रविवार, 30 जुलाई 2023

  

गहरी चाल-19

 

रावलपिंडी

मिलिट्री हेडक्वार्टर्स मे गहन मीटिंग चल रही थी। सीआईए का दो टूक जवाब मिलने के कारण जनरल शरीफ की चिन्ता बढ़ गयी थी। कश्मीर मे चलाये हुए अभियान को उनके इस निर्णय से गहरा धक्का लगा था। पाकिस्तान सरकार पर आर्थिक बोझ बड़ता जा रहा था। जिहादी तंजीमे लगातार पैसे और असला मांग रही थी। सभी बैठे हुए उच्च अधिकारी बदलते हुए हालात पर विचार विमर्श कर रहे थे। जनरल शरीफ का निजि सचिव तभी एक कागज लेकर आया और जनरल के सामने रख कर चुपचाप कमरे से बाहर निकल गया। बात करते हुए जनरल शरीफ ने कागज पर एक नजर डाली तो एकाएक बोलते हुए वह रुक गया था। उस कागज पर जनरल मंसूर की ओर से सूचना थी। संयुक्त इस्लामिक जिहाद काउंसिल ने अपनी योजना तैयार करने बाद सेना से पैसे और हथियारों की मांग की है। कुछ पल रुक कर जनरल शरीफ ने कुछ सोच कर दोबारा बोलना शुरु किया… अब हमें अपने पूर्वी फ्रन्ट को एक्टिव करना पड़ेगा। फौरन दो ब्रिगेड बलूचिस्तान से हटा कर अजाद कश्मीर मे लगानी पड़ेगी।

एक बार फिर से बहस आरंभ हो गयी थी। पश्चिमी कमांड के चीनी जनरल ल्यु शिंग चुपचाप बैठे हुए उनकी सारी बात सुन रहा था। उसने एकाएक हाथ उठा कर जनरल शरीफ को इशारा किया तो एकाएक सभी अधिकारी चुप हो गये थे। …जनरल शरीफ फिलहाल आपके पास कोई पुख्ता योजना नहीं है। आपकी तंजीमे इस वक्त बलूचिस्तान मे हमारी सीपेक योजना को विफल करने की कोशिश कर रही है। आपको उन्हें तुरन्त रोकना चाहिए। अगर आप वहाँ से फौज हटा रहे है तो हम भी सीपेक का काम बन्द कर रहे है। इतना बोल कर जनरल ल्यु शिंग उठ कर अपने अधिकारियों के साथ कमरे से बाहर निकल गया था। जनरल शरीफ ने सभी को बाहर जाने का इशारा किया और उनके जाने के बाद सिर पकड़ कर बैठ गया था। अगर चीन सरकार ने सीपेक का काम रोक दिया तो पैसे आने बन्द हो जाएँगें। उधर संयुक्त जिहाद काउंसिल ने भारत  की अर्थव्यवस्था की कमर तोड़ने की योजना तो बना ली थी परन्तु उसको कार्यान्वित करने के लिये पैसा और असला कहाँ से आयेगा? जनरल शरीफ ने अपने निजि सचिव से कहा… मेरी सिकन्दर रिजवी से बात कराओ। उसे मालूम था कि भारत की नयी सरकार चुपचाप उस घाव को बर्दाश्त नहीं करेगी इसी लिये उसे अपनी पूर्वी सीमा की सुरक्षा को सुदृढ़ करना पड़ेगा। जनरल शरीफ अपना सिर पकड़ कर यही सोच रहा था कि एक समस्या का समाधान होता है तो दूसरी समस्या पैदा हो जाती है।  …हैलो। …जनाब आपका खादिम रिजवी बोल रहा हूँ। बताईये कैसे याद किया? …जिहाद काउंसिल को पैसे चाहिये। तुम अपने यहाँ से कितने पैसे निकाल कर दे सकते हो? …जनाब, पिछले एक साल से आपका एक भी कनसाइनमेन्ट नहीं मिला है। खरीदारों ने पुराने पैसे भी देने से इंकार कर दिया है। ऐसी हालत मे उनसे पैसे कैसे मांग सकता हूँ। आप खुद ही सोचिये।

मै उनकी बात सुन रहा था। शुजाल बेग की आवाज मे एक घुर्राहट छिपी हुई थी। उसकी आवाज सुन कर मेरी धड़कन बढ़ गयी थी।

मै बेग बोल रहा हूँ। यह मै क्या सुन रहा हूँ कि तुम्हारा माल उनको अभी तक क्यों नहीं मिला है? …जनाब, आज सुबह ही सीतामढ़ी से खबर आयी थी कि ट्रक और उसके एस्कार्ट ने अभी तक सीमा पार नहीं किया है। मेरे आदमी उनकी तलाश मे निकल गये है। जल्द ही पता चल जाएगा कि ट्रक कहाँ पर अटका हुआ है। …नूर मोहम्मद तुम्हे मालूम है न कि यह कनसाइनमेन्ट कितना महत्वपूर्ण है। जिहाद काउंसिल उस योजना को कार्यान्वित करने के लिये तैयार बैठी हुई है। अगर समय से उन्हें यह कनसाइनमेन्ट नहीं मिला तो सारी योजना धरी की धरी रह जाएगी।  …जनाब, मेरा ख्याल है कि ट्रक किसी ऐसी जगह पर खराब हो गया है जहाँ से वह हमे खबर कर पाने अस्मर्थ होंगें। कारण का पता लगते ही आपको फौरन सुचित करुँगा। …बेवकूफ आदमी, तुम्हें एक बात क्यों नहीं समझ आ रही है कि अगर वह ट्रक खराब हो गया होता तो अड़तालीस घंटे मे एक आदमी पैदल चल कर तुम्हें खबर दे चुका होता। इसका मतलब साफ है कोई तुम्हारे एस्कोर्ट का सफाया करके ट्रक लेकर निकल गया है। सड़के छानने के बजाय उन लूटेरों को ढूंढों क्योंकि इस कनसाईनमेन्ट का इंतजाम स्वयं जनरल शरीफ ने किया था। …जी जनाब। मुझे कुछ समय दिजिये मै पता करता हूँ। …अपना सामान वापिस लाने के लिये तुम्हारे पास चौबीस घंटे है। उसके बाद फायरिंग स्कायड का सामना करने के लिये तैयार रहना।     


शुजाल बेग ने फोन काट दिया था। मैने तुरन्त गोदाम से संपर्क स्थापित करके जनरल रंधावा से बात कराने के लिये कह दिया था। एलसीडी टीवी पर जनरल रंधावा की तस्वीर उभरते ही मैने पूछा… सर, शुजाल बेग का नम्बर मिल गया। …हाँ नम्बर तो मिल गया है परन्तु उसका यह पाकिस्तानी नम्बर है। ऐसा बताया जा रहा है कि उसकी ट्रेकिंग और टैपिंग दोनो ही नामुम्किन है। एक ही पल मे मेरा सारा उत्साह ठंडा पड़ गया था। …सर कोई तो तरीका होगा वर्ना सारे हिन्दुस्तान के तस्कर पाकिस्तानी सिम कार्ड इस्तेमाल करना शुरु कर देंगें। …नहीं यह बात नहीं है। पाकिस्तान टेलीकाम का नेपाल टेलिकाम के साथ अनुबंध है। नेपाल टेलिकाम के नेटवर्क को हैक करने की कोशिश कर रहे है। इसमे थोड़ा समय लग सकता है। यूटीएल तो महानगर टेलिकाम का सिस्टम इस्तेमाल कर रही है तो उस पर ट्रेकिंग और टैपिंग हमारे लिये आसान था। इस काम के लिये हमे टाइम लगेगा। …सर, उसका नम्बर तो मुझे भी दे दिजिये। उन्होंने शुजाल बेग का नम्बर देकर कुछ देर बात करके कनेक्शन काट दिया था। मैने अपना हेड फोन सुभाष कामरे को थमा कर अपने घर मे चला गया था।

…सुबह से आप उपर क्या कर रहे थे? …कुछ खास नहीं। बस कुछ रिपोर्ट्स पढ़ने का काम कर रहा था। आज भंडारी साहब आये थे तो तुम्हारी उनसे क्या बात हुई थी। उनका कहना था कि नेपाल का सारा बाजार बहुत सी कंपनियों ने जनसंख्या के आधार पर तराई, पहाड़, पूर्वी और पश्चिमी क्षेत्रों मे बाँटा हुआ  है। तराई और पूर्वी हिस्से मे काफी आबादी है। उत्तर मे पहाड़ है जिसके कारण आबादी कम है परन्तु दूर-दूर बसी हुई है। पश्चिमी क्षेत्र काफी विकसित है और वहाँ आबादी सिर्फ सीमा के आस पास काफी है। उनकी राय है कि सबसे पहले हमे तराई और पूर्वी हिस्से पर ध्यान लगाना चाहिये। उसके लिये उन्होंने दो आदमियों का नाम सुझाया है। वह तनख्वाह के साथ कमीशन पर काम करने के लिये तैयार है। आप का क्या विचार है? …अंजली, भंडारी साहब को इस काम का अनुभव है। उन दोनो को बुलवा कर भंडारी साहब से बात करके उन्हें तीन महीने के टार्गेट देकर देख लो। तीन महीने मे जो व्यक्ति टार्गेट पूरा न कर सके तो भंडारी साहब से बात करके उसकी छुट्टी कर देना और एक नये व्यक्ति को रख लेना। …आप समझे नहीं। उनको अपने साथ चार लोग और चाहिये जो पूरे क्षेत्र मे अलग-अलग जगह पर नियुक्त किये जाएँगें। …कोई बात नहीं वह सिर्फ दस लोगों को ही तो रखने के लिये कह रहे है। काठमांडू कौन से क्षेत्र मे आता है? …वह पाँचवा क्षेत्र है। भंडारी साहब अपने साथ चार लोगो को रख कर इस क्षेत्र को खुद संभालने के लिये कह रहे है। जब तक हमारा खाना समाप्त हुआ गोल्डन इम्पेक्स का ढांचा तबस्सुम ने तैयार कर लिया था।

रातें हमारी थी और हमारी आसक्ति एक दूसरे के प्रति बढ़ती जा रही थी। नूर मोहम्मद की पार्टी से लौट कर हमारी बातचीत के पश्चात तबस्सुम मे काफी परिवर्तन आ गया था। उसकी झिझक न जाने कहाँ चली गयी थी। रात को बिस्तर पर अपने अनुभव मे नयी से नयी क्रियायें जोड़ती जा रही थी। उसने आलिया और एलिस को भी पीछे छोड़ दिया था। मैने एक बार मजाक मे उससे पूछा भी था कि क्या वह सारा दिन अपना दिमाग बस इसी काम के बारे मे सोचने मे उपयोग करती है। उसने लेकिन बड़ी संजीदगी से जवाब दिया था कि पता नहीं कब दोजख मे जाना पड़ जाये तो इसीलिये जितना समय उसके पास है उसका वह भरपूर उपयोग करना चाहती है। मै उसकी हर इच्छा को पूरी करने की कोशिश करता था। जिस दिन कंपनी का ढांचा फाइनल हुआ उस रात प्रणय मिलन के बाद अपनी चलती हुई साँसों को नियंत्रित करते हुए मैने कहा… अगली कुछ रातें तुम्हें अकेले गुजारनी होंगीं लेकिन सुबह तक वापिस आ जाउँगा। तब तक सावधान रहना। वह उठ कर मेरी ओर देखने लगी तो मैने समझाते हुए कहा… गोल्डन इम्पेक्स का सामान आना शुरु हो जाएगा तो गोदाम को उसके लिये दुरुस्त करना, सामान रखवाना और उनका हिसाब किताब देखना तो जरुरी है। एक बार सब कुछ सेट हो गया उसके बाद फिर मेरा गोदाम पर जाना इतना आवश्यक नहीं होगा। वह मुझसे लिपटते हुए बोली… दिन तो अपना होगा। चलिये कोई बात नहीं।

अगला दिन मेरा वीके की फाइल देखने मे निकल गया था। शाम को मै गोदाम पहुँच गया था। तीन हाटस्पाट्स मे से एक की तस्वीरें दीवार पर लगी हुई थी। आज रात को हमने ललितपुर मे बिलावल ट्रांस्पोर्ट के गोदाम को नष्ट करने की योजना बनायी थी। नूर मोहम्मद के फोन के द्वारा पता चला था कि कुछ खास लोग उसके गोदाम पर ठहरे हुए है। सेटेलाइट की तस्वीरें साफ बता रही थी के करीब पन्द्रह से बीस लोग रात मे वहाँ रुक रहे थे। तस्वीरों मे तो उनकी पहचान नहीं हो पायी थी लेकिन कैप्टेन यादव ने चार लोगों की स्काउट टीम भेज कर कुछ लोगों की तस्वीरें निकलवा ली थी। आरफा ने उनमे से दो आदमियों को पहचान लिया था। हमने तय किया था कि रात को दो बजे उस पर धावा बोल कर उस गोदाम को जब्त किये हुए सेम्टेक्स से ध्वस्त कर देंगें। एक बार फिर से योजना के एक-एक कार्य को दोहराया और कैप्टेन यादव की टीम के चौदह लोगों को लेकर ठीक एक बजे अपने ट्रक मे बैठ कर ललितपुर के लिये निकल गये थे।

पहले ही स्काउट पार्टी ने आसपास की जगह की निशानदेही कर ली थी। एक खास जगह पर हमने अपना ट्रक खड़ा करके उस गोदाम आगे और पीछे से पहुँचने के लिये दो रास्ते तय किये थे। ट्रक से उतर कर सात लोग एक रास्ते पर निकल गये थे और सात दूसरे रास्ते पर निकल गये थे। कैप्टेन यादव ने एक कोने मे खड़े होकर मुख्य रास्ते पर लगे हुए सीसी टीवी कैमरे को साइलेन्सर युक्त स्नाईपर राइफल से नष्ट कर दिया था। उसके बाद एक स्थान पर यादव पीछे से मुझे कवर करते हुए मुख्य लोहे के गेट को निशाने पर लेकर बैठ गया था। मै धीमी गति से पैदल चलते हुए गोदाम की ओर बढ़ गया जिससे दोनो टीमे अपने बताये हुए स्थानों पर पहुँच जाएँ। मैने लोहे के गेट पर लगे हुए कुन्दे को दो चार बार जोर से हाथ मार कर आवाज लगायी… सज्जाद भाई।  इसी बहाने मैने अपने साथियों को इशारा कर दिया था कि मै मुख्य दरवाजे पर पहुँच गया हूँ। एक आदमी उनीदीं आँखों से लोहे के गेट मे बने छोटे से झरोखे मे से देख कर घुर्राया… इतनी रात को क्या काम है। …सज्जाद भाई को तुरन्त एक जानकारी देनी है। सज्जाद भाई का नाम सुन कर उसकी आँखें खुल गयी थी। …तू है कौन? मैने घुर्रा कर कहा… जल्दी से उन्हें बुला कर ला या मुझे उनके पास लेकर चल। एक जरुरी खबर देनी है। कुछ पल वह झिझका और फिर दरवाजा खोल कर बाहर निकल कर मेरे सामने आकर खड़ा हो कर बोला… चल तलाशी दे। मै तेजी से नीचे बैठ गया और अगले ही पल वह कटे हुए वृक्ष की तरह जमीन पर ढेर हो गया था। मैने जल्दी से उसे घसीट कर एक किनारे मे किया इतनी देर मे सात सैनिकों की पार्टी लोहे के गेट को पार करके अन्दर जा चुकी थी।

कैप्टेन यादव मेरे पास आकर बोला… सर, सज्जाद की अंधेरे मे कैसे पहचान होगी? …तुम बस मुझे कवर करना बाकी का काम मै करुँगा। अभी तक मैने अपनी ग्लाक नहीं निकाली थी। मै गोदाम के खुले हुए आधे शटर से अन्दर चला गया था। दूर दीवार पर एक छोटा सा बल्ब टिमटिमा रहा था। चारों ओर सामान करीने से लगा हुआ था। मेरे पीछे एक टीम अन्दर प्रवेश कर चुकी थी और अलग जगह पहुँच कर तैनात हो गये थे। सामान के बीचोंबीच खाली जगह पर जमीन पर बिस्तर लगा कर लोग सो रहे थे दो आदमी एक किनारे मे एक-47 लेकर बैठे हुए उंघ रहे थे। मै उनके पास पहुँच कर एक आदमी को ठोकर मार कर जगाते हुए घुर्राया… खबीस की औलाद गार्ड ड्युटी पर सो रहा है। वह हड़बड़ा कर उठ गया। उसके साथ बैठा हुआ आदमी भी जाग गया था। मै घुर्रा कर बोला… सज्जाद भाई कहाँ है? वह ठोकर खा कर पहले से ही घबरा गया था। उसने गोदाम की ओर इशारा करके कहा… वहाँ है। मैने जल्दी से कहा… जागते रहना। मै सज्जाद भाई को मुफ्ती साहब की जानकारी देने आया हूँ। यह बोल कर मै उस आफिस की ओर चल दिया था। तब तक ग्लाक-17 मेरे हाथ मे आ गयी थी। हरकत उल अंसार का कमांडर आराम से एक खटिया पर सो रहा था। उसके खुर्राटे गूंज रहे थे। उसके पास पहुँच कर उसकी कमर पर ठोकर मार कर जगाते हुए कहा… सज्जाद अफगानी उठ तुझे भारतीय सेना लेने आयी है। वह नींद मे हड़बड़ा कर उठा लेकिन तब तक मेरी ग्लाक की मूठ उसकी कनपटी पर पूरी शक्ति से पड़ी और वह झूमते हुए वापिस बिस्तर पर ढेर हो गया था।

