ़ाया तभी मैने ट्रिगर दबा दिया था। उसे पता ही नहीं चला कि उसकी पिस्तौल से कैसे गोली चल गयी थी। गोली ने उसके सिर को खोल दिया था। मुझे दूसरी गोली चलाने की जरुरत ही नहीं पड़ी थी। मैने उसे कंधे पर उठाया और बहती हुई पहाड़ी नदी मे फेंक दिया और उसकी सर्विस पिस्तौल मैने अपने पास रख ली थी। सात सैनिक जो यह सारा दृश्य देख रहे थे वह मेरी निर्ममता या दरिंदगी को देख कर स्तब्ध रह गये थे। मैने कंटेनर का दरवाजा बन्द कर दिया और यादव के पास जाकर बैठ गया था। मेरे बैठते ही हम आगे बढ़ गये।

…सर, उसने कुछ बताया? …कैप्टेन कुछ बताया और कुछ छुपा गया। वैसे भी उसे छोड़ नहीं सकते थे। एक बात उसने बता दी थी कि नेपालगंज के नाके ने नूर मोहम्माद को दोनो ट्रकों की खबर कर दी है। उसके आदमी इस वक्त नेपाल मे दोनो ट्रक को ढूंढ रहे है। अब हमे जरा सावधान रहना होगा। रात के अंधेरे को चीरते हुए हम काठमांडू की ओर बढ़ते जा रहे थे। सुबह तीन बजे हम काठमांडू के नाके पर पहुँच गये थे। यह हमारी आखिरी परीक्षा थी। वैसे भी सुबह तीन बजे तक सभी की आँखें भारी हो रही थी। हमारा ट्रक बैरियर पर पहुंच कर रुक गया था। एक आदमी धीमे कदमों से चलते हुए ड्राईवर की ओर आया तो ड्राईवर ने कागजात और कुछ नोट उसके आगे बढ़ा दिया था। उसने सरसरी नजर कंटेनर ट्रक पर डाली और कागज के बंडल मे से नोट निकाल कर अपने जेब के हवाले किया कागज लौटाते हुए बैरियर उठाने का इशारा करके पीछे चला गया था। मैने तब तक नाके और बैरियर पर बैठे हुए लोगों को गिन लिया था।

…यादव सावधान रहना। नाके मे बैठे हुए दोनो लोगो को निशाने पर ले लो। ड्राइवर ने रिव्यु मिरर मे देखते हुए कहा… साहब, कुछ झड़प हो रही है। मै तेजी से ट्रक से उतरा और उनके पास चला गया था। …क्या हुआ? …और पैसे मांग रहा है। …क्यों भाई जो तुम्हारा बनता है दे तो दिया है। …ड्राईवर के साथ एक क्लीनर ही बैठ सकता है। यह लोग रास्ते मे कुछ लोगों को बिठा कर उनसे कमाई करते है तो उसमे हिस्सा मांग रहा था। मै उसको पकड़ कर नाके के अन्दर ले गया और तीनो से कहा… वह सामने गोदाम देख रहे हो। वह गोल्डन इम्पेक्स का गोदाम है। हमारा सामान आता रहेगा इसलिये अब तो आना जाना लगा रहेगा। मैने जेब से दो सौ के नोट निकाल कर उसके हाथ मे रखते हुए कहा… गोल्डन इम्पेक्स के ट्रक को पहचान लो क्योंकि आज के बाद इस नाके पर कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए। हर हफ्ते मै आकर खुद हिसाब किया करुँगा। अब हम पड़ौसी है तो हमे एक दूसरे का ख्याल रखना चाहिये। एक आदमी मेरे साथ बाहर निकल कर आया और बेरियर पर खड़े हुए आदमी से चीख कर बोला… जाने दे। उसने बेरियर उठा दिया था। मेरे ट्रक मे बैठते ही ट्र्क आगे बढ़ गया। उसके पीछे दूसरा ट्रक बेरियर पार करके हमारे पीछे आ गया था। गोदाम के सामने पहुँच कर मैने इशारा किया तो ट्रक गोदाम के सामने खड़ा हो गया था। मैने नाके पर खड़े हुए आदमी पर नजर डाली तो वह हमे ही देख रहा था।

मैने गोदाम का ताला खोला कर शटर को उपर उठा दिया। दोनो ट्रक धीमी गति से चलते हुए अन्दर प्रवेश कर गये थे। एक किनारे मे जाकर दोनो ट्रक खड़े करके मैने कहा… गोदाम के पीछे हाल है। वहाँ सोने का इंतजाम है। कैप्टेन यादव अब से दो आदमी हमेशा गार्ड ड्युटी पर रहेंगें। एक आदमी वहाँ उपर बैठ कर बाहर नजर रखेगा और दूसरा उपर बने हुए आफिस मे बैठ कर अन्दर नजर रखेगा। एक साफ निर्देश दे रहा हूँ कि जब तक कोई बाहर है हमे कोई एक्शन नहीं लेना है परन्तु अन्दर आते ही शूट टु किल। वह यहाँ से बाहर जिन्दा नहीं जाना चाहिये। जो भी होगा उसे संभालना मेरा काम है। यह बोल कर मैने कहा… फिलहाल आप सभी थके हुए है। बहुत लम्बा सफर किया है। मै और कैप्टेन साहब आज गार्ड ड्युटी पर है। आप जाकर आराम करो। सारे लोग हाल मे चले गये थे। मैने गोदाम किराये पर लेने के बाद सबसे पहले हाल मे ठहरने का इंतजाम कर दिया था।

…कैप्टेन यादव, मेरे ख्याल से शंभूजी को भी बुला लो। मुझे शक है कि अगले दो घंटे मे एक पार्टी अन्दर घुसने का प्रयत्न करेगी। थोड़ी देर मे हम तीनों अपनी-अपनी जगह पर बैठ गये थे। शम्भू की नजर बाहर सड़क पर लगी हुई थी। यादव आफिस मे बैठ कर अन्दर नजर रख रहा था। मै एक ट्रक की छत पर चित्त लेट कर अपनी ग्लाक को दरवाजे पर ताने हुए था।

सुबह छह बजे के करीब शंभू ने इशारा करके हमे सचेत कर दिया था। आईएसआई की पहली पार्टी पहुँच गयी थी। पाँच आदमी थे। सभी हथियारों से लैस थे। उन्होंने बड़ी आसानी शटर का ताला तोड़ा और थोड़ा सा शटर उठा कर जमीन पर सरकते हुए अन्दर आ गये थे। सब खड़े हो गये और अपने हथियार तान कर ट्रकों की ओर बढ़ गये। मैने आराम से निशाना लगा कर ट्रिगर दबा दिया। सबसे आगे वाले आदमी को संभलने का मौका ही नहीं मिला था। उसका घुटना खील-खील होकर बिखर गया और मुँह के बल औंधा होकर जमीन पर लोट गया था। कैप्टेन यादव की आवाज गूंजी… हाल्ट। अपने हथियार दो उँगलियों से पकड़ कर धीरे से जमीन पर रख दो। चारों ओर से घिरे हुए हो और अबकी बार गोली पाँव के बजाय सिर पर लगेगी। गोली की आवाज ने उन्हें पहले ही आतंकित कर दिया था। चारों ने अपने-अपने हथियार जमीन पर रख कर अलग खड़े हो गये थे। मै तब तक ट्रक की छत से नीचे कूद कर उनके सामने पहुँच गया था। गोली की आवाज सुन कर जो हाल मे सो रहे थे वह भी जाग गये थे। शंभू और यादव भी नीचे उतर कर मेरे साथ खड़े हो गये थे।

मैने सबसे पहले जमीन पर औंधे मुँह आदमी को देखा तो वह बेहोश हो चुका था। मैने इशारा करके फर्स्ट-एड बैग मंगवाया और उसके घुटने पर स्प्लिन्ट रख कर पट्टी से कस कर बाँध कर पूछा… इसका नाम क्या है? …अनवर हुसैन। …यह बच तो गया है परन्तु अब सारी जिन्दगी एक टांग पर ही चल सकेगा। उन चारों को जमीन पर बिठा दिया था। एक-एक करके सबकी तलाशी लेकर उनके फोन और पर्स लेकर यादव को थमा कर मैने पूछा… तुम्हारा लीडर कौन है? किसी ने जब कोई जवाब नहीं दिया तो मैने अपनी ग्लाक की नाल एक घुसपैठिया के कूल्हे पर रख कर कहा… अगली बार इसका कूल्हा खराब हो जाएगा। एक बार और पूछ रहा हूँ कि तुम्हारा लीडर कौन है? अचानक एक आदमी आगे बढ़ कर बोला… मै हूँ। …बाकियों के हाथ पाँव बाँध कर एक कोने मे बिठा दो। दो आदमी इनकी निगरानी पर लगा देना। इतना बोल कर उस आदमी को लेकर मै आफिस मे आ गया था। एक कुर्सी की ओर इशारा करके मैने कहा… बैठ जाओ। वह कुर्सी पर बैठ गया परन्तु उसके चेहरे पर खौफ साफ झलक रहा था।

…क्या नाम है? …आमिर उल हक। …यहाँ फौज लेकर क्यों आये थे? …हमारे दो कंटेनर ट्रक चोरी हो गये थे। उनको देखने आये थे। …हथियार लेकर वह भी अंधेरे मे? इस बार मेरी ग्लाक उसकी मर्दान्गी की निशानी पर तनी हुई थी। …आमिर मियां तुमने देख लिया है। एक जरा सी गोली के कारण तुम्हारा साथी लँगड़ा हो गया है। अब तुम क्या हमेशा के लिये नामर्द बनना चाहते हो। सच बोलो यहाँ क्यों आये थे? अबकी बार वह घिघिया कर बोला… खुदा की कसम सच बोल रहा हूँ। हम सिर्फ ट्रक खोजने आये थे। …क्या था उस ट्रक मे जो इस फौज के साथ आये थे? …मुझे पता नहीं। मै सच कह रहा हूँ। नूर मोहम्मद साहब ने हमे इस गोदाम मे खड़े हुए ट्रकों को चेक करने के लिये भेजा था।  …कौन है यह नूर मोहम्मद? …बिलावल ट्रांस्पोर्ट के मालिक है। …उसको फोन करके बुलाओ वर्ना मै अभी पुलिस को फोन कर रहा हूँ कि तुम मेरा सामान लूटने के लिये आये थे। तुम्हारे हथियार और फोन मेरे पास है तो नूर मोहम्मद का बाप भी तुम लोगों को नहीं बचा सकेगा उल्टे तुम्हारी बात मैने रिकार्ड कर ली है तो नूर मोहम्मद भी जेल जाएगा। कमाल है कि एक ट्रांसपोर्टर अपनी फौज बना कर दूसरो का माल लूटने का धंधा कर रहा है। वह चुपचाप सुन रहा था।

अचानक वह बोला… भाईजान आप कौन है? …समीर कौल, गोल्डन इम्पेक्स का मालिक। क्यों क्या अब मेरी हत्या का विचार दिमाग मे बनने लगा है। मेरी पिस्तौल एक बार फिर से उसी दिशा मे तन गयी थी। …भाईजान, मेरी बात सुन लिजिये। मै पाकिस्तानी नागरिक हूँ। …तो क्या तुम खुदा हो गये हो। यह नेपाल तुम्हारे बाप का नहीं है। मै भी हिन्दुस्तानी नागरिक हूँ और यहाँ पर कारोबारी हूँ। अब सबसे पहले अपने मालिक को यहाँ बुलाओ वर्ना तो यहाँ से एक भी आदमी बच कर नहीं जाएगा। मैने अपना मोबाईल उसकी ओर बढ़ा दिया था। उसके पास कोई चारा नहीं था। उसने नूर मोहम्मद का नम्बर मिलाया और कुछ देर घंटी बजने के बाद दूसरी ओर से एक घरघराती हुई आवाज सुनाई दी… हैलो कौन इतनी सुबह फोन कर रहा है। मैने उसके हाथ से फोन छीन कर कहा… तुम्हारा बाप बोल रहा हूँ नूर मोहम्मद। तू ट्रांस्पोर्टर होकर दूसरे कारोबारियों का माल लूटने के लिये हथियारबन्द फौज भेजता है। तेरी फौज के चार आदमी मेरे कब्जे मे है और एक आदमी घायल है। अब तुझे पन्द्रह मिनट दे रहा हूँ। मेरे गोदाम पर पहुँच वर्ना मै इन सबको पुलिस मे दे दूंगा। तुमने पाकिस्तानियों को यहाँ बुला कर लूटने के काम पर लगाया है। अब तू नेपाल सरकार को समझाते रहना। तेरे आदमी ने अपना जुर्म कुबूल लिया है और उसी ने बताया था कि तूने उसे यहाँ भेजा था। मै सांस लेने के लिये जैसे ही रुका वह जल्दी से बोला… मेरी बात सुनिये। आपको कुछ गलतफहमी हो गयी है। बातचीत से हर मसला सुलझ सकता है। आपका क्या नाम है? …समीर कौल। गोल्डन इम्पेक्स का मालिक बोल रहा हूँ। …समीर भाई, मै आपके पास अभी पहुँच रहा हूँ। …अपनी फौज लेकर आना जिससे एक ही बार मे तुम जैसे लूटेरों का सफाया हो जाये जिससे हम बेचारे कारोबारी आराम से अपना काम कर सके। इतना बोल कर मैने फोन काट दिया था।

आमिर मुझे बड़ी हैरानी से देख रहा था। वह धीरे से बोला… तुम जानते नहीं कि तुमने किसको चुनौती दी है। …आमिर मियाँ, मैने युपी और बिहार मे धन्धा किया है। तुम जैसे को ठीक करना मै जानता हूँ। …नूर मोहम्मद कोई बाहुबाली नही है। वह कुछ बोलने वाला था कि मैने कहा… अब यह मत कह देना कि वह आईएसआई का डायरेक्टर है? तुम  पाकिस्तानियों के दिमाग मे आईएसआई का डर इतना कूट-कूट कर भरा है कि हर कोई पाकिस्तान के बाहर अपने आप को आईएसआई का आदमी समझता है। वह मुस्कुरा कर बोला… नूर मोहम्मद आईएसआई का कर्नल है। मेरी बात मानो हमे छोड़ दो तो यह बात यहीं दब जाएगी। आईएसआई से टकराओगे तो जान से जाओगे। मैने अबकी बार हँसते हुए कहा… मै भारतीय रा का निदेशक हूँ। अब बता मेरा नूर मोहम्मद क्या कर लेगा। हर पाकिस्तानी आईएसआई की धौंस देने से बाज नहीं आता। पहली बार मुझे उसकी आँखों मे अविश्वास की झलक दिखी थी। …तुम यह ट्रक देखने आये थे। मैने पीछे खड़े हुए यादव से कहा… जरा दोनो ट्रक के पेपर्स ले आओ। तुमने इसकी सारी बात रिकार्ड कर ली है। यादव चला गया था। मैने उसे इसलिये भेजा था कि वह सबको उठा कर अगले होने वाले हमले की तैयारी कर ले।

पन्द्रह मिनट के बाद शंभू ने नूर मोहम्मद के आगमन का इशारा किया तो सभी अपना मोर्चा लेकर बैठ गये थे। मैने आमिर से कहा… जाकर शटर खोल कर नूर मोहम्मद को बता दे कि सिर्फ वही अन्दर आ सकता है। अगर उसके साथ किसी और ने गोदाम मे कदम रखा तो वह बेवजह मारा जाएगा। तभी बाहर से किसी ने जोर से शटर को हिलाया तो आमिर भागते हुए शटर की ओर चला गया था।

 

कृष्णा नदी, तेलागंना

आधी रात बीत चुकी थी। बीचोपल्ली से आगे नदी पर बने हुए पुल के नीचे कुछ लोग हथियार लेकर घात लगाये बैठे हुए थे। चार पुलिस वाले पुल के उपर लगे हुए बेरीकेड पर तैनात थे। …रेड्डी पुख्ता खबर है कि वह आज रात को यहाँ से वह भागने की फिराक मे है? …जी जनाब। …यह एनआईए वालों ने एक हफ्ते से जीना हराम कर दिया है। एसपी साहब क्या चले गये? …नहीं जनाब। वह एनआईए वालों के साथ है। तभी एक ड्रम का सहारा लेकर जमीन पर बैठ कर उँघता हुआ आदमी एकाएक उठ कर खड़ा होकर बोला… सावधान। मूवमेन्ट की सूचना मिल गयी है। बैरियर पर तैनात तीनो पुलिस वाले चौंकन्ने हो गये थे।

नदी पूरे वेग से बह रही थी। पानी से बीस मीटर की डूब की रेतीली जमीन साफ दिख रही थी और उसके आगे बड़ी बड़ी घनी झाड़ियों हाईवे तक फैली हुई थी। झाड़ियों मे कुछ हलचल दिखायी देते ही सभी चौकन्ने हो गये थे। कुछ ही मिनट बीते थे कि कुछ साये झाड़ियों की आढ़ से निकल कर रेतीली जमीन की ओर आते हुए दिखे तो रात की शांति भंग करते हुए एक आवाज गूंजी… हाल्ट। अरशद तुम घेर लिये गये हो। उन सायों मे से एक ने अंधेरे मे फायर किया और उसके बाद पुल के नीचे से फायरिंग आरंभ हो गयी थी। कुछ ही मिनट मे वह साये रेतीली जमीन पर ढेर हो गये थे। एनआईए की फायर पावर का उस रात उत्कृष्ट नमूना स्थानीय पुलिस वालों देखा था। कुछ देर के बाद बीस-पच्चीस स्थानीय पुलिस, एनआईए और आईबी के लोग रेतीली जमीन पर पड़े हुए शवों की जाँच मे जुट हुए थे। …सर, अरशद गैंग के साथ आजमगड़ के अंसारी का शार्पशूटर शकील और उसका बेटा इमरान भी मारे गये है।

…एसपी साहब अब हम इन तेरह लाशों को आपके हवाले कर रहे है। आप कागजी कार्यवाही पूरी करके इसकी रिपोर्ट दिल्ली फैक्स करवा दिजियेगा। इतना बोल कर वह आदमी सड़क की दिशा मे चल दिया। उसके पीछे उसके साथी भी चल दिये थे। आठ पुलिस वाले और एसपी साहब उन शवों के पंचनामे की कार्यवाही करने मे व्यस्त हो गये थे। …रेड्डी तुम्हें तो खुश होना चाहिये कि एक ही रात मे अरशद गैंग का सफाया हो गया। इसी के साथ इस इलाके मे देवबंदी आतंकी नेटवर्क का भी सफाया हो गया।  …सर, कल जब यह खबर सुन कर स्थानीय मौलाना और मौलवी हंगामा करने के लिये जुटेंगें तब हम उनको क्या जवाब देंगें? …यही कहना कि यह एनआईए का आप्रेशन था। अरशद के गोदाम से जब्त किया हुआ असला बारुद की झलक दिखा कर कह देना कि वह इससे दूरी बना ले अन्यथा एनआईए उनको भी देश विरोधी मामलों मे हिरासत मे ले लेगा। स्थानीय पुलिस की इसमे कोई भुमिका नहीं है। …जी जनाब।

रविवार, 18 जून 2023

  

गहरी चाल-13

 

एक घंटे के बाद मानेसर मे एनएसजी के गेस्ट हाउस के कमरे मे शाईस्ता के सामने मै बैठा हुआ था। रज़िया टीवी पर कार्टून नेटवर्क देखने मे व्यस्त हो गयी थी। …शाईस्ता, तुम दोनो के लिये इससे सुरक्षित कोई और जगह नहीं हो सकती। इतना सब कुछ करना इसलिये जरुरी था कि जिससे अंसारी परिवार को लगे कि तुम अपनी मर्जी से गयी हो। इस कारण तुम्हारे अब्बू पर अंसारी परिवार कोई आरोप नहीं लगायेगा। शाईस्ता कुछ देर सिर झुकाये बैठी रही तब मैने उठते हुए कहा… तुम आराम से यहाँ रहो। शाईस्ता ने एक बार सिर उठा कर मेरी ओर भीगी पलकों से देखा और फिर उठ कर मेरे पास आकर बोली… समीर, प्लीज कुछ देर के लिये रुक जाओ। धीरे से उसके कन्धे को दबा कर मैने कहा… यहाँ से जब जाऊँगा तभी अंसारी परिवार का हिसाब-किताब करने की सोचूँगा। उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और खींचते हुए दूसरे कमरे मे ले जाकर बोली… अंसारी परिवार ने ही आदिल की हत्या करवायी थी। मैने चौंक कर उसकी ओर देखा तो वह सिर झुकाये बोली… निकाह के छह महीने के बाद से ही उसका परिवार मुझे तलाक देने के लिये आदिल पर दबाव डाल रहा था। आदिल ने मुझे इसके बारे मे बताया था कि अंसारी परिवार का यही चलन है कि उनके परिवार की हर स्त्री पर हलाला के द्वारा परिवार के सभी मर्दों का हक हो जाता है। आदिल ने एक रात मुझसे कहा कि अगर मै परिवार के दूसरे मर्दों के साथ हमबिस्तरी करने के लिये स्वयं राजी हो जाऊँगी तो फिर तलाक की नौबत नहीं आएगी। जब मै इसके लिये राजी नहीं हुई तो एक रात उसके चचा ने मेरे साथ जबरदस्ती करने की कोशिश मे विफल हो गया था क्योंकि आदिल बीच मे आ गया था। उसके दो दिन के बाद एक चुनावी दौरे मे आदिल की गाड़ी मे अचानक विस्फोट हो गया जिसके कारण आदिल और उसके चार साथियों की जान चली गयी थी। उसके अब्बा ने मुझे इद्दत के दौरान भी नहीं बक्शा और दूसरी रात को ही उसने मेरी इज्जत तार-तार कर दी थी। उसके बाद तो… बस इतना बोलते ही वह फूट-फूट कर रोने लगी। मै चुपचाप उसके गम का साथी बन गया था।    

ऐसी बदचलनी की कहानी शाईस्ता की जुबानी सुन कर मुझे उस अंसारी परिवार से नफरत हो गयी थी। वह सुबकते स्वर मे बोली… मुझे बाद मे पता चला कि मुझे मेरे अब्बू के पापों की सज़ा दी जा रही थी। आदिल की मौत के छह साल बाद पहली बार मै उस घर से बाहर निकली हूँ। मैने सोच लिया था कि अब दोबारा जीतेजी उस घर मे वापिस नहीं जाऊँगी। मैने तो दोनो घरों को छोड़ने का फैसला कर लिया था। अगर तुम मेरी मदद नहीं करते तो मै रज़िया को मार कर खुद मर जाती। …रज़िया किसकी बेटी है? …पता नहीं लेकिन नौ महीने मैने इसे अपनी कोख मे पाला है तो अब यह मेरी बेटी है। शाईस्ता को अपने आगोश मे बाँध कर चुप कराते हुए कहा… आज के बाद उनके रोने का समय शुरु हो जाएगा। बस तुम्हें अब अपने और रज़िया के भविष्य के बारे मे सोचना है। वह कुछ देर मेरे सीने मे चेहरा छिपाये खड़ी रही और फिर अलग होकर बोली… आदिल के अब्बा मुश्ताक, उनके तीन भाई अतीक, अरशद और अफरोज। आदिल के दो बड़े भाई कामरान और इमरान। दो दूल्हे भाई सरफराज और हमीद। इन लोगों को बिल्कुल मत बक्शना। अंसारी परिवार के काले कारोबार पर इन्हीं सब का आधिपत्य है। परिवार की सुरक्षा की देखभाल मुख्य तौर पर शकील और गुड्डू नाम के शार्पशूटर्स के हाथ मे है। मै जल्दी-जल्दी नाम नोट करने मे जुट गया था। सबके नाम लिखते हुए मेरे दिमाग मे एक विचार आया तो मैने पूछ लिया… शाईस्ता क्या तुम्हारे सामने कभी शुजाल बेग नाम का जिक्र आया है? वह कुछ देर सोचने के बाद बोली… नाम सुना हुआ लग रहा है परन्तु मै यकीन से नहीं कह सकती। कुछ देर उसके साथ बिताने के बाद मै कैप्टेन यादव से मिलने के लिये चला गया था।

कैप्टेन यादव की टीम मेरा इंतजार कर रही थी। मैने उनको पहला टार्गेट देकर और हमले का ब्लू प्रिंट और उसकी बारीकियाँ समझा कर कहा… इस हमले मे जान और माल की चिन्ता करने की जरुरत नहीं है क्योंकि यह सभी आतंक के पर्यायवाची है। बस आज रात को इस दिये गये पते पर ऐसा ब्लास्ट होना चाहिये कि दुश्मन थर्रा उठे। …यस सर। …उन ट्रकों मे रखे हुए ग्रेनेड्स और सेम्टेक्स की छ्ड़ों का खुल कर प्रयोग करना। …यस सर। इतना बोल कर मै अपने घर की ओर चल दिया। रास्ते मे फोन पर मैने अजीत सर को सारी कहानी बताने के बाद पूछा… आज की कार्यवाही के बाद क्या आप अंसार रजा से मिलने के लिये तैयार हो जाएँगें? …मेजर, उससे मिलने का टाइम बाद मे आयेगा। अगर आज और कल का कार्य सिद्ध हो गया तो वह खुद मजबूरी मे मुझसे मिलने के लिये आयेगा। उसके बाद ही हम उसके द्वारा इस नापाक इस्लामिक एकता के गठजोड़ को तोड़ने मे कामयाब होगें। इतनी बात करके मैने फोन काट कर अपनी ड्राईविंग पर ध्यान केन्द्रित किया।

घर पर आफशाँ मेरा  इंतजार कर रही थी। …इतनी देर कैसे हो गयी? …आफिस मे मीटिंग देर तक खिंच गयी थी। इतना बोल कर मै कपड़े बदलने के लिये चला गया था। जब तक लौटा तब तक मेनका भी अपने रंग मे आ गयी थी। वह अपनी दिन भर की कहानी सुनाने बैठ गयी थी। मैने एक बात कुछ दिनों से नोट कर रहा था कि मेनका के आते ही हमारी अपनी बातचीत नेपथ्य मे चली जाती थी। हमारा सारा ध्यान मेनका पर केन्द्रित हो जाता था। हमने साथ डिनर किया और फिर लान मे टहलने के लिये निकल गये थे। कुछ देर के बाद ही मेनका की आँखे नींद से झपकने लगी थी। …अब्बू नींद आ रही है। आफशाँ तुरन्त मेनका को लेकर उसके कमरे की ओर चली गयी थी। उनके जाने के बाद मैने अपने सामान से सेटफोन निकाल कर चालू किया और पहला फोन चांदनी को लगाया… हैलो। …कौन बोल रहा है? …समीर। …बोलिये समीर। …वहाँ का क्या हाल है? …हंगामा चल रहा है। सभी का एक ही विचार है कि शाईस्ता अपने किसी पुराने आशिक के साथ भाग गयी है। उसकी पहचान करने की कोशिश की जा रही है। …तुम्हारे अब्बू को खबर हो गयी? …हाँ। वह तुरन्त वापिस लौट रहे है। …क्या अंसारियों को भी इसकी खबर मिल गयी? …नहीं, अब्बू ने मना कर दिया था। उनके आने से पहले यह खबर बाहर नहीं जानी चाहिये। …ओके। गुड नाइट। इतनी बात करके मैने फोन काट दिया था।

मैने शाईस्ता से अंसारी परिवार के कुछ लोगों के फोन नम्बर चलने से पहले ले लिये थे। कुछ सोच कर मैने मुश्ताक अंसारी का नम्बर मिलाया तो कुछ देर घंटी बजने के बाद एक भारी भरकम आवाज मेरे कान मे पड़ी… हैलो। …मुश्ताक। वह तुरन्त दहाड़ा… कौन बोल रहा है? …अंसार रजा ने अपनी बेटी को गायब कर दिया है। जो तुमने उसकी बेटी के साथ इतने सालों तक किया था अब उसका बदला लेने की तैयारी कर रहा है। उसकी बरेलवियों की फौज निकल चुकी है। अब तू अपने परिवार की जान बचाने की कोशिश कर…मेरी बात को बीच मे काटते हुए वह जोर से गर्जा… तेरी मौत आयी है। बता तो सही तू कौन बोल रहा है। …अपने बाप शुजाल बेग से पूछ लेना तो पता चल जाएगा। मै वलीउल्लाह बोल रहा हूँ। इतनी बात करके मैने फोन काट दिया था। अपने फोन को साइड टेबल पर रख कर मै बिस्तर पर फैल गया। आफशाँ अभी मेनका के पास थी। मै आँख मूंद कर लेट कर कैप्टेन यादव को दिये गये मिशन के बारे मे सोचने लगा। कुछ देर के बाद आफशाँ ने कमरे मे प्रवेश किया और मुझे वहाँ देख कर वह चुपचाप मेरे साथ लेट कर धीरे से बोली… समीर, सो गये क्या? उसने धीरे से मेरी बाँह पकड़ कर हिलायी परन्तु मैने सोने का नाटक जारी रखा।

आफशाँ मेरे काफी करीब आ गयी थी। उसकी गर्म साँसे मेरे चेहरे को छू रही थी लेकिन वाटरवर्ल्ड की उसकी छवि उस दिन से मेरे दिमाग मे छायी हुई थी। अचानक मैंने करवट लेकर उसको अपनी बाँहों में जकड़ लिया। इस अप्रत्याशित हमले से वह चौंक गयी और उसके मुख से चीख निकल गयी थी। …डरपोक। यह बोल कर मै खिलखिला कर हँस दिया। उसने झेंप अपना चेहरा मेरे सीने मे छिपा लिया लेकिन मैने उसके चेहरे को दोनो हाथों मे थाम कर उसके थोड़े से खुले हुए गुलाबी होंठों को चूम कर बोला… इतनी देर उसको सुलाने मे लगा दी। मेरे हाथ उसके जिस्म के नाजुक अंगों के साथ खिलवाड़ करने में लग गये। उसने कसमसा कर दूर होने की चेष्टा की परन्तु जब उसकी सारी कोशिश असफल हो गयी तो मुझसे लिपट गयी। उसी पल मैंने उसके गालों और होंठ पर अपने होंठों से लगातार प्रहार करना आरंभ कर दिया था। कुछ ही देर मे हम दोनो को कपड़े काटने लगे थे। सारी छेड़खानी त्याग कर आनन-फानन मे एक दूसरे के कपड़े उतारने मे जुट गये थे।