अगले ही क्षण एके-47 के तीन राउन्ड फायर हुए और फिर अचानक सब शान्त हो गया था। पीछे की टीम भी अब तक शटर के ताले तोड़ कर अन्दर आ चुकी थी। मुश्किल से दस मिनट मे पूरा गोदाम हमारे कब्जे मे आ गया था। सज्जाद अफगानी को अपने कन्धे पर लाद कर मै आफिस से बाहर निकला और मुख्य द्वार की ओर चल दिया था। मेरी टीम नूर मोहम्मद से जब्त की हुई सेम्टेक्स और डिटोनेटर्स को पूरे गोदाम मे लगाने मे जुटी हुई थी। मैने सज्जाद अफगानी को दो सैनिकों के हवाले किया और वह रात के अंधेरे मे उसे बाहर निकाल कर ले गये थे। पूरे गोदाम मे आरडीएक्स और सेम्टेक्स को लगाने मे आधा घंटा और लग गया था। लाँस नायक जमीर ने एक बार फिर से सारे कनेक्शन का निरीक्षण किया और फिर चलने का इशारा करके तेजी से मुख्य द्वार के बाहर निकल गया था। उसके पीछे हम सब लोग भी ट्रक मे बैठ गये थे। जमीर ने रिमोट कन्ट्रोल्ड डिवाइस मेरी ओर बढ़ाते हुए कहा… सर, पन्द्रह मिनट का टाइमर सेट किया है। जब तक यहाँ विस्फोट होगा तब तक हम कोटेश्वर चौक पहुँच गये होंगें। मैने कैप्टेन यादव की ओर बढ़ाते हुए कहा… इस जंग की शुरुआत तुम करो। महाकाली का नारा लगा कर कैप्टेन यादव ने बटन दबा दिया। बटन दबाते हमारा ट्रक तेज गति से उसी रास्ते से निकल कर कोटेश्वर की दिशा मे चल दिया था।

चौराहे को पार करने के बाद हम हाईवे पर पहुँच गये थे। आगे ड्राइवर के साथ बैठे हुए सभी की आँखें ललितपुर की दिशा मे लगी हुई हुई थी। काले आसमान मे एक पल के लिये जैसे ही आग की लपट उठते हुए देखी तो कैप्टेन यादव ने कहा… वन डाउन सर। …कैप्टेन, यह शुरुआत है। अभी तो यहाँ पर बहुत से डाउन होंगें। आधे घंटे के बाद हम लोग अपने गोदाम मे आराम से बैठे हुए थे। सज्जाद अफगानी को एक कुर्सी से जकड़ कर बिठा दिया था। एक सैनिक उसके चेहरे पर पानी मार कर होश मे लाने मे लगा हुआ था। उसकी पल्कें एक क्षण के लिये फड़फड़ाई और फिर बन्द हो गयी थी। …सर यह दोबारा बेहोश हो गया। सुबह होश आने के बाद देखते है। …किसी के पास सिगरेट और लाईटर या माचिस है? मेरी नजर सज्जाद अफगानी पर टिकी हुई थी। वह होश मे आ चुका था परन्तु आँखे मूंद कर रस्सियों के साथ जोर आजमाइश मे लगा हुआ था। जमीर ने एक सिगरेट और लाईटर मेरी ओर बढ़ाते हुए कहा… सर, आपको सिगरेट पीते हुए तो हमने कभी नहीं देखा। …यह मेरे लिये नहीं अपितु अफगानी के लिये है। मैने उसके होंठ मे सिगरेट फँसा दी और लाईटर जैसे ही जलाया उसने अपने होंठ से सिगरेट नीचे गिरा दी थी। मै लाइटर की लौ उसके चेहरे की ओर बढ़ाता चला गया और लाईटर की लौ ने जैसे ही उसकी दाड़ी को छुआ वह जोर से तड़प कर छूटने के लिये मचला लेकिन उसकी दाड़ी आग पकड़ चुकी थी। पल भर मे उसकी दाड़ी जल कर उसके चेहरे से चिपक गयी थी।

अपने साथियों की ओर देख कर मैने कहा… देख लो यह जिहादी कितनी जल्दी होश मे आ गया है। खुशामदीद नकली पठान। भारतीय सेना तुम्हारा स्वागत कर रही है। अब सज्जाद अफगानी के चेहरे पर खौफ के लक्षण साफ नजर आ रहे थे। …आप सब इसे पहचान लो। यह पाकिस्तानी आतंकवादी हरकत उल अंसार का कश्मीर मे एरिया कमांडर था। इसने हमारे आठ सैनिकों को उरी के एक कैंम्प मे सोते हुए जिंदा जला दिया था। अगर किसी को इस पर रहम आ रहा है तो वह कृपया करके उन आठ सीआरपीएफ के सैनिकों को एक पल के लिये याद कर लेना। इतना बोल कर मैने सज्जाद अफगानी की ओर रुख करते हुए कहा… तुम्हारे सतरह जिहादियों को अभी कुछ देर पहले उस गोदाम मे जला कर आ रहा हूँ। जब बेचारों का जिस्म खाक मे मिल गया तो अब वह अपनी बहात्तर हूरों के काबिल भी नहीं रहे है। मै एक सवाल पूछूँगा और अगर जवाब नहीं मिला तो तुम्हारा एक अंग जला कर खाक कर दूँगा। अब मुझे यह सोचना है कि तुम्हारा सबसे प्रिय अंग कौन सा है जिसको सबसे पहले आग के हवाले करुँ। याद है बाटामालू मे तूने एक ग्यारह साल की बच्ची के साथ क्या किया था। तो मैने सोचा है कि तेरा वह अंग सबसे पहले खाक मे मिलाने का समय आ गया है। मैने जग पकड़ कर खड़े हुए सैनिक से कहा… थोड़ा सा ट्रक मे से डीजल निकाल कर ले आओ। अचानक वह जोर से चिल्लाया… भाई आप सवाल पूछो। मैने मुस्कुरा कर अपने साथियों की ओर देख कर कहा… इन हरामजादों को आतंक का मतलब कितनी जल्दी समझ मे आ गया है।

…सज्जाद तुम यहाँ पर किस काम के लिये इकठ्ठा हुए हो? वह चुप रहा तो मैने एक बार फिर से जैसे ही लाइटर को जलाने की कोशिश की तो उसने जल्दी से कहा… जिहादी काउंसिल ने मुझे कश्मीर मे ब्रिगेड हेडक्वार्टर्स को उड़ाने का काम सौंपा था। उसके लिये यहाँ आया था। हमारी रिकार्डिंग चालू हो गयी थी। उसने बताया कि उरी के बाद वह पाकिस्तान चला गया था। अपने बीस साथियों को लेकर दो महीने के प्रशिक्षण के लिये वह बांगलादेश गया था। वहाँ से वह पैसे और असला बारुद लेने के लिये काठमांडू आया था। यहाँ से उसे और उसके साथियों को नूर मोहम्मद के ट्रक से असला बारुद लेकर कश्मीर जाना था। नूर मोहम्मद अभी तक पैसों और बारुद का इंतजाम नहीं कर सका था इसीलिये वह अपने साथियों के साथ उस गोदाम मे पिछले कुछ दिनों ठहरा हुआ था। एक दो दिन मे सामान आते ही वह निकल गया होता। जिहाद काउंसिल मे जमात के कुछ लोगो के बीच नाईत्तेफाकी होने के कारण जाकिर मूसा अपने साथियों के साथ वापिस श्रीनगर चला गया है। दुख्तार-अल-हिन्द के बारे मे वह कुछ ज्यादा नहीं बता सका था। बस उसे इतना पता था कि वह स्त्रियों की संस्था है जो बांग्ला देश मे किसी खास जगह प्रशिक्षण प्राप्त कर रही थी। जैसे शुजाल बेग हरकत-उल-अंसार और हिज्बुल के लिये यहाँ बैठा हुआ है वैसे ही कोई आईएसआई की मेजर हया इनायत खान इस वक्त यहाँ से दुख्तर-अल-हिन्द का संचालन कर रही है। यह सब सज्जाद के मुँह से उगलवाने के लिये उसे चार बार जलाना पड़ा और तीन बार तोड़ना पड़ा था। सबसे आखिर मे उसने बताया कि जिहाद काउंसिल ने पाँच टीम गठित की है। हरेक टीम के जिम्मे एक कार्य दिया गया था। ब्रिगेड हेडक्वार्टर्स को उड़ाने के लिये जिहाद काउन्सिल ने हरकत उल अंसार को पच्चीस लाख रुपये देने का वायदा किया था।

मेरी दरिंदगी का असली चेहरा सबके सामने आ गया था। मैने जनरल रंधावा को सारी रिकार्डिंग सुनाने के बाद पूछा… सर, इसका क्या करना है। जनरल रंधावा के बजाय स्क्रीन पर अजीत सर का चेहरा देखते ही मै खड़ा हो गया था। …मेजर, सज्जाद की शक्ल दिखाओ। कुशाल सिंह ने कैमरा उठा कर सज्जाद की ओर कर दिया था। सज्जाद की हालत देख कर अजीत सर जोर से हंसे और फिर बोले… इसकी दाड़ी तुमने जलाई है। …नहीं सर, सिगरेट जलाते हुए गलती से जल गयी थी। …मेजर, इसको यहाँ भारत मे किस लिये लाना है। यहाँ आयेगा तो इसके सारे नजायज बाप इसको बचाने के लिये कोर्ट का समय खराब करेंगें फिर इसकी नजायज औलादें किसी हवाई जहाज को हाईजैक करके उसे छुड़ाने की कोशिश करेंगें। अब कन्धार वाला खेल दोबारा नहीं होगा। इसी हरामखोर ने सिर तन से जुदा का नारा दिया था तो इसका सिर शुजाल बेग के पास पहुँचा दो। हम यहाँ पर इसकी फाइल हमेशा के लिये बन्द कर रहे है। …जी सर। बाकी टीमों का कुछ पता नहीं चल रहा है। आप इजाजत दें तो नूर मोहम्मद को उठा लें? …मेजर, आरबीआई ने बताया है वह नोट असली है। तुम्हारे पास कुछ पैसो का इंतजाम हो गया है। एक हाटस्पाट समाप्त हो गया है। पहले बाकी स्थानो को नेस्तनाबूद कर दो और अगर उसके बाद शुजाल बेग ने नूर मोहम्मद को बक्श दिया तो तुम उसे उठा लेना। पाकिस्तानी आईएसआई और उनकी पाली हुई तंजीमो को भी तो आतंक का मतलब समझ मे आना चाहिये। आठ के बदले अठारह होने से अब हमारी सेना का रिकार्ड कुछ सुधरने लगा है। वलीउल्लाह के बारे मे कुछ पता चला? …सर, यह सिर्फ एक प्यादा है। उसका पता तो वजीर ही दे सकता है। …उस वजीर का नम्बर भी लगेगा। फिलहाल शुजाल बेग को इसका सिर पहुँचा देना। आल द बेस्ट। दिल्ली से कनेक्शन कट गया था।

अबकी बार हेड फोन इस्तेमाल नहीं हुआ था। सब कुछ स्पीकर पर बोला गया था। वहाँ उपस्थित सभी लोगों ने अजीत सर के आदेश को सुना था। जैसे ही मैने कदम उसकी ओर बढ़ाया सज्जाद अफगानी रोते हुए खुदा की दुहाई देने लगा था। मैने अपने साथियों की ओर देखते हुए पूछा… अगर आप मे से कोई इसके हाथ लग जाता तो क्या यह उस पर रहम करता? उस वक्त कोई भी जवाब देने की स्थिति मे नहीं था। मैने सज्जाद अफगानी के सिर पर एक चपत जड़ कर कहा… तेरा वारन्ट तो मेरे सीओ ने साईन कर दिया है। अब मेरे आगे दो रास्ते है कि तुझे जिन्दा जला दूँ या सिर तन से जुदा करके तेरे आका के पास भिजवा दूँ। दोनो ही सूरत मे बहात्तर हूरों के साथ तू मजा नहीं ले सकेगा। वह रोता रहा, चिल्लाता रहा दूसरों पर भले ही उसकी चीखों का कुछ असर हुआ हो परन्तु मैने इन लोगों की दरिंदगी अपनी आँखों से कश्मीर मे देखी थी। मैने कैप्टेन यादव की ओर देखा तो उसने अपने सभी साथियों को कमरे से निकल जाने का इशारा किया और खुद वहीं खड़ा रहा था। …कैप्टेन, नूर मोहम्मद का एक ट्रंक खाली पड़ा हुआ है। वह यहाँ मंगा लो। कैप्टेन यादव ने आवाज देकर ट्रंक मंगवा लिया था।

अपना काम समाप्त करके मै वहीं पर नहा धो कर तैयार हो गया था। स्पेशल फोर्सेज की काली डंगरी पहन कर अपना काम चला लिया था। पूरा दिन गोदाम से बाहर काठमांडू की सड़कों पर होने वाले हंगामो से अनिभिज्ञ मै सेन्टर मे बैठ कर वीके की फाइल पर दिये गये नाम पढ़ रहा था। अभी तक पढ़ने के बाद जो कुछ मुझे समझ मे आया वह कुछ इस प्रकार था। छ्ह निजी साफ्टवेयर कंपनी सेना के तीन अंगों और सरकार के एनआईसी के मुख्य डेटाबेस के लिये साफ्टवेयर सोल्युशन्स देती थी। हर कंपनी मे बीस से पच्चीस लोग साफ्टवेयर डेव्लपमेन्ट, टेस्टिंग और आप्रेशन्स का काम देखते थे। इसी प्रकार की दर्जनों कंपनियाँ पोर्ट, एयेरपोर्ट, टेलिकाम, व अन्य के लिये साफ्टवेयर तैयार करती थी। सभी कंपनियाँ सभी प्रकार की सूचना इकठ्ठी करके डीआरडीओ को दे देती थी जिसको वह अलग-अलग श्रेंणियों मे डालने के बाद वेरीफाई करके कमांड सेन्टर के मेनफ्रेम पर डाल देते थे। इसरो ने अपना सेटेलाईट ग्रिड रेफ्रेन्स सिस्टम साफ्टवेयर खुद तैयार किया था। इसमे दो सौ से ज्यादा अलग-अलग श्रेणी के लोग काम करते थे। वह कमांड सेन्टर की मांग पर ग्रिड रेफ्रेन्स कोड निकाल कर देते थे। यहाँ पर पहुँच कर मै उलझ गया था। क्या कोई भी निजि कंपनी अपने साफ्टवेयर की जरुरत के अनुसार कमांड सेन्टर से स्थानीय ग्रिड रेफ्रेन्स की मांग रख सकती थी? यह कमांड सेन्टर के सिस्टम इन्चार्ज के पास ही अधिकार था कि वह उस कंपनी के मांगने पर किसी जगह के ग्रिड रेफ्रेन्स दे अथवा मना कर दे। कमांड सेन्टर का सिस्टम इंचार्ज जनरल मोहन्ती थे और मै यह मानने को तैयार नहीं था कि वह इतने गैरजिम्मेदार हो सकते है कि किसी ने भी माँगा और वह दे देंगें। कहीं पर कोई चीज मुझसे छूट रही थी।

रात गहरी हो गयी थी। अब तक मै सिर्फ आठ कंपनियों के कर्मियों को देख सका था। मुझे कुछ और तरीका सोचना पड़ेगा और यह सोच कर मै उठ कर खड़ा हो गया था। मै जैसे ही कमरे से बाहर निकला तो कैप्टेन यादव बाहर मेरा इंतजार कर रहा था। …सर, उस ट्रंक का क्या करना है। …उसके धड़ को जला दो और फिर ट्रंक को बागमती मे बहा देना। उसका सिर शुजाल बेग के पास भिजवाना है। उसके लिये कुछ सोचना पड़ेगा। क्या तुम्हारे पास कोई सुझाव है। …सर, अपने गोदाम के पीछे खाली जगह मे उसके धड़ पर पेट्रोल छिड़क कर आसानी से आग लगा सकते है। आये दिन हमारे गोदाम के पीछे लोग टायर जला कर हाथ सेकने बैठ जाते है। आज हम भी आग लगा कर बाहर बैठ जाएँगें और फिर कभी भी ट्रंक को बागमती मे बहा देंगें। सज्जाद के सिर का एक सुन्दर सा पार्सल बना कर अगर हम यहीं की किसी छोटी सी कुरियर एजेन्सी से डिलिवरी के लिये देंगें वह लोग उसे उसी दिन दूतावास मे पहुँचा देंगें। बस हमे यह ख्याल रखना है कि वह कुरियर वाला हमारी पहचान न कर सके।

…चलो पहले एक बार बाहर घूम कर आते है। मै और कैप्टेन यादव गोदाम से बाहर निकल कर पीछे की ओर चले गये। थोड़ी दूर पर सर्दी से बचने के लिये कुछ लोग टायर जला कर उसके चारों ओर बैठे हुए थे। उनको बैठे देख कर हम दोनो वापिस आ गये। …कैप्टेन टायर जलने और माँस के जलने मे बहुत फर्क होता है। माँस जलने की गंध आसपास फैल जाएगी। एक काम करते है। उस धड़ के उपर एक टायर रख कर जला देंगें तो मांस की गंध समाप्त हो जाएगी। बाकी उसके सिर को शुजाल बेग तक पहुँचाने के लिये तुम्हारे सुझाव के अनुसार काम करेंगें। इस काम को हम कल कर करेंगें। अब तुम आराम करो मै अपने घर जा रहा हूँ। …सर, उस नोटों से भरे ट्रंक का क्या करना है। …उस पैसे को बैंक मे पहुँचाना पड़ेगा लेकिन अभी नहीं। कुछ दिनों मे कंपनी का सामान आना आरंभ हो जाएगा उसके बाद मै दिल्ली मे बात करके उस पैसे को बैंक मे जमा करवा दूंगा। भारत सरकार की कंपनी के पास पैसे होंगें तभी इन जैसे लोगों के साथ यहाँ पर दो-दो हाथ कर सकेंगें।