कुछ ही समय मे हम दोनो निवस्त्र होकर एक दूसरे को बाँहों मे जकड़े बिस्तर पर जोर आजमाईश कर रहे थे। अब कामाग्नि दोनों जिस्मों में प्रजव्लित हो गयी थी और हम दोनों उस अग्नि को और भड़काने के लिये अग्रसर हो गये थे। आफशाँ का संगमरमरी गदराया जिस्म मेरी बाँहो में मचल रहा था। उसके मचलने की कारण मेरे हाथ उसके चिकने बदन पर इधर-उधर फिसल रहे थे। उसको अपनी बाँहों में भर एक करवट लेकर मै उसके उपर छा गया। मेरे हाथ अपने काम में लग गये थे और मेरा हथियार अपनी म्यान को तलाश करने में जुट गया। उसकी कमर को नाप कर मेरे हाथ नीचे की ओर सरक कर उसके मक्खन से चिकने पुष्ट नितंबों की मालिश करने में जुट गये थे। जैसे हीं मचलती हुई आफशाँ को अपना योनिच्छेद खुलने और किसी गर्म जीवन्त वस्तु के प्रवेश करके का एहसास हुआ उसने अपनी पलकें झपका कर आँखे खोल कर कहा… अब इसको दिशा दिखाने की जरुरत भी नहीं पड़ती है। ओह…इटस हेवनली उसके सेब से गालों को चूसते हुए मैंने कहा… यह तो इसके निशाने पर वाटरवर्ल्ड से था। कसम खुदा की तुम स्विमिंग कास्टयूम मे जन्नत की हूर बन कर मेरे दिल पर बिजलियाँ गिरा रही थी। मेरे होंठों ने उसके गुलाबी होंठों को अपनी गिरफ्त में ले कर उनका रस सोखना शुरू किया। मेरे हाथ उसके भारी उन्नत वक्ष स्थल पर काबिज हो गये थे। अपने हथियार को जड़ तक म्यान में धँसा कर धीरे-धीरे हम दोनों अपने आखिरी पड़ाव की ओर अग्रसर हो गये थे। हम दोनों की साँसे तेज हो चली थी और हम दोनों के अंदर स्खलन का दबाव बढ़ता जा रहा था। अचानक आफशाँ के मुख से लम्बी सिस्कारी छूट गयी और फिर झटके लेते हुए अपने प्रेमरस की वर्षा से मेरे लिंगदेव को सिर से लेकर गर्दन तक नहला दिया। उसका हर झटका और कंपन मुझे भी अपनी चरम सीमा की ओर धकेल रहा था। अचानक एक क्षण के लिए मेरे लिए सब कुछ थम सा गया और फिर मेरे अंदर उनता हुआ ज्वालामुखी फट पड़ा और बिना रुके लावा बह निकला। कुछ देर तक हम दोनों एक दूसरे से लिपटे हुए पड़े रहे और अपनी साँसों को काबू करने लगे। मैंने आफशाँ के कान को चूम कर धीरे से कहा… थैंक्स मेरी जिंदगी मे आने के लिये। मुझे अपनी बाँहों जकड़ वह तुरन्त बोली… यह तो मुझे बोलना था। …कोई बात नहीं यह फीलिंग म्युचुअल है। कुछ देर बाद हम अपनी-अपनी सपनों की दुनिया मे खो गये थे।

हम जब सो रहे थे तब आजमगड़ की आलीशान हवेली पर आग बरस रही थी। काफी लोग घायल हो गये थे और बहुत से लोग जान बचाने के लिये इधर-उधर भाग रहे थे। चारों दिशा मे विस्फोट हो रहे थे। चारों दिशाओं मे भयावह वातावरण हो गया था। स्पेशल फोर्सेज के जवान किसी को भी नहीं बक्श रहे थे। आस पड़ोस के लोग अपने घरों मे दुबके हुए सोच रहे थे कि भला सारे प्रदेश मे आतंक मचाने वाला परिवार आज खुद आतंकित होकर रुदन और विलाप कैसे कर रहा है। आधे घंटे मे हवेली और उससे लगा हुआ गोदाम भी खंडहर मे तब्दील हो गया था। जिस प्रकार का कहर उस हवेली पर अचानक टूटा था उसे देख कर सभी स्तब्ध थे। एकाएक जैसे सब कुछ शुरु हुआ था वैसे ही उसी प्रकार एकाएक मौत की शांति छा गयी थी। तीन घंटे के बाद एक अनशिड्युल्ड फ्लाईट का अपाचे हेलीकाप्टर मानेसर के हेलीपेड पर चौबीस सैनिकों को उतार कर एयरफोर्स स्टेशन की दिशा मे उड़ गया था।

…समीर तुम्हारा फोन बज रहा है। आफशाँ नींद मे मुझे हिला कर बोली और फिर सो गयी थी। मैने जल्दी से साईड टेबल पर रखे हुए सेटफोन को उठा कर बोला… हैलो। …सर, मिशन ओवर। …कोई कैज्युअलटीज। …नो सर। सब कुछ योजनाबद्ध तरीके से हुआ था। थ्री कन्फर्मड किल्स। …गुड वर्क बोयज। प्लीज रेस्ट और दोपहर को मिलेंगें। ओवर एन्ड आउट। मैने फोन काट दिया और तैयार होने के लिये चला गया था। मैने अंसारी परिवार के दिल पर चोट की थी और अब उसका परिणाम देखना बाकी था। पहले हसनाबाद और फिर आजमगड़ मे हुए एक्शन ने एक जमे-जमाये इस्लामिक चरमपंथी नेटवर्क को चुनौती देने की कोशिश की थी। अब इसके आंकलन करने का समय आ गया था। शाईस्ता की आजादी का रास्ता अब थोड़ा सा साफ हो गया था। अब कल पता चलेगा कि अंसारियों का कितना नुकसान हुआ था। यही सोचते हुए सुबह की पहली किरण निकलते ही मै तैयार होकर आफिस की दिशा मे जा रहा था। जनरल रंधावा आफिस पहुँच चुके थे। अजीत सर किसी भी समय पहुँचने वाले थे।

मै जब तक आफिस पहुँचा तब तक दोनो आ चुके थे। एक करारा सा सैल्युट करके मै उनके सामने जाकर बैठ गया। …मेजर, मिशन का क्या हुआ? …सर, अंसारी परिवार की पुश्तैनी हवेली और गोदाम को ध्वस्त कर दिया है। …कितने हताहत हुए? …जान और माल की विस्तृत जानकारी अभी मिली नहीं है। थ्री कन्फर्मड किल्स की रिपोर्ट मिली है। यह हमला अंसारी की फौज पर केन्द्रित था तो इसलिये मेरा मानना है कि तीन को छोड़ कर परिवार के सभी सदस्य सुरक्षित है। …बड़े अंसारी को खबर कर दी? …जी सर। मुश्ताक अंसारी का मानना है कि यह हमला अंसार रजा के दारुल उलुम बरेलवी के गाज़ियों ने किया था। …इसकी जानकारी उसे किसने दी? …हमला करने से पहले मैने ही उसको इसकी सूचना दी थी। …अब आगे क्या करने की सोच रहे हो? …आज अंसार रजा के अड्डे पर हमला होगा लेकिन उसको बचने का मौका दिया जाएगा जिसके कारण वह बरेलवी फिरके के गाज़ियों के लिये वह गुहार लगाने के लिये मजबूर हो जाएगा। …गुड, कीप अप द गुड वर्क। आज ही एनआईए की टीम को अंसारियों के गोदाम और हवेली की जाँच के निर्देश हो जाएँगें। अब जल्दी ही अंसारी का आतंकी साम्राज्य तबाह हो जाएगा। …सर, अंसार रजा को आज रात को देखना है। …मेजर, पहले दोनो परिवारों का तापमान बढ़ने दो ताकि जब हम फ्रंट लाईन पर पहुँचे तब तक दोनो माफियाओं की चूलें हिल जानी चाहिये। कुछ देर मेरी योजना पर चर्चा करके मै चांदनी से मिलने के लिये निकल गया था।

फोन पर हमारे बीच तय हुआ था कि मुझे चांदनी को लेकर शाईस्ता के पास जाना है। उसके घर की पहचान करने के उद्देश्य से मैने उसके घर पर मिलना ही ठीक समझा था। मै अपने निश्चित समय पर अंसार रजा के घर पहुँच गया था। मकान के बाहर अफरातफरी मची हुई थी। अंसार रजा की हवेली हथियारबंद गाजियों की फौज की छावनी बन चुकी थी। बड़े से लोहे के गेट पर प्रदेश की पुलिस तैनात थी। अपनी जीप सड़क के किनारे खड़ी करके मै पुलिस गार्ड की ओर बढ़ गया था। …मेरा नाम समीर है। मुझे चांदनी से मिलना है। वह मेरा इंतजार कर रही है। आप अन्दर खबर कर दिजिये। उस गार्ड ने एक बार मुझे उपर से नीचे तक देख कर बोला… रुकिये अन्दर खबर भिजवाता हूँ। क्या नाम बताया आपने? …समीर। पुलिस गार्ड ने अन्दर यार्ड मे तैनात एक हथियारबंद गाज़ी से कहा… अन्दर खबर कर दो कि चांदनी मेमसाहब से मिलने समीर आया है। वह आदमी तुरन्त गेट पर आकर बोला… समीर, आप आ जाईये। वह आपका इंतजार कर रही है। गार्ड ने लोहे का गेट खोल दिया और वह आदमी मुझे लेकर हवेली की ओर चल दिया।

बड़ी भव्य और विशाल हवेली थी। मेरी नजर उस जगह का फौजी आंकलन कर रही थी। गेट से हवेली का द्वार लगभग पचास मीटर की दूरी पर था। उस रास्ते के दोनो ओर हरियाली दिख रही थी। करीने से फलदार व नुमाईशी वृक्ष चारों ओर लगे हुए थे। हवेली के साथ एक छोटी सी आधुनिक आउट हाउस जैसी इमारत थी। उसके सामने एक बड़ा सा खाली घास का मैदान था। हवेली के द्वार तक पहुँचते हुए मै बीस हथियारबंद लोगों को गिन चुका था। अभी पता नहीं और कितने हवेली के पीछे तैनात होंगें। हवेली के अन्दर प्रवेश करते ही एक पल के लिये मै चौंक गया था। बड़े से अहाते के एक किनारे मे अंसार रजा मौलवियों के समूह से किसी विषय पर चर्चा कर रहा था। मै उस आदमी के साथ चलते हुए अहाते से निकल कर जैसे ही बड़े से कमरे मे प्रवेश किया मेरे सामने चांदनी आ गयी थी। उसके चेहरे पर आये हुए भावों को देख कर साफ हो गया था कि वह ही नही बल्कि पूरी हवेली तनाव से ग्रसित थी। …चलो मेरे साथ। वह व्यक्ति वापिस लौट गया और वह मुझे लेकर हवेली के एक हिस्से की ओर चल दी थी। …तुम्हारा चेहरा उतरा हुआ क्यों है? …आज सुबह आजमगड़ से अंसारियों की ओर से धमकी मिली है। मै चुपचाप उसके साथ चलते हुए एक कमरे मे पहुँच गया था। …बैठो। मै अभी आती हूँ। इतना बोल कर वह कमरे से बाहर निकल गयी थी।

मैने कमरे का नीरिक्षण किया तो पाया कि वह छोटी सी बैठक है। सजावट और सामान से लग रहा था कि शायद जनाना बैठक है।  कुछ देर के बाद चांदनी एक बैग लेकर आयी और मेरी ओर करके बोली… बाजी और रज़िया की रोजमर्रा की जरुरत का सामान है। बैग लेकर मैने पूछा… क्या मेरे साथ चलना नहीं है? …अब्बू ने सुबह आते ही सबके घर से बाहर निकलने पर पाबन्दी लगा दी है। …तो कब तक घर मे सब बन्द रहेंगें? …पता नहीं। अब्बू बहुत डरे हुए लग रहे है। वह इस वक्त बरेलवी जमात के लोगों से इस मामले मे चर्चा कर रहे है। …यह कोई ऐसा मसला नहीं है जो एक दो दिन मे सुलझ जाएगा। शाईस्ता के लिये अंसारी दबाव बना रहा है। शाईस्ता यहाँ नहीं है तो उसे तुम्हारे अब्बू वापिस नहीं भेज सकते। अब इस हालत मे क्या तुम सभी घर में बन्द रहोगे? …अब्बू और हमारी जमात के बहुत सारे लोग बाजी को ढूंढने के लिये निकले हुए है। अब तुम ही बताओ कि ऐसी हालत मे मै क्या करुँ? …सबसे आसान है कि अपनी बाजी को उन दरिन्दों के हवाले कर दो। तुरन्त चांदनी तुनक कर बोली… हर्गिज नहीं। एक बार फिर कमरे मे चुप्पी छा गयी थी।

…चांदनी मेरे पास एक रास्ता है। उसने चौंक कर मेरी ओर शक भरी नजरों से देखा तो मैने तुरन्त कहा… क्या मैने कभी कोई ऐसा आश्वासन दिया है जिसको मैने पूरा नहीं किया? …बताओ तुम्हारे पास क्या रास्ता है? …अब्बा की नाफरमानी करके मेरे साथ अभी चलो। आगे का रास्ता अपने आप निकल आयेगा। …नहीं समीर। अभी घर के हालात ठीक नहीं है। …कोई बात नहीं। मै जा रहा हूँ। जब तुम अपने अब्बू के खिलाफ विद्रोह करने का मन बना लो तो मुझे बुला लेना। इतना बोल कर मै उठ कर चल दिया। उसने मुझे रोकने की कोशिश भी नहीं की थी। कुछ ही देर बाद मै मानेसर की ओर जा रहा था।

रज़िया और शाईस्ता गेस्ट हाउस के लान मे मिल गयी थी। मैने शाईस्ता को बैग देकर कहा… चांदनी ने यह बैग तुम्हारे लिये दिया है। …वह आयी नहीं? …तुम्हारे अब्बू आ गये है तो उसने आने से मना कर दिया। अच्छा मै अपने दोस्त से मिल कर आता हूँ तब तक तुम अपना सामान चेक कर लो। यह बोल कर मै उस शेड की दिशा मे चल दिया जहाँ दोनो ट्रक खड़े थे। कैप्टेन यादव और उसके साथियों की ड्युटी वहीं उन ट्रकों की सुरक्षा पर लगी हुई थी। सभी लोग शेड मे बैठे हुए मेरा इंतजार कर रहे थे। मुझे देखते ही सभी चौकन्ने हो गये थे। फौजी अभिवादन के पश्चात उनके साथ बैठते ही मैने पूछा… कप्टेन यादव कल की कार्यवाही मे कोई खास बात? …सर, उनके पास आधुनिक हथियार थे परन्तु वह लोग तो छुटभैया गुंडे लग रहे थे। उनसे बेहतर विरोधी तो उत्तरपूर्वी हिस्से मे आम लोगो के बीच हमने देखे है। पहले फायर के बाद तो वह पागलों की तरह जान बचाने के लिये इधर उधर भाग रह थे। …क्या उनमे से कोई दिखा था? …गुड्डू, कामरान और अरशद को उनके हिस्से की हूरों से मिलने भेज दिया है क्योंकि उस भगदड़ मे बस उनकी पुख्ता शिनाख्त हो सकी थी। …गुड, आज रात को दिल्ली के बार्डर पर स्थित एक हवेली पर हमला करना है। इसी के साथ मैने कैप्टेन यादव के आईपेड पर स्थान चिंन्हित करके हमले की व्युहरचना तैयार करने मे जुट गया था। दो घंटे की चर्चा के पश्चात मैने कहा… बोयज आज के मिशन के बाद हमे तुरन्त काठमांडू के लिये निकलना होगा। इसलिये लौट कर अपने हथियार और असला-बारुद दोनो कंटेनर ट्रकों मे रख कर किसी भी वक्त चलने के लिये तैयार रहना। …यस सर। इतनी बात करके मैने गेस्ट हाउस की ओर रुख किया।

रजिया अभी भी बाहर झूले पर दूसरे बच्चों के साथ खेल रही थी। शाईस्ता नहीं दिखी तो मै उसके कमरे की ओर चला गया था। दरवाजे पर दस्तक देते ही उसने दरवाजा खोल दिया था। मेज पर रखे हुए बैग को देख कर मैने पूछा… सामान चेक कर लिया? उसने बैग खोल कर मेरे सामने रख कर उपर से कुछ कपड़े हटाये तो नोटों के बंडल देख कर मै चौंक गया। …यह क्या है? …जो तुम लेकर आये हो। कुछ सोचने के बाद मैने कहा… शाईस्ता कल रात को गुड्डू, कामरान और अरशद एक हमले मे मारे गये जिसके कारण फिलहाल तुम्हारे लिये कैम्पस से बाहर निकलना ठीक नहीं होगा। शाईस्ता के चेहरे पर अजीब से भाव उभरे और फिर वह खिलखिला कर पागलों की तरह हंसने लगी तो एक पल के लिये उसमे आये हुए बदलाव को देख कर मै असहज हो गया था। एकाएक उसकी आंखों से झरझर आँसू बहने लगे तो मैने जल्दी से उठ कर उसको अपनी बाँहों मे भर लिया और चुप कराने मे लग गया था।