मै अपने घर की ओर चल दिया था। रास्ते मे चेक पोस्ट देख कर मेरा माथा ठनका कि अचानक इतनी पुलिस क्यों लगी हुई है। दो जगह रुक कर अपना कार्ड दिखा कर अपने घर पहुँच गया था। दोनो जाग रही थी। दोनो के चेहरों पर चिन्ता के बादल मंडरा रहे थे। मुझे देखते ही तबस्सुम का गुस्सा फूट पड़ा था। कुछ देर उन दोनो को समझाने के बाद मैने पूछा कि आज यहाँ इतनी ज्यादा पुलिस क्या कर रही है तो उन्होंने बताया कि आज पहली बार काठमांडू शहर मे विस्फोट हुआ था। लोगों का मानना है कि भारत की तरह यहाँ पर भी मुस्लिम चरमपंथी उत्पात मचाने के लिये आ गये है। नेपाली लोग पहले से ही मुस्लिम लोगो की गुन्डागर्दी और लूटपाट के कारण परेशान थे। इस विस्फोट के बाद आज शहर के मुस्लिम बहुल हिस्से मे अचानक दंगे भड़क गये थे। अब तो स्थिति सामान्य हो गयी है लेकिन गुरखाली लोग अभी भी बहुत नाराज है। कुछ देर बात करने के बाद मै अपने कमरे मे जाते हुए बोला… बदन टूट रहा है, आज तुम ही मालिश कर दो। तभी आरफा बोली… आप चलिये मै तेल गर्म करके ला रही हूँ। आज आप दोनो की मालिश कर दूंगी। मै जाते-जाते रुक गया और मुड़ कर तबस्सुम की ओर देखा तो वह मुस्कुरा रही थी। मैने जल्दी से गर्दन हिला कर मना किया परन्तु उसने सिर हिला कर हामी भरी तो मैने उसे आँख दिखाते हुए कहा… आरफा रहने दो मुझे नींद आ रही है। मै सोने जा रहा हूँ। यह बोल कर मै अपने कमरे मे जाकर डंगरी उतार कर बिस्तर मे घुस गया और गर्म बिस्तर होते ही मै अपने सपनों की दुनिया मे खो गया था। मुझे याद नहीं कब तबस्सुम मेरे साथ आकर सो गयी थी।

सुबह देर से जागा और अलसाते हुए तैयार हुआ था। नाश्ते की टेबल पर पहली बार आरफा नाराज लग रही थी। …क्या हुआ आज तुम दोनो का मुँह क्यों फूला हुआ है? आरफा तो कुछ नहीं बोली लेकिन तबस्सुम ने कहा… आप थोड़ी देर रुक नहीं सकते थे। …बानो, परसों रात नींद पूरी नहीं हो पायी थी फिर पूरी रात जागा था। कल सुबह से आफिस का ऐसा चक्कर शुरु हुआ कि देर रात को ही वहाँ से निकल सका था। मै चाह कर भी आँखें खोलने मे अस्मर्थ था वर्ना कोई बेवकूफ ही होगा जो इतने हसीन मौके को हाथ से जाने देगा। इतना बोल कर मै नाश्ता समाप्त करने मे व्यस्त हो गया। नाश्ते के बाद मै उपर हाल मे चला गया था। मैने अपने संचार केन्द्र को निर्देश दिया कि कमांड सेन्टर मे जनरल मोहन्ती से कनेक्ट करो। अगले ही मिनट मे जनरल मोहन्ती मेरे सामने स्क्रीन पर थे।

…सर, मुझे पता चला है कि कुछ निजि कंपनियाँ अपने साफ्टवेयर डेवल्पमेन्ट के काम के लिये आपसे स्थानीय ग्रिड रेफ्रेन्स के लिये निवेदन करती है। आप उनकी जरुरत के हिसाब से इसरो से ग्रिड रेफ्रेन्स लेकर उनको दे देते है। क्या मै इसकी कार्यविधि ठीक से समझ गया कि नहीं? …बिल्कुल ठीक समझे। यही तरीका होता है। …औसतन एक महीने मे आपको कितनी बार इस काम के लिये कंपनी संपर्क करती है? …कभी एक बार और कभी दस बार। …उसमे से कितनी बार आप उनकी मांग को खारिज कर देते है? …मेजर, ज्यादातर उनकी मांग जरुरी होती है। खारिज तो ज्यादातर तभी होती है जब वह आधी अधूरी जानकारी देते है। …सर, क्या आप उनकी मांग का रिकार्ड रखते है। जैसे कि मै अगर जानना चाहूँ कि पिछले एक साल मे कौनसी कंपनी ने कौनसे स्थानीय ग्रिड रेफ्रेन्स की मांग रखी थी। क्या वह मिल सकती है? …हाँ क्यों नहीं। ज्यादातर ग्रिड रेफ्रेन्स मांगने वाली वह कंपनी होती है जो सेना के तीनो अंगों के लिये साफ्टवेयर बना रही है। …ठीक है सर, मुझे एक साल का उन कंपनियों का रिकार्ड चाहिये जिन्होंने ग्रिड रेफ्रेन्स की मांग रखी थी। अगर यह भी मिल जाये कि उन्होंने कौन से स्थान के ग्रिड रेफ्रेन्स मांगे थे तो मेरा काम और भी आसान हो जाएगा। …मेजर, मै यह जानकारी शाम तक आप को भेज दूँगा लेकिन इसकी जानकारी कृपया जनरल रंधावा को दे दिजियेगा। …यस सर। मैने लाइन काट कर जनरल रंधावा से कनेक्ट करने के लिये कहा तो जनरल रंधावा ने स्क्रीन पर आते ही कहा… मैने मोहन्ती को कह दिया है। यह वलीउल्लाह वाला चक्कर है? …यस सर। इतने सारे नाम होने के कारण बहुत मुश्किल हो रहा था। मैने सोचा कि इस तरह एक बार कोशिश करके देख लेता हूँ। …शाम तक सारी जानकारी मिल जाएगी। बस इतनी बात करके मैने लाइन काट दी थी।

मैने एक बार फिर से नूर मोहम्मद के फोन की रिकार्डिंग सुनने बैठ गया था। एक दिन मे सौ से ज्यादा काल रिकार्ड की गयी थी। कुछ काल गोदाम मे विस्फोट के लिये दुख जताने के लिये हुई थी और कुछ काल कंपनियों की ओर से हुई थी। इतनी सारी काल रिकार्डिंग सुनने के बाद मेरे काम की चार काल निकली थी। पहली काल बिहार से आयी थी और काल करने वाले ने बताया था कि आज सुबह चार बजे अलताफ हुसैन को एनआईए अपने साथ ले गयी है। दूसरी काल किसी चरौन्दी थाना इन्चार्ज की ओर से आयी थी कि उसकी कंपनी का कंटेनर ट्रक त्रिशूली नदी मे पुलिस को मिला था। उसका अनुमान था कि ड्राइवर की आँख लगने से ट्रक सड़क से बहक कर नदी मे गिर गया था। तेज बहाव के कारण जहाँ पानी का कटाव था वहाँ पर चट्टानों मे फँस कर नजरों मे आ गया था। उसने तुरन्त नूर मोहम्मद को बुलाया था। नूर मोहम्मद से उसने पूछा कि ट्रक मे क्या सामान था। उसके जवाब मे नूर मोहम्मद ने कह दिया कि वह इन्वोइस देख कर ही बता सकता था। तीसरी काल सीतला थाने से आयी थी कि एक लाश पत्थरों मे उलझी मिली है। कहीं वह ट्रक ड्राइवर की लाश तो नहीं है। लाश की शिनाख्त करने के लिये नूर मोहम्मद को थाने मे बुलाया गया था। चौथी काल शुजाल बेग की थी जिसमे उसने सिर्फ इतना कहा था कि फौरन उससे आकर मिलो। इन चार काल रिकार्डिंग से साफ हो गया था कि उसको अपना ट्रक मिल गया है।

मैने जब तक कान से हेडफोन उतार कर रखा ही था कि मेरे स्क्रीन पर जनरल मोहन्ती का चेहरा उभर आया था। मैने जल्दी से हेड फोन लगा कर कहा… यस सर। …मेजर, सारी डिटेल तुम्हारे बाक्स मे डाल दी है। पिछले एक साल मे सिर्फ आठ कंपनी है जिन्होंने ग्रिड रेफ्रेन्स मांगें थे। सबसे ज्यादा ग्रिड रेफ़्रेन्स मांगने वाली सिर्फ चार कंपनी है। शायद इस जानकारी से तुम्हें कोई मदद मिल जाए। …थैक्स सर। यह बोल कर मैने कनेक्शन काट दिया और अपने बाक्स खोल कर बैठ गया था। जनरल मोहन्ती ने सही कहा था कि चार कंपनियों ने सबसे ज्यादा ग्रिड रेफ्रेन्स की मांग की थी। सबसे ज्यादा ग्रिड रेफ्रेन्स मांगने वाली कंपनी का नाम डेल्टा साफ्टवेयर सौल्युशन्स था। मैने उस कंपनी का विवरण और स्टाफ की लिस्ट के लिये वीके की फाइल खोल कर बैठ गया था।

डेल्टा साफ्टवेयर सोल्युशन्स हिन्दुस्तानी कंपनी थी और भारतीय नौसेना के लिये साफ्टवेयर बनाती थी। उसके पंजीकृत आफिस का पता मुंबई का दिया हुआ था। कंपनी को यह काम करते हुए बारह साल हो गये थे। वह दुनिया भर के देशों मे काम रही थी। भारतीय नौसेना का काम देखने वालों कर्मियों के बारे मे पढ़ने बैठ गया था। एक-एक करके उनके नाम और काम का विवरण पड़ते हुए अचानक एक नाम को देख कर मुझे बिजली का तेज झटका लगा था। आफशाँ बट, वरिष्ठ सिस्टम अधिकारी, नेवल लाजिस्टिक्स। उसकी डिग्री और अनुभव के बारे मे कुछ लिखा हुआ था परन्तु मेरा दिमाग तो उस नाम पर अटक कर रह गया था। उसके ग्रुप मे बीस लोग काम कर रहे थे। सारा विवरण पढ़ने के बाद मै अपनी कुर्सी पर बैठा हुआ कुछ सोच रहा था कि तभी मेरा फोन बज उठा था। …सर, उसका धड़ जला दिया है और आज दिन मै शुजाल बेग के नाम से पार्सल उसके दूतावास के पते पर हमने भक्तपुर से कुरियर करवा दिया है। …कुरियर करने कौन गया था? …सर, राईफलमैन थापा को भेजा था। …गुड। उस ट्रंक को भागमती नदी मे डाल कर वापिस लौट रहे है। …आप लोगो को रात मे जाना चाहिये था। दिन मे किसी की नजर पड़ गयी तो मुश्किल हो जाएगी। …सर क्या आप अभी जागे है। रात के दस बज रहे है। मेरी नजर खिड़की पर चली गयी थी। बाहर गहरा अंधेरा हो गया था। …ओह सौरी। कैप्टेन मै कुछ देर पहले ही जागा था। मैने ध्यान नहीं दिया कि इतना समय हो गया है। प्लीज टेक रेस्ट। इतना बोल कर मैने फोन काट दिया था। मुझे अभी भी अपने उपर अफसोस हो रहा था कि मै आफशाँ के बारे मे कितना कम जानता था। अगर मुझे उसके बारे मे पता होता तो बहुत पहले ही उससे पूछ लेता तो वलीउल्लाह की कहानी जल्द सुलझ जाती। यही सोचते हुए नीचे अपने घर मे आ गया था।  

रविवार, 23 जुलाई 2023

  

गहरी चाल-18

 

सुबह से मेरे उपर अचानक काफी काम का दबाव आ गया था। सुबह उठते ही गोदाम से खबर आ गयी थी कि एनटीसी वालों को आप्टिक फाइबर की केबल डालनी है तो उन तीनो को गोदाम पर बुलाया है। मै उनको गोदाम पर छोड़ने चला गया था। जब वहाँ से लौटा तब तक सप्लायर का ट्रक मेरे आफिस के बाहर खड़ा हुआ मेरा इंतजार कर रहा था। अपने साथियों की मदद से मैने सारा सामान चेक करके उतरवा कर अन्दर रखवा कर मै तैयार होने के लिये चला गया था। जब तक तैयार होकर नाश्ता खाने बैठा कि तभी गोदाम से फोन आया कि कुछ सामान की और जरुरत पड़ेगी। मुझे बैंक से भी कैश निकालना था क्योंकि अगर उन लोगों ने आज शाम तक सारा काम समाप्त कर लिया तो बाकी के पैसे देने होंगें। मै अपने साथ तबस्सुम को लेकर पहले बैंक गया और उसको चेक देकर पैसे निकालने के लिये वहाँ छोड़ कर सप्लायर के पास चला गया था। उससे सामान लेकर मै वापिस बैंक गया और तबस्सुम को लेकर जब तक वापिस लौटा तो एक मुसीबत मेरी राह ताक रही थी।

नूर मोहम्मद और उसकी पत्नी शबाना मेरे घर पर बैठ कर मेरा इंतजार कर रही थी। मुझे देखते ही नूर मोहम्मद ने कहा… आज मै अपनी बीवी के साथ तुम्हारे घर पर दावत का निमन्त्रण देने के लिये आया हूँ। तुमने देख लिया होगा कि मेरा एक भी आदमी तुम्हारे घर के आसपास खड़ा नहीं है। मैने भी जल्दी से रंग बदलते हुए कहा… आप मुझे शर्मिन्दा कर रहे है। उस दिन आपके जाने के बाद अंजली ने पहले ही मुझे बहुत कुछ सुना दिया है। …नहीं समीर, आपने सही कहा था कि जब किसी परिवार से मिलने जाएँ तो एक परिवार की तरह जाना चाहिये। अपनी गलती सुधारने के लिये आज अपनी शरीक-ए-हयात शबाना को लेकर आया हूँ। मैने घर पर एक दावत रखी है। मै चाहता हूँ कि अंजली और आप हमारी खुशियों मे जरुर शामिल होने चाहिये। …जरुर यह आपकी जर्रानवाजी है। हम जरुर शामिल होंगे। वैसे भी अंजली और मै इस जगह के लिये बिल्कुल नये है तो किसी से हमारी ज्यादा जान पहचान भी नहीं है। वह कुछ देर बैठ कर चला गया था। उसके जाते ही एक बार फिर से पूरे कमरे की चेकिंग करवा कर ही वहाँ बैठने की हिम्मत जुटा सका था।

उनके जाते ही गोदाम से फोन आ गया कि वहाँ का सारा काम समाप्त हो गया है और संचार केन्द्र सुचारु रुप से काम कर रहा है। तबस्सुम से पैसे लेकर मै गोदाम की ओर चल दिया था। वहाँ पहुँच कर मै सीधे गोदाम नहीं गया था। सबसे पहले मै संचार टावर पर चला गया था। सब कुछ पहले जैसा ही लग रहा था। सारे रास्ते के पाईप को मिट्टी के नीचे दबा दिया गया था। हमारे संचार माध्यम पर कोई बाहर से नुकसान नहीं पहुँचा सकता था। जब पूरी तरह से आश्वस्त हो गया तब मैने गोदाम मे प्रवेश किया था। गार्ड ड्युटी पर तैनात सैनिक को छोड़ कर बाकी सभी उस हाल मे विस्मय से इस नये अजूबे को देख रहे थे। मै भी उनके काम से काफी प्रभावित हो गया था। …मै जनरल रंधावा से बात करना चाहता हूँ। कुशाल सिंह ने एक कंप्युटर टर्मिनल पर बैठ कर कुछ टाइप किया और अगले ही पल जनरल रंधावा का चेहरा स्क्रीन पर आ गया था। …मेजर, कैसा काम चल रहा है। उनकी आवाज मेरे कान पर लगे हुए हेडफोन पर गूंजी तो मैने जल्दी से कहा… यह उसी काम का परिणाम है सर कि अब हम आराम से बात कर रहे है। कुछ देर बात करने के बाद मैने लाईन काट कर कहा… मुझे नूर मोहम्मद के गोदाम को स्क्रीन पर दिखाईये। कुशाल सिंह ने किसी से बात की और मुश्किल से तीन मिनट मे नूर मोहम्मद के गोदाम का दृश्य स्क्रीन पर आ गया था। दो ट्रक रैम्प के पास खड़े हुए थे और उनमे सामान रखवाया जा रहा था। ऐसे ही मैने एक दो और चीजे टेस्ट करके कुरियन की पीठ थपथपाकर कहा… ग्रेट जाब डन।