कुछ देर के बाद जब वह शांत हो गयी तब मैने पूछा… तुम्हें अचानक क्या हो गया? …कामरान की मौत की खबर सुन कर मुझे बेहद खुशी हुई है। वह बेहद गलीच इंसान था। उसे तकलीफ देकर आत्मिक शांति मिलती थी। अरशद और गुड्डू तो बहशी दरिन्दे थे परन्तु कामरान तो जीता जागता शैतान था। मै अभी भी उसके चेहरे पर बदलते हुए भावों को पढ़ने की चेष्टा कर रहा था कि वह अचानक उठी और दरवाजे को लाक करके एक क्षण के लिये खड़ी होकर मुझे देखने लगी। मै जब तक कुछ समझ पाता उसने अपना ढीला-ढाले कुरते का हुक खोलना आरंभ कर दिया था। मै तुरन्त उठते हुए बोला… शाईस्ता क्या कर रही हो? …वहीं ठहरो। मेर बढ़ते हुए कदम रुक गये थे। मेरे देखते-देखते उसने अपना कुर्ता उतार कर जमीन पर डाल दिया था। कुर्ते के नीचे कोई अन्तरवस्त्र न होने के कारण उसका सीना अनावरित हो गया था। मै ठगा सा उसको देखता रह गया था। पहली बार मै कुछ भी बोलने की स्थिति मे नहीं था। वह चांदनी का प्रतिरुप थी बस उम्र और शारिरिक भराव मे वह उससे भिन्न थी। मेरी नजरे उसके भारी सीने पर टिकी हुई थी कि पता नहीं कब और कैसे उसकी सलवार सरकते हुए जमीन पर इकठ्ठी हो गयी थी। वह पूर्ण नग्न अवस्था मे मेरे सामने खड़ी हुई थी। भारी उन्नत स्तन और उसके शिखर पर काले अंगूर जैसे स्तानाग्र , बल खाती हुई पतली कमर, पुष्ट उभरे हुए नितंब और सफाचट कटिप्रदेश देख कर वह कामुकता की जीवन्त उदाहरण लग रही थी।

…इधर आओ। मै यंत्रवत चलता हुआ उसके करीब चला गया था। उसके करीब पहुँचते ही जो मैने देखा तो एक पल के लिये मेरी सारी समझ हिल गयी थी। उसके स्तन पर कुछ खास जगहों पर बारीक परन्तु छोटे से निशान साफ दिख रहे थे। स्पेशल फोर्सेज का प्रशिक्षण मिलने के कारण मै इंसानी जिस्म के संवेदनशील स्थानों से पूर्णत: परिचित था। किसी ने उसके जिस्म के साथ अति पीड़ादायक खिलवाड़ किया था। मैने उसके एक स्तन को पकड़ कर धीरे दबाया तो वह निशान साफ उजागर हो गये थे। उसके स्तानाग्र के सिरे पर काले दस रुपये के सिक्के के आकार पर जैसे ही मैने उंगली फिरायी तो तुरन्त खुरदुरी त्वचा का एहसास हो गया था। उसके फूले हुए अकड़े स्तानाग्र की त्वचा भी कड़ी हो गयी थी। उसके स्तन के निचले हिस्से मे और भी निशान दिख गये थे। मैने उसके दूसरे स्तन का भी उसी प्रकार निरीक्षण करके उसकी पीठ, कमर, नितंबों पर भी वही निशान मिल गये थे। नीचे बैठ कर जैसे ही पाव सी फूले हुए कटिप्रदेश की संतरे की फाँकों को खोल कर जैसे ही उसके अंकुर पर उँगली टिकाई तो मेरे मुख से स्वत: ही निकल गया… ओह नो। उसका खतना कर रखा था। एक इतनी सुन्दर लड़की को इतना कष्ट देने की कौन दरिंदा सोच सकता था। मै खड़ा हो कर बोला… यह सब कामरान की करतूत है। उसने डबडबाई आँखों से हामी भरी और फिर एकाएक रो पड़ी थी। उसके चेहरे को अपने हाथ मे लेकर मैने कहा… तुमने इतने समय तक बहुत दर्द सहा है। मेरा वादा है कि उन्हें तुम्हारे हर निशान का हिसाब देना होगा। उसके गुलाबी होंठ धीरे से खुले और उसके जिस्म मे हरकत हुई। मै उसके चेहरे को छोड़ कर जैसे ही हटने लगा उसने मुझे अपनी बाँहों मे जकड़ कर बोली… क्या एक बार मुझे प्यार का एहसास करा सकते हो? एक पल के लिये मै ठिठक कर रुक गया था।

पता नहीं क्यों उस पल मेरी आँखों के सामने अंजली कि छवि उभर आयी थी। वह भी एक दरिंदे के द्वारा सताई हुई थी। उसकी आँखों मे मैने उस रात वही भाव देखे थे जो इस वक्त शाईस्ता की आँखों मे दिख रहे थे। मैने अचानक उसे अपनी बाँहों मे उठाया और बेडरुम की ओर चल दिया। उस वक्त शाईस्ता के बजाय मेरे साथ मेरी अंजली थी। हमारा एकाकार भी एक मासूम चुम्बन से आरंभ हुआ था। अंजली रो रही थी और मैने उसके आँसुओं को पौछते हुए धीरे से उसके गाल को धीरे से चूम लिया था। कब गाल से होंठ और होंठ से गले और कब गले से नीचे पहुँचा पता ही नही चला था। एलिस की शिक्षा ने एकाएक मुझे कामदेव मे तब्दील कर दिया था। मेरा हर वार उसकी सुप्त कामाग्नि को भड़काता चला जा रहा था। अंजली मेरे हर वार का न चाहते हुए भी विरोध करती रही लेकिन फिर उसकी शक्ति क्षीण होती चली गयी थी। उसे एक मोम की गुड़िया की तरह अपने अनुसार ढालता चला गया था। अंजली छुईमुई सी मेरे हाथों मे मेरी चाह के अनुसार ढलती चली गयी थी। इतने सालों से यातनाओं मे दबी हुई भावनाएँ एकाएक ज्वालामुखी की तरह भड़क उठी थी। वह मेरे हाथों मे न जाने कितनी बार मचली, मेरे नीचे न जाने वह कितनी तीव्रता से उत्तेजना मे तड़पी और आखिरकार न जाने कितनी बार स्खलित हुई थी। मैने बड़ी शिद्दत से उसके जिस्म के एक-एक पोर को अपनी मोहब्बत से सींच दिया था। एलिस से सीखा हुआ हर सफा मैने उस रात अंजली पर प्रयोग किया था।  आज एक बार फिर से मैने उन्हीं पलो को शाईस्ता के साथ दोहरा दिया था। तूफान शान्त होने के बाद शाईस्ता बेसुध होकर मेरे बगल मे लेटी हुई थी। मैने उठ कर जल्दी से कपड़े पहने और धीरे से शाईस्ता को कन्धे से पकड़ कर हिला कर कहा… शाईस्ता उठो रज़िया आने वाली होगी जल्दी से कपड़े पहन लो। उसने अपनी थकान से बोझिल पल्कें झपकाई और धीरे से उठ कर बैठ गयी। उसके कपड़े देते हुए मैने कहा… अब चलता हूँ। वह कुछ नहीं बोली बस अपने कपड़े पहनने मे जुट गयी थी।

मै उसके कमरे से बाहर निकल कर अपनी जीप की ओर चल दिया। शाम गहरी होती जा रही थी। झूले पर बच्चों का जमघट अभी भी लगा हुआ था। कुछ अभिभावक लान मे बैठे हुए थे और कुछ जोड़े घास मे टहल रहे थे। रजिया को झूले पर झूलते हुए देख कर मै बच्चों की दिशा मे चला गया था। रजिया को अपने पास बुला कर कहा… शाम हो गयी है। बेटा आओ तुम्हारी अम्मी के पास चलते है। वह तुम्हारा इंतजार कर रही है। उसने मेरा हाथ पकड़ा और गेस्ट हाउस की ओर चल दी थी। जैसे ही हम द्वार पर पहुँचे हम दोनो की नजर शाईस्ता पर पड़ गयी जो हमारी दिशा मे आ रही थी। शाईस्ता को देख कर रजिया जोर से चिल्लायी… अम्मी। मेरा हाथ छोड़ कर वह शाईस्ता की ओर भागते हुए चली गयी थी। बिना कुछ बोले मै मुड़ कर अपनी जीप की दिशा मे चल दिया था।

जब तक मै घर पहुँचा तब तक आफशाँ आफिस से लौटी नहीं थी। अपने कपड़े बदल कर मै चाय पीते हुए अंजली और शाईस्ता के बीच उलझ कर रह गया था। अंजली और अदा के लिये मेरे मन मे हमेशा के लिये एक खालीपन का एहसास बना रहता था। आफशाँ की बात कुछ और थी। वह मुझसे टूट कर मोहब्बत करती थी। उसकी मोहब्बत के आगे सारे एहसास एकाएक कम हो जाते थे। मै अभी अपने रिश्तों को समझने मे उलझा हुआ था कि आफशाँ की कार ड्राईव-वे मे आकर रुकी और उसी के साथ मेनका अपने कमरे से निकल कर अम्मी-अम्मी चिल्लाते हुए बाहर निकली और मुझे सोफे पर अकेला बैठे हुए देख कर वह ठिठक कर रुक गयी। वह मेरे पास आकर बोली… अब्बू आप कब आये? …अभी कुछ देर पहले आया था। तब तक आफशाँ अन्दर प्रवेश कर चुकी थी। वह मेरे साथ बैठते हुए बोली… तुम कब आये? मैने मुस्कुरा कर कहा… माँ और बेटी का एक ही सवाल है। क्या पहले से ठान कर बैठी हुई थी। पल भर मे ही सारे रिश्तों की दिमागी उलझन फनाह हो गयी थी।

उसी रात को अंसार रजा के कम्पाउन्ड पर दुश्मनों ने हमला कर दिया था। उसके दर्जन भर गाज़ी मारे गये थे और बहुत से घायल हो गये थे। प्रदेश द्वारा दिये गये पुलिस गार्ड्स तो हमला आरंभ होते ही दुबक गये थे। मुश्किल से बीस मिनट मे कुछ विस्फोट और गोलियों की बौछार चली थी। जैसे अचानक हमला आरंभ हुआ था वैसे ही एकाएक थम भी गया था। रात ही रात मे प्रदेश की पुलिस एक्शन मे आ गयी थी। शक की सुई अंसारी गैंग पर टिक गयी थी। गैंग वार का नाम देकर पुलिस ने अपनी तफ्तीश आरंभ कर दी थी। देर रात को कैप्टेन यादव ने बेस पर पहुँच कर मुझे सफल आप्रेशन की सूचना दे दी थी।

अगली सुबह होते ही चांदनी का फोन आ गया था। वह मुझसे तुरन्त मिलना चाहती थी। राजधानी स्थित मिडिया भी अंसार रजा के उपर हुए हमले की कहानी को बड़-चड़ कर सुनाने मे लगे हुए थे। दीपक सेठी का चैनल बिगड़ी हुई कानून व्यवस्था को लेकर केन्द्र सरकार और राज्य सरकार के पीछे हाथ धो कर पड़ गया था। दस बजे तक मै चांदनी के घर पहुँच गया था। आज तो उसका घर पुलिस की छावनी बना हुआ था। चांदनी से मिलने के लिये मुझे आधा घन्टा इंतजार करना पड़ा था। उसी कमरे मे ले जाकर चांदनी ने मुझसे कहा… मै तुम्हारे साथ चलने को तैयार हूँ। अब यह जगह किसी के लिये भी सुरक्षित नहीं है। कल हम लोग बाल-बाल बचे है। तुम मुझे बाजी के पास छोड़ देना। …सोच लिया है। वह अपना बैग उठा कर चलते हुए बोली… प्लीज मेरा सूटकेस तुम उठा लो। उसका सूटकेस उठा कर मै उसके साथ चल दिया। जैसे ही हम अहाते मे पहुँचे एक दहाड़ती हुई आवाज  हवेली मे गूँजी… चाँदनी। मै ठिठक कर रुक गया और आवाज की दिशा मे मुड़ा तो पीछे से चांदनी फुसफुसा कर बोली… रुको मत, निकलो यहाँ से। परन्तु मुझे तो इसी घड़ी का इंतजार था। अहाते की देहरी के बीचोंबीच अंसार रजा खड़ा हुआ गुस्से से हमे देख रहा था। उसके साथ खड़े हुए पाँच गाजी भी हम दोनो को विस्मय से देख रहे थे।

अंसार रजा हमारी ओर आते हुए चांदनी से बोला… कमबख्त हरामखोर घर से भाग कर खानदान का नाम रौशन कर रही है। इस जलील की तो मै खाल खिंचवा दूँगा। अपने साथ चलते हुए चार-पाँच गुन्डों पर दहाड़ा… इसके हाथ-पाँव तोड़ दो जिसने मेरी इज्जत पर हाथ डालने की कोशिश की है। वह मेरी ओर झपटे लेकिन तब तक सूटकेस छोड़ कर मेरे हाथ मे स्पेशल फोर्सेज की स्टैन्डर्ड इस्यु ग्लाक-17 आ गयी थी। अंसार रजा की ओर तनी पिस्तौल देख कर मेरी ओर झपटते हुए गुंडे ठिठक कर रुके तो एक दूसरे के साथ टकरा गये थे। अंसार रजा गुस्से से दहाड़ा… यह क्या बदतमीजी है? …शायद आपने मुझे पहचाना नहीं जनाब। मेरा नाम समीर बट है। मै अपनी ग्लाक ताने उसकी बढ़ते हुए बोला… यह शरीफ लोगों की बातचीत का तरीका नहीं होता। अगले ही पल वह गिरगिट की तरह रंग बदल कर बोला… ओह आप। शोरगुल सुन कर अचानक चांदनी की अम्मी भी अहाते मे आकर खड़ी हो गयी थी। …अंसार साहब आप गलतफहमी के शिकार है। चांदनी मेरे साथ नहीं भाग रही है। वह मेरे साथ जा रही है क्योंकि वह नहीं चाहती कि आप अपनी झूठी शान के लिये उसकी जिंदगी को भी शाईस्ता की तरह बर्बाद न कर दें। कहाँ के बाहुबली है आप जो उस दरिंदे से अपनी फूल सी बच्ची को नहीं बचा सके। आपकी विधायकी की यह औकात रह गयी है कि एक मामूली गुंडा अंसारी आपको अपने पालतू कुत्ते से ज्यादा नहीं समझता है। मेरी गैरत अभी मरी नहीं है। मैने चांदनी को दोस्त माना है तो उसका हश्र शाइस्ता जैसा तो हर्गिज नहीं होने दूँगा। इतना बोल कर मै चुप हो गया। मौत की शांति अहाते मे छा गयी थी। कोई भी कुछ भी बोलने की स्थिति मे नहीं था। सभी मुझे घूर रहे थे क्योंकि पहली बार किसी ने सबके सामने अंसार रजा की असलियत खोल कर रख दी थी।