अबकी बार अय्यर ने कहा… मेजर, आपके हाल मे भी इसी प्रकार का सिस्टम स्थापित होगा। एक बात का ख्याल रखियेगा कि आपका संपर्क यहाँ से होगा। कमांड सेन्टर से संपर्क स्थापित करने के लिये आपको यहाँ पर संपर्क स्थापित करना पड़ेगा उसके बाद ही आप कमांड सेन्टर मे बात कर सकेंगें। आपको यहाँ की सुरक्षा व्यवस्था के लिये कुछ नये इंतजाम करने पड़ेंगें। स्क्रीन और टर्मिनल प्रतिबन्धित क्षेत्र होना चाहिये। हर कोई उस ओर नहीं जा सकता है। इसके लिये आपको आधुनिक सिक्युरिटी सिस्टम की व्यवस्था करनी पड़ेगी। बाकी जगह मे आप मीटिंग और बैठने की व्यवस्था कर सकते है। एक टर्मिनल इसीलिये दूर लगाया है कि उसके द्वारा यहाँ से आप अपने आफिस के साथ संपर्क मे रह सकते है। उसके बाद कुरियन ने बताया कि कुशाल सिंह के साथ उन दोनो को भी इस सिस्टम पर काम करने के लिये प्रशिक्षित कर दिया गया है। हम अभी बात कर रहे थे कि गार्ड ड्युटी पर तैनात सैनिक ने किसी के आने का इशारा किया तो हम हाल से निकल कर नीचे चले आये थे। हमारे साथी ने जैसे ही शटर खोला हमारी नजर एनटीसी के ट्रक पर पड़ गयी थी। बिस्ट और थापा दोनो गोदाम की ओर आ रहे थे।

…समीर साहब, आज तीसरा दिन है और हमारा काम पूरा हो गया है। …बिल्कुल आपने अपना काम बड़ी मुस्तैदी से किया है। मैने दो लाख रुपये उसकी ओर बढ़ाते हुए कहा… अब आपकी जिम्मेदारी बढ़ गयी है। बिस्ट ने गड्डियाँ गिन कर अपनी जेब के हवाले करने बाद कहा… आपको यह कहने की जरुरत ही नहीं है। आपके कहने से पहले मैने अपने एक टेक्निशियन की ड्युटी उस टावर पर ही स्थायी रुप से लगा दी है। कोई भी परेशानी हो तो आप उसको संपर्क कर सकते है। अभी तो मै यहाँ पर बैठा हूँ तो आप निश्चिन्त रहिये। कनेक्टिविटी मे आपको कोई परेशानी नहीं होगी। हमारी कंपनी तार डालने के लिये इस तरह काम नहीं करती परन्तु कुरियन साहब ने हमसे दुगना काम करवाया है। कुछ देर बात करने के बाद वह चला गया था। कुरियन ने कहा… एक डीजी सेट की यहाँ व्यवस्था करो और एक अतिरिक्त बैटरी की व्यवस्था टावर पर करनी पड़ेगी। मै उनकी बतायी हुई सभी चीजों को नोट कर रहा था। मैने कुछ देर कैप्टेन यादव की टीम के साथ बिताया और रात की कार्यवाही पर चर्चा करने के बाद तीनो टेक्निश्यन्स को लेकर मै वापिस अपने आफिस की ओर चल दिया था।

हाल मे पहुँचते ही वह अपने काम मे जुट गये थे। उनका बताया सामान उनके हवाले करके जब तक मै अपने घर पर पहुँचा तब तक नूर मोहम्मद की पार्टी मे जाने के लिये तबस्सुम तैयार हो चुकी थी। उसको देखते ही मैने कहा… तुम जरुर आज बहुत लोगो को घायल करोगी। वह आज भी साड़ी मे थी। आज भी साड़ी मे लिपटी होने के बावजूद उसके जिस्मानी उतार चड़ाव कुछ जयादा ही उभरे हुए प्रतीत हो रहे थे। वैसे ही मीरवायज होने के कारण देखने मे तो वह सुन्दर थी परन्तु मांग मे सिंदूर और गले मे मंगसूत्र ने उसकी काया ही पलट कर रख दी थी। कुछ पलों के लिये मै उसको देखता रहा गया था। मुझे वह चलती फिरती कामुकता की मूर्ती लग रही थी। …अब आप तैयार हो जाईये या मुझे ही ऐसे ही खड़े-खड़े घूरते रहेंगें। उसकी झिड़की सुन कर मै तुरन्त तैयार होने के लिये चला गया था।

एक घंटे के बाद हम नूर मोहम्मद के घर मे दाखिल हो गये थे। दिल्ली की पार्टियों जैसा माहौल दिख रहा था। पार्टी का इंतजाम उसने अपने बड़े से लान मे किया था। छोटी-छोटी टिमटिमाती लाईटों से सारा लान जगमगा रहा था। दिल्ली जैसी भीड़ नहीं थी परन्तु सभी लोग अच्छे संभ्रात परिवार के लग रहे थे। तबस्सुम के साथ चलते हुए मुझे ऐसा लग रहा था कि सभी की नजरें उस पर जाकर चिपक गयी थी। हम दोनो ही चुंकि नये थे तो सिर्फ नूर मोहम्मद और शबाना को ही जानते थे। हम चलते हुए उनके पास पहुँच गये थे। वह लोगों मे घिरे हुए सबकी मुबारकबाद कुबूलने मे व्यस्त दिखायी दे रहे थे। हम उनसे कुछ दूर खड़े हो कर उनके सामने लगी हुई भीड़ के छँटने का इंतजार कर रहे थे। …मै कुछ पीने के लिये लेकर आता हूँ तब तक तुम यहीं रहो… कह कर मै ड्रिंक्स के काउन्टर पर चला गया था। काउन्टर पर शराब और न जाने कौन सी अलग-अलग तरह की ड्रिंक्स का इंतजाम किया हुआ था। ऐसी स्थितियों मे ज्यादातर मै सिर्फ वही पीता था जिसके बारे मे जानता था। मैने एक व्हिस्की का प्याला और एक फ्रूट पंच लेकर कर तबस्सुम की ओर बढ़ा तो मैने देखा कि वह किसी आदमी के साथ हंस-हंस कर बात कर रही थी। एक पल के लिये मेरे मन मे ईर्ष्या की अनुभुति हुई लेकिन फिर अगले ही पल उसके गले मे पड़े हुए मंगलसूत्र को देख कर वह तुरन्त काफुर भी हो गयी थी।

उनके पास पहुँच कर मैने तबस्सुम की ओर फ्रूट पंच बढ़ाते हुए जैसे ही उस आदमी की ओर देखा तो एक पल के सन्न रह गया था। …जनाब, मुझे लोग शुजाल बेग के नाम से जानते है। इन्हें अकेली खड़ी देख कर दिल के हाथों मजबूर हो गया और इनसे मिलने चला आया। मै तब तक संभल गया था। मै उसके बारे मे पहले से बहुत कुछ जानता था। वह आईएसआई का सबसे बदनाम अफसर और कसाई के नाम से जाना जाता था। यहाँ पर वह बेहद संजीदा और समझदार आदमी की तरह पेश आ रहा था। …मेरा नाम समीर कौल है और यह मेरी पत्नी अंजली है। आपसे मिल कर बड़ी खुशी हुई। सौरी मुझे पता नहीं था कि आप मेरी पत्नी को कंपनी देने के लिये आ जाएँगें वर्ना मै आपके लिये भी ड्रिंक्स ले आता। आप अगर व्हिस्की पीते है तो यह ले लिजिये मै दूसरी ले आऊँगा। मेरा नाम सुन कर एक बार उसकी आंखे सिकुड़ गयी थी। वह जल्दी ही संभलते हुए बोला… मैने आप दोनो को पहले किसी और पार्टी मे नहीं देखा है। क्या आप इस शहर मे नये है? मैने हंसते हुए कहा… जनाब, जब इनके साथ नहीं होता तो कोई मेरी ओर दूसरी बार नहीं देखता है। इन्हीं के कारण मै लोगों की नजर मे आता हूँ लेकिन आपने ठीक पहचाना कि हम इस शहर मे नये है। अबकी बार वह मुस्कुरा कर बोला… आप मजाक अच्छा कर लेते है। तभी तबस्सुम ने कहा… वह फ्री हो गये है। शुजाल बेग ने जल्दी से कहा… हाँ क्यों नहीं। आप चलिये। मै और तबस्सुम उनकी ओर बढ़ गये थे। शुजाल बेग वहीं खड़ा रहा लेकिन उसकी नजर हम पर टिकी हुई थी।

…सलाम। हमारी ओर से आपको शुभ कामनाएँ। नूर मोहम्मद बड़ी गर्मजोशी से मिला और शबाना ने स्वागत करते हुए कहा… अंजली आओ तुम्हें अपने बच्चों से मिलवाती हूँ। …समीर, आओ तुम्हें कुछ लोगो से मिलवाता हूँ। वह सीधा मुझे शुजाल बेग के पास ले गया था। …यह हमारे रहनुमा ब्रिगेडियर शुजाल बेग है। पाकिस्तान दूतावस मे काम करते है। …मै इनसे अंजली के जरिये पहले ही मिल चुका हूँ। मैने पहली बार नूर मोहम्मद को अचंभित होते हुए देखा था। उसने शुजाल बेग की ओर देखते हुए कहा… मुझे नहीं मालूम था कि आप पहले से अंजली को जानते है। शुजाल बेग ने ठहाका लगा कर कहा… नूर मोहम्मद, ऐसी कोई बात नहीं है। अंजली से मै यहीं पर मिला था। समीर साहब आप क्या काम करते है? …मेरा अपना ड्र्ग्स का कारोबार है। एक भारतीय कंपनी का मै यहाँ पर सोल एजेन्ट हूँ। मेरी बात सुन कर नूर मोहम्मद का मुँह खुला रह गया था लेकिन जल्दी से शुजाल बेग एक बार फिर मुस्कुरा कर कहा… यह उस ड्रग्स की बात नहीं कर रहे है। इनका दवाईयों का कारोबार है। …जी आप ठीक समझे मेरा आयुर्वेदिक दवाईयाँ और कास्मेटिक्स का काम है। अभी हम बात कर रहे थे कि तभी मेरी नजर सिकन्दर रिजवी पर पड़ी जो हमारी ओर आ रहा था। उसका ध्यान मेरी ओर के बजाय शुजाल बेग पर लगा हुआ था। वह हमारे पास आकर खड़ा हुआ और बड़े अदब से झुक कर शुजाल बेग और नूर मोहम्मद को सलाम करके बोला… ब्रिगेडियर साहब, कैसे है? यहाँ पार्टी मीटिंग मे आया था। आज इसी बहाने आप से भी मिलना हो गया। मैने महसूस किया कि दोनो मेरी उपस्थिति मे सिकन्दर रिजवी से बात करने मे कतरा रहे थे।

…बेग साहब, अभी जो मैने कहा था उसका जीता जागता उदाहरण आपको दे देता हूँ। सिकन्दर रिजवी साहब आपने मुझे नहीं पहचाना। मेरा नाम समीर है। हम अंसार रजा साहब की पार्टी मे मिले थे। उस दिन प्रोबीर मित्रा भी आपके साथ थे। मुझे पहचानते हुए वह बोला… समीर भाई, मैने आपको पहचान लिया है। आपका तो सेब का कारोबार था। माफ किजिएगा मेरा दिमाग किसी और चीज मे लगा हुआ था। …देख लिया बेग साहब। यह मेरे साथ अकसर होता है। अगर नीलोफर यहाँ होती तो यह मुझे फौरन पहचान जाते। उसने सारे रास्ते आपकी बहुत तारीफ की थी। इसीलिये आपके कहने पर रोहिंग्या शरणार्थियों के लिये अगले दिन ही मैने दस लाख रुपये देवबंद भिजवा दिये थे। मै तो सोच रहा था कि आप मुझसे जरुर संपर्क मे रहेंगें लेकिन उसके बाद तो आप गायब हो गये थे। सिकन्दर रिजवी मेरी बात सुन कर झेंप गया था। …नहीं समीर भाई ऐसी बात नहीं है। नूर मोहम्मद और शुजाल बेग दोनो मुझे अब हैरानी से घूर रहे थे। एक ही झटके मे मैने तीनो को इतना उलझा दिया था कि किसी के कुछ भी समझ मे नहीं आ रहा था। उस पर तबस्सुम ने आकर उन दोनो का ध्यान मुझसे हटा कर अपनी ओर खींच लिया था। …रिजवी साहब, यह मेरी पत्नी अंजली है। रिजवी की नजर अंजली पर टिक कर रह गयी थी।

अचानक शुजाल बेग ने पूछा… समीर, आप नीलोफर को कैसे जानते है? …मै तो कश्मीर से उसे जानता हूँ। वह लोन साहब का सेब का करोबार संभालती थी। मेरा भी सेब का कारोबार है तो मिलना जुलना होता रहता था। क्या आप भी उस खूबसूरत नाजनीन को जानते है? अब बेग के लिये मेरे सवाल का जवाब देना भारी हो गया था। उसने जल्दी से कहा… आप ठीक कह रहे है। उसे भी मै एक पार्टी मे मिला था। क्या आज कल वह आपके संपर्क मे है? मैने बड़े अपनेपन से तबस्सुम की कमर मे हाथ डाल कर अपनी ओर खींचते हुए कहा… ब्रिगेडियर साहब, क्यों मेरे घर मे आग लगाने का प्रयत्न कर रहे है। अंजली के साथ निकाह के बाद मेरा किसी नीलोफर या अन्य किसी स्त्री से कोई संपर्क नहीं है। उन्हीं सबको वहीं छोड़ कर तो अब यहाँ आकर इनके साथ बस गया हूँ। डार्लिंग इनकी बात पर कोई तवज्जो मत देना। यह हमारा घर तुड़वाने की साजिश रच रहे है। एक साथ सभी खिलखिला कर हँस दिये थे। अंजली भी मेरी बात सुन कर झेंप गयी थी। …रिजवी साहब आप वापिस कब जा रहे है? …वह जल्दी से बोला… मै अभी दो दिन और यहाँ पर हूँ। …आप एक शाम मेरे यहाँ डिनर किजिये। …हाँ क्यों नहीं। …आप अपना नम्बर दिजिये। मै आपके पास अपनी गाड़ी भेज दूँगा। रिजवी ने जल्दी से अपना नम्बर देकर बोला… समीर भाई, अगर इस बार समय नहीं मिला तो अगली बार जरुर मिल कर जाऊँगा। अचानक शुजाल बेग ने कहा… भई नूर मोहम्मद अब मुझे चलना चाहिये। समीर साहब इजाजत दीजिये। अच्छा अंजली जी आपसे मिल कर बहुत खुशी हुई। नूर मोहम्मद ने जल्दी से कहा… समीर, मै इन्हें बाहर तक छोड़ने जा रहा हूँ आप लोग पार्टी का मजा लिजिये। वह दोनो हमे वहीं छोड़ कर चले गये थे।

रिजवी तबस्सुम से बात करने व्यस्त हो गया था। मैने अपनी घड़ी पर नजर मारी तो ग्यारह बज चुके थे। अब तक कैप्टेन यादव को फोन पर मुझे कोई न कोई खबर देनी चाहिये थी। …अंजली, चलो चल कर खाना खा लेना चाहिये। बहुत देर हो गयी है। अंजली मेरे साथ चल दी तो सिकन्दर रिजवी ने कहा… आप लोग शुरु किजिये मै अभी आता हूँ। मेरी नजर गेट पर लगी हुई थी। नूर मोहम्मद अभी तक वापिस नहीं लौटा था। आज के लिये उन दोनो को सोचने के लिये मैने काफी सारी पहेलियाँ छोड़ दी थी। मै और अंजली खाना खाने बैठ गये थे। …यह शुजाल बेग कौन है? …वह तुम से क्या बात कर रहा था? कुछ खास नहीं। तुमने नहीं बताया कि यह आखिर कौन है? मैने टालते हुए कहा… मै भी तो उसे आज ही मिला हूँ। बस इतना जानता हूँ कि वह पाकिस्तानी फौज मे ब्रिगेडियर है और आजकल पाकिस्तान के दूतावास मे काम करता है। …वह नीलोफर बाजी को कैसे जानता है? …वह नीलोफर को ही नहीं तुम्हारे अब्बा को भी बहुत अच्छे से जानता है। फारुख का जिक्र आते ही उसके चेहरे पर तनाव की लकीरें खिंच गयी थी। मैने धीरे से उसका हाथ पकड़ कर कहा… आराम से खाना खाओ। दोजख मे हमारा हनीमून सूट बुक है तो फिर इतनी चिन्ता क्यों कर रही हो। मेरी बात सुन कर वह मुस्कुरा कर बोली… उस हनीमून सूट मे फूलों की सेज नहीं गर्म तपती हुई रेत मिलेगी। …अगर तुम मेरे साथ होगी तो वह मेरे लिये फूलों की सेज है। …मेरे बिना दोजख मे आपको कोई घुसने नहीं देगा क्योंकि वहाँ सिर्फ मोमिन ही जा सकते है, काफ़िर नहीं। तबस्सुम से बात करते हुए मेरा ध्यान कैप्टेन की ओर लगा हुआ था। खाना खाते हुए मैने दो बार अपना फोन निकाल कर चेक कर लिया था। हम खाना समाप्त करके वहाँ से विदा लेने की नीयत से शबाना की ओर चले गये थे।

…शबाना जी, इजाजत दिजिये। नूर मोहम्मद साहब नहीं दिख रहे है। काफी देर हो गयी है। अब हमे चलना चाहिये। तभी गेट से नूर मोहम्मद आता हुआ शबाना को दिखाई दिया तो वह जल्दी से बोली… लिजिये वह भी आ गये है। मैने मुड़ कर देखा तो नूर मोहम्मद तेजी से चलते हुए हमारी ओर आ रहा था। हमे शबाना के साथ खड़ा हुआ देख कर बोला… समीर, मुझे माफ किजिये। कुछ काम ही ऐसा निकल आया था कि देर हो गयी। आपने खाना खाया कि नहीं। …जनाब, हम खाना खा चुके है। आपने बेहद लाजवाब पार्टी रखी है। दिल खुश हो गया। आप नहीं दिखे तो शबाना जी से इजाजत लेकर जा रहे थे। आज आपके कारण कुछ लोगो से मिलना हो गया। आपका बहुत शुक्रिया और आज का दिन आप दोनो के लिये नयी खुशियाँ लेकर आये। अच्छा शब्बा खैर। इतना बोल कर हम द्वार की ओर चल दिये थे।

गाड़ी मे बैठते ही मेरे फोन की घंटी बज उठी थी। मैने जल्दी से फोन कान पर लगा कर कहा… हैलो। …सर, उनके ट्रक और जीप के साथ पाँच फिदायीन को त्रिशूली नदी मे जलमग्न कर दिया है। सारा सामान अपने ट्रक मे रखवा कर अब हम काठमांडू की ओर निकल रहे है। सुबह से पहले हम वहाँ पहुँच जाएँगें। …काठमांडू के नाके से कुछ दूर पहले पहुँच कर मुझे सुचित करना जिससे मै वहाँ गोदाम से उस नाके पर नजर रखूँगा। अगर कोई गड़बड़ी होगी तो मै वहाँ पहुँच जाऊँगा। …जी सर। इतनी बात करके उसने फोन काट दिया था। मैने गाड़ी आगे बढ़ा दी थी। एक ट्रक का नुकसान नूर मोहम्मद को हो गया था। अब यह खबर सुन कर नूर मोहम्मद की क्या प्रतिक्रिया होगी इसको भी जानना मेरे लिये बहुत जरुरी था। इस बार वह शुजाल बेग का कैसे सामना करेगा? अब तक मुझे समझ मे आ गया था कि बेग की देखरेख मे यहाँ पर सब कुछ चल रहा है।

हम देर रात को अपने घर पहुँच गये थे। रास्ते मे तबस्सुम ने नूर मोहम्मद के परिवार के बारे मे बताया था। शबाना उसकी दूसरी बीवी थी। मै चुपचाप उसकी बात सुन रहा था। गाड़ी पार्किंग मे लगा कर हम अपने बेडरुम मे चले गये थे। आरफा सोने जा चुकी थी। जल्दी से अपने कपड़े उतार कर मै बिस्तर मे घुस गया था। वह अपनी शोख अदाकारी दिखाते हुए धीरे-धीरे कपड़े अपने जिस्म से अलग करते हुए बोली… मै उस पार्टी मे कैसी लग रही थी। …दूसरो का तो पता नहीं लेकिन तुम मुझ पर बिजलियाँ गिरा रही थी। वह हंसते हुए बोली… बेग साहब भी यही बोल रहे थे। उसने तो न जाने किस ख्याल से कहा था परन्तु मैने कहा… बानो, आज तक मेरे मन मे किसी के प्रति ईर्ष्या जैसी भावना नहीं आयी थी लेकिन आज तुम्हें बेग के साथ हँस-हँस का बाते करते हुए देख कर मैने उस भावना को महसूस किया था। अचानक वह कपड़े उतारते हुए रुक गयी और मेरी ओर देखने लगी… सच बोलिये क्या आपको ऐसा महसूस हुआ था? …क्यों तुम हो ही इतनी खूबसूरत कि सभी की नजरें तुम पर टिकी हुई थी। वह हँसते हुए बोली… मै अभी तक आपको पत्थरदिल समझती थी लेकिन आपकी बात सुन कर मुझे खुशी हुई कि आपने मुझे गलत सबित कर दिया। मैने चकराते हुए कहा… क्या मतलब? …मै सोचती थी कि आपके लिये हमारी कोई अहमियत नहीं है और किसी काम के लिये आपने हमे अपने साथ रखा हुआ है। …तुम्हें तो कम से कम ऐसा नहीं सोचना चाहिये। तुम्हें मैने किस काम के लिये अपने साथ रखा हुआ है? वह मुस्कुरा कर बोली… पहले तो अब्बू पर दबाव डालने के लिये और अब… इतना बोल कर वह चुप हो गयी थी। मै समझ गया कि वह क्या कहना चाहती थी। पता नहीं उसकी बात से मेरे दिल के किसी कोने मे कहीं चोट लग गयी थी। …बानो, आज से मेरी ओर से तुम पूरी तरह से आजाद हो। बस जिस समय मेरी जरुरत महसूस हो तो बुला लेना। मैने तुम्हें कम से कम इस काम के लिये तो अपने साथ नहीं रखा है। यह बोल कर मै करवट लेकर सोने की कोशिश मे लग गया था।

वह कुछ देर बाद मेरे साथ लेटते हुए बोली… मेरी बात का बुरा मान गये। …नहीं तुमने मुझे सिर्फ आईना दिखाया है। मुझे पकड़ कर उसने जबरदस्ती अपनी ओर खींचा तो मै उठ कर बैठ गया और उस से नजरे मिला कर कहा… जो कुछ बोलना चाहती बोलो मै सुन रहा हूँ। …यही कि जैसा मै आपके बारे मे सोचती थी वह सब गलत था। आप नाराज है तो इसका मतलब आप के दिल पर कहीं मेरी बात से चोट लगी है तो कम से कम आपके पास दिल तो है जो किसी के लिये धड़कता है। आपको जलन हुई तभी तो मुझे पता चला कि आपके दिल मे मेरे लिये मोहब्बत है। यह भावनायें आरफा या किसी और के लिये कभी नहीं महसूस कर सकते। पहले मै सोचती थी कि आप मेरा मन बहलाने के लिये ऐसा बोलते है लेकिन अब मुझे यकीन हो गया है कि अगर मुझे दोजख जाना पड़ गया तो आप मेरे साथ मे होंगें। क्या मै गलत हूँ बताईये। मै आप जैसी समझदार और पढ़ी लिखी नहीं हूँ परन्तु मै जानती हूँ जलन और नाराजगी जैसी भावना कभी बनावटी नहीं हो सकते। जिसे आप अपना समझते है उसी के प्रति इसका एहसास होता है। मै उसकी बात सुन कर सोच रहा था कि क्या कोई बारहवीं पास लड़की के पास इतनी बारीक नजर हो सकती है। जब से यहाँ आया था तभी से उसमे परिवर्तन होता हुआ देख रहा था। पहले मैने सोचा था कि यह सब शिखा का असर था परन्तु अब मुझे अपने उपर ही शक होने लगा था। मै अन्दर से इतना धूर्त बन चुका था कि अब उसके सादगी भरे जवाब को भी शक की नजर से देख रहा था। वह मुझे एकटक देख रही थी।

…क्या सोच रहे है? …तुम्हारे बारे मे सोच रहा हूँ। …मेरे बारे ऐसा क्या सोच रहे है? …यही कि एक कमजोर पल मे मैने अपने दिल की बात तुम्हारे सामने बता कर अपनी कमजोरी उजागर कर दी है। जब तुम किसी से मोहब्बत करते हो तो वह तुम्हारी कमजोरी बन जाती है। …अगर मै आपकी कमजोरी बन गयी हूँ तो क्या मेरी कमजोरी आप नहीं है। आपकी सोच गलत है। पता नहीं आप लोगों को फौज मे क्या सिखाया गया है। मोहब्बत कमजोरी नहीं ताकत बन जाती है। वह मुझे लगातर गलत सबित करती जा रही थी। अपना पीछा छुड़ाने की नीयत से मैने जल्दी से कहा… तुम जीती और मै हारा। सो जाओ मुझे किसी भी समय गोदाम जाना पड़ सकता है। वह मेरे साथ लेटते हुए बोली… मोहब्बत मे न किसी की जीत होती है और न किसी हार। अब फिर वहीं से शुरु करें जहाँ से छोड़ा था। अबकी बार वह कुछ और बोलती उससे पहले मैने उसके होंठों पर अपने होंठों की मौहर लगा कर उसका मुँह बन्द कर दिया था।

…सुनिये आपका फोन बज रहा है। मै हड़बड़ा कर बैठ गया था। अपनी कलाई पर बंधी घड़ी पर नजर डाली तो तीन बज रहे थे। मुश्किल से मुझे सोये हुए बीस मिनट ही हुए थे। मैने जल्दी से फोन उठा कर कान से लगा कर कहा… हैलो। …सर, चन्द्रगिरी से आगे निकल चुके है। अगले बीस मिनट मे हम नाके पर पहुँच जाएँगें। …मै गोदाम पर पहुँच रहा हूँ। मैने जल्दी से फोन काटा और अपने कपड़े पहन कर निकल गया था। अपनी गाड़ी गोदाम के बाहर खड़ी करके गार्ड ड्युटी पर तैनात सैनिक को इशारे से नीचे बुला कर कहा… सामने नाके पर नजर रखो। जैसे ही अपना ट्रक नाके पर आये तो मुझे खबर करना। कुछ ट्रक लाइन मे पहले से ही लगे हुए थे। पाँच मिनट के बाद उसने ट्रक पहुँचने का इशारा कर दिया था। मै चुपचाप वहीं अपनी गाड़ी के पास खड़ा रहा था। हमेशा की तरह तीन लोग थे। एक जो बेरियर उठाता और गिराता था। दूसरा पैसे वसूल करके पर्ची देता था और तीसरा कमरे मे बैठ कर हर आने वाले ट्रक का नम्बर नोट करता था। धीरे-धीरे सात ट्रक निकलने के बाद हमारा ट्रक बैरियर के सामने आकर खड़ा हो गया था। बैरियर वाले ने बैरियर गिराया नहीं और ट्रक को निकलने का इशारा कर दिया था। हमारा ट्रक गति पकड़ कर गोदाम की ओर चल दिया था।

मैने ड्युटी पर तैनात सैनिक को इशारा किया और उसने शटर उठाना आरंभ कर दिया था। जब तक ट्रक गोदाम के सामने पहुँचा तब तक शटर पूरा खुल चुका था। ड्राईवर ने तेजी से ट्रक को मोड़ा और गति धीमी करते हुए शटर पार करके गोदाम के अन्दर दाखिल हो गया था। उसने तुरन्त शटर गिराना आरंभ कर दिया था। ड्राईवर ने ट्रक को उसी जगह ले जाकर खड़ा कर दिया जहाँ वह पहले खड़ा हुआ था। ट्रक के रुकते ही कैप्टेन यादव तुरन्त ट्रक से कूद कर मेरी ओर आकर बोला… सर, उस ट्रक मे एक ड्रम और दो ट्रंक मिले थे। तीनो को हम अपने साथ ले आये है। कैप्टेन यादव ने कंटेनर ट्रक का दरवाजा खोला तो दस सैनिक धड़ाधड़ जमीन पर कूद गये थे। मै ट्रक पर चढ़ गया और एक नजर ट्रंक और ड्रम पर डाल कर कहा… ड्रम का ढक्कन हटाओ और ट्रंक के ताले तोड़ डालो। अगले कुछ मिनट मे ड्रम का ढक्कन हटा दिया गया था।

उस ड्रम मे काफी मात्रा मे प्लास्टिक एक्स्प्लोसिव्स रखा हुआ था। आरडीएक्स और सेम्टेक्स की इतनी भारी मात्रा देख कर साफ था कि वह किसी बड़े भारी विस्फोट की तैयारी मे लगे हुए थे। ऐसा ही एक ड्रम मैने श्रीनगर की जामिया मस्जिद मे देखा था। अब कुछ-कुछ मुझे समझ मे आने लगा था। पहले उनके निशाने पर 15वी कोर का हेडक्वार्टर्स था और अब उनके निशाने पर क्या था। मैने लोहे के ट्रंक की ओर इशारा किया तो यादव ने हथौड़े के एक वार से ही उस पर पड़ा हुआ ताला तोड़ दिया था। ट्रंक भारतीय करेंसी की गड्डियों से ठसाठस भरा हुआ था। मैने एक गड्डी उठा कर उसमे से एक नोट निकाल कर रौशनी मे देखा तो पता ही नहीं चल पा रहा था कि नकली है या असली नोट है। मैने उस नोट को अपनी जेब के हवाले करके दूसरा ट्रंक खोलने का इशारा किया। एक बार फिर यादव का हथौड़ा चला और कुन्दा समेत ताला अलग हो गया था। इस ट्रंक मे आठ एक-47, उनकी दर्जन से ज्यादा राउन्ड मैग्जीन, डिटोनेटर्स, 12 ब्लैक स्टार चीनी पिस्तौल और तीस राउन्ड पड़े हुए थे। एक ही सवाल मेरे दिमाग मे घूम रहा था कि यह लोग बांग्लादेश मे इस जखीरे के साथ क्या करने की सोच रहे थे।

…कैप्टेन यादव, इस सामान को कहाँ रख सकते है? हथियारों तो अपने स्टोर मे रख सकते है। सारी परेशानी इस ड्रम की है। …सर अभी तो फिलहाल इसे सील करके ट्रक मे पड़ा रहने देते है। एक दो दिन बाद रात मे निकल कर इसे भागमती नदी मे बहा देंगें। तभी एक्स्प्लोसिव्स एक्पर्ट लांस नायक जमीर ने कहा… सर, हम इसे पानी मे बहाने के बजाय अगर गोदाम मे एक ड्रम के बराबर गड्डा कर के उसमे पूरे ड्रम को रख दे तो समय पड़ने पर इसको काम मे लिया जा सकता है। जब तक यह ड्रम मे है तब तक हमे कोई खतरा नहीं है। दो अलग राय मिलने के बाद अब मेरे उपर बात आकर अटक गयी थी। कुछ सोच कर मैने कहा… ठीक है। फिलहाल इसे ट्रक मे रहने दिजिये। जमीर इस गोदाम मे सबसे सुरक्षित जगह कौन सी होगी जहाँ गड्डा खोदा जा सकता है? चट्टानी इलाका होने के कारण हर जगह तो इतना गहरा गड्डा करना मुश्किल होगा तो पहले तय कर लो कि कहाँ वह गड्डा किया जा सकता है। इस नोटों से भरे लोहे के ट्रंक को ड्रम से साथ रख ट्रक मे रहने दो। पहले इन नोटों की असलियत पता करनी जरुरी है। इतनी बात करके हम ट्रक से नीचे उतर कर संचार केन्द्र की ओर चले गये थे।

…कुशाल सिंह, जनरल रंधावा से कनेक्ट करो। …सर, अभी सुबह के पाँच बज रहे है। …हम जाग रहे है तो जनरल साहब कैसे सो सकते है। तुम कनेक्ट करो। कुशाल सिंह अपने काम मे लग गया था। दो मिनट मे ही जनरल रंधावा का चेहरा स्क्रीन पर आ गया था। …गुड मार्निंग सर। कल दुश्मन का एक कनसाइनमेन्ट हमारे हाथ लगा है। इतना बोल कर मैने सारा विवरण देकर कहा… मै आपको नूर मोहम्मद का फोन नम्बर दे रहा हूँ। थोड़ी देर मे यह नम्बर काफी एक्टिव हो जाएगा। इसी नम्बर से ब्रिगेडियर शुजाल बेग का नम्बर हमे मिल सकेगा इसलिये इसकी रिकार्डिंग और ट्रेकिंग करना जरुरी है। जनरल रंधावा मेरी बात नोट कर रहे थे। …मेजर, यह नेपाल का नम्बर है। इस काम मे थोड़ा समय लग जाएगा। …सर, जल्दी से जल्दी यह काम हो जाएगा तो उतनी ही जल्दी इस जखीरे का उद्देश्य भी पता चल जाएगा।

…मेजर, उस नोट को दोनो साइड से स्केन करके स्क्रीन पर दिखाओ। मैने जेब से नोट निकाल कर कुशाल सिंह को दे दिया और उसने उस नोट को दोनो तरफ से स्कैन करके स्क्रीन पर डाल दिया था। कुछ देर जनरल रंधावा ने उस नोट को ध्यान से देखा और फिर बोले… बड़ा मुश्किल है इसकी पहचान करना। कुछ देर मे इसकी असलियत बताता हूँ। सर, मुझे कुछ स्थानों की सेटेलाइट की तस्वीरें चाहिये। शुक्रवार को शाही मस्जिद की 12-2 बजे तक की तस्वीरें चाहिये। उसी के साथ सानेपा मे हिमगिरी नाइट क्लब, ललितपुर मे बिलावल ट्रांस्पोर्ट का गोदाम और बालाजु मे एजाज कन्स्ट्रक्शन्स शेडयार्ड। यह तीनो आईएसआई के आप्रेशनल हाटस्पाट्स है। जैसे ही कंपनी का कारोबार आरंभ होगा हम एक-एक करके इन चारों पर इन्हीं के सेम्टेक्स का इस्तेमाल करना आरंभ कर देंगें। …मेजर, वह लोग कब तक वापिस लौट रहे है? …सर, आज शाम तक उनका यहाँ का काम समाप्त हो जाएगा। कल वह वापिस चले जाएँगें। लेकिन सर, अगर एक आदमी उनमे से यहाँ रुक जायेगा तो हमारी मदद हो जाएगी। …मेजर, वह लोग डीआरडीओ से उधार लिये है। उनकी जगह मै एक सेना के एक अधिकारी को भेज दूंगा जो यहाँ कमांड सेन्टर के रखरखाव युनिट मे काम करता है। …जी सर। …मेजर, एक बात ध्यान रखना कि कुछ भी एक्शन लेने से पहले अजीत से बात कर लेना क्योंकि चीन की ओर से नेपाल सरकार मे कुछ उलट-फेर होने के आसार नजर आ रहे है। …सर, जैसे ही आफिस का सिस्टम चालू होगा मै अजीत सर से वैसे भी बात करना चाहता हूँ। कुछ नाम मैने उन्हें दिये थे उनमे से सिकन्दर रिजवी आजकल यहाँ पर है। वह मेरे सामने शुजाल बेग से मिला था। उसके बारे मे अजीत सर से राय लेना चाहता हूँ। …मेजर, वीके ने तुम्हारे लिये एक फाईल डाली है। उसका नाम सिक्युरिटी मेनुअल है। उसे सिर्फ तुम ही अपने स्टाफ नम्बर के द्वारा खोल सकते हो। उसे जल्दी से जल्दी देख कर खत्म करो जिससे उस फाइल को वहाँ से हटा दिया जाये। एक और बात है कि वीके को कंपनी ने पैसे मिलने की स्वीकृति दे दी है। पेपर्स मिलते ही वह सामान भेजना आरंभ कर देंगें। कुछ और बात है तो कहो वर्ना शाम को एक बार फिर बात होगी तब तक वह फोन नम्बर को ट्रेस करने का इंतजाम करता हूँ। …थैंक्स। अगले ही पल जनरल रंधावा स्क्रीन पर से गायब हो गये थे।