चांदनी ने तनी हुई पिस्तौल वाले मेरे हाथ को धीरे से थाम कर नीचे करते हुए बोली… अब्बू, बाजी अब कभी वहाँ वापिस नहीं जाएगी। आपको जो करना है वह करके देख लिजियेगा। अचानक उसकी अम्मी मेरे पास आकर बोली… क्या मेरी बेटी तुम्हारे पास है? …नहीं। वह भारतीय सेना के संरक्षण मे है। अब आप उसकी फिक्र छोड़ दिजिये। सात साल जो शाईस्ता ने सहा है वह मै यहाँ बयान नहीं कर सकता। अंसार रजा चुपचाप खड़ा हुआ मुझे घूर रहा था। तभी वह आगे बढ़ा और मेरा हाथ पकड़ कर बोला… मेरे साथ चलो। वह मुझे अपने साथ खींचते हुए चल दिया… अंसारी से टकराना इतना आसान नहीं है। …तो अगर आपको शाईस्ता नहीं मिलती तो अंसारियों को खुश करने के लिये आप चांदनी को भेज दिजिये। …क्या बकते हो? …मै बक नहीं रहा। ऐसे सड़कछाप गुंडे को तो भरे चौराहे मे खड़ा करके पागल कुत्ता समझ कर गोली मार देनी चाहिये। …समीर बहुत कुछ दाँव पर लगा हुआ है। पहली बार मुझे मौका मिला था तो मैने तुरन्त पूछा… जैसे दारुल उलुम देवबंद और बरेलवियों के गज्वा-ए-हिन्द का गठजोड़? वह फटी हुई नजरों से मुझे देखता रह गया था। …अंसार साहब कल तो आप बच गये थे परन्तु अगली बार क्या करेंगें? मेरी बात मानिये कि चांदनी को उनके हवाले कर दिजिये। क्या आपको पता है कि इद्दत के दूसरे दिन ही मुश्ताक अंसारी ने शाईस्ता की इज्जत तार-तार कर दी थी। उसके बाद तो वह बेचारी पूरे खानदान के बिस्तर की जीनत बन कर रह गयी थी। उस बेचारी को तो अंसारी के नौकरों ने भी नहीं छोड़ा था। मै आपकी मजबूरी समझ सकता हूँ कि गज्वा-ए-हिन्द के लिये आप एक शाईस्ता तो क्या चांदनी और रज़िया को भी कुर्बान कर सकते है।

अंसार रजा के मुख पर ताला पड़ चुका था। …शाईस्ता की सुरक्षा के लिये मैने वर्तमान सरकार मे अजीत सुब्रामन्यम की मदद ली है। …कौन, एनएसए? …जी। वह भी इसलिये मदद करने के लिये तैयार हुए थे क्योंकि मैने देवबंदी जमात के चरमपंथी मोहम्मद अली बेग की असलियत उनके सामने उजागर करके उसको गोली मारी थी। वही शैतान जिसका फातिहा पढ़ने के लिये आप कलकत्ता गये थे। मेरी बाँह पर उसकी पकड़ कस गयी थी। वह कुछ बोलना चाह रहा था परन्तु उसक होंठ सिर्फ फड़फड़ा कर रह गये थे। …क्या आपको पता है कि मैने उसको क्यों मारा था? वह आश्चर्य से मेरी ओर देख रहा था। …उस देवबंदी ने चांदनी की इज्जत पर हाथ डालने की कोशिश की थी। अंसार रजा यह सुन कर लड़खड़ा कर जमीन पर बैठ गया था। तभी चांदनी और उसकी अम्मी ने कमरे मे प्रवेश किया और चांदनी ने झपट कर अंसार रजा को सहारा देने के लिये उसकी बाँह थाम ली थी। उसे सहारा देकर सोफे पर बिठा कर मैने कहा… देवबंदी फिरका आपको काफ़िर मानता है। वह संख्या और बल मे आपसे ज्यादा है। इसलिये आप और आपके बरेलवी गाजी उनके आगे ज्यादा दिन टिक नहीं सकेंगें। अंसार रजा का चेहरा उसकी हालात बयान कर रहा था। आँखें फाड़े चांदनी ने पूछा… क्या समीर सच बोल रहा है? अंसार रजा की चुप्पी सारी सच्चायी चाँदनी और उसकी अम्मी के सामने बयान कर रही थी।

 

आजमगड़

शहर के बाहर खेतों के बीच एक छोटी सी हवेली मे कुछ लोग बैठ कर गहन चर्चा मे डूबे हुए थे। दर्जन भर हथियारबंद जिहादी उस हवेली की रक्षा पर तैनात थे। …भाईजान, अंसार रजा ने पहल की है तो इसका अंत अब हम करेंगें। मुश्ताक अंसारी जो अभी तक चुप बैठा हुआ था वह उठते हुए गुस्से से गर्जा… बेवकूफों क्या अंसार रजा मे हमारी खिलाफत करने की हिम्मत है? एकाएक कमरे मे चुप्पी छा गयी थी। वह फिर बड़बड़ाया… कोई बाहरी ताकत जरुर है जो उसको शह दे रही है वर्ना उसकी ऐसी हैसियत नहीं है कि वह हमसे टकराने की सोच सके। वह कौन हो सकता है? तभी अतीक धीरे से बोला… भाईजान कहीं शुजाल बेग तो उसके पीछे नहीं है क्योंकि हाल ही मे उसने काठमांडू का आफिस संभाला है? मुश्ताक अंसारी कुछ सोचते हुए बोला… हो सकता है लेकिन नूर मोहम्मद ने तो हमारा साथ देने का वादा किया था। सारी संयुक्त जिहाद काउँसिल वाले भी हमारे साथ खड़े है तो भला शुजाल बेग उसको क्यों शह देगा। एकाएक उसकी फोन की घंटी बज उठी तो उसने सबको खामोश रहने का इशारा करते हुए मुश्ताक बोला… हैलो। …भाईजान, सदर थाने से शफीक बोल रहा हूँ। …बोलो शफीक। …भाईजान, एनआईए की एक टीम आपकी हवेली और गोदाम की ओर जा रही है। उनके साथ केन्द्र की फोरेन्सिक की टीम भी गयी है। वह उस रात हुए हमले की जाँच करने आये है। आपको इसलिये सूचना दे रहा हूँ कि अगर आरडीएक्स और सेम्टेक्स का सुराग उन्हें मिल गया तो फिर आपके परिवार को कोई भी बचा नहीं सकेगा। …क्या उन्हें जाँच करने से रोका नहीं जा सकता? …भाईजान इनसे भिड़ने की हिम्मत तो राज्य सरकार मे भी नहीं है तो भला थानाध्यक्ष क्या कर सकता है। …शुक्रिया। इस खबर का इनाम कल तक तुम्हारे पास पहुँच जाएगा। इतनी बात करके मुश्ताक ने फोन काट दिया था। …भाईजान, किसका फोन था? …एनआईए की टीम विस्फोट की जाँच करने आयी है। …भाईजान आप तो जानते है कि हम अभी तक उस जगह को साफ नहीं कर पाये है। अगर कोई सुराग उनके हाथ लग गया तो यहाँ से बच कर निकलना मुश्किल हो जाएगा। मुश्ताक अंसारी के चेहरे पर परेशानी की लकीरें खिंच गयी थी।

 

अब अंसार रजा को आफर देने का उप्युक्त समय आ गया था तो मैने कहा… इस वक्त आपके परिवार को सुरक्षा सिर्फ एनएसए दे सकते है। अगर आप ठीक समझते है तो मै आपको कल ही अजीत सुब्रामन्यम से मिलवा सकता हूँ। अंसार रजा तो कुछ भी बोलने की स्थिति मे नहीं था। वह जानता था कि एक बार एनएसए के पास सुरक्षा मांगने के लिये गया तो फिर गज्वा-ए-हिन्द की सारी सच्चायी उसके सामने रखनी पड़ेगी। अंसार रजा को चुप बैठे देख कर चांदनी की अम्मी बोली… यह ठीक तो बोल रहा है। आप कल ही उनसे मिल लिजिये। आपकी इस गलीच सियासत के लिये क्या आप अपने पूरे परिवार को दाँव पर लगाने की सोच रहे है? उन दोनो के आगे अंसार रजा का बचा-कुचा प्रतिरोध भी फनाह हो गया था। वह धीरे से बोला… समीर, क्या तुम कल मेरी मुलाकात अजीत सुब्रामनयम से करा सकते हो? मैने हामी भरते हुए कहा… लेकिन क्या आप उसके लिये तैयार है। अंसार रजा के पास अब कुछ बोलने को बचा नहीं था तो उसने बेबसी मे अपना सिर हिला दिया था। मैने उठते हुए कहा… कल सुबह दस बजे मै साउथ ब्लाक के मुख्य द्वार पर मिलूँगा। आप टाईम से पहले पहुँच जाईयेगा। इतना बोल कर मै वहाँ से चल दिया था।

 

काठमांडू

ब्रिगेडियर शुजाल बेग पाकिस्तानी दूतावास के एक कमरे मे चहलकदमी करत हुए फोन पर घुर्राते हुए बोला… नूर मोहम्मद यह मै क्या सुन रहा हूँ? …जनाब, कुछ जानकारी की तंगी होने के कारण सही हालात का पता नहीं चल रहा है। बंगाल से तपन बिस्वास ने खबर दी है कि रिजवी और बेग की आपसी लड़ाई ने हसनाबाद के नेटवर्क को ही नहीं नष्ट किया अपितु सीमा से लगे हुए हमारे पाँच गोदाम भी नष्ट हो गये है। …बेवकूफ मै मूसा की बात कर रहा हूँ। उसके भाई ने मेरा जीना दूभर कर दिया है। उसकी कोई खबर मिली? …जनाब, पुख्ता खबर है कि वह सेना के कब्जे मे है। एयरपोर्ट पर किसी ने उसकी शिनाख्त की थी। …आजमगड़ को तुम संभाल रहे थे तो वहाँ क्या हुआ? …जनाब, पारिवारिक कलह के कारण अंसारी सुरक्षा एजेन्सियों की नजरों म आ गया है। एनआईए अब उसके कारोबार और नेटवर्क की जाँच मे जुटी हुई है। अब उसका बचना मुश्किल हो गया है। हमे उसके साथ जुड़े हुए सभी तारों को एक-एक करके समाप्त करना पड़ेगा। मैने अपने आदमियों को इसके निर्देश दे दिये है। …यह तो होना ही चाहिये लेकिन यह पता लगाने की जरुरत है कि यह दोनो घटनायें सिर्फ इत्तेफाक है या भारतीय सुरक्षा एजेन्सियों की सोची समझी रणनीति के अनुसार हो रहा है? …जनाब, मेरा तो यही ख्याल है कि दोनो घटनाओं के बीच कोई सीधा संबन्ध नहीं है क्योंकि दोनो जगह सुरक्षा एजेन्सियाँ घटना घटित होने के बाद रुटीन जाँच के लिये आयी है। …नूर मोहम्मद उन ट्रकों का पता चला? …जनाब, फारुख का कहना है कि लखवी की लड़की दोनो ट्रक लेकर गायब हो गयी है। अब नीलोफर के साथ अपने दोनो ट्रकों की तलाश चल रही है। …ख्याल रहे कि अपने उतावलेपन मे तुम कहीं कोई सुराग न छोड़ देना। बस इतना बोल कर शुजाल बेग ने फोन काट दिया था।

नूर मोहम्मद कुछ देर चुपचाप सामने दीवार को घूरता रहा और फिर कुछ सोच कर उठ कर खड़ा हो गया। उसके द्वारा बनाया गया जिहाद का नेटवर्क अब भारतीय सुरक्षा एजेन्सियों के घेरे मे आ गया था। अगर जल्दी कुछ नहीं किया तो सब कुछ तबाह हो जाएगा। वह अपने सामने खड़े हुए आदमियों से बोला… मै अभी देवबंद के लिये निकल रहा हूँ। इतना बोल कर वह कमर से बाहर निकल गया था।    

रविवार, 11 जून 2023

  

गहरी चाल-12

 

दस बजने से कुछ मिनट पहले मै नीलोफर के फ्लैट के मुख्य द्वार के सामने खड़ा हुआ था। घंटी का बटन दबाते ही दरवाजा खुल गया था। उसके चेहरे पर आयी हुई बदहवासी साफ दिख रही थी। मैने जैसे ही फ्लैट मे प्रवेश किया वह मुझसे लिपट कर फफक को रो पड़ी थी। उसको कुछ देर अपनी बाँहों मे बाँधे वहीं खड़ा रहा और जब वह शान्त हो गयी तब उसे अलग करके पूछा… अब बताओ क्या हुआ? …समीर मै बर्बाद हो गयी। सेठी ने मेरा सारा पैसा लूट लिया। …साफ शब्दों मे समझाओ कि क्या हो हुआ? …मेरे दोनो ट्रक जिसमे फारुख का पैसा था वह मैने उसके हवाले कर दिये थे। वह मेरे पैसो को हवाला के जरिये ऐजरबैजान की राजधानी बाकू मे भिजवाने का इंतजाम कर रहा था। …बाकू क्यों? …उसका कहना था कि बाकू की बैंकिंग प्रणाली बेहद लचर है। वहाँ से पैसों को किसी भी पश्चिम के देश मे निकालना आसान होगा। …फिर क्या हुआ? …कल रात को उसका फोन आया कि मेरे दोनो ट्रक पुलिस ने पकड़ लिये है। मै रात को ही उससे मिलने के चली गयी थी लेकिन उसने मुझसे मिलने से इंकार कर दिया। अब तुम्हीं बताओ कि मै क्या करुँ? …तुमने मोनिका से बात करने की कोशिश की है? …कल रात को मैने उससे भी बात करने की कोशिश की थी परन्तु उसने भी मिलने से इंकार कर दिया। …अब क्या करने की सोच रही हो? …समीर, प्लीज मेरी मदद करो। तुम जानते हो कि मै पुलिस या सेठी से सीधे टकरा नहीं सकती क्योंकि अगर फारुख को मेरे बारे मे पता लग गया तो मेरी मौत निश्चित है। अब तक वह शांत हो गयी थी। उसकी दयनीय दशा देख कर मै अजीब सी स्थिति मे अपने आप को महसूस कर रहा था। एक ओर उसकी बेबसी देख कर खुश था परन्तु मन के किसी कोने मे उसके प्रति सहानुभुति का एहसास भी था क्योंकि मेरे अंतर्मन मे अपराधबोध का भी भाव था।

कुछ देर चुप्पी छायी रही तो नीलोफर ने भीगी पल्कों से मेरी ओर देखा तो मैने पूछा… तुम मुझसे क्या चाहती हो? …बस किसी तरह सेठी से मेरे पैसे निकलवा दो। कुछ सोच कर मैने कहा… मै मोनिका से बात करके देखता हूँ। तुम भी अंसार रजा से बात करके एक बार देख लो। …अंसार रजा भी गायब है। मुझे लगता है कि दोनो मिल कर मेरे सारे पैसे डकार गये है। मैने अपना फोन निकाल कर एक नम्बर डायल किया। …हैलो कौन बोल रहे है? …इतनी जल्दी मुझे भुला दिया। …समीर। …उस दिन बिना बात किये चली गयी थी। क्या कोई नाराजगी है? …नहीं। कुछ दिन तुम्हारे साथ रह कर मैने बहुत से सपने बुन डाले थे जो तुमने एक पल मे चकनाचूर कर दिये। खैर बताओ कैसे याद किया? …चांदनी, तुम्हारे अब्बा से मिलना चाहता था। …अब्बू तो चार दिन पहले कलकत्ता गये है। तुम फोन पर बात कर लो। कलकत्ता की सुनते ही मै सावधान हो गया और जल्दी से पूछा… क्या तुमने बेग के बारे मे उनसे कुछ कहा था? …पागल हो गये हो क्या। भला मै उन्हें यह बात कैसे बताती। …अच्छा किया। चांदनी मेरे पास उनका फोन नम्बर नहीं है। …ओह। तुम लिख लो। इतना बोल कर अंसार रजा के दो नम्बर लिखवा कर चांदनी बोली… समीर, क्या एक बार नये सिरे से हम मिल सकते है? …नये सिरे से क्यों चांदनी। हमारे संबन्ध ऐसे है कि जब भी कहोगी तो तुमसे मिलने के लिये सिर के बल चला आऊँगा। …प्लीज रहने दो। अच्छा अब मुझे जाना है। रात को फोन करुँगी। इतना बोल कर उसने फोन काट दिया था।