मैने उठ कर खड़ा हुआ तो वहाँ पर कुछ सैनिक विस्मय से सब कुछ देख रहे थे। हेडफोन के कारण वह बातचीत तो नहीं सुन पाये थे परन्तु जनरल रंधावा को स्क्रीन पर देख कर आश्चर्यचकित जरुर दिख रहे थे। मुझे अय्यर की बात तुरन्त याद आ गयी थी। मैने कैप्टेन यादव से कहा… इस जगह को सुरक्षा की दृष्टि से अब तैयार करवाना है। पता लगाओ कि इस हाल का विभाजित करके इस सिस्टम को एक साउन्ड प्रूफ कमरे मे तैयार कैसे किया जा सकता है। …जी सर। इतनी बात करके मै उस हाल से बाहर निकल आया था। हम चलते हुए गोदाम के शटर की ओर जा रहे थे कि कैप्टेन यादव ने कहा… सर, अब किसी को दिखाने के लिये यहाँ लाना ठीक नहीं होगा। मेरे ख्याल से अगर कुछ कारीगर बुलवा कर हम पहले एक दीवार खड़ी कर दे तो फिर इलेक्ट्रानिक सिक्युरिटी लाक सिस्टम लगवाना और भी आसान हो जाएगा। हमने कौनसा यहाँ आलीशान आफिस बनाना है। दो दिन मे दीवार और प्लास्टर हो जाएगा। बनी बनायी चौखट आती है तो सब काम दो दिन मे हो जाएगा। दो दिन की छुट्टी है तो हम इन दो दिनो मे विभाजन का काम समाप्त कर लेंगें। जब काम चल रहा होगा तो इस सारे सामान को धूल मिट्टी से बचाने के लिये ढक देंगें। …ठीक है। तो आज ही काम शुरु करवा दो। यह बोल कर मै अपने घर की ओर चला आया था।

अगले दिन वह तीनों वापिस दिल्ली चले गये थे। मेरे आफिस मे आठ वर्क स्टेशन लग गये थे। छत पर छतरी लगते ही हाल का सिस्टम भी सुचारु रुप से आरंभ हो गया था। उसके लिये बस मुझे एनटीसी का ब्राडबेन्ड कनेक्शन लेना पड़ा था। दो दिन कैसे गुजर गये पता ही नहीं चला था। गोदाम मे भी दीवार खड़ी हो गयी थी। अब वह सिस्टम एक कमरे मे बन्द हो गया था। कैप्टेन यादव के लोगों के पास भी फिलहाल कोई काम नहीं था तो सभी ने मिल कर इस काम को दो दिनों मे समाप्त कर दिया था। आधुनिक इलेक्ट्रानिक लाक लगा हुआ लकड़ी का दरवाजा खरीद कर फिट करके संचार केन्द्र को पूरी तरह सिक्युर कर दिया था। अब हर कोई उस कमरे मे नहीं जा सकता था। उस कमरे मे जाने का अधिकार सिर्फ चार लोगों के पास था। कुशाल सिंह और दूसरा वायरलैस आप्रेटर विजय कुमार तो शिफ्ट मे संचार केन्द्र पर तैनात रहते थे। उनके अलावा कैप्टेन यादव और मै अन्दर जा सकते थे। इतवार की रात तक हाल मे सब कुछ तैयार हो गया था। एक बड़ी मेज और दस बारह कुर्सियाँ भी दूसरे हिस्से मे रख कर उसे मीटिंग रुम की तरह बना दिया था।

अगले दिन सुबह जनरल रंधावा ने फोन पर बताया… मेजर, नूर मोहम्मद का फोन एक्टिव हो गया है। आज सुबह ही उसे सीतामड़ी से किसी ने फोन किया था कि उसका ट्रक अभी तक सीमा पर नहीं पहुँचा है। तभी से उसका फोन बज रहा है। आईबी के लोग सीतामढ़ी के उस फोन को ट्रेस करने मे लगे हुए है। तुम रिकार्डिंग सुन कर बताओ कि शुजाल बेग कौन है। सबके नम्बर हम दर्ज करते जा रहे है। …सर, वह अभी शुजाल बेग को खबर नहीं करेगा। फिलहाल वह अपने आदमियों से उस ट्रक को ढूंढने के लिये निर्देश दे रहा होगा। जब उस ट्रक का कोई सुराग नहीं मिलेगा तब वह शुजाल बेग को बताने के लिये फोन करेगा। इतनी बात करके मैने फोन काट दिया था। अब आईएसआई के साथ जंग का बिगुल बज गया था। उस ट्रक को ढूंढने के लिये नूर मोहम्मद ने अपनी पूरी फौज लगा दी होगी। यह सोच कर जल्दी से तैयार हुआ और अपने हाल मे बैठ कर नूर मोहम्मद की बातें सुनने बैठ गया था। सज्जाद हुसैन और मूसा के लोगों को भी नूर मोहम्मद ने इस काम पर लगा दिया था। सुबह से शाम हो गयी थी लेकिन उसने शुजाल बेग को खबर नहीं की थी।

मै रात को कान पर हेडफोन लगाये बैठा हुआ था। नूर मोहम्मद के फोन की घंटी बजते ही मै सावधान हो गया था। …हैलो। एक खरखराती हुई आवाज गूंजी… बेग बोल रहा हूँ।  उसी वक्त मै समझ गया कि मेरे हाथ जैकपाट लग गया है। मैने तुरन्त मेसेज फ्लैश किया… यह शुजाल बेग का फोन है। नम्बर ट्रेस करो। बस अब यहाँ से आईएसआई की कमर तोड़ने का मुझे साधन मिल गया था।

 

रविवार, 16 जुलाई 2023

  

गहरी चाल-17

 

हर कदम बढ़ाते हुए मुझे बड़ा भारी लग रहा था। सिड़ियों पर तीन आदमी खड़े हुए थे। मुझे देखते ही वह एक साइड मे हो गये थे। मैने उनकी ओर एक बनावटी मुस्कुराहट दिखाते हुए पूछा… अनवर की अब कैसी हालत है? वह कुछ नहीं बोले तो मै सिड़ियाँ चढ़ते हुए अपने फ्लैट के दरवाजे पर पहुँच गया था। वहाँ पर दो आदमी खड़े हुए थे। मुझे देखते ही उन्होंने दरवाजा खोल दिया और एक बार अपने खुदा को याद करके मै अन्दर चला गया। सोफे पर नूर मोहम्मद बैठा हुआ तबस्सुम को कोई अपनी कहानी सुना रहा था। मुझे देखते ही उठ कर कर खड़ा होकर कुछ बोलता मैने एक बनावटी मुस्कुराहट दिखाते हुए जल्दी से कहा… सलाम वालेकुम नूर मोहम्मद साहब। आप मेरे गरीबखाने पर क्या कर रहे है? वह तुरन्त शिकायती स्वर मे बोला… समीर आप यहाँ पर मेरे आफिस के इतने पास रह रहे है और आपने बताया नहीं। जब इसका मुझे पता चला तो मै खुद ही आपसे मिलने के लिये आ गया था। …अंजली, यह बिलावल ट्रांस्पोर्ट के मालिक नूर मोहम्मद है। यह मेरी शरीक-ए-हयात अंजली कौल है। वह हंसते हुए बोला… आपने तो नहीं मिलाया लेकिन अंजली बेटी से आज खुद मिलने के लिये चला आया था। अबकी बार मैने बड़ी संजीदगी के साथ कहा… सच पूछिये तो मुझे आपका यहाँ आना अच्छा नहीं लगा है। आप अपने परिवार के साथ मेरे घर पर आते तो मुझे खुशी होती और मै आपका दिल से स्वागत करता। आपने यहाँ मेरे घर पर अपने बल्ड हाउन्ड्स को लाकर मुझे बेइज्जत किया है इसलिये आइंदा से कृपया करके मेरे घर और मेरे परिवार से दूर रहिएगा। मेरी बात सुन कर एकाएक उसके चेहरे पर तनाव आ गया था। अंजली चौंक कर मेरी ओर देखने लगी थी। अचानक वह उठा और बिना कुछ बोले बाहर जाने लगा तो मैने आवाज लगा कर कहा… नूर मोहम्मद ठहरिये। मैने जल्दी से अन्दर गया और एक थैला लेकर उसके पास आकर बोला… यह सामान तुम्हारे आदमियों की जेब से बरामद किया था। यह ले जाओ जिससे हमे दुबारा मिलने की जरुरत नहीं पड़े। मै तुम्हारा इशारा समझ गया हूँ कि मेरी अनुपस्थिति मे यहाँ कुछ भी हो सकता है। इसके लिये शुक्रिया और कल तुम्हें यहाँ पर काफी बदलाव देखने को मिल जाएगा। अगली बार अगर तुम्हारी ओर से कोई यहाँ गलती से भी आ गया तो उसका हश्र अनवर से भी बुरा होगा। अब आप जा सकते है। वह मुझे कुछ क्षण घूरता रहा और फिर अंजली की ओर मुड़ कर बोला… बिटिया तुम हमारी बात को दिल पर मत लेना और अपने खाविन्द को लेकर जरुर आना। वह मुझसे बिना बोले बाहर निकल गया था।

तबस्सुम ने शिकायती स्वर मे कहा… आपको उसको बेइज्जत करने की क्या जरुरत थी। वह तो अपने घर पर आने का निमन्त्रण देने आया था। …अंजली, वह मुझे चेतावनी देने आया था कि तुम्हारा परिवार यहाँ पर असुरक्षित है। उसकी चिकनी चुपड़ी बातों मे आने की जरुरत नहीं है। दो दिन पहले गोदाम पर हमारे बीच मुठभेड़ हो चुकी है। इसके पाँच आदमी को हमने पकड़ लिया था। वह मेरा चेहरा हैरानी से देख रही थी। …यह नूर मोहम्मद कौन है? …उसकी बात करना छोड़ कर खाने का इंतजाम करो। यह बोल कर मै अपने कमरे मे चला गया था। अपने बैग से एक छोटा सा बाक्स निकाल कर सोफे के सामने पड़ी हुई मेज पर रख दिया और उसका तार बिजली के सोकेट मे लगा कर आन करके बोला… क्या नूर मोहम्मद शुरु से वहीं बैठा हुआ था जहाँ मैने उसे देखा था? तबस्सुम ने आरफा की ओर देख कर कहा… शायद। …दोनो सोच कर बोलो कि क्या हुआ था? आरफा ने कहा… शायद वह पहले इस तरफ बैठा था लेकिन जब चाय आयी तो वह उठ कर इस तरफ बैठ गया था। मैने उस बाक्स को पहले उसी सोफे पर रख दिया और फिर ध्यान से सोफे का निरीक्षण करना आरंभ कर दिया था। एक पिन मुझे सोफे के पीछे रेक्सीन मे घुसी हुई दिखी तो मैने बड़ी सावधानी से उसे निकाल कर देखने लगा। वह दिखने मे आलपिन जैसी लग रही थी परन्तु उसका सिर थोड़ा आम आलपिनों से बड़ा लग रहा था। मैने एक बार फिर से दोनो सोफे के निरीक्षण मे लग गया था। अब मुझे पता था कि मुझे क्या देखना था। थोड़ी देर मे मैने ऐसी तीन पिन और अलग-अलग जगह से निकाल ली थी। वह चार अतिआधुनिक माईक्रोफोन मेरे घर मे लगा कर चला गया था।

आरफा और तबस्सुम दोनो चुपचाप दरवाजे के पास खड़ी हुई मुझे देख रही थी। मै सोफे पर आराम से बैठते हुए कहा… उसे हमारी बातें सुनने का शौक यहाँ खींच लाया था। अचानक आरफा बोली… उसके साथ आये हुए लोगो मे दो आदमी वही थे जिन्हें मैने बांग्लादेश मे देखा था। …कौन थे वह जो दरवाजे पर खड़े हुए थे या जो सिड़ियों पर खड़े हुए थे। …जो दरवाजे पर खड़े हुए थे। तबस्सुम मेरे साथ बैठते हुए बोली… यह आपके हाथ मे क्या है? …माईक्रोफोन है। वह हमारी बातें बड़े आराम से सुन सकता है। फिलहाल वह कुछ नहीं सुन पा रहा होगा क्योंकि वह डिब्बा जो मेज पर रखा है उसने यहाँ पर लगे हुए माईक्रोफोन को जैम करके निष्क्रिय कर दिया है। फिलहाल ऐसे ही रहने दो इसके बारे मे कुछ और सोचते है। यह बोल कर मै कपड़े बदलने के लिये अपने कमरे मे आ गया था। अपने कपड़े बदल कर जब बाहर निकला तब तक खाना मेज पर लग चुका था।

…आज तुमने सोफ्ट ड्रिंक्स नहीं मंगवायी? तबस्सुम ने मुझे घूर कर देखते हुए कहा… वह सिर्फ वलीमे के लिये थी। अब निकाह हो गया और दावत समाप्त हो गयी तो अब जो खाना बना है चुपचाप खा लिजिये। खाना खाते हुए मैने पूछा… किस खुशी मे निमन्त्रण देने आया था। …इस जुमे को उसकी शादी की सालगिरह है। …उसके कारण हमारी शबे वस्ल नहीं हो सकी और वह शादी की सालगिरह मना रहा है। तनावपूर्ण माहौल मे हमने अपना खाना समाप्त किया और फिर दोनो को अपने साथ बिठा कर जल्दी से अपनी योजना सुना कर बोला… तैयार हो। दोनो ने हामी भरते हुए अपना सिर हिला दिया था। मैने चारो पिन मेज पर रख दी थी। मै उठा और बाक्स का स्विच आफ करके बैठते हुए बोला… अंजली, तुम्हारे माईक्रोवेव को यहाँ से हटा दो। सोफे के इतने नजदीक माईक्रोवेव होने से देखो यह जगह कितनी गर्म हो गयी है। यह बोलते ही मैने एक पिन माईक्रोवेव मे रख कर उसे एक मिनट के लिये चला दिया था। तबस्सुम ने कहा… कल हटवा दूंगी। मुझे नींद आ रही है। आपको सोना नहीं है क्या? …तुम सो जाओ। मुझे अभी काम है। तबस्सुम अपने कमरे मे चली गयी थी। मै सोफे पर बैठ गया था।

…आरफा इधर आओ। आरफा मेरे पास आकर बैठ गयी थी। अब हमारी बातचीत शुरु हो गयी थी। …आह…आप यह क्या कर रहे है? …क्यों क्या पहली बार किया है। …अब आपका निकाह हो गया है। अंजली को हमारे रिश्ते का पता चल गया तो वह बुरा मानेगी। खुदा के लिये मुझे जाने दिजिये…आह…आप बड़े जालिम है। …मेरा इंतजार करना। उसे सुला कर आ रहा हूँ। आह…यह पिन यहाँ सोफे पर किसने गधे ने छोड़ दी। मैने मेज से एक और पिन उठा कर नष्ट करते हुए कहा…पुरानी शराब के नशे की बात ही कुछ और है। …जाईये भी। बातों मे आपसे कोई जीत नहीं सकता। मै उठा और मेज पर रखी हुई दोनो पिन उसी बाक्स मे रख दिये थे। बाक्स मे अब दोनो पिन एक्टिव होते हुए भी निष्क्रिय हो गयी थी। आरफा अपने कमरे मे जाते हुए धीरे से बोली… उसके साथ प्यार से पेश आईयेगा। मेरा कहा मानिये एक पिन आज अपने कमरे मे ले जाईये। मैने झेंपते हुए कहा… जाकर सो जाओ। आज कुछ नहीं होने वाला है। इतना बोल कर मै अपने कमरे मे चला गया था।

तबस्सुम मेरा इंतजार कर रही थी। …आपने ऐसा क्यों किया? रुम हीटर ने अब तक बेडरुम का तापमान नियंत्रित कर दिया था। बेड पर फैलते हुए मैने कहा… उसे आज रात मेरी बेवफाई मे उलझा रहने दो। वह उठ कर मेरे पास बैठते हुए बोली… मै कपड़े बदल कर आती हूँ। …किस लिये? लेकिन वह मुझे अनसुना करके कमरे से बाहर निकल गयी थी। मैने कुछ देर उसका इंतजार किया परन्तु जब वह नहीं आयी तो मै आँख मूंद कर सोने की कोशिश करने लगा। तभी मुझे लगा कि तबस्सुम मेरे पास आकर बैठ गयी है। मैने आँख खोल कर उसकी ओर देखा तो देखता रह गया था। वह छुईमुई सी दुल्हन के लिबास मे लम्बा सा घूँघट निकाल कर बैठी हुई थी। वह निगाहें नीची कर के अगले पल का इंतजार कर रही थी। मै उसके पास पहुँच कर उसके घूँघट को धीरे हटा कर अपनी उँगलियों से उसके चेहरे को उपर किया तो उसने शर्मा कर अपनी आँखे मूंद ली थी। उसको इस रुप मे देख कर मुझे हैरानी हो रही थी। पता नहीं कब से वह इस पल के लिये तैयारी कर रही थी। उसकी धड़कन बढ़ गयी थी और उसकी साँसे तेज चलने के कारण उसके होंठ थोड़े से खुल गये थे। मैने हौले से उसके अधखुले होंठों पर उंगली फिराते हुए कहा… बानो, अपनी आँखे खोलो। उसने गरदन हिला कर मना किया तो मैने गुड़िया सी सिमटी हुई अंजली को अपने आगोश में जकड़ लिया था।

उसके माथे पर पड़े हुए टीके को पहले मैने धीरे से उसके बालों से अलग करते हुए पूछा… यह सब कब और कहाँ से इंतजाम किया? यह पूछते हुए मैने झुक कर उसका माथा चूम लिया। टीके को एक किनारे मे रख कर मैने उसकी नाक में पड़ी हुई नथ को निकाल कर उसके कांपते हुए होंठों को चूम लिया। मेरे होंठों का स्पर्श के एहसास से वह तड़प उठी थी। एक क्षण के लिये मै हटा तो उसने झपट कर मेरा चेहरा दोनो हाथों मे लेकर चूमना शुरु कर दिया था। हम दोनो एक दूसरे के होंठों का रसपान करने मे जुट गये थे। इस आपाधापी मे उसकी साड़ी हट जाने से उसका ब्लाउज मेरी आँखों के सामने आ गया था। उसके सीने की गोलाईयाँ आधी से ज्यादा बाहर झांक रही थी। सीने की घाटी मे मंगलसूत्र का पेन्डेन्ट फँसा हुआ था। मेरा हाथ उस ब्लाउज के जोड़ को तलाशता हुआ पीछे की ओर चला गया और उसकी नग्न पीठ को सहलाते हुए जैसे ही मेरी उँगलियों ने पतले से तीन हुक के जोड़ को महसूस किया तो मैने झुक कर उसकी सुराहीदार गरदन पर अपने होंठ की मौहर लगाते हुए उसके ब्लाउज के हुक एक-एक करके खोल दिये। जैसे ही उसको ब्लाउज खुलने का आभास हुआ उसने अपने सीने पर से फिसलते हुए ब्लाउज को अपने हाथों से ढक दिया था। मैने ब्लाउज के एक सिरे को पकड़ कर धीरे से उसकी नानुकुर की परवाह किये बिना उसके जिस्म से अलग करके किनारे मे रख दिया।

उसके हाथ सीने से हटा कर मैने एक नजर डाली तो एकटक उनकी बनावट और सुन्दरता को देखता रह गया था। दूध सी सफेदी पर गुलाबीपन लिए उसके सुडौल और उन्नत वक्ष और उनके शिखर पर गहरे बादामी रंग के उत्तेजना से फूले हुए स्तनाग्र ब्लाउज की कैद से आजाद होते ही गुरुत्वाकर्षण के सारे नियम फेल कर रहे थे। उत्तेजना से सीने के रोएं खड़े हो गये थे। नन…नहीं मत किजिये… कहते हुए उसने अपने हाथों से अपने निर्वस्त्र सीने को ढकने की असफल कोशिश की तो मैने उसके दोनों हाथों को अपने हाथों मे जकड़ कर अलग कर दिया। वह मचली परन्तु तब तक मैने झपट कर एक स्तनाग्र को अपने मुख में दबा कर उसका रस सोखने में जुट गया था। पता नहीं लेकिन उसके हावभाव से मुझे ऐसा लगा कि वह पहली बार किसी के होंठों को अपने सीने पर महसूस कर रही थी। उसकी कश्मकश उसके विरोध और समर्पण मे साफ झलक रही थी। उसके स्तनाग्र को छूते ही वह तड़प उठी थी कि जैसे कोई तरंग उत्पन्न हुई और पुरे शरीर में फैल गयी थी। कभी वह मचल कर मेरा सिर पकड़ कर दबाव बनाती और कभी तड़प कर अलग होने की चेष्टा करती। इसी विरोधाभास मे फँसी हुई वह मेरे हर प्रहार से बैचेन होती जा रही थी। मै कभी उसके कान पर चूमता, तो कभी गालों और होंठों का रस सोखता, कभी मेरे निशाने पर उसके दो उन्नत कलश होते और कभी खड़े हुए सिर उठाये दो स्तनाग्र की शामत आ जाती और वह लगातार बड़बड़ाती… प्लीज न…हीं करो।  

हमारे जिस्म मे कामाग्नि प्रज्वलित हो गयी थी। अचानक मै उससे अलग हो गया। वह कुछ पल शान्त लेटी रही और फिर मेरी ओर प्रश्नवाचक नजरों से देखा तो मैने उसके सीने की ओर इशारा किया। उसके सीने पर जगह-जगह लाली उभर आयी थी। दोनों शिखर कलश बार-बार मेरे होंठों के वार से लाल हो गये थे। …बानो, प्लीज एक बार खड़ी हो जाओ। उसने करवट लेकर अपनी पीठ मेरी ओर कर दी थी। मै बिस्तर से उतर कर उसे अपनी बाँहों उठा कर जैसे ही जमीन पर जबरदस्ती खड़ा किया तो उसकी साड़ी खुल कर जमीन और बिस्तर पर बिखर गयी थी। इस बार अन्दर सुलगती हुई कामाग्नि बुझाने के लिए वह अनजानी राह पर चलने को तैयार हो गयी थी। उसके पेटीकोट की ओर इशारा करके मैने कहा… बानो बस यह आखिरी दीवार है इसे हम दोनों के बीच से हटना होगा। यह बोल कर मैने उसका सिरा पकड़ कर खींच दिया जिसके कारण उसका पेटीकोट कमर से सरक कर जमीन पर इकठ्ठा हो गया था। वह चीख कर अपने हाथ से कटिप्रदेश को ढक कर जमीन पर उकड़ू बैठ गयी थी। मैने एक बार फिर से उसे अपनी बाँहो मे उठा कर बिस्तर पर लिटा दिया और अपनी टी-शर्ट और बाक्सर उतार कर उसके सामने खड़ा हो गया। मेरी ओर से कोई हरकत नहीं होते हुए देख कर उसने तिरछी नजर से मेरी ओर देखा और शर्मा कर मुँह फेर कर लेट गयी थी।

मै उस रात की तरह उसके साथ लेट गया था। आज हमारे बीच कपड़ों की दीवार नहीं थी। मैने उसकी कमर पकड़ कर अपने नजदीक खींच लिया लेकिन जैसे ही मेरे जनानंग ने उसके पुष्ट नितंबों की दरार भेदने की कोशिश की तो उसने तुरन्त करवट लेकर अपने चेहरे को मेरे सीने मे छिपा लिया था। मस्ती मे झूमते हुए तन्नाये हुए भुजंग के स्पर्श से अपना बचाव करने मे वह लगातार असफल हो रही थी। मैने उसके चेहरे के उठा कर एक बार फिर से उसकी जिस्मानी आग भड़काने मे जुट गया था।  उसके थिरकते होठों को अपने होठों के कब्जे में लेकर उनका रस सोखनाआरंभ किया। दोनों अनावरित उन्नत पहाड़ियों सामने पा कर मेरे हाथ भी अपने कार्य मे लग गये थे। कभी चोटियों को उँगलियॉ से छेड़ता और कभी दो उँगलियों मे सिर उठाये स्तनाग्र को फँसा कर खींचता, कभी पहाड़ियों को अपनी हथेलियों मे छुपा लेता और कभी उन्हें हौले से मसक देता। तबस्सुम का चेहरा उत्तेजना से लाल होता चला जा रहा था। अब उसके मुख से लगातार आहें और सिस्कारियाँ फूट रही थी।

मेरा हाथ उसकी कमर से सरकता हुआ उसके नितंब पर पहुँच गया था। धीरे से सहलाते हुए मेरा हाथ उसकी जाँघ से सरकते हुए जैसे ही बालरहित कटिप्रदेश पर पहुँचा तो वह बिदक कर दूर होने के लिये सीधी हो गयी थी। बस उसी पल मैने उसके जिस्म को अपने जिस्म से ढक दिया था। अब वह हिलने योग्य नहीं रही थी। उसकी आँखों मे झाँकते हुए मैने मुस्कुरा कर कहा… आज पूरी तैयारी कर रखी है। बानो, यह सब तुम्हें किसने सिखाया? उसने छूटने के लिये कुछ देर अथक प्रयास किया परन्तु जिस आग मे वह जल रही थी उसे आभास हो गया था कि उसे बुझाने का रास्ता भी वहीं पर था। अनायस ही उसने अपने स्त्रीत्व को उस जीवन्त परन्तु कठोर अंग पर रगड़ना आरंभ कर दिया था। उसके मुख से लगातार आहें निकल रही थी। …उ.उ.उ..न…हई…क्या कर आह.हो....पर मुझे पता था कि अभी एकाकार का समय नहीं आया था। मेरी उँगलियाँ सरक उसके स्त्रीत्व के द्वार पर पहुँच कर जुड़ी हुई संतरे की फाँकों को धीरे से अलग किया और अकड़े हुए अंकुर पर पहली चोट करते ही वह भरभरा कर स्खलित हो गयी थी। स्खलन के प्रथम अनुभव के कारण उसकी आँखे फटी की फटी रह गयी थी। उसका जिस्मानी तनाव एकाएक समाप्त हो गया और उसने अपने आप को मेरे हवाले कर दिया था।

मै उस छोड़ कर नीचे सरक गया। गहरी सांसे लेते हुए वह टाँगे फैला कर लस्त हो कर पड़ गयी थी। उसकी बालरहित योनि मेरी आँखों के सामने थी। उसके स्त्रीत्व के द्वार ऐसे जुड़े हुए थे कि जैसे मानो चिपक गये थे। दो उँगलियों से मैने द्वार को खोल कर उस अंकुर को अनावरित किया और फिर झुक कर उस पर अपनी जुबान से वार करके अपने होंठों को उस पर टिका दिया था। मेरे होंठों का स्पर्श होते ही उसके जिस्म ने स्वत: ही मेरे मुख पर दबाव बनाया और मैने उस अंकुर को होंठों दबा कर जैसे ही उसका रस सोखने का प्रयास किया तो अबकी बार उसके मुख से गहरी किलकारी छूट गयी थी। उसने मेरा सिर पकड़ कर दबा दिया था। उसकी टांगे मेरी कमर के इर्दगिर्द लिपट गयी थी। वह अपना सिर कभी इधर पटकती और कभी उधर पटकती, कभी मेरा सिर हटाने का प्रयास करती और कभी मेरा सिर अपनी योनि पर दबा देती। मेरा हाथ उसके दोनो कलश को बारी बारी रौंदने मे व्यस्त हो गये थे। अब उसका जिस्म उसके नियन्त्रण मे नहीं रहा था। वह लगातार बह रही थी। वह एकाकार के लिये पूर्णतः तैयार हो चुकी थी।

मैने अपने उत्तेजना से तन्नायें हुए भुजंग को गरदन से पकड़ उसके स्त्रीतव के द्वार को खोल कर अंकुर को रगड़ते हुए बहते हुए कामरस से नहलाया और फिर योनिमुख पर टिका कर लक्ष्यभेदन के लिये तैयार हो गया था। वह आंख मूंद कर अपने जिस्म को मेरे हवाले करके किसी और ही दुनिया मे पहुँच गयी थी। मैने अपनी कमर पर दबाव डाला तो संकरी सी जगह होने के बावजूद गीले होने के कारण मेरे भुजंग का फूला हुआ सिर उसके छिद्र को खोल कर अपने लिये जगह बनाते हुए भीतर सरक कर फँस गया था। …उ.उई.माँ..…उफ.उ.उन्हई…आह.....उसके चेहरे पर पीड़ा की लकीरें खिंच गयी थी। पहली बाधा पार करके मै एक बार फिर से उसके उपर छा गया था। उसके सीने की पहाड़ियों पर हमला बोल दिया ताकि उसका जिस्म नये प्राणी का आदि हो जाए। उधर उत्तेजना और मीठे से दर्द में तड़पती हुई तबस्सुम के होंठों को मैने अपने होंठों से सीलबंद कर दिया था। बार-बार हल्की चोट मारते हुए मेरा भुजंग अब तक रौद्र रुप धारण कर चुका था। वह अपने लिये जगह बनाते हुए एक स्थान पर आकर रुक गया था। एक बार अदा के साथ मैने ऐसी स्थिति का सामना किया था। अपनी कमर पर दबाव बढ़ाते हुए मैने एक दो बार चोट मारी तो अचानक ऐसा प्रतीत हुआ जैसे कि आखिरी दीवार ढह गयी और गुस्से की आग में तपता हुआ भुजंग प्रेम रस से सरोबर उस गुफा के सारे संकरेपन और बाधाओं को खोलता हुआ आगे बढ़ता चला गया और जड़ तक जाकर गहराईयों मे धँस गया था। इस अप्रत्याशित वार से तबस्सुम हतप्रभ रह गयी थी। पीड़ा से उसकी आँखें खुली की खुली रह गयी थी और मुख से दबी हुई चीख निकल गयी।

थोड़ा रुक कर एक बार फिर से उसके सीने की पहाड़ियो और शिखरों का रस निचोड़ने मे लग गया था। एक समय आया जब उसके जिस्म ने आगे बढ़ने का इशारा किया तो मैने उसके नितंबो को दोनों हाथों के पंजो मे जकड़ कर एक लय के साथ प्रहार करना आरंभ कर दिया था। एक तरफ भुजंग का फूला हुआ सिर गहराईयों मे उतरने की नाकाम कोशिश मे लगा हुआ था और दूसरी ओर जब वापिस आता तो छिली हुई जगह पर रगड़ मार कर उसके पूरे जिस्म में आग लगाने कार्य कर रहा थाकुछ देर की अथक मेहनत से तबस्सुम का जिस्म इस प्रकार के दखल का धीरे-धीरे आदि हो गया था। अपनी गति कम करते हुए मैने पूछा… बानो अब दर्द तो नहीं हो रहा है? …आप बड़े जालिम हो। बहुत दर्द हो रहा है। मै रुक गया और फिर पीछे हटते हुए बोला… ठीक है तो मै फिर इसे बाहर निकाल देता हूँ। उसने जल्दी से अपनी टाँगे मेरी कमर के इर्द-गिर्द कस कर लपेट कर बोली…नही। प्लीज रुक जाईये। कुछ पल ऐसे ही पड़े रहने के बाद मैने प्रहारों की झड़ी लगा दी थी। अब वह भी मेरा भरपूर सहयोग कर रही थी। कमरे मे धीरे-धीरे उसकी सिस्कारियाँ के साथ एक चक्रवाती तूफान ने गति पकड़ ली थी। वह लगातार बह रही थी। मेरे जिस्म मे लावा खौलना आरंभ हो गया था। ज्वालामुखी फटने से पहले मैने पूरी शक्ति से आखिरी वार किया तो भुजंग नयी गहराईयों मे उतरता चला गया था। इस करारे वार की मीठी सी पीड़ा और रगड़ की जलन ने आग मे घी का काम किया और तबस्सुम का जिस्म धनुषाकार बनाते हुए बेड की सतह से क्षण भर के लिये उपर उठ गया था। उसके जिस्म ने झटका खाया और फिर कांपते हुए झरझरा कर बहना आरंभ कर दिया था। उत्तेजना की हर लहर से उसका जिस्म कांप उठता था। इसका असर मैने अपने अकड़ते हुए भुजंग पर महसूस किया था। उसकी गुफा की दीवारे एकाएक जीवन्त हो गयी और भुजंग को जकड़ कर दोहना शुरु कर दिया। तबस्सुम की आँखों के सामने तारे नाँचने लगे थे। इस दोहन के एहसास मात्र से मेरे सारे बाँध छिन्न-भिन्न हो गये थे और भुजंग ने बेरोकटोक लावा उगलना आरंभ कर दिया था। मै उस कोमलांगी पर शिथिल हो कर पड़ गया था। वह मुझे अपने आगोश मे लिये कुछ देर तक लेटी रही। तूफान गुजर जाने के बाद मै धीरे से उससे अलग हुआ और बैठ कर अपनी तेज चलती हुई साँसों को नियंत्रित करने मे जुट गया था।

वह कराहती हुई उठ कर मेरे साथ बैठ गयी और मेरी ओर देख कर बोली… आप मुझे बानो मत कहा किजिये। यह मुझे मेरी पिछली जिंदगी मे ले जाता है। क्या आपको मुझे अंजली कहने मे कोई परेशानी है? उसे अपने नजदीक खींच कर उसकी आँखों मे देखते हुए मैने कहा… अंजली मेरी बेटी की माँ का नाम है। यह नाम तुम्हे देकर मैने अपनी खोयी हुई मोहब्बत को पाने की कोशिश की है। कश्मीर मे बानो किसी भी सुन्दर छोटी सी लड़की को प्यार से बुलाने के लिये इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा इसका को कोई और अर्थ नही है। मेरी बात सुन कर वह मुस्कुरायी तो एक पल के लिये उसमे मिरियम की छवि दिख गयी थी। …अंजली जब तुम पुराने सभी रिश्तों को भुलाना चाहती हो तो फिर तुमने आखिरी मांग अपने परिवार से मिलने की क्यों रखी थी जब कि तुम भली भांति जानती हो कि वह देखते ही हम दोनो के साथ क्या करेंगें। वह कुछ नहीं बोली तो मैने मुस्कुरा कर कहा… क्या ऐसा तो नहीं है कि तुमने जानबूझ कर दोनों को दोजख मे भिजवाने का फैसला कर लिया है। उसने सिर उठा कर मेरी ओर देख कर कहा… अगर मेरे साथ आपको दोजख मे जाने मे कोई मलाल है तो मै आपको अपने वादे से आजाद कर देती हूँ। मैने उसको अपनी बाँहों मे जकड़ कर कहा… अब बहुत देर हो गयी है। तुम्हारे साथ चल कर एक बार उस दोजख को भी देख लेंगें लेकिन जब तक यहाँ है तब तक तो जन्नत का मजा लेने दो। उसे अपनी बाँहों मे जकड़ते ही मेरी नजर चादर पर बने हुए बड़े से कत्थई दाग पर पड़ी तो एकाएक आफशाँ की भयग्रस्त प्रतिक्रिया मुझे याद आ गयी थी। उस क्षण को याद करते ही एक मुस्कुराहट मेरे चेहरे पर तैर गयी थी। उसने तुरन्त पूछा… क्या हुआ? मैने उस दाग की ओर इशारा करके कहा… हमारे एकाकार की निशानी देख कर कुछ याद आ गया था। …क्या? …फिर कभी बताऊँगा अभी आराम करो लेकिन शेरनी को तो खून स्वाद लग चुका था।