अंसार रजा का नम्बर नीलोफर को देकर मैने कहा… अंसार रजा कलकत्ता गया है। मुझे नहीं लगता कि वह इस मामले मे तुम्हारी कोई मदद कर सकेगा। …तुम चांदनी को कैसे जानते हो? कोई जवाब देने से पहले मै एक पल के लिये चुप हो गया था। नीलोफर ने तुरन्त कटाक्ष मारा… ओह तो जनाब उसके साथ भी इश्क फर्मा रहे है? मैने उसका जवाब देना उचित नहीं समझा परन्तु उससे पूछ लिया… क्या तुम बंगाल मे हसनाबाद के मोहम्मद अली बेग से परिचित हो? अबकी बार वह बोलते हुए रुक गयी थी। उसने मुझसे एक बार निगाह मिलायी और फिर तुरन्त नजरें नीचे करके बोली… जानती हूँ। वह फारुख के लिये काम करता है। मै चुप हो गया और सोचने लगा कि जमात और संयुक्त मोर्चे की बंगाल से कुछ-कुछ कड़ियाँ अब जुड़ने लगी है। …और कौन-कौन लोगों को तुम बंगाल मे जानती हो? अबकी बार वह तमक कर बोली… तुम मुझसे फारुख के गुर्गों के बारे मे पूछने आये हो या मेरी मदद करने के लिये? एक पल रुक कर उसकी आँखों मे झाँकते हुए मैने बात बदलते हुए पूछा… नीलोफर, अगर मै तुम्हारे आधे पैसे उनसे दिलवा दूँ तो तुम मेरे लिये क्या करोगी? वह झपट कर मुझे अपनी बाँहों मे कस कर जकड़ कर बोली… अपनी जान तुम्हारे नाम कर दूंगी। जबरदस्ती उससे अलग होकर मैने जल्दी से कहा… तुमने अपनी जान मेरे नाम उसी दिन कर दी थी जिस दिन मैने तुम्हें डिटेन्शन सेन्टर से बाहर निकाला था। …बोलो तुम्हें और क्या चाहिये? यह बोलते हुए वह अचानक खड़ी हो गयी और मेरी ओर देख कर बोली… यह नापाक जिस्म तुम्हारे लायक नहीं है। फिर भी अगर…मै तुरन्त उठ कर खड़ा हुआ और उसके मुँह पर अपनी हथेली रख कर बोला… बेवकूफ लड़की क्या इसके अलावा तुम्हारे दिमाग मे और कुछ नहीं आता है। मै चाहता हूँ कि पैसे मिलने के बाद तुम इन गलत धंधों से तौबा करके सौम्या कौल बन कर नयी जिन्दगी की शुरुआत करो। वह चुपचाप कुछ देर मुझे देखती रही और फिर मेरे पास आकर बोली… समीर, जब तक फारुख जिन्दा है तब तक मै मजबूर हूँ। …तभी तो मै चाहता हूँ कि तुम फारुख और हया को समाप्त करने मे मेरी मदद करो। उसने कोई जवाब देने के बजाय बस अपना सिर हिला दिया था।

नीलोफर के फ्लैट से निकलते ही आफशाँ का संदेश मिल गया था। वह मेनका को लेकर जीआईपी एम्युजमेन्ट पार्क जा रही थी। तिगड़ी की ओर से अभी तक कोई निर्देश नहीं मिला था तो मै जीआईपी की दिशा मे निकल गया था। दो बातें मेरे दिमाग मे खटक रही थी। दीपक सेठी की ओर से ट्रकों के लिये कोई कार्यवाही अब तक क्यों नहीं की गयी और अंसार रजा का कलकता इसी समय जाना मेरी समझ से बाहर था। इन्हीं दोनो बातों के बारे मे सोचते हुए मै जीआईपी पार्क पहुँच गया था। जीआईपी के टिकिट काउन्टर पर स्कूली  बच्चों की भीड़ लगी हुई थी। कुछ ही देर मे टिकिट लेकर मै भी भीड़ मे खो गया था। अन्दर पहुँच कर मैने आफशाँ को फोन लगा कर पूछा… मेनका की अम्मी तुम इस वक्त कहाँ पर हो? …हम दोनो कार बम्प ड्राइव पर है। तुम यहीं आ जाओ। फोन काट कर उसकी बतायी हुई जगह पर कुछ देर के बाद पहुँच गया था। मेनका कार-ट्रेक पर तेजी से अपनी कार दौड़ा रही थी।

आफशाँ को पीछे से अपनी बाँहों मे जकड़ कर मैने पूछा… मुझे देर तो नही हुई है? …नहीं हम कुछ देर पहले ही यहाँ पहुँचे थे। हम दोनो रेलिंग के पास खड़े होकर मेनका को कार चलाते हुए देख कर एक दूसरे की सुनने मे व्यस्त हो गये थे। जब भी उसकी कार किनारे मे पड़े हुए टायर से टकराती आफशाँ के मुख से अनायस ही चीख निकल जाती थी। रेलिंग के पास खड़े हुए सभी बच्चों के अभिभावकों की हालत हमसे भिन्न नहीं थी। टाइम समाप्त होते ही मै मेनका को लेने निकासी द्वार पर पहुँच गया था। मुझे बाहर खड़ा देखते ही वह चीखती हुई मेरी ओर दौड़ पड़ी थी। उसको अपनी बाँहों मे उठा कर हवा मे घुमाते हुए पूछा… आज की पिकनिक मे मजा आ रहा है। वह तुरन्त अपना अनुभव बताने मे लग गयी थी। बहुत दिनो के बाद हम तीनो एक परिवार की तरह घूमने निकले थे। खुशी के साथ एक बैचेनी भी थी कि एक हफ्ते के बाद मुझे काठमांडू जाना था। दोपहर को लंच करके एक बार फिर मेनका अलग-अलग स्टाल देखने मे जुट गयी थी। कुछ ऐसी जगह थी जहाँ छोटे बच्चों का जाना निषेध था जिसका मेनका को सबसे ज्यादा दुख था। मेनका की अगली फरमाइश वाटरवर्ल्ड को देखने की थी तो हम उस दिशा मे चल दिये थे।

माँ और बेटी वाटरवर्ल्ड की तैयारी के साथ आयी थी। मुझे रैम्प पर बिठा कर दोनो कपड़े बदलने के लिये चली गयी थी। पूल मे हर तरफ युवा लड़के और लड़कियाँ, बच्चे और बूढ़े पानी के साथ अठखेलियाँ करते हुए दिख रहे थे। कुछ देर के बाद …अब्बू। दूर से एक पतली सी आवाज मेरे कान मे पड़ी तो मैने उस दिशा मे सिर घुमाया तो मेनका हाथ हिला कर मेरा ध्यान अपनी ओर खींचने मे लगी हुई थी। मेनका का हाथ पकड़ कर आफशाँ भी अपने तैराकी गियर मे पूल के किनारे चलते हुए मेरी ओर आ रही थी। आफशाँ को पहली बार स्विमिंग कास्टयूम मे देख रहा था। वह बट परिवार मे सबसे सुन्दर तो पहले से थी परन्तु दिन के उजाले मे उसका गोरा रंग गुलाबी लग रहा था। वैसे तो बिना वस्त्र के मैने उसे बहुत बार देखा था परन्तु इस वक्त उसके जिस्म के हर उतार चड़ाव पर सिन्थेटिक कास्ट्युम चिपकने के कारण उसकी जिस्मानी कामुकता का एहसास कुछ ज्यादा ही प्रभावी लग रहा था। रैंम्प के चारों ओर बैठे हुए लोगो की निगाहें भी आफशाँ पर जम कर रह गयी थी। सीने की गोलाईयाँ उसके हर पग पर कास्टयूम से बाहर छलकने का असफल प्रयास करते हुए प्रतीत हो रहे थे। हर कदम पर उसका जिस्म थरथराता हुआ लग रहा था। मेरे करीब पहुँच कर अचानक वह झुकी और मेनका को गोदी मे उठा कर पूल मे कूद गयी। मेनका की तेज किलकारी मेरे कान मे गूंज गयी थी। आफशाँ उसे अपने सीने से लगाये पानी की सतह से उपर आयी और फिर एक किनारे मे पहुँच कर मेनका को तैरने का प्रशिक्षण देने मे जुट गयी थी। 

मै वहीं बैठ कर दूर से माँ और बेटी को पानी मे मस्ती करते हुए देख रहा था कि तभी वाटर स्लाईड से कुछ बच्चे फिसलते हुए बड़ी तेजी से नीचे आये और फिर स्लाईड के छोर पर पहुँच कर हवा मे उछल गये थे। पल भर के लिये मेरी नजर उनकी ओर चली गयी थी क्योंकि उनके गिरने की दिशा आफशाँ और मेनका की ओर थी। एक बच्ची हवा मे अपने आगे वाले बच्चे के सिर से टकरायी और फिर एक निर्जीव गुड़िया की भांति पानी मे गिर कर डूबती चली गयी। इतने शोर के बीच पता नहीं उसकी ओर किसी का ध्यान गया था कि नहीं परन्तु मै उस दुर्घटना को साक्षी था। मै अपने आप को रोक नहीं सका और तुरन्त बिना किसी की परवाह किये कपड़ों सहित अगले ही पल पानी मे कूद गया। अन्डरवाटर तैरते हुए पूल की तली पर मेरी नजर सैकड़ों पाँवों के बीच उस छोटी सी बच्ची को तलाश कर रही थी। मै अन्दाजे से उस स्थान पर पहुँच गया था जहाँ वह गिरी थी। मैने इधर-उधर नजर दौड़ाई लेकिन वह कहीं नहीं दिख रही थी। मेरी रोकी हुई साँस को भी अब छोड़ने का समय आ गया था। मै जैसे ही साँस लेने के लिये सतह की ओर रुख किया कि तभी पूल की दीवार के पास उस बच्ची को साँस लेने के लिये हाथ-पाँव चलाते हुए देखा। मै तेजी से उसकी ओर गया तब मेरी नजर उसकी नाक से रिसते हुए खून पर पड़ी तो मै चौंक गया था। मैने उसे तुरन्त पकड़ कर पानी की सतह से उपर निकाला और दो-चार गहरी साँस लेकर हवा मे उठाये जब तक किनारे पर पहुँचा तब तक तो बाहर हंगामा हो गया था। पूल के अधिकारी मुझे पकड़ने के लिये पूल के किनारे इधर उधर दौड़ रहे थे। रैम्प पर बैठे हुए लोग खड़े होकर मेरी ओर इशारा करते हुए चिल्ला रहे थे। मै उस बच्ची को लेकर किनारे पर आया और उसे जमीन पर उल्टा लिटा कर फर्स्ट एड प्रक्रिया देने मे जुट गया। कुछ पल गुजरने के बाद वह धीरे से छ्टपटाई फिर एक पानी की उल्टी करके एकाएक उठ कर बैठ गयी थी। उसकी नाक से खून अभी भी धीरे-धीरे रिस रहा था। जब तक मै पूल से बाहर निकला तब तक रैंम्प पर बैठे हुए लोगों की भीड़ हमे घेर कर खड़ी हो गयी थी।

उस बच्ची के साथी कुछ दूरी पर डरे सहमे से खड़े हुए हमे देख रहे थे। उस बच्ची के साथ बैठते हुए मै कुछ बोलता कि तभी वाटरवर्ल्ड के कर्मचारी मुझ पर बरस पड़े। …आप को जुर्माना भरना पड़ेगा। उस शोर गुल मे मेरे कान मे बस इतना पड़ा था। लाइफ गार्ड और अन्य कर्मचारियों ने हमारे आसपास की भीड़ को हटाना आरंभ कर दिया था। भीड़ छटने के बाद एक अधेड़ सा वर्दीधारी आदमी मेरे पास आकर बोला… आप अपनी बच्ची को लेकर मेरे आफिस मे आईये। उसे फर्स्ट एड की जरुरत है। एक नजर मैने उस बच्ची पर डाली तो तब तक उसकी नाक से खून का रिसना बन्द हो गया था। मैने खड़े होकर अपने गीले कपड़े झटकार और जूते से पानी निकालते हुए कहा… मिस्टर वह तो बाद मे आपके साथ चलूँगा लेकिन पहले इस बच्ची के साथ यहाँ कौन आया है उसका पता लगाईये। इतना बोल कर मै उस बच्ची को गोदी मे उठा कर रैंम्प की ओर चल दिया। वाटरवर्ल्ड के तीन-चार कर्मचारी मेरे साथ चल दिये थे। एक बार फिर से पूल मे लोगो की भीड़ अपनी मस्ती मे व्यस्त हो गयी थी। वही शोर गुल चारों ओर सुनाई दे रहा था। मै हैरान था कि अब किसी का ध्यान हमारी ओर नहीं था। रैंम्प पर बैठ कर धूप मे अपने गीले कपड़े सुखाते हुए मैने पहली बार उस बच्ची से पूछा… बिटिया आपका क्या नाम है? वह बच्ची अभी भी सहमी हुई थी। जब उसने कोई जवाब नहीं दिया तब मैने उन सहमे हुए तीन-चार बच्चों के झुन्ड की ओर इशारा करके कहा… वह तुम्हारे साथ है। तभी एक कर्कश सी बदहवासी मे निकली आवाज मेरे कान मे पड़ी… रज़िया। उस बच्ची ने तुरन्त उस ओर देखा और फिर वह जोर से चिल्लायी… अम्मी। इतना बोल कर वह अपना हाथ छुड़ा कर तुरन्त उस स्त्री की ओर भागी और उसके पाँवों से लिपट कर जोर-जोर से रोने लगी। वह बच्चे भी उस स्त्री को घेर कर खड़े हो गये थे।

मैने अपने साथ खड़े हुए वर्दीधारी आदमी से कहा… अच्छा होगा कि आप उनसे जाकर पता करे कि क्या हुआ था। उस व्यक्ति से बात करते हुए मेरी नजर पूल मे आफशाँ और मेनका को तलाश कर रही थी। तभी उन बच्चों की भीड़ के पीछे से मेनका का हाथ पकड़े आफशाँ निकली और मेरे पास आकर बोली… समीर क्या हो गया? मैने उस दिशा मे देखा तो एक बच्चा सारी घटना का जिक्र अपनी अम्मी से कर रहा था। बाकी बच्चे उसकी हाँ मे हाँ मिला रहे थे। मेरे साथ खड़ा हुआ वाटरवर्ल्ड का मैनेजर जो कुछ देर पहले तक अपने आफिस चलने की बात कर रहा था वह एकाएक बोला… मिस्टर क्या हुआ था? मैने जल्दी से सारी घटना सुनाने के बाद कहा… नासमझ बच्चे है। फिलहाल सभी सहमे हुए है तो आप कुछ देर के बाद उनसे पूछ लिजियेगा। मुझे भीगे हुए कपड़ों मे देख कर आफशाँ और मेनका अभी अचरज भरी नजरों से मुझे देख रही थी। …कुछ नहीं हुआ आफशाँ। एक बच्ची को पानी मे चोट लग गयी थी। उसे बचाने के लिये पानी मे कूदना पड़ गया था। …किसको? मैने इशारे से बच्चों की भीड़ को दिखाते हुए कहा… उनमे से मेनका जैसी एक छोटी बच्ची है। तुम दोनो कपड़े बदल कर आ जाओ तब तक मै यहीं बैठ कर अपने कपड़े सुखा रहा हूँ। आफशाँ को इतने नजदीक से स्विमिंग कास्ट्यूम मे देख कर मै अपनी झेंप मिटाने की कोशिश कर रहा था।