सुबह हम दोनो काफी देर से जागे थे। दस बजे आरफा ने आकर हमे उठाया था। हम जल्दी से कपड़े पहन कर रोजमर्रा के कार्यों मे जुट गये थे। पहले मै तैयार होने चला गया था। मेरे बाद तबस्सुम तैयार होने के लिये चली गयी थी। आरफा मेरे सामने नाश्ता लगा कर सामने बैठ गयी थी। ऐसा पहली बार हुआ था। मैने उसकी ओर देखा तो उसकी आँखों मे शरारत भरी हुई थी। …क्या हुआ? …कल रात का साउंडट्रेक सुन कर नूर मोहम्मद पागल हो गया होगा। रात को मुझे तो उसकी बीवी पर दया आ रही थी। उसकी बात सुनते ही मेरा हाथ मुँह की ओर बढ़ते हुए रुक गया था। …क्या तुमने…। मैने बोला भी नहीं था कि उसने दबी हुई आवाज मे कहा… वह पिन लेकर मै आपके कमरे मे आ गयी थी। मैने उसे घूर कर देखा तो उसने मुस्कुरा कर कहा… मेरी शिष्या की परीक्षा थी तो भला मै वहाँ कैसे न होती। …लेकिन उस पिन को क्यों ले आयी थी? …पता नहीं लेकिन शायद इसलिये कि नूर मोहम्मद यही सोच कर उलझ जाये कि आप पुरानी शराब पी रहे थे या नयी बोतल खोल रहे थे। …तो हमारे बीच हुई सारी बातें भी उसे पता चल गयी होंगी? …नहीं, आप लोगो के बैठते ही मै बाहर निकल आयी थी।

तबस्सुम ने कमरे मे प्रवेश करते हुए पूछा… कहाँ गयी थी? आरफा जोर से हंस कर बोली… बानो, आज आईने मे क्या अपना चेहरा देखा है? मोहब्बत की पहली फुहार पड़ते ही देखो तुम्हारे चेहरे पर कैसी रौनक आ गयी है। तबस्सुम का चेहरा शर्म से सुर्ख होता चला गया था। मैने भी नोट किया कि दिन की रौशनी मे उसकी त्वचा दमक रही थी। मैने जल्दी से नाश्ता समाप्त किया और वहाँ से निकलने से पहले वह दोनो पिन मे से एक पिन निकाल कर बाहर मेज पर रख दी और दूसरी पिन बाक्स मे डाल कर कहा… अंजली अभी कुछ देर मे वापिस आता हूँ। यहाँ की सुरक्षा भी पुख्ता करनी है। यह बोल कर मै बाहर निकल आया था। अपनी गाड़ी मे बैठा और गोदाम की ओर चल दिया था। गोदाम पहुँच कर सबसे पहले मेरी नजर बीचोंबीच से टूटी हुई सड़क और उसके भराव पर चली गयी थी। वही तीन मजदूर अब हमारी ओर के हिस्से की खुदाई मे जुटे हुए थे।

…गड्डा करके उसे वापिस भर दिया तो पाईप कैसे डालोगे? मैने काम करते हुए मजदूरों से पूछा तो उनमे से एक ने कहा… लोहे का पाइप डाल कर गड्डा भर दिया है। सड़क को दो दिन के लिये बन्द नहीं कर सकते। मैने गड्डे के पास जाकर देखा तो लोहे के पाईप का सिरा बाहर निकला हुआ साफ दिख रहा था।  मै उनके काम को समझने की कोशिश कर रहा था कि कुरियन और कैप्टेन यादव गोदाम से बाहर निकल कर मेरी ओर आ गये थे। …इनका काम कैसा चला रहा है? …बहुत तेज गति से काम चल रहा है। मुझे तो लगता है आज शाम तक यह सारा खुदाई का काम समाप्त कर देंगें। तभी कुरियन ने कहा… मेजर साहब अब हमारा यहाँ का काम समाप्त हो गया है। क्या अब उस हाल का काम देख लिया जाये। …हाँ क्यों नहीं। आप लोग मेरी गाड़ी मे बैठिये। मैने कैप्टेन यादव से कहा… अपनी पिक-अप मे बारह आदमियों को लेकर आफिस पहुँचो। यह बोल कर मै अपनी गाड़ी की ओर बढ़ गया था। रास्ते मे मैने पूछा… कुरियन साहब उस छतरी का क्या हुआ? …वह छतरी तो सुबह ही लग गयी थी। देर रात तक हमने सारी फिटिंग करके छतरी तैयार कर दी थी। सुबह एनटीसी के लोग आये और शेड के पीछे की ओर हमारी देखरेख मे छतरी फिट कर दी है। …तो अब कमी क्या रह गयी है? …टावर का काम समाप्त करके जैसे ही हमारे संचार सिस्टम की लाइन मिलेगी आपकी आब्सर्वेशन पोस्ट कमांड युनिट के साथ लिंक हो जाएगी।  हम बात करते हुए अपने आफिस पहुँच गये थे। उनको लेकर मै तीसरी मंजिल पर बने हुए हाल मे पहुँच गया था। शर्मा और अय्यर हाल की लम्बाई और चौड़ाई मापने मे व्यस्त हो गये थे। कुछ ही देर मे कैप्टेन यादव अपने साथ बारह सैनिक लेकर आ गया था।

…कैप्टेन यादव, यहाँ पर लेफ्टीनेन्ट सावरकर की कमांड मे छ्ह सैनिक लगा दिजिये। जब तक यहाँ काम चलेगा तब तक यह लोग चौबीस घंटे गार्ड ड्युटी पर रहेंगें। एक सैनिक नीचे आफिस मे बैठ कर बाहर नजर रखेगा और एक सैनिक छत पर तैनात रहेगा। तीन शिफ्ट मे यह लोग यहाँ पर काम करेंगें। बाकी समय वह हाल मे इन टेक्निशियन्स की मदद करेंगें। अच्छा यही रहेगा कि वायर्लैस तकनीक मे प्रशिक्षित बाकी दोनो को आप यहाँ पर तैनात कर दिजिये जिससे वह यहाँ का काम इन लोगों से समझ सके। …जी सर। यह बोल कर कैप्टेन यादव अपने साथियों को निर्देश देने मे लग गया था। मै जानता था कि नूर मोहम्मद की नजर मेरे आफिस और गोदाम पर लगातार बनी हुई है इसीलिये  मैने लोगों की भीड़ आज यहाँ इकठ्ठी की थी। अब तक उसके पास खबर पहुँच गयी होगे कि मैने काफी लोग आफिस मे तैनात कर दिये है। इतनी बात करके मै पहली मंजिल मे चला गया था।

अपने घर मे प्रवेश करते ही सबसे पहले मेरी नजर उस पिन पर पड़ी जो अभी भी मेज पर रखी हुई थी। मैने एक नजर चारों ओर घुमायी और फिर आवाज लगायी… आरफा। वह अपने कमरे से निकल कर सामने आकर बोली… जी। …अंजली कहाँ है? …वह नीचे आफिस मे बैठी है। …आज से यहाँ की सुरक्षा पर दस सेवानिवृत सैनिकों को लगाया है। सभी उपर हाल मे रहेंगें और चौबीस घन्टे आफिस और घर की सुरक्षा पर तैनात रहेंगें। मैने आरफा को इशारा किया तो उसने कहा… जी। यह एक पिन और यहाँ की सफाई मे निकला था। …न जाने कहाँ से इतने सारे पिन अचानक यहाँ पर निकल आये है। वह लोग भी इसकी एक बार जाँच कर लें कि कहीं यह कोई स्पाई माईक्रोफोन तो नहीं है। अचानक मै पिन उठा कर उसकी ओर बड़ा और उसकी कमर पकड़ कर अपने से सटाते हुए कहा… अंजली नीचे आफिस मे बैठी है। बेडरूम मे चलो जल्दी से एक राउन्ड हो जाएगा। वह मुस्कुरा कर बोली… आप भी हद करते है। तिब्बत से नामग्याल का कनसाईनमेन्ट दो दिन पहले पहुँच जाना था लेकिन अभी तक नहीं पहुँचा है। भारत से लोग रोज फोन पर पूछ रहे है कि अगली डिलिवरी कब होगी और आप है कि जब वक्त मिलता है तो इस जिस्म को रौंदने मे लग जाते है। मैने जल्दी से उसके होंठ चूम कर कहा… क्या करुँ तुमको देख कर सारा नियंत्रण खो देता हूँ। चलो न अन्दर चलते है। …समीर, अगर यह पिन के बजाय स्पाई माईक्रोफोन हुआ और अंजली ने इसको हम पर नजर रखने के लिये यहाँ छोड़ा होगा तो वह आपकी सारी बातें सुन रही होगी। मैने घबरा कर कहा… ओह नो…पहले मुझे इसको चेक कराने दो। उसे छोड़ कर वह पिन उठा कर मै हाल की ओर चला गया था।

कैप्टेन यादव को देख कर मैने पिन दिखाते हुए इशारा करते हुए कहा… पोखरियाल साहब जरा इस पिन को देख कर बताना कि यह क्या स्पाई माईक्रोफोन है? कैप्टेन यादव ने पिन को अपने हाथ मे लिया और उसको देख कर तुरन्त बोला… साहब यह माईक्रोफोन है। कोई दूर बैठ कर हमारी सारी बातें सुन रहा है। आईये मै इसकी असलियत दिखाता हूँ। वह तुरन्त इलेक्ट्रानिक स्वीपर निकाल कर उस पिन के पास ले गया और स्वीपर पर लगे हुए डायल पर उस माईक्रोफोन की फ्रीक्वेन्सी पकड़ते ही उसकी सुई हिलने लगी थी। …ओह नो। मैने उस पिन को हाथ मे लेकर कहा… पोखरियाल साहब, आप जरा हमारे पूरे घर मे एक बार इस मशीन की मदद से पता लगाईये कि ऐसे और कितने माईक्रोफोन वहाँ लगे हुए है। …साहब, पहले यह बताईये कि इसका क्या करना है? …इसे तुरन्त नष्ट कर दिजिये। कैप्टेन यादव ने उस पिन को उठा कर जमीन पर पटक कर अपने बूट के तले से उसको पीस दिया था। …यह क्या चक्कर है सर? …कल शाम को नूर मोहम्मद यहाँ आया था। वह कुछ देर बैठ कर जब चला गया तो मुझे चार ऐसी पिन अपने सोफे मे गड़ी हुई मिली थी। मैने इस प्रकार की तीन पिनो नष्ट कर दिया है। अभी मेरे पास एक पिन बची हुई है। उस पिन को मैने जैमर बाक्स मे बन्द कर दिया है। जब तुम्हारी टीम इस इमारत का निरीक्षण करने आयेगी तब उस पिन को भी नष्ट करने के लिये दे दूँगा लेकिन तब तक नूर मोहम्मद को कुछ ऐसी जानकारी दे रहा हूँ कि वह पागल हो जाएगा।

शाम तक कुरियन की टीम ने हाल के लिये कुछ और सामान लिखवा दिया था। अय्यर को नीचे आफिस दिखा कर मैने आठ वर्क स्टेशन और मुख्य डेटा सेन्टर का भी नेटवर्क डिजाईन भी तैयार करवा लिया था। अय्यर ने ही सारे सामान की लिस्ट बना कर दे दी थी। शाम को दोनो लिस्ट मैने अपने सप्लायर को देने चला गया था। अगले दिन दोपहर तक सारे सामान की  डिलिवरी का वादा लेकर मै गोदाम की ओर निकल गया था। कैप्टेन यादव तो बाकी साथियों को लेकर वापिस गोदाम पर शाम से पहले ही पहुँच चुका था। मै जब तक अपने गोदाम पर पहुँचा तब तक गड्डे का काम समाप्त हो चुका था। उन्होंने शाम को ही टावर से लोहे के पाईप और प्लास्टिक की स्लीव डालना आरंभ कर दिया था। अब मुझे यकीन हो गया था कि तीन दिन मे बिस्ट के लोग सारा काम पूरा कर देंगें। मै गोदाम मे चला गया और कैप्टेन यादव के साथ बैठ कर जुमे की रात को होने वाले आप्रेशन की योजना सुनने बैठ गया था।

उनकी योजना सुनने के बाद कुछ सुझाव देकर मैने कहा… कैप्टेन कल के आप्रेशन मे मै हिस्सा नहीं ले सकूँगा क्योंकि उस समय मै अपनी बीवी के साथ नूर मोहम्मद की पार्टी मे उसके सामने मौजूद रहूँगा। मेरा सिर्फ इतना कहना है कि कोई बेवजह खतरा उठाने की जरुरत नहीं है। अगर लगता है कि इन्टर्सेप्शन मुश्किल होगा तो मुझे सिर्फ फोन पर खबर करके ट्रक के डिटेल्स दे देना। अगर ट्रक मे रखा हुआ सामान अपने ट्रक मे ट्रांसफर करने मे परेशानी महसूस करो तो ट्रक के साथ ही उसे भी नष्ट कर देना। मै तुम्हें यकीन दिलाता हूँ कि सीमा पर तैनात सीमा सुरक्षा बल उसे आगे नहीं जाने देंगें। मैने अपने आयुध डिपो से ग्लाक-17 निकाली और कुछ अतिरिक्त मैगजीन जेब मे डाल कर अपने गोदाम मे स्थापित किये संचार केन्द्र को देखने के लिये चल दिया था। दो स्क्रीन दीवार पर लगे हुए थे। चार कंप्युटर टर्मिनल भी तैयार हो गये थे। उन्हें मेन सर्वर के साथ भी जोड़ दिया गया था। यह सारा सामान हम दिल्ली से लेकर आये थे। उन तीनों ने दो दिन मे सारा संचार केन्द्र इस गोदाम मे स्थापित कर दिया था। अब जो कुछ बचा हुआ सामान ट्रक मे पड़ा था वह अपने आफिस मे पहुँचाना था। उसी के साथ मुझे दो टीवी और एक छतरी का भी इंतजाम करना था।  

 

काठमांडू

वहीं से कुछ दूरी पर एक अन्य जगह पर एक बड़े से कमरे मे बैठ कर दो आदमी बात कर रहे थे। …हाल ही मै पता चला है कि समीर कौल का संबन्ध तोशी नामग्याल से है। आप तो जानते है कि वह चरस का कारोबार करता है। जनाब, उसके साथ पहली मुलाकत मे मुझे लगा था कि समीर कौल भारतीय रा का एजेन्ट है परन्तु इस खुलासे ने मुझे और भी उलझा कर रख दिया है। उसका कोई कनसाईनमेन्ट काठमांडू पहुँच रहा है जिसको वह यहाँ से भारत भेजने की फिराक मै है। बताईये उसके बारे मे क्या करना है?

…देखो इन तिब्बती ड्र्ग्स वालों से जितना दूर रहोगे उतना हमारे मिशन के लिये अच्छा होगा। अगर यह बात सच है कि समीर कौल का सीधा संबन्ध नामग्याल से है तो उससे दूर रहो। अगर समीर कौल को कुछ हो गया तो नामग्याल को संभालना हमारे लिये यहाँ पर बड़ा भारी पड़ जाएगा। वह तिब्बती चीन की सरकार के संरक्षण मे यहाँ के सभी वामपंथी दलों के पास पैसे पहुँचाता है। यहाँ के प्रधानमंत्री से लेकर छोटे से छोटा वामपंथी नेता उसकी जेब मे है। मेरी राय है कि समीर कौल पर दूर से नजर रखो और अगर उसके और नामग्याल के रिश्तों के पुख्ता सुबूत मिल जाये तो उसे भूल कर भी हाथ लगाने की कोशिश मत करना। …जनाब हमारे बीच मे एक बार झड़प हो चुकी है। …नूर मोहम्मद मैने तुमसे साफ शब्दों मे कहा था कि मुझसे बिना पूछे तुम यहाँ पर कुछ नहीं करोगे। अब यह सोचो कि अगर उसने तुम्हारे बारे मे नामग्याल को बता दिया कि तुम उसके कारोबार मे रोड़ा अटका रहे हो तो यहाँ पर तुम्हारी लाश भी नहीं मिलेगी। यह सुन कर नूर मोहम्मद के चेहरे पर तनाव छा गया था।

…जनाब, पता नहीं क्यों मुझे वह खतरा लग रहा है। उसकी बातचीत से नहीं लगता कि वह कोई ड्र्ग्स का तस्कर हो सकता है लेकिन उसके कारनामे देख कर मुझे यकीन हो गया है कि वह कोई आम कारोबारी नहीं हो सकता। अगर आप इजाजत दें तो अपने ड्र्ग्स के कनसाईनमेन्ट के बारे मे उसे टटोल के देखूँ? …फिलहाल नूर मोहम्मद कुछ मत करो बस दूर से उस पर नजर रखो। …जी जनाब।