…समीर। एक जानी पहचानी आवाज मेरे कान मे पड़ी तो मैने चौंक कर उस ओर देखा तो एक पल के लिये हतप्रभ रह गया था। स्विमिंग कास्ट्यूम पहने चाँदनी और उसके साथ कुछ दो चार लड़के और लड़कियाँ मेरी ओर बढ़ते हुए दिखे तो मै जल्दी से खड़ा हो गया। चांदनी के पीछे वह स्त्री और बच्चों की भीड़ भी उसके साथ वहीं आ गयी थी। चाँदनी अचरज भरी नजरों से मेरी ओर देखते हुए बोली… तुम यहाँ पर क्या कर रहे हो? वह स्त्री तुरन्त बोली… चांदनी, तुम इन्हें जानती हो? चांदनी अचकचा कर जल्दी से बोली… जी बाजी। यह मेरे साथ पढ़ते है। मेरे साथ खड़ी आफशाँ ने यह सुनते ही मुझे घूर कर देखा तो मैने जल्दी से कहा… आफशाँ ऐसी बात नहीं है। हम जामिया युनिवर्सिटी मे एक दो बार मिले थे तो इसलिये यह मुझे वहाँ का छात्र समझ रही है। चाँदनी की नजरें मेरे साथ खड़ी आफशाँ पर टिक गयी थी। दोनो एक दूसरे को नापने की कोशिश कर रही थी कि तभी रज़िया की अम्मी बोली… भाईजान, आपने मेरी बच्ची को बचा कर मुझ पर एहसान किया है। अल्लाह आप पर हजार नेयमतें बक्शे। बस इतना बोल कर वह भरभरा कर रो पड़ी थी। रज़िया अभी भी अपनी अम्मी के पाँव से लिपटी हुई सुबक रही थी। मै अपने आप को अजीब सी स्थिति मे उलझा हुआ पा रहा था। इतनी देर मे पहली बार आफशाँ बोली… समीर, हम कपड़े चेन्ज करके आते है। इतना बोल कर वह मेनका का हाथ थाम कर चेन्जिंग रुम की चल दी थी। मैने चांदनी पर नजर डाली तो अभी भी उसकी नजरें आफशाँ पर टिकी हुई थी। वह जल्दी से बोली… बाजी मै भी चेन्ज करके आती हूँ। तुम सब भी चलो। बच्चों के झुन्ड की अगुवाई करते हुए चांदनी भी चेन्जिंग रुम्स की दिशा मे चल दी थी।

मै अपने गीले जूतों को जोर से झटकार कर पहनते हुए पास खड़ी हुई स्त्री से बोला… रज़िया बेहद डरी हुई है। …जी भाईजान। आपने हमारे परिवार पर एहसान किया है। अगर आप नहीं होते तो शायद मेरी बच्ची…इतना बोल कर वह फफक कर रो पड़ी थी। पहली बार मैने उस स्त्री को ध्यान से देखा था। वह देखने मे आफशाँ और नीलोफर की हम उम्र लग रही थी। …जब तक वह सब कपड़े बदल कर आते है तब तक आईये हम वहाँ रैंम्प पर बैठ जाते है। इतना बोल कर मै रैम्प की ओर चल दिया और वह भी मेरे पीछे आ गयी थी। मैने बैठते हुए कहा… मै तो अपनी बीवी और बच्ची को पूल मे खेलते हुए देख रहा था। मेरी निगाह अचानक हवा मे टकराते हुए दो बच्चों की ओर चली गयी थी। रज़िया को पानी मे जिस हालत मे गिरते हुए देखा था तो मै अपने आप को रोक नहीं सका और उसको बचाने के लिये पूल मे कूद गया था। वह सिसकते हुए बोली… रज़िया मेरे जीने की अकेली वजह है। अगर उसको आज कुछ हो गया होता तो मै जीतेजी मर गयी होती। तभी वाटरवर्ल्ड का अधिकारी हमारे पास आकर बोला… सर, क्या आप इस दुर्घटना की कम्प्लेन्ट करने की सोच रहे है? मैने साथ बैठी हुई स्त्री की ओर इशारा करके कहा… वह इनकी बच्ची है। अगर यह कम्प्लेन्ट करना चाहती है तो मै अपना स्टेटमेन्ट देने के लिये तैयार हूँ। वह अधिकारी जल्दी से बोला… आप अपना नाम, पता और फोन नम्बर लिखवा दिजिये जिससे अगर यह लोग कमप्लेन्ट करते है तब हम आपके स्टेटमेन्ट के लिये आपसे संपर्क करेंगें। मै कुछ बोलता कि वह स्त्री बोली… वह आ गये। मेरी नजर उस ओर चली गयी थी जहाँ आफशाँ और चांदनी बात करते हुए बच्चों और दोस्तों के समूह के साथ हमारी ओर आ रहे थे। उस दृश्य को देख कर मेरे दिल की धड़कन अचानक बढ़ गयी थी।

आफशाँ मेरे पास आकर बोली… अब चलें। …हाँ चलते है। मैने उस अधिकारी से कहा… आपके खिलाफ शिकायत करना इनके उपर निर्भर करता है। हाँ अगर जरुरत पड़ेगी तो मै अपना स्टेटमेन्ट लिखित मे आपके पास भिजवा दूँगा। तभी चांदनी बोली… मै इनके मालिक को जानती हूँ। अब अब्बा ही इन्हें अपने हिसाब से डील करेंगें। तभी रजिया की अम्मी जल्दी से तेज स्वर मे बोली… चांदनी बेकार इस मामले को तूल मत दो। अब्बा को इसका पता चला तो मेरे लिये एक नयी आफत खड़ी हो जाएगी। उसके बाद तुम जानती हो कि क्या होगा। …बाजी, इनको सबक सिखाना जरुरी है। चांदनी की बात बीच मे काट कर मैने जल्दी से कहा… चांदनी अब मुझे इजाजत दो। अगर मेरे स्टेटमेन्ट की जरुरत पड़े तो मुझे खबर कर देना। वह जल्दी से बोली… समीर, हम भी आपके साथ बाहर चल रहे है। इतना बोल कर हम सभी वाटरवर्लड के निकासी द्वार की ओर चल दिये थे। आफशाँ मेरे साथ चलते हुए बोली… तुम चांदनी को कैसे जानते हो? …इसके अब्बा अंसार रजा प्रदेश के विधायक है। उन्होंने एक बार मुझे पार्टी मे बुलाया था। वहाँ इससे मुलाकात हुई थी। मेरे कपड़े और जूते अभी भी गीले थे तो चलने बड़ी असुविधा हो रही थी। मेनका का हाथ पकड़ कर आफशाँ मेरे साथ चल रही थी। चांदनी अपने परिवार और दोस्तों के साथ कुछ दूरी बना कर चल रही थी।

…आफशाँ मै वापिस जाना चाहता हूँ। तुम्हारा क्या विचार है? आफशाँ कोई जवाब देती उससे पहले मेनका बोली… अब्बू बस एक राईड लेकर वापिस चलेंगें। मैने अपनी फ्रेंन्ड से प्रामिस की है। मैने आफशाँ की ओर देखा तो उसने रज़िया की ओर इशारा करके कहा… महारानी जी ने मेरी-गो राउन्ड पर उसके साथ राईड करने का फैसला किया है। …कोई बात नहीं। मै सामने पार्क मे बैठ जाता हूँ। प्लीज, तुम इसे राईड करवा कर ले आओ। तब तक मेरे कपड़े भी थोड़े से सूख जाएँगें। आफशाँ ने हामी भरते हुए चांदनी के ग्रुप से कहा… हम मेरी-गो-राउन्ड पर राईड के लिये जा रहे है। तभी रज़िया ने अपनी अम्मी से कहा… अम्मी मै भी उसके साथ राईड पर जाऊँगी। उसकी अम्मी बेचारी वाटरवर्ल्ड के हादसे के कारण वैसे ही घबराई हुई थी तो वह जल्दी से बोली… हर्गिज नहीं। हम घर वापिस जा रहे है। आफशाँ उनके पास चली गयी और मै सामने पार्क की ओर बढ़ गया था।

पार्क मे एक खाली स्थान देख कर मै घास पर लेट गया। जाती हुई धूप के कारण कपड़े सुखाना तो मुश्किल था। …समीर। मैने गरदन घुमा कर देखा तो चांदनी और रज़िया की अम्मी मेरे साथ आकर बैठ गयी थी। जल्दी से उठ कर बैठते हुए मैने पूछा… आप लोग राइड लेने नहीं गये? …नहीं। बाजी को चक्कर आते है। एक बार फिर से हमारे बीच मे चुप्पी छा गयी थी। …तुम मुझे बेवकूफ बना रहे थे। आफशाँ तो काफी पढ़ी-लिखी है। पहली बार तो मुझे चांदनी की बात समझ मे नहीं आयी परन्तु तभी चांदनी ने कहा… यह मेरी बड़ी बहन शाईस्ता है। इन्होंने भी बीटेक किया है। मैने शाईस्ता की ओर देखा तो उसकी नजर मेरी-गो-राउन्ड पर टिकी हुई थी। …चांदनी इनके पति को क्या हुआ? चांदनी कुछ बोलती उससे पहले शाईस्ता ने मुड़ मेरी ओर देख कर कहा…  वह गैंग वार मे मारे गये थे। उसने जिस तरह से कहा था मुझे बड़ा अजीब लगा लेकिन फिर भी मैने संभल कर कहा… खुदा के आगे किसका बस चलता है। अबकी बार वह बेहिचक बोली… समीर, यह सब बेकार की बात है। मेरे पति आजमगड़ के बाहुबली थे। वह चुनाव मे खड़े होने की तैयारी कर रहे थे परन्तु दुश्मनों ने घात लगा कर उनके काफिले पर हमला किया था। ऐसे लोगों का अंत ऐसा ही होता है। मेरी किस्मत ही खराब थी कि क्या सोच कर अब्बू ने मेरा निकाह ऐसे परिवार मे करा दिया। उसकी कुंठा उसके स्वर मे झलक रही थी। चांदनी चुपचाप सिर झुकाये बैठी सब सुन रही थी। मै कुछ भी बोलने की स्थिति मे नहीं था।

एकाएक शाईस्ता बोली… आफशाँ भी मेरी तरह बीटेक है। आपने उसे अपना मुस्तक्बिल बनाने का मौका दिया तो आज वह अपनी कंपनी की स्टेशन हेड बन गयी है। उसका आत्मविश्वास उसकी बोली और हाव-भाव मे साफ झलकता है। मै उसे क्या बताता तो मैने जल्दी से कहा… शाईस्ता वह तो आप अब भी कर सकती है। रज़िया के भविष्य के लिये आपको अपना मुस्कतक्बिल खुद बनाना पड़ेगा। अगर इसमे आफशाँ आपकी कुछ मदद कर सकती है तो वह जरुर करेगी। इतनी देर मे पहली बार चांदनी बोली… समीर, तुम बाजी की परेशानी नहीं समझ रहे हो। इनके सुसराल वाले इसके लिये हर्गिज राजी नहीं होंगें। क्या तुमने कभी अंसारी का नाम सुना है? इस नाम का दबदबा पूरे प्रदेश मे है। उनके खिलाफ जाने की मंत्री से लेकर संत्री तक की मजाल नहीं है। मेरे अब्बू भी उनके रिश्ते को नहीं ठुकरा सके थे। अंसारियों का प्रदेश मे ऐसा आतंक व्याप्त है। शाईस्ता ने तुरन्त नसीहत देते हुए कहा… चांदनी तू ऐसी गलती कभी मत करना। उनकी बातचीत से वातावरण बेहद बोझिल हो गया था।

कुछ रुक कर बात बदलने की नीयत से मैने पूछा… अचानक तुम्हारे अब्बू को ऐसा क्या जरुरी काम पड़ गया कि उनको कलकत्ता जाना पड़ा? …बरेलवी और देवबंद का एक डेलीगेशन हाल मे हुए दंगो की जाँच करने के लिये कलकत्ता गया है। …बेग की हत्या? चांदनी ने घूर कर मेरी ओर देखा और फिर धीरे से हामी भर कर अचानक बोली… समीर, क्या तुम बाजी को आजमगड़ से निकालने मे मेरी मदद कर सकते हो? मैने चौंक कर उसकी ओर देखा तो वह काफी संजीदा लग रही थी। शाईस्ता भी हतप्रभ सी उसी को देख रही थी। मै कुछ बोलता उससे पहले शाईस्ता गुस्से मे चिल्लायी… तू क्या पागल हो गयी है। तू नहीं जानती कि उनसे टक्कर लेना अब्बू के बस की बात नहीं है तो समीर को शहीद करवाने पर क्यों तुली हुई है। …बाजी अगर कुछ समय के लिये यह अपने साथ आपको कश्मीर ले गये तो आप नये सिरे से अपनी जिंदगी के बारे मे सोच सकती है। शाईस्ता अभी भी चांदनी को गुस्से से घूर रही थी। कुछ सोच कर मैने कहा… चांदनी क्या मुसीबत से भागने से कभी कोई हल निकलता है? मै इन्हें अपने साथ कश्मीर ले गया तो वह भी इनके लिये एक तरह से जेल की तरह हो जाएगी। शाईस्ता कुछ बोलती तभी बच्चों के साथ आफशाँ आती हुई देख कर वह चुप हो गयी और उठ कर उनकी ओर चली गयी। चांदनी भी उठ कर शाईस्ता के पीछे जाते हुए दबी आवाज मे बोली… समीर, रात को फोन पर बात करुँगी। उनके समूह से विदा लेकर आफशाँ और मेनका मेरे साथ आकर बैठ गये थे।

आफशाँ मुझे बड़े गौर से देख रही थी परन्तु मेनका के कारण वह बोलने से हिचक रही थी। मैने मुस्कुरा कर कहा… जो तुम्हारे दिमाग मे चल रहा है उस कचरे को निकाल कर बाहर फेंक दो। वह दोनो प्रदेश के सबसे खुंखार माफिया से संबन्ध रखती है। प्लीज अब घर चलो। इन कपड़ों मे अगर कुछ देर और बैठा रहा तो फिर तुम्हें मेरी तीमारदारी करनी पड़ेगी। वह मुस्कुरा कर बोली… मेनका आओ घर चलते है। हम तीनो पार्क के निकासी द्वार की ओर चल दिये थे। …तुम्हारी कार का क्या हुआ? …वह तो मैने वापिस भेज दी थी। हम तुम्हारे साथ वापिस जाएँगें। हम एम्युजमेन्ट पार्क से बाहर निकल कर पार्किंग की दिशा मे चल दिये थे। आफशाँ मेरे साथ चलते हुए धीमे से बोली… समीर, वह लड़की तुम पर फिदा है। उससे दूरी बना कर रखना। मैने उसकी ओर देखा तो वह मेनका पर नजर जमाये हुए थी। चलते-चलते उसकी कमर मे हाथ डाल कर अपने समीप खींच कर मैने कहा… मैने आज जो देखा है उसके बाद सच पूछो तो किसी और के बारे मे सोचना तो मुमकिन नहीं है। …सब के सामने यह क्या कर रहे हो? …अपनी बीवी के साथ कर रहा हूँ तो किसी को क्या आपत्ति हो सकती है। ऐसे ही छेड़खानी करते हुए और मेनका की कहानी सुनते हुए हम जीप मे सवार होकर शाम तक घर पहुँच गये थे।

खाने के पश्चात लान मे बैठ कर मैने आफशाँ को शाईस्ता और चाँदनी के बारे बताया तो वह अचरज से मेरी ओर देखते हुए बोली… इतने खतरनाक लोग है। …हाँ। इसलिये तुम भी सावधान रहना। …समीर, अगर शाईस्ता चाहे तो मै उसको अपने आफिस मे प्रोग्रामर की तरह रख सकती हूँ। …नहीं। ऐसा हर्गिज मत करना। इन लोगों से दूरी बना कर रखना। एक कट्टर वामपंथिन है और दूसरी प्रदेश की माफिया की बहू है। मै अभी आफशाँ से बात कर ही रहा था कि चांदनी का फोन आ गया। मैने जल्दी से काल लेकर कहा… बोलो चांदनी। …समीर, प्लीज इस मामले मे मेरी मदद करो। बाजी का जिन्दगी वहाँ पर जहन्नुम बन चुकी है। कुछ सोच कर मैने कहा… कुछ भी मदद करने से पहले मुझे तुम्हारे अब्बू और अंसारी के बारे सारी जानकारी चाहिये क्योंकि तुम मुझे माफिया, बरेलवियों और देवबंदियों के साथ टक्कर लेने के लिये बोल रही हो। मेनका और आफशाँ की सुरक्षा मेरे लिये ज्यादा जरुरी। …तुम्हें जो कुछ भी जानकारी चाहिये वह बताओ। …मुझे कुछ समय दो। मै सोच कर बता दूँगा। …ठीक है। लेकिन जल्दी करना क्योंकि बाजी सिर्फ एक हफ्ते के लिये यहाँ पर है। अगले हफ्ते उन्हें वापिस आजमगड़ लौटना है। …ओके। बस इतनी बात करके मैने फोन काट दिया था। आफशाँ साथ बैठी हुई हमारी बात सुन रही थी। …तुम उनकी मदद करने की सोच रहे हो? …नहीं। मैने इसके बारे कुछ और सोचा है।

अगले दिन सुबह आफिस पहुँच कर अंसारी परिवार के बारे मे सारी जानकारी एकत्रित करके मै तिकड़ी के सामने बैठ कर अंसार रजा और अंसारी परिवार की कहानी सुना रहा था। …सर, एक यह मौका है कि जब हम दारुल उलुम देवबंद और दारुल उलुम बरेलवी के विरुद्ध इस्लामिस्टो द्वारा पोषित माफिया को आमने-सामने खड़ा कर सकते है। वीके ने तुरन्त पूछा… कैसे? …सर, अंसार रजा बरेलवी फिरके को मानता है। उसके कहने पर शाईस्ता और उसकी बेटी रज़िया को अगर हम सुरक्षा देंगें तो अंसारी गिरोह तुरन्त इसके विरोध मे उतरेगा। अंसारी परिवार देवबंदी फिरके से ताल्लुक रखता है। इसके जवाब मे अंसार रजा के लिये दारुल उलुम बरेलवी से जुड़े हुए सभी लोग दारुल उलुम देवबंदी के विरोध मे खड़े हो जाएँगें। एक बार इन दो गुटों के बीच मे फूट पड़ गयी तो फिर इसका असर अन्य राज्यों तक पहुँच जाएगा। एक तरह से हक डाक्ट्रीन के गज्वा-ए-हिन्द के मन्सूबों की कमर टूट जाएगी। अबकी बार जनरल रंधावा ने प्रश्न किया… मेजर, भला अंसार रजा हमारे पास क्यों आयेगा? …सर, यह मुझ पर छोड़ दिजिये। मै ऐसे हालत खड़े कर दूँगा की अंसार रजा आपके पास आकर अपने परिवार की सुरक्षा की गुहार लगाएगा। वीके ने कुछ सोच कर कहा… मेजर, पाँच महीने के बाद प्रदेश मे चुनाव है। ऐसा अगर हो गया तो इस्लामिस्टों की एकता छिन्न-भिन्न हो जाएगी। इस काउन्टर आफेन्सिव आप्रेशन के लिये गो अहेड। उनसे हरी झंडी मिलते ही मै अपनी व्युहरचना तैयार करने मे जुट गया था।

अपने आफिस मे पहुँच कर मैने पहला फोन चांदनी को लगाया… हैलो। …बोलो समीर। …शाईस्ता और रज़िया को लेकर फौरन कहाँ मिल सकती हो? वह कुछ सोच कर बोली… उन दोनो को घर से लेकर निकलना तो बहुत मुश्किल होगा। …मेरे पास ज्यादा समय नहीं है। आज या कभी नहीं। वह जल्दी से बोली… मै उन दोनो को लेकर दो बजे तक सुर्या होटल पहुँच जाऊँगी। …ठीक है। बस इतना बोल कर मैने फोन काट दिया था। कैप्टेन यादव की टीम की परीक्षा की घड़ी आ गयी थी। उनकी टीम मानेसर मे मे अस्थायी तौर पर दो बिलावल ट्रांस्पोर्ट के ट्रकों पर तैनात थी। मैने अगला फोन कैप्टेन यादव को लगाया था। …कैप्टेन अपने साथ चार सिपाहियों को लेकर दो बजे तक सुर्या होटल के रिसेप्शन पर पहुँच जाना। …जी सर। बस इतनी बात करके मै आराम से दोपहर की तैयारी मे जुट गया था। ठीक दो बजने से दस मिनट पहले मै सुर्या होटल के पोर्च मे अपनी जीप खड़ी करके रिसेप्शन पर कैप्टेन यादव की प्रतीक्षा करने बैठ गया था।

ठीक दो बजे कैप्टेन यादव अपने चार साथियों के साथ सुर्या होटल मे प्रवेश किया। सभी अपनी ब्लैक डंगरी मे आधुनिक हथियारों से सुसज्जित थे। मुझे सोफे पर बैठा देख कर कैप्टेन यादव मेरी ओर चला आया था। …तुम अपने साथियों के साथ काफी शाप मे जाकर आराम से काफी का लुत्फ लो। बस ख्याल रहे कि कोई सुरक्षा मे चूक नहीं होनी चाहिये। कैप्टेन यादव तुरन्त मुड़ा और अपने साथियों को लेकर काफी शाप की ओर चला गया था। मुझे अब चांदनी का इंतजार था। घड़ी की सुई लगातार आगे बढ़ रही थी परन्तु चांदनी का अता पता दूर-दूर तक नहीं था। क्या मेरी रणनीति पहले पायदान पर पहुँचने से पूर्व धाराशायी हो गयी? ऐसा विचार बार-बार मुझे परेशान कर रहा था। चांदनी ने भी सूचना देने की जरुरत नहीं समझी थी। उसको फोन करके मै पूछना चाहता था परन्तु चांदनी को भी मै कोई सुराग देने के पक्ष मे नहीं था। तीन बजने वाले थे तो मै यह सोच कर उठ कर खड़ा हो गया कि अब मुझे नये सिरे से अपनी योजना तैयार करनी पड़ेगी। तभी सफेद आडी पोर्च मे आकर रुकी और उसमे से चांदनी उतरती हुई देख कर मै तुरन्त सोफे पर बैठ गया था। दोनो बहनें जल्दी से कार से उतरी और रज़िया को लेकर लगभग भागते हुए रिसेप्शन एरिया मे प्रवेश किया। मुझे सोफे पर बैठे हुए देख कर वह दोनो ठिठक कर रुक गयी थी।

…तुम अभी तक इंतजार कर रहे हो? …क्यों क्या मुझे इंतजार नहीं करना चाहिये था? सवाल का जवाब सवाल से देकर मै उठ कर खड़ा हो गया और रज़िया को गोद मे उठा कर बोला… तुम्हारे साथ कोई सुरक्षाकर्मियों की फौज भी आयी है? …नहीं। उनसे पीछा छुड़ाने के कारण हमे देर हो गयी। …चलो काफी शाप मे बैठ कर आराम से बात करते है। हम लोग काफी शाप की दिशा मे चल दिये। …समीर, क्या करने की सोच रहे हो? …अभी तो कुछ खास नहीं। आराम से बैठ कर बात करते है।  काफी शाप मे एक नजर कैप्टेन यादव पर डाल कर हम लोग एक किनारे की टेबल पर जाकर बैठ गये थे। रज़िया के लिये आईसक्रीम और तीनो के लिये काफी का आर्डर देने के पश्चात मैने शाईस्ता से पूछा… क्या तुम उस परिवार से हमेशा के लिये अपना पीछा छुड़ाना चाहती हो? शाईस्ता अभी भी घबरायी हुई लग रही थी। चांदनी जल्दी से बोली… हाँ। …इसका जवाब मुझे शाईस्ता से सुनना है क्योंकि आने वाले समय मे इसको उनके सामने खड़े होकर बोलना है। अगर इसमे हिम्मत नहीं है तो फिर मै इस काम मे हाथ नहीं डाल सकता। यह आखिर इसका और इसकी बेटी प्रश्न है। एक बार इसने मन बना लिया तो वादा करता हूँ कि इसके साथ आखिर तक खड़ा रहूँगा।

एकाएक शाइस्ता ने नजरें उठा कर मेरी ओर देखा और कुछ बोलते-बोलते रुक गयी। …चांदनी तुम रज़िया को लेकर दूसरी टेबल पर बैठ जाओ। चांदनी ने एक पल मुझे देखा और फिर रज़िया को लेकर कुछ दूरी पर जाकर बैठ गयी। उनके हटते ही शाईस्ता ने धीरे से कहा… समीर, मै वहाँ हर्गिज नहीं जाऊँगी। उसने एक बार सामने बैठी चांदनी और रज़िया को देखा और फिर निगाह झुका कर बोली… प्लीज तुम मुझे उस जहन्नुम मे जाने से बचा लो। इसके लिये मै कुछ भी करने को तैयार हूँ। …किसी के दबाव मे अपनी बात से पलटोगी तो नही? …रज़िया के कारण मै उनके आगे मजबूर थी लेकिन अब नहीं। मैने अपना एक हाथ उसकी और बढ़ा कर कहा… वादा? वह तुरन्त मेरा हाथ पकड़ कर बोली… वादा। मैने इशारे से चांदनी को बुला कर पूछा… इस समय तुम्हारे घर पर सुरक्षा के क्या इंतजाम है? …प्रदेश की पुलिस के दर्जन सिपाहियों की ड्युटी घर पर लगी हुई। अब्बू की कार्यकर्ताओं की फौज तो चौबीस घंटे वहीं पर तैनात रहती है। शाईस्ता तुरन्त बोली… चांदनी, वह गुंडो की फौज है। मैने बीच मे टोकते हुए पूछा… अंसारी परिवार के घर पर भी क्या ऐसे ही गुंडो की फौज तैनात रहती है? …हाँ, उससे भी कई गुना ज्यादा। उन दोनो की बात सुनने के पश्चात मैने कहा… चांदनी तुम अपने अब्बू के सभी जानकार, दोस्त व पार्टनर्स के नाम एक कागज पर नोट करके मुझे दे दो। इसी प्रकार शाईस्ता तुम भी अंसारी परिवार के लोगों के नाम बताओ। दोनो एक साथ बोली… क्यों? …इसलिये कि अगर वह लोग इनकी मदद या प्रभाव के जरिये शाईस्ता और रज़िया पर कोई दबाव बनाने की कोशिश करेंगें तो हमे उन सबके लिये पहले से तैयारी करनी पड़ेगी। लड़ाई का पहला उसूल होता कि अपने दुश्मन को ठीक से पहचानो। हम दो सबसे प्रभावशाली परिवारों से दुश्मनी मोल लेने जा रहे है तो उनको जानना बहुत जरुरी है। चांदनी ने तुरन्त पूछा… अभी बताना पड़ेगा? …नहीं। आराम से सोच कर और समझ कर वह लिस्ट व्हाट्स एप पर मुझे भेज देना। शाईस्ता ने प्रश्नवाचक दृष्टि मुझ पर डाली तो मैने कहा… अब तुम मेरे साथ जाओगी तो आराम से मुझे अपनी लिस्ट दे देना। टेबल पर चुप्पी छा गयी थी।

…बाजी और रज़िया के बारे मे घर पर क्या कहूँगी? वह दोनो मेरे साथ आयी है। …क्या कह कर आयी थी? …शापिंग करने जा रही है। …एक शापिंग माल मे चली जाओ। वहाँ पर पहुँच कर शाईस्ता और रज़िया को मै अपने साथ लेकर निकल जाऊँगा। उसके बाद तुम घर पर उनके गायब होने की कहानी सुना देना। बाकी काम मुझ पर छोड़ दो। मेरी बात सुन कर दोनो बहनें विचलित हो गयी थी। …मुझ पर विश्वास करो। चांदनी ने अबकी बार शाईस्ता से कहा… बाजी, इस पर आप विश्वास कर सकती है। शाईस्ता कुछ देर चुप रही और फिर एक गहरी साँस छोड़ कर बोली… समीर, मुझे अब तुम्हारी चिन्ता हो रही है। हमारे कारण तुम नाहक ही अपनी जान जोखिम मे डाल रहे हो। …शाईस्ता तुम मेरी फिक्र मत करो। चांदनी इस बात की गवाह है। शाईस्ता ने चांदनी की ओर देखा तो एक पल लिये झेंप गयी थी। …बाजी आपको सारी कहानी फिर कभी बताऊँगी। पहले यहाँ से किसी शापिंग माल मे चलते है। इतना बोल कर वह दोनो खड़ी हो गयी थी।

वहाँ से निकलने से पहले मैने कैप्टेन यादव को पीछे आने का इशारा किया और फिर अपनी जीप से उनकी कार के पीछे हो लिया। वह पार्किंग मे कार खड़ी करके एक शापिंग माल मे चली गयी थी। मै भी कुछ देर के बाद कैप्टेन यादव को निर्देश देकर उनके पीछे चला गया था। उनको ढूंढने मे मुझे कुछ समय लग गया था। वह अब मेरी नजरों के सामने थी। वह टहलते हुए दुकानों मे सजे हुए सामान पर निगाह डालते हुए आगे बढ़ रही थी। मैने उनके करीब पहुँच कर चलते हुए धीरे से कहा… चांदनी तुम अब इनसे अलग हो जाओ। इतना बोल कर मै आगे बढ़ गया था। चांदनी ने शाईस्ता से कुछ कहा और पीछे की ओर चल दी थी। शाईस्ता अपनी गोदी मे रज़िया को उठाये आगे बढ़ गयी थी। मै फायर एस्केप के निकासी द्वार पर पहुँच कर ठहर गया था। जैसे ही शाईस्ता मेरे सामने पहुँची मैने अपनी बाँह उसकी कमर मे डाल कर अपनी ओर खींचते हुए बोला… आओ चले। मेरी इस अचानक हरकत से एक पल के लिये वह हड़बड़ा गयी थी। रज़िया भी सहम गयी थी। तब तक एक हाथ से मैने लकड़ी के दरवाजे को धकेल कर खोल चुका था। शाईस्ता खिंचती हुई मेरे साथ दरवाजे के पार चली गयी थी। दोनो के चेहरे पर हवाईयाँ उड़ी हुई साफ झलक रही थी। मुझ पर नजर पड़ते ही रज़िया मुस्कुरायी तो मैने जल्दी से कहा… आओ चलें। बस इतनी बात हो सकी थी। मैने रज़िया को गोदी मे लिया और तेजी से सीड़ियों के रास्ते से हम तीनो शापिंग माल के बाहर निकल आये थे। कुछ दूर निकलने के बाद एनएसजी की बख्तरबंद गाड़ी हमारे करीब आकर रुकी और उसका दरवाजा खुल गया। शाईस्ता और रज़िया को लेकर मै उस गाड़ी मे प्रवेश करते हुए बोला… लेट्स गो। दरवाजा तुरन्त बन्द हुआ और गाड़ी आगे बढ़ गयी। …शाईस्ता तुम आराम से इसमे बैठो। मै अपनी जीप से तुम्हारे पीछे आ रहा हूँ। तब तक कैप्टेन यादव ने कहा… सर, पार्किंग आ गयी है। मै जल्दी से बख्तरबंद गाड़ी से उतर कर अपनी जीप की ओर बढ़ गया था। मेरे उतरते ही वह गाड़ी आगे बढ़ गयी थी।

अपनी जीप मे बैठते ही मैने फोन पर जनरल रंधावा को सुचित कर दिया था… सर, मिशन एकम्पलिश्ड। उसके पश्चात मै एनएसजी के मानेसर कैम्पस की दिशा मे चल दिया था। दारुल उलुम बरेलवी और दारुल उलुम देवबंद के बीच हुए गठजोड़ को तोड़ने का मौका अचानक खुदा ने मुझे दे दिया था। अब इसको सफल करना मेरी जिम्मेदारी थी।